सभी पाठकों को मजे प्यार भरा प्रणाम। मेरी कहानियों को पढ़ने केलिए चूत एवं गांड फैला कर बहुत बहुत आभार। ये कहानी मेरे और मेरे पापा के दोस्त के बॉस की मुझे चोदने की है।
मेरे पापा के दोस्त का नाम अनिल है और वो एक प्राईवेट कंपनी में काम करते हैं। कुछ महीने पहले वो हमारे घर आए और पापा ने मुझे बुलाया। मैं उनके पास गई और बैठ गई। अंकल ने मुझे बताया कि उनको कुछ प्रोब्लम थी और वो कुछ दिन दफ्तर नहीं जा पाए। उनके बॉस ने उनको लैटर दिया है और वो उनको नौकरी से निकाल देगा।
उन्होंने ने बताया कि उनके बॉस की पोती मेरी क्लास में पढ़ती है और मैं उससे बात करूं कि उसका दादा अंकल को नौकरी से न निकाले। वो लड़की मेरी दोस्त तो नहीं थी लेकिन मैं उसको जानती थी और मैंने उससे बात करने को हां बोल दिया।
अगले दिन मैं उस लड़की से बात की लेकिन उसने यह बोल कर मना कर दिया कि वो अपने दादा से उनके दफ्तर की बात नहीं करती। उसने मुझे अपने दादा से बात करने को बोला और चली गई। मैंने उसके दादा को देखा था, वो हर रोज उस लड़की को कॉलेज छोड़ने और लेने आता था।
उसका नाम प्रवीन और आयु करीब 70 साल है। उसका सिर गंजा है और चेहरा क्लीन शेव है। उसका कद मुझ से छोटा है कद करीब 5 फीट 4 इंच है। वो दिखने में गोल मटोल है और तोंद बड़ी है। दिखने में कुछ खास नहीं है और आंखों पर चश्मा लगा हुआ है। वो बहुत ही ठरकी किस्म का बूढ़ा है।
वो अपनी पोती को लेने टाईम से पहले पहुंच जाता है और लड़कियों के बूब्ज़ और गांड को देखता रहता है। जब वो लड़कियों को देखता है तो उसके चेहरे और आंखों में काम वासना झलकती है। वो गाड़ी मैं बैठे-बैठे लड़कियों को देखकर अपना लंड सहलाता रहता है।
जब वो अपनी पोती को लेने कॉलेज आया तो मैं उससे मिलने चली गई। जब मैं उसके पास गई तो वो लड़कियों को घूर रहा था। मैंने उसको हैलो बोला और अंकल के बारे में बात की। मैं खिड़की के शीशे वाली जगह पर झुक कर बात करने लगी और टॉप से मेरे बूब्ज़ की गोलाइयां दिखने लगी। मुझ से बात करते समय उसकी नज़र मेरे टॉप के अंदर मेरे बूब्ज़ पर थी। कुछ देर बात करने बाद उसने मुझे अपना कार्ड दिया और बोला मुझे कल तीन बजे के बाद दफ्तर में मिलना, वहीं बात करेगा और फाईल भी देख लेगा।
मैं उसी टाईम समझ गई कि उसने क्या बात करनी है और कौन सी फाईल देखनी है। मैंने कल मिलने को बोला और वहां से घर आ गई। शाम को अंकल आए और मुझसे पूछा। मैंने अंकल और पापा को बोला कि मैं कल को उसकी पोती के साथ उनके बॉस को मिलने जाऊंगी फिर मालूम होगा वो क्या कहता है। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है..
