• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Romance भंवर (पूर्ण)

Zoro x

🌹🌹
1,689
5,420
143
Update:-72




"हम्मम ! बस मुझे इतना जानना था कि जब हर किसी की पहचान हो गई थी, तब उन कातिलों को आपने भरी अदालत में क्यों नहीं घेरा? उन्हें क्यों सजा नहीं दिलवा पाए, जबकि आपके पास चश्मदीद गवाह थे? आपके पास तो पैसा, पॉवर और रूतवा तीनों ही थे जिससे आप गलत को भी सच साबित कर सकते है, फिर इतने बड़े झाख्मों का हिसाब लेने में आप पीछे क्यों हट गए?


नंदनी सवाल पूछकर खामोश हो गई और सिन्हा जी के जवाब का इंतजार करने लगी। सिन्हा जी पास ही लगे बेंच पर नंदनी के साथ बैठे और कुछ पल की खामोशी के बाद कहने लगे…

"लोगों को भ्रम रहता है कि कोर्ट फैसले केवल बड़े आदमी के हक में में होता है और वहां कोई न्याय नहीं मिलता। जबकि सच्चाई ये है कि न्याय की अपनी एक प्रक्रिया होती है, वो इमोशन से नहीं बल्कि एविडेंस पर चलती है। हमारी कहानी सुनने में मार्मिक जरूर है लेकिन एक वकील होने के नाते केवल इतना ही कह सकता हूं कि इस घटना पर यदि मैंने कैसे भी करके उन्हें अदालत में खिंचा होता तो भी उसका कोई नतीजा नहीं निकलता।"..

"पहली बात तो ये की सरकार के रिकॉर्ड में गुरु निशी का आश्रम देहरादून के पास की एक जगह में है नैनीताल में नहीं। दूसरी बात उस आश्रम में किसी का रिकॉर्ड नहीं को कितने बच्चे वहां आश्रम में थे। अब ऐसी स्तिथि में पहले तो यह साबित करना होगा कि घटना गुरु निशी के आश्रम में हुई थी और वो देहरादून में ना होकर नैनीताल में है।"

"यदि इतनी बातें साबित भी कर दिया, तो वहां जो आग लगी थी और कुछ बच्चे मरे थे उसकी जिम्मेदारी 5 लोग लेंगे और उनको सजा मिल जाएगी। होगा ये की जिन्हे सजा मिलनी चाहिए वो बाहर घूमेंगे और हम उनके नजरों के सामने आ चुके हैं। इसलिए वो तैयारी करेंगे नए ज़ख्म देने की। रात के अंधेरे की वारदात जिसमे कई लोग सम्मिलित थे, उनमें कितनो की भी गिरफ्तारी क्यों ना हो जाए, उनका मुखिया बाहर ही रहेगा। कभी-कभी न्याय के लिए थोड़ा इंतजार करना पड़ता है, लेकिन न्याय जरूर मिलता है। विचारहीन कदम केवल और केवल खुद को नुक्सान देता है।"


नंदनी:- हम्मम ! शायद आपके पास उन मामलों का ज्यादा अनुभव है इसलिए आप बेहतर समझ सकते हैं। माफ़ कीजियेगा, पुराने ज़ख्म कुरेद दिए आपके।


सिन्हा जी:- कोई बात नहीं, आप का सवाल जायज था जिसे मै भी आज तक खुद से पूछते आ रहा हूं।


नंदनी:- फिलहाल जो जवाब मिल रहे है उसी से दिल बहलाने में ही समझदारी है। वक़्त हर किसी के सवाल का सही जवाब दे ही देगा, मुझे अपने पूरे परिवार पर पूरा भरोसा है।

सिन्हा जी:- मुझे भी…



_________________________________________________



अपस्यु और ऐमी के लिए पहले से जिंदल की गाड़ी इंतजार कर रही थी। दोनों जैसे ही बाहर आए उनके आगे कार अाकर रुक गई। ऐमी कार में बैठते ही अपस्यु को खींचकर अपने करीब लाई और उसके होंठ से होंठ लगा कर चुमने लगी… अपस्यु भी उसे बाहों में भरकर किस्स करने लगा। दोनों की किस्स काफी लंबी चलती रही, किस्स के दौरान एक दूसरे के ऊपर लगातार हाथ फेरते रहे और एक दूसरे को किस्स करते रहे।


दोनों ने जब एक दूसरे को छोड़ा तब दोनो ही सीट पर सीधे होकर हांफ रहे थे। कुछ देर श्वांस सामान्य करने के बाद, इसबार अपस्यु ने ऐमी को खिंचा और उसके होंठ से होंठ लगाकर किस्स करने लगा। ये किस्स पहले वाले किस्स से भी ज्यादा लंबी चली। और जब एक दूसरे से अलग हुए तब वापस से हांफते हुए एक दूसरे को देखकर जोड़-जोड़ से हसने लगे…


ऐमी:- बहुत दिनों बाद इतने जोश में तुमने किस्स किया है अपस्यु, बात क्या है, किसे याद करते हुए किस्स किया जा रहा था हां।


अपस्यु अपने चेहरे पर शातिराना मुस्कान लाते हुए ऐमी को आंख मारा और कहने लगा…. "क्या करोगी जानकर, अब छोड़ो भी।"


ऐमी:- सिर्फ उसे याद करके इतने जोश में किस्स कर रहे थे, यदि उसी के साथ किस्स कर रहे होते जिसे याद कर रहे हो, तो क्या होता?


अपस्यु:- ये अमेरिका है बेबी, बताना पड़ेगा कि इतने हाई पैशन के बाद क्या होता है?


ऐमी:- कहो तो मै कोई चक्कर चला दूं क्या?


अपस्यु:- ना कोई चक्कर नहीं चल सकता। वो शादी-शुदा है और मुझसे कई साल बड़ी।


ऐमी:- हीहीहीहीही… फिर तो पक्का हो गया कि कोई नए रिश्तेदारों में से है। अब मिश्रा फैमिली में तो कोई भी ऐसा नहीं है मतलब मै समझ गई।


अपस्यु:- बस भी करो अब तो तुम हर बात ओपन ही करते चली जा रही। लगता है हम पहुंच गए…


कार एक बड़े से दरवाजे के अंदर घुसते हुए एक बड़ी ही आलीशान घर के सामने रुकी। ध्रुव खुद ही बाहर उनके स्वागत में खड़ा था और एक अच्छे मेजबान का फ़र्ज़ अदा करते हुए उसने कार का दरवाजा खोला और दोनों को देखकर "वेलकम" करने लगा।


जब से दोनों कार से नीचे उतरे, ध्रुव उनके तारीफों के फूल बांधते नहीं थक रहा था। दोनों को वो अपने साथ लेकर पूरा घर घुमाने लगा, अभी दोनों नीचे के हॉल में लगे सज्जो सामान को ही देख रहे थे कि इतने में मेघा भी वहां पहुंच गई।


मेघा अभी हॉल से गुजर ही रही थी कि ध्रुव ने उसे आवाज लगा दिया… "हे सीस, देखो तो कौन यहां आया है।"


मेघा उनके पास पहुंचकर अपना हाथ अपस्यु के ओर बढाती हुई… "हेल्लो अपस्यु"..


अपस्यु भी एक नजर उसके बदन पर डालते, उसके ओर हाथ बढ़ा दिया… "हेल्लो मेघा"…


मेघा:- ध्रुव क्या मै इस हैंडसम को अपने साथ के जा सकती हूं, पहली मुलाकात हमारे बीच कुछ अच्छा नहीं रहा था, शायद कुछ वक़्त साथ रहे तो उस दिन की गलतफहमी दूर हो जाए…


ध्रुव:- मेघा वो तो अपस्यु ही समझे, मुझे कोई प्रॉबलम नहीं।


अपस्यु:- मुझे भी कोई प्रॉबलम नहीं।


मेघा, ऐमी के ओर देखकर कहने लगी…. "हे स्वीटहार्ट, तुम्हारा बॉयफ्रेंड को कुछ देर के लिए साथ लिए जा रही हूं, कोई प्रॉबलम तो नही।


मेघा की बात सुनकर तीनों हसने लगे। इस तरह से सबको हंसते देख मेघा चिढ़ती हुई पूछने लगी…. "क्या हुआ जो ऐसे तुम लोग हंस रहे हो।"..


ऐमी:- दरअसल, हम दोनों गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड नहीं है।


मेघा:- व्हाटएवर, हे यूं हैंडसम कम विथ मी…


मेघा अपने ऐटिट्यूड में आगे चल रही थी और अपस्यु पीछे। तभी अपस्यु उसे पीछे से देखते हुए धीमे से सिटी बजाते हुए कहने लगा… "सुपर्ब बैक।" अपस्यु उतने ही तेज आवाज में बोला जितने में मेघा के कानो में हल्की आहट हो।


मेघा पीछे पलट कर अपने घमंड से भरे चेहरे पर अपने बेरुखे शब्दों को होटों से निकलती… "क्या कहा तुमने?"


अपस्यु:- वो तो यहां का इंटीरियर देख कर मुंह से सिटी निकल गया। क्या कर्व और शेप है इस जगह का, आई रिएली लाइक इट।


मेघा:- यह इंटरियर काफी हाई प्रोफ़ाइल है, हर कोई इस छूना तो दूर देख भी नहीं सकता।


अपस्यु:- क्लास कितनी भी हाई हो, बिना मजदूर के मेहनत के ऐसा इंटेरियर बनना संभव नहीं।


मेघा, अपनी घमंड भरे चेहरे पर घमंड भरी मुस्कान लाती हुई कहने लगी… "काफी तेज हो, कल मेरे डैड की इंप्रेस कर लिया और आज मुझे।".. दोनों एक बड़े से शीसे के कमरे में पहुंच गए थे जहां मेघा बैठती हुई अपनी बात पूरी की।


अपस्यु भी ठीक उसके पास बैठते…. "ये इंप्रेस करना मुझे नहीं आता। मुझे तो बस तोड़ना फोड़ना आता है।"..


मेघा:- हां कल देखी थी मै, तुम्हारी फाइटिंग स्टाइल गजब की है। तुम्हारे लिए एक जॉब है करोगे?


अपस्यु:- जॉब डिटेल प्लीज…


मेघा:- एक अंडरग्राऊंड फाइट करनी है, प्रोफेशन बॉक्सर के विरूद्ध।


अपस्यु:- नो रूल एरिया में लड़वाना है, वो भी मेरे घर से इतनी दूर यूएस में। कहीं मुझे मारने का प्लान तो नहीं है।


मेघा:- तुम्हे मरवाना कौन सी बड़ी बात है, वो तो कल शाम में ही हो जाता। तुम जानते हो मिस्टर अपस्यु मेरे डैड कभी किसी से माफी नहीं मांगते, तुममें कुछ तो बात उन्हें दिखी थी, फिर मैंने तुम पर नजर रखी, काफी इंप्रेसिव थे तुम। हां थोड़ी जुबान लंबी है पर हो तुम मास्टर पीस।


अपस्यु:- यहां मेरी तारीफ करने लाई थी या काम की भी बातें कर लें।


मेघा:- ये मेघा बहुत कम लोगों की तारीफ करती है मिस्टर अपस्यु तुम खुशनसीब हो, जिसे मैंने सराहा है।


अपस्यु:- तारीफ मेरे लिए कोई नई बात नहीं है, हर कोई करता है, मैं पहले से खुशनसीब हूं।


मेघा:- आई लाइक दिस ऐटिट्यूड।


अपस्यु:- जी बहुत-बहुत धन्यवाद..


मेघा:- तो क्या तुम्हारी मै हां समझूं..


अपस्यु:- पहले डील तो सेट हो जाए… कितने की बेटिंग है?..


मेघा:- 1 मिलियन यूएस डॉलर। अगर जीते तो तुम्हे तुम्हारे 2 करोड़ रुपए मिल जाएंगे।


अपस्यु:- डील 5 मिलियन की करो, 4 मिलियन मेरे होंगे।


मेघा, चौंकती हुई…. "तुम्हे पता भी है कि तुम क्या कह रहे हो? 50 लाख रुपए नहीं 50 लाख डॉलर लगे हैं दाव पर।


अपस्यु:- जी नहीं, मेरे 40 लाख यूएसडी लगे है और तुम्हारे 10 लाख।


मेघा, 2 ग्लास में सैंपेन डालती हुई ले आयी और एक ग्लास अपस्यु को सर्व करती हुई कहने लगी…. "तुम्हारे पैसे का सोर्स क्या है।"..


अपस्यु:- मार्केट.. 40 उठाऊंगा और 2 घंटे में उन्हें 45 लौटाऊंगा… बाकी मेरे भरोसे पर बहुत से लोग तैयार रहते हैं पैसे फेकने के लिए…


मेघा:- जितना सोची थी उससे कहीं उपर के चीज निकले… 2.5 मिलियन तुम्हारे 2.5 मिलियन मेरे। पूरे पैसे मैं लगाऊंगी, जीत गए तो मै 12.5% काटकर तुम्हे तुम्हरे पैसे दे दूंगी और यदि हार गए तो तुम मुझे 2 घंटे में 2.5 मिलियन यूएसडी लौताओगे वो भी 12% इंट्रेस्ट के साथ।


अपस्यु:- जीत तो मै जाऊंगा ही, उसकी चिंता तुम मत करो.. तुम तो बस सेलीब्रेट कैसे करना है वो सोचो।


मेघा:- जीत गए तो सेलीब्रेट भी करेंगे.. लेकिन कल पहले तुम्हे जरा अच्छे से चेक तो कर लूं।


अपस्यु:- यदि तुम्हे चेक करना है तो मै बता दूं कि मेरा फेल होना पक्का है, क्योंकि अपने से बड़ी उम्र के चेकर के साथ मै नर्वस हो जाता हूं।


मेघा:- डोंट वरी डार्लिंग, मुझे छोटे लड़कों के हैंडल करने का पूरा अनुभव है।


अपस्यु:- तो फिर ये भी तय रहा.. वैसे फाइट कब है..


मेघा:- 2 जुलाई की शाम.. तैयार रहना…


अपस्यु:- मै तो तैयार ही हूं, रिस्क तुम्हारा है, तुम तैयार रहना।


मेघा:- बिना रिस्क कुछ भी हासिल नहीं किया जा सकता। मै भी तैयार ही हूं।


अपस्यु:- बिल्कुल सहमत। सारी बातें हो गई हो तो चलें अब..


मेघा:- हां अब चलना चाहिए। कल तैयार रहना, मुझे इंतजार करना अच्छा नहीं लगता।..


दोनों बात ख़त्म करके वापस हॉल में लौट आए। मेघा अपस्यु को छोड़कर वहां से निकाल गई, इधर ये तीनों आपस में बातें करने लगे। डिनर खत्म करने के बाद ध्रुव खुद कार ले आया दोनों को ड्रॉप करने के लिए।


ध्रुव के साथ दोनों होटल ना जाकर समुद्र किनारे आ गए और वहां के मौसम का लुफ्त उठाते दोनों वहीं बैठ गए और ध्रुव उन्हें छोड़कर वापस लौट आया। दोनों खामोश बस सामने के लहरों को देख रहे थे।


दोनों के बीच की खामोशी में जैसे कोई गहराई थी। खामोश दोनों एक दूसरे के होने को मेहसूस कर रहे थे…. "मै एक नॉर्मल लाइफ जीना चाहता हूं, जैसे आरव और लावणी जी रहे, जैसे अन्य प्रेमी युगल जी रहे।".. ऐमी का हाथ थामते हुए अपस्यु कहने लगा…


ऐमी गहरी श्वांस लेती उसे मुड़कर देखने लगी और अपस्यु के चेहरे को पढ़ते हुए पूछने लगी…. "ऐसा क्या हो गया, जो मेरा टफ हीरो टूट गया।"..


अपस्यु:- बस अंदर से कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा। ऐसा लग रहा है चल रहे माहौल में तुम कहीं अकेली दूर खड़ी हो और मै हक से तुम्हारे पास भी नहीं रह सकता।


ऐमी:- जानते हो आज कुंजल क्या बोली…


अपस्यु:- क्या बोली..


ऐमी:- उसको मुझमें भाभी दिख रही है। सुनकर मुझे अच्छा लगा था।…


अपस्यु:- मुझे लगता है कुछ भी अब छिपाने की जरूरत नहीं है…

ऐमी:- भूल गए अपनी बात, हर किसी को पूरी सच्चाई नहीं बताई जा सकती। जो जितनी बातें जानेगा उतनी ही बातें सोचेगा और उतने ही बातें डिस्कस भी करेगा। ये हम सबकी सुरक्षा के लिए जरूरी है। अभी जैसा चल रहा है चलने दो। रही बात अभी की तो तुम साची को लेकर परेशान हो ना..


अपस्यु:- हां.. एक मासूम लड़की की सच्ची फीलिंग हर्ट कर दिया।


ऐमी:- यहां हर किसी की हर पल फीलिंग हर्ट होती है। मुझे विश्वास है कि तुम यदि उसे समझना चाहोगे तो वो समझ जाएगी।


अपस्यु:- हिम्मत नहीं बची ऐमी, लगता है हम न्याय नहीं किसी बदले के पथ पर है, जहां जो मिला इस्तमाल करते हुए अपना काम निकाल रहे है। मेरी आत्मा टूट रही है।


ऐमी, अपस्यु का हाथ थामती उसे खड़ा की और साथ चलते हुए कहने लगी… "याद है अपस्यु हमने कभी एक दूसरे को आई लव यू नहीं कहा।..


अपस्यु मुस्कुराते हुए….. हां जानता हूं…


ऐमी:- तुमने मेरे खामोशी को मियामी से लौटते वक़्त सुना था, जब हम फ्लाइट में थे और कैजुअल रिलेशन की बात कर रहे थे।


अपस्यु:- हां याद है मुझे। ये भी याद है कि तुम मुझसे बात करने के बाद वहां के वाशरूम साइड की लॉबी के पास खड़ी होकर रोई थी।


ऐमी:- और तुमने दूर बैठकर मेरी भावनाओ को सुना था, समझा था।


अपस्यु:- अकेले सिर्फ मैंने ही पढ़ा था क्या.. तुम तो मेरी भावनाओ को ना जाने कबसे परख रही थी। बिना इजहार के ही प्यार था ना जाने कबसे, बस उसे मानने मै बहुत देर कर दिए दोनों।


दोनों बीच पर चांद से आ रही रौशनी के बीच एक दूसरे को देख रहे थे.. देखते देखते दोनों प्यार से एक दूसरे में खोते हुए एक दूसरे को चूमने लगे… ऐमी किस्स को तोड़ती अपने सर को अपस्यु के सर से लगाते हुए उसकी आखों में देखती हुई कहने कहीं….


"जैसा तुम्हे फील हो रहा है साची के लिए, ठीक वैसे ही मेरी भी फीलिंग है। मैंने एक पल के लिए सोचा की तुमने मुझ से रिश्ता तोड़ लिया.. बस उस एक पल को मैंने पूरे सिद्दत से मेहसूस की, और वो दर्द मै शायद बयां ना कर सकूं। उसका टूटा दिल मुझे भी चैन से सोने नहीं दे रही। हमने मिलकर उसे दर्द दिया है, हम मिलकर उसे खुशी भी देंगे।"….
बहुत ही शानदार लाजवाब अपडेट भाई
यहां भी चारों तरफ जाल बिछे हुए हैं
अवनी अपस्यू की लवस्टोरी भी गजब हैं भाई

मेघा देखना चाहतीं हैं परखना ओर समझना चाहतीं हैं कि आखिर वो चीज हैं क्या
 

Zoro x

🌹🌹
1,689
5,420
143
बहुत ही शानदार
Update:-73



"जैसा तुम्हे फील हो रहा है साची के लिए, ठीक वैसे ही मेरी भी फीलिंग है। मैंने एक पल के लिए सोचा की तुमने मुझ से रिश्ता तोड़ लिया.. बस उस एक पल को मैंने पूरे सिद्दत से मेहसूस की, और वो दर्द मै शायद बयां ना कर सकूं। उसका टूटा दिल मुझे भी चैन से सोने नहीं दे रही। हमने मिलकर उसे दर्द दिया है, हम मिलकर उसे खुशी भी देंगे।"….


अपस्यु:- मै थका हुआ सा मेहसूस कर रहा हूं..


ऐमी:- यहीं लेटते है आओ..


दोनों वहीं रेत पर लेट गए… अपस्यु अपनी बाहें फैलाए और ऐमी उसके हाथ के ऊपर सिर रखकर लेट गई। चांद की हल्की रौशनी में दोनों एक दूसरे को देखकर चैन की श्वांस ले रहे थे।


ऐमी:- पार्थ के साथ मिलकर तुमने प्लान किया था क्या आज सुंबह का।


अपस्यु:- नहीं मैंने नहीं किया था। पार्थ को लगा कि कहीं मै उसके सरप्राइज का स्त्यनाश ना कर दूं, इसलिए उसने मुझे पहले बुला लिया था।


ऐमी:- हां ये तो सही किया फिर उसने। तुम्हे याद है वो मेहंदी वाला किस्सा।


अपस्यु:- छोड़ो भी उन किस्से कहानियों को, मेरे पास आओ…


ऐमी अपने चेहरे को उसके थोड़ा और करीब लाकर अपने नाक को उसके नाक से लगाती हुई… दोनों आखें मूंद कर वहां लेटे रहें। बहुत कम ही ऐसे मौके होते है, जब दोनों इतने सुकून से एक दूसरे के करीब होते है।…


कुछ वक़्त बीतने के बाद….. "अपस्यु हमे चलना चाहिए।"…. "हम्मम ! चलतें हैं।".. दोनों हाथ में हाथ डाले बीच से उठकर सड़क तक चले आ रहे थे, इसी बीच नंदनी का भी फोन आ गया और वो दोनों से वापस लौटने के बारे में पूछने लगी… "कुछ देर और" कहकर अपस्यु ने कॉल डिस्कनेक्ट किया और अपस्यु टैक्सी का इंतजार करने लगा…


ऐमी:- 4 किलोमीटर ही तो है.. पैदल चलते है ना…

अपस्यु:- ये भी सही है..


दोनों एक दूसरे के हाथों में हाथ डालकर सड़क के चारो ओर के कतूहाल को देखते हुए कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ने लगे। … "मै क्या सोच रहा था… मै क्या सोच रही थी"…


दोनों एक ही वक़्त में एक दूसरे के ओर मुड़कर एक ही जैसी बातें बोलने लगे.. और फिर जब ऐसा हुआ तो दोनों जोड़-जोड़ से हसने लगे… "मियामी ही ना"… "हां मै भी वहीं कहने वाली थी।"..


