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Romance भंवर (पूर्ण)

Zoro x

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Update:-121







अपस्यु:- बस मुझे इतना ही जानना था, बाकी खेल तो शुरू हो ही गया है, मज़े लो बस…


मेघा:- हां मै तो पॉपकॉर्न के साथ मज़े लूंगी इस सह और मात के खेल का। वैसे तुम्हे डर नहीं लग रहा।


अपस्यु:- अपना डर दूर करने ही तो मैदान में उतरा हूं.. वरना मुझे क्या परी थी।


मेघा:- जिंदा रहे तो फिर मज़े करेंगे डार्लिंग। अब मैं चलती हूं।


मेघा वहां से निकल गई और अपस्यु अपने सिगरेट का धुआं उड़ाते कुछ सोच में डूबता चला गया। एक छोटे से चिंतन के बाद अपस्यु मुक्ता अपार्टमेंट से अपने फ्लैट लौटा और श्रेया को मिलने का आमंत्रण दिया।


श्रेया किसी घायल शेरनी की तरह पगलाई अपस्यु का इंतजार कर रही थी। जैसे ही वो मिलने के लिए फ्लैट में घुसी, ना कोई बात ना कोई वार्निग, सीधा फायरिंग शुरू कर दी। गुस्से में पगलाई श्रेया ने जैसे ही पुरा मैग्जीन खाली किया अपस्यु ने उसे तेजी से पकड़ा।….


श्रेया खुद को छुड़ाने के जद्दो जेहद में लग गई। काफी कोशिश के बाद जब वो नाकाम सी महसूस करने लगी, छटपटाने बंद करके वो स्थिर हो गई और तेज-तेज श्वांस लेती श्रेया गुस्से में पागल होकर इधर-उधर देखने लगी….


अपस्यु अपने हाथों की पकड़ बनाए….. "तुम मुझे जान से मारने कि कोशिश कर रही हो, लेकिन मार नहीं पा रही। कहीं मैंने सोच लिया तो तुम्हारे साथ-साथ यहां रह रही तुम्हारी पूरी टीम भी साफ हो जाएगी। बेहतरी इसी में है कि हम बैठकर बातें कर ले।"


श्रेया अपनी पिस्तौल नीचे गिराती हुई "हां" कही और अपस्यु ने उसे छोड़ दिया। ख़ामोश होकर वो हॉल में बैठी… "बताओ क्या बात करनी है।"


अपस्यु:- ये सीधा गोली मारना कहां से सीखी।


श्रेया:- जब खून सवार होता है तो सीधा गोली ही मारी जाती है, बातचीत तो समझौते का रास्ता खोलती है।


अपस्यु:- और खून क्यों सवार हो गया तुम्हारे सर पर..


श्रेया:- मेरे 5 लोग को बड़ी बेरहमी से मारने के बाद ऐसा पूछ रहे, कमाल हो गया ये तो।


अपस्यु:- वो तुम्हारे लोग थे और तुम मेरे पीछे हो, ये मुझे अगले दिन पता चला, इसलिए इसका दोष मुझपर ना ही दो तो अच्छा है। मेरे सामने भी मुझे और ऐमी को जान से मारने कि कोशिश हुई थी। तुम्हारे 5 लोगों को जान से मारने का अफ़सोस है, लेकिन मुझे फसाने के लिए तुमने गलत रास्ता चुना था। अगर कुछ इतना ही जरूरी था तो सीधा बात कर लेती, उस जगदीश राय को मारने के लिए भी मुझे सोचना पड़ता क्या?


श्रेया:- आई एम् सॉरी। मैं एक तरफा सोचकर ही सब गड़बड़ कर गई।


अपस्यु:- उन 5 लोगों की फैमिली डिटेल मुझे दे देना। उनका कर्जदार हूं मै, क्योंकि योजना तुम्हारी थी और पीस गए गलत लोग, जिन्हें मौत तो नहीं ही मिलनी चाहिए थी, क्योंकि वो ऑर्डर फॉलो कर रहे थे।


श्रेया:- मेरे टीम के लोग थे इसलिए मै मौत का बदला ले रही थी बस, बाकी मुझे कोई गिल्ट नहीं उन 5 के मरने का। सच मानो तो 10 और ऐसे लोग है, जो मेरे टीम से चले जाए तो शायद उनके मरने का बदला मै ले लूं, लेकिन उनके जीने से ज्यादा उनके मरने कि ही ख्वाहिश दिल में है।


अपस्यु:- एक खतरनाक टीम लीड करने वाली की इतनी भावनाएं। हुआ क्या था, जो इन 15 से लोगों से तुम नफरत करती हो?


श्रेया:- कुछ बातें ना ही जानो तो अच्छा होगा। खुद को बड़ी हिम्मत से खड़ा किया है, तुम्हारे कहे शब्द और एक दोस्त की तरह मुझे समझना, मुझे फिर से किसी और दौड़ में ले जाएगा। इसलिए मेरी इतनी रिक्वेस्ट मान लो। और हां, आई एम् ए बैड गर्ल, इसलिए मेरे किसी दिमागी फितूर के कारन मुझे जान से मारना पड़े तो अफ़सोस मत करना, बाकी मुझे यदि तुम्हे मारना होगा तो पहले तुम्हे मारूंगी और बाद में थोड़ा सा अफ़सोस कर लूंगी।.. हीहीहीहीही…


अपस्यु:- पूरे पागल हो तुम !


श्रेया:- सो तो हूं। अब छोड़ो इन सब बातों को, सीधे मुद्दे पर आती हूं। तुम मेरे बारे में जानते हो और मै तुम्हारे बारे में, सो अब ये लुका-छिपी का खेल क्यों? सीधे बात करते हैं।


अपस्यु:- मै भी यही सोचकर पब में सब ओपन कर दिया था।


श्रेया:- मेरी ट्रेनिग एक कातिल के रूप में हुई है। हमारी टीम अबतक 4 काम को चुपचाप अंजाम दे चुकी है, लेकिन हमलोग 2 टारगेट में फंस गए। 2 टारगेट में फसना भी गलत होगा, जगदीश राय को ही मारने में इतने बुरी तरह से असफल हो गए की दूसरा टारगेट तो उससे कई गुना हाई लेवल का है। हम लोग जब जगदीश राय की फील्डिंग कर रहे थे, तब मैंने तुम्हारा जलवा देखा था, उसके अंडरग्राउंड फाइट क्लब में। जहां पर कोई जगदीश राय के खिलाफ कुछ करने की सोच नहीं सकता, उस जगह तुम 2 लोग सामने से अंदर घुसे और अपना काम करके निकल गए।

"हम लोग तो दंग ही हो गए थे ये सब देखकर। हमारी, जगदीश राय को मारने कि पहली प्लांनिंग ही चल रही थी, और जोश इतना था कि हमने जीत जश्न में इतना ही कहा था… "जब दो लोग सामने से घुसकर इतनी तबाही मचा सकते हैं, फिर हमारे पास तो एक पूरी टीम है।"

"वक़्त बीतता रहा लेकिन जगदीश राय क्या चीज है, हमे समय-समय पर पता चलता रहा। हम समझ चुके थे कि ये जगदीश राय हमसे बहुत ऊपर की चीज है इसलिए फिर हमने तुम्हे ढूंढ़ना शुरू किया। केवल 2 मकसद थे, तुम्हे समझकर अपने साथ मिलाना या साथ मिलकर काम करने लायक नहीं हुए तो तुम्हे फसाकर काम निकलवाना। बेसिकली हमारी पूरी टीम ही इस मामले में कच्चे है, किसी को फसाकर काम निकलवाने में हम लोग फिसड्डी साबित हुए।"

"मेरे काम के अंदाज़ से तो तुम समझ ही चुके होगे कि ये हमारा पहला हाई केवल काम था और तुम्हे जाल में फंसाकर हमे 2 बड़े टारगेट एलिमिनेट करने का काम मिला था। एक को तो तुमने साफ कर दिया। अब बस अपना एक हाई क्लास टारगेट एलिमिनेट करवाना है।"


अपस्यु:- नाम बताओ, यदि अनैतिक नहीं होगा तो मै ये काम कर दूंगा।


श्रेया:- मैं जानती हूं तुम्हारे काम करने के तरीके को। मेरे टारगेट का नाम सुनकर तुम मना नहीं कर सकते इस काम को।


अपस्यु:- नाम, काम और दाम बताओ।


श्रेया:- लोकेश प्रताप सिंह.. कीमत तुम खुद बता दो।


अपस्यु:- हम्मम ! ठीक है अगले 3 दिन में यह काम जो जाएगा। उम्मीद है तुम और तुम्हारी टीम का काम यहां खत्म हो गया, सो तुमलोग अपने ये रेंट का फ्लैट छोड़कर आराम से निकल जाओ, और इस काम के बाद ना तो मै तुम्हे जानता हूं, और ना तुम मुझे। इस काम कि कीमत होगी 50 करोड़।


श्रेया:- लेकिन तुम्हारी कीमत तो 2 करोड़ हुआ करती है ना।


अपस्यु:- लोकेश राठौड़ इतनी बड़ी मछली है कि तुम तो 100 करोड़ निकलवाओ अपने बॉस से, 50 तुम्हारे और 50 मेरे। और हां, हम दोनों एक दूसरे के बारे में जानते है, ये किसी को भनक भी नहीं लगने देना।


श्रेया:- कीमत ज्यादा है पहले उसपर बात जर लें, फिर दूसरी चर्चा भी हो जाएगी।


अपस्यु:- इसलिए मैं लड़कियों के साथ डील नहीं करता, यहां भी बारगेनिंग।


श्रेया:- सो तो है। तो डील कुछ ऐसी है कि तुम्हे में 10 करोड़ दिलवाती हूं।


अपस्यु:- 50 करोड़ से सीधा 10 करोड़, ये कैसी बारगेनिंग है।


श्रेया:- लवली बारगेन है। आज तुम्हारा पीछा करके मै जान गई हूं कि तुम्हारा भी वही टारगेट है जो मेरा है। मै 10 करोड़ ना भी दूं तो भी ये काम तुम करोगे। सो पैसों की डील तय हो गई। अब आते हैं दूसरे हिस्से पर। तुम मेरी सच्चाई नहीं जानते। ठीक है तुम मेरी सच्चाई नहीं जानते, लेकिन इस डील के लिए मैंने तुम्हे राजी कैसे किया। सो एक दमदार एग्जॉटिक प्ले होगा और तुम मेरे बिछाए हुस्न के जाल में फस गए।


अपस्यु:- मुझे तुम्हारे साथ फिजिकल होने में कोई ऐतराज नहीं, लेकिन तुम्हे ये जरूरी लगता है तो अभी कर लो, वरना मुझे काम पर फोकस करना है।


श्रेया:- हम्मम ! कोई नहीं, ठीक है इस बार बच गए लेकिन मै अपनी डिजायर तो कभी ना कभी पूरी कर ही लूंगी। अलविदा दोस्त फिर शायद ही हम कभी मिले।


अपस्यु 2 मीटिंग समाप्त कर चुका था लेकिन रात के इस प्रहर में अंदर से हृदय थोड़ा कमजोर सा पड़ता जा रहा था। जिंदगी में पहली बार उसे डर का आभास सा हो रहा था। अपस्यु एक बहुत बड़े खेल का हिस्सा बन तो गया था, लेकिन आने वाले पल की कल्पना अपस्यु के अंदर डर का माहौल बनाए हुए थे।


अपस्यु को भले ही खेल शुरू होने से पहले, अनचाहे डर ने उसे घेर रखा था, लेकिन लोकेश अपनी मकसद को पूरा करने के लिए पूरे जोर से आगे बढ़ना शुरू कर चुका था। सुबह जिस नंदनी रघुवंशी का चेहरा, लोकेश ने अपस्यु के मोलबाइल में देखा, रात तक उसकी और उसके पूरे परिवार की डिटेल सामने थी।


12 अगस्त की रात विक्रम और लोकेश मीटिंग हॉल में बैठकर नंदनी की पूरी डिटेल देख रहे थे…. "पापा क्या यही है आप की बहन"..


विक्रम:- सौ फीसदी यही है नंदनी रघुवंशी।


लोकेश:- ठीक है पापा फिर कल दिन में उनके यहां आने की स्वागत कीजिए। अब अपना पुरा दाव खेलने का समय आ गया है।


विक्रम:- लोकेश वो सेंट्रल होम मिनिस्टर है , उसपर हाथ देने का मतलब तुम समझ रहे हो।


लोकेश:- पापा, जब विपक्ष अपने साथ हो, उसके पार्टी के कई नेता अपने साथ हो, पुरा मामला मायलो ग्रुप के मालिक और सेंट्रल होम मिनिस्टर के बीच का होना है, फिर आप चिंता क्यों करते है? अब आप समझे की हमे नंदनी रघुवंशी की इतनी जरूरत क्यो थी?


लोकेश के इस छोटे से मीटिंग के बाद, सबसे पहले अपस्यु और उसके परिवार पर ही गाज गिरने की तैयारी शुरू होने लगी, क्योंकि लोकेश के अपने सबसे बड़े दाव के लिए नंदनी रघुवंशी का उसके पास होना जरूरी था और 12 अगस्त की पूरी रिसर्च के बाद 13 अगस्त, दिन के 2 बजे तक उसे हर हाल में नंदनी रघुवंशी अपने बेस पर चाहिए था।


गोवा से लेकर मुंबई और मुंबई से लेकर दिल्ली तक, अपस्यु और उसके परिवार के नाम की लिस्ट निकल चुकी थी। हर जगह के लोकेश के पाले प्रोफेशनल पहुंच चुके थे और सबका काम और टारगेट बांट दिया गया था। एक रात और जीने की गुंजाइश के बाद, नंदनी के सारे परिवार को दिन के 2 बजे तक समाप्त करके नंदनी को राजस्थान लाने कि सारी तैयारियां हो चुकी थी।


सुबह के लगभग 5 बजे से ही हर कोई फील्डिंग लगाकर बैठ चुका था। गोवा में आरव और लावणी एक हसीन रात बिताने के बाद सुबह के 5 बजे, मोरजिम बीच घूमने के लिए निकले थे। हाथों में हाथ थामे एक और हसीन सुबह लुफ्त उठाने। दोनो जैसे ही अपने रिजॉर्ट से बाहर निकले, खबरी ने तुरंत यह संदेश आगे तक पहुंचाया।


एक चेन के माध्यम से खबर लोकेश के ऑपरेटिंग रूम तक पहुंची, और वहां का ऑपरेटर अजय लाइव वीडियो फुटेज ऑन करके टारगेट को एलिमिनेट करने का हुक्म दिया। 2 स्नाइपर और 7 गनमैन फाइटर के साथ ये लोग भी मोरजिम बीच के पास, जंगल झाड़ियों में अपना ठिकाना बनाया।


शूटर 1:- लड़का मेरे निशाने पर है।
शूटर 2:- उसकी कमाल कि हॉट गर्लफ्रेंड मेरे निशाने पर है।


लोकेश के कंट्रोल रूम का ऑपरेटर अजय…. "दोनो टारगेट को खत्म करो"…


इधर फायरिंग के आदेश आए और उधर 9 लोगों की भीड़ में कौतूहल का माहौल हो गया। वीडियो आरा तिरछा आ रहा था, किसी की कमीज़ दिख रही थी तो किसी की पैंट। आवाज़ से इतना तो समझ में आ रहा था कि उस जगह पर मारपीट हो रही थी, लेकिन कौन किसको मार रहा था कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था।


तकरीबन 10 मिनट बाद वहां से ऑडियो और वीडियो दोनो आने बंद हो गए। ऑपरेटर हेल्लो, हेल्लो करता रह गया, लेकिन उधर से कोई जवाब नहीं आया। ऑपरेटर अजय से जब ये गुत्थी नहीं सुलझी, तब वो आनन फानन में गोवा के लोकल गैंग से संपर्क किया और 2 करोड़ की एक डील तय करके आधे पैसे उन तक पहुंचा दिए।
बहुत ही शानदार लाजवाब अपडेट भाई
असल लड़ाई अब शुरू हुई हैं भाई
Update:-123







अजय:- सर अपने 4 हाई क्लास स्नाइपर, 22 हाई क्लास ट्रेंड सिपाही लापता है। गोवा के एक गैंग के 20 मेंबर इस वक़्त हॉस्पिटल में है। उनकी गंभीर हालात देखकर और अन्य जगह पता लगाने के बाद, गोवा के कॉन्ट्रैक्ट किलर्स ने अपने टारगेट का कॉन्ट्रैक्ट लेने से मना कर दिया। दिल्ली और मुंबई में तो इस से भी बुरे हाल थे। गोवा में तो एक ने कॉन्ट्रैक्ट ले भी लिया लेकिन मुंबई और दिल्ली के किसी भी कॉन्ट्रैक्ट किलर में इतनी हिम्मत नहीं थी कि उनका कॉन्ट्रैक्ट ले सके। आपने अपने दुश्मन को बहुत कम आंका सर।


अजय की पूरी डिटेल सुनने के बाद लोकेश तो पागल सा हो गया। कहां होम मिनिस्टर को मारने कि प्लांनिंग हो रही थी और यहां एक लड़का और उसका परिवार मार नहीं पाए, उल्टा अपने सबसे बेस्ट लड़के और शार्प शूटर्स को भी खो दिया। अजय को खींचकर 2 थप्पड़ लगाने के बाद वहां उसे कंट्रोल रूम से बाहर भेजकर लोकेश सभी फुटेज को देखने लगा।


एक ही सीन को बार-बार, कई बार दोहरा कर देखते हुए समझने की कोशिश कर रहा था कि वहां हुआ क्या होगा? कौन है ये अपस्यु और कितनी बड़ी है उसकी गैंग, जिसकी सुपाड़ी अंडरवर्ल्ड तक नहीं के रहा।


लोकेश को जब कुछ समझ में नहीं आया, तब उसने मेघा को दिल्ली से वापस अपने बेस पर बुला लिया। लोकेश ने अजय को भी वापस कंट्रोल रूम में बुलाया और बंद हुए ऑडियो वीडियो डिवाइस से पुनः कनेक्शन बनाने के लिए कहने लगा। अजय अपने काम में लग गया और लोकेश अपनी मूर्खता पर बस इतना ही सोच रहा था कि…..


"मैंने पूरी ताकत से हमला किया, उस लड़के को कोई फर्क नहीं पड़ा, ये दिल्ली में ही था, जब चाहता तब मुझे मार सकता था, लेकिन क्षमता होने के बावजूद भी मारा क्यों नहीं?"..


लोकेश का दिमाग पजल बाना हुआ था और अपस्यु उसके लिए किसी रहस्य से कम नहीं। तभी ऑपरेटर अजय चौंककर कहने लगा… "सर स्क्रीन देखो।"


लोकेश ने जैसे ही स्क्रीन देखा… सामने अपस्यु, ऐमी, और आरव तीनों उनके लाइन पर थे और अपना हाथ हिला रहे थे। लोकेश उन्हें देखकर जवाब में अपना हाथ हिलाया।


आरव:- क्यों खडूस ये अपने लोकेश भईया कुछ ज्यादा ही कंफ्यूज दिख रहे है।


अपस्यु:- हां कंफ्यूज तो दिख रहा है ये आस्तीन का सांप, लेकिन सुबह से कितना डराया है हमे। अपने बुआ के परिवार पर हमला, जारा इसे भी डर से परिचय करवाओ।


ऐमी:- क्यों नहीं अभी करवा देते है।


लोकेश ख़ामोश होकर तीनों की बातें सुन रहा था, तभी उनके स्क्रीन पर चिल्ड्रंस केयर की विजुअल आने लगे, जहां लोकेश की प्यारी पत्नी मीरा और उसकी लाडली बहन कुसुम, चिल्ड्रंस केयर के लड़के-लड़कियों के साथ प्यार से वक़्त बिता रहे थे।


लोकेश अपने चेहरे का पसीना साफ करते…. "देखो मानता हूं मैंने गलत किया है, लेकिन प्लीज उन्हें जाने दो।"


आरव:- लोकेश भईया, पत्नी तो सबको प्यारी होती है, फिर मेरी होने वाली पत्नी पर हमला।


लोकेश:- देखो मै ताकत के नशे में अंधा हो गया था। प्लीज उन्हें जाने दो… (लोकेश यहां तक मिन्नते भरे लहजे में विनती कर रहा था.. उसके बाद गूंजी उसकी अट्टहास भारी हंसी)… या फिर खुद ही रख ले या मार दे, लेकिन तुम जैसे पिद्दी ये सोच लो कि मुझे ब्लैकमेल कर सकते हो, तो यह तुम्हारी भुल होगी। मेरे पास इतना पैसा है कि मै मीरा जैसी चार पत्नियां घर में रख लूं। दूसरी वो बहन, जब तेरे मामा ने अपनी जिंदा बहन का श्राद्ध कर दिया। मेरा बाप तेरी मां को गोली मारने से पहले सोचेगा तक नहीं, ऐसे कुल में पैदा हुए लड़के को तू बहन के नाम से डरा रहा है। शौक से मार दे।


अपस्यु:- जैसी तुम्हारी इक्छा।


अपस्यु इतना कहकर इशारा किया और लोकेश के नज़रों के सामने 2 स्निपर की गोली एक साथ चली, एक कुसुम और दूसरी मीरा को लगी। लोकेश हंसते हुए कहने लगा…. "तेरा तो मै फैन हो गया। मुझे ऐसे लोग पसन्द है जो बातों से ज्यादा एक्शन दिखाते है। मैंने तेरे परिवार को जान से मारने कि कोशिश की और बदले में तुमने मेरे 26 लोग और 2 परिवार के सदस्य को लुढ़का दिया। दिल जीत लिया तूने।"


आरव:- ये भाई इतनी तारीफ काहे कर रहा है। लगता है दिमाग में कहीं ना कहीं होगा की लोभ दो, अपने बेस पर बुलाओ और टपका डालो।


लोकेश:- ओह मतलब मुझपर पूरा होमवर्क करके आए हो। मेरा कोई बेस है यह तक पता है तुम लोगों को। शाबाश !!!


