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सुबह अपनी तैयारी करके, मैं ऑफिस जाने की तैयारी कर ही रहा था के तभी फोन की रिंग बजी।
मैंने फोन उठाया सामने से एक लडकी की आवाज आयी – क्या, मैं रविराज जी से बात कर सकती हूँ .?.
मैं – बोल रहा हूँ आप कौन हो .?.
कॉलर – रवी मैं कोमल हूँ, कोमल वर्मा… तुम्हारी कालेज फ्रेंड…
मैं – कोमल वर्मा, कलकत्ते वाली .?.
कोमल – हाँ…
मैं – तुम्हें मेरा नंबर कैसे मिला .?.
कोमल – टेलिफोन डिरेक्टरी से
मैं – इतने सालों बाद कैसे याद किया .?. कहा हो आज कल .?.
कोमल – कलकत्ता में ही हूँ।
मैं – कैसी हो .?. क्या करती हो .?.
कोमल – रवी ! मैं तुमसे मिलना चाहती हूँ।
मैं – कहाँ .?. क्या तुम मुंबई आयी हो .?.
कोमल – नहीं पर तुमसे मिलने के लिये आ सकती हूँ।
मैं – इतना क्या इम्पॉर्टंट काम हैं के तुम सिर्फ मुझसे मिलने के लिये मुंबई आना चाहती हो .?. सब ठीक तो हैं ना .?.
कोमल – नहीं रवी सब ठीक नहीं हैं।
मैं – अच्छा एक काम करते हैं। अगले हफ्ते मैं कलकत्ता आ रहा हूँ, तब वही मिल लेंगे।
कोमल – ठीक हैं, पर मिलना जरुर। किसी वजह से यहाँ नहीं आ पाये तो मुझे बुला लेना, मैं आ जाऊंगी।
मैं – कोमल लगता हैं किसी बडी मुसिबत में हो।
कोमल – कुछ ऐसा ही समझ लो..
मैं – क्या प्रॉब्लेम हैं बताओ, शायद मैं यहीं से तुम्हारी प्रॉब्लेम सॉल्व कर दू।
कोमल – नहीं रवी मेरी प्रॉब्लेम फोन पर बताने लायक नहीं हैं, इसके लिये फेस टू फेस मिलना जरुरी हैं।
मैं – ठीक हैं, अगले हफ्ते मिलते हैं। तुम अपना नंबर दे दो, मैं वहा आके तुम्हें कॉल कर लुंगा।
उसने अपना नंबर बताया थँक यू कहा और फोन रख दिया।
एक हफ्ते बाद मैं अपने काम से कलकत्ता पहुँच गया।
मैं सुबह की फ्लाइट से गया था, काम खत्म करके शाम की फ्लाइट से वापस आनेवाला था। इसलिये काम खत्म होते ही मैंने कोमल को फोन किया।
दोपहर के वक्त दरवाजे पर नॉक हुयी, मैंने दरवाजा खोला सामने कोमल खडी थी। थोडी देर मैं उसकी तरफ देखता ही रहा।
कोमल कॉलेज के जमाने से ही गदराये बदन की खुबसुरत लडकी थी। आज भी वो उतनी फिट और खुबसुरत लग रही थी।
कंधे पर झुलते घने काले बाल, हल्की भवों से निहारती नशिली आँखे, गोरा सफेद दुध जैसा रंग, भरा हुआ कसा बदन, उस कसे हुये बदन के सिने पर दो बडे बडे नारियल जैसे बुब्स।
ऐसा लग रहा था के मैं खजुराहो की किसी तराशी हुयी सुंदर कला को देख रहा हूँ। हाला के हम कॉलेज में अच्छे दोस्त थे, पर कोमल को मैंने इतनी सेक्सी अदा में तब नहीं देखा था।
कोमल – सिर्फ देखते ही रहोगे के अंदर भी बुलाओगे .?.
कोमल के टोकने पर मैं होश मे आ गया।
मैं – सॉरी सॉरी प्लीज आ जाओ…
कोमल – जितना निहार के अभी देख रहे थे, उतना अगर कॉलेज के वक्त देखते तो तुमसे ही शादी करती।
गलती हो गई, मैंने हसते हुये कहा। मेरी बात पर वो भी हस दी।
मैं – कुछ लोगी खाने पिने को .?.
कोमल – नहीं, मैं बस बात करना चाहती हूँ।
मैं – कहो ऐसी क्या जरुरी बात हैं .?.
कोमल – कैसे कहू…..
मैं – कोमल कोई बहुत बडी प्रॉब्लेम हैं क्या .?.
कोमल – हाँ रवी, अॅक्चुअली प्रॉब्लेम मेरी शादीशुदा जिंदगी से हैं।
मैं – ओह ! पती अगर कुछ जुल्म करता हैं तो अपने घरवालों को बताओ, उनकी मदद लो।
कोमल – नहीं रवी ! मैं इस मामले में घरवालों की मदद नहीं लेना चाहती।
मैं – ओ आइ सी ! क्या करता हैं मारता पिटता हैं .?.
कोमल – मारता पिटता तो सह भी लेती लेकिन….
मैं – कही बाहर अफेयर है उसका .?.
