संध्या का समय था मौसम भी बड़ा सुहाना था,,,, हरे भरे बगीचे में लोग टहल रहे थे कुछ लोग कसरत कर रहे थे कुछ परिवार के साथ आए थे जो बैठकर गप्पे लड़ा रहे थे और जाने की तैयारी में भी थे,,, ऐसे में शेठ मनोहर लाल से रूपलाल की मुलाकात हो गई सेठ मनोहर लाल एक बड़े से पेड़ के नीचे रखे हुए सरकारी कुर्सी पर बैठकर आराम कर रहे थे,,,, रूपलाल की नजर जैसे ही मनोहर लाल पर पड़ी रूपलाल के चेहरे की रंगत एकदम से बदलने लगी रूपलाल एकदम से प्रसन्न हो गए क्योंकि बहुत दिनों बाद दोनों की मुलाकात हो रही थी आज रूपलाल के पास बहुत अच्छा मौका था अपनी बेटी के लिए बात करने की और इस मौके को रूप लाल अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहता था,,,,।
अरे मनोहर तु यहां संध्या के समय,,,,।
(रूपलाल को देखकर एकदम से प्रसन्न होते हुए मनोहर लाल भी बोले,,,)
अरे रूपलाल तु भी तो यही है,,, यह सवाल मैं भी तुझसे पूछ सकता हूं,,,,।
अरे क्यों नहीं क्यों नहीं जरुर पूछ सकता है आखिरकार हम दोनों का याराना बहुत पुराना है हम दोनों का एक दूसरे पर इतना तो हक होना ही चाहिए,,,,(सेठ मनोहर लाल की बगल में बैठते हुए रूप लाल बोला,,,)
क्यों नहीं दोस्त आखिरकार दोस्ती होती किस लिए है एक दूसरे पर हक जताने के लिए होती है,,, वैसे पार्टी के बाद से तू आज मिल रहा है बगीचे में भी नहीं मिलता आना-जाना बंद कर दिया है क्या,,,?
हां कुछ दिनों से काम बहुत था इसलिए मैं आ नहीं सकता था,,, आज मौका मिला तो सोचा चलो बगीचे में कुछ देर तक टहल लिया जाए तो आज इतना अच्छा मौका था कि तू मुझे यहीं मिल गया,,,। अब तुझसे थोड़ी बहुत बात भी हो जाएगी,,,,।
चल अच्छा हुआ,,,, तुझसे बात करके मुझे भी अच्छा लगता है वैसे भी हम दोनों का याराना बहुत पुराना है,,,,,, एक तू ही तो है जिससे मैं अपने दिल की बात बताता हूं,,,,,।
(सेठ मनोहर लाल की बात सुनते ही रूपलाल एकदम से हंसने लगा,,,, और वह भी जोर जोर से,,, यह देखकर मनोहर लाल को थोड़ा अजीब लगा तो वह हैरान होते हुए बोला,,,, क्योंकि बगीचे में जो इधर-उधर टहल रहे थे वह लोग उन दोनों की तरफ ही देखने लगे थे,,,, जिससे मनोहर लाल को अच्छा नहीं लग रहा था इसलिए वह बोले,,,,)
क्या हुआ तुझे और ये जोर-जोर से क्यों हंस रहा है,,,,?
