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Adultery माँ का मायका-(incest, Group, Suspens)

Kyo bhai pasand aa gyi kahani ?


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Killerpanditji(pandit)

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(Episode 7)

घर पर बड़े मामी को इसकी खबर दी।ओ तो पूरा घबरा गयी।पर मैंने उनको अच्छी तरह से वाकिया समजाया और शिवकरण हॉस्पिटल में है और चिंता की कोई बात नही ये भी बता दिया।कल तक शिवकरण को डिस्चार्ज मिलने वाला था।मैंने कान्ता को वही रुकने बोला और घर चला आया।


समय रात 10 बजे


मै देर रात घर आया।बड़ी मामि को बोला था की किसीको बताना नही इसलिए उसने किसीको बोला नही था।मामी जैसे ही मै बाथरूम से बाहर आया।मेरे हाथ में पट्टी देख रोतली सूरत लेके मेरे सारे शरीर को घूरने लगी।

मै:बड़ी मामी कुछ नही हुआ है।हल्की सी खरोच है।

बड़ी मामी के मुह से कुछ शब्द ही नही आ रहे थे।वो बस मुझे चूमे जा रही थी।उन्होंने मुझे गले लगाया।उन्हें जब पूरी तसल्ली हुई की मै ठीक हु तब वो चली गयी।

ओ जाते ही संजू आ गयी।मै बाल्कनी में था।मेरे पीछे से आके मुझसे चिपक गयी।

संजू:तुम बहोत बुरे हो।

मै:क्यो क्या किया मैंने अभी।

संजू:इतना कुछ हुआ मुझे नही बताया।अगर अचानक से कुछ हो जाता तो,मुझे बहोत दुख होता न।

मै:अरे इतनी बड़ी बात नही हुई है खरोच है।पर तुम्हे किसने बताया।

संजू:मा को कॉल किया तब मै वही थी।छुपके सब सुन ली।पर तुम खयाल रखना याररर,रोज रोज नही नसीब साथ देगा।अभी मुझे बहोत डर लग रहा है।


मै पलटा उसका मुह हाथ में लिया और उसके ओंठ पर चुम दिया।उसने मुझे कस के चिपक कर गले लगा लिया।उसके बड़े चुचे मेरे छाती को घिस के गर्म अहसास दे रहे थे।मैंने उसे अलग किया।उसको घुमाया और चुचो हाथ में लेके मसलने लगा।

मै:मै अइसे छोड़ के नही जाऊंगा।तुझे छोड़ के मेरा भी मन कहि लग सकता है।

संजू:वो ठीक है पर आजकल तेरे संजू के लिए समय नही तेरे पास।(उसने पैर तक का व्हाइट शर्ट पहना था नाइटी के जैसा।उसने गर्मागर्मी में ऊपर के बटन खोल के चुचे आझाद कर लिए।)ये दो गुब्बारे बहोत परेशान करते है आजकल।

मैं:दिखाओ मै देखता हु।(उसके चुचो को मसला।)अभी दर्द कम हुआ।

संजू:नही अभी नही।अभी और बढ़ गया।

मैंने उसके चुचे मुह में लेके चुसना चालू किया।

संजू:आआह वीरू और जोर से आआह उफ्फ निचोड आआह दे आआह आआह"

मै:हा आज तो तुझे पूरा खुश करूँगा।(मैंने उसके शर्ट को निकाला।वो अंदर पूरी नंगी थी।पूरी तैयारी से आयी थी।)

मैंने उसके चुत में उंगली डाली और अंदर बाहर करके मुह में उंगली चूस ली:वाह क्या स्वाद है वाह एकदम नमकीन अभी थोड़ा मीठा हो जाए।

वो शर्मा गयी ।मैंने उसके ओंठो को मुह में चूसते हुए रस का लुफ्त उठा रहा था।मेरी उंगलियां उसकी चुत को मसल रही थी।हम हमारी काम लीला में मगन थे की ग्लास गिरा।दोनो की कामलीला भंग हो गयी।

सामने बड़ी मामी खड़ी थी।संजू ने झट से कपड़े लपेटे।मामी मेरे लिए दूध लेके आयी थी और संजू ने दरवाजा भी नही बन्द किया था।

मैं:मामी वो...!

बड़ी मामी ने एक झांपड गाल पे जड़ दिया।

बड़ी मामी:तुझसे ये उम्मीद नही थी।अब इसके भविष्य का क्या,शादी कौन करेगा?

मैं:मामी आप चिंता मत करो,मै सब देख लूंगा।

बड़ी मामी:क्या संभालेगा 22 साल का है वो 25 की।तुम उसकी शादी किससे करवाओगे।अगर किसीको मालूम पड़ गया तो उसकी जिंदगी खराब न।

मै भी अभी चिंता में पड़ गया।कुछ सोच कर मै चाची के कंधों को पकड़ के उनको समजाते हुए बोला।

मै:तुम चिंता मत करो मामी,गलती मेरी है मै सुधारूँगा,उससे मैं शादी कर लूंगा।ये मेरा वादा।

बड़ी मामी और संजू मेरे तरफ बड़े ही चौड़ी नजर और अविश्वसनीय वाकिये की तरह देखने लगे।

बड़ी मामी':तुम क्या बोल रहे हो इसका तुम्हे अंदाजा है।

मैं:मै तैयार हु ,अगर आप संजू और मामा तैयार होंगे तो कोई एतराज ही नही।

बड़ी मामी:और पिताजी और दीदी को??

मैं:वो जिम्मेदारी मेरी।आप सिर्फ मामा को संभालो।

बड़ी मामी:वो मै देख लुंगी।क्यो संजू ये दूल्हा चलेगा न।

संजू:चलेगा नही दौड़ेगा।

संजू सिर्फ उम्र और शरीर से बढ़ी थी बाकी कुछ समझ नही थी।

बड़ी मामी:पर मुझे मेरे दामाद का टेस्ट लेना है भाई,मै मेरे लाडली का भविष्य अइसे ही बर्बाद नही होने दूंगी।

मै और संजू:कैसा टेस्ट?

बड़ी मामी:अरे मेरा दामाद मेंटली फिट है फिजिकल फ़ीट है या नही मालूम तो होना चाहिए न।

बड़ी मामी क्या चाहती है वो मै समझ रहा था वही करने की सोच रही थी तो मै भी उस खेल का लुफ्त उठाना चाहता था।

संजू:क्या करने वाली हो?कैसा टेस्ट?

बड़ी मामी:तुम अभी बच्ची हो,मै सब बता दूंगी बस शादी तक इस टेस्ट का किसीको मालूम नही होना चाहिए।नही तो शादी तोड़ देंगे।

संजू:नही नही ,किसीको मालूम नही होगा।आय लव्ह वीरू,मै उसको नही खोना चाहती।

बड़ी मामी ने बाहर का दरवाजा लगाया।और संजू के पास आके उसके लिपटे कपड़े को उतारा।और चुत को दो उंगलियो से हटा के नीचे झुक निहारा।

बड़ी मामी:तो इसकी ओपन सेरेमनी हो गयी है(मुझे आंख मार दी।)चल तेरे कपड़े निकाल।

मै सारे कपड़े निकाल के नंगा हो जाता हु।इस बात को संजू टेस्ट समझ रही थी।उसे सही खेल का मालूम नही हो रहा था क्योकि एक तरफ मेरे लिए प्यार और दूसरी तरफ मा का डर उसे हवस के खेल का पता नही लगने दे रहा था।

बड़ी मामी मेरा लन्ड हाथ में लेके सहलाने लगती है।

ब मामी:आ संजू बैठ इसका हथियार ले मुह में।

संजू नीचे बैठ के लण्ड चुसने लगती है।

ब मामी:संजू क्या कर रही है,वो लण्ड है लॉलीपॉप नही आइसक्रीम वाला।

हा सच में संजू आज बहोत ज्यादा गलत चूस नही थी ,लगता है मामी मतलब उसकी मा सामने थी तो नर्वस थी।

बड़ी मामी नीचे बैठ गयी और खुद लन्ड को मुह में लेके मेरे चमड़ी को नीचे दबा के लण्ड को मसल मसल के चूस रही थी।

ब मामी:इसे कहते है चुसना।

संजू सहम के:जी मा

अभी दोनो मा बेटी बारी बारी लण्ड मसल मसल के चूस रही थी।मेरा लन्ड अभी रस छोड़ने को बेकरार हुआ।अकड़े लण्ड सेल मामी ने उसका अनुमान लगा लिया।उसने जोर जोर से हिलाना चालू किया और संजू में मुह में आधा और खुद आधा रस मुह में लेके गटक ली।

अभी तीनो बेड पे आ गए।संजू को बेड पे लिटाया।और मुझे चुत चुसने बोली।मै संजू की दोनो चुत की पंखुड़ियों को खुला कर के अंदर जीभ घुसा ली और चाटने लगा।उसके चुत के पंखुड़ियों को चुसने लगा।

संजू:आआह आआह उम्म मा आआह उम्म आउच्च आआह

बड़ी मामी ने उसके ओंठो को अपने ओंठ चिपका के बन्द किया।उसके चुचे मसलने लगी।उसके ओंठ चुसने लगी।

अभी चाची खुद पूरी नंगी होकर बेड पे आयी।मुझे ओंठोपे चूमा और नीचे हाथ डाल के लन्ड को मसल के एकदम लोहा बना दिया।और चुत पे लगाया।मैंने धक्का दिया।

संजू:आआह आउच्च मममम सीईई आआह आआह

मामी ने संजू के चुचो को कस के दबाया और मसला।मुझे आझादी से धक्के पेलने को बोला।मै पूरे जोरो से चुत में लण्ड पेलना चालू किया।

मामी ने अपने चुचे उसके मुह में दबा दिए।संजू उनके चुचे चबा के चूस रही थी।मैंने मामी के चुत में उंगलियो से चोदना चालू किया।

ब मामी:आआह उम्म आआह आआह उम्मम"

मैने चुत में धक्के लगाने का स्पीड बढ़ाया।संजू झड गयी थी।मैंने लन्ड बाहर निकाला।संजू को थोड़ा ऊपर कर के मामी घोड़ी बनके मेरे संजू के चुत रस से गीले लण्ड को चुसने लगी।और वैसे ही घूम कर संजू की चुत चाटने लगी।

मैंने उनकी गांड के छेद में जीभ डाल दी।

ब मामी:हाये दैया उम्म उफ अहा आआह

मैं गांड के ऊपर से चुत तक जीभ घुमा रहा था।थोड़ी चुत गीली हुई तो मैने पीछे से उनके लण्ड ठूस दिया।

ब मामी:आआह आउच्च उम्मम आआह

मै पूरा लण्ड अंदर डाला।वो संजू की चुत को चाट रही थी।उसी उत्तेजन में संजू अपने चुचे मसल रही थी।मै जोर के धक्के पेल रहा था ।

आआह चोदो जमाई राजा आआह और जोर से आआह चोद रे आआह पूरा अंदर ठूस आआह उफ हाये आआह उम्म उफ आहम्म"

मामी पूरे जोश में उसका मजा ले रही थी।काफी देर बाद हम दोनो झड गए।

हम तीनो का पसीने और कामरस से शरीर दुर्गंध मार रहा था ।तीनो एकसाथ जाके शावर लिया।

मामी बेसिंग मेज पे बैठी।संजू थोड़ा झुक कर मामी की चुत में जीभ घुमाने लगी।मै संजू को पीछे से चुत में लन्ड डालके चोद रहा था।
"आआह उम्म आआह आआह वीरू कामोंन आआह फक आआह फ़ास्ट आआह उम्म उफ आऔच आआह,आई एम वेरी हैपी टुडे आआह आआह चोद आआह"

करीब आधे घंटे के शॉवर चुदाई के बाद हम साफ होकर बाहर आये।और बेड पे गिर गए।

मैं:क्यो सासु मा टेस्ट में पास या फेल।

बड़ी मामी:पास जमाई राजा पास, 100 में से 100।(संजू से)तू बहोत नसीब लेके आई लगता है।पैसेवाला बाप पैसेवाला पति मिल गया।और प्यार भी करनेवाला।

संजू मुझे लिपट गयी।दूसरी तरफ से बड़ी मामी भी।उसके बाद हमारा रातभर चुदाई का खेल चलता रहा।आज दिनभर की थकान और हादसे से थोड़ा मन बहक गया था।पर सुबह उसकी फिरसे याद आने वाली थी।क्योकि वो सच था इन चार दीवारों के बाहर का।



Disclosure: कहानी में उपयोगित सभी चित्र (photo) एवम चलचित्र(gif or vids)इंटरनेट से संशोधित है।एडमिन और उसकी टीम चाहे तो हटा सकती है।पर बाकी कहानी के अंग रूपरेशा ©MRsexywebee के है।
Excellent update
 

Killerpanditji(pandit)

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(Episode 8 )
◆पार्ट 1-सतरंज का आखरी दाव◆


