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Adultery बड़ी उम्र की औरतों की चुदाई की कहानियां

Sanjay dham

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सभी चूत वालियों और लंड धारियों को संजय का एक बार फिर प्रणाम।
मैं इस थ्रेड पर कुछ सेक्स और कामुकता से भरपूर कहानियां पोस्ट करूंगा। लेकिन ये कहानियां मेरी नही लिखी हुई है। अगर किसी को कोई आपत्ति है तो उसके लिए मैं क्षमा प्रार्थी हूं।
 

Sanjay dham

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सभी पाठकों को मजे प्यार भरा प्रणाम। मेरी कहानियों को पढ़ने केलिए चूत एवं गांड फैला कर बहुत बहुत आभार। ये कहानी मेरे और मेरे पापा के दोस्त के बॉस की मुझे चोदने की है।

मेरे पापा के दोस्त का नाम अनिल है और वो एक प्राईवेट कंपनी में काम करते हैं। कुछ महीने पहले वो हमारे घर आए और पापा ने मुझे बुलाया। मैं उनके पास गई और बैठ गई। अंकल ने मुझे बताया कि उनको कुछ प्रोब्लम थी और वो कुछ दिन दफ्तर नहीं जा पाए। उनके बॉस ने उनको लैटर दिया है और वो उनको नौकरी से निकाल देगा।

उन्होंने ने बताया कि उनके बॉस की पोती मेरी क्लास में पढ़ती है और मैं उससे बात करूं कि उसका दादा अंकल को नौकरी से न निकाले। वो लड़की मेरी दोस्त तो नहीं थी लेकिन मैं उसको जानती थी और मैंने उससे बात करने को हां बोल दिया।

अगले दिन मैं उस लड़की से बात की लेकिन उसने यह बोल कर मना कर दिया कि वो अपने दादा से उनके दफ्तर की बात नहीं करती। उसने मुझे अपने दादा से बात करने को बोला और चली गई। मैंने उसके दादा को देखा था, वो हर रोज उस लड़की को कॉलेज छोड़ने और लेने आता था।

उसका नाम प्रवीन और आयु करीब 70 साल है। उसका सिर गंजा है और चेहरा क्लीन शेव है। उसका कद मुझ से छोटा है कद करीब 5 फीट 4 इंच है। वो दिखने में गोल मटोल है और तोंद बड़ी है। दिखने में कुछ खास नहीं है और आंखों पर चश्मा लगा हुआ है। वो बहुत ही ठरकी किस्म का बूढ़ा है।

वो अपनी पोती को लेने टाईम से पहले पहुंच जाता है और लड़कियों के बूब्ज़ और गांड को देखता रहता है। जब वो लड़कियों को देखता है तो उसके चेहरे और आंखों में काम वासना झलकती है। वो गाड़ी मैं बैठे-बैठे लड़कियों को देखकर अपना लंड सहलाता रहता है।

जब वो अपनी पोती को लेने कॉलेज आया तो मैं उससे मिलने चली गई। जब मैं उसके पास गई तो वो लड़कियों को घूर रहा था। मैंने उसको हैलो बोला और अंकल के बारे में बात की। मैं खिड़की के शीशे वाली जगह पर झुक कर बात करने लगी और टॉप से मेरे बूब्ज़ की गोलाइयां दिखने लगी। मुझ से बात करते समय उसकी नज़र मेरे टॉप के अंदर मेरे बूब्ज़ पर थी। कुछ देर बात करने बाद उसने मुझे अपना कार्ड दिया और बोला मुझे कल तीन बजे के बाद दफ्तर में मिलना, वहीं बात करेगा और फाईल भी देख लेगा।

मैं उसी टाईम समझ गई कि उसने क्या बात करनी है और कौन सी फाईल देखनी है। मैंने कल मिलने को बोला और वहां से घर आ गई। शाम को अंकल आए और मुझसे पूछा। मैंने अंकल और पापा को बोला कि मैं कल को उसकी पोती के साथ उनके बॉस को मिलने जाऊंगी फिर मालूम होगा वो क्या कहता है। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है..

मैंने झूठ बोला था क्योंकि उसने मुझे अकेले बुलाया था। रात को लेटे-लेटे मुझे अंकल के बॉस के कद के बारे सोच कर हंसी आ गई। मैं सोच रही थी वो मेरे होंठों को कैसे चूमेगा, क्या चुम्मा लेने केलिए सीडी़ लगाएगा। जब मुझे चोदेगा तो उसकी तोंद कैसे हिलेगी। यह सोचते सोचते कब मुझे नींद आ गई पता नहीं चला। सुबह उठ कर मैंने अपनी चूत के बाल साफ किए और नहा कर रोज वाले कपड़े पहन लिए।

मैं कॉलेज केलिए घर से निकल आई और शहर में आकर कपडो़ं की दुकान में आ गई। मैंने वहां से सफेद जींस, लाल बॉडी फिट शर्ट, राल हॉफ़ ब्रा और लाल पैंटी खरीद ली। उसके बाद मैं ब्यूटी पार्लर पहुंच गई और आंटी को अच्छे से तैयार करने को बोला। आंटी ने मेरे बदन के सारे बाल साफ कर दिए और चेहरे का ब्लीच और फेशियल किया। मैंने नए कपड़े पहन लिए और फिर कुर्सी पर बैठ गई।

आंटी ने मेरे चेहरे पर फांउडेशन क्रीम और पाऊडर लगाया। उसने लाल रंग की लिपस्टिक, आई शैडो, काजल, गुलाली और होंठों पर लिप ग्लॉस लगा दिया। दोपहर के ढाई बज गए थे और मैं बिल्कुल तैयार थी। मैंने खुद को आईने में देखा तो मैं एकदम कोई हॉट पोर्न स्टार लग रही थी। मैंने टैक्सी ली और अंकल के बॉस के दफ्तर पहुंच गई।

जब मैं अंदर गई तो वही हुआ जिसका मुझे अंदाजा था। वहां अंकल के बॉस के अलावा कोई नहीं था और दफ्तर सुनसान इलाके में था। मैं दफ्तर के अंदर गई तो वो कुर्सी पर काला कोट पैंट पहने सिगरेट पीता हुआ मेरा इंतजार कर रहा था। मैं दफ्तर के अंदर चली गई, वहां पर एक टेबल, चार कुर्सियां और दीवान लगा हुआ था। अंदर हीटर चल रहा था और गर्मी थी।

वो अपने लैपटॉप पर कुछ देख रहा था और मैंने उसको हैलो बोला। दफ्तर में घुसने से पहले मैंने अपनी शर्ट का एक बटन खोल लिया था जिससे मेरे बूब्ज़ के बीच की लाईन दिख रही थी। उसने मुझे ऊपर से नीचे तक देखा और उसके चेहरे पर अजीब सी मुस्कान आ गई। उसकी आंखों में काम वासना साफ झलक रही थी।

अंकल के बॉस ने मुझे कुर्सी पर बैठने को बोला और मैं उसके सामने वाली कुर्सी पर बैठ गई। मैंने उससे अंकल की बात की तो उसने कहा वो मैं कर दूंगा। उसने मुझे पूछा क्या मुझे डर नहीं लगा अकेले आने में और क्या मुझे मालूम है उसने मुझे क्यों बुलाया है।

मैंने कहा डर किस बात का आप मेरी क्लासमेट के दादा हो और आपने मुझे अंकल के बारे बात करने को बुलाया है। मैं सिर्फ शराफ़त का दिखावा कर रही थी जबकि मैं अच्छी तरह जानती थी उसने मुझे क्यों बुलाया है और उसी केलिए इतना सज धज कर आई थी।

उसने बोला ठीक है मैं तुम्हारे अंकल को नौकरी से नहीं निकालूंगा तो बदले में मुझे क्या मिलेगा। मैंने भोलेपन का नाटक करते हुए बोला क्या चाहिए आपको, मैं अभी अंकल से बात कर लेती हूं। उसने हंसते हुए कहा वो चीज तुम्हारे अंकल के पास नहीं है बल्कि तुम्हारे पास है। मैंने चेहरे पर स्माईल लाते हुए कहा कि यह बात मैं कल ही समझ गई थी जब आपने मुझे अकेले बुलाया था।

मैंने कहा जो आपको चाहिए वो मैं आपको दूंगी लेकिन मेरी शर्त है। उसने एकदम से बोला हां बोलो डीयर, तुम्हारे जैसी हॉट फिगर वाली सेक्सी लड़की केलिए कुछ भी कर सकता हूं। मैंने उससे कहा एक तो अंकल को नौकरी से नहीं निकालना और दूसरा आज के बाद मुझे कभी ऐसे नहीं बुलाना। उसने कहा दोनों शर्त मंजूर हैं लेकिन मेरी भी शर्त है कि मैं जो बोलूंगा वो करोगी और मैंने हां बोल दिया।

उसने टेबल पर शराब और सिगरेट रख दी और मुझे हाथों से पिलाने को बोला। मैंने गिलास में शराब और सोडा मिलाया और उसकी कुर्सी थोड़ी पीछे कर के उसके सामने टेबल पर बैठ गई। मैंने एक हाथ उसके कंधे पर रखा और झुक कर दूसरे हाथ से उसके होंठों पर दारू का गिलास लगा दिया।

उसने दारू से अपने होंठों को गीला किया और मेरे होंठों को चूम लिया। मेरे होंठों पर दारू लग गई और मैंने जीभ से चाट कर होंठों को साफ कर लिया। वो फिर से कुर्सी पर बैठ गया और मैंने उसके होंठों पर गिलास लगा दिया। उसने शर्ट के ऊपर से मेरे बूब्ज़ पकड़ लिए और मेरी नशीली आंखों में वासना से देखता हुआ दारू पीने लगा। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है..

उसने दारू पीकर गिलास खाली कर दिया और मैंने सिगरेट मुंह में ले ली। मैंने सिगरेट जलाई और फिल्टर को चूम कर उसके होंठों में दे दी। उसने कश लगाया मेरी शर्ट का बटन खोल कर धुआं मेरे बूब्ज़ पर छोड़ दिया। मैं टेबल से उतर कर खड़ी हो गई और उसको एक और कश लगवाया। इस बार उसने मेरी शर्ट ऊपर उठा कर मेरे पेट पर धुआं छोडा़ ओर मैंने उसको एक सेक्सी स्माईल दी। उसने सिगरेट पकड़ मेरे होंठों पर लगा दी। मैंने एक लंबा कश खींचा और उसकी पैंट की जिप खोल दी।

मैंने उसके अंडरवियर का इलास्टिक खींच कर उसके लंड पर धुआं छोडा़। मैंने उसको फिर कश लगवाया और इस बार उसने मेरी जींस एंड पैंटी को नीचे किया और मेरी चूत पर धुआं फेंक दिया। मैंने सिगरेट का फिल्टर अपनी चूत पर रगड़कर उसके मुंह पर लगा दिया और इतने टाईम में उसने मेरी जींस और पैंटी निकाल कर साईड पर फेंक दी। उसने कश खींच कर मुझे घुमा दिया और मेरी मोटी गांड अपनी तरफ कर ली। उसने मेरे चूतडो़ं की दरार खोलकर मेरे गांड के छेद को थोड़ा फैला कर धुआं निकाल दिया।

उसने मेरे होंठों से सिगरेट लगा कर अपनी पैंट और अंडरवियर निकाल दिया। मैंने अच्छा सा कश खींचा और नीचे बैठ कर उसके अंडकोष पर फेंक दिया। उसने मुझे एक और कश लगवाया और मैंने उसके लंड के टोपे से चमड़ी पीछे कर के लाल टोपे पर धुआं फेंक कर चुम्मा ले लिया। सिगरेट खत्म हो गई और हमने फेंक दी।

मुझे उम्मीद नहीं थी कि ये बूढ़ा इतना रोमांटिक होगा औय मैं गर्म होने लगी। मैं सोच कर गई थी कि टांगें उठा कर जल्दी से चुदवा कर निकल जाऊंगी। क्योंकि मुझे वो अच्छा नहीं लगा था। उसने मुझे बताया कि उसने कई सालों से चूत नहीं देखी और चुदाई केलिए तरस रहा है। उसने बताया कि मैंने कई बार रंडी के पास जाने को सोचा लेकिन रंडी से डर लगा कहीं मुझे ब्लैकमेल न करने लगे।

उसकी कई रंडियों से पहचान है और उनको उन लोगों अधिकारियों केलिए बुलाता है जो उसकी कंपनी के उत्पाद पास करते हैं। उसने ये भी बताया कि उसने अपनी पोती जो मेरी क्लासमेट है उसको भी अधिकारियों से चुदवाया है लेकिन उसने भी उससे चुदाई नहीं करवाई। उसकी पोती बाहर तो बहुत से सेक्स करती है लेकिन मुझे मना कर देती है। चुदाई की आग में जलते जलते ही वो इतना चिड़चिड़ा हो गया है और अपने कर्मचारियों पर गुस्सा निकालता है।

मुझे बहुत हैरानी हुई क्योंकि उसकी पोती कॉलेज में तो बहुत शरीफ़जादी बनती है और मुझे उस बूढ़े पर बहुत तरस आया। मैंने उसको अच्छी तरह चुदाई का सुख देने का और खुद भी चुदाई का मजा लेने का फैसला कर लिया। मैंने उसको भी सच बता दिया और कहा आज उसको ऐसा मजा दूंगी कि कभी भूल नहीं पाएगा। मेरे ये कहने से वो बहुत खुश हो गया।