कोमल – बाहर नहीं, अंदर। घर के अंदर।
मैं – क्या .?. यू मिन टू से इसेस्ट .?.
कोमल – नहीं घर में हम दोनों ही रहते हैं।
मैं – फिर .?.
कोमल – ओ रोज एक नयी लडकी लाता हैं और मेरे सामने ही….
मैं – वो माय गॉड ! तुम्हें तो पुलिस की मदद लेनी चीहिये।
कोमल – नहीं ले सकती।
मैं – क्यों .?.
कोमल – कुछ गलतियाँ मुझसे भी हुयी हैं।
मैं – साफ साफ बताओ क्या मामला हैं।
कोमल – मेरे हसबंड के मॅनेजर से मेरे जिस्मानी ताल्लूकात थे। एक दिन हसबंड ने हमे रंगे हाथ पकड लिया।
मैं – फिर .?.
कोमल – वो ना गुस्सा हुआ ना मारा पिटा। ना किसी को ये बात बतायी, पर दूसरे ही दिन से ओ घर में लडकियाँ लाने लगा और मेरे सामने ही उनसे सेक्स करने लगा।
मैं – इसका मतलब ओ तुमसे बेवफाई का बदला ले रहा हैं .?.
कोमल – हाँ, ऐसा बदला के मैं उसे रोक भी नहीं सकती।
मैं – तुम्हें कुछ तो अॅक्शन लेनी चाहिए। जो तुमने किया वो गलत सही पर जो वो कर रहा हैं वो भी सही नहीं।
कोमल – अॅक्शन ली मैंने, झगडा किया उसके साथ।
मैं – फिर .?.
कोमल – नुकसान फिर भी मेरा ही हुआ। अब वो खुद बाहर जाने लगा हैं, घर पर नहीं करता कुछ।
मैं – डिवार्स दे दो
कोमल – नहीं, मैं उसे डिवॉर्स नहीं देना चाहता।
मैं – फिर क्या करना चाहती हो .?.
कोमल – मैं उसकी जासूसी करना चाहती हूँ।
मैं – पर इसका क्या फायदा होगा .?. ना तुम उसे छोडना चाहती हो, ना उसकी कंम्पलेंट करना चाहती हो .?.
कोमल – मैं हर वक्त उसे जताना चाहती हूँ के मैं उनपर नजर रख रही हूँ।
मैं – उससे क्या होगा .?.
कोमल – वो कभी तो शर्मसार होगा अपनी हरकतों से .?.
मैं – उसे शर्म आनी होती तो पहले ही आ जाती। अब कोई फायदा नहीं होगा।
कोमल – ट्राई तो कर सकते हैं, प्लीज मेरा साथ दो ना।
मैं – ठीक हैं, हम किसी जासूस को उसके पीछे लगा देते हैं।
कोमल – हाँ, पर जब वो किसी औरत के साथ सेक्स कर रहा होगा तब वो जासूस वहाँ नहीं होना चाहिए। रहेंगे सिर्फ हम दोनों।
मैं – बडा अजीब लग रहा हैं ये सब।
कोमल – प्लीज अब कोई चेन्जेस मत करना प्लान में।
ह ! ठीक हैं कहते हुये हमारी बातचित बंद हो गई।
थोडी देर बाद कोमल अपने घर चली गई।
दूसरे दिन सुबह सुबह ही कोमल का फोन आया।
हॅलो ! रवी मेरा हजबंड आज हमारे फार्म हाऊस जा रहा हैं। शायद वो वहा पे किसी को लेके जाने का प्लान बना रहा हैं।
मैं – पिछा करो
कोमल – तुम भी चलो ना साथ में प्लीज। मैं अकेली जाऊंगी और पकडी जाऊँगी तो पता नहीं वो क्या करेगा .?.
मैं – ठीक हैं, चलते हैं।
फोन कट होते ही मैं कोमल से मिलने चला गया।
जल्दी बैठो गाडी में, वो अभी अभी निकला हैं।, कोमल ने मिलते ही कहा।
मैं तुरंत गाडी में बैठा। गाडी फर्राटे से उनके फार्महाऊस की तडफ बढने लगी।
दो घंटे की डाईविंग के बाद हम फार्महाऊस पहुँच गये।
कोमल अपने साथ डूब्लीकेट चाबीयाँ लायी थी। हमने चुपके से मेन डोर खोला और अंदर चले गये।
फार्महाऊस के वर्कर्स को शायद बाहर भेजा गया था। रोक टोक करने वाला वहाँ कोई नहीं था।
अंदर दाखिल होते ही हमें स्विमिंग पुल में कोमल का पती और एक लडकी दिखायी दिये।
दोनों बिल्कुल नग्न अवस्था में एक दूसरे को किस कर रहे थे।
देखा .?. मैंने कहा था ना तुमसे .?., कोमल फुसफुसाई।
हम दोनों एक दिवार के पीछे से उनको छुप कर देख रहे थे।
कुछ देर किसिंग करने के बाद कोमल के पती ने उस लडकी को उठाया और पास ही के एक कमरे में ले गया।
हम भी छुपके से उनके पीछे गये, पर उसने दरवाजा बंद कर दिया।
हम वहाँ से निकल कर पीछे की तरफ गये। वहाँ एक बडी सी खिडकी थी जिस पर बडी सी काच लगी हुयी थी।
हम दोनों को अंदर का नजारा बिल्कुल साफ दिखाई पड रहा था।
वें दोनों एक दूसरे का बदन पोछ रहे थे, साथ ही एक दूसरे को किस भी कर रहे थे।
आच्छी ! , कोमल की अचानक छीक निकल गई।
छिक निकलते ही उनकी नजर हम पर पढ गई।
तुम .?. तुम यहाँ क्या कर रही हो .?. और ये कौन हैं तुम्हारा नया यार .?.,
उसके पती ने गुस्से से कहा और कोमल को अंदर आने को कहा।
हम दोनों अंदर चले गये। वें दोनों अभी भी नंगे ही खडे थे।
इसके साथ कबसे चक्कर चल रहा हैं तेरा .?., कोमल के पती ने गुस्से से पुछा।
जबान संभाल के बात करो, मैंने गुस्से से कहा।
कोमल – ये मेरा दोस्त हैं, मुंबई में रहता हैं .?.
