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अपस्यु उसे फ्लाइंग किस्स देते उन दोनों गोरी मैम को छोड़ा और ऐमी को बेस्ट ऑफ लक कहते हुए वापस से बार काउंटर पर चला गया। इधर डांस के बाद थोड़ा विराम लग चुका था। मनीष और राजीव सभा में पहुंच चुके थे और साथ में उसके दोनों बेटे भी.. अब आगे का कार्यक्रम शुरू होने जा रहा था।
सब खास लोग स्टेज पर आ चुके थे। डॉलर में कमानेवाले पंडित जी भी मंत्र उच्चारण शुरू कर चुके थे और नंदनी ऐमी को बोल ही रही थी कि अपस्यु को बार से उठकर यहां पर लेकर आए।
इधर डांस के बीच में जब अपस्यु ऐमी को बेस्ट ऑफ लक कहकर निकला तो सीधे बार काउंटर के पीछे गया, जहां सिन्हा जी जितने पेग लगाए थे उतने ही ग्लास उसके कॉकटेल के बनवा कर रखे हुए थे।… "क्या बापू, अकेले-अकेले 6 पेग मार चुके।"
सिन्हा जी:- छोटे, ऐमी और तेरी मां ने मिलकर पहरा लगा डाला था। इसलिए बार काउंटर तक पहुंचने में समय लग गया। वरना अपने बेटे के एंगेजमेंट में 12-15 पेग तो लगा ही चुका होता।
अपस्यु ने अपना एक पेग उठाया और सिन्हा जी के साथ टोस्ट करते हुए… "कोई ना बापू कौन सा इनका अभी नाचना खत्म हो गया है। अभी वक़्त है हमारे पास।"
जबतक इनलोगों का नाचना खत्म हुआ और सब स्टेज पर पहुंचे थे, तबतक अपस्यु और 10 पेग लगा चुका था और सिन्हा जी 8 पेग के साथ झूमना शुरू कर चुके थे। इधर नंदनी ने जैसे ही ऐमी को बुलाने के लिए कहीं, वो बार काउंटर पर अपनी नजर दी… बापू और छोटे की जोड़ी कंधे पर हाथ डाले वीरभद्र से कुछ बातें कर रहे थे। उनको देखती ही… "लो हो गई अब एंगेजमेंट"..
नंदनी:- क्या हुआ इतने चिंता में क्यों दिख रही हो?
ऐमी नंदनी को उल्टा घूमती हुई कहने लगी… "लो खुद ही देख लो"… दोनों को साथ देखकर नंदनी कहने लगी… "इन पियक्कड़ों को रेगिस्तान में भी छोड़ आओ तो भी अपना जुगाड और साथी ढूंढ़ लेंगे।"
नंदनी अपनी बात समाप्त की ही थी कि यहां की भी लाइट चली गई, लेकिन इस बार फोकस जोड़ों पर नहीं बल्कि अपस्यु और सिन्हा जी पर था, और दोनों के हाथ में थी माइक….
सिन्हा जी:- छोटे आज मेरे बेटे का एंगेजमेंट है इसलिए यहां कोई एक्शन नहीं होगा। बस रोमांस होगा..
अपस्यु:- ओय बापू.. ये क्या बोल रहे हो.. पूरी फैमिली है..
सिन्हा जी:- आे तेरी ! साले ये बैंचों फिल्म वाले, इतना ना एक्शन और रोमांस को साथ में लिख दिए की मुंह से निकल गया.. सॉरी लेडीज एंड जेंटलमैन. मेरा छोटा एक्शन नहीं करेगा बल्कि डांस करेगा.. और अब मेरे इस हैंडसम हंक के लिए एक पार्टनर की जरूरत है.. ऐमी को छोड़कर कोई भी इंटरेस्टेड गर्ल आ सकती है..
अपस्यु:- जे बात बापू.. ये सही कहा आपने .. हमारे बीच दरार डालने वाली वही है… जलती है यार अपने से वो। लेकिन… लेकिन… लेकिन .. इस से पहले की कोई डांस शुरू हो, पहले आप लोग हमारे परिवार के कुछ पलो का आनंद उठाएं..