मैंने उसकी शर्ट और बनियान निकाल दी और उसको होंठों से चूम लिया। उसने मेरी शर्ट एवं ब्रा निकाल दिया और कुर्सी पर बैठ गया। अभी उसका लंड पूरी तरह खड़ा नहीं हुआ था।

मैंने उसको उत्तेजित करने केलिए हाई हील के सैंडिल पहन लिए और बोला मैं कैट वॉक करके दिखाती हूं। उसने मुझे पूछा क्या वो मेरी तस्वीरें ले सकता है ताकि बाद में मेरी तस्वीरें देख कर मुठ मार सके। मैंनें कुछ देर सोचा और हां बोल दिया और मैंने भी उसकी कुछ नंगी तस्वीरें खींच लीं।

मैंनें उसकी तस्वीरें इसलिए लीं ताकि वो मुझे ब्लैकमेल न कर सके। मैं जानती थी कि वो मुझे तस्वीरें दिखाने के बहाने ब्लैकमेल कर सकता है और वो शहर कका इज्जतदार आदमी है तो अगर मेरे पास उसकी नग्न तस्वीरें होंगीं तो उसे डर रहेगा। इन्हीं तस्वीरों के डर से वो अंकल को आगे से परेशान नहीं करेगा।

मैं अपनी मोटी गांड को सेक्सी तरीके से हिला कर चलने लगी और उसको उत्तेजित करने केलिए अपने बूब्ज़ हाथों में पकड़ कर उसको उछाल उछाल कर दिखाने लगी। वो मुझे कैट वॉक करती देख कर अपना लंड सहलाते हुए अपने मोबाइल पर मेरी मूवी बनाने लगा।

मैंने कुछ देर ऐसे उसको उत्तेजित किया और रुक गई। उसने मुझे चुदाई की मूवी बनाने को पूछा लेकिन मैंने मना कर दिया। लेकिन उसको बहुत प्यार से कहने से मैं मना नहीं कर पाई। उसने अपने मोबाइल का कैमरा चालू करके एक जगह लगा दिया औय मैंने भी अपना मोबाइल लगा दिया। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है..

उसका लंड अभी भी ठीक से नहीं खड़ा हुआ था। मैं उसके पास गई और सामने खड़ी हो गई। मैं वैसे ही उससे लंबी थी और अब मैंने तीन इंच की हील पहनी हूई थी। उसका सिर मेरे बूब्ज़ तक ही पहुंच रहा था। मैं सैंडिल उतारने लगी लेकिन उसने मना कर दिया और बोला सैंडिल मत उतारना डार्लिंग, हाई हील में बहुत सेक्सी लगती हो और तुम्हारी उभरी हुई गांड बहुत मस्त लगती है।

मैंनें कहा ठीक है और सैंडिल नहीं उतारे। मैंनें आगे होकर अपने होंठों को उसके होंठों से सटा दिया और हाथ से उसका लंड पकड़ लिया। मेरे कोमल हाथ का स्पर्श पाते ही उसका लंड तन गया। मैंने शुक्र मनाया कि उसका लंड खड़ा हो गया, अभी तक लग रहा था उसका लंड खड़ा नहीं होगा और मुझे बिना चुदाई के ही सबर करना पडे़गा।

मैंनें उसके लंड को देखा तो उसका लंड काफी मोटा, लंबा और शानदार हो गया था। मैं उसके होंठों को जोर जोर से चूसने लगी और लंड को हिलाने लगी। जैसे-जैसे मैं उसके लंड को हिला रही थी वैसे-वैसे उसका लंड फूल रहा था और बिल्कुल लोहे की रॉड की तरह सख्त हो गया। वो भी पूरी तरह गर्म हो गया और मेरे नर्म एवं रसीले होंठों को जोर से चूसने लगा और मेरे चूतडो़ं को हाथों से दबाने लगा। मैंने अपनी जीभ उसके मुंह में धकेल दी और वो मजे से मेरी जीभ को मुंह से खींच कर रस निचोड़ने लगा।

हम दोनों बहुत जंगली तरीके से एक-दूसरे को चूमने लगे। हम एक-दूसरे के मुंह में जीभ घुसा कर मुंह के अंदर से रसपान करते, एक-दूसरे की जीभ को जोर से चूस कर जीभ का रस निचोड़ते और होंठों को चूस कर रसपान करते-करते दांतों से काट लेते। मुझे बहुत मजा आ रहा था और आज पहली बार अपने से छोटे कद वाले आदमी से चुदने जा रही थी।

मैं सीधा खड़ी हो गई और उसके चेहरे पर अपने बडे़-बड़े खरबूजों जैसे बूब्ज़ लगा दिए। वो बूढ़ा मेरा बूब्ज़ पर ऐसे टूट पड़ा जैसे उसने कभी बूब्ज़ देखे ही न हों। वो मेरे बूब्ज़ को बहुत जोर से मसलने लगा और मेरे निप्पलों को ऊंगली एवं अंगूठे के बीच दबा कर रगड़ने लगा।

वो मेरे बूब्ज़ को मुंह में भरकर चूसने लगा और मेरे निप्पलों पर जीभ घुमाते हुए मुंह में खींच कर चूसता। वो मेरे बड़े-बड़े एवं चिकने बूब्ज़ का बहुत जोर से रसपान करने लगा। वो एक दम वहशी बन गया था और मेरे बूब्ज़ को ऐसे चूस रहा था जैसे खा ही जाएगा। मुझे उसके वहशीपन से बहुत आनंद मिल रहा था और मैं जोर से उसका सिर अपने बूब्ज़ पर दबाने लगी।

कुछ देर पहले जो आदमी मुझे अच्छा नहीं लग रहा था, उसी आदमी पर मुझे बहुत प्यार आ रहा था और उसकी हर हरकत मुझे बहुत कामुक और उत्तेजिक लगने लगी। अब दिल करने लगा ये बूढ़ा आदमी मेरे साथ ऐसे ही छेड़छाड़ करता रहे और ऐसे चोदे कि कई दिन लगातार चोदने के बाद ही इसके लंड से पानी निकले।

उसने घुटनों के बल नीचे बैठ गया और मेरे गोरे, नाजुक एवं चिकने पेट को चूमने लगा। वो मेरे पेट को हर जगह से चूम रहा था और मेरी नाभि को ज्यादा चूम रहा था। वो मेरे पेट को चूमने लगा और नाभि में जीभ घुसा कर घुमा देता। मैं उसकी कामुक हरकतों से मचल रही थी। अब वो मेरे पेट को अपने मुंह में लेकर जोर से चूसने लगा और काटने लगा। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है..

जब जब वो वहशी होता तब तब मुझे उस पर ज्यादा प्यार आता। मैं चाहती थी वो मुझे इसी वहशीपन से चोद चोद कर मेरी चूत एवं गांड को फाड़ डाले और मेरी चुदाई की आग को अपने वहशीपन से शांत कर दे। उसने मुझे घुमा दिया और मेरे चूतडो़ं को चाटने और काटने लगा। जब वो मेरे चूतडो़ं की फांकें खोलकर गांड के छेद को चूमता तो मुझे अजीब सा मजा आता।

अब उसने दीवान पर लेट कर सिर नीचे लटका लिया और मुझे टांगें खोलकर अपने मुंह पर आने को बोला। मैं उसका सिर अपनी टांगों के बीच लेकर खड़ी हो गई। उसने अपने हाथ ऊपर करके मेरे बूब्ज़ पकड़ लिए और मेरी भरी हुई जांघों को अंदर से चूमते हुए मेरी चूत पर होंठ रख दिए। उसने मेरी चूत को जोर से चूमा और मेरी चूत में जीभ घुसेड़ दी।

वो मेरी चूत के अंदर तक जीभ ले जाकर हिला हिला कर चाटने लगा और मेरे बूब्ज़ बहुत जोर से दबाने लगा। उसके चूत चाटने से सपड़… सपड़… की आवाजे़ं आ रही थी, जिसकी वजह से मुझे मस्ती चढ़ने लगी। मैं मस्ती में मचलती हुई अपनी गांड हिला हिला कर अपनी चूत उसके मुंह पर रगड़ने लगी।

उसने मुझे दीवान पर कोहनियों के बल लेटा दिया और अपना लंड मेरे सामने कर दिया। अब मैंने पहली बार उसका लंड गौर से देखा जो मेरी कल्पना से कहीं ज्यादा लंबा और मोटा था। उसका शानदार लंड देखकर उसके लंड केलिए बेहद प्यार उमड़ने लगा। मैंने लपक कर उसके लंड की चमड़ी पीछे की और लाल टोपा बाहर आ गया।

उसके लंड का शानदार लाल टोपा देखकर मेरे मुंह में पानी भर आया और मैं उसके टोपे पर जीभ घुमा घुमा कर चाटने लगी। उसके गीले टोपे का नमकीन स्वाद बहुत अच्छा लग रहा था। मैंने अपना मुंह खोलकर उसका सारा लंड मुंह में ले लिया और चूसने लगी।

मुझे उसके लंड का स्वाद बहुत अच्छा लग रहा था और ऐसा लग रहा था जैसे मैं पसंदीदा डिश खा रही हूं। मैं उसके लंड को चूसते हुए एक हाथ से उसके अंडकोषों से खेलने लगी। वो आराम से खड़ा आंहें भर रहा था और मजा ले रहा था। मैं उसके वहशी होने का इंतजार करने लगी और जल्दी ही वो वहशी बन गया। उसने मुझे बालों से पकड़ा और मेरे मुंह में धक्के मारने लगा।

उसका लंड मेरे गले में अंदर-बाहर होने लगा और मैं भी सिर को आगे-पीछे करके उसका लंबा मोटा लंड गले के और नीचे तक लेने लगी। उसका वहशीपन मुझे अच्छा लग रहा था और मुझे ऐसी ही वहशी जोश वाली चुदाई अच्छी लगती है। लंड के मेरे गले के अंदर-बाहर होने से गप्प… गप्प… की आवाजे़ं आने लगीं और उसका जोश बढ़ता जा रहा था।

वो कुर्सी पर बैठ गया और मुझे गोद में आने को बोला। मैंने अपनी टांगें मोड़कर कुर्सी पर रखीं और उसके लंड पर अपनी चूत टिका दी। मैं धीरे-धीरे गांड को नीचे धकेलने लगी और उसका लंड मेरी चूत में फंसता हुआ जड़ तक बैठ गया। मैंने अपनी गांड ऊपर उठा कर तेज़ी से नीचे धकेल दी।

उसका लंड सीधा मेरी बच्चेदानी से टकरा गया और मेरे मुंह से आह निकल गई। उसने मुझे रुकने को बोला और गिलास में दारू डाल ली। उसने गिलास मेरे हाथ में देते हुए कहा मैं उसको अपने मुंह से दारू पिला दूं। मैंने अपने मुंह में दारू ली और उसके होंठों से होंठ लगा कर उसके मुंह में डाल दी।

फिर उसने अपने मुंह में दारू ली और मेरे मुंह में डाल दी। मैंने गटाक से दारू गले के नीचे उतार ली। मैंने दारू की बोतल उठाई जो आधे से कम थी और बोतल में ही सोडा मिला दिया। मैंने बोतल अपने होंठों से लगाई और काफी दारू खींच ली। थोड़ी दारू उसको पिला दी और बाकी दारू उसकी छाती और अपने बूब्ज़ पर गिरा ली। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है..

मैंने अपने बूब्ज़ उसकी छाती पर मसल दिए और हम दोनों के पेट, उसकी छाती और मेरे बूब्ज़ पूरी तरह दारू से भीग गए। मैं सिर नीचे झुका कर उसकी दारू से भीगी छाती को जीभ से चाटने लगी।

उसकी कोमल छाती के निप्पलों से दारू चाटने का मुझे बहुत आनंद आ रहा था। मैंने अपने बूब्ज़ उसके चेहरे पर सटा दिए और उसके लंड पर उछलने लगी। वो मेरे बूब्ज़ को चूस कर दारू और मेरे बूब्ज़ के रस का एक साथ मजा लेने लगा।

वो कस कस कर मेरे बूब्ज़ चूसते हुए मेरी चूत में लंड पेलने लगा और मैं उसके गंजे सिर को चूमते हुए गांड ऊपर-नीचे हिलाकर चूत के अंदर-बाहर लंड करने लगी। लंड के अंदर-बाहर होने से फच.. फच.. की आवाजें आने लगी और मैं मस्ती में चिल्ला रही थी। उस बूढ़े के मुंह से भी आंहें निकल रही थी और उसको बहुत मजा आ रहा था।

मैंने उसका लंड चूत से निकाल लिया और खड़ी हो गई। उसने मुझे कहा अगर सही लगे तो क्या मैं गांड में लंड डाल सकता हूं, मैंने आज तक गांड का स्वाद नहीं देखा बस सुना है बहुत मजा आता है। क्या तुम मुझे वो मजा दे सकती हो प्लीज़। मैंने उसको स्माईल दी और होंठों को चूम लिया।

मैं दीवार से सट कर खड़ी हो गई और अपने चूतड़ खोलकर उसको स्माईल देखकर आंख मार दी। वो खुश हो गया और मेरे पीछे फर्श पर फट्टा रख कर खड़ा हो गया। उसने मेरी गांड पर थूक लगाया और अपने लंड पर भी थूक लगा लिया। उसने मेरी गांड के छेद पर लंड लगा दिया। वो मेरी गांड पर लंड दबाने लगा और मैं अपनी गांड को पीछे धकेलने लगी। उसका लंड मेरी गांड को खोलता हुआ गांड में समा गया।

मैं दीवार से हाथ लगा कर गांड आगे-पीछे करने लगी और वो मेरे बूब्ज़ को पकड़कर मेरी गांड चोदने लगा। उसका लंड मेरी गांड के अंदर तक जा कर मुझे मजा दे रहा था और मैं बहुत जोर से गांड को धकेल कर उसका लंड और अंदर तक लेना चाहती थी। जब लंड मेरी गांड के अंदर-बाहर हो रहा था तब मेरे चूतड़ में हलचल हो रही थी।

उसने मेरी गांड से लंड निकाल कर मुझे घुमा दिया और मेरी टांग उठा ली। नीचे फट्टा रखने से उसका कद मेरे बराबर हो गया था। उसने मुझे कस के पकड़ लिया औल मेरी चूत में लंड पेल दिया। मैंने भी उसको कस कर पकड़ लिया और मेरे बूब्ज़ उसकी छाती में दब गए। वो मेरी चूत चोदने लगा लेकिन उसकी मोटी तोंद की वजह से लंड पूरी तरह अंदर नहीं जा रहा था।

मैं पीछे होकर दीवार से सट गई और मेरी चूत ऊपर को उठ गई और उसका लंड पूरा अंदर तक जाने लगा। उसका लंड मेरी बच्चेदानी से टकरा कर बाहर आता और कामुक आवाजें आतीं। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है..

