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Romance भंवर (पूर्ण)

Zoro x

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Update:-98





"वो भले ही ठीक हो लेकिन इस वक़्त मै ठीक नहीं हूं। अगर मेरी बहन की गलती हुई तो उसका मार खाने का गम मै सह लूंगा.. वरना मै युद्ध आवाहन मंत्र शुरू कर चुका हूं। आरव कार को छोटी की जीपीएस लोकेशन पर ले.. जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी।"..


आरव:- लेकिन जाऊं कहां, लोकेशन तो यहीं पार्किंग का आ रहा है। ये इतनी शरारती तो नहीं थी।


तीनों उतरे और पार्किंग में कुंजल को ढूंढने लगे… तभी सिटी की आवाज़ के साथ… "किसी को ढूंढ रहे है क्या?"..


सिटी के आवाज़ के साथ ही पार्किंग के दूसरे हिस्से में रौशनी हुई, जहां कुंजल अपनी नए कार के बोनट पर बैठकर आराम में अंगूर खा रही थी। आरव और स्वास्तिका दोनो गुस्से में उसके पास पहुंचे.. स्वास्तिका कुंजल के कान खींचती…. "ये आज कल तुम इतना शरारत कहां से सीख गई।"..


आरव:- एक थप्पड़ लगाओ फिर ये सुधरेगी..


अपस्यु:- अरे छोड़ो उसे, आज सुबह से बेचारी डांट खा रही है। कुंजल बाकी सब ठीक है लेकिन ये ऐक्सिडेंट वाली बात अच्छी नहीं थी।


कुंजल:- सॉरी भाई। बस मुझे कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा था.. सोची थोड़ा परेशान कर लूं।


अपस्यु:- चल फिर मज़ा करके आते है। चलो तुम दोनो भी।


स्वास्तिका:- ना तुम दोनो जाओ, मै जरा डॉक्टर की क्लास लगा दूं।


आरव:- मै भी जरा लावणी से मिलकर आया।


कुंजल:- चलो भाई, ये दोनो बिज़ी लोग हैं।


अपस्यु कुंजल की बात पर हंसते हुए बैठ गया, और दोनो ड्राइव पर निकल गए। इधर स्वास्तिका और आरव भी अपने अपने होने वाले के साथ बिज़ी हो गए। कुंजल ड्राइव किए जा रही थी और अपस्यु उसे बड़े ध्यान से देख रहा था। .. "तो.."


कुंजल:- तो क्या ..
अपस्यु:- तो ..
कुंजल:- भाई आगे भी तो बोलो..
अपस्यु:- तो..
कुंजल:- भाई..
अपस्यु:- तो..
कुंजल:- क्यों परेशान कर रहे है?
अपस्यु:- तो..
कुंजल:- तो ये लो..


कुंजल कार को टॉप स्पीड में डाली और कर हवा में बात करने लगी।… "ठीक है सॉरी बेटा, ऐसे गुस्सा नहीं दिखते। वैसे मुझे बाहर लेकर आयी है, कुछ खिलाएगी या ऐसे ही ड्राइव करते रहना है।"


कुंजल:- क्या खाओगे बोलो। तुम भी क्या याद करोगे खडूस की किस दिलदार बहन से पाला परा है।


अपस्यु:- जी दीदी जी, बस मालिक आप को जो पसंद हो, वो खिला दो।


कुंजल:- ये हुई ना बात… तो फिर चलो..


कुछ दूर ड्राइव करने के बाद कुंजल कार को एक आलीशान होटल के पार्किंग में खड़ी की और अपस्यु का हाथ पकड़कर चलने लगी… "बच्चा नहीं हूं जो गुम हो जाऊंगा।"..


कुंजल:- ठीक है चलो फिर..


अपस्यु होटल के अंदर कदम बढ़ाने लगा और कुंजल पैदल-पैदल होटल के बाहर जाने लगी… अपस्यु ने जब कुंजल को साथ में नहीं देखा, वो तुरंत पलटा, लेकिन तबतक कुंजल कहीं नजर नहीं आ रही थी।… "कहां चली गई, मै होटल के गेट पर तेरा इंतजार कर रहा हूं।"..


कुंजल:- किसने कहा था मैं बच्चा नहीं। चुपचाप वहां से बाहर मेन गेट पर आओ मै इंतजार कर रही हूं..


"कार पार्क करके बाहर क्यों चली आयी"… पहुंचते ही अपस्यु ने पूछा।


कुंजल वापस से अपस्यु का हाथ पकड़कर चलती हुई… "अरे भाई यहां तो पार्किंग के लिए आयी थी बस। कौन बाज़ार के पास कार ले जाए, वहां पार्किंग की जगह थोड़े ना होती है। ..


कुंजल पकड़कर उसे एक पानीपुरी के ठेले के पास खड़ा की… "भैय्या हमारे लिए थोड़ी तीखी वाली बनवाइए"… दोनो के हाथ में प्लेट लग गई थी जैसे ही अपस्यु ने पहला पानीपुरी खाया, उसकी आखें बड़ी हो गई। बिल्कुल धीमे-धीमे चबाते वो कुंजल को देखने लगा और जबतक वो एक खाया, कुंजल 8-10 खा चुकी थी… "क्या हुआ पानीपुरी अच्छी नहीं लगी क्या?…भईया आपने कैसा पानीपुरी बनाया है देखिए मेरे भईया को पसंद नहीं आया, थोड़ी खटाई और मिर्ची, और डालिए इनमें।"..


अपस्यु:- पागल बस मेरा हो गया। इतना तीखा है, मै नहीं खाऊंगा, भईया आप पानी दीजिए मुझे।


"अरे रुको रुको रुको.. लो एक मेरे हाथ से खाओ"… कुंजल एक फुल्की उसके ओर बढ़ाती हुई…


"पक्का तू मरवाएगी आज".. अपस्यु ने कुंजल के हाथ का वो फुल्की खा लिया और फिर से उसी तीखेपन का शिकार हो गया, लेकिन चुकी इस बार वो पहले से तैयार था इसलिए तीखे के साथ फुल्की का भी कुछ आनंद उठाया।


उस दुकान से निकलने के बाद कुंजल उसे लेकर चूड़ी बाजार में आ गई, जहां वो अपने पसंद कि कुछ चूड़ियां खरीदने के बाद आइस क्रीम के ठेले पर खड़ी हो गयी। वहां से उसने 2 सामान्य पानी वाली आइसक्रीम खरीदी। एक खुद ली और दूसरा अपस्यु को…


दोनो चलते हुए… "इस उम्र में मेरे साथ घूम रही है, कोई घुमाने वाला तुम्हे क्यों नहीं मिला अब तक, या फिर मिल गया है और सबको बताने से घबरा रही है।..


कुंजल:- आपको मेरे साथ नहीं घूमना या बोर हो रहे तो सीधा बता दो। ऐसे ताने मत दिया करो।


अपस्यु:- अच्छा सॉरी बाबा नहीं कहता..


कुंजल:- मै ऐसे नहीं मानने वाली चलो यहां पहले नागिन डांस करो फिर मै मानूंगी।


अपस्यु:- लेकिन यहां इतनी भिड़ में, तुझे अच्छा लगेगा क्या?


कुंजल:- पहली बात इतने दिन तक गायब थे, लेकिन एक कॉल नहीं किए उसका गुस्सा। कब आए वो सब नहीं बताया उसका गुस्सा। फिर आज आए तो यह नहीं कि मुझे अलग से पहले पुरा वक़्त दो, तो कभी डॉक्टर के साथ चले गए तो कभी अकेले शॉपिंग कर रहे हो और घर आकर मां से बात करना याद रहा लेकिन मुझ से बैठकर बात करो वो ख्याल नहीं। बहाना बनाकर मुझे ही बुलाना परा तब आए हो वरना मेरा ख्याल तक नहीं।


कुंजल अपनी बात फ्लो में कह रही थी और जब नजर सामने दी तब पता चला कि अपस्यु जमीन में लेटा नागिन डांस कर रहा था। कुंजल कभी उसे देखती तो कभी वहां के भिड़ को। उसे अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा था।


उसे नागिन डांस करते जो भिड़ जुटी थीं वो सब अपस्यु को देखकर हंस रहे थे, वहीं कुछ लड़के इसका लुफ्त उठाकर अपने-अपने रुमाल निकालकर अपस्यु के ऊपर चढ़कर नाच रहे थे। कुंजल भिड़ को साइड करती अपस्यु के पास पहुंचकर अपना हाथ देती उठाई और उसके कपड़े से धूल को झारती हुई कहने लगी… "हद है मै तो गुस्से में बोल गई।"


अपस्यु, कुंजल के गाल खींचते… "तू तो हम सब के लिए स्पेशल है यहां क्या तेरे लिए कहीं भी नागिन डांस कर सकता हूं। इतने से खुश है या और भी कोई डांस करना है।


कुंजल:- हीहीहीही… बस भाई नहीं, इतना ही काफी है।


"नाइस डांस सर, क्या आप मेरी शादी में भी ऐसा ही डांस करेंगे।"… पीछे से एक लड़की अपस्यु के कंधे पर हाथ देती हुई कहने लगी..


कुंजल:- सुनो तुम्हे कोई कन्फ्यूजन हुई है? वो भाई ने बस मेरे कहने पर डांस किया था। मेरे भाईया सुपर्ब है।


अपस्यु पीछे पलटकर देखते हुए… "ओह तुम... कुंजल यें है कुसुम और कुसुम ये है मेरी लाडली बहन कुंजल।"


कुसुम:- लाडली है उसका नमूना तो देख लिया मैंने। बहुत कम ऐसे भाई होंगे जो ऐसा कर सकते हैं।


अपस्यु:- अरे ऐसी कोई बात नहीं। खैर तुम्हारे 20 करोड़ के डोनेशन का थैंक्स। काश हर पैसे वाले तुम्हारे जैसे होते।


कुसुम:- मुझे सब से क्या मतलब है सर, बस मै अपने परिवार के ओर से जब उन लोगों के लिए करती हूं, जिन्हें वाकई में मदद की जरूरत है तो अच्छा लगता है। फिर आप जो कर रहे है वो हम लोग के दिए पैसे से कहीं उपर है। मै जितनी बार आप से मिलती हूं, आपको देखकर एक ही ख्वाहिश जागती है कि आप जैस कोई एक भी सदस्य मेरे परिवार में होता तो कितना अच्छा होता।


अपस्यु:- तुम इतनी नेक हो तुम्हारा परिवार भी बहुत अच्छा होगा, फिर वो लोग मेहनत करते है तभी तो तुम भी किसी दूसरों के लिए कुछ अच्छा करने में सक्षम हो कुसुम।


कुसुम:- हां ये भी है। ठीक है सर मै चलती हूं।


उसके जाते ही कुंजल… "अब ये कौन थी"..


अपस्यु:- हिरणाकश्यप के यहां जन्मी कोई प्रहलाद है ये।


कुंजल:- ओह !! पर भाई तुम कैसे कह सकते हो कि इसका परिवार जालिम किस्म का है।


अपस्यु:- मैंने अपने चिल्ड्रंस केयर में किसी के पैसे नहीं लेता। जब ये पहली बार दान करने के ख्याल से आयी थी तब मेरे मना करने पर रोती हुई कहने लगी… "मदद के पैसे सही जगह पर पहुंचने से लोगों की आत्मा बचाई का सकती है। प्लीज ये पैसे रख लो।"


कुंजल:- ओह बेचारी.. मतलब अपने परिवार के कुकर्म को ये समझती है और उसे बचाने की कोशिश भी कर रही है। भैय्या तो क्या सच में पैसे दान में देने से किसी की आत्मा बचाई का सकती है।


अपस्यु:- हाहाहाहा.. पागल है क्या? ये ट्रिक बाबा लोग इस्तमाल करते है पैसे निकलवाने के लिए। दान करने वाले अपने पाप काटते है और बाबा लोग थोड़े सुखी जीवन बिताते है।


कुंजल:- बेचारी.. वैसे किसकी बेटी है ये?


अपस्यु:- पता नहीं, ना ही मैंने कभी पूछा और ना ही कभी डिटेल पता करने की कोशिश की। बस इस बेचारी की आस्था ना टूटे इसलिए पैसे ले लिए। कुछ अच्छा करने के ख्याल से कम से कम ये तो खुश है ना।


कुंजल:- लेकिन आप तो अपने बच्चों के लिए पैसे नहीं लेते फिर इसके पैसे..


अपस्यु:- परिवार में 60 सदस्य और बढ़ गए है, जिसमें कुछ बच्चो की जिम्मेदारी मैंने इसे दे दी है।


कुंजल:- क्या बात है भईया आप तो छा गए।


अपस्यु:- छाने वाली कौन सी बात है, जहां लगता है करना चाहिए वाहां कर देता हूं। वैसे कुछ बच्चे मैंने तेरे ख्याल से भी लिए है।


कुंजल:- पर मै तो डोनेशन नहीं करती भैय्या।


अपस्यु:- फिर से वही बात कर दी ना। बाढ़ राहत में जाकर खाना बाटने वाला महान होता है क्योंकि वो जमीन पर जाकर काम करता है तभी किसी की मदद वहां तक पहुंचती है। ऐसे कई उदहारण मिल जाएंगे और हर उदहारण में एक ही बात होगी.. जो दिल से जमीन पर खड़ा रहकर करता है वो महान है, बाकी ज्यादातर तो सब फोटो खींचवाने वाले होते है।


कुंजल:- जी भईया समझ गई। मैं भी सब बच्चो के लिए जमीन पर खड़ी रहकर करूंगी।


दोनो लगभग 11 बजे तक वापस लौटे। नंदनी दोनो का इंतजार हॉल में ही कर रही थी। दोनो के आते ही अच्छी खातिरदारी हुई, फिर सब खाने के टेबल पर पहुंच गए।


खाना खाकर अपस्यु नंदनी से बात करने लगा और कुंजल सोने चली गई। दोनो मां-बेटे फुर्सत में काफी देर तक बातें करने के बाद वो लोग भी सोने चले गए। अगली सुबह घर में काफी हलचल थी। दोनो बहन सुबह से ही तैयार हो रही थी। घर में खुशी का माहौल था।


सभी लोग यहां से फिर सीधा चिल्ड्रंस केयर जाने वाले थे जहां बच्चों के साथ रखी का ग्रैंड फंक्शन रखा गया था।.. 9 बजे के आसपास दोनो बहने राखी बांधने आयी। कुंजल को देखकर हर कोई हैरान था, क्योंकि साड़ी में वो इस वक़्त कमाल कि लग रही थी। … आरव सिटी बजाते हुए कहने लगा.. "आज तो ये कमाल की लग रही है मां, खिड़की दरवाजे बंद रखो वरना इसके आशिकों की भीड़ यहां कभी भी हमला कर देगी।"..


बेचारी कुंजल शर्माकर अपनी मां में सिमट गई और नंदनी उसके गाल को पुचकारती हुई कहने लगी… "आज वाकई कमाल की लग रही हो।".. खैर पीछे से स्वास्तिका भी आयी और आते ही उसने आरव को बिठाकर उसे रखी बांधी… "छछूंदर, मुझे कुछ चाहिए तुझसे"..


आरव:- क्या चाहिए नॉटी बोल ना।


स्वास्तिका:- खडूस से बोल दे आज मै उससे बात नहीं करूंगी, इसलिए मुझे मानने कि कोशिश भी ना करे..


अपस्यु:- और जान सकता हूं क्यो? मां रात ही आपको बताया था ना, बस थोड़ा करीब से जानना था इसलिए दीपेश को साथ ले गया था। फिर ये नाराज क्यों है?


स्वास्तिका, पूरे गुस्से में आती… मां वो स्टूडेंट है ऊपर से घर से उनके पास लिमिटेड पैसे आते है.. साथ ले कर 3-4 घंटे घूमता रहा और दीपेश से खाना तो छोड़ो एक जूस के लिए नहीं पूछा।


स्वास्तिका की बात सुनकर सब लोग एक साथ हसने लगे… "मा कैसा लड़का है ये दीपेश, इन सब बातों की भी कोई शिकायत करता है।"


आरव:- ये तो औरतों वाले गुण है यार.. फलाने ने खाने को नहीं पूछा या चाय के लिए नहीं कहा।


स्वास्तिका:- हुंह ! उसने नहीं कहा मुझे, उसके दोस्त निर्मल ने बताया।


कुंजल:- फोन तो आपने जीजाजी को ही किया होगा ना। अब उनके फोन से अगर निर्मल ने ऐसी बातें आप से कही, मतलब जीजाजी और उसका दोस्त इन सब बातों पर डिस्कस कर रहे थे क्या?


कुंजल ने जैसे ही यह बात कही, गुस्से भरी नजर और झटके से घूमता सर कुंजल पर, तभी आरव ने चुटकी ले ली… "छी.. छी.. छी.., मतलब क्या औरतों का ग्रुप बनाया है जीजा ने। दूसरों के घर की हल्दी और नमक डिस्कस कर रहे।"


नंदनी स्वास्तिका का चेहरा देखकर उसके सर को अपने कंधे से लगाकर सबकी डांटती हुई कहने लगी… "मेरी बच्ची को किसी ने रुलाया तो देख लेना मै भूल जाऊंगी आज कोई त्योहार भी है। ये भी कोई बात हुई.. अब वो पारिवारिक लड़का बेचारा मां के पल्लू से ही चिपका रहा उसका बदला तुम स्वास्तिका से लोगे।"..


स्वास्तिका:- मै जा रही हूं वापस मुंबई। बोल क्यों नहीं देते की मेरा आना अच्छा नहीं लगा..


"रुल जा नॉटी रुक".. अपस्यु दौड़कर उसे पकड़ा और प्यार से सॉरी कहते हुए वापस लाने लगा… "पागल ऐसे कोई रूठकर जाता है क्या वो भी भूखे। कल को दोनो मियां बीवी कहोगे यहां खाने के लिए कोई पूछता ही नहीं।"…


बेचारी स्वास्तिका का रैगिंग हो गयी। सबने जितनी खिंचाई की थी, उतना ही हसाने के बाद फिर बारी आयी कुंजल की.. दोनो भाई को राखी बांधने के बाद कुंजल जोड़ से कहने लगी… "मुझे भी कुछ मांगना है।"
बहुत ही शानदार लाजवाब अपडेट भाई
 

Sanju@

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Update:-17



अपस्यु जमील से बात करने के बाद सीधा आरव से संपर्क किया। दोनों के बीच पूरी योजना पर पुनर्विचार होने लगा, जिसका मुख्य बिंदु था सिटिंग एमएलए और शिक्षा मंत्री भूषण, जिसके कत्ल के बाद भारत की सभी सुरक्षा एजेंसी उनके कातिलों के पीछे लग जाती। फिर चाहे कातिल कितने भी शातिर क्यों ना हो गुत्थी तो वो सुलझा ही लेते। इसी चिंता को दूर करते आरव ने आश्वासन दिया कि "मारना तो उसे होगा ही लेकिन हम तक कोई पहुंच ना पाए इस बात का पूरा इंतजाम हो गया है"। अपस्यु ने उसे अपना ध्यान रखने के लिए बोलकर फोन काट दिया और खुद पर ही नाराजगी जताने लगा।

कुछ देर बाद जमील के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए, अपस्यु ने उसे इंदौर भोपाल के हाईवे के बीच स्थित एक लोकेशन से कल ही अपने पैसे उठवा लेेने के लिए बोल दिया, हालांकि जमील को उस जगह के बारे पहले से सब पता था। सारी बातें तय ही गई और पैसे उठने में लिए अगली सुबह के 10 बजे का मुहूर्त निकला।

तकरीबन 3 बजे साची और लावणी अपने कॉलेज से लौट रही थी। साची बीती रात तो लावणी से बच गई, सुबह भी इतनी जल्दी में निकले की लावणी कुछ पूछ ना पाई, लेकिन अभी वक़्त भी सही था और मौका भी। क्योंकि अभी स्कूटी से भाग कर जाती कहां.. लावणी, साची की छेड़ती हुई पूछने लगी… "क्यों दीदी तो तुम्हे तुम्हारा बॉयफ्रेंड मिल ही गया"

साची:- मुझे तो लगता है मुझे से पहले तूने बाजी मारी है। तुम्हारी बात तो किस तक भी पहुंच गई।

लावणी (हे भगवान, लगता है उस आरव के बच्चे ने दीदी को भी तस्वीरें दिखा दी क्या)… हुंह ! कोई कुछ भी कहेगा और आप मान लोगी क्या?