कल का हादसा मेरे लिए बहोत बड़ी सिख थी की अभी सम्भलके रहना पड़ेगा।पर ये बात भी दिल को खाये जा रही थी की,हम कहा जा रहे है ये चौराहे तक शिवकरण को मालूम नही था।चौराहे पर जब शिवकरण को बताया उसके बाद कान्ता आयी।तो कान्ता को भी नही मालूम।वहां तक जानेतक शिवकरण ने मोबाइल भी नही हाथ में लिया था।तो हमलावर को मालूम कैसे पड़ा।क्या वो आदमी हम लोगो का पीछा कर रहा था।और उस जगह से रास्ते पर आने तक वही था।मैंने आफिस से हमले तक की सारी घटनायें फिरसे एकबार मन में घुमवाई।इसमे एक ही समय था जब शिवकरण साफ होने गया था नदी पे और उसे समय लगा था आने तक।यातो उसने जानभुजके किया या तो ओ भी एक प्यादा था।

आज कहे अनुसार मुझे मीना के घर जाना था।गाड़ी गैराज में थी।तो मै बाइक लेके गया।कल के हादसे के बक़द पूरी सावधानी से मै गाड़ी चला रहा था।मैंने आफिस से मीना का पता लिया था।और आश्चर्य की बात ये की जहा कल हमला हुआ उसकी बस्ती उसी नदी के किनारे थी।कुछ पल के लिए मुझे मीना पर भी शक हुआ,पर वो तो आफिस में थी और मैं बाहर गया हु ये भी उसे मालूम नही था।

मैं मीना के घर पहुंचा।कहे अनुसार मीना की आज छुट्टी थी।मीना के पति की हालत पेरेलाइज की तरह थी।उसे कुछ न बोलना आता था न सही से सुनना।दोपहर उसकी बहन उसको खाना खिला देती थी।जो थोड़ा दूरी पर रहती थी।इसलिए मीना छुट्टी बहोत ज्यादा लेती थी।अभी उसका पति सोया था।और उसको करना भी कुछ नही उसको सोने के सिवा।


मैं मीना को पूछा:और कोई नही रहता आप लोगो के सिवा।

मीना: नही,वो क्या है की हमारी भागके शादी हुई थी तो हम अलग रहते है।3 महीने पहले इनको के झटका आया।ये भी आपके ही कम्पनी में काम करते है।

मै:अच्छा यहां और भी लोग है क्या जो हमारे कम्पनी में काम करते हो।

मीना:हा साब सारा गांव ही बोलो।आपके नाना जी के कृपा से सारे गांव वालो को आपके यहां रोजगार मिलता है।

(मै मन में-अच्छा तो यहां से हमारी जानकारी हमलावर तक गयी है।)

मीना:रुको साब मै पानी लाती हु।

मीना का घर झोपड़े जैसा था।बाहर पलँग और एक अलमारी लकड़ी की बाकी कपड़ो से बांधे गद्दे।अंदर किचन चूल्हे वाला।वहां से बाहर कपड़े से तैयार की गयी बाथरूम।

मै उसके पीछे किचन में गया।

मीना:साब मै बाहर लेके आ जाती पानी यहां बहोत गंदगी है।

उसको 1लाख थमा दिए(छोटे मामा के एकाउंट में ऐड कर दिए उस पैसे को)

मीना:साब ये????

मै:तुम्हारे पति और बच्चो के लिए।कल एम्बुलेंस आ जाएगी तब इसको हॉस्पिटल में लेके जाना।ये वह के खर्चे के लिए है।और बच्चो की पढ़ाई के वास्ते।

मीना के आंखों में पानी सा आ गया।ओ मेरे पैर पड़ने लगी।

मै: अरे तुम्हारा साब हु पर उम्र से बहोत छोटा हु,मुझे अच्छा नही लगता कोई मेरे पैर छुए।

मीना:आप उम्र से छोटे हो पर आपका दिल बहोत बड़ा है।

मै:हा ना।फिर आओ मेरे दिल से लग जाओ(मैंने हाथ फैला दिए।)

मीना मुझसे चिपक गयी।मैं ने उसे कस के बाहों में लिया।

मीना:सच में बहोत मेहरबानी साब,इस गरीब को इतना प्यार देने के लिए,आप जो मांगोगे उसके लिए ये मीना हमेशा तैयार रहेगी।

मै:वही तो लेने आया हु।

मीना:क्या?बोलो तो आप आपके लिए जान भी हाजिर है।

मै:जान बाद में देदेना पहले गांड देदे।

मीना चौक गयी,उसे कुछ समझ नही आया।

मैं:कुछ नही समझी न।

मीना ने ना में सिर हिलाया।

मैंने उसके गांड को दबाया:ये चाहिए मुझे।

मीना संकोच में थी,मैंने उसके साड़ी को खींचा।वो ब्लाउज और पेटीकोट में आ गयी।मैंने उसको अपनी तरफ खींचा।उसके ओंठो को चूमा।उसके चुचे मसलने लगा।नीचे से पेटिकोट उठाया।अंदर पेंटी नही थी।मैंने उसके चुत में उंगली घुसाई और रगड़ दी।

मीना:आआह उफ(वो मुझसे कस के गले से दबाई।)

मै:तेल है तेरे पास।

मीना:हा?पर क्यो?

मै:तू ला तो सही।

मीना तेल लेके आती है।मै तब तक नंगा हो जाता हु।ओ आते ही उसको भी पूरा नंगा होने को बोल दिया।उसने चटाई डाली और सो गयी।मै उसके चुत के उधर बैठा।उसके पैर ऊपर किये और फैला दिए।मेरे लन्ड पर तेल डाला उसे मसल के एकदम लोहा जैसा खड़ा किया।

मैने उसके गांड पे तेल डाला।उसकी गांड की छेद को तेल से पूरा चिपचिपा किया।

मीना:साब सच में आप मेरी गांड मार रहे हो।

मै:मैं कभी अइसे मजाक करता हु!!?

मीना:नही करते पर कभी मैंने गांड नही मारी है।

मैं:और मुझे फ्रेश गांड मारना ही पसन्द है।और अभी सवाल बन्द और गांड मारना शुरू।

मैंने गांड के छेद के ऊपर लन्ड को लगाया।थोड़ा दबाव डाला।

मीना:आआह बाबूजी ईई।

मैंने फिरसे थोड़ा तेल डाला और लन्ड को जोर दिया तो आधा लण्ड अंदर चला गया।मीना तिलमिला गयी।

"आआह आआह उम्मम साब निकालो आआह निकालो दर्द हो रहा है आआह आआह उफ्फ आआह दर्द हो रहा है आआह"

मैं थोड़ी देर रुका।और आहिस्ते आगे पीछे होने लगा।वो थोड़ी शांत हुई।मैने अब धक्के पेलना चालू किया।

"आआह आआह फट गयी रे आआह गांड फट गयी आआह उफ आउच्च अम्मा आआह मर गयी आआह"

मैं अभी पूरा लन्ड अंदर घुसा चुका था।पूरे जोरो से चुदाई चल रही थी ।तभी बाहर से कोई"भाभी भाभी चिल्लाते आया"।

मैंने लण्ड बाहर निकाला।मीना उठ के खड़ी हो गयी।वो पैर फैलाये हुए चल रही थी।वो कपड़े पहने उससे पहले वो लड़की अंदर आयी।उन्होंने हम दोनो को अंदर नंगा देख लिया।वो बाहर भागती उससे पहले मैंने उसको पकड़ लिया।

मैं:किधर भाग रही है।

वो:वो वो आप लोग।

मीना':सोनू तू भैया के पास बैठ जा।(मुझसे)बाबू इनकी बहन है दोपहर का खाना खिलाने आयी है।

मैंने उसको रिहा किया।और मीना को पकड़ के अंदर चला गया।सोनू अपने भैया के पास चली गयी।

मीना :माफ करना साब वो बच्ची है।

मैं:ठीक है कोई बात नही बस कहि मुह न खोलदे।

मीना मेरे गले में हाथ डालके:कुछ नही होगा,मै हु न।(उसने मेरे ओंठो को चूमा।मेरे लन्ड को हाथ में लेके मसलने लगी)बस अभी गांड में जलन हो रही है उसको शांत कर दो।

मै हस दिया वो नीचे झुक घोड़ी बन गयी।मैंने तेल लिया।

मीना:नही अयसेही डालो।मुझे बहोत मजा आया अभी अइसे ही डालो।

मैने वैसे ही लण्ड को सेट किया उर धक्का दिया।

मीना चीख उठी:हाये अम्मा आआह आआह

मैं रुका उसकी चीख कम हुई, मैं धक्का देना चालू किया।आगे से चुचो को कस के दबाया।दे दना दन धक्के देना चालू किया।वो मजे ले रही थी,लग रहा था गांड ढीली हो चुकी थी।।मैं थक कर दीवार को सट कर बैठा।

मैं:क्या कमाल की गांड है तेरी।बड़ा मजा आया पर अभी गिरा नही।

मीना:मैं हुना

वो मेरे तरफ मुह करके मेरे लन्ड पे बैठ गयी।मेरे ओंठो को चूसते हुए ऊपर नीचे उछलने लगी।मै उसके चुचे मसल रहा था।आखिरकार हम दोनो एक साथ झड गए।चुत में लन्ड रखके ही थोड़ी देर एक दूसरे से लिपटे रहे।

मै वहां से बाहर निकला।कम्पाउंड से बाहर जाने तक मीना दरवाजे पर खड़ी थी।वो जैसे ही अंदर गयी।

मैं गाड़ी लेके बाहर रास्ते पर निकला ही था ।थोड़ा आगे आया और जहा एक छोटा पूल था वह पे आते ही कल वाले ट्रॉली ने फिरसे ठोक दिया।मै गाड़ी के साथ नीचे गिर गया।गिरते वक्त मैंने खुद को गाड़ी से दूर कर दिया जिससे गाड़ी नदी किनारे के पत्थर पे पटकी और उसका विस्फोट हुआ।

ट्रॉली वाला आदमी पूल से किसी से कॉल पे बात कर रहा था।वो जरूर इस प्लान के मास्टर माइंड से बात कर रहा था।

घर पर-

मेरे देहांत की बात घर पर पता चली ।संजू भाभी बड़ी मामी मा का रो के बुरा हाल।चाचा चाची और अम्मा भी आ गयी थी।इस बात से नाना की तबियत बिगड़ गयी।

घर का पूरा वातावरण दुःखमय हुआ था।दो तीन दिन निकल गए थे,पर नाना की तबियत और बिगड़ गयी।वो बेड पे ही चिपक गए।संजू ने खाना छोड़ दिया था।बड़े मामा बड़े सख्त दिल के थे पर इसबार वो पिघल गए थे।और छोटे मामा मामी का तो कहो ही मत,उनको तो आनंद ही आनंद

कुछ दिन बाद कान्ता को मीना ने कॉल किया,कहा कुछ जरूरी बात बतानी है,आ जाओ मेरे घर पे।मीना कान्ता की बचपन की सहेली की बेटी तो कान्ता पर वो भरोसा रख सकती थी।घर में सब व्यस्त थे अपने में।कुछ खुश थे पर कुछ बहोत ही दुखी।कान्ता चुपचाप निकल गयी मीना के पास।

इधर मीना के बस्ती में-

मुझे जब ट्रॉली ने टक्कर मारी तब सोनू ने देख लिया था।उसने मीना को जाके बताया।मीना झट से नदी किनारे आयी।मै कैसे वैसे नदी किनारे तैरते हुए पहुँच गया था।पर काफी थक गया था।मीना ने और सोनू मुझे मीना के घर लेके गए।1 दिन के दवादारू के बाद मुझे होश आया था।तीन दिन सोनू की मदत से उस टक्कर मारने वाले को हमने ढूंढ लिया।अभी तीन दिन गए थे अभी बारी थी हमलावर के नकाब को हटाने की।

कान्ता मीना के घर आयी ।

कान्ता:क्या हुआ मीना अइसे अचानक से बुला लिया।

मीना कुछ बोली नही सीधा अंदर लेके आयी।वहाँ पर मै बैठा था।मुझे कान्ता थोड़े पल तक देखती रही।उसे अपने आंखों पर भरोसा नही हो रहा था।अचानक से दौड़ी और मेरे से लिपट रोने लगी।

मैं:अरे हा हा जिंदा हु।बस थोड़ा खरोच आया है।

कान्ता मुझे प्यार से झांपड मारती हुई:ये कोई तरीका है मजाक करने का।दीदी बड़ी मालकिन संजू और सिद्धि का बुरा हाल है।वो कलमुँही तो मजे कर रही है।गांव से सारे लोग आये है।

मैं:और नाना जी!!?

वो मुझसे लिपट गयी:आखरी सांसे ले रहे है।तुम्हारी मा और बड़ी मामी ने उनकी सेहत के लिए मंदिर में पूजा रखी है आज सब वही है।

मैं:फिर घर में?

कान्ता:नाना जी और..........!!!!