उसने मुझे दीवान पर कुतिया की जैसे गांड उठा कर बैठा दिया और मेरी गांड पर दारू की खाली बोतल उल्टी कर दी, जिस में से दारू की कुछ बूंदें मेरी गांड पर गिर गईं। उसने मेरे चूतडो़ं तथा गांड के छेद से दारू की बूंदें जीभ से चाट कर साफ कर दीं और गांड के छेद पर चुम्मा ले लिया। उसने पीछे से मेरी गांड में लंड दे दिया और ताबड़तोड़ झटकों से मेरी गांड चोदने लगा।

उसके हर झटके से मेरा बदन हिल रहा था। उसने मेरी गांड से लंड निकाल कर मेरी गांड को ऊपर किया और मेरी चूत ऊपर उठ गई। उसने पीछे से ही मेरी चूत में लंड पेल दिया और मेरी चूत ठोकने लगा। वो बहुत तेज़ी से मुझे चोद रहा था और उसकी तोंद मेरे चूतडो़ं से टकरा रही थी। मैं भी गांड पटक पटक कर चूत चुदाई का मजा ले रही थी।

मैं चुदते हुए सोच रही थी एक बूढ़ा भी इतने जोश से चोद सकता है। उसकी रफ्तार काफी बढ़ गई और उसने मुझे कहा कि मैं झड़ने वाला हूं माल कहां निकालूं। मैंने कहा जहां दिल चाहे और अच्छा लगे। उसने मुझे दीवान पर लेटा लिया और मेरे ऊपर आकर मेरे बूब्ज़ के बीच लंड रख दिया।

मैंने अपने दोनों बूब्ज़ को पकड़ कर उसका लंड बीच में ले लिया और वो मेरे बूब्ज़ चोदने लगा। थोड़ी देर बाद उसके लंड से एक के बाद एक वीर्य की पिचकारियां निकलीं और मेरी गर्दन पर गिर गईं। मेरी गर्दन और बूब्ज़ उसके वीर्य से सन गए। अब वो बहुत खुश था और उसने मुझे होंठों पर चूम कर थैंक्स बोला।

मैंने भी उसको चूमा और खड़ी हो गई। वो अपने कपड़े पहनने लगा और मैंने खुद को साफ किया। वो मुझे मेरे गांव तक अपनी गाड़ी में छोड़कर गया और रास्ते में मैंने एक बार फिर उसका लंड चूस कर उसका पानी निकाला। दूसरे दिन पापा का दोस्त मिठाई लेकर आया और मुझे थैंक्स बोला।

मैंने आगे किस के सिथ चुदाई की वो अगली कहानी में, तब तक सभी को संजय का सलाम
 

Sanjay dham

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हैलो दोस्तो, मैं अपनी चुदाई की नई गर्मा-गर्म कहानी लेकर हाजिर हुई हूं उम्मीद है आपको बहुत पसंद आएगी। इस कहानी में मैंने चुदाई का मजा भी लिया और चुदाई के पैसे भी वसूल किए।अब मैं एक रंडी के जैसे खुल कर अपने सेक्सी बदन का सौदा करने लगी और पैसे वसूल करने लगी।

इस कहानी में पहली बार मैं जिस्मफरोशी के धंधे में उतरी और बहुत मजा आया। चुदाई का सुख भी मिला और ढेर सारे पैसे भी मिले।

मैंने अपनी पिछली कहानी “पापा के दोस्त की नौकरी बचाई” में बताया था कि मैंने अंकल की नौकरी बचाने केलिए एक बूढ़े से चुदाई की थी। वहां एक-दूसरे की नंगी तस्वीरें और चुदाई की मूवी भी बनाई थी। उसने मुझ से वादा किया था वो दोबारा मुझे नहीं मिलेगा।

उस चुदाई के करीब 15 दिन बाद उसकी पोती नीलम मुझे मिली और कहा उसका दादा कॉलेज के गेट पर मुझे मिलना चाहता है। मैं गेट की तरफ चल पडी़ और सोच रही थी वो क्या बात करना चाहता है। मुझे लगा वो फिर से मेरे साथ चुदाई करने को बोलेगा और मैंने मना करने का फैसला ले लिया। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है..

मैं गेट पर उसके पास आ गई और उसे मुझे बुलाने का कारण पूछा। उसने कहा ये बात यहां नहीं कर सकता और मुझे पास वाले कॉफ़ी हाऊस में ले गया। हम टेबल पर बैठ गए और उसने कॉफ़ी मंगवा ली। उसने मुझ से बात शुरू की, देखो अर्श तुम्हें मालूम ही होगा हम बिजनेसमैन हैं और हमें बहुत से अधिकारियों को खुश करना पड़ता है।

हमें उनकी कई डिमांड पूरी करनी पड़ती हैं ताकि हमारा काम हो जाए। कल को ऊपर से दो लोग हमारी कंपनी में आ रहे हैं और उनकी डिमांड लड़की होती है। एक लड़की तो है और दूसरी केलिए तुम्हें आॅफर कर रहा हूं। जितने पैसे बोलोगी उतने मिल जाएंगे क्योंकि मैंने कई लड़कियों की तस्वीरें उनको दिखाईं लेकिन उनको कोई पसंद नहीं आई।

फिर उन्होंने तुम्हारी तस्वीर देखीं और तुझ पर फिदा हो गए और तुम्हारी डिमांड कर रहे हैं। उसने मुझे एक बार काम करने की बेनती की। मैंने उससे पीछा छुड़वाने केलिए कहा अगर 40000 दोगे तो सोचूंगी। मुझे लगा वो मना कर देगा लेकिन उसने कहा मैं तुम्हें 50000 दूंगा। मैं मना करना चाहती थी लेकिन इतने पैसों का लालच दिल में आ गया। मैंने सोचा चुदाई के मजा भी मिलेगा और 50000 रुपए भी।

मैंने हां बोल दिया और उसने कहा कल को बिल्कुल वैसे तैयार होना जैसे उस दिन हुई थी और मुझे 5000 रुपए दिए ताकि अच्छे से तैयार होकर आऊं। उसने मुझे कहा पूरी रात रुकना होगा। मैंने कहा रात नहीं रुक सकती घरवालों को क्या जवाब दूंगी। उसने कहा ये मुझ पर छोड़ दो और कल तुम्हें मैं तुम्हारे गांव के बस स्टॉप से लेकर आऊंगा।

मैं ठीक है कह कर निकल गई। शाम को नीलम का हमारे घर फोन आया और उसने पापा से कहा कल उसके घर पूजा है और वो चाहती है अर्श उसके घर रुक जाए। पापा ने हां बोल दिया और मैं कल का बेसब्री से इंतजार करने लगी क्योंकि कल को मुझे अपने जिस्म की पहली कमाई करनी थी और असल की रंडी बन जाना था।

अगले दिन मैं कॉलेज केलिए निकली और गाड़ी मेरा इंतजार कर रही थी। मैं गाड़ी में बैठ गई और हम शहर की तरफ चल पडे़। रास्ते में उस बूढ़े ने अपना लंड चुसवाने की इच्छा जताई, मैं रात से ही गर्म थी तो हां बोल दिया।

उसने गाड़ी एक नहर के किनारे सुनसान जंगल नुमा जगह पर लगा दी और मैं गाड़ी में उसका लंड चूसने लगी। कुछ देर बाद उसका पानी मेरे मुंह में छूट गया और मैंने गाड़ी में पडे़ टॉवेल से मुंह साफ किया।

उसके बाद उसने मुझे ब्यूटी पार्लर छोडा़ और मैं तैयार हो गई। तैयार होने के बाद वो मुझे अपनी फैक्ट्री में ले गया। वहां नीलम पहले से ही बैठी थी। उसने हमें कपड़े दिए। नीलम ने नीली ब्रा पैंटी, लाल स्कर्ट, नीली बॉडी फिट शर्ट और लाल हाई हील के सैंडिल पहन लिए।

मैंने लाल ब्रा, पैंटी, सफेद स्कर्ट, हरी बॉडी फिट शर्ट और सफेद हाई हील के सैंडिल पहन लिए। मैं, नीलम और नीलम का दादा तीनों मिलकर दारू और सिगरेट पीने लगे। उस दिन मैंने और नीलम ने ड्रग्स भी लीं और सेक्स उत्तेजना की गोली खाई ताकि चुदाई पूरी गर्मजोशी से हो और मजा आए। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है..

मैं यहां नीलम के बारे में बताना चाहूंगी। नीलम की आयु 24 साल और कद 5 फीट 7 इंच मतलब मेरे बराबर है। नीलम का रंग गोरा और बदन सेक्सी है। उसके बालों एवं आंखों का रंग काला है और होंठ पतले और कामुक हैं। उसकी फिगर भी सेक्सी है और उसकी फिगर का साईज 34डी-30-36 है। उसके बूब्ज़ और बड़े-बड़े और गोल हैं तथा जांधें मेरे मजबूत हैं। उसके चेहरे से ही झलकता है कि वो बहुत चुद्दकड़ रंडी है।

शाम को करीब 6 बजे एक गाड़ी आई और नीलम के दादा ने हमें साथ वाले रूम में भेज दिया और खुद चले गए। मैंने रूम का जायज़ा लिया, वहां पर दो डबल बैॅड एक सोफा सैॅट, दो टेबल और टीवी था। हम दोनों सोफे पर बैठ कर इंतजार करने लगीं और गली एवं नशे की वजह से हमारे जिस्म में चुदाई की आग भड़क रही थी।

कुछ देर बाद दो 45-50 साल के मर्द रूम में आए और दोनों ही दिखने में बहुत स्मार्ट थे। हमनें दोनों का सेक्सी स्माईल से स्वागत किया और फ्लाइट किॅस दी। उन्होंने भी मुस्कुरा कर हमें जवाब दिया और हमारे सामने सोफे पर बैठ गए। वो दोनों 6 फीट लंबे थे और जिस्म सुडौल था।

हमनें शराब की बोतल टेबल पर रखी और गिलासों में डाल कर गांड हिलाते हुए उनके सामने गईं। हमने गिलासों में अपनी जीभ डालकर घुमाई और झुक कर उनके होंठों से गिलास लगा दिए। वो गटागट दारू पी गए। हमने एक एक बादाम अपने दांतों में दबाया और अपने होंठ उनके होंठों के पास ले गईं।

उन्होंने मुंह आगे करके अपने दांतों से बादाम पकड़ा लेकिन हमने छोडा़ नहीं। वो बादाम को खींच रहे थे और हमनें कस कर पकड़ रखा था तो बादाम टूट गए। हमने उनके होंठों से होंठ लगा कर बचा हुआ बादाम उनके मुंह में डाल दिया। हमनें उनके होंठों से होंठ लगा कर बचा हुआ आधा बादाम उनके मुंह में डाल दिया और वो मजे से होंठों से होंठ लगा बादाम चबा गए। मैंने और नीलम ने अपनी जगह बदल ली और फिर से उनके वैसे ही दारू पिलाई तथा बादाम खिलाए।

वो दोनों कपड़े निकाल कर फिर सोफे पर बैठ गए और हमें गोद में बैठने को कहा। हम दोनों उनकी गोद में बैठ गईं। उन्होंने ने हमारा नाम पूछा और अपना नाम प्रताप तथा विक्रम बताया। मैं प्रताप की गोद में बैठी थी और नीलम विक्रम की गोद में बैठी थी। दोनों के लंड काफी मोटे, लंबे और तगड़े थे जो नीचे से हमारी गांड में चुभ रहे थे। हमने एक एक गिलास में दारू डाली और उनको पिलाने लगीं। आधी आधी दारू पीकर उन्होंने बाकी दारू अपने हाथों से पिलाई। हमनें उनको बदाम खिलाए और उन्होंने हमें।

विक्रम ने कहा बादाम तो बहुत खा लिए अब बादाम वाली खीर भी खिला दो। हम उसकी बात समझ गईं और अपनी-अपनी शर्ट के बटन खोल दिए। उन्होंने ब्रा से हमारे बूब्ज़ खींच कर बाहर निकाल लिए और बूब्ज़ को चूमने लगे। मैंने कहा बादाम वाली खीर से पहले होंठों की शर्बत तो पी लो और हमें भी पिलाओ।

