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Romance बुड्ढा पति ।

How is the starting of this story ?

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Hills

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दो हफ्ते बाद

आज निशा बहुत खुश है। खुशी का कारण है उसकी भाभी श्वेता। अपनी भाभी श्वेता को लेने वो भीमा के साथ रेलवे स्टेशन आईं। स्टेशन बहुत ही छोटा है और गांव के पास ही आया है। सुबह 10 बजे ठीक समय गाड़ी पहुंची। गाड़ी में से एक सुंदर सी महिला बाहर आई। आंखो पर sunglass और साड़ी में वो जैसे रुपसुंदर लग रही थी। वो श्वेता ही थी। श्वेता को देख निशा दौड़ते हुए पास और गले लग गई।

"भाभी मेरी प्यारी भाभी कैसी हो तुम ?"

श्वेता मुस्कुराते हुए बोली "में ठीक हूं। तुम कैसी हो ?"

"अब तक तो ठीक थी लेकिन आपके आने से और भी अच्छी हो गई। आखिर में आपने हमेशा के लिए यहां रहने का फैसला कर ही लिया।"

"हां लेकिन ये बताओ की स्कूल कहां पर है ?"

"ओह हो भाभी आते ही काम ? अभी नही। अभी मेरी प्यारी भाभी मेरे साथ रहेगी समझी ?"

इतने में भीमा श्वेता के पास आया और हाथ जोड़ते हुए बोला "नमस्ते मालकिन।"

श्वेता मुस्कुराते हुए भीमा का हाथ पकड़ते हुए बोली "नंदोई साहब अब आप नौकर नही हमारे नदोई है। दुबारा मेमसाब या मालकीन बोला तो खैर नहीं।"

"जी भाभी।" भीमा बोला।

तीनों गाड़ी में बैठे और हवेली आ पहुंचे। हवेली पहुंचते ही बच्चे सीधा श्वेता के गले लग गए। श्वेता ने बच्चो को चॉकलेट दिया और तोहफे भी। श्वेता ने देखा तो नटवर चाचा साथ में थे। निशा ने दोनो का एक दूसरे से परिचय करवा।

"भाभी ये है नटवर चाचा। आप जिस स्कूल में प्रीसिपल बनी है वो उसी स्कूल में आपके साथ काम करेंगे और आपकी मदद करेंगे।"

श्वेता ने हाथ जोड़ते हुए नटवर से कहा "नमस्ते नटवर्जी कैसे है आप ?"

नटवर बोला "मैं ठीक हूं। आप काफी थक गई होंगी आप आराम कर लीजिए।"

निशा और श्वेता दोनो साथ कमरे में गए।

"तो बताओ निशा बच्चो के साथ जिंदगी कैसे चल रही है ?"

"बहुत अच्छी। भाभी मेरा तो ठीक है लेकिन अनामिका कैसी है ?"


(वैसे अनामिका श्वेता को चोटी बहन है।)

"वो ठीक है। अभी तो फिलहाल वो एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करती है।"

"भाभी उसे भी लाती। कुछ दिनों यहां रहती और गांव की सुंदरता और शांति को महसूस करती।"

"तू तो जानती है। तुझसे मिलने का उसका कितना मन था लेकिन काम बहुत आ गया। अच्छा ये बता भीमा का क्या कहना है ? बड़े मजे लेती होगी उससे।" श्वेता ने छेड़ते हुए कहा।

"भाभी आप भी ना। हां मजा तो लेती हूं। लेकिन सच कहूं। उनके साथ मुझे बहुत अच्छा लगता है।"

"अच्छा निशा ये बता कि स्कूल में कितने बच्चे है और समय क्या है ?"

"भाभी बुरा न मानना लेकिन आपको काम बहुत रहेगा।"

"अगले पगली मै आई हूं तेरी मदद के लिए। अब बता आगे।"

"स्कूल का समय सुबह 9 से 1 बजे है। लेकिन आप प्रिंसिपल हो तो दोपहर 3 बजे तक आपका कुछ न कुछ फाइल या पेपर वर्क होगा। आप 3 बजे छूट सकती है। करीब 250 बच्चे पढ़ते है। सरकार इस स्कूल को चलती है। आपकी सैलरी 1,25,000 रहेगा। आपको काम बहुत रहेगा। लेकिन चिंता न करे। नटवर चाचा हमेशा आपके साथ रहेंगे। आपकी मदद करेंगे।"

"तो कब से स्कूल जाना होगा ?"

"भाभी कल से। आपके साथ नटवर चाचा स्कूल चलेंगे।"

"ठीक है निशा चल अब मैं थोड़ा आराम कर लूं। कल से काम बहुत है।"

अगले दिन।


सुबह 8 बजे सभी लोग तैयार हो गए थे। भीमा, निशा तीन बच्चे, नटवर चाचा और श्वेता। सभी ने नाश्ता किया। निशा भीमा ऑफिस के लिए निकल गए। बच्चे ड्राइवर नौकर के साथ स्कूल चले गए। नटवर चाचा और श्वेता साथ में पैदल स्कूल को चल दिए। श्वेता और नटवर चाचा एक दूसरे से बात करने लगे।

"वैसे श्वेताजी आपको थोड़ा अलग लगेगा स्कूल का माहोल लेकिन कुछ ही दिनों में आप सभी कार्यों को समझ जाएंगी।"

श्वेता हल्के से मुस्कान देते हुए बोली "हां थोड़ा तो अलग लगेगा ही। लेकिन आप यहां के माहोल से वाकिफ है तो आप मेरी मदद करेंगे ही।"

"अजी मदद को करूंगा ही न। इसी की तनख़ा मिलती है।"

"अच्छा ये बताइए इससे पहले कौन था यहां पर प्रिंसिपल ?"

"दरसल श्वेतजी पिछले 2 साल से यहां प्रिंसिपल की भर्ती नही हुई। कोई यहां आने को तैयार नहीं था। आपसे पहले द्विवेदी साहब थे लेकिन वो रिटायर हो गए। आपकी पढ़ाई और qualification को निशा ने सरकारी ऑफिसर को बताया। वैसे भी कोई न आने को तैयार था इसीलिए आपका इंटरव्यू भी लेना उन्होंने जरूरी नहीं समझा।"

"दो साल बिना प्रिंसिपल के ?" श्वेता ने हैरान होकर पूछा।

"हां श्वेतजी। इसीलिए कई सारे हिसाब किताब फाइल्स का काम आप ही को निपटना है। इसीलिए तो आप एक भी विषय में बच्चो को पढ़ा नहीं सकती।"

"लेकिन मैने बच्चो को ही पढ़ाया। पूरे दिन ऑफिस में बैठकर काम कैसे करूं ?" श्वेता ने हताश होकर कहा।
"लेकिन श्वेतजी काम भी तो ये जरूरी है।"

फिर दोनो स्कूल पहुंचे। श्वेता ने सभी स्टाफ वालो से मुलाकात की। ज्यादातर सभी महिलाएं ही थी वो भी 40 पर उमरवाली। श्वेता ने ऑफिस में बैठने से पहले स्कूल को अच्छे से देखा। घने बगीचों के बीच ये सरकारी स्कूल। बच्चो के लिए टूटी फूटी कुर्सी और टेबल। टीचर्स की भी हालत थोड़ी नाजुक थी। कुछ टीचर्स के पास टेबल चेयर भी नही था क्लास में। फिर भी वह बड़े मेहनत से बच्चो को पढ़ा रही थी। श्वेता ने सोचा की सबसे पहले स्कूल में जरूरी सुविधा को वापिस लाना होगा।

नटवर चाचा आते ही काम में लग गए। हिसाब किताब का जायज़ा लेना शुरू किया। टेबल पर चाय का ग्लास और फाइल्स को देखने का काम किया। अब आप शायद से सोच रहे होंगे कि इतना बुढ़ा आदमी स्कूल में काम कैसे कर रहा है ? लेकिन काम करे नही तो क्या करे। सालो से ज्यादा भर्ती नही हुई क्लर्क और चपरासियों की इसीलिए इनको काम करना पड़ रहा है। शुक्र है निशा ने स्कूल को जरूरी सामान जैसे टेबल चेयर पंखा और साफ सफाई जैसी सुविधा और शौचालय बनवाया नही तो स्कूल के बच्चे पहले बाजार पेड़ के नीचे पढ़ते थे। अब निशा अकेले स्कूल तो नही देख सकती इसीलिए तो श्वेता को बुलाया। श्वेता जो वैसे भी मेहनती और ईमानदार महिला है उनके नेतृत्व में स्कूल का चलना सही होगा।

नटवर श्वेता के साथ ही ऑफिस में रहेगा और काम करेगा। श्वेता को कुछ फाइल्स देकर दस्तखत लिया।

"अच्छा नटवर चाचा। आप वो बच्चो के भोजन बनने का रसोईघर दिखाइए। वहां खाना कैसे और किस किस क्वालिटी का बनता है वो मुझे देखना है।"

"हां शिवाजी चलिए मैं आपको रसोईघर ले चलता हूं। वैसे आपको बता दूं कि दोपहर 12:45 स्कूल खत्म होता है और बच्चे खाना खाकर 1:30 बजे घरचले जाते है।"

श्वेता ने रसोईघर देखा जो काफी साफ था। आते और दाल को क्वालिटी को भी देखा। सब सही था। श्वेता और नटवर वापिस ऑफिस में चले गए। नटवर थोड़ा आराम करने के लिए बैठा। अपने डायरी में कुछ लिखा और उसे टेबल पर रखकर वापिस काम में लग गया। श्वेता ने देखा कि स्कूल के बच्चे मेहनती है। टीचर्स भी अच्छे से बात करती है और मन लगाकर काम करती है। आज स्कूल का पहला दिन अच्छा रहा। दोपहर के 2 बज गए और स्कूल में सिर्फ नेटियर चाचा और श्वेता ही थे। दोनो दोपहर के सन्नाटे में काम कर रहे थे। नटवर और श्वेता दोनो 4 बजे वापिस घर आए। दोनो ने रास्ते में खूब बाते की। स्कूल से घर के बीच एक छोटा सा जंगल आता है। वहीं से दोनो घर आ रहे थे। निशा ने बच्चो को लेने भीमा हो आता है। श्वेता को पहले दिन ही स्कूल और गांव का माहोल पसंद आ गया। अब देखना ये है कि वो स्कूल और गांव के लिए आगे क्या क्या करेगी।
 
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parkas

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आज निशा बहुत खुश है। खुशी का कारण है उसकी भाभी श्वेता। अपनी भाभी श्वेता को लेने वो भीमा के साथ रेलवे स्टेशन आईं। स्टेशन बहुत ही छोटा है और गांव के पास ही आया है। सुबह 10 बजे ठीक समय गाड़ी पहुंची। गाड़ी में से एक सुंदर सी महिला बाहर आई। आंखो पर sunglass और साड़ी में वो जैसे रुपसुंदर लग रही थी। वो श्वेता ही थी। श्वेता को देख निशा दौड़ते हुए पास और गले लग गई।

"भाभी मेरी प्यारी भाभी कैसी हो तुम ?"

