◆ 【2】
जंग होती है,सत्ता के लिए,अहंकार के लिए या फिर होती है अपनी ही जान के लिए।
जंग जीतनी ही पड़ती है, इसके अलावा कोई विकल्प भी तो नही, हारने वालो को मिलती है, सज़ा, सज़ा-ए-मौत की।
सल्तनत की गद्दी कभी स्थायी नही रहती, उसके सुल्तान नियमित रूप से बदलते रहते है। पर ये बदलाव ऐसे ही इतनी आसानी से थोड़ी हो जाती है। उसके लिए जाबाज़ी, षडयंत्र, कूटनीति,क्रुरता,धूर्तता, और झुंढ़ या परिवार की एकता मायने रखती है।
फिर होती है घोषणा, घोषणा प्रभुत्ता की, नए सुल्तान की, मुहर हुकूमत की, सबको अपने सामने झुकाने की, अनंत भोग-विलास की।
आखिर यही तो होते है, सबके स्वप्न, असल सत्य। बाकी सभी मिथ्या।।