मैं वहाँ से भागता हुआ रास्तेपर आया।मुझमे उतनी शक्ति नही थी।कान्ता और मीना भी धीरे धीरे भागते आ रहे थे।सोनू उनसे पहले पोहोंच गयी।उसे मैंने कान्ता की मदत से पुलिस को बुलाने बोला।क्योकि अभी ये अंतिम पड़ाव था।और मेरी हालत बहोत ही खराब थी।मैं रास्ते मे शहर जाने वाले गाड़ी को रोका और शहर निकल गया।



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Mast update bro
 

Killerpanditji(pandit)

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◆पार्ट 2-पिताजी का हत्यारा◆

कैसे वैसे मै बंगले पर पहोच गया।सब तरफ सन्नाटा लग रहा था।मुझे नाना जी की चिंता सता रही थी।मैं बंगले में सीधा नाना जी के कमरे में घुस गया।नाना जी बेड के नीचे गिरे हुए थे।कमरे को देख लग रहा था की कुछ तो हुआ था यहाँ।मुझे देख नाना के जान में जान आ गयी।

नाना:वीरु वीरू तू आ गया आ आ गया।

मै:नानाजी आप शांत हो जाओ ,आपको दमा है,मै हु आप बस शांत हो जाओ।

मैंने नाना को बेड पे सुलाया।और डॉक्टर को फोन कर बुलाया।

मै:नाना क्या हुआ था यह पे,किसने किया।

नाना:मुझे नही मालूम ,में सोया था और अचानक मेरे मुह पे किसीने तकिया दबाया।मैं कैसे वैसे बच गया पर बेड से नीचे गिरा और बेहोश हो गया।

मै मन में-अच्छा इसलिए हमलावर को लगा की नाना मर गए है और वो यहां से निकल गया।

कान्ता पोलिस को लेके आई थी।

पोलिस:क्या हुआ?

मै:किसीने हमला किया नाना जी पे,इससे पहले 2 बार मेरे पे हुआ है।

पोलिस:किसी पर शक है आपको।

मै:सर व्यापार जायदादों वाला परिवार है,यहां शक हर एक पर है मुझे।

पोलिस:ठीक है,हम थोड़ा देख लेते है तहकीकात कर ते है।कुछ होगा तो आपसे मदद ले लेंगे।

मै:जी आपको कोई भी मदद लगे बुला लेना।

पोलिस सबूत ढूंढने लगी जिससे कुछ हाथ लग जाए।मैं बाहर हॉल के सोफे पे बैठा था।कुछ देर में सारे घरवाले भी आ गये।

मुझे देख बड़ी मामी और संजू के होश के ठिकाने नही रहे।मा तो दरवाजे पे हो बैठ गयी।संजू आके मेरे गलेसे लिपट गयी।

मै:अरे हा हा शांत हो जाओ,कुछ नही हुआ मुझे।

संजू मुझे मारने लगी।

मै: अरे मार क्यो रही हो,अरे क्या हुआ।

संजू:ये कोई तरीका है मजाक करने का,जान निकल गयी थी हम लोगो की।अभी मै सच में मार डालूंगी।

दरवाजे बैठी मा एकदम से मेरे पास आई मुझे पूरी तरह निहारा और रोते हुए गले लगाई।

मा:लल्ला तू आ गया,तेरे मा को इतनी बड़ी सजा देगा उसकी गलती के लिए।फिरसे अइसा नही करना।तेरे पापा का भी अयसेही हादसा हुआ था,अभी तुम भी अयसेही मुझे छोड़के मत जाना।

मैं:नही मा,अभी हु न मै,मत रो।

बड़ी मामी के आंखों से बून्द भी नही आ रहा था।एकदम से सन्न हो गयी थी।मै उनको जैसे ही गले लगाया।

बड़ी मामी:वीरु तुम कहा चले गए थे,मुझे लगा अभी हमारी मुलाकात नही होगी।आआ आआ"

मै मामी को कस के गले लगाया था।

पोलिस:यहाँ पर बहोत लोगो के फिंगर प्रिंट्स है ,पता लगाना थोड़ा मुश्किल है।पर ये स्कार्फ़ मिला है।

सब लोग उस स्कार्फ़ को देखने लगे।

बड़ी मामी:जहा तक मै जानती हु पिताजी स्कार्फ़ नही पहनते है।

कान्ता:जरूर ये उसी हमलावर का होगा।क्योकि हमारे घर में कोई स्कार्फ़ नही पहनता।

पोलिस चली गयी।बड़ी मामी और मा नानाजी को डॉक्टर के पास लेके गए।साथ में रवि और सिद्धि भी चली गयी।

मेरी नजर छोटी मामी और मामा को ढूंढ रही थी।मैं बाहर आया तो छोटी मामी किसीको फोन लगा रही थी।मै चुपचाप उनके पास गया।थोड़ी दूरी से उनको सुनने लगा।पर बात कुछ अलग ही थी।मामी जिसको कॉल लगा रही थी ओ उठा नही रहा था।मै उनके पास गया।

मै:क्यो मामी जी,किसको इतनी बेकरारी में संपर्क किया जा रहा है।

छोटी मामी:अरे वीरू तुम!!!!हमे लगा।

मै:आपको लगा की मै तो मर गया और अभी नाना को भी खत्म कर देते है।

छोटी मामी:वीरु बकवास मत कर,ये बात सही है की मुझे तुम पसंद नही और जायदाद भी चाहिए पर मै इतनी गिरी नही की तुमको मारू।उससे मुझे क्या मिलेगा।

मै मन में-अरे ये बात भी सही है,(मामी से)फिर ये फोन।

छो मामी:तुम्हारे मामा को लगा रही हु।उठा ही नही रहे है।

छोटी मामी वह से निकल गयी मामा को फोन कराते कराते।मै घर में घुसने ही वाला था की।कान्ता ने मुझे रोक लिया

कान्ता:छो बाबु मेरे ये नही है कही पर भी।

मै थोड़ा जागरूक हुआ,ये भी है दोनो मामा चाचा चाची अम्मा और शिवकरण सब गायब है।

मैंने कान्ता को कहा: शिवकरण को कॉल करो और पूछो कहा पे है,पर फोन स्पीकर रखना मुझे भी बात सुननी है।

शिवकरण:हेलो बोल कान्ता

कान्ता:कहा हो??

शिवकरण:क्यो क्या हुआ?

कान्ता:क्यो आपको कुछ नही मालूम,बड़े साब पर हमला हुआ घर पर।

शिवकरण थोड़ा समय लेने के बाद :क्या !!!!?क्या बात कर रही है?

कान्ता:हा सही में,आप कहा हो?

तभी शिवकरण को कोई पुकारता है।शिवकरण जल्दी में कॉल को काट देता है।

कान्ता:अरे बाबूजी इन्होंने तो काट दिया।अभी काल भी नही लग रहा।

मै:जरूरत नही,जो हमे चाहिए था मिल गया।

मैंने रवि भैया के रूम से उनके गाड़ी की चाबी ली और निकल गया।कान्ता को घर में रुकने बोला।

मैंने मेरे ऊपर गाड़ी चलाने वाले की पूछताछ की तभी उसके मुताबिक उसको जिसने पैसे दिए उसका नाम नही जानता था ओ,और काफी उम्र वाला आदमी था।पर अभी पता लगाना था की वो स्कार्फ़ पहनता था क्या ,या उसका स्कार्फ़ से कुछ काम हो सकता है।

रास्ते में उस आदमी के घर रुक कर मै उससे पूछताछ की।तो उसके मुताबिक वो स्कार्फ़ नही पहनता था।मतलब ये मुझपे हमला करने वाला और नाना पे हमला करने वाले दो अलग इंसान है।

मुझे तभी मा के मुह से निकली बात याद आ गयी।मैंने उस सुपारी किलर से पूछ लिया की एक दो महीने पहले कोई अइसा ही कांड उसने किया है क्या।तो उसने नही बोला।इसका मतलब पिताजी से भी इसका कोई रिश्ता नही था।

मै गाड़ी लेके सीधा हॉस्पिटल गया।मा को कॉल लगाके बाहर बुलाया।

मा:क्या बात है लल्ला ,अइसे बाहर क्यो बुलाया।

मैं:मा पिताजी ने हादसे से पहले कभी भी किसी बात का जिक्र किया या आपके या पिताजी में कुछ अइसी और बात है जो मुझे अभी तक मालूम नही।

मा मेरे सवालों से सहम सी गयी।क्या बोले क्या न बोले सोचने लगी।

मै:देखो मा,आज कल मै आज नानाजी अगला नंबर आपका भी हो सकता है।

मा :वो तुम्हारे पिताजी और चाचा ने मिलके तेरे जरिए पिताजी से पैसे लेने चाहे।तुम 12 वी खत्म करने वाले थे और तुम्हारा 18 साल पूरा भी हो गया था।तो ओ मेरे हिस्से की जायदाद की बात करके पिताजी के यहां से लौट रहे थे तभी ये हादसा हुआ।

मै:पापा के मौत की खबर पहले किसको मिली।

मा:तुम्हारे चाचा को।ओ ही उनको हॉस्पिटल लेके गए और बाद में घर लेके आये(मा रोने लगि।)

मै (मा को संभालते हुए):अच्छा मा अभी रो मत,नाना जी का ध्यान रखो मै आता हु।

मै वहां से निकला और पापा के हादसे का जिन पोलिस स्टेशन पर चला गया।वह से मैंने हादसे के सबूत मांगे।उसमे भी वही स्कार्फ़ था थोड़ा जला हुआ।

मतलब पिताजी की मौत हादसा नही थी,वो खुन था।उस दिन पिताजी के साथ कोई और भी था।पिताजी वो और नानाजी के बीच में कुछ बाते हुई जिसके बाद पहले पिताजी को मार दिया गया फिर नानाजी को भी मारने की कोशिश की गयी।

मतलब ये शुरू ही हमारे आफिस से हुआ था।मैं वहां से आफिस चला गया।शाम हो गयी थी।आफिस भी बंद था।मैं सिक्युरिटी के पास गया।उसे पापा के मौत के सुबह वाली सीसीटीवी देखी।मेरे अनुमान अनुसार तीन लोग थे।पर तीसरा जो पिताजी के साथ गाड़ी में आ रहा था।उसका चेहरा दिख नही रहा था।और उसने स्कार्फ़ भी पहना था।वही था जो एविडेन्स में जला हुआ था।

मै इन सब पे विचार कर ही रहा था की।मुझे पोलिस स्टेशन से कॉल आया।

पोलिस:हेलो इंसपेक्टर *** बोल रहा हु।

मै:जी सर बोलिये,कुछ पता चला।

इंसपेक्टर:फिंगर प्रिंट घर के सामानों पर है वो भी घरवालों के तो उनके ऊपर शक करना और ढूंढना थोड़ा कठिन है पर...!!!

मै:पर!!!!पर क्या साब!!!

इंसपेक्टर:जो स्कार्फ़ मिला है उसके ऊपर"###" (कंपनी का नाम) लोगो है।क्या आपके यहां कोई पहचानता है इस लोगो को या किसी आदमी को जो ये पहनता हो।

मै:क्यो कोई खास है कारण है क्या!??

इस्पेक्टर:वैसे ही समझो,सिर्फ यही चीज है जिसपे आपके नानाजी के उंगलियो के निशान है।

मैं:नही अभी तो मालूम नही ,कुछ पता चल जाएगा तो बता दूंगा।

सीसी टीवी के हिसाब उनके हाथ में एक फ़ाइल थी।वो सीसी टीवी में जहा उन्होंने रखा था वह पे नही था।मैंने सीसीटीवी को आगे बढ़ाया तो नानाजी अपने ड्रोवेर में रख रहे थे।मेरे पैर सीधा नानाजी के कमरे की ओर बढ़ गए।फ़ाइल अभीतक वही थी मतलब बड़े मामा ने अभीतक नाना के प्रायवेट ड्रोवेर को हाथ नही लगाया था।मैन पूरी फाइल पढ़ ली उसमे 2 लोगो के नाम थे।मैंने फ़ाइल लिया और इंस्पेक्टर को कॉल किया।करीब आधे घंटे में पोलिस की गाड़ी मेरे आफिस आई।मैंने सारी कहानी उनको बता दी,और हम उन गद्दार हमलावरो को गिरफ्तार करने निकल गए।

हमारी अपेक्षा अनुसार वो वही थे जहा का मुझे अनुमान था बस 1 कम थे।एक पिताजी जो इस दुनिया में नही रहे।

पोलिस पहले अंदर घुसी

इंस्पेक्टर:मिस्टर शाम सिंह (बड़े चाचा)आपको विजय सिंह(पिता जी) के खून और शामलदास जी(नानाजी) के ऊपर हमला करने के आरोप में गिरफ्तार किया जाता है।

चाची:साब आप क्या कह रहे हो ,मेरे पति अइसा नही कर सकते।आपको कुछ गलतफहमी हो गयी है।

मुझे बहोत अजीब फील हो रहा था तब भी मैं अंदर गया।मुझे देख चाची मेरे पास आयी।

चाची:अच्छा हो गया वीरु तू आ गया।देख ये लोग क्या कह रहे है।इनको बतव.....!!

