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#update1
रश्मि अपने ऑफीस की बिल्डिंग के बाहर कदम रखते ही गहरी साँस लेते हुए खुद को कोस्ती है. आसमान में काली घटा छाई हुई थी. काले बादलों के कारण सितंबर के महीने की दोपहर भी रात जैसे लग रही थी. आसमान से गिर रही हल्की बूँदों के कारण बिल्डिंग के द्वार पर लगी चम चमाति वाइट टाइल्स दागदार सी हो गयी थी. यह उन पलों में से एक पल था जब रश्मि कामना करती कि वो टेबल के पीछे कुर्सी पर बैठने वाली कोई जॉब करती ना कि दौड़ धूप करते हुए क्लाइंट्स को मिलने वाली यह जॉब जो वो कर रही थी.
एक ठंडी साँस छोड़ते हुए वो फिर से खुद को कोस्ती है कि उसने कुछ रुपये बचाने के लिए अपनी कार को बिल्डिंग से थोड़ी दूर बनी ओपन एर कार पार्किंग में खड़ा किया था जो कि फ्री थी ना कि बेसमेंट में बनी पैड कार पार्किंग में. वो खुद को कोस रही थी मगर उसके कानो में उसके पिता के लफ़्ज गूँज रहे थे जो वो अक्सर दोहराया करते थे “एक रुपया बचाना एक रुपया कमाने के बरोबर होता है” और इसी बात को अपनी धारणा बनाते हुए और उस पर चलते हुए उसने जिंदगी में बहुत कुछ बना लिया था. अपनी उँची पढ़ाई से लेकर अपने बच्चों की बढ़िया परवरिश करने और उन्हे दूसरे सहर में बढ़िया कॉलेजस में पढ़ा रही थी जो कि उसके पति की दो साल पहले हुए अकस्मात इंतकाल के बाद लगभग नामुमकिन ही था.
अपने पति का ध्यान आते ही रश्मि ने अपनी आखों में उमड़ आए आँसुओं को बड़ी मुश्किल से बाहर निकलने से रोका. एक नशे में धुत ड्राइवर ने उसके पति को उससे हमेशा हमेशा के लिए छीन लिया था. उसके पहले और एकलौते प्यार को उससे छीन लिया था, एक तरह से उससे उसकी जिंदगी ही छीन ली थी. मगर फिर भी उसने धैर्य और हिम्मत से काम लेते हुए अपने बच्चों के सहारे अपनी जिंदगी की एक नयी शुरुआत की थी. उसने लाइफ इन्स्योरेन्स और म्यूचुयल फंड्स का काम करना सुरू कर दिया था और इससे उसे आमदनी भी अच्छी हो रही थी हालाँकि काम काफ़ी कठिन था. मगर इससे एक अच्छी बात यह थी कि वो अब काफ़ी वयस्त रहती थी और उसका ध्यान अपनी सूनी जिंदगी के एकाकीपन से हट जाता था और इस नौकरी से घर भी अच्छे तरीके से चल रहा था.
बादलों की जोरदार गड़गड़ाहट के कारण रश्मि अतीत से निकलकर फिर से वर्तमान में आती है. वो अपना ब्रीफकेस अपने सिर के उपर रखकर वो आगे कदम बढ़ाती है. तेज़ तेज़ चलने के कारण उसकी हाइ हील के सॅंडल उँची तीखी आवाज़ पैदा करते हैं. हवा बहुत तेज़ चल रही थी जिस कारण उसे अपने एक हाथ से अपनी ड्रेस को दबाकर रखना पड़ रहा था उसे उपर की ओर से उड़ने से बचाने के लिए. उसकी चलने की रफ़्तार तेज़ हो गयी थी क्योंकि बारिश की बूंदे भारी हो गयी थी.
