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Season ४
◆ माँ का मायका◆
(incest,group, suspens)
(Episode-1)
मेरी नाराजगी मा पे अभी भी कायम थी।बस फर्क इतना था की एकदूसरे से बात जरूर कर रहे थे ।मैं जो कई दोनो से नजरअंदाज कर रहा था उसमे थोड़ा बदलाव करने की सोची।सायन्स कहता है बात जितनी ज्यादा खींचो उतनी दूर चली जाती है।अगर उस बात को अपने काबू में रखना है तो थोड़ा ढील देना चाहिए।अपना हद दे ज्यादा किसी को तकलीफ देना दुश्मन के लिए हथियार बन सकता है।और मा तो काफी हद तक मेरे वर्चस्व में थी।पर सजा पूरी होनी बाकी थी।इतनी आसानी से किसीको माफ करना मेरे उसूलो में नही।◆ माँ का मायका◆
(incest,group, suspens)
(Episode-1)
दूसरे दिन काफी गहमागहमी का माहौल था।शॉपिंग की चीजे फाइनल करनी थी।खाने का मेनू फ़ायनल करना था।आज नाना और मामा लोग भी आज घर से काम काज देख रहे थे शनिवार था तो आधा दिन ऑफिस बैंड और उनको भी अपना शॉपिंग निपटाना था।मैं तो हैरान था यार ये लोग बहोत ही दिल पे लेके बैठे है क्या?मैं नया था तो मैने ज्यादा चापलूसी नही की।
पार्टी बेशक घर पे नही थी,और नाना जी की मौजूदगी थी तो फैंसी ड्रेस भी नही थे ।अधनंगे कपड़े नाना को जरा भी पसंद नही।उनकी मौजूदगी वाली पार्टी में तो बहुए सर पे पल्लु लेके घूमती है।
पार्टी नाना के गेस्ट हाउस में थी जो शहर से काफी दूर और शांत जगह पे था।थोड़ी जंगल जैसी जगह।मैन रोड से भी काफी अंदर।ये जगह खास पार्टी के लिए बनाई गयी थी,अगर पार्टी लंबी हो तो।छोटी पार्टियां बंगले के टेरेस के रूम में हो जाया करती थी।
मेरी शॉपिंग तो भाभी और दीदी ने कर दी थी।तो मैं आराम फरमा रहा था।आज भैया भी टूर से आ गए थे।बंगले में जो रह रहे है इसके इलावा कोई फैमिली मेम्बर नही था नाना जी का।जहा तक मुझे मैने अनुमान लगाया,आफिस वाला कोई स्टाफ या मैनेजमेंट टीम वालां आने वाला नही था।भाभी मामियो के घरवालों वालो के सिवाय कोई बचता भी नही था।
हर रोज खाना 9:30 से 10 बजे के दरमियान होता था पर पार्टी की जगह जाना था तो 8 बजे खाना खाके सब निकल गए वह पे।3 गाड़िया थी।जिसमे नाना थे वो शिवकरण चला रहा था ।बाकी दो मामा लोगो की गाड़ी थी।
नाना का गेस्ट हाउस मैं फर्स्ट टाइम देख रहा था।किले की तरह लम्बी दीवार जिससे बाहर से कुछ नही दिखता था।गेस्ट हाउस दो मंजिल का था पर चौड़ाई बहोत बड़ी थी जैसे स्कूल वैगरा की होती है।नीचे हॉल जिम ,बार, औऱ 5 रूम्स थे।ऊपर के मंजिल पर 5 रूम एक स्विमिंग पुल था।करीब करीब गेस्ट हाउस को एक मिनी होटल लॉज बना दिया था।उसकी कंडीशन देख नया नही दिख रहा था।