मै:चाची ये लोग सही कह रहे है।

चाची गुस्सा गयी:क्या बकवास कर रहे हो।

अम्मा:तुम्हे शर्म नही आती अपने चाचा को पुलिस के हवाले करते हुए।

मै:मुझे कोई मजा नही आ रहा इन्होंने करतुते ही अइसी की है और उसके सबूत भी पुलिस के पास है।

चाची:कैसे सबूत और कैसी करतूत,साफ साफ बता।

मैं:सुनो तो अभी।

"चाची आपको मालूम है या नही मालूम नही पर मै चाचा के पहले बीवी का बेटा हु।आपके पास से दहेज मिलेगा इसकी वजह से चाचा ने मुझे अपने भाई को गोद दिया,क्योकि मा को पुत्रप्राप्ति नही हो सकती थी।पिताजी को मालूम था की नाना उनकी जायदाद अपने पोते या पोती को देंगे उनको या मा को नही,और मा को संतान नही हुई तो इनको जायदाद नही मिलेगी।इसलिए उन्होंने भी मुझे गोद लिया।10 वी में जब मेरे 18 साल पूरे हुए(कुछ साल पढ़ाई छूटी थी इसलिए )तब पिताजी नाना से मिले उन्होंने मेरे जायदाद की मांग की वैसे दस्तावेज भी बना लिए ।उसमे मेरे वारिसदार ये दोनो थे,मेरे मरने के बाद जायदाद इन दोनो को मिलने वाली थी।लौटते वक्त चाचा ने पिताजी को दारू पिलाई,कर ब्रेक फेल किया।काम के बहाने बीच रास्ते में उतर गए।नशे की वजह से गाड़ी का हादसा हुआ और पिताजी की मौत हो गयी।पर चाचा जो स्कार्फ़ गले में अटकाते थे,जो उनके ही कम्पनी का था वो उतरते वक्त गले से दरवाजे में अटका।और पुलिस को तहकीकात में मिला।लोगो जल गया तो उसका पता उस समय नही लगा।जिस वक्त नाना जी घर आये और मा को लेके गए।तबसे रोज चाचा नाना को जाके उस दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने को कहते।इसलिए वो ज्यादातर बाहर रहते थे घर से।


जिसदिन जायदाद का बटवारा हुआ उस दिन चाचा को मालूम पड़ा की जो कागजाद उन्होंने दिए है उसके हिसाब से नाना ने बटवारा नही किया।उसमें तो मा का भी नाम नही था।चाचा को गुस्सा आया।पर उनके पास सही समय नही था।जिसदिन मेरे मौत कि बात सुनी।वो नाना को और एक मौका देन चाहते थे की कैसे वैसे जो भी जायदाद मेरे नाम हुई वो उनके नाम करदे।पर नाना नही माने तो उन्होंने उनको भी मारने की कोशिश की पर भगवान की दया से वो बच गए।पर एक स्कार्फ जीसमे इनके लगे उंगलियो के निशान,और नाना के नाखून में फसे स्कार्फ जो हतपाई पे नाना ने खींच लिया था ।

सबूत तो यही है।एक ही बनावट के दो स्कार्फ़ एक उंगलियो के निशान के साथ और एक जल गया हुआ,अभी पोलिस ने कॉल रिकॉर्ड भी निकाले।और भी वारदात पे मीले सबूत चाचा को कही न कहि अपराधी साबित करते है।अभी इनको वारण्ट पे लेके जा रहे है।पूछताछ में ये खुदको साबित नही कर पाए तो,सजा हो सकती है।"


चाची:अइसा मत कहो वीरू ,कैसे भी हो चाचा है तेरे,इनको बचा ले ,मैं माफी मांगती हु इनकी तरफ से।

मैं:चाची माफी मत मांगो,पोलिस के पास सबूत है,वॉरंट निकला है,आपके लिये मै बाहर से वकील दे सकता हु।इससे ज्यादा उम्मीद मत करो।

पुलिस चाचा को गिरफ्तार कर लेती है।चाची मुझसे लिपटी रो रही थी।इतना सबूत मैंने खुद आगे आके जमा किया,उनके पति को मेरे वजह से ये देखना पड़ रहा है ये बात दबा के रखी।कुछ भी हो वो मेरे पिता थे इसलिए वकील का बंदोबस्त किया,पर सबूत होने से उनको 14 साल की जेल हो गयी।

नाना अभी ठीक थे पर व्हीलचेयर पे ही रहते थे।चाची और अम्मा को हर महीने पैसे भेजने का प्रबंध किया।मेरे 12 वी का रिजल्ट आया।पास तो होना ही था।और कॉलेज में एडमिशन भी कराया।एक तरफ अपना कंपनी का काम भी संभाल रहा था।बड़े मामा मुझसे खुश थे पर छोटी मामी और मामा का तो बेड़ा गर्क था।

अभी मेरे मन में सवाल ये था की मेरे ऊपर हमला किसने किया?मैंने उस आदमी को पुलिस से मिलवाया।गरीब ट्रक वाला था तो उसको माफी का साक्षीदार बना के कम सजा दिलवाई।मुझे खोज मास्टर माइंड की थी।उस मास्टर माइंड का स्केच तो पोलिस ने बनवाया था पर किसीको पहचान में नही आया।ये तो मालूम पड़ा की छो मामा मामी मास्टरमाइंड नही है।मतलब वो भी किसीके प्यादे है।और कही चाचा भी प्यादा था।ये अभी बड़ी पहेली बन गयी थी।मुझे अभी ध्यान रखना था।कोई अइसा है जो बहोत सालो से हमारे परिवार में खेल खेल रहा है।





Season 4 End here

Disclosure: कहानी में उपयोगित सभी चित्र (photo) एवम चलचित्र(gif or vids)इंटरनेट से संशोधित है।एडमिन और उसकी टीम चाहे तो हटा सकती है।पर बाकी कहानी के अंग रूपरेशा ©MRsexywebee के है।
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Killerpanditji(pandit)

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Season ५ (last season)
◆ माँ का मायका◆
(incest,group, suspens)
(Episode-1)


जिसके सर पर मौत का साया हो वो भला खुश कैसे रहेगा।
अगला एक महीना सिर्फ मै उसी साये को डरे रह रहा था।चारो दिशाओं से मुझे दुश्मन की आहट आ रही थी।कुछ बाते अभी भी पहेली बनी हुई थी।

पहली बात पिताजी इतने पढ़े लिखे नही थे फिर उन्हें इतना सब कुछ किसने बताया।दूसरी चाचा को जहाँतक मै जानता हु,इतना डेरिंग काम करने की उनमे हिम्मत नही है।कोई तो है जो उसे ट्रिगर कर रहा था,उनको प्यादे की तरह इस्तेमाल कर रहा है।

शिवकरण से मैने पूछताछ की तो उसने बोला की उसदिन वो छोटे मामा के साथ बार में था।मामा के कहने पर उसने फोन कट किया था।जहा तक मुझे मालूम था।छोटा मामा जब कोई टेंशन हो तभी शराब या शबाब का सहारा लेता है।पर एक झटके में जायदाद गवाना या उनके ऊपर हमले का इल्जाम आना इस डर से ओ शराब पी रहे हो।मुझे कहि न कहि लग रहा था की छोटे मामि और मामा दोनो वजीर है जो राजा को बचाने के लिए सतरंज पे आढा टेढ़ा घूम रहे है।कहि मेरा ध्यान भटकाने के लिए तो नही।

बहोत दिनों से मैं अकेले अकेले ही घूम रहा था।बहोत दिनों से कम्पनी पर भी पूरा ध्यान नही दिया था।नाना के स्वास्थ ठीक होने के बाद बड़े मामा भी टूर पे गए थे।मा चाची के पास गयी थी।बड़ी मामी नाना जी का सब दवादारू देख रही थी।रवि भैया हर बार की तरह अपने टूर पे निकल गए।छोटी मामी अपने मायके गयी थी।वजह मालूम नही पर छोटे मामा मुझसे दूरी बनाकर थे।

एक दिन करीब 10 बजे खाने के बाद मेरे व्हाट्सएप पर एक मेसेज आया।सिद्धि भाभी का था।उन्होंने एक पता भेजा था।और शाम का समय था।मेरा मन नही था पर भाभी का भी मन नही दुखा सकता था।

दूसरे दिन मैं उस पते पे पहुंच गया।वहां जाके दरवाजे की बेल बजाई।दरवाजा खुला तो सामने सिद्धि भाभी निधि भाभी और विकी भैया थे।घर को निहारा तो अइसे लग रहा था जैसे ये सिद्धि भाभी का मायका हो।ओ विकी का ही एक फ्लेट था जो पार्टी जैसे चीजो के लिए इस्तेमाल होता था।काफी बड़ा था।एक बड़ा हॉल वॉशरूम और एक किचन।जैसे कोई लॉज हो वैसा।

दोनो भाभियां अंदर किचन में गयी।

विकी:आओ वीरू दो पेग लगाता हु।

मै:नही मै नही पिता।

विकी:कम ऑन,चलो ठीक है कोल्ड्रिंक ही सही।

विकी ने एक लुंगी और टी शर्ट दी पहनने को क्योकि आफिस सूट खराब हो जाता।मेरे हाथ कोल्डड्रिंक और उसके हाथ में दारू का पेग,दोनो खिड़की के मेज पर बैठे गप्पे लड़ा रहे थे।

मैं:भैया आज कैसे ये प्लान बनाया अचानक से।

विकी:अरे सिद्धि बोली महीने भर से तुम कुछ सहमेसे परेशान से हो तो सोचा तुम्हारा भी मन बहल जाएगा तो रख दी पार्टी।

गप्पे लड़ाते वक्त दोनो भाभियां खाना लेके आई।मेज पे बैठ खाना खाने लगे।दोनो भाभियां भी पियक्कड़ थी।पर बियर ही।पर आज सबने कम ही पी थी।होश में जरूर थे।

सिद्धि भाभी:क्यो वीरू मेरी जान थोड़ा हस दे,तेरे वजह से ही पार्टी रखी है,तू उकड़ा उकड़ा अच्छा नही लगता।(सिद्धि भाभी ने चुम्मा दिया गाल पे।)

निधि भाभी:सही में यार वीरू तू हँसता हुआ मजाकिया वीरू ही सही लगता है।(निधि ने भी दूसरे गाल पे चुम्मा दिया।)

दोनो किसी भी बात पे तारीफ कर देते और चुम्मी लेते।मै विकी की रिएक्शन देख रहा था।वो नॉर्मल था।मुझेअजरज नही हुआ पर मुझे थोड़ा अजीब फील हुआ।खाना कैसे वैसे खत्म किया और हाथ धोने अंदर किचन की तरफ निकल गया।और हाथ धो दिए।

मेरे पीछे निधि भाभी आयी।हाथ में पेग था।जैसे ही मै पीछे घुमा ,मेरे अचानक घूमने से निधि भाभी का बैलेंस बिघड गया।वो गिरने ही वाली थी की उनको मैंने पकड़ लिया।

उनको सीधा कर के बाहर जाने लगा तो उन्होंने हाथ पकड़ लिया और खुद की ओर खींच लिया।

निधि:मेरी जान अइसे न छोड़ के जाओ,अभी और न तड़पाओ।

निधि मेरे गले लग गयी।वैसे ही गले लगे ही मेरी नजर बाहर गयी।इधर दोनो भाई बहने ओंठो का रसपान कर रही थी।उनको देख मैं और निधि एकदूसरे को देख हंसे।निधि के गाल शर्मा के लाल थे।ओंठ कांप रहे थे।उसने आंखे बन्द की।ये था निमंत्रण ओंठो का रस पिने का।

मैंने मेरे ओंठो को उनके पास लेके गया।दोनो की सांसे शरीर में रोमांच भर रही थी।मेरे ओंठ अभी निधि के ओंठो पर थे।उनको चूस रहे थे।जीभ घुमाकर चांट रहे थे।किचन के ओटे पे बिठा कर उसके कोमल होंठो का मदिरा पान कर रहा था।उसको पूरा नंगा किया खुद भी हो गया।

उसको ओटे पे पैर ऊपर कर पिट के बल सुलाया।उसके पैर फैलाये और चुतमनी को सहलाया।निधि की सिसकारी निकल गयी।मैंने उंगली के चुत के अंदर रगड़ना चालू किया। निधि तिलमिल रहि थी।उसके चुत पर जीभ घुमाई।मुझे उसकी चुत बहोत पसंद थी ।एकदम कोमल,क्योकि विकी सॉफ्ट सेक्स करता था कम देर के लिए और कभी कभी।काफी देर उसकी चुत में कभी उंगली घुसाता रहा तो कभी जीभ डाल के घुमाया उसकी चुत की पंखुड़ियों को चुसा।आवेश में वो झड भी गयी।अभी नशा 3 नो का उतर गया था।

निधि को मैं बेड पे लेके आया।विकी भी सिद्धि को लेके आया।मै और विकी दोनो बेड पे लेट गए।दोनो ने लन्ड चुसना चालू किया।

विकी:अरे वीरू तूने क्या किया जादू मुझे भी बता।ये रंडी लण्ड कबसे चुसने लगी।और तो और चुत भी चटवाती है।

मैं:कुछ खास नही,एकबार थोड़ा कन्विंस करो बाद में खुद राजी हो जाती है।

दोनो भी हमारे ऊपर आ गयी।हमारे ओंठो को चूस रही थी।
निधि काफी सिख गयी थी,चुदाई के बारे में,देखके बहोत सुकून मिला।

मै निधि के चुत पर लण्ड घिस रहा था।उसने अपने चुचे मेरे मुह में दिए ,उसके नोकीले निप्पल्स चुसना मुझे बेहद पसंद था।विकी भी सिद्धि के चुचे चूस रहा था।