जैसे ही वहां अंधेरा हुआ था, और इन दोनों का नाटक शुरू हुआ… मनीष, राजीव से तानो में कहने लगा… हमारे परिवार के संस्कार तो नंदनी जी ने बता दिया था, अब ये क्या है भक्तिमय माहौल।
अनुपमा:- आप भी ना, ना वक़्त देखते हो ना जगह। चुपचाप सामने पर्दे पर चल रहे तस्वीरों को देखो, संस्कार पता चल जाएगा.. शोले में तो धर्मेन्द्र भी दारू पीकर पानी टंकी पर चढ़ा था, फिर क्यों रट लगाए रहते .. मेरा फेवरेट सीन.. आगे देखो…
कई सारी खट्टी मीठी यादें थी उन तस्वीरों में। एक तस्वीर और उभर कर आयी जो काफी लेटेस्ट थी अभी कुछ देर पहले की, जिसमे नंदनी ने तीनों को गोद में सुला रखा था। इस आखरी तस्वीर के समाप्ति के साथ ही रौशनी हुई और सभी बच्चे नंदनी के कंधे से लगे खड़े थे और नंदनी उनके बीच मुस्कुरा रही थी।
स्टेज पर ये माहौल चल रहा था और नीचे कई लड़कियों की भीड़ लग चुकी थी। इस बार अपस्यु ऐमी का चेहरा देख रहा था। गुस्से में बिल्कुल बिलबिलाती, वो अपस्यु को देख रही थी।… "छोटे गाना बजवाया जाए क्या?"..
अपस्यु:- अरे बापू आज के आप मेरे डांस पार्टनर..
सिन्हा जी:- ना रे, तू वो मुझे हवा में झुलाएग, मेरे हार्ट अटैक कर जाएगा।
अपस्यु:- अरे ना बापू ऐसे आज दो हमजोली नाचेंगे.. आरव तू कुछ देर और रुक, हम दोनों जरा रंग जमा कर आए…
सिन्हा जी:- ठीक है पर हम एक ही गाने पर नाचेंगे..
अपस्यु:- कौन सा बापू…
सिन्हा जी:- साले को बोल, "मेरा तन डोले मेरा मन डोले" बजाए…
अपस्यु को जब सिन्हा जी गाने कि फरमाइश कर रहे थे तब अपने बदन को ऐसे लहराए की देखने वालों की हंसी निकल आयी।… और फिर बजने लगा नागिन के धुन वाली तन डाले मन डोले..
सभी खड़े लोग हंसते-हंसते लोटपोट थे, और वहां फ्लोर पर 20 सपेरे और एक नाग। सब अपस्यु के आगे बीन बजा रहे थे और अपस्यु सबको डसने में लगा हुआ था। अब ये दोनों नौटंकी कर रहे हो और कोई घटना ना हो। कबीर वहीं उनके पास खड़ा होकर देख ही रहा था, कि सिन्हा जी के धक्के से वो गिरा।
अपस्यु के ठीक ऊपर वो गिरा था और अपस्यु उसे थामते हुए अपने पास लिटा दिया। तेजी से उठकर अपस्यु उसके ऊपर आया और अब सपेरा अपस्यु था और नाग कबीर। उसने बहुत कोशिश की वहां से उठकर निकल जाए लेकिन 20 लोगों की भीड़ से नाग तब तक नहीं निकला जबतक नंदनी ने अाकर दोनों बापू और छोटे की जोड़ी को कान पकड़ कर ऊपर स्टेज पर ना ले आए।
कबीर जब खड़ा हुआ तब उसके पूरे कपड़े खराब हो चुके थे। कुछ लोगों के तो वाइन भी उसके कपड़े पर गिरा हुआ था। काफी गुस्से में वो लग रहा था। इधर जैसी कबीर कि हालात थी ठीक वैसी ही अपस्यु की भी थी, लेकिन अपने भाई को ठीक सामने देखते ही आरव बाहें फैलाए उसके गले से लगा और कान में कहने लगा…
"कमिने आज की पार्टी खराब होते होते बची है, मुझे तो लगा कि वो कबीर गया आज"…. "अबे आज मै एक्शन के मूड से नहीं था। वो बापू भिड़ा हुआ था किसी तरह लड़ाई फसाने के लिए। उसने नीचे नहीं लिटाया होता तो तू जानता है तेरा ससुर ही क्यों ना हो, बापू से बदतमीजी पर तो मै उसे भी का छोड़ूं।…… "हहाहा, उन्होंने कब मार नहीं फसाया है तू ये बता।"…. "अबे छोड़ बे अब कितना गले लगेगा।"..
अपस्यु ने जैसे ही आरव को छोड़ा लावणी ने अपने दोनो हाथ ऊपर कर लिए अपस्यु उसे भी गले लगाते हुए कहने लगा… "लगता है इसने बाप वाला कॉन्सेप्ट तुम्हे भी बता दिया।"…. "थैंक्स भईया, आप ने जो किया वो मेरे एंगेजमेंट का बेस्ट मोमेंट था।".. अपस्यु उससे अलग होते हुए, आरव से कहने लगा… "सुन बे अगर इसने मुझ से तेरी कुछ सिकायात की ना तो तेरी खैर नहीं।"..
