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Incest बालकनी में मां और बेटा (short story)

Premkumar65

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मैं श्रद्धा श्रीवास्तव, एक साधारण हाउस वाइफ हूं। मेरे पति, जो अपने काम के सिलसिले में 6 महीने के लिए USA गए हुए थे, ने मुझे घर पर छोड़ दिया था। मेरे साथ घर में मेरे सास, ससुर और बेटा रहते थे। मेरी उम्र 36 साल थी और मेरा बेटा गुड्डू 18 साल का था। यह वह उम्र थी जब वह जवानी की ओर कदम बढ़ा रहा था।

हमारा घर छोटा था, इसलिए गुड्डू अपने दादी के साथ सोता था। लेकिन जब से मेरे पति विदेश गए, तब से मैं और गुड्डू एक ही कमरे में सोते थे क्योंकि मुझे अकेले कमरे में नींद नहीं आती थी, इसलिए गुड्डू मेरे साथ ही रहता।

रातें कभी-कभी लंबी और खामोश होती थीं। मैं गुड्डू की तरफ देखकर सोचती, कैसे वह छोटे से बच्चा से अब एक जवान हो गया है। मैं अपने पति की कमी को महसूस करती थी, मानसिक और शारीरिक दोनो रूप से।

गुड्डू का सहारा और उसकी मासूमियत ने मुझे इस कठिन समय में हिम्मत दी। हम दोनों ने एक-दूसरे का साथ देते हुए इन 6 महीनों को जीया, और मेरी जिन्दगी की यह कहानी हमारे रिश्ते की गहराई को और बढ़ा गई। हमने वो कदम उठा लिए जो एक मां और बेटा कभी नही उठाते या यू कहो की हम दोनो ही एक दूसरे की तरफ खींचे चले गए।
Petrol aur aga ko sath rakhoge to aage to lagegi.
 
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Premkumar65

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अगली सुबह अलार्म के कारण सबसे पहले मेरी आंख खुली और मेने अलार्म को बंद किया। फिर मुझे कल की घटना याद आई मेरा चेहरा लाल हो गया। कैसे कल रात मेने अपने बेटे के साथ अपनी जिंदगी की सबसे बेहतरीन चुदाई की। जो सुख मुझे अपने पति से आज तक नही मिला था वो मेरे बेटे ने मुझे दिया था शायद इसीलिए कल रात उससे चूदते हुए मैं अचानक से उससे तमीज से बात करने लगी थी। ये सोच कर मैं मन ही मन मुस्कुराने लगी।


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मैने अपनी नजर घुमा कर गुड्डू को देखा वो अभी भी गहरी नींद में था। देखो तो बदमाश कितने आराम से सो रहा है, कल रात अपनी मम्मी की जान निकाल दी और अब मजे से सो रहा है। शैतान कही का कैसे मेरी चूत को छोड़ ही नही रहा था। ये सोच कर मेरी हसीं निकल गई कितना प्यारा है मेरा बेटा, मेरा गुड्डू। मैने थोड़ा झुक कर उससे फोरेहेड पर किस्स कर दिया।

फिर मैं नहा कर तैयार होने के लिए बिस्तर से उठने लगी लेकिन अचानक मेरी चूत में थोड़ा दर्द महसूस हुआ।

"आह... इस बदमाश ने एक ही रात में मेरी हालत खराब कर दी"

मैं किसी तरह उठी और बाथरूम में चली गई। नहाते हुए मुझे याद आया की कल गुड्डू ने मेरी चूत में ही अपना वीर्य छोड़ दिया था वो भी एक बार न ही 2 बार। और एक ही बार में कितना सारा वीर्य निकला था उसका हाय, अगर मेने दावा नही ली तो गड़बड़ हो जाएगी। मैने सोचा आज ही दिन में गुड्डू से ही गर्भनिरोधक दवाई मंगवा लूंगी।