“उफ़फ्फ़! इसको भी अभी आना था” भूनभुनाते हुए वो अपना ब्रीफकेस अपने सिर से हटाकर उसे अपनी छाती से लगा लेती है. बारिश अब काफ़ी तेज़ हो गयी थी और रश्मि फिर से खुद को कोस्ती है जब उसे महसूस होता है कि उसके बाल गीले होकर उसके गर्दन से चिपक रहे थे. वो मुश्किल से अपनी कार से पचास मीटर की दूरी पर थी जब बादल एक दम ज़ोर से गरजे और फिर अगले ही पल एक प्रचंड वेग से मुसलाधार बारिश होने लगी और वो सिर से पावं तक बुरी तरह से भीग गयी.
हल्का हल्का काँपते हुए रश्मि ने बाकी की दूरी दौड़ते हुए पार की और तेज़ी से कार का दरवाजा खोल कर अपना ब्रीफकेस अंदर फेंका और फिर ड्राइविंग सीट पर बैठ गयी. उसके बदन की गर्मी और बाहर के तापमान से फरक होने के कारण कार के सीसे धुंधला गये थे. रश्मि ने एर कंडीशन चालू किया और विंड्स्क्रीन के शीशे पर से धुन्दलका हटने लगा. जूतों में पानी भरा होने के कारण उसे थोड़ी बैचैनि सी महसूस होती है और वो उन्हे उतार देती है. वो शुक्र मनाती है कि उसके पास ऑटोमेटिक कार थी. हल्का हल्का काँपते हुए वो गाड़ी को गियर में डालती है और उसे रोड पर लाते हुए चलाने लगती है.
भारी मुसलाधार बारिश कार की छत को ड्रम की तरह पीट कर शोर उत्पन्न कर रही थी. बारिश की पूरी लहर सी विंड्स्क्रीन पर गिर रही थी और उसे रोड देखने में बहुत दिक्कत हो रही थी. वो अपनी घड़ी पर नज़र दौड़ाती है और महसूस करती है कि उसे अपनी अपायंटमेंट कॅन्सल करनी पड़ेगी क्योंकि ना सिर्फ़ वो लेट थी बल्कि जिस अवस्था में वो थी उस अवस्था में क्लाइंट्स से मिलना नामुमकिन था.
उसने मोबाइल उठाकर अपनी अपायिटमेंट मंडे के लिए फिक्स कर दी क्योंकि आज शनिवार था और सनडे वो काम करती नही थी. रश्मि थोड़ी राहत महसूस करती है यह देखकर कि रोड पर ट्रॅफिक काफ़ी कम हो गया था. वो सावधानी से गाड़ी चलाते हुए घर पहुँच जाती है और गाड़ी को मेन डोर के सामने खड़ा कर देती है. वो घूमते हुए बॅक सीट पर अपनी छतरी को ढूँढती है जिसे वो अक्सर गाड़ी में साथ रखती है. मगर वो मिलती नही और उसे याद आता है कि उसने उसे कल ही एस्तेमाल किया था और फिर वापिस रखना भूल गयी थी.
“लानत है! में भी कितनी बेवकूफ़ हूँ. अब फिर से भीगना पड़ेगा” रश्मि खुद पर झल्ला उठती है.
वो बारिश के थोड़ा सा कम होने की प्रतीक्षा करती है और झट से कार का दरवाजा खोलकर भागती हुई मेन डोर पर पहुँचती है. चाबियों से थोड़ा उलझते हुए उसे थोड़ा वक़्त लगता है मेन डोर खोलने में मगर उतने टाइम में वो फिर से पानी से सारॉबार हो चुकी थी. अंदर दाखिल होते ही वो मैन डोर बंद कर देती है उसके बदन और कपड़ों से बह रहे पानी के कारण फर्श पर पानी का तालाब सा बन जाता है.
“उम्म्म……हाई मोम!”
रश्मि आवाज़ सुन कर घूम जाती है और सामने अपने बेटे रवि को तीन और लड़कों और दो लड़कियों के साथ बैठा हुआ देखती है. उनके सामने टेबल पर बहुत सारी किताएँ बिखरी पड़ी थीं.
