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समय सुबह 6:00 AM
अभी मै अपना आंख खोला ही था की नीचे से आवाज आया ।
"रुद्रा उठ जा समय ज्यादा हो गया है" ।
मै उठ का नीचे आया । अपना चेहरा धोकर आईने में चेहरा देखा और अपना बाल को सवारा ।
गांव में ज्यादा तर लोग लोटा या बोतल में पानी लेकर खेत में जाते है । अपना सुबह का कार्यक्रम के लिए।
मै भी बोतल में पानी लिया और चल दिया ।
फिर घर आया । और दातुन लेकर दात साफ किया फिर खाना खाया । अब समय 9 से ऊपर हो गया था ।
घर के बगल में DJ पूरी आवाज में चल रहा था। मेरे घर के बगल में पूरी तरह हलचल था। छोटे - छोटे बच्चे उछल कूद मचा रहे थे। लोग इधर से उधर समान लिए आ जा रहे थे। पर मेरे घर में पूरी तरह शांति थी । यह आज नही हमेशा रहता है क्योंकि हम लोग ज्यादातर शोरगुल से दूर ही रहते है क्योंकि मेरे परिवार में सभी को शांति ही पसंद है।
आज मेरे गांव में मेरे घर के बगल में ही एक लड़की की शादी था । उन लोगो का गांव में घर है पर वहा पर ज्यादा जगह नही है । मतलब पूरी तरह कस्बा है पानी गिराने का भी थोड़ी सी जगह नही है । और मेरा घर गांव से बाहर था यहां पर सिर्फ 4 घर ही है । जिसके घर में शादी था वो लोग मेरे घर के बगल वाले घर में से ही शादी कर रहे थे ।
मै BA 1 year का विद्यार्थी हु । और सरकारी नौकरी की तैयारी करता हु। गांव या शहर के ज्यादातर छात्र सरकारी नौकरी पर ही ज्यादा निर्भर रहते है । पर गांव के बालक 90% सरकारी नौकरी के लिए भागते है ।
उन्ही में से एक मै था । आज तारीख है **** और यह लिख भी आज और 12:45 पर स्टार्ट किया हु। क्योंकि यह लिखने के लिए मुझे कोई शब्द नहीं ढूढना पड़ रहा है ।
दिल से जो शब्द निकल रहा है उसी को टाइप कर रहा हु ।
( अगर कोई गलती होती है तो आप लोग उसे भूल जाना,
यार दिल में दर्द बहुत ज्यादा है।)
करीब 11:00AM के आज पास मै (रेलवे RRB 2022-23 GK YOUTH COMPITION TIME'S) का किताब लेकर मै तख्ता पर बैठ गया याद करने के लिए क्योंकि आशा था की 4 या 5 महीने में रेलवे GROUP D का वेकंसी आना वाला है। मेरे गांव के ज्यादातर छात्र तैयारी करने के लिए लग गए थे । मै भी सवालों की उत्तर याद करने में मस्त था।
आप लोग अगर पढ़ाई करते होंगे,तो यह बात अवश्य जानते होंगे जब आप मन से पढ़ाई करते है तो अगल-बगल कुछ दिखाई नही देता है ।
तभी करीब आधे घंटे बाद टेम्पु की आवाज सुनाई दिया । मै उसपर ध्यान नही दिया । कुछ देर बाद मेरे घर के बाहर पायल की आवाज सुनाई दिया पर फिर भी मैंने नही देखा उस तरफ । लेकिन मुझे नही पता था यही पायल की आवाज मुझे पागल बना देगी । पागल नही उससे बुरा हाल होगा यही सोचता हु काश मै उस पायल पर कभी ध्यान ना दिया होता।
आज मैं अपनी तैयारी में लगा होता पर भगवान को यह पसंद नही था। उन्हे देखकर अच्छा नही लग रहा था । पर भगवान के सभी फैसला मुझे हमेशा पसंद था ।
करीब 5 सेकेंड पायल की आवाज सुनाई दिया । उसके बाद बंद हो गया । वह पायल की आवाज गांव की तरफ बढ़ रहा था । रास्ता मेरे घर के आगे से ही है । करीब एक घंटा बीता था की फिर वही पायल की आवाज सुनाई दिया लेकिन अभी भगवान को मेरे ऊपर तरस आ रहा था । क्योंकि मेरा दिमाग एक बार भी नही कहा तू बाहर देख ले । दिल का क्या वो तो हमेशा सोता रहता है ।
पर यह पायल की आवाज उसकी नीद भी उड़ा देगा यह सिर्फ भगवान को पता था और किसी को भी यह बात की खबर नही थी ।
पायल की आवाज भी कुछ सेकेंड के बाद गायब हो गया लेकिन मैं तो था सख्त एक बार देखा भी नही । पर.......
