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[ मनीषा की वर्षगांठ ] भाग १
चेप्टर १.
फिर से सभी मित्रो को कपिल रावत का नमस्कार! आप सभी ने मेरी पिछली कहानी जिसका शीर्षक था( बिन सुरक्षा बुआ के गर्भ गृह में प्रवेश) आपने कहानी को बहुत प्यार दिया जिसका में आभारी हूं. दोस्तो आप मेरे बारे में तो जानते हैं ही तो अब में आपके सामने अपनी बीबी मनीषा की वर्षगांठ की कहानी लेकर आ रहा हूं.मुझे आशा है कि आप इस कहानी को भी अपना प्यार देंगे, दोस्तो यह कहानी थोड़ी अलग है इसमें आपको पति पत्नी के बीच प्यार विश्वास रोमांच और सेक्स यह सब मिलेगा जो एक शादी शुदा जिंदगी में आवश्यक है परंतु कहानी में मोड तब आता है जब मेरे मन में अपनी बीबी के किसी अन्य पुरुष से संबंध बनाने की इच्छा जाहिर होती है. कहानी लंबी है कही भागों में आयेगी ओर हां जिनको भी इस तरह की कहानी में रुचि न हो तो वो कृपया यही से कहानी को पढ़ना बंद कर दें। धन्यवाद।
जैसा आपको पता हे की में उत्तराखंड से हूं मेरा पूरा परिवार है. दोस्तो में सेक्स में पारंगत हो गया था क्योंकि में कही सालों से अपनी बुआ कुसुमलता की चुदाई कर रहा था. मुझे अच्छा एक्सपीरियंस भी था. पर बात शुरू होती हे मेरी शादी से तो चलिए अब कहानी पर आते हैं।
मेरे घर वाले अब मेरी शादी करने की सोच रहे थे पर मुझे अभी शादी करने में कोई रुचि नहीं थी,में बार बार मां पापा को मना कर दिया करता पर वो कहते की सही उम्र में शादी करना अच्छा होता है. एक दिन पापा मां से बात करते हुए.....
पापा : अरे सुनती हो! जरा मेरा टावल तो देना में लें जाना भूल गया!
मां: तुम भी ना हर बार का हो गया तुम्हारा ये.
पापा: अरे भाग्यवान क्या हो गया फिर! में भूल जाता हूं.
मां: ये लो. गुस्से में मां पापा को टावल देती है और फिर किचन में काम में लग जाती है।
कुछ देर बाद पापा नहाकर आए और मां को बोले - नाश्ता बना लिया क्या ?
हां बना लिया तुम तैयार हो कर आवो! मां ने कहा ओर पापा फिर तैयार हो कर आ गए, मां ने मुझे भी आवाज लगाई और में भी आ गया फिर हमने साथ में नाश्ता किया और फिर पापा चले गए .
शाम को जब पापा आए तो मां बोली कि सुनते हो हमे कपिल की शादी जल्दी करवानी पड़ेगी?
पापा: क्यों?
मां: वो इसलिए की अब बेटा जवान हो गया है!
पापा: जवान तो हो गया है पर अभी उम्र क्या है उसकी जो शादी करवा दे.
मां: सही उम्र में शादी होगी तो अपनी जिम्मेदारी भी संभालने लग जाएगा नहीं तो ऐसे ही आवारा रहेगा और लड़कों की तरह.
पापा: बात तो सही कही तुमने पर क्या कपिल मानेगा?
मां: में हूं ना आप बस तैयारी करो!
फिर ऐसा कहकर मां ने बात खत्म कर ली और सीधा मेरे कमरे में आई और बोली बेटा हमने सोचा हे कि तुम्हारी शादी कर दे!
में: नहीं मां में अभी शादी नहीं करूंगा!
मां: क्यों नहीं करेगा !
में : अभी मेरी उम्र ही क्या है और जब नौकरी करने लगूंगा ,अपने पैरों पर खड़ा हो जाऊंगा तब करूंगा!
मां: नौकरी शादी के बाद नहीं हो सकती क्या ओर रही बात तेरी उम्र की तो बेटा मुझे पता है मां हूं तेरी !
में : क्या पता है, मतलब ?
मां: बेटा मैंने तेरे कच्छे धोए हे तो मुझे पता है कि तुम शादी के लायक हो गए या नहीं!
में : कच्छे धोए तो उससे शादी का क्या मतलब?
मां: वो तो तुम्हे पता होगा ! ऐसा कहकर मां शर्मा गई.
