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Incest बदलते रिश्ते

Abhay1971

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दोपहर के ढाई बज चुके थे और पैसेंजर ट्रेन सीटी देने के बाद स्टेशन से धीरे धीरे आगे सरकने लगी थी | मैंने फर्स्ट क्लास में रिजर्वेशन ले लिया था | ट्रेन लगभग खाली ही थी सो मै नीचे वाले बर्थ पर ही लेट गया और आँख बंद कर ली | मेरे कूप के सामने वाले बर्थ पर करीब २५ साल की एक शादीशुदा औरत और एक १८-१९ साल का लड़का बैठे थे | वो दोनों धीरे धीरे बातें कर रहे थे | उनकी बात सुन कर समझ आ गया कि वो दोनों भाई बहन हैं और वो औरत अपने भाई के साथ अपने मायके किसी की शादी में जा रही थी |

अब तक ट्रेन स्पीड पकड़ चुकी थी और वो दोनों भी ऊँघने लगे थे | तभी लडका बोला ---------दीदी मै उपर वाले बर्थ पर जा के सो जाता हूँ , तुम भी थोड़ी देर लेट जाओ |

लडकी बोली ------ हाँ भाई मुझे भी नींद आ रही है |

लडका उपर चला गया और लड़की मेरे सामने वाले नीचे के बर्थ पर लेट गई | मैंने कनखियों से उसे देखा उसके साड़ी का पल्लू एक तरफ हो गया था और ब्लाउज में कसे उसके उरोज मेरे अंदर कि वासना को जगाने लगे थे | लड़की गोरी चिट्टी और मांसल बदन कि थी जिसे शायद हर मर्द मौका मिलने पर भोगना चाहेगा | मैंने मन ही मन सोचा की चलो रास्ते भर आँख सेकने का इंतजाम तो हो गया | उधर थोड़ा सा अफ़सोस भी हुआ की इसका भाई इसके साथ है | साला ये कबाब में हड्डी नही होता तो मज़ा आ जाता | लेकिन खैर अब जो था सो था | उसे बदला तो जा नही जा सकता था ? अब तक वो लड़की शायद नींद की आगोश में जा चुकी थी सो मैंने अपनी आँखें खोल ली और बारीकी से उसके बदन का मुआयना करने लगा | लम्बाई कुछ कम थी मेरे हिसाब से | शायद ५ फिट ४ इंच के लगभग होगी मगर माल मस्त मांसल बदन वाली थी, जैसी मुझे पसंद थी | अब तो मेरी हालत धीरे धीरे खराब होने लगी | मुझे लगा कि बाथरूम में जाकर मुठ मारनी ही पड़ेगी | तभी अचानक उसके पर्स में रक्खा मोबाइल बज उठा | चार पांच रिग के बाद वो उठी और अलसाई सी बुदबुदाते हुए फोन पर्स में से निकाल लिया ........पता नही अब कौन है .....थोड़ी देर आराम भी नही करने देते | फोन में नम्बर देखते हुए उसने फोन उठा लिया | अब तक मैंने फिर से अपनी आँख बंद कर ली थी | उसने बात शुरू की .............

हैलो......... हाँ बोलो |

उधर से किसी ने कुछ कहा होगा तो बोली .......... जोर से बोलो तुम्हारी आवाज़ सुनाई नही पड़ रही है |

फिर दूसरी तरफ से किसी ने कुछ कहा तो वो बोली .......... ठीक है रुको मै स्पीकर ऑन करती हूँ .......यह कहते हसे उसने स्पीकर आन कर दिया अब मुझे भी उनकी बातें सुनाई देने लगी | उधर से आवाज़ आई ........रोहित कहाँ है ?

उपर वाले बर्थ पर सो रहा है.........लड़की ने जवाब दिया |

और कौन कौन है बगल में ?

कोई नही ......फिर मेरी तरफ देखते हुए......... एक और आदमी है सामने वाले बर्थ पर वो भी सो रहा है | बाकी लगभग पूरी बोगी खाली है, कोई नही है इसमें |

उधर से आदमी बोला ............हाँ हाँ ये पैसेंजर लगभग खाली ही जाती है | अच्छा ये बताओ की अब मै क्या करूँ ?

मतलब? लड़की बोली |

अरे तुम तो चल दी मायके और मेरे इस पप्पू को तुम्हारी मुनिया के बगैर चैन ही नही मिलता | अकड़ा हुआ है |

ये कौन सी नई बात है ? लेने को तो तुम रोज़ मेरी लेते हो लेकिन तुम्हारे पप्पू की अकड़न बस मेरी मुनिया में घुसने के बाद मुश्किल से पांच मिनट की भी नही रहती | इधर पांच मिनट में पिचकारी छुटी और उधर तुम निढाल हुए | मेरी चिंता किसे है ? हर बार प्यासी तड़पती रह जाती हूँ | आज तक तुमने कभी भी मुझे मर्द वाला भरपूर प्यार नही दिया है | अच्छा है कम से कम जितने दिन मायके रहूंगी उतने दिन तो बचूंगी इस पप्पू मुनिया के खेल से जो मुझे तड़प छोड़ कुछ नही देता | आज तक मै ये नही जान पाई की इस खेल का मजा क्या होता है |

अरे यार हाथ से कर तो देता हूँ तेरा काम ...........दूसरी तरफ से मर्द की आवाज़ आई |

अच्छा कहा | हाथ से ही करना है तो तुम्हारी ज़रूरत क्या है ? हाथ तो मेरे पास भी है |

तो और क्या कहूँ बोल ? करवा ले किसी और से ? मायके में है कोई पुराना यार ?