“माँ तुम तो…बिल्कुल..भीग गयी हो…” रवि अपनी माँ से कहता है जबकि उसके दोस्त नज़रें फाडे उसकी माँ को घूर रहे थे. “अच्छा है तुम जल्दी से चेंज कर लो”
“हाँ! हाँ! मैं बस अभी चेंज करने ही जा रही हूँ” रश्मि धीरे से उत्तर देती है जब उसे एहसास होता है कि सब आँखे उसे ही घूर रही हैं. जल्दी से घूमते हुए उपर की सीढ़ियों पर चढ़ने लगती है.
“ओह माइ गॉड! तूने हमे आज तक नही बताया तेरी मोम इतनी सेक्सी है”
” तुम लोगों ने देखा उसके गोल मटोल मम्मे कितने मोटे और तने हुए थे”
“और उसकी गान्ड ….वाआह! उसकी गान्ड तो शिखा देखने में तुमसे भी टाइट लग रही थी”
“बकवास बंद करो राजन में कहे देता हूँ….”
“और उसकी टांगे देखी तुम लोगों ने? क्या जबरदस्त माल है तेरी मम्मी”
“अब बस भी करो! भगवान के लिए..वो मेरी मम्मी है”
रश्मि सीढ़ियो के बिल्कुल ऊपर खड़ी यह सब बातें सुन रही थी. उसे बेहद ताज्जुब हो रहा था यह सब सुन कर. उसे इस बात से ख़ुसी हुई कि उसका बेटा उसके लिए अपने दोस्तों पर गुस्सा होने लगा है मगर इस बात से हल्की सी निराशा भी कि अब उसने उसकी प्रशंसा भी बंद करवा दी थी चाहे वो अश्लील भाषा में ही हो रही थी. उसे लगता था अब उसमे पहले वाली वो बात नही रही मगर आज जब उसने बहुत समय बाद अपने लिए ऐसे शब्द सुने तो उसे एक अलग रोमांच का एहसास हुआ एक सुखद और मन को आनदित कर देने वाला एहसास था. वो अपने बेडरूम की ओर बढ़ जाती है और एक टवल उठाकर अपने लंबे काले बालों को पोंछने लगती है.
नीचे अभी भी रश्मि के खूबसूरत और कामुकता से लबरेज बदन पर कयि टिप्पणियाँ हो रही थीं मगर अब वो उन्हे स्पष्ट तौर पर सुन नही पा रही थी. उसे ज़ोर से हँसने और फिर किसी के उँचा चिल्लाने की आवाज़ें सुनाई दी. उसने अपने अंदर एक रोमांच, एक थरथराहट सी महसूस की–उसे समझ नही आया कि यह बारिश में भीगने के कारण लगने वाली सर्दी के कारण है या फिर उसे नीचे हो रही अपनी अश्लील तारीफ उसे इतनी अच्छी लगी थी. चेहरे पर हल्की मुस्कान लिए उसने अपना टवल फेंका और दर्पण के सामने खड़ी हो गयी.
अपना अक्श शीसे में देखते ही उसके चेहरे से मुस्कान गायब हो गयी. हल्के आसमानी रंग की उसकी गर्मियों में पहनने की ड्रेस बारिश में गीली होकर बुरी तरह उसके बदन से चिपकी हुई थी. उसकी ड्रेस लगभग पूरी तरह से पारदर्शी हो गयी थी और उसकी लंबी टाँगो, पतली सी कमर और भारी स्तनों को पूरी तरह से रेखांकित कर रही थी. उसकी नीले रंग की कच्छि और ब्रा आसानी से देखे जा सकते थे और गीली ड्रेस ने उपर से उसके मम्मों का उपरी हिस्सा नंगा कर दिया था. ध्यान से देखने पर वो अपने निपल अपनी ड्रेस के उपर उभरे हुए देख सकती थी.