साची:- अच्छा जी !! किसी के कहने पर मैं क्यों मानु, मुझे तो तुमने ही बताया था..

लावणी (मैंने बताया था, लेकिन कब। कहीं दोबारा तो मैंने 180ml तो नहीं चढ़ा लिया था.. नाना कुछ तो गड़बड़ है)

साची:- क्यों क्या हो गया मेरी भूटकी को, दोबारा से चुम्मिं के ख्यालों में डूब गई क्या? वैसे मैं बता दूं कि चुम्मी का ख्याल भी आए ना तो मत करना क्योंकि आरव अभी दार्जिलिंग गया हुआ है।

लावणी:- दीदी तुम मेरी कसम खाकर कहो तो, मैंने ऐसा भी कुछ तुम्हे बताया था।

साची:- ओह मतलब बताया नहीं लेकिन किया तो है ना।

पूरे रास्ते साची तो स्कूटी से नहीं भागी लेकिन लावणी की छिलाई जरूर चालू रही। इधर साची अंदर से खुश होती खुद से ही कहने लगी.. "मुझे छेड़ने चली थी, ऐसा घुमाया की चक्कर में उलझ कर रह गई"… दोनों बहने घर पहुंची। लावणी तो पूरे रास्ते आरव को ही कोसती अाई क्योंकि उसी के वजह से उसे गलतफहमी हुई और नतीजा पूरे रास्ते उसे साची को झेलना पड़ा, जिसका बदला वो लेना चाहती थी।

वहीं साची जब से पहुंची तब से बस घड़ी ही देख रही थी कि कब आधे घंटे बीते और वो अपस्यु से मिलने चली जाए। खैर उसकी मुराद भी पूरी हुई और अनुपमा खुद सामने से उसे टिफिन देती हुई अपस्यु के पास भेज दी। बड़ी ही उत्सुकता के साथ वो अपस्यु से मिलने पहुंची। लेकिन जब वो पहुंची तब उसका उत्सुकता से खिला चेहरा अपस्यु के मुरझाए चेहरे को देख कर उतर गया।

साची उसके हाथों को अपने हाथ में लेकर उसे धीमे से सहलाती हुई पूछने लगी.. "क्या हुआ"

अपस्यु अपने चेहरे पर झूठी मुस्कान लाते हुए..… "कुछ भी तो नहीं हुआ। तुम सुनाओ कैसा रहा आज कॉलेज'।

साची:- कॉलेज में क्या होना था, वहीं बस पढ़ाई-लिखाई और क्या?

अपस्यु:- कोई नया दोस्त नहीं मिला..

साची:- नया दोस्त, पुराना दोस्त वो सब देख लेना जब तुम कॉलेज आओगे, अभी बस मुझे इतना जानना है कि तुम्हारा ये चेहरा, इत्तु सा क्यों हो गया है?

अपस्यु कुछ पल खामोश रहा फिर कहने लगा… "कुछ नहीं बस ऐसे ही कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा था"।

साची:- ऐसा ही होता है जब पास में कोई ना हो और पूरा दिन अकेले रहो। ऊपर से ये घर में सिनेमा हॉल जितना बड़ा स्क्रीन तो लगा रखा है लेकिन ये नहीं की कोई मूवी ही चला कर देख लो।

अपस्यु गहरी श्वास लेता थोड़ा सा टिक कर बैठा और अपने चिंता से भरे चेहरे के भावनाओ को बदलते हुए, थोड़ा जिंदादिली के साथ कहने लगा…. "माफ़ करना मैं जरा इधर-उधर के ख्यालों में डूबा हुआ था इसलिए थोड़ा चिंतित सा हो गया था लेकिन अब सब ठीक है"..

साची:- ये हुई ना बात.. चलो अब खाना खा लो…

अपस्यु:- ना मै खाना नहीं खाऊंगा। फ्रिज में जूस रखा है वो ही पी लूंगा।

साची:- काहे, इतना बुरा लगा मेरे घर का खाना?

अपस्यु इस बार साची के आखों में आखें डाल कर शरारत भाड़ी नजरों से देखते हुए…. तुम्हारे घर के खाने का टेस्ट, सुनिए मिस यदि आप ने कल खिलाया होता तो ना मैं वो आलू के पराठे टेस्ट करता… सब तो को लावणी बीन कर ले गई।

साची, अपस्यु की इस बात पर उसे धीरे में मारती हुई पूछने लगी…. झूठे, सच-सच बताओ की मेरे जाने के बाद तुमने खाना नहीं खाया था।

अपस्यु:- खाया था साची, मैंने झूठ कहा था और बहुत टेस्टी भी बना था ।

साची:- चलो मुंह खोलो..

एक बार फिर साची निवाला लेकर तैयार थी। साची के हाथ में निवाला देखकर पहले अपस्यु हंसा और फिर उसे देख कर साची भी हसने लगी। फिर साची ने एक-एक करके निवाला उसके मुंह में खिलाती रही। इसबार वो निवाला बड़े ध्यान से उसके मुंह में डाल रही थी और बीच-बीच में उसके चेहरे को भी निहार रही थी।

जब भी दोनों कि नजरें मिलती दोनों एक दूसरे को देखकर मुस्कुरा देते। किंतु अभी 8-10 निवाला ही मुंह में गया होगा की अपस्यु की भावनाएं उसके आखों से बाहर आने लगीं। उसकी मां की यादें हर निवाले के साथ इतनी तेज हो रही थी कि भावनाएं बाहर अा ही गई।

साची, अपने हाथों से उसके आंसू पोछती कहने लगी….. खाते वक़्त रोते नहीं। वरना खाना शरीर में नहीं लगेगा। साची का ये अपनापन देखकर, अपस्यु खुद को रोक नहीं पाया और साची को गले लगाकर वो खुल कर रोया। कुछ देर तक रोने के बाद जब मन का विकार कुछ निकला तो उसे एहसास हुआ कि वो साची के गले लगे है। वो सॉरी कहते हुए उससे अलग हुआ। दोनों के बीच कुछ गुमसुम सी बातें होती रहीं, कुछ दबे से एहसास और खामोशी ही खामोशी चारों ओर। बस हृदय से हृदय के बीच भावनाओ का साझा हो रहा था।

इधर आरव

शाम के 4 बज चुके थे। आरव अपने बैग की सभी डिवाइस अपस्यु के मार्क लोकेशन पर लगा चुका था। काम समाप्त होने के बाद वीरभद्र ने पूछा.. "अब क्या करना है आरव"। इसपर आरव कुटिल मुस्कान देते हुए कहने लगा… "अब चलकर जरा शिकार करते हैं और तेरे लिए कुछ मज़े का प्रबंध भी करते हैं"। वीरभद्र शर्माते हुए उसे कहने लगा… "लगता है आज मेरा जीवन सफल हो जाएगा। वरना जब से उमंगे जगी है अपने हाथ से ही खुद को संतुष्ट करता हूं"… आरव उसकी बात सुन कर हंसने लगा और दोनों चल दिए रिजॉर्ट के पब में।

पब में पहुंचते ही वहां के माहौल को देख वीरभद्र की आखें खुली की खुली रह गई। "आरव ये क्या बवाल है भाई"।

आरव:- इसे ज़िन्दगी जीना कहते हैं मेरे दोस्त। गम भुलाओ, पियो-पिलाओ और टल्ली होकर झुमो नाचो मौज मनाओ।

वीरभद्र:- भाई लेकिन वो मेरे पास पैसे नहीं है।

आरव:- पागल है क्या, उस जमील के शूटर मुन्ना को जब मैं 10 करोड़ दे सकता हूं तो अब तो तू मेरा वफादार है.. पैसे की कोई चिंता नहीं करने का। तू यहां आराम से मौज कर और अपने मस्ती के लिए कोई पार्टनर ढूंढ़ ले।

वीरभद्र:- आरव सारी बातें तो सही है पर किसी लड़की को उस बात के लिए कैसे कहूं.. शुरवात कहां से करूंगा और क्या डायरेक्ट बोल दु।

आरव एक सिगरेट जलते हुए….. ना मुन्ना ना, तुझे कुछ करना नहीं है बस यहां टल्ली हो कर पी, डांस फ्लोर पर जा और अपनी मस्ती में बस पैसे लुटा.. आगे तुझे कुछ करना नहीं है।

आरव अपनी बात ख़त्म कर एक कॉकटेल बनवाया और उसे बड़े इत्मीनान से सिप-सिप में एन्जॉय करते हुए पीने लगा। इधर वीरभद्र विशकी के चार बड़े पेग लगा कर डांस फ्लोर पर चढ़ गया। जैसा आरव ने बताया था, वीरभद्र ठीक वैसे ही पैसे लुटाते हुए डांस करने लगा।

एक सोची समझी रणनीति जिसमें वीरभद्र के हाथों पैसे लूटवाकर, रिजॉर्ट के उन लोगों को यकीन दिला देना जों जमील के लिए काम करता था…., यही वो लड़का है जो पैसों की डील करने आया है और पहले जिसने कमरा बुक किया वो कोई और था जिसे मुआयने के लिए पहले भेजा गया था।

आरव का काम हो चुका था। एक कॉकटेल वो वहीं पी चुका था और 2 पेग अपने कमरे में मंगवा लिया और वहीं बैठकर सिप-सिप में पीते हुए बस कल के बारे में सब प्लान करने लगा। सभी मोहरों की चाल चली जा चुकी थी। इस खेल के सारे प्यादों की मात हो चुकी थी, बचे थे तो सिर्फ महारथी.. जमील और भूषण।

ऐसा नहीं था कि वो लोग केवल इस बात को लेकर चल रहे थे कि उन्हें इंदौर पहुंचना है और बस आरव को मार कर पैसे ले आने है। उनके जहन में 2 बातें थी पहली यह की लड़का सेंट्रल होम मिनिस्टर के संपर्क में है मतलब कोई बड़ा खिलाड़ी है। साथ ही साथ त्रिवेणी शंकर को जो झांसा दे सकता है मतलब चालाकी में लोमड़ी का भी बाप होगा। बस इन्हीं सब बातों पर आकलन करते हुए जमील और भूषण ने यही फैसला लिया की "जो भी हो वो उनके बताए ठिकाने से तो, कभी पैसे लेने नहीं जाने वाला"
Awesome update
लावणी साची से कल के बारे में पूछना चाहती है लेकिन साची ने उसे ही उसकी बातो में उलझा दिया साची और अपश्यु के बीच रोमांचकारी दृश्य बहुत अच्छा था वही दोनो अपने खेल में कामयाब हो रहे हैं खेल में वही जीतता हैं जो खिलाड़ी होता है देखते है आगे जमील क्या करता है
 

Sanju@

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Update:-18(A)


ऐसा नहीं था कि वो लोग केवल इस बात को लेकर चल रहे थे कि उन्हें इंदौर पहुंचना है और बस आरव को मार कर पैसे ले आने है। उनके जहन में 2 बातें थी पहली यह की लड़का सेंट्रल होम मिनिस्टर के संपर्क में है मतलब कोई बड़ा खिलाड़ी है। साथ ही साथ त्रिवेणी शंकर को जो झांसा दे सकता है मतलब चालाकी में लोमड़ी का भी बाप होगा। बस इन्हीं सब बातों पर आकलन करते हुए जमील और भूषण ने यही फैसला लिया की "जो भी हो वो उनके बताए ठिकाने से तो, कभी पैसे लेने नहीं जाने वाला"

रात का वक़्त था और माहौल बड़ा रंगीन। वीरभद्र को रास्ता क्या बताया आरव ने, वो तो पूरा जंग जीत आया। लौटते वक़्त वो किसी विदेशी लड़की के साथ कमरे में लौटा। आरव एक नजर उस विदेशी लड़की को देखा, और दूसरी नजर वीरभद्र को। हैरानी के कारण उसने अपना आंख मिजा और पुनः देखा….

आरव:- अबे वीरे ये क्या बवाल उठा लाया है तू?

इस से पहले की वीरभद्र कुछ बोलता वही लड़की बोलने लगी:- hello I am Lita Smirnov. M not "bhawal".. I am hot patakha.

आरव:- russian mal… wowww.. Do you know Hindi?

लिटा:- हां थोडा थोडा…

आरव:- तेरी तो निकाल पड़ी वीरे, वैसे कितने में सेट किया।

वीरभद्र, अपनी जगह पर थोड़ा हिलते-डुलते :- मुझे कुछ भी पता ना गुरुदेव, ये तो बस आप की ही माय थी। आप ने जैसा बताया वैसा मैं करता गया और ये मेरे साथ चली अाई।

लिटा:- hi hi hi, u guys are very funny and I drspirate for threesome.

आरव:- Nope, you guys carryon.

विदेशी बाला वो भी रशियन। जब वो वीरभद्र के शर्ट खींच कर बिस्तर तक लेे जा रही थी, वो तो पूरी तरह अंदर से हिल गया। वीरभद्र अभी संभला भी ना था कि तब तक लिटा ने….. मुंह बंद, अति उन्नोमदन वाला एक जोरदार चुम्मा वीरभद्र के होटों पर चिपकाती हुई होंठ से लेकर जीभ तक चूस कर रसोभोर कर दी।

आरव उसकी हालत देखकर हंस रहा था और साथ में अपने कानो में हेडसेट लगा कर मुन्ना को सुन भी रहा था। वीरभद्र की हालत इस वक़्त किसी शर्माए लड़की जैसी थी और लिटा एक उतावला लड़का।

लिटा जब उसके होंठ को काटती हुई, अपने हाथ नीचे ले जाकर उसके लिंग को अपने मुट्ठी ने भरकर भिंची, तब तो वो चिहुंक सा गया और अपनी आखें बंद कर, बस तेज-तेज सासें निकालने लगा। लिटा उसे धक्के देकर बिस्तर पर पटक दी और बड़ी ही तेजी में उसके बेल्ट खोलती पैंट का बटन खोल दी। और एक बार ने ही चड्डी सहित उसके पैंट को नीचे खींच कर निकाल दी।

दोनों अपने ही रासलीला में लीन हो गए। आरव वहीं उनके बिस्तर के कुछ दूरी से, सोफे पर बैठा बस हर हरकत पर नजर बनाए हुए था। इसी क्रम में लावणी का फोन आरव के पास आया।

लावणी:- तुम दूर होकर भी मुझे इतना परेशान क्यों कर रहे हो?

आरव:- मैंने परेशान किया तुम्हे। उल्टा तुम मेरे ख्वाबों के अाकर…

इतना ही उसने बोला कि बीच में ही लावणी टपक पड़ी:- तुम घटिया इंसान, तुम्हारी सोच ही गंदी है। वैसे मैंने फैसला कर लिया…

आरव:- सच… तो बोल दो जल्दी से… आई लाबू..

लावणी:- हुंह !! जाओ मुंह धोकर आओ अपना.. मैं और तुम्हे लव यू कहूं, पॉसिबल ही नहीं। मैंने बस तुम्हे वो देने का फैसला कर लिया है…

आरव:- वो मतलब क्या? अपना दिल देने का फैसला..

लावणी:- नहीं, गालों पर…

लावणी जैसे ही "गालों पर" बोल रही थी तभी रासलीला के कार्यकर्म में लिटा, वीरभद्र को लिटाकर, उसके लिंग को ऐसे चूसी कि उससे बर्दास्त ना हुआ और अपने चरोत्कर्ष पर पहुंच कर उसने सब गीला-गीला कर दिया। ज्यादा जोश में था शायद इसलिए 2 मिनट में ही ढेर हो गया। और इसी बीच जब वो चरमोत्कर्ष पर था तब उसने जोर से आवाज़ निकाला, जिसे लावणी ने भी सुना…

लावणी बोलते बोलते चुप हो गई और इधर से आरव हंसते हुए… "क्या हुआ लावणी आगे भी तो बोलो"।

लावणी:- ना, वो बैकग्राउंड साउंड क्या था पहले वो बताओ?

आरव:- वो तो मैं तुम्हारी याद में, एक अबला पुरुष की कहानी देख रहा था जो एक सुंदर और हॉट माल के साथ सेक्स करने गया लेकिन 2 मिनट में ही खाली हो गया।

लावणी:- छी !! .. और इतना कह कर फोन काट दी। इधर आरव हंसते-हंसते वीरभद्र की ओर देखने लगा। बेचारा शर्माकर तकिए से अपना मुंह ढक लिया। लेकिन लिटा कहां रुकने वाली थी। वो तो पूरे जोश में थी। उसने पुनः उसके लिंग के साथ खेलना शुरू की और उसे उत्साहित करने में लग गई।

तकरीबन रात के 10.30 बजे होंगे जब पहले वीरभद्र के मोबाइल पर कॉल आया। लेकिन वीरभद्र इस वक़्त मिशनरी पोजीशन में लीन, इतना जोरदार आंनद उठा रहा था कि वो कॉल क्या उठाएगा। आरव तुरंत चौकन्ना हुआ और हेडसेट पर पूरा ध्यान लगाया। दूसरी ओर से कुछ भी सुनाई नहीं दे रहा था।

आरव को पक्का यकीन था कि मुन्ना और उनके बीच कुछ तो बात चल रही होगी। फिर धीमा आवाज़ सुनाई दिया ऐसा की मानो कहीं दूर से अा रहा हो.. फिर पास आते गया… और आवाज़ साफ होती गई।

…… ठीक है भाई…… लेकिन करना क्या होगा….… ओह .... हां .. हां.. हां…..ठीक है भाई लेकिन मैं क्या कह रहा था कि आप किसी को नहीं भेजिए। यहां मैं और वो लड़का है ना दोनों मिलकर आसानी से संभाल लेंगे… हां .. हां.. नहीं वो छोटा सा तो लड़का है और साला सौकीन भी, अभी लगा है किसी विदेशी लड़की के साथ…. ठीक है भाई…. ठीक…

आरव के लिए कुछ भी समझ पाना मुश्किल था क्योंकि वो एक तरफ की आवाज़ ही सुन रहा था। लेकिन जिस तरह से वो मुन्ना उससे बात कर रहा था, आरव को शक हो गया कि कुछ तो गड़बड़ हैं।

आरव सीधा पहुंचा वीरभद्र के पास और उसके पीछे एक लात मारी .. वो पीछे मुड़ कर देखा और लिटा के ऊपर से हट गया। आरव लिटा को कुछ पैसे देते हुए वहां से जाने के लिए बोल दिया और वीरभद्र को मुंह धोकर आने के लिए बोला।

वीरभद्र छोटा सा मुंह बनाए अपना मुंह धोकर वापस आया… "क्या है यार, इससे अच्छा तो गोली मार देते, ऐसे वक़्त में कोई दुश्मन भी परेशान नहीं करता"..