ऐमी:- सॉरी जेठ जी, लेकिन आप जैसे लोग को यहां दिल्ली में चुटिया कहते है। हमे तो बस विक्रम राठौड़ चाहिए, आप बेकार में खुद को हाईलाइट किए हो।


लोकेश:- कुछ बातें पब्लिक के बीच ना हो तो ही अच्छा है। मुझे ऐसा क्यों लगा रहा है कि हम साथ मिलकर बहुत ज्यादा धमाल कर सकते हैं। तुम तीनों कोई आम इंसान तो कतई नहीं हो सकते। मेरा न्योता स्वीकार करो और यहां चले आओ।


अपस्यु:- तुम पर भरोसा नहीं लोकेश… इसलिए तुम ही यहां दिल्ली क्यों नहीं चले आते।


लोकेश:- भरोसा तो तुम पर भी मुझे नहीं अपस्यु। अभी-अभी तुम्हारे परिवार को मारने कि मैंने कोशिश की और जिस हिसाब से तुमने उन्हें सुरक्षा दे रखा था, तुम पहले से हमले ले लिए तैयार थे। इसलिए हालात को समझे और परिवार के प्रति तुम्हारे प्यार को देखते हुए मेरी तो इक्छा ही मर गई अपने बेस से निकलने की।


अपस्यु:- फिर चलने दो चूहे बिल्ली का खेल, मुझे तो मज़ा आ रहा है।


लोकेश:- लेकिन मुझे तो मज़ा नहीं आ रहा ना। तुम कुछ ऐसा बताओ जिसके करने के बाद तुम्हे मुझ पर यकीन हो जाए।


अपस्यु:- तुम पर यकीन नहीं लेकिन मै खुद पर तो यकीन करता हूं। 15 अगस्त की शाम, आजादी का जश्न तुम्हारे यहां ही होगा। तुम्हारे सारे आदमी सुरक्षित है, कल उन्हें 16 अगस्त के बाद उठा लेना। तुम्हारी प्यारी पत्नी और बहन को मैंने ट्रांकुलाइजार दिया था। उनके होश में आते ही मै उन्हें सुरक्षित पहुंचा दूंगा।


लोकेश:- रहम दिल अपस्यु। खैर अब मेरे ओर से भी कोई कोशिश नहीं होगी, मिलते हैं 15 अगस्त को फिर।


जबतक लोकेश अपस्यु से बात कर रहा था, मेघा भी वहां पहुंच गई। वो ख़ामोश एक कोने में खड़ी होकर दोनो की बातें सुन रही थी। अपस्यु से बात समाप्त करके लोकेश और मेघा प्राइवेट मीटिंग रूम में पहुंचे। कल से जो जीत के घोड़े पर सवार था, आज मेघा से बात करते वक़्त तो ऐसा लग रहा था कि उसके जीत के घोड़े में पंख भी लग गया हो।


कहानी जैसे पुरा ही पलटी मार चुकी थी, और कहानी की यह पलटी कहीं ना कहीं मेघा के मन में वो ज़हर घोल गई, जिसका अंदाज़ा लोकेश नहीं लगा सकता था। जिस अपस्यु को महज एक छोटा मोहरा बोलकर मेघा को यह कहने पर मजबूर किया गया कि… "काम को लेकर अब उसकी रुचि अपस्यु में नहीं रही"… आज वही लोकेश, अपस्यु के साथ मिलकर अपने भविष्य की नीति बाना रहा था।


आज उसी लोकेश को अपस्यु एक मामूली प्यादा नहीं, बल्कि बराबर का एक साथी मान रहा था। जिस होम मिनिस्टर को कल से मारने का सपना संजोए जा रहे थे, आज उसी होम मिनिस्टर को अपने पाले में मिलने और आने वाला लोकनसभा इलेक्शन पर नजरें बनाया जा रहा था। एक ही रात में कहानी ने ऐसी पलटी मारी, की मेघा का दिमाग ही घूम गया।


अपस्यु को लेकर उसके बदले विचार के बारे में जब पूछा गया, तब लोकेश ने अजय को बुला लिया और सुबह से हुई सारी घटना सुनाने के लिए बोल दिया। अजय जब एक-एक करके सभी बातों पर प्रकाश डाला, तब कहीं जाकर मेघा के दिल को सुकून मिला। मेघा अपने साथ हुए धोक को लेकर हताश तो थी ही किन्तु उसे लोकेश का भविष्य भी समझ में आ चुका था।


सारी बातें सुनने के बाद मेघा हंसती हुई कहने लगी… "कल तो मै उसे साथ मिलाकर काम करने वाली थी, और आज उसी अपस्यु को तुमने अपने पाले में मिला लिया।"


लोकेश:- तुमने उसे कम आंका और मैंने उसी अनुसार योजना बनाई। आज सुबह जब मै उससे टकराया तब मुझे उसकी क्षमता का अंदाज़ा हुआ।


मेघा:- क्षमता का अंदाज़ा तो ठीक है लेकिन क्या वो साथ काम करेगा ?


लोकेश:- देखा जाए तो अभी वो 40000 करोड़ का वारिस है। जितना क्षमता और कनेक्शन है उसके, वो चाहता तो कबका मायलो ग्रुप का पूरा मालिक बन जाता। और हां ! मैं तो उसके बारे में कल से जाना हूं, लेकिन वो तो मेरे बारे में बहुत पहले से जानता था। एक छोटी सी भी यदि वो प्लांनिंग करता, तो मुझे भनक भी नहीं लगती और मैं खत्म। लेकिन उसने ऐसा नहीं किया, इसका मतलब साफ है वो दुश्मन बनाने में नहीं, बल्कि साथ मिलकर काम करने में विश्वास रखता है।


मेघा:- एक ही दिन में इतना विश्वास?


लोकेश:- विश्वास की कहानी इतनी सी है कि हम दोनों को साथ काम करना है। कुछ तो छिपे मकसद उसके भी है और कुछ छिपे मकसद मेरे। हम दोनों के छिपे मकसद जबतक पूरे नहीं होते तबतक हम एक दूसरे को नहीं ही मार सकते है।


मेघा:- और उसके बाद..


लोकेश:- उसके बाद हम दोनों एक दूसरे को जान चुके होंगे। तब तो 2 ही बात होगा, या तो मौका देखकर हम में से कोई एक दूसरे को खत्म कर देगा या फिर एक मकसद खत्म होने के बाद किसी दूसरे मकसद के लिए राजी कर लिया जाए।


मेघा:- ऐसा लग रहा है तुम्हारे सारे सितारे जोड़ मार रहे है। ..


लोकेश हंसते हुए कहने लगा… "मेरे सितारे की नई दिशा जो तय करने वाला है वो लकी तो तुम्हारे गोद में पुरा बैठा है, ये क्यों भुल जाती हो। हो ना हो वो अपने हर काम में तुम्हे साथ रखेगा।"..


मेघा:- वो तो आने वाले 15 तारीख को ही पता चलेगा… फिलहाल और कुछ जो हमे करना चाहिए..


लोकेश:- हां बिल्कुल, मायलो ग्रुप की मालकिन लौट आयी है, ये बात सबको पता चलना चाहिए।


लोकेश और मेघा अपनी बातचीत खत्म करके दिल्ली के लिए रवाना हो गए। कुछ ही देर में एक बड़े से प्रेस कॉन्फेंस का आयोजन किया गया, जिसमें मायलो ग्रुप की मालकिन को दिखाया गया। साथ ही साथ कई सारे सवालों का जवाब लोकेश और विक्रम ने दिए।


मायलो ग्रुप के मालकिन के बारे में जानकर फिर तो प्रेस रिपोर्ट्स ने सवालों के बौछार लगा दिए। जिसमे नंदनी रघुवंशी का उनके साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस में ना आना, पारिवारिक कलह और बीते इतने वर्षों में वो क्यों छिपी रही, यह प्रमुख सवालों में से एक था।


लोकेश सभी सवालों से बचते हुए अपना पल्ला झाड़ लिया और बस यह कहकर निकल लिया की उनके सवाल का जवाब नंदनी बेहतर तरीके से दे सकती है। उन्हें भी नंदनी रघुवंशी के बारे में आज ही पता चला है, वो भी कई वर्षों की तलाश के बाद।


अपस्यु बड़े सुकून से अपने घर के हॉल में बैठा हुआ था। ऐमी बिल्कुल उसके पास और दोनो बैठकर आराम से लोकेश के प्रेस कॉन्फ्रेंस का मज़ा ले रहे थे। ऐमी, अपस्यु के ओर मुस्कुराती हुई देखने लगी…


अपस्यु:- हेय लव तुम्हे क्या हुआ?


ऐमी:- शायद कल रात हम दोनों की कुछ चिंता थी, अभी काफी सुकून मिल रहा है।


अपस्यु, किनारे से ऐमी को अपने बाहों में समेटकर उसके गले को चूमते…. "आह ! ऐसा नहीं लग रहा, काफी सुकून में आ गए हैं हम दोनों।"


ऐमी:- अच्छा और सुकून में आते ही ये तुम्हारे हाथ जो साइड से शरारतें कर रहा है उसका क्या?


अपस्यु, ऐमी के कानो को नीचे चूमते… "आप को जब पता हो कि कल आपके पूरे परिवार पर हमला होने वाला है, तब ऐसे ऐसे बुरे ख्याल दिल में आते है कि एक पल काटना दूभर हो जाता है।


"आव, बेशर्म... दूर रहो थोड़ा सा, और चलो जारा अपने गॉडफादर और गॉडमदर से भी बात कर लिया जाए। दोनो वादा करके मुकड़ गए।"… ऐमी अपस्यु के बाहों के घेरे से उठती हुई, अपनी बात कही और प्राइवेट लाइन से कनेक्ट हो गए..


पल्लवी:- हाय रात को याद कर रहा है मेरा देवर, कुछ-कुछ होने तो ना लगा..


ऐमी:- भाभी, मेरे होने वाले को रिझाना बंद करो, वरना झगड़ा हो जाएगा।


पल्लवी:- सुन ले अपस्यु मै कहे देती हूं, ये ऐमी की बच्ची तेरे लिए ठीक ना है, अभी से हमारे बीच की दीवार बन रही है।


अपस्यु:- आप दोनो बस भी करो। भाभी काम कि बात कुछ कर ले।


पल्लवी:- सबसे ज्यादा काम कि बात तो कर ही रही हूं, तू है कि दुनिया कि तमाम चीजें कर केवल एक यह जबरदस्त काम छोड़कर।


जेके:- बस भी करो तुम पल्लवी। अपस्यु बधाई हो, आज तो कमाल ही कर दिया। हम दोनों न्यूज में तुम्हारी ही खबर देख रहे थे।


अपस्यु:- आप सब तो शर्मिंदा ना कीजिए। किसने बताया था मुझे की लोकेश आधे दिन में हमारे परिवार की पूरी जानकारी पता लगाएगा। बचे आधे दिन में वो अपने सारे एक्सपर्ट को हमारे पूरे परिवार को मारने के लिए हमारे पीछे लगाएगा और अगले दिन सुबह से ही मौका देखकर सबको साफ कर दिया जाएगा।


जेके:- तुमने भी तो जगदीश राय की तिजोरी से मुझे वो डायरी दी थी, जिसकी मदद से 6 महीने में सॉल्व होने वाला केस, सिर्फ 2 महिने में निपट गया। ऊपर से हम जिसे नहीं ढूंढ पाते, उस डायरी की मदद से हमने उन्हें भी खोद निकला।


अपस्यु:- इसमें तो थैंक्स फिर मेरे ससुर जी को दे दो। क्योंकि उन्होंने ही मुझे जगदीश राय की तिजोरी खोलने का कॉन्ट्रैक्ट दिया था और वहीं पर ये काम की डायरी दिख गई तो मैंने चुरा लिया।


जेके:- और इसी डायरी की वज़ह से मैंने केस जल्दी सॉल्व कर लिया और एनएसए (NSA) हेड को लगा कि दिल्ली में मेरे बहुत ज्यादा कॉन्टैक्ट है इसलिए केस का नतीजा इतना जल्दी आ गया। इसी गलतफहमी के साथ वो अपनी एक समस्या मुझ से डिस्कस कर गए।
बहुत ही शानदार लाजवाब अपडेट भाई
शानदार जलवा दिखाया ताकत का दिमाग का नैन भाई
 

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अपस्यु:- मां आप बेफिक्र रहो। कल हम सब वैसे भी एक्शन ना के बराबर करेंगे और पुरा शो पॉपकॉर्न के साथ एन्जॉय करेंग। आप भी हमारे साथ क्यों नहीं चलती।


नंदनी:- नहीं मै नहीं आ सकती बेटा। जैसे तुम्हारी अपनी योजना है वैसे ही मेरी अपनी योजना है। एक अच्छे आदमी का नाम खराब किया है अपस्यु इन लोगो ने। मरणोपरांत किसी के नाम को मिट्टी में मिला दिया गया। मेरे पापा और मेरे भाई ने कभी किसी का बुरा नहीं चाहा, और ना ही कभी पैसों को तब्बजो दिया है। बस अपनी मां की एक ख्वाहिश पूरी कर देना, जब तुम लौटो तो उनका नाम पर लगा कलंक साफ हो जाना चाहिए, और इधर मै उनके एक बहुत बड़े सपने को साकार करने की दिशा में काम करूंगी। 16 अगस्त को जब सब सामान्य हो जाएगा, मै उसी दिन ये घोषणा करना चाहती हूं। क्या तुम मेरे लिए एक अच्छी टीम अरेंज कर सकते हो जो मेरे प्रोजेक्ट को पूरी तरह से प्लान कर दे।


अपस्यु:- मेरे बापू कब काम आएंगे मां। आप सिन्हा जी से मिल लीजिए, आपका सारा काम हो जाएगा….


नंदनी:- मै भी वही सोच रही थी। तुम सब अपने काम में लग जाओ, और हां ऐमी को भी बुला लो, उसे इस वक़्त यहां होना चाहिए।


कुंजल:- आप खाली थप्पड़ चलाने के लिए हो क्या मां, इतना तो आप भी कर सकती है, वो भी पूरे हक से।


स्वास्तिका, कुंजल के सर पर एक हाथ मारती…. "पागल कहीं की, बोलते-बोलते कुछ भी बोल जाती है।"..


अपस्यु:- हो गया, छोटी के मुंह से कुछ ज्यादा निकल गया हो तो एडजस्ट कर लो तुम लोग।


नंदनी:- तेरे छोटी और बड़ी कि हेंकरी तो मै 17 अगस्त से निकालूंगी, अभी जारा मै काम कर लूं। वैसे आते वक़्त मैंने गुफरान और प्रदीप को नहीं देखी, दोनो को कहीं भेजे हो क्या?


अपस्यु:- दोनो काम छोड़ गए मां। रुको आरव को बोलता हूं छोड़ आएगा।


तीनों एक साथ आश्चर्य… "आरव यहां है और अब तक कमरे के बाहर नहीं आया।"


अपस्यु:- कुछ जरूरी काम कर रहा होगा इसलिए बाहर नहीं आया।


नंदनी:- नहीं उसे रहने दो , मैं सिन्हा जी को बोल देती हूं किसी को भेज देंगे। और ऐमी को भी फोन लगा देती हूं।


अपस्यु:- मां, आज आप अकेली ही रहना, हम सब कुछ देर में राजस्थान के लिए निकलेंगे।


नंदनी:- मै अकेली क्यों रहूंगी, श्रेया तो है ना।


अपस्यु:- नाह ! उसने तो कल ही फ्लैट छोड़ दिया।


नंदनी:- हम्मम ! कोई बात नहीं, आज मै अपने 120 पोते-पोतियों के बीच सोऊंगी। पूरा भड़ा पुरा माहौल में, वो भी पूरी मस्ती के साथ। तुम लोगों को जहां जाना है वहां जाओ।


नंदनी ने ऐमी को ही कॉल लगाकर किसी ड्राइवर के साथ आने के लिए कह दी। कुछ देर बाद ऐमी फ्लैट के अंदर थी और नंदनी सिन्हा जी से मिलने चली गई। सुबह के 11 बज रहे थे, अपस्यु सबको वैन में लेकर दिल्ली राजस्थान हाईवे पर था।


सभी के मन में कई सवाल थे लेकिन अपस्यु बस उन्हें शांत रहकर सरप्राइज का इंतजार करने के लिए कहने लगा। 10 मिनट के बाद वैन एक बड़े से स्क्रैप यार्ड के पास खड़ी हो गई। सबको वैन में रुकने के लिए बोलकर, अपस्यु स्क्रैप यार्ड के अंदर घुसा और वहां एक लड़के से बात करने लगा। उस से बात करने के बाद अपस्यु वापस वैन में बैठा और वैन कुछ दूर आगे जाकर रुकी।


अपस्यु सबको नीचे आने का कहकर एक बड़े से गराज का शटर खोला, अंदर एक लाइन में 5 कार खड़ी थी जिसके ऊपर पेपर का कवर चढ़ाया गया था।… "क्या यार हम राजस्थान के लिए निकले है या यहां एनएच के कबाड़खाना देखने आए है।"…


"हम्मम ! अच्छा सवाल हैं। लेकिन इस सवाल का जवाब इन पेपर के अंदर छिपे कार में है।"….. अपस्यु एक कार के ऊपर के सारे पेपर हटाते हुए कहने लगा। … "पेश है पूरी तरह कस्टम की गई फरारी। ऑटोमोबाइल इंजीनियिंग का नायाब कारीगरी, जिसे आपकी प्यारी भाभी और मेरी होनी वाली प्यारी पत्नी ने आप सबको गिफ्ट किया है।"


कुंजल:- ऐसा क्या खास कस्टम किया है भाई ?


अपस्यु:- "कार की खास बात सिर्फ इतनी सी है कि, हम किसी के यहां बुलावे पर खाली हाथ अशहाय की तरह पहुंचेंगे और हमारी सारी जरूरत ये कार पूरी करेगी। इसके अलावा बहुत से और भी गुण के साथ इसे कस्टम किया है। हर किसी के लिए यहां उसकी अपनी कस्टम कार है और हर कार पर उसके मालिक का नाम लिखा है। 100% कंप्यूटराइज्ड बायोमेट्रिक सुरक्षा तकनीक के साथ जिसे बिना आपके कमांड के ऑपरेट नहीं किया जा सकता। इसके अलवा अंदर के सारे फंक्शन भी आपके हुक्म के गुलाम है।"

"बाकी सारी डिटेल कार के अंदर है, धीरे-धीरे सभी खूबियां समझ में आ जाएगी। यहां से वीरभद्र के गांव का सफर लगभग 700 किलोमीटर का है । हम बीच में जयपुर में हॉल्ट लेकर लंच करेंगे और फिर वहां से उदयपुर और उदयपुर से वीरभद्र के गांव। जयपुर हॉल्ट का जीपीएस लोकेशन मैंने भेज दिया है, यहां से हम अपनी कार में रेस करते हुए निकलेंगे।"


सभी लोग हूटिंग करते हुए कार का कवर खोले। कुछ ही समय में सभी कार सड़क पर थी। इंजन की आवाज़ घन-घन करने लगी और सबने अपने कार को भगाना शुरू कर दिया। कार हवा से बातें करना शुरू कर चुकी थी। जल्द ही सबके कार की गति 140-150 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार के हिसाब से चलने लगी थी। इससे ज्यादा तेज गति में कार ले जाने की हिम्मत किसी में नहीं हुई सिवाय अपस्यु के, जो टॉप स्पीड में लगभग 300 से 350 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ते हुए सबके बीच दूरियां बनता जा रहा था।


सभी लोगों कि गाड़ी हॉल्ट डेस्टिनेशन पर जैसे ही रुकी…. "आज क्या गाड़ियों की सेल लगी थी, जो हर कोई फरारी लिए घूम रहा है।"… आरव पार्किंग में अपनी गाड़ी खड़ी करते हुए सोचने लगा। यही हाल स्वास्तिका और कुंजल का भी था।


"ज्यादा आश्चर्य करने की जरूरत नहीं है, 20 कार कस्टम की गई थी, जिसमें से 7 अपने पास है।"…. ऐमी तीनों के पीछे खड़ी होकर कहने लगी।


आरव:- ओह हो मतलब 13 गाडियां कॉलीब्रेशन की है। अब मुझे समझ में आ गया कि दृश्य भईया किस धरती के बोझ की बात कर रहे थे, और अपस्यु ने अचानक ही सारे योजना को किनारे करके नई योजना पर क्यों काम शुरू कर दिया।


स्वास्तिका:- तुम दोनो कोड में बात क्यों कर रहे हो।


कुंजल:- उम्मीद है इस कोड का खुलासा किए बिना अब हमे इंतजार करने के लिए कहा जाएगा।


ऐमी:- हां इंतजार करने कहा जाएगा और साथ में यह भी की शादी जैसा माहौल होने वाला है।


सभी एक साथ…. "ये शादी जैसा माहौल का क्या मतलब है।"


ऐमी:- जैसे एक रिश्ता, शादी तक पहुंचाने के लिए घरवाले पूरी मेहनत करते हैं ठीक वैसे ही हमने अपने काम को आखरी अंजाम तक पहुंचा दिया है। अब शादी में बस हम सब को एन्जॉय करना है, पुरा एन्जॉय और शादी का पूरा भार किसी जिम्मेदार को सौंप दिया है।


कुंजल:- लेकिन भाभी, थोड़ा-नाच गाना और विधि वाले काम तो हमारे हिस्से में है ना।


ऐमी:- हां हां वो हमारे हिस्से में ही है और हम लोग पूरे मज़े के साथ उसे करने वाले है। चलो अन्दर चला जाए।


सभी लोग जैसे ही अंदर पहुंचे, अपस्यु किसी के गले लगकर उसके कानों में कुछ कहा और वो पलट कर सबको हाथ दिखता वहां से चला गया। सभी लोग एक टेबल पर आकर बैठ गए…. "अब ये महाशय कौन है।"… स्वास्तिका ने पूछा।


आरव:- ये दृश्य भईया है, मौसेरे भाई। शादी का पूरा व्यवस्था देखना इन्हीं के जिम्मे है और अपना काम होगा पूरी शादी एन्जॉय करना।


कुंजल, अपनी छोटी सी आंख बनाती, कुछ कहने ही वाली थी, उस से पहले ही अपस्यु कहने लगा…. "सब आराम से यहां लंच एन्जॉय करो। वैसे भी तमाम उम्र सवाल जवाब में ही गुजरा है, सो मैं चाहता हूं तुमलोग शादी एन्जॉय करो, बाकी बातें तो ये इवेंट एन्जॉय करने के बाद भी होता रहेगा।"


अपस्यु की बात मानकर सभी लंच करने लगे। लंच के दौरान तीखी बहस छिड़ी हुई थी। आपस में चिढाना और खींचा तानी लगा हुआ था। जयपुर हॉल्ट से सभी लोग तकरीबन 3 बजे निकले। इस बार जब जयपुर से निकले, तभी कुंजल सबको आखें दिखती कह दी… "इस बार कोई आगे पीछे नहीं भागेगा। सब साथ में चलेंगे।"


कुंजल की बता भला कोई ना माने। ऐमी ने सभी 5 गाड़ी के एसेस कंट्रोल लिया और अपस्यु के कार को कमांड दे दिया। ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजी का क्या कॉम्बो कस्टम किया था। सभी कार ऑटो ड्राइव कमांड में थे। आगे अपस्यु अपनी कार ड्राइव कर रहा था, और पीछे इंजन से लगे बोगी की तरह बाकी कार चल रही थी।


ऐमी कुंजल के साथ आकर बैठ गई और आरव स्वास्तिका के साथ। बातचीत करते हुए सभी 6 बजे के आसपास उदयपुर की सीमा में घुसे। वहां से फिर सभी अपने-अपने कार में सवार होकर वीरभद्र के घर। सायं-सायं करती सभी कार वीरभद्र के घर के आगे रुकी। चूंकि वीरभद्र को पहले से सूचना थी, इसलिए वो बाहर खड़ा ही उनका इंतजार कर रहा था।


इतनी सारी कार एक साथ आते देख लोगों की भीड़ भी आकर वहां जमा होना शुरू हो गई। वीरभद्र ने तुरंत सभी कार को अपने पीछे आने का इशारा किया। थोड़ी ही देर में कार वीरभद्र के वर्किंग सेक्शन के पास खड़ी थी। अपस्यु के इशारे पर आरव सबको लेकर वीरभद्र के ट्रेनिंग एरिया के ओर चल दिया…


कुंजल:- वीरे जी..