श्वेता मुस्कुराते हुए बोली "में ठीक हूं। तुम कैसी हो ?"

"अब तक तो ठीक थी लेकिन आपके आने से और भी अच्छी हो गई। आखिर में आपने हमेशा के लिए यहां रहने का फैसला कर ही लिया।"

"हां लेकिन ये बताओ की स्कूल कहां पर है ?"

"ओह हो भाभी आते ही काम ? अभी नही। अभी मेरी प्यारी भाभी मेरे साथ रहेगी समझी ?"

इतने में भीमा श्वेता के पास आया और हाथ जोड़ते हुए बोला "नमस्ते मालकिन।"

श्वेता मुस्कुराते हुए भीमा का हाथ पकड़ते हुए बोली "नंदोई साहब अब आप नौकर नही हमारे नदोई है। दुबारा मेमसाब या मालकीन बोला तो खैर नहीं।"

"जी भाभी।" भीमा बोला।

तीनों गाड़ी में बैठे और हवेली आ पहुंचे। हवेली पहुंचते ही बच्चे सीधा श्वेता के गले लग गए। श्वेता ने बच्चो को चॉकलेट दिया और तोहफे भी। श्वेता ने देखा तो नटवर चाचा साथ में थे। निशा ने दोनो का एक दूसरे से परिचय करवा।

"भाभी ये है नटवर चाचा। आप जिस स्कूल में प्रीसिपल बनी है वो उसी स्कूल में आपके साथ काम करेंगे और आपकी मदद करेंगे।"

श्वेता ने हाथ जोड़ते हुए नटवर से कहा "नमस्ते नटवर्जी कैसे है आप ?"

नटवर बोला "मैं ठीक हूं। आप काफी थक गई होंगी आप आराम कर लीजिए।"

निशा और श्वेता दोनो साथ कमरे में गए।

"तो बताओ निशा बच्चो के साथ जिंदगी कैसे चल रही है ?"

"बहुत अच्छी। भाभी मेरा तो ठीक है लेकिन अनामिका कैसी है ?"


(वैसे अनामिका श्वेता को चोटी बहन है।)

"वो ठीक है। अभी तो फिलहाल वो एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करती है।"

"भाभी उसे भी लाती। कुछ दिनों यहां रहती और गांव की सुंदरता और शांति को महसूस करती।"

"तू तो जानती है। तुझसे मिलने का उसका कितना मन था लेकिन काम बहुत आ गया। अच्छा ये बता भीमा का क्या कहना है ? बड़े मजे लेती होगी उससे।" श्वेता ने छेड़ते हुए कहा।

"भाभी आप भी ना। हां मजा तो लेती हूं। लेकिन सच कहूं। उनके साथ मुझे बहुत अच्छा लगता है।"

"अच्छा निशा ये बता कि स्कूल में कितने बच्चे है और समय क्या है ?"

"भाभी बुरा न मानना लेकिन आपको काम बहुत रहेगा।"

"अगले पगली मै आई हूं तेरी मदद के लिए। अब बता आगे।"

"स्कूल का समय सुबह 9 से 1 बजे है। लेकिन आप प्रिंसिपल हो तो दोपहर 3 बजे तक आपका कुछ न कुछ फाइल या पेपर वर्क होगा। आप 3 बजे छूट सकती है। करीब 250 बच्चे पढ़ते है। सरकार इस स्कूल को चलती है। आपकी सैलरी 1,25,000 रहेगा। आपको काम बहुत रहेगा। लेकिन चिंता न करे। नटवर चाचा हमेशा आपके साथ रहेंगे। आपकी मदद करेंगे।"

"तो कब से स्कूल जाना होगा ?"

"भाभी कल से। आपके साथ नटवर चाचा स्कूल चलेंगे।"

"ठीक है निशा चल अब मैं थोड़ा आराम कर लूं। कल से काम बहुत है।"

अगले दिन।


सुबह 8 बजे सभी लोग तैयार हो गए थे। भीमा, निशा तीन बच्चे, नटवर चाचा और श्वेता। सभी ने नाश्ता किया। निशा भीमा ऑफिस के लिए निकल गए। बच्चे ड्राइवर नौकर के साथ स्कूल चले गए। नटवर चाचा और श्वेता साथ में पैदल स्कूल को चल दिए। श्वेता और नटवर चाचा एक दूसरे से बात करने लगे।

"वैसे श्वेताजी आपको थोड़ा अलग लगेगा स्कूल का माहोल लेकिन कुछ ही दिनों में आप सभी कार्यों को समझ जाएंगी।"

श्वेता हल्के से मुस्कान देते हुए बोली "हां थोड़ा तो अलग लगेगा ही। लेकिन आप यहां के माहोल से वाकिफ है तो आप मेरी मदद करेंगे ही।"

"अजी मदद को करूंगा ही न। इसी की तनख़ा मिलती है।"

"अच्छा ये बताइए इससे पहले कौन था यहां पर प्रिंसिपल ?"

"दरसल श्वेतजी पिछले 2 साल से यहां प्रिंसिपल की भर्ती नही हुई। कोई यहां आने को तैयार नहीं था। आपसे पहले द्विवेदी साहब थे लेकिन वो रिटायर हो गए। आपकी पढ़ाई और qualification को निशा ने सरकारी ऑफिसर को बताया। वैसे भी कोई न आने को तैयार था इसीलिए आपका इंटरव्यू भी लेना उन्होंने जरूरी नहीं समझा।"

"दो साल बिना प्रिंसिपल के ?" श्वेता ने हैरान होकर पूछा।

"हां श्वेतजी। इसीलिए कई सारे हिसाब किताब फाइल्स का काम आप ही को निपटना है। इसीलिए तो आप एक भी विषय में बच्चो को पढ़ा नहीं सकती।"

"लेकिन मैने बच्चो को ही पढ़ाया। पूरे दिन ऑफिस में बैठकर काम कैसे करूं ?" श्वेता ने हताश होकर कहा।
"लेकिन श्वेतजी काम भी तो ये जरूरी है।"

फिर दोनो स्कूल पहुंचे। श्वेता ने सभी स्टाफ वालो से मुलाकात की। ज्यादातर सभी महिलाएं ही थी वो भी 40 पर उमरवाली। श्वेता ने ऑफिस में बैठने से पहले स्कूल को अच्छे से देखा। घने बगीचों के बीच ये सरकारी स्कूल। बच्चो के लिए टूटी फूटी कुर्सी और टेबल। टीचर्स की भी हालत थोड़ी नाजुक थी। कुछ टीचर्स के पास टेबल चेयर भी नही था क्लास में। फिर भी वह बड़े मेहनत से बच्चो को पढ़ा रही थी। श्वेता ने सोचा की सबसे पहले स्कूल में जरूरी सुविधा को वापिस लाना होगा।

नटवर चाचा आते ही काम में लग गए। हिसाब किताब का जायज़ा लेना शुरू किया। टेबल पर चाय का ग्लास और फाइल्स को देखने का काम किया। अब आप शायद से सोच रहे होंगे कि इतना बुढ़ा आदमी स्कूल में काम कैसे कर रहा है ? लेकिन काम करे नही तो क्या करे। सालो से ज्यादा भर्ती नही हुई क्लर्क और चपरासियों की इसीलिए इनको काम करना पड़ रहा है। शुक्र है निशा ने स्कूल को जरूरी सामान जैसे टेबल चेयर पंखा और साफ सफाई जैसी सुविधा और शौचालय बनवाया नही तो स्कूल के बच्चे पहले बाजार पेड़ के नीचे पढ़ते थे। अब निशा अकेले स्कूल तो नही देख सकती इसीलिए तो श्वेता को बुलाया। श्वेता जो वैसे भी मेहनती और ईमानदार महिला है उनके नेतृत्व में स्कूल का चलना सही होगा।

नटवर श्वेता के साथ ही ऑफिस में रहेगा और काम करेगा। श्वेता को कुछ फाइल्स देकर दस्तखत लिया।

"अच्छा नटवर चाचा। आप वो बच्चो के भोजन बनने का रसोईघर दिखाइए। वहां खाना कैसे और किस किस क्वालिटी का बनता है वो मुझे देखना है।"

"हां शिवाजी चलिए मैं आपको रसोईघर ले चलता हूं। वैसे आपको बता दूं कि दोपहर 12:45 स्कूल खत्म होता है और बच्चे खाना खाकर 1:30 बजे घरचले जाते है।"

श्वेता ने रसोईघर देखा जो काफी साफ था। आते और दाल को क्वालिटी को भी देखा। सब सही था। श्वेता और नटवर वापिस ऑफिस में चले गए। नटवर थोड़ा आराम करने के लिए बैठा। अपने डायरी में कुछ लिखा और उसे टेबल पर रखकर वापिस काम में लग गया। श्वेता ने देखा कि स्कूल के बच्चे मेहनती है। टीचर्स भी अच्छे से बात करती है और मन लगाकर काम करती है। आज स्कूल का पहला दिन अच्छा रहा। दोपहर के 2 बज गए और स्कूल में सिर्फ नेटियर चाचा और श्वेता ही थे। दोनो दोपहर के सन्नाटे में काम कर रहे थे। नटवर और श्वेता दोनो 4 बजे वापिस घर आए। दोनो ने रास्ते में खूब बाते की। स्कूल से घर के बीच एक छोटा सा जंगल आता है। वहीं से दोनो घर आ रहे थे। निशा ने बच्चो को लेने भीमा हो आता है। श्वेता को पहले दिन ही स्कूल और गांव का माहोल पसंद आ गया। अब देखना ये है कि वो स्कूल और गांव के लिए आगे क्या क्या करेगी।
Bahut hi badhiya update diya hai Hills bhai....
Nice and lovely update....
 