आरव:- तू बकवास बंद कर और भूषण को फोन लगा जल्दी।

आरव के कहने पर वीरभद्र ने भूषण से संपर्क किया। कुछ देर इंतजार के बाद भूषण लाइन पर आया और वीरभद्र से केवल इतना कहा कि "मुन्ना जैसे बोले वैसा करना है".. और इतना कह कर फोन डिस्कनेक्ट कर दिया। वीरभद्र के कॉल से तो कुछ भी पता नहीं चला और आरव को मुन्ना कि एकतरफा बात खाए जा रही थी। रह-रह कर उसके कानों में मुन्ना कि वही बात गूंज रही थी… "आप किसी को नहीं भेजिए"..

वो बस इस "किसी को नहीं भेजिए" को ही आकलन कर रहा था। कहीं ना कहीं उसे लग रहा था कि ये लोग यहां अपनी तादात तो बढ़ाने कि बात कर रहे थे लेकिन भूषण नहीं अा रहा। आरव इस वक़्त मुन्ना से केवल इसलिए नहीं बात करना चाहता था क्योंकि की वो उसे परख रहा था कि 'वो खुद आता है सबकुछ बताने या हार कर उसे है जाना होगा'।

शायद आरव का समय देना सही था। तकरीबन 10.45 पर मुन्ना का ही कॉल अा जाता है और वो मिलना चाह रहा था। आरव के चेहरे पर एक छोटी सी मुस्कान अा जाती है और जुबान से यही निकलता है… "वाह रे पैसा"

आरव, वीरभद्र को साथ नहीं लेता ताकि रिजॉर्ट में छुपे खबरी को लगना चाहिए कि डील करने वाला लड़का अपने कमरे में ही है और वो मुन्ना से मिलने पहुंच जाता है। मुन्ना उससे मिलकर बताता है….. "रिजॉर्ट के कुछ खबरियों ने जमील को सूचना दी थी कि "वो लड़का पक्का अय्याश है और यहां पार्टी कर रहा है"। इसी बात को ध्यान में सोचकर जमील ने तुम्हे मारकर सारे पैसे वहां लेे आने के लिए बोल रहा था"।

आरव:- सिर्फ इतनी सी बात तो नहीं हो सकती।

मुन्ना:- हर खबर की एक कीमत होती है.. और ये खबर तो शायद तुम्हारे लिए बहुत बड़ी होगी।
Wonderful update
वीरभद्र एंजॉय करना चाहता है लेकिन मुन्ना की आवाज की वजह से उसका सपना अधूरा रह जाता है लगता है जमील भी कोई खेल खेल रहा है मंत्री वीरभद्र को केवल इतना कहता है कि मुन्ना जैसा कहे वैसा करना है लावणी को क्या हो जाता है की वह किस देने के लिए तैयार हो जाती हैं लगता है प्यार हो गाया है आरव से अब देखते हैं मुन्ना आरव को क्या बताता है
 

Zoro x

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अपस्यु:- अरे मैंने तो कुछ शॉपिंग भी प्लान किया था.. सोचा जब पहली बार मिला हूं तो एक गिफ्ट तो बनता है। लेकिन जब मै स्वास्तिका के लिए कार ले रहा था, तब दोनो गलतफहमी की दुकान, उन्हें लगा मै उनके लिए कार खरीद रहा हूं.. मेहनत की कमाई पर अच्छा खासा लेक्चर मुझे सुना गया। मैंने भी कहा ठीक है भाई बचा ले अपना आत्मसम्मान।


कुंजल:- हीहीहीही… कुछ भी हो, बहुत गलत किया भैय्या… देखना दीदी आपको छोड़ेगी नहीं। वैसे.. वैसे.. वैसे....


अपस्यु:- अब किस खतरे से आगाह किया जा रहा है..


कुंजल:- माय डियर ब्रो.. तुम्हे तो आरव भईया भी नहीं छोड़ने वाले..


अपस्यु:- नाह वो सबसे ज्यादा खुश होगा और वो कुछ नहीं कहेगा… क्योंकि ऐमी और आरव कट्टर दोस्त है, जो हमेशा झगड़ते पाए जाएंगे, लेकिन एक दूसरे से बहुत प्यार करते है। हां ऐमी की जगह कोई और होती तो वो मेरी खूब छिलाई करता, लेकिन ऐमी है तो वो कुछ नहीं कहेगा..


कुंजल:- वूहू… भाई.. बधाई हो अभी-अभी आपने ने पूरे दिल से कबूल कर लिया की आप दोनो के बीच क्या चल रहा है…


अपस्यु आश्चर्य से कुंजल की ओर देखते हुए कहने लगा… "कंप्लीट शातिर हां.. उगलवा ली मुझसे… तुम तो बहुत शातिर निकली"..


कुंजल:- तारीफ का शुक्रिया भाई, लेकिन मै भी आपकी बहन हूं और मै अपने दोनो भाई के बारे में एक चीज अच्छे से जानती हूं, जबतक दोनो कुछ बताना ना चाहे कोई कुछ उगलवा नहीं सकता… चलो स्पीच तैयार कर लो, अभी के हॉट टॉपिक तो आप और भाभी ही हो और मै आप दोनो के मुंह से आप दोनो की कहानी सुनने के लिए काफी एक्साइटेड हूं।


लगभग 1 घंटे बाद.. हॉल में एक छोटा सा अरेंजमेंट किया गया, जहां अपस्यु और ऐमी चेयर पर ठीक सबके सामने बैठे हुए थे। वहीं दोनो दरवाजे पर "डू नाट दिस्ट्रब" का बैनर लटक रहा था और सभी लोग… नंदनी, आरव, स्वास्तिका, कुंजल, और सिन्हा जी सब बड़े खुशी से अपस्यु और ऐमी के ओर देख रहे थे।


ऐमी को छोड़कर बाकी सभी लोगों को पता था कि किसलिए दोनो सामने बैठे है। हां लेकिन जब एमी, अपस्यु को देखी और बाकी सभी घरवालों को तो उसे अंदाज़ लगाते देर नहीं लगी कि मैटर क्या है?


ऐमी गहरी श्वांस लेती अपस्यु का हाथ थाम ली। उसके हाथ और पाऊं दोनो थोड़े कांप रहे थे। दिल जोरों से धड़क रहा था और नजरें बिल्कुल नीचे जमीन को ताक रही थी, जिनसे टप, टप, टप करती आशु की बूंदे जमीन पर गिर रही थी। अपस्यु ऐमी के हाथ पर अपने हाथ रखते उसे प्यार से सहलाते हुए….


"वो छोटी सी, बिल्कुल नन्ही बुलबुल जो उड़ती, फुदकती चहचहती थी। एक दिन वो नन्ही बुलबुल हमारे आश्रम आयी थी। बिल्कुल मासूम और निर्मल जल की तरह जो झरने से नीचे बहता है और मन मोह लेते है। मै भी उसकी पहली झलक पर मोहित हो गया। हां यह बात उसे भी अभी पता चली होगी। कई बार सोचा दिल के अरमान कह दूं, लेकिन शायद बाद, बाद और बाद में कह दूंगा, सोचते-सोचते हमारे रिश्ते गहरे हो गए पर जो कहना था, शायद वो सीने में कहीं दफन रह गए।"…


ऐमी अपना हाथ छुड़ाकर ऊपर देखी, अपस्यु के चेहरे को दोनो हाथ से थामकर उसके आशु पोछती "ना" में सर हिलाते आगे और कुछ कहने से मना करने लगी… अपस्यु ऐमी के आशु साफ करते "हां" में सर हिलाकर उसके बातों पर जैसे सहमति दे रहा हो, अपने चेहरे को उसके चेहरे के करीब ले गया और सर से सर को लगाकर दोनो एक दूसरे को देखते रहे।


बातें अभी ठीक से शुरू नहीं हुई थी, लेकिन वहां मौजूद हर कोई जो महसूस कर रहा था, वो उनका दिल ही जानता था। दबी सी अरमान आशुओं में बिखरी जा रही थी, लेकिन जुबान से कह पाने की हिम्मत ना तो अपस्यु जुटा पा रहा था और ना ही ऐमी।


आरव दोनो के पास नीचे बैठकर उनके हाथों को थामकर… "जो शुरू किया है उसे पुरा करो… ना तो अपस्यु और ना ही ऐमी, किसी काम को अधूरा छोड़ते है.. सो लेडीज एंड जेंटलमैन बस एक छोटे से पॉज के बाद स्टोरी फिर शुरू होगी..


"ये ऐसे नहीं सुनेग"… स्वास्तिका अपनी बात कहती दोनो के ऊपर पानी डाल दी। लेकिन दोनो फिर भी सर से सर को लगाए, एक दूसरे को देखकर आशु बजाए जा रहे थे। कुंजल और स्वास्तिका ऐमी को उठाकर ले गए और आरव अपने भाई को संभालते उसे कमरे तक लेकर गया… "मै शुरू से जनता था दोनो एक दूसरे के लिए पागल है, लेकिन इतना पागल होंगे आज महसूस हो रहा है।".. सिन्हा जी अपने आशु साफ करते हुए कहने लगे…


नंदनी भी अपनी आशु साफ करती हुई कहने लगी… "यहां पर हर कोई अपने किसी को खो चुका है, लेकिन ये दोनो एक दूसरे के सामने रहकर, एक दूसरे को खोते आ रहे थे। लेकिन ऐसा क्यों? दोनो ही समझदार है फिर भी इतना घुटन क्यों। फिर ये दबे से अरमान क्यों जो सामने से एक दूसरे को दिखा भी नहीं रहे थे?"


सिन्हा जी:- हमें ये बात उनसे ना ही पूछे तो बेहतर होगा। बड़े लक्ष्य को भेदने के लिए शायद इन दोनो ने कुछ सोच रखा होगा।


नंदनी:- हम्मम ! मै ना तो खुद भी रो सकती हूं और ना ही इन दोनों को रोते देख सकती हूं। अनिरुद्ध जी मै अपने बेटे के लिए अपनी बहू का हाथ आपसे मांगती हूं। क्या आपको यह रिश्ता मंजूर है।


सिन्हा जी:- हां लेकिन मै कोई दहेज नहीं दूंगा।


नंदनी, कुछ पल तो समझ नहीं पाई कि सिन्हा जी कहना क्या चाह रहे लेकिन कुछ पल बाद ही…… "ऐसे कैसे दहेज नहीं देंगे.. लाखों में एक है मेरा बेटा.. ऊपर से अच्छा खासा कमाता है। देखिए दहेज तो मै लेकर रहूंगी.. वो भी सवा दो सौ करोड़ (225 करोड़).."


सिन्हा जी थोड़ी ऊंची आवाज़ में बात करते हुए… "मुझे आप जैसे लालची के घर में नहीं रिश्ता करना। चलो ऐमी…"


सिन्हा जी और नंदनी की आवाज़ पर सभी अपने अपने कमरे से बाहर निकलकर आ चुके थे और इधर ये दोनो बिना किसी की बात पर ध्यान दिए, बस दहेज़ फाइनल करने में लगे हुए थे… इसी क्रम में नंदनी अपनी बात रखती हुई..

"एक ही तो बेटी है। एक-एक केस के कई करोड़ रुपया वसूल करते हो। मारोगे तो क्या लाद कर पैसे ले जाओगे।".. नंदनी भी पूरे मूड में आती हुई कहने लगी…


सिन्हा जी:- अजी छोड़िए मेरी कमाई, आपका बेटा तो करोड़ों में कमाता है फिर क्यों दहेज की लालच आ गई।


नंदनी:- इसे लालच नहीं अधिकार कहते है अनिरुद्ध जी।


सिन्हा जी:- कोर्ट में घसीट लूंगा फिर अधिकार समझते रहना आप.. चल ऐमी यहां नहीं रुकना एक भी मिनट..


"कितनी ओवर एक्टिंग करते हो दोनो, किसी मंच कर होते तो अबतक साल भर का टमाटर और अंडे बटोर रहे होते। और कहीं हमारी वो इवेंट ऑर्गनाइजर हटेली नैना आंटी होती, तो अबतक ₹50 ओवरेक्टिंग के काट लेती।".. ऐमी बाहर आती हुई कहने लगी। इधर अपस्यु भी अपने कमरे से निकाल और दोनो एक दूसरे को देखकर खुशी से आ रहे थे।


दोनो हॉल में वापस आकर अपनी जगह बैठ गए और एक दूसरे को देखकर मंद मंद मुस्कुराने लगे.. उन्हें देखकर बाकी के लोग भी मुस्कुरा रहे थे।… इस बार ऐमी अपस्यु का हाथ थामकर बोलना शुरू की…


"मेरे छोटे छोटे नखरे हुआ करते थे और दिन भर की बक-बक.. अपस्यु और मै बेफिक्र होकर हाथों में हाथ डाले दिन भर घुमा करते थे। मै पूरे साल जून आने का इंतजार करती थी। मेरे डैड, आप सब के चहेते सिन्हा जी, उस वक़्त अपस्यु से बहुत ही बैर रखा करते थे। वो अक्सर मेरी मां से यही सिकायत करते की मेरी बच्ची पर उस लड़के ने कुछ जादू टोना कर दिया है। मै केस करके उसे जेल भेज दूंगा।..

हाहाहा.... मेरे डैड .. जिन्हें कभी फुरसत ही नहीं मिल पाया अपने काम से, कि वो आराम से 10 मिनट मुझसे बात कर सके। सॉरी डैड ये मै शिकायत नहीं कर रही, बस सीने के अंदर उस वक़्त की कुछ दबी सी याद है। मेरी मां, वो दिन भर मेरे पास बैठी रहती थी और मै जुलाई से लेकर आने वाले मय महीने तक रोज उन्हें पकाती थी.. "मुझे अपस्यु के साथ ही रहना है".. "मुझे अपस्यु के साथ ही रहना है।" वो कभी-कभी हंसती हुई मुझे चिढ़ाने के लिए देती.. "लेकिन तुम उसके साथ कैसे रह सकती हो। तुम तो अपनी मम्मी की बेटी हो ना … तो अपनी मम्मा के पास ही रहोगी ना।" और जवाब में मै सिर्फ इतना ही कहती… "जैसे आप अपनी मम्मा को छोड़कर मेरे डैड के साथ रहते हो, ठीक वैसे ही।" बड़े हक से और सीधे शब्दों में।"..


अपस्यु….

मुझे कुछ भी होता उस वक़्त तो ऐमी सीधा हॉस्पिटल में होती थी। मेरी उंगली कट गई तो बेहोश। मुझे बुखार लगा तब बेहोश। आलम कुछ ऐसा था कि मै दर्द पर ज्यादा ध्यान नहीं देता था, लेकिन शायद मेरे सारे दर्द शुरू से ऐमी को महसूस होते थे, इसलिए मुझे कभी दर्द का एहसास ही नहीं हुआ।"

"बस मै ऐमी से बहुत सारी बातें करना चाहता था, लेकिन वो आती ही थी केवल 1 महीने के लिए, इसलिए सोचता अभी इसे ही सुन लेता हूं, बाद में तो बहुत सारा वक़्त ही वक़्त होगा, जब हम दोनों एक साथ होंगे एक परिणय सूत्र में।"


ऐमी:- ओय ये कब की बात है.. कबसे थे ये खयालात मुझे अभी बताओ....


अपस्यु:- 2004 की बात है शायद, जब वो मूवी वाला किस्सा हुआ था, ठीक उसके बाद..


ऐमी:- बेईमान मुझेसे कितनी बातें तुमने छिपाई, हां…


सभी घरवाले एक साथ और एक सुर में… "हमे भी सुनाओ वो मूवी वाला किस्सा।"…


अपस्यु और ऐमी दोनो को वास्तविकता का ज्ञान हुए और सबको देखकर दोनो हसने लगे…. "यह हमारे आपस की बात है और गलती से निकल गई। अब इसपर कोई सवाल नही।"… ऐमी सबको आखें दिखती कहने लगी..


"क्या वर्जिनिटी लूज हुई थी".. स्वास्तिका सवालिया नज़रों से देखते धीमे से पूछ दी।


उसके सवाल सुनकर हर कोई एक दूसरे को सवालिया नज़रों से देखने लगे और फिर सारी सवालिया नजर घूमकर दोनो पर ठहर गए… "अरे जाहिलो, वो 2004 था, कुछ तो शर्म करो, कुछ भी सोचने से पहले।".. अपस्यु ने सबके सवालों पर विराम लगाते हुए कहा…


"बस इतनी सी थी हमारी कहानी.. 2009 में हम दोनों मियामी में थे और तब वहां हमने अपने रिश्ते को नया आयाम दिया। कुछ कारन थे जिस वजह से शायद कुछ वक़्त और लगता सबको हमारे बाते में पता चलने में। कोई बात नहीं अब हर बात योजनाबद्ध हो, ऐसा संभव तो नहीं। अब हमारा हो गया.. सभा समाप्त, कहानी खत्म।"…. ऐमी खड़ी होती हुई कहने लगी..


कुंजल:- ऐसे कैसे इतनी जल्दी खत्म। अब दोनो किसी बात को लेकर इतना पर्सनल-पर्सनल करोगे, तो लोगों का क्या है दिमाग वहीं ठहर जाता है।


नंदनी:- सब बैठो चुपचाप.. और तुम दोनो भी बैठ जाओ.. अब से यदि किसी ने कुछ कहा ना तो देख लेना.. सिर्फ ये दोनो बोलेंगे और कोई भी सवाल नहीं करेगा.. चलो कंटिन्यू बेटा..

आरव:- अब तो दोनो समापन भी कर दिए मां जाने दो… हां लेकिन मैं सबके साथ कुछ साझा करना चाहता हूं।..

"हम सबको इन दोनों को देखकर अक्सर ये अफ़सोस होता था, कि ये दोनों एक दूसरे के लिए क्यों नहीं… शुरू-शुरू मे सबसे इमोशनल ऐमी हुआ करती थी। एक बार अपस्यु को गोली लगी थी, ट्रेनिंग पीरियड की घटना है।"

"अपस्यु को जैसे ही गोली लगी.. उसका पूरा चेहरा पसीने से भिंगा हुआ था.. खून ना दिखे, इसलिए अपने ऊपर कई सारे कपड़े डाले रखे थे इसने.. एक कतरा खून का इसका नहीं दिखा था। पाता नहीं अपस्यु कैसे कर रहा था ये सब, लेकिन चेहरे पर वहीं स्माइल थी और बड़ी तेजी में वो मेरे पास आकर धीमे से कहा कि.. "मुझे गोली लगी है, बिना किसी के जानकारी के ये बुलेट निकलवाओ।"..

"पता नहीं कैसे पर उस वक़्त ऐमी भी चली आयी और वो अपस्यु को देखकर थोड़ी परेशान हुई। उसने उसके ऊपर के कपड़े देखे फिर पूरी व्याकुलता से उसने ऊपर का कपड़ा हटाया और अंदर का नजारा देखकर ये बेहोश हो गई। अपस्यु एक हफ्ते में घर वापस आ गया था और ऐमी 12 दिन तक आईसीयू में रही थी।"

"अपस्यु को कुछ भी हो ना, तो हमे ऐमी को पहले देखने पड़ता था। मुझे और स्वास्तिका को हैरानी तब हो गई जब अपस्यु को 3 बुलेट लगी थी और हमारी ऐमी ने अकेले बिना मदद के, उसने अपस्यु के लिए वो सब कर दिया, जिसे हम लोग शायद बहुत सोचने के बाद भी नहीं कर पाते। इसने अपस्यु को सामने से हॉस्पिटल में एडमिट करवाया वो भी हॉस्पिटल प्रशासन के बिना नजर में आए की अपस्यु को बुलेट लगी है… क्यों नॉटी.. सही कहा ना मैंने"…


स्वास्तिका:- सही कहा आरव.. कुछ भी कर सकते है ये एक दूसरे के लिए।इन्हे इस रिश्ते में देखकर, शायद हम दोनों भी अपनी खुशी बयान नहीं कर सकते। छोटी ये तेरा एहसान रहा हम सब पर। ना जाने कब ये दोनो को ख्याल आता और ना जाने कब ये हम सबको बताता। लेकिन जब भी बताते इतना तो नहीं ही बताते। अब इनकी सजा का टाइम हो गया…


नंदनी:- कैसी सजा..


