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Incest बालकनी में मां और बेटा (short story)

Esac

Maa ka diwana
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मैं श्रद्धा श्रीवास्तव उम्र 36 दिखने में जवान और खूबसूरत। कोई नही बोल सकता की मेरा एक बेटा भी है। आप लोग खुद देख लीजिए।

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ये खूबसूरती के गुण मुझे मेरी मां से मिले थे पता नही क्यों लेकिन हमारे परिवार की औरतों पर बढ़ती उम्र नही दिखती। हालाकि मैं सिर्फ 36 साल की ही हूं लेकिन आप लोग तो जानते ही है की आम औरतों की उम्र 30 के बाद ही दिखने लग जाती है।

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पर मेरी उम्र का पता नही लगता, मैं आज भी किसी कॉलेज की लड़की की तरह ही दिखती हूं और ये खुद मेरे बेटे ने मुझे बताया है🤭
 
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Esac

Maa ka diwana
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मैं श्रद्धा श्रीवास्तव, एक साधारण हाउस वाइफ हूं। मेरे पति, जो अपने काम के सिलसिले में 6 महीने के लिए USA गए हुए थे, ने मुझे घर पर छोड़ दिया था। मेरे साथ घर में मेरे सास, ससुर और बेटा रहते थे। मेरी उम्र 36 साल थी और मेरा बेटा गुड्डू 18 साल का था। यह वह उम्र थी जब वह जवानी की ओर कदम बढ़ा रहा था।

हमारा घर छोटा था, इसलिए गुड्डू अपने दादी के साथ सोता था। लेकिन जब से मेरे पति विदेश गए, तब से मैं और गुड्डू एक ही कमरे में सोते थे क्योंकि मुझे अकेले कमरे में नींद नहीं आती थी, इसलिए गुड्डू मेरे साथ ही रहता।

रातें कभी-कभी लंबी और खामोश होती थीं। मैं गुड्डू की तरफ देखकर सोचती, कैसे वह छोटे से बच्चा से अब एक जवान हो गया है। मैं अपने पति की कमी को महसूस करती थी, मानसिक और शारीरिक दोनो रूप से।

गुड्डू का सहारा और उसकी मासूमियत ने मुझे इस कठिन समय में हिम्मत दी। हम दोनों ने एक-दूसरे का साथ देते हुए इन 6 महीनों को जीया, और मेरी जिन्दगी की यह कहानी हमारे रिश्ते की गहराई को और बढ़ा गई। हमने वो कदम उठा लिए जो एक मां और बेटा कभी नही उठाते या यू कहो की हम दोनो ही एक दूसरे की तरफ खींचे चले गए।
 

sunoanuj

Well-Known Member
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Congratulations for your new story ….

Jabardast shuruat hai story….

Waiting for next blockbuster update and story 👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻
 
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Esac

Maa ka diwana
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एक शाम को मैं छत पर खड़ी हो कर छत की बालकनी से हमारे घर के पीछे बने सुनसान सड़क की तरफ देख रही थी कि मैंने देखा कि गुड्डू घर आने से पहले घर के पीछे जाकर एक दीवार के पास खड़ा हो कर पेशाब करने लगा। उसे यह नहीं पता था कि मुझे छत पर से सब दिखाई दे रहा है। जैसे ही उसने अपना लन्ड पेशाब करने को निकाला, मेरा दिल धक से रह गया। इतना मोटा और लम्बा लन्ड… उसे देख कर मेरे दिल में सिरहन दौड़ गयी।


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पेशाब करके वो चला गया… पर मेरे दिल में एक हलचल छोड़ गया। दो महीनों से मेरी चुदाई नहीं हुई थी सो मेरा मन भटकने लग गया। ऐसे में गुड्डू का लन्ड और दिख गया… मेरी चूत में कुलबुलाहट होने लगी। मैं बैचेन हो कर कमरे में आ गई। मुझे बस मेरे बेटे का वो मोटा सा लन्ड ही बार बार नजर आ रहा था। मैं न चाह कर भी सोच रही थी कि अगर ये मेरी चूत में गया तो मेरा क्या होगा।

फिर गुड्डू घर आया। उसने अपने कपड़े बदले… वो अभी तक मेरे सामने ही कपड़े बदलता था…पर उसे क्या पता था कि आज मेरी नजरें ही बदली हुई हैं। पैन्ट उतारते ही उसका लन्ड उसकी छोटी सी अन्डरवीयर में उभरा हुआ नजर आने लगा।