में थोड़ी देर तो उनके कहने का मतलब समझ नहीं पाया पर फिर बाद में मेरी समझ में आ गया कि मां क्या कहना चाहती है. में अक्सर अपने कच्छे बनियान बाथरूम में छोड़ दिया करता हु और मां ही उन्हें धोती है. कभी कच्छे पर लगा मेरा माल मां को दिख गया होगा तो उसी से उसने अंदाजा लगाया होगा ओर मां का कहना उचित भी है वो मुझसे बड़ी भी है और तजुर्बेकार भी . खेर मेने उस समय तो मना कर दिया पर पापा मां की जिद के आगे में हार गया और फिर मेरी शादी की बात शुरू हुई. कही जगह रिश्ते मिले पर मुझे ऐसी लड़की चाहिए थी जो सरल स्वभाव की हो ,मां पापा की सेवा करने वाली हो , बस ऐसी लड़की आजकल मिलना मुश्किल है तो कही महीने बीत गए पर कही बात नहीं बनी . एक दिन दूर के मौसा ने एक लड़की को जन्मपत्री दी जब मां पापा न पंडित से मिलाई तो बात बन गई. कुछ दिनों बाद हम लड़की देखने गए , लड़की का परिवार साधारण था , उसका एक भाई था जिसकी शादी हो चुकी थी ओ दो बच्चे भी थे, बड़ा लड़का था उस समय वो लगभग सोलह सत्रह साल का लग रहा था और एक बेटी थी वो बारह तेरह साल की लग रही थीं, बाकी उसके पापा मां ,भाभी बस यही सब थे परिवार में . घर वालों ने बातचीत करी उनको लड़की पसंद आ गई, जब मुझे पूछा मां ने तो मेने भी हा कह दिया क्योंकि मेरा मानना था कि जो रिश्ता मां पापा करेंगे में उसमें मना नहीं करूंगा.
अब बात करते हैं मेरी होने वाली बीबी की ! यहां पर में आपको उस समय जैसे मेरी बीबी थी वैसा ही बता रहा हूं. दिखने में तो बहुत सुशील सरल संस्कारी और शर्मीली भी लग रही थी , शरीर से जरूर दुबली पतली थी उसको देखकर लग नहीं रहा था कि वो 22 साल की होगी. नाक नक्श अच्छे थे या यूं कहे कि बहुत अच्छे थे, एक दम कियारा आडवाणी सी लग रही थी, कद काठी भी नॉर्मल थे . परंतु में खाया पिया लड़का मेरी नजर उसके उभारों पर गई ऐसा लग रहा था जैसे नींबू हो बहुत छोटे स्तन थे उसके या कही की नहीं थे ,मेने नीचे से ऊपर तक उसे ध्यान से निहारा और फिर उससे उसका नाम पूछा तो बोली .
“मनीषा!
बस इतना बोली वो ओर फिर शर्माकर चली गई. खेर फिर मां पापा ने सारे रीति रिवाज किए और उसी समय तिलक कर दिया और दो महीने बाद शादी की डेट फिक्स कर ली .
दो महीने तक हमारे बीच कोई बात चीत नहीं हुई ,ऐसे दिन निकल गए और फिर शादी का दिन आया . में बड़ा उत्साहित था मेने कोट पेंट पहना हुआ था और उसने लाल रंग की साड़ी, उसके बाद सारे शादी के रस्म हुए और हम दुल्हन लेकर घर आ गए. घर में मेहमानों का शोर शराबा, इधर पापा मां बहुत खुश थे मेने उन्हें देखा तो मुझे भी अच्छा लगा.
अब बारी थी रात की सुहागरात की ! जिसका सभी नव विवाहित जोड़ों को इंतज़ार रहता है.
मैंने भी अन्दर आते ही दरवाजे की सिटकनी लगा कर उसे बंद कर दिया. मनीषा मेरी बीबी बेड पर बैठ कर मेरा इंतजार कर रही थी. मेरे आते ही वह उठ कर मेरे करीब आई और करीब रखा दूध का गिलास लेकर मेरे पास आ गई. उसने मेरी तरफ देखा और मुस्कुरा कर दूध का गिलास मेरी तरफ बढ़ाया.
मैंने कहा- तुम खुद मुझे दूध पिला दो न!
उसने अपने हाथों से मुझे दूध पिलाया और मैंने भी उसी गिलास से आधा दूध मनीषा को पिलाया.
मैं उसके पास पहुंचा और उसे कमर से पकड़ कर अपने पास खींच लिया. उसके बालों की लट को कान के पीछे करते हुए मैंने कहा- तुम बिल्कुल अप्सरा सी सुंदर लग रही हो! उसने अपनी तारीफ सुनी तो शर्माती हुई मेरे गले से लग गई. मैंने उसका मुँह अपने मुँह की तरफ करते हुए उसे किस करना चाहा. उसने अपनी आंखें बंद कर दीं और मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए.