बहुत अच्छे ? एक यही बाकी था | अगर सच में रश्मी दुसरे से करवाने वाली होती तो तुम ऐसा नही बोलते ?

अरे यार मै मजाक नही कर रहा ? मै खुले विचारों का आदमी हूँ | तू भी अपनी पसंद के यार से करवा और मै भी किसी दूसरी का मज़ा लेता हूँ | दोनों को इसमें मजा मिलेगा | इसमें गलत क्या है ?

अरे छोड़ो एक औरत को संभाल नही पा रहे दूसरी के पास जाओगे तो वो मेरी तरह ये नही कहेगी की हाथ से कर दो | लात मार के बाहर का रास्ता दिखा देगी | रही मेरी बात तो तुम तो मुझे मत ही समझाओ की मुझे क्या करना है |

अच्छा बाबा तेरा मूड अभी उखड़ा हुआ है बाद में बात करता हूँ | रवि की तरफ से बाय | .......... लड़की भी बोलती है बाय और फोन अपने पर्स में रख देती है | थोड़ी देर मेरी तरफ एकटक देखती है और फिर बाथरूम की तरफ बढ़ जाती है |
 

Abhishek Kumar98

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दोपहर के ढाई बज चुके थे और पैसेंजर ट्रेन सीटी देने के बाद स्टेशन से धीरे धीरे आगे सरकने लगी थी | मैंने फर्स्ट क्लास में रिजर्वेशन ले लिया था | ट्रेन लगभग खाली ही थी सो मै नीचे वाले बर्थ पर ही लेट गया और आँख बंद कर ली | मेरे कूप के सामने वाले बर्थ पर करीब २५ साल की एक शादीशुदा औरत और एक १८-१९ साल का लड़का बैठे थे | वो दोनों धीरे धीरे बातें कर रहे थे | उनकी बात सुन कर समझ आ गया कि वो दोनों भाई बहन हैं और वो औरत अपने भाई के साथ अपने मायके किसी की शादी में जा रही थी |

अब तक ट्रेन स्पीड पकड़ चुकी थी और वो दोनों भी ऊँघने लगे थे | तभी लडका बोला ---------दीदी मै उपर वाले बर्थ पर जा के सो जाता हूँ , तुम भी थोड़ी देर लेट जाओ |

लडकी बोली ------ हाँ भाई मुझे भी नींद आ रही है |

लडका उपर चला गया और लड़की मेरे सामने वाले नीचे के बर्थ पर लेट गई | मैंने कनखियों से उसे देखा उसके साड़ी का पल्लू एक तरफ हो गया था और ब्लाउज में कसे उसके उरोज मेरे अंदर कि वासना को जगाने लगे थे | लड़की गोरी चिट्टी और मांसल बदन कि थी जिसे शायद हर मर्द मौका मिलने पर भोगना चाहेगा | मैंने मन ही मन सोचा की चलो रास्ते भर आँख सेकने का इंतजाम तो हो गया | उधर थोड़ा सा अफ़सोस भी हुआ की इसका भाई इसके साथ है | साला ये कबाब में हड्डी नही होता तो मज़ा आ जाता | लेकिन खैर अब जो था सो था | उसे बदला तो जा नही जा सकता था ? अब तक वो लड़की शायद नींद की आगोश में जा चुकी थी सो मैंने अपनी आँखें खोल ली और बारीकी से उसके बदन का मुआयना करने लगा | लम्बाई कुछ कम थी मेरे हिसाब से | शायद ५ फिट ४ इंच के लगभग होगी मगर माल मस्त मांसल बदन वाली थी, जैसी मुझे पसंद थी | अब तो मेरी हालत धीरे धीरे खराब होने लगी | मुझे लगा कि बाथरूम में जाकर मुठ मारनी ही पड़ेगी | तभी अचानक उसके पर्स में रक्खा मोबाइल बज उठा | चार पांच रिग के बाद वो उठी और अलसाई सी बुदबुदाते हुए फोन पर्स में से निकाल लिया ........पता नही अब कौन है .....थोड़ी देर आराम भी नही करने देते | फोन में नम्बर देखते हुए उसने फोन उठा लिया | अब तक मैंने फिर से अपनी आँख बंद कर ली थी | उसने बात शुरू की .............