क्या बताऊं यार मनोहर मुझे कुछ याद आ गया तो सुनेगा तो तुझे भी हंसी आ जाएगी,,,,।
अरे बताएगा भी,,,,
अरे हां बताता हूं सांस तो लेने दे,,,अब तो बहुत कम मौका होता है जब इस तरह से हंसी आती है,,,,,,,,(अपनी हंसी को रोकने की कोशिश करते हुए रूप लाल अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,)
तुझे याद है जब हम दोनों कॉलेज में नया नया एडमिशन लिए थे,,,।
हां,,,,,तो,,,,(मनोहर लाल कुछ याद करने की कोशिश करते हुए बोले लेकिन उन्हें समझ में नहीं आ रहा था कि रूपलाल किस बारे में बात करने वाला है उसे क्या याद आ गया है जो इस तरह से हंस रहा है,,,,,)
अरे यार तुझे कुछ भी याद नहीं,,,,!(रूपलाल आश्चर्य जताते हुए बोला )
नहीं मुझे तो कुछ भी याद नहीं है,,,।
चिंता मत कर यार अभी सब कुछ याद आ जाएगा थोड़ा आगे तो बढ़ने दे,,,,,।
हां तो जल्दी बताना पहेलियां क्यों बुझा रहा है,,,, देख नहीं रहा है अंधेरा हो रहा है,,,,।
अरे यार तू तो ऐसा कह रहा है कि घर जाकर हमें ही खाना बनाना है,,,,।
अरे रूपलाल ऐसा नहीं है लेकिन फिर भी घर पर तो जाना ही है ना,,,,।
हां वह तो जाना ही है,,,, अच्छा सुन,,,, हम लोग पिकनिक मनाने के लिए पहाड़ियों पर गए थे जिसमें क्लास की कुछ लड़कियां भी थी,,,,।
हां,,,,(कुछ याद करने की कोशिश करते हुए धीरे से मनोहर लाल बोले,,,)
उन लड़कियों में एक लड़की का नाम सुनीता था,,,,(मनोहर लाल के चेहरे को एकदम से गौर से देखते हुए,,, और मनोहर लाल ने एकदम साफ तौर पर देखा कि सुनीता का नाम सुनते ही मनोहर लाल के चेहरे की रंगत बदलने लगी थी वह एकदम से जैसे कुछ याद आ गया हो वह बोले ,)
बस बस बस बस कर,,,, रूपलाल बस कर मुझे सब याद आ गया,,,(इतना कहते हुए मनोहर लाल के चेहरे पर भी मुस्कान तैरने लगी,,,,,)
अरे क्या बस कर जब बात निकली है तो हो जाने दे,,,,
अरे यार वह सब पुरानी बातें हैं अब वह उम्र नहीं रही,,,।
पता है मनोहर उमर नहीं रही लेकिन यादें तो अभी भी जवान है,,,,, तुझे बताने में शर्म आ रही है लेकिन मैं सब जानता था सबको अपना अलग-अलग तंबू मिला था,,,, मैं अपने तंबू में था,,,, पहाड़ियों पर हम लोग रुके थे सब लोग अपने-अपने तंबू में आराम कर रहे थे लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी इसलिए मोमबत्ती जलाकर उसके उजाले में नोबेल पड़ रहा था और तभी मुझे कुछ हल्के सी आवाज आई और में धीरे से तंबू में से बाहर झांकने की कोशिश किया तो सुनीता को देखा उसे देख कर सच में मैं एक पल के लिए घबरा गया था क्योंकि मैं शुरू में उसे पहचान नहीं पाया और मुझे लगा कि पहाड़ी कोई चुड़ैल होगी क्योंकि तू तो जानता ही,,,, है,,, मुझे इन सब से बहुत डर लगता है और पहाड़ी इलाका होने की वजह से मुझे तो एकदम पक्का यकीन हो गया कि वह चुड़ैल ही है,,,,
Rakesh or aarti ki ma
(रूपलाल की बातों को सुनकर मनोहर लाल मंद मंद मुस्कुरा रहे थे,,,,, और मनोहर को मुस्कुराता हुआ देखकर रूप लाल अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)