अपस्यु:- एंगेजमेंट खत्म हो जाने दो फिर एक हफ्ते की छुट्टी लेंकर मियामी में होंगे।


ऐमी:- नो, अभी वक़्त नहीं है मिस्टर, नो हॉलीडे..


अपस्यु:- वो 2 जुलाई के बाद मै तय कर लूंगा की हॉलीडे पर जाना चाहिए कि नहीं। 5 मिलियन यूएसडी की फाइट के लिए मुझे तैयार होना पड़ेगा..


ऐमी:- वक़्त नहीं मिलेगा सबके बीच… रात को ही एडजस्ट करना पड़ेगा..


अपस्यु:- हां यही मै भी सोच रहा था। टेस्टिंग सॉफ्टवेर तुम डेवलप कर लेना.. कुछ डिवाइस मै लेकर आया हूं, उसी से सभी टेस्ट कर लेंगे…


ऐमी:- 5 मिलियन की फाइट है अपस्यु.. तुम्हे इतने लंबे गेम नहीं उलझना चाहिए था… सामने वाला सबसे बेस्ट लेकर आएगा…


अपस्यु:- तभी तो मुझे भी अपना बेस्ट दिखाने का मौका मिलेगा…


"चॉकलेट आईसक्रीम प्लीज"… ऐमी कोने आइसक्रीम लेती हुई कहने लगी… "तुम तो पहले से अपना बेस्ट दे रहे हो। मै साथ हूं।…


दोनों हाथ में हाथ डाले और बात करते हुए होटल के बचे फासले तय करके वापस आ गए। दोनों अंदर से काफी खुश थे और सीधा जाकर अपने-अपने बिस्तर पर लेट गए। रात हसीन ख्यालातों में बीती और सुबह के 3 बजे अपस्यु के दरवाजे पर दस्तक होने लगी।


अपस्यु ने झट से दरवाजा खोला और ऐमी को अंदर खिंचते दरवाजा बंद कर लिया। ऐमी को बेहताशा चूमने लगा…. ऐमी कुछ दूर हटती… "शुरू हो गया रोमांस का चेप्टर, अब क्लोज करो इसे और चलो।"


अपस्यु वापस से ऐमी के कमर में हाथ डालकर, उसे खुद से चिपकाते हुए, ऐमी को देखकर कहने लगा…. "मेरी आखों में झांक कर देखो, क्या इस वक़्त मै रोमांस के मूड में लग रहा हूं।"


ऐमी, खिलखिला कर हंसते हुई.... "हां समझ गई, सर काफी हॉर्नी और वाइल्ड दिख रहे है। लेकिन एक बात भूलो मत…"


अपस्यु:- क्या ???


ऐमी:- आज शाम तुमने मेघा आंटी को वक़्त दे रखा है। अपना ये रूप उसके लिए संभाल कर रखो..


अपस्यु अपने चेहरे पर सिकन लाते हुए…. "अरे यार… ऐमी तुमने मुझे फसाया है उसके चक्कर में, मुझे बाहर निकालो इससे…"


ऐमी:- बहुत अहम कड़ी और शातिर है वो… क्लोज होने का मौका मिल रहा है, इसे हम जाने नहीं दे सकते…


अपस्यु:- शातिर तो बहुत है, ये तो मानना होगा। कार में ही पूरा सर्विलेंस लगा रखी थी।


ऐमी:- डिस्को में भी पिटाई खाने वालों में उस मेघा के भी 3 लड़के थे। कबीर ने मात्र 9 लोगों को उठाया था, 3 के लिए बाहर से लोग आए थे।


अपस्यु:- वैसे शातिर होने के मामले में तुम तो उसकी भी मां हो….. खुद का मूड ना हो तो मुझे उलझाकर रख देती हो। जितनी बातें हुई उनमें कौन सी ऐसी बात थी जो मुझे पता ना हो, लेकिन फिर भी तुम्हे ये अभी ही डिस्कस करना था।


ऐमी, फिर से हंसती हुई…. "सुबह सुबह सेक्स करोगे तो तैयारी क्या तुम्हारे बदले मै करूंगी। वैसे मुझे कोई ऐतराज नहीं फाइट लेने में।


अपस्यु:- अच्छा ठीक है मै समझ गया, अब चलो…


दोनों तकरीबन सुबह के 7 बजे होटल वापस पहुंचे। दोनों फ्रेश होकर बुफे के पास पहुंचे जहां पहले से पूरे परिवार के बीच लंबी बातचीत का दौर शुरू था। अपस्यु आकर नंदनी के पास खड़ा हो गया और ऐमी कुंजल और स्वस्तिका के बीच थी।


नंदनी:- यहां कोई हल्ला नहीं करो। सब कमरे में पहुंचेंगे फिर इसपर बात होगी।.. नंदनी थोड़ी चिढी और खफा लग रही थी। अपस्यु किनारे से मां को गले लगाता हुआ पूछने लगा…. "कौन सी बात मां"


नंदनी थोड़ा पीछे हुई और एक थप्पड उसे लगाती हुई कहने लगी…. "देर से अाकर तुम्हे सबकुछ पहले समझना है। नाश्ता खत्म करके सब लोग मेरे कमरे में आओ। और हां केवल नाश्ता करना इन बाहरवालों के बीच कोई ड्रामा नहीं। 10 मिनट में से एक सेकेंड भी लेट लगा आने में तो फिर मै यहीं अाकर ड्रामा शुरू कर दूंगी।


नंदनी अपनी बात कहकर वहां से निकल गई। बाकी सब लोग थोड़ा बहुत नाश्ता करके 10 के बदले 5 मिनट में ही नंदनी के कमरे में इकट्ठा हो गए…. नंदनी कुर्सी लगाकर बैठी हुई थी और बाकी सभी बच्चे नीचे…


स्वस्तिका:- मां सब लोग तो आ गए फिर आप किसका इंतजार कर रही है। सभा शुरू कीजिए।


नंदनी:- तुम आगे आओ यहां मेरे पास..


स्वस्तिका:- सॉरी मां।


नंदनी:- उनकी हिम्मत कैसे हुई… आरव तुम बताओ क्या किया जाए इनका।


आरव:- गुस्सा थूक भी दो मां, जाने दो नादान लोग है, केवल उम्र बढ़ गई है इनकी… हमे तो बस लावणी से मतलब है ना…


नंदनी:- ये लड़का पक्का ससुरालियों का निकलेगा, वो मिश्रा अपनी बेटी की शादी करने जा रहा है और अभी वो नादान है। आरव तुम मेरे पास आकर ही बैठो।


आरव:- मैं यही सही हूं। मेरे बदला मेरा भाई आप के पास जाकर बैठेगा.. जा मेरे शेर मेरे चिते, मां के पास जाकर बैठ जा…


नंदनी:- एंगेजमेंट में भी तेरे बदले उसी को भेज देती हूं, यही अच्छा रहेगा…


नंदनी की बात सुनकर सभी लोग हसने लगे…. साथ में नंदनी को भी हसी आ गई.. वो हंसती हुई सब को चुप रहने का बोलकर पार्थ से पूछने लगी…. "पार्थ तुम क्या कहते हो।"


पार्थ:- जब बात शुरू हुई, मै तो तब से कह रहा हूं कि ये रिश्ता ही कैंसल करो आंटी, अभी इसकी उम्र ही क्या हुई है…


पार्थ अपनी बात खत्म ही कर रहा था कि आरव का एक उड़ता चप्पल सीधा पार्थ के मुंह पर लगा और वो गुस्से में आरव को देखने लगा…. "आंटी अभी नहीं होती ना छछूंदर, तो तुझे मै अभी बता देता। आंटी देख रही हो इसकी हरकते।"


आरव:- तू इसी लायक है पार्था, मां थी इसलिए उठ नहीं पाया वरना अभी तू हॉस्पिटल में होता।


अपस्यु:- एक मिनट सब थोड़े शांत हो जाइए। इस पूरे प्रकरण में मै दोषी हूं।


चर्चा का माहौल सब एक साथ बोलने लगे… "जब वो और ऐमी कल रात उनसे मिले ही नहीं फिर मामला क्या है उसे कैसे पता.. बात घुमा रहा है.. झूट बोल रहा है.. ब्ला ब्ला ब्ला !!"… बुफे के जैसे यहां पर भी माहौल बिल्कुल मछली बाजार जैसा था…


"खामोशशशशशशशशशशशशशशशशशशशशश !…" नंदनी की तेज गरज और सब लोग खामोश होकर बैठ गए…. "हद है इतना हल्ला कौन करता है। सोनू ये तुम क्या कह रहे हो, तुम्हे पता भी है कि हम लोग किस बात की चर्चा कर रहे है।"


अपस्यु:- हां पता है, आरव की एंगेजमेंट अलग हॉल में होगी मुझे पता है।


नंदनी:- इसका मतलब सारी बात तुमने ही फाइनल की थी और वो राजीव केवल मुझे फैसला बताने आया था।


अपस्यु:- हां सही कहा आपने मां।


नंदनी:- और क्या मै पूछ सकती हूं कि मेरे रहते तुमने ये अकेले फैसला कैसे ले लिया।


अपस्यु:- उस दिन फैमिली डिनर पर जिंदल की बेटी और दामाद के नखरे देखकर, मैंने ही उन लोगों से कहा था कि यदि एंगेजमेंट वाले दिन ऐसे कोई सीन हुए तो सभी दोस्तों और रिश्तेदारों के बीच काफी माहौल क्रिएट हो जाएगा। इसलिए बेहतर यही होगा कि हम एंगेजमेंट अलग-अलग रखे।


नंदनी:- शाबाश क्या फैसला लिया है। अच्छा किया। चल अब 100 बार उठक बैठक कर।


अपस्यु:- ये कैसी शाबाशी है, इनाम के बदले सजा…


नंदनी:- फैसला अच्छा हैं, इसमें कोई 2 राय नहीं, किंतु फैसला लेने का तरीका बिल्कुल गलत। चल अब शुरू हो जा…


एंगेजमेंट सर पर थी और सभी लड़कियां साथ और उसके साथ में नंदनी भी टूट परी थी शॉपिंग, ब्यूटीपार्लर और अन्य सजो समान के लिए। पूरे परिवार के अनुरोध पर स्वस्तिका भी अपने रूप सज्जा के लिए हामी भारती हुई सब के साथ वो भी ब्यूटीपार्लर में पूरा समय दे रही थी। इधर पार्थ भी आरव के साथ घूम-घूम कर उसके छोटी बड़ी फैंटेसी पर हंसते हुए बिल्कुल एक कमिने दोस्त की तरह उसके साथ रहा।


शाम के तकरीबन 6 बजे अपस्यु तैयार होकर निकला। मेघा के बताए जगह पर वो पहुंचने ही वाला था कि इसी बीच ऐमी का संदेश उसके पास आया जिसमें "2 किस्स इमोजी" उसने भेजा था। ऐमी का संदेश देखकर वो मुस्कुराते हुए आगे बढ़ा और दरवाजे पर खड़ा होकर बेल बजाने लगा।


एक लड़की दरवाजा खोलती हुई उसे अंदर बुलाई और उसे बैठने के लिए बोलने लगी। कुछ देर बाद वो अपस्यु को ड्रिंक सर्व करने लगी। अपस्यु उस ड्रिंक को लिया और सामने के टेबल पर रख दिया और उस लड़की को वहां से जाने के लिए बोल दिया। इसके बाद उसने ऐमी को वापस एक "टीज" वाली इमोजी भेजकर मुस्कुराने लगा।


अपस्यु ड्रिंक देखकर मुस्कुराया और एक ही घूंट में पूरा पी गया। बस पीने के कुछ पल बाद ही उसका सर गोल घूमने लगा और आखों के सामने थोड़ा अंधेरा छाने लगा.. अपस्यु लंबी श्वांस खिंचते हुए अपनी आखें खोला और उसके कान पूरा चौकन्ना था।


अपस्यु के पीछे हटने की कोशिश, लेकिन तबतक फ्लॉवर पोट अपस्यु के इतने करीब आ चुकी थी कि उसे हाथो से अपने साइड फेस को कवर करना परा…. "नाइस मूव मेघा, लेकिन एक जाम मुझे बेहोश नहीं कर सकती। सॉरी जानेमन अंधेरे कमरे में मेरी पिटाई का तुम्हारा प्लान फ्लॉप करने के लिए।"..


शरीर की गति पूरी कमजोर पर चुकी थी, सर इतना ज्यादा चक्कर दे रहा था कि ध्यान लगाने में थोड़ी परेशानी तो आ रही थी लेकिन वो दिमाग को अब भी केंद्रित किए हुए था… स्वाद और गंध रहित नींद की गोलि और साथ ने हल्का मात्रा में ब्राउन सुगर, डेडली कॉक्तैल अपस्यु जान बूझ कर पी चुका था।


नशे से बेहोशी की हालत हुई जा रही थी… कुछ देर और वो खड़ा नहीं रह सकता था। काफी तेजी के साथ वो अपनी शरीर के गतिविधियों का आकलन कर ही रहा था कि तभी एक जोरदार लात उसके कंधे पर लगी, और वो लड़खड़ा कर गिरता हुआ, दीवाल से जा टकराया…


किसी तरह दीवाल के सहारे वो उठा ही था कि इतने में तेज बेसबॉल डंडा चला और निशाने पर उसका कंधा। अपस्यु खुद को तेजी से पीछे खिंचा, बेसबॉल का डंडा दीवाल पर लगा और मारनेवाला का पुरा हाथ अपस्यु के ठीक सामने… अपस्यु अपने दोनो हाथ से उसका हाथ पकड़ा और तेजी से अपने घुटने ऊपर करके उसके ज्वाइंट के ठीक बीच में निशाना। ज्वाइंट उल्टा होकर ऊपर के ओर आ गया और वो मारनेवाला कर्राहते हुए नीचे जमीन पर।


डगमगाते कदम के साथ वो हॉल के बिल्कुल बीचों-बीच खड़ा था। धुंधली सी रौशनी में उसे 3 और लोग नजर आ रहे थे… अपस्यु के दाएं खड़ा आदमी ने उसके सर को निशाना बनाते हुए तेज बेसबॉल डंडा चलाया, उसी वक़्त बाएं खड़ा आदमी ने अपने पंच से उसके पसलियों को निशाना बनाया.. एक आदमी जो ठीक सामने था, उसी वक़्त सामने से अपस्यु के सीने पर लोहे का पंच लगा कर वार कर दिया।


बस छन भर का समय और अपस्यु ने अपने पूरे बदन को पीछे ले जाते गर्दन को ऊपर उठाए रखा और खुद को पीछे के ओर गिरने दिए। गिरने के क्रम में ही सामने वाला आदमी जो लोहे का पंच इस्तमाल कर रहा था, उसके दोनों पाऊं से अपस्यु का पाऊं नीचे से टकराया और वो आदमी अपस्यु के ऊपर जैसे ही गिरने लगा, अपस्यु अपना दायां पाऊं उठा कर उसके मुंह पर एक लात मारते खुद को लेफ्ट रोल किया और वो आदमी धड़ाम से अपस्यु के पास आकर गिरा।


वो आदमी छटपटा कर नीचे कर्राहने लगा। इधर दाएं खड़ा आदमी का बेसबॉल डंडा हवा में चक चुका था और बाएं वाले का पसलियों के निशाना वाला पंच भी खाली जा चुका था।


अपस्यु पास गिरे उस आदमी के हाथ से को लोहे का पंच निकला। इधर सीन ऐसा था कि अपस्यु जब लोहे के पंच को निकाल रहा था तब उसका सर बाएं वाले आदमी के पास था और उसका आधा बदन बेसबॉल डंडे वाले के सामने था। एक ओर से बयां वाला अपने पाऊं से अपस्यु के चेहरे पर अपने लात उठाकर मारने कि कोशिश करने लगा, तो दूसरी ओर से उसके बदन पर बेसबॉल डंडा चल चुका था।


अपस्यु खुद को बचाते हुए रोल करके अपना सर बेसबॉल वाले आदमी के पास ले आया और धर बाएं खड़े आदमी के पास। जैसे ही वो बेसबॉल वाले के पास पहुंचा उसने लोहे के पंच लगाकर 4 जोरदार पंच उसके पाऊं पर चला दिए। रोल होने के कारन बेसबॉल वाला अपने शॉट मिस कर गया और जो पाऊं चेहरे पर लगना चाहिए था वो पाऊं अपस्यु के पाऊं के ऊपर पड़ा। और इतने देर में अपस्यु बेसबॉल वाले पर हमला कर उसके डंडे को अपने हाथ में लिया। इधर बाएं खड़ा आदमी जबतक अपस्यु के करीब आकर एक बार फिर उसके चेहरे पर अपने बुट के छाप छोड़ने की कोशिश किया .. अपस्यु ने उसके पाऊं पर, आगे से बेसबॉल का डंडा चला कर उसे गिरा चुका था। सभी टारगेट नीचे जमीन पर और अपस्यु चैन की श्वास लेते धीरे-धीरे नींद कि गहराइयों में चला गया।
बहुत ही शानदार लाजवाब अपडेट भाई
 

Zoro x

🌹🌹
1,689
5,420
143
Update:-74 (C)




अपस्यु जैसे ही ऊपर चढ़ा साची भागकर उसके पास पहुंची और उसे टटोल कर देखने लगी वो सुरक्षित है कि नहीं… बढ़ी धड़कनों को वो शांत करके अपस्यु के ओर देखते हुए कहने लगी…. "मै कुछ भी समीक्षा कि स्तिथि में नहीं हूं, कह दो जो अब कहना है। क्रेज़ी बॉय की आईडी और तुम्हारे इस स्टंट एक बात तो समझ चुकी हूं कि तुमने जो भी किया वो सुनियोजित था, एक सोची समझी रणनीति।"


अपस्यु:- हां बस यही समझाने कि कोशिश कर रहा था..


साची:- जब सबकुछ पहले से तय था तो क्या मेरी फीलिंग मायने भी रखती है.. या फिर कोई नई ट्रिक है मुझे ट्रैप करने की।


अपस्यु:- नहीं कोई ट्रिक नहीं है, बस अब केवल सच्चाई हैं। यूं समझो की हमारे दिल पर बोझ था, हमने अपनी मंजिल पाने के लिए किसी की सच्ची फीलिंग को हर्ट कर दी।


साची:- हमने मतलब तुम्हारे साथ ऐमी भी पचता रही है, क्यों?


अपस्यु:- शायद हम दोनों से ज्यादा, लेकिन कभी जताएगी नहीं।


साची:- तो फिर वो क्यों नहीं आयी तुम्हारे साथ?


अपस्यु:- आना चाहती थी लेकिन मैंने है माना कर दिया। मुझे लगा गुस्से में कहीं तुमने उसे कुछ कह दिया तो वो अपने अंदर सब समेट कर रख लेगी लेकिन बात उसे चुभती रहेगी।


साची:- मै समझ गई तुम 2 नहीं बल्कि 1 हो.. अपस्यु और ऐमी..


अपस्यु:- हां सही समझी तुम.. लेकिन हम दोनों ही मिशन पर है, और उसका एक रास्ता तुमसे होकर जाता था। विश्वास मानो बस वो कड़ी जोड़ने के चक्कर में हमने बहुत ही गलत कदम उठा लिया। तुम्हे इन सबमें सामिल करना हमारी जिंदगी की सबसे बड़ी भूल थी।


साची:- भूल सुधार ली तुमने अपनी। हां मै अपनी फीलिंग अभी जज नहीं कर पा रही। दिमाग मेरा चींख-चींख कर कह रहा है कि मत भरोसा करो, लेकिन दिल कह रहा है कोई तो मजबूरी रही होगी जो तुमने मेरा इस्तमाल किया। मैंने तुम्हे माफ़ किया और शायद लगता है तुम्हे अब वो रास्ता मिल चुका है इसलिए अब मै तुम्हारी कहानी का हिस्सा भी नहीं रही, बस इस बात का थोड़ा अफसोस हो रहा है। अब ना तो तुमसे मिलना हो पाएगा और ना ही तुम्हे मै देख पाऊंगी…


अपस्यु:- ये प्यार वाली फीलिंग के साथ मिलना होगा या फिर एक जान पहचान वाले रिश्ते के हिसाब से..


साची:- दगाबाज, शुक्र करो इतने बड़े धोखे के बाद भी तुमसे मै बात कर रही हूं। तुम्हे क्या लगता है मै अब भी तुमसे प्यार करूंगी.. नेवर। लेकिन नफरत भी नहीं है तुमसे, क्योंकि मेरे पीछे आने कि जो भी तुम्हारी मनसा रही हो, लेकिन तुमने कभी मेरी फीलिंग हर्ट करने की कोशिश नहीं की, सिवाय एक मोमेंट के.. इसलिए जाओ माफ़ किया अब सवाल जवाब राउंड..


अपस्यु:- जी बिल्कुल…


साची:- क्या अब तुम्हारा काम खत्म हो गया है तो मै तुम्हारी लाइफ से आउट हो गई…


अपस्यु:- तुम्हारी नहीं हमारी कहो… और बिल्कुल नहीं, तुम हमारे लाइफ से चली जाओ उसमे हम कुछ नहीं कर सकते, लेकिन हमारी लाइफ से तुम कभी नहीं जा सकती। यूं समझ लो कि एक सच्चे दोस्त की तरह हम हर वक़्त तुम्हारे साथ रहेंगे, फिर चाहे तुम दूर रहो या पास..


साची:- इस बात का भरोसा था मुझे.. और वो तुम दोनों करते भी आ रहे थे.... शायद मै इमोशनल ना रहती तो तुम आज का ये सेशन भी नहीं लेते..


अपस्यु:- राईट, सही कही..


साची:- दूसरा सवाल… क्या आरव और लावणी का रिलेशन भी एक ट्रैप है..


अपस्यु:- पागल हो क्या? ऐसा सोचना भी मत… दोनों का सच्चा साथ है।


साची:- ओके बाबा, इतना हाइपर क्यों होते हो.. तीसरा सवाल.. क्या तुम गुड साइड हो या बैड साइड..


अपस्यु:- तुम्हे क्या लगता है?


साची:- मेरा लगना छोड़ो, बस जो सवाल किया उसका जवाब दो…


अपस्यु:- गुड साइड..


साची:- चौथा सवाल, मुझे ट्रैप किया मतलब तुम्हारा टारगेट मेरा परिवार था..


अपस्यु:- बिल्कुल नहीं, टारगेट तुम्हारा परिवार नहीं है। हां लेकिन..


साची:- बस आगे नहीं, मुझे पता है मेरे पापा और चाचा के बारे में, घुस लेते है। ये बात तुमने ही मुझे बताया था कैंटीन में। उस वक़्त मैंने डिफेंड किया था अपने परिवार को, लेकिन तुमने सच कहा था.. मतलब उन्हें जेल वेल टाइप होगी इतना ही इन्वॉल्व है ना वो लोग…


अपस्यु:- हां..