पती – तो यहा क्या तुमसे इश्क लडाने आया है .?.
मैं – कितने बेशर्म इन्सान हो तुम .?.
बेशर्मी तो अब देखोगे। तुम दोनों मेरी जासूसी कर रहे थे ना .?. लो अब तुम्हारे सामने ही सबकुछ कर लेता हूँ।, कहकर कोमल का पती उस लडकी को चोदने लगा।
यू रासकल !, तुम जो कर सकते हो वो मैं भी कर सकती हूँ।
पती – हहहहह ! क्या कर सकती हो .?. क्या तुम भी इससे चुदोगी मेरे सामने .?.
हाँ चुदुंगी, कहते हुये कोमल ने एक झटके मे अपनी मिडी उतार फेकी। मैं हैरानी से उसकी तरफ देखता ही रह गया।
मैं – कोमल ! ये क्या कर रही हो .?. पागल हो गई हो क्या .?.
हाँ, मैं पागल हो गई हूँ।, कहते हुये कोमल ने ब्रा और पैंटी भी निकाल फेंकी।
हहहह हहहह ! क्या तुम सच में चुदोगी मेरे सामने .?., कह कर उसका पती कहकहे लगाने लगा।
हाँ, मैं सच में चुदुंगी तुम्हारे सामने, कहते हुये कोमल गुस्से से मेरे पास आयी और मेरे कपडे निकालने लगी।
ये क्या कर रही हो .?. दूर हो जाओ, कहते हुये मैंने कोमल को दूर किया।
ये क्या चोदेगा तुझे .?. चोदने के लिये लंड में दम होना चाहिये।, कोमल के पती ने तंज कसते हुये कहा।
तेरी तो…… ! दिखाता हूँ तुझे दम क्या होता हैं, कहते हुये मैंने भी अपने कपडे उतार दिये और जाकर कोमल को कस लिया।
कोमल ने भी तुरंत मुझे किस करना शुरु किया। पाँच मिनट किस करने बाद वो अपने पती की तरफ मुँह करके खडी हो गई।
मेरे सामने नखरे दिखाती हैं .?. अब तो रोज दस दस लडकियों को घर लाकर चोदुंगा तेरे सामने।, कहते हुये उसका पती लडकी को जोर जोर से चोदने लगा।
ये देखकर मुझे भी गुस्सा आया। मैं जाकर पीछे से कोमल से चिपक गया।
उसके बुब्स पकडे और उसे किस करने लगा। कोमल ने भी मेरा साथ देते हुये अपने डाये हाथ में मेरा लंड पकड लिया और उसे हिलाने लगी।
ये दृश्य देखकर उसका पती गुस्से से और जोर से चुदाई करने लगा।
कोमल भी गुस्से में नीचे बैठ गई और मेरा लंड अपने मुँह में भरकर उसे जोर जोर से चुसने लगी।
ले दुनियाँ भर के लंड अपने मुँह में ले, पती तिलमिलाते बोला।
लुंगी जरुर लुंगी, कहते हुये कोमल ने मुझे बेडपर उन दोनों के बगल में ही लिटा दिया और सिक्सटी नाईन की पोझीशन में आकर अपनी चूत मेरे मुँह पर रखी और खुद मेरे लंड को अपने मुँह में ले ली।
उसका पती ये सब देख के जल्दी जल्दी शॉटस् मारने लगा।
हम दोनों ने खुब मजे से चुसाई और चटाई की। बाद में कोमल उठी और मेरे उपर आ बैठी। अपनी चूत फैलाकर वो मेरे लंड के उपर बैठ गई और उठक बैठक करने लगी।
ये या या या हा करते हुये कोमल लंड को अंदर बाहर ले रही थी।
उसका पती भी चोद लडकी को रहा था पर देख कोमल को रहा था। इस चक्कर में उसका फव्वारा छुटा और वो झड गया।
ये तो गया, कहते हुये कोमल उठी। उसने अपने पती को नीचे लेटी लडकी के उपर पेट के बल लिटा दिया। फिर खुद अपने पती पर पेट के बल लेट गई।
याने नीचे लडकी, लडकी पर पती और पती पर कोमल।
आ जाओ मेरे चोदू राजा ! चढ जाओ मेरे उपर।, कहते हुये कोमल ने अपनी टांगे फैला दी।
नीचे लडकी का दबकर हाल बुरा हुआ था।
अरे ! वो मर जायेगी, मैं बोला।
कोई नहीं मरेगी, बडी सख्त जान हैं ये।, कहते कोमल ने मेरा हाथ पकडा और मुझे अपनी जाँघों के बिच खिंच लिया।
मुझे भी अब कंट्रोल नहीं हो रहा था। मैंने लंड उसकी चूत में डाला और शॉटस् लगाने लगा। दिखने और करने में ये सब अलग लग रहा था।