"मां आपको पता नहीं, केवल इस अपस्यु ने ही नहीं, बल्कि इस ऐमी की बच्ची ने भी हमे बहुत दर्द दिए है। एक किस्से हो इनके परेशान करने के तो मै बताऊं ना। जब भी मौका मिला है हमे ऐसे उलझकर बेबस कर देते जिसकी कोई सीमा नहीं। और हमे फसाकर दोनो बाहर बैठकर मज़े लेते रहते थे… आज मौका मिला है.. मै तो सोच रही हूं दोनो ने जब अपनी फीलिंग जाहिर कर दी है, उसके बाद तो हमेशा साथ ही दिखने वाले है… अब तो किसी के कहने से भी रुकने कहा वाले। मै तो कहती हूं 1 महीना दोनो को रूम म पैक कर दो और वो भी मोबाइल के बिना"..
बहुत ही शानदार लाजवाब अपडेट भाई
 

Sanju@

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आरव:- सिर्फ इतनी सी बात तो नहीं हो सकती।

मुन्ना:- हर खबर की एक कीमत होती है.. और ये खबर तो शायद तुम्हारे लिए बहुत बड़ी होगी।

आरव:- मुंह खोलो..

मुन्ना:- मुझे ऐसा क्यों लगता है कि मैं एक पिंजरे में फंसे तोते से बात कर रहा हूं जिसकी गर्दन किसी भी वक़्त मरोड़ी जा सकती है।

आरव:- अपना मुंह खोलो मुन्ना..

मुन्ना:- तुम हारे हुए खिलाड़ी हो और यदि मैंने तुम्हारा साथ दिया तो फिर ये पैसा किस काम का, जिससे मेरी जान ही चली जाए और घूम फिर कर वो पैसा उन्हीं के पास पहुंच जाए।

आरव:- तो तुम क्या चाहते हो।

मुन्ना:- अब आए हो सही मुद्दे पर। मैं चाहता हूं कि तुम मुझ से सौदा कर लो।

आरव:- बोलो, मैं सुन रहा हूं।

मुन्ना:- तुम मुझे 150 करोड़ देदो और अपनी जान बचा लो।

आरव:- 200 करोड़ दिए.. अब उनकी बात बताओ और अपनी योजना।

मुन्ना:- जमील बहुत खुश था क्योंकि कल जमील और भूषण की बैठक सेंट्रल होम मिनिस्टर के साथ होनी है। वो लोग कुछ उनके फायदे की बात करेंगे और बदले में दिल्ली के अंदर एक टारगेट को उड़ाने वाले है जिसके लिए उन्हें होम मिनिस्टर का साथ चाहिए।

आरव:- ये सारी बातें जमील ने तुम्हे बताई।

मुन्ना:- तुम्हे क्या लगा तुम कोई झुनझुना मेरे रायफल में लगाकर चले जाओगे और मुझे पता ना चलेगा। मेरी जान (उसकी स्नाइपर रायफल) के ऊपर परा एक निशान जब मुझे खटकता है फिर तो तुमने उसपर ना जाने क्या-क्या चिपका कर गए थे। तुमने उतना ही सुना जितना मैंने तुम्हे सुनाया। फिर सोचा थोड़ा इंतजार कर लूं, देखूं तुम आगे क्या करते हो। हालांकि खिलाड़ी तो तुम सही हो पर खेल गलत आदमी के साथ रहे हो।

आरव:- तू काहे मेरा बाप बनने की कोशिश कर रहा है। भाई थोड़ा शॉर्ट में निपटा ना।

मुन्ना:- जानते हो एक शूटर की सबसे खास बात क्या होती हैं धैर्य… वो पूरे माहौल का मुआयना करता है, हवा का रुख परखता है उसकी गति को महसूस करता है। फिर किसी मेहबूबा कि तरह अपने रायफल को बड़े प्यार से हाथ लगता है और बहुत ही नाजो से वो ट्रिगर दबाता है। तब कहीं जाकर एक सही निशाना लगता है।

आरव:- हम्म्म…

मुन्ना:- देख भाई मुझे पता है कि तू उसका गेम बजाना चाहता है और वो तुम दोनों भाइयों का। हालांकि तुमने जमील को अच्छा ऑफर दिया था लेकिन मुझे पता था वो रहेगा भूषण के साथ ही.. क्योंकि जमील तो केवल मुखड़ा है और भूषण चाह लेे तो किसी को भी उसकी जगह लाकर बिठा दे। और तेरी परेशानी भी मैं जान रहा हूं कि क्या है….

आरव अपना खंजर निकाल कर उसके गले पर थोड़ा दवाब बना कर रखते हुए कहने लगा…

" साले तू कोई बाबा है क्या जो प्रवचन पर प्रवचन दिए जा रहा है। चुतिय एक बात कहने में 10 मिनट लगा रहा है। तू जानता भी है हमारा टारगेट कौन है।मदर** कब से देख रहा हूं बकवास पर बकवास किए जा रहा है। तुझे 150 करोड़ चाहिए थे 200 करोड़ दिए। अब जितना मैं पूछूं बस उतना ही जवाब दे। ये लवादा-लहसुन किया ना तो यहीं छिल दूंगा। चल अब बता कि तू क्या जानता है सेंट्रल मिनिस्टर के साथ के मीटिंग के बारे में"।

मुन्ना:- चाकू तो हटा साले.. खून तो निकाल दिया अब क्या गला कटेगा।

आरव:- चल बोल जल्दी।

मुन्ना:- मेरा एक खबरी है उसी ने बताया कि जमील और भूषण बात कर रहे थे कि "मिनिस्टर साहब फोन पर कोई वैसी बात नहीं कर सकते इसलिए उन्होंने बिना कुछ सुने सीधा कह दिया कि कल मेरे फार्म हाउस अाकर मिलो"..

आरव:- अब ये बता कि तू मेरी जान कैसे बचाएगा..

मुन्ना:- अपने पास एक पंटर की गैंग है जिसे बड़ा नाम करना है। इधर जमील को मैं जैसे ही बोलूंगा की मुझे पैसा मिल गया है तो जमील और भूषण एक ही जगह पर एक साथ मिल जाएंगे, वो भी बिना किसी सरकारी आदमी के। वहां उन्हें वो पंटर टपका देगा और पुलिस इन्वेस्टिगेशन में वो लोग फंस जाएंगे।

आरव:- चुत्तिए और वो पंटर पहले तेरा नाम बकेगा और फिर तू मेरा।

मुन्ना:- नहीं ऐसा नहीं होगा क्योंकि जो मेरा नाम जानता होगा उसे हम वहीं टपका देंगे। हम तक पहुंचने वाली सभी कड़ी ही खत्म।

आरव:- अबे लेकिन तू तो बता रहा था कि कल वो मीटिंग करेंगे दिल्ली में, फिर ये सब कैसे होगा। जब वो मिनिस्टर से मिल लेगा और उसे पूरा मामला पता चल गया तो बिना किसी बात के एक और राजदार बढ़ेगा और फिर उसे भी पैसे खिलाओ।

मुन्ना:- कमाल है .. तुझे तेरे भाई की चिंता नहीं की यदि वो होम मिनिस्टर से मिल लिया तो पहले तेरा भाई ही टपक जाएगा।

आरव:- तू पागल है क्या और फिर से बकवास शुरू कर दिया। वैसे तू इतना ही चिंता में है, तो मै तुझे बता दूं कि वो किस्मत के साथ पैदा हुआ है मरने वालों में से नहीं। अब तू बकवास ना कर और ये बता कि फायदा क्या होगा जब वो दोनो मिनिस्टर से मिल ही लेगा।

मुन्ना:- इसलिए तो उनको आज रात ही टपका देना है..

आरव:- कैसे.. 11.30 अभी हो रहे है। यहां से इंदौर पहुंचने में 1 घंटा.. वहां क्या एयरपोर्ट पर तेरा बाप बैठा है जो उदयपुर कि स्पेशल फ्लाइट चलाएगा।

मुन्ना:- मेरा बाप स्पेशल फ्लाइट तो नहीं पर हेलीकॉप्टर जरूर भेज देगा पर उसके लिए थोड़ा ड्रामा लगेगा।

आरव:- इंप्रेसिव .. चल जल्दी से काम पर लग जा…

पूरी योजना तय हो गई और मुन्ना लग काम पर। सबसे पहले वीरभद्र रिजॉर्ट के बाहर आया, वो भी आरव का सरा सामान लेकर। रिजॉर्ट वालों को लगा कि डील करने वाला लड़का रात को कहीं निकाल रहा है। और जैसा की उम्मीद थी इसकी खबर भूषण को लग गई। कुछ ही समय बाद मुन्ना और वीरभद्र को कॉल आए जिसमे आरव की जानकारी ली गई। दोनों ने एक ही बात बताया.. "अपना बैग लेकर निकला है".. इसके बाद तो भूषण ने दोनों को कहा कि "देखो क्या कर रहा है और बताते रहो"


सब प्लान के मुताबिक हो रहा था। लगभग 5 मिनट बाद दोनों ने खबर दी कि वो किसी से मिलकर एक बैग ले रहा है। भूषण ने सीधा गोली मारने का आदेश दिया और बैग को अपने कब्जे में करने के लिए कहा।

उधर भूषण का आदेश और इधर दो गोलियों की चलने कि आवाज़। लगभग 15 मिनट बाद वीरभद्र और मुन्ना दोनों एक ही जगह पर खड़े होकर भूषण को बताया कि उन्होंने बैग कब्जे में ले लिया है। इतना सुनने के बाद तो जैसे भूषण नाचने ही लगा हो। उसने तुरंत वीडियो कॉल लगाया और नीचे धूल में परे पहले आरव की लाश देखी, फिर बैग खोल कर दिखाने कहा। भूषण जब सब तरह से सुनिश्चित हो गया, तब उसने अपना पावर इस्तमाल कर एक हैलीकॉप्टर उस लोकेशन पर भिजवा दिया।

रात के लगभग 1 बजे उस लोकेशन पर हेलीकॉप्टर पहुंच चुकी थी। आरव की लाश को यहां छोड़ा नहीं जा सकता था, यह बोलकर उन लोगों ने आरव की लाश को अपने साथ लेते चले। लेकिन वीडियो कॉल के बाद और हेलीकॉप्टर आने से पहले मुन्ना ने अपने कहे अनुसार सरा मामला सेट कर लिया था। इस छोटी गैंग को 50 करोड़ पहले ही ऑफर कर दिए गए थे जिसकी पेशकी उन्हें मुन्ना के घर से 1 करोड़ के रूप में मिल चुकी थी।
Wonderful update
बहुत ही तगड़ा गेम खेला जा रहा है देखते हैं आगे क्या होता है मुन्ना आरव का साथ देता है या ये भी कोई गेम खेलता है
 

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Update:-101




"मां आपको पता नहीं, केवल इस अपस्यु ने ही नहीं, बल्कि इस ऐमी की बच्ची ने भी हमे बहुत दर्द दिए है। एक किस्से हो इनके परेशान करने के तो मै बताऊं ना। जब भी मौका मिला है हमे ऐसे उलझकर बेबस कर देते जिसकी कोई सीमा नहीं। और हमे फसाकर दोनो बाहर बैठकर मज़े लेते रहते थे… आज मौका मिला है.. मै तो सोच रही हूं दोनो ने जब अपनी फीलिंग जाहिर कर दी है, उसके बाद तो हमेशा साथ ही दिखने वाले है… अब तो किसी के कहने से भी रुकने कहा वाले। मै तो कहती हूं 1 महीना दोनो को रूम म पैक कर दो और वो भी मोबाइल के बिना"..


नंदनी:- जो पहले से सजा झेल रहे हो उन्हें और कितनी सजा दोगे। जहां ये इतने लंबे अरसे से पराए नजर आ रहे थे, वहां इनके लिए महीने तो क्या साल भर अलग रख दो घूट लेंगे, लेकिन कुछ कहेंगे नहीं। मेरे हिसाब से दोनो की शादी ही बेहतर सजा होगी। हमेशा दोनो साथ रहेंगे…


अपस्यु:- आप लोगों को हमारे बारे में जानना था, आपने जान लिया। लेकिन अभी हम शादी नहीं कर सकते।


ऐमी:- येस.. अभी तो बहुत कुछ करना बाकी है।


नंदनी:- एक चोरी छिपे शादी, जिसमें घर के ही लोग होंगे बस। तुम्हे बाहर जो और जैसा मेंटेन करना हो कर लो, हम में से कोई कुछ नहीं बोलेगा।


कुंजल:- नाह ! ऐसे कैसे मात्र कुछ लोग की के बीच शादी होगी… हम बारात लेकर जाएंगे। पूरे बाजे-गाजे के साथ, एक रॉयल वेडिंग होगी।


अपस्यु:- बहना बिल्कुल सही बोली, पहले आपस में तो फैसला कर लो कि करना क्या है, जबतक हम घूमकर आते है। चलो ऐमी…


ऐमी:- हां ये भी सही है, अब इन्हीं को फैसला कर लेने दो…


अपस्यु अपने चेयर से खड़ा हुआ और अपना एक हाथ ऐमी के ओर बढ़ा दिया। ऐमी मुस्कुराती हुई वह हाथ थाम ली और दोनो सबके सामने से वहां से जाने लगे… "वाह मतलब दोनो सामने से रोमांस पर निकल रहे है और आप सब बैठकर सोचते रहो। यही मुझे लावणी को देखने की भी सजा मिल जाती है।"..


आरव की बात सुनकर सभी हसने लगे और इधर दोनो सबको अनदेखा करके निकल गए। जैसे ही बाहर आए ऐमी मुस्कुराती हुई कहने कहीं… "मैं बहुत बकबक करती हूं।"…. "बहुत नहीं, बहुत से भी ज्यादा.. और उतनी ही प्यारी भी"


ऐमी अपना सर अपस्यु के सीने से टिकाकर उसके कंधे में दोनो हाथ फसा दी और अपस्यु ऐमी की कमर में हाथ डालकर, दोनो खुले एहसासों में डूबे, बस खुशी से मुसकुराते चल रहे थे। कार दिल्ली-देहरादून के हाईवे पर थी और कुछ देर की ड्राइविंग के बाद दोनो घाटी में पहुंचे, कार को सड़क से नीचे उतारकर, दोनो कुछ दूर अंदर पेड़ों के बीच जाकर, एक पेड़ के नीचे बैठ गए, कुछ दूर आगे ही पहाड़ का किनारा था और नीचे खाई।


अपस्यु पेड़ से टिककर बैठा था और ऐमी उसके गोद में सर रखकर आखें मुंदी बस खो सी गई। अपस्यु उसके सर पर धीरे-धीरे हाथ फेरते हुए, उसके चेहरे को देखकर आंनद ले रहा था… "यहां सुलाने लाए थे क्या? कुछ कहो ना"..………. "मन नहीं, जब तुम नहीं होती तो बहुत कुछ होता है कहने को"……... ऐमी उठकर अपना सर अपस्यु के सीने से टीकाती, खुद को सिकोड़कर अपस्यु में पूरी तरह सिमटती, प्यारी सी धीमी आवाज़ में कहने लगी… "मै पूरी होना चाहती हुई, मेरी भी शादी की इक्छा है अपस्यु।"..


"हां जनता हूं ऐमी"… अपस्यु, ऐमी को बाहों में समेटकर उसके सर पर चूमते हुए कहने लगा और अपना चेहरा उसके सर पर टिका कर अपनी आखें मूंद लिया। धीमी-धीमी चलती श्वांस की चलने कि मधुर ध्वनि और धड़कनों को महसूस करना, खोए से आलम में प्रेम रस घोल रहे थे।


दोनो पहली बार बेफिक्र होकर एक दूसरे को महसूस कर रहे थे और ना जाने कब से इस पल को जीने की एक चाहत अंदर कहीं दबी सी थी।…. "अपस्यु मेरी एक छोटी सी इक्छा है।"………….. "जो तुम्हारी इक्छा है वहीं मेरी भी इक्छा है।"….……….. "ठीक है पहले तुम अपनी इक्छा बताओ।"….……… "नाह तुमने शुरू किया है पहले तुम, बस उसके जवाब में मैं इतना ही कहूंगा इंडिया गेट पर मेरी प्लांनिंग है, वो भी फुल डीजे साउंड और अपना पसंदीदा मूव"…


ऐमी, अपस्यु से अलग होती हुई उसके आखे मुंदे, खोए से चेहरे को देखने लगी। ऐमी के उठने के बाद, अपस्यु के चेहरे पर खुशी और भी फ़ैल गई थी। ऐमी उसके गाल को हाथो में थामती अपने होंठ को उसके होंठ के करीब ले गई। दोनो के होंठ स्पर्श करते ही एक दूसरे में गुम हो जाने कि अनुभूति होने लगी।


अपस्यु अपनी बाहें फैलाकर ऐमी को अपने बाहों के घेरे में ले लिया, और ऐमी अपने दोनो पाऊं, अपस्यु के पाऊं के दोनो ओर करती आराम से उसके गोद में बैतकर होठों के स्पर्श को और गहरा, और मादक बनाती होंठ से होंठ लगाकर चूमने लगी।


अपस्यु भी अपने हाथ के घेरे की पकड़ को थोड़ा और मजबूत करते, ऐमी को खुद में समेटकर चूमना शुरू कर दिया। दोनो बिल्कुल खोकर एक दूसरे को चूम रहे थे। बीच में दोनो की आखें खुलती होंठ अलग होते, लंबी और गहरी श्वांस दोनो अंदर खिंचते, मुसकुराते हुए एक दूसरे को देखते और बेकरारी में वापस होंठ से होंठ लगाकर चूमने लगते। ।


दोनो किस्स में खोए हुए थे, तभी दोनो के कंधे पर हाथ पड़ा, किसी के हाथ होने का एहसास हुआ और दोनो अपने प्यार में लिप्त किस्स को तोड़ते अपनी आखें खोलकर देखने लगे… दोनो एक दूसरे से अलग होते खड़े हो गए और सामने वही पुलिस वाला अजिंक्य और उसकी बहन विन्नी को देखकर थोड़े हैरान थे।


थोड़ा असमंजस सी स्तिथि पैदा हो गई। दोनो सामने अजिंक्य को देखकर क्या कहे कुछ समझ नहीं पा रहे थे… "पब्लिक प्लेस पर रोमांस करोगे तो ऐसे ही सिचुएशन फेस करना पड़ता है। विन्नी तो राखी बांधने आयी थी तुम्हे, लेकिन ऐसा लगता है कि तुम्हारे लिए आज का दिन भी अपनी गर्लफ्रेंड के लिए ही है।"..


अपस्यु:- हेय विन्नी कैसी हो ?