“ओओह माइ गॉड!” अपनी हालत आईने में देख कर वो चकित रह जाती है और उसका हाथ उसके मुँह पर चला जाता है. “में तो वास्तव में नंगी ही दिख रही हूँ”
रश्मि अपने ऑफीस की बिल्डिंग के बाहर कदम रखते ही गहरी साँस लेते हुए खुद को कोस्ती है. आसमान में काली घटा छाई हुई थी. काले बादलों के कारण सितंबर के महीने की दोपहर भी रात जैसे लग रही थी. आसमान से गिर रही हल्की बूँदों के कारण बिल्डिंग के द्वार पर लगी चम चमाति वाइट टाइल्स दागदार सी हो गयी थी. यह उन पलों में से एक पल था जब रश्मि कामना करती कि वो टेबल के पीछे कुर्सी पर बैठने वाली कोई जॉब करती ना कि दौड़ धूप करते हुए क्लाइंट्स को मिलने वाली यह जॉब जो वो कर रही थी.
एक ठंडी साँस छोड़ते हुए वो फिर से खुद को कोस्ती है कि उसने कुछ रुपये बचाने के लिए अपनी कार को बिल्डिंग से थोड़ी दूर बनी ओपन एर कार पार्किंग में खड़ा किया था जो कि फ्री थी ना कि बेसमेंट में बनी पैड कार पार्किंग में. वो खुद को कोस रही थी मगर उसके कानो में उसके पिता के लफ़्ज गूँज रहे थे जो वो अक्सर दोहराया करते थे “एक रुपया बचाना एक रुपया कमाने के बरोबर होता है” और इसी बात को अपनी धारणा बनाते हुए और उस पर चलते हुए उसने जिंदगी में बहुत कुछ बना लिया था. अपनी उँची पढ़ाई से लेकर अपने बच्चों की बढ़िया परवरिश करने और उन्हे दूसरे सहर में बढ़िया कॉलेजस में पढ़ा रही थी जो कि उसके पति की दो साल पहले हुए अकस्मात इंतकाल के बाद लगभग नामुमकिन ही था.
अपने पति का ध्यान आते ही रश्मि ने अपनी आखों में उमड़ आए आँसुओं को बड़ी मुश्किल से बाहर निकलने से रोका. एक नशे में धुत ड्राइवर ने उसके पति को उससे हमेशा हमेशा के लिए छीन लिया था. उसके पहले और एकलौते प्यार को उससे छीन लिया था, एक तरह से उससे उसकी जिंदगी ही छीन ली थी. मगर फिर भी उसने धैर्य और हिम्मत से काम लेते हुए अपने बच्चों के सहारे अपनी जिंदगी की एक नयी शुरुआत की थी. उसने लाइफ इन्स्योरेन्स और म्यूचुयल फंड्स का काम करना सुरू कर दिया था और इससे उसे आमदनी भी अच्छी हो रही थी हालाँकि काम काफ़ी कठिन था. मगर इससे एक अच्छी बात यह थी कि वो अब काफ़ी वयस्त रहती थी और उसका ध्यान अपनी सूनी जिंदगी के एकाकीपन से हट जाता था और इस नौकरी से घर भी अच्छे तरीके से चल रहा था.
बादलों की जोरदार गड़गड़ाहट के कारण रश्मि अतीत से निकलकर फिर से वर्तमान में आती है. वो अपना ब्रीफकेस अपने सिर के उपर रखकर वो आगे कदम बढ़ाती है. तेज़ तेज़ चलने के कारण उसकी हाइ हील के सॅंडल उँची तीखी आवाज़ पैदा करते हैं. हवा बहुत तेज़ चल रही थी जिस कारण उसे अपने एक हाथ से अपनी ड्रेस को दबाकर रखना पड़ रहा था उसे उपर की ओर से उड़ने से बचाने के लिए. उसकी चलने की रफ़्तार तेज़ हो गयी थी क्योंकि बारिश की बूंदे भारी हो गयी थी.