उसके पती की तो जैसे जान ही निकल गई थी। कोमल ऐसा कुछ करेगी ये मैंने सपने में भी नहीं सोचा था। थोडी देर बाद कोमल उठी और उन दोनों को अगल बगल लिटा दिया।
फिर आडी होकर उन दोनों पर पेट के बल लेट गई।
अब उसकी चूत नीचे और गांड उपर थी। मुँह अपने पती के सिने पर था और कमर लडकी के पेट पर।
जानेमन ! चोदो मुझे।, कहते हुये कोमल गांड को मटकाने लगी।
मैंने भी बिना वक्त गवाये उसकी गांड को दबोचकर लंड को चूत में घुसेड दिया।
ये हुयी ना बात ! चोदो अब मजे से, कहते हुये कोमल अपने पती के सिने पर मस्ती से ऊँगलियाँ फेरने लगी।
मैं जोर जोर से फटाफट धक्के लगाने लगा।
मैं – कोमल मैं झडनेवाला हूँ।
कोमल – मेरी चूत मे ही पानी छोड दो डार्लिंग। मैं भी झडनेवाली हूँ। हम दोनों का पानी एक हो जाने दो।
उसके कहने पर मैंने अपना फव्वारा उसकी चूत में ही छोड दिया। मेरे पीछे – पीछे वो भी झड गई।
आह माय स्विट फकर, कहते हुये कोमल उठी। मेरे पानी से सराबोर लंड को मुँह में ली और चाट – चाट कर उसे साफ कर लिया।
जीन ऊंगलियों में दोनों का मिक्स विर्य लगा था वो ऊँगलियाँ उसने लडकी के मुँह में डाल दी। लडकी ने कुछ कहा नहीं, चुपचाप पडी रही।
कोमल की चूत अभी भी विर्य से भरी हुयी थी। वो सिधा अपने पती के मुँह पर बैठ गई। अपनी चूत को पती के मुँह पर रगडकर उसने सारा विर्य उसके मुँह पर लगा दिया था।
थोडी देर बाद वो उठी। हम दोनों साथ ही नहा लिये और बाहर आकर कपडे पहन लिये।
उसका पती और लडकी भी नहा धोकर सोफे पर आ बैठे थे।
बाय बाय माय डिअर हजबंड, कहते हुये कोमल एक बार अपने पती को चुमा, एक बार लडकी को चुमा और मेरा हाथ पकड कर मुझे फार्महाऊस से बाहर ले आयी।
हमदोनों गाडी में बैठकर सिधे होटल चले गये। मेरी रिटर्न फ्लाइट उसी रात को थी। एअरपोर्ट पर कोमल मुझे छोडने आयी थी।
मुझे बिदा करते वक्त कोमल ने मुझे किस किया और मेरे हाथ में एक लिफाफा दे दिया।
क्या हैं इसमें .?., लिफाफा देखकर मैंने पुछा।
इसमें एक चिठ्ठी हैं तुम्हारे लिये। प्लिज इस चिठ्ठी को तब पढ लेना जब टेक ऑफ हो, कहते हुये उसने मेरा हाथ दबा दिया।
उससे बिदा होकर मैं फ्लाइट में पहुँचा। कुछ ही समय बाद फ्लाइट ने टेकऑफ किया। मैंने लिफाफा खोलकर कोमल की लिखी चिठ्ठी पढनी शुरु की।
चिठ्ठी में लिखा था।
डिअर रवी,
मुझे माँफ करना मैंने तुमसे झुट कहा था।
मेरे पती मुझपर कोई जुर्म नहीं करते। वो तो मेरी मर्जी से ही अपनी सेक्रेटरी के साथ सेक्स करते हैं। मुझे उन दोनों का सेक्स देखने का बडा मजा आता था।
कुछ दिनों से मेरे पती कि भी इच्छा हो रही थी के वो मुझे किसी गैर मर्द से चुदते हुये देखें। इसिलिये फार्महाऊस वाला प्लान बनाया गया।
जो लडकी पती से फार्महाऊस पर चुद रही थी वो कोई और नहीं बल्कि उनकी सेक्रेटरी थी।
किसी और से चुदने की बजाय मैं सिर्फ तुमसे चुदना चाहती थी। कॉलेज के जमाने से ही मेरी तुमसे चुदने की ख्वाहिश थी।
एक दूसरे के सामने गैरो से सेक्स करने का प्लान हमने तुमसे इसिलिए छुपाया क्योंकि तुम प्लान मालूम पडने पर सेक्स को मना कर देते। तुम सेक्स के लिये मना ना करो इसलिये हमने इतना बडा नाटक किया।
हो सके तो अपनी दोस्त को माँफ कर देना।
तुम्हारी कोमल
मैंने फोन उठाया सामने से एक लडकी की आवाज आयी – क्या, मैं रविराज जी से बात कर सकती हूँ .?.