उसके लेजिस हुए होंठों पर अपने होंठ रख कर मैंने उसे चूमना शुरू कर दिया. कुछ देर चूमने के बाद मैंने उसकी साड़ी का पल्लू कंधे से नीचे सरकया और उसके दोनों गालों को चूमता हुआ गले तक पहुंच गया. उसके बाद मैंने अपने हाथों से उसके स्तनों को ब्लाउज के ऊपर से दबाया. मेरे हाथ उसके स्तनों को लगते ही मुझे एक करंट सा लगा और उधर मनीषा की भी कामुक सिसकारी निकल गयी- आह … इस्स …
मैंने उसकी कामुक आवाज सुनी, तो मेरे लंड में थिरकन हुई … मैंने उसके एक दूध को और जोर से दबा दिया.
उसके कंठ से और जोर से ‘आहह … उहह … धीरे करो न …’ की आवाज़ निकलने लगी.
कुछ ही देर में मैंने उसकी साड़ी को धीरे धीरे उतारा और उसे सिर्फ़ ब्लाउज और पेटीकोट में कर दिया.
उसके बाद मेने मेरी शेरवानी के बटन खोले और शेरवानी उतार दी. शेरवानी हटते ही मैंने अपनी शर्ट उतार दी और अब मैंने ऊपर कुछ नहीं पहना था.
मैंने मनीषा को अपनी बांहों में भर लिया और अपने जिस्म की गर्मी उसे देने लगा.
उसके ब्लाउज के बटन पीछे थे.
मैंने अपने दोनों हाथों से उसके ब्लाउज के हुक खोले और ब्लाउज को उतार दिया. वह एक पिंक कलर की ब्रा में थी. मैं उसके गले को किस करता हुआ उसके स्तनों तक पहुंचा. ब्रा के ऊपर से ही उसके स्तनों को मैंने दबाना और चूसना शुरू कर दिया.
फिर मेरे कहने पर मनीषा ने मेरे पज़ामे का नाड़ा खोला और मैंने खुद अपना पज़ामा निकाल दिया.
नीचे मैंने अंडरवियर पहनी थी. अंडरवियर के बाद मेरा नंगा जिस्म मेरी बीवी के सामने आने वाला था.
मैंने मनीषा के पेटीकोट का नाड़ा खोला, तो उसका पेटीकोट नीचे गिर गया. अब मनीषा मेरे सामने सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में थी. मैं बेड पर बैठ गया और मनीषा को अपनी जांघ पर बिठाया.
मेरा मुँह उसके चूचियों पर आ गया था. मैंने उसके मुँह से अपने मुँह को जोड़ा और होंठों को चूमने लगा.
होंठ चूमते हुए ही मैंने उसके मुँह में अपनी जीभ डाल दी.
वह मेरी जीभ को चूसने लगी. जीभ का रस चूसना इतना ज्यादा कामोत्तेजित कर देता है … इसका अंदाज उसी दिन हुआ था. इसी के साथ ही मैं आज यह भी सोचता हूँ कि मुँह से चूमना या जीभ को चूसना किस तरह से स्वतः ही आ जाता है जबकि हम दोनों को ही इस तरह से किस करने के बारे में नहीं मालूम था. यह प्रकृति का ही खेल होता है कि वह सब कुछ खुद ही सिखा देती है.
कुछ देर चूमने के बाद मैंने उसकी ब्रा निकाल कर अलग कर दी.
मैं कुंवारा नहीं था परंतु मनीषा कुवांरी थी.
मेरे सब्र का बांध अब टूट चुका था. मैं पागलों की तरह अपनी बीबी के स्तनों को दबाने, चूसने और निप्पलों को काटने लगा था.
थोड़ी ही देर में मैंने मनीषा को बेड पर लिटाया और पेट पर किस करते करते उसकी चूत पर पहुंच गया.
पहले मैंने उसकी पैंटी के ऊपर से किस करना और चूत को चाटना शुरू किया. यह कुछ ही देर चला था कि मनीषा एक बार झड़ चुकी थी और मेरे मुँह पर उसका गीला पानी लग गया था. वह जिंदगी में पहली बार झड़ी थी. मैंने उसकी गीली पैंटी उतार कर अलग कर दी.
अब मनीषा मेरे सामने बिल्कुल नंगी थी.