हैलो......... हाँ बोलो |

उधर से किसी ने कुछ कहा होगा तो बोली .......... जोर से बोलो तुम्हारी आवाज़ सुनाई नही पड़ रही है |

फिर दूसरी तरफ से किसी ने कुछ कहा तो वो बोली .......... ठीक है रुको मै स्पीकर ऑन करती हूँ .......यह कहते हसे उसने स्पीकर आन कर दिया अब मुझे भी उनकी बातें सुनाई देने लगी | उधर से आवाज़ आई ........रोहित कहाँ है ?

उपर वाले बर्थ पर सो रहा है.........लड़की ने जवाब दिया |

और कौन कौन है बगल में ?

कोई नही ......फिर मेरी तरफ देखते हुए......... एक और आदमी है सामने वाले बर्थ पर वो भी सो रहा है | बाकी लगभग पूरी बोगी खाली है, कोई नही है इसमें |

उधर से आदमी बोला ............हाँ हाँ ये पैसेंजर लगभग खाली ही जाती है | अच्छा ये बताओ की अब मै क्या करूँ ?

मतलब? लड़की बोली |

अरे तुम तो चल दी मायके और मेरे इस पप्पू को तुम्हारी मुनिया के बगैर चैन ही नही मिलता | अकड़ा हुआ है |

ये कौन सी नई बात है ? लेने को तो तुम रोज़ मेरी लेते हो लेकिन तुम्हारे पप्पू की अकड़न बस मेरी मुनिया में घुसने के बाद मुश्किल से पांच मिनट की भी नही रहती | इधर पांच मिनट में पिचकारी छुटी और उधर तुम निढाल हुए | मेरी चिंता किसे है ? हर बार प्यासी तड़पती रह जाती हूँ | आज तक तुमने कभी भी मुझे मर्द वाला भरपूर प्यार नही दिया है | अच्छा है कम से कम जितने दिन मायके रहूंगी उतने दिन तो बचूंगी इस पप्पू मुनिया के खेल से जो मुझे तड़प छोड़ कुछ नही देता | आज तक मै ये नही जान पाई की इस खेल का मजा क्या होता है |

अरे यार हाथ से कर तो देता हूँ तेरा काम ...........दूसरी तरफ से मर्द की आवाज़ आई |

अच्छा कहा | हाथ से ही करना है तो तुम्हारी ज़रूरत क्या है ? हाथ तो मेरे पास भी है |

तो और क्या कहूँ बोल ? करवा ले किसी और से ? मायके में है कोई पुराना यार ?

बहुत अच्छे ? एक यही बाकी था | अगर सच में रश्मी दुसरे से करवाने वाली होती तो तुम ऐसा नही बोलते ?

अरे यार मै मजाक नही कर रहा ? मै खुले विचारों का आदमी हूँ | तू भी अपनी पसंद के यार से करवा और मै भी किसी दूसरी का मज़ा लेता हूँ | दोनों को इसमें मजा मिलेगा | इसमें गलत क्या है ?

अरे छोड़ो एक औरत को संभाल नही पा रहे दूसरी के पास जाओगे तो वो मेरी तरह ये नही कहेगी की हाथ से कर दो | लात मार के बाहर का रास्ता दिखा देगी | रही मेरी बात तो तुम तो मुझे मत ही समझाओ की मुझे क्या करना है |

अच्छा बाबा तेरा मूड अभी उखड़ा हुआ है बाद में बात करता हूँ | रवि की तरफ से बाय | .......... लड़की भी बोलती है बाय और फोन अपने पर्स में रख देती है | थोड़ी देर मेरी तरफ एकटक देखती है और फिर बाथरूम की तरफ बढ़ जाती है |
Bahut badiya start hai bhai dheere dheere aur female characters badha dena aur Hero ek hi rakhna please
 
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Abhay1971

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अपडेट - १
मै फटाफट उठ के देखता हूँ कि वो बाथरूम में चली गई इधर उसके भाई पर नजर डाली तो वो खर्राटे मार रहा था | मैंने लड़की के बैग की तरफ नजर डाली तो वो अधखुला पड़ा हुआ था और मोबाईल सामने ही नज़र आ रहा था | मैंने फट से उसका मोबाईल उठा लिया और लास्ट कॉल का नम्बर अपने मोबाईल में फीड कर लिया | अब मैंने उसके मोबाइल से अपना नम्बर डायल किया और और उसके मोबाइल से लास्ट डायल्ड कॉल डिलीट कर दी | झट से मैंने उसका मोबाइल उसी तरह रख दिया जैसे रक्खा था और लेट कर अधखुली आँखों से उसके आने का इंतज़ार करने लगा | जल्द ही वो आ गई और अपनी सीट पर खिड़की के पास बैठ गई |