मैं – बोल रहा हूँ आप कौन हो .?.
कॉलर – रवी मैं कोमल हूँ, कोमल वर्मा… तुम्हारी कालेज फ्रेंड…
मैं – कोमल वर्मा, कलकत्ते वाली .?.
कोमल – हाँ…
मैं – तुम्हें मेरा नंबर कैसे मिला .?.
कोमल – टेलिफोन डिरेक्टरी से
मैं – इतने सालों बाद कैसे याद किया .?. कहा हो आज कल .?.
कोमल – कलकत्ता में ही हूँ।
मैं – कैसी हो .?. क्या करती हो .?.
कोमल – रवी ! मैं तुमसे मिलना चाहती हूँ।
मैं – कहाँ .?. क्या तुम मुंबई आयी हो .?.
कोमल – नहीं पर तुमसे मिलने के लिये आ सकती हूँ।
मैं – इतना क्या इम्पॉर्टंट काम हैं के तुम सिर्फ मुझसे मिलने के लिये मुंबई आना चाहती हो .?. सब ठीक तो हैं ना .?.
कोमल – नहीं रवी सब ठीक नहीं हैं।
मैं – अच्छा एक काम करते हैं। अगले हफ्ते मैं कलकत्ता आ रहा हूँ, तब वही मिल लेंगे।
कोमल – ठीक हैं, पर मिलना जरुर। किसी वजह से यहाँ नहीं आ पाये तो मुझे बुला लेना, मैं आ जाऊंगी।
मैं – कोमल लगता हैं किसी बडी मुसिबत में हो।
कोमल – कुछ ऐसा ही समझ लो..
मैं – क्या प्रॉब्लेम हैं बताओ, शायद मैं यहीं से तुम्हारी प्रॉब्लेम सॉल्व कर दू।
कोमल – नहीं रवी मेरी प्रॉब्लेम फोन पर बताने लायक नहीं हैं, इसके लिये फेस टू फेस मिलना जरुरी हैं।
मैं – ठीक हैं, अगले हफ्ते मिलते हैं। तुम अपना नंबर दे दो, मैं वहा आके तुम्हें कॉल कर लुंगा।
उसने अपना नंबर बताया थँक यू कहा और फोन रख दिया।
एक हफ्ते बाद मैं अपने काम से कलकत्ता पहुँच गया।
मैं सुबह की फ्लाइट से गया था, काम खत्म करके शाम की फ्लाइट से वापस आनेवाला था। इसलिये काम खत्म होते ही मैंने कोमल को फोन किया।
दोपहर के वक्त दरवाजे पर नॉक हुयी, मैंने दरवाजा खोला सामने कोमल खडी थी। थोडी देर मैं उसकी तरफ देखता ही रहा।
कोमल कॉलेज के जमाने से ही गदराये बदन की खुबसुरत लडकी थी। आज भी वो उतनी फिट और खुबसुरत लग रही थी।
कंधे पर झुलते घने काले बाल, हल्की भवों से निहारती नशिली आँखे, गोरा सफेद दुध जैसा रंग, भरा हुआ कसा बदन, उस कसे हुये बदन के सिने पर दो बडे बडे नारियल जैसे बुब्स।
ऐसा लग रहा था के मैं खजुराहो की किसी तराशी हुयी सुंदर कला को देख रहा हूँ। हाला के हम कॉलेज में अच्छे दोस्त थे, पर कोमल को मैंने इतनी सेक्सी अदा में तब नहीं देखा था।
कोमल – सिर्फ देखते ही रहोगे के अंदर भी बुलाओगे .?.
कोमल के टोकने पर मैं होश मे आ गया।
मैं – सॉरी सॉरी प्लीज आ जाओ…
कोमल – जितना निहार के अभी देख रहे थे, उतना अगर कॉलेज के वक्त देखते तो तुमसे ही शादी करती।
गलती हो गई, मैंने हसते हुये कहा। मेरी बात पर वो भी हस दी।
मैं – कुछ लोगी खाने पिने को .?.
कोमल – नहीं, मैं बस बात करना चाहती हूँ।
मैं – कहो ऐसी क्या जरुरी बात हैं .?.
कोमल – कैसे कहू…..
मैं – कोमल कोई बहुत बडी प्रॉब्लेम हैं क्या .?.
कोमल – हाँ रवी, अॅक्चुअली प्रॉब्लेम मेरी शादीशुदा जिंदगी से हैं।
मैं – ओह ! पती अगर कुछ जुल्म करता हैं तो अपने घरवालों को बताओ, उनकी मदद लो।
कोमल – नहीं रवी ! मैं इस मामले में घरवालों की मदद नहीं लेना चाहती।
मैं – ओ आइ सी ! क्या करता हैं मारता पिटता हैं .?.
कोमल – मारता पिटता तो सह भी लेती लेकिन….
मैं – कही बाहर अफेयर है उसका .?.
कोमल – बाहर नहीं, अंदर। घर के अंदर।
मैं – क्या .?. यू मिन टू से इसेस्ट .?.
