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Incest बिदाई

S_Kumar

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Update -1

"सरोजा मै घास लेने खेत में जा रही हूं, तू हाथ मुंह धो के खाना खा ले।"

(जैसे ही सरोजा कॉलेज से आई, उसकी मां मालती ने खांची और खुरपी उठाते हुए कहा)

सरोजा - अरे अम्मा तूने खाना खाया कि नहीं?

मालती - अरे मै आ के खा लूंगी, तुझे भूख लगी होगी, तू खा ले, सब चली गई घास काटने, देर से गई तो एक घास नहीं मिलने की, भैंस को क्या खिलाऊंगी... खाली भूसा, तेरे बाबू ये जो नई भैंस लाएं है न....महारानी को बिना हरे चारे के एक कवर गले के नीचे नहीं उतरता, निमोना और चावल बनाया है, निकाल के खा ले, तेरे बाबू और मैने सुबह खाया था, मुझे अभी भूख नहीं है, तू निकाल के खा ले।

( मालती इतना कहते हुए खांची और खुरपी ले कर दूर वाले खेतों की तरफ जाने लगी)

"और हां सुन -----"दो घंटे बाद आ जाना खेत में घास उठाने, अकेली कैसे लाऊंगी मैं इतनी सारी घास"

सरोजा - अच्छा अम्मा ठीक है आ जाऊंगी, जरा देख के घास काटना, बरसात में सांप बिच्छू भी बहुत निकलते हैं उधर वाले खेत में।

(सरोजा ने अपनी साइकिल दालान में खड़ी करते हुए कहा)

सरोजा है तो 20 बरस की, पर लगती अपनी मां से भी कातिल है, अभी अभी बारहवीं पास करके कॉलेज में गई है, कॉलेज थोड़ा सा दूर है तो उसके बाबू ने अपनी इकलौती लाडली बिटिया के लिए साइकिल खरीद दी।

मालती और लखन की इकलौती बेटी है सरोजा, लाडली होने के बावजूद भी बड़ा सीधा सा स्वभाव है सरोजा का, हां शरारती तो है, पर जैसे जैसे जवानी सर चढ़ रही है, बचपना धीरे धीरे उतर रहा है...पर बहुत धीरे धीरे।
 

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
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"सरोजा मै घास लेने खेत में जा रही हूं, तू हाथ मुंह धो के खाना खा ले।"

(जैसे ही सरोजा कॉलेज से आई, उसकी मां मालती ने खांची और खुरपी उठाते हुए कहा)

सरोजा - अरे अम्मा तूने खाना खाया कि नहीं?

मालती - अरे मै आ के खा लूंगी, तुझे भूख लगी होगी, तू खा ले, सब चली गई घास काटने, देर से गई तो एक घास नहीं मिलने की, भैंस को क्या खिलाऊंगी... खाली भूसा, तेरे बाबू ये जो नई भैंस लाएं है न....महारानी को बिना हरे चारे के एक कवर गले के नीचे नहीं उतरता, निमोना और चावल बनाया है, निकाल के खा ले, तेरे बाबू और मैने सुबह खाया था, मुझे अभी भूख नहीं है, तू निकाल के खा ले।

( मालती इतना कहते हुए खांची और खुरपी ले कर दूर वाले खेतों की तरफ जाने लगी)

"और हां सुन -----"दो घंटे बाद आ जाना खेत में घास उठाने, अकेली कैसे लाऊंगी मैं इतनी सारी घास"

सरोजा - अच्छा अम्मा ठीक है आ जाऊंगी, जरा देख के घास काटना, बरसात में सांप बिच्छू भी बहुत निकलते हैं उधर वाले खेत में।

(सरोजा ने अपनी साइकिल दालान में खड़ी करते हुए कहा)

सरोजा है तो 20 बरस की, पर लगती अपनी मां से भी कातिल है, अभी अभी बारहवीं पास करके कॉलेज में गई है, कॉलेज थोड़ा सा दूर है तो उसके बाबू ने अपनी इकलौती लाडली बिटिया के लिए साइकिल खरीद दी।

मालती और लखन की इकलौती बेटी है सरोजा, लाडली होने के बावजूद भी बड़ा सीधा सा स्वभाव है सरोजा का, हां शरारती तो है, पर जैसे जैसे जवानी सर चढ़ रही है, बचपना धीरे धीरे उतर रहा है...पर बहुत धीरे धीरे।
:congrats: for new story thread
 
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Jangali107

Jangali
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"सरोजा मै घास लेने खेत में जा रही हूं, तू हाथ मुंह धो के खाना खा ले।"

(जैसे ही सरोजा कॉलेज से आई, उसकी मां मालती ने खांची और खुरपी उठाते हुए कहा)

सरोजा - अरे अम्मा तूने खाना खाया कि नहीं?