निधि ने 69 की पोसिशन पकड़ ली।उसकी चुत मेरे मुह में और मेरा लण्ड उसके।उसकी चुत में जीभ डालके गांड को ऊपर नीचे करने लगा।निधि भी उससे ज्यादा उत्तेजित हो रही थी।

वहां सिद्धि ने अपने चुत में अपने भाई विकी का लण्ड घिसड दिया।मैंने भी ज्यादा देर न करते हुए निधि को भी अपने लण्ड पे बिठाया।दोनो अपनी गांड उठा के चुत में लण्ड पेल रही थी।निधि को मैंने अपनी तरफ नीचे झुकाया और उसकी ओंठो को पीने लगा।उसकी गांड को कस के पकड़े रखा।

वहा विकी सिद्धि के चुचे मसल रहा था।सिद्धि बहोत माहिर थी चुदाई के खेल में ओ गांड जोर जोर से उठा के पटक रही थी।उसके "फटक फटक' की आवाजे आने से वातावरण में चुदासी का माहौल था।

सिद्धि:आआह आआह फक ओ आआह आउच्च आआह चोदो मुझे भैया और जोर से आआह आआह इफ आआह


निधि उतनी माहिर नही थी,इसलिए उसकी गांड को कस के पकड़े रख मैने ही अपने गांड उठा के जोर जोर से उसको पेलना चालू किया।

निधि:आआह फक आआह उम्मम अहह और जोर से चोद वीरू तेरी रंडी को आआह पूरा अंदर डाल बहोत खुजली है अंदर आआह उफ

हर वक्त की तरह विकी और निधि झड गए।सिद्धि और मै बाकी थे।सिद्धि ने निधि को मेरे लण्ड के ऊपर से हटा के लण्ड को जोर जोर से हिलाया।मुह में लेके चुसाई की।जैसे ही ओ थोड़ा सख्त हुआ।उसको अपनी चुत में लगाया और उछलने लगी।मै उसके चुचे नोच मसलने लगा।

सिद्धि:वीरू चोद मुझे साले न उस भड़वे रवि में दम है न ये भाई में आआह तुहि मेरी खुजली मिटा आआह आआह अंदर तकंपेल आआह फक मी हार्ड आआह हायआआह।

सिद्धि बहोत ज्यादा गरमा गयी थी।मैंने उसको अपने सीने से कस के दबाया और नीचे से चुत में लण्ड को पेलने लगा।काफी देर बाद दोनो एकसाथ झड गये।सारा गाढ़ा रस सिद्धि के चुत में।विकी के बाजू में निधि और मेरे बाजू सिद्धि थक के सोई थी।मैं सिद्धि के चुचे सहला रहा था।और सिद्धि मेरा लन्ड।वैसे ही विकी भी निधि के चुचे सहला रहा था और निधि उसका लण्ड।

जब सहलाने से लण्ड सख्त होकर गर्म हो गया मैंने सिद्धि की टांगे ऊपर कर पीछे से उंगली डाल चुत को खुला कराया।फिर अपने लन्ड को अंदर घुसा के पीछे से पेलने लगा।विकी ने भी मेरा ही अनुकरण करते हुए निधि की चुत पेलने लगा।

विकी:याररर वीरू तू तो माहिर है यार,मुझे भी सीखा दिया कर

निधि:वीरू का लण्ड भी बड़ा माहिर है चुदने में बहोत मजे देता है।

सिद्धि:और भैया का...!

निधि:इसका तो उठा नही की गल जाता है,साला

विकी:हां हा तेरे को उसका ही लण्ड पसन्द है न।चुदास मिटा ले जितनी चाही उससे।

सिद्धि:ओए अभी नही अभी तो मै अपनी चुत को उसके लण्ड का स्वाद दूंगी।वीरू चोद तेरी रंडी को आआह।

मैंने उसके चुत में जोर से पेलना चालू किया।

सिद्धि:आआह फक फक फक आआह और फ़ास्ट आआह उफ आआह वीयू पूरा अंदर डाल आआह और जोर से हहोद सालाभड़वा रवि साले रंडी के देख इसे बोलते है चोदना आआह।

मैंने उसके चुचे कस के पकड़ लिए।और चोदने का जोर और बढ़ा दिया।

सिद्धि:आआह और जोर से चुत का भोसड़ा बना दे तेरे आआह रंडी आआह के आआह फक मी आआह और जोर से पेल आआह आआह।

विकी का लण्ड उतना सख्त नही हुआ था की पीछे से निधि को पेल सके।इधर दूसरा राउंड खत्म हुआ था सिद्धि का।

निधि:विकी उधर उनका खत्म भी हुआ पर अभी तक तेरा खड़ा भी नही हुआ।वीरू मेरी चुत की खुजली मिटा दे आआह

मैं:विकी भैया थोड़ा ऊपर हो जाओ।भाभी उनका लण्ड लो मुह में।

विकी थोड़ा ऊपर हो जाता है।वो घोड़ी बन उसके लण्ड को मुह में लेके चुसने लगती है।मैंने लण्ड को थोड़ा सहलाया और चुत में लगा कर चोदने लगा।

निधि:आआह और जोर से वीरू पूरा अंदर डाल।आआह आआह

मै लण्ड अंदर तक घुसा के उनको जोर जोर से चोद रहा था।

निधि:आआह आआह देख भड़वे विकी आआह इसे कहते है चोदना आआह उम्म तेरा लण्ड किसी काम का नही आआह आआह फक अहह आआह उफ आआह

मैंने उसके चुचो को मसलना चालू किया।वो विकी का लण्ड पूरे अंदर तक लेके चूस रही थी।अभी विकी का लण्ड खड़ा हो गया था।अभी विकी खड़ा हो गया और मै विकी की जगह चला गया।विकी ने उसके चुत में लन्ड डाला और उसको चोदना चालू किया।निधि अभी मेरा लन्ड मुह में लिए चूस रही थी।

हमारे खेल और आवाजो से सिद्धि भी फिरसे गर्म हुई।मै थोड़ा नीचे खसक के सोया और सिद्धि ने अपने चुत को मेरे मुह में दे दिया।उसकी चुत एकदम पानिया गयी थी।मैंने सिद्धि के चुत को चाटना चालू किया।वो मेरा सर कस के पकड़े चुत को अंदर तक दबा रही थी।मेरी जीभ मैंने उसके चुत में डाली।अभी उसकि चुत मेरे जीभ से चुद रही थी

विकी ने अपना लण्ड निधि के चुत में झडा दिया।और निधि बेड पे पीठ के बल लेट गयी।सिद्धी ने उसके चुत को चाटना चालू किया।अंदर जो विकी का लन्ड रस था उसे चिसके चाटके खाने लगी।विकी ने लन्ड हिला कर सिद्धि के पीछे से उसके चुत में ठूंसा और चोदने लगा।मैं उठा और निधि के दोनो बाजू पैर रख लण्ड उसके मुह में ठूस दिया ।और मुह चोदने लगा।नीचे सिद्धि उसकी चुत चाटके साफ कर रही थी।जैसे ही मै झडा सारा गाढ़ा रस निधि के मुह में।विकी ने अपनी स्पीड बढ़ा ली।सिद्धि झड गयी थी और विकी भी झड़ने वाला था।उसने जोर लगा के चोदना चालू किया।और आखिर कर झड गया।

हम काफी तक चुके थे।हमने थोड़ा रेस्ट करने का सोचा ।हम नंगे ही लण्ड को सहलाते हुए सोफे पे बैठ गए।दोनो रंडिया कॉफी लेके आयी।निधि ने मुझे कॉफी दी और मेरे लण्ड को चुत में घुसड़ के गोद में बैठ गयी।और सिद्धि भी विकी को कॉफी देके उसका लण्ड चुत में घुसा के उसकी गोद में बैठ गयी।दोनो उनके चुचो को सहलाने लगे।

विकी:यार मेरी बीवी तो तेरी रंडी बन गयी।जबसे तूने उनको चोदा है तबसे मुझे हर चुदाई के वक्त ताना मारती है।

मै:अच्छा अइसा करती हो निधि भाभी।(मैने उसके चुचे को मसल दिया।)

निधि:आआह आ नही तो क्या(दो बार गांड उठा के ऊपर नीचे हुई।)तेरा लन्ड बहोत मस्त है।मुझे लगता है रात भर सिर्फ चुदाई करती राहू।

सिद्धि:ठीक है करती रह,मै विकी भैया के लण्ड से चुदूँगी।

विकी:मैंने सुना है की तू वीरु से बच्चा पैदा करेगी।

सिद्धि:हा तो,उस भड़वे के लण्ड से कुछ निकलता ही नही,और जो निकलता है ओ कुछ काम का है नही।

निधि:विकु तेरे से कुछ नही हो रहा तो मै भी वीरु से बच्चा पैदा करवा लू।

मै:निधि भाभी ये क्या कह रही हो।नही भैया।आप सोचना भी मत।

विकी:अरे वीरू उसमे क्या बड़ी बात तेरे से बच्चा हुआ तो कोई हर्ज नही मुझे।अइसी बात नही की मै बच्चा पैदा नही कर सकता पर एक एक्सपीरिमेंट करते है।डॉक्टर गलत बोल रहा होगा तो निधि को बच्चा हो जाएगा।

निधि ने अभी जोर से उछलना चालू किया।सिद्धि भी उधर विकी भैया से उछल के चुदवा रही थी।

निधि:आआह चोद दे तेरी रंडी को तेरे रस से खुश कर दे आआह आठ उफ आआह आआह आआह और आआह।

मेरा लन्ड उसकी चुत को मेरे गाढ़े रस से भरने तक वो चुदती रही।विकी भी जब झड गया तो सिद्धि ने उठ के मुह में ले लिया।
विकी:अरे झड़ने देती न आआह क्यो भाई का नही सिर्फ वीरु का लेगी।

सारे लोग हसने लगे।रात भर हम चुदाई के खेल में रंग गए।मैं देर रात घर गया।भाभी बता के आयी थी तो वो अगले दिन आने वाली थी।मेरा मुद ठीक करने के लिए मैंने तीनो को शुक्रिया किया।


Disclosure: कहानी में उपयोगित सभी चित्र (photo) एवम चलचित्र(gif or vids)इंटरनेट से संशोधित है।एडमिन और उसकी टीम चाहे तो हटा सकती है।पर बाकी कहानी के अंग रूपरेशा ©MRsexywebee के है।




Nice update bro
 

Killerpanditji(pandit)

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(Episode 2)

मै कम्पनी में गया।बहोत दिन के बाद थोड़ा खुश था।मेरी खुशी देख ऑफिस का स्टाफ भी खुश हुआ।कम्पनी स्टाफ के आधे से ज़्यादा लोग मुझे पसंद करने लगे थे।मेरा काम करने का तरीका ही वैसे था।जितना काम उतना दाम,सबको समान न्याय।

सभी फाइल मेरे सामने पड़ी हुई थी।मै एक एक फाइल देख रहा था।उसमे हाजिरी की फ़ाइल भी थी।उसमे मुझे किसी की कमी दिखाई दी।बलबीर बहोत दिन से गायब था।मैंने दूसरी फ़ाइल ली।उसमे बहोत ज्यादा पैसा कम्पनी से बाहर इन्वेस्ट कर लिया गया था।1 महीने में पूरा कम्पनी का कामकाज ही बदल गया था। मैंने मैनेजमेंट की तत्काल मीटिंग रखी।उसमे सारे के सारे मैनेजमेंट के लोग शामिल थे।बड़े मामा को इस बात का पता करवा दिया।

मैं कॉन्फ्रेंस रूम में जाके बैठ गया।एक एक कर सारे सदस्य जमा हो गए।बड़े मामा और रवि को वीडियो कॉन्फ्रेंस पे लिया था।छोटे मामा भी आये थे क्योकि उनके शेयर मेरे नाम हो गए ये बात अभीतक सबको मालूम नही थी।न मैंने बताई थी न मामा ने।संजू ,छोटी मामी की मा और पिताजी,और एक आदमी।संजू और रवि की तरह स्लिपिंग पार्टनर।

वो:हाई,माय सेल्फ संपत सिंह।(हाथ मिलाते हुए)

मैं:नमस्ते।बैठिए।

सबसे बोलते हुए-हा तो लेडीज़ एंड जेंटलमेन नाना जी के बाद आप लोगो ने हमे काफी साथ दिया कम्पनी के प्रगतिकारक कार्य में हाथ लगाए उसके लिए तहे दिल से शुक्रिया।पर मुझे मालूम हुआ की कई दिनों से कम्पनी घाटे में जा रही है।जो टेंडर हमे मिलने चाहिए वो किसी और को मिल रहे है।और जिसमे हमे कुछ फायदा ही नही है उसमे इन्वेस्टमेंट हो रहा है।बड़े मामा से-बड़े मामा जी आपके परमिशन के बिना ये पॉसिबल है??

बड़े मामा:मुझे इस बात का अभी अभी मालूम पड़ा,बीच में पिताजी और तुम्हारे हुए हादसे में थोड़े व्यस्त थे उन दिनों में ये कांड हुआ है।

मै बाकी ओ को:आज से बिना मेरे वेरिफिकेशन के फाइल मामा जी के पास नही जाएगी।वो बाकी बड़े जिम्मेदारी ओ को संभाल रहे है।तो पहले कोई भी बात हो मेरे पास आनी चाहिए।क्यो मामा जी सही न?