साची:- मुझे ध्रुव की रिपोर्ट दो… क्या उसका और मेरा रिश्ता सेफ है..


अपस्यु:- तुम उसे किस्स कर सकती हो… क्लीन है वो.. तुम्हारी बातें बहुत कुछ समझा रही है… कैसे.. तुम आखिर इतने नतीजों पर कैसे पहुंच सकती हो..


साची:- मै इतना नहीं सोचती लेकिन गुरुजी आप ने ही मुझे शार्प किया है। ओवर कॉन्फिडेंस और फटफटी वाली इश्यू एक ऐसी कहानी थी जिसने मुझमें थोड़ी बहुत समझदारी डाल गई। एक मामूली सरकारी मुलाजिम इतने बड़े उद्योगपति और पॉलिटीशियन के यहां मेरा रिश्ता आसानी से तय कर लेता है और दिखाने के लिए उस बड़े आदमी को अपना बचपन का दोस्त बताता है। जबकि दोनों जब मिले तो उनकी बातों में ऐसा था ही नहीं की 2 दोस्त बात कर रहे हैं, ऐसा लगा जैसे 2 बिजनेसमैन आपस में बात कर रहे है। शायद मै इस बात की समीक्षा नहीं कर पाती यदि वो घटना नहीं हुई होती।


अपस्यु:- मतलब मैंने तुम्हे जेनियस बना दिया…


साची:- और साथ में उन बातों को भी सोचने पर मजबुर किया, जिसके बारे में मै कभी सोचती भी नहीं। कमिने हो तुम अपस्यु मेरी नॉर्मल लाइफ को क्राइम थ्रिल और एडवेंचर वाली लाइफ में बदल दिए। और वो ऐमी की बच्ची कहां है उसके तो मै मुंह नोच लूंगी.. क्रेज़ी बॉय बनकर मुझे बहुत घुमाया है…।


अपस्यु:- सवाल जवाब का राउंड खत्म हो गया क्या?


साची:- एक सवाल है लेकिन उसका जवाब मै तुम्हे तब कहूंगी देने जब तुम कामयाब हो जाओ… तुम्हारे मिशन की हर एक कहानी जिसके जानने की मुझे पूरी जिज्ञासा है, जानती हूं मै कुछ भी कर लूं तुम ये अभी बताने वाले नहीं.. लेकिन वादा करो जब सब खत्म हो जाएगा तब तुम मुझे पूरी बात बताओगे…


अपस्यु:- वादा रहा… और भी कुछ..


साची:- हां .. प्यार में दगाबाजी माफ़ कर दी लेकिन अब दोस्ती में कोई दगाबाजी नहीं चाहिए… मंजूर…


अपस्यु:- पहले खुद तो से पूछ तो लो, दिल में प्यार वाली चाहत है या फिर दोस्त बनाकर पास रखने का इरादा।


साची:- इतना बड़ी डफर नहीं मेरी चाहत, जो एक धोखेबाज की कहानी जानने के बाद उससे प्यार करते रहे.. लकिन मेरी किस्मत, अब तो तुम्हे तो धिकेबाज कहकर रो भी नहीं सकती और ना ही अंधेरे कमरे में बंद होकर, खुद से ये सवाल कर सकती की आखिर क्यों प्यार हुआ तुमसे…


अपस्यु:- लंबे लंबे भाषण हां..


साची:- तुम से ही सीखा है गुरुदेव।


अपस्यु:- अच्छा सुनो क्या तुम प्लीज एक बात अपने तक रख सकती हो..


साची:- कौन सी बात?


अपस्यु:- यही की मै और ऐमी रिलेशन में है, दुनिया में तुम पहली ऐसी हो जिसे मैंने हमारे रिलेशन के बारे में बताया है, वरना इसके बारे में तो आरव भी नहीं जानता।


साची:- क्या बात कर रहे हो? यानी किसी को भी नहीं पता। रूको, रुको, यानी तुम दोनों मिलकर और भी लड़कियों को ट्रैप करने का तो नहीं सोच रहे?


अपस्यु:- जी नहीं, अब किसी मासूम को ट्रैप नहीं किया जाएगा… हां किसी शातिर को फसाने के लिए हमे शातिराना मूव की जरूरत होती है, इसलिए हम एक दूसरे का रिश्ते किसी को जाहिर नहीं होने देना चाहते …


साची:- कमाल की जोड़ी है तुम दोनों की.... एक ट्रैप करने के चक्कर में यहां छत पर सफाई दे रहे, अगली बार कोई भूल हुई तो पैराशूट में जाकर सफाई देते रहना..


अपस्यु:- ऐसा हुआ तो तुम क्यों हो, तुम्हारी कहानी बताकर वक़्त और समझाने दोनों की सरदर्दी से जल्दी छुटकारा पा लूंगा..


साची:- मिस्टर अपस्यु मै बेसब्री से उस वक़्त का इंतजार करूंगी। जितना खेल रचा है ना तुमने मेरे साथ उसका पूरा हिसाब ले लूंगी फिर तो..


अपस्यु:- लेकिन अब तो हमारे बीच दोस्ती हो गई है ना..


साची:- सुना नहीं क्या तुमने वो प्यारी सी कहावत.. हर एक दोस्त कमीना होता है..


अपस्यु:- लेकिन यहां तो कामिनी है..


साची:- ओय बस.. जेंडर क्लैरीफिकेशन कहा क्या देने.. चलो अब चलते है खाना खाने… लेकिन उससे पहले..


अपस्यु:- अब भी कुछ रह गया है सुनने को..


साची:- नहीं एक माफी का छोटा सा सेशन.. तुम तो अपने बोझ को हल्का कर लिए, कुछ बातें मेरे अंदर भी चुभ रही है, कह दूंगी तो दिल हल्का ही जाएगा..


अपस्यु:- हम्मम ! ठीक है, कर लो अपना भी मन हल्का..


साची:- पहले तो तुम्हारा थैंक्स। उस दिन डिस्को में और उससे पहले बैंक्वेट हॉल में मेरे भाई ने बहुत गलत किया था.. फिर भी तुम अपने उठे हाथ रोक लिए.. तुम्हारे जज्बे ने उस रात मुझे रुला ही दिया.. शायद गुस्से में कोई भी इतना नियंत्रित नहीं होता है जितने तुम थे....


अपस्यु:- कोई बात नहीं है.. अब वो भला है या बुरा है, है तो परिवार का हिस्सा ही, उसकी बेवकूफी की वजह से मै तुम दोनों बहन को अफसोस करते नहीं देख सकता।


साची:- मेरी एक इक्छा पूरी करोगे..


अपस्यु:- इतनी मिन्नतें नहीं हक से बोलो..


साची:- मै चाहती हुई कबीर और नीरज को उसके किए की अच्छी सजा मिले, बस जो भी करना मेरी नजरों से थोड़ा दूर…


अपस्यु:- ये तुम क्या कह रही हो, वो दोनों तुम्हारे भाई है..


साची:- हां जानती हूं। कितना फर्क है ना तुम लोगों में और मेरे परिवार में.. सिर्फ मेरी दोस्ती की वजह से कुंजल ने मुझसे कहा तक नहीं की मेरे भाईयों ने उसके साथ बहुत ही गलत किया.. हम दोनों बहन केवल..


अपस्यु:- बात को खींचो मत.. इतनी अच्छाई और बुराई में घुसने की जरूरत नहीं, काम हो जाएगा.. अब चलें या और भी कुछ बचा है..


साची:- हां अभी तो पूरी कहानी बची है.. ये तो साइड मैटर था..


अपस्यु:- तुम भी ना.. चलो झटपट बोल कर दिल हल्का कर लो..


साची:- अरे रुको तो परेशान ना करो आराम से बात कहने दो… जैसे तुमने अभी बताया ना कि तुम्हारा प्यार धोका था, तुमने मुझे ट्रैप किया था। लेकिन तुम्हारी बात भी सही थी, मेरा प्यार स्वार्थ था जो बस तुम्हे मेरे साथ होते देखना चाहता था। तुम वहां भी एक हिसाब से सही ही थे जब मैंने क्रेज़ी बॉय का दिल तोड़ा.. वर्चुअल ही सही लेकिन फीलिंग तो वहां भी थी।"

"और आखरी में.. मै अपने दर्द में रही लेकिन किसी सच्चाई बताने वाले को ऐसे जिंदगी से दरकिनार कर देना यह एक ग़लत काम था.. मैं वहां मै पूरी गलत थी। प्यार होता तो रास्ता निकालना था या साथ नहीं निभा पाते तो प्यार से अलग होना था, क्योंकि सच्चाई बताकर धोखा देना मकसद नहीं था… यहां मेरा एकतरफा फैसला पूरा गलत था… आह.. अब कुछ अच्छा लग रहा है… उस रिश्ते में एक लड़का दोषी नहीं था बल्कि एक लड़की दोषी थी, जिसने अपने लड़की होने का केवल एडवांटेज लिया था… आह सुकून मिला है अब कहीं जाकर..


अपस्यु:- तुम्हे इतना जस्टिफाई करने कि जरूरत नहीं थी, ये सब तो एक ट्रैप था।


साची:- वो तो अभी पता चला ना की ट्रैप था, और तुमने और ऐमी ने मिलकर मुझे कंफ्यूज किया था। लेकिन यदि सोचा जाए, कोई मेरा सच्चा चाहने वाला होता तो मैं अपने स्वार्थ में अंधी होकर, बस अपने इमोशन का एडवांटेज उठा लेती, लेकिन उसका तो दिल मै तोड़ चुकी होती।


अपस्यु:- तुम्हे इतना सोचने कि जरूरत नहीं है। तुम बहुत स्वीट हो.. चलें हम अब खाने…


साची:- हां बिल्कुल.. और हां थैंक्स इतनी मेहनत के लिए.. वरना मै ना जाने कब तक पिस्ते रहती और साथ में कभी ध्रुव से वो लगाव नहीं रख पाती।


आहहह… साची ने जैसे कई दिन बाद खुली हवा में चैन की श्वांस ली हो। चेहरे पर पुरानी मुस्कान और अपस्यु का हाथ थामे किसी पुराने दोस्त की तरह दोनों चल दिए बुफे एरिया में। रघुवंशी परिवार कुछ देर पहले ही बुफे एरिया में पहुंचे थे और अपने अपने खाने की थाली लेकर सब निवाला ले ही रहे थे कि नीचे अपस्यु और साची के साथ की एंट्री ने सबको चौंका दिया।


जिसका निवाला जहां था वहीं पर आकर रुक गया और सब बस घूर-घूर कर दोनों को ही देख रहे थे, कैसे अपस्यु और साची हाथ में हाथ डाले एक दूसरे के साथ हंसी मज़ाक करते अंदर आ रहे थे। … "क्या हुआ तुम सब ऐसे मुंह फाड़ कर हमे ऐसे क्या देख रहे हो।"… साची हंसते हुए सबको देखकर कहने लगी..


कुंजल उसे अपने साथ कोने में खींचकर ले जाते हुए पूछने लगी…. "ये अचानक तेरे हृदय परिवर्तन कैसे ही गया। हम इतने दिनों से समझा रहे थे तब तो तू नहीं मानी। कहीं दोनों का यहां से भागने का इरादा तो नहीं। ऐसा ना हो कि इंडिया ने खबर छपे, बाप के मुंह पर कालिख पोत कर बेटी अपने प्रेमी के साथ फरार।"


"हीहीहीहीही… तू ज्यादा एक्साइटेड ना हो, मुझे तेरी भाभी बनने मै कोई इंट्रेस्ट नहीं। हां बस इतना अच्छा लड़का हाथ से निकल ना जाए, इसलिए छत पर उसे पकड़ने गई थी।".. साची पूरे मज़े से अपनी बातें करती रही…


इन सबके बीच ऐमी सबसे पीछे खड़ी होकर सब देख रही थी। ऐमी का चेहरा उसके अंतरमन कि हालात बयां कर रहा था कि वो कितनी खुश थी। लेकिन 2 लोग वहां और भी थे जिन्हे यहां का माहौल बहुत ही ज्यादा अजीब लग रहा था। साची के जिस कन्फ्यूजन के चेप्टर को अपस्यु अभी-अभी क्लोज करके आ रहा था, उससे पार्थ और स्वस्तिका अंदर से काफी चिढ़े हुए थे और दोनों अपस्यु से काफी खफा नजर आ रहे थे।
बहुत ही शानदार लाजवाब अपडेट भाई
 

Zoro x

🌹🌹
1,689
5,420
143
Update:-75 (A)



साची के जिस कन्फ्यूजन के चेप्टर को अपस्यु अभी-अभी क्लोज करके आ रहा था, उससे पार्थ और स्वस्तिका अंदर से काफी चिढ़े हुए थे और दोनों अपस्यु से काफी खफा नजर आ रहे थे।


अचानक से आए प्लान में इस बदलाव से पार्थ और स्वस्तिका इतने नाराज हुए की दोनों ने कुछ घंटे के अंदर आपातकालीन मीटिंग की योजना बनाते हुए सबको संदेश भेज दिया। आरव और ऐमी के बीच थोड़ी सी बातचीत के बाद रात के 12.30 बजे कमरा नंबर 806 में ही बैठक का स्थान तय हुआ।


रात के 12.30 बजे सभी लोग वहां पहुंच चुके थे, वहां का सर्विलेंस और सुरक्षा के सरा इंतजामात ऐमी के जिम्मे था। ऐमी उस जगह को पूरा परखनेंके बाद मीटिंग शुरू करने का इशारा की…


पार्थ ने मीटिंग की सुरवत करते साची और अपस्यु से जुड़े आज रात की बातचीत को लेकर जहां सवाल खड़े किए, वहीं योजना को बीच में ही बदलने के लिए स्वस्तिका ने अपस्यु से अपने गुस्से का इजहार किया।


अपस्यु एक-एक करके सारे सवालों का जवाब देता, उनकी सारी चिंता और गुस्से को दूर करते हुए, नए संभावनाओं कि ओर सबका ध्यान आकर्षित करवाया। इसी दौरान विक्रम सिंह और मयलो ग्रुप की भी पूरी जानकारी साझा की गई। बातों के दौरान यह भी पता चला की इस जिंदल के बेटे के एंगेजमेंट में लगभग सभी मुख्य टारगेट एक साथ इकट्ठा होंगे, जहां विक्रम सिंह के भी आने की पूरी संभावना है।


यहीं एक वजह थी कि, जिसकी सोच के साथ अपस्यु ने आरव का एंगेजमेंट जिंदल के बेटे के साथ नहीं होने दिया, ताकि नंदनी और विक्रम आमने-सामने ना हो। हालांकि अपस्यु ने यह भी साफ कर दिया कि जो खेल विक्रम ने खेला था, उसका पूरा न्याय करने के लिए नंदनी और विक्रम जल्द ही आमने-सामने जरूर होंगे, लेकिन उससे पहले कुछ तैयारियां पूरी होनी जरूरी है।


लगभग 2 घंटे चली इस मीटिंग में नए बदलाव के साथ सभी को अपने-अपने काम मिल चुके थे। स्वस्तिका को 3 महीने का वक्त मिला था, जिसमे वो कुंजल को इतना तो तैयार कर ही दे कि, मुसीबत में वो अपनी और अपने मां कि जान बचा ले। इसी प्रकार उतना ही वक़्त पार्थ को भी मिला था, ताकि वो वीरभद्र को शारीरिक और मानसिक रूप से परिपक्व बना दे।


2 भागों में टीम का विभाजन हो चुका था। स्वस्तिका, आरव, पार्थ और उसके साथ वीरभद्र मिलकर मायलो ग्रुप में सेंध लगाने के साथ-साथ नंदनी और कुंजल को सुरक्षित रखेंगे। वहीं अपस्यु और ऐमी का टारगेट जिंदल था। सभी को तैयारी के लिए 3 महीने के वक़्त दिया जा चुका था और सितंबर के आखिर में सब की दिल्ली वापसी तय हो चुकी थी।


लगभग 2 घंटे चली इस मीटिंग में सारे अहम फैसले लिए जा चुके थे, बस अब जरूरत थी खुद के तैयारियों को परखकर आगे बढ़ने की, जिसके लिए अपस्यु ने सबको 3 महीने का वक्त दिया था, और इसी के साथ उनकी सभा भी समाप्त हो चुकी थी।


मीटिंग के समाप्ति के बाद ही, सभी फिर से एक बार जोर से हूटिंग शुरू करने लगे और आरव को एक बार फिर सबने कल के लिए बधाई देते हुए वहां से निकल गए। रात के 2.30 बज चुके थे सब अपने-अपने कमरे में चल दिए आराम करने।


अगली सुबह, सुबह से ही कौतूहल का माहौल था, ना सिर्फ परिवारों में बल्कि पूरे होटल में भी। सुरक्षा के लिहाज से पूरे होटल के गेस्ट को एक दिन पहले ही शिफ्ट किया जा चुका था। 30 जून की सुबह से ही जैसे वहां का माहौल किसी जंग के माहौल में तब्दील हो चुका था। एंगेजमेंट में हाई प्रोफाइल गेस्ट की लिस्ट इतनी लंबी थी, उसमें भी इतने बड़े-बड़े पॉलिटीशियन आमंत्रित थे कि अमेरिका के कई सारे सुरक्षा एजेंसी के कई सारे प्रशिक्षित जवान वहां के चप्पे चप्पे की निगरानी कर रहे थे। उस होटल में रघुवंशी और मिश्रा फैमिली के लोगों को छोड़ कर केवल होटल के स्टाफ ही बचे थे।


खैर सुरक्षा के इंतजामात अपनी जगह थे और लोगों में एंगेजमेंट की उत्साह अपनी जगह, खासकर वहां मौजूद स्त्रियों में। लेकिन अभी सुबह की सबसे पहली प्रहर चल रही थी, यानी कि सुबह के 5 बज रहे थे और इतनी सुबह ऐमी के दरवाजे पर दस्तक होने लगी। 2.30 बजे सोई ही थी कुंजल ने 5 बजे जगा दिया। ऐमी आधी नींद में दरवाजा खोली और कुंजल कमरे के अंदर चली आयी।


कुंजल:- और कितना सोना है ऐमी, जाओ तुम्हें साची ने बुलाया है।


ऐमी:- कुंजल… सोने दो ना .. बाद में देखती हूं उसे।


कुंजल:- देखना तुम्हे नहीं है, देखेगी वो तुम्हे, जाओ..


ऐमी कुंजल को खींच कर बिस्तर में ले ली और उसके हाथ पाऊं जकड़ कर बोलने लगी…. "चुप चाप सो जाओ, और मुझे भी सोने दो।"


कुंजल:- ऐमी, ये सब क्या है, छोड़ो मुझे प्लीज।


"क्यों, कोई लड़का ऐसे जकड़ कर रखेगा तभी मज़ा आएगा क्या? कुंजल मेरी नींद खराब ना करो…" ऐमी अपनी बात कहती हुई कुंजल को अपने जकड़ से मुक्त कर दी। कुंजल लाख कोशिश करती रही लेकिन ऐमी अपने कानो में रुई डालकर सो गई।


थोड़े ही देर में वहां का माहौल शांत हो गया और ऐमी वापस से नींद की गहराइयों में चली गई। ऐमी नींद की गहराइयों में थी, तभी उसके गाल पर एक जोरदार तमाचा परा। अचानक से नींद में आए खलल से ऐमी चौंककर बैठ गई और अपनी ललाट चढ़ा कर आखें खोली…. "मेरी इतनी सारी नींद हराम करके खुद चैन से सो रहे मिस्टर क्रेज़ी बॉय।" … साची बिस्तर पर बैठी उसे घूरती हुई कहने लगी…


ऐमी:- साची मैं तुमसे हाथ जोड़ती हूं प्लीज़ अभी चली जाओ, सोने दो मुझे। बाद में जब आऊंगी तो जितने जी चाहे थप्पड मार लेना, लेकिन अभी प्लीज सोने दो।


ऐमी नींद के आलम में उसे कहती हुई वहीं बैठे बैठे अपनी आखें मुंदी ही थी कि तभी दूसरे गाल पर भी जोरदार तमाचा परा…. "पागल हो गई हो क्या साची, सुबह-सुबह मुझे गुस्सा मत दिलाओ।'..


"तुम्हारा लवर मुझे ताने देकर कहता है कि, क्या वर्चुअल आईडी थी तो उसका इमोशन भी वर्चुअल होगा? यहां तुम्हारी अननॉन गर्ल तुमसे मिलने आयी है और तुम्हारे ये गुस्से से भड़ा इमोशन देखने मिल रहा। कहां है तुम्हारा वो चाहत वाला इमोशन क्रेज़ी बॉय"…. साची अपनी बात खत्म करके फिर एक जोरदार थप्पड लगा दी ऐमी को…


इस बार वाकई में मज़ाक-मज़ाक में कुछ ज्यादा ही जोड़ का मार गई साची। इसका प्रमाण इस बात से भी लगाया जा सकता था कि ऐमी के दाएं गाल पर पंजे के निशान छप गए थे और मारने के बाद साची की कलाई में झटके के साथ दर्द होने लगा था।


ऐमी झुंझलाकर अपनी आखें खोली… "अरे पागल, कितना जोड़ की चिपका गई। साची स्टॉप इट प्लीज।"


साची फिर से एक थप्पड बाएं गाल में चिपकती…. "यहां साची नहीं बल्कि, अननोन गर्ल है। और इस अननोन गर्ल का क्रेज़ी बॉय कभी उससे गुस्सा नहीं हो सकता।"…


"तेरी तो"….. कहती हुई ऐमी ने साची को दबोचकर बिस्तर पर लिटाया और उसके दोनों हाथ जकड़कर उसके ऊपर चढ़ गई…. "कामिनी रुको तुम्हे अभी क्रेज़ी बॉय की चाहत भी दिखाती हूं।"…


"नहीं नहीं बस इतना ही मिलना था मुझे अपने क्रेज़ी बॉय से तुम अब सो जाओ।"… साची अपनी हालत पर हड़बड़ा कर बोलने लगी…


"तेरा क्रेज़ी बॉय तुझे थप्पड नहीं मार सकता ना, लेकिन जब उसके कमरे में आयी तो ये भी सोच कर ही आयी होगी की क्रेज़ी बॉय के अरमान क्या है।"… ऐमी, अपनी पकड़ और मजबूत बनाती हुई कहने लगी।


"अरे प्लीज, प्लीज, प्लीज, छोड़ो मुझे, अननोन गर्ल का भूत उतर गया मेरे दिमाग से।"… साची लगभग मिन्नतें करती हुई कहने कहीं..