वीरभद्र:- जी कुंजल जी…


कुंजल:- अरे मै इतने दिन बाद मिल रही हूं, ना कोई दुआ ना कोई सलाम, आप तो इधर-उधर घूम रहे है।


निम्मी:- ये छोड़ा जारा शर्मिला है। लड़कियों से ठीक से बात नहीं कर पाता, ऊपर से मालिक की बेटी, कहां से नजर मिला पाएगा।


कुंजल:- और तुम्हारी तारीफ।


एक छोटे से परिचय के बाद सब लोग आपस में बात करने लगे। पार्थ भी वहीं पर था, लेकिन सभी लोगों ने जो एक बात गौर की वो था पार्थ का बदला स्वभाव। बोल्ड और बेवाक बातें करने वाला पार्थ, किसी भीगी बिल्ली की तरह बस थोड़ा सा हंस रहा था और थोड़ा सा बोल रहा था।


स्वास्तिका और आरव उसे लेकर कोने में पहुंचे। निम्मी, पार्थ के विषय में बहुत कुछ देखकर भी अनदेखा करके वीरभद्र और कुंजल के साथ बातों में लगी हुई थी। तीनों आपस में बातें कर रहे थे, बीच, बीच में कुंजल वीरभद्र को छेड़ देती और उसका शर्माना देखकर निम्मी और कुंजल हंसने लगती। बातों के दौरान कुंजल के हंसी मजाक को देखकर निम्मी ने कह ही दिया…


"आप हमारे मालिक की बेटी है, और जिस तरह से आप घुल मिलकर मज़ाक कर रही है उस से लगता है, आप सबकी चहेती होंगी। देखने में तो कोई जवाब ही नहीं, किसी भी लड़के का दिल धड़क जाए… मेरी विनती है कि मालिक और नौकर के बीच मेल-जोल थोड़ा कम ही रहे तो अच्छा है।"..



कुंजल का हंसता चेहरा, निम्मी की बात सुनकर जैसे मुरझा सा गया हो। वीरभद्र भी समझ नहीं पाया कि अचानक ही निम्मी ने ऐसा क्यों कह दिया। लेकिन उसे भी निम्मी की बात कहीं ना कहीं सही ही लगी, इसलिए उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं दिया। कुंजल चुपचाप वहां से उठकर अपस्यु और ऐमी के पास चली आयी जो इस वक़्त कार के अंदर की सब व्यवस्था पर चर्चा कर रहे थे।


दोनो आपस में बात कर रहे थे, तभी बात करते-करते दोनो की नजर कुंजल पर गई।… "बच्ची का मुंह कहे उतरा है। अभी तो इसकी खिली सी हंसी की आवाज़ आ रही थी।"… अपस्यु कुंजल को देखते हुए ऐमी से कहा।


ऐमी:- लगता है कोई बात चुभ गई है। चलो देखते हैं।


ऐमी जैसे ही 2 कदम आगे बढ़ी अपस्यु पीछे से जमीन पर लेटकर नागिन डांस करने लगा। कुंजल के उतरे चेहरे पर हंसी की लहर तैर गई। जोर से चिल्लाती हुई वो कहने लगी… "भाभी, इनकी नौटंकी शुरू हो गई। प्लीज उठाओ भईया को, कहीं भी लेटकर नागिन डांस दिखाने लगते है।"


ऐमी जब पीछे मुरी तब अपस्यु की हरकत देख वो भी हसने लगी। कुंजल का चिल्लाना सुनकर पीछे से वीरभद्र और निम्मी भी वहां पहुंचे। अपस्यु खड़ा होकर कुंजल को अपने पास बुलाया…. "ये क्या है कुंजल, तेरा मुंह क्यों फुल गया।".. तबतक वीरभद्र और निम्मी भी उनके पास पहुंच गए थे।
बहुत ही शानदार लाजवाब अपडेट भाई
कहीं छोरी को लव शव तों ना हो गया नैन भाई
 

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सबसे ऊपर और घाटी के आखरी में एक शानदार महल बाना था, जिसकी सीमा तकरीबन 500 मीटर में फैली थी। महल की बाउंड्री से कई सारे स्वीट्स और 3-4 मनमोहक स्विमिंग पूल थी, और ठीक उन सब के बीचों बीच, बड़ा सा महल था… तकरीबन 200 मीटर के दायरे में 80 फिट ऊंचा महल।


एक-एक करके सभी गाडियां उस महल में घुसने लगी। एक स्टाफ ने इशारे से सभी कार को सेपरेट पार्किंग देकर, अपने पीछे आने के लिए कहा। कुछ छोटी सी पिकअप वैन उन्हें लेने के लिए पहुंची। भाव्य महल के मुख्य द्वार पर लोकेश और मेघा दोनो खड़े थे। अपस्यु को सामने देखकर उसके गले मिलते हुए लोकेश कहने लगा…. "आज से पहले किसी से मिलने की इतनी बेताबी कभी नहीं हुई।"..


"क्यों हम सब का श्राद यहीं पर करने के लिए मरे तो ना जा रहे लोकेश सर।"… पीछे से आरव से तंज कसते हुए कहने लगा।


लोकेश:- जब साथ मिलकर हम पूरी दुनिया जीत सकते है फिर एक दूसरे को मारकर ताकत कम क्यों करना। राजपुताना इतिहास गवाह है कि जब-जब भाइयों कि शक्ति इकात्रित हुई है, हमने फतह हासिल की है।


आरव:- फिर ऐमी सिन्हा यानी कि ये तो मेरी भाभी की बेज्जती कर रहे है, क्योंकि वो हमारे साथ ना हो तो दुनिया तो दूर की बात है, गाली फतह ना कर पाए।


स्वास्तिका:- क्यों आप इन सब बातों को छेड़कर बाबा अपस्यु को बोलने पर मजबूर कर रही हो, जो खुद को ब्राह्मण मानता है।


ऐमी:- और ये आरव तो वैश्य है ना।


लोकेश इनकी बातें सुनकर हैरानी से सबका चेहरा देखते…. "ये तुम लोग मेरे साथ मज़ाक कर रहे हो ना।"


कुंजल, लोकेश का कन्फ्यूजन से भरा चेहरा देखती हुई कहने लगी…. "बस भी करो सब, बंद करो लोकेश भईया को छेड़ना। लोकेश भैय्या इनकी बातों को ध्यान मत दो, वरना आपको संन्यास लेना होगा। वो आपका स्टाफ हमारा बैग लेकर वहां क्या कर रहा है?


स्वास्तिका:- कितने शर्म कि बात है, हमारे अंडरगारमेंट्स को आखें फाड़े ये लोग नुमाइश के तौर पर देख रहे है, वो देखो एक-एक कपड़ा उठाकर चेक कर रहे। शर्म आनी चाहिए आपको।


अपस्यु:- लोकेश भईया, उनसे कहो अभी के अभी बैग पैक कर दे। विश्वास मानो अगर मुझे यहां का पूरा कुनवा साफ करने का इरादा होता तो महज एक रात की कहानी थी। आपसी विवाद ना हो कहीं इन छोटी छोटी बातों से और मै ये सोचने पर मजबूर हो जाऊं की भीख में मिली हमारी इस जगह पर आप हमारी बेज्जती कर रहे हो।


बातों ही बातों में लोकेश की ऐसी घोर बेज्जती हो गई की वो गुस्से का घूंट पीकर अपने स्टाफ के पास गया और खींचकर तमाचा मारते हुए अच्छे से समझा दिया कि जो आए है वो मेहमान नहीं, बल्कि परिवार के लोग है, बैग को पैक करके चुपचाप कमरे तक पहुंचा दिया जाए।


वहां के स्टाफ को समझाने के बाद लोकेश स्टाफ हेड मिस काया के पास पहुंचा और आए हुए लोगों के बारे में सभी बातें समझाकर, वापस अपस्यु के पास लौटा…. "लगता है हम दोनों को कुछ वक़्त साथ गुजरना होगा एक दूसरे को समझने के लिए। अभी हुई बदतमीजी के लिए मै माफी चाहता हूं, यहां केवल बाहरी लोग आते है और काम ऐसा है कि एक छोटी सी गड़बड़ी के कारन हमारी छिपी दुनिया बाहर आ सकती है। कभी यहां परिवार लेकर आए ही नहीं जो इन छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखते। अभी के लिए माफ करो, मैंने यहां के स्टाफ हेड काया को सब समझा दिया है, एक इंच भर की भी परेशानी नहीं आएगी।"..


अपस्यु:- थैंक्स भईया, ये जगह को आपने कमाल का डेवलप किया है, यहां अगर परिवार को नहीं लाते हैं, तो गलती आपकी है।


लोकेश:- चलो इस गलती को भी जल्द सुधार लूंगा, अभी मै चलता हूं। यहां आराम से घूमो फिरो, एन्जॉय करो। रात को सभी पार्टनर्स के साथ एक छोटी सी पार्टी है और पार्टी के होस्ट हम सब ही है, इसलिए शार्प 8 बजे तक पार्टी हॉल में ही मुलाकात होगी और फिर काम कि सारी बातों पर चर्चा कल सुबह।


अपस्यु:- ठीक है भईया।


लोकेश मेघा की लेकर वहां से निकल गया और ये सभी लोग काया के साथ अपने अपने कमरे के ओर चल दिए। जैसे ही लोकेश महल से बाहर आया, मेघा से झुंझलाकर कहने लगा…. "ये लोग क्या पागल है, मेरी जगह पर खड़े होकर मुझे ही बेज्जत कर रहे थे। 2 मिनट नहीं लगेंगे और सबकी कहानी समाप्त हो जाएगी।"


मेघा, लोकेश के चिढ़े चेहरे को देख सुकून सी महसूस करती हुई ठंडी श्वांस अपने अंदर खींची और हंसती हुई कहने लगी…. "तुम बेवकूफ हो क्या लोकेश। तुम्हरे बुलाने पर वो पुरा परिवार लेकर आया है और तुम ऐसे उसके कपड़े चेक करवा रहे थे। यार सच में बहुत बेगैरत हो। एक भाई का खून तो खौलेगा ही।"

किसी के बैग की ऐसी चैकिंग मतलब उस आदमी पर संदेह होना। साथ मिलकर काम भी करना है और इतना छोटा सोच भी रखना है। अब कम से कम यह दावा मत करना की उन्हें 2 मिनट में समाप्त कर सकते हो, ऐसा होता तो उनको ऐसे संदेह से नहीं देखते, बल्कि खुद में विश्वास होना चाहिये था की बैग में ये कुछ भी लेकार आओ लेकिन यहां का बादशाह मै हूं और यहां तुम मेरा बाल भी बांका नहीं कर सकते।


लोकेश:- हम्मम ! हां अब सब साफ समझ में आया। लगता है बहुत बड़ी गलती हो गई। खैर काया को और अच्छे से समझा दू और सारे रिस्ट्रिक्शन हटाने कहता हूं।


लोकेश फौरन काया से बात करके उसे साफ समझ दिया कि इस जगह पर जो अन्य लोगों के लिए प्रतिबंध होता है, वो इनपर लागु ना किए जाए, सिवाय कंट्रोल रूम के। वहां छोड़कर जहां जाने की इक्छा है वहां ले जाओ, जो करना चाहते है वो करने दो और जो वो कहते है, वो काम पहले पुरा होना चाहिए।


काया इस वक़्त जो अपस्यु और ऐमी के साथ उसके कमरे में आयी थी, लोकेश से बात करके हां में अपना सर हिला दी…. "क्या हुआ लोकेश ने बोल दिया हर रूम के सर्विलेंस को बढ़ा दो और उन लोगों की एक्टिविटी लगातार वॉच करते रहो। ये इतना लीचड़ कैसे हो सकता है।".. ऐमी तंज करती हुई कहने लगी।


काया:- नो मैम, उन्होंने कहा है की रूम के जितने भी सर्विलेंस है उन्हें हटा दिया जाए और आप सब फैमिली मेंबर है, इसलिए उन्होंने कहा है आप को मालिक की तरह ट्रीट किया जाए। बस केवल कंट्रोल रूम के ओर मना किया है आने से। वो चाहते हैं कि शाम की पार्टी और मीटिंग के बाद लोकेश आपको वो पूरी जगह खुद दिखाए और आराम से समझा सके कि वहां से क्या-क्या होता है।


काया हर सर्विलेंस को बंद करके अपस्यु के पास पहुंची… "लंच में अभी टाइम है सर, आप कहीं घूमकर आना चाहेंगे।"..


अपस्यु:- हां, हां क्यों नहीं, लेकिन आप हमे घूमने लेकर चलें और कोई मस्त सी जगह हो।


काया मुस्कुराती हुई अपस्यु को देखी और बस 2 मिनट बाद बाहर आने कही। 2 मिनट बाद जब अपस्यु और ऐमी बाहर आए, काया एक कार लिए दरवाजे पर इंतजार कर रही थी। अपस्यु और ऐमी, काया के साथ निकले। तकरीबन 10 मिनट की ड्राइविंग के बाद तीनों एक आर्टिफिशियल झील के पास पहुंचे। काया दोनो को झील दिखाते हुए आगे बढ़ने लगी।


चलते-चलते तीनों झील के पीछे पहुंचे जहां झील की पहली नीव रखी हुई थी। जैसे ही तीनों वहां पहुंचे, काया झट से अपस्यु के क़दमों में गिरती… "मेरा बच्चा कैसा है। कितना बड़ा हो गया वो। कोई तस्वीर हो तो प्लीज मुझे दिखा दो।"


ऐमी काया को उठाती….. "आपका बच्चा यूं समझो अब हमारा बच्चा है, और विश्वास मानिए उसके नए पिता बहुत ही केयरिंग है।"..


काया:- हां मै जानती हूं। बहुत दर्दनाक फैसला था वो, लेकिन मै कभी नहीं चाहूंगी की मेरा बच्चा या तो मुझ जैसा बने या अपने बाप जैसा।


अपस्यु:- उसके बाप में क्या बुराई है?


काया:- मुझे नहीं लगता कि तुम्हे बताने कि जरूरत है। जब मैंने तुम्हे वैभव को सौंपी थी तभी बताई थी… जिन बच्चों का हाथ तुमने थामा है, उसे ना तो वो देखने आए जो हमारे दिमाग को खराब करके हमे गलत करने के लिए मजबूर करते थे और ना ही उसने कभी ध्यान दिया जो सबको एक तराजू में तौलकर अपने तांडव से सबको बस यतीम करता चला गया।


अपस्यु:- वो आया था अपना बच्चा लेने..


काया, अपस्यु के ओर सवालिया नज़रों से देखने लगी, मानो उसका धड़कता दिल पूछ रहा हो, क्या मेरा बच्चा अभी उसके पास है या उसका पिता लेकर गया। काया की दुविधा को भांपते हुए ऐमी कहने लगी…. "ना तो तुम्हारा बच्चा यतीम है और ना ही उसके अभिभावक कमजोर। फिर यह ख्याल क्यों आया कि वो हमसे उस बच्चे को ले गया होगा।"


काया:- हम्मम ! थैंक्स.. वैसे सुनकर थोड़ा सुकून हुआ की कम से कम अपने बच्चे को ढूंढने तो आया दृश्य। वैसे तुम दोनो इस जल्लाद लोकेश के परिवार से हो, सुनकर थोड़ा अजीब लगता है।


अपस्यु:- एक अजीब बात और बताऊं, तुम्हारे बच्चे का बाप जो है, वो मेरा मौसेरा भाई है।


काया:- आह ! तभी मै सोचूं की वो अपने बच्चे को लेने आया और खाली हाथ कैसे गया। शायद तुम उसके भाई थे यह सोचकर कुछ नहीं किया वरना उसका गुस्सा सही गलत में फर्क नहीं करता।


अपस्यु:- काया ये बहुत लंबी कहानी है और समझना थोड़ा पेंचीदा। मुझे और दृश्य दोनो को पता है कि बचे हुए वीरदोयी लोकेश को अपनी सेवा दे रहे है।

काया:- नहीं, सभी बचे हुए वीरदोयी तो यहां नहीं है लेकिन हां जिनको खून खराबा और पॉवर का नशा सर पर है वो यहां है। और उन वीरदोयी के यहां होने से बहुत से वीरदोयी मजबूरी में फस गए जो आम ज़िन्दगी जीने की ख्वाहिश रखते थे। लेकिन दृश्य को पता चल चुका है कि बचे हुए वीरदोयी यहां है तो क्या वो आ रहा है?


अपस्यु:- घबराओ मत वो यहां तुम्हारे लिए नहीं आया था। तुम समझ सकती हो की यदि वो यहां आया होगा तो किसके पीछे आया होगा और उसके कारन एक बार फिर से तुम लोग उसके नज़रों में आ गए।


काया:- हम्मम ! किस्मत देखो.. बहुत से वीरदोयी यहां मज़े के लिए काम करते है तो बहुत से मजबूरी में। मैं दृश्य को भी गलत कहकर क्या करूंगी, जब अपने ही लोग अपना अस्तित्व मिटाने पर लगे है।


अपस्यु:- लंच के बाद तुम मेरे कमरे में मिलो, वहां हम दोनों मिलकर उन लोगो को बचा सकते है जो मजबूरी में यहां फसे है।


काया:- संभव नहीं है। मै इस कोने में इसलिए तुमसे बात कर पा रही हूं, क्योंकि यहां उनका सर्विलेंस नहीं है। वैसे भी जिस तरह से तुम लोगों ने लोकेश को डरा रखा है कम से कम 10 नजरें तो तुम सब पर टिकी ही होगी।


अपस्यु:- लोकेश क्या वाकई में डरा हुआ है?


काया:- हां ये बात सभी वर्किंग स्टाफ और उसके ऑपरेशन हैंडलर को पता है, तभी तो तुम लोगों के आने से पहले, 40 वीरदोयी लड़ाके को कंट्रोल रूम से लेकर महल तक काम पर लगाया है, वरना पहले तो सर्विलेंस के जरिए ही पुरा नजर रखा जाता था।


अपस्यु:- कोई बात नहीं है उसे डरने दो। तुम बस लंच के बाद मेरे कॉल का इंतजार करना।


ऐमी:- फिलहाल एक काम कर दो हमारे लिए। ऐसी जगह जहां कोई सर्विलेंस ना हो और वहां तारों का पूरा जाल बिछा हो।


काया, वैभव की मां और दृश्य की एक अनचाही पार्टनर, जिसे सिर्फ़ इसलिए दृश्य के बच्चे की मां बनने पर मजबूर किया गया था ताकि दृश्य को यदि मारना परे तो तो आगे के एक्सपेरिमेंट, काया और अपस्यु से पैदा हुए बच्चे पर किया जाना था। लेकिन बच्चे को जन्म देते ही, एक मां कि ममता जाग गई और वो अपने बच्चे को किसी पागल साइंटिस्ट के हाथ में नहीं सौंपना चाहती थी जो उसके ऊपर अपना एक्सपेरिमेंट करे।


छिपते भागते उसे एक दिन अपस्यु के बारे में पता चला था और रात के अंधेरे में वो अपने बच्चे को अपस्यु को हाथ में सौंप अाई थी। उसके बाद वो आज मिली थी। हालांकि अपस्यु को पहले से पता था कि दृश्य के तूफान से बचे वीरदोयी एक जगह जमा होकर कहां काम कर रहे है।


काया के मिलने से अपस्यु का काफी समय बच गया, वरना तारों के जाल को अपने माइक्रो डिवाइस से ढूंढने में काफी वक़्त लग जाता। अपस्यु ने जैसा बताया काया ने ठीक वैसी एक जगह पर अपस्यु को ले गई। ऐमी के लिए ये जैकपॉट से कम नहीं था, क्योंकि सर्वर का मुख्य कनेक्शन वायर मिल चुकी थी। 5 मिनट में हैकिंग डिवाइस सेट हो चुका था। वापस दोनो अपने कार पार्किंग से होते हुए लौटे और कार से हर जरूरत का सामान निकालकर अपने बैग में पैक हो चुका था।
बहुत ही शानदार लाजवाब दिलचस्प कहानी हैं नैन भाई
 

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लोकेश:- पुरा सिस्टम तेरे हाथ में है, रात के अंधेरे में किसे पता कौन कहां है, बस कांड प्रकाश में आना चाहिए नाम नहीं। बाकी तू समझदार है।


अजय:- येस बॉस। जैसा आप कहें…


दृश्य का टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट अारुब को लिंक मिलते ही, वो भी तुरंत सर्वर से कनेक्ट हो गया। दृश्य अपनी पूरी टीम के साथ कंट्रोल रूम की सर्विलेंस ले ही रहा था, कि अजय और लोकेश के बीच की चल रही बातों का पता चला। उसके आखों में तो जैसे खून उतर आया हो…. "आज से पहले किसी को मारने की तलब इतनी तेज नहीं थी। आरूब पूछ जारा तेरा बॉस बक्शी इंटरेस्टेड है कि नहीं अपने साथ काम करने के लिए।"


अारूब:- भाई बक्शी सर को लाइन पर ले रहा हूं….