बड़े मामा:ठीक कहा तुमने 2 बार काम को वेरीफाई करेंगे तो नजर बनी रहेंगी कामकाज पे,इस प्रस्ताव को मेरी अनुमति है।

मैं:तो इस बात को सभी की अनुमति है अइसा मै समझ लेता हु और ये मीटिंग खत्म होती है यही पे,शुक्रिया आप लोगो का आने के लिए।

मीटिंग खत्म होने के बाद सब लोग निकल जाते है।मै मेरे केबिन में जाता हु।उसके कुछ मिनिट के बाद ही मुझे छोटी मामी का कॉल आता है।

छो मामी:ये क्या हरकत है वीरू,ये तुम सही नही किये।

मै चौक कर:कौनसी बात ,क्या सही नही किये।

छोटी मामी:मेरे पति को मिले शेयर्स तुमने कैसे हतिया लिए,ये सरासर गलत बात है।

मै:मामी जी थोड़ा रुकिए भावनाओ को काबू में कीजिये।आपके पतिदेव ने खुद अपने हाथो से पूरे होश के साथ हस्ताक्षर दिए है।चाहिए तो आपको दिखा देता हु।

छोटी मामी:ठीक है,मैं ठीक 1 घण्टे के बाद फार्म हाउस में मिलती हु,मुझे मेरी जायदाद चाहिए।

बात ये थी की अभी हर एक काम में मेरा वेरिफिकेशन लगने वाला था तो किसी को भी बिना किसी ठोस कारण के पैसे नही मिलने वाले थे।जब इसका विरोध जताने की योजना बनी तो उनको मालूम पड़ा की मामा के हिस्से की जायदाद निकल चुकी है।ये बात मा ने बेटी को बोल दी क्योकि दामाद नाकारा था।और उसी नाकारे दामाद की वजह से उसको अपनी हवस नही मिटाने को मिलनेवाली थी।

मुझे शिवकरण पे भरोसा नही था।इसलिए मै अकेले ही गाड़ी लेके चला गया।मामी मेरे पहले ही वहाँ पहोंच गयी थी।

मैं ऊपर वाले कमरे में गया।मामी हर बार जिस जगह को चुनती है उसी कमरे में चला गया।

मामी:वीरू ये क्या चल रहा है,ओ कागजाद मुझे दे दो,तुम सही नही कर रहे।

मैं:क्या सही क्या गलत आप के मुह से शोभा नही देता,आप इतनी नीच हो की जायदाद के लिए मुझे छोड़ो खुद के बाप जैसे नाना को मारना चाहा तुमने,तू सिखाएगी मुझे अच्छा बुरा।

मामी:पहली बात तो तू तड़ाक मत कर और पिताजी को मैंने मारने की कोशिश नही की।तेरे छोटे मामा हो सकते है,अइसे काम उन्हें ही सूझते है।

मैं:पर वो काम तो आपके इशारों पे करते है। और तुमसे तू तड़ाक में ही बात होगी तेरी वही औकात है।

मामी ने आगे आके एक झांपड मारा"नालायक"

मै हस्ते हुए:अरे मार ले।अभी तू भूल गयी की तेरे फड़फड़ाने वाले पंख मेरे हाथ में है।

मामी थोड़ी सहमी:देख वीरू ये सही बात नही है।तुम सही से कागजात नही दोगे तो बुरा होगा,देख लेना

मैं:और क्या बुरा होना बाकी है री,मौत के दरवाजे से आया हु यहाँ।अभी किसी के बाप का डर नही।अभी डरना तुम लोगो को है।अभी बारी तुम लोगो की है ।

मामी:मतलब तू अइसे नही मानेगा।बोल क्या चाहिए तुझे।

मैं:वही जो एक मर्द को चाहिए रहता है,देखता हु उसपे दिल बहल गया तो दे दूंगा।

मामी:क्या मतलब है तुम्हारा,तुम होश में हो,ये मुमकिन नही।

मैं:तो आपको कागजाद देना भी मुझे मुश्किल लग रहा है,क्यो शिला!??

उनका नाम मेरे मुह से सुन मामी तिलमिला गयी।पर उनके हाथ बंधे थे।

मामी:ठीक है पर वादा करो तुम मुझे मेरी जायदाद वापस दोगे,बिना कुसी शर्त।

मै:हा किया वादा।चलो घर पे फोन लगा के बहाना बनाओ की तुम अपनी मा के घर रुकने वाली हो रात भर।

मामी:रात भर क्यो?

मै:अरे तुझे मालूम नही।तेरी चुत की कुटाई रातभर होगी।

मामी:तुम मजाक कर रहे हो,राइट??

मैं:नही ये सच्चाई है,और वो मानेगी भी आप,जायदाद का लालच जो है।

मामी की बोलती बन्द।जायदाद उनका सबसे बडी कमजोरी थी।क्या करे बचपन से ही पैसों में खेलती आई है।खून में भरा है वो।उन्होंने चुप चाप फोन लगाया,और घर पे जैसे मैंने कहा वैसे बता दिया।

जैसे हो वो पीछे घूमी मैंने उन्हें बाहों में लिया और ओंठो को कस के चूमा।काफी देर ओंठ चुसने के बाद उनको छोड़ा।

मामी:ये क्या बत्तमीजी है।

मैं:लो इसपे दस्तखत कर दो।

मामी ने सब पढ़ लिया:क्या है ये कैसी अनुमति?

मै:अरे उसमे साफ साफ लिखा है मै मेरे भांजे वीरू के साथ मेरे रजामंदी से होश में शाररिक सम्बन्ध प्रस्थापित कर रही हु।

मामी:इसकी क्या जरूरत,मैं तैयार हु।

मै:मैं आप लोगो के ऊपर भरोसा नही कर सकता।तो दस्तखत करो।और साड़ी उतारो।

दस्तखत करने के बाद मामी ने साड़ी उतार दी।अभी वो ब्लाउज और पेटीकोट में थी।मेरे सामने थोड़ी नजर झुकाए खड़ी थी।

मैं:अरे शिला तेरे जैसी घमंडी औरत को नजर झुकाना शोभा नही देता।उठा ले।
(कैसी भी रांड हो नए नवेले पुरुष के सामने लज्जा आएगी ही।)

मैं उनके पास गया।और उनके गोल घूमने लगा।

मैं:अरे वा शिला तेरा बदन तो एकदम धांसू माल है रे।

मामी:वीरू तुम्हारे मा के उम्र की हु,उतना लिहाज रखना।

मैं:मा तो नही हो।तेरी गांड देख(एक फ़टका मार दिया मामी सिसक गयी।)क्या बड़ी और गोल मटोल है।साला किसी का भी लण्ड खड़ा हो जाए।

बोलते बोलते मै अपने लन्ड को पेंट के उपर से मसल रहा था।वो उसको नोटिस की पर नजर घुमा दी।मै उनके सामने गया और ब्लाउज के ऊपर से चुचो पे हाथ घुमाने लगा।दोनो चुचो को हाथ में भर के टटोलने लगा।

मैं:क्या गुब्बारे जैसे चुचे है रंडी तेरे ,इतने बड़े की हाथ में भी नही आ रहे।

मैंने उनके ब्लाउज और ब्रा को उतारा।पीछे खड़े रहके उनके चुचो को मसलने लगा।उनके कानो को मुह में लेके चुसने लगा।मामी खुदको काबू कर रही थी।मैंने उनके चुचो के निप्पल्स को मसला वैसे ही वो "आउच्च आआह"करके सिसक गयी।मै अपना तना लन्ड पूछे से गांड पे घिसने लगा।

उनकी पेटीकोट का नाडा खींचा तो पेटीकोट नीचे गिर गया।मामी ने गुलाबी रंग की पेंटी पहनी थी।उनकी फूली हुई चुत लण्ड को बेहाल कर रही थी।मैन पेंटी के अंदर हाथ डाला।चाची आंख बन्द करके ओंठ चबाते हुऐ सिकारिया ले रही थी।उनकी चुत को मैं मसल के सहलाने लगा।

मैं:हाये मामी तेरी चुत तो पानी छोड़ रही है।क्या मस्त गर्म है याररर।

मामी:साले रंडी की औलाद औरत को सहलाक़े मसल के खुद गर्म करता है लन्ड को गांड पे घिसता है।और कहता है चुत पानी छोड़ रहा है।साले तेरी रंडी मा की गांड में लन्ड डालेगा तो भी वो पानी छोड़ेगी।

मैं:पहले तेरे चुत में तो डाल दु।

चुत में उंगली डाल के अंदर बाहर की और बाहर निकाल के मैंने खुद चुस ली।

मैं:हाये मामी बहोत ही मीठा है।तू इतनी कड़वी और चुत का रस मीठा।गजब हो तुम।

मै चाची को बेड के पास ले जाके बैठा दिया।और मैं खुद नंगा होकर लन्ड को सहलाते हुए उनके सामने खड़ा हुआ।
मामी तो मुह खुला कर के ताकती रही।मैंने उनके ओंठो पर लण्ड रगड़ना चालू किया।और मुह के अंदर घुसाया।ओ कोई साथ नही दे रही थी तो।


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मैंने उनके सिर को पकड़ा और आहिस्ता आहिस्ता आगे पीछे करने लगा।वो कोई रिएक्शन नही दे रही थी।काफी देर तक आहिस्ता करने के पश्चात मैंने उनका मुह चोदने की गति बढ़ाई।उनके मुह से"ओ ओओओ आआह उम्म आआह ओ"।मामी ने मैई कमर कस के पकड़ ली थी।मै झड़ने आया था।मैंने मेरी स्पीड और बढ़ा दी।और पूरा गाढ़ा रस उनकी मुह में छोड़ दिया।

अभी उनको बेड पे लिटाया।उनकी चुत के पास जाके चूमने लगा।उनकी चुत को चाटने लगा।वो अभी पूरी हवस के अधीन हो गयी थी।उन्होंने अपने पैरों में मेरे सिर जो जखड के रखा।चुत काफी लाल गुलाबी थी।मैं चुत के पंखुड़ियों को मुह में लेके उसके लुफ्त उठाने लगा।काफी मजा आ रहा था।चुत के अंदर से जीभ पे आता हुआ सफेद रस जैसे वनीला आईसक्रीम लग रहा था,और उसके जैसा मीठा भी।

मैने उनकी गाड़ को पैरों को पकड़ के ऊपर किया और गांड को चाटने लगा।साली की गांड अभी तक फ्रेश थी।चुत का रस गांड तक आ गया था।वो पूरा चाटके साफ कर दिया।मामी की चुत में आग बढ़ गयी थी पर रंडिया का घमंड था की लन्ड डाल के चुत की खुजली मिटाने की ख्वाइश भी नही बता सकती थी।

पर मुझे उनके चुत से लाव्हा की तरह फसफ़सती रस ने उनके अंदर जलते हुए हवस की सूचना कर दी।मैंने लन्ड को मसल के चुत पे लगाया और धक्का लगा दिया।लन्ड उनकी सहनशीलता से काफी तगड़ा था तो,वो सहन नही कर पाई।

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मामी:आआह आआह अबे रंडी के धीरे से कर छिनाल की पैदाइश आआह फाड़ दी चुत मेरी साले आआह आआह।

मैं:मैं रंडी की औलाद क्या छिनाल साली घर घर जाके चुदास फूक के तू आती है रंडिया तेरी चुत को आज भोसड़ा बना के ही रहूंगा।

मैं पूरे जोर लगा के उसकी चुत चोदने लगा।उनको बहोत दर्द हो रहा था पर साली घमंडी रंडिया पूरी रंडी थी,पेल के ले रही थी।

मामी:मार चुत मेरी भड़वे साले देखती हु तेरे में कितना दम है,आआह आआह जितना चोदना आआह उम्म आउच्च है चोद मेरी चुत बहोत उड़ रहा है तेरा लण्ड देखते है कितनी देर मारता है चुत आआह।

मैंने उनके चुचे कस के पकड़े थोड़ा कमर से उनको ऊपर की तरफ मोड़ा और नीचे झुक कर चुत मारने लगा।

मामी:और जोर से साले रंडवे भड़बे क्या दम नही तेरे में आआह आआह और अंदर मार थोड़ा जोर से आआह

मुझे अइसे महसूस हो रहा था की साली कुत्ति रंडिया घमंड दिखाने के बहाने मजे भी ले रही है।

मै:अरे रंडिया तेरी चुत आज पूरी सूजा न दी तो नाम बदल दु।ले भोसदिवाली कुतिया आज तू पूरी रांड बनेगी बापचोदी बहोत आग है न तेरे में भाईचोदी आज तो तेरी चुत का भोसड़ा बनेगा।

मै अभी पूरा लालम लाल था।मामी कितनी भी बड़ी रांड हो उसकी चुत मेरे तगड़े लन्ड के सामने नही टिक पाई ज्यादा देर।मै पूरी जोर से उसकी चुत ठोक रहा था।चुचे नोच रहा था।
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मामी:आआह वीरू मेरा झड गया आआह धीरे आआह बहोत दुख रहा है आआह अरे भड़वे पूरी फाड़ देगा क्या चुत आआह आआह अम्मा आआह हाये आएहबे रंडी के।