Hills

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देखते देखते एक हफ्ता गुजर गया। श्वेता अब काम को समझ गई। रोज को तरह सुबह 8 बजे नटवर के साथ स्कूल जाती। है सुबह को तरह आज भी सुबह 6 बजे श्वेता अपने बिस्तर से उठी और जल्दी से छत पर गई अपने कपड़े लेने। वहां देखा तो उसकी एक साड़ी गायब थी। शायद हो सकता है को हवा को वजह से सदी उड़ गई हो। यह सोचकर वो जल्दी से अपने कमरे गई और शावर लेने के बाद तैयार होकर सुबह 8 बजे स्कूल को रवाना हुई। नटवर भी साथ में था।

दोनो चल ही रहे थे कि भीमा का छोटा भाई मन्नू सामने आ गया। मन्नू उस वक्त धोती और ऊपर बिना कपड़े का था। नटवर और श्वेता को सामने देख नमस्कार किया। श्वेता मन्नू से मिली नही थी तो वो सवाल भरे चेहरे से नटवर को तरफ देखी।

नटवर ने जवाब दिया "श्वेताजी ये मन्नू है भीमा का छोटा भाई और मन्नू ये निशा को भाभी है।"

श्वेता ने मुस्कान दिये मन्नू के सामने हाथ जोड़ा। मन्नू पहली नजर में ही श्वेता को देखता रह गया। गोरा चेहरा जवानी से भरपूर सुंदर बदन और जवानी से भरपूर हर एक एक सुंदर अंग। मन्नू तो जैसे खयालों में ही खो गया। नटवर की ऊंची आवाज ने उसको जैसे नींद से जगाया।

"मन्नू क्या सोच रहा है ?"

"कुछ नही चाचा।" मन्नू श्वेता को तरफ देखा और कहा "मैं बस यहां खेत के पासवाले घर पर ही रहता हूं। कभी वक्त मिले तो आइए जरूर वहां का खेत भी दिखा देंगे आपको।"

श्वेता मुस्कुराते हुए बोली "कल शनिवार है। छुट्टी भी है तो कल दोपहर को आऊंगी खेत देखने। आप दिखाएंगे न ?"

"हां हां जी बिलकुल क्यों नहीं। नटवर चाचा आपको लेकर आएंगे। फिर खूब सारी बाते भी करेंगे।"

श्वेता और नटवर चाचा आगे बढ़े। पीछे से मन्नू श्वेता को देखता रह गया और बोला "ये सच में इंसान है। मुझे तो जैसे परी लग रही है। खैर जो भी हो मैं भी चलता हूं। खाद लेने जाना है।" इतना बोलकर मन्नू खाद लेने के लिए आगे बढ़ा।

श्वेता और नटवर ऑफिस आकार बैठ गए। नटवर अपने काम से पहले डायरी में कुछ लिखा और फिर शुरू हो गया काम करने। श्वेता रोज देखती कि नटवर कुछ न कुछ रोज डायरी में लिखते रहते है और बड़े ध्यान से लिखते है। श्वेता सोचती को ऐसा क्या लिखते होंगे। लिखते समय अलग मुस्कान उनके चेहरे पर रहती और तो और लिखने के बाद फिर से उनका चेहरा स्थिर हो जाता।

ऐसे ही दिन बीता और कल और परसो छुट्टी होने की वजह से काफी आराम महसूस करने लगी। श्वेता अगले दिन सुबह उठी और सोचा कि कल का दिया वादा पूरा करना है। मन्नू से मिल लेगी और खेत भी देख लेगी।

श्वेता सुबह सात बजे उठी तो देखा कि बच्चे सो रहे है। आखिर छुट्टी की वजह से ही सो रहे थे। नटवर सुबह सुबह बगीचे को पानी दे रहे थे। निशा और भीमा का कमरा भी अंदर से बंद था। श्वेता सोचने लगी कि निशा तो हर रोज सुबह सुबह उठ जाती थी तो आज late क्यो ?

अब दरअसल बात ऐसी है कि निशा और भीमा ने कप रात कई घंटो तक सेक्स किया था। इस घमासान सेक्स की वजह से दोनो थके हुए थे। दोनो नंगे बिस्तर पर एकदूसरे से लिपटकर सो रहे थे।

श्वेता को देख नटवर बोला "और श्वेतजी आप सुबह सुबह उठ गई। आज तो छुट्टी है। भला आप इतने जल्दी उठी ? जाइए सो जाइए।"

श्वेता बोली "नही नही। मेरी नींद पूरी हो गई। मैं जा रही हूं नहाने। वैसे नटवर चाचा आप मुझे खेतड़ीखाने कब ले जा रहे है ?"

"आज दोपहर 1 बजे चलते है। वहां खेत देख लेंगे और फिर शाम को वापिस लौटेंगे। बच्चो के लिए समोसा जलेबी लेकर आएंगे।"

"हां हां बिलकुल। वैसे भी बच्चे बहुत ज़िद कर रहे थे बाहर का खाना खाने के लिए।"

"चलो श्वेतजी मैं भी चला नहाने। मालती नाश्ता बना देगी। फिर धीरे धीरे करके सब उठ जायेंगे।"

श्वेता चली गई नहाने। वही निशा और भीमा को भी आंखे खुली।

"भीमा उठिए। सुबह हो गई।" निशा लंबी अंगड़ाई लेते हुए बोली।

भीमा निशा के होठ को चूमते हुए बोला "सोने दो ना जानेमन। आज छुट्टी है।"

"मेरे राजाजी उठ जाइए। मुझे नहाने जाना है।"

भीमा बोला "चलो साथ में नहाते हैं टब में पानी भर दो। आज साथ में नहाने का मन है।"

निशा मुस्कुराते हुए बोली "हां चलो। मेरा भी मन है।"

भीमा मुस्कुराया और निशा के साथ बिस्तर पर से उतरा। दोनो नंगे टब परलेते और साथ में नहाने लगे। भीमा निशा के बदन के हर हिस्से को चूमता रहा। दोनो एक दूसरे से जिस्म की गर्मी का आनंद ले रहे थे।

"भीमा आज मजा आ रहा है। मुझे दोपहर को भी सेक्स करना है। आज तो छुट्टी है।"

"हां ठीक है। आज तो पलंगतोड प्यार होगा।"

श्वेता बच्चो के साथ खेलने में मग्न थी। दूसरी तरफ नटवर बगीचे में सिंचाई कर रहा था। बच्चो बाल के साथ खेल रहे थे। निशा के बड़े बेटे गौरव ने बॉल को जोर से फेका। श्वेता बाल को पकड़ने गई लेकिन बॉल उसकी पहुंच से बाहर थी। बॉल सीधा नटवर को लगा। बॉल लगते ही नटवर का बैलेंस बिगड़ा और वो गिरते गिरते बचा। इस बीच उसके हाथ में जो पाइप थी वो सीधा पास में खड़ी क्षेत्र की तरफ गया। पानी का बहाव इतना तेज था कि श्वेता पूरी तरह से गीली हो गई। पूरा साड़ी भीग गया। नटवर ने जब श्वेता को गीला होते हुए देखा तो तुरंत पाइप को नीचे गिरा दिया। इन सब में देरी होने के कारण श्वेता पूरी तरह से गीली हो चुकी थी। श्वेता के साड़ी का पल्लू नीचे गिरा। खुद को संभालते हुए श्वेता ने पल्लू ठीक किया और बिना कुछ सोचे समझे नटवर के पास आ गई और बोली "आप ठीक तो है न ? बॉल ज्यादा जोर से तो नहीं लगी न ?" श्वेता ने चिंता व्यक्त करते हुए पूछा।

नटवर माफी मांगते हुए बोला "में ठीक हूं श्वेताजी लेकिन हमे माफ कर दे। हमसे गलती हो गई। आप पूरी तरह से गीली हो गई।"

श्वेता बोली "उसमे माफी किस चीज की ? आपने जान बूझकर तो नही किया न ?" श्वेता गौरव की तरफ मुड़ी और इशारा करते हुए पास आने को कहा।

गौरव पास आया। श्वेता बोली "बेटा नटवर काका से माफी मांगो। बेटा उन्हें बॉल कहा है न।"

गौरव माफी मांगते हुए बोला "मुझे माफ करदो दादा।"

नटवर बोला "पागल चुप। इसमें माफी क्यों मांग रहा है। जा बेटा तू खेल।"

गौरव श्वेता की तरफ देखते हुए बोला "माफ करना मेरी वजह से आप भीग गई।"

श्वेता हल्के से मुस्कान लिए गौरव के गाल पे पप्पी देते हुए बोली "मेरा राजा बेटा कितना प्यारा है। चलो जाओ अब हाथ मुंह धो लो। खाने का वक्त हो गया।"

श्वेता नटवर की तरफ देखते हुए बोली "मै भी कपड़े बदलकर आती हूं।" यह कहकर वो अपने कमरे की तरफ दौड़ी। श्वेता ने गीली साड़ी को चाट पर सुखाने के लिए रख दिया। और खुद दूसरे साड़ी में आ गई। सभी ने खाना खाया। निशा और भीमा एक दूसरे को इशारा करते हुए अपने कमरे में गए। बच्चो को सुला दिया गया। नटवर श्वेता को लेकर खेत गया। खेत घर से थोड़े ही दूरी पर था। दोपहर का समय था और सभी जगह सन्नाटा था। श्वेता खेत के पास पहुंची। वहां दो कमरे का घर था। घर के बाहर खटिया पर मन्नू लेता था। मन्नू ने नटवर और श्वेता को सामने देखा तो उठकर उन्हें बैठाया।

"क्या मन्नू खेत का काम कैसा चल रहा है ?" नटवर ने पूछा।

"बहुत अच्छा चल रहा है।"

नटवर श्वेता से बोला " श्वेता ये तुम्हारे ससुर की जमीन है।"

श्वेता बोली "मैं कई दफा आ चुकी हूं।"

नटवर बोला "श्वेता मैं यहां खटिया पर लेटा हूं। मन्नू तुम श्वेता को खेत घुमा लाओ।"

मन्नू खुश हो गया और बोला "हां बिलकुल। श्वेता आओ मैं तुम्हे खेत घूमता हूं।"

"चलो।" श्वेता ने मुस्कान देते हुए कहा।

दोनो खेत घूमने चले गए। मन्नू श्वेता के सुंदरता पर वैसे ही लट्टू था। मन में बोला "वाह कितनी खूबसूरत है ये परी। जी करता है बस देखता रहूं। काश भीमा की तरह मुझे भी कोई खूबसूरत जवान औरत मिल जाए। मेरी बची खुची जिंदगी अच्छी चली जाएगी।

दोनो चलते चलते बाते करने लगे। उनके साथ एक कुत्ता भी चल रहा था। श्वेता बोली "अरे ये कुत्ता कब से चल रहा है मेरे पीछे।"

"हां तो चलने दो ना। उसकी भी इच्छा पूरी हो जाएगी।"

"कैसी इच्छा ?"