विन्नी:- कल मिलती हूं अपस्यु अभी बिज़ी हो शायद।


ऐमी:- नहीं हम 4 बजे तक घर पर ही थे और वहीं से, सबके परमिशन के साथ निकले थे। हमे जरा भी आइडिया नहीं था। वी आर सॉरी।


अजिंक्य:- हम जैसे छोटे लोगों के सर पर तो बेवकूफ का टैग, पैदा होने के साथ ही लग जाता है ना। चल विन्नी।


अपस्यु:- क्या भैय्या, हमेशा आवेश में गलत सोच लेते हो, और बाद में सॉरी-सॉरी करते रहते हो। अब हमे 12 साल बाद प्यार मिला था, सो थोड़े एक दूसरे में खो गए थे.. अब क्या इसी पर डिस्कस करते रहोगे.. और क्या विन्नी भाई बोली है तो अपने भाई और भाभी को ऐसे कोई शर्मिंदा करता है क्या?


अजिंक्य:- 12 साल पुराना प्यार.. यार तू कुछ भी निर्मल करता है कि नहीं.. खैर बांध दे राखी इसे विन्नी और जी लेने दे छोड़े को भी कुछ पल अपने प्यार के साथ…


विन्नी, दोनो को देखकर हंसती हुई अपस्यु के हाथ पर राखी बांध दी। जैसे ही दोनो जाने के लिए पलट रहे थे तभी अपस्यु अजिंक्य को रोकते… "भैय्या आप वो लड़का क्रिश को जानते हो क्या?"


अजिंक्य:- कौन वो रेस्टुरेंट को दुकान बोलने वाला लड़का, जो विन्नी के साथ पढ़ता है।


विन्नी:- चलो भईया, इन्हे आज अकेला छोड़ दो, बचपन का प्यार मिला है। कल बात कर लेना।


अजिंक्य:- तू रुक एक मिनट… क्या हुआ अपस्यु वो लड़का फिर मेरी बहन के चक्कर काटता है क्या?


अपस्यु:- हां वो चक्कर काटता है, और "फिर" जैसी कोई बात नहीं है, वो लगातार चक्कर काटता है। मै चाहता हूं कल आप जाकर उसके परिवार से मिले और दोनो को फाइनल चक्कर कटवा कर एक कर दीजिए।


अजिंक्य कुछ सोच में पड़ गया… "क्या हुआ भईया, इतना क्या सोच रहे हैं। मैंने घर परिवार और लड़का सबके विषय में पाता करवा चुका हूं। 2 दिन पहले ही यूएसए से लौटा हूं तो उधर आने का मौका नहीं मिला, वरना घर तो आता ही ये बात करने।"..


अजिंक्य:- बात वो नहीं है अपस्यु। गांव और रिश्तेदारों से क्या कहेंगे वो सोच रहा हूं।


अपस्यु:- कौन ईमानदार पुलिस वाला है। और कौन अब अपने बहन के अधिकारों का हनन बस दक्यानुषी सोच से कर रहा है।


अजिंक्य:- लेकिन समाज के बनाए नियम।


अपस्यु:- यदि समाज डाका डालने के नियम को बना दे तो क्या कानूनन जायज है?


अजिंक्य:- लेकिन समाज में ऐसा कोई नियम कहां है। भ्रमाओ नहीं मुझे।


अपस्यु:- किसी की खुशियों पर, नियम के नाम से डाका डालना आपको अपराध नहीं लग रहा क्या? वैसे भी शास्त्र में जहां कभी वर्ण था ही नहीं फिर आज विवाह के लिए एक ही जात का नियम कहां से आ गया। जाकर पहले शास्त्र उलट आइए.. फिर बात करते हैं। या नहीं तो कल प्रवचन के लिए पहुंचता हूं।


अजिंक्य:- रहने दीजिए बाबा जी मै सहमत हो गया आपकी बातों से। तू ही मेडिएटर होगा और कल ही रिश्ते की बात करने चलेंगे..


"ये हुई ना बात भैय्या".. अपस्यु अपनी बात कहते हुए विन्नी के ओर देखने लगा। विन्नी की आखें उसे धन्यवाद कह रही थी और चेहरा खिला हुआ था। दोनो के वहां से जाते ही ऐमी, अपस्यु के सीने से लगती हुई कहने लगी… "सबने मिलकर हमसे बदला लिया है।"


अपस्यु:- छोड़ो उसको, कल से काम शुरू होगा, ध्रुव कल आ रहा है।


ऐमी:- हम्मम ! इधर कोई तैयार नहीं है। यदि आरव को छोड़ दिया जाए तो बाकी सब दम तोड़ देंगे। पार्थ को हुआ क्या है अपस्यु, उसकी प्रशिक्षण स्तर बढ़ने के बदले धीरे-धीरे नीचे आ रहा है।


अपस्यु:- मतलब साफ है वो अतीत भूलता जा रहा है। चलो ये भी अच्छा है। खैर समस्या ना तो प्रकाश है और ना ही विक्रम। इन दोनों के पास अतुलनीय बल है लेकिन छल नहीं।


ऐमी:- 3 महीने का वक्त ज्यादा लग रहा है, आंटी को जल्द ही मायलो ग्रुप का चार्ज दिलवा दो।


अपस्यु:- नहीं शेड्यूल से चलने दो। मै एक उलझन में हूं बस उसपर विचार शुरू करना है।


ऐमी:- मस्क एंड हायड थेओरी ना। उसी की बात पर सोच रहे ना।


अपस्यु:- एग्जैक्टली। उसी पर सोच तो रहा हूं, लेकिन लूप बहुत ज्यादा है, किसी एक क्लू से सब सामने होगा।


ऐमी:- मुझे ये बकवास आइडिया लग रहा है और प्रैक्टिकली संभव भी नहीं। ऐसा रील लाइफ में ही सब कुछ चलता है कि…. मर गए, छिप गए और फिर एक दम से सामने आ गए। आज कल इंटरनेट है, मोबाइल है, और फिर आप का बॉडी स्कैन है। सारा डेटा कहीं ना कहीं स्टोर होते रहता है। ऐसे छिपने के लिए जितने फुल प्रूफ प्लान और कंडीशंन की जरूरत पड़ेगी, उससे कहीं कम कोशिश में उस शार्क के झुंड को धर दबोचेंगे जो खुद को सबसे बड़ा छलिया समझता है।..


अपस्यु ऐमी की आंखों में देखते हुए हसने लगा और उसके कमर में हाथ डालकर, खुद में पुरा समेटते हुए उसके होठ को चूमते…. "मतलब तुमने सब प्लान कर लिया है।"


ऐमी:- तुम यहां थे नहीं, करने को कोई काम भी नहीं था और सच कहूं तो इस बार तुम्हे देखने की कभी-कभी इक्छा ऐसे जोड़ करती की खुद कर काबू करना मुश्किल हो जाता था। दिमाग को थोड़ा उलझाना था इसलिए अपने आखिरी शिकार पर पुरा प्लान कर लिया।
जैसा की हमने तय किया था, हालांकि प्लान में पहले तो प्रकाश ही था, विक्रम तो अब जुड़ा है, फिर भी, जैसा हमने तय किया था इनको एक अज्ञात मौत देने के बाद, सबको उनके सामन्य जीवन जीने के लिए अलग कर देंगे।


अपस्यु:- और प्लान एक्जीक्यूशन टाइम..


ऐमी:- लोकसभा चुनाव .. जून 2016।


अपस्यु:- कमाल कर दिया ऐमी। वैसे जब मै यूएसए में था तब तुम मुझे मिस भी कर रही थी या फिर प्लान पर ही वर्कआउट कर रही थी।


ऐमी:- मूझेसे दूर तुम इन्हीं की वजह से तो हो। इनको जितनी जल्दी और जितनी सावधानी से साफ कर दूं, उतनी ही जल्दी हम साथ होंगे…


ऐमी अपनी बात समाप्त करती अपस्यु के होटों को चूमती वहां से चलने के लिए कहने लगी। दोनो ऐमी के बंगलो में पहुंचे और वर्क सेक्शन वाले कमरे में पहुंचते ही… अपस्यु हसरत भरी नजरों से देखते हुए कहने लगा…. "आज भी कुछ नहीं होगा क्या?"


ऐमी:- ऑफ ओ.. मुझे गुस्सा मत दिलाओ अपस्यु, यहां से काम करके निकलेंगे। तुम मेरे ही घर में ऐसा सोच भी कैसे सकते हो। ऊपर से वहां पुरा परिवार इंतजार कर रहा होगा। पता नहीं डैड और वैभव को आ जाना चाहिए, अब तक वहीं है।


अपस्यु:- हम्मम ! ठीक है पूरी आउटलाइन समझाओ मुझे, फिर चलते है।


तकरीबन एक घंटे तक नई योजना पर पूरी चर्चा चली। हर बड़िकियों और पहलू पर गौर करने के बाद अपस्यु..… "यहां कुछ तो कमी लग रही है मुझे ऐमी, 3 दिन बाद हम मुक्ता अपार्टमेंट में ही एक बार और चर्चा करते है।"


ऐमी, अपस्यु की हालत पर हंसती हुई कहने लगी…. "सरियसली अपस्यु, तुम्हे नहीं लगता आज कल कुछ ज्यादा ही एडवांटेज लेने की कोशिश करते हो।"


अपस्यु:- और तुम्हे नहीं लगता कि आजकल कुछ ज्यादा ही तुम मुझे, मेरी खुशियों से मशरूम रखने की लगातार कोशिश करती हो। रियली, 2-3 महीने में कभी एक मौका.. जस्टिफाई है क्या?


ऐमी:- सारी इक्छाओं को वश में करना सीखो बच्चा, तभी जीवन सुखी होगा..


अपस्यु:- हाहाहाहाहा.. ठीक है बाबा समझ गया.. अब नहीं करता परेशान। नऊ हैप्पी..


ऐमी:- बिल्कुल नहीं सर.. परेशान करते रहिए.. मूड-मूड पर डिपेंड करता है।


अपस्यु:- ज्यादा भावनाओ को बढ़ावा ना दो, वरना नतीजे के लिए तैयार रहना।


ऐमी:- मैं तो शुरू से तैयार हूं.. पहले टेस्ट तो हो जाने दो, फिर नतीजों को भी समझ लेंगे।


अपस्यु:- रहने दो कोई फाइटिंग टेस्ट के मूड से नहीं हूं मै। सभी बात हो गई हो तो चले यहां से।


"बस एक बात, ध्यान से सुनो। श्रेया और मेघा के साथ तुम्हे कंप्लीट इंगेज होना पड़ेगा। समझ लो इस प्लान के दो मुख्य बिंदु तुम्हारे हिस्से में है, जिसके बिना हम आगे नहीं बढ़ पाएंगे। जो भी उन्हें चाहिए उन्हें दो। दोनो को जितना पसंद है, तो जिताओ। दोनो अगर सोचती है कि तुम्हारा वो इस्तमाल अच्छे से कर सकती है, तो उन्हें करने दो तुम्हारा इस्तमाल। इस बार भी हम वहीं खेल रचेंगे.. बिल्कुल उनके सामने होंगे, लेकिन कभी नजर नहीं आएंगे।"…
बहुत ही शानदार लाजवाब अपडेट भाई
 

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हेलीकॉप्टर सीधा उदयपुर के किसी एक होटल के हेलीपैड पर उतरी। आरव की लाश के साथ दोनों बाहर अा गए और हेलीकॉप्टर पुनः उड़ चली। उस जगह पर पहले से कुछ लोग इंतजार कर रहे थे। वो लोग जमील और पैसों के बैग के साथ लेकर निकल गए और वीरभद्र को लाश ठिकाने लगा कर घर लौट जाने के लिए बोल दिया।

वीरभद्र, आरव को हिलाते हुए कहा.. उठ जाओ भाईजी। आरव उठकर जल्दी से अपना एयरपोड कान में लगाया.. और कान में लगाते ही अपस्यु ने उसे जो सुनाया। मामला ये नहीं था कि आरव ने अपस्यु से बात नहीं की, बल्कि उसने सारी डिवाइस पैक कर के बैग में रख दिया और अपस्यु कुछ भी देख नहीं पा रहा था।

आरव ने सबसे पहले सभी वाचिंग डिवाइस को सक्रिय किया और कपड़े बदलने लगा। एक एयरपोड अपने कान में डाला और दूसरा वीरभद्र को दे दिया। अब तीनों एक ही लाइन पर कनेक्ट थे।

अपस्यु:- आरव कितना अम्मिनेशन है तुम्हारे पास।

आरव:- 4 मैग्जीन पिस्तौल के और 12 मैग्जीन स्नाइपर के।

अपस्यु:- ठीक है, अपनी स्नाइपर वीरभद्र को देदो और तुम पिस्तौल और खंजर से लैस हो जाओ। वीरे तुम्हे मैं जहां बताऊंगा वहां जाकर पोजीशन लेे लेना और आरव को बैकअप देना। आरव तुम छिपो ऊपर कोई अा रहा है।

आरव पानी टंकी के पीछे तुरंत ही छिप गया। ऊपर 2 लोग आए और वीरभद्र से लाश के बारे में पूछने लगे। वीरभद्र ने उन्हें बोल दिया कि लाश ठिकाने लगा दिया है, किंतु उन्हें देखना था कि आखिर लाश कहां ठिकाने लगाए है। वीरभद्र ने छत के नीचे इशारा करते हुए बताया कि लाश यहां है।

दोनों अपने कदम बढ़ाते हुए आगे बढ़े फिर कुछ सोच कर वापस चले गए और जाते-जाते वीरभद्र को अपने घर वापस लौटने के लिए बोल गए। उनके जाते ही आरव बाहर निकला। अपस्यु उन्हें रास्ता बताता गया और वो दोनों उसी के इशारे पर चलते-चलते एक खंडहर हो चुके किले के पास पहुंचे, जो किसी वीराने में थी।

अपस्यु चारो ओर का जायजा लेने के बाद वीरभद्र को दक्षिण दिशा से उस खंडहर के ऊपर चढ़ने का रास्ता बताया और आरव को पश्चिम के ओर से बाहर निकालने वाले रास्ते के पास की दीवार के पीछे जाकर छिपने के लिए बोल दिया।

थोड़े ही देर में दोनो अपनी अपनी जगह लेे चुके थे। इधर अंदर मुन्ना की लाश नीचे परी हुई थी और वहां पूरे 20 लोग थे, जिसमे जमील और भूषण भी था। अपस्यु दोनों को अपना पोजिशन होल्ड करने और आरव को स्मोक बॉम्ब निकाल कर तैयार रहने के लिए कहा।

अपस्यु अंदर के माहौल को थोड़ा नजदीक से समझने की कोशिश करने लगा। कुछ ही देर में उनकी आवाज़ भी आनी शुरू हो गई जिसे तीनों सुन सकते थे।

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अंदर भूषण कह रहा था… "जमील कैसे कैसे गद्दार तूने पाल रखे थे, ये तो सारा पैसा लेकर हमे ही टपकाने चला था"

जमील:- क्या वो वीरभद्र भी इसके साथ मिला होगा?

भूषण:-पता नहीं, लेकिन यदि मिला होगा तो उसे भी इसी के पास पहुंचा देंगे। आज से मुन्ना की जगह इस रफीक को देदे। आखिर इसी ने तो सारी सच्चाई बताई है और हां साथ में 2 करोड़ भी दे देना इनका इनाम।

जमील:- नेता जी । इसे साथ रखने में खतरा है। साला पूरा एडा है, ये सीधा मारना जानता है सफाई से काम करना नहीं।

भूषण:- तो काम सिखाओ इसे। आखिर इसने अपनी वफादारी दिखाई है। सबको ऊपर बढ़ने का हक है।

जमील:- जैसा कहो नेता जी, चलो रे पंटर लोग अपना अपना हिस्सा लेकर जाओ।

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अपस्यु:- आरव अभी वक़्त है, वीरभद्र के शूट करते ही 5 स्मोक बॉम्ब, 4 बॉम्ब चारो कोने और एक बीच में। वीरभद्र सरप्राइज देने का टाइम अा गया, लगभग 30 मीटर की दूरी पर है दोनों। पहली गोली भूषण और दूसरी गोली जमील… कोई चूक ना हो और बिना समय लिए दोनों को गोली मारना।… मेरे गिनती खत्म होते ही दोनों एक साथ.. 3… 2… 1… अभी।

वीरभद्र ने बिना समय लिए पहली गोली चला दी, और सीधे जाकर लगी भूषण के सीने में… भूषण और जमील बात कर ही रहे थे और इसी बीच भूषण को गोली सीधा उसके सीने में लगी। इससे पहले की जमील को कुछ समझ आता 3 सेकंड के अंतर में दूसरी गोली और जमील के सिर में एक छेद बनाती गोली जमीन में।

वहां मौजूद लोग, इससे पहले कि यहां-वहां देखकर गोली चलाने वाले को ढूंढते, वहां धुआं ही धुआं हो गया था। कुछ समझ में ना आने की स्तिथि में वो लोग अंधाधुन फायरिंग करने लगे। आरव बाहर ही खड़ा था और अंदर की फायरिंग खत्म होने का इंतजार कर रहा था।

इधर वीरभद्र को दिशा मिल रहा था और वो धुएं के अंदर ही एक-एक करके टपकना शुरू कर चुका था। 20 में से 8 लोग मारे जा चुके थे। रफीक बचे लोगों को दीवार कि आड़ में छिपने के लिए जोर से चिल्लाया। …"मादर*** तू जो कोई भी है आज बचके ना जा पायेगा"…

"बचना तो तुझे है, फालतू में इनलोगो के चक्कर में तू भी मारा जाएगा"… आरव जोर से ठहाके लगाकर कहने लगा और जब उसकी आवाज़ बंद हुई उसी के चंद पलों के अंदर, एक दर्दनाक चिंख़ निकली और उसके एक आदमी का गला आरव ने रेत दिया।

उसकी चीख सुनकर एक पंटर बावरा हो कर चिल्लाते हुए उसी ओर भागा जिस ओर से चिल्लाने कि आवाज़ अा रही थी। जैसे ही वो अपने आवरण (कवर) से बाहर आया, अपस्यु ने दिशा बताया और वीरभद्र ने उसकी चीख को मौत की सिसकियों में बदल दिया।

धुवां जब तक छंटा तब उस जगह पर केवल रफीक और उसका 2 साथी बचा था जो दीवार कि आड़ लिए अपनी जान बचा रहा था। आरव उस जगह के बिल्कुल मध्य में खड़ा होकर ललकारने लगा…. "क्या हुआ बे बच्चे, मूत तो ना निकल गई"..

रफीक:- साला इतना ही बड़ा मर्द है तो…. (इतना कहते वक़्त उसने अपने एक आदमी को इशारों में दीवार से छिपकर ही थोड़ा आगे जाकर बाहर निकालने वाले रास्ते तक पहुंचने का इशारा किया)… अपने उस स्निपर को ….