मैंने झूठ बोला था क्योंकि उसने मुझे अकेले बुलाया था। रात को लेटे-लेटे मुझे अंकल के बॉस के कद के बारे सोच कर हंसी आ गई। मैं सोच रही थी वो मेरे होंठों को कैसे चूमेगा, क्या चुम्मा लेने केलिए सीडी़ लगाएगा। जब मुझे चोदेगा तो उसकी तोंद कैसे हिलेगी। यह सोचते सोचते कब मुझे नींद आ गई पता नहीं चला। सुबह उठ कर मैंने अपनी चूत के बाल साफ किए और नहा कर रोज वाले कपड़े पहन लिए।
मैं कॉलेज केलिए घर से निकल आई और शहर में आकर कपडो़ं की दुकान में आ गई। मैंने वहां से सफेद जींस, लाल बॉडी फिट शर्ट, राल हॉफ़ ब्रा और लाल पैंटी खरीद ली। उसके बाद मैं ब्यूटी पार्लर पहुंच गई और आंटी को अच्छे से तैयार करने को बोला। आंटी ने मेरे बदन के सारे बाल साफ कर दिए और चेहरे का ब्लीच और फेशियल किया। मैंने नए कपड़े पहन लिए और फिर कुर्सी पर बैठ गई।
आंटी ने मेरे चेहरे पर फांउडेशन क्रीम और पाऊडर लगाया। उसने लाल रंग की लिपस्टिक, आई शैडो, काजल, गुलाली और होंठों पर लिप ग्लॉस लगा दिया। दोपहर के ढाई बज गए थे और मैं बिल्कुल तैयार थी। मैंने खुद को आईने में देखा तो मैं एकदम कोई हॉट पोर्न स्टार लग रही थी। मैंने टैक्सी ली और अंकल के बॉस के दफ्तर पहुंच गई।
जब मैं अंदर गई तो वही हुआ जिसका मुझे अंदाजा था। वहां अंकल के बॉस के अलावा कोई नहीं था और दफ्तर सुनसान इलाके में था। मैं दफ्तर के अंदर गई तो वो कुर्सी पर काला कोट पैंट पहने सिगरेट पीता हुआ मेरा इंतजार कर रहा था। मैं दफ्तर के अंदर चली गई, वहां पर एक टेबल, चार कुर्सियां और दीवान लगा हुआ था। अंदर हीटर चल रहा था और गर्मी थी।
वो अपने लैपटॉप पर कुछ देख रहा था और मैंने उसको हैलो बोला। दफ्तर में घुसने से पहले मैंने अपनी शर्ट का एक बटन खोल लिया था जिससे मेरे बूब्ज़ के बीच की लाईन दिख रही थी। उसने मुझे ऊपर से नीचे तक देखा और उसके चेहरे पर अजीब सी मुस्कान आ गई। उसकी आंखों में काम वासना साफ झलक रही थी।
अंकल के बॉस ने मुझे कुर्सी पर बैठने को बोला और मैं उसके सामने वाली कुर्सी पर बैठ गई। मैंने उससे अंकल की बात की तो उसने कहा वो मैं कर दूंगा। उसने मुझे पूछा क्या मुझे डर नहीं लगा अकेले आने में और क्या मुझे मालूम है उसने मुझे क्यों बुलाया है।
मैंने कहा डर किस बात का आप मेरी क्लासमेट के दादा हो और आपने मुझे अंकल के बारे बात करने को बुलाया है। मैं सिर्फ शराफ़त का दिखावा कर रही थी जबकि मैं अच्छी तरह जानती थी उसने मुझे क्यों बुलाया है और उसी केलिए इतना सज धज कर आई थी।
उसने बोला ठीक है मैं तुम्हारे अंकल को नौकरी से नहीं निकालूंगा तो बदले में मुझे क्या मिलेगा। मैंने भोलेपन का नाटक करते हुए बोला क्या चाहिए आपको, मैं अभी अंकल से बात कर लेती हूं। उसने हंसते हुए कहा वो चीज तुम्हारे अंकल के पास नहीं है बल्कि तुम्हारे पास है। मैंने चेहरे पर स्माईल लाते हुए कहा कि यह बात मैं कल ही समझ गई थी जब आपने मुझे अकेले बुलाया था।