मैं तंबू में था मैं अपने आप को एकदम से सिमटा लिया,,, मैं देखना चाहता था कि वह कहां जाती है और जब मैंने देखा कि वह तेरे तंबू में घुस रही है तब तुम एकदम से परेशान हो गया,,,, मेरे तो होश उड़ गए मैं जोर से चिल्लाना चाहता था लेकिन डर के बारे में मेरी आवाज नहीं निकल रही थी पर सबको जगा देना चाहता था लेकिन मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी कि तंबू से बाहर जाकर किसी को जगाऊं मुझे तो पूरा यकीन हो चला था कि पहाड़ों पर रहने वाली कोई चुड़ैल तेरे तंबू के अंदर जा रही थी अब तो मैं भगवान से प्रार्थना करने लगा कि तुझे बचा ले,,,,,, सच में यार मैं बहुत डर गया था और मुझे बहुत शर्मिंदगी भी हो रही थी कि मैं तुझे बचा नहीं पा रहा था,,,,। लेकिन थोड़ी देर बाद हुआ तेरे तंबू में से बाहर निकल गई और जब वह बाहर निकाल कर मेरे सामने से गुजरी तब मुझे उसका चेहरा दिखाई दिया और जो मुझे एहसास हुआ कोई चुड़ैल नहीं बाकी सुनीता है तो मेरी जान में जान आई लेकिन अगले ही पल फिर मेरे होश एकदम से उड़ गए,,,,,।
क्यों,,,,?(सेठ मनोहर लाल मुस्कुराते हुए पुछे,,,)
अरे यार तब मुझे होश आया कि कॉलेज की सबसे सेक्सी लड़की तेरे तंबू में आधी रात को गई थी,,,, जिस लड़की को पूरा कॉलेज भाव देता था और वह किसी को भाव नहीं देती थी लेकिन वह लड़की तेरे पीछे पागल थी जो आधी रात को तेरे तंबू में गई थी बताना उसे दिन क्या हुआ था,,, सुनीता और तेरे बीच क्या हुआ था रात को,,,,।
अरे कुछ भी तो नहीं हुआ था,,,,,,,।
नहीं नहीं ऐसा हो ही नहीं सकता एक जवान खूबसूरत लड़की आधी रात को किसी के पास जाए तो जरूर कुछ करने के लिए ही जाती है बताना उसने तेरे साथ क्या की थी,,,,।
कुछ भी तो नहीं की थी,,,,।(सेठ मनोहर लाल एकदम सहज होते हुए बोले,,,)
Arti ki ma or Rakesh
नहीं मैं मान ही नहीं सकता,,, अब मुझसे क्यों छुपा रहा है तूने आज तक को नहीं बताया कि उसे दिन क्या हुआ था चल आज बता दे,,,,,,, मैं इतना तो जानता ही हूं कि कॉलेज में बहुत सी लड़कियां तेरी दीवानी थी उनमें से सुनीता भी थी,,,, अब बता दे सुनीता ने रात को तेरे साथ क्या की थी,,,, ?
(रूपलाल बार-बार मनोहर लाल से उसे रात को क्या हुआ था यह बताने के लिए बोल रहा था इंकार कर दे रहा था,,,, लेकिन लाख समझाने के बाद कसम देने के बाद मनोहर लाल बस इतना ही बोले,,,)
जैसा तू समझ रहा है रूपलाल सुनीता वैसा ही करने आई थी,,,, मेरे भी तंबू में मोमबत्ती चल रही थी क्योंकि मैं भी उपन्यास पढ़ रहा था और पढ़ते-पढ़ते मेरी आंख लगी हुई थी कि मैंने देखा कि तंबू में एक खूबसूरत लड़की घुस आई है और वह आते ही एकदम से मेरे पास बैठ गई और मैं कुछ समझ पाता,,,, इससे पहले ही बाहर मुझे चुप रहने का इशारा किया धीरे-धीरे बोली,,,,।
Rakesh or arti kk ma
क्या बोली धीरे-धीरे,,,,?