"आप जैसी खूबसूरत औरत को देखने का।"

श्वेता अपनी तारीफ सुनकर हंसने लगी और बोली "आप भी ना। कुत्ते को क्या खुबसूरती से लेना देना ? तारीफ भी सोच समझकर करिए।

"मैने तो सही तारीफ की लेकिन आप समझ नही रही।"

"अच्छा मैं समझ नही रही ? वैसे भी मेरे पीछे पीछे चलकर उसे क्या फायदा मिलेगा ?"

"ये सवाल का जवाब है मेरे पास।"

"क्या ?"

"देखो आप खूबसूरत है। ये बात सत्य है। मेरी तरह औरों को भी आप अच्छी लगी होंगी। अगर वो आपके पीछे पीछे चलेंगे तो आप उन्हें डांट देंगी या भागा देंगी। लेकिन कुर्ते को आप नही भगाएंगी। इससे कुत्ते आपको निहारता भी रहेगा। सच कहूं तो वो हर इंसान कुत्ते से जलता होगा। सोचता होगा की अगर हम कुत्ते होते तो कितना अच्छा अच्छा होता।"

श्वेता बोली "मतलब मैं आपको इतनी खूबसूरत लगती हूं ? लेकिन कोई बात नही आप इंसान होकर भी मेरे साथ चल रहे है और मैं आपको भगा भी नही रही।"

"हां ये तो मैने सोचा ही नहीं। यानी मेरे से अच्छा किस्मत किसी का नही।"

"सोचो मैंने तुम्हे ये नसीब दिया।" श्वेता मजाक करते हुए बोली।

"ये तो है ही। अच्छा आप चुटकुले सुनती है ?"

"हां। सुनाई कोई चुटकुला।"

"एक बार एक राजा। सभा में था। उसने सोचा कि सबसे अलसी वाले को ईनाम दूंगा। उसने घोषणा कर दी कि को आदमी आलसी हो वो अपने हाथ ऊपर कर ले। सभी ने किया। लेकिन उसका मंत्री ने हाथ ऊपर नही किया। राजा ने पूछा तुम मेहनती इंसान हो जिसने हाथ ऊपर नही किया। मंत्री हंसते हुए बोला क्या करूं महाराज मुझे हाथ ऊपर करने में आलस आ रही है।"

यह चुटकुला सुनकर श्वेता जोर जोर से हंसने लगी। ऐसे ही कई सारे चुकुल्ले मन्नू श्वेता को सुनने लगा। श्वेता का हंसते हंसते खेत का घूमना भी पूरा हुआ।

"बस मन्नू बस अब और नही। वरना मेरी हालत खराब हो जायेगी। हंसते हंसते मेरा पेट दर्द कर रहा है।"

"अच्छा हुआ आपने मुझे रोक दिया।"

"क्यों ?"

"क्योंकि मेरे सारे चुटकुले खत्म हो गए।"

"Stop it।" श्वेता ने हल्के से मन्नू को करते हुए कहा।

"वैसे श्वेता आप वापिस कब आएंगी ?" मन्नू ने पूछा।

"जब तुम बुलाओ।"

"रोज आओगी ?" मन्नू ने पूछा।

"रोज कैसे आ सकती हूं ?"

"तो फिर कहा क्यों कि जब तुम चाहो।"

"अरे बाबा ऐसा नहीं। अच्छा बोलो कब आऊं मै ?"

"कल सुबह आएंगी आप ?"

"कल ? कब आऊं ?"

"बिलकुल सुबह आओ। कल रविवार है तो कल आओ। दोपहर को हम यहां खाना खायेंगे। पूरा दिन रहेंगे साथ में।"

"लेकिन पूरा दिन करेंगे क्या ?"

"अरे घूमेंगे। यहां पास में ही पुराना गुफा है, तलाब है और फिर यहां बैठकर बाते करेंगे।"

"अच्छा ठीक है कल मैं आ जाऊंगी आपके पास खुश ?"

"बहुत खुश।"

मन्नू के साथ रहकर शाम कैसे हो गई पता न चला। श्वेता और नटवर भी चल दिए बाजार की तरफ। वहां बच्चो के लिए खाने पीने का सामान लिया और कुछ खिलौने भी। श्वेता आज बहुत खुश थी। उसे सच में खेत का वातावरण और मन्नू के साथ हंसने बोलने में मजा आया।
 

park

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देखते देखते एक हफ्ता गुजर गया। श्वेता अब काम को समझ गई। रोज को तरह सुबह 8 बजे नटवर के साथ स्कूल जाती। है सुबह को तरह आज भी सुबह 6 बजे श्वेता अपने बिस्तर से उठी और जल्दी से छत पर गई अपने कपड़े लेने। वहां देखा तो उसकी एक साड़ी गायब थी। शायद हो सकता है को हवा को वजह से सदी उड़ गई हो। यह सोचकर वो जल्दी से अपने कमरे गई और शावर लेने के बाद तैयार होकर सुबह 8 बजे स्कूल को रवाना हुई। नटवर भी साथ में था।

दोनो चल ही रहे थे कि भीमा का छोटा भाई मन्नू सामने आ गया। मन्नू उस वक्त धोती और ऊपर बिना कपड़े का था। नटवर और श्वेता को सामने देख नमस्कार किया। श्वेता मन्नू से मिली नही थी तो वो सवाल भरे चेहरे से नटवर को तरफ देखी।

नटवर ने जवाब दिया "श्वेताजी ये मन्नू है भीमा का छोटा भाई और मन्नू ये निशा को भाभी है।"

श्वेता ने मुस्कान दिये मन्नू के सामने हाथ जोड़ा। मन्नू पहली नजर में ही श्वेता को देखता रह गया। गोरा चेहरा जवानी से भरपूर सुंदर बदन और जवानी से भरपूर हर एक एक सुंदर अंग। मन्नू तो जैसे खयालों में ही खो गया। नटवर की ऊंची आवाज ने उसको जैसे नींद से जगाया।

"मन्नू क्या सोच रहा है ?"

"कुछ नही चाचा।" मन्नू श्वेता को तरफ देखा और कहा "मैं बस यहां खेत के पासवाले घर पर ही रहता हूं। कभी वक्त मिले तो आइए जरूर वहां का खेत भी दिखा देंगे आपको।"

श्वेता मुस्कुराते हुए बोली "कल शनिवार है। छुट्टी भी है तो कल दोपहर को आऊंगी खेत देखने। आप दिखाएंगे न ?"

"हां हां जी बिलकुल क्यों नहीं। नटवर चाचा आपको लेकर आएंगे। फिर खूब सारी बाते भी करेंगे।"

श्वेता और नटवर चाचा आगे बढ़े। पीछे से मन्नू श्वेता को देखता रह गया और बोला "ये सच में इंसान है। मुझे तो जैसे परी लग रही है। खैर जो भी हो मैं भी चलता हूं। खाद लेने जाना है।" इतना बोलकर मन्नू खाद लेने के लिए आगे बढ़ा।

श्वेता और नटवर ऑफिस आकार बैठ गए। नटवर अपने काम से पहले डायरी में कुछ लिखा और फिर शुरू हो गया काम करने। श्वेता रोज देखती कि नटवर कुछ न कुछ रोज डायरी में लिखते रहते है और बड़े ध्यान से लिखते है। श्वेता सोचती को ऐसा क्या लिखते होंगे। लिखते समय अलग मुस्कान उनके चेहरे पर रहती और तो और लिखने के बाद फिर से उनका चेहरा स्थिर हो जाता।

ऐसे ही दिन बीता और कल और परसो छुट्टी होने की वजह से काफी आराम महसूस करने लगी। श्वेता अगले दिन सुबह उठी और सोचा कि कल का दिया वादा पूरा करना है। मन्नू से मिल लेगी और खेत भी देख लेगी।

श्वेता सुबह सात बजे उठी तो देखा कि बच्चे सो रहे है। आखिर छुट्टी की वजह से ही सो रहे थे। नटवर सुबह सुबह बगीचे को पानी दे रहे थे। निशा और भीमा का कमरा भी अंदर से बंद था। श्वेता सोचने लगी कि निशा तो हर रोज सुबह सुबह उठ जाती थी तो आज late क्यो ?

अब दरअसल बात ऐसी है कि निशा और भीमा ने कप रात कई घंटो तक सेक्स किया था। इस घमासान सेक्स की वजह से दोनो थके हुए थे। दोनो नंगे बिस्तर पर एकदूसरे से लिपटकर सो रहे थे।

श्वेता को देख नटवर बोला "और श्वेतजी आप सुबह सुबह उठ गई। आज तो छुट्टी है। भला आप इतने जल्दी उठी ? जाइए सो जाइए।"

श्वेता बोली "नही नही। मेरी नींद पूरी हो गई। मैं जा रही हूं नहाने। वैसे नटवर चाचा आप मुझे खेतड़ीखाने कब ले जा रहे है ?"

