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Horror भूतलेखक- स्नेहिल

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भूत



लेखक- स्नेहिल



यह कहानी है वैशाली की,वैशाली 30 साल की सुंदर सुशील महिला थी।जो राजस्थान के छोटे से शहर उदयपुर में रहती थी।शादी के एक साल बाद ही उसके पति की एक एक्सीडेंट में मृत्यु हो गयी। तब से वैशाली अपने अकेलेपन से भर गई। उंसके घरवालों ने भी लाख समझाया कि दूसरी शादी कर ले पर वह खुद को किसी ओर को सौपने का सोच भी नही सकती थी। खुद को बिजी रखने के लिए वो एक जॉब कर रही थी ताकि दिनभर उसका मन लगा रहे। पर रात होते ही वापस वो अपने अकेलेपन में खो जाती। पर कुछ दिन से उसकी जिंदगी में वापस खुशियों ने दस्तक देनी शुरू कर दी। उंसका कारण वैशाली की ऑफिस में नया आया हुआ ओम था। ओम की जिंदगी भी लगभग लगभग वैशाली की ही तरह थी। उसका भी शादी के साल भर बाद डिवोर्स हो गया था। उसकी वाइफ कुछ ज्यादा ही मत्वाकांशी थी और रोज रोज के होते झगड़ो से दोनो ने अलग होना ही बेहतर समझा। ओम की लाइफ में भी अकेलापन था पर वह लाइफ वापस जीना चाहता था। अपने दिल मे दर्द रखके चेहरे पर हमेशा मुस्कुराहट रखता था लोगो को हंसाकर उनके दुख कम कर देता था।वैशाली से भी उसकी मुलाकात ऐसे ही हुई धीरे धीरे दोनो खुलने लगे अपनी बाते शेयर करने लगे।दोनो की नजदीकियां और बढ़ने लगी। वो ऑफिस के बाहर भी मिलने लगे कभी कॉफी पर घूमने। वैशाली की ज़िंदगी उंसके पति के जाने के बाद पहली बार पटरी पर आते हुए दिखाई देने लगी।

वो भी ओम को मन ही मन चाहने लगी। और उसके साथ वापस जीने के सपने देखने लगी। दोनो ऑफिस से घर आने के बाद भी घंटो फ़ोन पे बाते करते थे। दोनो का अकेलापन कहि खो सा गया था।अब बस बात यहाँ तक पहुच गयी थी कि पहल कौन करे।ओम ने भी मन बना लिया था कि वो जल्द ही वैशाली को प्रपोज़ करेगा।औऱ उसको मौका भी मिल गया। दो दिन बाद वैशाली औऱ ओम को ऑफिस की मीटिंग के सिलसिले में दूसरे शहर जयपुर जाना था ।।वहा इनका दो दिन का टूर था। जहाँ इनका होटल में रूम बुक था। दोनो ने पहले ही बुकिंग में दो रूम की जगह एक ही रूम बुक करा था।उन्हें मिला था रूम नंबर 45।। जो होटल मालिक ने पहले हुए एक हादसे से बंद पड़े हुए रूम को आज ही खोला था।क्या राज था इस रूम नंबर 45 का।।क्या होने वाला था रूम नंबर 45 में देखते है आगे।।।। वैशाली काफी उत्सुक थी उसे पता था कि यहाँ दोनो कितने करीब आने वाले थे। आने से पहले ही उसने अपने लिए नई ब्रा पैंटी खरीदे थे और अपनी रसभरी को भी क्लीन शेव किया था।कितने सालो बादउसमे ऐसी फीलिंग आयी थी उस दिन अपनी रसभरी को क्लीन शेव करते हुए कांच में खुद को नँगी देख कर और ओम को याद करके उसकी रसभरी ने अपना रस निकाल दिया था। वैशाली की जब शादी हुई थी तब से उंसके पति ने काफी सेक्स किया था। दोनो कभी किचेन, कभी बाथरूम कही भी शुरू हो जाते थे। अपने पति के लंबे मोटे हथियार से वैशाली पूरी तरह सन्तुष्ठ हो जाती थी। पर अपने पति के जाने के बाद से ही उसकी सोई हुई कामवासना पुनः जागृत हो चुकी थी।वैशाली भी खुद को ओम के लिए सौपने के लिए पुरी तरह तैयार थी।दोनो जयपुर पहुँचे होटल आये वह रूम भी आ गया रूम नंबर 45। ओम ने रूम खोला औऱ दोनो के अंदर आते ही रूम बंद कर लिया। और ओम ने वैशाली को दीवार से सटा दिया और खुद घुटनो के बल बैठकर अंगुठी निकालकर प्रपोज़ करने लगा।वैशाली भी इस सरप्राइज से चोंक गयी। पर वह भी यही चाहती थी। उसने ओम को गले लगा लिया।दोनो बरसो बाद मीले हो जैसे।और जैसे अब दोनों को ही इंतज़ार नही हो रहा था ।ओम ने वैशाली को गोद में उठाया औऱ बेड पर लेटा दिया।दोनो वापस एक दूसरे की बाहों में गुथमगुथा थे ।दोनो एकदूसरे को बेहताशा चूमे जा रहे थे। दोनो की जीभ आपस मे लिपट रही थी। वैशाली बहुत ज्यादा उतेजित हो रही थी। आज इतने दिनों बाद उसे यह अहसास हो रहा था।अब वह ओम के ऊपर आ गयी और उसकी शर्ट खोलने लगी फिर उसके सीने पर किस करने लगी ।धीरे धीरे वो नीचे आयी फिर उसने ओम का बेल्ट खोला और पेंट का बटन खोल कर नीचे कर दी ।वह काले अंडरवियर में बंद ओम के हथियार को अंडरवियर के ऊपर से ही सहलाने लगीं। वैशाली का खुद पर से कंट्रोल पूरा हट चुका था वो कामवासना में पूरी पागल हो चुकी थी। अब उससे रुका नही जा रहा था। उसने ओम के अंडरवियर में अपना हाथ डाल कर ओम के लण्ड को पकड़ लिया।लण्ड के अहसास से उसनेअपने होठों को दाँत से दबा दिया। अंडरवियर के अंदर ही उसने ओम के लण्ड को मसलने लगी । अब उसने ओम के लण्ड को अंडरवियर से आजाद कर दिया। ओम का लण्ड वैशाली की आँखों के सामने था। वो और उसे मुठियाने लगी।उसने अपने होठ ओम के लण्ड पर रख दिये। और उसे चूसने लगी।ओम के लण्ड की भी कितने दिन बाद चुसाई हो रही थी।