अब जाने दे समझ गया ना कि वह मेरे साथ गलत काम करवाने के लिए आई थी बस वही बोली,,,,,।
लेकिन बता तो सही क्या बोली थी,,,।
वह मुझसे गंदा काम करवाना चाहती थी,,,।
मतलब वह तुझसे चुदवाना चाहती थी,,,(एकदम प्रसन्न होता हुआ रूपलाल बोला उसकी इस भाषा को सुनकर मनोहर लाल बोले,,,)
हां यार लेकिन इतना खुलकर बोलने की क्या जरूरत है,,,,,।
यार हम दोनों में कैसी शर्म यादें हम दोनों इसी तरह की बातें किया करते थे,,,,।
Rakesh or arti ki ma
मुझे सब कुछ याद है लेकिन मैं नहीं सिर्फ तु इस तरह की बातें किया करता था,,।
हां यार वही,,,, क्या मस्त दीन थे यार,,,, काश कोई वह दिन लौटा देता तो कितना मजा आ जाता,,,।
ऐसा कभी नहीं हो सकता रुपलाल,,,,, समय मुट्ठी मिली है रेत की तरह होता है कब हथेली से फिसल जाता है पता ही नहीं चलता ,,,।
(मनोहर लाल को भी रूप लाल से बात करके बहुत अच्छा लग रहा था लेकिन पिकनिक वाली बात को वह पूरा सच रूप लाल से कभी नहीं बताया था उस दिन जो कुछ भी हुआ था उसे बहुत अच्छे से याद था,,,,,, रूपलाल कुछ देर के लिए उस दृश्य को याद करने लगा,,, जब वह रूप लाल के साथ कॉलेज के दोस्तों के साथ पिकनिक मनाने गया था पहाड़ियों पर सब अपना अपना तंबू बनाए हुए थे सब दिन भर की थकान से चुर होकर अपने तंबू में जाते ही सो गए थे,,, लेकिन मनोहर लाल को उपन्यास पढ़ने की आदत थी इसलिए वह मोमबत्ती जलाकर उपन्यास पढ़ रहा था उसे नींद बिल्कुल भी नहीं आ रही थी कि तभी उसे अपने तंबू के बाहर परछाई नजर आई और वह उसे देखने के लिए बाहर आता है इससे पहले ही वह परछाई उसके तंबू में आ गई थी और अपनी आंखों के सामने मोमबत्ती के उजाले में अपनी ही कॉलेज की सबसे सेक्सी और खूबसूरत लड़की को देखकर उसके होश उड़ गए थे,,,,,।
तुम यहां क्या करने आई हो और वह भी आधीरात को,,,।
Rakesh or arti ki ma
मैं तुमसे मिलने आई हूं मनोहर,,,
मुझसे मिलने अरे मिलना होता तो कल मिली होती इतनी रात को कोई देख लेगा तो गजब हो जाएगा,,,,।
में ईसकी परवाह नहीं करती,,,,(इतना कहते हुए वह मुस्कुराने लगी उसे मुस्कुराता हुआ देखकर मनोहर लाल की हालत खराब हो रही थी,,,,,, उसकी बात सुनकर मनोहर लाल उपन्यास को बंद करके बगल में रख दिया और घुटनों के बाल टीका लेकर अपने चेहरे को उठाते हुए सुनीता से बोले,,,)
देखो इस वक्त तुम्हारा यहां रुकना ठीक नहीं है तुम अपने तंबू में चले जाओ सुबह मिलना मैं तुमसे बात कर लूंगा,,,,।
अरे बेवकूफ मैं यहां पर बात करके समय बर्बाद करने नहीं आई हूं,,,,।
तो यहां क्या करने आई हो,,,,,।
Rakesh or rooplaal ki bibi