मैंने उसके दोनों पैर फैला कर उसकी चूत को चाटना शुरू किया.मनीषा की मदभरी सिसकारियों की आवाज़ पूरे कमरे में गूंजने लगी. उसकी ‘उहह … आह … शह …’ की आवाजों से पूरा कमरा भर गया.
मनीषा मेरा सिर पकड़ कर अपनी चूत में दबाने लगी. मनीषा को जोश में देख कर मैं और ज्यादा पागल हो गया. फिर मेने उसे कहा और उसने मेरी चड्डी को पकड़ कर निकाल दिया और मुझे भी नंगा कर दिया.
मैंने उससे लंड को मुँह में लेने को कहा.
पर उसने मना कर दिया. आज पहली बार हम दोनों सेक्स कर रहे थे तो मैंने भी उससे जिद नहीं की.
पर मैं भी कहां मानने वाला था, आज नहीं तो कल … मतलब एक ना एक दिन तो कल मनीषा के मुँह में मेरा लंड जाना और झड़ना ही था. मैंने अपनी छोटी उंगली मनीषा की चूत में डाल दीं. उसकी कुंवारी चूत टाइट थी इसलिए कुछ देर तक मैंने अपनी उंगलि को ऐसे ही अन्दर रखा और बाद में धीरे धीरे अन्दर बाहर करने लगा. मनीषा को शुरू शुरू में दिक्कत हुई पर बाद में उसने अपनी टांगें खुद ब खुद फैला दीं और वह अपनी चूत रगड़वाने का मजा लेने लगी. कुछ देर के बाद मनीषा ने कहा- अब और मत तड़पाइए… डाल दीजिए ना!
यह सुनते ही मैं झट से उसके दोनों पैरों के बीच में बैठ गया, उसकी कमर के नीचे तकिया लगा कर अपना लंड उसकी चूत पर सैट कर दिया. धीरे धीरे मैं अपना लंड अन्दर घुसाने लगा. लंड चूत की सिल टूटने को था तो मेरे साथ साथ उसको भी दर्द शुरू हो गया. एक दो बार करने के बाद मेरा लंड उसकी चूत में घुस गया. पर नीचे से खून निकलने लगा. पहली बार चुदाई करने में दिक्कत हुई.
साथ ही मनीषा को बहुत दर्द भी हुआ. मेरी दुल्हन कुंवारी थी. और मुझे दर्द इसलिए हुआ कि में भी पहली बार कुंवारी चूत चोद रहा था. मेने अपनी बुआ की चूत चोदी पर वो खुली थी.
कुछ देर बाद हम दोनों ने पुनः कोशिश की.
इस बार मनीषा चिल्ला उठी- प्लीज़ निकालिए … आह दर्द हो रहा है! पर मैंने उसकी एक ना सुनी और लंड को धीरे धीरे अन्दर बाहर करने लगा. थोड़ी देर बाद मनीषा को दर्द के साथ मज़ा आने लगा और उसके मुँह से सिसकारियां निकालने लगीं. मैंने भी अपनी बीवी की पहली चुदाई का मज़ा लेना शुरू कर दिया. कुछ ही देर बाद मैंने अपने स्पीड बढ़ा दी. मैंने चुदाई करने से पहले दवा ली थी तो मेरा वीर्य इतनी जल्दी निकलने वाला नहीं था. दो नंगे बदन मिल रहे थे. मैं चुदाई का मज़ा ले रहा था.
मैंने दस मिनट तक लगातार चुदाई की और उसके बाद मैंने अपनी बीवी की चूत से लंड निकाल कर उसके पेट पर वीर्य झाड़ दिया. मनीषा भी चुदाई के दौरान ही झड़ चुकी थी. उसके बाद मैं उसे सहारा देकर बाथरूम ले गया. उधर हम दोनों ने अपने चूत और लंड को साफ किया. फिर हम दोनों कमरे में आए और एक दूसरे से नंगे चिपक कर सो गए.
तो ऐसी थी हम पति पत्नी की पहली सुहागरात. मेने सिर्फ मिशनरी पोजीशन में ही मनीषा की चुदाई की थी और वो इसलिए की अभी वो कुंवारी ओर अनुभव हीनता थी. इस प्रकार हमारी शादी शुदा जिंदगी बड़े अच्छे से करने लगी और देखते देखते तीन साल बीत गए . अब मेरी बीबी के शरीर में बहुत बदलाव आ चुका था अब वो पहले जैसी नहीं रही थी. कहे तो अब वो एक मदमस्त जवानी में पहुंच गई थी सम्पूर्ण स्त्री रूप धारण कर चुकी थी.