इधर मेरा दिल धक धक कर रहा था | थोड़ी देर में जब मै सामान्य हुआ तो मुझे लगा की लड़की अकेली बैठी है उसका भाई सो रहा है सो मौक़ा छोड़ना नही चाहिए | इसका फायदा उठाने की कोशिश करनी चाहिए | मरे मन में कई तरह के विचार आने लगे थे किसी की कही ये बात मुझे बार बार याद आ रही थी की वासना में डूबी हुई औरत अपनी वासना मिटाने के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाती है | मैंने ऐसे किस्से कहानियाँ तो बहुत सुने थे की ट्रेन के सफर के दौरान हुई मुलाक़ात में लड़की पट गई और उसने करवा भी लिया | लेकिन मेरा यह पहला मौक़ा था जब मेरे सामने एक शादीशुदा लेकिन प्यासी और वासना में डूबी हुई एक औरत थी लेकिन बात आगे कैसे बढानी है यह मेरे लिए एक बड़ा चैलेंज था | लड़की माल इतनी मस्त थी की मैंने रिस्क लेने कि सोची | लेकिन बात कैसे शुरू करूँ ? कुछ समझ नही आ रहा था | बहुत सोचने के बाद मरे दिमाग में एक आइडिया आया | मैंने अपने मोबाइल की रिंग टोन जान बुझ कर बजा दी और दो तीन रिंग के बाद उठ बैठा | फोन हाथ में लेते हुए लड़की की तरफ नजर डाली ...........एक बार मेरी तरफ देखने के बाद वो फिर खिड़की से बाहर देखने लगी | मै फोन उठा के बात करने का नाटक करते हुए बोला ................हैलो ..........हाँ बोलिए | कुछ देर रुकने के बाद मै बोला (यह दिखाते हुए की इतनी देर मै दूसरी तरफ के आदमी की बात सुन रहा था ) देखो सुनीता हर बार यह ठीक नही है | तुम्हारे और आलोक के कहने पर मैंने तुम्हारे साथ वो सब कुछ किया |

अब मैंने देखा की वो लड़की बहुत ध्यान से मेरी बात सुनने लगी थी जो मै चाहता भी था | थोड़ी देर रुकने के बाद मैने कहा .............

हाँ सुनीता माना की आलोक तुम्हारा पति है और वो इसके लिए राजी है लेकिन हर बार मेरे साथ करवाओगी तो मै और तुम भावनात्मक रूप से जुड़ते चले जाएंगे और आलोक तुमसे दूर होता जाएगा |

फिर थोड़ी देर रुक के मै बोला .........सुनीता मै ट्रेन में हूँ और इस वक्त अपने धक्कों और कितनी देर करता हूँ आदि की खुल कर बात नही कर सकता और इसमें करने वाली बात है भी नही ............ये तुम भी जानती हो और मै भी | अब आलोक का मेरे जितना लम्बा और मोटा तो नही हो सकता पर हाँ तुम सपोर्ट करोगी तो धीरे धीरे वो कुछ देर तक तुम्हारे साथ कर पाएगा |

मै फिर थोड़ी देर रुका और यह समझने कि कोशिश की कि सामने बैठी लड़की के मन में क्या चल रहा है ? फिर मैंने बोलना शुरू किया ............ अच्छा यार मान लिया ...........बस अब खुश ? आज पहुँच रहा हूँ | अब तो ठीक है ? फिर थोड़ी देर रुकने के बाद ...........ओके बाय और मैंने फोन रख दिया |

अब मैंने थोड़ी हिम्मत करके उस लड़की से मुखातिब होते हुए बोला ........... माफ़ कीजिएगा बहनजी मै जानता हूँ मुझे आपके सामने ऐसी बातें नही करनी चाहिए यही लेकिन यही समझ लीजिए की मेरी मजबूरी थी | नही करता यो वो लड़की थोड़ी सेंटिमेंटल है जाने क्या कर बैठती |

हल्की मुस्कराहट के साथ सामने वाली लड़की बोली ........ कोई बात नही मै समझ सकती हूँ | उसके इस ज़वाब के बाद हमारे बीच बातचीत बंद हो गई | मै बेचैन हो गया की बातचीत कैसे आगे बढ़ाऊँ ? मै इसी उधेड़बुन में था कि वो लड़की बोल उठी ........... क्या जिस लड़की से आप बात कर रहे थे वो आपकी पड़ोसन है ?

न नही असल में वो मेरी रिश्तेदार है |

हाय राम .... उस लड़की के मुँह से निकला | तो क्या रिश्तेदारी में भी ये सब होता है ?

बहनजी जब जिंदगी ऐसे मोड़ पर ला के खड़ा करती है तो बाप बेटी का रिश्ता खत्म होते देर नही लगती फिर ये तो मेरी दूर की मौसेरी बहन है |

हे भगवान् भाई बहन के बीच ये सब? उस लड़की कि मानो आँखें आश्चर्य से बड़ी हो गईं |

हाँ बहनजी | मुझे पता है पहली नज़र में ये किसी को भी गलत लगेगा पर मै यही कहूंगा की किसी भी बात का फैसला पूरी बात सुन कर ही करना चाहिए |

ऐसी क्या बात हो सकती है सिवाय इसके की दोनों भाई बहन ऐयाश हैं और अपनी वासना पूरी करने के लिए ऐसा कर रहे हैं |

नही ऐसा नही है |

तो कैसा है आप ही बताइए |

जरुर बताऊंगा पर एक शर्त है |

वो क्या ?