मैं इस समय का,,,,(सुनीता लंबा फ्रॉक पहनी हुई थी और फ्रॉक को दोनों हाथों से पकड़ कर धीरे-धीरे ऊपर की तरफ उठा रही थी यह देखकर मनोहर की सांस अटक रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि यह सब क्या हो रहा है वह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,) सदुपयोग करने आई है जिसमें मुझे तुम्हारी बहुत जरूरत है मैं तुम्हारे लिए तोहफा लाई हूं,,,(और इतना कहने के साथ ही सुनीता अपने फ्रॉक को एकदम से कमर तक उठा दे और अपनी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार को मनोहर के सामने उजागर कर दी वह मनोहर को अपनी बुर दिखा रही थी अपनी बर दिखा कर उसे उकसा रही थी उसके साथ संबंध बनाने के लिए,,,।
मनोहर जिस दिन से कॉलेज में एडमिशन लिया था उसे दिन से ही सुनीता उससे आकर्षित हो गई थी,,, और इस समय तंबू में इस आकर्षण के चलते हुए मनोहर के साथ संबंध बनाकर अपनी प्यास में जाना चाहती थी मनोहर तो उसकी दोनों टांगों के बीच देखता ही रह गया,,,, क्योंकि मनोहर जिंदगी में पहली बार किसी खूबसूरत लड़की की बुर को अपनी आंखों से देख रहे थे इससे पहले मनोहर लाल ने कभी कल्पना भी नहीं किया था,,,, मोमबत्ती के उजाले में इतना साफ तो नहीं लेकिन फिर भी मनोहर लाल को सुनीता की दोनों टांगों के बीच की पतली दरार हल्की-हल्की नजर आ रही थी और इस बात से मनोहर लाल इनकार भी नहीं करते थे कि सुनीता की बुर को देखकर खुद मनोहर लाल का लंड खड़ा हो गया था,,,, मनोहर की तो सिट्टी पीट्टी गुम हो गई थी,,,, मनोहर की नजर सुनीता की दोनों टांगों के बीच से हट ही नहीं रही थी,,, यह देखकर सुनीता मन ही मन बहुत खुश हो रही थी और मुस्कुराते हुए बोली,,,,।)
Rakesh or rooplaal ki bibi
देख क्या रहे हो मनोहर बिल्कुल भी मत सोचो मेरी बर तुम्हारे लिए है इसमें अपना लंड डालकर चोदो,,,।
(मनोहर लाल को सुनीता इसी शब्दों में एकदम गंदे और खुले शब्दों में ही आमंत्रण दे रही थी खुले शब्दों में मनोहर को चोदने के लिए बोल रही थी,,, मनोहर लाल जिंदगी में पहली बार किसी लड़की की बुर को देख रहा था और उसके मुंह से इतनी अश्लील भाषा को सुन रहा था जो उसे चोदने के लिए बोल रही थी लेकिन मनोहर लाल,,, पतलून का बिल्कुल भी ढीला नहीं था हां इतना जरूर था कि कुछ पल के लिए मनोहर लाल के होश एकदम से खो गए थे उसकी जगह कोई और होता तो शायद पूरी तरह से फेक जाता क्योंकि जिंदगी में पहली बार मनोहर लाल ने किसी औरत की बुर के दर्शन किए थे जिसके लिए दुनिया का हर मर्द उसे पाना चाहता है,,,, लेकिन बहुत ही जल्द मनोहर लाल होश में आ गया और तुरंत सुनीता के गाल पर थप्पड़ रसीद कर दिया,,, इसके बाद मनोहर लाल को कुछ बोलने की जरूरत नहीं पड़ी और सुनीता गुस्से में उसके तंबू से बाहर निकल कर अपने तंबू में चली गई,,,,।
Rooplaal ki bibi or Rakesh
अभी मनोहर लाल इस तरह के ख्यालों में डूबा ही था कि रूपलाल एकदम से बोला,,,,।
अरे हां मनोहर,,,, कहीं बहू देखा कि नहीं,,,,,।
यार रूपलाल तुझे क्या बताऊं फोटो तो बहुत मैंने देखे और अपने बेटे को दिखाएं लेकिन वह देखने को तैयारी नहीं है,,,।