मैं नहा कर तैयार हो गई लेकिन गुड्डू अभी भी सोया हुआ था। मैने उसे जगाना ठीक नही समझा और खुद को आईने में देखने लगी। आज मेरे चेहरे पर पहले से कई ज्यादा निखार आ गया था खुबसुरत तो मैं पहले से ही थी लेकिन अपने बेटे के साथ हुई घमासान चुदाई के बाद मेरा निखार दोगुना हो गया था।


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मैं खुद ही खुद को देख कर शर्मा गई


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कुछ देर बाद मैं बाहर आ गई और किचन में चली गई सबके लिए ब्रेकफास्ट बनाने। आज मैं खुद से ही गुड्डू की पसंद का नाश्ता बना रही हूं पता नही क्यों अब बार बार गुड्डू ही मेरे दिमाग में आ रहा है और उसके बारे में सोचते ही मैं खुद से ही शर्मा रही हूं।
Superb action filled chudai hui hai Shraddha ki.
 
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Premkumar65

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गुड्डू मेरी बूर का स्वाद लेने में मगन था की तभी मेरी नजर फिर से उस कुत्ते और कुतीया के जोड़े पर गई लेकिन अब वो कुत्ता उस कुतीया की चूत नही चाट रहा था बल्कि वो उस पर चढ़ चुका था।

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मुझसे भी अब नही रहा जा रहा था। मैने गुड्डू के सर पर हाथ फेरते हुए कहा

"सुनिए जी.... आह्ह्ह् देखिए वो अब क्या कर रहे है"

गुड्डू मेरी बात सुन कर उठा और सड़क की तरफ देखने लगा उसने भी उन जानवरो की लीला देख ली और वो मेरी बात का मतलब समझ गया। गुड्डू ने अपना पजामा खोल दिया और अपने नंगे लन्ड को मेरी नंगी चूत से टच करता हुआ मेरे ऊपर आगे की और झुक गया। मैने अभी भी अपनी साड़ी को पकड़ कर नीचे जाने से रोका हुआ था जिसके कारण अब गुड्डू का नंगा लौड़ा सीधा मेरी नंगी और गीली चूत से टकरा रहा था। मेरे मुंह से फिर से सिसकारी निकल गई।

गुड्डू ने मेरे ऊपर झुकते हुए मेरे कान के पास आकर कहा

"मेरी श्रद्धा कुतीया को क्या चाहिए?"

मुझे शर्म आ रही थी लेकिन मैं अब बहुत ज्यादा गरम हो चुकी थी इसीलिए मै खुद अपनी गांड़ को गुड्डू के लुंड पर रगड़ने लगी।


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लेकिन गुड्डू उसे मेरी चूत में जाने से रोक रहा था। मैने सिसकते हुए कहा

"गुड्डू जी... आह.. वो देखिए ना"

गुड्डू - " देख लिया श्रद्धा लेकिन वहां है क्या?"

मैं - "जी.. जी वो दोनो को देखिए वो क्या कर रहे है"

गुड्डू - "क्या कर रहे है श्रद्धा?"


मुझसे अब सबर करना मुश्किल होता जा रहा था मैने फिर भी अपने आप को संभालते हुए कहा

"जी वो कुत्ता अपनी कुतीया पर चढ़ा हुआ न, आह्ह्ह्ह् आप भी चढ़ जाओ ना मुझ पर गुड्डू जी"

गुड्डू - "चढ़ा हुआ तो हूं श्रद्धा और कैसे चढ़ू?"

मैं समझ गई मेरा कुत्ता भी मुझे उस कुतीया की तरह ही पूरा बेशर्म बनाना चाहता है और अब मेरा बांध टूटने लगा था मैं झिझकते हुए बोलने लगी

"जी.. वो जी वो कुत्ता है न"

गुड्डू - " हां श्रद्धा वो कुत्ता ..."