"आज दोपहर 1 बजे चलते है। वहां खेत देख लेंगे और फिर शाम को वापिस लौटेंगे। बच्चो के लिए समोसा जलेबी लेकर आएंगे।"

"हां हां बिलकुल। वैसे भी बच्चे बहुत ज़िद कर रहे थे बाहर का खाना खाने के लिए।"

"चलो श्वेतजी मैं भी चला नहाने। मालती नाश्ता बना देगी। फिर धीरे धीरे करके सब उठ जायेंगे।"

श्वेता चली गई नहाने। वही निशा और भीमा को भी आंखे खुली।

"भीमा उठिए। सुबह हो गई।" निशा लंबी अंगड़ाई लेते हुए बोली।

भीमा निशा के होठ को चूमते हुए बोला "सोने दो ना जानेमन। आज छुट्टी है।"

"मेरे राजाजी उठ जाइए। मुझे नहाने जाना है।"

भीमा बोला "चलो साथ में नहाते हैं टब में पानी भर दो। आज साथ में नहाने का मन है।"

निशा मुस्कुराते हुए बोली "हां चलो। मेरा भी मन है।"

भीमा मुस्कुराया और निशा के साथ बिस्तर पर से उतरा। दोनो नंगे टब परलेते और साथ में नहाने लगे। भीमा निशा के बदन के हर हिस्से को चूमता रहा। दोनो एक दूसरे से जिस्म की गर्मी का आनंद ले रहे थे।

"भीमा आज मजा आ रहा है। मुझे दोपहर को भी सेक्स करना है। आज तो छुट्टी है।"

"हां ठीक है। आज तो पलंगतोड प्यार होगा।"

श्वेता बच्चो के साथ खेलने में मग्न थी। दूसरी तरफ नटवर बगीचे में सिंचाई कर रहा था। बच्चो बाल के साथ खेल रहे थे। निशा के बड़े बेटे गौरव ने बॉल को जोर से फेका। श्वेता बाल को पकड़ने गई लेकिन बॉल उसकी पहुंच से बाहर थी। बॉल सीधा नटवर को लगा। बॉल लगते ही नटवर का बैलेंस बिगड़ा और वो गिरते गिरते बचा। इस बीच उसके हाथ में जो पाइप थी वो सीधा पास में खड़ी क्षेत्र की तरफ गया। पानी का बहाव इतना तेज था कि श्वेता पूरी तरह से गीली हो गई। पूरा साड़ी भीग गया। नटवर ने जब श्वेता को गीला होते हुए देखा तो तुरंत पाइप को नीचे गिरा दिया। इन सब में देरी होने के कारण श्वेता पूरी तरह से गीली हो चुकी थी। श्वेता के साड़ी का पल्लू नीचे गिरा। खुद को संभालते हुए श्वेता ने पल्लू ठीक किया और बिना कुछ सोचे समझे नटवर के पास आ गई और बोली "आप ठीक तो है न ? बॉल ज्यादा जोर से तो नहीं लगी न ?" श्वेता ने चिंता व्यक्त करते हुए पूछा।

नटवर माफी मांगते हुए बोला "में ठीक हूं श्वेताजी लेकिन हमे माफ कर दे। हमसे गलती हो गई। आप पूरी तरह से गीली हो गई।"

श्वेता बोली "उसमे माफी किस चीज की ? आपने जान बूझकर तो नही किया न ?" श्वेता गौरव की तरफ मुड़ी और इशारा करते हुए पास आने को कहा।

गौरव पास आया। श्वेता बोली "बेटा नटवर काका से माफी मांगो। बेटा उन्हें बॉल कहा है न।"

गौरव माफी मांगते हुए बोला "मुझे माफ करदो दादा।"

नटवर बोला "पागल चुप। इसमें माफी क्यों मांग रहा है। जा बेटा तू खेल।"

गौरव श्वेता की तरफ देखते हुए बोला "माफ करना मेरी वजह से आप भीग गई।"

श्वेता हल्के से मुस्कान लिए गौरव के गाल पे पप्पी देते हुए बोली "मेरा राजा बेटा कितना प्यारा है। चलो जाओ अब हाथ मुंह धो लो। खाने का वक्त हो गया।"

श्वेता नटवर की तरफ देखते हुए बोली "मै भी कपड़े बदलकर आती हूं।" यह कहकर वो अपने कमरे की तरफ दौड़ी। श्वेता ने गीली साड़ी को चाट पर सुखाने के लिए रख दिया। और खुद दूसरे साड़ी में आ गई। सभी ने खाना खाया। निशा और भीमा एक दूसरे को इशारा करते हुए अपने कमरे में गए। बच्चो को सुला दिया गया। नटवर श्वेता को लेकर खेत गया। खेत घर से थोड़े ही दूरी पर था। दोपहर का समय था और सभी जगह सन्नाटा था। श्वेता खेत के पास पहुंची। वहां दो कमरे का घर था। घर के बाहर खटिया पर मन्नू लेता था। मन्नू ने नटवर और श्वेता को सामने देखा तो उठकर उन्हें बैठाया।

"क्या मन्नू खेत का काम कैसा चल रहा है ?" नटवर ने पूछा।

"बहुत अच्छा चल रहा है।"

नटवर श्वेता से बोला " श्वेता ये तुम्हारे ससुर की जमीन है।"

श्वेता बोली "मैं कई दफा आ चुकी हूं।"

नटवर बोला "श्वेता मैं यहां खटिया पर लेटा हूं। मन्नू तुम श्वेता को खेत घुमा लाओ।"

मन्नू खुश हो गया और बोला "हां बिलकुल। श्वेता आओ मैं तुम्हे खेत घूमता हूं।"

"चलो।" श्वेता ने मुस्कान देते हुए कहा।

दोनो खेत घूमने चले गए। मन्नू श्वेता के सुंदरता पर वैसे ही लट्टू था। मन में बोला "वाह कितनी खूबसूरत है ये परी। जी करता है बस देखता रहूं। काश भीमा की तरह मुझे भी कोई खूबसूरत जवान औरत मिल जाए। मेरी बची खुची जिंदगी अच्छी चली जाएगी।

दोनो चलते चलते बाते करने लगे। उनके साथ एक कुत्ता भी चल रहा था। श्वेता बोली "अरे ये कुत्ता कब से चल रहा है मेरे पीछे।"

"हां तो चलने दो ना। उसकी भी इच्छा पूरी हो जाएगी।"

"कैसी इच्छा ?"

"आप जैसी खूबसूरत औरत को देखने का।"

श्वेता अपनी तारीफ सुनकर हंसने लगी और बोली "आप भी ना। कुत्ते को क्या खुबसूरती से लेना देना ? तारीफ भी सोच समझकर करिए।

"मैने तो सही तारीफ की लेकिन आप समझ नही रही।"

"अच्छा मैं समझ नही रही ? वैसे भी मेरे पीछे पीछे चलकर उसे क्या फायदा मिलेगा ?"

"ये सवाल का जवाब है मेरे पास।"

"क्या ?"

"देखो आप खूबसूरत है। ये बात सत्य है। मेरी तरह औरों को भी आप अच्छी लगी होंगी। अगर वो आपके पीछे पीछे चलेंगे तो आप उन्हें डांट देंगी या भागा देंगी। लेकिन कुर्ते को आप नही भगाएंगी। इससे कुत्ते आपको निहारता भी रहेगा। सच कहूं तो वो हर इंसान कुत्ते से जलता होगा। सोचता होगा की अगर हम कुत्ते होते तो कितना अच्छा अच्छा होता।"

श्वेता बोली "मतलब मैं आपको इतनी खूबसूरत लगती हूं ? लेकिन कोई बात नही आप इंसान होकर भी मेरे साथ चल रहे है और मैं आपको भगा भी नही रही।"

"हां ये तो मैने सोचा ही नहीं। यानी मेरे से अच्छा किस्मत किसी का नही।"

"सोचो मैंने तुम्हे ये नसीब दिया।" श्वेता मजाक करते हुए बोली।

"ये तो है ही। अच्छा आप चुटकुले सुनती है ?"

"हां। सुनाई कोई चुटकुला।"

"एक बार एक राजा। सभा में था। उसने सोचा कि सबसे अलसी वाले को ईनाम दूंगा। उसने घोषणा कर दी कि को आदमी आलसी हो वो अपने हाथ ऊपर कर ले। सभी ने किया। लेकिन उसका मंत्री ने हाथ ऊपर नही किया। राजा ने पूछा तुम मेहनती इंसान हो जिसने हाथ ऊपर नही किया। मंत्री हंसते हुए बोला क्या करूं महाराज मुझे हाथ ऊपर करने में आलस आ रही है।"

यह चुटकुला सुनकर श्वेता जोर जोर से हंसने लगी। ऐसे ही कई सारे चुकुल्ले मन्नू श्वेता को सुनने लगा। श्वेता का हंसते हंसते खेत का घूमना भी पूरा हुआ।

"बस मन्नू बस अब और नही। वरना मेरी हालत खराब हो जायेगी। हंसते हंसते मेरा पेट दर्द कर रहा है।"

"अच्छा हुआ आपने मुझे रोक दिया।"

"क्यों ?"

"क्योंकि मेरे सारे चुटकुले खत्म हो गए।"

"Stop it।" श्वेता ने हल्के से मन्नू को करते हुए कहा।

"वैसे श्वेता आप वापिस कब आएंगी ?" मन्नू ने पूछा।

"जब तुम बुलाओ।"

"रोज आओगी ?" मन्नू ने पूछा।

"रोज कैसे आ सकती हूं ?"

"तो फिर कहा क्यों कि जब तुम चाहो।"

"अरे बाबा ऐसा नहीं। अच्छा बोलो कब आऊं मै ?"

"कल सुबह आएंगी आप ?"

"कल ? कब आऊं ?"

"बिलकुल सुबह आओ। कल रविवार है तो कल आओ। दोपहर को हम यहां खाना खायेंगे। पूरा दिन रहेंगे साथ में।"

"लेकिन पूरा दिन करेंगे क्या ?"

"अरे घूमेंगे। यहां पास में ही पुराना गुफा है, तलाब है और फिर यहां बैठकर बाते करेंगे।"

"अच्छा ठीक है कल मैं आ जाऊंगी आपके पास खुश ?"