"अरे अब बस भी करो भारत मिलाप, वरना यहां पूरा खानदान खड़ा है मिलाप के लिए। दोनों एक दूसरे को अंगूठी भी पहनाओ।".. पीछे से सुलेखा हंसती हुई कहने लगी… इसी के साथ दोनों की अंगूठी सेरेमनी भी पूरी हुई। सभी लोग मेलमिलाप में लगे थे और इधर अपस्यु सुलेखा को भीड़ से थोड़ा अलग ले जाकर पूछने लगा… "आप खुश तो हो ना आंटी।"
सुलेखा:- बेहद खुश हूं। ऐसा लगा जैसे ज़िन्दगी में कोई तो अच्छा काम किया।
अपस्यु:- आप तो शुरू से अच्छा काम करती आ रही हैं। आपने जो किया है, उसके लिए हिम्मत चाहिए। लोग संसार से तो लड़ सकते है, लेकिन परिवार से हार जाते है। हम सबसे बड़ी लड़ाई तो आप लड़ रही हैं।
सुलेखा:- जानता है, मेरी नजर अब भी अपनी सुनंदा को ढूंढ़ रही है। तुझमें पूरी अपनी मां कि छवि है।
अपस्यु:- आप भी तो मां की ही परछाई हो। बिल्कुल मेरी मां जैसी। जो बीत गया उसे जाने दो, और आज में जीना सीखो। देखो तो लावणी को कितनी प्यारी लग रही है। दोनों की जोड़ी कमाल कि है।
सुलेखा:- उसकी जोड़ी तो लग गई, तेरी जोड़ी कब लगेगी।
अपस्यु:- उसमे अभी समय है आंटी फिलहाल तो अभी ध्यान कहीं और है।
सुलेखा:- अच्छा सुन, कोई थर्ड पार्टी तुम्हारे टारगेट के बीच आने वाला है, जरा संभलकर रहना।
अपस्यु:- हम्मम! अब आप चिंता नहीं कीजिए, मै बिल्कुल इनके सामने और ठीक बीच में हूं। आपको अब जोखिम उठाने की जरूरत नहीं है, हर बात अब मुझे पता चल जाएगी। बस आप अपना ख्याल रखिए और हां आज से आप जितना चाहे उतना प्यार लुटा सकती है, आप के मार और संभाल के काम से भी छुट्टी।
सुलेखा:- सच !!! वैसे अचानक ये तब्दीली, कहीं सच में तो तेरे और साची के बीच कुछ चलना तो शुरू नहीं हो गया।
अपस्यु:- नहीं वो बात नहीं है। मैंने साची को समझा दिया कि जो उसके साथ हुआ वो महज एक छल था।
सुलेखा:- ये क्या कर दिया तुमने.. पूरी बात बता दी क्या ?
अपस्यु:- ना, बस उतना, जितना उसे उसके गम से उबार दे, और उतना जितना आगे भविष्य में जब उसे पता चले कि घर की भेदी आप है तो आप से उसे कभी नफरत ना रहे। बस अब इसपर प्लीज कोई सवाल नही कीजिएगा..
सुलेखा मुस्कुराती हुई… "ठीक है कोई सवाल नहीं करती, चल अब चलती हूं, आज खुशी से अपने बच्चों से मिलूंगी, और तेरी उस हिटलर मां से भी। नंदनी क्या बोली थी उस दिन अपस्यु, ऐसा लग रहा था मिश्रा जी डर से जमीन में ना घुस जाए।
अपस्यु:- हाहाहाहा.. हां मैंने भी सुना, बस ये यादगार क्षण जब चल रहा था तब मै क्यों नहीं था उसी का अफसोस है।
"ऐमी, तुम्हे अपस्यु बुला रहा है। ले तू ऐमी के साथ अफसोस कर, मै चली।".. इतना कहकर सुलेखा वापस से लोगों के बीच चली आयी।… "क्या है? अब क्या जीत गए उसकी बधाइयां दूं तुम्हे।"..
अपस्यु:- तुम्हे प्यार से गले लगाकर चूमने कि इक्छा हो रही।
ऐमी:- अभी !!!
अपस्यु:- हां अभी।
"ठीक है, नो प्रॉबलम".. कहती हुई ऐमी लगभग चिपक ही चुकी थी, तभी अपस्यु एक कदम पीछे हटते हुए…. "क्या कर रही हो, सब लोग यहीं है और कुछ तो हम दोनों को ही देख रहे है।"
ऐमी:- तो वो बात बोलो जो कर सको, अपने ये 20 और 40 पेग पीकर झुमनें का नशा किसी और के पास करना।
अपस्यु:- नक्चढ़ी, आज गुस्से में तुम्हारी नाक लाल है..