वो ये की आप निष्पक्ष हो के अपने विचार बताएंगी |

मंजूर है .......... लड़की बोली |

मेरी मौसेरी बहन का नाम सुनीता है और इसकी शादी एक साधारण परिवार में हुई | शादी के समय सुनीता वास्तव में कुँवारी थी और उसने अपना कौमार्य अपने पति आलोक को सौंपा | तब तक हम दोनों के मन में एक दुसरे के लिए कोई ऐसी वैसी भावना नही थी |

अच्छा | फिर ?

सुनीता का पति एक प्राइवेट कम्पनी में काम करता है और मेरा बिजनेस भी इसी शहर में है | शादी के कुछ दिनों बाद एक दिन सुनीता अपने पति के साथ मेरे घर आई | यहाँ पर भी मैंने अपना घर बनवा लिया है |

कौन कौन रहता है यहाँ आपके घर में ?.............लड़की पूछ बैठी |

कोई नही बस मै अकेला ही रहता हूँ |

अच्छा फिर सुनीता आपके घर आई तो क्या हुआ आगे ?

कुछ ख़ास नही वो बातो ही बातों में बोली की भैया इस महंगाई के जमाने में इनकी कम तनख्वाह में मुश्किल से गुज़ारा हो पाता है | घर के किराए में ही अच्छा खासा पैसा निकल जाता है |

तब मैंने कहा अरे सुनीता मेरा घर तो खाली ही है तो तुम आ जाओ मेरे घर में | मुझे भी नौकर के हाथ के खाने से मुक्ति मिल जाएगी | अपनी बहन के हाथ का खाना खाने को मिलेगा |

लेकिन भैया इतने बड़े घर का किराया ? सुनीता कुछ सकुचाते हुए बोली |

कोई किराया नही | पागल है क्या ? भाई बोलती है और किराए कि बात करती है?

ओह भैया आप कितने नेकदिल हो कहते हुए सुनीता मेरे गले लग गई |

मैंने उसके बालों में हाथ फिराया और उसे अपने से अलग किया |

तो क्या उस समय आपके मन में अपनी बहन के लिए कोई गलत ख्याल आया था | लड़की ने पूछा |

नही बिलकुल नही |

ओके फिर आगे क्या हुआ ?

फिर एक दो दिन बाद सुनीता मेरे घर में शिफ्ट हो गई |

दिन बीतने लगे |जैसे जैसे दिन बितते गए मुझे सुनीता और आलोक के विषय में कुछ आंतरिक बातें पता चलने लगी |

जैसे कौन सी बात ?

जैसे की आलोक शराब पीता था | वो कोई बड़ा शराबी नही था लेकिन बिना पीए रात को सोता नही था |

अच्छा | लड़की बोली |

और इधर सुनीता शराब से नफरत करती थी | एक बात और ...............

वो क्या ? लड़की ने उत्सुकता से पूछा

वो की सोने से पहले वो सुनीता के साथ करता जरूर था | मेरा मतलब की .............. शायद आप समझ गई होंगी |

लड़की ने नजरें नीची कर ली और कहा जी हाँ मै शादीशुदा हूँ तो ये सब समझती हूँ | आप आगे बताइए |

जी ......... कहते हुए मैने कहना शुरू किया ................

एक तो सुनीता को शराब की दुर्गन्ध पसंद नही थी उपर से आलोक सुनीता के बदन की गर्मी ज्यादा देर नही बर्दाश्त कर पाता था और उसका पानी छूट जाता था | नतीजा ये होता था की सुनीता तड़पती रह जाती और आलोक अपना काम निपटा के सो जाता | ये रोज़ का सिलसिला था और इसके कारण आलोक और सुनीता में झगड़े होने भी शुरू हो गए थे |

मैंने अब अपनी बातों में खुलापन लाना शुरू कर दिया था और रश्मी (सामने वाली लड़की ) मग्न होकर मेरी बात सुन रही थी | अब तक मै सुनीता कि कहानी उस मोड़ पर ला चुका था जहां वो रश्मी की जिंदगी से मिलती जुलती हो गई थी क्योंकि रश्मी का पति भी उसे संतुष्ट नही कर पाता था जैसा की उसकी फोन पर की हुई बातों से समझ आया था | अब मै यह देखना चाहता था की सुनीता की कहानी रश्मी पर क्या असर डालती और वही मेरा आगे का कदम भी तय करने वाली थी |
 

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बहुत ही सुंदर लाजवाब और मनमोहक कहानी है भाई मजा आ गया
अगले धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

Jiashishji

दिल का अच्छा
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Congratulations for new story . And waiting for next apdate bhai .
 