अभी इतना ही कह रहा था कि इशारा मिलने पर जो आदमी रेंगता हुआ बाहर निकालने वाले रास्ते के ओर जा रहा था उसका हाथ थोड़ा दिखा और वीरभद्र ने ऐसी गोली मेरी की वो चिल्लाने लगा।

आरव:- देख बेटा ये तो चीटिंग है। या तो तू बात कर ले या यहां से भाग ले।

रफीक:- अच्छा सुन मेरे पास तेरे लिए एक बंपर ऑफर है।

आरव जहां था वहीं बैठते हुए….. "ठीक है बोल मैं सुन रहा हूं"

रफीक:- यहां पर बहुत सारे डॉलर परे हुए हैं। तूने ज्यादा से ज्यादा कितने की सुपारी ली होगी, 10 करोड़ की। यहां पर 100 करोड़ से भी ऊपर है। पूरा तेरा बस उसमे से कुछ मुझे देदेना।

आरव:- चल ठीक है डील मंजूर। तू और बचा हुए तेरा एक साथी, बिना हथियार के बाहर अा..…

रफीक:- ना मैं नहीं आऊंगा कहीं तेरा शूटर ने मुझे गोली मार दी तो।

आरव:- फिर क्या करे रफीक बेटा, तू ही बता दे।

रफीक:- तू ही अा जा मेरे पास, देख हमदोनो ने अपने हथियार तेरे ओर फेंक दिए।

आरव हंसते हुए "चल ठीक है कहा"… और क़दमों की थाप धीरे-धीरे रफीक के ओर बढ़ने लगी। जैसे ही रफीक को लगा कि आरव दीवार के किनारे पर पहुंच चुका है वो और उसका आदमी, अपना गन ताने बाहर आया.. और तभी गोली चली। एक ही सेकंड के अंदर, रफीक और उसका साथी ढेर। दरअसल जो आगे जा रहा था वो वीरभद्र था और आरव पीछे खड़ा बस उनके बाहर निकालने का इंतजार कर रहा था।

आरव टूट कर जैसे चुड़ हो चुका था। उसने वीरभद्र को सबकी गिनती करने बोल दिया और साथ में यह भी की किसी में अगर जान बाकी है तो बेजान कर दे। आरव जहां था वहीं पहले लड़खड़ा कर बैठ गया। उसकी हालत ऐसी थी मानो अंदर कोई जान ना बचा हो। फिर धीरे-धीरे उसका बदन बेजान सा हो कर जमीन पर गिर गया।

दोनों बाहें फैलाए उसने अपनी आंखें मूंद ली और आशुओं की एक धारा चेहरे पर एक रेखा बनाती, धीरे-धीरे टपकने लगी। शायद जो इस वक़्त आरव मेहसूस कर रहा था वहीं अपस्यु भी। वो भी अपने बिस्तर पर लेटा-लेटा अपनी आखें मुंदे बस आशुओं की एक धारा बहा रहा था।
Nice अपडेट
आरव और वीरभद्र ने अपश्यु की मदद से जमील और भूषण और उसकी गैंग का खात्मा कर दिया है लेकिन आखिर में दोनो रोए क्यों........मुझे लगता है भूषण और जमील की वजह से आरव और अपश्यु ने अपने करीबी को खोया है लगता है इन दोनो ने आरव और अपश्यु के साथ बहुत बुरा किया है जिसका बदला लेने के बाद उनकी आंखो में आंसु आ गए खेर देखते हैं क्या वजह रही है अतीत में .....
 

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"बस एक बात, ध्यान से सुनो। श्रेया और मेघा के साथ तुम्हे कंप्लीट इंगेज होना पड़ेगा। समझ लो इस प्लान के दो मुख्य बिंदु तुम्हारे हिस्से में है, जिसके बिना हम आगे नहीं बढ़ पाएंगे। जो भी उन्हें चाहिए उन्हें दो। दोनो को जितना पसंद है, तो जिताओ। दोनो अगर सोचती है कि तुम्हारा वो इस्तमाल अच्छे से कर सकती है, तो उन्हें करने दो तुम्हारा इस्तमाल। इस बार भी हम वहीं खेल रचेंगे.. बिल्कुल उनके सामने होंगे, लेकिन कभी नजर नहीं आएंगे।"…


सभी बातों पर चर्चा होने के बाद अपस्यु और ऐमी वहां से वापस लौट आए। रास्ते भर वहीं हसरत भरी नजर और दिल के अरमान। खैर जैसे ही दोनो घर पहुंचे एक बार फिर से दोनो को घेर लिया गया। हर कोई अपस्यु और ऐमी पर शादी के लिए दवाब बनाने लगे और दोनो अभी कुछ दिन रुक जाने के लिए विनती कर रहे थे।


लेकिन घर में कोई ऐसा नहीं था जो उनकी बात सुने। ऐमी, अपस्यु को देखकर मुस्कुराने लगी और हर किसी के भावनाओं को ध्यान में रखकर ऐमी ने जनवरी से फरवरी के बीच कोई भी तारीख तय कर लेने बोल दी। ऐसा अनाउंसमेंट सुनकर तो हर कोई खुशी से उछल पड़ा।


अगले दिन ध्रुव भी इंडिया लैंड कर चुका था। दिन भर अपने ससुराल में ही आराम करने के बाद शाम को वो अपस्यु से मिलने चला आया। दोनो के बीच कंपनी को शुरू करने को लेकर चर्चा शुरू हो गई। अपस्यु ने एक हफ्ते का वक्त लिया और इतने वक़्त में सारा काम पूरा हो जाने का आश्वासन दिया। ध्रुव को थोड़ा आश्चर्य भी हुए किन्तु अब साथ में ही थे तो यह कारनामा भी देख ही लेना था।


अगले दिन, सुबह ही ध्रुव, अपस्यु के साथ निकल गया। सबसे पहले तो सिन्हा जी के पास ही दोनो पहुंचे। सिन्हा जी से चूंकि ये ऑफिशली मीटिंग थी, इसलिए पहली बार ध्रुव को एहसास हुआ कि कितना मुश्किल होता है एक नामी वकील से मिलना।


सुबह के 11 बजे की मीटिंग री-शेड्यूल होकर 3 बजे की कब हो गई, ध्रुव को पता भी नहीं चला। अंततः 3 बजे के आसपास सब सामने थे। .. "11 बजे से आपने 3 बजा दिया, मै ये भूलूंगा नहीं"..


सिन्हा जी:- छोटे मैं थोड़ा व्यस्त हूं, काम थोड़ा जल्दी खत्म कर लें।


अपस्यु:- ठीक है बापू, आप पूरी जानकारी दो, कैसे शुरू होगा प्रोजेक्ट?


सिन्हा जी:- पेपर तैयार है एक सिग्नेचर ले लेना वो जाहिल सोमेश सौरव से। एक दिल्ली मुंसिपल कॉर्पोरेशन में अर्जी देकर सील साइन की रिसीविंग ले लेना। और एक गरेंटर का सिग्नेचर, यदि ये भागते हैं तो पैसों की भरपाई कहां से हो उसके लिए।


अपस्यु:- अब ये यहां 2000 करोड़ का गैरेंटर कहां से लाएंगे।


सिन्हा जी:- अब लूप ही ऐसा है। सरकार सपोर्ट ही नहीं कर रही, तो हम क्या कर सकते है। इकनॉमिक कॉरिडोर में बात करो। फौरन इन्वेंटमेंट वाले सब क्लियर कर देंगे। वहां आदिल रशीद करके होगा, उससे मिल लेना। जितनी जल्दी पूरा करोगे उतनी जल्दी मै हियरिंग होगी।


अपस्यु:- ठीक है एक हफ्ते के बाद की हीयरिंग की डेट ले लो आप।


दोनो लौटकर जब वापस आए तब ध्रुव उसे अपने साथ मिश्रा हाउस लेकर चला गया। दोनो वहीं हॉल में बैठकर सभी पेपर पर नजर दे रहे थे, तभी अपस्यु के मोबाइल की घंटी बजी…


"जी आदेश करें"… अपस्यु कॉल उठाते हुए कहने लगा।


ऐमी:- क्या कर रहे हो।


अपस्यु:- समझ गया कि ये याद दिलाने वाला कॉल है। कल का वादा याद है मुझे.. बापू ने जान बूझकर आज ऑफिस में परेशान कर दिया.. वरना अब तक तो मैं तैयार भी रहता।


ऐमी:- हीहिहीहीहिही डैड ने बदला लिया क्या किसी बात का?


अपस्यु:- शायद तुम से प्यार करने का इनाम मिल गया। भड़ी मीटिंग छोड़कर आने वाला आदमी आज मुझे 4 घंटे इंतजार करवा दिया।


ऐमी:- हां ठीक है ये तो कहानी घर घर की है.. जल्दी सब सेट अप करके कॉल करो। वरना मै नाराज हो जाऊंगी।


अपस्यु:- हाहाहाहा.. मतलब अब रूठना-मानना भी करना होगा क्या?


ऐमी:- रहने दो तुमसे नहीं होगा ये मानना .. जाओ जल्दी से सब तैयार कर लेना .. लव यू..


कॉल रखते ही…. "ओह मतलब अपस्यु भी किसी के साथ इंगेज हो गया। और वो और कोई नहीं बल्कि वही हॉट बाला ऐमी होगी.."


अपस्यु आश्चर्य से ध्रुव को देखते हुए…. "तुमने अपनी हिंदी पर मेहनत कि है, राइट।"


ध्रुव:- अब तक तो किसी ने नोटिस नहीं किया सिवाय तुम्हारे ...


अपस्यु:- मै भी नहीं कर पाता लेकिन ऐमी का नाम जब तुमने लिया तब एक दम से ख्याल आया कि ये पहले वाला टोन नहीं है।


ध्रुव:- हाहाहाहा.. मतलब मुझे थैंक्स ऐमी को कहना चाहिए..


अपस्यु:- उसे अगर थैंक्स कहना हो तो आज रात 9 बजे इंडिया गेट पहुंच जाना…


दोनो की बात चल ही रही थी कि इतने में लावणी भी हॉल से गुजरी… "ओ भोली सूरत वाले"…


लावणी अपने बढ़ते कदम रोककर वापस आयी… "मै आप से नाराज हूं, और मुझे आपसे कोई बात नहीं करनी।


अपस्यु:- बैठ ना कहां जा रही है। कुछ गप्पे लड़ाते है।


लावणी:- गप्पे लड़ाने के लिए मेरे पास मेरे होने वाला है, और उसी से मुझे फुरसत नहीं मिलती जो मै किसी और से बात कर पाऊं।


अपस्यु, लावणी को पकड़ कर बिठाते …. "अच्छा ले मैंने अपने कान पकड़े, कह तो तेरे पाऊं पकड़ लूं, तब गुस्सा खत्म होगा तेरा।"


लावणी हंसती हुई…. "मस्का मारना कोई आप से सीखे भईया। लेकिन फिर भी मै नहीं मानने वाली। मैं नाराज हूं।


अपस्यु:- अच्छा कैसे मनेगी वो बताओ।


लावणी:- कान इधर लाओ बताती हूं।


अपस्यु थोड़ा झुक गया और लावणी धीरे से अपनी बात कह दी। उसकी बात सुनने के बात अपस्यु आश्चर्य से उसे देखते…. "मेरी मां, तू नाराज ही रह। रहने दे मुझ से नहीं हो पाएगा।"


लावणी:- हुंह ! फिर ठीक है जाओ आप।


अपस्यु:- अरे बात को समझ बेटा, होने वाला होता तो कर देता। तू मेरी खूंखार मां को नहीं जानती है। केवल मेरी ही मां नहीं बल्कि तू अपनी मां को नहीं जानती है क्या? तू क्या चाहती है 2 पाटन के बीच मै पीस जाऊं?


लावणी:- हुंह ! हुंह ! हुंह !


अपस्यु:- अच्छा सुन थोड़ा सा राहत दे दे, तेरी बात को मैंने भेजे में उतार लिया है, अच्छा वक़्त देखकर सब सेट कर दूंगा। लेकिन प्रॉमिस नहीं कर सकता।


लावणी:- हुंह ! हुंह ! हुंह !


अपस्यु:- ऑफ ओ ! तुम्हे उस नालायक ने सिखाया है ना। अच्छा एक छोटा सा मंडवाली चलेगा। उस से अच्छा प्लान है मेरे पास।


लावणी:- ठीक है बताओ।


अपस्यु उसके कान में अपनी बात कहने लगा। सुनकर लावणी थोड़ी सी शर्मा गई… "क्या भईया, आप भी ना"..


अपस्यु:- ले अच्छा आइडिया बता रहा हूं। और हां जबरदस्ती का रिश्ता तूने जोड़ा है, बाकी हम दोनों भाई जुड़वा है।


लावणी:- साइड टॉपिक डिस्कस मत करो, और आप का आइडिया बकवास है। मेरे वाले पर काम करो।


अपस्यु:- तू रहने से मै आरव से ही बात कर लूंगा।


लावणी:- हां ये सही है.. आप उसी से बात कर लेना।


ध्रुव:- अरे यार यहां तो मै "ओड मैन आउट" हो गया। मुझे भी समझा दो क्या पजल खेल गए तुम दोनो।


लावणी:- कौन सा आप भागे जा रहे हो जीजू, ये पजल भी सॉल्व हो ही जाना हैं। लेकिन मैं देख रही हूं, इकलौती साली पर आपका कोई फोकस ही नहीं है।


साची:- पहले होने वाली बीवी पर फोकस तो कर ले, ये तो जब से आया है सोते हुए भी एक ही बात जपता है… "फैक्टरी शुरू करवाना है किसी तरह। खुद को प्रूफ करना है।"


अपस्यु:- रात में इसके साथ कर क्या रही थी पहले ये तो बताओ?


साची:- तुम्हे क्या इंक्वायरी है, मैं अपने होने वाले के साथ रात में क्या कर रही थी। ज्यादा जिज्ञासा बाढ़ रही है क्या?


ध्रुव:- हाहाहाहा.. रहने दो वरना बेचारा कहीं सोच सोच कर डिप्रेशन में ना चला जाए।


लावणी:- दिमाग खराब हो गया सबका।


साची:- क्या ?


लावणी:- आप सब पागल हो गए हो ना जगह देखते हो और ना कौन बैठा है। कभी भी कुछ भी शुरू कर देते हो।


साची:- भुटकी पोगो जाकर देख, हम बड़ों के बीच क्या कर रही हैं?


लावणी:- मुझे अपस्यु भईया से कुछ बात करनी थी, इसलिए बैठी हूं।


साची:- तो इसे भी लेती चली जा ना, कौन सा मैंने पकड़ रखा है।


अपस्यु:- कुछ जरूरी बात है क्या?


लावणी:- नहीं कोई जरूरी बात नहीं थी। बस यूं ही.. आप ने कहा ना गप्पे लड़ाते है।


साची:- तू इकलौती नमूना है भुटकी जो इस बाबा से बात करने की इच्छा जाहिर कर रही है।


अपस्यु:- ठीक है चल मेरे साथ, मुझे कुछ काम है तो गप्पे लड़ाते-लड़ाते काम खत्म कर लूंगा। काम भी होता रहेगा और तुमसे बातें भी।


लावणी:- मुझे कहीं खड़ा करके या किसी चेयर पर बिठाकर, काम करने तो नहीं निकल जाओगे ना। ऐसा है तो पहले बता दो..


अपस्यु:- बिल्कुल नहीं। तुम्हे एक मिनट के लिए भी बोर नहीं होने दूंगा। हैप्पी ना..


लावणी:- वेरी हैप्पी… मै तैयार होकर आती हूं।


अपस्यु:- कॉल कर देना मै घर जा रहा हूं। ध्रुव तुम भी साची को कहीं घूमाने ले जाओ और हां आज रात सपने मत देखना काम के, वो हो ही जाना है, रात भर जाग कर फोकस कहीं और करना ताकि मेरी जिज्ञासा और बढ़े और मैं और भी ज्यादा डिप्रेशन में चला जाऊं।


ध्रुव:- हाहाहाहा.. बिल्कुल ऐसा ही होगा।


साची:- भागो दोनो यहां से, बेशर्मों शर्म भी नहीं आती।


अपस्यु हंसता हुआ वहां से निकल आया। घर आया तो घर पर कोई भी नहीं था। सभी शॉपिंग और मूवी देखने के लिए गए हुए थे। तभी अपस्यु को लगा कि आगे के स्टाफ वाले क्वार्टर में कुछ हलचल हो रही है…. "दोनो लड़के तो गाड़ी लेकर गए हैं, फिर ये स्टाफ क्वार्टर में कौन होगा। स्टाफ कवर्टर का 1 गेट हॉल से भी था, अपस्यु जैसे ही गेट खोला, अंदर की हालत देखकर, अपने सर पिट लिया..


दो लड़कियां इस कदर एक दूसरे में लगी थी कि कोई दरवाजा खोल चुका है उन्हें होश तक नहीं।… "ओय नंग धड़ंग अतरंग लड़कियों, यहां हो क्या रहा है।


जेन:- मज़ा आ रहा देखने में तो देखो वरना दरवाजा बंद कर दो। कपल लव मेकिंग कर रहे है, उन्हें डिस्ट्रब ना करो।


अपस्यु:- और ज्वाइन करने की इच्छा हुई तो..


जेन की गरलफ्रेंड लिसा.. "सॉरी डियर, हमने गुफरान और प्रदीप से कमिटमेंट किया है, सो अभी 2 रिलेशन में है और हम खुश हैं। बाद में ट्राय करना।


अपस्यु:- बहुत क्लियर थॉट्स है रिलेशन के। कमाल है ये तो.. वैसे ये प्लाई बोर्ड पार्टीशन है क्यों इतने धक्के-मुक्की कर रही हो.. यहां फैमिली रहती है..


जेन:- जानती हूं दोस्त। क्या करे आज वाइल्ड सेक्स का मौका मिला है.. 9 बजे तक कोई नहीं है ना। सब जब लौटेंगे तो हमे पहले मैसेज मिल जाएगा।


अपस्यु:- कमाल की ट्यूनिंग है। कहां से इतने इनोवेटिव क्रिएशन आते है।


लिसा:- प्लीज अब दिस्ट्रव मत करो। अंदर आराम से बैठ कर शो एन्जॉय करके मास्टरबेट कर सकते हो, और पुरा शो एन्जॉय कर सकते हो.. वी डांट माइंड।


अपस्यु:- मैं ही जाता हूं, और तुम दोनो जरा ये दीवार कम पिटो, कोई रहे या ना रहे।


जेन:- ओके बॉस समझ गई…


अपस्यु दोनो को अपने हाल पर छोड़कर दरवाजा बंद किया और अंदर आते ही कॉन्ट्रैक्टर को कॉल लगाकर पार्टीशन की जगह थोड़ी और बढ़ा कर 2 इंच की कंक्रीट पार्टीशन के लिए बोल दिया और तैयार होने चला गया।


कुछ देर बाद लावणी का भी कॉल आ गया, वो भी तैयार होकर नीचे पार्किंग में पहुंची हुई थी। अपस्यु ऑडी की चाबी लेकर नीचे आया, लेकिन जब पार्किंग में पहुंचा तो चारो में से एक भी कार नहीं थी।


अपस्यु कुछ देर सोच में पर गया… "क्या हुआ भईया".. लावणी पीछे से आती हुई पूछने लगी..


अपस्यु:- यदि कुंजल अपने के से गई होगी तो उसके साथ स्वास्तिका होगी। मां और आरव 1 गाड़ी में गए होंगे। यानी 1 ड्राइवर और मैक्सिमम 2 कार की जरूरत थी। ये चारो कार किधर गायब हो गई।


लावणी:- छोड़ो ना भईया वो अपनी फटफती निकल लो ना।


अपस्यु:- हेलमेट पहने रहूंगा तो बात कैसे होगी। वैसे भी मेरी 2 कार और 1 ड्राइवर का हिसाब नहीं मिल रहा।


लावणी:- ठीक है फिर आप जाओ, मै बाद में बात कर लूंगी।


अपस्यु:- पागल, आराम से काली पीली में चलते है।


अपस्यु ने टैक्सी रुकवाई और दोनो सवार हो गए… "एक तरह से यह भी अच्छा ही हुआ भईया, वरना कहां आप ड्राइविंग करते हुए बात करते"..