"बेबी अब तो तुम्हे बताना ही होगा कि सुबह-सुबह बिना ब्रश के मुंह चबाने में कैसा लगता है।"… इतना कहती हुई ऐमी, साची को जबरदस्ती किस्स करने लगीं। साची नीचे से "उम्म्म, उम्म्म" करती अपने चेहरे को दाएं बाएं हिलाती रही लेकिन ऐमी आज तो पूरा मूड बना कर आयी थी, बिना ब्रश कैसे मुंह कैसे चबाते है वो दिखाने।


साची किसी तरह उसे झटका देकर उठी और गुस्से से लाल होती ऐमी को देखने लगी। साची के बाल बिखरे, आखें लाल और अजीब सा चेहरे का एक्सप्रेशन, उसकी इस हालत पड़ ऐमी जोर-जोर से हसने लगी। उसे हंसते देख साची गुस्से में उसके बाल नोचने के लिए उसपर झपटी… ऐमी पीछे हटती हुई कहने लगी… "ओह माय क्रेज़ी बॉय… आह्हः, उफ्फ.. प्रेस माय"…. "ऐमी की बच्ची चुप हो जाओ वरना।"…

ऐमी:- हीहीहीहीहीही… क्यों अपने क्रेज़ी बॉय के एरोटिक इमोशन संभल नहीं रहे…


साची भी ऐमी की बात सुनकर जोर-जोर से हंसने लगी।… "कामिनी लेस्बो".. साची हंसती हुई ऐमी से कहने लगी।


"और इसका क्रेडिट जाता है मिस साची उर्फ अननोन गर्ल को। वैसे तुझसे चैटिंग के चक्कर में मैंने अपनी उंगली बहुत घीसी है, यहां भी घिस लेंगे, आदत तो तेरी ही दिलाई हुई है।"… ऐमी, साची को आंख मारती हुई बोलने लगी..


साची:- छी, बेशर्म.. वैसे देखा जाए तो तुम दोनों ने पहल करने में इतनी देर कर दी, वरना हम अब तक मिलकर धमाल मचा सकते थे। साथ में मै इतनी परेशान भी नहीं रहती।


ऐमी:- अब तो खुश हो ना साची, या अब भी कोई गिला-शिकवा है।


साची:- नहीं बाबा बिल्कुल नहीं, तुम क्यों अपना मुंह छोटा कर रही।


ऐमी:- नहीं बस ऐसे ही। हमारे वजह से बहुत दर्द तुमने झेले है। अफसोस होता है उन गुजरे वक़्त के लिए।


साची:- कोई बात नहीं है ऐमी, इन बुरे वक़्त ने मुझे इतना तो सीखा दिया है कि आप कितने भी बुरे वक़्त से क्यों ना गुजरे हो, कुछ अच्छा आप के लिए जरूर छोड़ जाता है। मेरी इतनी उम्र में बस लावणी ही थी एक, जिसे दोस्त कह लो, बहन कह लो या पूरा संसार। लेकिन अब देखो, ऐसा लगता है एक पूरी दुनिया है मेरी फ़िक्र के लिए। तुम्हारा और अपस्यु का शुक्रिया। मुझे खुशी है कि मै ही वो बीच की कड़ी थी जो तुम्हारे मिशन के रास्ते में था।


ऐमी:- बस भी करो अब, क्यों अपस्यु बनने पर तुली हो।


साची:- अच्छा सुन ऐमी मेरी एक छोटी सी ख्वाहिश है?


ऐमी:- क्या?


साची:- मै चाहती हूं तुम दोनों आज कि रात ठीक वैसे ही मेरे एंगेजमेंट में आग लगा दो जैसा उस रात वहां डिस्को में लगाया था।


ऐमी:- अरे बुद्भू डिस्को की बात अलग है वहां तो हर कोई नाचता है, लेकिन एंगेजमेंट में वैसा नाचना मुझसे ना हो पाएगा। वैसे भी आज शाम मै शाड़ी पहनने वाली हूं।


साची:- हम्मम ! कोई बात नहीं, लेकिन ऐसा नहीं कि दोनों एंगेजमेंट अलग-अलग हॉल में है तो तुम सब आना ही नहीं।


ऐमी:- कैसी बातें कर रही हो। हम सब वहां होंगे। अब तुम जाओ और अच्छे से सजो सवरो, और प्लीज मुझे नींद पूरी कर लेने दो।


साची:- अच्छा सुन, तुम दोनों उड़ते पंछी, आज जरा कम सज संवर कर आना, वरना कहीं ऐसा ना हो कि पूरे शो का मुख्य आकर्षण तुम दोनों ही हो।


ऐमी:- हीहीहीही.. पागल, ठीक है ऐसा ही करूंगी, खुश।


दोनों कुछ देर और वहां पर बातें करती रही, उसके बाद साची वापस लौट आयी और ऐमी फिर से जाकर सो गई। दिन के करीब 2 बज रहे थे। पहला एंगेजमेंट साची और ध्रुव का था, शाम के 5 बजे से 7 बजे के बीच। कई सारे गेस्ट आने शुरू हो चुके थे, इसी बीच अपस्यु के पास मेघा का संदेश आया।


मेघा का संदेश मिलते ही अपस्यु उससे मिलने उसके स्वीट में गया, जहां सिक्यूरिटी ने उसे दरवाजे पर ही रोक लिया। अपस्यु ने जब उन्हें मेघा का संदेश दिखाया, तब जाकर कहीं उसे अंदर जाने दिया गया…
बहुत ही शानदार लाजवाब अपडेट नैन भाई
 

Zoro x

🌹🌹
1,689
5,420
143
Úpdate:- 75 (B)





स्वीट के अंदर धीमी रौशनी जल रही थी और मेघा का कोई पता नहीं था। तभी अंदर के कमरे के बाथरूम से आवाज़ आयी, "यहीं चले आओ"… अपस्यु भी अंदर चल दिया और बाथरूम के दरवाजे पर खड़ा होकर मेघा से कहने लगा… "नहा धो कर बुला लिया होता, अब ऐसे कैसे बात हो पाएगी।"


मेघा:- मैंने कहा अंदर चले आओ, बाहर मत खड़े रहो। वैसे भी जबतक नहा रही हूं तभी तक का वक़्त है मेरे पास, उसके बाद मै एंगेजमेंट के लिए तैयार होने वाली हूं।


अपस्यु भी दरवाजा खोलकर अंदर दाखिल हो गया और वहीं लगी एक छोटे से टेबल पर बैठ गया।… "हां तो शुरू करो।"..


मेघा:- तुम्हे क्या हर बात समझानी पड़ती है अपस्यु, कपड़े उतारो और टब में आ जाओ।


अपस्यु:- माफ़ करना फाइट से 5 दिन पहले मै अपनी एनर्जी वेस्ट नहीं करता। एक इंच दर फासला हार के कगार पर ले जा सकता है।


मेघा:- व्हाट द फक, तुम क्या पागल हो जो मुझे मना कर रहे हो?


अपस्यु:- तुम्हारी अक्ल क्या घुटनों में है। मैं 5 मिलियन की बेटिंग की फाइट लड़ने जा रहा हूं, ना की किसी सड़कछाप को मारने। मैंने कल ही बताया था तुम्हे मै फैक्ट्स पर काम करता हूं।


"व्हाटएवर, 5 मिलियन क्या 10 मिलियन मै गवां दू, फर्क नहीं पड़ता। लेकिन अगर कोई मुझे ना कहे वो मुझे मंजूर नहीं।"… मेघा अपनी बात कहती हुई टब से बाहर निकली और शावर के नीचे खड़ी हो गई।


पहले पीछे से पूर्ण नग्न रूप दिखाने के बाद अपस्यु के सामने खड़ी होकर वो सावर लेने लगी और अपस्यु को टीज करने लगी। लेकिन अपस्यु उसकी हरकतों पर बिना ध्यान दिए वहीं बैठ, उसे नहाते हुए देख रहा था।


मेघा शावर को बंद करके अपस्यु से कहने लगी…. "अपस्यु मेरा ईगो हर्ट करके, तुम कल का सूरज नहीं देख पाओगे।"


अपस्यु अपनी जगह से उठा और तेजी के साथ मेघा के ओर बढ़ते हुए उसका गला पकड़कर उसे दीवाल से पूरा चिपकाते हुए, उसे फ्लोर से 1 फिट ऊपर उठा दिया। इधर अपस्यु अपने अंदर 30 की उल्टी गिनती शुरू कर चुका था और उधर मेघा छटपटाती हुई, अपस्यु के गुस्से से लाल हुई आखों को देख रही थी, जिसमे उसे साक्छातप किसी शैतान के दर्शन हो रहे थे। उसके गले से आवाज़ निकालना बंद हो चुका था और पाऊं छटपटाने लगे थे। भय किसे कहते है उससे मेघा का आज सामना हो चुका था।


30 की उल्टी गिनती खत्म होने के साथ ही वो नीचे फ्लोर पर आयी और तेज-तेज श्वांस लेती वो कांप रही थी। अपस्यु किसी साइको की भांति पूरे पागलपन में बोलना शुरू किया…

"मैंने तुम्हारी डील एक्सेप्ट की है, तुम्हारी गुलामी नहीं। मै फाइट से ठीक 10 मिनट पहले भी किसी के साथ सेक्स कर सकता हूं, वो मेरी मर्जी होगी। ये बार-बार मुझे धमकी देकर मेरे ईगो को भड़काने कि कोशिश मत करो वरना मै सोचने तक का वक़्त नहीं देता।"…


अपनी बात खत्म करके अपस्यु ने मेघा के होंठ से अपने होंठ लगाकर कुछ देर तक उसके पूरे जोश से चूसने के बाद अलग हुआ और सामान्य आवाज़ में कहने लगा….

"तुम्हारा फिगर कमाल की है। और जिस्म आह दिल में आग लगाता हैं। तुम्हारे इस प्रदर्शन का इनाम मैंने तुम्हे दे दिया। आज की अपनी मीटिंग मै यहीं खत्म करता हूं, फाइटर की डिटेल आज रात तक भेज देना। आज भी चलते चलते एक बात कहता जाता हूं… मेरे ईगो के सामने तुम्हारा घमंड मात्र हाथी के आगे चूहे बराबर है, हाथी अपनी मस्ती में जा रहा है, उससे छेड़ने की कोशिश भी मत करना।"


अपस्यु अपनी बात कहता, बिना मुड़े वहां से चलता बना और मेघा अपने आखों के सामने से किसी ऐसे को जाते हुए देख रही थी, जिसने उसे भय से सामना करवा दिया और अपस्यु के सामने उसकी आवाज़ तक नहीं निकली।


अपस्यु वहां से बाहर निकलकर सीधा तैयार होने पहुंच गया और तैयार होकर वो सीधा होटल के बार में बैठा और कॉकटेल का मज़ा लेने लगा। 2 पेग को कॉकटेल का पीने के बाद अपस्यु अाकर हॉल में बैठा ही था कि सामने से बहुत बड़ा हुजूम चला आ रहा था। कई बड़े-बड़े अधिकारी और कुछ बड़े पॉलिटिकल चेहरों के बीच से उसे जाना पहचाना चेहरा नजर आने लगें।


उसके आव-भगत में तो जिंदल भी इतना गुलामों की तरह लगा हुआ था कि मानो उसके आगे जिंदल की कोई हस्ती ही नहीं। वो जिंदल और कुछ अन्य अमेरिकन राजनेताओं के साथ बात करते हुए आगे बढ़ रहे थे, तभी उसके कदम अपस्यु को देखकर रुक गए। होम मिनिस्टर अपने बढ़ते कदम मोड़कर सीधा अपस्यु के पास आकर बैठे…. "मुझे समझना चाहिए था कि तुम यहीं मिलोगे।"..


मंत्री जी को देखकर अपस्यु आदर से उठकर उनका सम्मान किया और उनकी बात पर मुस्कुराते हुए कहने लगा… "सर आप अभी पूरे प्रोटोकॉल के साथ है, अच्छा नहीं लग रहा मुझे आप का यहां रुकना।"


मंत्री जी… अरे जिंदल, हमारा बच्चा भी यहां है। इससे मुलाकात हुई की नहीं तुम्हारी।


जिंदल:- हुई थी सर, लेकिन कभी इसने जिक्र नहीं किया की ये आप को जनता है।


मंत्री जी:- तुम गलत कह गए जिंदल, मुझे जानने वाले तो बहुत है लेकिन अपस्यु उनमें से है जिसे मै जानता हूं।


अपस्यु:- सर अब जब आप यहां आ ही गए है तो आप को मै अपने भाई के एंगेजमेंट के लिए आमंत्रित करता हूं, क्या आप के पास 10 मिनट का वक़्त होगा।


मंत्री जी:- कितने बजे है एंगेजमेंट अपस्यु…


अपस्यु:- 8 बजे शाम से शुरू है सर।


मंत्री जी अपने पीए को देखते हुए पूछे…. "शुक्ला जी क्या 10 मिनट का वक़्त निकला जा सकता है।"

शुक्ला जी:- सर, हमे शाम को 6.40 में ही निकालना होगा।


मंत्री जी वहीं अपस्यु के पास बैठते हुए… "तब 10 मिनट का वक़्त नहीं मिला तो क्या हुआ, अभी तो है ना मेरे पास पूरा समय। अपस्यु मै तुम्हारे भाई और होने वाली भाभी के साथ-साथ तुम्हारे पूरे परिवार से मिलना चाहूंगा। शुक्ला जी राजीव के साथ जाइए और सबको आदर पूर्वक बुला लाइए, जबतक मै अपस्यु से बात करता हूं। और हां जाते जाते कुछ सिटिंग आरेंगेमेट भी यहां करवाते जाइएगा।


मंत्री जी अपनी बात पीए से समाप्त करके, भीड़ से थोड़ा दूर हटकर अपस्यु के साथ खड़े होकर बातें करने लगे। दोनों के बीच ऐसा लगा जैसे कुछ गहन बातें चल रही थी। जबतक इनकी बातें खत्म हुई, परिवार के सभी लोग वहां पहुंच चुके थे।


मंत्री जी आरव और लावणी दोनों से मिले साथ में रघुवंशी के संपूर्ण परिवार से एकएक करके मिलते चले गए। तकरीबन 15 मिनट का वहां वक़्त देने के के बाद सबसे विदा लेकर मंत्री


उनके जाते ही लॉबी से पूरी भीड़ भी हट गई और साथ ने वहां से अपस्यु भी कट लिया। साची के बुलावे पर अपस्यु उसकी एंगेजमेंट में पहुंचने वाला सबसे पहला गेस्ट था, क्योंकि मंत्री जी के 15 मिनट के उस शैडयूल चेंज ने सबका शेड्यूल चेंज कर दिया था।


अपस्यु हॉल में पहुंचकर एक बार फिर बार काउंटर कर पहुंचा और वहीं बैठकर अपने फेवरेट कॉकटेल का मज़ा लेने लगा… "वन एटॉमिक शैम्पेन कॉकटेल"… ऐमी अपस्यु के कंधे पर हाथ रखकर अपस्यु की फेवरेट कॉकटेल का ऑर्डर की।


अपस्यु थोड़ा दूर हटकर ऐमी को देखा और देखने ही लगा। वो वापस से उसके पास आकर बैठा और कमर पर चिकोटी काटते हुए प्यार भड़ा चुम्मा अपने होटों से भेजा। ऐमी भी अपने होटों से वापस चुम्मी भेजती हुई अपना ग्लास टोस्ट के लिए बढ़ाई…


अपस्यु ग्लास से ग्लास टकराते हुए…. "ऐमी आज तुम कमाल कि लग रही हो। तुम साड़ी मत पहना करो मेरे इमोशन कंट्रोल नहीं होते।


"अच्छा मेघा के साथ मीटिंग करके आए फिर भी इमोशन्स जाग रहे है।"… ऐमी ड्रिंक की सिप लेती हुई कहने लगी…


अपस्यु:- अभी हम दोनों है ना फिर ये तीसरे की क्या जरूरत। अभी बात करना है क्या उसके बारे में।


ऐमी:- हीहीहीहीही… सर अपस्यु अपना यहां आपा खोते हुए..


अपस्यु:- मिस अवनी, आप कृपया करके मेरी कमजोर नब्ज पर वार करने से बाज आएंगी…


"भाई की कमजोर नब्ज.. क्या है प्लीज मुझे भी बताओ ना, आज तक मैंने इन्हे वो गुस्से में कभी नहीं देखा जैसा हमलोग आम तौर पर हो जाते है।"… कुंजल उन दोनों के बीच आती हुई पूछने लगी..


ऐमी:- अपने भैय्या से पूछ लो, मुझे बताने में कोई हर्ज नहीं।


कुंजल:- उनसे क्या पूछना तुम बताओ ऐमी।


अपस्यु:- कुंजल तुझे साची शायद ढूंढ रही है, देखो वहां से तुम्हे ही हाथ दिखा रही।


कुंजल:- मुझे क्यों हाथ दिखाएगी, गौर से देखो वो आप को हाथ दिखा रही है।


कुंजल अपनी बात कहकर हसने लगी, और उसकी बात सुनकर ऐमी भी हंस पड़ी। अपस्यु अपनी ड्रिंक हाथ में लिए ही स्टेज पर चढ़ गया।… "जी मैम कहिए, क्या सेवा की जाए।"..


साची:- कैसी लग रही हूं बताओ…


अपस्यु:- मस्त लग रही हो, और ये नीला रंग तुम पर बहुत अच्छा लगता है।


साची:- अच्छा ऐमी से तुलना करके बताओ की उसके मुकाबले मै कैसी लग रही।


अपस्यु:- अब इसमें तुलना जैसा क्या करना है। मै कुछ समझा नहीं।


साची:- तुम्हे समझना भी नहीं है… ये हम लड़कियों का कुछ सीक्रेट बातें होती है, अब बताओ मुझे।


अपस्यु:- नो डाउट, आज तुम ऐमी को भी मात दे रही हो। 10 में से 9 मार्क तुम्हे मिलते हैं।


साची:- और मेरे एक मार्क कहां काट लिए..


अपस्यु:- आखों पर हल्की काजल होती ना तो बिल्कुल तुम किसी कातिल हसीना से कम नहीं लगती।


साची:- ओह थैंक्स, चल लावणी। ओके बाय अपस्यु मै आयी जल्दी।


अपस्यु उसकी बात पर हंसते हुए वापस आया और अाकर ऐमी के पास बैठ गया और उसे घूरते हुए पूछने लगा… "आज तुमने मेकअप क्यों नहीं किया।"


ऐमी:- जिसके लिए मेकअप करती उसने मुझे देखकर ही उत्साह से जब चिकोटि काट ली तो आगे इतना बनना संवरना क्यों?


अपस्यु:- छोड़ो जाने देते हैं इस बात को। कितनी ड्रिंक पी गई।


ऐमी:- तुम्हारी बकवास कॉकटेल अब तक बस 2 ली है।


अपस्यु:- जब बकवास था तो दूसरा पेग क्यों ली।


ऐमी:- कुछ पागलपन के लिए थोड़ा नशा भी जरूरी है। वो छोड़ो, हम जिसके लिए बैठे हैं वो लोग पहुंच गए क्या?


अपस्यु:- नहीं वो लोग अभी तक नहीं पहुंचे हैं। वैसे लोग तो अपने भी नहीं पहुंचे है। सबको कहां 5.30 बजे बुलाया था, अब 6 बजने को आए हैं।


ऐमी:- सब आते ही होंगे। तुम्ही ने तो सबको बीच तैयारियों से उठवा दिया, वरना अब तक तो आ भी चुके होते।


अपस्यु और ऐमी कुछ देर और बातें करते रहे की तभी वहां पर आरव, स्वस्तिका और पार्थ भी पहुंच गए। तीनों पहुंचते ही बार टेंडर को बोलने लगे… "वन एटॉमिक शैम्पेन कॉकटेल"


अपस्यु उन तीनों के ऑर्डर को सुनते ही हंसने लगा और वापस से अपनी कॉकटेल उठाई। उसके साथ-साथ बाकियों ने भी अपने-अपने जाम उठाया और साची के ओर ग्लास दिखाकर पांचों ने एक साथ टोस्ट किया। टेस्ट करके ग्लास जैसे ही नीचे लाए, सामने से वो लोग भी नजर आने लगे जिसका इतंजार सब कर रहे थे।


जैसा अंदाजा था ठीक वैसा ही हुआ। विक्रम सिंह राठौड़ अपने परिवार समेत जिंदल के साथ महफ़िल में शिरकत करते हुए नजर आने लगा। जिंदल और विक्रम के साथ कुछ और जाने पहचाने से चेहरे.. और हर एक के चेहरे को पांचों जैसे अपने दिमाग के हार्ड डिस्क में पूरे डाउनलोड करना शुरू कर दिया था।
बहुत ही शानदार लाजवाब अपडेट भाई
मेघा को दहशत का ट्रेलर दिखा दिया अपस्यू ने
मंत्री जी भी आएं हैं यहां तो कहीं ना कहीं वो भी इनसे जुड़े हुए हैं भाई
ये काकटेल वाले किस के इंतजार में बैठे हैं यहां भाई
 

Zoro x

🌹🌹
1,689
5,420
143
Update:-76




जैसा अंदाजा था ठीक वैसा ही हुआ। विक्रम सिंह राठौड़ अपने परिवार समेत जिंदल के साथ महफ़िल में शिरकत करते हुए नजर आने लगा। जिंदल और विक्रम के साथ कुछ और जाने पहचाने से चेहरे.. और हर एक के चेहरे को पांचों जैसे अपने दिमाग के हार्ड डिस्क में पूरे डाउनलोड करना शुरू कर दिया था।


प्रकाश जिंदल के साथ आए लोगों में कुछ चेहरे ऐसे थे कि जिसे देखकर आरव, स्वस्तिका और पार्थ की आखें ज्वाला सी धधकने लगी। कुछ देर और सब वहां ठहर जाते तो आज डेविल ग्रुप भी लगभग खत्म ही था, क्योंकि जिस प्रकार के सुरक्षा इंतजामात वहां के थे, उस माहौल में ये लोग कहीं टिकने वाले नहीं थे।


अपस्यु तुरंत वहां से सबको बाहर लेकर आया.. पार्थ और आरव जैसे पागलों कि तरह अंदर जाने के लिए बेकरार था और अपस्यु किसी तरह दोनों को रोके हुए था। … "छोड़ मुझे अपस्यु, वो अंदर तूने देखा नहीं उस मुर्तुजा को.. हट जा मेरे सामने से वरना मै भूल जाऊंगा की तू मेरा भाई है।"… आरव, अपस्यु को चेतावनी देते हुए कहने लगा…


वहीं पार्थ नवीन और कृपाल के नाम की रट लगाए जा रहा था, तो स्वस्तिका प्रताप सिंह का… तीनों कुछ लोगों को वहां देख इतने भड़के हुए थे, किसी को ये तक सुध नहीं रहा कि वो लोग कहां है और गुस्से में क्या कर रहे है। मुर्तुजा वो पहला आदमी था जिसने सुनंदा को घसीटकर आग के हवाले किया था। वैसे ही कहनी बाकी नामो की भी थी, जैसे कि वो राजस्थान का भूषण, जमील, नागपुर वाला त्रिवेणी शंकर का बेटा।..