मैंने कहा जो आपको चाहिए वो मैं आपको दूंगी लेकिन मेरी शर्त है। उसने एकदम से बोला हां बोलो डीयर, तुम्हारे जैसी हॉट फिगर वाली सेक्सी लड़की केलिए कुछ भी कर सकता हूं। मैंने उससे कहा एक तो अंकल को नौकरी से नहीं निकालना और दूसरा आज के बाद मुझे कभी ऐसे नहीं बुलाना। उसने कहा दोनों शर्त मंजूर हैं लेकिन मेरी भी शर्त है कि मैं जो बोलूंगा वो करोगी और मैंने हां बोल दिया।
उसने टेबल पर शराब और सिगरेट रख दी और मुझे हाथों से पिलाने को बोला। मैंने गिलास में शराब और सोडा मिलाया और उसकी कुर्सी थोड़ी पीछे कर के उसके सामने टेबल पर बैठ गई। मैंने एक हाथ उसके कंधे पर रखा और झुक कर दूसरे हाथ से उसके होंठों पर दारू का गिलास लगा दिया।
उसने दारू से अपने होंठों को गीला किया और मेरे होंठों को चूम लिया। मेरे होंठों पर दारू लग गई और मैंने जीभ से चाट कर होंठों को साफ कर लिया। वो फिर से कुर्सी पर बैठ गया और मैंने उसके होंठों पर गिलास लगा दिया। उसने शर्ट के ऊपर से मेरे बूब्ज़ पकड़ लिए और मेरी नशीली आंखों में वासना से देखता हुआ दारू पीने लगा। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है..
उसने दारू पीकर गिलास खाली कर दिया और मैंने सिगरेट मुंह में ले ली। मैंने सिगरेट जलाई और फिल्टर को चूम कर उसके होंठों में दे दी। उसने कश लगाया मेरी शर्ट का बटन खोल कर धुआं मेरे बूब्ज़ पर छोड़ दिया। मैं टेबल से उतर कर खड़ी हो गई और उसको एक और कश लगवाया। इस बार उसने मेरी शर्ट ऊपर उठा कर मेरे पेट पर धुआं छोडा़ ओर मैंने उसको एक सेक्सी स्माईल दी। उसने सिगरेट पकड़ मेरे होंठों पर लगा दी। मैंने एक लंबा कश खींचा और उसकी पैंट की जिप खोल दी।
मैंने उसके अंडरवियर का इलास्टिक खींच कर उसके लंड पर धुआं छोडा़। मैंने उसको फिर कश लगवाया और इस बार उसने मेरी जींस एंड पैंटी को नीचे किया और मेरी चूत पर धुआं फेंक दिया। मैंने सिगरेट का फिल्टर अपनी चूत पर रगड़कर उसके मुंह पर लगा दिया और इतने टाईम में उसने मेरी जींस और पैंटी निकाल कर साईड पर फेंक दी। उसने कश खींच कर मुझे घुमा दिया और मेरी मोटी गांड अपनी तरफ कर ली। उसने मेरे चूतडो़ं की दरार खोलकर मेरे गांड के छेद को थोड़ा फैला कर धुआं निकाल दिया।
उसने मेरे होंठों से सिगरेट लगा कर अपनी पैंट और अंडरवियर निकाल दिया। मैंने अच्छा सा कश खींचा और नीचे बैठ कर उसके अंडकोष पर फेंक दिया। उसने मुझे एक और कश लगवाया और मैंने उसके लंड के टोपे से चमड़ी पीछे कर के लाल टोपे पर धुआं फेंक कर चुम्मा ले लिया। सिगरेट खत्म हो गई और हमने फेंक दी।