बक्शी:- क्या हुआ चैम्प, कोई समस्या है क्या?


दृश्य:- देखो सर मेरा भेजा फ्राय मत करो, कितने लोग भेज रहे हो जल्दी बताओगे, ताकि मै यहां प्लान करूं।


बक्शी:- यार तेरा क्या है तू उन वीरदोयी से तो निपट लेगा, लेकिन मैं उन वीरदोयी से निपटने के लिए कितने लोगों को भेजूं, वो समझ में नहीं आ रहा।


अारूब:- सर आप टीम मत भेजो, अपने पास कितने स्नाइपर है वो बताओ।


बक्शी:- डिपार्टमेंट में तो इस वक़्त 4 है।


अारूब:- क्या सर, कल इस लोकेश को 3 एरिया में टारगेट को एलिमिनेट करना था तो 6 स्निपर भेजे थे और आप के पास 4 है।


बक्शी:- प्लान क्या है वो बताओ, फिर मै सोचता हूं।


अारूब:- टोटल 120 वीरदोयी है। 10 के समूह में ये 8 अलग-अलग ठिकाने पर है। हमने इनके बीच का संपर्क प्रणाली तो हैक कार लिया है, लेकिन इनका अलार्म सिस्टम मैनुअल है, साथ में वाकी भी है। जिस जगह को भी हम साफ करेंगे वो एक साथ साफ करना होगा।


बक्शी:- हम्मम ! मतलब 10 स्निपर चाहिए वही ना। ठीक है मै होम मिनिस्टर से स्पेशल परमिशन लेकर अलग-अलग डिपार्टमेंट से अरेंज करता हूं। वैसे ये 80 लोग है, और बचे 40 लोग।


अारूब:- उन 40 का जिम्मा अपने भाई और उसके भाई की माथा पची है, क्योंकि वो बचे 40, कंट्रोल रूम से लेकर वहां के महल तक फैले है जिसे सामने से खत्म किया जाना है।


बक्शी:- सामने से खत्म करोगे और वो कहेगा आओ और मुझे मारकर निकल जाओ। क्या आर्म्स नहीं होंगे उनके पास।


अारूब:- कंट्रोल रूम और महल के आसपास किसी को भी हथियार रखने की अनुमति नहीं है। इमरजेंसी के लिए ये लोग हथियार अम्मुनेशन सेक्शन से लेंगे, जिसे हम लॉक कर चुके होंगे।


बक्शी:- ठीक है मै 10 स्नाइपर भेजता हूं, और साथ में 20 कचरा साफ करने वालों को। याद रहे कुछ भी करके इस लोकेश का चेप्टर एंड होना चाहिए, और इतने बड़े ऑपरेशन को हमने अंजाम क्यों दिया है उसकी ठोस वजह मुझे कल तक अपने टेबल पर चाहिए होगी। कमांडिंग ऑफिसर तुम ही होगे अारूब, इसलिए हर एक कि जिम्मेदारी तुम्हारी होगी।


दृश्य:- सर कचरा साफ करने के लिए 40 तेज ऑफिसर चाहिए। 20 मत भेजना।


बक्शी:- ठीक है हो जाएगा। 1 घंटे के अंदर पूरी टीम तुमसे संपर्क करेगी।


बक्शी ने जैसे ही कॉल डिस्कनेक्ट किया, दृश्य… "आदिल अपनी टीम स्टेटस बताओ।"


आदिल:- भाई 10 ट्रेंड फाइटर है और 10 स्नाइपर।


दृश्य:- आदिल, अप्पू तुम्हे अब लीड करेगा। अप्पू तेरे पास अब 20 स्निपर और 50 लोग है। काम हो जाएगा।


अारूब:- 20 स्नाइपर का मतलब है कब मौत उन्हें अपने सिकांजे में घेर लिया उन्हें पता तक नहीं चलेगा। काम खत्म करके संदेश भेजता हूं भाई।


पूरी तैयारी हो जाने के बाद दृश्य अपने साथ निम्मी और अश्क को लेकर चल दिया। दृश्य अपने चलने के साथ ही अपस्यु को सूचित कर दिया। सुचना मिलते ही अपस्यु ने लोकेश को कॉल लगाया…. "जी अपस्यु सर कहिए"


अपस्यु:- मै प्रताप ग्रुप के मालिक साहिल प्रताप को लेने जा रहा हूं। अपने सीमा को खुलवाकर रखो।


प्रताप ग्रुप और साहिल प्रताप का नाम बहुत बड़े उद्योगपति में आता था, ऊपर से प्रताप फैमिली राजस्थान की बहुत रेपुटेड परिवार था। लोकेश तो कनेक्शन देखकर ही चकरा चुका था। हालांकि दृश्य का नाम सुनकर तो लोकेश के वीरदोयी भी चक्कर खा जाते, लेकिन फिलहाल अभी तो दृश्य को छिपाकर रखना था।


शाम के 6.30 बजे तक दृश्य, अश्क और निम्मी के साथ महल में था। कैप ने नीचे अपना चेहरा छिपाए दृश्य सीधा अपस्यु के कमरे में पहुंचा।… "क्या भाभी, लुकिंग हॉटी, कहां बिजली गिराने आयी है।".. कमरे में पहुंचते ही अपस्यु ने अश्क से कहा।


अश्क:- दृश्य, बहुत बदतमीज है ये तुम्हारा भाई।


दृश्य:- क्या ही कर सकते है, एक तो भाई है ऊपर से डेविल ग्रुप का मुखिया, अब इससे पंगा कौन लेगा।


अश्क:- आज जारा मै व्यस्त हूं वरना इसे मै बताती…


"क्या भाभी… उमाम्मम्मह … बहुत ही गजब ढा रही हो"… आरव भी कमरे में आते कहा.. अब अश्क वो भी क्या रिएक्ट करे। पहले अपस्यु अब आरव ने छेड़ दिया। अश्क आरव के साथ आए सभी लोगो को एक बार देखी और कहने लगी…


"हीहीहीही… ये दोनो भाई पागल है। लेकिन जरा देखूं तो ये साथ ने कौन आया है इनके साथ.. ये है मेरी नंनद कुंजल, और ये दूसरी है स्वास्तिका… एक जिसे मै नहीं पहचान पा रही, ये मुंह लटकाए कौन खड़ा है।"..


अपस्यु, अश्क के कान में निम्मी और पार्थ की पूरी कहानी संक्षिप्त में समझाकर हटा। अश्क निम्मी और पार्थ के देखकर एक बार मुस्कुराई और अपस्यु के कान में वो भी धीमे से कहने लगी… "इनका जोड़ा लगाना के लिए हम सब मिलकर कोशिश करेंगे।".. पार्थ के लिए खुश होकर अपस्यु, अश्क के गाल को चूमते हुए… "लव यू भाभी" कहते पीछे हटा।


दृश्य:- सुनो अश्क, तुम ये अपस्यु के आस पास ना रहा करो। ये तो तुमसे मिलते ही तुम्हे चूमने लग जाता है। ..


दृश्य अभी अपनी बात समाप्त ही किया था, कि इतने ने दरवाजे से दो खूबसूरत कन्या अंदर आयी, एक ने तो कुछ नहीं किया लेकिन दूसरी ने खींच कर एक तमाचा जड़ दिया दृश्य को।


जैसे ही दृश्य को थप्पड़ पड़ा, वैसे ही सभी लोग एक्शन में आ गए, सिवाय अपस्यु और ऐमी के। उन दोनों ने काया को अपने बीच में लिया और गुस्साए लोग को किनारे होकर शांत खड़ा रहने के लिए कहने लगा… तभी दृश्य, गुस्से में आखें लाल किए… "तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे मारने की।"… तभी दृश्य के दूसरे गाल पर काया ने एक और तमाचा चिपका दिया।


दृश्य गुस्से में खड़ा काया को घूरता रहा… "दोबारा अगर मेरे बच्चे वैभव को यदि अपस्यु और ऐमी के पास से ले जाने की कोशिश भी किए, तो मैं तुम्हे जान से मार दूंगी। वो सिर्फ मेरा और सिर्फ मेरा बच्चा है, कभी अपने बाप होने की धौंस उसपर मत दिखाना।"..


अभी जो सबके गुस्से की भावना थी, वो एकदम से आश्चर्य के रूप में बदल गया, और सबसे ज्यादा इस वक़्त गुस्सा तो अश्क को आ रहा था, वो भी दृश्य पर…. अश्क दृश्य को आखें गुर्राती…. "वो तुम्हारे बच्चे की मां बन गई और तुम्हे याद भी नहीं।"…


दृश्य:- नहीं क्यूटी मुझे तो पुरा याद है…


अश्क:- ठीक है नाम बताओ इसका..


दृश्य:- हाय निल कैसी हो, कभी सोचा ना था तुमसे दोबारा मुलाकात होगी…


अश्क, दृश्य पर झपटती हुई…. "इसकी हिम्मत तो देखो, मेरे ही सामने कैसे हंसकर बात कर रहे। कुछ दो मेरे हाथ में इन्हे मारने के लिए।"


ऐमी:- क्या दीदी आप भी पुरानी बातों को कुरेदने लगी। काया प्लीज क्या तुम यहां से जाओगी।


काया:- हां मेरा काम तो हो गया। बस नील अपने बच्चे को देखने के लिए व्याकुल थी, तो मै यहां ले आयी।


ऐमी, अश्क से…. "दीदी वो बस अपने बच्चे को देखने की चाहत में आयी है। आप प्लीज शांत हो जाओ।"


अपने सामने अपनी 2 सौतन को देखकर भला अश्क क्यों शांत हो। गुस्से में वो कमरे के बाहर चली गई। इधर दृश्य काया से माफी मांगते हुए कहने लगा…


"हम दोनों ही एक लंबे साजिश में फसे थे। तुम्हे तो सच्चाई पता भी थी, लेकिन मुझे और अश्क को तो कुछ और ही सच्चाई से अवगत कराया गया था। तुम यकीन मानो, यदि मुझे पता होता की बच्चा उन्हें एक्सपरिमेंट के लिए चाहिए तो तुम्हे ये दिन ना देखने परते। मेरे नाक के नीचे था वो कमीना डॉक्टर भार्गव।खैर उस दौड़ में बहुत सी गलितियां भी हुई, और मै हमेशा अपने भाई अपस्यु का शुक्रगुजार रहूंगा, क्योंकि वो मेरी हर गलत को चुपचाप सही करते चला गया।


नील:- ओय गलत तरीके से तुमने और काया ने मिलकर बच्चे पैदा किए थे, इसमें मुझे मत समिल करो। मैंने जो भी किया वो अपनी इक्छा से और बिल्कुल होश में। हां बस उनकी क्रूरता और नीयत को देखकर कभी अपने बच्चे को उनके बीच पालते नहीं देख सकती थी, इसलिए तुम्हे दे दी। पहले जाकर अपनी नकचढ़ी पत्नी को संभालो दृश्य। खुद ही 2 बच्चे देने की शर्त पर हामी भरी थी, लेकिन आज भी वो दोष तुम्हे ही दे रही।


दृश्य:- जब रिश्ता गर्लफ्रेंड और बॉयफ्रेंड का होता है, तब तो किसी लड़के या लड़की को बर्दाश्त ही नहीं होता कोई भी दूसरा संबंध, फिर तो वो मेरी पत्नी थी। फोन लाइन के उस ओर से उसने मुझसे कहा था सब करने, वो भी बिना ये जताए की उसके दिल पर क्या बीती होगी। उसके हर नखरे मुझे उम्र भर मजूर है। वैसे भी उसे मनाने का मज़ा ही कुछ और है।


नील हंसती हुई…. "हां मै ये बात जानती हूं। वैसे 6.30 बज रहे है, उम्मीद है तुमलोग यहां घूमने तो नहीं ही आए होगे।


अपस्यु:- जी हम बिल्कुल शेड्यूल से है। स्वास्तिका तुम दृश्य भईया निम्मी का जारा चेहरा ऐसा मस्त खिला सा बनाओ की कोई पहचान ना पाए। एक टफ बिजनेसमैन लुक और उसकी कमाल कि पीए। ऐमी तुम भाभी को के साथ बैठकर उन्हें मोबाइल ऑपरेटिंग कमांड सिखाओ, ताकि रियल टाइम में वो हमे कंप्लीट टेक्निकल सपोर्ट दे सके। आरव कुंजल तैयार होकर आधे घंटे में सब इसी कमरे में इकट्ठा हो जाओ.. 8 बजे से एक्शन शुरू होगा और हम लाइव कवरेज देखेंगे। सब जल्दी,जल्दी.. और हां काया तुम भी हमारे साथ पार्टी में चलोगी, आज तुम्हारा और अजय का भी हिसाब किताब सैटल कर दूंगा। चलो चलो सब निकलो…


सबके निकलते ही अपस्यु ने नीचे रिसेप्शन पर कॉल लगाया, छोटे से बार का सारा सामान उन्हें ऑर्डर करके जल्दी से रूम में भिजवाने के लिए बोल दिया। इधर हर किसी के कमरे में अपस्यु ने अपना एक ड्रिंक पहले से भिजवा चुका था। सेल रिप्लेसमेंट थेरेपी वाली वो माइक्रो लिक्वड के साथ न्यूरो एनरज़ाइजर.. ऐसा कॉम्बो जो खुद से कहीं ज्यादा शरारिक क्षमतावान दुश्मनों से लडने के लिए तैयार किया गया था।


बक्शी से लेकर अपस्यु तक सबको पता था कि, वीरदोयी ऐसे लोगों का समूह है जो एक साइंटिस्ट के एक्सपेरिमेंट का नतीजा है। लगभग 20 गुना तक उनकी शारीरिक क्षमता इस कदर बढ़ाई गई थी, जबतक एक सामान्य क्षमता वाले लोग रिस्पॉन्ड करते, ये वीरदोयी अपना काम खत्म करके, दूसरे पर ध्यान दे चुके होते।


न्यूरो एनरज़ाइजर के बारे में भी अपस्यु को गुरु निशी से ही पता चला था। एक बेहद दुर्लभ जड़ी-बूटी जो गुरु निशी अपने शिष्यों पर अत्यंत ठंड में इस्तमाल करते थे। इस जड़ी बूटी के परिणाम और दुष्परिणाम दोनो ही गुरु निशी अपस्यु से चर्चा करते थे। हालाकि दुष्परिणाम सामान्य से थे, लेकिन इंसानी शरीर में इस जड़ी-बूटी के लगातार सेवन से इसके लत लगना लाजमी था। ठीक कोकीन और अफीम की तरह, लेकिन ये जड़ी बूटी कोकीन और अफीम जैसी बिल्कुल नशीली नहीं थी।


न्यूरो एनरज़ाइजर के इस्तमाल और परिमाण की आकलन करे तो, इस जड़ी बूटी के कारन शारीरिक क्षमता कई गुना तक बढ़ाई जा सकती थी, वो भी कोकीन और चरस के मुकाबले बिल्कुल निम्न दुष्परिणाम के। इस जड़ी-बूटी का लगातार इस्तमाल इसलिए भी नहीं किया जा सकता था क्योंकि यह अति दुर्लभ जड़ीबूटियां में से एक थी, जिसके सेवान की लत अपस्यु को काफी दुख दे जाती।


दृश्य को छोड़कर हर किसी ने उसका सेवन किया। आराम से मस्त होकर तैयार हुए। इधर ऐमी अश्क के पास बैठकर कुछ टेक्निकल डिस्कसन कर रही थी, कुछ आसान से कमांड बताने के बाद वो अश्क के साथ बैठी…. "क्या हुआ दीदी, इतना भी किस सोच में डूब गई।"..


अश्क:- वो एक दौर था जो गुजर गया। गलतियां हम दोनों से हुई, लेकिन आज तक कभी ऐसा नहीं हुआ होगा की दृश्य ने एक ही बात के लिए 4 बार नाराजगी जताई हो, और देख ना मैंने दृश्य से यहां भी झगड़ा कर लिया।
बहुत ही शानदार लाजवाब अपडेट भाई
 

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अश्क, पार्थ से… देखो दोस्त या तो प्यार में देवदास बन जाओ या फिर प्यार को प्यार से अपने ओर आकर्षित करने की कोशिश करो, मर्जी तुम्हारी है।..


पार्थ:- नाह मै अभी प्यार के बारे में नहीं सोच रहा, ये वक़्त तो हमारे परिवार का है.. और मैं पार्थ आप सबका होस्ट, आप सबका दोस्त, यहां आप सबको आज की इस महफिल में स्वागत करता हूं। पीकर होश खोने की रात नहीं है, क्योंकि ये होश में पूरे एन्जॉय करके बेहोश होने की रात है। और इस शाम को यादगार बनाने के लिए मै अपनी खूबसूरत और हॉट दोस्त ऐमी को एक डांस के लिए इन्वाइट करना चाहूंगा।..


जैसे ही पार्थ का जोश भड़ा अनाउंसमेंट हुआ, सभी लोग हूटिंग करना शुरू कर दिए।…. "रुको, रुको, रुको… शो शुरू होने में केवल 10 मिनट रह गए हैं, तो मुझे भी एक डांस पार्टनर की जरूरत है।".... अश्क भी उनके पागलपन में शरीक होती कहने लगी।


आरव अपने घुटने पर बैठते… "भाभी, ऐसे चिल्लाकर कहोगी तो एक पार्टनर नहीं, अनेक पार्टनर की लाइन लग जाएगी।"…


अपस्यु ने म्यूज़िक प्ले कर दिया और एक ओर पार्थ नाचने लगा और दूसरी ओर आरव। ऐमी की नजर डांस करते हुए भी लगातार अपस्यु पर बनी हुई थी। जब से वो कमरे में घुसी थी, उसे ऐसा लग रहा था मानो अपस्यु का आकर्षण उसे खींच रहा है। अपस्यु भी मुसकुराते हुए बस ऐमी को देख रहा था और हवा में जाम लहराते हुए टेस्ट कर रहा था।


इसी बीच दृश्य भी पहुंच गया और वहां का नजारा देखकर थोड़ा हैरान सा हो गया। कुछ बोलने से अच्छा सीधा बार काउंटर पर चला गया… "8 बजने वाले है, प्लान पर एक्शन लेने का समय है, और ऐसे समय में तुम"..


कुंजल, दृश्य से:- सुनो भईया, क्या आपने प्लान पहले से बना लिया लिया था?


दृश्य:- हां, वो भी बिल्कुल परफेक्ट..


कुंजल:- सबको प्लान के हिसाब से उसका काम अच्छे से समझा दिया?


दृश्य:- हां बिल्कुल..


कुंजल:- यहां पर मौजूद लोगों में से उसके हिस्से का काम शुरू हो चुका है क्या?


दृश्य:- ना अभी उसमे समय है…


कुंजल:- फिर इतना टेंशन में क्यों हो, आराम से ड्रिंक लीजिए और एन्जॉय कीजिए, जब हमारा वक़्त आएगा तब हम अपना काम शुरू करेंगे।


दृश्य:- इसे लापरवाही कहते है। अपस्यु तुम सुन भी रहे हो?


कुंजल:- वो अपनी बीवी को देखने में व्यस्त है। वैसे अश्क भाभी भी कम मस्त नहीं लग रही, चाहे तो आप भी उन्हें बड़े प्यार से देख सकते है। वैसे भी आपसे नाराज होकर गई थी।


दृश्य:- है तो सबसे छोटी लेकिन बातें बड़ी-बड़ी..


कुंजल:- भईया एक बात पूछूं..


दृश्य:- हां पूछो ना..


कुंजल:- दिखने में तो आप करेला लगते हो फिर इतनी मस्त आइटम पटाई कैसे।


कुंजल अपनी बात कहकर हंसने लगी और उधर से अपस्यु का एक हाथ सीधा कुंजल के सर पर लगा, जबकि उसकी नजरें ऐमी पर ही थी…. "देखा दृश्य भईया, इनका ध्यान हमारी बातों पर ही था, लेकिन नजरे और दिल वहीं टिकी है।"..