कोमल – नहीं घर में हम दोनों ही रहते हैं।
मैं – फिर .?.
कोमल – ओ रोज एक नयी लडकी लाता हैं और मेरे सामने ही….
मैं – वो माय गॉड ! तुम्हें तो पुलिस की मदद लेनी चीहिये।
कोमल – नहीं ले सकती।
मैं – क्यों .?.
कोमल – कुछ गलतियाँ मुझसे भी हुयी हैं।
मैं – साफ साफ बताओ क्या मामला हैं।
कोमल – मेरे हसबंड के मॅनेजर से मेरे जिस्मानी ताल्लूकात थे। एक दिन हसबंड ने हमे रंगे हाथ पकड लिया।
मैं – फिर .?.
कोमल – वो ना गुस्सा हुआ ना मारा पिटा। ना किसी को ये बात बतायी, पर दूसरे ही दिन से ओ घर में लडकियाँ लाने लगा और मेरे सामने ही उनसे सेक्स करने लगा।
मैं – इसका मतलब ओ तुमसे बेवफाई का बदला ले रहा हैं .?.
कोमल – हाँ, ऐसा बदला के मैं उसे रोक भी नहीं सकती।
मैं – तुम्हें कुछ तो अॅक्शन लेनी चाहिए। जो तुमने किया वो गलत सही पर जो वो कर रहा हैं वो भी सही नहीं।
कोमल – अॅक्शन ली मैंने, झगडा किया उसके साथ।
मैं – फिर .?.
कोमल – नुकसान फिर भी मेरा ही हुआ। अब वो खुद बाहर जाने लगा हैं, घर पर नहीं करता कुछ।
मैं – डिवार्स दे दो
कोमल – नहीं, मैं उसे डिवॉर्स नहीं देना चाहता।
मैं – फिर क्या करना चाहती हो .?.
कोमल – मैं उसकी जासूसी करना चाहती हूँ।
मैं – पर इसका क्या फायदा होगा .?. ना तुम उसे छोडना चाहती हो, ना उसकी कंम्पलेंट करना चाहती हो .?.
कोमल – मैं हर वक्त उसे जताना चाहती हूँ के मैं उनपर नजर रख रही हूँ।
मैं – उससे क्या होगा .?.
कोमल – वो कभी तो शर्मसार होगा अपनी हरकतों से .?.
मैं – उसे शर्म आनी होती तो पहले ही आ जाती। अब कोई फायदा नहीं होगा।
कोमल – ट्राई तो कर सकते हैं, प्लीज मेरा साथ दो ना।
मैं – ठीक हैं, हम किसी जासूस को उसके पीछे लगा देते हैं।
कोमल – हाँ, पर जब वो किसी औरत के साथ सेक्स कर रहा होगा तब वो जासूस वहाँ नहीं होना चाहिए। रहेंगे सिर्फ हम दोनों।
मैं – बडा अजीब लग रहा हैं ये सब।
कोमल – प्लीज अब कोई चेन्जेस मत करना प्लान में।
ह ! ठीक हैं कहते हुये हमारी बातचित बंद हो गई।
थोडी देर बाद कोमल अपने घर चली गई।
दूसरे दिन सुबह सुबह ही कोमल का फोन आया।
हॅलो ! रवी मेरा हजबंड आज हमारे फार्म हाऊस जा रहा हैं। शायद वो वहा पे किसी को लेके जाने का प्लान बना रहा हैं।
मैं – पिछा करो
कोमल – तुम भी चलो ना साथ में प्लीज। मैं अकेली जाऊंगी और पकडी जाऊँगी तो पता नहीं वो क्या करेगा .?.
मैं – ठीक हैं, चलते हैं।
फोन कट होते ही मैं कोमल से मिलने चला गया।
जल्दी बैठो गाडी में, वो अभी अभी निकला हैं।, कोमल ने मिलते ही कहा।
मैं तुरंत गाडी में बैठा। गाडी फर्राटे से उनके फार्महाऊस की तडफ बढने लगी।
दो घंटे की डाईविंग के बाद हम फार्महाऊस पहुँच गये।
कोमल अपने साथ डूब्लीकेट चाबीयाँ लायी थी। हमने चुपके से मेन डोर खोला और अंदर चले गये।
फार्महाऊस के वर्कर्स को शायद बाहर भेजा गया था। रोक टोक करने वाला वहाँ कोई नहीं था।
अंदर दाखिल होते ही हमें स्विमिंग पुल में कोमल का पती और एक लडकी दिखायी दिये।
दोनों बिल्कुल नग्न अवस्था में एक दूसरे को किस कर रहे थे।
देखा .?. मैंने कहा था ना तुमसे .?., कोमल फुसफुसाई।
हम दोनों एक दिवार के पीछे से उनको छुप कर देख रहे थे।
कुछ देर किसिंग करने के बाद कोमल के पती ने उस लडकी को उठाया और पास ही के एक कमरे में ले गया।
हम भी छुपके से उनके पीछे गये, पर उसने दरवाजा बंद कर दिया।
हम वहाँ से निकल कर पीछे की तरफ गये। वहाँ एक बडी सी खिडकी थी जिस पर बडी सी काच लगी हुयी थी।
हम दोनों को अंदर का नजारा बिल्कुल साफ दिखाई पड रहा था।
वें दोनों एक दूसरे का बदन पोछ रहे थे, साथ ही एक दूसरे को किस भी कर रहे थे।
आच्छी ! , कोमल की अचानक छीक निकल गई।
छिक निकलते ही उनकी नजर हम पर पढ गई।
तुम .?. तुम यहाँ क्या कर रही हो .?. और ये कौन हैं तुम्हारा नया यार .?.,
उसके पती ने गुस्से से कहा और कोमल को अंदर आने को कहा।
हम दोनों अंदर चले गये। वें दोनों अभी भी नंगे ही खडे थे।
इसके साथ कबसे चक्कर चल रहा हैं तेरा .?., कोमल के पती ने गुस्से से पुछा।
जबान संभाल के बात करो, मैंने गुस्से से कहा।
कोमल – ये मेरा दोस्त हैं, मुंबई में रहता हैं .?.