मेरे यह कहने की देर थी कि उन्होंने हमारी शर्ट और ब्रा निकाल कर हमारे बूब्ज़ को एक-दूसरे सटा कर खड़ी कर दिया। विक्रम नीलम के पीछे आ गया और प्रताप मेरे पीछे। विक्रम ने मेरी गांड पर लंड रगड़ता हुआ मेरे कंधे के ऊपर से नीलम के होंठों को चूमने लगा। प्रताप नीलम की गांड पर लंड रगड़ता हुआ मेरे होंठों को चूमने लगा।

मैंने और नीलम ने एक-दूसरे को कस कर पकड़ लिया और हमारे बूब्ज़ आपस में दब गए। हम विक्रम और प्रताप के होंठों को जोर से चूसने लगीं और उनके होंठों को दांतों से काटने लगीं। उन्होंने हमारे मुंह में जीभ डाल दी और हम चूस चूस कर उनकी जीभ का रस निचोड़ने लगीं। धीरे-धीरे माहौल गर्म हो रहा था और मैं और नीलम बहुत गर्म हो चुकी थीं। हम उन दोनों के होंठों का तथा वो हमारे होंठों का रसपान करने लगे।

हम एक-दूसरे के होंठों को बहुत जोर से चूसने एवं काटने लगे और जीभ को मुंह में डाल कर जोर से घुमाते। उन्होंने हमें अपने बीच घुमा लिया। अब प्रताप का लंड मेरी गांड पर था और विक्रम के होंठ मेरे होंठों पर। दूसरी तरफ अब नीलम की गांड पर विक्रम का लंड और होंठों को प्रताप चूस रहा था। वो बारी बारी से हमें बदल बदल कर हमारे रसीले होंठों को निचोड़ रहे थे और हम उनके।

उन्होंने मेरी बांहें नीलम के गले में और नीलम की मेरे गले में डाल दीं। विक्रम ने मेरे और नीलम के होंठ सटा दिए। नीलम मेरे होंठों को चूमने लगी लेकिन मुझे अजीब लग रहा था क्योंकि आज पहली बार कोई लड़की मेरे होंठों को चूम रही थी। कुछ देर बाद मुझे अच्छा लगने लगा और मैं नीलम का साथ देने लगी। उन्होंने हमारी स्कर्ट और पैंटी निकाला दीं और हमारे बड़े-बड़े चूतडो़ं को चूमने लगे।

वो दोनों हमारे चूतडो़ं को दांतों से हल्का हल्का काटने लगे और मैं एवं नीलम एक-दूसरे के होंठों में होंठ डालकर मजे कर रही थीं। उन दोनों ने हमारे चूतडो़ं को चूमते एवं काटते हुए अपनी-अपनी दो ऊंगलियां हमारी चूत में घुसा दीं। हम दोनों के मुंह से आह निकल गई और वो हमारी चूत में ऊंगलियां आगे-पीछे करने लगे।

वो लोग सोफे पर बैठ गए और हमें अपने पास बुला लिया। मैं प्रताप के सामने खड़ी हो गई और नीलम विक्रम के सामने। उन्होंने लपक कर हमारे बूब्ज़ पकड़ लिए और जोर से मसलने लगे। वो हमारे बूब्ज़ को अपने हाथ में पकड़ कर जोर से दबाने लगे और निप्पलों को ऊंगली तथा अंगूठे के बीच लेकर मसलते।

वो लोग हमारे बूब्ज़ को जोर जोर से चूसने लगे और निप्पलों को जीभ से सहलाते हुए मुंह में भर चूसने एवं दांतों से काटने लगे। हम उनके सिर को अपने-अपने बूब्ज़ पर दबाने लगीं और अपने होंठो को मस्ती से अपने दांतों के तले दबाने लगीं। उन्होंने हमारी जगह बदल दी।

अब मेरे बूब्ज़ विक्रम के मुंह में और नीलम के बूब्ज़ प्रताप के मुंह में खेल रहे थे। ऐसे मर्द बदल बदल कर बूब्ज़ चुसवाना बहुत ही उत्तेजना भर रहा था। अब वो हमारे पेट पर जीभ घुमाते हुए हमारी नाभि से खेलने लगे। वो हमारे नाजुक, गोरे एवं चिकने पेट पर दांत गढा़ते और नाभि में जीभ डालकर घुमाते। उन्होंने हमें बदल बदल कर हमारे बदन का मजा लिया।

उन्होंने हमें बैॅड पर आपस में कुछ दूरी लेटा दिया। मैं और नीलम एक-दूसरे के पैरों की तरफ सिर करके सीधे लेट गईं। वो दोनों भी बैॅड पर आ गए। विक्रम मेरे सिर की तरफ और प्रताप नीलम के सिर की तरफ था। प्रताप ने नीलम के होंठों पर लंड रखा और लेट कर मुंह मेरी चूत पर रख दिया।

इधर विक्रम ने मेरे होंठों पर लंड रखा और लेट कर नीलम की चूत पर मुंह रख दिया। नीलम प्रताप का लंड चूसने लगी और विक्रम से चूत चटवाने लगी। मैं विक्रम का लंड चूस रही थी और प्रताप मेरी चूत चाट रहा था। वो लोग अपनी कमर हिला कर हमारे मुंह चोदने लगे और उनके लंड हमारे गले में उतर कर बाहर आते।

हम अपनी गांड हिला कर अपनी चूत उनके चेहरे पर मसलने लगीं। वो अपनी जीभ हमारी चूत में घुसा कर चाट रहे थे। कुछ देर बाद उन्होंने जगह बदल ली। अब मेरे मुंह में प्रताप का लंड और नीलम के मुंह में विक्रम का लंड अठखेलियां करने लगा। बहुत जोर से लंड चूसने और चूत चाटने की वजह से पूरा रूम गप्प… गप्प… सपड़… सपड… की आवाज़ों से गूंज उठा।

विक्रम ने नीलम को टेबल पर सीधा लेटा दिया और उसकी टांगें खोलकर उसकी चूत में लंड डाल दिया। नीलम का मुंह टेबल से नीचे लटक रहा था। प्रताप ने मुझे टेबल पर घुटने मोड़ कर नीलम के मुंह के पास मेरी चूत कर दी। विक्रम ने मुझे सिर से पकड़ कर मुझे झुका लिया और मेरा मुंह नीलम की चूत के ऊपर आ गया। प्रताप ने पीछे से मेरी चूत में अपना लंबा मोटा लंड पेल दिया। वो लोग धक्के मार कर हमारी चूत चोदने लगे।

मैं और नीलम उनके अंदर-बाहर होती लंड को जीभ से चाटने लगीं। किसी की चूत में अंदर-बाहर होते लंड को मैं पहली बार चाट रही थी और मुझे बहुत आनंद आ रहा था। उन्होंने अपना स्थान बदल लिया और प्रताप ने आते ही मेरी चूत के रस से सना हुआ लंड मेरे मुंह में दे दिया और विक्रम ने नीलम के मुंह में। हमनें उनके लंड चाट कर साफ कर दिए और उन्होंने लंड फिर से हमारी चूत में धकेल दिए। हम फिर से अंदर-बाहर होते लंड को चाटने लगीं।

उन्होंने मुझे और नीलम को बूब्ज़ सटा कर खड़ा कर दिया। हम दोनों एक-दूसरे को कस कर पकड़ कर खड़ी हो गईं और हमारे बूब्ज़, पेट एवं जांघें आपस में सट गईं। प्रताप मेरे पीछे और विक्रम नीलम के पीछे खड़ा हो गया। उन्होंने हमारी गांड के छेद पर और अपने लंड पर हेयर जैॅल क्रीम लगा दी। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है..

प्रताप ने मेरे मोटी गांड की फांकें खोलकर अपना लंड छेद पर लगा दिया और मेरी गांड में घुसा दिया। विक्रम ने नीलम की गांड में घुसा दिया और हम दोनों के मुंह से मस्ती भरी आहह निकली। प्रताप मेरे कंधे के ऊपर से नीलम के होंठ चूमता हुआ मेरी गांड चोदने लगा और विक्रम नीलम के कंधे के ऊपर से मेरे होंठ चूमता हुआ नीलम की गांड चोदने लगा। हम उनके होंठ चूसती हुई गांड हिला हिला कर अपनी गांड चुदवाने लगीं। उन्होंने ने हमें घुमा दिया और हमें बदल कर हमारी गांड ठोकने लगे।

उन्होंने हमें टेबल पर आमने-सामने झुका कर खड़ी कर लिया और हमारे होंठ मिला दिए। पीछे से प्रताप ने मेरी चूत में और विक्रम ने नीलम की चूत में लंड पेल दिया। वो दोनों पीछे से हमारी चूत में अपने लंड की बांसुरी बजाने लगे और हम चूत चुदवाते हुए एक-दूसरी के होंठों का रसपान करने लगीं।

वो दोनों हमारी चूत में जबरदस्त शाॅटस मार कर चोद रहे थे और हमारे बूब्ज़ हवा में लहरा रहे थे। मैंने तथा नीलम ने थोड़ा सीधे होकर एक-दूसरी के बूब्ज़ हाथों में पकड़ लिए और गांड को आगे-पीछे करके चूत चुदाई में विक्रम एवं प्रताप का साथ देने लगीं। हमारे गांड आगे-पीछे करने से चुदाई की रफ्तार काफी बड़ गई और फचच… फचच… की आवाज़ों से माहौल बहुत गर्म हो गया।

जितनी जोर से वो दोनों शाॅटस मारते हम भी उतनी जोर से गांड आगे-पीछे धकेल देती। तभी उन दोनों ने अपना अपना लंड हमारी चूत से निकल लिया और जगह बदल ली। अब हमारी चूत को दूसरा लंड मजा देने लगा और हम गांड हिला हिलाकर चुदने लगीं। हम ने एक-दूसरी के निप्पलों को पकड़ा और मसलते हुए खींचने लगीं।

अब उन्होंने हमें घुटने मोड़ कर टेबल पर बैठा दिया और पीछे से अपना अपना लंड हमारी गांड में घुसेड़ दिया। वो पीछे से ताबड़तोड़ शाॅटस से हमारी गांड चोदने लगे और उनके हर शाॅट से हम मस्ती में चिल्ला देतीं। हमारे चिल्लाने से उनका जोश और बड़ जाता और वो और जोर से चोदने लगते।

हम चुदवाते हुए सातवें आसमान की सैर कर रही थीं और उनके लंड हमारी गांड की गहराई में घर्षण कर रहे थे। उन्होंने इस आसन में दो दो बार हमारी गांड की सवारी की और पीठ को बेतहाशा चूमा। हमनें भी गांड की सवारी में उनका पूरा साथ दिया और गांड पटक पटक कर लंड का मजा लिया।

उन्होंने सोफे पर बैठ कर हमें अपनी गोद में बुलाया। मैं घुटने मोड़ कर विक्रम की गोद में और नीलम प्रताप की गोद में आ गई। हमनें अपनी-अपनी चूत विक्रम तथा प्रताप के लंड पर लगा कर नीचे धकेल दी।

हमारे एक शाॅट में ही लंड हमारी चूत की गहराई में उतर गए और हमारा शाॅट इतना जोरदार था कि उन दोनों के मुंह से आहह निकल गई। उनकी आहह सुन कर हमारे अंदर बहुत जोश आया और हम उनके चेहरे पर बूब्ज़ मसलती हुई उनके लंड पर जोर जोर से उछलने लगीं।

हम तो मस्ती में चिल्ला ही रही थीं लेकिन अब वो भी आंहें भरते हुए नीचे से अपनी गांड उठा उठाकर हमें चोदने लगे। मेरी, नीलम, प्रताप और विक्रम की मिलीजुली कामुक आंहों से पूरे कमरे का माहौल बहुत कामुक हो गया। ऐसा लग रहा था जैसे कोई पोर्न मूवी चल रही हो। हमने चूत से लंड निकाला और घूम गईं।

हमने अपने पैर नीचे रखे और उनके लंड पर गांड टिका कर बैठ गईं। हमने अपनी-अपनी गांड को नीचे धकेल दिया और अगले ही पल उनके लंड हमारी गांड की गहराई में सैर-सपाटा करने लगे। हम अपनई गांड को तेज़ी से ऊपर-नीचे करने लगीं और उनके लंड हमारी गांड में आगे-पीछे होने लगे।

इस आसन में हमारे बूब्ज़ भी ऊपर-नीचे उछलते हुए डांस करने लगे और हमने अपने बूब्ज़ को हाथों में पकड़ लिया। मैंने और नीलम ने एक-दूसरे कई तरफ देखा और जगह बदलने का इशारा किया। अब मैं प्रताप की गोद में और नीलम विक्रम की गोद में लंड लेने लगी। हमने फिर वैसे ही चूत एवं गांड चुदाई की।

वो दोनों बैॅड पर एक-दूसरे की तरफ मुंह करके लेट गए और हम भी बैॅड पर आ गईं। उन्होंने हमें बीच लेटने का इशारा किया। मैं प्रताप के आगे और नीलम विक्रम के आगे लेट गई। उन्होंने हमारे चूतडो़ं की फांकें खोलकर लंड गांड में घुसेड़ दिया और मेरी तथा नीलम की चूत को आपस में सटा दिया। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है..