उस रात कुल 100 लोग थे जिन्होंने सबको आग के हवाले करने में कोई रहम नहीं दिखाई थी। और उन 100 भाड़े के लोगों में से वहां उस रात 15 लोग ही वापस लौटे थे, बाकी 85 लोगों को उसके कुरूर्ता की सजा उसी वक़्त उनके साथियों ने दे दिया था। उन 15 लोगों में से बस यही 4 खुशनसीब थे, जो आज रात पूरे डेविल ग्रुप को दिख गए, बाकी 11 का किस्सा बड़ी सफाई से ये लोग खत्म कर चुके थे।


पर्दे के पीछे से जिसने इशारों में काम करवाया था, उस देखकर वो ज्वाला नहीं उफ्फनती, जो इन चार को देखकर इनके खून में उबाल मार रहा था। बदले की आग में जल रहे तीनों को संभालना लगभग मुश्किल सा होता जा रहा था। तीनों कुछ ज्यादा ही बेकाबू हो रहे थे और लोगों ने उन सबको नोटिस करना भी शुरू कर दिया था…. "ये क्या पागलों कि तरह तुम लोग यहां भीड़ लगाए हो।"…


नंदनी कुंजल के साथ एंगेजमेंट हॉल में शिरकत करने ही जा रही थी कि उनको बीच रास्ते में ही सभी मिल गए। नंदनी की आवाज़ पर भी जब इनका गुस्सा शांत नहीं हुआ तब नंदनी ने खींचकर एक तमाचा पार्थ को दी।

पार्थ गुस्से में आखें लाल किए नंदनी के ओर देखा ही थी कि स्वस्तिका को होश आया और वो पार्थ के चेहरे को दोनों हाथों से थामकर … "होश में आओ पार्थ मां है यहां.. पार्थ मै क्या कह रही हूं समझ रहे हो तुम.. पार्थ".. पार्थ वहीं पर हां में अपना सर हिलाते हुए बैठ गया और फुटफुट कर रोने लगा।


आरव और स्वस्तिका में भी जैसे अब हिम्मत नहीं बची हो, वो भी उसी के दाएं और बाएं बैठकर पार्थ के कंधे पर ही अपना सर रखकर रोने लगे। मार्मिक क्षण थे तीनों के लिए। उन गुनाहगारों को सामने देख, जैसे सारे ज़ख्म को किसी ने कुरेद डाले हो। सदमे की वो रात आखों के सामने नाच रही थी और तीनों टूटकर अपने आशु बहा रहे थे।


वहां के तैनात कुछ जवानों की मदद से उनको कंधे का सहारा देकर कमरे में लाया गया। नंदनी लगातार तीनों के पास बैठकर उसके आशु साफ करती रही, और उनके गम को देखकर, उनकी आखें भी नम हो चुकी थी। लेकिन मां थी वो, अपने आशु छिपाए, वो तीनो के बीच में बैठकर, तीनों के सर को गोद में रखकर, उनके बालों में हाथ फेरने लगी।


धीरे-धीरे तीनों शांत होते हुए वहीं अपनी आखें मूंद लिए। तीन को शांत देख नंदनी ने इशारों में अपस्यु, ऐमी और कुंजल को वहां जाने के लिए बोल दी। अपस्यु भी दोनों को लेकर वहां से बाहर आ गया। कुंजल को इस तरह से खामोश देखकर ऐमी पूछने लगी… "क्या हुआ कुंजल ऐसे शांत क्यों हो?"


कुंजल:- ऐमी कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा। वो लोग ऐसे रो क्यों रहे थे।


अपस्यु, कुंजल के ठीक सामने खड़े होकर उसके दोनों कंधे पकड़ कर उसे हिलाते हुए कहने लगा… "कुछ बुरी यादों से सामना हो गया है, थोड़ा टूटा हुआ मेहसूस कर रहे होंगे सब। लेकिन मां है उनके साथ और कुछ पल में वो लोग भी धमाल मचाते नजर आएंगे। वो लगभग उबर चुके होंगे अपने दर्द से, इसलिए तुम खुद को ठीक करो और चलो साची के एंगेजमेंट में। वैसे भी इस वक़्त उसके साथ उसकी कोई दोस्त नहीं होगी, तो एक फ़र्ज़ तो तुम्हारा भी यहां बनता ही है।"


कुंजल:- हे भगवान !! बस भाई समझ गई। इतना भाषण कुछ देर पहले ही दे देते, तीनों उठकर भांगड़ा करते और कहते.. कैसा दर्द अपस्यु, अब हमे कोई दर्द नहीं बस और बोले तो हम सर फटने से मार जाएंगे…


कुंजल की बात सुनकर अपस्यु और ऐमी तीनों जोर-जोर से हंसने लगे.. कुंजल को आगे भेजकर, ऐमी ने उसे कहा वो अपना मेकअप ठीक करके तुरंत ही उसे ज्वाइन करती है, और यही बात अपस्यु ने भी कुंजल से कह दी। दोनों को एक जैसी बातें करते सुन कुंजल शरारती नजरों से देखती हुई ऐमी को .. "ठीक है भाभी".. कहती हुई वहां से फुदक कर भाग गई।


दोनों बड़ी ही तेजी में अपने कमरे में गए और वहीं बिस्तर पर बैठकर एक दूसरे को देखते हुए कहने लगे…. "क्या तुम भी वहीं सोच रही हो"… "हां अपस्यु बिल्कुल सही सोच रहे हो। एक कि बली तो अभी चाहिए। तभी इस सीने कि आग कुछ ठंडी होगी।"…


अपस्यु:- मुर्तुजा को लपेट लो फिर… मैजिक गिम्मिक करो ....


ऐमी:- बिल्कुल नहीं, मैजिक गीमिक फ्लॉप आइडिया है। इसे भ्रम से लपेटो।


अपस्यु:- मारना आसान है सजा देना मुश्किल। कहानी बदले पर आ ही गईं। न्याय बचता है और बदला सुलगता है। मै क्या इतना बेवकूफ हूं कि तुम्हारी नजरें ना पढ़ पाऊं।


ऐमी:- अपस्यु तुम मेरा मन नहीं बदल सकते। मैं बिना मारे नहीं रुकने वाली हूं।


अपस्यु:- ठीक है जाओ मारो, फलाओ भ्रम जाल। और फिर क्या होगा..


ऐमी:- ज्यादा से ज्यादा मै पकड़ी जाऊंगी ना, मुझे मार देंगे और क्या होगा? लेकिन नफरत में सुलगती तो नहीं रहूंगी।


अपस्यु उसके कमर में हाथ डालकर उसे अपने नजदीक खिंचा, उसके गुस्से से भरे चेहरे पर अपनी उंगली चलते हुए उसे देखने लगा…. ऐमी बिना उसकी आखों में झांके बस वहां खड़ी रही… अपस्यु खामोश उसके कमर को थामे उसके चेहरे को लगातार देखते रहा..

इस नफरत के जहां के आगे एक छोटा सा आशियां होगा..
ना तो कुछ पाने की चाहत होगी,
ना कुछ खोने का डर होगा….

अपस्यु इतना कहकर खामोश हो गया। ऐमी खामोश अपनी नजरें उसपर डाली और कहने लगी…

कहीं दूर एक अपना छोटा सा घर,
जहां तुम और मै, मै और तुम
और दुनिया भर कि खुशियां…

अपस्यु, ऐमी के होंठ को अपने होंठ से छू कर….

ना मंजिल हो कोई और ना कारवां
बस मैं और तुम, तुम और मै
और मिलो दूर ना खत्म होने वाला सफर

ऐमी, मुस्कुराती अपस्यु को देखती…..

भीगे हम बेखौफ होकर बारिशों में
सिर्फ मै और तुम, तुम और मै
नीचे उस नीले आसमान के चार दिवारी में

दोनों अपने सर से सर को जोड़े एक साथ मुस्कुराते हुए…

फिर आखरी वो अपना पड़ाव होगा
जहां मै और तुम, तुम और मै
छोड़ चले इस जहां को हाथों में हाथ डाले।


ऐमी गहरी श्वांस लेती अपस्यु के चेहरे को अपने हाथो में थामकर उसके होठों से होंठ लगाकर चूमती हुई, धीरे-धीरे अपनी आखें बंद कर ली। अपस्यु भी उसका साथ देते उन लम्हों में डूबकर चूमने लगा। श्वांस गहरी और लंबी होती चली गई और दोनों के होंठ अपने एहसासों को बयान करते, एक दूसरे में सिमटे रहे।


कुछ समय बाद दोनों ही अलग हुए और एक दूसरे को देखकर मुस्कुराते हुए चल दिए साची के एंगेजमेंट में। लगभग इंगेजमेंट खत्म हो चुका था। लड़का-लड़की एक दूसरे को अंगूठी पहना चुके थे और कुछ अति व्यस्त लोग वो जगह छोड़कर जाने के लिए तैयार थे… तभी उस हॉल की लाइट चली गई। बिल्कुल अंधेरा वो माहौल हो गया, कुछ ही पल में वहां लोगों ने मोबाइल के फ़्लैश से रौशनी शुरू की।


ठीक उसी वक़्त एक फोकस लाइट साची और ध्रुव पर परी, और पीछे के सैक्रीन पर कुछ लम्हों कि तस्वीरें चलने लगी। कुछ साची की खूबसूरत तस्वीरें अकेले कि, कुछ तस्वीरें ध्रुव की और कुछ तस्वीरें ध्रुव और साची के साथ की। इधर तस्वीरें खत्म उधर ठीक मध्य में एक ओर ऐमी और दूसरे ओर अपस्यु खड़ा था और तेज गाना बजने कि आवाज़ शुरू हुई… "गोरी गोरी, चोरी चोरी, फिल्म मै हूं ना" की वो संगीत कि शुरवात और अपस्यु अपने घुटनों पर फिसलता हुए सीधा ऐमी के पास पहुंचा।


जैसे कि साची ने ख्वाहिश जताई थी, उसकी ये हसरत दोनों पूरे करते हुए बीच फ्लोर पर आग लगा चुके थे। शर्टस, जीन्स और कॉस्ट्यूम की डांस एक तरफ और साड़ी में कातिलाना अंदाज के साथ ठुमके लगाकर, पाऊं ठीक से ना फैलने की स्तिथि में, डांस को वो छोटे-छोटे तेज मूव्स, सभी के कदम को रुकवाकर जैसे अपनी जगह खड़ा रहने पर मजबूत कर चुके थे।


इनकी खुशी में साथ देने लावणी और कुंजल भी पहुंच गई और भी कई सारे लोग जो खुद को रोक नहीं पाए। माहौल ऐसा हो गया कि हॉल का मध्य हिस्सा डांस फ्लोर में तब्दील हो गया, जहां पार्थ और साची के साथ-साथ उनके परिवार के लोग भी नाचने लगे।


भीड़ बढ़ चुकी थी, अपस्यु और ऐमी के कदम रुक चुके थे और दोनों किनारे खड़े होकर लोगों को नाचते देख मज़े कर रहे थे। अपस्यु घड़ी में समय देखा और ऐमी का हाथ पकड़ कर खिंचते हुए बार काउंटर तक ले आया। अपस्यु ने दोनों के लिए एटॉमिक शैम्पेन कॉकटेल का ऑर्डर दिया।


घड़ी का कंटडाउन शुरू करते अपस्यु ने ऐमी के साथ जाम का टोस्ट किया और घड़ी देखते हुए… "5.. 4.. 3.. 2… 1, जाम उठाओ सेलिब्रेशन का ऐमी।"


ऐमी:- क्या मै समझी नहीं…


अपस्यु:- तुम जाम पियो.. और मज़ा लो इस माहौल का।


ऐमी:- हम्मम ! आज कुछ तो बात है अपस्यु, खैर जब तुमने वक़्त देख ही लिया है तो मेरा दिल कह रहा है न्याय हो चुका है। मै देख पा रही हूं, जो यहां के व्यवस्थापक है उनके चेहरे पर कुछ सिकन सी है।


अपस्यु:- कुछ बातें वक़्त पर छोड़ना ही बुद्धिमानी होती है। न्याय शांति देती है, इंसान को इंसान बनाए रखती है और बदला, अच्छे के लिए लिया गया हो या बुरे के लिए, इंसान को हैवान बनता है।


ऐमी:- क्या फर्क है अपस्यु, किसी से बदला ले या उसे न्याय का नाम दे, किए की सजा हम दोनों ही शुरतों में देंगे और मारना दोनों ही केस में है।


अपस्यु:- हां लेकिन न्याय उसके करतूतों की पूरी तरह समीक्षा करके उसे उचित मौत प्रदान करेगा, जबकि बदले में बिना किसी नतीजे को सोचकर सजा दे देती है।


ऐमी:- अभी न्याय कैसे हुआ अपस्यु।


अपस्यु:- थोड़ा तो मुस्कुराओ या सवाल जवाब में ही ये शाम गुजार दोगी, वैसे भी आज मूड कुछ ज्यादा ही रोमांटिक है…


ऐमी:- क्या तय हुआ था… भूल गए..


अपस्यु:- ऑफ आे, कहा तो आज मूड रोमांटिक है…


ऐमी:- मै आज कुंजल के साथ सोने वाली हूं, जो करना है कर लेना आज तो मै हाथ नहीं आने वाली।


अपस्यु:- सोच लो फिर, अभी तुम्हारे छछूंदर का एंगेजमेंट होने में अब भी 1 घंटे की देर है और वो देखो बापू को, जिंदल के साथ बातचीत कर रहे है। ये अपना बार जिंदाबाद.. यहां तो 24 घंटे खुला रहता है।


ऐमी:- अपस्यु आज अगर तुम्हारी नौटंकी हुई ना तो देख लेना मै क्या करूंगी।


अपस्यु:- ना तो पाने कि चाहत है और ना ही तुम्हे खोने का कोई डर है। मै भी जरा देख लूं तुम क्या करोगी… मै चला बापू के पास। बड़ा प्यार है ना आरव से तो जाओ उसका एंगेजमेंट संभालो, और हां जो करना हो वो कर लेना..


"सुनो अपस्यु, अरे सुनो तो.. मत जाओ.. देखो मै माफी मांगती हूं… प्लीज… आरव तो तुम्हारी जान है ना.. रूको तो"…. "ऐमी हम दोनों जुड़वा है, उसकी और मेरी लड़ाई तो ऊपरवाला लिखकर नीचे भेजा है, मै तो चला"…. "सुनो तो अपस्यु, प्लीज ना। पागल कहीं के आज अगर नौटंकी किए तो देख लेना मै भंडा फोड़ दूंगी की तुम नशे में नहीं होते हो। ओए छोटी आंख वाले सुन"….
बहुत ही शानदार लाजवाब अपडेट भाई
ऐसा अतीत जब सामने आता हैं तो कंट्रोल किसी से नहीं होता हैं भाई
वैसे ऐमी भी बली मांग रहीं हैं क्या राक्षस वध होगा फिर

ये क्या सेलिब्रेट करवा रहा हैं अपस्यू कोनसी खुशी मिल गई
ओर बापू के साथ कोनसा कांड करने वाला हैं भाई
 

Zoro x

🌹🌹
1,689
5,420
143
Update:-77




दिल्ली में जेके और पल्लवी का होना अपस्यु के लिए किसी बड़े मौके से कम नहीं था। यूएस के लिए उड़ान भरने से पूर्व ही उसे यह पता चल चुका था कि 30 जून की शाम जिंदल के लड़के और साची की एनेगामेंट तय हो चुकी है। बड़ी खबर हाथ लगी थी और अपस्यु इस बार खुद सबकी मौत तय करना चाहता था। उन चार दोषियों कि मौत भी ठीक उसी प्रकार तय की गई, जैसे उसके बचपन के साथियों को मारा गया था। वो सब किस कारन से मरे उन्हें पता नहीं था, कौन सी दुश्मनी का उनसे बदला लिया जा रहा था, किसी को भनक नहीं। सब बस जिंदा चिता में झोंके जा रहे थे और किसी को पता नहीं था कि वो क्यों झोंके जा रहे थे।


उस रात आग में झोंकने वालों 15 लोगों में से अपस्यु ने आज तक किसी को अपने हाथों से सजा नहीं दिया था, लेकिन इस बार वो ये मौका नहीं गवाना चाहता था। चारों की मौत तय हो चुकी थी, हादसे में चारो काल के गाल में समाने कि पूरी तैयारी और रूप-रेखा सब पहले से तय ही चुकी थी।


भार, ऊंचाई और समय का पुरा आकलन हो चुका था, बस जरूरत थी तो चारों को एक निश्चित समय पर, निश्चित स्थान तक लेकर आना। वक़्त था चौंकाने का, उनके बिल्कुल सामने होकर झटके देने का।


हालांकि अंदेशा तो पहले से था कि जब जिंदल अपने बेटे की एंगेजमेंट करेगा तो भारत से आने वाले कुछ लोग, उसके लिए सौगात तो लेकर ही आएगा। अपस्यु और पार्थ ने मिलकर पहले से उनके पैसों में सेंध लगाने की पूरी योजना बना चुका था, लेकिन अपस्यु ने पार्थ को भनक तक नहीं लगने दी कि उसका मुख्य टारगेट क्या है या कौन है?


29 जून को की रात उनके डॉलर से भरी वैन धू-धू करके जल रही थी और इसी के साथ जिंदल का जलता कलेजा, पांचों एंगेजमेंट की शाम देखने उस हॉल में पहुंचे थे। इसी की एक छोटी सी कड़ी मेघा से भी जुड़ी थी। लगभग 300 करोड़ जलने के बाद उन पैसों का कंपनसेशन अति आवश्यक था और अपने पार्टनर से आधी रकम की पेमेंट के लिए 3 जून तक का वक़्त लिया जा चुका था।


मेघा के लिए पहले तो ये फाइट महज अपने पैसों में एक साथ बढ़ोतरी का तरीका था इसलिए अपस्यु के साथ वो 50% के साथ राजी हो चुकी थी पैसे लगाने के लिए। लेकिन अब उसे अपने पैसों मै बढ़ोतरी के साथ 150 करोड़ का घाटा भी कवर करना था इसलिए वो इंगेजमेंट के दिन अपस्यु से मिलकर उसे बेटिंग से साइड होने के लिए कहने आयी थी और बदले में फाइट जितने के लिए उसे वो 1 मिलियन का ऑफर देने आयी थी।


लेकिन मेघा को क्या पता था कि उसकी इस हालत का जिम्मेदार वहीं है। मेघा की मनसा पर उस वक़्त आघात हो गया जब अपस्यु उससे बिना बात किए वहां से चला गया। फिर तो रही सही कसर होम मिनिस्टर ने अाकर पूरी कर दी। पहले जहां अपस्यु पर दवाब बनाने की कोशिश पर सोच चल रही थी, मंत्री जी के इतने करीबी किसी को देखकर अपस्यु अब इंटरनेशनल पॉलिटिक्स का एक हिस्सा था जिसपर हाथ डालने का सीधा मतलब था 2 देशों के कूटनीतिक संबंध के बीच हाथ डाल देना।


जिंदल को झटके पर झटके मिल रहे थे और अपस्यु उसकी हालत का पूरा आनंद उठा रहा था। लेकिन उसकी निगाहें तो अब भी कहीं और टिकी हुई थी और कहीं ना कहीं उनके पैसों में आग लगने की वजह से वो मौका भी अपस्यु के झोली में खुद ही अाकर गिर गई।


जिन पैसों में आग लगा था उसमे से 200 करोड़ के क्लायंट उन्हीं चारो… मुर्तुजा, नवीन, कृपाल और प्रताप के थे। चारो जब यूएस पहुंचे थे तभी से बिल-बिलाए हुए थे। चारो को साथ देखा गया एयरपोर्ट पर और उनकी बात कोई सुन ना ले इसलिए खुद ही कार ड्राइव करके मीटिंग करते हुए होटल पहुंचे थे।


इन चारो को एयरपोर्ट से ही साथ आते देखकर अपस्यु के आखों में शुरू से ही चमक आ चुकी थी। अपस्यु बार काउंटर पर बैठकर जब काउंटडाउन कर रहा था, ठीक उसी वक़्त चारो एक ही कार में सवार थे। इधर कार पार्किंग से निकालकर सड़क पर आ रही थी और उधर 30 माले की छत से उनकी मौत भी।


काउंटडाउन का अंत होते ही कार अपने निश्चित जगह पर खड़ी हो चुकी थी, और अनजान मौत ठीक उनके सर के ऊपर से आ रही थी। धड़ाम की जोरदार आवाज के साथ, सड़क पर छत के ऊपर रखा एक बड़ा सा बैकअप जेनरेटर ठीक उस कार के ऊपर आकर गिरी, जिसमे चारो वापस जा रहे थे और उन्हें मौका तक नहीं मिला सोचना कि मौत कहां से आ रही है।


पूर्ण लोहे के धातु की वो वस्तु जेनरेटर, जिसका वजन लगभग 300 किलोग्राम का था। 500 फिट की ऊंचाई से जब वो 9.8 m/s² कि रफ्तार से, लगभग 4 लाख 50 हजार न्यूटन फोर्स के साथ जब उस कार के उपर गिरी तो लगभग 5 फिट ऊंची कार, चिपक कर मात्र 10 इंच की बची थी, जो सड़क से लगभग 2 फिट नीचे दफन थी और उसके ऊपर वो जेनरेटर।


जिस वक़्त ये घटना हो रही थी, सभी सुरक्षा एजेंसी के जवान अपने तय समय के अनुसार 7 बजे तक सभी मुख्य नेशनल पॉलिटीशियन और कुछ इंटरनेशनल पॉलिटीशियन को होटल से सुरक्षित बाहर निकालने का अपना प्रोटोकॉल पूरा करके वहां से निकलने की तैयारी में थे।


अपस्यु और ऐमी ने 10 मिनट का ज्यादा समय अपने डांस से लिया, जिसके चलते उन चारों को 10 मिनट की देर हुई और तय समय पर उनकी कहानी को अंजाम दिया जा चुका था। यहां की सुरक्षा एजेंसी काफी प्रोफेशनल होती है। चूंकि यह मामला उनके काम से जुड़ा नहीं था इसलिए उन्होंने बिना कोई हस्तछेप किए शिकागो पुलिस को अपना काम करने दे रही थी और बस बाहर से बैठकर तमाशा देख रही थी।