तभी वहां का म्यूज़िक बंद हो गया.. अचानक से एक बार लाइट गई और फिर आयी…. "अब आप सब यहां आकर आराम से बिना कोई आवाज़ के शो का मज़ा ले।"… अपस्यु अपनी बात कहते हुए बड़े से स्क्रीन को चालू कर दिया और सभी लोग अपस्यु के द्वारा व्यवस्थित बार काउंटर के पास अपनी-अपनी जगह ले लिए।


अारूब एक लाइन पर दृश्य से संपर्क बनाए हुए था, साथ में सबको कमांड भी दे रहा था और इधर अपस्यु अपने लैपटॉप के स्क्रीन पर पार्टी में आए मेहमानों पर नजर दिए हुए था। पार्टी में शिरकत करते मेहमान को देख अपस्यु कुछ ज्यादा ही खुश नजर आ रहा था। ऐसा लग रहा था इंतकाम और न्याय सब एक साथ मिल जाएगा।


कुछ लोग जैसे शिपिंग किंग जवेरी, साची के पिता मनीष मिश्रा, प्रकाश जिंदल और एक छिपा हुआ एक स्लीपिंग पार्टनर अमोघ अग्रवाल, एक प्राइवेट बैंक का मालिक, ये सब विक्रम राठौड़ के साथ शुरू से बने हुए थे। इसके अलावा आने वालों मेहमानों को देखकर बहुत सारी तस्वीरें खुद व खुद साफ हो गई।


पक्ष और विपक्ष के नेता जो होम मिनिस्टर के लिए गड्ढे खोद रहा था, कई नाम चिह्न बिजनेसमैन, जिन्हे काले और उजले पैसों में काफी रुचि रहती है। सरकारी पदों पर अच्छे पोस्ट को होल्ड किए कई सरकारी डिपार्टमेंट के उच्च अधिकारी और निदेशक। इन सब का साथ होना केवल इसी ओर इशारा कर रहा था कि लोकेश ने वीरदोयी की मदद से इनके कई सपने साकार किए होंगे।


इधर उस कमरे का माहौल शांत होते ही, ऐमी मुस्कुराती हुई बार काउंटर के पीछे आयी। अपस्यु की देखकर तो ऐमी कबसे खींची जा रही थी। सबकी व्यस्त देखकर ऐमी अपनी दबी अरमान को हवा देती, अपस्यु के होंठ को प्यार से चुमकर अलग हटी। अपस्यु आश्चर्य से अपनी आखें बड़ी करके वो चारो ओर देखने लगा। हर कोई अपनी नजर बड़ी सी टीवी स्क्रीन पर डाले हुए था।

अपस्यु, पहले खुद काउंटर के नीचे बैठा और ऐमी का हाथ खींचने के लिए जैसे ही अपना हाथ उपर लेकर गया, ऐमी फिर खड़ी हंसती हुई अपस्यु को अंगूठा दिखा रही थी। अपस्यु गुस्से से ऐमी को घूरा और चुपचाप उठकर खड़ा हो गया।

ऐमी अंदर ही अंदर हंसती हुई सबका ध्यान अपनी ओर खींच और सबके लिए एक ड्रिंक बनाने लगी। पहला ड्रिंक कुंजल को सर्व हुआ जो मोकटेल की जगह मार्टिनी था। कुछ नज़रों के संवाद कुंजल और ऐमी के बीच हुआ और कुंजल ऐमी की चतुराई पर हंसे बिना नहीं रह पाई।


दूसरी ओर अारूब का एक्शन पैक धमाल भी शुरू हो चुका था। अपस्यु अपने स्क्रीन से पार्टी हॉल पर नजर जमाए हुए था और सभी लोग रूम के स्क्रीन पर नजरें जमाए… अपस्यु ने दृश्य को होल्ड का सिग्नल भेजा और लगातार अपने स्क्रीन देख रहा था।


8 बजे से शुरू होने वाला मिशन 8.15 तक होल्ड पर रखा हुआ था। अपस्यु जब सुनिश्चित हो गया कि इतने मेहमानों के बीच में लोकेश अब फंस गया है, तब अपस्यु ने कंप्लीट फॉरवर्ड का इशारा किया और ऐमी के कान में कुछ समझाकर बड़े आराम से लोकेश की पार्टी के लिए निकल गया।


अपस्यु, काया को साथ लेकर पार्टी में पहुंचा। बहुत से व्हाइट कॉलर लोगों के अलावा बहुत से ब्लैक कॉलर लोग भी पहुंचे थे। माहौल किसी रंगीन पार्टी जैसा था, जिसमें बदन कि नुमाइश करती कई सारी लड़कियां ड्रिंक और स्नैक्स सर्व करती हुई, लोगों के आखों और हाथों का भी मनोरंजन कर रही थी।


अपस्यु जैसे ही अंदर घुसा, काया के कान में कुछ बोलते हुए, लोकेश के ओर बढ़ने लगा, जो इस वक़्त आपने पापा विक्रम राठौड़ और प्रकाश जिंदल के साथ खड़ा, अपने एक बिजनेस पार्टनर के. डी. जवेरी से बात कर रहा था। लोकेश की नजर जैसे ही अपस्यु पर गई, अपने दोनो हाथ खोलकर उसे वेलकम करते हुए माईक पर बोलने लगा….. "आज की शाम जिस खास होस्ट के नाम है वो हमारे बीच चला आया। क्या आप में से कोई बता सकता है कि ये कौन है?"..


कुछ को छोड़कर बाकियों को कुछ भी पता नहीं था। लोकेश 15 सेकंड का एक पॉज लेकर, फिरसे बोलना शुरू किया….

"सुप्रीम कोर्ट के मशहूर वाकील अनुरुद्ध सिन्हा का होने वाला दामाद, सेंट्रल होम मिनिस्टर का मुंह बोला बेटा, दिल्ली के लोकल गैंग से लेकर मुंबई अंडरवर्ल्ड तक जिसके नाम की सुपाड़ी नहीं के सकते, प्रतप ग्रुप ऑफ कंपनी के मालिक का खास दोस्त, और मायलो ग्रुप का मालिक मिस्टर अपस्यु रघुवंशी।"…


"मेरा परिचय तो काफी धांसू था, लव यू ब्रो। यहां आए सभी व्हाइट और ब्लैक कॉलर लोगों को मेरा नमस्कार। यहां मौजूद ज्यादातर लोग को मै जानता हूं, चाहे वो मशहूर बिजनेस मैन माणिकचंद जी हो या फिर शिपिंग किंग जवेरी। मै किसी से परिचय करने में रुचि नहीं रखता, मै काम करने में विश्वास करता हूं, शायद इसलिए कम वक़्त मेरा अपना मुकाम है। इसलिए प्लीज मेरे पास भिड़ लगाकर अपना परिचय देने से अच्छा है कोई काम की बात हो तो ही मेरे पास आइए, वरना ये पार्टी एन्जॉय करने के लिए है। आप भी एन्जॉय कीजिए और मुझे भी पार्टी एन्जॉय करने दीजिए।"

"एक बात और, मै शुरू से फैमिली बिजनेस करता हूं, इसलिए अपने भाई लोकेश के साथ आज खड़ा हूं। यहां आयी लड़कियों के कपड़े में थोड़ी तब्दीली मैंने कर दी है, आप सब भी अपने आचरण के तब्दीली कर लीजिए। और यदि औरत की जरूरत इतनी ही मेहसूस होती हो तो घर से अपनी बीवी या गर्लफ्रेंड को लेकर चला कीजिए, क्योंकि यहां आप की जरुरत बढ़ रही होगी और पता चला कि उसकी जरूरत कोई और पूरी कर रहा हो। मुझे सुनने के लिए धायवाद, एन्जॉय दी पार्टी।"


अपस्यु अपने तेवर से वाकिफ करवाते बार काउंटर पर आकर अपना ड्रिंक एन्जॉय करने लगा और इधर लोकेश के लिए परिस्थिति से निपटना थोड़ा मुश्किल हो रहा था। अपस्यु ने अपने शब्द के तीर ऐसे चला चुका था की हर कोई घायल होकर बिलबिला रहा था। लोकेश ने मेघा को इशारा से अपस्यु के पास भेजा और खुद एक वीरदोयी के कान में कुछ ऐसा कहा जिससे वो हसने लगा।


वो वीरदोयी लोकेश की बात को संदेश के तौर पर सभी वीरदोयी के पास तुरंत भेज दिया। वो लोग भी संदेश खोलकर देखते हुए हंसे और चुपके से वहां मौजूद सभी लोगों के बीच फैला दिया। इधर मेघा, अपस्यु के साथ बैठकर अपना ड्रिंक टोस्ट करने लगी।…. "हम्मम ! आते ही अपने तेवर से सबको वाकिफ करवा गए।"..


अपस्यु, मुसकुराते हुए…. "लुकिंग कूल मेघा। लगता है पार्टी के ख्याल से पिछले 5 घंटे से तैयार हो रही हो।"


मेघा:- औरतों के तैयार होने में लगे वक़्त का तुम्हे बड़ा अनुभव है, क्यों ऐमी को बिठाकर तुम खुद ही तैयार करते हो क्या?


"क्या बच्चे, ये क्या सॉफ्ट ड्रिंक पी रहा है "… अपस्यु के पास एक वीरदोयी लड़ाका खड़ा होते हुए कहने लगा… "तुम्हारी यहां जरूरत है क्या?"… मेघा ने जवाब दिया..


लड़ाका…. "मैं तो बस देखने आया था कि जिस अंदाज़ में इसने बात किया, उस अंदाज़ के लायक भी है क्या?


अपस्यु, हंसते हुए…. "तू यहां का स्टाफ है ना जाकर काम देख। काम से छुट्टी मिली है तो पार्टी एन्जॉय कर, बाकी मेरे लायक या नालायक होने का प्रूफ आराम से देते रहेंगे, अभी तू तो यहीं रहेगा ना।"


वीरदोयी लड़ाका…. बात मुझ अकेले की नहीं है, बल्कि यहां मौजूद सभी लोगों की है। बॉस जैसे ऐटिट्यूड के लिए बॉस जैसे गुण भी तो होने चाहिए ना सर।


अपस्यु चिल्लाते हुए कहने लगा…. "तो यहां सबको ये बात खटक रही की, बॉस जैसे ऐटिट्यूड के लिए बॉस जैसे गुण होने चाहिए… और बेसिकली वो गुण कौन से होने चाहिए…


वीरदोयी लड़ाका….. "हमे हराकर दिखाओ और हमारी वफादारी पाओ।"..


अपस्यु:- क्यों लोकेश ने भी यही किया था क्या?


वीरदोयी लड़का:- नहीं उसने ऐसा नहीं किया, इसलिए तो वो हमारा बॉस नहीं, हम पार्टनर्स है और सभी पार्टनर्स ने लोकेश की लीडरशिप को एक्सेप्ट किया है, और तुम हमारी जगह पर खड़े होकर, हमारे लीडरशिप को चैलेंज कर रहे… कहां से काम चलेगा मुन्ना…


अपस्यु:- "मुझे पता था कि तू मुझे लड़ने कि ही चुनौती देगा। वो क्या है ना हर ताकतवर के साथ यही समस्या होती है, उसे अक्ल से ज्यादा बड़ी भैंस लगती है, इसलिए शारीरिक बल होने के बाद भी किसी नेते के पास रहकर उसके जूते चाटना, किसी बिजनेस मैन के हाथों की कठपुतली होना, यही उनकी किस्मत है। मूल रूप से ताकत और बुद्धि का कोई मेल नहीं, और बहुत कम लोगों के पास ये दोनो साथ होते है।"

"मै फाइट करूंगा, लेकिन एक शर्त पर, कम से कम 5000 करोड़ की बेटिंग होनी चाहिए। मैं बिना किसी फायदे या नुकसान के कोई काम नहीं करता। बॉस का एटिट्यूड है इसलिए पैसा बनाऊंगा और शेर का जिगरा है इसलिए किसी भी जगह पर खड़े होने की हिम्मत है।"..


मेघा अपस्यु की बात सुनकर सिटी बजाती हुई कहने लगी…. "500 करोड़ मै लगाऊंगी अपस्यु तुम्हारे ओर से।"..


अपस्यु:- लव यू मेघा, मुझे यकीन था कि तुम्हे मेरे एटिट्यूड से कोई पंगा नहीं होगा। और बाकी के लोग आपस में सलाह मशवरा करके जल्दी से पैसों का इंतजाम करके मुझे सूचना दो, जबतक मै अपना ड्रिंक एन्जॉय करता हूं।


अपस्यु अपनी बात कहकर वापस बार काउंटर पर आकर ड्रिंक लेने लगा। प्रकाश जिंदल जो इस वक़्त अपने कुछ खास दोस्तों के बीच था, वो मेघा को अपने साथ कोने में ले जाकर, उसके फैसले पर उसे बहुत सुनाने लगा। लेकिन मेघा भी अपने फैसले को लेकर बहुत ही सुनिश्चित थी, इसलिए वो अपने पापा के खिलाफ चली गई।


एक ओर अारूब का मिशन शुरू हो चुका था, वहीं दूसरी ओर पार्टी के अंदर अपस्यु ने पुरे माहौल को ऐसा फसाया था कि हर किसी को 5000 करोड़ अपनी खोली में नजर आ रहा था। एक 21-22 का अय्याश और आवारा लड़का, वीरदोयी लड़ाका से लड़ेगा, और साथ 5000 करोड़ की शर्त।


चूंकि मामला 5000 करोड़ का था और इतने पैसे लगाना किसी एक के बूते की बात थी नही, इसलिए सब अपना ज्यादा-ज्यादा पैसा लगाने के लिए पैसों के इंतजाम में जुटे हुए थे। सबसे ज्यादा चमक तो लोकेश के ही आखों में नजर आ रहा था। लोकेश को भी कमाने की चाहत काफी बढ़ चुकी थी। 1000 करोड़ कैश तो उसके इस बेस पर था, लेकिन वो इस डील में कम से कम 2500 करोड़ लगाना चाहता था, इसलिए वो भी बंदोबस्त में जुट गया।


चिड़िया दाना चुग चुकी थी, और अब लोकेश इस पार्टी हॉल से कहीं चला जाय, सवाल ही नही पैदा होता। उल्टा मामला पैसों का था इसलिए लोकेश ने वहां आसपास के सभी 40 वीरदोयी को यहीं पार्टी हॉल में पहुंचने के लिए बोल दिया।
बहुत ही शानदार लाजवाब अपडेट भाई
क्या चारा डाला लोभियों के सामने मजा आ भाई

अब पीछे से कोई उनकी बीवी का रेप भी कर दें यह ध्यान ना देने वाले हैं भाई
 

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एक एक्सपेरिमेंटल बच्चा, 200 गुना ज्यादा क्षमता वाला दृश्य, आम मनुष्य की क्षमता वाले अपने भाई पर भरोसा जताए, एक छुब्द मानसिकता वाले धरती के बोझ लोकेश पर पुरा नजर डाले था। अपस्यु के अजीज साथी केवल इस इंतजार में थे कि बस ये पैसे लोकेश से दूर हो जाए, फिर एक तबाही का मंजर शुरू होगा जिसका आमंत्रण खुद लोकेश देगा और उस आने वाले वक़्त की पूरी तैयारी में पहले से कमर कस चुके थे स्वास्तिका, पार्थ और आरव।


ऐमी की ललकार उन 160 साथियों की ललकार थी, जिन्हें खोने के दर्द ने इन्हे कुछ भी कर गुजरने के काबिल बना दिया था। इन्हे ना तो उस एक वीरदोयी का डर था, जो अकेले अपनी क्षमता के दम पर पूरे डेविल ग्रुप को समाप्त कर सकता था और ना ही उनके पूरे भिड़ का कोई खौफ। सबके बीच खड़ी होकर ऐमी ने बेकौफ होकर युद्ध का बिगुल बजाया और मुस्कुराते हुए अपने सभी साथियों को देख रही थी।


बीच का एक बहुत बड़ा जगह लड़ाई के लिए खाली करवाई गई। अपने हुनर और ताकत के घमंड की ललकार वीरदोयी ने भी लगाया। अट्टहास सी हंसी के बीच बड़े ताव से कहा गया, चुन ले वो अपने हथियार और कर ले कोई भी वार, लेकिन जान देने को रहे तैयार।


अपस्यु ने जाम को अपने दोस्तों के सामने लहराया, उनके सामने सर झुकाया, मानो कह रहा हो बिल्कुल अंतिम पड़ाव अब आ गया है, पहले मै रण में जाता हूं फिर तुम सब मेरे पीछे आओ। अपने भाई के गले लगा और कानो में बड़े धीमे से कहा, ऐमी और आरव को छोड़कर यहां की बची जिंदगियां की हिफाज़त उसके जिम्मे। और सबसे आखरी में वो निम्मी से हाथ मिलता चला।


अपस्यु बिल्कुल मध्य में खड़ा हुआ, मुसकुराते हुए सबको एक बार देखा और हाथों के इशारे से उसने वीरदोयी को भेजने कहा। दुश्मन को बुलाकर अपस्यु खुद अपनी आखें मूंदे बस मेहसूस कर रहा था। लोगों के दिए हौसले के बीच वो वीरदोयी लड़ाका उतरा मैदान में, अपने हाथ में स्टील की छोटी सी मजबूत कुल्हाड़ी लिए। चलाने में आसान और आस्तीन में नीचे बड़े आराम से जिन्हे छिपाया जा सकता था।


चाइनीज और कोरियन गैंग द्वारा इस्तमाल किया जाने वाला ये एक फिट की छोटी सी कुल्हाड़ी, इस्तमाल करने का कॉन्सेप्ट शायद वहीं से प्रेरित था। हवा की तेजी से दौड़ते वो वीरदोयी लड़ाका अपस्यु के सर पर निशाना लगाया, और अपस्यु बस खुद में खोया सा, मुस्कुराते हुए हवा की गति में परिवर्तन के हिसाब से अपने अपने बदन और सर को ऐसे लहरा रहा था मानो बस खोकर वो हवा को पढ़ते हुए उसके अनुसार अपनी प्रतिक्रिया दे रहा हो।


अपस्यु मदहोश होकर जैसे ही हवा में सर को लहराया, वो वीरदोयी अपना निशाना चुककर, अपनी गति से उसके आगे बढ़ चला। निम्मी सें उधार मांगी गई वो छोटी सी चाकू जो अपस्यु के मुट्ठी में बंद थी, वीरदोयी के पीछे गले में घुसकर निकल गई और लड़खड़ाते हुए वो आगे फर्श पर बिछ कर, अपनी श्वांस तेज-तेज ले रहा था।


प्राण किसी कि मुक्ति मांग रही थी। मौजूद लोगों की आखों में अब तक ऐमी के कुरुरता के मंजर छापे थे, और अब अपस्यु एक बार और उनके रौंगटे खड़े करने बढ़ रहा था। फर्श पर बिछे उस वीरदोयी को मौत के आखरी दर्शन करवाने अपस्यु ने कदम जैसे ही बढ़ाया, एक बार और हवा की गति में उसने परिवर्तन को पाया।


ताकत की मद में जिसे मारने का सोचकर एक ही वक़्त में 2 वीरदोयी दाएं और बाएं से आगे बढ़े, उन्हें तनिक भी अंदाज़ा ना था अपस्यु के रिफ्लेक्स और रिएक्शन का। दोनो वीरदोयी तो अपनी पूरी क्षमता से दाएं और बाएं से, हवा में उछलकर हमला कर गए, लेकिन अपस्यु अपने पाऊं जमीन में फैलाकर, ठीक होते हमले के बीच बैठा और हवा में हुए इस हमले से वीरदोयी ने एक दूसरे को ही गंभीर रूप से घायल कर चुका था।


एक का कांधा गया था, तो दूसरे की पसली गई थी। वीरदोयी नीचे जब घायल अवस्था में गिर रहा था, तब नीचे मौत इंतजार कर रही थी। जमीन में परी थी उन्हीं के एक साथी की कुल्हाड़ी और हाथ में थी एक छोटी सी चाकू प्यारी। आज मौत से ना बच पाए अपस्यु ने वो तांडव दिखाया, गिरते एक वीरदोयी के गले में चाकू उतारा तो दूसरे वीरदोयी के सर पर ही एक जोरदार कुल्हाड़ी का वार कर दिया।


एक वीरदोयी प्रतिद्वंदी जिसे हराने कि बात थी, वो अब भी नीचे परा था और उसके जीवित होने से खेल अब भी जिंदा था। दोस्तों की हूटिंग चल रही थी लगातार और लोकेश के सर पर एसी में भी पसीना आए बार-बार। कहां लोकेश आज तक वो दूसरों को उकसाकर सारा माल अंदर बटोर लिया करता था, लेकिन आज खुद ही द्वेष और गुस्सा का शिकार हो चुका था।


बेखौफ मुसकुराते हुए अब जब अपस्यु आगे बढ़ा, दुश्मनों के कलेजे में कंपन हो गए। ताकत के नशे में जो इंसान और इंसानों की इंसानियत को रौंदा करते थे आज कांपते बस उनके मुख से इतना ही निकल रहा था,.. "क्या इसमें थोड़ी भी दया, करुणा और इंसानियत नहीं बची, जो इतनी बेरहमी में सबको मारता जा रहा।"


और फिर अंत में अपस्यु के कदम जैसे ही उस खिलाड़ी के पास ठहरे, जिसे मारकर बाजी खत्म करनी थी, तभी एक जोर की चींख लोकेश की निकली… "इस लड़के को खत्म कर डालो।"… शायद मायलो ग्रुप का लालच अब भी दिल से ना जा पाया, इसलिए तो लोकेश ये ना कह पाया कि मार डालो इन सब को।


हाय री किस्मत, नायकों के समूह के बीच बैठकर ये क्या गलती कर डाला, खुद ही लोकेश ने लड़ाई का आमंत्रण दे डाला। एक साथ सभी वीरदोयी ने तेज दौर लगाया था, पर मूर्खों को कहां पता था उन्हें तो अपस्यु ने आजमाया था। खेल अब आमने-सामने की थी और सबको एक साथ टूटते देख अब पूरे नायकों के समूह ने दौड़ लगाया था।


जो नहीं जा पाए थे उनमें बची थी, अश्क, निम्मी और कुंजल। लोकेश मामला हाथ से निकलता देख चुपचाप वो कुबेर के खजाने वाला लैपटॉप को हथियाया, लेकिन मेकअप के पीछे कौन उसके पास आकर बैठ चुकी थी वो भांप ना पाया। नतीजा लैपटॉप के ओर जैसे ही अपना हाथ था बढ़ाया, एक प्यारा सा खंजर उसने भेंट स्वरूप पाया।


लोकेश की हथेली के आर-पार जाता वो खंजर, निम्मी ने टेबल में ऐसा घुसाया की दर्द में लोकेश कररह गया था। विक्रम राठौड़ अपने बेटे पर ये हमला सह नहीं पाया और तिलमिला कर वो निम्मी की तरफ आया लेकिन ठीक उसी वक़्त अश्क ने अपना पाऊं उसके पाऊं में फसाकर उसे जमीन की याद दिलाई…. "क्यों बूढ़उ जी, अभी तो बेटा जिंदा है ना, ज्यादा उछलकूद किया तो वो यहीं दम तोड़ जाएगा। चलो जो पहले शर्त लगाया है वो सजा पाओ और चुपचाप जाकर अपनी जगह पर बैठ जाओ। वरना आप की ये बुढ़ी हड्डी टूटना झेल ना पाएगी और आप की जिंदगी अपंग की तरह बिस्तर पर गुजर जाएगी।"


विक्रम राठौड़ जबतक कुछ सोच ने डूबा रहा, निम्मी अपने मेकअप को हटाकर ठीक लोकेश के सामने आयी। उसे देख लोकेश को पूरा मामला ही समझ में आया। जिसे मरा समझ वो फेक आया था, उसके बदले की आग ने उसे जिलाया था और किसी भूत की तरह वो लोकेश के सामने आयी थी।


इससे पहले कि लोकेश कुछ कह पता, निम्मी का दूसरा खंजर भी इंसाफ मांगती दूसरे हथेली के आर पार थी और वो भी जाकर टेबल में घुसी थी। सिसक सा गया था लोकेश, दर्द जो बर्दाश्त के बाहर सा होता जा रहा था। विक्रम अपने बेटे का हाल देखकर घबराया और जमीन पर रेंगते हुए वो निम्मी के पाऊं में आया।


निम्मी की तेज हंसी जब गूंजी थी, विक्रम का दिल घबराया सा था, और बेटे की जान के बदले निम्मी ने हार की शर्त याद दिलाया था। जान बचाने के लिए विक्रम राठौड़ बिलबिलाए, सीधा जाकर कुंजल के पाऊं में आया। उसके सैंडल को कुत्ते की तरह चाटा फिर पुरा साफकर, अपने हाथ जोड़े वो दुर्गा और काली के समान रौद्र रूप दिखा रही देवियों से भीख मांगता खड़ा हो गया।


निम्मी मुस्कुराई और दर्द से लोकेश को छुटकारा देती उसके दोनो हाथ में एनेस्थीसिया का इंजेक्शन लगाई। दर्द तो चला गया लेकिन ऐसा लगा जैसे शरीर से वो अंग भी जा चुका था। कुंजल अट्टहास भरती कहने लगी…. "अभी हिसाब बाकी है, अभी और इंतकाम बाकी है। जिसकी हिम्मत पर तुम उछालते हो अभी तो उसका अंजाम देखना बाकी है।"..