वो हमारे बूब्ज़ को पकड़ कर हमारी गांड चोदने लगे और पीछे से गर्दन पर चुम्मे पर चुम्मा लेने लगे। मैं और नीलम एक-दूसरी के होंठों को चूसते हुए गांड चुदाई का मजा ले रही थीं। जब जब वो हमारी गांड में शाॅट मारते तब तब हम भी गांड को पीछे लंड पर दबा देतीं। अब मेरी गांड में विक्रम का लंड और नीलम की गांड में प्रताप का लंड बांसुरी बजाने लगा। अब मैंने और नीलम ने मुंह विक्रम तथा प्रताप की तरफ कर लिए।

हमने अपने होंठों को उनके होंठों पर रखा और एक एक टांग ऊपर उठा ली। उन्होंने हमारी चूत पर लंड टिकाए और चूत चोदने लगे। इस आसन में हमने बारी बारी दोनों से चूत चुदवाई। जब जब वो हमारी चूत के अंदर लंड पेलते तब तब मेरी और नीलम की गांड आपस में टकरा जाती। आगे से चूत में सख्त लंड और पीछे से नर्म गांड के टकराने से अजीब सी मस्ती आने लगी।

उन्होंने बैॅड से उतर कर दो टेबलों को आमने-सामने लगा दिया और हमें आने को बोला। हमें समझ नहीं आ रही थी कि वो क्या करना चाह रहे हैं और हम वहां चली गईं। उन्होंने हमारी पीठ नीचे लगा कर टांगें ऊपर कर लीं और टेबल के साथ लगा दिया। वो दोनों ने एक टेबल पर अपना धड़ रखा दूसरे पर टांगें और हमारी टांगों के बीच से लेट गए।

उन्होंने हमारी टांगों को पकड़ कर अपने लंड हमारी चूत पर टिका दिए और गांड को नीचे दबा दिया। अगले पल उनके लंड हमारी चूत की गहराई में अठखेलियां करने लगे। हमनें अपनी टांगें उनकी कमर पर लपेट दीं और वो ऊपर से हमें चोदने लगे।

मैं कभी ऐसे नहीं चुदी थी लेकिन ऐसे चुदाई में बहुत मजा आ रहा था। लंड चूत की गहराई में जाकर चुदाई का सुख दे रहा था। वो हमें धड़ल्ले से चोदने लगे और हम ऊंची-ऊंची चिल्लाने लगीं और चुदाई का आनंद लेने लगीं। कुछ देर बाद उन्होंने लंड निकाल लिए और हमें फर्श पर बैठा कर हमारे हाथों में लंड दे दिए।

प्रताप ने मेरे हाथ में और विक्रम ने नीलम के हाथ में लंड दे दिया। हम उनके लंड हिलाकर मुठ मारने लगीं। कुछ देर बाद प्रताप के लंड से वीर्य निकल गया और सीधा मेरे बूब्ज़ पर गिरा। मैंने प्रताप का लंड मुंह में लेकर वीर्य की ऊक एक बूंद निचोड़ ली और चाट कर साफ कर दिया लेकिन विक्रम का लंड अभी भी तना हुआ था। नीलम उसके लंड को चूसने लगी और मैंने उसके अंडकोष मुंह में ले लिए।

थोड़ी देर बाद मैं विक्रम के लंड को चूसने लगी और नीलम उसके अंडकोष को जीभ से चाटने लगी। कुछ देर बाद विक्रम के लंड ने मेरे मुंह में लावा उगल दिया। विक्रम ने आंहें भरते हुए मेरे मुंह में लंड खाली कर दिया। नीलम ने मेरे मुंह पकड़ा और मेरे मुंह में जीभ डालकर विक्रम का वीर्य चाटने लगी।

मैंने उसके मुंह को खोला और आधा वीर्य उसके मुंह में उधेल दिया। उसने जीभ से विक्रम का वीर्य अपने मुंह में घुमाया और निगल गई और जो वीर्य मेरे मुंह में था वो में निगल गई। उसके बाद नीलम मेरे बूब्ज़ से प्रताप का वीर्य चाटने लगी। आधा वीर्य वो साफ कर गई। बाकी वीर्य को वो अपनी जीभ पर लगाती और मेरे पास कर देती। मैं उसकी जीभ को मुंह में लेकर चाट जाती।

उस रात हमनें तीन बार चुदाई की और सुबह वो लोग चले गए।मैं और नीलम वहीं सो गईं शाम को नीलम और नीलम का दादा मुझे घर छोड़कर गए। रास्ते में मेरे कहने पर नीलम ने अपने दादा का लंड चूसा।

मैंने नीलम से अपने दादा की प्यास बुझाती रहने को बोला तो उसने कहा अगर मैं भी उसके साथ मिलकर दादा से चुदाई करूं तो वो राजी है। मैंने जवाब नहीं दिया और मुस्कुरा दी। वादे के मुताबिक मुझे 50,000 रुपए मिले और नीलम के दादा ने बताया हमारी वजह से पचास लाख का काम हुआ
 

Sanjay dham

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क्रिकेट मैच में सट्टे से चूत की चुदाई।।।