मुझे उम्मीद नहीं थी कि ये बूढ़ा इतना रोमांटिक होगा औय मैं गर्म होने लगी। मैं सोच कर गई थी कि टांगें उठा कर जल्दी से चुदवा कर निकल जाऊंगी। क्योंकि मुझे वो अच्छा नहीं लगा था। उसने मुझे बताया कि उसने कई सालों से चूत नहीं देखी और चुदाई केलिए तरस रहा है। उसने बताया कि मैंने कई बार रंडी के पास जाने को सोचा लेकिन रंडी से डर लगा कहीं मुझे ब्लैकमेल न करने लगे।
उसकी कई रंडियों से पहचान है और उनको उन लोगों अधिकारियों केलिए बुलाता है जो उसकी कंपनी के उत्पाद पास करते हैं। उसने ये भी बताया कि उसने अपनी पोती जो मेरी क्लासमेट है उसको भी अधिकारियों से चुदवाया है लेकिन उसने भी उससे चुदाई नहीं करवाई। उसकी पोती बाहर तो बहुत से सेक्स करती है लेकिन मुझे मना कर देती है। चुदाई की आग में जलते जलते ही वो इतना चिड़चिड़ा हो गया है और अपने कर्मचारियों पर गुस्सा निकालता है।
मुझे बहुत हैरानी हुई क्योंकि उसकी पोती कॉलेज में तो बहुत शरीफ़जादी बनती है और मुझे उस बूढ़े पर बहुत तरस आया। मैंने उसको अच्छी तरह चुदाई का सुख देने का और खुद भी चुदाई का मजा लेने का फैसला कर लिया। मैंने उसको भी सच बता दिया और कहा आज उसको ऐसा मजा दूंगी कि कभी भूल नहीं पाएगा। मेरे ये कहने से वो बहुत खुश हो गया।
मैंने उसकी शर्ट और बनियान निकाल दी और उसको होंठों से चूम लिया। उसने मेरी शर्ट एवं ब्रा निकाल दिया और कुर्सी पर बैठ गया। अभी उसका लंड पूरी तरह खड़ा नहीं हुआ था।
मैंने उसको उत्तेजित करने केलिए हाई हील के सैंडिल पहन लिए और बोला मैं कैट वॉक करके दिखाती हूं। उसने मुझे पूछा क्या वो मेरी तस्वीरें ले सकता है ताकि बाद में मेरी तस्वीरें देख कर मुठ मार सके। मैंनें कुछ देर सोचा और हां बोल दिया और मैंने भी उसकी कुछ नंगी तस्वीरें खींच लीं।
मैंनें उसकी तस्वीरें इसलिए लीं ताकि वो मुझे ब्लैकमेल न कर सके। मैं जानती थी कि वो मुझे तस्वीरें दिखाने के बहाने ब्लैकमेल कर सकता है और वो शहर कका इज्जतदार आदमी है तो अगर मेरे पास उसकी नग्न तस्वीरें होंगीं तो उसे डर रहेगा। इन्हीं तस्वीरों के डर से वो अंकल को आगे से परेशान नहीं करेगा।
मैं अपनी मोटी गांड को सेक्सी तरीके से हिला कर चलने लगी और उसको उत्तेजित करने केलिए अपने बूब्ज़ हाथों में पकड़ कर उसको उछाल उछाल कर दिखाने लगी। वो मुझे कैट वॉक करती देख कर अपना लंड सहलाते हुए अपने मोबाइल पर मेरी मूवी बनाने लगा।
मैंने कुछ देर ऐसे उसको उत्तेजित किया और रुक गई। उसने मुझे चुदाई की मूवी बनाने को पूछा लेकिन मैंने मना कर दिया। लेकिन उसको बहुत प्यार से कहने से मैं मना नहीं कर पाई। उसने अपने मोबाइल का कैमरा चालू करके एक जगह लगा दिया औय मैंने भी अपना मोबाइल लगा दिया। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है..