वैशाली ने ओम के लण्ड को मुँह में डाल लिया और लॉलिपोप की तरह चूसने लगी। वो लंड को जड़ से लेकर टोपे तक आईस्क्रीम की तरह चाट रही थी। आज कितने सालो बाद वैशाली को चूसने के लिए लण्ड मिला था।उसका इस तरह से लंड और अंडकोश को चाटना ओम के लिए असहनीय था।वो भी सिसक रहा था।वैशाली मेरी जान कितना मजा आ रहा है हाँ ऐसे ही करो। शायद ओम का होने

वाला था वो झड़ना नही चाहता था सहसा उसने वैशाली को रोका ओर बोला रुको मेरी जान मै फ्रेश होके आता हूं फिर मेरी जान को ढेर सारा प्यार करूँगा। वैशाली बोली जल्दी आना ओम अब सहा नही जा रहा है।ठीक है मेरी जान ,ओम वॉशरूम चला गया।वैशाली से रहा नही जा रहा था। वो खुद ही पलँग पर लेटी लेटी अपनी साड़ी उतारने लगी धीरे धीरे उसने पहले बलाउज फिर उसकी सफेद ब्रा ओर अब पैंटी भी उतार दी। इतने सालों से दबा वैशाली का कामवासना का बाँध आखिर आज टूट पड़ा।आज उसका खुद पर कंट्रोल नही था। वो एक हाथ से अपनी चूत सहला रही थी और एक हाथ से अपने बोबे मसल रही थी।

अपने होठों को दाँत से दबा कर, वो मज़ा ले रही थी..

कामवासना के तूफान में वैशाली के होंठ थरथराने लगा और वैशाली के मुंह से मंद-मंद काम-किलकारियां निकलने लगी ‘उफ़्फ़ … फ़..फ़ … !! आह … !! सस्स … सीईईईई … ! आह..ह..ह … ह! … ओम!!’जल्दी आओ ना मेरी जान निकली जा रही है।