"बहुत खुश।"

मन्नू के साथ रहकर शाम कैसे हो गई पता न चला। श्वेता और नटवर भी चल दिए बाजार की तरफ। वहां बच्चो के लिए खाने पीने का सामान लिया और कुछ खिलौने भी। श्वेता आज बहुत खुश थी। उसे सच में खेत का वातावरण और मन्नू के साथ हंसने बोलने में मजा आया।
Nice and superb update....
 

kas1709

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देखते देखते एक हफ्ता गुजर गया। श्वेता अब काम को समझ गई। रोज को तरह सुबह 8 बजे नटवर के साथ स्कूल जाती। है सुबह को तरह आज भी सुबह 6 बजे श्वेता अपने बिस्तर से उठी और जल्दी से छत पर गई अपने कपड़े लेने। वहां देखा तो उसकी एक साड़ी गायब थी। शायद हो सकता है को हवा को वजह से सदी उड़ गई हो। यह सोचकर वो जल्दी से अपने कमरे गई और शावर लेने के बाद तैयार होकर सुबह 8 बजे स्कूल को रवाना हुई। नटवर भी साथ में था।

दोनो चल ही रहे थे कि भीमा का छोटा भाई मन्नू सामने आ गया। मन्नू उस वक्त धोती और ऊपर बिना कपड़े का था। नटवर और श्वेता को सामने देख नमस्कार किया। श्वेता मन्नू से मिली नही थी तो वो सवाल भरे चेहरे से नटवर को तरफ देखी।

नटवर ने जवाब दिया "श्वेताजी ये मन्नू है भीमा का छोटा भाई और मन्नू ये निशा को भाभी है।"

श्वेता ने मुस्कान दिये मन्नू के सामने हाथ जोड़ा। मन्नू पहली नजर में ही श्वेता को देखता रह गया। गोरा चेहरा जवानी से भरपूर सुंदर बदन और जवानी से भरपूर हर एक एक सुंदर अंग। मन्नू तो जैसे खयालों में ही खो गया। नटवर की ऊंची आवाज ने उसको जैसे नींद से जगाया।

"मन्नू क्या सोच रहा है ?"

"कुछ नही चाचा।" मन्नू श्वेता को तरफ देखा और कहा "मैं बस यहां खेत के पासवाले घर पर ही रहता हूं। कभी वक्त मिले तो आइए जरूर वहां का खेत भी दिखा देंगे आपको।"

श्वेता मुस्कुराते हुए बोली "कल शनिवार है। छुट्टी भी है तो कल दोपहर को आऊंगी खेत देखने। आप दिखाएंगे न ?"

"हां हां जी बिलकुल क्यों नहीं। नटवर चाचा आपको लेकर आएंगे। फिर खूब सारी बाते भी करेंगे।"

श्वेता और नटवर चाचा आगे बढ़े। पीछे से मन्नू श्वेता को देखता रह गया और बोला "ये सच में इंसान है। मुझे तो जैसे परी लग रही है। खैर जो भी हो मैं भी चलता हूं। खाद लेने जाना है।" इतना बोलकर मन्नू खाद लेने के लिए आगे बढ़ा।

श्वेता और नटवर ऑफिस आकार बैठ गए। नटवर अपने काम से पहले डायरी में कुछ लिखा और फिर शुरू हो गया काम करने। श्वेता रोज देखती कि नटवर कुछ न कुछ रोज डायरी में लिखते रहते है और बड़े ध्यान से लिखते है। श्वेता सोचती को ऐसा क्या लिखते होंगे। लिखते समय अलग मुस्कान उनके चेहरे पर रहती और तो और लिखने के बाद फिर से उनका चेहरा स्थिर हो जाता।

ऐसे ही दिन बीता और कल और परसो छुट्टी होने की वजह से काफी आराम महसूस करने लगी। श्वेता अगले दिन सुबह उठी और सोचा कि कल का दिया वादा पूरा करना है। मन्नू से मिल लेगी और खेत भी देख लेगी।

श्वेता सुबह सात बजे उठी तो देखा कि बच्चे सो रहे है। आखिर छुट्टी की वजह से ही सो रहे थे। नटवर सुबह सुबह बगीचे को पानी दे रहे थे। निशा और भीमा का कमरा भी अंदर से बंद था। श्वेता सोचने लगी कि निशा तो हर रोज सुबह सुबह उठ जाती थी तो आज late क्यो ?

अब दरअसल बात ऐसी है कि निशा और भीमा ने कप रात कई घंटो तक सेक्स किया था। इस घमासान सेक्स की वजह से दोनो थके हुए थे। दोनो नंगे बिस्तर पर एकदूसरे से लिपटकर सो रहे थे।

श्वेता को देख नटवर बोला "और श्वेतजी आप सुबह सुबह उठ गई। आज तो छुट्टी है। भला आप इतने जल्दी उठी ? जाइए सो जाइए।"

श्वेता बोली "नही नही। मेरी नींद पूरी हो गई। मैं जा रही हूं नहाने। वैसे नटवर चाचा आप मुझे खेतड़ीखाने कब ले जा रहे है ?"

"आज दोपहर 1 बजे चलते है। वहां खेत देख लेंगे और फिर शाम को वापिस लौटेंगे। बच्चो के लिए समोसा जलेबी लेकर आएंगे।"

"हां हां बिलकुल। वैसे भी बच्चे बहुत ज़िद कर रहे थे बाहर का खाना खाने के लिए।"

"चलो श्वेतजी मैं भी चला नहाने। मालती नाश्ता बना देगी। फिर धीरे धीरे करके सब उठ जायेंगे।"

श्वेता चली गई नहाने। वही निशा और भीमा को भी आंखे खुली।

"भीमा उठिए। सुबह हो गई।" निशा लंबी अंगड़ाई लेते हुए बोली।

भीमा निशा के होठ को चूमते हुए बोला "सोने दो ना जानेमन। आज छुट्टी है।"

"मेरे राजाजी उठ जाइए। मुझे नहाने जाना है।"

भीमा बोला "चलो साथ में नहाते हैं टब में पानी भर दो। आज साथ में नहाने का मन है।"

निशा मुस्कुराते हुए बोली "हां चलो। मेरा भी मन है।"

भीमा मुस्कुराया और निशा के साथ बिस्तर पर से उतरा। दोनो नंगे टब परलेते और साथ में नहाने लगे। भीमा निशा के बदन के हर हिस्से को चूमता रहा। दोनो एक दूसरे से जिस्म की गर्मी का आनंद ले रहे थे।

"भीमा आज मजा आ रहा है। मुझे दोपहर को भी सेक्स करना है। आज तो छुट्टी है।"

"हां ठीक है। आज तो पलंगतोड प्यार होगा।"

श्वेता बच्चो के साथ खेलने में मग्न थी। दूसरी तरफ नटवर बगीचे में सिंचाई कर रहा था। बच्चो बाल के साथ खेल रहे थे। निशा के बड़े बेटे गौरव ने बॉल को जोर से फेका। श्वेता बाल को पकड़ने गई लेकिन बॉल उसकी पहुंच से बाहर थी। बॉल सीधा नटवर को लगा। बॉल लगते ही नटवर का बैलेंस बिगड़ा और वो गिरते गिरते बचा। इस बीच उसके हाथ में जो पाइप थी वो सीधा पास में खड़ी क्षेत्र की तरफ गया। पानी का बहाव इतना तेज था कि श्वेता पूरी तरह से गीली हो गई। पूरा साड़ी भीग गया। नटवर ने जब श्वेता को गीला होते हुए देखा तो तुरंत पाइप को नीचे गिरा दिया। इन सब में देरी होने के कारण श्वेता पूरी तरह से गीली हो चुकी थी। श्वेता के साड़ी का पल्लू नीचे गिरा। खुद को संभालते हुए श्वेता ने पल्लू ठीक किया और बिना कुछ सोचे समझे नटवर के पास आ गई और बोली "आप ठीक तो है न ? बॉल ज्यादा जोर से तो नहीं लगी न ?" श्वेता ने चिंता व्यक्त करते हुए पूछा।

नटवर माफी मांगते हुए बोला "में ठीक हूं श्वेताजी लेकिन हमे माफ कर दे। हमसे गलती हो गई। आप पूरी तरह से गीली हो गई।"

श्वेता बोली "उसमे माफी किस चीज की ? आपने जान बूझकर तो नही किया न ?" श्वेता गौरव की तरफ मुड़ी और इशारा करते हुए पास आने को कहा।

गौरव पास आया। श्वेता बोली "बेटा नटवर काका से माफी मांगो। बेटा उन्हें बॉल कहा है न।"

गौरव माफी मांगते हुए बोला "मुझे माफ करदो दादा।"

नटवर बोला "पागल चुप। इसमें माफी क्यों मांग रहा है। जा बेटा तू खेल।"

गौरव श्वेता की तरफ देखते हुए बोला "माफ करना मेरी वजह से आप भीग गई।"

श्वेता हल्के से मुस्कान लिए गौरव के गाल पे पप्पी देते हुए बोली "मेरा राजा बेटा कितना प्यारा है। चलो जाओ अब हाथ मुंह धो लो। खाने का वक्त हो गया।"

श्वेता नटवर की तरफ देखते हुए बोली "मै भी कपड़े बदलकर आती हूं।" यह कहकर वो अपने कमरे की तरफ दौड़ी। श्वेता ने गीली साड़ी को चाट पर सुखाने के लिए रख दिया। और खुद दूसरे साड़ी में आ गई। सभी ने खाना खाया। निशा और भीमा एक दूसरे को इशारा करते हुए अपने कमरे में गए। बच्चो को सुला दिया गया। नटवर श्वेता को लेकर खेत गया। खेत घर से थोड़े ही दूरी पर था। दोपहर का समय था और सभी जगह सन्नाटा था। श्वेता खेत के पास पहुंची। वहां दो कमरे का घर था। घर के बाहर खटिया पर मन्नू लेता था। मन्नू ने नटवर और श्वेता को सामने देखा तो उठकर उन्हें बैठाया।

"क्या मन्नू खेत का काम कैसा चल रहा है ?" नटवर ने पूछा।

"बहुत अच्छा चल रहा है।"

नटवर श्वेता से बोला " श्वेता ये तुम्हारे ससुर की जमीन है।"

श्वेता बोली "मैं कई दफा आ चुकी हूं।"

नटवर बोला "श्वेता मैं यहां खटिया पर लेटा हूं। मन्नू तुम श्वेता को खेत घुमा लाओ।"

मन्नू खुश हो गया और बोला "हां बिलकुल। श्वेता आओ मैं तुम्हे खेत घूमता हूं।"

"चलो।" श्वेता ने मुस्कान देते हुए कहा।

दोनो खेत घूमने चले गए। मन्नू श्वेता के सुंदरता पर वैसे ही लट्टू था। मन में बोला "वाह कितनी खूबसूरत है ये परी। जी करता है बस देखता रहूं। काश भीमा की तरह मुझे भी कोई खूबसूरत जवान औरत मिल जाए। मेरी बची खुची जिंदगी अच्छी चली जाएगी।

दोनो चलते चलते बाते करने लगे। उनके साथ एक कुत्ता भी चल रहा था। श्वेता बोली "अरे ये कुत्ता कब से चल रहा है मेरे पीछे।"

"हां तो चलने दो ना। उसकी भी इच्छा पूरी हो जाएगी।"

"कैसी इच्छा ?"