मै उनकी कोई बात नही मान रहा था।जब मेरा पूरा झडा मैं पूरा गाढ़ा रस उनके पूरे शरीर पे फवारे उड़ाते है फैला दिया।


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मामी पूरी निढाल होकर पड़ी थी।उनकी चुत जलन से पूरी लाल हो गयी थी।मै उनको वैसे ही छोड़ा और थोड़ा कॉफी लेके फ्रेश होकर आया।वो गांड ऊपर किये सिस्कारते हुए बेड पे पड़ी थी।गांड को देख फिरसे मेरा लण्ड हरकत करने लगा।

मै मैंने-हा मेरे भाई मुझे भी तेरी भावनाये पता चल रही है मारेंगे जरूर मारेंगे,चल कुछ ढूंढते है,सुखी मारेंगे तो मर जाएगी रंडी।

मैंने बाथरूम मेंसे वैसलीन उठाया और पीछे से जाके उनके गांड को पकड़ा।वो तिलमिलाही थोड़ी दूर हटी ।मैन फिरसे गांड को पकड़ा और थोड़ा फैलाया।वैसलीन उसकी गांड पे लगाया।
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मामी:वीरू नही,तेरा लण्ड बहोत तगड़ा है मै नही सहन कर पाऊंगी,प्लीज् वीरू तू बाकी कुछ भी कर गांड मत मार आआह।

पर मै सुनने के हालात में नही था।मैंने उसको पलट के घोड़ी बनाया अपने लन्ड को वैसलीन लगा के गांड की छेद पे टिकाया और धक्का दिया।

मामी:आआआआह अमा!!!!!!!!!आआह वीरू निकल आआह बहोत दर्द हो रहा थ हाआआआआ वीयू गांड फट गयी मेरी आआह प्लीज निकाल आआह।आआह मर गयी आआह।(उनके आंखों से पानी आने लगा।)

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मैं थोड़ी देर रुक फिरसे पूरी जोरोसे गांड पेलना चालू किया।

मामी पहले"आआह वीयू धीरे आआह गांड फट गयी आआह वीरू प्लीज निकाल आआह"करते हुए चिल्लाती रही पर उनको भी महसूस हुआ की अभी मैं मनाने वाला नही ये जान के वो चुप चाप गद्दे में मुह डालके धक्के सहन करने लगी।अभी उनका शरीर निढाल हो रहा था।मुझे लगा की कहि कुछ हो न जाए मैंने लन्ड को बाहर निकाला।पर मेरा लण्ड काफी जोष में था उसे पानी छोडने तक चैन नही मिलने वाला था।

मैंने मामी को बाहों में लिया आगे से अपना लण्ड चुत में डाला और उनको चोदने लगा।उनके ओंठो को चुसने लगा।

मामी:आआह आआह वीरू धीरे आआह मर जाऊंगी आआह आ हए हाहा

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उनकी पूरी चुत लालम लाल हो गयी थी।चुचे नोचने से लाल रेशाये आयी थी।ओंठो को नोच चूस काट के चुसने से वो भी लाल हो गए थे।मामी का पूरा अंग मेरे लण्ड के रस से भरा था।

मैंने उनको गोदी में उठाया और बाथरूम लेके गया।शॉवर चालू किया और बेसिंग साइड चिपका कर खड़ा किया।उनके पूरे शरीर पर शैम्पू छोड़ दिया।उनके बाल से उनके मुह तकसे चुत से पैर तक।उनके सॉफ्ट ओंठो के पंखुडियो को धीरे से चुम चूसता हुआ नीचे चुचो तक आया।फिर उनके चुचे बारी बारी मुह में लेके चुसने लगा।उनकी चुत पर शैम्पू से ही मसलने लगा।उनके मुह से सिस्की निकली।क्योकि बहोत लाल हो गई थी उसके जलन से उनको दर्द हुआ।

मै नीचे बैठा उनकी चुत में जीभ डाली और घुमाने लगा।चुत की चारो ओर से शैम्पू निकाल चाटने लगा।उनके चुत से गर्म खट्टा मीठा रस का टेस्ट आने लगा।ओ फिरसे गर्म हो गयी थी।

उनको बेसिंग को चिपका के उनके चुत में लण्ड डाला थोड़ा पैर ऊपर कर चुत को पेलने लगा।

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मामी:आआह वीरू चोद भडवे पूरी चुत का भोसड़ा बना दिया बहनचोद साले आआह चोद आज पूरा कबाड़ा बना के छोड़ेगा।

मैं:अरे रंडी छिनाल साली तू है ही चुत चुदासी बापचोदी तेरी चुत में अभीतक अइसा लण्ड नही गया नही तो बेटाचोदी तू तो अस्सली रंडी खाने में चुत मरवा रही होती।आज से तेरी चुत ज्यादा खुजली नही देगी

रात मामी की चुत का भोसड़ा बनाया।सुबह तक उनकी हालात बहोत खराब थी पूरे पैर फैला कर चल रही थी।मैंने जेक शारदा को बुलाया।शारदा ने उसको मलम वैगरा लगाया।तब तक मै आफिस निकल गया।

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(Episode 3)

दोपहर को बड़ी मामी का कॉल आया,उन्होंने घर जल्द से जल्द घर आने को बोला।मैं तो घबरा गया।मैं कैसे वैसे घर पहोंच गया। पर जैसे सोच रखा था उतना भयानक नही था पर थोड़ा अजीब जरूर था।सब लोग नाना जी के कमरे में थे।बेड पे नाना ,बाजू में बड़ी मामी,मा,सिद्धि भाभी,बाजू खड़े रवि भैया और बड़े मामा भी थे।

नाना जी:आ गए वीरू,तुमसे एक जरूरी बातचीत करनी थी हमे।

मैं:जी बोलिये नाना जी।

नानाजी:अभी संजू बड़ी हो गई है।हमारे यह लाड़ प्यार से बड़ी हुई है,उसको दुनिया का कोई ज्ञान नही।तो मैं ये सोच रहा था की उसकी शादी की जाए।

मै:अच्छा विचार है,लड़का कौन है?

नानाजी:वो क्या है की मेरी अइसी इच्छा है की तुम ही उससे शादी करलो।

मैं(नाटक करते हुए):क्या मै!??मगर...!!

बड़ी मामी:देख लल्ला हमने बेटी को बड़े लाड़ प्यार से पाला है,उसकी जुदाई बर्दाश्त नही होगी मुझसे।तू भी हमारे भरोसे का है।तुझसे शादी करेगी तो यही हमारे साथ रहेगी।

मैं:वो सही है पर बड़े मामा...!!??

बड़े मामा:अरे वीरू मैं क्यों भला मना करूँगा।तुम जैसा होनहार दामाद को कौन मना करेगा।और हा कल से शादी तक ऑफिस मै संभाल लूंगा।तुम शादी तक घर पे रहना,कहि जाना नही।


मा:अभी तू ज्यादा मत सोच ,मुझे भी संजू स्वीकार है बहु के रूप में।

मैं:ठीक है अगर आप कहते है तो मैं तैयार हु पर संजू दी का क्या जवाब है इसपर।

सिद्धि:जाओ उसको ही जाके पूछ लो,मनाओ अपनी होने वाली बीवी को।


सब लोग हसने लगे।मुझे भी शर्म आने लगी।मै ऊपर संजू के कमरे में चला गया।उनका दरवाजा खुला था।और वो बाल्कनी में नाखून चबा रही थी।लगता है वो इन इंतजार में थी की नीचे क्या फैसला होगा। बड़े मामी ने अच्छी योजना बनाई थी।और उसमे मेरे अच्छे बर्ताव की और सहायता हुई।बड़े मामा तो वैसे भी तैयार होते क्योकि 10 % जो संजू के है वो उनके पास ही रहने वाले थे औ मेरे 20% भी दामाद की हैसियत से उनके कब्जे में ही रहने वाले थे।

मैं संजू के पास गया।मेरे आहट से संजू घूम गयी।और मेरे तरफ घूर कर देख रही थी।उसके कान फैसला सुनने को बेकरार थे।
मैं उनके सामने गया।जाते जाते मेज पर रखा गुलाब उठा लिया।उसके सामने जाके खड़ा हुआ।संजू मुझे बड़े बेकरारी वाली नजरो से घुरि जा रही थी।

मैं उसके सामने घुटनो पे बैठा।

मै:मिस संजू क्या आप मेरी जीवन साथी बनना पसन्द करेगी?(गुलाब उनके सामने कर दिया।)

संजू की आंखे चौड़ी हो गयी।उसने मुह पे हाथ रखा और उछलते हुए रोने लगी।।मै उठ खड़ा हुआ।

मैं:अरे क्या हुआ रो क्यों रहे हो,नही करनी शादी मुझसे।ठीक है।

मैं पीछे घूमने ही वाला था की उसने मेरे ऊपर छलांग लगाई और मेरे ऊपर चढ़ गले मिल गयी।मेरे चेहरे पर चूमने लगी।थोड़ी गर्माहट हुई तो हमारे ओंठ एकदूसरे को मिल गए।काफी देर तक ओंठ की चुसाई में समय का पता ही नही चला।

सिद्धि भाभी:हु ह्म्म्म!!!!

सिद्धि भाभी के आवाज से हम अलग हो गए।मैंने गलती से दरवाजा खुला छोड़ा था।

सिद्धि:क्यो जनाब शादी के बाद के लिए कुछ रखोगे या नही।

संजू:आपको क्या करना है उससे,होने वाला हो या हो चुका हो आखिर पति ही है मेरा,हम कुछ भी करले।आप अपने हो चुके पति के पास जाओ न।

सिद्धि:अरे मेरे हो चुके पति से कुछ नही होता,मुझे तेरे होने वाले पति से ही ज्यादा मजा आता है।

संजू:मेरा पति है ही दमदार।तुम चिंता मत करो भाभी,जब जरूरत पड़े तब इसके साथ मजे करना।मुझे कोई आपत्ति नही।

सिद्धि थोड़ी इमोशनल हो गयी।उसने संजू को गले लगाया।

सिद्धि:थैंक यु संजू।

तभी संजू को बड़ी मामी बुला लेती है।

संजू:ठीक है मैं अभी चलती हु।

मै:कहा चली...!!

संजू:अरे वो मा बोली थी की अगले हप्ते ही शादी करवाएंगे,बाद में 1 साल तक कोई मुहूर्त नही है।तो चाची और मा के साथ शॉपिंग जा रही हु।तुम आ रहे हो?

सिद्धि:नही तुम जाओ मेरे और रवि के साथ शॉपिंग कर लेगा।

संजू वहाँ से चली जाती है।सिद्धि भाभी मुझे हाथ को पकड़ के अपने कमरे में लेके जाती है।रूम में रवि लेपटॉप पर कुछ काम कर रहा था।

रवि:अरे दुल्हेराजा आओ पधारो।

मैं:क्या भैया आप भी।

सिद्धि:अरे दूल्हे ही हो अगले हप्ते तक।अगला हप्ता भी किधर गिन के 5 दिन बचे है।

मैं:फिर भी ।

रवि:फिर भी क्या,बड़े हो गए हो अभी,और मेरे बच्चे के बाप भी।

सिद्धी:रवि.....!!!!!

रवि:अरे अभी तक नही हुई हो,पर हो जाओगी न।शुक्रिया तो कहने दो।

मैं:भैया मैं कुछ समझ नही रहा हु।सिद्धि भाभी ये भैया किस बारे में बता रहे है।

रवि:अरे तुम डरो मत,तुम्हे ताना नही मार रहा हु,सच में दिल से शुक्रिया कह रहा हु,मा के तानों से छुटकारा मिल जाएगा।

सिद्धि:वीरू तुम परेशान मत हो,एक न एक दिन बताना था,आज ही बता दिया,नही तो ये घर कब रहता है।

रवि:अभी क्या वीरू है तेरी गर्मी को शांत करने के लिए।

मैं:भैया क्या बात कर रहे हो।नही...!!!