Abhay1971

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अपडेट - २
फिर आगे क्या हुआ ? रश्मी ने उत्सुकता वश पूछा |

चुकी मेरा और सुनीता का कमरा अगल बगल था और केवल एक पांच इंच की दीवार थी बीच में; सो उनके कमरे की हर बात रात के शांत वातावरण में मुझे सुनाई देती थी | लेकिन मै विवश था | बहन के लिए मेरे मन में सहानुभूति थी पर मै कुछ भी कर पाने में असमर्थ था | ये पति पत्नी के बीच का मामला था और इसे वो दोनों ही मिल के सुलझा सकते थे |

हाँ वो तो है | हमारे समाज की लडकियों की यही विवशता है की वे घुटती रहती हैं पर किसी से कुछ कहती नही | रश्मी बोली |

बिलकुल सही कहा आपने पर क्या यह गलत नही है ?

है लेकिन हमारे समाज की यही रीति है |

तो इसे भी तो हम और आप मिल कर ही बदल सकते हैं |

यह इतना आसान नही भाई साहब | खैर अपनी बात आगे बताईए | इस बहस से कुछ नही होने वाला |

खैर बात तो बताता हूँ पर एक एक करके ही १०० होते हैं | हम आप जैसे हिम्मत करेंगे तो समाज को बदलना पड़ेगा बहनजी |

सो तो है भाईसाहब |

अरे ये भाईसाहब और बहनज़ी छोडिए | आपका नाम?

जी रश्मी |

और मै मोहित | आप मुझे मेरे नाम से बुलाइए और आपको बुरा न लगे तो मै भी आपको आपके नाम से बुलाना पसंद करूंगा |

नही नही मुझे भला बुरा क्यों लगेगा |

तो रश्मी जी एक दिन मैंने सुनीता से कहा की सुनीता आज मै रात को नही आउंगा मुझे कहीं जाना है | मै कल सुबह तक आऊंगा |

सुनीता ने हामी भर दी | लेकिन हुआ ये की मेरा प्लान कैंसिल हो गया और मै रात को लगभग १० बजे घर पहुँच गया | मैंने अपनी चाबी से दरवाज़ा खोला और घर के अंदर दाखिल हो गया | सुनीता के कमरे की लाईट जल रही थी और दरवाज़ा भी खुला हुआ था मै बिना आवाज़ किए अपने कमरे में दाखिल हो गया | मै सुनीता को यह नही जताना चाहता था की मै आ गया हूँ वरना उसे शायद मेरे लिए खाना बनाना पड़ता | मैंने अँधेरे में ही कपड़े बदले और बिस्तर पर लेट गया |बरामदे की लाईट भी जल रही थी सो बाहर सब कुछ साफ़ साफ़ दिख रहा था |अभी मै लेटा ही था की आलोक की आवाज़ सुनाई दी............

देख सुनी ( वो सुनीता को सुनी बोलता था ) आज मैंने पी भी नही है | आज तेरे पास कोई बहाना नही है आज तो मै तेरी लूंगा ही |

मैंने कहा रश्मी जी अब भद्दी भद्दी बातें है जिसके बिना मै पूरी बात आपको नही बता सकता | अगर आपको अच्छा नही लग रहा तो कहिए मै चुप हो जाता हूँ |

नही ऐसी कोई बात नही | मैंने कहा न आपसे की मै शादी शुदा हूँ तो कोई बात नही | बस अगर मेरा भाई उठ जाए तो आप चुप हो जाइएगा |

जी बिलकुल और मैंने आगे कहना शुरू किया .................... सुनीता बोली देख आलोक तू डालेगा और तेरा पानी निकल जाएगा | मै तड़पती रह जाउंगी | रोज़ रोज़ ये नही चल सकता |

चुकी दोनों निश्चिन्त थे की घर में उनके सिवा कोई नही है इसलिए दोनों तेज़ आवाज़ में खुल के बातें कर रहे थे |

ओह हाँ | आगे ?

अभी मै आगे क्या करूं सोच था तभी आलोक बोला देख मैंने ये तैयार करके रक्खा है | आज जैसे ही मेरा पानी छूटेगा वैसे ही तेरे अंदर अपना निकाल के ये डाल दूँगा | अब मेरे अंदर उत्सुकता जागी की आलोक किस चीज़ की बात कर रहा है | मैं अपने को रोकने की काफी कोशिश करते रहा पर रोक न सका और मेरे कदम सुनीता के कमरे की खिड़की की तरफ बढ़ चले | अब खिड़की से झांकना रिस्की था सो मैंने अपने मोबाइल को वीडियो रेकार्डिंग मोड पर डाला और उसे खिड़की के कोने से थोड़ा उपर खिसका दिया | मेरी किस्मत अच्छी थी जो बिस्तर का सारा सीन मोबाइल कैमरे की रेंज में आ रहा था | मैंने देखा की आलोक और सुनीता दोनों पूरी तरह नंगे थे और आलोक सुनीता की चुचियों को मसल रहा था और पास ही बिस्तर पर एक बैंगन के उपर कंडोम चढा के रक्खा था | अब मै सारा माजरा समझ चुका था |

मैंने देखा की इतना सुनने के बाद रश्मी का चेहरा लाल हो गया था और उसकी साँसें तेज़ चलने लगी थीं | जब मै थोड़ी देर चुप रहा तो वो सर झुकाए हुए ही बोली फिर आगे ?

