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अपूर्वा अब आंटी की चेयर पे हाथ रखकर खड़ी थी। उसने अपनी बाहें आंटी के गले में डाल दी और अपना चेहरा आंटी के कानों के पास करके कुछ फुसफुसाई।
आंटी ने मुस्कराते हुए उसके गालों पर एक थपकी दी।
प्लीज, मॉम,,, अपूर्वा ने कहा।
ओके बेटा, मैं देखती हूं, कहते हुए आंटी उठ गई।
मैं नीचे चलती हूं, आप लोग बातें करो, कहकर आंटी बाहर चली गई।
आंटी के जाते ही अपूर्वा मेरी चेयर के पास आई और पिछे से मेरे गले में बाहें डालकर खड़ी हो गई। वो अपने चेहरे को मेरे कान के पास लेकर आई और फिर धीरे से मेरे कान में फुसफुसाई।
आज यही पर रूकना है आपको भी, मैंने मम्मी को कह दिया है, उसने फुसफुसा कर कहा।
क्या, तुम पागल तो नहीं हो, मैंने आश्चर्य से उसकी तरफ अपना चेहरा करते हुए कहा।
चेहरा घुमाने से मेरे होंठ सीधे उसके होंठों से टकरा गये। मैंने तुरंत अपना चेहरा पिछे किया।
हमें देखकर सभी हंसने लगे, अपूर्वा का चेहरा फिर से शरम से लाल हो गया।
प्लीज रूक जाओ ना, वो फिर से मेरे कान में फुसफुसाई।
नहीं यार, जाना तो पड़ेगा ही, मैंने धीरे से कहा।
तभी नीचे से आंटी की आवाज आई।
आई मम्मी, कहते हुए अपूर्वा बाहर चली गई।
उसके बाहर जाते ही कोमल अंदर आई।
तो जी क्या डिसाइड हुआ, नवरीत ने कहा।
दीदी मना कर रही है, कोमल ने कहा।
अरे मेरे से बात करवाओ, ऐसे कैसे मना कर रही है, नवरीत ने कहा।
ओके, ठीक है, रूक रही हूं, कोमल ने मुस्कराते हुए कहा।
ये हुए ना बात, कहते हुए नवरीत ने कोमल का हाथ पकड़कर बेड पर खींच लिया।
कोमल सीधा उसकी उपर जाकर गिरी।
तुम्हारी ये बात बड़ी बेकार है, लेती हो और ऐसे खींचते हो जैसे कोई खिलोना हो, अगर चोट लग जाये तो, मैंने कहा।
दिखाना कहां चोट लग गई, नवरीत ने कोमल के शरीर को टटोलते हुए कहा।
मेरा मतलब लग सकती है, मैंने कहा।
नवरीत ने मेरी तरफ घूर कर देखा, और फिर मुस्करा दी। मेरी भी हंसी छूट गई।
कैसा है मेरा बेटा, नीचे से किसी आदमी की आवाज आई।
अंकल आ गये, नवरीत ने कहा और उठकर बाहर चल दी।
दीदी नाराज हो रही थी, कह रही थी ऐसे कैसे किसी के भी घर रूक जाओगी, कोमल ने मेरी तरफ देखते हुए कहा।
अब ये तुम जानो, मेरी मैम हैं, मैं क्या कह सकता हूं, मैंने कहा।
आपसे बात करवाने के लिए कह रही थी, कोमल ने कहा।
मुझसे, मर गया,,,,, मैंने कहा।
मैंने अपना सैल निकाला और मैम का नम्बर मिलाया।
हैल्लो, फोन उठाते ही मैम ने कहा।
हैल्लो मैम, मैंने कहा।
कहां पर हो, मैम ने पूछा।
अपूर्वा के घर हैं मैम, मैंने कहा।
गये तो कोमल की दोस्त के घर थे, वहां कैसे पहुंच गये, मैम ने पूछा।
वो कोमल की दोस्त मेरे घर पर थी, और फिर वहां से सभी अपूर्वा के घर पर आ गये, मैंने कहा।
तो ये आज रूकने का क्या चक्कर है, मैम ने कहा।
मुझे नहीं पता, वो अपूर्वा कह रही थी इनको रूकने के लिए, मैंने कहा।
क्या करेगी रूककर, मिल ली है, अब रात भर रूकने का क्या मतलब है, मैम ने कहा।
तुम भी उधर ही रूक रहे हो क्या, मैम ने कुछ रूककर फिर पूछा।
मैं यहां कैसे रूक सकता हूं मैम, इनके घर वाले क्या सोचेंगे, मैंने कहा।
ठीक है, अगर तुम वही पर रूक रहे हो, तो कोमल भी रूक जायेगी नहीं तो, उसको रूकने की कोई जरूरत नहीं है, मैम ने कहा।
ठीक है मैम, मैंने कहा और बाये करके फोन काट दिया।
कोमल मेरी तरफ ही देखे जा रही थी, मेरे उतर के इंतजार में। मैंने एक बार उसकी तरफ देखा और बेड पर बैठ गया।
क्या कहा दीदी ने, कोमल ने पास आते हुए कहा।
मैंने बेकार सा मुंह बना दिया, जैसे कहना चाह रहा हों कि मना कर दिया। मैं देखना चाहता था कि ये क्या चाहती है।
मेरे मुंह बनाने से कोमल समझ गई कि मैम ने मना कर दिया है, और उदास सा चेहरा बनाकर बैठ गई।
उदास होने का साफ मतलब था कि वो यहां पर रूकना चाहती है। अब मुझे सोचना था कि ऐसा क्या करूं जिससे मुझे भी ना रूकना पड़े और ये भी यहां पर रूक सके।
क्रमशः.....................