अब ओम भी वॉशरूम से बाहर आ गया। पलँग पर वैशाली नँगी तड़प रही थी। उसने आते ही उसके पैरों पर किस करना चालू कर दिया पैरों से होते हुए फिर जांघो पर। वैशाली सिसक रही थी। उफ़… उम्म्ह… अहह… हय… याह… हाय… धीरे धीरे ओम के होंठ वैशाली की चूत की तरफ बढ़ने लगे ओम अब वैशाली की चुत पे अपनी जीभ लगा कर उसकी चुसाई कर रहा था। उसकी जीभ वैशाली के दाने पर चल रही थी।आह ओम वहाँ नही करो आह उफ।ओम ने एक उँगली भी वैशाली की चूत पे डाल दी। आह ओम मानो। थोड़ी देर मेही ओम की जीभ ओर उँगली ने वैशाली को झड़ने पर मजबूर कर दिया वैशाली ने ओम के सिर को पकड़ के अपनी चूत पर दबा दिया। औऱ सालो से सूखी उसकी चूत में बाढ़ आ गयी और हाँफते हुए वैशाली झड़ गयी।कुछ देर यू ही ओम उसकी चूत सहलाता रहा अब वैशाली के ऊपर आगया और उसके बूब्स दबा दबा कर चूसने लगा। वह उसके निप्पल को मुंह मे ले के काटने लगा। आह ओम आराम से।अब ओम ने अपना लण्ड वैशाली के बोबो के बीच रख दिया और अपने लण्ड को उंसके बोबो पे रगड़ने लगा। बोबो के बीच लन्ड को डाल कर रगड़ने लगा।वैशाली वापस गर्म होने लगी। ओम ने अपना लण्ड वैशाली के मुंह मे डाल दिया । वैशाली वापस उंसके लण्ड की चुसाई करने लगी।इस बार ओम का लण्ड पहले से अलग ही लग रहा था खूब लम्बा मोटा।पर कामवासना के तूफान ने उसे कुछ भी सोचने समझने नही दिया। अब वैशाली से सब्र नही हो रहा था वो जल्द से जल्द ओम के लण्ड को अपनी चूत में लेना चाहती थी।ओम भी अब वैशाली को चोदने के लिए तैयार था।ओम ने वैशाली की चुत पर अपने लण्ड को सेट किया औऱ अंदर डालने लगा। धीरे धीरे उसका लण्ड वैशाली की चूत में समाने लगा। इतने सालों से बीन चुदी उसकी चूत काफी टाइट थी। पर ओम का लण्ड वैशाली की चुत की दीवारों पे रगड़ते हुए उसकी चूत चीर के पूरा समा गया।आह … ह … ह …!!”आह…आई… ओह… मर गई… हा… उफ़… उम्म्ह… अहह… हय… याह… हाय… सी… ई…ई’ “ओ.!..! …!..म! आह … ह … ह!! सी … ई … ई … ई! … बस बस..उफ़..फ़..फ़! प्लीज़ … मर जाऊंगी..सी..सी..सी आह … ह … ह … ह!” इतने सालों बाद वैशाली की चूत में लण्ड जा रहा था।दर्द के मारे वैशाली सिसक रही थी। पर ओम अपने लण्ड को अंदर बाहर करके उसकी चुदाई कर रहा था। धीरे धीरे ओम के धक्कों की स्पीड बढ़ने लगी। ओम का लण्ड वैशाली की चूत की गहराइयों में जा रहा था

ओह … ओह … सी … इ … इ … ओ … ह … हां … हा … मर गयी … सी … इ … इ..इ … ई … ई … !!!” उफ़..फ़..फ़ … बस..! बस..! … हा … आह … ह … ह … ह..!!ओम का लण्ड बड़ी जोर से वैशाली की चुदाई कर रहा था। हर झटके के साथ पूरा रूम टप्प..टप्प … टप्प..टप्प! टप्प..टप्प.. टप्प..टप्प! टप्प..टप्प.. टप्प..टप्प … टप्प..टप्प! की आवाज से गूंज रहा रहा था।ओह … ओम… आह … ह … ओह … ओ … ह … हां … हा … सी … इ … इ..इ … ई … ई … !!!”हाँ ओम ओर दो मुझे ओर जोर से करो ओम ।। और प्यारदो मुझे और जोर से ।वैशाली कामवासना में बड़बड़ा रही थी

ओम और तेजी से सटासट धक्के लगा लगा कर वैशाली की चुदाई कर रहा था।

हर धक्के के साथ ओम के टट्टे वैशाली की गांड से टकराकर पट पट की मधुर ध्वनि पैदा कर रहे थे और वैशाली की गीली चूत से फच फच की आवाजे निकल रही थी।।वैशाली ओम के धक्कों की स्पीड से ज्यादा देर अपने आप को रोक नहीं पाई और झर झर झड़ने लगी।वैशाली दूसरी बार झड़ चुकी थी।ओम का अभी तक नही निकला था उसने वैशाली को घोड़ी बनाया।ओम ने एक बहुत जोरदार झटका लगाया और उसकी पीठ पर सवार हो गया और जोर-जोर से धक्के मारने लगा।ओम लगातार धक्के पर धक्का लगाता जा रहा था।ओर वैशाली सिसक रही थी।आ..आ..आ..आ..आ!! … हे..ऐ..ऐ..ऐ..ऐ..ऐ..!! आराम..स … करो ओम! बस … और..र..र नई..ई..ई..ई! हा..आ..आ..आ..।ओम का जोश अपनी चरम सीमा पर पहुँच चूका था और वो अपनी गांड तक का जोर लगा कर कमर नचाते हुए धक्का मार रहा था।ओम वैशाली की चूची को मुठ्ठी में दबोच दबाते हुए गच गच धक्का मारते हुए जोश मेंओम की भी सिसकारियां निकलने लगीं – आय यस … ओह्ह … वैशाली … आह्ह … वाओ … फक यू … ओह्ह … फक यू डियर … आह्ह!वैशाली भी मस्ती के मारे बड़बड़ा रही थी।आह्हह … उह्ह … म्ह्ह्ह … अह्ह … ओह्ह्ह … उईई जान और जोर से करो अपनी वैशाली को …’ कर रही थी।अहह… हय… याह… फक मी… फक मी!मम्म्ममीह.. आआह। ओम ने लास्ट के दो चार तूफानी झटके मारे और अपना पूरा पानी वैशाली की चुत में निकाल दिया।