“उफ़फ्फ़! इसको भी अभी आना था” भूनभुनाते हुए वो अपना ब्रीफकेस अपने सिर से हटाकर उसे अपनी छाती से लगा लेती है. बारिश अब काफ़ी तेज़ हो गयी थी और रश्मि फिर से खुद को कोस्ती है जब उसे महसूस होता है कि उसके बाल गीले होकर उसके गर्दन से चिपक रहे थे. वो मुश्किल से अपनी कार से पचास मीटर की दूरी पर थी जब बादल एक दम ज़ोर से गरजे और फिर अगले ही पल एक प्रचंड वेग से मुसलाधार बारिश होने लगी और वो सिर से पावं तक बुरी तरह से भीग गयी.
हल्का हल्का काँपते हुए रश्मि ने बाकी की दूरी दौड़ते हुए पार की और तेज़ी से कार का दरवाजा खोल कर अपना ब्रीफकेस अंदर फेंका और फिर ड्राइविंग सीट पर बैठ गयी. उसके बदन की गर्मी और बाहर के तापमान से फरक होने के कारण कार के सीसे धुंधला गये थे. रश्मि ने एर कंडीशन चालू किया और विंड्स्क्रीन के शीशे पर से धुन्दलका हटने लगा. जूतों में पानी भरा होने के कारण उसे थोड़ी बैचैनि सी महसूस होती है और वो उन्हे उतार देती है. वो शुक्र मनाती है कि उसके पास ऑटोमेटिक कार थी. हल्का हल्का काँपते हुए वो गाड़ी को गियर में डालती है और उसे रोड पर लाते हुए चलाने लगती है.
भारी मुसलाधार बारिश कार की छत को ड्रम की तरह पीट कर शोर उत्पन्न कर रही थी. बारिश की पूरी लहर सी विंड्स्क्रीन पर गिर रही थी और उसे रोड देखने में बहुत दिक्कत हो रही थी. वो अपनी घड़ी पर नज़र दौड़ाती है और महसूस करती है कि उसे अपनी अपायंटमेंट कॅन्सल करनी पड़ेगी क्योंकि ना सिर्फ़ वो लेट थी बल्कि जिस अवस्था में वो थी उस अवस्था में क्लाइंट्स से मिलना नामुमकिन था.
उसने मोबाइल उठाकर अपनी अपायिटमेंट मंडे के लिए फिक्स कर दी क्योंकि आज शनिवार था और सनडे वो काम करती नही थी. रश्मि थोड़ी राहत महसूस करती है यह देखकर कि रोड पर ट्रॅफिक काफ़ी कम हो गया था. वो सावधानी से गाड़ी चलाते हुए घर पहुँच जाती है और गाड़ी को मेन डोर के सामने खड़ा कर देती है. वो घूमते हुए बॅक सीट पर अपनी छतरी को ढूँढती है जिसे वो अक्सर गाड़ी में साथ रखती है. मगर वो मिलती नही और उसे याद आता है कि उसने उसे कल ही एस्तेमाल किया था और फिर वापिस रखना भूल गयी थी.
“लानत है! में भी कितनी बेवकूफ़ हूँ. अब फिर से भीगना पड़ेगा” रश्मि खुद पर झल्ला उठती है.
वो बारिश के थोड़ा सा कम होने की प्रतीक्षा करती है और झट से कार का दरवाजा खोलकर भागती हुई मेन डोर पर पहुँचती है. चाबियों से थोड़ा उलझते हुए उसे थोड़ा वक़्त लगता है मेन डोर खोलने में मगर उतने टाइम में वो फिर से पानी से सारॉबार हो चुकी थी. अंदर दाखिल होते ही वो मैन डोर बंद कर देती है उसके बदन और कपड़ों से बह रहे पानी के कारण फर्श पर पानी का तालाब सा बन जाता है.
“उम्म्म……हाई मोम!”
रश्मि आवाज़ सुन कर घूम जाती है और सामने अपने बेटे रवि को तीन और लड़कों और दो लड़कियों के साथ बैठा हुआ देखती है. उनके सामने टेबल पर बहुत सारी किताएँ बिखरी पड़ी थीं.