उसका लंड अभी भी ठीक से नहीं खड़ा हुआ था। मैं उसके पास गई और सामने खड़ी हो गई। मैं वैसे ही उससे लंबी थी और अब मैंने तीन इंच की हील पहनी हूई थी। उसका सिर मेरे बूब्ज़ तक ही पहुंच रहा था। मैं सैंडिल उतारने लगी लेकिन उसने मना कर दिया और बोला सैंडिल मत उतारना डार्लिंग, हाई हील में बहुत सेक्सी लगती हो और तुम्हारी उभरी हुई गांड बहुत मस्त लगती है।
मैंनें कहा ठीक है और सैंडिल नहीं उतारे। मैंनें आगे होकर अपने होंठों को उसके होंठों से सटा दिया और हाथ से उसका लंड पकड़ लिया। मेरे कोमल हाथ का स्पर्श पाते ही उसका लंड तन गया। मैंने शुक्र मनाया कि उसका लंड खड़ा हो गया, अभी तक लग रहा था उसका लंड खड़ा नहीं होगा और मुझे बिना चुदाई के ही सबर करना पडे़गा।
मैंनें उसके लंड को देखा तो उसका लंड काफी मोटा, लंबा और शानदार हो गया था। मैं उसके होंठों को जोर जोर से चूसने लगी और लंड को हिलाने लगी। जैसे-जैसे मैं उसके लंड को हिला रही थी वैसे-वैसे उसका लंड फूल रहा था और बिल्कुल लोहे की रॉड की तरह सख्त हो गया। वो भी पूरी तरह गर्म हो गया और मेरे नर्म एवं रसीले होंठों को जोर से चूसने लगा और मेरे चूतडो़ं को हाथों से दबाने लगा। मैंने अपनी जीभ उसके मुंह में धकेल दी और वो मजे से मेरी जीभ को मुंह से खींच कर रस निचोड़ने लगा।
हम दोनों बहुत जंगली तरीके से एक-दूसरे को चूमने लगे। हम एक-दूसरे के मुंह में जीभ घुसा कर मुंह के अंदर से रसपान करते, एक-दूसरे की जीभ को जोर से चूस कर जीभ का रस निचोड़ते और होंठों को चूस कर रसपान करते-करते दांतों से काट लेते। मुझे बहुत मजा आ रहा था और आज पहली बार अपने से छोटे कद वाले आदमी से चुदने जा रही थी।
मैं सीधा खड़ी हो गई और उसके चेहरे पर अपने बडे़-बड़े खरबूजों जैसे बूब्ज़ लगा दिए। वो बूढ़ा मेरा बूब्ज़ पर ऐसे टूट पड़ा जैसे उसने कभी बूब्ज़ देखे ही न हों। वो मेरे बूब्ज़ को बहुत जोर से मसलने लगा और मेरे निप्पलों को ऊंगली एवं अंगूठे के बीच दबा कर रगड़ने लगा।
वो मेरे बूब्ज़ को मुंह में भरकर चूसने लगा और मेरे निप्पलों पर जीभ घुमाते हुए मुंह में खींच कर चूसता। वो मेरे बड़े-बड़े एवं चिकने बूब्ज़ का बहुत जोर से रसपान करने लगा। वो एक दम वहशी बन गया था और मेरे बूब्ज़ को ऐसे चूस रहा था जैसे खा ही जाएगा। मुझे उसके वहशीपन से बहुत आनंद मिल रहा था और मैं जोर से उसका सिर अपने बूब्ज़ पर दबाने लगी।
कुछ देर पहले जो आदमी मुझे अच्छा नहीं लग रहा था, उसी आदमी पर मुझे बहुत प्यार आ रहा था और उसकी हर हरकत मुझे बहुत कामुक और उत्तेजिक लगने लगी। अब दिल करने लगा ये बूढ़ा आदमी मेरे साथ ऐसे ही छेड़छाड़ करता रहे और ऐसे चोदे कि कई दिन लगातार चोदने के बाद ही इसके लंड से पानी निकले।
उसने घुटनों के बल नीचे बैठ गया और मेरे गोरे, नाजुक एवं चिकने पेट को चूमने लगा। वो मेरे पेट को हर जगह से चूम रहा था और मेरी नाभि को ज्यादा चूम रहा था। वो मेरे पेट को चूमने लगा और नाभि में जीभ घुसा कर घुमा देता। मैं उसकी कामुक हरकतों से मचल रही थी। अब वो मेरे पेट को अपने मुंह में लेकर जोर से चूसने लगा और काटने लगा। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है..