क्यों ऐसा क्या हो गया,,,,?(रूपलाल आश्चर्य जताते हुए बोला,,,)
अब क्या बताऊं रूपलाल,,,,(फिर मनोहर लाल ने सब कुछ रूपलाल से बता दिया रूप लाल जी इसी बात सुनकर अंदर ही अंदर घबरा गया था क्योंकि मनोहर लाल का बेटा इस लड़की से शादी करने की जिद पर एड गया था जिसे वहां रेस्टोरेंट में मिला था और मनोहर लाल भी अपने बेटे का ही साथ दे रहे थे इसलिए रूपलाल मन ही मन उदास हो गया उसे लगने लगा कि उसकी दाल गलने वाली नहीं है,,,,. फिर भी वह औपचारिकता निभाते हुए बोला,,,।)
Rakesh or rooplaal ki bibi
यार मैं तो भगवान से दुआ करूंगा कि तुम दोनों की मनोकामना जल्दी पूरी हो जाए,,,,।
देखो कब भगवान पूरी करते हैं,,,,,(इतना कहते हुए अचानक मनोहर लाल को कुछ याद आया और वह तुरंत रूपलाल से बोले)
अरे हां रूपलाल अपनी बिटिया के लिए कोई मिला कि नहीं,,,,।
कहां यार ढूंढ ढूंढ के परेशान हो गया लेकिन कहीं सही रिश्ता ही नहीं मिल रहा है,,,,,(इतना कहने के साथ ही रूपलाल अपना पैसा फेंकते हुए तुरंत अपने जेब में हाथ डाले और अपनी बेटी आरती का फोटो बाहर निकाल दिए और मनोहर लाल की आंखों के सामने उसे अपने हाथ में लेकर देखते हुए बोले,,,) मैं तो अपनी बेटी आरती का फोटो अपने हाथ में लेकर चलता हूं कि कहीं कोई अच्छा रिश्ता मिल जाए तो लगे हाथों से फोटो भी दिखा दुं,,,,।
(रूपलाल के हाथों में फोटो को देखकर मनोहर लाल उसे बड़ी गौर से देखने लगे और उसे फोटो को अपने हाथ में ले लिए और देखते हुए बोले,,,)
रूपलाल बिटिया तो बहुत सुंदर है मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि इतनी अच्छी लड़की के लिए अभी तक रिश्ता क्यों नहीं मिल रहा है,,,,।
रिश्ता तो बहुत मिल रहा है मनोहर लाल लेकिन अच्छा नहीं मिल रहा है,,,,।
तो यह बात है,,,,, अच्छा तो चिंता मत कर कुछ दिनों के लिए फोटो मेरे पास रहने दे मैं भी कोशिश करके देख लेता हूं अगर अच्छा मिल रिश्ता मिल गया तो अपनी बिटिया राज करेगी,,,,।
यह तो बहुत अच्छा है मनोहर लाल तुम अगर ढूंढोगे तो मिल ही जाएगी,,,,।
अब बिल्कुल भी चिंता मत कर,,,,(अपनी घड़ी की तरफ देखते हुए) लेकिन समय बहुत हो गया है अब हमें चलना चाहिए,,,,.
हां चलना तो चाहिए बगीचे में लोग भी बहुत कम हो गए हैं,,,,।
(इतना कहने के साथ ही दोनों उठकर खड़े हो गए और बगीचे से बाहर जाने लगे रूप लाल मन ही मन बहुत खुश हो रहा था उसे न जाने क्यों अंदर से विश्वास हो रहा था कि मनोहर लाल को लड़की पसंद आ गई है लेकिन इस बात की चिंता भी थी कि उनका बेटा तो रेस्टोरेंट में जिस लड़की से मिला था उसी से शादी करने की जीद ठान कर बैठा है,,,, कुछ भी हो भगवान अच्छा ही करेंगे,,,, और ऐसा मन में सोच कर दोनों अपने-अपने घर की तरफ चले गए,,,,।)
Rooplaal ki bibi or Rakesh