वहां पहुंचते ही सब लोग फैल गए अपने अपने काम में।मर्द लोग आदतन बार में डेरा जमा गए।औरते अपने गोसिप में।भाभी और संजू स्विमिंग पूल में।मैं तो गेस्ट हाउस के बाहर के बगीचे में अपना दिल बहला रहा था।काफी देर हो गयी थी मुझे और दूर तक आया था ,रात भी ज्यादा हो रही थी ,और मैं किसीको बता के भी नही आया था ,मैं जैसे ही गेस्ट हाउस लौटा तो और दो तीन गाड़िया खड़ी थी।मतलब बचे कूचे सारे रिश्तेदार आ गए थे।
मैं अंदर गया तो भाभी और संजू को छोड़ के सब हॉल में इकठ्ठा हो गए थे।दोनो मामाओ के शादी से पहले मा ने पिताजी से भाग के शादी की थी नाना जी के मर्जी के खिलाफ तो मामियो के घरवाले नही पहचानते थे मा को और मुझे।
मेरे खयाल के मुताबिक ही दोनो मामिया और भाभी के घरवाले आये थे।बड़ी मामी के माता पिता और दादाजी दादीजी ,छोटी मामी के माता पिता और दादाजी,और भाभी के भैया भाभी।
नाना मा को सबसे मिला रहे थे।पहचान करवा रहे थे।जब मैं वहाँ पहुंचा तो मुझे भी पहचान कार्यक्रम में शामिल कर दिया।बड़े मामी के घरवालों से पहचान के बाद भाभी के घरवालों से पहचान हो गयी।पर मेरे खड़ूस रंडी मामी का परिवार मेरे आने तक वहां हॉल में नही था।
अभी सभी बूढ़े लोग एक कमरे में जाकर बातचीत में लग गए क्योकि ओ ठहरे पुराने विचार के और वो बाकियो को उनके एन्जॉयमेंट में अड़चन नही बनना चाहते थे तो नाना जी तो बुढ़िया गैंग के साथ बिजी हो गए।बड़ी मामी मा और बड़ी मामी की मा उनकी आदत अनुसार किचन एरिया में गोसिप करने में लग गयी।बाकी बचे लोग ऊपर के मंजिल पे थे।मामा और मामी लोगो के पिताजी मिलके दारू के पी रहे थे।मेरे उम्र का वैसे कोई था नही।मैं अयसेही भटक रहा था।
मा:वीरू ऊपर भाभी भैया संजू दी छोटी मामी और उनके घरवाले बैठे है,उनको ये खाने के लिए देके जाओ।
मैं:ठीक है।
मैं वहाँ से चला गया ऊपर।
इधर मा बड़ी मामी से-बड़ी भाभी आपको लगता है की वीरु ने माफ कर दिया होगा मुझे।कल रात को भी कुछ नही बोला और न सुबह से ठीक से बात कर रहा है।
बड़ी मामी:देख सुशीला एक बेटा होने के लिहाज से उसने जो देखा ओ उसे हजम नही हो रहा।मुझे तो नही लगता की वो तुम्हे इतने जल्दी माफ कर देगा।विश्वास जुटाना इतना आसान नही होता।खैर मनाओ की तुमसे हा ना में तो बात कर रहा है।पर मुझे लगता है वो सिर्फ जश्न की वजह से अइसा कर रहा है।क्योकि उसका मुड़ सुबह से उकड़ा उकडा से है।
मा:पर अभी मैं क्या करू,माफी मांग ली,चुत चुदवा ली।और क्या करू?
बड़ी मामी:बस सब्र रख।जैसे चल रहा है चलने दे,वो जो कहेगा उसे मान के चल,जितना हो उतना उसके पास रह,पर झगड़ना मत,बनि बात बिगड़ जाएगी।
मा:उसे किस बात का इतना घमंड है भाभी अगर मैं पिताजी को इसे यहां से निकालने बोलू तो इसे कौन पूछेगा उसको।
बड़ी मामी:देख सुशीला तेरा यही घमंड तुझे डुबा देगा।तुझे मालूम नही होगा इसलिए अभी बता देती हु क्योकि वैसे भी आज ना कल तुझे मालूम पड़ेगा ही।
मा:क्या बात है भाभी!!!!!???!!!