मैं - "वो.. वो कुत्ता उस कुतीया पर चढ़ कर"

अब गुड्डू मेरी चूत पर अपना लोड़ा फेरने लगा और उसने कहा "हां चढ़ कर क्या कर रहा है"

मैं भी मस्ती में अपनी गांड़ को ऊपर नीचे करने लगी मेरे लिए सांस लेना भी मुश्किल हो रहा था



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"वो उस कुतीया की पुसी में अपना पेनिस डाल रहा है"

गुड्डू - "ये क्या होता है श्रद्धा, हिंदी में बोलो"

तड़प के कारण मेरी टांगे कपने लगी थी मुझसे नही रहा गया और मैने बिना कुछ सोचे समझे बोल दिया

"गुड्डू जी वो कुत्ता उस कुतीया की चूत को अपने लोड़े से चोद रहा है"



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गुड्डू ने अब अपना लोड़ा मेरी चूत के छेद पर लगा दिया असीम आनंद के करण मेरी आंखे बंद होने लगी फिर उसने कहा

"तो तुम क्या चाहती हो श्रद्धा?"



मैं अब पूरी तरह दीवानी हो चुकी थी मैने मस्ती में अन्हे भरते हुए कहा

"आह्ह्ह्ह्ह मैं भी आपकी कुतीया हू , गुड्डू जी। मुझे भी उसी तरह चोदिए ना।"


मैं पागल हो गई थी मेरे बेटे ने मुझे पूरी तरह पागल बना दिया था अब मुझे कोई लाज और शर्म नही थी मैं अब बस उससे चुदाना चाहती थी चाहे कही भी ही कैसे भी हो।

गुड्डू - "श्रद्धा अभी दिल के उजाले में सबके सामने छत पर किसी ने हमे देख लिया तो"

मैं - "देख लेने दीजिए गुड्डू जी... बस आप आपकी श्रद्धा कुतीया को चोदिये। इस्सस मुझे बस आपसे चुदना है जान।"
Superb action and wonderful narration.
 
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maakaloda

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Maa bete wala angal rakho, pati patni nahi, maza kam ho jata hai
 
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Esac

Maa ka diwana
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गुड्डू को बस यही सुनना था मेरे ये शब्द सुनते ही उसने अपना लोड़ा सीधा मेरी चूत में एक झटके में उतार दिया।

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अपने सगे बेटे का लोड़ा फिर से मेरी चूत में जाते ही मैं सुख के चरम पर पहुंच गई। अब दुनिया जहान मेरे लिए कुछ माइन नही रखता था अब मेरे लिए सिर्फ एक ही चीज़ जरूरी थी वो था मेरे बेटे का लन्ड। उसका लन्ड जैसे ही मेरी चूत की दीवारों से टकराया आनंद से मेरी जीभ बाहर आ गई जैसे सच में कोई कुतीया हो।

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मैं अब सच में एक कुतीया बन चुकी थी अपने बेटे की कुतीया और मेरा बेटा, मेरा मालिक, मेरा कुत्ता बन चुका था। मुझे दिन दहाड़े घर की छत पर चोदते हुए गुड्डू ने मुझे कहा

"कौन है तू, मेरी श्रद्धा रानी"

मेरा दिमाग पूरा खाली हो चुका था सिर्फ ये ही बात गूंज रही थी।

"आह्ह्ह् कुतीया, मैं कुतीया, प्यासी कुतीया चुदासी कुतीया, आप मेरे कुत्ते बनोगे ना, गुड्डू जी मेरे मालिक और मैं गुड्डू जी की चुदासी कुतीया

मैं इतनी चुदासी हो गई थी कि मैंने गुड्डू
के बोलने से पहले ही खुद ही बोल दिया कि गुड्डू मेरे मालिक है। मैंने अब पूरी तरह से साफ कर दिया कि मुझे अब से अपने बेटे से बस चुदना हैं, सारा दिन सारी रात चुदना है कुतीया बन बन कर चुदना हैं।

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गुड्डू भी मस्ती में चूर था और वो भी सिसकारियां मरते हुए मुझे चोद रहा था
"
आह मम्मी, हाय श्रद्धा कुतीया, प्यासी कुतीया, जंगली कुतीया, चुदासी कुतीया