अपस्यु:- वो छोड़ पहले ये बता की तू इतना परेशान क्यों है?


लावणी:- कहां से मै परेशान दिख रही हूं बताओ तो जरा..


अपस्यु:- सुन ऐसे ही नहीं मुझे सब बाप मानते है। काम की बात पहले कर लेते है फिर आराम से बात करेंगे…


लावणी:- भईया आप कैसे समझ जाते हो इतना।


अपस्यु:- ये "कैसे" का जवाब देने लगुंगा तो तू भी मेरे साथ कभी दोबारा बात नहीं करेगी। अब मैटर क्या है वो बता।


लावणी:- भईया मेरा एक दोस्त है मैक्स, हम केजी से ही साथ पढ़ते हैं। समझिए ना वो मेरा बहुत ही क्लोज फ्रेंड है।


अपस्यु:- कोई परेशानी हुई क्या उसे, जो तू इतनी उदास हो गई उसकी बात करते-करते…


लावणी, रोती हुई अपस्यु के गले लगती… "भईया मै ना.. वो एंगेजमेंट हुई थी, उसी की ट्रीट देने के लिए एक पार्टी का सोच रही थी"… इतने में ही लावणी की हिचकियां शुरू हो गई…


अपस्यु उसे खुद से अलग करते उसके आशु पूछते हुए, पानी पिलाया… "फिर क्या हुआ, उसे गलत फहमी हो गई क्या और तेरा अच्छा दोस्त बिछड़ गया?


लावणी ना में सर हिलाते… "भैय्या, जब मै उसके घर गई तो उसके मोम का रो रोकर बुरा हाल था, 2 हफ्ते से उसका पता नहीं चल रहा और पुलिसवाले कुछ बताते भी नहीं। मुझे बहुत डर लग रहा है भईया।"..


अपस्यु उसे गले लगाकर सांत्वना देते हुए कहने लगा… "चुप हो जा, कुछ नहीं हुआ होगा तुम्हारे दोस्त को, मैं ढूंढ़ता हूं उसे।"


"मुझे बहुत डर लग रहा है भईया… वो मेरा बेस्ट फ्रेंड है। उसे कुछ हुआ तो नहीं होगा?"


अपस्यु यूं तो लावणी को हौसला दे तो रहा था, लेकिन 2 हफ्ते से गायब कोई लड़का जिंदा हो, अपने आप में एक बड़ा सवाल था। एक अच्छे और सच्चे दोस्त का जाना क्या होता है, ये अपस्यु से बेहतर कौन जान सकता था। मन तो ना उम्मीद ही था लेकिन अपस्यु की प्रार्थना इतनी सी थी कि लावणी अपने दोस्त को ना खोए।
बहुत ही शानदार लाजवाब अपडेट भाई
मजा आ गया
 

Zoro x

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श्रेया की बात पर सभी हसने लगे। तभी श्रेया सब लोगों से इजाजत मांगती हुई, अपस्यु को 2 मिनट बाहर आने के लिए कहने लगी… "एक छोटी सी हेल्प चाहिए।"..


अपस्यु:- कैसी हेल्प श्रेया।


श्रेया:- बस 1 दिन के लिए मेरे बॉयफ्रेंड बन जाओ, मेरे पीछे भूत परा है और उसी से पीछा छुड़ाना है।


अपस्यु:- कौन सा भूत पड़ा है।


श्रेया:- पहले बताओ हेल्प करोगे की नहीं।


अपस्यु:- मै फ्री सर्विस नहीं देता पता है कि नहीं।


श्रेया:- हां ठीक है चाय समोसे की पार्टी दे दूंगी। अब खुश।


अपस्यु:- नाह ! मै एटॉमिक शैम्पेन कॉकटेल पीने वाला हूं, उसी की पार्टी चाहिए।


श्रेया:- एक ड्रिंक कि कॉस्ट क्या पड़ती होगी..


अपस्यु:- हर जगह का अलग अलग है मै जहां पीता हूं वहां शायद 2500 रुपए लेता है।


श्रेया:- और कितनी ड्रिंक में तुम्हारा कोटा पुरा हो जाता है?


अपस्यु:- यही कोई 20 से 25 के बीच..


श्रेया:- पागल हो गए हो। हम जो पीती है वहीं पिलाएंगे.. 400 से 500 का फूल वोदका, और ये फाइनल है। नो बारगेनिंग..


अपस्यु:- ठीक है मंजूर है तुम बताओ कब चलना है।


श्रेया:- जल्द ही जब तुम्हे फ्री टाइम मिल जाए।


अपस्यु:- ठीक है, २-३ दिन थोड़ा व्यस्त हूं कल मै कॉल करके बता दूं तो चलेगा क्या?


श्रेया:- हां बिल्कुल.. और थैंक्स ए लौट .. ये एहसान रहा।


अपस्यु:- काम होने के बाद थैंक्स कहना। गुड नाईट..


श्रेया अपने कमरे चली गई और अपस्यु अंदर आ गया… "क्या कह रही थी वो".. नंदनी जिज्ञासावश पूछने लगी..


अपस्यु;- कोई लड़का उसे परेशान कर रहा है उसी के बारे में हेल्प मांग रही थी।


कुंजल:- अपनी परेशानी काम है क्या, जो दूसरे के फटे में जाओगे। मना कर दो, उसके भी तो भाई है, दोस्त है और भी कई सारे लोग हैं।


अपस्यु:- जी दीदी जी, और कोई आदेश..


कुंजल:- भाई देखो मेरी बात की मज़ाक में मत लो, जो कही वो सुनो।


नंदनी:- जाने दे, अब देखी तो मै भी थी, बेचारी की नानी मरी थी तब तो अकेली ही सब कर रही थी, अब नहीं होगा कोई उस लायक इसलिए जिसे लायक समझी उसे कह दी।


कुंजल:- हुंह ! पुलिस और प्रशासन क्यों है फिर…


अपस्यु:- कुंजल तेरा भाई समझदार है, अब तू चिंता मतकर और ये बता की तुम और स्वास्तिका कब निकल रहे हो मुंबई?।


कुंजल:- हम दोनों कल जा रहे है।


"कहां जाने की बात हो रही है।"…. पीछे से आरव आते हुए पूछने लगा।…


स्वास्तिका:- डफर वो हमारे जाने के बारे में पूछ रहा होगा.. क्यों अपस्यु..


अपस्यु:- तू एक बात बता आरव, गुप्ता ब्रदर्स वाला काम कब तक अटका कर रखेगा, जब काम नहीं करना था तो काम क्यों लिया।


आरव:- यार वो एंगेजमेंट और बाकी सब कामों में फसा रह गया, ध्यान ही नहीं दे पाया।

अपस्यु:- हम्मम ! कल ही गोवा जाओ और उनका काम खत्म करो।


आरव:- हम्मम ! ठीक है मै काम खत्म कर आता हूं।


अपस्यु:- एक काम कर, लावणी को भी ले जाना, तुमलोग भी थोड़ा घूम फिर लोगे….


आरव:- अब उसके लिए तो लंबा प्रोसीजर लगेगा। इसकी परमिशन उसकी परमिशन..


अपस्यु:- गर्लफ्रेंड् को घुमाने नहीं ले जा रहा है। अपनी होने वाली बीवी को घुमाने ले जा रहा है, और अगर किसी को ऐतराज होता है तो कल ही कोर्ट मैरिज करवा दूं क्या?


नंदनी:- मेरे दोनो बेटे कमाल के है। इस आरव को अपनी होने वाली के साथ घूमने जाना है और काम का बहाना ये दूसरा वाला बना रहा है। कमाल है.. और मै तो यहां बेवकूफ बैठी हूं जो कुछ समझ भी ना पाऊं। क्यों ?


अपस्यु:- ठीक है आरव गुप्ता ब्रूदर्स की फाइल मुझे देदे मै ही ये काम कर लूंगा, खुश मां..


नंदनी:- हां खुश..


अपस्यु:- अच्छा मां कल आप भी इन दोनों के साथ मुंबई चली जाना, वहां दीपेश से भी मिल लेना और 10 दिनों में सबको लेकर चली आना। स्वास्तिका का काम हो गया है। उसे बस वहां अब अपना एग्जाम देना है।


नंदनी:- क्या सच में ?


अपस्यु:- हां बाबा सच.. आरव तू वो फाइल ले आ, मै मुक्ता अपार्टमेंट जा रहा हूं बचे लोगों के काम के साथ इसे भी पुरा कर लूंगा।


कुछ ही देर में आरव वो फाइल लेकर चला आया.. नंदनी ने क्रॉस चेक के लिए वो फाइल सच में देखी और देखने के बाद…. "तू सच जह रहा था क्या?"


अपस्यु:- छोड़ो ना मां, अब मैंने काम अपने जिम्मे के लिए है ना.. वैसे भी जिसके साथ शादी होनी है, उसके साथ 4-5 दिन घूमने नहीं जा सकते, इससे अच्छा तो गर्लफ्रंड ही बनाए रखते। लड़की उधर से झूट बोलकर निकलती और लड़का उधर से। बेसिकली गार्डियन को झूट ही ज्यादा पसंद आता है।


नंदनी:- इधर आ तू..


अपस्यु:- नहीं आना मुझे..


नंदनी:- तू इधर आता है या मै वहां आऊं..


अपस्यु अपने दोनो गाल पर हाथ रखे नंदनी के पास आया.. "गाल से हाथ हटा और थोड़ा झुक जाओ।"… "सॉरी वो भावनाओ में निकल गया।"… "हाथ हटाओ अभी।"… अपस्यु हाथ हटाकर थोड़ा नीचे झुका और नंदनी खींचकर उसे 2 तमाचा मारती हुई… "जाकर बैठ जा, और ज्यादा ज्ञान मत दिया कर की गार्डियन को क्या करना चाहिए या क्या नहीं। ठीक है आरव, तू ये गुप्ता ब्रिदर्स के फाइल को निपटा बेटा और लावणी को भी साथ लिए जाना।"


अपस्यु सबसे बात करने के बाद खाना खाकर मुक्ता अपार्टमेंट निकला। हॉल में चेयर पर बैठकर ऐमी कुछ फाइल चेक कर रही थी। अपस्यु पीछे से उसे गले से लगाया, उसके गर्दन पर किस्स किया और सामने के पन्नों को देखकर कहने लगा… "इसका समय नजदीक आ रहा है। फाइल डंप कर दो"


ऐमी अपने हाथ ऊपर ले जाकर अपस्यु के गालों को सहलाती हुई… "हां सही कह रहे इस विक्रम में दम नहीं है। लेकिन आज कल संयोग भी कम नहीं। तुम्हे याद है वो डोनेशन वाली लड़की कुसुम।"..


अपस्यु, फिर से उसके गर्दन को चूमते हुए अपने हाथ उसके पेट पर ले जाते… "हां याद है ना कुसुम, परसो ही तो बाजार में मिली थी।"..


ऐमी अपस्यु में बढ़ते हाथों को दबोच कर पकड़ती… "वो तुम्हारी दूर कि कजिन हुई और विक्रम राठौड़ की छोटी बेटी।"..


अपस्यु, आश्चर्य होकर सामने लगे बड़े से राउंड टेबल पर बैठकर फैमिली डिटेल देखने लगा… "अरे यार ये भगवान को भी दुश्मनी है क्या.. ये जिंदल के यहां ध्रुव और अब ये विक्रम के यहां कुसुम। हर परिवार में ऐसे लोग है जिसके कारन हमे सोचना पड़ता है।"


ऐमी:- कमाल है अपस्यु ये सोचते-सोचते तुम्हारे पाऊं कहां चला आया?


अपस्यु, राउंड टेबल से उतर कर सीधा चेयर पर। अपने दोनो पाऊं फैलाकर ऐमी के उपर बैठकर उसके गर्दन पर चूमते… "लो पाऊं से परेशानी थी ना, अब तो कोई समस्या नहीं है ना।"


ऐमी अपस्यु को धक्के देकर टेबल से गिराती हुई… "5 दिन बोली वो नहीं तुमसे बर्दाश्त हो रहा। क्या करूं मै तुम्हारा कुछ समझ में नहीं आ रहा।"


अपस्यु:- एक किस्स तो कर लेने दो कम से कम..


ऐमी:- नाह ! अच्छी किस्स के बाद क्या होता है वो हम दोनों को पता है। इसलिए नो। अब आराम से बैठो क्योंकि पुरा रायता फैला है और कुछ समझ में नहीं आ रहा।


अपस्यु, ऐमी के पीछे जाते उसके गर्दन के नीचे चूमते हुए धीरे-धीरे कंधों से नीचे अपने हाथ के जाते… "रायता मै समेट लूंगा, अभी तुम मेरे अरमान समेटो।


बेल बजी और नजर सीसी टीवी पर गई तो बाहर आरव खड़ा था.. "हीहीहीही.. मज़ा आ गया".. ऐमी खिलखिलाकर हंसती हुई भागी और दरवाजा खोल दी। जैसे ही आरव अंदर आया ऐमी उसके गले लगती हुई कहने लगी.. "थैंक गॉड आ गए, वरना परेशान कर रखा था इसने।"..


आरव, दोनो को घूरते हुए… "तुम दोनो मुझे बस एक बात समझाओ अपने अपार्टमेंट में कुछ गड़बड़ी चल रही है क्या?"


तीनों ही आकर बैठे… "तुझे क्या लगा पहले वो बताओ"..


आरव:- नहीं, पहले तुम मेरे सवाल का जवाब दो, क्योंकि मुझे उस श्रेया एंड कंपनी पर शक तो पहले से था, लेकिन इतनी सारी रैंडम घटना एक साथ नहीं हो सकता।


अपस्यु:- कुछ घटना बताओ..


आरव:- "पहला तो ये की जिस दिन मै आया पूरी कॉलोनी का हमारे यहां आकर झगड़ा की, जबकि कुछ लोगो को देखकर ऐसा लग रहा था जैसे वो दरअसल है कुछ और, और दिखा कुछ और रहे है। उसके अलावा आज अपस्यु ने कहा ना कार के बारे में, तब बातें दिमाग में और भी स्ट्राइक कर गई, मां का कार ऐक्सिडेंट बैंक टू बैंक।"

"फिर ये गुफरान और प्रदीप को देख लो.. कुंजल भी कह रही थी ये बात… "दोनो का व्यव्हार ड्राइवर जैसा नहीं है, बल्कि किसी ऑफिस का हाई क्लास ऑफिसर जैसा ऐटिट्यूड है। उसकी वो गर्लफ्रेंड देखो, जेन और लिसा। एक दिन में उनसे पट भी गई और पड़ोस में जो उसका बॉयफ्रेंड रहता है श्रेया का भाई, उसे कोई फर्क ही नहीं परा।"

"और सबसे ज्यादा गुस्सा तो तुम दोनो पर आ रहा है, ऐसा हो नहीं सकता कि तुम दोनो के पास उसकी डिटेल ना हो। बजाय इसके कि साथ बैठकर डिस्कस करो तो कितनी चालाकी से हम सबको दूर भेज दिया। तुम दोनो के दिमाग में पहले चल क्या रहा है वो बताओ। और हां मुझे सच जानना है।"


अपस्यु, ऐमी की आंखों में झाकने लगा। ऐमी उसका हाथ थामती अपने पलकें झुकाकर सहमति दी… "जिंदल और विक्रम सेकंड लास्ट टारगेट है।"


आरव ये सुनकर जैसे झटका खाया हो। आरव ने जाकर विष्की की बॉटल निकाली और जैसे ही बॉटल में मुंह लगाने लगा, अपस्यु बॉटल हाथ से पकड़कर उसके मुंह से अलग किया… "तू पागल है, ये बियर, वाइन या शैम्पेन नहीं है.. विष्की है, आराम से पेग बनाकर ले"


आरव गुस्से में उससे सीधा एक पंच दे दिया… "पागल मारने से पहले बता तो देता, ऐसे कौन मारता है यार।".. अपस्यु अपना नाक पकड़ते बोला।


"हां तो ठीक है बच, मै एक बार और मार रहा हूं"…. कहते हुए अपस्यु को एक लात जमा दिया और अपस्यु झटका खाकर पीछे हटा। इन दोनों के झगड़े के बीच ऐमी कब वो विश्की की बॉटल उड़ाई किसी को पता भी नहीं चला। वो आराम से तीनों के लिए पेग बनाई और अपना पेग उठाकर कहने लगी… "मार आरव मार.. तू बिना रहम किए मार. अपस्यु माय लव .. बेबी मार मत खाना बस बचते रहो।"…


दोनो अपना ध्यान ऐमी पर जमाते… "बेवरी कहीं की हमे उलझकर पीने भी लगी।"


ऐमी:- दारू जब बाहर आ जाए तो इंतजार नहीं करवाना चाहिए, वरना दारू बुरा मान जाती है।

ऐमी की बात सुनकर दोनो भाई हंसते हुए फिर से बैठ गए और टोस्ट करते हुए अपना-अपना जाम खींचने लगे…. "दिल तोड़ा है तुम दोनो ने। मतलब मुझे साइड करके तुम दोनो अलग ही प्लांनिंग में थे।"


ऐमी:- तुझे बताने के बाद भी तुझे साथ नहीं लेंगे, ये तो तय है। हां जानने का हक है और हम बताते भी। फर्क यही बस तुझे वक़्त से पहले बताना पड़ रहा है वो भी उस कामिनी श्रेया की वजह से।


आरव:- तुम दोनो पागल हो गए हो क्या। जानते हो ना 1 से भले 2 और 2 से भले 3।


अपस्यु:- आरव…. मां है, 120 बच्चे है, कुंजल है, स्वास्तिका है, लावणी है। हम तो सोच चुके है, तुझे सोचना है।


आरव:- यहां हर कोई अपनी किस्मत जीता है और अपनी मेहनत से अपनी किस्मत लिखता है। हर किसी को एक ना एक दिन मारना है। इसके साथ यह भी सत्य है कि सब एक साथ मर जाए ये भी संभव नहीं। जो बचते है वो अपनो की अच्छी-बुरी यादों के साथ आगे बढ़ते है।


ऐमी, अपस्यु के ओर देखने लगी.. आरव भी अपस्यु के ओर देखने लगा.. दोनो को अपने ओर देखते हुए…. "क्या? मुझे ऐसे क्यों घुर रहे हो दोनो।"


ऐमी:- आरव साथ है..