कहानी कैसे लगी आप कमेंट लाइक करके बताएं,
चेप्टर १.
फिर से सभी मित्रो को कपिल रावत का नमस्कार! आप सभी ने मेरी पिछली कहानी जिसका शीर्षक था( बिन सुरक्षा बुआ के गर्भ गृह में प्रवेश) आपने कहानी को बहुत प्यार दिया जिसका में आभारी हूं. दोस्तो आप मेरे बारे में तो जानते हैं ही तो अब में आपके सामने अपनी बीबी मनीषा की वर्षगांठ की कहानी लेकर आ रहा हूं.मुझे आशा है कि आप इस कहानी को भी अपना प्यार देंगे, दोस्तो यह कहानी थोड़ी अलग है इसमें आपको पति पत्नी के बीच प्यार विश्वास रोमांच और सेक्स यह सब मिलेगा जो एक शादी शुदा जिंदगी में आवश्यक है परंतु कहानी में मोड तब आता है जब मेरे मन में अपनी बीबी के किसी अन्य पुरुष से संबंध बनाने की इच्छा जाहिर होती है. कहानी लंबी है कही भागों में आयेगी ओर हां जिनको भी इस तरह की कहानी में रुचि न हो तो वो कृपया यही से कहानी को पढ़ना बंद कर दें। धन्यवाद।
जैसा आपको पता हे की में उत्तराखंड से हूं मेरा पूरा परिवार है. दोस्तो में सेक्स में पारंगत हो गया था क्योंकि में कही सालों से अपनी बुआ कुसुमलता की चुदाई कर रहा था. मुझे अच्छा एक्सपीरियंस भी था. पर बात शुरू होती हे मेरी शादी से तो चलिए अब कहानी पर आते हैं।
मेरे घर वाले अब मेरी शादी करने की सोच रहे थे पर मुझे अभी शादी करने में कोई रुचि नहीं थी,में बार बार मां पापा को मना कर दिया करता पर वो कहते की सही उम्र में शादी करना अच्छा होता है. एक दिन पापा मां से बात करते हुए.....
पापा : अरे सुनती हो! जरा मेरा टावल तो देना में लें जाना भूल गया!
मां: तुम भी ना हर बार का हो गया तुम्हारा ये.
पापा: अरे भाग्यवान क्या हो गया फिर! में भूल जाता हूं.
मां: ये लो. गुस्से में मां पापा को टावल देती है और फिर किचन में काम में लग जाती है।
कुछ देर बाद पापा नहाकर आए और मां को बोले - नाश्ता बना लिया क्या ?
हां बना लिया तुम तैयार हो कर आवो! मां ने कहा ओर पापा फिर तैयार हो कर आ गए, मां ने मुझे भी आवाज लगाई और में भी आ गया फिर हमने साथ में नाश्ता किया और फिर पापा चले गए .
शाम को जब पापा आए तो मां बोली कि सुनते हो हमे कपिल की शादी जल्दी करवानी पड़ेगी?
पापा: क्यों?
मां: वो इसलिए की अब बेटा जवान हो गया है!
पापा: जवान तो हो गया है पर अभी उम्र क्या है उसकी जो शादी करवा दे.
मां: सही उम्र में शादी होगी तो अपनी जिम्मेदारी भी संभालने लग जाएगा नहीं तो ऐसे ही आवारा रहेगा और लड़कों की तरह.
पापा: बात तो सही कही तुमने पर क्या कपिल मानेगा?
मां: में हूं ना आप बस तैयारी करो!
फिर ऐसा कहकर मां ने बात खत्म कर ली और सीधा मेरे कमरे में आई और बोली बेटा हमने सोचा हे कि तुम्हारी शादी कर दे!
में: नहीं मां में अभी शादी नहीं करूंगा!
मां: क्यों नहीं करेगा !
में : अभी मेरी उम्र ही क्या है और जब नौकरी करने लगूंगा ,अपने पैरों पर खड़ा हो जाऊंगा तब करूंगा!
मां: नौकरी शादी के बाद नहीं हो सकती क्या ओर रही बात तेरी उम्र की तो बेटा मुझे पता है मां हूं तेरी !
में : क्या पता है, मतलब ?
मां: बेटा मैंने तेरे कच्छे धोए हे तो मुझे पता है कि तुम शादी के लायक हो गए या नहीं!
में : कच्छे धोए तो उससे शादी का क्या मतलब?
मां: वो तो तुम्हे पता होगा ! ऐसा कहकर मां शर्मा गई.