“माँ तुम तो…बिल्कुल..भीग गयी हो…” रवि अपनी माँ से कहता है जबकि उसके दोस्त नज़रें फाडे उसकी माँ को घूर रहे थे. “अच्छा है तुम जल्दी से चेंज कर लो”
“हाँ! हाँ! मैं बस अभी चेंज करने ही जा रही हूँ” रश्मि धीरे से उत्तर देती है जब उसे एहसास होता है कि सब आँखे उसे ही घूर रही हैं. जल्दी से घूमते हुए उपर की सीढ़ियों पर चढ़ने लगती है.
“ओह माइ गॉड! तूने हमे आज तक नही बताया तेरी मोम इतनी सेक्सी है”
” तुम लोगों ने देखा उसके गोल मटोल मम्मे कितने मोटे और तने हुए थे”
“और उसकी गान्ड ….वाआह! उसकी गान्ड तो शिखा देखने में तुमसे भी टाइट लग रही थी”
“बकवास बंद करो राजन में कहे देता हूँ….”
“और उसकी टांगे देखी तुम लोगों ने? क्या जबरदस्त माल है तेरी मम्मी”
“अब बस भी करो! भगवान के लिए..वो मेरी मम्मी है”
रश्मि सीढ़ियो के बिल्कुल ऊपर खड़ी यह सब बातें सुन रही थी. उसे बेहद ताज्जुब हो रहा था यह सब सुन कर. उसे इस बात से ख़ुसी हुई कि उसका बेटा उसके लिए अपने दोस्तों पर गुस्सा होने लगा है मगर इस बात से हल्की सी निराशा भी कि अब उसने उसकी प्रशंसा भी बंद करवा दी थी चाहे वो अश्लील भाषा में ही हो रही थी. उसे लगता था अब उसमे पहले वाली वो बात नही रही मगर आज जब उसने बहुत समय बाद अपने लिए ऐसे शब्द सुने तो उसे एक अलग रोमांच का एहसास हुआ एक सुखद और मन को आनदित कर देने वाला एहसास था. वो अपने बेडरूम की ओर बढ़ जाती है और एक टवल उठाकर अपने लंबे काले बालों को पोंछने लगती है.
नीचे अभी भी रश्मि के खूबसूरत और कामुकता से लबरेज बदन पर कयि टिप्पणियाँ हो रही थीं मगर अब वो उन्हे स्पष्ट तौर पर सुन नही पा रही थी. उसे ज़ोर से हँसने और फिर किसी के उँचा चिल्लाने की आवाज़ें सुनाई दी. उसने अपने अंदर एक रोमांच, एक थरथराहट सी महसूस की–उसे समझ नही आया कि यह बारिश में भीगने के कारण लगने वाली सर्दी के कारण है या फिर उसे नीचे हो रही अपनी अश्लील तारीफ उसे इतनी अच्छी लगी थी. चेहरे पर हल्की मुस्कान लिए उसने अपना टवल फेंका और दर्पण के सामने खड़ी हो गयी.
अपना अक्श शीसे में देखते ही उसके चेहरे से मुस्कान गायब हो गयी. हल्के आसमानी रंग की उसकी गर्मियों में पहनने की ड्रेस बारिश में गीली होकर बुरी तरह उसके बदन से चिपकी हुई थी. उसकी ड्रेस लगभग पूरी तरह से पारदर्शी हो गयी थी और उसकी लंबी टाँगो, पतली सी कमर और भारी स्तनों को पूरी तरह से रेखांकित कर रही थी. उसकी नीले रंग की कच्छि और ब्रा आसानी से देखे जा सकते थे और गीली ड्रेस ने उपर से उसके मम्मों का उपरी हिस्सा नंगा कर दिया था. ध्यान से देखने पर वो अपने निपल अपनी ड्रेस के उपर उभरे हुए देख सकती थी.
“ओओह माइ गॉड!” अपनी हालत आईने में देख कर वो चकित रह जाती है और उसका हाथ उसके मुँह पर चला जाता है. “में तो वास्तव में नंगी ही दिख रही हूँ”