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मेरे मन में अजीब खयाल आने लगे जो नही आने चाहिए थे मुझे लगा कि उसे पकड़ कर मसल डालूं। उसने तोलिया लपेट कर अपना अन्डरवीयर उतार कर घर का सफ़ेद पजामा पहन लिया। गुड्डू सोते समय अन्डरवीयर नहीं पहनता है…तो सीधा सोएगा तो उसका लन्ड साफ़ उभर कर दिखेगा…धत्त… ये क्या… सोचने लगी।
 

Esac

Maa ka diwana
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मेरा मन चंचल होता जा रहा था। मन में उल्टे सीधे खयाल आ रहे थे कुछ समय बाद हम डिनर करने चले गए। डिनर करते हुए भी बार बार मेरे मन में वो ही दृश्य आ रहा था और थोड़ी थोड़ी में बार बार नजर मेरे बेटे पर ही जा रही थी। मैं ही जानती हूं किस तरह मेने डिनर किया। डिनर के बाद हम कमरे में आ गये।

मैंने भी जानबूझ कर के गुड्डू के सामने ही कपड़े बदलना शुरु कर दिया पर उसका ध्यान मेरी तरफ़ नहीं था।



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मैंने उसकी तरफ़ पीठ करके अपना ब्लाऊज और ब्रा उतार दिया और एक हल्की सी कुर्ती डाल लिया। (मैं रात को साड़ी की जगह सलवार और कुर्ती पहन लेती थी।) मैंने नीचे से सलवार आधा पहना और पेटीकोट उतारने लगी। मैंने जानबूझ कर पेटीकोट छोड़ दिया। पेटीकोट नीचे गिर पड़ा और मैं एकाएक नंगी हो गयी।


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मैंने थोड़ा सा पीछे मुड़ के देखा तो गुड्डू मुझे निहार रहा था। मैंने तुरन्त झुक कर सलवार ऊपर खींच लिया।

मुझे शर्म भी आ रही थी लेकिन मुझे पता लग गया था की तीर अपने निशाने पर लग गया है। मैंने ऐसा जताया कि जैसे कुछ हुआ ही नहीं है। पर गुड्डू की नजरें बदल रही थी। मैं बाथरूम में गई उसके आईने में से भी गुड्डू नज़र आ रहा था… मैंने वहाँ पर अपनी कुर्ती उतारी और अपनी चूंचियां ऐसे रखी कि गुड्डू उसे बाहर से आईने में देख ले।



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मैंने अपने स्तनों के उभारों को मसलते हुए वापस कुर्ती नीचे कर लि। गुड्डू ने अपना लन्ड पकड़ कर जोर से दबा लिया। मैं मुस्करा उठी।
 
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Esac

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मैं अब बाथरूम से बाहर आई तो उसकी नजरें बिल्कुल बदली हुई थी। अब हम दोनो बिस्तर पर बैठ कर टीवी देखने लगे थे… पर मेरा ध्यान तो गुड्डू पर लगा था…और गुड्डू का ध्यान मुझ पर था। हम दोनो एक दूसरे को छूने की कोशिश कर रहे थे।

मैंने शुरुआत कर दी…

”क्या बात है गुड्डू… आज तुम बैचेन से लग रहे हो…? ”


उसने कहा..
“हां मम्मी… मुझे कुछ अजीब सा लग रहा है… ”

उसका लन्ड खडा हुआ था…


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उसने हिम्मत करके मेरी जांघो में हाथ फ़ेरा… मुझे सिरहन सी आ गयी… मैं उसकी हालत समझ रही थी… दोनों के दिल में आग लग चुकी थी। मैंने कुछ ऐसा हाथ चलाया कि उसके लन्ड को छूता हुआ और रगड़ता हुआ निकला। उसके लन्ड के कड़ेपन का अहसास मुझे हो गया। गुड्डू की हिम्मत बड़ गई और उसने मेरी कमर में हाथ डाल कर मुझे खींच लिया।


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मैं जानकर उस पर लुढ़क गई… पर झिझक के मारे वापस उठ गयी… । मुझे लग रहा था की यदि मैं उसके साथ बैठी तो कोई गड़बड़ न हो जाए इसलिए मैं उठ कर छत की तरफ चली गई।
 
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