अपस्यु:- हां ठीक है अब तीन लोगों के बीच क्या वोटिंग कर रहे हो।


आरव:- कमिने हो दोनो.. कितनी दूर से खेल जाते हो अंदाज़ा लगा पाना मुश्किल होता है। पहले तो मुझे लगा था कि तुम दोनो पार्थ और स्वास्तिका को लेकर परेशान होगे और विक्रम का केस को भी हैंडल कर रहे होगे, मै तो यही सोचकर आया था.. लेकिन आज अगर मै नहीं आता यहां तो तुम दोनो सबकुछ प्लान करके निकल लेते और मुझे पता तक नहीं चलता।


अपस्यु:- वैसे ये सब मामला नहीं भी होता तो भी मै तुझे लावणी के साथ भेजता ही। आज दिन में मेरे कान में कह रही थी, हमारी शादी करवा दो जल्दी भईया।


आरव:- क्या बात कर रहा है। वैसे अरमान मेरे भी कुछ ऐसे ही थे। क्या है कुछ वक़्त उसे भी दे दूं.. कभी वक़्त ही नहीं दे पता। फिर ये भी रहता है कि दोनो परिवार इतने नजदीक है कि कुछ छिपता ही नहीं।


ऐमी:- कोई नहीं आराम से 10 दिन घूम आओ जबतक यहां सब क्लियर करते है। तुम लोग जबतक लौटोगे उससे पहले हम राठौड़ मेंशन में घुसने का प्लान कर चुके होंगे। लेकिन फिलहाल हमारे हर काम के बीच में ये श्रेया और उसकी टीम आ रही है। वो हमारे इतने अंदर तक घुस चुकी है कि दूर बैठकर वो लावणी के बेस्ट फ्रेंड को हमारे ही एक क्लोज कॉन्टैक्ट के हाथों उलझा दी।


"नाह ! तुम जैसा सोच रही हो वैसा नहीं है ऐमी। हां परिस्थिति उलझी जरूर है लेकिन इन परिस्थितियों को मैंने है उलझने दिया है। क्यों होने दिया वो मै तुम्हे बताऊंगा… क्या करना है वो तुम दोनो मुझे बताओगे।"
बहुत ही शानदार लाजवाब अपडेट भाई
 

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आरव:- ऐसा नहीं लग रहा की जिंदगी थोड़ी बोरिंग सी हो गई है और जिंदगी एक रूम में पैक होकर रह गई है। कोई भी आहट हो तो डर सा माहौल पैदा हो जाता है।


ऐमी:- राइट … एग्जैक्टकली मेरा भी यही कहना था आज अपस्यु को..


अपस्यु:- समझ गया तुम दोनों क्या कहना चाह रहे हो। मुझे उम्मीद भी यही थी इसलिए तो तुम दोनो पर छोड़ा था कि क्या करना है। स्वास्तिका और पार्थ से अब हम कोई उम्मीद नहीं कर सकते.. उसे साइड लाइन में रखो। मां के आस पास इन दोनों के होने से हम थोड़े रिलैक्स होंगे.


आरव:- बोर मत कर.. जल्दी से राज खोल, ग्राउंड कैसे क्लियर करेंगे…


अपस्यु:- मै घुसकर पागल बनाता हूं श्रेया को.. ये साइडलाइन कहानी है, जो हमारे रेगुलर काम के साथ चलेगी। 10 दिन बाद जब तुम लौटोगे आरव, तब श्रेया की टीम पर बिजली गिरेगी… और उन्हें उलझाकर हम बीच उसी भी विक्रम को चौंकते हुए अंदर घुस जाएंगे….


तकरीबन 15 मिनट तक अपस्यु अपने योजना का पुरा विवरण सबको डेटा रहा। योजना काफी कारगर थी लेकिन इसी बीच ऐमी कहने लगी… "यह योजना है तो सही पर इसमें केवल श्रेया पर बिजली गिरेगी बस। हां विक्रम पर कहर बरसने वाला वाला है वो तो थी है लेकिन इस कामिनी और इसके टीम को सस्ते में क्यों छोड़ रहे। मै थोड़ा फर बदल करना चाहूंगी इसमें।".. ऐमी जब अपस्यु के योजना मै फर बदल कर बताने लगी, दोनो भाई के दिमाग की घंटी बज गई।


आरव:- ये सैतानी खोपड़ी अब चली है ना… पूरी डिटेल..


ऐमी लगभग 10 मिनट तक अपनी योजना को विस्तार रुप से बताई। अपस्यु और आरव के बीच बीच में सवाल आते रहे जिसके कुछ के जवाब तो ऐमी पहले से सोच चुकी थी लेकिन कुछ फसे मामले में आरव ने उसे पूरा करना का जिम्मा ले लिया। योजना पूर्णतः सामने आने के बाद तो जैसे दिमाग में पूरी कहानी ही सेट हो गई हो।


अपस्यु:- इतनी दूर की प्लैनिंग। तुमने तो श्रेया को पूरी तरह से लपेट लिया इसमें।


आरव:- योजना जटिल है, लेकिन इस एक प्लान से हम सबके आगे खड़े होंगे और सब हमारे पीछे। मैंने अपना माथा बहुत खपा लिया, अब तुम दोनो इस योजना की पूरी बारीकी को समझो। मै चला गोवा अपनी लावणी के साथ। वैसे देखा जाए तो तुम दोनो का भी हनीमून पीरियड ही माना जाएगा। कोई तो होगा नहीं, तो काम के साथ एन्जॉय करो।


अपस्यु:- काहे के मज़े .. यहां हरताल चल रहा है।


ऐमी खाली बॉटल उठाकर अपस्यु के हाथ पर मारती हुई…. "अति बेशर्मी तुममें घुस गई है। छोड़ो ये, कितने समय बाद हम सब साथ है, चलो कुछ तूफानी प्लान करते है।


अपस्यु:- नहीं मै सोने जा रहा हूं, तुम दोनो आराम से तूफानी बर्फानी सब करते रहो।


ऐमी आरव के ओर देखी और आरव चुपचाप वहां से निकल गया। जैसे ही अपस्यु कुछ दूर आगे बढ़ा होगा, छापक से उसके ऊपर पानी परा। वो गुस्से में पलटा और दोनो भाई कुछ देर तक उठापटक करने के बाद हंसते हुए खड़े हो गए।


तीनों अपने ये खूबसूरत से पल कैमरे में रिकॉर्ड कर रहे थे। कभी अनारकली और सलीम का कॉमिक रोले प्ले किया जा रहा था तो कभी टूटे दिल देवदास का। तीनों के बीच मस्ती का सिलसिला जारी रहा।



अगली सुबह…


नंदनी सुबह सुबह ही अपने समधियाना यानी कि मिश्रा हाउस में दस्तक दे चुकी थी। सुलेखा, अनुपमा और नंदनी तीनों वहीं हॉल में बैठकर बातें कर रही थी। बातों की शुरवात ही लावणी के गोवा जाने से हुई। यूं तो थोड़ी असमंजस जैसी स्तिथि बनी थी, लेकिन नंदनी को ना कहने की हिम्मत उन दोनों में तो नहीं हुई, इसलिए सुलेखा ने राजीव को कॉल लगाया।


राजीव को भी कुछ समझ में नहीं आया क्या कहे, और नंदनी को मना करने की हिम्मत वो भी नहीं जुटा पाया, इसलिए बात को उसने फिर सुलेखा पर ही फेक दिया। होना क्या था, 5 मिनट तक जब कोई फैसला दोनो नहीं ले पाई, तब नंदनी ही दोनो को सारी बातें समझते हुए… "उन्हें घूमने देने जाने चाहिए"… ऐसा अपना प्रस्ताव रखकर फैसला उन्हीं दोनो पर छोड़ दिया…


साची जो थोड़ी दूर बैठकर उनकी सारी बातें सुन रही थी… "छोटी छोटी ख्वाहिशें होती है। यहां मायका और ससुराल इतने नजदीक में है कि बेचारे दोनो पीस कर रह जाते हैं। क्यों इतना सोच रहे है, अब जाने भी दो ना। या दोनो साथ होंगे तो दिमाग की सुई एक ही जगह अटक गई है। ऐसा है तो वो कहीं भी ही सकता है। बाहर निकलो अपने जहनी पुराने ख्यालतों से और आंख खोलकर देखोगे तो पता चलेगा इनके अलावा भी दुनिया होती है।"..


सुलेखा:- दीदी मुझे तो लगता है ये अपना रास्ता साफ कर रही है लावणी के बहाने।


साची:- छोटी मां मुझे घूमने जाना हो कहीं ध्रुव के साथ और आप सब ऐस रोड़ा आटकाओगे तो मै कोर्ट मैरिज करके चली जाऊंगी, लेकिन जाऊंगी जरूर।


नंदनी:- अपस्यु से तेरी बात हुई थी क्या, क्योंकि वो भी ऐसा ही कुछ बोल रहा था।


आगे फिर ताना बाना शुरू हो गया। एक ओर तीनों ही औरतें छोटे से शहर में उस वक़्त की तात्कालिक स्तिथि को बताने लगी कि उनके ज़माने में क्या होता था और साची आज के परिवेश में लड़कियों को कैसा होना चाहिए उसपर बात कर रही थी।


सभी बैठकर बातें कर ही रही थी कि लावणी हॉल में सबको नमस्ते करती हुई बाहर जाने लगी… "कॉलेज जा रही है लावणी, 2 मिनट सुन तो".. नंदनी, लावणी को पीछे से टोकती हुई कहने लगी।


लावणी:- जी मां…


नंदनी:- जा बैग पैक कर ले, कुछ दिनों के लिए तेरी कॉलेज से छुट्टी।


लावणी ने जैसे ही यह बात सुनी उसे अपस्यु की बात याद आ गई… "दोनो को साथ वक़्त बिताना है उसके लिए जल्दी शादी करवाने क्यों कह रही हो। तुम दोनो को कहीं बाहर भेजने का इंतजाम मै करता हूं।".. अपस्यु की बातों का ख्याल आते ही लावणी अंदर से गुदगुदा गयी। लेकिन बाहर से अपने इमोशन संभालती… "कहीं फैमिली टूर है क्या मां"..


सुलेखा:- देखो तो बदमाश को। कल शाम अपस्यु के साथ गई थी, वहीं दोनो भाई बैठकर यें प्लान किए होंगे और नाटक तो देखो, जैसे कुछ जानती ही नहीं।


नंदनी, सुलेखा की बात पर चौंकती हुई…. "आप तो ऐसे बता रही है जैसे दोनो भाई को काफी करीब से जानती हो।"


नंदनी की बात सुनकर सब लोग सुलेखा को ही देखने लगे…. "बस लगा की कहीं दोनो (लावणी और आरव) बात करे तो हम मना नर दें, इसलिए अपस्यु से मिलकर अपना काम करवाया हो।


लावणी:- क्या मां आप भी। मेरा दोस्त मैक्स, 2 हफ्ते से गायब था और उसके मम्मी पापा की हालत मुझसे देखी नहीं गई इसलिए मै भईया से उसके विषय में बात करने के लिए गई थी।


सभी लोग सुनकर अफ़सोस करने लगे। चिंता जताते हुए फिर पूछने लगे… "क्या हुआ कोई खबर मिली कि नहीं।"


लावणी:- कमाल के है अपस्यु भईया, और ऐमी दीदी भी। हालांकि दोनो किसी जरूरी काम के बारे में बात कर रहे थे, शायद इंडिया गेट पर कोई प्रोग्राम था, लेकिन मेरी समस्या सुनने के बाद सारे काम कैंसल करके मैक्स को ढूंढने में लग गए। और मैक्स को ढूंढ निकाला। बेस्ट है दोनो।


अनुपमा:- और आरव..


लावणी:- वो भी बेस्ट है, लेकिन कल आरव नहीं थे ना। मैंने कॉल किया था, पर वो सब लोगों के साथ थे, तो मैंने सोचा वापस आएंगे तब बता दूंगी।


साची:- हां ठीक है, लेकिन अब जा पैकिंग कर ले..


लावणी अरमान को बिल्कुल काबू किए तेजी से अपने कमरे पहुंची और उत्साह से वूहू वुहू करके उछालने और नाचने लगी।…. "गोवा पहुंच पर भी नाच सकती है, अभी पैकिंग कर ले।"… दरवाजे पर खड़ी साची कहने लगी और बाकी सभी औरतें पीछे खड़ी होकर लावणी का उत्साह देख रही थी। हर किसी को महसूस हो रहा था कि क्यों थोड़ी सी आज़ादी इन्हे भी देनी चाहिए।


लेकिन बेचारी लावणी, दरवाजे पर सबको खड़े देख कर शर्म से पानी-पानी हो गई। वो फाटक से दरवाजा बंद करके बस लज्जाए जा रही थी। आलम ये था कि पैकिंग के बाद तभी बाहर आयी जब आरव उसे लेने आया। आंखों पर काला चश्मा चढ़ा रखी थी, ताकि किसी से नजर ना मिले और आरव के पीछे वो छिप-छिप कर चल रही थी।


रात के लगभग 11.30 बज रहे होगे, सभी लोग उड़ान भर चुके थे और अपस्यु हॉल में बैठा गाना सुनते एक अंदाजन श्रेया के आने का इंतजार कर रहा था। इसी बीच घर कि घंटी बजी और दरवाजे पर गुफरान था।… "क्या काम है गुफरान।"..


गुफरान:- सर वो कुछ पैसे चाहिए थे।


अपस्यु:- कुछ पैसे मतलब कितने..


गुफरान:- सर वो 2000 रुपए चाहिए थे।


अपस्यु:- तुम रात में मुझसे पैसे मांगने आए हो।


गुफरान:- सर वो जरूरत तो रात की है, सुबह मै आपके पैसे लौटा दूंगा।


अपस्यु:- हम्मम ! ठीक है सुन तू मेरे लिए कॉकटेल का पूरा सामान ले आना, एटॉमिक शैम्पेन कॉकटेल..


अपस्यु ने उसे उसके 2000 रुपए दिए और बाकी अपने सामान के 20k थमा दिया। तकरीबन 5 मिनट बाद गुफरान का फोन आया और वो दुकानदार को फोन दे दिया। उस दुकानदार ने कुछ सवाल किए और सारा सामान पैक करके दे दिया।


गुफरान आकर अपस्यु को सारा समान दिया और बचे हुए पैसे वापस करके वहां से जा ही रहा था कि… "अच्छा सुनो, मां से ये सब मत बताना".. "ओह हो तो आंटी से छिपकर कांड किया जा रहा है।"..


अपस्यु:- नाईट वाक, अच्छा है, अच्छी सेहत बनाओ। हम तो चले… गुड नाईट।


श्रेया:- अच्छा है, वैसे कोई कॉल करने वाला है पर कुछ याद भी हो तो ना।


अपस्यु:- मैम अगर आपको बात करनी है तो कृपया अंदर आ जाइए, अन्यथा सुभ रात्रि क्योंकि अब मै इंतजार नहीं कर सकता।


श्रेया:- हीहीहीही.. घर में कोई नहीं ..


अपस्यु श्रेया को बीच में ही रोककर…. "तू तब से यहां खड़ा होकर क्या कर रहा है? तेरा काम हो गया ना?


गुफरान:- हां भाई।


एक नपा तुला थप्पड़ परा.. "सर से सीधा भाई। जब क्लोज होंगे तब ये इस्तमाल करना। चलो अब जाओ। और सुन पैसे कल सुबह कब वापस करोगे।"


गुफरान:- सर वो 10 बजे तक कर दूंगा।


अपस्यु:- ठीक है जाओ… हां मिस आप जारी रखिए..


श्रेया:- भूल गए ना मेरा काम?


अपस्यु:- कुछ नहीं भुला हूं सब याद है, मुझे फिलहाल आप की इजाज़त हो तो जाऊं, बहुत दिनों बाद मौका मिला है।


श्रेया, गेट से अंदर ताक-झांक करती…. "अकेले हो फिर भी इतनी हड़बड़ी मची है पीने की।"…


अपस्यु:- मै दिल्ली में थोड़े ना रहता था जो मेरे यहां कोई ज्यादा दोस्त होंगे..


श्रेया:- अच्छा पड़ोस में तुम्हारी एक दोस्त है और तुम ज्यादा कम की बात कर रहे हो।


अपस्यु श्रेया का हाथ पकड़कर खिंचते हुए अंदर किया और दरवाजा बंद करते हुए…. "तो सीधा अंदर आओ ना। अब एक सिम्पल सवाल.. क्या तुम्हे मेरे साथ बैठकर लेना है, या जाना है।"..


श्रेया:- पीकर यहां लुढ़क भी गई तो कोई फर्क नहीं पड़ना, मेरे यहां भी कोई नहीं है।


अपस्यु:- जे हुई ना बात, चलो फिर तुम आराम से बैठो आज खिदमत में हाज़िर है एटॉमिक शैम्पेन कॉकटेल …


श्रेया:- देखना कहीं एटम फटे ना, वरना यहां भूचाल सा मच जाएगा…


दोनो इधर-उधर की बातें करते हुए ड्रिंक का मज़ा लेने लगे। 1 ड्रिंक पीने के बाद श्रेया ने खुद कॉकटेल बनना शुरू की और अपस्यु को बढ़ाते जाने लगी। महज आधे घंटे में वो अपस्यु को 15 पेग पिला चुकी थी और खुद अभी तक दूसरे ड्रिंक को पकड़ी हुई थी।


अपस्यु "एक्सक्यूज मी" करते हुए उठा और लड़खड़ाते हुए किसी तरह बाथरूम तक पहुंचा। काम खत्म करके आने के बाद अपस्यु फिर बैठा। श्रेया ने फिर से ड्रिंक देना शुरू की। 3 पेग और पिलाने के बाद… "अपस्यु आज तक तुमने बताया नहीं की तुम कौन से आश्रम में पढ़े हो।"..


अपस्यु, श्रेया को गौर से देखते… "वो क्या है ना बेबी तुमने कभी पूछा ही नहीं। वैसे एक बात कहूं तुम बहुत हॉट दिखती हो। बिल्कुल रेड चिली"


श्रेया:- हीहीहीही… ये नया अवतार अपस्यु बाबू का। चलो अब पूछ लिया, बता दो..


अपस्यु:- अम्म्म ! ठीक है मै सब बताऊंगा लेकिन एक शर्त पर..


श्रेया:- कैसी शर्त..


अपस्यु:- हम एक-एक सवाल करके खेलेंगे.. एक तुम पूछो एक मै..


श्रेया:- और यदि मुझे किसी सवाल का जवाब नहीं देना हुआ था…


अपस्यु:- सिम्पल, मुझे आकर एक जबरदस्त किस्स दे देना वो भी लिप टू लिप वाला।


श्रेया:- ये क्या बकवास है? तुम होश में तो हो..


अपस्यु:- रॉक सॉलिड होश में हूं। कुछ लोगों को पचती नहीं, लेकिन मै अभी 20 पेग और ले सकता हूं। मेरी छोड़ो तुम तो होश में हो ना..


श्रेया:- हीहीहीही.. पागल हो तुम। हां मै भी होश में हूं। लेकिन ये तो चीटिंग होगी ना। मैं तो ईमानदारी से खेलूंगी, नहीं मन हुआ जवाब देने का तभी ना कहूंगी, लेकिन तुम्हारा क्या भरोसा.. कहीं जान बूझकर मुझे किस्स करने का मन हो और तुम ना कह दो तो।


अपस्यु:- ओय शुक्र करो वो मस्त वाला खेल नहीं खेला, जिसमें एक जवाब ना देने पर कपड़े उतारने कहते है। वैसे भी ऐसा कोई सवाल नही जिसका जवाब मै ना दे सकूं, गूगल भी करना पड़े तो भी जवाब दूंगा.. अब जो नहीं आता सो नहीं आता, उसमे कुछ नहीं किया जा सकता.. भरोसा हो तो खेलो नहीं तो कोई बात नहीं।


(पापा को मै कबसे इस प्लान पर काम करने कह रही थी, लेकिन वो वक़्त मांग रहे थे। कितना मुश्किल होता है बिना सीधा सवाल किए हुए जवाब निकालना ये बात थोड़े ना समझ में आएगी। ये लो देखो, दारू अंदर गई नहीं की सारे राज बाहर आने शुरू)


(अभी तो तुझे पिलाते-पिलाते 12.30 ही बजे है। तुम्हे तो आज पूरी रात जगाऊंगा जानेमन। पूछ ले सवाल तू,आज तो मेरा अतीत जान कर ही चली जाना लेकिन बातों के दौरान तुम जरा बचकर चलना जानेमन, कहीं मुंह से कुछ निकल गया तेरे, तो मेरा राज जानने के चक्कर में अपने राज मत खोल देना)
बहुत ही शानदार लाजवाब अपडेट भाई
 
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