बड़ी मामी:पिताजी ने तेरे साथ वीरू को नही स्वीकारा है,वीरु उनको जरूरी था तुम वीरू की वजह से आयी हो।अगर वो नही होता हो पिताजी तुम्हे कभी नही अपनाते।
मा थोड़ा चौक गयी:मतलब मैं कुछ समझी नही।पिताजी को वीरू की जरूरत थी इसलिए मुझे यहां लाये।पर क्यो अइसे??
बड़ी मामी:मुझे साफ साफ नही पता पर वीरू के हिसाब से मुझे मालूम पड़ा की छोटी जायदाद के पीछे लगी है।वीरू को उनका स्वभाव मालूम पड़ गया तो पिताजी को भी जरूर संदेह हो गया होगा।संजू तो पूरी नादान है और हमे बेटा भी नही है।रवि को अगर सब कुछ दिया जाएगा संभालने को तो कही न कहि जायदाद छोटी के कंट्रोल में जाएगी।रवि भी व्यापार में मन नही रखता तो कोई समझदार होशियार चाहिये इसलिए पिताजिने वीरू को चुना होगा।
माँ:ये बात पिताजी ने मुझसे क्यो नही की।
बड़ी मामी:आपने बिना उनके मर्जी शादी की 18 साल उनसे दूर रही अभी ये वीरू है जिसने ये बाप बेटी का मिलन करवाया।मुझे पूरा यकीन है की पिताजी उसको जायदाद में हिस्सा दे दिया होगा।अभी उससे घमंड करोगी तो आपको ही महंगा पड़ेगा।
इधर ऊपरी मंजिल पे-
स्विमिंग पूल पे लोग दारू पी रहे थे। मैंने मेज पे जाके प्लेट रख दी।वहां पर सारे लोग दारू पी रहे थे,संजू भी शामिल थी।मैं दारू सिगरेट जैसी चीजो से वास्ता नही रखता था तो मैं नीचे जाने के लिए पलटा।
तभी रवि भैया ने मुझे रोका।
रवि:अरे वीरू तुम बड़ी मा से नही मीले होंगे।(छोटी मामि के मा को मेरी पहचान करते हुए।)बड़ी मा ये वीरू सुशीला बुआ का बेटा।
छोटी मामी की माँ मेरी तरफ पीठ करके बैठी थी।जब मीठी पहचान कराई तब मुझसे हाथ मिलाने के लिये वो नशे में ही पिछे पलटी।
"हेलो बेटा!!!!"जैसे ही उनकी नजर मुझसे टकराई उनका आधा नशा उतर चुका था।मैं पहले तो चौक गया पर बाद में मुझे मन ही मन हसी आने लगी।
वो तो मुझे सिर्फ ताकती रह गयी।हेलो बेटा के आगे उनको कोई शब्द ही नही मिल रहे हो अइसी दशा हो गयी।पर बाकियो को शक न हो जाए इसलिए मैंने खुद आगे होकर हाथ मिलाया।
मैं:हेलो आँटी हाऊ आर यू।(मुझे हसी सहन नही हो रही थी।कब खुले में जाके पेट दबाके हसु अइसे हो रहा था।)
तभी छोटी मामी ने टोका:बस बस बहोत हेलो हेलो कर लिए जाओ ये प्लेट नीचे रख के आओ
(लगता है उनकी मा से मेरा मिलना उनको पसंद नही आया।)
मैं प्लेट उठा के किचन में रख आया।बाहर जाके सुनसान सी जगह ढूंढी।करीब 100 मीटर पर एक छोटा से रूम था।जहा पर बगीचे के अवजार खाद रखा जाता था।मैं उसके वह जो खाली हवाई जागा थी वहां गया।आसपास देखा की कोई मुझे देख तो नही रहा।और जो हँसना चालू किया।मुझे बहोत ज्यादा हसी आ रही थी।क्या नसीब लेके आया हु मैं।सब इतनी आसानी से कैसे मेरे पालडे में आ सकता है।
आपको तो मालूम हो गया रहेगा की मैं क्या बोल रहा हु और किस बारे में बोल रहा हु।