मैं रितुका, मेरे पति का नाम है रोहन, उम्र 32 साल, मुम्बई के विले पारले में रहती हूँ। मेरे पति एक इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी में काम करते हैं। मैं भी एक छोटी सी सॉफ्टवेर कंपनी में काम करती हूँ। ये बात काफ़ी साल पहले की है तब हम शहर से दूर मलाड के पास एक फ्लैट में रहते थे। हमारी शादी उसी फ्लैट में हुई थी। मीया बीवी अकेले ही उस फ्लैट में रहते थे। उस फ्लैट में हमसे ऊपर एक परिवार रहता था। उस परिवार में एक जवान कपल थे नाम था सपना और दीपांकर। उनके कोई बच्चा नही था। साथ में उनके ससुर जी भी रहते थे। उनकी उम्र कोई 60 साल के आस पास थी उनका नाम कैलाश शर्मा था मैं सपना से बहुत जल्दी काफ़ी घुल मिल गयी। अक्सर वो हमारे घर आती या मैं उसके घर चली जाती थी। मैं अक्सर घर में स्कर्ट और टी शर्ट में रहती थी। मैं स्कर्ट के नीच छोटी सी एक कक्षी पहनती थी। मगर टी शर्ट के नीचे कुछ नही पहनती थी। इससे मेरे बड़े बड़े बूब्स हल्की हरकत से भी उछल उछल जाते थे। मेरे निपल्स टी शर्ट के बाहर से ही सॉफ सॉफ नज़र आते थे।
सपना के ससुर का नाम मैं जानती थी। उन्हे बस शर्मा अंकल कहती थी। मैने महसूस किया शर्मा अंकल मुझ में कुछ ज़्यादा ही इंटेरेस्ट लेते थे। जब भी मैं उनके सामने होती उनकी नज़रें मेरे बदन पर फिरती रहती थी। मुझे उन पर बहुत गुस्सा आता था। मैं उनकी बहू की उम्र की थी मगर फिर भी वो मुझ पर गंदी नियत रखते थे। लेकिन उनका हँसमुख और लापरवाह स्वाभाव धीरे धीरे मुझ पर असर करने लगा। धीरे धीरे मैं उनकी नज़रों से वाकिफ़ होती गयी। अब उनका मेरे बदन को घूरना अच्छा लगने लगा। मैं उनकी नज़रों को अपनी चूचियो पर या अपने स्कर्ट के नीचे से झाँकती नग्न टाँगों पर पाकर मुस्कुरा देती थी
सपना थोड़ी आलसी किस्म की थी इसलिए कहीं से कुछ भी मंगवाना हो तो अक्सर अपने ससुर जी को ही भेजती थी। मेरे घर भी अक्सर उसके ससुर जी ही आते थे। वो हमेशा मेरे संग ज़्यादा से ज़्यादा वक़्त गुजारने की कोशिश में रहते थे। उनकी नज़रे हमेशा मेरी टी शर्ट के गले से झाँकते बूब्स पर रहती थी। मैं पहनावे के मामले में थोड़ा बेफ़िक्र ही रहती थी। अब जब भगवान ने इतना सेक्सी शरीर दिया है तो थोड़ा बहुत एक्सपोज़ करने में क्या हर्ज़ है। वो मुझे अक्सर छुने की भी कोशिश करते थे लेकिन मैं उन्हे ज़्यादा लिफ्ट नही देती थी।
अब असल घटना पर आया जाय। अचानक खबर आई कि मम्मी की तबीयत खराब है। मैं अपने मायके इन्दौर चली आई। उन दिनो मोबाइल नही था और टेलिफोन भी बहुत कम लोगों के पास होते थे। कुछ दिन रह कर मैं वापस मुंबई आ गयी। मैने रोहन को पहले से कोई सूचना नही दी थी क्योंकि हमारे घर में टेलिफोन नही था। मैं शाम को अपने फ्लैट में पहुँची तो पाया की दरवाजे पर ताला लगा हुआ है। वहीं दरवाजे के बाहर समान रख कर रोहन का इंतजार करने लगी। रोहन शाम 8 बजे तक घर आ जाता था। लेकिन जब 9 हो गये तो मुझे चिंता सताने लगी। फ्लैट में ज़्यादा किसी से जान पहचान नही थी। मैने सपना से पूछने का विचार किया। मैने ऊपर जा कर सपना के घर की कालबेल बजाई। अंदर से टी.वी. चलने की आवाज़ आ रही थी। कुछ देर बाद दरवाजा खुला। मैने देखा सामने शर्मा जी खड़े हैं।
" नमस्ते…वो सपना है क्या?" मैने पूछा।
" सपना तो दीपांकर के साथ हफ्ते भर के लिए गोवा गयी है घूमने। वैसे तुम कब आई?"
" जी अभी कुछ देर पहले। घर पर ताला लगा है रोहन…?"
" रोहन तो गुजरात गया है अफीशियल काम से कल तक आएगा।" उन्होंने मुझे मुस्कुरा कर देखा- "तुम्हे बताया नही"
" नही अंकल उनसे मेरी कोई बात ही नही हुई। वैसे मेरी प्लानिंग कुछ दिनो बाद आने की थी।"
"तुम अंदर तो आओ" उन्होंने कहा मैं असमंजस सी अपनी जगह पर खड़ी रही।
"सपना नही है तो क्या हुआ मैं तो हूँ। तुम अंदर तो आओ।" कहकर उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर अंदर खींचा। मैं कमरे में आ गयी। उन्होंने आगे बढ़ कर दरवाजे को बंद करके कुण्डी लगा दी। मैने झिझकते हुए ड्रॉयिंग रूम में कदम रखा। जैसे ही सेंटर टेबल पर नज़र पड़ी मैं थम गयी। सेंटर टेबल पर बियर की बॉटल्स रखी हुई थी। आस पास स्नॅक्स बिखरे पड़े थे। एक सिंगल सोफे पर कामदार अंकल बैठे हुए थे। उनके एक हाथ में बियर का गिलास था। जिसमें से वो हल्की हल्की चुस्कियाँ ले रहे थे। मैं उस महौल को देख कर चौंक गयी। शर्मा अंकल ने मेरी झिझक को समझा और मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए कहा-
" अरे घबराने की क्या बात है। आज इंडिया- पाकिस्तान मैच चल रहा है ना। सो हम दोनो दोस्त मैच को एंजाय कर रहे थे।" मैने सामने देखा टीवी पर इंडिया पाकिस्तान का मैच चल रहा था। मेरी समझ में नही आ रहा था कि मेरा क्या करना उचित होगा। यहाँ इनके बीच बैठना या किसी होटेल में जाकर ठहरना। घर के दरवाजे पर इंटरलॉक था इसलिए तोडा भी नही जा सकता था। मैं वहीं सोफे पर बैठ गयी। मैने सोचा मेरे अलावा दोनो आदमी बुजुर्ग हैं इनसे डरने की क्या ज़रूरत है। लेकिन रात भर रुकने की बात जहाँ आती है तो एक बार सोचना ही पड़ता है। मैं इन्ही विचारों में गुमसुम बैठी थी लेकिन उन्होंने मानो मेरे मन में चल रहे उथल पुथल को भाँप लिया था।
"क्या सोच रही हो? कहीं और रुकने से अच्छा है रात को तुम यहीं रुक जाओ। तुम सपना और दीपांकर के बेड रूम में रुक जाना मैं अपने कमरे में सो जाउन्गा। भाई मैं तुम्हे काट नही लूँगा। अब तो बूढ़ा हो गया हूँ। हा..हा..हा.."
उनके इस तरह बोलने से महौल थोड़ा हल्का हुआ। मैने भी सोचा कि मैं बेवजह एक बुजुर्ग आदमी पर शक कर रही हूँ। मैं उनके साथ बैठ कर मैच देखने लगी। पाकिस्तान बैटिंग कर रही थी। खेल काफ़ी काँटे का था इसलिए रोमांच पूरा था। मैने देखा दोनो बीच बीच में कनखियों से स्कर्ट से बाहर झाँकती मेरी गोरी टाँगों को और टी शर्ट से उभरे हुए मेरे बूब्स पर नज़र डाल रहे थे। पहले पहले मुझे कुछ शर्म आई लेकिन फिर मैने इस ओर गौर करना छोड़ दिया। मैं सामने टीवी पर चल रहे खेल का मज़ा ले रही थी। जैसे ही कोई आउट होता हम सब खुशी से उछल पड़ते और हर शॉट पर गलियाँ देने लगते। ये सब इंडिया पाकिस्तान मैच का एक कामन सीन रहता है। हर बॉल के साथ लगता है सारे हिन्दुस्तानी खेल रहे हों।
कुछ देर बाद शर्मा अंकल ने पूछा, "रितुका तुम कुछ लोगी? बियर या जिन…?"
मैने ना में सिर हिलाया लेकिन बार बार रिक्वेस्ट करने पर मैने कहा, "बियर चल जाएगी...."
उन्होंने एक बॉटल ओपन कर के मेरे लिए भी एक गिलास भरा फिर हम "चियर्स" बोल कर अपने अपने गिलास से सीप करने लगे।
शर्मा अंकल ने दीवार पर लगी घड़ी पर निगाह डालते हुए कहा" अब कुछ खाने पीने का इंतेज़ाम किया जाय"-उन्होने मेरे चेहरे पर निगाह गढ़ाते हुए कहा-" तुमने शाम को कुछ खाया या नही?"
मैं उनके इस प्रश्न पर हड़बड़ा गयी- " हां मैने खा लिया था।"
"तुम जब झूठ बोलती हो तो बहुत अच्छी लगती हो। पास के होटेल से तीन खाने का ऑर्डर दे दे और बोल कि जल्दी भेज देगा" कंदर अंकल ने फोन करके। खाना मंगवा लिया।
एक गिलास के बाद दूसरा गिलास भरते गये और मैं उन्हे सीप कर कर के ख़तम करती गयी। धीरे धीरे बियर का नशा नज़र आने लगा। मैं भी उन लोगों के साथ ही चीख चिल्ला रही थी, तालियाँ बजा रही थी।
कुछ देर बाद खाना आ गया । हमने उठकर खाना खाया फिर वापस आकर सोफे पर बैठ गये। शर्मा अंकल और कामदार अंकल अब बड़े वाले सोफे पर बैठे। वो सोफा टीवी के ठीक सामने रखा हुआ था। मैं दूसरे सोफे पर बैठने लगी तो शर्मा अंकल ने मुझे रोक दिया-
"अरे वहाँ क्यों बैठ रही हो। यहीं पर आजा यहाँ से अच्छा दिखेगा। दोनो सोफे के दोनो किनारों पर सरक कर मेरे लिए बीच में जगह बना दिए। मैं दोनो के बीच आकर बैठ गयी। फिर हम मैच देखने लगे। वो दोनो वापस बियर लेने लगे। मैं बस उनका साथ दे रही थी। बातों बातों में आज मैने ज़्यादा ले लिया था इसलिए अब मैं कंट्रोल कर रही थी जिससे कहीं बहक ना जाउ। आप सब तो जानते ही होंगे कि इंडिया-पाकिस्तान के बीच मैच हो तो कैसा महौल रहता है। शारजाह के मैदान में मैच हो रहा था। इंडियन कैप्टन था अज़हरुद्दीन।
" आज इंडियन्स जीतना ही नही चाहते हैं।" शर्मा जी ने कहा
" ये ऐसे खेल रहे हैं जैसे पहले से सट्टेबाज़ी कर रखी हो।" कंदर अंकल ने कहा।
"आप लोग इस तरह क्यों बोल रहे हैं? देखना इंडिया जीतेगी।" मैने कहा
" हो ही नही सकता। शर्त लगा लो इंडिया हार कर रहेगी" शर्मा अंकल ने कहा।
तभी एक और छक्का लगा। " देखा…देखा…. " शर्मा अंकल ने मेरी पीठ पर एक हल्के से धौल जमाया " मेरी बात मानो ये सब मिले हुए हैं।"
खेल आगे बढ़ने लगा। तभी एक विकेट गिरा तो हम तीनो उछल पड़े। मैं खुशी से शर्मा अंकल की जाँघ पर एक ज़ोर की थपकी दे कर बोली "देखा अंकल? आज इनको कोई नही बचा सकता। इनसे ये स्कोर बन ही नही सकता।" मैं इसके बाद वापस खेल देखने में बिज़ी हो गयी। मैं भूल गयी थी कि मेरा हाथ अभी भी शर्मा अंकल की जांघों पर ही पड़ा हुआ है। शर्मा अंकल की निगाहें बार बार मेरी हथेली पर पड़ रही थी। उन्होंने सोचा शायद मैं जान बूझ कर ऐसा कर रही हूँ। उन्होंने भी बात करते करते अपना एक हाथ मेरा स्कर्ट जहाँ ख़त्म हो रहा था वहाँ पर मेरी नग्न टांग पर रख दिया। मुझे अपनी ग़लती का अहसास हुआ और मैने जल्दी से अपना हाथ उनकी जांघों पर से हटा दिया। उनका हाथ मेरी टाँगों पर रखा हुआ था। कंदार अंकल ने मेरे कंधे पर अपनी बाँह रख दी। मुझे भी कुछ कुछ मज़ा आने लगा।
अब लास्ट तीन ओवर बचे हुए थे। खेल काफ़ी टक्कर का हो गया था। एक तरफ जावेद मियाँदाद खेल रहा था। लेकिन उसे भी जैसे इंडियन बौलर्स ने बाँध कर रख दिया। खेल के हर बॉल के साथ हम उछल पड़ते। या तो खुशियाँ मनाते या बेबसी में साँसें छोड़ते। उछल कूद में कई बार उनकी कोहनियाँ मेरे बूब्स से टकराई। पहले तो मैने सोचा शायद ग़लती से उनकी कोहनी मेरे बूब्स को छू गयी होगी लेकिन जब ये ग़लती बार बार होने लगी तो उनके ग़लत इरादे की भनक लगी।
आख़िरी ओवर आ गया अज़हर ने बॉल चेतन शर्मा को पकड़ाई।
" इसको लास्ट ओवर काफ़ी सोच समझ कर करना होगा सामने मियाँदाद खेल रहा है।"
" अरे अंकल देखना ये मियाँदाद की हालत कैसे खराब करता है।" मैने कहा
"नही जीत सकती इंडिया की टीम नही जीत सकती लिख के लेलो मुझसे। आज पाकिस्तान के जीतने पर मैं शर्त लगा सकता हूँ।" शर्मा अंकल ने कहा।
" और मैं भी शर्त लगा सकती हूँ की इंडिया ही जीतेगी" मैने कहा। आख़िरी दो बॉल बचने थे खेल पूरी तरह इंडिया के फेवर में चला गया था।
"मियाँदाद कुछ भी कर सकता है। कुछ भी। इसे आउट नही कर सके तो कुछ भी हो सकता है।" शर्मा अंकल ने फिर जोश में कहा।
" अब तो मियाँदाद तो क्या उसके फरिश्ते भी आ जाएँ ना तो भी इनको हारने से नही बचा सकते।"
"चलो शर्त हो जाए।" शर्मा अंकल ने कहा।
" हां हां हो जाए।।" कंदर अंकल ने भी उनका साथ दिया। मैने पीछे हटने को अपनी हार मानी और वैसे भी इंडिया की जीत तो पक्की थी। लास्ट बॉल बचा था और जीतने के लिए पाँच रन चाहिए थे। अगर एक चोका भी लगता तो दोनो टीम टाइ पर होते। जीत तो सिर्फ़ एक सिक्स ही दिला सकती थी जो कि इतने टेन्स मोमेंट में नामुमकिन था।
"बोलो अब भगोगे तो नहीं। आख़िरी बॉल और पाँच रन। चार रन भी हो गये तो दोनो बराबर ही रहेंगे। जीतने के लिए तो सिर्फ़ छक्का चाहिए।" मैने गर्व से गर्दन अकड़ा कर शर्मा जी की तरफ देखा। शर्मा अंकल ने अपने कंधे उचकाय कहा कुछ नही। उनको भी लग गया था कि आज इंडिया ही जीतेगी। फील्डर्स सारे बाउंड्री पर लगा दिए गये थे। मैने उनसे पूछा-
"सोच लो...। अब शर्त लगाओगे क्या। 99% तो इंडिया जीत ही चुकी है।"