में थोड़ी देर तो उनके कहने का मतलब समझ नहीं पाया पर फिर बाद में मेरी समझ में आ गया कि मां क्या कहना चाहती है. में अक्सर अपने कच्छे बनियान बाथरूम में छोड़ दिया करता हु और मां ही उन्हें धोती है. कभी कच्छे पर लगा मेरा माल मां को दिख गया होगा तो उसी से उसने अंदाजा लगाया होगा ओर मां का कहना उचित भी है वो मुझसे बड़ी भी है और तजुर्बेकार भी . खेर मेने उस समय तो मना कर दिया पर पापा मां की जिद के आगे में हार गया और फिर मेरी शादी की बात शुरू हुई. कही जगह रिश्ते मिले पर मुझे ऐसी लड़की चाहिए थी जो सरल स्वभाव की हो ,मां पापा की सेवा करने वाली हो , बस ऐसी लड़की आजकल मिलना मुश्किल है तो कही महीने बीत गए पर कही बात नहीं बनी . एक दिन दूर के मौसा ने एक लड़की को जन्मपत्री दी जब मां पापा न पंडित से मिलाई तो बात बन गई. कुछ दिनों बाद हम लड़की देखने गए , लड़की का परिवार साधारण था , उसका एक भाई था जिसकी शादी हो चुकी थी ओ दो बच्चे भी थे, बड़ा लड़का था उस समय वो लगभग सोलह सत्रह साल का लग रहा था और एक बेटी थी वो बारह तेरह साल की लग रही थीं, बाकी उसके पापा मां ,भाभी बस यही सब थे परिवार में . घर वालों ने बातचीत करी उनको लड़की पसंद आ गई, जब मुझे पूछा मां ने तो मेने भी हा कह दिया क्योंकि मेरा मानना था कि जो रिश्ता मां पापा करेंगे में उसमें मना नहीं करूंगा.
अब बात करते हैं मेरी होने वाली बीबी की ! यहां पर में आपको उस समय जैसे मेरी बीबी थी वैसा ही बता रहा हूं. दिखने में तो बहुत सुशील सरल संस्कारी और शर्मीली भी लग रही थी , शरीर से जरूर दुबली पतली थी उसको देखकर लग नहीं रहा था कि वो 22 साल की होगी. नाक नक्श अच्छे थे या यूं कहे कि बहुत अच्छे थे, एक दम कियारा आडवाणी सी लग रही थी, कद काठी भी नॉर्मल थे . परंतु में खाया पिया लड़का मेरी नजर उसके उभारों पर गई ऐसा लग रहा था जैसे नींबू हो बहुत छोटे स्तन थे उसके या कही की नहीं थे ,मेने नीचे से ऊपर तक उसे ध्यान से निहारा और फिर उससे उसका नाम पूछा तो बोली .
“मनीषा!
बस इतना बोली वो ओर फिर शर्माकर चली गई. खेर फिर मां पापा ने सारे रीति रिवाज किए और उसी समय तिलक कर दिया और दो महीने बाद शादी की डेट फिक्स कर ली .
दो महीने तक हमारे बीच कोई बात चीत नहीं हुई ,ऐसे दिन निकल गए और फिर शादी का दिन आया . में बड़ा उत्साहित था मेने कोट पेंट पहना हुआ था और उसने लाल रंग की साड़ी, उसके बाद सारे शादी के रस्म हुए और हम दुल्हन लेकर घर आ गए. घर में मेहमानों का शोर शराबा, इधर पापा मां बहुत खुश थे मेने उन्हें देखा तो मुझे भी अच्छा लगा.
अब बारी थी रात की सुहागरात की ! जिसका सभी नव विवाहित जोड़ों को इंतज़ार रहता है.
मैंने भी अन्दर आते ही दरवाजे की सिटकनी लगा कर उसे बंद कर दिया. मनीषा मेरी बीबी बेड पर बैठ कर मेरा इंतजार कर रही थी. मेरे आते ही वह उठ कर मेरे करीब आई और करीब रखा दूध का गिलास लेकर मेरे पास आ गई. उसने मेरी तरफ देखा और मुस्कुरा कर दूध का गिलास मेरी तरफ बढ़ाया.
मैंने कहा- तुम खुद मुझे दूध पिला दो न!
उसने अपने हाथों से मुझे दूध पिलाया और मैंने भी उसी गिलास से आधा दूध मनीषा को पिलाया.
मैं उसके पास पहुंचा और उसे कमर से पकड़ कर अपने पास खींच लिया. उसके बालों की लट को कान के पीछे करते हुए मैंने कहा- तुम बिल्कुल अप्सरा सी सुंदर लग रही हो! उसने अपनी तारीफ सुनी तो शर्माती हुई मेरे गले से लग गई. मैंने उसका मुँह अपने मुँह की तरफ करते हुए उसे किस करना चाहा. उसने अपनी आंखें बंद कर दीं और मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए.