“आ..आ..आ..आ..आ!! … हे..ऐ..ऐ..ऐ..ऐ..ऐ..!! बस..स … करो और..र..र नई..ई..ई..ई! हा..आ..आ..आ.. माँ मर गयी मैं तो।।।औऱ वैशाली एक बार और झड़ गयी।दोनो वापस बाँहों में एक दूसरे को कीस कर रहे थे। वैशाली उठी और वाशरूम जाने लगी। इतनी ताबड़तोड़ चुदाई से उसकी चाल भी बदल चुकीं थी।वैशाली की इतनी तगड़ी चुदाई तो उसकी सुहागरात को भी नही हुई थी। एक अलग सी खुशी थी वैशाली के मन मे एक नया सवेरा दिख रहा था उसको उंसके जीवन का।। वैशाली वाशरूम में एंटर हुई। और उसकी आंखें फ़टी की फटी रह गयी फर्श पर ओम बेहोश लेटा पड़ा था। कुछ देर के लिए वैशाली सुन्न रह गयी। फिर उसे लगा ओम यहाँ है तो बेड पे मेरे साथ कौन था।किसने अभी ताबड़तोड़ चुदाई की थी वैशाली की जबकि ओम तो वाशरूम गया जब से अंदर बेहोश पड़ा था।



कौन हो सकता है????



वैशाली की चुदाई करने वाला????





वैशाली ने वाशरूम से रुम में झांककर देखा वहा अब कोई नही था।सहसा उसे कुछ अहसास हुआ और वह चिल्लाई

भूत

भूत

भूत

भूत

और बेहोश होकर गिर गयी।।।।

आखिर क्या हुआ था रूम नंबर 45 में??



चलते है फ्लैशबैक में

आज से थोड़े दिन पहले यही वो रूम नंबर 45 था जहाँ कॉलेज कपल गर्लफ्रैंड बॉयफ्रेंड टाइम स्पेंड करने आये थे। लड़का था वो बहुत सीधा सादा था उन दोनों का ही पहली बार था।

दोनो उस टाइम सेक्स कर रहे थे दोनो पसीने में लथपथ सेक्स का आनंद ले रहे थे तभी दरवाजे पर दस्तक हुई ।होटल में पुलिस की रेड पड़ी थी और रूम के बाहर पुलिस थी। जो लड़का था वह बुरी तरह से डर गया और बाथरूम में जाके दरवाजा लॉक कर लिया। पुलिस और घरवालों के डर के कारण उसने किसी नुकीली चीज से अपनी नस काट ली और आत्महत्या कर ली।

इस घटना के बाद यह रूम काफी टाइम से बंद था जो अभी आज ही होटल के मालिक ने खुलवाया था।

रूम मे वहीँ लड़के की आत्मा भटक रही थी। उसने वाशरूम में ओम को डराकर बेहोश किया फिर उसका रूप धर कर वैशाली के पास आगया ओर उंसके साथ सेक्स किया। पिछली बार उसका सेक्स अधूरा रह गया था जिसकि पूर्ति आज उसने पूरी करली और उसकी आत्मा को भी मुक्ति मिल गया।पर वैशाली इस सदमे से अभी तक उभर नही पायी। वह ओम से भी दूर हो गयी ताकि इस घटना की याद न आये। किसी दूसरे शहर में जाके वापस उसने अपने अकेलेपन से रिश्ता जोड़ लिया।



समाप्त
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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भाई जी आपकी लेखनी बहुत अच्छी है, और कहानी भी।

बस थोड़ा लम्बा लिखते तो और भी मजा आता।

:applause:
 
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Reactions: Shetan and parkas

Shetan

Well-Known Member
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Wow amezing sexual horror. Kafi shandar consept hai. Skill bhi amezing hai. Superb...
 
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