मेरे अंदर अब कोई शर्म या परवाह नही रह गई थी मैं तो बस अब कुछ भी करके जम कर अपने बेटे से चुद जाना चाहती थी, गुड्डू अपना पुरा वजन मुझ पर डाल कर आगे की और झुक गया और मेरी चूत मारते हुए मेरे बूब्स को दबाने लगा। मैं सब लाज हया छोड़कर एक हाथ उस 3.5 फीट की दीवार पर टिका कर और सिसकियां लेती हुई चुदाने लगी।

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मैं फिर से मस्ती में कराह उठी " आह्ह्ह्ह्ह मेरे बेटे, मेरे बालम, क्या चोदते हो आप, हय्यय्य ऐसे ही करो बस, उफ्फ कितनी प्यासी थी मेरी चूत आपके बिना।

गुड्डू ने मेरी यानी अपनी मां की मस्ती भरी सिसकियां सुनकर जोश में आ गया और पूरे लंड को जड़ तक घुसा घुसा कर धक्के मारने लगा तो मुझे हल्का सा दर्द होने लगा लेकिन मजा भरपूर था और मेने अपनी गांड़ नीचे से उठा उठा कर चुदना शुरू कर दिया। मेरी बूर से टपकता बहुत सारा कामरस नीचे छत की जमीन पर टपकने लगा और उसे भिगाने लगा।

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मैं आज सरे आम अपने बेटे की कुतीया बनकर पीछे से अपनी चूत में उसका लंड डलवाकर उससे गरमा गरम चुदाई करवा रही थी और इस चुदाई से मैं पूरी तरह से तृप्त हो चुकी थी,,,
मुझे इस बात का अंदाजा भी नहीं था कि गुड्डू ऐसी हालात में मेरी चुदाई करेगा दिन के उजाले में।
गुड्डू अपने विशाल और मोटे लन्ड से लगातार मेरी नन्ही सी मुनिया को हचक हचक कर चोद रहा था। हम दोनो ही अब पूरी तरह से जानवर बन चुके थे ।


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मुझे पता भी नही चला की कब मेरी साड़ी पूरी तरह से खुल कर जमीन पर पड़ी थी और धूल और छत पर गिरे मेरे कामरस में गंदी हो रही थी। लेकिन अब मुझे इन सब से कोई फर्क नहीं पड़ रहा था।

कुछ देर इसी तरह चोदने के बाद गुड्डू ने अपना लोड़ा मेरी चूत से निकाला उसका लौड़ा जैसे ही मेरी चूत से बाहर आया मेरा चेहरा रुआंसा हो गया और मैं गुड्डू को सवालिया नजरो से देखने लगी। उसने मुझे वही जमीन पर लेट जाने का इशारा किया। यहां कोई मखमल का गद्दा नही था न ही कोई घर का धुला हुआ फर्श था। बल्कि घर के छत की जमीन थी जिसकी पता नही कितने समय से सवाई नही हुई थी और तो और वहां मेरा कामरस भी बह रहा था। लेकिन शायद यही असली मतलब होता है एक चुदासी कुतीया होने का। एक कुतीया के लिए सिर्फ चुदाई माइन रखती है न की साफ सफाई। मैं बिना कोई सवाल किए छत की जमीन पर मादरजात नंगी लेट गई।
 

Esac

Maa ka diwana
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मेरे जमीन पर लेटते ही गुड्डू मेरे ऊपर आ गया। मैने जल्दी से किसी बेसबर बच्चे की तरह अपनी टांगे चोड़ी कर ली। गुड्डू ने मेरी की चूत के छेद पर बिलकुल बीच में अपना सुपाड़ा टिका दिया और मुझे किस करते करते गुड्डू ने हल्का सा धक्का लगाया तो उसका सुपाड़ा मेरी चूत के नाजुक होंठो को फैलाते हुए फिर से मेरी चूत में घुस गया।