मालती - अरे मै आ के खा लूंगी, तुझे भूख लगी होगी, तू खा ले, सब चली गई घास काटने, देर से गई तो एक घास नहीं मिलने की, भैंस को क्या खिलाऊंगी... खाली भूसा, तेरे बाबू ये जो नई भैंस लाएं है न....महारानी को बिना हरे चारे के एक कवर गले के नीचे नहीं उतरता, निमोना और चावल बनाया है, निकाल के खा ले, तेरे बाबू और मैने सुबह खाया था, मुझे अभी भूख नहीं है, तू निकाल के खा ले।

( मालती इतना कहते हुए खांची और खुरपी ले कर दूर वाले खेतों की तरफ जाने लगी)

"और हां सुन -----"दो घंटे बाद आ जाना खेत में घास उठाने, अकेली कैसे लाऊंगी मैं इतनी सारी घास"

सरोजा - अच्छा अम्मा ठीक है आ जाऊंगी, जरा देख के घास काटना, बरसात में सांप बिच्छू भी बहुत निकलते हैं उधर वाले खेत में।

(सरोजा ने अपनी साइकिल दालान में खड़ी करते हुए कहा)

सरोजा है तो 20 बरस की, पर लगती अपनी मां से भी कातिल है, अभी अभी बारहवीं पास करके कॉलेज में गई है, कॉलेज थोड़ा सा दूर है तो उसके बाबू ने अपनी इकलौती लाडली बिटिया के लिए साइकिल खरीद दी।

मालती और लखन की इकलौती बेटी है सरोजा, लाडली होने के बावजूद भी बड़ा सीधा सा स्वभाव है सरोजा का, हां शरारती तो है, पर जैसे जैसे जवानी सर चढ़ रही है, बचपना धीरे धीरे उतर रहा है...पर बहुत धीरे धीरे।
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(जैसे ही सरोजा कॉलेज से आई, उसकी मां मालती ने खांची और खुरपी उठाते हुए कहा)

सरोजा - अरे अम्मा तूने खाना खाया कि नहीं?

मालती - अरे मै आ के खा लूंगी, तुझे भूख लगी होगी, तू खा ले, सब चली गई घास काटने, देर से गई तो एक घास नहीं मिलने की, भैंस को क्या खिलाऊंगी... खाली भूसा, तेरे बाबू ये जो नई भैंस लाएं है न....महारानी को बिना हरे चारे के एक कवर गले के नीचे नहीं उतरता, निमोना और चावल बनाया है, निकाल के खा ले, तेरे बाबू और मैने सुबह खाया था, मुझे अभी भूख नहीं है, तू निकाल के खा ले।

( मालती इतना कहते हुए खांची और खुरपी ले कर दूर वाले खेतों की तरफ जाने लगी)

"और हां सुन -----"दो घंटे बाद आ जाना खेत में घास उठाने, अकेली कैसे लाऊंगी मैं इतनी सारी घास"

सरोजा - अच्छा अम्मा ठीक है आ जाऊंगी, जरा देख के घास काटना, बरसात में सांप बिच्छू भी बहुत निकलते हैं उधर वाले खेत में।

(सरोजा ने अपनी साइकिल दालान में खड़ी करते हुए कहा)

सरोजा है तो 20 बरस की, पर लगती अपनी मां से भी कातिल है, अभी अभी बारहवीं पास करके कॉलेज में गई है, कॉलेज थोड़ा सा दूर है तो उसके बाबू ने अपनी इकलौती लाडली बिटिया के लिए साइकिल खरीद दी।

मालती और लखन की इकलौती बेटी है सरोजा, लाडली होने के बावजूद भी बड़ा सीधा सा स्वभाव है सरोजा का, हां शरारती तो है, पर जैसे जैसे जवानी सर चढ़ रही है, बचपना धीरे धीरे उतर रहा है...पर बहुत धीरे धीरे।
वाह भाई वाह सर्व प्रथम नयी कहानी के लिये हार्दिक शुभकामना
कहानी की प्रारंभ बडा ही सुंदर और जानदार हैं
वही एक नम्र विनंती भी हैं की आपकी जो दो धमाकेदार कहानीया हैं उन्हे भी पुरी करे
अगले रोमांचकारी धमाकेदार अध्याय की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 
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