इस वक़्त में, अंदर हॉल में तेज संगीत पर सब झूम रहे थे और ठीक इसी वक़्त में अपस्यु ऐमी के साथ ग्लास टोस्ट करके जाम का एक सुकून भारी चुस्की ले रहा था। जैसे ही जिंदल तक ये खबर पहुंची उसका चेहरा देखकर अपस्यु खुश हो रहा था। ऐमी को अपस्यु की बात से कुछ तो आभास हुआ था, लेकिन क्या हुआ था, और किसके साथ हुआ था, ये बातें अब तक उसके ज्ञान में नहीं था।


काम खत्म होते ही अपस्यु को अंदर से रोने कि इक्छा हो रही थी लेकिन आरव का एंगेजमेंट था। वो सबको बताना तो चाहते थे लेकिन अपस्यु के पता था, हर किसी के आखों में आशु होगा और जश्न मानने की चाह में घर में आयी इतनी बड़ी खुशी कहीं द्वितीय खुशी ना बन जाए और बदले के आग को मिला सुकून पहली खुशी, इसलिए अपस्यु किसी को बताना भी नहीं चाहता था और ना ही ये बात किसी को पता चलती क्योंकि क्राइम सीन होटल के बाहर था और जश्न का माहौल 20th फ्लोर पर।


घटना के 2 मिनट बाद जैसे ही जिंदल को ये सूचना मिली वो सिन्हा जी को छोड़कर होटल के बाहर निकला। बाहर होटल कि लॉबी में हर जाने वाले गेस्ट को रोककर उनसे पूछताछ शुरू थी। साथ में उन जवानों की डिटेल लेकर उन्हें वहां से भेजा जा रहा था।


जिंदल के मौके पर पहुंचते ही डिटेक्टिव खुद आया उससे मिलने और मिलकर घटना की जानकारी देते हुए पूछताछ करने लगा। जिंदल ने आए मेहमानों की पूरी लिस्ट उसे थामते हुए कहने लगा… 20th फ्लोर पर एक और एंगेजमेंट होना है और वहां मौजूद जितने भी लोग हैं वो होटल छोड़कर कहीं नहीं जाने वाले इसलिए उनसे कल पूछताछ का आग्रह वो करने लगा।


डिटेक्टिव ने जिंदल को इनडायेक्टली हिदायत देते हुए समझा दिया कि वो एक क्राइम सीन पर उसके काम में दखलंदाजी कर रहा था। वो अपने नॉर्मल प्रोसीजर से ही आगे बढ़ेगा और हर किसी से पूछताछ, केस कि पूरी डिटेल और पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद ही शुरू होगी। साथ में डिटेक्टिव ने होटल में मौजूद सभी गेस्ट की लिस्ट लेकर उनके पासपोर्ट डिटेल एयरपोर्ट पर भेज दिया ताकि कोई भी बिना इजाज़त देश छोड़ कर न जा सके।


नीचे पूरे गहमा-गहमी का माहौल था लेकिन 8th फ्लोर में अभी एक मां अपने बच्चों को शांत करवाकर उन्हें हंसाने में जुटी थी और यह याद दिलाने की कोशिश कर रही थी कि आज उनके घर में खुशियां आयी है और बाकी सारी बातें भूलकर इस पल का आनंद ले। वहीं 20th फ्लोर पर कुंजल, साची के साथ नाच रही थी, जिसके साथ उसकी होने वाली भाभी लावणी भी थी।


क्या हो चुका था नीचे, उसमे अपनी भूमिका निभाने वाला वीरभद्र, आरव के इंगेजमेंट वाले हॉल में था और वो उस हॉल की तैयारियों को आखरी बार परख रहा था। और इधर अपस्यु अपनी जीत का जश्न मनाने, ऐमी को पूरी तरह से चिढ़ाकर सिन्हा जी के ओर बढ़ रहा था।


एक ही वक़्त कि 2 अलग-अलग कहानी थी, जहां एक ओर खुशियां थी, वहीं दूसरे ओर चिंता और परेशानी का माहौल था। पार्टी से जिंदल अपने बेटी दामाद के साथ मनीष और राजीव को लेकर अपने बंगलो पहुंचा जहां विक्रम अपने दोनो बेटे के साथ पहले से कुछ बातें कर रहा था।


चार लोग और होते इस वक़्त जो इस मीटिंग का हिस्सा थे, लेकिन अपस्यु ने उन चारों को अपने बॉस की डांट सुनने से बचा चुका था… सभी लोग सभा में बैठे थे कि तभी विक्रम का बड़ा बेटा कवल किशोर चिल्लाते हुए कहने लगा… "प्रकाश अंकल आप से धंधा नहीं संभल रहा है, आप को ये सब छोड़ देना चाहिए।"


प्रकाश:- कवल बेहतर होगा बैठ जाओ आपस में बहस करने से कोई फायदा नहीं हैं। तुम शायद भूल रहे हो कि तुम किससे बात कर रहे।


विक्रम:- तुम बैठो कवल, प्रकाश सही कह रहा है। .. प्रकाश तुम्हारे नाक के नीचे से 300 करोड़ जला दिया गया, 4 और हमारे एजेंट एक साथ मारे गए। टोटल 1100 करोड़ का घाटा और तुम कुछ नहीं कर पाए। तुम्हे नहीं लगता कि तुम्हारी बुद्धि में जंग लगा चुका है। तुममें अब वो पहले वाली बात नहीं रही प्रकाश। मुझे लगता है तुम्हे अब धंधा मेघा और हाड़विक (मेघा का पति) पर छोड़कर तुम्हे अपने पॉलिटिक्स में ध्यान देना चाहिए।


"आप लोग प्लैनिंग करते रहने, पहले मुझे बताओ 150 करोड़ कैसे वापस कर रहे हो, ताकि मै सुनिश्चित हो जाऊं। फिर सब अपनी बकवास मीटिंग करते रहना।"….. विक्रम का छोटा बेटा लोकेश, पक्का बिजनेसमैन, डेढ़ शाना, दिमाग से मजबूत, थोड़ा अय्याश और थोड़ा लड़कीबाज, लेकिन जुबान का पक्का। जले हुए रुपए कि पेमेंट वो क्लायंट को कर चुका था, बस यहां उसे अपने 150 करोड़ चाहिए थे।


लोकेश सिंह इस हवाला सिंडिकेट का एक उभरता हुआ सितारा था जिसने 4 साल पहले ही धंधा शुरू किया था और देखते ही देखते आज के समय में इसके पास कॉन्टैक्ट्स की कोई कमी नहीं थी। भारत के साथ अन्य पड़ोसी देशों के भी पैसे वो दुनिया के किसी भी कोने में कहीं भी भिजवा सकता था। एक तरह से पूरा मध्य एशिया पर इसका एकाधिकार था।


जहां पहले इनका पूरा ग्रुप मिलकर साल भर में 50 हजार करोड़ की हवाला हेराफेरी करता था वहीं लोकेश अकेला अपने दम पर आज के समय में 40000 करोड़ का धंधा करता है। नुकसान हो या संपत्ति बेच कर देनी परे लेकिन तय समय में इसके क्लायंट को पैसे मिलने थे।


मेघा:- लोकेश 3 जुलाई को तुम्हारे पैसे मिल जाएंगे।


लोकेश:- मेघा मुझे यह मत बताओ कि मिल जाएगा, मुझे ये बताओ पैसे कैसे आएंगे। क्या कोई बोंड बेचकर दोगी, या अपने कंपनी के शेयर।


मेघा:- नहीं 2 जुलाई को 5 मिलियन की बेटिंग है, वहीं से पूरा कवरउप करूंगी।


लोकेश:- तुम्हे इतना यकीन है कि तुम्हारा फाइटर जीत जाएगा..


मेघा:- 200%


लोकेश:- ठीक है फिर मेघा, 3 जुलाई को पैसे मुझे मिल जाने चाहिए। आप सब मीटिंग करो मै चला।


विक्रम:- लोकेश हम यहां कुछ समस्या पर बात कर रहे है और तुम बीच में छोड़ कर जा रहे…


लोकेश:- पापा याद है कुछ साल पहले आप लोगों के पैसे ऐसे ही जले थे, तब आप लोगों को किसी गैंग पर शक हुआ, और उसे साफ कर दिया.. बहुत समय तक फिर कोई घटना नहीं हुई, लेकिन फिर आज ये घटना हो गई और आप लोग फिर किसी गैंग को उड़ाएंगे। अपने काम जारी रखो, कभी तीर निशाने पर तो लगेगा ही, मैं चला।


मेघा:- तुम्हारी बातों में कुछ छिपा है लोकेश, मुझे खुलकर बताओगे कहना क्या चाहते हो?


लोकेश:- हम बिजनेसमैन है कोई गुंडे नहीं। जबतक गुंडों की तरह सोचकर जिसे मन किया उसे मारते रहोगे, उससे कोई सॉल्यूशन नहीं निकालनेवाला। मेरे साथ अगर ये हुआ होता तो अबतक मै ये काम किसी प्राइवेट एजेंसी को दे चुका होता। चूहों को बिल से निकलने के लिए शातिर सांप चाहिए ना की उसके पीछे अपने भोंकने वाले कुत्तों को भेजते है।


प्रकाश:- मुझे समझ में आ गया कि मुझे क्या करना है। मैं यहां के सबसे खरनाक और शातिर एजेंसी को काम दूंगा जिसकी मदद गवर्नमेंट भी लेती है। शिकारियों का ऐसा झुंड जो पता लगाकर, घर में घुसकर, जिंदा लोगों के सीने से उसका दिल चीर कर निकालने के बाद, उसे मरता छोड़ देते है। अब यह काम वहीं करेंगे।


"इसे कहते है स्मार्ट मूव। यार बिजनेसमैन कि तरह धंधा करो। ऐसे अपने लोगों को धंधा भी कहो करने, फिर छिपे दुश्मनों की कहो पहचान करने, उसके बाद उन्ही लोगों को उनके पीछे भी लगाओ, फिर सबको ठिकाने लगाने भी कहो। कोई एक काम अच्छे से करवा लो, एक ही आदमी से 4 तरह का काम करवाओगे कहां से मनचाहा परिणाम मिलेगा।"…
बहुत ही शानदार लाजवाब अपडेट भाई
अभी किसी को पता नहीं की क्या कांड हों गया हैं बाहर ओर अपस्यू ने किसी को बताया भी नहीं बहुत अच्छा किया अपस्यू ने भाई
नहीं तो एंगेजमेंट का मजा किरकिरा हो जाता भाई
वैसे ये विक्रम का बेटा लोकश बहुत ज्यादा होशियार और चालाक लग रहा हैं
मीटिंग में हिस्सा नहीं लेना चाहता है लेकिन पुरी को उसने हेनडल किया और रास्ता बता दिया कैसे क्या होना चाहिए भाई
 

Zoro x

🌹🌹
1,689
5,420
143
Update:-78




लोकेश के दिखाए रास्ते पर एक नई कहानी लिखा जा चुका था। अब तक 4 लोग मिलकर जिसपर शक कर लिए उन्हें दोषी मानकर रास्ते से हटा दिया जाता था, किंतु इस बार जिंदल और विक्रम ने अपने साथ हो रहे घटनाओं पर विराम लगाने के लिए उन प्राइवेट एजेंसी को हायर कर रहे थे जो यूएस गवर्नमेंट के लिए स्पेशल ऑपरेशन ऑपरेट करते थे।


दुश्मन खेमे का माहौल जो कुछ भी हो लेकिन ये वक़्त तो अपस्यु का था, उसकी सेलिब्रेशन दुगनी थी और उसे वो पूरा दिल से मानना चाहता था। ऐमी को पूरा चिढ़ाकर वो सिन्हा जी के पास जा चुका था। ऐमी बड़ी तेजी के साथ सिन्हा जी के पास पहुंची… "डैड चलो मेरे साथ"..


अपस्यु:- बापू आप जा रहे हो क्या ऐमी के साथ?

ऐमी:- डैड आपने सुना नहीं, चलो मेरे साथ…

सिन्हा जी:- छोटे बाद में मिलता हूं, अभी जाने दे।

अपस्यु:- बापू आप मुझे छोड़कर जा भी कैसे सकते हैं।

ऐमी:- डैड मै दोबारा नहीं कहूंगी, चुपचाप चलो मेरे साथ वरना नंदनी आंटी को मजबूरन मुझे भेजना होगा..

सिन्हा जी:- अरे यार अब तो जाना ही पड़ेगा। बाय छोटे मिलते हैं एंगेजमेंट में।


ऐमी सिन्हा जी का हाथ पकड़कर ले जा रही थी और पीछे मुड़कर अपस्यु का उतरा चेहरा देखकर जोड़-जोड़ से हंसती हुई चलते बनी। उसे जाते देख अपस्यु खुद से कहने लगा… "अरे यार ये तो मज़ा किरकिरा हो गया"…


"क्या हुआ अपस्यु बहुत ज्यादा टेंशन में दिख रहे हो बात क्या है।"… ध्रुव, अपस्यु को ड्रिंक देते हुए पूछने लगा…


अपस्यु:- कुछ नहीं यार, अपने हमजोली के साथ बैठक लगाने का सोच रहा था, उस पागल ऐमी ने सब स्तायानाश कर दिया। मूड ही ऑफ हो गया। खैर छोड़ो, मै भी क्या लेकर बैठ गया। साची कहीं नहीं दिख रही, कहां गई?


ध्रुव:- साची, लावणी को एंगेजमेंट के लिए तैयार करने गई है।

अपस्यु:- ओह, ठीक है दोस्त तुम अपने दोस्तों के पास जाओ, मै भी चलता हूं।

ध्रुव:- हेय, आओ हमारे साथ ज्वाइन करो।

अपस्यु:- नहीं भाई रहने दो फिर कभी। अभी के लीए माफ़ करो। वैसे तुम्हारे डैड और सीस कहीं नजर नहीं आ रही।

ध्रुव:- एक छोटी सी मीटिंग है वहीं गए हुए है। अपस्यु मेरी छोटी सी रिक्वेस्ट है अब मान भी लो और चलो मेरे साथ..

अपस्यु:- अब इतना भी मै स्पेशल केस नहीं की इतना कहने पर ना जाऊं। लेकिन प्लीज मुझे कोई खास बताकर किसी से इंट्रोड्यूस मत करवाना।

ध्रुव:- चिंता मत करो … मेरे दोस्तो के बीच तुम पहले से इंट्रोड्यूस हो.. बस तुम्हे उन्हें जानना है।


अपस्यु भी चल दिया उन्ही लोगों के बीच। अपस्यु की फेवरेट कॉकटेल सर्व होती रही, बातों का दौर शुरू हो चुका था और हर कोई अपस्यु की कंपनी पूरा एन्जॉय कर रहे थे।


इधर नंदनी लगभग तीनों को संभाल चुकी थी। लेकिन तीनों के मायूस चेहरे देखकर नंदनी को कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था। इसी बीच ऐमी वहां पहुंच गई…. "आंटी आप जाओ मैं इन सब को देखती हूं। और हां साथ में डैड को भी लेते जाइए।… जैसे ही नंदनी सिन्हा जी के साथ 2 कदम आगे बढ़ी होगी… "सुनिए आंटी, मेरे डैड अपने छोटे के साथ बैठक लगाने के इरादे से है, इसलिए प्लीज़ इन्हे अपने पास से खिसकने नहीं दीजिएगा वरना समझिए कि आज के पार्टी का सत्यानाश।"..


नंदनी:- तुम चिंता नही करो, अच्छा किया जो पहले मुझे दोनों के बारे में बता दी थी, आज इन बापू और छोटे का मिलन नहीं होगा। तुम बस इन सब को जल्दी से तैयार करो, बस आधे घंटे बचे हैं।


नंदनी अपनी बात कहकर वहां से सिन्हा जी को लेकर निकल गई। नंदनी जैसे ही बाहर निकली ऐमी बाथरूम में गई और एक बाल्टी पानी भर लाई और तीनों के ऊपर उड़ेल दी… बहुत ज्यादा असर तो नहीं हुआ तीनों पर, बस तीनों ही ऐमी के ओर देखने लगे…. "सुनो तुम तीनों, अपस्यु ने कहा है कल तक पूर्ण न्याय हो जाएगा, यदि उसपर भरोसा हो तो घर में आयी खुशी को एन्जॉय करो वरना तुम्हारी मर्जी, मै जा रही हूं जरा तैयार होकर आ जाऊं। वूहू….. वूहू .….वूहू..... बस थोड़ी ही देर में छछूंदर का एंगेजमेंट है।"


स्वस्तिका जो बिस्तर पर बेजान परी थी वो ऐमी को रोकती हुई, उसके पास आकर कहने लगी… "रुक ऐमी, मै भी चलती हूं। तैयार होने में थोड़ी हेल्प कर देना, मै भी आज अपने भाई के एंगेजमेंट में खूब नाचूंगी। तेरे रूम में कुछ व्यवस्था तो है ना।…


ऐमी खुश होती हुई उसके गले लगती … "अरे नहीं भी होगी तो पूरा बार वहां लगा देंगे.. तू बस चल तो सही।"..


इसी बीच वो दोनों भी उठकर खड़े हो गए.. दोनों खुश होते हुए उनके है साथ लटक गए और चारो गले मिलकर थोड़े आंसू के साथ मुकुराते हुए हूटिंग शुरू कर चुके थे। बीती बात को एकदम से दरकिनार करते हुए ऐमी और स्वस्तिका साथ निकली और जल्द ही तैयार होकर वापस आरव के कमरे के ओर जा ही रही थी कि उधर से पार्थ और आरव दोनों तैयार होकर सामने से आ रहे थे।


आरव को देखकर स्वस्तिका ने दोनों को भेज दी और आरव को लेकर उसे थोड़ा और संवरने के लिए उसे वापस उसके कमरे में लेकर चली आयी। ऐमी और पार्थ दोनों आगे बढ़ रहे थे… "थैंक्स यार, हम पागल से हो गए थे, अच्छा हुआ तुम दोनों ने अपना होस नहीं खोया था।"


ऐमी:- डार्लिंग, अभी वो बात करनी जरूरी है क्या? चुपचाप एंगेजमेंट पर कन्सन्ट्रेट नहीं कर सकते, या एक बार फिर तुम्हे धूल चटानी पड़ेगी…


पार्थ:- हुंह बड़ी आयी धूल चटाने वाली, जाकर सपने देख।


ऐमी:- अच्छा बेटा इतनी जल्दी भूल गया, आ दिल्ली वहीं बताती हूं?


पार्थ:- तू ज्यादा उड़ मत, उस बार लड़की समझकर छोड़ दिया था, इस बार कोई रहम नहीं दिखाऊंगा। खैर वो तो आने वाला वक़्त बताएगा लेकिन एक बात जो मुझे हैरान कर रही है…


ऐमी:- क्या ??


पार्थ:- यही मिस ऐमी कोई बड़ी गड़बड़ी कर आयी है और आनेवाले परिणाम को सोचकर काफी रोमांचित हो रही है।


ऐमी:- यक.. कुछ भी.. मतलब ऐसे बकवास भी कोई गेस होता है क्या?


पार्थ:- अब जो बोलना था वो मैंने बोल दिया नहीं पसंद तो भी एडजस्ट कर ले।


दोनों एक दूसरे के साथ छेड़छाड़ करते अपनी जगह पर पहुंच चुके थे। ऐमी आते ही सबसे पहले सिन्हा जी और अपस्यु को ही ढूंढ़ने लगी। लेकिन उस माहौल में ना तो सिन्हा जी थे और ना ही अपस्यु।


ऐमी नंदनी के पास पहुंच ही रही थी तभी सिन्हा जी भी दिख गए और वो अपना रास्ता बदलती कुंजल के पास पहुंच गई। कुंजल उससे देखती ही कहने लगी… "साड़ी को इतने सेक्सी अदा से भी पहन सकते है, ऐमी मुझे भी सिखाओगी क्या?"


ऐमी:- मुझे जरूरत नहीं होगी सीखने की क्योंकि मेकअप डिपार्टमेंट तुम्हारे बहन के हाथ में है, उसने मुझे सिखाया है तुम्हे भी सीखा देगी।


कुंजल:- और यदि मुझे तुमसे ही कुछ सीखना हुआ तो..


ऐमी:- ठीक है बाबा मुझे से ही सीख लेना अब खुश..


कुंजल:- बहुत खुश.. चलो "डोला-डोला" पर नाचते हैं…


ऐमी:- क्यों तुम्हारी वो "दिल्ली वाली गर्लफ्रेंड सोंग" का क्या हुआ..


कुंजल, आंख मारती… "रणवीर नहीं मिला ना, अब उसके इंतजार में क्या मै भाई के एंगेजमेंट को एन्जॉय ना करूं।"..


ऐमी, कुंजल को ऊपर से नीचे तक देखती हुई…. "ओह माय गॉड मैंने अब तक ध्यान क्यों नहीं दिया।"..


कुंजल:- क्या हुआ सब ठीक तो है ना ऐमी..


ऐमी:- इसे ठीक नहीं मस्त पटाखा बोलते है।


"कामिनी लेस्बो.. जाकर कोई लड़का ढूंढ़ अपने लिए, जब देखो तब लड़कियों में इंट्रेस्ट लेते रहती है।"… साची उनके पास पहुंचती हुई बोलने लगी..


"2 मिनट रुक तू साची, फिर मै तुझे बताती हूं, फिलहाल जरा मै लावणी से मिल लूं।"… ऐमी अपनी बात कहती लावणी के पास पहुंची और उसे देखकर मुस्कुराती हुई कहने लगी…. "लावणी यहां तुम से ज्यादा प्यारी कोई नहीं, आरव के लिए मुझे खुशी है। तुम उसके साथ रहोगी तो वो हमेशा मुस्कुराता रहेगा।"


लावणी बड़ी प्यारी हंसी अपने चेहरे पर लाती हुई…. "थैंक्यू सो मच। मुझे लगा आप कभी मुझ से बात ही नहीं करोगी।"..