"आप जैसी खूबसूरत औरत को देखने का।"

श्वेता अपनी तारीफ सुनकर हंसने लगी और बोली "आप भी ना। कुत्ते को क्या खुबसूरती से लेना देना ? तारीफ भी सोच समझकर करिए।

"मैने तो सही तारीफ की लेकिन आप समझ नही रही।"

"अच्छा मैं समझ नही रही ? वैसे भी मेरे पीछे पीछे चलकर उसे क्या फायदा मिलेगा ?"

"ये सवाल का जवाब है मेरे पास।"

"क्या ?"

"देखो आप खूबसूरत है। ये बात सत्य है। मेरी तरह औरों को भी आप अच्छी लगी होंगी। अगर वो आपके पीछे पीछे चलेंगे तो आप उन्हें डांट देंगी या भागा देंगी। लेकिन कुर्ते को आप नही भगाएंगी। इससे कुत्ते आपको निहारता भी रहेगा। सच कहूं तो वो हर इंसान कुत्ते से जलता होगा। सोचता होगा की अगर हम कुत्ते होते तो कितना अच्छा अच्छा होता।"

श्वेता बोली "मतलब मैं आपको इतनी खूबसूरत लगती हूं ? लेकिन कोई बात नही आप इंसान होकर भी मेरे साथ चल रहे है और मैं आपको भगा भी नही रही।"

"हां ये तो मैने सोचा ही नहीं। यानी मेरे से अच्छा किस्मत किसी का नही।"

"सोचो मैंने तुम्हे ये नसीब दिया।" श्वेता मजाक करते हुए बोली।

"ये तो है ही। अच्छा आप चुटकुले सुनती है ?"

"हां। सुनाई कोई चुटकुला।"

"एक बार एक राजा। सभा में था। उसने सोचा कि सबसे अलसी वाले को ईनाम दूंगा। उसने घोषणा कर दी कि को आदमी आलसी हो वो अपने हाथ ऊपर कर ले। सभी ने किया। लेकिन उसका मंत्री ने हाथ ऊपर नही किया। राजा ने पूछा तुम मेहनती इंसान हो जिसने हाथ ऊपर नही किया। मंत्री हंसते हुए बोला क्या करूं महाराज मुझे हाथ ऊपर करने में आलस आ रही है।"

यह चुटकुला सुनकर श्वेता जोर जोर से हंसने लगी। ऐसे ही कई सारे चुकुल्ले मन्नू श्वेता को सुनने लगा। श्वेता का हंसते हंसते खेत का घूमना भी पूरा हुआ।

"बस मन्नू बस अब और नही। वरना मेरी हालत खराब हो जायेगी। हंसते हंसते मेरा पेट दर्द कर रहा है।"

"अच्छा हुआ आपने मुझे रोक दिया।"

"क्यों ?"

"क्योंकि मेरे सारे चुटकुले खत्म हो गए।"

"Stop it।" श्वेता ने हल्के से मन्नू को करते हुए कहा।

"वैसे श्वेता आप वापिस कब आएंगी ?" मन्नू ने पूछा।

"जब तुम बुलाओ।"

"रोज आओगी ?" मन्नू ने पूछा।

"रोज कैसे आ सकती हूं ?"

"तो फिर कहा क्यों कि जब तुम चाहो।"

"अरे बाबा ऐसा नहीं। अच्छा बोलो कब आऊं मै ?"

"कल सुबह आएंगी आप ?"

"कल ? कब आऊं ?"

"बिलकुल सुबह आओ। कल रविवार है तो कल आओ। दोपहर को हम यहां खाना खायेंगे। पूरा दिन रहेंगे साथ में।"

"लेकिन पूरा दिन करेंगे क्या ?"

"अरे घूमेंगे। यहां पास में ही पुराना गुफा है, तलाब है और फिर यहां बैठकर बाते करेंगे।"

"अच्छा ठीक है कल मैं आ जाऊंगी आपके पास खुश ?"

"बहुत खुश।"

मन्नू के साथ रहकर शाम कैसे हो गई पता न चला। श्वेता और नटवर भी चल दिए बाजार की तरफ। वहां बच्चो के लिए खाने पीने का सामान लिया और कुछ खिलौने भी। श्वेता आज बहुत खुश थी। उसे सच में खेत का वातावरण और मन्नू के साथ हंसने बोलने में मजा आया।
Nice update...
 

Hills

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ac483be6230e44b29fa02be4518a3df1 श्वेता इस कहानी की मुख्य किरदार। नटवर और मन्नू के बीच किसे चुनेगी श्वेता ये देखना है।

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DB Singh

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Of course mannu ko chunna chahiye natvar 85 ka ho gya hai usko chunna bekar hoga.. Mannu hansmukh hai khushdil hai... Sense of humor acha lga mannu ka.. Shweta or mannu ki Jodi achi rhegi
 

Hills

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मन्नू बहुत खुश है आज। आखिर उसे श्वेता के साथ पूरा दिन बिताने का मौका मिलेगा। वैसे एक बात बता दूं कि मन्नू के दिल में श्वेता बसने लगी। उसमे श्वेता को पाने का जूनून सवार होने लगा। कल से श्वेता के बारे में सोचकर खुश हो रहा था। खुद से कहने लगा "मन्नू श्वेता जिस दिन तेरी हुई न उस दिन के बाद तेरी किस्मत उल्टी हो जाएगी। एक खूबसूरत औरत को बाहों में मुझे अपना बुढ़ापा गुजरना है। मेरे भाई भीमा की तरह मुझे भी एक खूबसूरत जवान औरत मिल जाएगी।"

वैसे आपको एक बात बता दूं। मन्नू निशा को भी पसंद करता था। निशा उसकी भाभी है इसीलिए दूरी बना ली। इसीलिए वो हवेली में नही इस छोटे से घर में रहता था। मन्नू एक बहुत ही अच्छा चित्रकार है। पूरी रात अपने दिल को काबू में करने के लिए श्वेता की तस्वीर बना रहा था।

"श्वेता ओ श्वेता। अब तुम हमेशा के लिए यहां आ गई। अब तो हमारा मिलना रहेगा। लेकिन कब तक ये दोस्ती का रिश्ता बनाएंगे ? किसी न किसी दिन तुमसे अपने प्यार का इजहार तो करना ही है। जिस दिन तुम मेरी हुई, उस दिन के बाद तुम्हारा अकेलापन हमेशा के लिए खत्म। श्वेता तुम्हे अंदाजा नहीं कि हर पल तुम्हे पाने का जूनून बढ़ता जा रहा है। श्वेता बस एक बार मेरे प्यार को स्वीकार कर लो। अगर तुमने मेरे प्यार ठुकराया तो मैं वही मन्नू हूं जो मुड़कर भी तुम्हे नही देखेगा। फिर किसी जवान औरत को दिल देगा। भीमा को देखकर मैंने तय कर लिया कि मैं किसी जवान स्त्री को अपने साथ रखूंगा। जी भर के उसे प्यार करूंगा।"

मन्नू ने पेंटिंग बना ली। मन्नू को खासियत यह थी कि वो किसी भी महिला को लेकर उनके शरीर के आकार सहित अच्छे से पेंटिंग बना सकता है। पेंटिंग बनाते बनाते रात गुजर गई। मन्नू को नींद आने लगी। सोचा थोड़ी देर आराम कर ले। सुबह 5 बजे थे। सोचा श्वेता 10 बजे तक आ जाएगी। यही सोचकर वो सोने चला गया। घर के बाहर खटिया रखकर सोने चला गया। पेड़ के छाए पर सो रहा मुन्ना नही जानता था कि श्वेता सुबह 8 बजे उसके पास आकर खड़ी है। गहरी नींद में सो रहे मुन्ना ने नींद को श्वेता ने तोड़ दिया।

"उठिए मन्नू उठ जाइए।" श्वेता ने मन्नू को उठाने का प्रयास किया।

"उम्म्म सोने दो ना नटवर चाचा। उठा ऐसे रहे हो जैसे श्वेता आई हो।" मन्नू होश में नहीं था और वो श्वेता का नाम लिए जा रहा था।

मन्नू फिर से सोते हुए बोला "सोने दो चाचा। श्वेता आ जाएगी। तब से गहरी नींद में सो लेता हूं।"

"अरे मुन्ना उठो। मै आ गई। श्वेता ने जोर से हिलाकर मन्नू को उठाया।

मन्नू की आंखे खुली तो सामने श्वेता के खूबसूरत चेहरे को देखा। नीली साड़ी और काले रंग का sleveless ब्लाउस और खुले बाल में श्वेता कयामत लग रही थीं। मन्नू तो जैसे इन खुबसूरती में खो गया।

श्वेता ने मन्नू को हल्का सा धक्का देते हुए कहा "इतने सुबह आई तुमसे मिलने और तुम हो कि सो रहे हो। ठीक है सो जाओ। मैं चलती हूं।" श्वेता पीछे मुड़ी चलने को।

मनु ने पीछे से श्वेता का हाथ पकड़ा और बोला "माफ करदो माफ करदो। मेहरबानी करके मत जाओ।"

"कितने गंदे आदमी हो तुम। मैं कब से यहां आई हूं और तुम घोड़े बेचकर सो रहे हो।"

"मेरी गलती मेरी गलती। मुझे पांच मिनिट दो। मैं तैयार हो जाऊं। तब तक तुम अंदर आ जाओ।"

श्वेता मुंह बनाते हुए अंदर आई और बैठ गई। मनु दौड़ते हुए नहा धो लिया और तैयार हो गया। वापिस आया तो श्वेता का बिगड़ा हुआ मुंह देखा।

मन्नू श्वेता के पास आया और बोला "अभी भी गुस्सा आ रहा है ?"