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मैं फिर से कराह उठी। मेरी कसी हुई चूत के गर्म गर्म फूकते हुए होंठो का कसाव गुड्डू अपने लंड के सुपाड़े पर साफ महसूस कर रहा था और गुड्डू ने मेरी की आंखो मे देखते हुए एक जोरदार धक्का लगाया तो उसका पूरा लंड और मेरी की चूत में घुस गया और मैं किसी कुंवारी लड़की की तरह गुड्डू से दर्द के मारे लिपटती चली गई। मेरे जैसी शादी शुदा अनुभवी औरत के मुंह से दर्द भरी आह सुनकर गुड्डू अपनी मर्दानगी पर इतरा उठा और उसने अपने घुसे हुए लंड को पूरी ताकत से बाहर की तरफ खींचा और किसी जंगली सांड की तरह एक ही धक्के में पूरा जड़ तक घुसा दिया।

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एक दम से लन्ड घुसते ही मैं चिल्ला उठी "आह गुड्डू जी, मार डाला हाय भगवान, अह्ह्ह् अपनी ही मां की चूत फाड़ दी सीईईईईईई।"

मेरी चूत की तपती हुई दीवारे गुड्डू के लंड को कस रही थी जिससे गुड्डू लगा कि वो ज्यादा देर नहीं टिक पायेगा और उसने फिर से अपने लंड को जड़ तक बाहर खींचा और अगले ही पल फिर से पूरी ताकत से जड़ तक घुसा दिया जिसके कारण लंड सीधे मेरी बच्चेदानी से जा टकराया और मैं फिर से दर्द से कराह उठी मेने अपने दांत गुड्डू के कंधे में गड़ा दिए । जोशीला गुड्डू मुझ पर बहुत ज्यादा भारी पड़ रहा था और मैं फिर से सिसक उठी

"हाय भगवान, उफ्फ अपनी सगी मां को ऐसे चोदोगे क्या गुड्डू जी आप। हाय अह्ह्ह्हह सीईईईईआई।"

मैं दर्द से कराह रही थी तो मैने खुद ही कमान थामने का फैसला किया और मैंने पूरी ताकत से गुड्डू की टांगो को अपनी टांगो में कस लिया और अपने अपनी दोनो जांघो को पूरी तरह से कसते हुए दोनो हाथो से उसकी गांड़ को दबोच लिया और चूत के अंदर ही अपनी चूत के होंठो से उसके लंड को कसने लगी तो गुड्डू तड़प उठा, मचल उठा और सिसक पड़ा

"आह श्रद्धा, उफ्फ मेरी जान ऐसे मत कर, अह्ह्ह मेरा निकल जायेगा।"

मैंने अपने मुंह को आगे किया और गुड्डू के होंठो को चूस कर बोली:"

"आह जालिम, अह्ह्ह्ह् आपने जो ये अपना सांड जैसा लौड़ा एक हो बार में घुसा दिया, मेरी जान लोगे क्या ??

गुड्डू ने अपने हाथ आगे बढ़ा कर मेरी चुचियों को अपनी दोनो हथेली में भर लिया और हल्के हल्के सहलाते हुए सिसका



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"आह श्रद्धा, मम्मी तेरी चूत इतनी गर्म और कसी हुई है कि मैं खुद को नही रोक पाया। आह मेरा निकल जायेगा।"

गुड्डू फिर से कराह उठा तो मैने चूत का दबाव कम कर दिया क्योंकि मैं भी नही चाहती थी मेरे बेटे का इतनी जल्दी निकल जाए। दबाव कम होते हुए ही गुड्डू ने सुकून की सांस ली और उसने मेरी एक चूची को मुंह में भर लिया और मैं मस्ती से कराह उठी और मेरी टांगे खुद एक बार फिर लंड के अभिवादन के लिए खुल गई। गुड्डू ने मेरी तरफ देखा तो उसने एक कामुक गुराहट भर कर अपनी गांड़ को उपर उठा लिया और उसने अपने लंड को धीरे धीरे बाहर की तरफ खींचना शुरू किया और लंड मेरी चूत की दीवारों को जबरदस्त तरीके से रगड़ता हुआ जैसे ही सुपाड़े तक आया तो मैंने अपनी चूत को कस लिया और गुड्डू ने धीरे धीरे फिर से लंड को चूत में घुसा दिया पूरा बिलकुल पूरा जड़ तक, बिलकुल मेरी की बच्चेदानी तक।