ऐमी:- हेय ऐसा किसने कहा तुमसे.. और सॉरी मै यदि तुम्हे ऐसा फील हुआ हो तो। दिल से सॉरी…


इतने में कुंजल फिर से सबको कहने लगी… "किसी को चलना है "डोला-डोला" पर डांस करने या मै ये मान लूं कि केवल यहां मेरे ही भाई का एंगेजमेंट है।"


"यह माहौल भी ऐसा है की ठीक से बात भी नहीं हो पाएगी, पर हां भुटकी तुमसे ढेर सारी बातें करूंगी, लेकिन अभी चल, चलकर "डोला-डोला" पर थोड़े ठुमके लगा आते है।"… ऐमी लावणी हाथ पकड़ कर खींचती हुई कहने लगी। लावणी इतनी भीड़ को देख कर थोड़ा संकोच करने लगी, ऊपर से उसकी मां और बाकी के कुछ रिश्तेदार सब यहीं पर थे।


लावणी थोड़ी प्रतिरोध करती रही, लेकिन ऐमी के साथ कुंजल मिलकर उसे भी हॉल के मध्य में ले आयी और फिर जो ही चारो लड़कियों का ठुमका लग रहा था… जो भीड़ अपने अपने कामों में लगी थी, सभी का ध्यान आकर्षित हो गया और सब लोग उनके बीच पहुंच गए।


कुंजल की नजर अपने मां पर गई और वो उसका हांथ पकड़ती खींच ली। नंदनी भी अपनी बेटी के साथ वहां बीच में आती, सबके बीच ठुमके लगाने लगी। नाच गाने का पूरा रंग जम चुका था। इसी बीच स्वस्तिका और आरव भी वहां पहुंच गए थे और पहला गाना अभी अभी बंद हुआ था।


फिर क्या था इस बार बारी थी स्वस्तिका की और चला उसके पसंद का गाना… "तौबा तेरा जलवा, तौबा तेरा प्यार"… इस गाने पर स्वस्तिका और कुंजल ने लावणी को घेर लिया, ऐमी और साची ने आरव को। इस गाने के शुरू होते ही आरव और लावणी पर इमोशनल अत्याचार शुरू हो चुका था। अल्हर डांस मूव और जबरदस्ती तानो के समान उठते इशारों से हाथ.. आरव और लावणी को शरमाने और हसने पर मजबुर किए जा रहे थे।


सब झूम रहे थे लेकिन नंदनी की नजरें अपने परिवार के बड़े लड़के को ढूंढ़ रही थी जो इस खुशी के माहौल से नदारद था। नंदनी कुंजल को डांस के बीच से बाहर निकाली और अपस्यु को ढूंढकर लाने के लिए कहने लगी। कुंजल ने भी जब अपस्यु को वहां नहीं देखा तब वो भी थोड़ी मायूस हुई।


कुंजल निकल ही रही थी अपस्यु को ढूंढ़ने की इतने में अपस्यु ध्रुव के साथ हॉल में शिरकत किया। 2 गोरी मैम के बीच अपस्यु उन दोनों के कंधों पर हाथ डाले थोड़ा हिलते, डुलते और लड़खड़ाते हुए पहुंचा। नंदनी उसकी हालत देखकर अपने सर पर हाथ रख ली… "सब कुछ अच्छा है लेकिन किसी दिन इसकी हरकतों से मै ही घर छोड़कर चली जाऊंगी।"


कुंजल:- मां प्लीज, छोड़ दो भाई को, वो अपने हिसाब से मस्ती कर रहे है करने दो। प्लीज आप गुस्सा ना हो।


नंदनी:- चुपकर भाई की चमची। देख नहीं रही इतना पिए है की ठीक से खड़ा भी नहीं हो पा रहा है। रघुवंशी खानदान का कोई तो है नाम रौशन करने वाला। इसकी हरकतें बिल्कुल इसके दादा की तरह है।


कुंजल:- दादू, उनके बारे में आपने कभी नहीं बताया।


नंदनी:- हां तो अपने भाई को देखकर बस समझ जा ऐसे ही थे वो भी। मैं उन्हीं के बारे में क्यों कह रही हूं। तेरे नाना भी ठीक वैसे ही थे, और दोनों ही पूरे ईगो वाले। प्राण जाए पर मूंछ की शान ना जाए।


कुंजल:- हहाहाहा… मां बस भी करो, वो दौड़ अलग था अब चलो जल्दी से स्माइल करो और ये समझ लो कि आप के ससुर और पापा दोनों ही इस हॉल में है। अब मुझे एक बात बताओ, आप क्या उन दोनों पर ऐसे गुस्सा हो सकती थी..


नंदनी:- मेरी हिम्मत मेरे बेटे की दी हुई है.. नहीं तो मै बहुत डरपोक हुआ करती थी। सुनंदा दीदी ससुर जी को सुना भी दिया करती थी लेकिन मेरी हिम्मत नहीं हुई कभी…


दोनों मां बेटी बातें कर ही रही थी कि तभी स्वस्तिका ने पहले नंदनी को खिंचा फिर वो सुलेखा को खींची और सुलेखा ने अनुपमा को खींच लिया। गाना था "इन्हीं लोगों ने ले ली ना दुप्पटा मेरा।".. पूरा फ्लोर बस किनारे खड़े होकर तालियों की थाप दे रहा था और तीनों नंदनी, सुलेखा और अनुपमा डांस फ्लोर पर ओल्ड क्लासिकल धुन पर वहां जलवा बिखेर रही थी, और अपस्यु घूरती नजरों से ऐमी को देखा.. ऐमी उसकी हालत पर हंसती हुई इशारा करने लगी आज वो अपनी उन्हीं गोरी मैम के साथ रहे.. वो इन सब के बीच एन्जॉय कर रही है…


अपस्यु उसे फ्लाइंग किस्स देते उन दोनों गोरी मैम को छोड़ा और ऐमी को बेस्ट ऑफ लक कहते हुए वापस से बार काउंटर पर चला गया। इधर डांस के बाद थोड़ा विराम लग चुका था। मनीष और राजीव सभा में पहुंच चुके थे और साथ में उसके दोनों बेटे भी.. अब आगे का कार्यक्रम शुरू होने जा रहा था।
बहुत ही शानदार लाजवाब अपडेट भाई
चलो सबके दिल के हाल ठीक हों गए
पार्टी इंजोय कर रहे हैं वहीं ध्रुव अपस्यू के साथ अच्छी बन रही हैं या अपस्यू ध्रुव के सामने रह रहा हैं जानबूझकर

पार्टी में मिश्रा के दोनों बेटे आ गये हैं अब क्या कांड होता हैं भाई
 

Zoro x

🌹🌹
1,689
5,420
143
Update:-79



अपस्यु उसे फ्लाइंग किस्स देते उन दोनों गोरी मैम को छोड़ा और ऐमी को बेस्ट ऑफ लक कहते हुए वापस से बार काउंटर पर चला गया। इधर डांस के बाद थोड़ा विराम लग चुका था। मनीष और राजीव सभा में पहुंच चुके थे और साथ में उसके दोनों बेटे भी.. अब आगे का कार्यक्रम शुरू होने जा रहा था।


सब खास लोग स्टेज पर आ चुके थे। डॉलर में कमानेवाले पंडित जी भी मंत्र उच्चारण शुरू कर चुके थे और नंदनी ऐमी को बोल ही रही थी कि अपस्यु को बार से उठकर यहां पर लेकर आए।


इधर डांस के बीच में जब अपस्यु ऐमी को बेस्ट ऑफ लक कहकर निकला तो सीधे बार काउंटर के पीछे गया, जहां सिन्हा जी जितने पेग लगाए थे उतने ही ग्लास उसके कॉकटेल के बनवा कर रखे हुए थे।… "क्या बापू, अकेले-अकेले 6 पेग मार चुके।"


सिन्हा जी:- छोटे, ऐमी और तेरी मां ने मिलकर पहरा लगा डाला था। इसलिए बार काउंटर तक पहुंचने में समय लग गया। वरना अपने बेटे के एंगेजमेंट में 12-15 पेग तो लगा ही चुका होता।


अपस्यु ने अपना एक पेग उठाया और सिन्हा जी के साथ टोस्ट करते हुए… "कोई ना बापू कौन सा इनका अभी नाचना खत्म हो गया है। अभी वक़्त है हमारे पास।"


जबतक इनलोगों का नाचना खत्म हुआ और सब स्टेज पर पहुंचे थे, तबतक अपस्यु और 10 पेग लगा चुका था और सिन्हा जी 8 पेग के साथ झूमना शुरू कर चुके थे। इधर नंदनी ने जैसे ही ऐमी को बुलाने के लिए कहीं, वो बार काउंटर पर अपनी नजर दी… बापू और छोटे की जोड़ी कंधे पर हाथ डाले वीरभद्र से कुछ बातें कर रहे थे। उनको देखती ही… "लो हो गई अब एंगेजमेंट"..


नंदनी:- क्या हुआ इतने चिंता में क्यों दिख रही हो?


ऐमी नंदनी को उल्टा घूमती हुई कहने लगी… "लो खुद ही देख लो"… दोनों को साथ देखकर नंदनी कहने लगी… "इन पियक्कड़ों को रेगिस्तान में भी छोड़ आओ तो भी अपना जुगाड और साथी ढूंढ़ लेंगे।"


नंदनी अपनी बात समाप्त की ही थी कि यहां की भी लाइट चली गई, लेकिन इस बार फोकस जोड़ों पर नहीं बल्कि अपस्यु और सिन्हा जी पर था, और दोनों के हाथ में थी माइक….


सिन्हा जी:- छोटे आज मेरे बेटे का एंगेजमेंट है इसलिए यहां कोई एक्शन नहीं होगा। बस रोमांस होगा..


अपस्यु:- ओय बापू.. ये क्या बोल रहे हो.. पूरी फैमिली है..


सिन्हा जी:- आे तेरी ! साले ये बैंचों फिल्म वाले, इतना ना एक्शन और रोमांस को साथ में लिख दिए की मुंह से निकल गया.. सॉरी लेडीज एंड जेंटलमैन. मेरा छोटा एक्शन नहीं करेगा बल्कि डांस करेगा.. और अब मेरे इस हैंडसम हंक के लिए एक पार्टनर की जरूरत है.. ऐमी को छोड़कर कोई भी इंटरेस्टेड गर्ल आ सकती है..


अपस्यु:- जे बात बापू.. ये सही कहा आपने .. हमारे बीच दरार डालने वाली वही है… जलती है यार अपने से वो। लेकिन… लेकिन… लेकिन .. इस से पहले की कोई डांस शुरू हो, पहले आप लोग हमारे परिवार के कुछ पलो का आनंद उठाएं..


जैसे ही वहां अंधेरा हुआ था, और इन दोनों का नाटक शुरू हुआ… मनीष, राजीव से तानो में कहने लगा… हमारे परिवार के संस्कार तो नंदनी जी ने बता दिया था, अब ये क्या है भक्तिमय माहौल।


अनुपमा:- आप भी ना, ना वक़्त देखते हो ना जगह। चुपचाप सामने पर्दे पर चल रहे तस्वीरों को देखो, संस्कार पता चल जाएगा.. शोले में तो धर्मेन्द्र भी दारू पीकर पानी टंकी पर चढ़ा था, फिर क्यों रट लगाए रहते .. मेरा फेवरेट सीन.. आगे देखो…


कई सारी खट्टी मीठी यादें थी उन तस्वीरों में। एक तस्वीर और उभर कर आयी जो काफी लेटेस्ट थी अभी कुछ देर पहले की, जिसमे नंदनी ने तीनों को गोद में सुला रखा था। इस आखरी तस्वीर के समाप्ति के साथ ही रौशनी हुई और सभी बच्चे नंदनी के कंधे से लगे खड़े थे और नंदनी उनके बीच मुस्कुरा रही थी।


स्टेज पर ये माहौल चल रहा था और नीचे कई लड़कियों की भीड़ लग चुकी थी। इस बार अपस्यु ऐमी का चेहरा देख रहा था। गुस्से में बिल्कुल बिलबिलाती, वो अपस्यु को देख रही थी।… "छोटे गाना बजवाया जाए क्या?"..


अपस्यु:- अरे बापू आज के आप मेरे डांस पार्टनर..


सिन्हा जी:- ना रे, तू वो मुझे हवा में झुलाएग, मेरे हार्ट अटैक कर जाएगा।


अपस्यु:- अरे ना बापू ऐसे आज दो हमजोली नाचेंगे.. आरव तू कुछ देर और रुक, हम दोनों जरा रंग जमा कर आए…


सिन्हा जी:- ठीक है पर हम एक ही गाने पर नाचेंगे..


अपस्यु:- कौन सा बापू…


सिन्हा जी:- साले को बोल, "मेरा तन डोले मेरा मन डोले" बजाए…


अपस्यु को जब सिन्हा जी गाने कि फरमाइश कर रहे थे तब अपने बदन को ऐसे लहराए की देखने वालों की हंसी निकल आयी।… और फिर बजने लगा नागिन के धुन वाली तन डाले मन डोले..


सभी खड़े लोग हंसते-हंसते लोटपोट थे, और वहां फ्लोर पर 20 सपेरे और एक नाग। सब अपस्यु के आगे बीन बजा रहे थे और अपस्यु सबको डसने में लगा हुआ था। अब ये दोनों नौटंकी कर रहे हो और कोई घटना ना हो। कबीर वहीं उनके पास खड़ा होकर देख ही रहा था, कि सिन्हा जी के धक्के से वो गिरा।


अपस्यु के ठीक ऊपर वो गिरा था और अपस्यु उसे थामते हुए अपने पास लिटा दिया। तेजी से उठकर अपस्यु उसके ऊपर आया और अब सपेरा अपस्यु था और नाग कबीर। उसने बहुत कोशिश की वहां से उठकर निकल जाए लेकिन 20 लोगों की भीड़ से नाग तब तक नहीं निकला जबतक नंदनी ने अाकर दोनों बापू और छोटे की जोड़ी को कान पकड़ कर ऊपर स्टेज पर ना ले आए।


कबीर जब खड़ा हुआ तब उसके पूरे कपड़े खराब हो चुके थे। कुछ लोगों के तो वाइन भी उसके कपड़े पर गिरा हुआ था। काफी गुस्से में वो लग रहा था। इधर जैसी कबीर कि हालात थी ठीक वैसी ही अपस्यु की भी थी, लेकिन अपने भाई को ठीक सामने देखते ही आरव बाहें फैलाए उसके गले से लगा और कान में कहने लगा…


"कमिने आज की पार्टी खराब होते होते बची है, मुझे तो लगा कि वो कबीर गया आज"…. "अबे आज मै एक्शन के मूड से नहीं था। वो बापू भिड़ा हुआ था किसी तरह लड़ाई फसाने के लिए। उसने नीचे नहीं लिटाया होता तो तू जानता है तेरा ससुर ही क्यों ना हो, बापू से बदतमीजी पर तो मै उसे भी का छोड़ूं।…… "हहाहा, उन्होंने कब मार नहीं फसाया है तू ये बता।"…. "अबे छोड़ बे अब कितना गले लगेगा।"..


अपस्यु ने जैसे ही आरव को छोड़ा लावणी ने अपने दोनो हाथ ऊपर कर लिए अपस्यु उसे भी गले लगाते हुए कहने लगा… "लगता है इसने बाप वाला कॉन्सेप्ट तुम्हे भी बता दिया।"…. "थैंक्स भईया, आप ने जो किया वो मेरे एंगेजमेंट का बेस्ट मोमेंट था।".. अपस्यु उससे अलग होते हुए, आरव से कहने लगा… "सुन बे अगर इसने मुझ से तेरी कुछ सिकायात की ना तो तेरी खैर नहीं।"..


"अरे अब बस भी करो भारत मिलाप, वरना यहां पूरा खानदान खड़ा है मिलाप के लिए। दोनों एक दूसरे को अंगूठी भी पहनाओ।".. पीछे से सुलेखा हंसती हुई कहने लगी… इसी के साथ दोनों की अंगूठी सेरेमनी भी पूरी हुई। सभी लोग मेलमिलाप में लगे थे और इधर अपस्यु सुलेखा को भीड़ से थोड़ा अलग ले जाकर पूछने लगा… "आप खुश तो हो ना आंटी।"


सुलेखा:- बेहद खुश हूं। ऐसा लगा जैसे ज़िन्दगी में कोई तो अच्छा काम किया।


अपस्यु:- आप तो शुरू से अच्छा काम करती आ रही हैं। आपने जो किया है, उसके लिए हिम्मत चाहिए। लोग संसार से तो लड़ सकते है, लेकिन परिवार से हार जाते है। हम सबसे बड़ी लड़ाई तो आप लड़ रही हैं।


सुलेखा:- जानता है, मेरी नजर अब भी अपनी सुनंदा को ढूंढ़ रही है। तुझमें पूरी अपनी मां कि छवि है।


अपस्यु:- आप भी तो मां की ही परछाई हो। बिल्कुल मेरी मां जैसी। जो बीत गया उसे जाने दो, और आज में जीना सीखो। देखो तो लावणी को कितनी प्यारी लग रही है। दोनों की जोड़ी कमाल कि है।


सुलेखा:- उसकी जोड़ी तो लग गई, तेरी जोड़ी कब लगेगी।


अपस्यु:- उसमे अभी समय है आंटी फिलहाल तो अभी ध्यान कहीं और है।


सुलेखा:- अच्छा सुन, कोई थर्ड पार्टी तुम्हारे टारगेट के बीच आने वाला है, जरा संभलकर रहना।


अपस्यु:- हम्मम! अब आप चिंता नहीं कीजिए, मै बिल्कुल इनके सामने और ठीक बीच में हूं। आपको अब जोखिम उठाने की जरूरत नहीं है, हर बात अब मुझे पता चल जाएगी। बस आप अपना ख्याल रखिए और हां आज से आप जितना चाहे उतना प्यार लुटा सकती है, आप के मार और संभाल के काम से भी छुट्टी।


सुलेखा:- सच !!! वैसे अचानक ये तब्दीली, कहीं सच में तो तेरे और साची के बीच कुछ चलना तो शुरू नहीं हो गया।


अपस्यु:- नहीं वो बात नहीं है। मैंने साची को समझा दिया कि जो उसके साथ हुआ वो महज एक छल था।


सुलेखा:- ये क्या कर दिया तुमने.. पूरी बात बता दी क्या ?


अपस्यु:- ना, बस उतना, जितना उसे उसके गम से उबार दे, और उतना जितना आगे भविष्य में जब उसे पता चले कि घर की भेदी आप है तो आप से उसे कभी नफरत ना रहे। बस अब इसपर प्लीज कोई सवाल नही कीजिएगा..


सुलेखा मुस्कुराती हुई… "ठीक है कोई सवाल नहीं करती, चल अब चलती हूं, आज खुशी से अपने बच्चों से मिलूंगी, और तेरी उस हिटलर मां से भी। नंदनी क्या बोली थी उस दिन अपस्यु, ऐसा लग रहा था मिश्रा जी डर से जमीन में ना घुस जाए।


अपस्यु:- हाहाहाहा.. हां मैंने भी सुना, बस ये यादगार क्षण जब चल रहा था तब मै क्यों नहीं था उसी का अफसोस है।


"ऐमी, तुम्हे अपस्यु बुला रहा है। ले तू ऐमी के साथ अफसोस कर, मै चली।".. इतना कहकर सुलेखा वापस से लोगों के बीच चली आयी।… "क्या है? अब क्या जीत गए उसकी बधाइयां दूं तुम्हे।"..


अपस्यु:- तुम्हे प्यार से गले लगाकर चूमने कि इक्छा हो रही।


ऐमी:- अभी !!!

अपस्यु:- हां अभी।


"ठीक है, नो प्रॉबलम".. कहती हुई ऐमी लगभग चिपक ही चुकी थी, तभी अपस्यु एक कदम पीछे हटते हुए…. "क्या कर रही हो, सब लोग यहीं है और कुछ तो हम दोनों को ही देख रहे है।"

ऐमी:- तो वो बात बोलो जो कर सको, अपने ये 20 और 40 पेग पीकर झुमनें का नशा किसी और के पास करना।


अपस्यु:- नक्चढ़ी, आज गुस्से में तुम्हारी नाक लाल है..


ऐमी:- नजर साफ करो, वो मेकअप लगा है।


अपस्यु:- अच्छा बाबा सॉरी, माफ़ कर दो मुझे।


ऐमी:- अपस्यु तुम्हे पता है जब मै गुस्से में होती हूं तो मुझे मनाने कि कोशिश मत किया करो। गुस्सा अभी गया नहीं है और तुम्हारी हरकतें उसमे इजाफा कर रही है।


अपस्यु:- गुस्सा छोड़ भी दो, आज मूड बहुत रोमांटिक है। चलो कहीं घूम कर आते है।


"कुंजल के साथ मेरा पहले से सब प्लान बन चुका है। हुआ तो लावणी को भी साथ ले लूंगी। वैसे एक बात जानते हो"… अजीब सी खुशी जो इस वक़्त ऐमी के चेहरे पर थी, जिसे अपस्यु साफ पढ़ सकता था।


अपस्यु:- क्या ऐमी?


ऐमी:- लावणी से जब मैंने बात की आज, तो वो मुझ से कहती है.. "मुझे तो लगा आप कभी बात ही नहीं करेंगी मुझसे".. बहुत प्यार है यार वो। बिल्कुल मासूम रुई की गुड़िया हो जैसे।


अपस्यु:- हाहाहाहा.. ठीक है फिर इसी खुशी में आज रात तुम और मै.. सेलीब्रेट करेंगे..


ऐमी:- हट हट हट.. छूना भी मत, पहली बात… तुम्हे याद दिलाना चाहूंगी क्या तय हुआ था….. हमारा रिश्ता छिपा रहेगा और नो रोमांस, जबतक एक ही जगह पर सब लोग हो। और दूसरी बात कोई नहीं भी होता तो भी मेरा कोई मूड नहीं है। बाय डार्लिंग हैव ए स्वीट नाइट।


"बापू के चक्कर में इसे नाराज कर दिया। कोई नहीं चलो चले हम अकेले में खुद के गम मिटाते हैं और 2-4 जाम उठाते है।".. अपस्यु खुद से ही बात करते बार काउंटर पर बैठ गया। लेकिन आज अपस्यु की किस्मत.. बार काउंटर पर जैसे ही बैठा की पास में नंदनी अाकर खड़ी हो गई। अपस्यु ने नंदनी पर ध्यान नहीं दिया और जाम को होंठ से लगाकर चुस्की लगाया ही था… "अब तू इतना बड़ा हो गया है कि अपनी मां के सामने पिएगा।"..


जैसे ही उसने सामने नंदनी को देखा बेचारा सरक गया। नंदनी उसके सर पर हाथ थपथपाती… "इतना चौंकने की क्या जरूरत थी, पीते रहता, छोटे बड़े की इज्जत और लिहाज तो सब पहले ही बेच खाया है।"..


अपस्यु, शांत होकर अपना सर नीचे झुकाए… "सॉरी मां, वो मैंने आप को नहीं देखा।"..