आंटी ने मुस्कराते हुए उसके गालों पर एक थपकी दी।
प्लीज, मॉम,,, अपूर्वा ने कहा।
ओके बेटा, मैं देखती हूं, कहते हुए आंटी उठ गई।
मैं नीचे चलती हूं, आप लोग बातें करो, कहकर आंटी बाहर चली गई।
आंटी के जाते ही अपूर्वा मेरी चेयर के पास आई और पिछे से मेरे गले में बाहें डालकर खड़ी हो गई। वो अपने चेहरे को मेरे कान के पास लेकर आई और फिर धीरे से मेरे कान में फुसफुसाई।
आज यही पर रूकना है आपको भी, मैंने मम्मी को कह दिया है, उसने फुसफुसा कर कहा।
क्या, तुम पागल तो नहीं हो, मैंने आश्चर्य से उसकी तरफ अपना चेहरा करते हुए कहा।
चेहरा घुमाने से मेरे होंठ सीधे उसके होंठों से टकरा गये। मैंने तुरंत अपना चेहरा पिछे किया।
हमें देखकर सभी हंसने लगे, अपूर्वा का चेहरा फिर से शरम से लाल हो गया।
प्लीज रूक जाओ ना, वो फिर से मेरे कान में फुसफुसाई।
नहीं यार, जाना तो पड़ेगा ही, मैंने धीरे से कहा।
तभी नीचे से आंटी की आवाज आई।
आई मम्मी, कहते हुए अपूर्वा बाहर चली गई।
उसके बाहर जाते ही कोमल अंदर आई।
तो जी क्या डिसाइड हुआ, नवरीत ने कहा।
दीदी मना कर रही है, कोमल ने कहा।
अरे मेरे से बात करवाओ, ऐसे कैसे मना कर रही है, नवरीत ने कहा।
ओके, ठीक है, रूक रही हूं, कोमल ने मुस्कराते हुए कहा।
ये हुए ना बात, कहते हुए नवरीत ने कोमल का हाथ पकड़कर बेड पर खींच लिया।
कोमल सीधा उसकी उपर जाकर गिरी।
तुम्हारी ये बात बड़ी बेकार है, लेती हो और ऐसे खींचते हो जैसे कोई खिलोना हो, अगर चोट लग जाये तो, मैंने कहा।
दिखाना कहां चोट लग गई, नवरीत ने कोमल के शरीर को टटोलते हुए कहा।
मेरा मतलब लग सकती है, मैंने कहा।
नवरीत ने मेरी तरफ घूर कर देखा, और फिर मुस्करा दी। मेरी भी हंसी छूट गई।
कैसा है मेरा बेटा, नीचे से किसी आदमी की आवाज आई।
अंकल आ गये, नवरीत ने कहा और उठकर बाहर चल दी।
दीदी नाराज हो रही थी, कह रही थी ऐसे कैसे किसी के भी घर रूक जाओगी, कोमल ने मेरी तरफ देखते हुए कहा।
अब ये तुम जानो, मेरी मैम हैं, मैं क्या कह सकता हूं, मैंने कहा।
आपसे बात करवाने के लिए कह रही थी, कोमल ने कहा।
मुझसे, मर गया,,,,, मैंने कहा।
मैंने अपना सैल निकाला और मैम का नम्बर मिलाया।
हैल्लो, फोन उठाते ही मैम ने कहा।
हैल्लो मैम, मैंने कहा।
कहां पर हो, मैम ने पूछा।
अपूर्वा के घर हैं मैम, मैंने कहा।
गये तो कोमल की दोस्त के घर थे, वहां कैसे पहुंच गये, मैम ने पूछा।
वो कोमल की दोस्त मेरे घर पर थी, और फिर वहां से सभी अपूर्वा के घर पर आ गये, मैंने कहा।
तो ये आज रूकने का क्या चक्कर है, मैम ने कहा।
मुझे नहीं पता, वो अपूर्वा कह रही थी इनको रूकने के लिए, मैंने कहा।
क्या करेगी रूककर, मिल ली है, अब रात भर रूकने का क्या मतलब है, मैम ने कहा।
तुम भी उधर ही रूक रहे हो क्या, मैम ने कुछ रूककर फिर पूछा।
मैं यहां कैसे रूक सकता हूं मैम, इनके घर वाले क्या सोचेंगे, मैंने कहा।
ठीक है, अगर तुम वही पर रूक रहे हो, तो कोमल भी रूक जायेगी नहीं तो, उसको रूकने की कोई जरूरत नहीं है, मैम ने कहा।
ठीक है मैम, मैंने कहा और बाये करके फोन काट दिया।
कोमल मेरी तरफ ही देखे जा रही थी, मेरे उतर के इंतजार में। मैंने एक बार उसकी तरफ देखा और बेड पर बैठ गया।
क्या कहा दीदी ने, कोमल ने पास आते हुए कहा।
मैंने बेकार सा मुंह बना दिया, जैसे कहना चाह रहा हों कि मना कर दिया। मैं देखना चाहता था कि ये क्या चाहती है।
मेरे मुंह बनाने से कोमल समझ गई कि मैम ने मना कर दिया है, और उदास सा चेहरा बनाकर बैठ गई।
उदास होने का साफ मतलब था कि वो यहां पर रूकना चाहती है। अब मुझे सोचना था कि ऐसा क्या करूं जिससे मुझे भी ना रूकना पड़े और ये भी यहां पर रूक सके।
क्रमशः.....................