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मेरा दर्द पूरी तरह से खत्म हो गया और मेरा पूरा बदन लंड लेने के लिए उछल उछल पड़। गुड्डू ने लंड को फिर से पूरा बाहर निकाल लिया जिससे मैं तड़प उठी और गुड्डू की तरफ देखा तो गुड्डू ने पूरी ताकत से एक जोरदार धक्का लगाया और फिर से पूरा लंड जड़ तक मेरी चूत में समा गया। अब गुड्डू ने बिना देर किए पूरी ताकत से अपने लंड को मेरी चूत में ठोकना शुरू कर दिया तो मैं पागल सी होने लगी और जोर जोर से सिसकने लगी

" आह गुड्डू जी, मेरे अच्छे बेटे, आह ऐसे नही करते अपनी मां के साथ, आह अअह्ह्ह्ह्ह उफ्फ"

लेकिन गुड्डू तो जैसे पागल सा हो गया वो और भी जोर जोर से धक्के लगाने लगा। मैरी मस्ती भरी सिसकारियां पूरी छत में गूंजने लगी। मेरा जिस्म जोर जोर से उछल रहा था जिससे मेरी
पायल और चूड़ियां मधुर संगीत उत्पन्न कर रही थी और गुड्डू ने ओर भी तेजी से धक्के लगाने शुरू कर दिए। मेरी गांड़ भी उसके धक्कों के साथ एक एक फुट तक उछलने लगी। आज मस्ती की कोई सीमा नहीं थी मेरी चूत आज जोर जोर से चुद रही थी और मैं मजे से सिसक रही ,मचल रही थी, कूक रही थी, उछल रही थी। मैने अपनी टांगो को पूरी तरह से खोल दिया और जोर से सिसकते हुए कराह उठी

" आह्ह्ह्ह्ह गुड्डू, उफ्फ चोदो अपनी मा की चूत, आपकी श्रद्धा की चूत, अब से आपकी कुती
या बनकर रोज चूदूंगी।"

गुड्डू अपनी मां की मस्ती भरी सिसकारियां सुनकर किसी बेलगाम घोड़े की तरह लंड को अंदर बाहर करते हुए मुझे चोदने लगा और मैं अपने बेटे के नीचे पड़ी हुई सिसक सिसक पर चुद रही थी।



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ramumargaya

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Amazing writing skills
 
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Esac

Maa ka diwana
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मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ और मैं दर्द और मस्ती से कराह उठी तो गुड्डू ने अपने दोनो हाथ आगे ले जाकर मेरे कंधो को पकड़ लिया और किसी शेर की तरह गुर्राते हुए धक्के जड़ने लगा। मेरी पूरी बच्चेदानी हिल रही थी, सिकुड़ रही थी, फैल रही थी और मेरी सिर्फ चूत ही नहीं बल्कि पूरा जिस्म गुड्डू के लंड के साथ उछल रहा था।


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मुझसे इतनी मस्ती और दर्द बर्दाश्त नहीं हो रहा था। थोड़ी देर बाद गुड्डू को लगा कि उसका लंड फटने वाला है उसने तो पूरी ताकत से अपने लंड को बाहर की तरफ खींचा और फिर से एक ही बार में जड़ तक किसी मूसल की तरह ठोक दिया और मैं दर्द के मारे चीख उठी क्योंकि लंड का सुपाड़ा मेरी बच्चेदानी के मुंह को खोलता हुआ अंदर घुस गया था और गुड्डू लंड ने एक के बाद एक वीर्य की पिचकारी अपनी सगी मां की चूत में मारनी शुरू कर दी