श्वेता बोली "हां।"

मन्नू कान पकड़कर उठक बैठक करने लगा। मन्नू को उठक बैठक करता देख श्वेता हल्के से हंस दी और बोली "बहुत पागल हो तुम। चलो मैं माफ कर दिया।"

मन्नू बोला "सच्ची ?"

"मुच्ची।"

"तो फिर अच्छा हुआ। मै घबरा गया था।"

"अच्छा आज हम करेंगे क्या ?"

"चलो मेरे साथ आज मैं तुम्हे बाहर एक गुफा ले चलता हूं।"

"वहां क्या है ?"

"तुम चलो तो सही।"

दोनो जंगल के अंदर गुफा की तरफ चल दिए। मन्नू और श्वेता गुफा पहुंचे।

श्वेता पूछी "अंदर क्या मन्नू ?"

"अंदर एक छोटा सा घर है जिसमे मैंने पेंटिंग बनाई है।"

"तुम पेंटिंग बना लेते हो ?"

"हां।"

दोनो अंदर गए। वहां मन्नू के बनाए तस्वीरों को श्वेता ने देखा। को बहुत ही खूबसूरत था। ज्यादातर तस्वीरे महिलाओं को लेकर ही बना था। इन सभी तस्वीरों में से निशा की तस्वीर भी बनी थी। पूरे पांच पेंटिंग बना थी।

"निशा की पेंटिंग बीज बनाई तुमने ? बहुत खूबसूरत है।" श्वेता ने कहा।

"मैं आपकी भी तस्वीर बना सकता हूं। "

"सच में ? तो कब बनाओगे ?"

"जब तुम चाहो।"

"तो फिर जल्द से जल्द बनाओ।"

"ठीक है।"

दोनो ने खूब सारी बाते की। दोनो ने तलाब के पास भी बैठकर बातचीत की। दोनो वापिस घर आए।

"श्वेता आज हम साथ में खाना बनाएंगे।"

"हां ठीक है। लेकिन तुम्हारा रसोईघर कहां है ?"

"चलो दिखाता हूं।" मन्नू श्वेता को रसोईघर ले गया

"सुनी श्वेता मैं आता हूं।"

मन्नू अपने कमरे चला गया। वहां उसने कुछ पेंटिंग को बाहर निकाला जो निशा का था। जो नग्न अवस्था वाली पेंटिंग थी। दरअसल बात ये थी कि मन्नू निशा से प्यार करता था और करता भी है लेकिन भाभी होने की वजह से कुछ किया नहीं।

"निशा तुम न सही तो श्वेता हो सही। उसे मेरा जीवन साथी बनना होगा।"



निशा को पेंटिंग जो मन्नू ने बनाई



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park

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मन्नू बहुत खुश है आज। आखिर उसे श्वेता के साथ पूरा दिन बिताने का मौका मिलेगा। वैसे एक बात बता दूं कि मन्नू के दिल में श्वेता बसने लगी। उसमे श्वेता को पाने का जूनून सवार होने लगा। कल से श्वेता के बारे में सोचकर खुश हो रहा था। खुद से कहने लगा "मन्नू श्वेता जिस दिन तेरी हुई न उस दिन के बाद तेरी किस्मत उल्टी हो जाएगी। एक खूबसूरत औरत को बाहों में मुझे अपना बुढ़ापा गुजरना है। मेरे भाई भीमा की तरह मुझे भी एक खूबसूरत जवान औरत मिल जाएगी।"

वैसे आपको एक बात बता दूं। मन्नू निशा को भी पसंद करता था। निशा उसकी भाभी है इसीलिए दूरी बना ली। इसीलिए वो हवेली में नही इस छोटे से घर में रहता था। मन्नू एक बहुत ही अच्छा चित्रकार है। पूरी रात अपने दिल को काबू में करने के लिए श्वेता की तस्वीर बना रहा था।

"श्वेता ओ श्वेता। अब तुम हमेशा के लिए यहां आ गई। अब तो हमारा मिलना रहेगा। लेकिन कब तक ये दोस्ती का रिश्ता बनाएंगे ? किसी न किसी दिन तुमसे अपने प्यार का इजहार तो करना ही है। जिस दिन तुम मेरी हुई, उस दिन के बाद तुम्हारा अकेलापन हमेशा के लिए खत्म। श्वेता तुम्हे अंदाजा नहीं कि हर पल तुम्हे पाने का जूनून बढ़ता जा रहा है। श्वेता बस एक बार मेरे प्यार को स्वीकार कर लो। अगर तुमने मेरे प्यार ठुकराया तो मैं वही मन्नू हूं जो मुड़कर भी तुम्हे नही देखेगा। फिर किसी जवान औरत को दिल देगा। भीमा को देखकर मैंने तय कर लिया कि मैं किसी जवान स्त्री को अपने साथ रखूंगा। जी भर के उसे प्यार करूंगा।"

मन्नू ने पेंटिंग बना ली। मन्नू को खासियत यह थी कि वो किसी भी महिला को लेकर उनके शरीर के आकार सहित अच्छे से पेंटिंग बना सकता है। पेंटिंग बनाते बनाते रात गुजर गई। मन्नू को नींद आने लगी। सोचा थोड़ी देर आराम कर ले। सुबह 5 बजे थे। सोचा श्वेता 10 बजे तक आ जाएगी। यही सोचकर वो सोने चला गया। घर के बाहर खटिया रखकर सोने चला गया। पेड़ के छाए पर सो रहा मुन्ना नही जानता था कि श्वेता सुबह 8 बजे उसके पास आकर खड़ी है। गहरी नींद में सो रहे मुन्ना ने नींद को श्वेता ने तोड़ दिया।

"उठिए मन्नू उठ जाइए।" श्वेता ने मन्नू को उठाने का प्रयास किया।

"उम्म्म सोने दो ना नटवर चाचा। उठा ऐसे रहे हो जैसे श्वेता आई हो।" मन्नू होश में नहीं था और वो श्वेता का नाम लिए जा रहा था।

मन्नू फिर से सोते हुए बोला "सोने दो चाचा। श्वेता आ जाएगी। तब से गहरी नींद में सो लेता हूं।"

"अरे मुन्ना उठो। मै आ गई। श्वेता ने जोर से हिलाकर मन्नू को उठाया।

मन्नू की आंखे खुली तो सामने श्वेता के खूबसूरत चेहरे को देखा। नीली साड़ी और काले रंग का sleveless ब्लाउस और खुले बाल में श्वेता कयामत लग रही थीं। मन्नू तो जैसे इन खुबसूरती में खो गया।

श्वेता ने मन्नू को हल्का सा धक्का देते हुए कहा "इतने सुबह आई तुमसे मिलने और तुम हो कि सो रहे हो। ठीक है सो जाओ। मैं चलती हूं।" श्वेता पीछे मुड़ी चलने को।

मनु ने पीछे से श्वेता का हाथ पकड़ा और बोला "माफ करदो माफ करदो। मेहरबानी करके मत जाओ।"

"कितने गंदे आदमी हो तुम। मैं कब से यहां आई हूं और तुम घोड़े बेचकर सो रहे हो।"

"मेरी गलती मेरी गलती। मुझे पांच मिनिट दो। मैं तैयार हो जाऊं। तब तक तुम अंदर आ जाओ।"

श्वेता मुंह बनाते हुए अंदर आई और बैठ गई। मनु दौड़ते हुए नहा धो लिया और तैयार हो गया। वापिस आया तो श्वेता का बिगड़ा हुआ मुंह देखा।

मन्नू श्वेता के पास आया और बोला "अभी भी गुस्सा आ रहा है ?"

श्वेता बोली "हां।"

मन्नू कान पकड़कर उठक बैठक करने लगा। मन्नू को उठक बैठक करता देख श्वेता हल्के से हंस दी और बोली "बहुत पागल हो तुम। चलो मैं माफ कर दिया।"

मन्नू बोला "सच्ची ?"

"मुच्ची।"

"तो फिर अच्छा हुआ। मै घबरा गया था।"

"अच्छा आज हम करेंगे क्या ?"

"चलो मेरे साथ आज मैं तुम्हे बाहर एक गुफा ले चलता हूं।"

"वहां क्या है ?"

"तुम चलो तो सही।"

दोनो जंगल के अंदर गुफा की तरफ चल दिए। मन्नू और श्वेता गुफा पहुंचे।

श्वेता पूछी "अंदर क्या मन्नू ?"

"अंदर एक छोटा सा घर है जिसमे मैंने पेंटिंग बनाई है।"

"तुम पेंटिंग बना लेते हो ?"

"हां।"

दोनो अंदर गए। वहां मन्नू के बनाए तस्वीरों को श्वेता ने देखा। को बहुत ही खूबसूरत था। ज्यादातर तस्वीरे महिलाओं को लेकर ही बना था। इन सभी तस्वीरों में से निशा की तस्वीर भी बनी थी। पूरे पांच पेंटिंग बना थी।

"निशा की पेंटिंग बीज बनाई तुमने ? बहुत खूबसूरत है।" श्वेता ने कहा।

"मैं आपकी भी तस्वीर बना सकता हूं। "

"सच में ? तो कब बनाओगे ?"

"जब तुम चाहो।"

"तो फिर जल्द से जल्द बनाओ।"

"ठीक है।"

दोनो ने खूब सारी बाते की। दोनो ने तलाब के पास भी बैठकर बातचीत की। दोनो वापिस घर आए।

"श्वेता आज हम साथ में खाना बनाएंगे।"

"हां ठीक है। लेकिन तुम्हारा रसोईघर कहां है ?"

"चलो दिखाता हूं।" मन्नू श्वेता को रसोईघर ले गया

"सुनी श्वेता मैं आता हूं।"

मन्नू अपने कमरे चला गया। वहां उसने कुछ पेंटिंग को बाहर निकाला जो निशा का था। जो नग्न अवस्था वाली पेंटिंग थी। दरअसल बात ये थी कि मन्नू निशा से प्यार करता था और करता भी है लेकिन भाभी होने की वजह से कुछ किया नहीं।

"निशा तुम न सही तो श्वेता हो सही। उसे मेरा जीवन साथी बनना होगा।"



निशा को पेंटिंग जो मन्नू ने बनाई



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Nice and superb update.....
 
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