जब जब वो वहशी होता तब तब मुझे उस पर ज्यादा प्यार आता। मैं चाहती थी वो मुझे इसी वहशीपन से चोद चोद कर मेरी चूत एवं गांड को फाड़ डाले और मेरी चुदाई की आग को अपने वहशीपन से शांत कर दे। उसने मुझे घुमा दिया और मेरे चूतडो़ं को चाटने और काटने लगा। जब वो मेरे चूतडो़ं की फांकें खोलकर गांड के छेद को चूमता तो मुझे अजीब सा मजा आता।
अब उसने दीवान पर लेट कर सिर नीचे लटका लिया और मुझे टांगें खोलकर अपने मुंह पर आने को बोला। मैं उसका सिर अपनी टांगों के बीच लेकर खड़ी हो गई। उसने अपने हाथ ऊपर करके मेरे बूब्ज़ पकड़ लिए और मेरी भरी हुई जांघों को अंदर से चूमते हुए मेरी चूत पर होंठ रख दिए। उसने मेरी चूत को जोर से चूमा और मेरी चूत में जीभ घुसेड़ दी।
वो मेरी चूत के अंदर तक जीभ ले जाकर हिला हिला कर चाटने लगा और मेरे बूब्ज़ बहुत जोर से दबाने लगा। उसके चूत चाटने से सपड़… सपड़… की आवाजे़ं आ रही थी, जिसकी वजह से मुझे मस्ती चढ़ने लगी। मैं मस्ती में मचलती हुई अपनी गांड हिला हिला कर अपनी चूत उसके मुंह पर रगड़ने लगी।
उसने मुझे दीवान पर कोहनियों के बल लेटा दिया और अपना लंड मेरे सामने कर दिया। अब मैंने पहली बार उसका लंड गौर से देखा जो मेरी कल्पना से कहीं ज्यादा लंबा और मोटा था। उसका शानदार लंड देखकर उसके लंड केलिए बेहद प्यार उमड़ने लगा। मैंने लपक कर उसके लंड की चमड़ी पीछे की और लाल टोपा बाहर आ गया।
उसके लंड का शानदार लाल टोपा देखकर मेरे मुंह में पानी भर आया और मैं उसके टोपे पर जीभ घुमा घुमा कर चाटने लगी। उसके गीले टोपे का नमकीन स्वाद बहुत अच्छा लग रहा था। मैंने अपना मुंह खोलकर उसका सारा लंड मुंह में ले लिया और चूसने लगी।
मुझे उसके लंड का स्वाद बहुत अच्छा लग रहा था और ऐसा लग रहा था जैसे मैं पसंदीदा डिश खा रही हूं। मैं उसके लंड को चूसते हुए एक हाथ से उसके अंडकोषों से खेलने लगी। वो आराम से खड़ा आंहें भर रहा था और मजा ले रहा था। मैं उसके वहशी होने का इंतजार करने लगी और जल्दी ही वो वहशी बन गया। उसने मुझे बालों से पकड़ा और मेरे मुंह में धक्के मारने लगा।
उसका लंड मेरे गले में अंदर-बाहर होने लगा और मैं भी सिर को आगे-पीछे करके उसका लंबा मोटा लंड गले के और नीचे तक लेने लगी। उसका वहशीपन मुझे अच्छा लग रहा था और मुझे ऐसी ही वहशी जोश वाली चुदाई अच्छी लगती है। लंड के मेरे गले के अंदर-बाहर होने से गप्प… गप्प… की आवाजे़ं आने लगीं और उसका जोश बढ़ता जा रहा था।
वो कुर्सी पर बैठ गया और मुझे गोद में आने को बोला। मैंने अपनी टांगें मोड़कर कुर्सी पर रखीं और उसके लंड पर अपनी चूत टिका दी। मैं धीरे-धीरे गांड को नीचे धकेलने लगी और उसका लंड मेरी चूत में फंसता हुआ जड़ तक बैठ गया। मैंने अपनी गांड ऊपर उठा कर तेज़ी से नीचे धकेल दी।