जो औरत रवि भैया की बड़ी मा,छोटी रंडी की मा और हमारे घर की सम्बदन है वो वही औरत थी जो मेनेजमेंट के गेस्ट रूम में अपनी चुत चुदवा रही थी।उस टाइम उनका फुटेज लेना मुझे कुछ काम का नही लगा पर अभी तो ब्रम्हास्त्र मेरे हाथ में था।
12 बज के जा चुके थे। मैं वह से नानाजी को देखने गया।वो सब सो गए थे।मैं फिर बार में गया वह पर भी मामा और बाकी सो गए थे वैसे ही।पूरे नशे में थे।मा बड़ी मामी और बड़ी मामी की मा भी सो गयी थी।अभी बचे ऊपरी मंजिल वाले।जब ऊपर गया तो स्विमिंग पूल पे कोई नही था।ऊपर के सारे रूम आमने सामने थे।उसमे में एक कमरा बन्द हो गया था।मैं आगे गया तो आखिर में बाहर बाल्कनी थी जहा मैंने देखा की संजू खिड़की से झांक रही है।
मैंने उनको पीछे से कंधे पे हाथ रखा तो वो एकदम सी चौक गयी।उनकी धड़कन बढ़ गयी।मुझे देखते हु उसके जान में जान आई।मैं कुछ पूछता उससे पहले ही मेरे मुह पे हाथ रख मुझे धीमे आवाज में बोली:कुछ बोल मत बस अंदर देख।
मैंने अंदर देखा तो रवि भैया सिद्धि भाभी और उनके भैया भाभी थे।पर मुझे परेशान करने वाली बात ये थी की चारो नंगे थे।और उससे भी बड़ी बात मुझे ये दिखी की दोनो ने अपने बीवियों की अदलाबदली की थी।ये नशे में किया या ये इनकी फैंटसी है इससे मुझे कुछ लेना नही था।संजू बाकी उनको बहोत गौर से देख रही है।यह ये भी सवाल उठता है की पोर्न देखके इसको ये आदत लगी या ये सब देखके इसको पोर्न की आदत लगी।पर सामने वाला दृश्य पूरा रोमांचक था।खिड़की पे मेरे सामने संजू और पीछे मैं खड़ा होकर उस शुरू होने वाले चुदाई के मजे लूटने के लिए तैयार हो गए।
परिचय
सिद्धि भाभी का भाई-विकास,(विकी)उम्र28,बिज़नेस मैन
सिद्धि भाभी की भाभी:निधि उम्र 27,हाउसवाइफ
रवि भैया निधि को कस के पकड़ कर उनके ओंठो को चूस रहे थे तो सिद्धि भाभी अपने ही भाई विकास के लण्ड को चूस रही थी
।निधि थोड़ी पतली थी और उसके न चुचे उभरे हुए थे न गांड।विकास थोड़ा मोटा था पर ज्यादा भी नही।
रवि और निधि सोफे पर और सिद्धि और विकास बेड पर थे।इधर मेरा भी लण्ड खड़ा होने को था।
रवि भैया निधि के चुचे चुसने लगे।
विकास(विकी):अरे रवि उसके मसल के चूस इसे बहोत पसन्द है।
रवि ने एक चुचे को मुह में चूसते हुए दूसरे चुचे को मसलना चालू किया।
रवि:तुभी आज इसको तेरे गाढ़े रस से नहला दे साली का कितना भी रस पिलाओ मन ही नही भरता।
सिद्धि ताना मारते हु:अबे तेरा निकलता कहा है।जो तू परेशान हो रहा है।
निधि:कुछ भी कहो सिद्धि पर तेरा पति मजे बहुत देता है।
विकी:इतना पता है तो कुछ सिख उससे,10 मिनट में ही अकड़ जाती है और गल जाती है।
निधि:अच्छा,बहनचोद अपनी रंडी बहन को जैसे मजे देता है वैसे मुझे क्यो नही देता।
विकी:तू मेरा ना लण्ड चुस्ती है न तेरी चुत चाटने देती है,पर सिद्धि सब कुछ करती है और करने देती है।
विकास का लन्ड रस निकल गया और सिद्धि उसे पी गयी।अभी सिद्धि को पीठ के बल लिटाके विकी उसके ऊपर आया और चुचे चुसने लगा।