पती – तो यहा क्या तुमसे इश्क लडाने आया है .?.
मैं – कितने बेशर्म इन्सान हो तुम .?.
बेशर्मी तो अब देखोगे। तुम दोनों मेरी जासूसी कर रहे थे ना .?. लो अब तुम्हारे सामने ही सबकुछ कर लेता हूँ।, कहकर कोमल का पती उस लडकी को चोदने लगा।
यू रासकल !, तुम जो कर सकते हो वो मैं भी कर सकती हूँ।
पती – हहहहह ! क्या कर सकती हो .?. क्या तुम भी इससे चुदोगी मेरे सामने .?.
हाँ चुदुंगी, कहते हुये कोमल ने एक झटके मे अपनी मिडी उतार फेकी। मैं हैरानी से उसकी तरफ देखता ही रह गया।
मैं – कोमल ! ये क्या कर रही हो .?. पागल हो गई हो क्या .?.
हाँ, मैं पागल हो गई हूँ।, कहते हुये कोमल ने ब्रा और पैंटी भी निकाल फेंकी।
हहहह हहहह ! क्या तुम सच में चुदोगी मेरे सामने .?., कह कर उसका पती कहकहे लगाने लगा।
हाँ, मैं सच में चुदुंगी तुम्हारे सामने, कहते हुये कोमल गुस्से से मेरे पास आयी और मेरे कपडे निकालने लगी।
ये क्या कर रही हो .?. दूर हो जाओ, कहते हुये मैंने कोमल को दूर किया।
ये क्या चोदेगा तुझे .?. चोदने के लिये लंड में दम होना चाहिये।, कोमल के पती ने तंज कसते हुये कहा।
तेरी तो…… ! दिखाता हूँ तुझे दम क्या होता हैं, कहते हुये मैंने भी अपने कपडे उतार दिये और जाकर कोमल को कस लिया।
कोमल ने भी तुरंत मुझे किस करना शुरु किया। पाँच मिनट किस करने बाद वो अपने पती की तरफ मुँह करके खडी हो गई।
मेरे सामने नखरे दिखाती हैं .?. अब तो रोज दस दस लडकियों को घर लाकर चोदुंगा तेरे सामने।, कहते हुये उसका पती लडकी को जोर जोर से चोदने लगा।
ये देखकर मुझे भी गुस्सा आया। मैं जाकर पीछे से कोमल से चिपक गया।
उसके बुब्स पकडे और उसे किस करने लगा। कोमल ने भी मेरा साथ देते हुये अपने डाये हाथ में मेरा लंड पकड लिया और उसे हिलाने लगी।
ये दृश्य देखकर उसका पती गुस्से से और जोर से चुदाई करने लगा।
कोमल भी गुस्से में नीचे बैठ गई और मेरा लंड अपने मुँह में भरकर उसे जोर जोर से चुसने लगी।
ले दुनियाँ भर के लंड अपने मुँह में ले, पती तिलमिलाते बोला।
लुंगी जरुर लुंगी, कहते हुये कोमल ने मुझे बेडपर उन दोनों के बगल में ही लिटा दिया और सिक्सटी नाईन की पोझीशन में आकर अपनी चूत मेरे मुँह पर रखी और खुद मेरे लंड को अपने मुँह में ले ली।
उसका पती ये सब देख के जल्दी जल्दी शॉटस् मारने लगा।
हम दोनों ने खुब मजे से चुसाई और चटाई की। बाद में कोमल उठी और मेरे उपर आ बैठी। अपनी चूत फैलाकर वो मेरे लंड के उपर बैठ गई और उठक बैठक करने लगी।
ये या या या हा करते हुये कोमल लंड को अंदर बाहर ले रही थी।
उसका पती भी चोद लडकी को रहा था पर देख कोमल को रहा था। इस चक्कर में उसका फव्वारा छुटा और वो झड गया।
ये तो गया, कहते हुये कोमल उठी। उसने अपने पती को नीचे लेटी लडकी के उपर पेट के बल लिटा दिया। फिर खुद अपने पती पर पेट के बल लेट गई।
याने नीचे लडकी, लडकी पर पती और पती पर कोमल।
आ जाओ मेरे चोदू राजा ! चढ जाओ मेरे उपर।, कहते हुये कोमल ने अपनी टांगे फैला दी।
नीचे लडकी का दबकर हाल बुरा हुआ था।
अरे ! वो मर जायेगी, मैं बोला।
कोई नहीं मरेगी, बडी सख्त जान हैं ये।, कहते कोमल ने मेरा हाथ पकडा और मुझे अपनी जाँघों के बिच खिंच लिया।
मुझे भी अब कंट्रोल नहीं हो रहा था। मैंने लंड उसकी चूत में डाला और शॉटस् लगाने लगा। दिखने और करने में ये सब अलग लग रहा था।