उसके लेजिस हुए होंठों पर अपने होंठ रख कर मैंने उसे चूमना शुरू कर दिया. कुछ देर चूमने के बाद मैंने उसकी साड़ी का पल्लू कंधे से नीचे सरकया और उसके दोनों गालों को चूमता हुआ गले तक पहुंच गया. उसके बाद मैंने अपने हाथों से उसके स्तनों को ब्लाउज के ऊपर से दबाया. मेरे हाथ उसके स्तनों को लगते ही मुझे एक करंट सा लगा और उधर मनीषा की भी कामुक सिसकारी निकल गयी- आह … इस्स …
मैंने उसकी कामुक आवाज सुनी, तो मेरे लंड में थिरकन हुई … मैंने उसके एक दूध को और जोर से दबा दिया.
उसके कंठ से और जोर से ‘आहह … उहह … धीरे करो न …’ की आवाज़ निकलने लगी.
कुछ ही देर में मैंने उसकी साड़ी को धीरे धीरे उतारा और उसे सिर्फ़ ब्लाउज और पेटीकोट में कर दिया.
उसके बाद मेने मेरी शेरवानी के बटन खोले और शेरवानी उतार दी. शेरवानी हटते ही मैंने अपनी शर्ट उतार दी और अब मैंने ऊपर कुछ नहीं पहना था.
मैंने मनीषा को अपनी बांहों में भर लिया और अपने जिस्म की गर्मी उसे देने लगा.
उसके ब्लाउज के बटन पीछे थे.
मैंने अपने दोनों हाथों से उसके ब्लाउज के हुक खोले और ब्लाउज को उतार दिया. वह एक पिंक कलर की ब्रा में थी. मैं उसके गले को किस करता हुआ उसके स्तनों तक पहुंचा. ब्रा के ऊपर से ही उसके स्तनों को मैंने दबाना और चूसना शुरू कर दिया.
फिर मेरे कहने पर मनीषा ने मेरे पज़ामे का नाड़ा खोला और मैंने खुद अपना पज़ामा निकाल दिया.
नीचे मैंने अंडरवियर पहनी थी. अंडरवियर के बाद मेरा नंगा जिस्म मेरी बीवी के सामने आने वाला था.
मैंने मनीषा के पेटीकोट का नाड़ा खोला, तो उसका पेटीकोट नीचे गिर गया. अब मनीषा मेरे सामने सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में थी. मैं बेड पर बैठ गया और मनीषा को अपनी जांघ पर बिठाया.
मेरा मुँह उसके चूचियों पर आ गया था. मैंने उसके मुँह से अपने मुँह को जोड़ा और होंठों को चूमने लगा.
होंठ चूमते हुए ही मैंने उसके मुँह में अपनी जीभ डाल दी.
वह मेरी जीभ को चूसने लगी. जीभ का रस चूसना इतना ज्यादा कामोत्तेजित कर देता है … इसका अंदाज उसी दिन हुआ था. इसी के साथ ही मैं आज यह भी सोचता हूँ कि मुँह से चूमना या जीभ को चूसना किस तरह से स्वतः ही आ जाता है जबकि हम दोनों को ही इस तरह से किस करने के बारे में नहीं मालूम था. यह प्रकृति का ही खेल होता है कि वह सब कुछ खुद ही सिखा देती है.
कुछ देर चूमने के बाद मैंने उसकी ब्रा निकाल कर अलग कर दी.
मैं कुंवारा नहीं था परंतु मनीषा कुवांरी थी.
मेरे सब्र का बांध अब टूट चुका था. मैं पागलों की तरह अपनी बीबी के स्तनों को दबाने, चूसने और निप्पलों को काटने लगा था.
थोड़ी ही देर में मैंने मनीषा को बेड पर लिटाया और पेट पर किस करते करते उसकी चूत पर पहुंच गया.
पहले मैंने उसकी पैंटी के ऊपर से किस करना और चूत को चाटना शुरू किया. यह कुछ ही देर चला था कि मनीषा एक बार झड़ चुकी थी और मेरे मुँह पर उसका गीला पानी लग गया था. वह जिंदगी में पहली बार झड़ी थी. मैंने उसकी गीली पैंटी उतार कर अलग कर दी.
अब मनीषा मेरे सामने बिल्कुल नंगी थी.