यहाँ मेरा लन्ड संजू के गांड में घिसने लगा।संजू भी गांड पीछे उठा के घिसाने लगी।
संजू:क्यो लल्ला अब तेरे भी लन्ड को भूख लग गयी।
मैंने पीछे से उनके चुचो को कस के पकड़ते हुए मसलना चालू किया:हा ना मेरी जान सामने चुदाई और पास में गर्म माल हो तो लण्ड को भूख लगेगी।
संजू:फिर देर किस बात की।उठा ले और डाल लन्ड अन्दर।
संजू वन शोल्डर टॉप और राउंड स्कर्ट में थी तो मैंने स्कर्ट उपर की।और विंडो स्लाइड पर उनका एक पैर ऊपर करके लन्ड को चुत में डाल थोड़ा अंदर घुसा दिया।
यहाँ विकी ने अपने लन्ड को खड़ा करके सिद्धि के चुत में डाला और धक्के पेल रहा था।उधर रवि सोफे पे लेटा था और निधि उसके लन्ड पर बैठी थी।रवि का लंड मेरे और विकी से काफी छोटा था।
मैं बहोत धीरे धीरे धक्का दे रहा था।क्योकि वो चिल्लाये नही, नही तो मजा किडकीड़ा हो जाएगा।
रवि निधि के चुचो को मसल रहा था।और निधि चिल्लाते हुए उछल रही थी
"आआह फक आआह ओ माय गॉड आआह उफ आआह उम्म फक फक ओ नो आआह उम्मसीई"
(इतना छोटा लण्ड इसको चुभ रहा है मतलब इसकी चुदाई कम होती है या।ये जल्दी झड़ जाने की वजह से उसकी चुत की उतनी मशगत नही होती।)
इधर तो एकदम से हार्डकोर था।
सिद्धि:आआह आआह विकी और जोर से आआह फक फक हार्ड आआह मादरचोद जोर से लण्ड चुड़ भड़वे और जोर से आआह उम्म उफ आआह रंडी के आआह"
मैं भी थोड़ा स्पीड बढा कर चोदने लगा।संजू भी कंट्रोल करके सिसकारी छोड़ने लगी
"आआह उम्म उफ्फ हहह"
मैं उसके चुचे कैज़ के दबा के चोदने लगा,स्पीड बहोत था और उसी की वजह से वो झड गयी।पर मेरा झड़ना बाकी था।मैंने उसको नीचे बिठाया और लन्ड को मुह में ठूसा दिया।
यहाँ निधि और रवि का खेल खत्म होने को था।निधि पहले ही झड गयी थी,बस रवि अपना झड़ने के लिए नीचे से धक्के पेल रहा था।और वो भी झडा ,वो भी निधि के चुत में।निधि उसपे गिर के उसके ओंठ चुसने लगी।वो एक दूसरे को लिपटे सोफे पर ही ओंठो का रसपान करने लगे।यहाँ विकी जल्दी झड गया।और सिद्धि की चुत में उंगली डाल ऊपर से चाटने लगा।
सिद्धि:तुम दोनो(विकी और रवि) साले भड़वे हो औरत की भूख नही मिटा सकते तुम्हारे लूल्ले।आआहमुझे तो फिक्र भाभी की होती है(उनका कहना था उनके लिए मैं जो मिला।पर किसका उसके पीछे के अर्थ पर ध्यान न गया।)भड़वे तुम दोनो कुछ काम के नही आआह आआह
आखिर कार कैसे वैसे सिद्धि भाभी झड गयी।वो रवि और निधि अभी भी रसपान में मगन थे।विकी बेड पे ही सो गया थक कर।सिद्धि बाथरूम चली गई।
यह पर मेरा लण्ड तने तड़पत रहा था और संजू उसको शांत कराने के लिए चूसे जा रही थी।आखरी में उसने भी दम तोड़ा और झड गया।गाढ़ा रस पूरे शरीर पे गिर गया संजू के।संजू कपड़े संभालते हुए बाजू के कमरे के बाथरूम में घुस गयी।मैं वहां से नीचे आ गया।
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