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और गुड्डू जोर से मुझे कसते मेरे उपर गिरकर मेरे होंठ चूसने लगा।

मैं और गुड्डू दोनो ने पूरी ताकत से एक दूसरे को कसा हुआ था। अब कही जा कर मेरी प्यास से जलती हुई चूत अपने बेटे के वीर्य की पिचकारियो को पी कर राहत महसूस कर रही थी। दोनो की ही सांसे एक ही चुदाई में पूरी तरह से उखड़ गई थी। मैं अपनी सांसे दुरुस्त करती हुई अपने बेटे की कमर पर प्यार से हाथ फिरा रही थी मानो उसे इस जबरदस्त चुदाई के लिए शाबासी दे रही हो। थोड़ी देर के बाद हम दोनो की सांसे नॉर्मल हो गई तो दोनो ने एक दूसरे की आंखो में देखा और दोनो एक साथ मुस्कुरा दिए और मैंने अपना चेहरा उठाकर अपने बेटे के होंठ को चूम लिये। गुड्डू ने भी अपनी मम्मी यानी मेरे चेहरे को चूम लिया तो मैंने कहा:"

"गुड्डू जी, आपने तो मुझे सच में कुतीया बना दिया।"

गुड्डू - "तू कुतीया ही है मेरी कुतीया।"

मैं - "हां सिर्फ आपकी कुतीया"

गुड्डू - "तू सच में कमाल है मम्मी।"

गुड्डू का लंड अब सिकुड़ कर मेरी चूत से बाहर निकल गया और
मैं अपनी तारीफ सुनकर खुश हो गई और बोली

"अच्छा जी, चलिए अब उठिए मेरे उपर से
।"

गुड्डू मेरे ऊपर से हट कर मेरे ही पास छत की जमीन पर लेट गया। नीचे हम दोनो का बहता हुआ काम रस जिसमे छत मैं और वो हम दोनो पूरे गंदे हो चुके थे। लेकिन फिर भी दोनो में से किसी का वहां से उठने का मन नहीं कर रहा था। ऊपर खुला आसमान था लेकिन अब थोड़ी धूप तेज हो चुकी थी हम दोनो ही मां बेटे सुबह सवेरे से ही छत पर आ कर चुदाई में लगे हुए थे जिसके कारण सुबह 8 से दिन के 11:30 बज चुके थे। अपनी घमासान चुदाई में न गुड्डू को न मुझे समय का कोई ध्यान नहीं रहा।

थोड़ी देर यूंही लेते रहने के बाद गुड्डू ने फिर से अपना हाथ मेरी चूंचियों पर रख दिया और उन्हें सहलाने लगा। और फिर अचानक उठ कर फिर से मेरे ऊपर आ गया लेकिन अब उसने मेरे निप्पलस पर अपना मुंह रख दिया। मैं तो अब गुड्डू के एहसास से ही गर्म हो जाति थी और गुड्डू के छूते ही फिर गरम होने लगी। मैने धीमे से कहा

"अजी क्या कर रहे हो आप"

गुड्डू - "ये वो ही निप्पल है न जिससे मैं बचपन में दूध पीता था"

मुझे ये सुन कर थोड़ी शर्म आने लगी और मेने धीरे से कहा

"हां, ये वो ही निप्पल है आपकी मां के निप्पल जिससे मैं आपको दूध पिलाती थी"

गुड्डू ने बिना एक भी पल गंवाए अपनी नंगी मां की एक चूची को अपने मुंह में भर लिया और जोर जोर से चूसने लगा। मेरी गुलाबी चूची मेरे बेटे के मुंह में थी।



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मैं मस्ती से सिसक उठी और बोली:"

"आह जान, नही छोड़िए मेरी चूचियां, आह्ह्ह्ह्ह गंदी बात।"

गुड्डू ने अपने मुंह को पूरा खोल कर मेरी आधी से ज्यादा चूची को मुंह में भर लिया और जोर जोर से निप्पल चूसते हुए बोला:"