"शर्त तो हम लगाएँगे ही। देखना मियाँदाद बैटिंग कर रहा है। वो पूरी जान लगा देगा।" शर्मा अंकल ने अपनी हाथ से फिसलती हुई हेकड़ी को वापस बटोरते हुए कहा।
"ठीक है हो जाए शर्त।" कह कर मैने अपने एक हाथ शर्मा अंकल के हाथ में दिया और एक हाथ कंदर अंकल के हाथ में दिया।
"अगर इंडिया जीती तो……………….?" शर्मा अंकल ने बात मेरे लिए अधूरी छोड़ दी।
"तो आप दोनो अलग अलग मुझे ट्रीट देंगे। साथ में हम लोगों की फॅमिली भी रहेगी। मक्डोनल्ड्स मे। मंजूर?" मैने उनसे कहा। दोनो ने तपाक से हामी भर दी।
"और अगर पाकिस्तान जीत गयी तो…...?"-कंदर अंकल ने भी शर्त में शामिल होते हुए कहा।
"तो रितुका वही करेगी जो हम दोनो कहेंगे। मंजूर है?" शर्मा अंकल ने कहा
"क्या करना पड़ेगा?" मैने हंसते हुए पूछा। मैं सोच भी नही पा रही थी कि मैं किस तरह इन दोनो बूढो के चंगुल में फँसती जा रही हूँ।
"कुछ भी जो हमें पसंद होगा।" कंदर ने कहा।
"अरे कंदर छोड़ शर्त-वर्त ये लगा नही सकती।" शर्मा अंकल ने कहा।
"ठीक है हो जाए शर्त।" कह कर मैने अपना एक हाथ शर्मा अंकल के हाथ में दिया और एक हाथ कंदर अंकल के हाथ में दिया। दोनो ने अपने हाथ में मेरे हाथों को पकड़ लिया। दोनो मेरे बदन से सॅट गये। मैं दोनो के बीच सॅंडविच बनी हुई थी। ऐसे महौल में चेतन शर्मा ने दौड़ना शुरू किया। कमरे में महौल गर्म हो गया था। कुछ तो मैच के रोमांच से और कुछ हमारे बदन के एक दूसरे से सटने से। चेतन शर्मा दौड़ता हुआ आया और उसने पता नही क्यों एक फुलटोस गेंद जावेद मियाँदाद को फेंकी। हमारी साँसे थम गयी थी। जावेद मियाँदाद ने आख़िरी बॉल के पीछे आते हुए अपने बैट को लिफ्ट किया और बॉल तेजी से नीचे आती हुई बैट से टकराई। सब ऐसा लग रहा था जैसे स्लो मोशन में चल रहा हो। बॉल बैट से लग कर आसमान में उछली और लाखों करोड़ों दर्शक सिर्फ़ साँस रोके देखते ही रह गये। बॉल बिना ड्रॉप के बाउंड्री के बाहर जा कर गिरी। अंपाइयर ने छक्के का इशारा किया और पाकिस्तान जीत गयी। मुझे तो समझ में ही नही आया कि ये सब क्या चल रहा है। मैं बस मुँह फाडे टीवी की तरफ देख रही थी। यकीन तो मेरे साथ बैठे दोनो बुजुर्गों को भी नही हो रहा था कि ऐसे पोज़िशन से इंडिया हार भी सकती है। कुछ देर तक इसी तरह रहने के बाद दोनो चिल्ला उठे,
"हुरर्राह....हम जीत गये।" मैने मायूसी के साथ दोनो की ओर देखा।
"हम जीत गये।" मैं उनकी तरफ देख कर एक उदास सी मुस्कान दी "अब तुम हमारी शर्त पूरी करो।" शर्मा जी ने कहा।
"ठीक है बोलो क्या करना है।" मैने उनसे कहा।
"सोच लो फिर से बाद में अपने वादे से मुकर मत जाना।" शर्मा अंकल ने कहा।
" नही मैं नही मुकुरूँगी अपने वादे से। बोलो मुझे क्या करना पड़ेगा।" शर्मा जी ने मुस्कुराते हुए कंदर अंकल की तरफ देखा। दोनो की आँखें मिली और संवादों का कुछ आदान प्रदान हुआ।
"तू बोल कंदर.......इसे क्या करने को कहा जाए।" शर्मा अंकल ने कंदर अंकल से कहा।
" नही तूने शर्त लगाया है शर्मा तू ही इसके इनाम की घोषणा कर।"
शर्मा अंकल ने मेरी तरफ मुड़कर अपनी आवाज़ में रहस्यमयता लाते हुए कहा-" तुम हम दोनो को एक एक किस दोगी। फ्रेंच किस। तब तक जब तक हम तुम्हारे होंठों से अपने होंठ अलग नही करें।"
मुझे अपने चारों ओर पूरा कमरा घूमता हुआ सा लगा। मुझे समझ में ही नही आ रहा था कि क्या करूँ। मैं इन दोनो आदमियों के चंगुल में फँस गयी थी। मैने कुछ देर तक अपनी नज़रें ज़मीन पर गड़ाए रखीं फिर धीरे से कहा, "सिर्फ़ किस"
दोनो ने एक साथ कहा, "ठीक है।" मैं उठ कर खड़ी हो गयी।
" ठहरो इस तरह नही। जिंदगी में पहली बार इतना हसीन मौका मिला है तो इसका पूरा एंजाय करेंगे। " शर्मा अंकल ने कहा "कांदार पहले ये मुझे किस देगी" कंदर अंकल ने सिर हिलाया।
शर्मा अंकल डाइनिंग टेबल के पास से एक कुर्सी खींच कर उस पर बैठ गये। बिना हत्थे वाली कुर्सी पर बैठ कर मुझ से कहा, " आओ तुम मेरी गोद में बैठ कर मुझे किस करो।"
मैं शर्म से पानी पानी हो रही थी। ऐसी बुरी स्थिती में अपने आप को पहली बार महसूस कर रही थी। वैसे तो मेरे पति के अलावा भी मेरे एक और आदमी से संबंध थे और मैं शादी से पहले ही अपने बॉयफ़्रेंड से सेक्स का मज़ा ले चुकी थी, लेकिन इतने बुजुर्ग आदमियों के साथ इस तरह का मौका पहली बार ही आया था।
मैं आकर उनकी गोद में बैठने लगी तो उन्होंने मुझे रोकते हुए कहा, "ऐसे नही। अपने दोनो पैरों को फैला कर मेरी टाँगों के दोनो ओर अपने पैर रख कर मेरी गोद में बैठो। मैने वैसा ही किया। स्कर्ट पहना होने की वजह से टाँगें चौड़ी करने में किसी प्रकार की भी परेशानी नही हुई।
जैसे ही मैं उनकी गोद में बैठी उन्होंने मेरे कमर की इर्द-गिर्द अपनी बाहें डाल कर मुझे खींच कर अपने बदन से सटा लिया। मेरी तनी हुई चूचियाँ उनके सीने से दब गयी। मेरी कक्षी में छिपि योनि उसके लिंग से जा सटी। मैने महसूस किया की उनका लिंग तन चुका था। ये जानते ही मेरी नज़रें झुक गयी। मैने अपने काँपते हुए होंठ आगे बढ़ा कर उनके होंठों के सामने लाई। कुछ पल तक हम एक दूसरे के चेहरों को देखते रहे फिर मैने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए। उन्होंने अपने हाथों से मेरे चेहरे को सम्हाल रखा था। मैने भी अपने हाथों से उसके सिर को पीछे से पकड़ कर अपने होंठों पर दबा दिया। कुछ देर तक हम एक दूसरे के होंठों पर अपने होंठ फिराते रहे। शर्मा अंकल मेरे होंठों को हल्के हल्के अपने दन्तो से चबाते रहे। फिर मैने अपनी जीभ निकाली और उनके मुँह में डाल दिया। मेरी जीभ वहाँ उनकी जीभ से मिली। उनके मुँह से फ्रेश मिंट का स्मेल आ रहा था। हम दोनो की जीभ एक दूसरे के साथ लिपटने खेलने लेगे। उनके हाथ मेरे पूरे पीठ पर फिर रहे थे। एक हाथ से उन्होंने मेरे सिर को अपने मुँह पर दाब रहा था और दूसरा हाथ मेरी पीठ पर फिराते हुए नीचे की ओर गया। अचानक शर्मा अंकल के हाथ को मैने अपनी स्कर्ट के भीतर महसूस किया। उनके हाथ मेरी कक्षी के ऊपर फिर रहे थे। मैंने अचानक अपने दोनो बगलों के पास से दो हाथों को हम दोनो के बदन के बीच पहुँचा कर मेरे बूब्स को थामते हुए महसूस किया। ये कंदर अंकल के हाथ थे। उनके हाथ मेरे बूब्स को सहलाने लगे।
मेरी योनि गीली होने लगी। मुझे लग गया कि आज इन बूढो से अपना दामन बचाकर निकलना मुश्किल ही नही नामुमकिन है। शर्मा जी अपने हाथों से मेरी कक्षी को एक ओर सरका कर मेरे एक नितंब को सहलाने लगे। शर्मा जी ने मेरे दोनो नितंब सहलाने और मसलने के बाद अब उंगलिया मेरी कक्षी के भीतर डालने की कोशिश करने लगे। मैं उनके चंगुल से निकलने की जी तोड़ कोशिश कर रही थी। मुझे लग रहा था मानो उनका ये किस सारी जिंदगी ख़त्म नही होगा लेकिन उन्होने आख़िर में मुझे आज़ाद कर ही दिया। मैं उनकी गोद में बैठे बैठे ही लंबी लंबी साँसे लेने लगी। अपने हार्ट बीट्स को कंट्रोल करने लगी जो कि किसी राजधानी एक्सप्रेस की तरह दौड़ा जा रहा था।
कंदर अंकल ने मेरी बाहों के नीचे से हाथ ले जाकर मेरे बदन को ठीक मेरे बूब्स के नीचे से पकड़ा। जिससे मेरे बड़े बड़े बूब्स शर्मा अंकल की तरफ उँचे हो गये। शर्मा अंकल ने ये देखकर मेरे बूब्स की चोटियों पर एक एक किस दिया। कंदर अंकल ने मुझे उनकी गोद से उठाया।
" शर्मा उठ अब मेरी बारी है।" मैं उनके सामने सिर झुकाए हुए खड़ी थी। शर्मा अंकल चेयर से उठ गये। उन की जगह कंदर अंकल कुर्सी पर बैठ गये। मैं वापस अपने पैरों को फैला कर उनकी गोद में जा बैठी। मैने अपने होंठ अब कंदर अंकल के होंठों पर लगा दिए। इनके मुँह से शर्मा अंकल की तरह मिंट की स्मेल नही बल्कि बियर की बदबू आ आ रही थी। मैने अपनी साँस को रोक कर उनके मुँह में अपनी जीभ डाल दी। कंदर अंकल के सीने से अब मेरे उँचे उँचे शिखर दबे हुए छटपटा रहे थे। शर्मा अंकल मेरे पीछे ज़मीन पर बैठ गये और मेरी पेंटी के दोनो टाँगों के बीच के जोड़ को खींच कर तोड़ दिया। मेरी पेंटी के दोनो पल्ले अलग हो कर मेरे कमर से झूल रहे थे। उन्होंने मेरे निवस्त्र नितंबों के ऊपर से पेंटी के झूलते टुकड़े को ऊपर उठा कर मेरे नितंबों पर अपने होंठ लगा दिए। उनके होंठ अब मेरे नितंबों पर फिर रहे थे। कंदार अंकल के हाथ मेरे टॉप को ऊपर उठा कर मेरी नग्न पीठ पर हाथ फिराने लगे। उनके हाथ मेरे ब्रा के हुक पर आकर ठहरे और मेरे ब्रा के हुक को खोल कर मेरे बूब्स को आज़ाद कर दिया। फिर सामने की तरफ हाथ लाकर मेरे ब्रा को सीने से ऊपर कर के मेरे नग्न बूब्स को अपने हाथों में लेकर मसलने लगे। मेरे बूब्स को बुरी तरह मसलते हुए मेरे खड़े हो चुके निपल्स को अपनी उंगलियों के बीच लेकर ज़ोर ज़ोर से दबाने और खींचने लगे। मेरे मुँह से कराह की आवाज़ निकल कर उनके होंठों के बीच क़ैद हो जा रही थी।
उधर शर्मा अंकल की जीभ अब मेरी योनि के दोनो ओर फिर रही थी। कंदर अंकल ने बैठे बैठे अपने दोनो पैरों को फैला दिया था जिसके कारण मेरे पैर भी फैल गये थे और मेरी योनि अब शर्मा अंकल की हरकतों के लिए बेपर्दा थी। मैं उनकी हरकतों से गर्म हो गयी थी। अब मेरा अंग अंग छटपटा रहा था इनके लंड के लिए। कुछ देर तक इसी तरह मुझे किस करते रहने के बाद हम तीनो उठे। दोनो ने सबसे पहले मुझे पूरी तरह नग्न किया। मैंने उनका किसी तरह भी विरोध किए बिना उनके काम में मदद की जब मैं पूरी तरह नग्न हो गयी तो मैने पहले शर्मा अंकल के और उसके बाद कंदर अंकल के सारे कपड़े उतार दिए। मैने पहली बार दोनो के लिंग को देखा। दोनो के लिंग इस उम्र में भी किसी 30 साल के नौजवान से बड़े और मोटे ताजे थे। शर्मा अंकल का लिंग तो पूरी तरह ताना हुआ झटके खा रहा था। उनके लिंग से एक एक बूँद लासा निकल रहा था। कंदर अंकल का लिंग अभी तक पूरी तरह खड़ा नही हुआ था। मैने दोनो के लिंग अपने हाथों से थाम लिए और बारी बारी से दोनो के लिंग के टिप को अपने होंठों से चूमा। उनके लिंग को सहलाते हुए मैने नीचे लटकते हुए उनकी गेंदों को भी अपनी मुट्ठी में भर कर सहलाया।
फिर हम तीनो बेड रूम की ओर बढ़े मानो हमारे बीच पहले से ही तय हो की अब क्या होने वाला है। बेडरूम में जाकर मैं पलंग पर लेट गयी। अपने हाथों को उठा कर मैने उन्हे बुलाया। दोनो कूद कर बिस्तर पर चढ़ गये।
" एक एक करके।" मैने दोनो से कहा।
"ठीक है" कहते हुए शर्मा अंकल मेरी टाँगों के बीच आ गये और उन्होंने अपने हाथों से मेरी दोनो टाँगों को फैलाया। फिर आगे बढ़कर झुकते हुए मेरी योनि पर अपने होंठ रख दिए। उनकी जीभ पहले मेरी योनि के ऊपर फिरी फिर उन्होंने अपने हाथों से मेरी योनि की फांकों को अलग किया और मेरी रस टपकाती हुई योनि में अपनी जीभ डाल कर उसे चाटने लगे। मैं उत्तेजना में उनके अधपके बालो को सख्ती से अपनी मुट्ठी में भर कर उनके मुँह को अपनी योनि पर दबा रही थी। साथ साथ अपनी कमर को ऊपर उठाकर उनके जीभ को जितना अंदर तक हो सके उतना अंदर घुसा लेना चाहती थी। इस प्रकार का सेक्स मैने पहले कभी महसूस नही किया था। रोहन के लिए सेक्स भी एक तरह से ऐसा काम था जिसे पूरी गंभीरता से अपनी मर्यादा में रहकर करना चाहिए। जब की सेक्स चीज़ ही ऐसी है की इसमें जितनी सीमाओं का उल्लंघन होता है उतना ही मज़ा आता है।
"आआआआअहह....म्*म्म्ममममममम म.........उंकलीईई.......ऊऊफोफ़ फ्फूफ्फ.........नहियीईईईई.......म्*म्म्मममममाआआ.........
क्य्आअ काआरररर रहीई हूऊऊऊओ.....चछूड्डू.........मुझीईए"इस तरह की आवाज़ें मेरे मुँह से निकल रही थी।
कंदर अंकल कुछ देर तक हम दोनो के खेल देखते रहे। उनका लिंग पूरी तरह तन चुका था। पूरी तरह तना हुआ उनका लिंग काफ़ी मोटा और लंबा था। वो अपने लिंग को हाथों में लेकर सहला रहे थे। मुझे उनपर दया आ गयी और मैने हाथ बढ़ा कर उनके लिंग को अपने हाथों में थाम लिया। अब मैं अपने हाथों से उनके लिंग को सहला रही थी। मेरी आँखें उत्तेजना से बंद हो गयी थी। कंदर अंकल मेरे बूब्स को सहला रहे थे। फिर उन्होंने झुक कर मेरे निपल को अपने मुँह में भर लिया और हाथों से उस बूब को मसलते हुए मेरे निपल को चूसने लगे। मानो मेरे स्तन से दूध पी रहे हों।