मै कुछ सवाल का उत्तर याद किया करीब 1:30 घंटा हो गया पढ़ते हुए। इसलिए मैंने किताब छोड़ कर बाहर बैठ गया क्योंकि गर्मी का महीना था । गर्मी अपनी चरम सीमा पर था । गांव में तो बिजली का कोई पता नहीं है कब आई और कब भाग गई । जैसे की वो पायल की आवाज मेरे साथ करने वाली थी । कब आई कब गई मुझे कुछ पता ही नही था। साथ में मेरा दिल नही पर खुशी ले गई ।
हां पर बिजली तो कन्फर्म रहता है की वह भाग गई है तो आयेगी जरूर। पर यह पायल की आवाज कभी नही वापस आने वाली थी । काश मैं बोल देता तो .......
कुछ देर बाद वह पायल की आवाज मेरे कानों में धीर धीर सुनाई दिया । मै तो बाहर ही था इसलिए यह संभव ही था कि मेरी नजर उसपर जरूर पड़ेगा । तभी मेरे सामने एक पतली, लंबी पैर में उस पायल को देखा । काश उन्हें नही देखा होता पर.....
करीब *** साल की पतली और लंबी एक लड़की मेरे सामने से जा रही । मुझे सावली लड़की पसंद नही है पर पता नही उसमे क्या बात थी । सिर्फ एक बार देखने से मेरा दिल घायल हो गया ।
वह सावली सी लड़की पतले होठ भूरे और काले बाल सूरज की तेज से चमक रहे थे । पता नही वह कोई बाल भूरे करने वाले मेंहदी लगाई थी या यह भगवान की देन थी ।
उसके वह प्यारी आंखे हां पर कुछ ज्यादा ही बड़े थे पर जैसी भी थी मुझे घायल करने के लिए काफी था ।
उसकी तिरछी आंखे मेरे तरफ धूमे और तुरंत ही अपने मार्ग पर वापस आ गए । पर मैने उसकी यह हरकत देख लिया था । मैने मन में ही मुस्करा दिया उसके साथ और लड़की थी पर मेरा दिल और आंखे सिर्फ उसके चेहरे पर ही टिका था । जैसे एक अलग सा सुकून हो उसको देखने पर । पल भर में मैने उसके साथ पूरी जीवन के बारे में सोच लिया था । वो दोबारा नही देखी और चली गई । मै बैठा सिर्फ उसी को देखता रहा है ।
अब यह दिल भी नए- नए सपने दिखाने लगा था । मै बहुत देर तक उसका इंतजार करता रहा पर वह आई नही इसलिए मै भी उठ कर घर में चला गया । और बिजली आ गई थी मैने पंखा चालू किया और तख्ता पर लेट गया। पर नीद को भैया पता नही किस देश या दुनिया में चली गई थी । बार बार उसकी पायल की आवाज और उसका चेहरा आखों के सामने दिख रहा था ।
आंखे और दिमाग भी उसके प्रतिबिंब कही भी दिखा दे रहे थे । मालूम होता था मेरे आंख और दिमाग ने उसका फोटो कॉपी कर लिया था । अगर कोई सवाल का उत्तर जानना हो तो यह लोग साले धोखा दे देते है । पर उसकी चेहरा दिखाने में कोई कसर नही छोड़ थे ।
पता नही कैसे और कब नीद लग गया । मै एक सुकून भरी नीद में था । पता नही कब तक मै सोया ।
मेरी नीद तब खुली जब मेरे घर में कुछ ज्यादा ही हलचल होने लगा । मै बाहर आया तो देखा मेरी मां और कुछ महिला बाते कर रही थी। उस पायल वाली की कुछ सहेलियां और छोटे छोटे बच्चे भी मेरे घर में ही थे । पर वह पायल वाली लड़की कही नही दिखी । इसलिए मै नल पर जाकर अपना चेहरा धोया और फिर ओसारा (शहर के लोग जिसे "हाल" कहते है ) में तख्ता लगा हुआ था वही पर बैठ गया।
करीब कुछ देर बाद वह लड़की आई पर इस बार पायल ने भी मेरा साथ छोड़ दिया था । क्योंकि उसके पैर में पायल नही था । मै तब अचंभित हुआ जब वह मेरे घर में जाने लगी लेकिन इतना तो पता था कि जो मेरे घर में मेरे मां के साथ महिलाए बात कर रही है उन्ही में से किसी की बेटी होगी ।
इसलिए मै ज्यादा हैरान नही हुआ था । पर इस बार उसकी और मेरी नजर टकरा गई । फिर वही हाल उसकी आंख फिर दोबारा अपने मार्ग पर निकल गए । पर पीछे मुझे घायल छोड़ गए काश मेरे आंखे भी उस के चेहरे पर नही गए होते तो आज यह कहानी नही बनता और मैं लिखता भी नही ।