ऐमी:- नजर साफ करो, वो मेकअप लगा है।
अपस्यु:- अच्छा बाबा सॉरी, माफ़ कर दो मुझे।
ऐमी:- अपस्यु तुम्हे पता है जब मै गुस्से में होती हूं तो मुझे मनाने कि कोशिश मत किया करो। गुस्सा अभी गया नहीं है और तुम्हारी हरकतें उसमे इजाफा कर रही है।
अपस्यु:- गुस्सा छोड़ भी दो, आज मूड बहुत रोमांटिक है। चलो कहीं घूम कर आते है।
"कुंजल के साथ मेरा पहले से सब प्लान बन चुका है। हुआ तो लावणी को भी साथ ले लूंगी। वैसे एक बात जानते हो"… अजीब सी खुशी जो इस वक़्त ऐमी के चेहरे पर थी, जिसे अपस्यु साफ पढ़ सकता था।
अपस्यु:- क्या ऐमी?
ऐमी:- लावणी से जब मैंने बात की आज, तो वो मुझ से कहती है.. "मुझे तो लगा आप कभी बात ही नहीं करेंगी मुझसे".. बहुत प्यार है यार वो। बिल्कुल मासूम रुई की गुड़िया हो जैसे।
अपस्यु:- हाहाहाहा.. ठीक है फिर इसी खुशी में आज रात तुम और मै.. सेलीब्रेट करेंगे..
ऐमी:- हट हट हट.. छूना भी मत, पहली बात… तुम्हे याद दिलाना चाहूंगी क्या तय हुआ था….. हमारा रिश्ता छिपा रहेगा और नो रोमांस, जबतक एक ही जगह पर सब लोग हो। और दूसरी बात कोई नहीं भी होता तो भी मेरा कोई मूड नहीं है। बाय डार्लिंग हैव ए स्वीट नाइट।
"बापू के चक्कर में इसे नाराज कर दिया। कोई नहीं चलो चले हम अकेले में खुद के गम मिटाते हैं और 2-4 जाम उठाते है।".. अपस्यु खुद से ही बात करते बार काउंटर पर बैठ गया। लेकिन आज अपस्यु की किस्मत.. बार काउंटर पर जैसे ही बैठा की पास में नंदनी अाकर खड़ी हो गई। अपस्यु ने नंदनी पर ध्यान नहीं दिया और जाम को होंठ से लगाकर चुस्की लगाया ही था… "अब तू इतना बड़ा हो गया है कि अपनी मां के सामने पिएगा।"..
जैसे ही उसने सामने नंदनी को देखा बेचारा सरक गया। नंदनी उसके सर पर हाथ थपथपाती… "इतना चौंकने की क्या जरूरत थी, पीते रहता, छोटे बड़े की इज्जत और लिहाज तो सब पहले ही बेच खाया है।"..
अपस्यु, शांत होकर अपना सर नीचे झुकाए… "सॉरी मां, वो मैंने आप को नहीं देखा।"..
नंदनी:- वाह बेटा !! मुझे नहीं देखा, और ये भी ख्याल नहीं रहा होगा कि मै इसी हॉल में हूं। कुछ ढंग के बहाने बना ले, या फिर-साफ साफ बोल दे, मेरी जिंदगी में दखल मत दो। तुम आज कल के लड़के नशा बस नशे करते रहो, पर उसे छोड़ने कहो तो लाइफ में दखलंदाजी हो जाती है।
अपस्यु सरपट उतरा अपने टेबल से और कान पकड़ कर कहने लगा… "बस करो मां, ताना मारना बंद करो। समझ गया ना मै अब.. चलो भी भूख लगी है।"
नंदनी:- तुमसे जब भी मै कुछ कहती हूं, ये तेरी भूख को क्या हो जाता है? मेरी बातें कोई डाइजेस्टिव एंजाइम है क्या? अभी जब दारू की चुस्की ले रहा था तब तो तुझे भूख नहीं लगी थी?
अपस्यु:- आप पहले पी कर देखो की मै क्या पीता हूं फिर आप कुछ कहना।
नंदनी:- मतलब तू अपनी मां को शराब पीने कह रहा है। लोग हैं वरना मै भी नहीं जानती कितने थप्पड तुझे पड़ चुके होते।
अपस्यु:- नहीं मां, आप पी कर देखो, मै केवल कॉकटेल पीता हूं, जिसमे कोई नशा नहीं होता।
नंदनी:- बेटा मै तेरी मां हूं .. हूं हूं..