उसका लंड सीधा मेरी बच्चेदानी से टकरा गया और मेरे मुंह से आह निकल गई। उसने मुझे रुकने को बोला और गिलास में दारू डाल ली। उसने गिलास मेरे हाथ में देते हुए कहा मैं उसको अपने मुंह से दारू पिला दूं। मैंने अपने मुंह में दारू ली और उसके होंठों से होंठ लगा कर उसके मुंह में डाल दी।
फिर उसने अपने मुंह में दारू ली और मेरे मुंह में डाल दी। मैंने गटाक से दारू गले के नीचे उतार ली। मैंने दारू की बोतल उठाई जो आधे से कम थी और बोतल में ही सोडा मिला दिया। मैंने बोतल अपने होंठों से लगाई और काफी दारू खींच ली। थोड़ी दारू उसको पिला दी और बाकी दारू उसकी छाती और अपने बूब्ज़ पर गिरा ली। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है..
मैंने अपने बूब्ज़ उसकी छाती पर मसल दिए और हम दोनों के पेट, उसकी छाती और मेरे बूब्ज़ पूरी तरह दारू से भीग गए। मैं सिर नीचे झुका कर उसकी दारू से भीगी छाती को जीभ से चाटने लगी।
उसकी कोमल छाती के निप्पलों से दारू चाटने का मुझे बहुत आनंद आ रहा था। मैंने अपने बूब्ज़ उसके चेहरे पर सटा दिए और उसके लंड पर उछलने लगी। वो मेरे बूब्ज़ को चूस कर दारू और मेरे बूब्ज़ के रस का एक साथ मजा लेने लगा।
वो कस कस कर मेरे बूब्ज़ चूसते हुए मेरी चूत में लंड पेलने लगा और मैं उसके गंजे सिर को चूमते हुए गांड ऊपर-नीचे हिलाकर चूत के अंदर-बाहर लंड करने लगी। लंड के अंदर-बाहर होने से फच.. फच.. की आवाजें आने लगी और मैं मस्ती में चिल्ला रही थी। उस बूढ़े के मुंह से भी आंहें निकल रही थी और उसको बहुत मजा आ रहा था।
मैंने उसका लंड चूत से निकाल लिया और खड़ी हो गई। उसने मुझे कहा अगर सही लगे तो क्या मैं गांड में लंड डाल सकता हूं, मैंने आज तक गांड का स्वाद नहीं देखा बस सुना है बहुत मजा आता है। क्या तुम मुझे वो मजा दे सकती हो प्लीज़। मैंने उसको स्माईल दी और होंठों को चूम लिया।
मैं दीवार से सट कर खड़ी हो गई और अपने चूतड़ खोलकर उसको स्माईल देखकर आंख मार दी। वो खुश हो गया और मेरे पीछे फर्श पर फट्टा रख कर खड़ा हो गया। उसने मेरी गांड पर थूक लगाया और अपने लंड पर भी थूक लगा लिया। उसने मेरी गांड के छेद पर लंड लगा दिया। वो मेरी गांड पर लंड दबाने लगा और मैं अपनी गांड को पीछे धकेलने लगी। उसका लंड मेरी गांड को खोलता हुआ गांड में समा गया।
मैं दीवार से हाथ लगा कर गांड आगे-पीछे करने लगी और वो मेरे बूब्ज़ को पकड़कर मेरी गांड चोदने लगा। उसका लंड मेरी गांड के अंदर तक जा कर मुझे मजा दे रहा था और मैं बहुत जोर से गांड को धकेल कर उसका लंड और अंदर तक लेना चाहती थी। जब लंड मेरी गांड के अंदर-बाहर हो रहा था तब मेरे चूतड़ में हलचल हो रही थी।