वो कमरे में चली गई । उन्ही में से एक महिला बोली,
" संध्या तेरा बैग कहा पर है "
" बुआ के घर में है "
अब तो मुझे कुछ नही सुनाई दे रहा था । सिर्फ संध्या नाम के घड़ी पर मेरे सुई लटक गई थी । मेरा दिमाग शून्य अंश की डिग्री पर केंद्रित हो गया। उसका नाम मेरे कोण का केंद्र बन गया ।
सवाल का फॉर्मूला नही याद रहेगा कभी पर उसका नाम तो जीवन में कभी नही भूलूंगा ।
मै सिर्फ इसी खुशी में मगन था की तभी पायल वाली और उसकी सहेलियां जहा पर शादी हो रही थी वहा पर जाने लगी । लेकिन इसबार भी उसकी आखों की हरकत मुझे घायल कर है ।
अब मुझे जीवन में कुछ हासिल करने का लक्ष्य नही दिख रहा था । मुझे सिर्फ "संध्या" ही चाहिए। मेरा दिमाग सिर्फ यही बोल रहा था । 3 महीने बाद SSC MTS का EXAM था लेकिन दिमाग उसे भी भूल गया । उसके आने से पहले दिमाग यह सोच कर पागल था की EXAM कैसे निकलूंगा । लेकिन अब उसे पाने की ज़िद दिमाग और दिल दोनो करने लगे ।
आज जो भी DJ पर गाने चल रहा था लगता था वह सिर्फ मेरे लिए ही बज रहा है । दिल को कौन समझाए साहब वह तो बच्चा है पर.....
शादी कल था एक दिन पहले ही रिश्तेदार आ जाते है। और बहुत लोग शादी के दिन आते है। हां कुछ लोग आते भी नही है लेकिन इस कहानी से उन सब का कोई लेना देना नही है ◉‿◉
मुझे तो इतना पता चल गया था की संध्या अपने बुआ के घर आई है ।
मतलब जिसकी शादी था वह संध्या की बुआ की बेटी थी ।
मेरे घर में जो महिलाए थी वह भी जा चुकी थी। अब मैं एक मुस्कान लिए उसी का इंतजार कर रहा था पर वह नही आई और आने वाली भी नही थी ।
अब शाम होने लगी थी । सूरज भी अपनी किरण को बटोरने लगा था । पंछी भी अपने घर की तरफ उड़ गए थे । पर उसका कोई पता नही था । मेरे हिसाब से परवाह ही नही था । और रहेगा भी क्यों सिर्फ मै ही उससे प्यार कर बैठा था वो थोड़ी ना । पर मेरा दिल बोलता था वह भी करेगी । “क्या 5 घंटे में प्यार हो सकता है” । मेरा दिल "हां" बोल देता था । लेकिन दिल के कोने में भी कही पता था ऐसा कभी नही हो सकता है। पर क्या करे दिल है की मानता नही यही हाल था ।
शाम को खाना खाने बैठा पर भाई साहब भूख ही भाग गई थी उसकी तरह । पर फिर भी खाना खाया और छत पर चला गया ।
मै छत पर ही सोता हु । आज छत पर सोने का अलग आनंद मिलने का अनुभव हो रहा था क्योंकि छत पर से शादी वाले घर में पूरी तरह दिख रहा था । मै सोचा आज तो पूरी रात सिर्फ उसकी पायल की आवाज और उसके सावली सूरत देखता रहूंगा । पर अभी तो मैंने उसे सिर्फ 3 बार ही देखा हु पर प्यार हो गया । या यह सिर्फ उसके प्रति मेरा आकर्षण था । पर आकर्षण और प्यार में बहुत फर्क होता है। मन में अलग अलग नाकारात्मक और साकारात्मक विचार घेरे हुए थे । कुछ पल के लिए सब भूल जाना चाहता था । पर नियति में कुछ और लिखा था ।
(आज मैं उसकी कहानी लिख रहा हु काश वो इसे पढ़ लेती या कोई इस कहानी को उस तक पहुंचा देता तो.........⚈̥̥̥̥̥́⌢⚈̥̥̥̥̥̀ )
मै साथ में किताब लेकर छत पर पहुंच गया । किताब को रख कर मै छत के नीचे शादी वाले घर की तरफ देखने लगा । अभी उन लोगो की खाना बन रहा था । कुछ लड़की और महिला बना रही थी । पर मुझे जिसकी तलाश थी वह नही दिखी । कुछ देर इंतजार करने के बाद भी वह नही दिखी तो मैं सोचा इससे अच्छा कुछ याद ही कर लिया जाए।
मै किताब खोल कर बैठ गया पर दिमाग और दिल सिर्फ उसके केंद्र पर ही लगे हुए थे ।
“ मुगल वंश का संस्थापक कौन था ”!