कुंजल ने सामने की ओर ध्यान था दिलाया जहां अब नायकों के समूह ने कहर था बरसाया। साहिल अपने रौद्र रूप में जब आया, सारे मेकअप उतारने के बाद सारे वीरदोयी को उसमे काल नजर आ चुका था। सबके जहन में सिर्फ इतना आया था कि एक ये अपस्यु कम था जो ये भी यहां आया।


लेकिन कुछ ही देर में एक और भ्रम टूटता नजर आया, जब आरव और ऐमी ने अपना तांडव दिखाया। आज हाथो में वो 4 फिट के 2 रॉड नहीं थे, बल्कि 1 फिट की दो छोटी सी कुल्हाड़ी थी। ऐमी और आरव की नजरे एक दूसरे से मिली तो दोनो मुस्कुरा रहे थे। आपस में 4 फिट की दूरी बनाए एक लाइन से आरव, तो दूसरे लाइन से ऐमी ने काटने का वो नजारा दिखाया की 20 गुना ज्यादा क्षमता वाले ये एक्सपेरिमेंटल जल्लाद खुद को धराशाही पाए।


बीच में फसा अपस्यु भी आज दोनो हाथ में कुल्हाड़ी पकड़े हवा की धुन पर मस्त था। लहर की भांति अपस्यु हवा के धुन पर लहराते जब दोनो हाथो से कुल्हाड़ी को भी लहराते हुए चलाता, तो बस चींख और मौत का तांडव ही गूंज कर रह जाता। ऐसा लग रहा था शिव अपनी धुन में मस्त होकर तांडव करते जा रहे है, रक्त चरण अभिषेक कर रहे थे और लाशों पर पाऊं रखकर जब उसने काटना शुरू किया तो वीरदोयी के कलेजे मूह को आने लगे।


वीरदोयी की गोल झुंड को दाएं और बाएं की लाइन से काटते हुए, ऐमी और आरव जगह बना रहे थे और अपस्यु उनके मध्य खड़ा होकर तांडव कर ही रहा था। बिजली की तरह दृश्य भी बरस रहा था और बिना कोई रहम दिखाए अपने पंजे से वीरदोयी का सिना चीरकर, सीने को फर्श पर बिछाता रहा और बिना सीने के तड़पते सरीर को वहीं फर्स पर फेंकता चला जाता।


बदले की आग स्वास्तिका और पार्थ के सीने में भी जल ही रही थी और भिड़ से भागते वीरदोयी का हिसाब उनके खाते में आ जाता। हालांकि दोनो मार कला में उतने निपुण नहीं थे, लेकिन भागते वीरदोयी पर पहले से आरव और ऐमी की बिजली गिर चुकी होती, और आखरी अंजाम के लिए दोनो को बहुत ज्यादा मेहनत ना करते हुए सीधा प्वाइंट ब्लैक रेंज चुन रखे थे। एक निशाना और खेल खल्लास।


20 मिनट में ही सभी आत्माविहीन जल्लादों का भाग्य लिखा जा चुका था। अच्छे लोग जब कूरुर होते है तो किस हद तक कूरूर हो सकते है ये हर व्हाइट और ब्लैक कॉलर वाले लोगो को समझ में जैसे ही आया, अपने प्राण बचाने वो दरवाजे की ओर भागा था, लेकिन अपस्यु कि नीति काम आयी और दरवाजे पर काया और नील के साथ उनके सभी लोग खड़े रास्ते को ऐसा रोका था कि वापस वहां बैठने के अलावा कोई जरिया नजर नहीं आया।


पहले से खौफजदा लोगों में नील ने और खौफ भड़ते, सबको हॉल के एक हिस्से में बिठाया और भागने का अंजाम वैसे ही कटी लाश का रूप दिखाया। देखते ही देखते खूनी खेल खत्म हो गया। रक्त में सरोवर होकर अपस्यु, लाशों कि ढेर पर खड़े होकर हुंकार भरी…. "तो दोस्तों पार्टी कैसी रही।"..
पार्टी बहूत हीं शानदार रहीं हैं नैन भाई
मजा आ गया
बहुत ही शानदार लाजवाब अपडेट भाई
 

Zoro x

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निम्मी:- मै बहुत छोटे से कस्बे में पली हूं, चाकू चलाने का काफी शौक था, ये शौक मुझे गांव के मेले से आया, जब तमाशा दिखाने वाले चाकू का खेल दिखाया करते थे। छोटी सी उम्र का शौक, प्रैक्टिस करते-करते मैं इतना महिर हो गई की लोग मुझसे दूरियां, सिर्फ चाकू की वजह से बनाकर रखते थे। मै गांव के माहौल से वाकिफ थी, नज़रों में हवस और मौके की तलाश, इसलिए मै ज्यादा किसी को मुंह नहीं लगाया करती थी।

एक दिन मै गांव की सरहद पर थी, जब लोकेश की गाड़ी गुजर रही थी। शायद मेरे जिंदगी कि बहुत बड़ी भुल, क्योंकि हमारे यहां देवता की तरह वो पूजा जाता था। उसकी गाड़ी जब रुकी तो मै जिंदगी में पहली बार अपनी पूरी खुशी का इजहार कर दी। मुझे लगा भले लोग है, इसलिए उनकी मेहमान नवाजी भी स्वीकार कर ली। लगा सहर के लोग है किसी के हसने या बोलने का गलत मतलब ये लोग थोड़े ना निकाल सकते है। दिल्ली में तो मुझसे भी खूबसूरत लड़कियां बेवाक होकर हर तरह की बातें कर देती है। ये लोग कंजर्वेटिव माइंड के नहीं होंगे। मेरा बहुत बरा भ्रम, जिसका खामियाजा मुझे इस तरह से देना परा की अब बस दृश्य भईया के साथ टांग जाऊंगी और उन्हीं के साथ काम करूंगी। इतनी ही कहानी है मेरे बारे में।


पार्थ:- तुम्हारी कहानी में मै नहीं?


निम्मी:- तुम भी सहर के ओपन खयालात के लोग हो पार्थ।


पार्थ:- चलो मान लो कि मेरी जगह अपस्यु होता और वो तुमसे अपने दिल की बात कर रहा होता, तो तुम क्या करती।


निम्मी:- पार्थ गलत टॉपिक है ये, यहां बात हम दोनों की है।


पार्थ:- हां क्यों नहीं। वो छोटी आंख वाला, मासूम सी सूरत वाला जिसे प्यार तो बचपन से था और चुपके से अफेयर में भी था। अफेयर में होने के बावजूद भी उसके संबंध.. संबंध मतलब फिजिकल संबंध, कम से कम 12 लड़कियों से होंगे और वो मेघा भी इसकी लिस्ट में आती है।


जैसे ही पार्थ संबंध पर था, ठीक उसी वक़्त ऐमी ने ऑडियो पॉज कर दिया.... जैसे ही ऑडियो पॉज हुआ, हर कोई हैरानी से देख रहा था। ऐमी, अपस्यु का हाथ थामकर बस मुस्कुरा रही थी। स्वास्तिका सबका कन्फ्यूजन दूर करती हुई कहने लगी…. "वो कहावत नहीं सुनी क्या, हर एक फ्रेंड कामिना होता है।"..


अश्क:- लेकिन फिर भी ये ऐमी की बच्ची कलंक है लड़कियों के नाम पर। अभी तक तो झगड़ा करके रूठ जाना चाहिए था, थोड़ा भाव खाना चाहिए था, ड्रामे 3 दिनों तक होते रहने चाहिए थे।


कुंजल:- हुंह ! जब दोनो प्यार करते है तो इतने ड्रामे क्यों? पुरानी सोच।


अश्क:- इसको कोई अब तक मिला नहीं है क्या?


ऐमी:- हमारे घर की पहली अरेंज मैरेज होगी, कुंजल की शादी।


कुंजल:- येस !!


अश्क:- ठीक है बेटा तुझसे बात मैं तेरे शादी के बाद करूंगी, और फिर जान लूंगी तेरी फिलॉस्फी भी..


आरव:- तुम सब बाहर जाकर ये ड्रामा करो, भाभी ऑडियो ऑन करो, सुनने तो दो, उस कमिने का घर बसा या नहीं?


जैसे ही ऑडियो ऑन हुई, उधर से निम्मी कह रही थी…. "किसी को गलत साबित करके खुद कैसे सही हो सकते हो पार्थ, वैसे भी यकीन बड़ी बात है। मै तुम दोनों को निंजी तौर पर नहीं जानती, फिर उनका कैरेक्टर कैसे तय कर सकती हूं?"


पार्थ:- हां दुनिया में एक चरेक्टरलेस मै ही हूं।


निम्मी:- अगर ऐसा है तो फिर पहले कैरेक्टर को ही सुधारो।


पार्थ:- अरे यार और कितना भाव खाओगी, कुछ तो बताओ की क्या करूं मै तुम्हारे लिए।


निम्मी:- अभी जितनी बातें हमारे बीच हुई है उसमे तुम्हारे सवालों के जवाब है। अपनी दिलफेंक आदतें बंद कर देना और जवाब जल्दी ढूंढ लेना, क्योंकि मै दृश्य भईया की टीम ज्वाइन कार चुकी हूं और मुझे उनके साथ काम करने में काफी मज़ा भी आ रहा है।


शायद इनकी बातें बन गई, अभी के माहौल से तो ऐसा ही लग रहा था। और बात बने भी क्यों ना, आज का तो दिन ही है हर बात के बनने का। एक लंबे से युद्ध का लगभग विराम लग चुका था। वक़्त अभी तो पूर्ण खुशी का नहीं था, किन्तु जो लोग दर्द को भी चीरकर, खुशी के पल ढूंढ लेते हो, उनके लिए तो वाकई ये बहुत बड़ा खुशी का समय चल रहा था।


फिर वही हो जाता है, अकेले खुश हुए तो क्या खुश हुए। अपस्यु के साथियों के अलावा भी कई ऐसे लोग थे जो उनके काम के परिणाम से काफी खुश थे। वहां काम कर रहे स्टाफ के लिए आज इतनी खुशी की रात थी कि उनकी खुशी देखते बनती थी। जबतक लोग बातों में लगे थे, तबतक उनके पास ही खाने से लेकर ड्रिंक तक सर्व होने लगा।


सबसे खास ट्रे तो अपस्यु के आगे लगा। उसकी पसंदीदा ड्रिंक सर्व की जाने लगी और वो सबसे बात करते हुए आराम से ड्रिंक का मज़ा लेने लगा… "अबे कितना पिएगा, तुम्हे चढ़ती है कि नहीं।"… दृश्य अपस्यु को एक हाथ मारते हुए पूछा।


आरव:- ये और इसकी ड्रिंक, कभी ना छुटने वाली है। भोले बाबा की आराधना करते-करते ये पक्का नशेड़ी बन गया हैं।


दृश्य:- पागल हो तुम लोग, 4 पेग के बाद बॉडी रिस्पॉन्ड करती है अल्कोहल। हां लोग कम, ज्यादा या बहुत ज्यादा ड्रिंक लेते है, लेकिन उन सबमें एक बात सामान्य होती है उनका नाश में होना। कितना भी छिपाने कि कोशिश क्यों ना करे नशा में है पता चल जाता है।


स्वास्तिका:- प्वाइंट तो बी नोटेड, लेकिन ये कितना भी पीकर दिखाने की कोशिश करे, पता नहीं चलता कि ये नशे में है। इसका मतलब साफ है या तो इसे पता है कि ये "क्यों" पी रहा है। या फिर इसे अपने "क्यों" का पता नहीं लेकिन अपने उसी "क्यों" के लिए पीता है। भाभी जी जारा इस राज से पर्दा उठा देंगी।


ऐमी:- अरे यार कुछ नहीं बस ये अपने ध्यान लगाने की प्रक्रिया को निपुण कर रहे है। शून्य काल तक कैसे अपने मस्तिष्क को पहुंचाया जाए, उसी की प्रैक्टिस जारी है। ये नशे के लिए नहीं बल्कि अपने मस्तिष्क में उपजे नशे को कंट्रोल करने का एक्सपेरिमेंट कर रहे। सीधा-सीधा कहूं तो सेंट्रल नर्वस सिस्टम को ऑटो मोड से मैनुअल मोड पर डालने की कोशिश जारी है।


दृश्य:- कमाल का कॉन्सेप्ट है, मै भी ट्राय करूं क्या क्यूटी।


अश्क:- पहले नाजायज बच्चों पर कंट्रोल करना सीखो, अभी तो यूएस नहीं गई 2-3 साल वहां भी तो रुके थे।


सब लोगों के ठहाके निकल आए। रातें छोटी सी थी और बातें काफी लंबी। सुबह के 4 बज चुके थे। एक-एक करके हर कोई उसी हॉल में सो गया। बस केवल दृश्य और अपस्यु जागे थे। दोनो भाई एक छोटे से वॉक पर निकले..


अपस्यु:- अब कहां निकल रहे हो भाई।


दृश्य:- निजी स्वार्थ के कारन तो बहुत खून बहाया है अपस्यु, अब ऑर्डर फॉलो करूंगा। बक्शी सर ने एक रिजिलियांट ग्रुप का केस दिया है, पूरी टीम को लेकर मै उसी मिशन पर निकल रहा हूं। वैसे तुमने काफी हैरान किया, तुम्हारे रिफ्लेक्स इतने तेज थे कि कई मौकों पर मै जबतक देखता, उससे पहले तुम काम खत्म कर चुके होते। मैं तो कभी उतनी तेज रिफ्लेक्स की सोच भी नहीं सकता। तुम्हारी तैयारी इन चूहों से बहुत ऊपर की है.. फिर इतना वक़्त इंतजार क्यों?


अपस्यु:- वक़्त मैंने बदला लेने के लिए नहीं लिया था भई, बल्कि मुझे लोगों को उनके जीने कि वजह देनी थी, वरना आज जो अच्छा दिख रहा है वो कल को बुरा बनते देर नहीं लगती। इसलिए मै तो बस अपना परिवार समेट रहा था।


दृश्य:- तुमसे बहुत कुछ सीखना है अपस्यु। चाहत तो मेरी यह थी कि तुम्हे भी इस मिशन के लिए आमंत्रण दू, लेकिन मुझे यकीन है कि तुमने अपनी कहानी मुझे पूरी नहीं बताई। थोड़ा बुरा जरूर लगा है इस बात का, लेकिन शायद कुछ सोचकर ही नहीं बताया होगा।


अपस्यु:- सॉरी भईया, मै नहीं चाहता था कि आप अपना फोकस मुझ पर दे, सिर्फ इस वजह से नहीं बताया। हा लेकिन आपका मेरे पास आना, मेरे प्लान का हिस्सा था। तब मुझे निम्मी का केस तो पता नहीं था, लेकिन वीरदोयी के सामने हमारी टीम नहीं टिक पाती, इसलिए मैंने गुप्त रूप से आप तक सूचना भिजवाई थी कि आपका बच्चा मेरे पास है।


दृश्य:- पागल है तू पुरा। कितनी जल्दी और कितनी सफाई से तू प्लान कर लेता है।


अपस्यु:- हां लेकिन आप बिना प्लान के ही किसी कि भी धज्जियां उड़ा सकते हो। वैसे भाभी से मैंने अब तक माफी नहीं मांगी और शायद हिम्मत भी नहीं होगी। आपको भड़काने कि बहुत चिप ट्रिक अपनाया था मैंने।


दृश्य:- हाहाहाहा.. और भड़काने के बाद भी जिंदा बच गया, कमाल का गुट्स और कमाल की प्लांनिंग थी। वैसे उस दिन अनजाने में ही बहुत सी बातें सीखा गए, और मुझे ऐमी की याद दिला गए।


अपस्यु:- अारूब जब उनके बारे में बता रहा था, उनके जाज़्बे और आप सब के साथ की कहानी ने रुला दिया। एक स्वार्थहिन चालाक मेंटोर की कहानी जो हर खतरे से निकल सकती थी, बस दोस्ती के मोह में फस गई।


दृश्य:- सुन ना मै समर वैकेशन में सब बच्चो…

अपस्यु:- बस भाई ये समर वैकेशन की बात अभी रहने दो फिर कभी कर लेंगे। वैसे मुझ पर विश्वास दिखाकर मेरा प्लान फॉलो करने के लिए दिल से धन्यवाद।


दृश्य:- अरे ऐसे कैसे थैंक्स, हम दोनों को एक दूसरे की जरूरत थी, अब मुझे तुम्हारी कैसे जरूरत थी वो एक्सप्लेन करने पर मजबूर ना कर और पहले तू मेरा सुन.. मै उन वीरदोयी के बच्चों के लिए कुछ नहीं कर पाया, इसलिए मेरे ओर से उसकी जिम्मेदारी भी तू उठा लेना। कल कंपनी मर्ज के पेपर मिल जाएगा, आरव को बोलना दोनो कंपनी की रेस्पोसिबिलिटी ले लेने के लिए। मै अपनी पायल दीदी और जीजू को कंपनी से रिलीफ करना चाहता हूं, ताकि जो ज़िन्दगी जीना भूलकर कंपनी के पीछे पीस रहे है, वो छोड़कर पुरा वक़्त घर पर दे सके। वैसे भी जीजू बहुत बुरे बिजनेसमैन है यार। और अंत में मुझे बहुत से टेक्निकल सपोर्ट की जरूरत होगी, इसलिए क्या ऐमी फ्री रहेगी हमे टेक्निकल सपोर्ट देने के लिए।


अपस्यु:- सारी बातें तो अच्छी है, लेकिन ये कंपनी मर्जर कुछ ज्यादा ना हो रहा।


दृश्य:- ओह बातों बातों में मै भुल ही गया, मै वैदेही को भेज रहा हूं दिल्ली, वो तुम लोगो के साथ रहेगी। 10000 करोड़ का एक फंड मै हॉस्पिटल और रिसर्च सेंटर के लिए सेंक्शन कर चुका हूं, लेकिन किसी पर यकीन नहीं था इसलिए वैदेही को अकेले ही रिसर्च करने के लिए कहा। स्वास्तिका से बाकी बातें हो गई है। दोनो मिलकर एक साथ काम करेंगे और दोनो की जैसी रिक्वायरमेंट हो वैसा पुरा करवा देना, पैसों की कोई चिंता मत करना।


अपस्यु:- भई वो सब तो ठीक है लेकिन कंपनी मर्जर..


दृश्य:- देख सिम्पल सी बात है हम में से तो किसी से कंपनी चलने से रही। मेरे जीजू भी हम में से एक ही है। अब किसी दूसरे के हाथ में कंपनी देने से कहीं लोकेश वाला ना हाल हो जाए, यार पैसे का सीधा रिश्ता पॉवर से होता है और पॉवर का नशा तो तू जानता ही है ना। इसलिए अब कोई बहस नहीं, और हां उस वैदेही मत कहना बल्कि वेली पुकारना।


अपस्यु:- और कोई हुक्म सर..


दृश्य:- नहीं सर, चलकर आराम किया जाए। तेरे मुताबिक जगह की पूरी बनावट कर दी गई है, अारूब ने पूरी डिटेल ऐमी से साझा कर दिया है। और हां जल्दी से अब उन्हें भी अंजाम तक पहुंचा दो, जो बचे हुए है और मुझे फिर पूरी कहानी डिटेल में बता देना।
बहुत ही शानदार लाजवाब अपडेट भाई
 

Sanju@

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दोनों बाहें फैलाए उसने अपनी आंखें मूंद ली और आशुओं की एक धारा चेहरे पर एक रेखा बनाती, धीरे-धीरे टपकने लगी। शायद जो इस वक़्त आरव मेहसूस कर रहा था वहीं अपस्यु भी। वो भी अपने बिस्तर पर लेटा-लेटा अपनी आखें मुंदे बस आशुओं की एक धारा बहा रहा था।

थोड़ी देर बाद वीरभद्र अपनी गिनती पूरी कर आया और साथ में 2 लोग बेचारे तड़प रहे थे, उनकी तड़प को भी शांत कर आया। जब वो वापस लौटा तब आरव को इस हाल में देखकर, वो जोड़-जोड़ से चिल्लाने लगा…. "गुरुदेव अभी तो हम मिले थे, इतनी जल्दी निकल लिए"…

वीरभद्र का चिल्लाना सुनकर आरव खुद को ठीक करता हुआ उठ खड़ा हुआ, उधर अपस्यु ने जब चिल्लाना सुना तो वो भी चिंतित होकर आरव-आरव करने लगा।

आरव:- कुछ नहीं हुआ ठीक हूं मैं।

अपस्यु:- फिर वो चिल्लाया क्यों?