"आआआह्हह श्रद्धा, कैसी गंदी बात, मां की चूचियां बेटा नहीं तो फिर कौन चूसेगा।"

इतना कहकर उसने फिर से मेरी चूची को मुंह मे भर लिया और जोर जोर से निप्पल को दांतो से खींचते हुए चूसने लगा तो मैं दर्द और मस्ती से कराह उठी और अपने हाथ से अपने बेटे के सिर को अपनी चूची पर दबा दिया और सिसकी

"उईईईईए माईआ, अब आप छोटे बच्चे नहीं रहे, बड़े हो गए हो। आआछ्ह आह्ह्ह्ह काटिए तो मत।"

गुड्डू ने मेरी चूची के निप्पल को दांतो में पकड़ कर जोर से खींच दिया और मेरा हाथ पकड़ कर अपने फिर बड़े होते जा रहे लंड पर रख दिया और बोला:"

"आह काटने दे ना, श्रद्धा हाय मेरी जान। कितनी कठोर हैं तेरी चूचियां। देख न अभी तो मैं बच्चा ही हु।"

मैंने उसके खड़े होते लंड को अपनी मुट्ठी में भर लिया और सिसकी

"आह धीरे धीरे चूसो, हाय भगवान, आप तो बहुत बड़े हो गये हो गुड्डू जी। अपने पापा से भी बहुत बड़े"

गुड्डू अपने लंड की तारीफ सुनकर मेरी चुचियों को बारी बारी से चूसने लगा और मेरी चुचियों में मस्ती भरी गुदगुदाहट हो रही थी और मेरी
आंखे मजे से बंद हो गई और मैं अपने सिर को इधर उधर हिलाने लगी। आज मैं स्वर्ग का अनुभव कर रही थी।


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गुड्डू उत्तेजना से कभी निपल्स दांतो से काटता तो कभी जीभ से सहला देता, कभी जोर से चूसता तो कभी हल्के हल्के। मैं पूरी तरह से पागल सी हो गई। उसका लंड सहलाती रही और लंड बड़ा होता होता आधे से ज्यादा मेरे हाथ से बाहर निकल गया और मेरी चूत फिर से सिहर उठी और मेने धीरे से उसके कान में सेक्सी आवाज में उसका पूरा लंड उपर से नीचे सहलाती हुई सिसकी ली:"

"गुड्डू जी आप सच में बच्चे नहीं रहे, बड़े ही नही बल्कि बहुत बड़े हो गए हो।"

गुड्डू ने मदहोश होकर मेरी भीगी हुई चूत को अपनी मुट्ठी में भर लिया और जोर से कसकर मसलते हुए बोला:"



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"हां , अब मैं बहुत बड़ा हो गया हूं, बच्चा पैदा करने लायक। अपनी मां श्रद्धा को मां बनाने लायक।"

अपनी चूत मसले जाने से मेरा पूरा बदन कांप उठा और मैं जोर से सिसक उठी। मैंने गुड्डू के लंड को जोर से अपनी मुट्ठी में भींच दिया और बोली:"

"उफ्फ शैतान, अपनी मां को मां बनाओगे, बेशर्म।"

गुड्डू ने एक उंगली को मेरी चूत के छेद पर रखा और मेरी चूत की क्लिट को जोर से रगड़ते हुए आधी दो उंगली को एक साथ मेरी चूत में घुसा दिया और बोला:"



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"बोल ना श्रद्धा, मां बनेगी न मेरे बच्चे की, कल सुबह तक मां बना दूंगा तुझे आह्ह्ह्ह्ह श्रद्धा बोल ना बनेगी न मां"

मैं उंगलियां घुसाए जाने से मस्ती में कराह उठी और सिसकते हुए बोली

"आह बनूगी गुड्डू जी, मां बनेगी श्रद्धा आपके बच्चे की मां बनेगी।"
 
Last edited:

Xerxusaryan

Member
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Short story ka to Pata nhi isko long le ja..maza aa raha hai
 
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