“ अकबर ”
भाई साहब अब इतना छोटा सा सवाल भी गलत हो रहा था । क्यों क्या सिर्फ अब वही सच में मेरा केंद्र है । या आकर्षण उसके प्रति कुछ ज्यादा है । कुछ पता नही चल रहा था ।
“ संध्या फूफा के बोला दे ” ( संध्या फूफा को बुला दो)
“ काहे रे अम्मा ” ( क्यों मां)
“ फोन आइल बा ” ( फोन आया है )
“ ठीक बा ” ( ठीक है )
बस फिर क्या था । दिमाग फिर से कर्क रेखा से मकर रेखा पर भटकने लगा । मै तुरंत खड़ा होकर छत के किनारे जाकर नीचे देखने लगा । मेरी आंखे सिर्फ उसी को ढूंढ रही थी । दिखी हा वही है पीले फ्राक में वह सभी चाहने वालो को घायल कर रही थी । पर साला उसपर मेरे अलावा कोई ध्यान नही दे रहा था। क्योंकि उससे भी ज्यादा स्टाइलिश वहा पर लड़किया थी । पर bdsk मेरा दिल सिर्फ उसके लिए पागल हो रहा था ।
उसकी चाल मेरे लिए सभी से अलग लग रहा था । क्योंकि दिल लगे चुड़ैल से तो राजकुमारी भी फेल है ..............…...
(“तो कहानी के मार्ग से कभी कभी मैं भटक जाता हु । मै अपनी कहानी इधर लिख रहा हु और उधर धीरे- धीरे मेरा दर्द कम हो रही है । क्या करू अतीत की बीती हु बात को दोहराना और दर्द भरा होता है । एक बात है यह सिर्फ कुछ देर के लिए होता है बाद में कम हो जाता है” )
DJ वाले को भी लगता है मेरे प्यार का पता चल गया था । क्योंकि गाना ही ऐसा चला रहा था । पर यह मेरा वहम था ।
“क्योंकि प्यार में पड़े पुरुष को उसकी प्रेमिका की आंखे समुंदर से भी गहरी लगता है”
वह पता नही क्या अपने फूफा से बोली और फिर घर में घुस गई । लेकिन इधर मेरा दिल बाहर निकलने को छटपटा रहा था। मै बहुत देर वही पर खड़ा रहा । मेरे पैर भी आज साथ दे रहा था । क्योंकि इतना देर खड़ा होने पर भी जरा भी विचलित नही हु । “क्यों” यह शब्द हर एक बार आ ही जाता था। क्योंकि प्रश्न प्यार का था । इसका उत्तर किसी भी किताब या गूगल को नही पता है ।
काश इसका वर्णन कही पर मिल जाता ।
ये जो रह रह कर दिल में श्रृंगार रस की भावना आ रहा है ना इसका कोई मोल नहीं है । लेकिन मुझे नही पता था की करुण रस से भी भेट होगी.....