नंदनी:- वाह बेटा !! मुझे नहीं देखा, और ये भी ख्याल नहीं रहा होगा कि मै इसी हॉल में हूं। कुछ ढंग के बहाने बना ले, या फिर-साफ साफ बोल दे, मेरी जिंदगी में दखल मत दो। तुम आज कल के लड़के नशा बस नशे करते रहो, पर उसे छोड़ने कहो तो लाइफ में दखलंदाजी हो जाती है।


अपस्यु सरपट उतरा अपने टेबल से और कान पकड़ कर कहने लगा… "बस करो मां, ताना मारना बंद करो। समझ गया ना मै अब.. चलो भी भूख लगी है।"


नंदनी:- तुमसे जब भी मै कुछ कहती हूं, ये तेरी भूख को क्या हो जाता है? मेरी बातें कोई डाइजेस्टिव एंजाइम है क्या? अभी जब दारू की चुस्की ले रहा था तब तो तुझे भूख नहीं लगी थी?


अपस्यु:- आप पहले पी कर देखो की मै क्या पीता हूं फिर आप कुछ कहना।


नंदनी:- मतलब तू अपनी मां को शराब पीने कह रहा है। लोग हैं वरना मै भी नहीं जानती कितने थप्पड तुझे पड़ चुके होते।


अपस्यु:- नहीं मां, आप पी कर देखो, मै केवल कॉकटेल पीता हूं, जिसमे कोई नशा नहीं होता।


नंदनी:- बेटा मै तेरी मां हूं .. हूं हूं..


अपस्यु, अपना सर हां ने हिलाता… "हूं"..


नंदनी:- कल का जन्म लिया मुझे सीखने चला है कि एल्कोहलिक और नॉन-एल्कोहलिक कॉकटेल क्या होता है। और वो क्या ऊटपटांग नाम है.. एटम शैम्पेन.. ऐसे ही कुछ नाम है ना तेरे उस दारू का।


अपस्यु छोटा सा मुंह बनाए..... चलिए चल रहा हूं समझ गया कि आप मेरी मां है।


नंदनी उसे सबके बीच लेकर चलती हुई… "अच्छा हुआ समझ गया वरना और भी रास्ते थे समझाने के।"…


ठीक इसी वक़्त रात के लगभग 11 बजे, हाड़विक (मेघा का पति) और मेघा एक प्राइवेट आर्मी के संचालन ऑफिस में बैठे हुए थे। यूएसए की सबसे बड़ी प्राइवेट आर्मी सप्लाई एजेंसी जिसका मुख्यालय वॉशिंगटन डीसी में था। दोनों पूरा पता लगाने के बाद उनके शिकागो ऑफिस पहुंचे थे।


दोनों बैठकर वहां के संचालक का इंतजार कर ही रहे थे, जो कुछ ही देर में इन दोनों के सामने था।… "मिस्टर एंड मिसेज मित्तल, कहिए आप के लिए क्या कर सकते है।" (परिवर्तित भाषा)

मेघा:- मिस्टर ड्यूक फोन पर तो आपको बताई ही थी, कोई है जो घात लगाकर हमे नुकसान पर नुकसान पहुंचाते जा रहा है और हम उनकी पहचान नहीं कर पा रहे।


ड्यूक:- देखो मेघा, हम छोटे केस नहीं लेते, बेहतर होगा तुम कोई प्राइवेट डिटेक्टिव हायर कर लो।


मेघा:- अपनी फि बताओ मिस्टर ड्यूक और मेरा काम कब तक खत्म होगा। मुझे मत सिखाओ की मेरा केस बड़ा है या छोटा।


ड्यूक:- 10 मिलियन यूएसडी, वो भी एक साथ।


मेघा:- मैं 20 मिलियन दूंगी, लेकिन काम की गरेंटी होनी चाहिए।


ड्यूक:- हाहाहाहा.. बच्चों जैसी बातें कर रही हो मेघा, क्या तुम हमारे टीम को जानती भी हो। एक टीम में 2 इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर, 2 टेक्नीशियन, जरूरत के हिसाब से हम हैकर भी देते है और 10 प्रोफेशनल एसासियान। तुम्हे अब भी लगता है कि इतने स्ट्रोंग टीम के सामने कोई टिक पायेगा। इस वक़्त हमारे 5 बटालियन कई यूएस आर्मी के ब्लैक ऑप्स मिशन में है।


मेघा:- मुझे प्रोफाइल से मतलब नहीं है मिस्टर ड्यूक, मुझे बस रिजल्ट चाहिए। मै 2 गुना कीमत देने को तैयार हूं क्या तुम्हारी टीम जल्द रिजल्ट देगी।


ड्यूक ने इस मिशन इंचार्ज को अंदर बुलाकर दोनों से इंट्रोड्यूस करते हुए… "ये हैं आप के केस और अपनी टीम के इंचार्ज.... सार्जेंट जेम्स होऑप्स।


औपचारिक हाय हेल्लो के बाद सार्जेंट ने मेघा से केस फाइल लिया, एक-एक करके हर मुख्य घटना कि झलकियां देखने के बाद, उसने आज रात की घटना कि झलकियां भी देखी। केस फाइल की पूरी झलकियां देखने के बाद…


जेम्स:- मेघा अपने डैड का इन्फ्लुएंस यूज करके इस घटना को ऐक्सिडेंट करार देकर पुलिस से फाइल क्लोज करवाओ, बाकी आज से मेरी पूरी टीम इसपर इन्वेस्टिगेशन शुरू करते हैं। कल शाम की मीटिंग में बाकी की बात होगी।


मेघा 1 मिलियन का चेक देती हुई कहने लगी…. "कल के मीटिंग के बाद मै तय करूंगी की मुझे ये केस तुम्हे देना चाहिए या नहीं। अभी के लिए ये पेशगी दिए जाती हूं, पसंद नहीं आया कल का मीटिंग तो ये भी वापस ले लूंगी।"… मेघा अपनी बात कहकर जेम्स को बेस्ट ऑफ लक कहती वापस आ गई।
बहुत ही शानदार लाजवाब अपडेट भाई
अब मैदान में धुरंधर उतरने वाले हैं केट फाइट देखने लायक होंगी नैन भाई
ये फैमिली प्रोग्राम क्या शमां बांधते हों नैन भाई
कमाल कर देते हों
 

Zoro x

🌹🌹
1,689
5,420
143
Update:-80



मेघा 1 मिलियन का चेक देती हुई कहने लगी…. "कल के मीटिंग के बाद मै तय करूंगी की मुझे ये केस तुम्हे देना चाहिए या नहीं। अभी के लिए ये पेशगी दिए जाती हूं, पसंद नहीं आया कल का मीटिंग तो ये भी वापस ले लूंगी।"… मेघा अपनी बात कहकर जेम्स को बेस्ट ऑफ लक कहती वापस आ गई।


मेघा की जल्दबाजी से ऐसा प्रतीत हो रहा था कि उसे कल के कल ही अपने नुकसान पहुंचनेवाले की पूरी डिटेल चाहिए थी, ताकि वो हुए नुकसान का बदला ले सके। हाड़विक और मेघा ऑफिस से निकले…. "ज्यादा जल्दबाजी तो नहीं कर रही तुम मेघा।"


मेघा:- पता नहीं हाड़विक, लेकिन उन चूहों को मुझे जल्द से जल्द बिल से बाहर निकालकर अपने हाथों से सजा देनी है।


हाड़विक:- लेकिन तुम लोकेश के सजेशन पर चल रही हो, बचकर जरा।


मेघा:- हम्मम !! तुम्हारा कहना भी सही है। लेकिन वक़्त की मांग यहीं है कि हम सक्षम नहीं उस भेदी का पता लगाने में, तो क्यों ना ऐसे काम में माहिर लोग को ही काम देकर देखा जाए।


हाड़विक:- मुझे तो लोकेश पर ही सबसे ज्यादा शक है। जब से वो धंधे में आया है उसी के कुछ दिनों बाद से ये घटनाएं हो रही है। उसने इंडिया के लगभग एजेंट्स को मार डाला। इस वक्त वो अकेला हम सबसे ज्यादा धंधा कर रहा है। यदि सोचा जाए तो हमारे नुकसान का सबसे ज्यादा फायदा उसी को हुआ है।


मेघा:- शक तो मुझे भी उसपर है हाड़विक, लेकिन इस वक़्त हम कुछ नहीं कर सकते। एक बार बस पता लग जाए फिर इस लोकेश की कहानी भी ठीक वैसे ही खत्म होगी जैसे वो बिना सबूत छोड़े हमे बर्बाद करता आ रहा है। फिलहाल तो मुझे उस लड़के पर कन्सन्ट्रेट करना है।


हाड़विक:- तुम कुछ ज्यादा भरोसा नहीं दिखा रही उस नशेड़ी पर।


मेघा:- हाड़विक कुछ तो बात होगी उस लड़के में जो होम मिनिस्टर उसे इतना तवज्जो दे रहा था। अपने बहुत काम का लड़का है वो, लेकिन है बहुत उल्टी खोपड़ी, कब क्या करता है पता नहीं चलता।


हाड़विक:- क्या तुम से भी ज्यादा उल्टी खोपड़ी ?


मेघा:- पता नहीं, शायद हां, मुझ से भी कहीं ज्यादा। बहुत भरोसा है उसे खुद पर इसलिए इतना गुरूर है उसमे। मुझे किसी भी तरह वो अपने साइड चाहिए हाड़विक।


हाड़विक:- मेरे पास एक आइडिया है, जिससे वो इनडिरेक्टली अपने साइड आ जाएगा और इंडिया में अपने प्रोजेक्ट को हरी झंडी भी मिल जाएगी।


मेघा:- ठीक है, आइडिया पसंद आ गया तो समझ लो तुम्हारे प्रोडक्शन हाउस को हरी झंडी मिल गई। अब आइडिया बोलो..


मानो हाड़विक ने उसी ख्यालात को सजाकर मेघा के पास पेश कार दिया हो, जिसके बारे में कुछ-कुछ मेघा भी सोच रही थी। दोनों कल होने वाले हर मीटिंग पर चर्चा करते हुए घर पहुंच गए।


इधर रात के 11.30 बजे इंगेजमेंट पार्टी भी खत्म हो चुकी थी। बाहर जाने वाले लोगों से उनके डिटेल लेकर उन्हें जाने दिया जा रहा था। ऊपर बचे लोग एक दूसरे से विदा लेते हुए, सब तेजी से अपने कमरे के ओर बढ़ रहे थे। 2 एंगेजमेंट के शेड्यूल ने सबको पूरा थका दिया था।


इधर ऐमी, अपस्यु को और भी ज्यादा झटके देती हुई लावणी को अपने साथ ले आयी। वहीं जहां कुंजल का पहले ऐमी के साथ गप्पे लड़ाकर, साथ सोने का प्रोग्राम था, वो बदल कर स्वस्तिका के साथ हो गया था जिसे अब साची भी ज्वाइन कर रही थी।


वहीं 2 बहुत करीबी दोस्त बहुत दिनों के बाद मिले रहे थे इसलिए पार्थ और आरव दोनों साथ में थे। बेचारा अपस्यु थोड़ा अंदर से चिढ़ा था, वो सीधा अपने कमरे में चला गया।


अगली सुबह की खुशी कल रात के एंगेजमेंट की खुशी से भी दुगनी थी। हर कोई अपने कमरे में था जब एक-एक करके सबको सुबह के अखबार से पता चला कि कल रात में उनके 4 शिकार मारे जा चुके है। जैसे ही ये खबर उन सबको लगी, कोई भी अपने आप को रोने से रोक नहीं पाया। आरव और पार्थ तो साथ थे इसलिए दोनों बिस्तर पर फैल कर रोए, लेकिन स्वस्तिका बाथरूम में बैठकर आशु बहा रही थी, ऐसा ही कुछ हाल ऐमी का भी था।


सभी एक-एक करके अपस्यु के कमरे के पास आते रहे और अाकर वापस लौट जाते, क्योंकि अपस्यु अपने कमरे में नहीं था। सभी की जिज्ञासा देखते बन रही थी। सब लोग उत्सुक थे जानने के लिए की आखिर अपस्यु ने यह अकेले किया कैसे। अब लेकिन वो वहां हो तो न कुछ बताए, बस सबको छटपटाने पर मजबुर किए जा रहा था।


अपने-अपने कमरों के लोगों से फुर्सत होकर ऐमी और स्वस्तिका तुरंत पार्थ और आरव से मिलने पहुंच गई…. "क्या हुआ, मिला अपस्यु की नहीं?"..


आरव:- फोन लगा रहा हूं तो टेक्स्ट कर रहा..


स्वस्तिका:- क्या कह रहा है टेक्स्ट में..


आरव:- कल रात के सब थके हो, आराम करो। मै कुछ काम कर रहा हूं।


ऐमी:- हम्मम !! सतर्क रहने कहा है, छोड़ो वो खुद ही सब डिटेल बता देगा। हमे अब अलग हो जाना चाहिए।


पार्थ:- हां सही है, वैसे भी कल हम तीनो ने ही एक हाईलाइट प्वाइंट छोड़ ही दिया था, जबकि समझना चाहिए था कि माहौल कैसा है।


ऐमी:- कोई बड़ी बात नहीं है, अपस्यु सब संभाल लेगा। वैसे भी आज रात हम वापस उड़ान भरेंगे उसके बाद क्या कर सकते है ये लोग।


आरव:- कैसे वापस जाएंगे, पुलिस जबतक क्लीन चिट नहीं देगी, हमलोग नहीं निकल सकते।


स्वस्तिका:- नीचे डिटेल भी पढ़ लिया करो एकबार। रात को ही होटल एडमिनिस्ट्रेशन ने पुलिस को हादसे कि वजह बताई है। इंडियन एंबेसी ने भी इस घटना को हादसा मान लिया है। अब कैसा क्लीन चिट।


ऐमी:- तभी अपस्यु ने सतर्क का संदेश भेजा है, कुछ तो उधर की कहानी चल रही होगी।


आरव:- इसका मतलब तुम दोनों यहां यूएस में रुक रहे हो?


ऐमी:- नहीं हम दोनों कैसे रुक सकते है? या तो लोगों को शक हो जाएगा कि हमारा सीरियस अफेयर चल रहा है या दोनों ही किसी सीरियस काम करने रुके है, दोनों ही सूरतों में हमे कोई रुकने नहीं देगा। इसलिए केवल अपस्यु …


पार्थ:- हम भी रुके क्या ?


आरव:- नहीं, ये काम इन दोनों का है, इन्हे अपने हिसाब से करने दो। हमे अपने काम पर ध्यान देना चाहिए।


स्वस्तिका:- हां आरव सही कह रहा है, मै तो चली, बिना सेलिब्रेशन मज़ा नहीं आने वाला। कुंजल को पकड़ कर मै चली सेलीब्रेट करने।


पार्थ:- मै आज इस कमिने के साथ सेलीब्रेट करता हूं।


ऐमी:- ठीक है फिर तुम लोग एन्जॉय करो और ख्याल रखना अपना। तबतक मै सबकी पैकिंग कर देती हूं। पार्थ तू भी आज वीरभद्र को लेकर निकलेगा क्या?


पार्थ:- यूरोप कॉल ऑफ हो गया है। मै भी तुम लोगो के साथ चलूंगा। मुझे वहां से सीधा राजस्थान निकालना है।


ऐमी:- हम्मम ! ठीक है फिर तेरी भी पैकिंग कर दूंगी। जाओ तुम लोग, मै भी 2-4 पेग लगाकर सेलीब्रेट कर लूं।


आज शायद वक़्त कम पर रहा था, लेकिन खुशियां मानने में कोई कोताही नहीं बरती जा रही थी। होटल में बचे लोग अपने-अपने पैकिंग में लगे थे। नंदनी अपना काम निपटाकर सबको देखने आयी, लेकिन किसी का कुछ भी पता नहीं था, लेकिन सब के लगेज पैक थे।


नंदनी जब कुंजल के कमरे में गई… "ऐमी, तुम यहां इनके लगेज क्यों पैक कर रही हो?


ऐमी:- सब घूमने गए, और मै खाली बैठी थी तो सोची काम खत्म कर दूं, ताकि अंतिम मोमेंट पर किसी का ये सामान रह गया तो किसी का वो सामान।


नंदनी, ऐमी के पास बैठ गई और उसे काम करते हुए देखने लगी… "क्या हुआ आंटी आप किस सोच ने पर गई।"


नंदनी:- कुछ बुझी-बुझी लग रही हो, बात क्या है?


ऐमी, सूटकेस को लोक करके नंदनी के पास बैठती हुई… "2-2 सगाई में नाचना परा मुझे, जो ही मै थकी आंटी क्या कहूं। देर रात को सोई थी और फिर सुबह-सुबह वैभव ने जगा दिया। अब ऐसी हालत में ऐसा चेहरा नहीं रहेगा तो कैसा रहेगा।"..


नंदनी:- सुन वो सूटकेस से तेल निकला कर ले आ। कैसे सूखे बाल है तुम्हारे। रात को तेल क्यों नहीं लेती बाल में।


ऐमी:- रहने दीजिए आंटी, आप को भी तो पैकिंग करनी होगी।


नंदनी:- जितना कहा उतना सुनाकर, मुझे मेरे काम मत बताया कर।


नंदनी बिस्तर पर बैठ गई और नीचे ऐमी। नंदनी ने पूरी तेल कि ऐसी उसके ऊपर उड़ेलकर आराम से उसके बालों में तेल लगाने लगी और धीरे-धीरे वो नींद के आगोश में चली गई। नंदनी ने उसे उठकर बिस्तर पर सोने के लिए कही और नंदनी वहां से उठकर चली गई।


इधर अपस्यु सुबह से ही शॉपिंग में लगा हुआ था। यूएस से कुछ जरूरी डिवाइस पार्ट आज ही खरीदकर, सबके साथ भेज देना चाहता था, ताकि बाद में शिपिंग का कोई लफड़ा नहीं रहे। बहुत ही ध्यान से वो आयरन मैन, बैट मैन और अन्य सुपरस्टार कॉस्ट्यूम के साथ वो बाकी सामान भी खरीदता जा रहा था।


जब वो कॉस्ट्यूम खरीद रहा था, तभी उसे ये ख्याल भी आया कि लास्ट मिशन में उसका बुलेप्रूफ जैकेट डैमेज हो गया है। कहीं ना कहीं तो दिल में ये भी था कि कहीं किसी तरह बैट मैन के कॉस्ट्यूम जितना मजबूत कुछ मिल जाए जो पहनने में हल्का हो और उसकी गति को धीमे ना करे। ऐसा कुछ अगर मिल जाता तो काम बन जाता।


बहरहाल बस ये कल्पना थी जिसके बारे में पता करने के लिए अभी अपस्यु के पास वक़्त था। अपस्यु एक ही जगह से सब खरीदारी करने के बाद सभी सामान को उसने फ्लाइट में लोड करवाने के लिए दुकानदार को ही कह दिया, ताकि सिक्यूरिटी पास और सामान की डीटेल की जिम्मेदारी उन्हीं कि हो।


अपस्यु सबके लिस्ट के हिसाब से खरीदारी कर चुका था। इतनी लंबी खरीदारी के बाद तो दुकानदार भी काफी खुश लग रहा था, और इसी खुशी में उसने अपस्यु को आज रात की अपनी पार्टी का न्योता भी दिया। अपस्यु हंसकर उसे स्वीकार करते हुए वापस होटल के लिए निकला।


इन सब कामों में 2 बज चुके थे। 5 बजे शिकागो से न्यूयॉर्क के लिए भी सबको उड़ान भरना था और उसके आगे न्यूयॉर्क से रात के 10 बजे इंडिया कि फ्लाइट।… "लगता है देर हो गई, इंतजार में होगी बेचारी।"..


अपस्यु भागा-भागा आया और सीधा ऐमी के कमरे में गया, लेकिन वहां ऐमी नहीं थी। अपस्यु थोड़ा सा अन्दर से मायूस हो गया, क्योंकि यहां नहीं होने का मतलब था कि वो कुंजल के कमरे में सबके साथ बैठी होगी। बुझे मन से वो कुंजल के कमरे में गया। १,२ बार बेल बजने में बाद भी, जब कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई तब उसने दरवाजा खोला, शायद नंदनी लॉक करना भूल गई थी।


अपस्यु जब अंदर का हाल देखा तब ख़ुश हो गया। कमरे में कोई नहीं था और ऐमी चादर ताने गहरी नींद में थी। अपस्यु भी उसके पास लेटकर उसके चेहरे पर अपनी उंगली फेरने लगा।


ऐमी की नींद में थोड़ी हलचल हुई और वो करवट लेती अपस्यु के ठीक सामने। दोनों के चेहरे बिल्कुल आमने-सामने थे और अपस्यु उसे सुकून से सोते हुए देख रहा था। उसे बिना परेशान किए अपस्यु मुस्कुराते हुए बस देखे जा रहा था। इसी बीच ऐमी की आंख भी खुल गई। नजरों के सामने अपस्यु को देखकर वो मुस्कुराई और उसके गले में हाथ डालकर सोने लगी।


अपस्यु:- सोते ही रहना है क्या, जाग जाओ।


ऐमी:- ना, बस खामोश रहो और मेरे पास रहो।


कुछ देर ऐमी, अपस्यु के आगोश में डूबने के बाद उसके होंठ को चूमती हुई पूछने लगी… "एक बार पूरी बात बता नहीं सकते थे।"..


अपस्यु:- यूं समझ लो तुम लोगों के लिए सरप्राइज था।


ऐमी:- अब मुझे सेलीब्रेट करना है। और मै नहीं जानती के ये कैसे होगा, बस मुझे सेलीब्रेट करना है, वो भी सिर्फ हम तुम।


अपस्यु:- तुम्हारा वो प्रोसेसर ले लिया है और जो कुछ रिक्वॉयरमेंट हो तो कॉल कर लेना।


ऐमी:- कल रात का बदला ले रहे हो ना। ठीक है ले लो बदला। जब दिल को सुकून मिल जाए फिर जवाब देना।


अपस्यु:- सॉरी, लेकिन अभी सेलिब्रेशन संभव नहीं।


ऐमी:- एक किस्स भी नहीं क्या? …


दोनों एक दूसरे को देखकर मुस्कुराने लगे। दोनों की आखें बंद हो चली, होंठ से होंठ उलझ चुके थे और दोनों की श्वांस लंबी होती चली जा रही थी। दोनों ही एक दूसरे में खोते चले गए और ख्याल भी नहीं रहा कि दोनों कुंजल के कमरे में है। स्वस्तिका और कुंजल दोनों लौट आयी थी और दोनों ही दरवाजा खोलकर अचानक से अंदर….
बहुत ही शानदार लाजवाब अपडेट भाई
कोस्टियम की आड़ में पार्ट की हेरा फेरी गजब दिमाग लगाया भाई
कोई सोच भी नहीं सकता इस खरीददारी में ज्यादातर सामान नैनों टेक्नोलॉजी और हेकिंग का हैं बहूत खुब नैन भाई
 
Top