अब मै समझ गया की शायद रश्मी को अपने पति के साथ बिताए कुछ अतृप्त क्षण याद आ रहे थे | अब मै बोला ......रश्मी जी अगर आपको बुरा लग रहा हो तो मै ये किस्सा बंद कर देता हूँ क्योंकि इसमें औरत मर्द के अन्तरंग सम्बन्ध के बारे में बताना है तो कुछ शब्द ऐसे आएँगे जो शायद आपको अच्छे न लगें |

नही नही ऐसी कोई बात नही है | मैंने आपसे कहा न की मै एक शादीशुदा हूँ और इसलिए मेरे लिए यह नया नही है |

जी ये तो आप ठीक कह रही हैं लेकिन एक पराए मर्द के साथ ये सब बातें ?

इसका जो जवाब रश्मी ने दिया उससे मेरा दिल बल्लियों उछलने लगा | वो बोली मोहित जी एक बात कहूँ अगर आप बुरा न माने तो ?

अरे कहिए न ? बिलकुल बुरा नही मानूंगा |

आप सुनीता के लिए भी तो गैर मर्द ही थे | फिर उसने अगर आपसे ऐसी बात न की होती तो आप आज उसके साथ ये सब कैसे कर रहे होते ?

जी ये तो बिलकुल सही कहा आपने | अब रश्मी मुझसे आँखों में आँखें मिला के बात कर रही थी |

तो बेझिझक किस्सा पूरा कीजिए | मै हर कुछ सुनने को तैयार हूँ |

ठीक है रश्मी जी तो सुनिए .............. और मैंने कहानी आगे बढ़ाई ...............सुनीता की बात सुन के आलोक बोला ..........देख सुनी तू इतनी गर्म है की मेरा माल छूट जाता है |

जो भी हो मर्द तो वही हुआ जो औरत को संतुष्ट कर सके | इधर तुम्हारी माँ को पोता चाहिए और तुम्हारी मेडिकल रिपोर्ट कहती है की तुम्हारा स्पर्म काउंट निल है | कहाँ से होगा बच्चा ? दूसरी बात की मेरे अंदर डालने के बाद आज तक तुम पांच मिनट से ज़्यादा नही टिके | इतने टाइम में तो मेरी ठीक से गिली भी नही हो पाती |

आलोक बोला ............ देख सुमी अब शादी तो अपनी हो चुकी है | वो तो पलट नही सकती | हाँ मै तेरी तकलीफ समझता हूँ सो तू चाहे तो किसी से करवा ले मुझे कोई आपत्ति नही है | बस बात घर की घर में रहनी चाहिए | यह कहते हुए आलिक ने अपना लंड सुनीता के हाथ में पकड़ा दिया | सुनीता अनमने ढंग से उसे सहलाते हुए बोली ...........

बहुत अच्छे | पहला पति ऐसा देखा जो अपनी पत्नी को दुसरे से करवाने की बात कर रहा है | तुम मर्द नही नामर्द हो | औरत नही सम्भाली जाती तो शादी क्यों की थी |

अच्छा अब फिलासफी मत झाड़ मेरे लंड को झड़वाने का इंतजाम कर ......... आलोक बोला |

वो तो मै जानती ही हूँ | तुम्हे मुझसे क्या मतलब |

मतलब है तभी तो ये तैयार कर रक्खा है? कहते हुए आलोक ने कंडोम चढ़ा बैंगन अपने हाथ में ले कर सुनीता को दिखाया |

अरे जाने दो ५ इंच का डंडा ले कर मर्द बनने चले हो | चूत की गर्मी ५ मिनट से ज्यादा झेल नही पाते तुम क्या लोगे मेरी, हर बार मै ही तुम्हारी ले लेती हूँ |

तो चल अब ले ले मेरी आलोक बोला |

अब शायद सुनीता समझ चुकी थी की बिना चुद्वाए छुटकारा नही है तो उसने आलोक से कहा ............. हाथ से गिरा दूँ तुम्हारा ?

चुप कर चूत में ले आलोक गुर्राया |

अरे राजा मुँह में ले के मजा दे देती हूँ | चूत से ज़्यादा मजा मिलेगा | सुनीता बोली |

चुप चाप लेट जा अब कहते हुए आलोक ने सुनीता को बिस्तर पर चित लिटा दिया | उसने एक तकिया उठाया और सुनीता की कमर के नीचे लगा दिया | फिर आलोक अपनी दोनों टाँगे सुनीता की गर्दन के दोनों तरफ रख कर घुटने के बल खड़ा हो गया नतीजतन उसका लंड सुनीता के मुँह के सामने आ गया | शायद ये उनका रोज़ का तरीका था इसलिए सुनीता ने बिना कुछ बोले अपना मुँह खोल दिया और आलोक का लंड हाथ में पकड़ कर उसके सुपाड़े के उपर से चमड़ी को नीचे खिसका दिया | फिर उसने आलोक का लंड अपने मुँह में ले लिया और उसे चूसने लगी | कमरे में से चपर चपर कि आवाजें आने लगी | २-३ मिनट के बाद ही आलोक बोल उठा छोड़ दे अब | लेकिन सुनीता ने लंड की चुसाई बंद नही की | इस बार आलोक तैश में बोला मादरचोद मुँह में ही माल गिराएगी तो चूत में क्या लेगी |