आरव:- अरे कुछ नहीं बस कुछ याद आ गया था.. जैसे तुझे आया होगा।

अपस्यु:- हम्मम !! वो तो ठीक है लेकिन इतना बड़ा रायता जो फैला दिए हो उसका क्या?

अराव:- बेकार की चिंता कर रहा है। अब तू सो जा और सुबह उठ कर न्यूज देख लेना। मैं यहां अब सब पैक कर रहा हूं। कल मिलते हैं भाई।

अपस्यु:- जल्दी अा जा… तेरे बिना कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा।

आरव ने कॉल काटा और वहां से सब समेटना शुरू किया। वीरभद्र भी उसके इस काम में मदद करने लगा। सब कुछ समेट कर आरव जबतक पैक कर रहा था, वीरभद्र ने पैसों से भड़ा बैग उसके पास पटकते हुए…. "आरव, सारे पैसे यहीं रह गए। डॉलर, रुपया, सब…. और इस पैसे के लिए ये सब लड़-भीड़ कर मर गए… हा हाहाहा"

आरव:- पैसा यहीं छोड़ दे वीरे। ये "ब्लड मनी" है। यह पैसा हमेशा अपने पीछे एक जहरीली खुशबू छोड़ता है। हम इसे यहां से ले गए ना तो इसकी जहरीली खुशबू सूंघते ना जाने कितने हमारे पीछे अा जाए।

वीरभद्र:- क्या मतलब पैसा यहीं छोड़ दे? अरे इतना सरा रुपया है। कोई पागल ही इसे छोड़ सकता है।

आरव:- तू वहां से किसी लाश का फोन उठा कर दे मुझे। तुझे अभी समझ नहीं आएगा कि इन पैसों को क्यों नहीं ले जा सकते।

वीरभद्र के तो आंखों में जैसे रुपया ही छप गया हो। इतना सरा रुपया देख कर तो वो होश में ही नहीं था। हां मन डोल तो उसका पूरा रहा था लेकिन इंसान बेईमान नहीं था। आरव ने जैसा कहा उसने फोन लाकर दे दिया, और एक बैग जिसमे केवल डिवाइस थी और कपड़े, वो लेकर उस खंडहर के बाहर अा गया।

आरव ने उदयपुर एसपी के लैंडलाइन पर कॉल लगाया, थोड़ा इंतजार और थोड़े बहाने के बाद एसपी फोन लाइन पर अा गए थे। आरव ने ज्यादा बात को ना घुमाते हुए सीधा कह दिया… "राज्य के शिक्षा मंत्री यहां फसे है और गैंगस्टर अंधाधुन गोलीबारी कर रहे है" ... इतना सुनते ही एसपी साहब के होश उड़ गए।

एसपी :- कौन हो तुम और कहां से बोल रहे हो?

आरव:- मैं पूरी जानकारी तभी दूंगा जब कॉन्फ्रेंस में सिटी पुलिस कमिश्नर भी होंगे।

इतना बड़ा बॉम्ब फटा था, सिटी कमिश्नर को तुरंत लाइन पर लेते हुए एसपी पूछने लगे…. "सर है लाइन पर, अब पूरी बात बताओ"

आरव:- एक ही बात बार-बार कहनी पड़ेगी क्या, सुन नहीं रहे कितनी भीषण गोलीबारी हो रही है। लोगों के मरने और चिंखने की आवाजें नहीं सुनाई दे रही क्या?

एसपी:- सर हमे वहीं चलना चाहिए।

कमिश्नर:- ठीक है, सभी को अलर्ट करो और पूरी फोर्स को पहुंचने बोलो। सुनो तुम जो कोई भी हो, हमे वहां का पता बताओ और वहीं रुकना।

आरव:- मैं बस पता बता कर निकल रहा हूं। मुझे नहीं मारना इस गोलीबारी में।

आरव ने पता बताया और दोनों, वीरभद्र और आरव वहां से निकल गए। कुछ दूर आगे चलकर दोनों ने अपने कपड़े बदले और पहने हुए कपड़े को वहीं जलाकर जॉगिंग करते हुए निकाल गए।

रास्ते में ही सामने से एसपी साहब की जीप आ रही थी, जो बिना रुके सीधे स्पॉट की ओर निकल गई। एसपी, कमिश्नर से… "लगता है कॉलर यही दोनों थे"… कमिश्नर ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया…. "इतना चालक कॉलर मैंने आज तक नहीं देखा। जल्दी चलो वरना हम से पहले कहीं फोर्स ना पहुंच जाए"।

कमिश्नर और एसपी तुरंत मौके पर पहुंचे। वहां का नजारा देखकर दोनों को बहुत ज्यादा अचरज नहीं हुआ बस उनकी नजरें अपने काम की चीज ढूंढ़ने में लगी हुई थी। उन्हें ज्यादा मेहनत भी नहीं करनी पड़ी, क्योंकि सरा पैसा सामने ही परा था।

एसपी:- जितना बड़ा कांड उतनी ही बड़ी क़ीमत।

कमिश्नर:- कुछ पैसे यहीं छोड़ कर बाकी सरा पैसा जल्दी से जीप में छिपाओ।

एसपी, पैसे को जीप में रखने के बाद वापस आकर… "क्या लगता है ये कॉलर कोई अतंकवादी था"

कमिश्नर:- आईपीएस किसने बनाया तुम्हे। ये कोई निजी मामला लगता है। बहुत ही चालाकी से या तो सबको लड़ाया है या पैसे के चक्कर में सबको यहां बुला कर साफ़ कर दिया। उधर देखो वो स्मोक बॉम्ब, आया कुछ समझ में।

एसपी:- पैसे तो मिल ही गए हैं, और वो लड़का अतंकवादी भी नहीं तो ज्यादा सोचना क्या है क्लोज करते हैं सर केस। आप जाइए यहां का पंचनामा करने में शायद काफी वक़्त लग जाए।

कमिश्नर भूषण को एक लात मारकर:- हां कौन सा साला ये समाजसेवक था जो इसके लिए भागदौड़ करे। जगह ऐसा हो जाना चाहिए कि एनएसए, सीबीआई या फिर रॉ अा जाए, सब को बस अपनी ही कहानी के सबूत मिले। लग जाओ काम पर और एक अच्छी कहानी बनाओ जो पुलिस की इमेज को ऊंचा करे और हां यहां की पूरी टीम को 2 लाख का बोनस भी दे देना।

एसपी साहब जुट गए वहां अपने पैसे बचाने में, इधर आरव और वीरभद्र दोनों जॉगिंग करते हुए आगे बढ़ने लगे। सहर के थोड़े बाहर ही उन्हें एक ऑटोवाला भी मिल गया और दोनों सीधा बस स्टैंड पहुंच गए। एक चाय की टपरी से दोनों ने चाय लिया और वीरभद्र चुस्की लेते हुए…

वीरभद्र:- गुरुदेव आप से बहुत कुछ सीखा है मैंने। कभी कोई काम परे तो याद जरूर कीजिएगा।

आरव:- बस कर यार, तू मुझ से बड़ा दिखता है। मत कह गुरुदेव। अच्छा सुन यहां कौन कौन है तेरा।

वीरभद्र:- मां और छोटी बहन।

आरव:- ठीक है कुछ दिन यहीं रुक फिर सबको लेकर दिल्ली आ जाना। मेरे पास तेरे लिए बहुत से काम है।

वीरभद्र खुश होते हुए…. क्या बात कर रहे हो गुरुदेव, जल्दी मिलता हूं फिर।

आरव, वीरभद्र को अलविदा कहकर वापस लौट आया। इधर आरव से बात समाप्त करने के बाद अपस्यु के आखों में नींद कहां थी। उसकी नजर तो बस टीवी पर टिकी थी और न्यूज चैनल को बार-बार बदल रहा था।

इसी क्रम में कब उसे नींद अा गई उसे पता भी नही चला। सुबह जब आंख खुली और नजर टीवी पर गई तब उसका पूरा ध्यान न्यूज पर ही केन्द्रित हो गया। अभी की सुर्खियों में बस भूषण ही छाया हुआ था। और जो खबर निकालकर अा रही थी, उसे बड़े ही नाटकीय ढंग से आपसी मुठभेड़ का नाम दे दिया गया था। नाटकीय इसलिए क्योंकि हत्या के आरोपी गैंग, मौके पर ही पुलिस मुठभेड़ का शिकार हो गई और इसके बाकी साथियों की तलाश में जुटी है पुलिस।

अब कहीं जाकर चैन की सासें ली अपस्यु ने। इधर खबर सुनकर अपस्यु मुस्कुराया तो उधर सामने से उसकी खुशी चली आईं। आरव बैग पटक कर सीधा अपस्यु के पास पहुंचा और गले लग गया। दोनों भाई थोड़े खुश और आखें थोड़ी नम थी।

कुछ देर के बातचीत के बाद आरव वहां से उठा और जल्दी-जल्दी तैयार हों होकर निकलने लगा। अपस्यु उसकी हरकत को हैरानी से देखते हुए पूछा… "अबे ओ निशाचर, अब ये बन-ठन के कहां निकालने के तैयारी में है?

आरव:- तेरा तो मामला सेट हो गया, मेरा क्या? मैं चला कॉलेज, 3 दिनों से लावणी की सूरत नहीं देखी।

अपस्यु, हंसते हुए…. जा, तेरा मुंह तोड़ने के इंतजार में ही बैठी होगी।

आरव:- मुंह क्या पूरी हड्डियां तोड़ दे बस दिल ना तोड़े।

आरव बिल्कुल फ्रेश होकर निकला और उसकी फटफटी सीधा जाकर पार्किंग में रुकी। अब कभी वो कॉलेज आया हो तो ना पता हो कि कौन सी क्लास कहां है। उसे तो अपना विषय तक याद ना था कि वो किस विषय से स्नातक (ग्रेड्यूशन) कर रहा है, लावणी के विषय की जानकारी तो दूर की बात थी।

ढूंढते-ढूंढते लावणी तो नहीं मिली लेकिन साची जरूर मिल गई। कैंटीन में अकेली बैठी वो कहीं खोई सी थी। आरव चुटकी बजाकर उसका ध्यान अपनी ओर खींचता… "क्या हुआ मिस किन ख्यालों में खोई हुई है"..

आरव को देख कर साची मुस्कुराई और पूछने लगी… "कब पहुंचे आरव"

आरव:- आज ही सुबह पहुंचा हूं साची। लेकिन तुम कहां गुम हो।

साची थोड़ा गुस्सा दिखाते हुई:- सुबह गई थी तुम्हारे भाई से मिलने, आधे घंटे बेल बजती रही लेकिन दरवाजा तक नहीं खोला।

आरव:- ओह तो इसलिए कैंटीन में बैठ कर सोच रही की उसका दरवाजा कैसा खुलवाया जाए।

साची:- हट बदमाश, ऐसा नहीं है। मेरी छोड़ो तुम आज ही पहुंचे और अा गए सीधा कॉलेज?

आरव:- अपनी जानेमन को ढूंढ रहा हूं, वो तो मिल ना रही, और यहां तुम मिल गई।

साची अपनी आखें दिखाती:- ज्यादा चू-चपर वाली बातें की ना तो मैं तुम्हारा जुबान कतर दूंगी?

आरव अपने हाथ जोड़ उसके सामने खड़ा हो गया…. "भूल हो गई, क्षमा माते। अब जरा लावणी का पता बता दीजिएगा।

साची जोर से हंसती हुई… अभी वो हिस्ट्री की क्लास में होगी।

आरव तेजी से वहां से निकला पर जाते-जाते कहता गया…. मैं तुम्हारी जगह होता ना तो अब तक क्लास बंक कर के पहुंच चुका होता खबर लेने की आखिर सुबह दरवाजा क्यों नहीं खोला? और हां 2 बातें.. पहली ये की मेरे अपार्टमेंट में प्रवेश के लिए 2 मुख्य द्वार हैं, और दूसरी ये की अपनी स्कूटी लिए जाना।

आरव तो वहां से लावणी के लिए निकल गया लेकिन जाते-जाते साची को उपाय बताते चला गया। बिना देर किए साची भी निकली, मस्त अपनी स्कूटी से, होटों पर गीत गुनगुनाए…. "तेरी गलियां…गलियां तेरी, गलियां……. मुझको भावें गलियां, तेरी गलियां"
Superb update
जैसा आरव ने सोचा था उसने वैसा ही किया पूरे मामले को ही निपटा दिया एक तरफ लावणी से मिलने आरव निकला है वही दूसरी और साची निकली है अपश्यु से मिलने देखते हैं आगे क्या होता है
 

Sanju@

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आरव तो वहां से लावणी के लिए निकल गया लेकिन जाते-जाते साची को उपाय बताते चला गया। बिना देर किए साची भी निकली, मस्त अपनी स्कूटी से, होटों पर गीत गुनगुनाए…. "तेरी गलियां…गलियां तेरी, गलियां……. मुझको भावें गलियां, तेरी गलियां"

साची गीत गुनगुनाती हुई मस्त अपने रास्ते चली जा रही थी और इसी चक्कर में वो भूल ही गई की दूसरी गली से अपार्टमेंट में जाना है। जैसे ही वो अपार्टमेंट के गेट पर पहुंची, सुलेखा बाहर के दरवाजे पर खड़ी गाय को रोटी डाल रही थीं।

साची मुड़ कर जैसे ही अपने घर के ओर देखी, उसकी धड़कने हो गई तेज और वो स्कूटी को पूरे स्पीड से गली के मोड़ तक लेे गई। इधर सुलेखा को भी ऐसा लगा कि उसने साची को देखा, लेकिन जबतक वो उसे पूरा पहचान पाती, स्कूटी नजरों से इतनी दूर हो गई की मन में बस शंका ही रह गया… "ये सांची है या कोई और"..

साची जैसे ही मोड़ पर मुड़ी, अपनी स्कूटी किनारे खड़ी करके अपने छाती पर हांथ रख कर अपनी श्वास को सामान्य करने लगी।….. "बच गई साची, वरना छोटी मां ने तो पकड़ ही लिया था"…. अब काहे कोई गीत साची के होटों पर आए। बचे रास्ते बस इतना ही ख्याल रहा की "बच गई आज तू"

किंतु जैसे ही अपस्यु ने दरवाजा खोला और उसके चेहरे का दीदार हुआ, उसके चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ अाई… "हाय !! आज कितना मस्त दिख रहा है। दिल करता है लिपट जाऊं। कंट्रोल, कंट्रोल, कंट्रोल"….

साची वहीं दरवाजे के पास ही खड़ी अपनी मुट्ठी भींचकर, आखें मूंदे बस खुद के भावनाओ पर संयम करने की कोशिश करने लगी। किंतु जब फिर से आखें खोल कर उसे देखी…. "आह्हह ! लगता है आज कोई पागलपन ना हो जाए"

ये इश्क की मुश्क, कितना भी संयम रखो दिख ही जाता है। अपस्यु भी साची के इस मुस्कान को मेहसूस कर रहा था… "क्या हो गया, वहीं खड़े
-खड़े किस सोच में डूब गई"।

साची मुस्कुराती हुई "कुछ नहीं" बोली और अाकर अपस्यु के पास बैठ गई। शायद वो बात करने के लिए कुछ शब्द ढूंढ रही थी, किंतु नजर बार-बार अपस्यु के चेहरे को ही देखने कि कोशिश कर रही थी, जिसे वो काबू करने में लगी थी।

अपस्यु:- हेल्लो मिस, क्या हुआ? आज आप बड़ी खुश नजर आ रही है?

साची:- खुश तो मैं इसलिए हूं क्योंकि छोटे पापा आज मुझे स्कूटी दिलवा रहे हैं (झुट)। और हां मैं तुमसे नाराज हूं..

अपस्यु:- नाराज, वो क्यों भला…

साची:- तुमने दरवाजा क्यों नहीं खोला सुबह। कितना बेकार लग रहा था बाहर खड़े रहकर बार-बार बेल बजाना।

अपस्यु:- हां, फिर तो तुम्हारी नाराजगी जायज है। मैं तुम्हारी जगह होता तो इतना कम गुस्सा कभी नहीं दिखता?

साची:- अच्छा !! तो फिर क्या करते?

अपस्यु:- वहीं सोच रहा हूं क्या कहानी बना दूं कि मैं क्या करता। क्योंकि कभी ऐसा मौका मिला ही नहीं। कभी कोई दोस्त हुआ ही नहीं जो मुझे इंतजार करवा सके।

थोड़ी सी मायूसी जो अपस्यु से चहेरे पर साफ झलक रही थी। साची उसे देखकर अपनी आखें शिकुड़ ली और चेहरे से बनावटी गुस्से कि अभिव्यक्ति (एक्सप्रेशन) करती कहने लगी…. "हर वक़्त मुझे देख कर इमोशनल होने की जरूरत नहीं। चलो अब ये चेहरे के ज्योग्राफी को ठीक करो।

अपस्यु खुल कर हंसते हुए…. "मेरे तो पूरे शरीर का भूगोल बिगड़ा हुआ है, तुम्हे केवल चेहरे की पड़ी है"…

साची, अपने सिर पर हाथ रखती….. "मैं भी ना, बस अपनी ही बातें किए जा रही हूं, तुम्हारे बारे में पूछना ही भूल गई"।

अपस्यु:- कोई बात नहीं। लेकिन मैंने भी केवल इस वजह से ध्यान खींचा क्योंकि मुझे एक हेल्पिंग हैंड चाहिए और आरव गायब है।

साची, हंसती हुई:- हां जानती हूं कहां है वो।

अपस्यु:- कमाल है, मुझे पता नहीं और तुम्हे पूरी जानकारी हैं। कर क्या रहा था वो…

साची:- तुम्हे अभी एक हेल्पिंग हैंड चाहिए था ना, उसको देखे। आरव की डिटेल तुम उसी से लेते रहना।

अपस्यु:- हां ये भी ठीक है। हाथ के और शरीर के ऊपरी हिस्से के पालास्टर काट कर निकालने है। क्या तुम मदद कर सकती हो।

साची:- क्यों? प्लास्टर क्यों निकालनी है?

अपस्यु:- कुछ नहीं बस मुझे लगता है यह प्लास्टर जबरदस्ती का लगाया हुआ है। हाथ और पसलियों में केवल चोट था, कोई फ्रैक्चर नहीं।

साची:- तुम क्या डॉक्टर हो? अगर ऐसी बात है तो चलते है हॉस्पिटल। डॉक्टर से संपर्क करके ये प्लास्टर भी हटा देंगे।

अपस्यु:- मुझसे गलती हो गई, तुमसे कहना ही नहीं चाहिए था। मुझे आरव का ही इंतजार कर लेना था।

साची वहां पड़े प्लास्टर कटर को अपने हाथ में लेती हुई कहने लगी…. "हम भारतीयों को अपना काम निकलवाना अच्छे से आता है। कुछ हुआ नहीं की इमोशनल ड्रामा शुरू हो जाता है। हम लड़कियों का तो पता है, तुम लड़कों में भी होता है"…

साची भनभनाते हुई बांह के ओर से कटर लगा कर काटना शुरू की। पहले दाएं हाथ की फिर बाएं हाथ कि प्लास्टर को निकालकर अपस्यु को बैठने के लिए बोली। पीछे जाकर उसने गर्दन से कटर को लगाया और बीचोबीच काटती हुई चली गई। आगे से अपस्यु ने जैसे ही उस प्लास्टर को निकला, उसके पीठ पर खुरदरे कई ज़ख्म के निशान उभर कर सामने अा गए।

साची उन निशानों को बड़े ध्यान से देखते हुए उनपर अपनी उंगली चलाने लगी, मानो वो उस दर्द को जी रही हो। अपस्यु को पीठ पर गिरे उन आशुओं का भी अनुभव हुआ जो इस वक़्त साची के आखों से बहकर नीचे टपक रहे थे।

अपस्यु:- अब कौन इमोशनल हो रहा है साची।

साची अपने आंसू पोंछति…. "इतने गहरे ज़ख्मों के निशान देखकर किसी का भी रूह कांप जाए। अपस्यु ये निशान तो ऐक्सिडेंट के नहीं लगते। कैसे लगे ये ज़ख्म।

अपस्यु:- इसकी कहानी तो बड़ी ही हास्यप्रद है। एक बार मैं फुल तोड़ने के लिए ऊपर चढ़ा था और फिसल कर नीचे गिर गया। और नीचे ढेर सारे कंकड़ पत्थर थे।

साची:- ईईईईईईई !! यह हास्य घटना कैसे हुई जरा बताओगे।

अपस्यु:- कभी फुर्सत में बताऊंगा, कैसे ये घटना हास्य थी। फिलहाल एक काम और करोगी। थोड़ा कपड़ा भिंगो कर पीछे साफ कर दोगी।

साची ने मुस्कुरा कर हां कहा और कपड़े भिगो कर लेे अाई। पीछे साफ करने के बाद वो आगे आई। हालांकि अपस्यु आगे खुद साफ करना चाहता था लेकिन साची ने उसके होटों पर अपनी उंगली डाल कर उसे चुप करा दिया और बिस्तर पर लिटा दी।

पसलियों के ऊपरी हिस्से पर जमे खून के निशान साफ देखे जा सकते थे। साची अपने हाथ धीरे-धीरे उसके बदन पर फुराती, साफ करने लगी। किंतु इन हिस्सों में शायद अब भी दर्द हो रहा था और दर्द के कारण अपस्यु के मुंह से "आह" निकल गई।

साची अपना हाथ उसके बदन पर धीरे धीरे फिराती, उसके नजरों से नजरें मिला कर मुस्कुराती हुई देखती रही। इधर उसके हाथ चलते रहे और उधर दोनों मुस्कुरा कर एक दूसरे को देखते रहे। तभी अचानक एक बार फिर अपस्यु के मुंह से दर्द भारी चिंखे निकलनी शुरू हुई, लेकिन वजह साची का हाथ लगाना नहीं बल्कि उसने पूरे बदन का ही भार उसके पसलियों पर अा गया था।

साची:- सॉरी सॉरी सॉरी… वो मैंने ध्यान ही नहीं दिया।

अपस्यु:- सॉरी कहने की कोई जरूरत नहीं। शायद बदन ने कुछ ज्यादा ही दर्द मेहसूस कर लिया इसलिए चींख़ निकल गई वरना मस्त वाली फीलिंग अा रही थी।

साची उसके मुंह पर कपड़ा मारती हुई … "धत"… कही और वहां से उठ कर भागने लगी। लेकिन अपस्यु ने उसका कलाई पकड़ कर जाने से रोक लिया। साची भी बिना कोई जोर लगाए नाटकीय रूप से बस दिखाती रही को वो हाथ छुड़ाने की कोशिश में है और बस इतना ही कहती रही…. "हाथ छोड़ो ना प्लीज जाना है"

अपस्यु:- थोड़ी देर और ठहर जाओ….