उसने मेरी गांड से लंड निकाल कर मुझे घुमा दिया और मेरी टांग उठा ली। नीचे फट्टा रखने से उसका कद मेरे बराबर हो गया था। उसने मुझे कस के पकड़ लिया औल मेरी चूत में लंड पेल दिया। मैंने भी उसको कस कर पकड़ लिया और मेरे बूब्ज़ उसकी छाती में दब गए। वो मेरी चूत चोदने लगा लेकिन उसकी मोटी तोंद की वजह से लंड पूरी तरह अंदर नहीं जा रहा था।
मैं पीछे होकर दीवार से सट गई और मेरी चूत ऊपर को उठ गई और उसका लंड पूरा अंदर तक जाने लगा। उसका लंड मेरी बच्चेदानी से टकरा कर बाहर आता और कामुक आवाजें आतीं। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है..
उसने मुझे दीवान पर कुतिया की जैसे गांड उठा कर बैठा दिया और मेरी गांड पर दारू की खाली बोतल उल्टी कर दी, जिस में से दारू की कुछ बूंदें मेरी गांड पर गिर गईं। उसने मेरे चूतडो़ं तथा गांड के छेद से दारू की बूंदें जीभ से चाट कर साफ कर दीं और गांड के छेद पर चुम्मा ले लिया। उसने पीछे से मेरी गांड में लंड दे दिया और ताबड़तोड़ झटकों से मेरी गांड चोदने लगा।
उसके हर झटके से मेरा बदन हिल रहा था। उसने मेरी गांड से लंड निकाल कर मेरी गांड को ऊपर किया और मेरी चूत ऊपर उठ गई। उसने पीछे से ही मेरी चूत में लंड पेल दिया और मेरी चूत ठोकने लगा। वो बहुत तेज़ी से मुझे चोद रहा था और उसकी तोंद मेरे चूतडो़ं से टकरा रही थी। मैं भी गांड पटक पटक कर चूत चुदाई का मजा ले रही थी।
मैं चुदते हुए सोच रही थी एक बूढ़ा भी इतने जोश से चोद सकता है। उसकी रफ्तार काफी बढ़ गई और उसने मुझे कहा कि मैं झड़ने वाला हूं माल कहां निकालूं। मैंने कहा जहां दिल चाहे और अच्छा लगे। उसने मुझे दीवान पर लेटा लिया और मेरे ऊपर आकर मेरे बूब्ज़ के बीच लंड रख दिया।
मैंने अपने दोनों बूब्ज़ को पकड़ कर उसका लंड बीच में ले लिया और वो मेरे बूब्ज़ चोदने लगा। थोड़ी देर बाद उसके लंड से एक के बाद एक वीर्य की पिचकारियां निकलीं और मेरी गर्दन पर गिर गईं। मेरी गर्दन और बूब्ज़ उसके वीर्य से सन गए। अब वो बहुत खुश था और उसने मुझे होंठों पर चूम कर थैंक्स बोला।
मैंने भी उसको चूमा और खड़ी हो गई। वो अपने कपड़े पहनने लगा और मैंने खुद को साफ किया। वो मुझे मेरे गांव तक अपनी गाड़ी में छोड़कर गया और रास्ते में मैंने एक बार फिर उसका लंड चूस कर उसका पानी निकाला। दूसरे दिन पापा का दोस्त मिठाई लेकर आया और मुझे थैंक्स बोला।
मैंने आगे किस के सिथ चुदाई की वो अगली कहानी में, तब तक सभी को संजय का सलाम