अचानक मेरे बदन में ऐसा लगा मानो किसी ने बिजली का तार छुआ दिया हो। मैं ज़ोर से तड़पी और मेरी योनि से रस बह निकला। मैं खल्लास हो कर बिस्तर पर गिर पड़ी। अब कंदर अंकल ने आगे बढ़ कर मेरे सिर को बालो से पकड़ा और मेरे होंठों पर अपने लिंग को रगड़ने लगे।
" ले मुँह खोल। इसे मुँह में लेकर चूस" मैने अपना मुँह खोल दिया और उनका मोटा लिंग मेरे मुँह में घुस गया। मैने उनके लिंग को अपने हाथों से पकड़ रखा था जिससे एक बार में पूरा लिंग मेरे मुँह में ना ठूंस दें। पहले वो धीरे धीरे अपने कमर से धक्के मार रहे थे लेकिन कुछ ही देर में उनके धक्कों की गति बढ़ती गयी। वो अब ज़ोर ज़ोर से मेरे मुँह में धक्के लगाने लगे। मेरे हाथ को अपने लिंग से उन्होंने हटा दिया जिससे उनका लिंग जड़ तक मेरे मुँह में घुस सके। उनका लिंग मेरे मुँह को पार करके मेरे गले के अंदर तक घुस रहा था। लेकिन आगे कहीं फँस जाने के कारण लिंग का कुछ भाग बाहर ही रह रहा था। मैं चाह रही थी की वो मुँह में ही खल्लास हो जाए जिससे मेरी योनि को करने लायक दम नही बचे। लेकिन उनका इरादा तो कुछ और ही था।
" शर्मा तू रुक क्यों गया फाड़ दे साली की चूत।" कंदर अंकल ने कहा। शर्मा अंकल कुछ देर सुस्ता चुके थे सो अब वापस मेरी टाँगों के बीच आकर उन्होंने अपने लिंग को मेरी योनि के छेद पर सटाया और एक धक्के में पूरे लिंग को जड़ तक अंदर डाल दिया। अपने लिंग को पूरा अंदर करके वो मेरे ऊपर लेट गये। उनके बॉल्स मेरी योनि के नीचे गाँड़ के छेद के ऊपर सटे हुए थे। मैने उनके लिंग को अपनी योनि में काफ़ी अंदर तक महसूस किया। कंदर अंकल मेरे मुँह में अपना लिंग ठूंस कर धक्के मारना कुछ समय के लिए भूल कर शर्मा अंकल के लिंग को मेरी योनि के अंदर घुसता हुआ देख रहे थे। फिर दोनो एक साथ धक्के लगाने लगे। दोनो दो तरफ से ज़ोर ज़ोर से धक्के लगा रहे थे। मेरा बदन दोनो के धक्कों से बीच में आगे पीछे हो रहा था। कुछ देर इसी तरह करने के बाद कंदर अंकल का लिंग फूलने लगा। मुझे लगा की अब उनका रस निकलने वाला ही है। मैं उनके लिंग को अपने मुँह से उगल देना चाहती थी लेकिन उन्होंने खुद ही अपना लिंग मेरे मुँह से निकाल लिया। वो मेरे मुँह में नही शायद मेरी चूत में अपना रस डालना चाहते थे। दो मिनिट अपने उत्तेजना को काबू में कर के वो शर्मा अंकल के करीब आए।
" शर्मा ऐसे नही दोनो एक साथ करेंगे।" कंदर अंकल ने कहा।
" दोनो कैसे करेंगे एक साथ।" शर्मा अंकल ने मेरी योनि में ठोकते हुए कहा। " मैं इसकी गाँड़ में डालता हू और तू इसकी चूत फाड़" कह कर कंदर अंकल मेरे बगल में लेट गये। शर्मा अंकल ने अपना लिंग मेरी योनि से निकाल लिया।
मैं बिस्तर से उठी। मैने देखा की कंदर अंकल का मोटा लंड छत की ओर ताने हुए खड़ा है।
" आजा मेरे ऊपर आजा।" कंदर अंकल ने मुझे बाँह से पकड़ कर अपने ऊपर खींचा। मैं उठ कर उनके कमर के दोनो ओर पैर रख कर बैठ गयी। उन्होंने मेरी दोनो नितंबों को अलग कर मेरे आस होल के ऊपर अपना लिंग टिकाया।
" अंकल मैने कभी इसमें नही लिया। बहुत दर्द होगा। " मैने उनसे हल्के से मना किया। मुझे मालूम था की मेरे मना करने पर भी दोनो में से कोई भी पीछे हटने को तैयार नही होगा।
मुझे कमर से पकड़ कर उन्होंने नीचे खींचा। लेकिन उसका लिंग थोड़ा भी अंदर नही घुस पाया।
" शर्मा तेल लेकर आ। साली इस होल में अभी भी कुँवारी है। काफ़ी टाइट छ्ल्ला है।"
शर्मा अंकल बिस्तर से उतर कर किचन में जाकर एक तेल की कटोरी ले आए। कंदर अंकल ने ढेर सारा तेल अपने लिंग पर लगाया और एक उंगली से कुछ तेल मेरे गुदा के अंदर भी लगाया। एक उंगली जाने से ही मुझे दर्द होने लगा था। मैं "आआहह" कर उठी।
वापस उन्होंने मेरे दोनो चूतरों को अलग करके मेरे गुदा द्वार पर अपना लिंग सेट करके मुझे नीचे की ओर खींचा। इसमें शर्मा अंकल भी मदद कर रहे थे। मेरे कंधे पर अपना हाथ रख कर मुझे नीचे की ओर धकेल रहे थे। मुझे लगा मानो मेरी गुदा फट जाएगा। लेकिन इस बार भी उनका लिंग अंदर नही जा पाया। अब उन्होंने मुझे उठा कर चौपाया बनाया और पीछे से मेरे छेद पर अपना लिंग टीका कर एक ज़ोर का धक्का मारा। दर्द से मेरी चीख निकल गयी। लेकिन इस बार उनके लिंग के आगे का सूपाड़ा अंदर घुस गया। मुझे बहुत तेज दर्द हुआ और मेरी चीख निकल गई-"उईईईईईई माआआआआ मररर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर गैईईईईईईईईईईईईईईईईई"
"माआआअ…………ऊऊऊफफफफफफफफ्फ़……माआआअ" मैं कराह उठी।
धीरे धीरे उनके लिंग में हरकत आ गयी और वो मेरी गुदा के अंदर आगे पीछे होने लगी। धीरे धीरे दर्द भी कम हो गया। कुछ देर बाद मैने अपने हाथ से छू कर देखा तो पाया उनका लिंग पूरा मेरे होल में समा चुका था। अब इसी तरह मेरे गुदा में धक्के मारते हुए उन्होंने मेरी कमर को अपनी बाहों में लिया और पीछे की ओर लुढ़क गये। अपनी गुदा में उनका लिंग लिए-लिए ही मैं उनके ऊपर लेट गयी। अब शर्मा अंकल ने मेरी टाँगों को उठा कर मेरे सीने पर मोड़ दिया। इससे मेरी चूत उनके सामने हो गयी। उन्होंने अब मेरी चूत की फांकों को अलग करके मेरे अंदर अपना लिंग प्रवेश कर दिया। अब दोनो आगे और पीछे से मेरे दोनो होल में धक्के मारने लगे। मैं उनके बीच में सॅंडविच बनी हुई थी। दोनो इस तरह ज़्यादा देर नही कर पाए। कुछ ही देर में कंदर अंकल ने अपना रस मेरी गुदा के अंदर डाल दिया और नीचे से निकल कर अलग हो गये। अब शर्मा अंकल ही सिर्फ़ धक्के लगा रहे थे। काफ़ी देर तक धक्के देने के बाद उनके लिंग ने मेरी योनि में पिचकारी की तरह रस छोड़ दिया। हम तीनो अब बिस्तर पर लेटे लेटे हाँफ रहे थे। कंदर अंकल उठ कर फ्रीज से ठंडे पानी की बॉटल निकाल कर ले आए। हम तीनो अपनी अपनी प्यास बुझा कर थोड़े शांत हुए। मगर मैं इतनी जल्दी शांत होने वाली थी नही। मैं दोनो के लिंग सहला कर वापस उन्हे उत्तेजित कर रही थी। दोनो शांत पड़े हुए थे। मुझे गुस्सा तो तब आया जब मैने कंदर अंकल के ख़र्राटों की आवाज़ सुनी।
" क्या अंकल इतनी जल्दी सो गये क्या।" मैने उन्हे हिलाया मगर उनकी आँख नही खुली।
" चल छोड़ इन्हे। मैं हूँ ना। तू तो मेरे लिंग से खेल। " कह कर वो मेरे बूब्स को मसल्ने लगे। मैं करवट बदल कर पूरी तरह उनके बदन के ऊपर लेट गयी। मेरा सिर उनके बालों भरे सीने पर रखा हुआ था चूचिया उनके छाती की ऊपर चपटी हो रही थी। और योनि के ऊपर उनका लिंग था। इसी तरह कुछ देर हम लेटे रहे। फिर मैने अपनी दोनो कोहनी को मोड़ कर उनके सीने पर रखी और उसके सहारे अपने चेहरे को उठाया। कुछ देर तक हमारी नज़रें एक दूसरे में खोई रही फिर मैने पूछा।
"अब तो आपकी मुराद पूरी हो गयी?" मैने पूछा
" हां… जब से तुम इस बिल्डिंग में रहने आई हो मैं तो बस तुम्हे ही देखता रहता था। रात को तुम्हारी याद कर के करवटें बदलता रहता था। लेकिन तुम मेरी बहू के उम्र की थी इसलिए मुझमें साहस नही हो पाता था कि मैं तुम्हे कुछ कहूँ।…… मुझे क्या मालूम था कि गीदड़ की किस्मत में कभी अंगूर का गुच्छा टूट कर भी गिर सकता है।"
"एक बात बताओ? सपना भी तो इतनी खूबसूरत और सेक्सी है। उसे चोदा है कभी?" मैने उन्हे उनकी पुत्रवधू के बारे में पूछा।
"नही, कभी मौका ही नही मिला। एक बार कोशिश की थी। लेकिन उसने इतनी खरी खोटी सुनाई की मेरी पूरी गर्मी शांत हो गयी। उसने दीपू से शिकायत करने की धमकी दी थी। इसलिए मैने चुप रहना ही उचित समझा।"
"बेचारी…उसे क्या मालूम कि वो क्या मिस कर रही है।" मैने उनके हल्के हल्के से उभरे निपल्स पर अपनी जीभ फिराते हुए कहा।
फिर हम दोनो एक दूसरे को चूमने चाटने लगे। कुछ देर बाद उन्होंने मुझे बिस्तर से उठाया और अपने साथ लेकर ड्रेसिंग टेबल के पास गये। मुझे ड्रेसिंग टेबल के सामने खड़ा करके मेरे बदन से पीछे की ओर से लिपट गये। हम दोनो एक दूसरे में हमारे गूँथे हुए अक्स देख रहे थे। मुझे बहुत शर्म आ रही थी। उनके हाथ मेरे बूब्स को मसल रहे थे, मेरे निपल्स को खींच रहे थे, मेरी योनि में उंगलियाँ डाल कर अंदर बाहर कर रहे थे। मैने महसूस किया कि उनका लिंग अब वापस खड़ा होने लगा है। फिर वो मुझे लेकर बिस्तर के किनारे पर आकर मुझे झुका दिया। उनके झुकने से मैं बिस्तर पर सोए हुए कंदर अंकल पर झुक गयी थी। मेरे पैर ज़मीन पर थे। पीछे से शर्मा अंकल ने अपने लिंग को मेरे योनि के द्वार पर सेट किया। एक धक्का देते ही उनका लिंग योनि में घुस गया। अब तो योनि में घुसने में उसे कोई भी तकलीफ़ नही हुई। वो पीछे से धक्के लगाने लगे। साथ साथ वो अपने दोनो हाथों से मेरे बूब्स को भी मसल रहे थे। मेरा सिर कंदर अंकल के लिंग के कुछ ऊपर हिल रहा था। मैने एक हाथ से उनके ढीले पड़े लिंग को खड़ा करने की नाकाम कोशिश की मगर मेरे बहुत चूसने और सहलाने के बाद भी उनके लिंग में कोई जान नही आई। शर्मा अंकल ने उसी तरह से काफ़ी देर तक धक्के मारे। मेरा वापस रस बह निकला। मैं निढाल हो कर बिस्तर पर गिर पड़ी। शर्मा अंकल ने अपने हाथों से पकड़ कर मेरी कमर को अपनी ओर खींचा और वापस धक्के मारने लगे। कुछ ही देर में उनका भी रस निकल गया। हम वापस बिस्तर पर आकर सो गये। सुबह सबसे पहले कंदर अंकल की नींद खुली। मैने अपने शरीर पर उनकी कुछ हरकत महसूस की तो मैने अपनी आँखों को थोड़ा सा खोल कर देखा की वो मेरी टाँगों को अलग कर के मेरी योनि को देख रहे थे। मैं बिना हीले दुले पड़ी रही। कुछ देर बाद वो मेरे निपल्स को चूसने लगे। उनके चूसे जाने पर नरम पड़े निपल्स फिर से खड़े होने लगे। कुछ देर बाद वो उठ कर मेरे सीने के दोनो तरफ अपनी टाँगे रख कर मेरे दोनो बूब्स के बीच अपने लिंग को रखा फिर मेरे दोनो बूब्स को पकड़ कर अपने लिंग को उनके बीच दाब लिया फिर अपने कमर को आगे पीछे करने लगे। मानो वो मेरी दोनो चूचियो के बीच की खाई नही होकर मेरी योनि हो। उनकी हरकतों से मुझे भी मज़ा आने लगा। मैं भी फिर से गर्म होने लगी। लेकिन मैने उसी तरह से पड़े रहना उचित समझा।
कुछ देर बाद वो उठ कर मेरे दोनो टाँगों के बीच आ गये। अब तक उनके उस मोटे लिंग को मैने अपनी योनि में नही लिया था। मैं उनके लिंग का अपनी योनि में इंतजार करने लगी। वो शायद जान गये थे कि मैं जाग चुकी हूँ इसलिए वो मेरी योनि और गुदा के ऊपर अपने लिंग को कुछ देर तक फिराते रहे। मैं हार मान कर अपनी कमर को ऊपर उठाने लगी। लेकिन उन्होंने अपने लिंग को मेरी योनि से हटा लिया। मैने तड़प कर उनके लिंग को अपने हाथों में थाम कर अपनी योनि में डाल लिया। उनके लिंग को लेने एक बार में हल्की सी दर्दीली चुभन महसूस हुई लेकिन उसके बाद उनके धक्कों से तो बस आनंद आ गया। मैं भी उनका पूरी तरह सहयोग देने लगी। वो मेरे ऊपर लेट गये। उनके होंठ मेरे होंठों पर फिरने लगे। उनके मुँह से बासी मुँह की बदबू आ रही थी। लेकिन इस समय उस बदबू की किसे परवाह थी। मुझे तो सिर्फ़ उनके धक्के याद रहे। काफ़ी देर इसी तरह करने के बाद उन्होंने अपना रस छोड़ दिया।
तब तक शर्मा अंकल भी उठ गये थे। वो भी हम दोनो के साथ हो लिए। शाम तक इसी तरह खेल चलते रहे। हम तीनो एक दूसरे को हराने की पूरी कोशिश में लगे हुए थे। उस दिन उन बूढो ने मुझे वो मज़ा दिया जिस की मैने कभी कल्पना भी नही की थी। कंदर अंकल के साथ फिर तो कभी सहवास का दुबारा मौका नही मिला लेकिन जब तक मैं उस अपार्टमें ट में रही तब तक मैं शर्मा अंकल से चुदवाती रही। आखिर दोंनों ही एक नम्बर के हरामी बूढ़े थे।
 
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