साची अपनी गर्दन घुमा कर, झुकी हुई पलकों को ऊपर उठा कर उसे देखती हुई बस अपने होटों को हिलाई…. "जाने दो ना बाद मे आती हूं"…

धड़कने दोनों की तेज थी, और गुदगुदी के मीठा एहसास सीने में कहीं उठ रहा था। अपस्यु ने "ठीक है" कहते हुए उसका हाथ छोड़ दिया, और वो दौड़ कर उसके कमरे से बाहर चली अाई। कमरे के बाहर आकर वहीं दीवार से वो चिपक गई। अपनी बढ़ी हुई गुदगुदाती धड़कनों को काबू करती, आखें मूंदकर बस वही पल याद कर रही थी जब अपस्यु ने उसका हाथ पीछे से पकड़ लिया।

साची ठंडी-ठंडी सासें लेती उसी दृश्य को अपने अंदर मेहसूस कर रही थी। इधर अपस्यु भी उसके जाते ही सिरहाने को अपने बाहों में भींच कर करवट बदल-बदल कर उसी के ख्यालों में खोन लगा। साची वहां से खिलखिलाती हुई निकली। चेहरा खिला, चाल में नजाकत और होटों पर मध्यम-मध्यम गुनगुनाए गीत…..

हवा के झोंके आज मौसमों से रूठ गए
गुलों की शोखियाँ जो भँवरे आके लूट गए
बदल रही है आज ज़िन्दगी की चाल ज़रा
इसी बहाने क्यूँ ना मैं भी दिल का हाल ज़रा
संवार लूं हाय सवार लूं
संवार लूं हाय सवार लूं…

लगभग 3.30 बजे दोपहर का समय, दिल्ली की वो गर्मी और ऐसे वातावरण में भी साची को सब खिला-खिला और खुशनुमा मेहसूस हो रहा था। ऐसा लग रहा था पूरा समा ही सुहाना हो और मौसम ने जैसे प्यार के तराने छेड़ दिए हों।

इन्हीं सब को मेहसूस करती होटों पर "सवार लूं"… वाला गीत गुनगुनाती वो स्कूटी चलाने लगी। लेकिन कहते हैं ना हर रंग में कोई ना कोई भंग पर ही जाता है। एक बार फिर वो अपनी गली के सामने वाले ही मुख्य द्वार से निकली और अचानक से बड़ी तेजी में ब्रेक लगाना पड़ गया क्योंकि स्कूटी के ठीक सामने खड़ी थी सुलेखा…

गरम मौसम, कहर बरसाती धूप और सामने सुलेखा जी अपनी आखें छोटी किए हुए। बस साची को ही घूर रही थी।
Fantastic update साची और अपश्यु दोनो प्यार में है जब ही दोनो अकेले अकेले गुनगुनाने लगते हैं अकेले में मुश्कराएगे........लेकिन आगे एक तूफान आने वाला है आगे सुलेखा खड़ी है देखते हैं ये कोनसा तूफान लेकर आती है साची को जिंदजी में....
 

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इधर अपस्यु, ऐमी और आरव बड़ा सा सूटकेस लेकर हेलीकॉप्टर से निकल गए। जैसे-जैसे वो अपने बचपन के ठिकाने पर पहुंचने लगे, तीनों की ही धड़कने काफी बढ़ी हुई थी, और सीने में दर्द सा उठने लगा था।….


जैसे-जैसे हेलीकॉप्टर नीचे आ रही थी, गुरुकुल की वो जगह देखकर तीनों के आखों से कब आशु आने लगे, उन्हें खुद भी पता नहीं चला। आरव और ऐमी के लिए खुद को संभालना अब मुश्किल हो रहा था। दोनो अपस्यु के कंधे पर अपना सर डाले रोते रहे। रुवासी आवाज़ में अपस्यु कहने लगा… "हमने उन्हें आजमा लिया आरव, ऐमी.. कहीं दूर तक नहीं वो हमारे सामने टिक नहीं पाए। चलो अपनी तरप का बदला लिया जाए, उनको सजा दिया जाए।"…


लोकेश की जब आखें खुली तब वो जंगल के किसी इलाके में खुद को लेटा हुआ पाया। हाथ और पाऊं बंधे हुए थे, जिसका एक सिरा खूंटे से बंधा था। लेकिन खूंटा निकालने के लिए बेचारा कोशिश भी नहीं कर सकता था क्योंकि उसके दोनो हथेली फिलहाल तो काम करने से रहे।


पास में ही उसके पापा और प्रकाश जिंदल भी लेटा हुआ था। लोकेश उसे हिलाते और "पैं, पै" करते उठाने लगा। निम्मी के वार से जुबान ने भी काम करना बंद कर दिया था। 2 बार थोड़ी सी आवाज निकालने से ही दर्द का ऐसा आभाष हुआ कि उसने बोलना बंद करके, किसी तरह हिलाने लगा।


प्रकाश और विक्रम उठकर पहले लोकेश को देखे फिर चारो ओर देखने लगे। प्रकाश, लोकेश से पूछने लगा… "ये हमें कहां लेकर आया है?".. लोकेश इशारों में बताने लगा कि उसकी जुबान काम नहीं कर रही और वो कुछ बोलने कि हालात में नहीं है। तभी अचानक से प्रकाश तेज तेज चिंखने लगा… "नहीं, नहीं, नहीं.. ये नहीं हो सकता… नहीं।"..


प्रकाश:- क्या हुआ विक्रम?


विक्रम:- ये वही आश्रम है जिसे हमने प्लान बनाकर जला दिया था।


प्रकाश और लोकेश दोनो सवालिया नज़रों से विक्रम को देखने लगा। तभी पीछे से तीनों ताली बजाते हुए सामने आए… "7 साल पुरानी बात याद आ गई।"


विक्रम, काफी हैरानी से उन तीनों को देखते हुए… "कौन हो तुम लोग?"..


अपस्यु:- बस थोड़ी देर में ही पता चल जाएगा… हमने भी इस पल का बहुत लंबे अरसे से इंतजार किया है, थोड़ा तुम भी कर लो। आरव तीनों को लोड कर दे जरा।


आरव ने खुली ट्रूक में उन्हें किसी सामान की तरह लोड कर दिया। ऐमी और आरव ड्राइव करने लगे और अपस्यु विक्रम और प्रकाश को बिठाकर वो जगह दिखाते हुए… "ये सारा इलाका देख रहा है, कुछ दिन पहले ही तुम लोगों के हवाले के जो पैसे उड़ाए थे उससे ये सारी जमीन खरीद ली। कमाल है ना। अरे प्रकाश, विक्रम पहुंच गए यार..


जैसे ही विक्रम ने वो जगह देखी लड़खड़ा कर पीछे हो गया। वहां अब भी 20 फिट गहरा और तकरीबन 5 मीटर के रेडियस का गोलाकार बना हुआ था। आरव अपने आखों में खून उतारकर विक्रम का गला पकड़ते हुए कहने लगा… "क्या हुआ खुद का भी वहीं हाल सोचकर कलेजा दहल रहा है क्या? फिक्र मत कर तेरे लिए सजा तय हुई है मौत नहीं।"


वहां एक पिलर में लगे एक स्विच को ऐमी ने ऑन किया और नीचे का सरफेस ऊपर आने लगा। ऐमी प्रकाश के सर पर एक टाफ्ली मारती… "अबे देख क्या रहा है घोंचू, ये स्पेशल लिफ्ट है।


लिफ्ट की बनावट कुछ इस प्रकार थी कि गड्ढे के ऊपर जब वो आयी तो उसके उपरी सुरफेस और नीचे के बीच 7 फिट लोहे का का चादर लगा था। ऐमी उस लोहे के चादर पर अपनी हथेली लगाई और बीच से दरवाजा खुल गया… "देवर जी मेहमानों को अंदर ले आओ।"


ओह माय गॉड.. लिफ्ट जब ऊपर अाई तो उसके उपरी सरफेस पुरा धूल में डूबा था। सरफेस से नीचे तक जो 7 फिट की चादर थी वो जंग लगी, और जब अंदर दाखिल हुए तो पुरा फर्निश लुक। चारो ओर हार्ड फाइबर बिल्कुल चमचमाता हुआ। हर जगह डिजिटल लुक और तभी ऐमी ने अपने आवाज़ का कमांड दिया… "जारा चेहरा दिखाने के लिए आइना लगा दिया जाए, मेरी ननद स्वास्तिका ने कुछ कीड़ों के रूप को सवार दिया है।"


जैसे ही ऐमी ने कमांड दिया चारो ओर सीसे आ गए जिसमें विक्रम, जिंदल और लोकेश खुद को पाऊं से लेकर सर तक देख सकता था.. जैसे ही लोकेश ने अपना हुलिया देखा, आखें बड़ी करते… फिर से बोलने कि नाकाम कोशिश… "पै, पै".. और दो बार बोलकर अपना सर इधर उधर झटकने लगा।


लोकेश के साथ-साथ विक्रम और प्रकाश का भी वही हाल था। ऊपर सर के बाल ऐसे गायब हुए थे, जैसे वो कभी थे है नहीं। चेहरे से लेकर हाथों तक के बाल गायब। कपड़े उतारे नहीं, वरना शरीर से पुरा बाल गायब हो चुका था। हाथ और पाऊं के नाखून भी गायब हो चुके थे।


प्रकाश और विक्रम चिल्लाने लगे, बेबस होकर उनसे पूछने लगे…. "आखिर वो उनके साथ करने क्या वाले है?"..


अपस्यु मुसकुराते हुए…. "कई सारे सवालों के जवाब ढूंढ़ने में हमे वर्षों लग गए, थोड़ा धीरज रख सब पता चलेगा।"


लिफ्ट के रुकते ही ऐमी ने फिर से अपने हथेली का कमांड दिया और सामने से एक दरवाजा तो खुला, लेकिन कुछ नजर नहीं आ रहा था।… "भाभी आज पहला दिन है, जारा इनके नए घर को रौशन तो कर दो।"…. "ठीक है देवर जी, जैसा आप कहें।" .. ऐमी, आरव की बात मानकर लाइट का कमांड दी। दरवाजा से लगा 5 फिट का पैसेज नजर आने लगा जो तकरीबन 20 फिट लंबा था।


पैसेज का जब अंत हुआ तो अंदर की जगह काफी लंबी-चौड़ी और बड़ी थी। ऐसा लग रहा था किसी होटल के रिसेप्शन में खड़े है।… आरव, प्रकाश और विक्रम के सर कर हाथ मारते हुए कहने लगा… "मस्त बनी है ना जगह, तुम लोगों के हवाले के पैसे जो हमने गायब किए थे उसका पूरा इस्तमाल यहीं किया है। आओ अब कमरा में ले चलता हूं।"


ऐमी ने कमांड दिया और किनारे से 3 दरवाजे खुले। जैसे ही तीनों ने अंदर झांका, बड़ा ही अजीब सा बनावट था। नीचे कोई फर्श नहीं बल्कि रेत थी। तीन ओर की दीवार रस्सी और पुआल की बनी दीवार थी जिसके ऊपर जालीदार लगा कर पुरा टाईट किया गया था।


आरव:- भाभी इनका जीवन कैसा होना है जारा डेमो दे दिया जाए..


ऐमी मुस्कुराती हुई… "हां बिल्कुल देवर जी, क्यों नहीं। डालना शुरू करो अंदर।


पहले लोकेश को डाला जा रहा था एक दरवाजे के अंदर, वो प्रतिरोध तो कर रहा था लेकिन उसे खुद के शरीर में कुछ जान ही नहीं लग रहा था। जैसे ही वो गया, ऐमी ने उसका दरवाजा बंद कर दिया। ठीक यही सब एक के बाद एक प्रकाश और विक्रम के साथ भी हुआ।


तकरीबन 10 मिनट बाद ऐमी ने दरवाजा खोला। तीनों 10 मिनट में ही पागल की तरह बाहर आए। बाहर आते ही विक्रम, प्रकाश और लोकेश जमीन पर बैठ कर पाऊं पड़ने लगे।…. मात्र 10 मिनट अंधेरे में बिताया गया समय का असर था, जो तीनों भविष्य की कल्पना कर डर चुके थे।


प्रकाश:- तुम जो बोलोगे वो मै करूंगा, मेरे पास उम्मीद से बढ़कर पैसा है वो सब ले लो लेकिन मुझे जाने दो।


अपस्यु:- कितना पैसा है रे खजूर… यदि तू अपने 16000 करोड़ की बात कर रहा तो उसे मैंने उड़ा दिया। इसके अलावा है तो बता फिर तेरी रिहाई का सोचूंगा।


प्रकाश अपस्यु का गला पकड़ते…. "तूने मेरे सारे पैसे चोरी कर लिए।"..


अपस्यु ने बस नजर घुमा कर ऐमी और आरव के ओर देखा और दोनो के हाथ की पतली छड़ी उन पर बरसने लगी। विक्रम का भी पैसा गायब हो चुका था लेकिन प्रकाश के पीठ पर छड़ी के मार के छाले को देखकर उसने कुछ ना किया। दोनो में लोकेश चालाक निकला। उंगलियां चलाकर उसने अपना दूसरा अकाउंट ओपन किया और उस खाते के पैसे को देखकर तो आरव का मुंह खुला रह गया… "साला मामलामाल वीकली एक्सप्रेस, 30000 करोड़ इस खाते में भी हैं।"..


अपस्यु:- चल भाई लोकेश तू पीछे बैठ जा तेरी रिहाई का समय आ गया है। हां लेकिन बाप को ले जाने की बात करेगा तो जा नहीं पाएगा।


लोकेश अपने रिहाई की बात सुनकर खुश होते हुए एक किनारे बैठ गया। अपस्यु प्रकाश और विक्रम को देखकर कहने लगा… "यार तुम दोनो ने तो पैसे दिए नहीं, अच्छा चलो मेरे सवाल का जवाब दे दो और बदले में अपनी रिहाई ले लो। एक और बंपर ऑफर है, जवाब यदि काम का हुआ तो बदले में सारे केस हटवाकर खाते में 1000 करोड़ भी डलवा दूंगा, ताकि तुम्हारी बची जिंदगी आराम से कट सके। तो तैयार हो।"…. दोनो ने अपना सर हां में हिला दिया।


अपस्यु:- चन्द्रभान रघुवंशी के बच्चे के बारे में बताओ।


विक्रम:- चन्द्रभान रघुवंशी, तुम कैसे जानते हो?


चार छड़ी विक्रम की पीठ पर और छटपटा कर रह गया वो…. "सवालों के जवाब बस चाहिए, सवाल के बदले सवाल नहीं।"


ऐमी:- हुंह !


अपस्यु:- तुम्हे क्या हुआ स्वीटी.. अब ये गुस्सा क्यों?


ऐमी:- बेबी थोड़ा सा दे दो ना क्लैरिफिकेशन..


अपस्यु:- ऐमी ने कहा इसलिए बता देता हूं। हम तीनो इसी गुरुकुल के शिष्य है, और अपने 160 साथियों का बदला ले रहे है। विक्रम तुम्हारी सच्चाई जब मैंने नंदनी रघुवंशी से बताई तो वो मेरी हर बात मानती चली गई। उसे जो चाहिए था वो उसे मिला, और मुझे जो चाहिए था वो मुझे मिला। इसके बाद अब कोई सवाल मत पूछना, वरना बिना जवाब लिए मै जाऊंगा और तुम्हारी पूरी जिंदगी नरक बाना दूंगा। चन्द्रभान रघुवंशी के बच्चे के बारे में बताओ।


विक्रम:- उसकी 2 शादियां थी। एक शादी उसकी देहरादून में हुई थी, अचार्य माहिदीप की बहन अनुप्रिया से, और दूसरी शादी उसकी राजस्थान में कहीं हुई थी। अनुप्रिया से उसके 3 बच्चे है… सबसे बड़ी बेटी कलकी राधाकृष्ण, उससे छोटा एक बेटा परमहंस राधाकृष्ण और सबसे छोटा युक्तेश्वर राधाकृष्ण। दूसरी पत्नी को वो विदेश में रखता था इसलिए उसके बारे में पता नहीं, बस एक बेटा था उस पत्नी से।


अपस्यु:- बड़ा पेंचीदा इतिहास है रे बाबा। पहले तो तू ये बता की क्या अनुप्रिया को चन्द्रभान कि दूसरी शादी के बारे में पता था, और क्या उसकी दूसरी पत्नी या उसके परिवार को चन्द्रभान कि पहली शादी के बारे में पता था?


प्रकाश:- चन्द्रभान की दूसरी पत्नी को चन्द्रभान के बारे में कुछ नहीं पता था, और ना ही उसके परिवार को। हालांकि उनके परिवार को शक था लेकिन उन्हें इस बात का कभी फर्क नहीं पड़ा, क्योंकि वो किसी भी तरह से अपनी बेटी की ब्याहना चाहते थे। दहेज में काफी धन संपत्ति भी मिला था चन्द्रभान को। शुरू में दोनो जयपुर रहे लेकिन बाद में चन्द्रभान कि दूसरी पत्नी की बहन ने चन्द्रभान को यूरोप में बिजनेस शुरू करने के लिए काफी मदद कि और वो लोग वहीं सैटल हो गए। यूं समझ लो कि उसकी दूसरी पत्नी के कारन वो खुद को यूरोप में स्थापित कर चुका था।


अपस्यु:- इसकी पहली पत्नी अनुप्रिया के बारे में बता?


प्रकाश:- अनुप्रिया मोहिनी है, ऐसा रूप जिसमे हर कोई फंस जाय।


विक्रम:- साले ठीक से बता ना तेरे भी उसके साथ संबंध रहे है, और ये जो तू कुछ साल पहले तक उसे आंख बंद करके सपोर्ट जो करता था, वो क्यों करता था?


अपस्यु:- मैंने सोचा छड़ी का प्रयोग ना करू लेकिन तुम मजबुर कर रहे विक्रम…


प्रकाश:- "मै बताता हूं पूरी कहानी। यदि तुम इस गुरुकुल के शिष्य रहे हो तो ये लोग तुम्हारे सीनियर बैच के है। गुरु निशी के पहले शिष्य। अनुप्रिया मतलब यूं समझ लो कि हम सबकी बॉस, आचार्य माहीदीप उसका भाई और उसकी साम्राज्य का सबसे दमदार खिलाड़ी, उसे सेकंड बॉस मान लो। जब इनकी सिक्षा पूरी हुई थी, तब इन दोनों भाई बहन ने गुरु निशी के नक्शे पर चलने का फैसला लिया और गुरुकुल का प्रचार करते थे।"

"गुरु निशी नैनीताल में आश्रम बनाए हुए थे और उनका आश्रम देहरादून के आसपास था। आचार्य माहीदीप देहरादून में शिष्यों को शिक्षा देते थे। वहीं अनुप्रिया भ्रमण करके गुरुकुल की सीक्षा का प्रचार किया करती थी। इसके 2 साथी और थे, जो शुरू से छिपे है। हालांकि हम लोगों के बीच ये चर्चा आम थी कि अनुप्रिया के द्वारा ये 2 साथी केवल भ्रमाने के लिए बताए गए थे, वरना इनका कोई अस्तित्व नहीं।"

"अगर उस मनगढ़ंत कैरेक्टर को सच भी मान ले तो ये लोग कुल 4 साथी थे, जिनके अंदर पागलपन कि भूख सवार रहती थी। मेरे पापा यूएस में एक प्रोफेसर थे और हमारी आमदनी भी अच्छी थी। हमारी पहली मुलाकात यूएस में ही हुई थी, जब अनुप्रिया यहां गुरुकुल के प्रचार के लिए आयी थी।"

"मै अनुप्रिया को देखकर जैसे पागल सा हो गया था। फिर उसके प्रवचन सुनने लगा। इनकी टोली में सामिल हो गया और 3 महीने मुझे माहीदीप के पास रखकर इसने मुझे ढोंगी वाचक बनना सिखाया था। मै पहली बार इसके मकसद से रू बरु हो रहा था। अनुप्रिया ने उसी दिन मुझ से कहा था, यदि मै उसके बताए रास्ते पर चलूंगा तो कुछ सालों बाद यूएस की पॉलिटिक्स में मेरा बहुत बड़ा नाम होगा। "

"जैसा-जैसा वो बोलती गई, वैसा मैं करता गया। इंडियन कम्युनिटी में मेरा अच्छा नाम हुआ। इसके अलावा कई यूएस के सिटिज़न भी हम से जुड़ गए और देखते ही देखते वहां मेरा नाम होने लगा।"

आरव अपने सर का बाल नोचते, 4-5 छड़ी घुमा दिया… "चुटिया हम तुम्हारा भूतो और वर्तमान तो जानते ही है, ज्यादा बकवास की ना तो भविष्य भी यहीं लिख देंगे।"
बहुत ही शानदार लाजवाब अपडेट भाई
कर्मा वहां पहुंच गया जहां से शुरू हुआ लेकिन अब ये कोनसी नयी कहानी शुरू हों गई भाई
 
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