कुछ समय बाद या बहुत देर बाद वो फिर निकली उसके सफेद हाथ चमक रहे थे क्योंकि LED वाला बल्ब लगा था । भाई साहब वो आटा गूथ कर आ रही थी । उसकी मार्ग हमेशा सीधी ही रहती है क्योंकि वह सीधे नल पर जाकर अपना हाथ धोने लगी । उसको देखना ही मेरे लिए मनमोहक दृश्य था । फिर वह घर में घुस गई । कभी कभी लगता था की उस घर को ब्लास्ट कर दू । वो हमेशा मेरे आखों के सामने रहेगी । पर मेरा जोर नही चलेगा यही सोच को मन में उठी भावना को काबू कर लेता था ।
हां एक प्रेमी कुछ भी कर सकता है। क्योंकि आज मैं जाना इससे पहले सिर्फ प्यार के नाम पर हवस और आकर्षण ही था । पर इसके प्रति कुछ गलत विचार आया ही नही । मन भी साफ था और दिल की क्या कहे वो तो हमेशा ही साफ रहता है ।
अब मेरे पास इंतजार करने की समय नही था क्योंकि सुबह जल्दी उठना था । एक विद्यार्थी को हमेशा यही हिदायत दी
है की बेटा सुबह जल्दी उठा कर लेकिन भाई साहब हम लोग तो राजकुमार है 。◕‿◕。
पता नही कब मै सोया पर हां सकून भरी नीद थी । आज सुबह मेरी नीद बहुत जल्दी खुल गई करीब 4 बजे ही । आज खुद मै अचंभित था ये कैसे हो गया । पर प्यार में पड़ा युवक या युवती कुछ भी कर सकती है । पर अफसोस यह प्यार एक तरफा था । मै लेटे हुए ही नीचे देखने लगा वो कही पर भी नही थी। सब पुरुष ही बाहर सोए हुए दिख रहे थे ।
मेरे घर के बगल वाला घर एक झोपड़ी है । इस घर के मालिक यहां पर नही रहते है। वे लोग गांव में रहते है । सिर्फ शादी के लिए इस घर का इस्तमाल किया जा रहा था।
पायल वाली लड़की( संध्या) गांव में थी। मतलब रात को वह वही सोई थी । क्योंकि यहां पर सोने का जगह नही है सिर्फ 1 रूम है वो भी झोपड़ी । काश सभी लोग मेरे घर या छत पर आ गए होते । साथ में उसे जरूर आती तो मैं रात भर बिना सोए गुजार देता । पर काश......
फिर वही सुबह का कार्यक्रम चालू हो गया । आज शादी का दिन था तो आज काम बहुत ज्यादा था । इसलिए सभी लोग तैयार होकर काम में लग जाना चाहते थे । क्योंकि उसके बाद उन्हें वक्त नही मिलता । ये सिर्फ पुरुष के लिए महिलाए तो सिर्फ शाम को ही सजती संवरती है (◕દ◕)
मै भी चाय लेकर बाहर बैठ गया । उसका इंतजार था मुझे काश वो जल्दी गांव में से वापस आए और उसका दीदार हो । वह आएगी पर कब मुझे कुछ नही पता था लेकिन चाय खत्म होने से पहले उसकी चेहरा दोबारा मेरे सामने आ गया। ये कोई प्रतिबिंब नही था यह हकीकत था ।
फिर से हमारी नजर मिली पर इस बार भी उसकी पतले होठों पर मुस्कान थी। बस मेरे दिल के लिए यह काफी था। उसके स्वीकृत करना । क्या वो भी मुझको हमेशा देख रही थी । की वह मेरे पागलपन पर हस रही थी क्योंकि मैं उसको बिना पलक झपकाए देख रहा था। कुछ भी हो अभी तक तो सिर्फ घायल था लेकिन अब सांसे थमने लगी है ।
वह आई और सामने से चली गई । मुझमें अब हिम्मत नही थी की दोबारा छत पर जाकर उसे देखू। क्योंकि अब कुछ ज्यादा ही हो जाता । इसलिए किताब उठाया और अपनी दुनिया में वापस आ गया। लेकिन अब मार्ग दो थे। फैसला करना बहुत ही कठिन था । काश उस समय कोई आकर कहता भाई तू अपने लक्ष्य पर ध्यान दे पर मैं ही विचलित हो गया था।
मै बैठा था तभी मेरे बगल में लड़कियों की हसने की आवाज सुनाई दिया।
“तू हमके बाप जी कह हम तोके पैसा देब ” (तुम मुझे बाप जी कहो मैं तुम्हे पैसा दूंगी )
“ बाप जी , अब हमार पैसा दे” (बाप जी, अब मेरा पैसा दो)
ये संध्या थी । मुझे कुछ नही पता था यह मेरे बगल में आकर ऐसा क्यों कह रही थी। या मुझे सुना रही थी । मै उसे एक ध्यान से देखने लगा वह दोबारा मुस्करा कर भाग गई । अब तो बिल्कुल कन्फर्म था । वह मुझसे प्यार करती है । लेकिन ये मेरे मन का वहम भी हो सकता है । अभी तो 1 दिन भी नही हुआ है। उसमे भी अभी कुछ वक्त बाकी है ।
पर कुछ भी दिल तो मानने को तैयार नही था । हम भी उसके हां में हां मिला दिए ।
लोग कहते है क्यों तुम अपनी
इश्क का इजहार नहीं करते
हमने कहा
जो लब्जो में बया हो जाए
हम किसी से प्यार नहीं करते
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