अब सुनीता ने उसका लंड मुँह में से बाहर निकाल दिया और बोली मेरी माँ की बाद में लेना | बुला लो अपने बाप को और दोनों मिल के पहले मुझे ठंडा कर दो | चले हैं मादरचोद बनने पहले बीवी को तो ठीक से चोद लो ? सुनीता झल्लाते हुए बड़बड़ा रही थी और अब तक आलोक उसकी दोनों टांगों को अपने कंधे पर रख कर अपनी लंड को सुनीता की चूत के उपर टिका चुका था | वास्तव में उसका बहुत छोटा था | यह कह कर मैंने रश्मी की तरफ देखा | उसके उठते गिरते उरोज इस बात की गवाही दे रहे थे की रश्मी गर्म हो चुकी थी | तभी मेरे कानो में रश्मी की आवाज़ पड़ी ........... फिर भी क्या साइज़ रहा होगा आलोक का ?

यही कोई ५ इंच के लगभग ......... मै बोला |

ओह यही कहानी रश्मी के मुँह से निकला |

जी आपने कुछ कहा ? मैंने पूछा |

न.......नही नही कुछ नही आप आगे कहिए |

जी | जैसा आप कहें , कहते हुए मन ही मन खुश होते हुए मैंने कहना शुरू किया .......... आलोक ने अपनी कमर को आगे सरकाया और उसका पूरा लंड सुनीता कि चूत में पैबस्त हो गया |

आआह्ह्ह क्या टाईट चूत है तेरी आलोक के मुँह से निकला और वो अपनी कमर आगे पीछे कर सुनीता को चोदने लगा | इधर सुनीता भी वासना में डूब चुकी थी सो उसने भी आलोक के धक्कों के जवाब में अपनी कमर को दो तीन बार उछाल दिया |

आआह्ह्ह साली तू कमर मत उछल मेरा छुट जाएगा | तू ऐसे ही पड़ी रह | आलोक बोल उठा | लेकिन तब तक शायद देर हो चुकी थी | सुनीता ने दो चार बार और कमर उछली और आलोक अपने लंड को पूरी तरह सुनीता की चूत में दबा के झड़ने लगा | सुनीता मानो पागल हो गई थी अरे साले चोद ढीला क्यों पड़ गया | अरे कसी मर्द को लाओ ये हिजड़ा मुझे क्या सम्भालेगा .........कहते हुए सुनीता ने आलोक को अपने उपर से धक्का मार कर हटाया | आलोक घम्म से बिस्तर पर एक तरफ लुढक कर हांफने लगा | उसका सिकुड़ा हुआ लंड पुच की आवाज़ के साथ सुनीता की चूत से बाहर आ गया |सुनीता ने झट से कंडोम चढ़ा बैंगन उठा लिया और उसे अपनी चूत में अंदर बाहर करने लगी और अनाब शनाब बडबडाने लगी | लगभग २० मिनट तक सुनीता ऐसा ही करती रही फिर एक चीख के साथ निढाल पड़ गई | बैंगन उसकी चूत में ज्यों का त्यों पड़ा हुआ था | अब मै अपने कमरे में आ गया | ये सब देखने के बाद मेरी हालत भी खराब हो गई थी सो मैंने भी मुठ मारी और खुद को शांत किया | तभी आलोक और सुनीता दोनों बाथरूम में आए और एक दुसरे को साफ़ किया फिर दोनों बेडरूम में चले गए| मै फिर एक बार उनके बेडरूम की खिड़की के पास पहुँच गया अभी भी दोनों नंगे थे और आलोक सुनीता की चुचियों पर अपने हाथ फेर रहा था | सुनीता बोली देखो आलोक मैंने तो अपनी जिंदगी से समझौता कर लिया है पर बच्चा न होने का दोष मेरे उपर आ रहा है और मै ये बर्दाश्त नही करुँगी |

आलोक सुनीता के कदमो पर गिर पड़ा और बोला मेरी इच्ज़त अब तुम्हारे हाथ में है |तुम किसी से करवा कर बच्चा पैदा कर लो | उसको नाम मै दूँगा |

तुम बोल तो ऐसे रहे हो जैसे मर्द लाइन में खड़े हैं की आओ मै तुम्हे अपना बच्चा दे दूँ और मै किसी भी ऐरे गैरे का बच्चा ले लूँ | है न ?

नही मै ऐसा नही बोल रहा |

फिर क्या बोल रहे हो तुम ?

अगर तुम मेरी बात मानो तो तुम्हारी और मेरी दोनों कि परेशानी दूर हो सकती है |

वो कैसे ?

पहले बोलो की ठंडे दिमाग से मेरी बात पर गौर करोगी और नाराज़ नही होगी |

अच्छा बोलो |
 
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