मैंने उसके दोनों पैर फैला कर उसकी चूत को चाटना शुरू किया.मनीषा की मदभरी सिसकारियों की आवाज़ पूरे कमरे में गूंजने लगी. उसकी ‘उहह … आह … शह …’ की आवाजों से पूरा कमरा भर गया.
मनीषा मेरा सिर पकड़ कर अपनी चूत में दबाने लगी. मनीषा को जोश में देख कर मैं और ज्यादा पागल हो गया. फिर मेने उसे कहा और उसने मेरी चड्डी को पकड़ कर निकाल दिया और मुझे भी नंगा कर दिया.
मैंने उससे लंड को मुँह में लेने को कहा.
पर उसने मना कर दिया. आज पहली बार हम दोनों सेक्स कर रहे थे तो मैंने भी उससे जिद नहीं की.
पर मैं भी कहां मानने वाला था, आज नहीं तो कल … मतलब एक ना एक दिन तो कल मनीषा के मुँह में मेरा लंड जाना और झड़ना ही था. मैंने अपनी छोटी उंगली मनीषा की चूत में डाल दीं. उसकी कुंवारी चूत टाइट थी इसलिए कुछ देर तक मैंने अपनी उंगलि को ऐसे ही अन्दर रखा और बाद में धीरे धीरे अन्दर बाहर करने लगा. मनीषा को शुरू शुरू में दिक्कत हुई पर बाद में उसने अपनी टांगें खुद ब खुद फैला दीं और वह अपनी चूत रगड़वाने का मजा लेने लगी. कुछ देर के बाद मनीषा ने कहा- अब और मत तड़पाइए… डाल दीजिए ना!
यह सुनते ही मैं झट से उसके दोनों पैरों के बीच में बैठ गया, उसकी कमर के नीचे तकिया लगा कर अपना लंड उसकी चूत पर सैट कर दिया. धीरे धीरे मैं अपना लंड अन्दर घुसाने लगा. लंड चूत की सिल टूटने को था तो मेरे साथ साथ उसको भी दर्द शुरू हो गया. एक दो बार करने के बाद मेरा लंड उसकी चूत में घुस गया. पर नीचे से खून निकलने लगा. पहली बार चुदाई करने में दिक्कत हुई.
साथ ही मनीषा को बहुत दर्द भी हुआ. मेरी दुल्हन कुंवारी थी. और मुझे दर्द इसलिए हुआ कि में भी पहली बार कुंवारी चूत चोद रहा था. मेने अपनी बुआ की चूत चोदी पर वो खुली थी.
कुछ देर बाद हम दोनों ने पुनः कोशिश की.
इस बार मनीषा चिल्ला उठी- प्लीज़ निकालिए … आह दर्द हो रहा है! पर मैंने उसकी एक ना सुनी और लंड को धीरे धीरे अन्दर बाहर करने लगा. थोड़ी देर बाद मनीषा को दर्द के साथ मज़ा आने लगा और उसके मुँह से सिसकारियां निकालने लगीं. मैंने भी अपनी बीवी की पहली चुदाई का मज़ा लेना शुरू कर दिया. कुछ ही देर बाद मैंने अपने स्पीड बढ़ा दी. मैंने चुदाई करने से पहले दवा ली थी तो मेरा वीर्य इतनी जल्दी निकलने वाला नहीं था. दो नंगे बदन मिल रहे थे. मैं चुदाई का मज़ा ले रहा था.
मैंने दस मिनट तक लगातार चुदाई की और उसके बाद मैंने अपनी बीवी की चूत से लंड निकाल कर उसके पेट पर वीर्य झाड़ दिया. मनीषा भी चुदाई के दौरान ही झड़ चुकी थी. उसके बाद मैं उसे सहारा देकर बाथरूम ले गया. उधर हम दोनों ने अपने चूत और लंड को साफ किया. फिर हम दोनों कमरे में आए और एक दूसरे से नंगे चिपक कर सो गए.
तो ऐसी थी हम पति पत्नी की पहली सुहागरात. मेने सिर्फ मिशनरी पोजीशन में ही मनीषा की चुदाई की थी और वो इसलिए की अभी वो कुंवारी ओर अनुभव हीनता थी. इस प्रकार हमारी शादी शुदा जिंदगी बड़े अच्छे से करने लगी और देखते देखते तीन साल बीत गए . अब मेरी बीबी के शरीर में बहुत बदलाव आ चुका था अब वो पहले जैसी नहीं रही थी. कहे तो अब वो एक मदमस्त जवानी में पहुंच गई थी सम्पूर्ण स्त्री रूप धारण कर चुकी थी.
कहानी कैसे लगी आप कमेंट लाइक करके बताएं,
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