अपस्यु, अपना सर हां ने हिलाता… "हूं"..
नंदनी:- कल का जन्म लिया मुझे सीखने चला है कि एल्कोहलिक और नॉन-एल्कोहलिक कॉकटेल क्या होता है। और वो क्या ऊटपटांग नाम है.. एटम शैम्पेन.. ऐसे ही कुछ नाम है ना तेरे उस दारू का।
अपस्यु छोटा सा मुंह बनाए..... चलिए चल रहा हूं समझ गया कि आप मेरी मां है।
नंदनी उसे सबके बीच लेकर चलती हुई… "अच्छा हुआ समझ गया वरना और भी रास्ते थे समझाने के।"…
ठीक इसी वक़्त रात के लगभग 11 बजे, हाड़विक (मेघा का पति) और मेघा एक प्राइवेट आर्मी के संचालन ऑफिस में बैठे हुए थे। यूएसए की सबसे बड़ी प्राइवेट आर्मी सप्लाई एजेंसी जिसका मुख्यालय वॉशिंगटन डीसी में था। दोनों पूरा पता लगाने के बाद उनके शिकागो ऑफिस पहुंचे थे।
दोनों बैठकर वहां के संचालक का इंतजार कर ही रहे थे, जो कुछ ही देर में इन दोनों के सामने था।… "मिस्टर एंड मिसेज मित्तल, कहिए आप के लिए क्या कर सकते है।" (परिवर्तित भाषा)
मेघा:- मिस्टर ड्यूक फोन पर तो आपको बताई ही थी, कोई है जो घात लगाकर हमे नुकसान पर नुकसान पहुंचाते जा रहा है और हम उनकी पहचान नहीं कर पा रहे।
ड्यूक:- देखो मेघा, हम छोटे केस नहीं लेते, बेहतर होगा तुम कोई प्राइवेट डिटेक्टिव हायर कर लो।
मेघा:- अपनी फि बताओ मिस्टर ड्यूक और मेरा काम कब तक खत्म होगा। मुझे मत सिखाओ की मेरा केस बड़ा है या छोटा।
ड्यूक:- 10 मिलियन यूएसडी, वो भी एक साथ।
मेघा:- मैं 20 मिलियन दूंगी, लेकिन काम की गरेंटी होनी चाहिए।
ड्यूक:- हाहाहाहा.. बच्चों जैसी बातें कर रही हो मेघा, क्या तुम हमारे टीम को जानती भी हो। एक टीम में 2 इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर, 2 टेक्नीशियन, जरूरत के हिसाब से हम हैकर भी देते है और 10 प्रोफेशनल एसासियान। तुम्हे अब भी लगता है कि इतने स्ट्रोंग टीम के सामने कोई टिक पायेगा। इस वक़्त हमारे 5 बटालियन कई यूएस आर्मी के ब्लैक ऑप्स मिशन में है।
मेघा:- मुझे प्रोफाइल से मतलब नहीं है मिस्टर ड्यूक, मुझे बस रिजल्ट चाहिए। मै 2 गुना कीमत देने को तैयार हूं क्या तुम्हारी टीम जल्द रिजल्ट देगी।
ड्यूक ने इस मिशन इंचार्ज को अंदर बुलाकर दोनों से इंट्रोड्यूस करते हुए… "ये हैं आप के केस और अपनी टीम के इंचार्ज.... सार्जेंट जेम्स होऑप्स।
औपचारिक हाय हेल्लो के बाद सार्जेंट ने मेघा से केस फाइल लिया, एक-एक करके हर मुख्य घटना कि झलकियां देखने के बाद, उसने आज रात की घटना कि झलकियां भी देखी। केस फाइल की पूरी झलकियां देखने के बाद…
जेम्स:- मेघा अपने डैड का इन्फ्लुएंस यूज करके इस घटना को ऐक्सिडेंट करार देकर पुलिस से फाइल क्लोज करवाओ, बाकी आज से मेरी पूरी टीम इसपर इन्वेस्टिगेशन शुरू करते हैं। कल शाम की मीटिंग में बाकी की बात होगी।
मेघा 1 मिलियन का चेक देती हुई कहने लगी…. "कल के मीटिंग के बाद मै तय करूंगी की मुझे ये केस तुम्हे देना चाहिए या नहीं। अभी के लिए ये पेशगी दिए जाती हूं, पसंद नहीं आया कल का मीटिंग तो ये भी वापस ले लूंगी।"… मेघा अपनी बात कहकर जेम्स को बेस्ट ऑफ लक कहती वापस आ गई।