उसके पती की तो जैसे जान ही निकल गई थी। कोमल ऐसा कुछ करेगी ये मैंने सपने में भी नहीं सोचा था। थोडी देर बाद कोमल उठी और उन दोनों को अगल बगल लिटा दिया।
फिर आडी होकर उन दोनों पर पेट के बल लेट गई।
अब उसकी चूत नीचे और गांड उपर थी। मुँह अपने पती के सिने पर था और कमर लडकी के पेट पर।
जानेमन ! चोदो मुझे।, कहते हुये कोमल गांड को मटकाने लगी।
मैंने भी बिना वक्त गवाये उसकी गांड को दबोचकर लंड को चूत में घुसेड दिया।
ये हुयी ना बात ! चोदो अब मजे से, कहते हुये कोमल अपने पती के सिने पर मस्ती से ऊँगलियाँ फेरने लगी।
मैं जोर जोर से फटाफट धक्के लगाने लगा।
मैं – कोमल मैं झडनेवाला हूँ।
कोमल – मेरी चूत मे ही पानी छोड दो डार्लिंग। मैं भी झडनेवाली हूँ। हम दोनों का पानी एक हो जाने दो।
उसके कहने पर मैंने अपना फव्वारा उसकी चूत में ही छोड दिया। मेरे पीछे – पीछे वो भी झड गई।
आह माय स्विट फकर, कहते हुये कोमल उठी। मेरे पानी से सराबोर लंड को मुँह में ली और चाट – चाट कर उसे साफ कर लिया।
जीन ऊंगलियों में दोनों का मिक्स विर्य लगा था वो ऊँगलियाँ उसने लडकी के मुँह में डाल दी। लडकी ने कुछ कहा नहीं, चुपचाप पडी रही।
कोमल की चूत अभी भी विर्य से भरी हुयी थी। वो सिधा अपने पती के मुँह पर बैठ गई। अपनी चूत को पती के मुँह पर रगडकर उसने सारा विर्य उसके मुँह पर लगा दिया था।
थोडी देर बाद वो उठी। हम दोनों साथ ही नहा लिये और बाहर आकर कपडे पहन लिये।
उसका पती और लडकी भी नहा धोकर सोफे पर आ बैठे थे।
बाय बाय माय डिअर हजबंड, कहते हुये कोमल एक बार अपने पती को चुमा, एक बार लडकी को चुमा और मेरा हाथ पकड कर मुझे फार्महाऊस से बाहर ले आयी।
हमदोनों गाडी में बैठकर सिधे होटल चले गये। मेरी रिटर्न फ्लाइट उसी रात को थी। एअरपोर्ट पर कोमल मुझे छोडने आयी थी।
मुझे बिदा करते वक्त कोमल ने मुझे किस किया और मेरे हाथ में एक लिफाफा दे दिया।
क्या हैं इसमें .?., लिफाफा देखकर मैंने पुछा।
इसमें एक चिठ्ठी हैं तुम्हारे लिये। प्लिज इस चिठ्ठी को तब पढ लेना जब टेक ऑफ हो, कहते हुये उसने मेरा हाथ दबा दिया।
उससे बिदा होकर मैं फ्लाइट में पहुँचा। कुछ ही समय बाद फ्लाइट ने टेकऑफ किया। मैंने लिफाफा खोलकर कोमल की लिखी चिठ्ठी पढनी शुरु की।
चिठ्ठी में लिखा था।
डिअर रवी,
मुझे माँफ करना मैंने तुमसे झुट कहा था।
मेरे पती मुझपर कोई जुर्म नहीं करते। वो तो मेरी मर्जी से ही अपनी सेक्रेटरी के साथ सेक्स करते हैं। मुझे उन दोनों का सेक्स देखने का बडा मजा आता था।
कुछ दिनों से मेरे पती कि भी इच्छा हो रही थी के वो मुझे किसी गैर मर्द से चुदते हुये देखें। इसिलिये फार्महाऊस वाला प्लान बनाया गया।
जो लडकी पती से फार्महाऊस पर चुद रही थी वो कोई और नहीं बल्कि उनकी सेक्रेटरी थी।
किसी और से चुदने की बजाय मैं सिर्फ तुमसे चुदना चाहती थी। कॉलेज के जमाने से ही मेरी तुमसे चुदने की ख्वाहिश थी।
एक दूसरे के सामने गैरो से सेक्स करने का प्लान हमने तुमसे इसिलिए छुपाया क्योंकि तुम प्लान मालूम पडने पर सेक्स को मना कर देते। तुम सेक्स के लिये मना ना करो इसलिये हमने इतना बडा नाटक किया।
हो सके तो अपनी दोस्त को माँफ कर देना।
तुम्हारी कोमल
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