सिद्धि रवि से:मतलब तुमसे कुछ नही होगा।

रवि:मैंने अइसा तो नही कहा।पर कोई एतराज भी नही है।

सिद्धि:वीरू इधर आ बेड पर।

मैं उन दोनो के साथ बेड पे आया।सिद्धि भाभी अचानक मेरे पास आयी और मेरे ओंठो को चुसने लगी।
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रवि:अरे इतनी क्या जल्दी है ,आराम से।

मैं तो दंग रह गया।क्या चल क्या रहा है,भैया मेरे से 2 हाथ दूरी पर थे।उनके 2 हाथ दूरी पर उसकी पत्नी एक अजनबी तो उसके बुआ का बेटा है उसके साथ रंगरंगिया मना रही है।पर उसको उसका कुछ फर्क नही था।

भाभी ने अपने कपड़े फटाफट उतार फेंके।मुझे भी उतारने को बोली।मै रवि भैया के पास देखने लगा।तो उन्होंने आंखों से ही इशारा किया की "भाई तुम लगे रहो,मुझे कुछ अयतराज नही है"।वो वह से उठके जाने लगे।

सिद्धि:तुम किधर जा रहे हो।रुको इधर ही बैठो।आज तेरी बीवी को रंडी की तरह चोदते देख।और सिख कुछ,कैज़ चोदते है।

रवि और मैं एक दूसरे की ओर देखने लगे।मैं कुछ करने से ही पहले सिद्धि भाभी ने मुझे बेड पे लिटाया।और मेरा लण्ड चुसने लगी।

सिद्धि:हाये क्या लण्ड है वीरू तेरा।एकदम लोहा,मुह में भी मजा देता है और चुत में भी।आआह उम्मम म।

सिद्धि भाभी एकदम जोश में थी उसने ज्यादा देर न गवाते जैसे ही लण्ड तन के खड़ा हुआ।वो मेरे लण्ड पे बैठ गयी।
नीचे झुक कर मुझे किस करने लगी।मै उसके चुचे दबा रहा था।ओ अभी गांड ऊपर नीचे करके चुदने लगी।
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सिद्धि:आआह आआह आआह आआह,वीरू क्या लण्ड है तेरा जैसे ही चुत में घुस आंनद आ गया आआह आआह।

सिद्धि भाभी थोड़ी थक गयी ।मैं उनको नीचे लिया और उनके ऊपर रह के धक्के देने लगा।

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सिद्धि:आआह जोर से आआह वीरू जोर से

मैंने अपना स्पीड बढ़ाया।

सिद्धि:आआह वीरू आआह आआह भड़वे रवि देख आआह आआह इसे कहते है चोदना आआह आआह वीरू और अंदर घुसा बहोत खुजली है चुत में आआह आह।

मेरे सामने सिद्धि की गाली दी हुई रवि को बर्दाश्त नही हुई।उसने अपना काम छोड़ा और पेंट निकाल के उसके मुह में लण्ड ठूस दिया।

रवि:मै भड़वा क्या तू साली रंडी है ...मसाला भी डाल दु तो भी रंडिया तेरी खुजली नही मिटेगी।ले चूस लण्ड।
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मैंने जोरदार धक्के देना चालू किया।रवि आया बड़े थाट से पर 15 मिनट में ही उसके मुह में झड गया।मैंने भी अपना सारा पानी सिद्धि के चुत में झाडके बाजू हुआ।

सिद्धि:अरे भड़वे तुझे भड़वा इसीलिए बोलती हु भोसडीके उसका देख चुसने के बाद भी आधे घंटे चुदाई करता रहा तेरा 15 मिनिट नही हुआ,झड गया।

शाम को सिद्धि मै रवि भैया और मा अपनी शॉपिंग के लिए निकल गए।
Nice update bro
 

Killerpanditji(pandit)

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(Episode 4)

तीसरे दिन हमारी इंगेजमेंट हुई।सारे घर के ही लोग थे।उसमे मुझे कम्पनी पार्टनर संपतसिंह भी दिखे।बात अजीब नही थी।पर वो काफी घुल मिल गए थे जैसे वो रिश्तेदार हो।
मुझे कुछ शक सा हुआ।मैंने नाना जी से पूछ लिया।

नाना:अरे वो शिला के बड़े चाचा है।शादी होने तक यही रुकेंगे।

अच्छा तो ये छोटी मामी का चाचा है।इसका मतलब ये वो मास्टर माइंड हो सकता है।पर मुझे पूरा भरोसा नही था उस बात पे।जैसे ही एंगेजमेन्ट खत्म हुई छोटे मामा को लेकर संपत सिंह किधर तो चले गए।छोटी मामी उनके मा के साथ रूम में गयी।बड़ी मामी मा ,संजू,सिद्धि और बड़ी मामी के घरवाले संजू की अगली तैयारी रस्म में जुड़ गए।शादी ज्यादा शोर शराबा शानो शौकत में नही करनी थी ,क्योकि बड़े मामा को वैसा पसन्द नही था।बड़ी अजीब बात है,एकलौति बेटी की शादी अइसे कोई करता है भला।लगता है वो बेटी होने से ही खुश नही थे।नाना और बड़े मामा नाना के कमरे में बातचीत में लग गए।

मैं अपने कमरे में कपड़े उतारने गया।इतने भारी कपड़े पहनने की आदत नही थी मुझे तो मै अपने रोजाना कपड़े पहन लिया।तभी मुझे छोटे मामी ने अपने कमरे में बुलाया।

मैं अंदर गया।

छोटी मामी:वीरू मैंने तुम्हारी बाते मान ली थी अभी मेरे कागजाद दो।

मैं:कौनसे कागजाद??

मामी:देख अभी धोखाधड़ी मत कर,हममे एक डील हुई थी की तुम मेरे जायदाद के पेपर मुझे लौटा दोगे।

मैं:हा हुई थी।पर आपके पेपर्स की।और आपके नाम पे कोई जायदाद या कागजाद नही है।डील के पेपर पर भी वही लिखा था और अपने हस्ताक्षर भी दिए थे।

मामी गुस्से में मुझे थप्पड़ जड़ दी।मुझे भी गुस्सा आया।

मैं:बहोत घमंड है आपमे अभी देखता हु कैसे जायदाद मिलती हैं आपको।

मैं जाने के लिए घुमा तभी छोटी मा की मा सविता ने मुझे रुकाया।

सविता:रुको बेटा,मै माफी मांगती हु इसकी तरफ से,मेरी बात सुनो।

मैं:आप को उससे क्या?अभी थप्पड़ की सजा इनको मिलेगी जरूर।जायदाद का एक इंच भी नही दूंगा ।ये थप्पड़ बहोत भारी आपकी बेटिपर।

(मै वहाँ से निकलने लगा।उन्होंने मुझे हाथ पकड़ के रोका।)

सविता:सुनो बेटा नाराज क्यो होते हो।मसले का हल निकाल लेते है।तुम कहोगे वो करेंगे पर अभी जो तेरे पास दामादजी के जायदाद के कागज है उनको लौटना हिग।मंजूर!!!

मैं कुछ देर सोचा।मुझे लगा वैसे भी इनकी जायदाद का मुझे कुछ लेना है नही।मामाजी के कम्पनी कर्जे को जमा करदु तो वैसे भी उनके नाम की आधी जायदाद चली जाएगी।

मैं:ठीक है।ऊपर के टेरेस वाले कमरे में जाओ मै आया।

दोनो ने कुछ सोच कर वहाँ निकल गयी।मैं कुछ देर बाद वह पहुचा मेरे हाथ में बोतल थी।वही ट्रुथ और डेयर वाली।

सविता:ये क्या है?

मैं:ट्रुथ और डेयर।पर खेल थोड़ा अलग है।इसमे डेयर ही होगा।जिसके पास मुह गया उसको मैं डेयर दूंगा और उसे ओ करना पड़ेगा।

छोटी मामी मना करने ही वाली थी की सविता ने उसे रोका

सविता:ठीक है,चलो चालू करो।

ये हो क्या रहा था।ये सविता इतनी कॉन्फिडेंस से सब मंजूर कर रही है।कहि कुछ पक तो नही रहा यहा।वीरू बीटा चौकना रहना।अपने कम दुश्मन ज्यादा है यहाँ।दोनो को नीचे बिठाया और बोतल घूमी।

बारी छोटी मामी की।

मैं:एक कस के अपनी मा की गाल में लगाओ।

मामी:ये क्या बेहूदा पन है।मैई अइसा कुछ नही करूंगी।

मैं:करना तो पड़ेगा।रूल इस रूल।

सविता:शिला कोई बात नही।आज का दिन उसका है।

मामी ने कस के अपनी मा के कान के नीचे लगाई।

बोतल घुमा बारी सविता पे आई

मैं:आँटी सेम डेयर आपका।लगाओ कसके बेटी को

सविता ने भी कसके मामी को झांपड लगा दिया।

मैं:पता चला जब कान के नीचे पड़ती है तब कैसा लगता है।

अभी बोतल सविता के ही पास।

मैं:चलो आंटी ब्रा और पेंटी छोड़ के बाकी कपड़े उतारो।

मामी:वीरू अभी हद हो गयी।वो मा है मेरी।

मैं:मेरी मा को रंडी बनाने के वक्त मजा आया था न।वैसे भी तेरी मा भी उसी लेवल की है।क्यो आँटी जी।

सविता ने जैसे का वैसा कर दिया।अगली बारी मामी की।

मैं:चलो आप भी अपनी माताजी को कम्पनी दो।

दोनो औरते ब्रा पेंटी में मेरे सामने बैठी थी।अगली बोतल मामी को ही आयी।

मैं:अपने बचे कूचे कपड़े उतारो और पीठ के बल सो जाओ।

मैं शॉर्ट उतारा और नंगा होकर उनके पूरे शरीर पे मुत दिया।

अगली बारी सविता पे आयी।

मैं:आँटी अभी मामी का सारा बदन चाटके साफ करो।

अगली बार भी सविता आँटी के पास ही आया।

मै:आँटी अभी आप भी नंगी हो जाओ और बेटी के चुत को चुसो परपानी नही निकलन चाहिए।

सविता आँटी घोड़ी बन कर मामी की चुत चाटने लगी।

सविता की गांड बहोत बड़ी थी और गांड का छेद भी खुला हुआ था।ये तो गांड मरवा चुकी थी।मामी को चरम सिमा पे छोड़ वो बाजू हो गयी।मामी का पूरा शरीर हवस से लाल हो गया।

अगली डेयर मामी पे आयी।

मैं:मामी की अभी यहाँ कुछ होगा पर आपको पानी नही झड़ाना है।अगर झड गया तो आप खेल से बाहर होकर सजा मिलेगी और जायदाद जाएगी वो अलग।

ये बात सुन के सविता आँटी चौक गयी,ये हमला उनको उनके योजना से परे था।वो कुछ बोलना चाहती थी।पर उससे पहले मैंने उनके मुह में लन्ड ठूस दिया।और चोदने लगा।

कितने भी घमंड से भरी हो फिर भी इंसानी शरीर था।अपना धैर्य छोड़ दिया।मामी झड गयी।मैंने लन्ड बाहर निकाला और कपड़े पहन के जाने लगा।

जाते हुए:देखो आँटी एक मौका दिया था,आप खेल हार गयी।तो अभी जायदाद भूल जाओ।

दूसरे दिन औरतो के कुछ रस्म थे तो मैं घूम रहा था बाहर गार्डन में।तभी मक्खन का कॉल आया।

मैं:बोल मक्खन,क्या हुआ।

मक्खन:साब मुझे एक फाइल मिली है।आप कहो तो।

मैं:नही तुम यहाँ मत आओ,मैं आफिस आ जाता हु।

मैं किसी को बिना बताए निकल गया।आफिस में सब सुनसान था।अरे हा आज शनिवार था।मैं आफिस में गया।जैसे ही दरवाजा खोला तो सब बिखरा पड़ा था।मैं अपनी कुर्सी के पास गया तो मेरे पसीने छूटे। नीचे मक्खन गिरा पड़ा था।

मैं उसको उठाने लगा पर बहोत समय निकल गया था।उसने किसी फाइल का जिक्र किया था।मैं उस फाइल को ढूंढने लगा।पर अइसी कोई फाइल नही थी।केबिन का बिखरा समान देख लग रहा था की फाइल कोई लेके गया है।और उसी फाइल ने इसकी जान ली।

मैं मक्खन के कपड़े तलाशने लगा।और नसीब से एक पेनड्राइव उसके जेब में था।वो हाथ में लेके जैसे ही बाहर गया।किसीने गोली चला दी।बाल बाल बच गया।पार्किंग लॉट केबिन से काफी लम्बा था।पर कोई तरीका भी नही था तो मै भागा ।पार्किंग लॉट आने तक पैर के साइड से गोली छू कर निकल गयी थी।मैं कैसे वैसे गाड़ी में बैठा और वह से बाहर निकला।सीधा पोलिस स्टेशन।पोलिस वालो ने मेरे जख्म पर दवाई की।

इंस्पेक्टर:क्या हुआ था।कहा हुआ ये।

मैंने फोन से लेके अभीतक की सारी सच्चाई उनको बया की।उन्होंने एक टीम हमारे आफिस भेजी और मक्खन की लाश बरामद करके वहा से और सबूत की तलाशी ली।

इंस्पेक्टर:वो पेनड्राइव दो,हम देखते है कुछ मिलता है क्या।

मैंने इंस्पेक्टर को वो पेनड्राइव सौंप दी।इंस्पेक्टर ने उनके सहाय्यक को दी और पता करवाने बोला।

मैं घर आया।अभी भी मौहोल सही था।मै फुल पेंट पहनके था तो जख्म की पट्टी दिखाई नही दे रही थी।वो दिन निकल गया।

दूसरे दिन शाम को हल्दी थी और दूसरे दिन शादी।शादी गेस्ट हाउस पर थी।हल्दी की रस्म पूरी हुई।मै नहा के टेरेस पे था।वहाँ बड़ी मामी आयी।

ब मामी:क्यो बेटा अकेले अकेले,खुश नही हो शादी से तो पहले बतव।

मैं:नही मामी अइसी कोई बात नही।

ब मामी:फिर मामी क्यो बोल रहा है सासु मा बोल न

हम दोनो हस दिए।

बड़ी मामी:चल सुबह जल्दी उठना है।शादी है तेरी।ये अलग बात है की शानो शौकत में नहीं हुई ।खैर मेरे पोते के शादी में अपनी इच्छा पूरी कर लुंगी।

मुझे लेके ओ नीचे जाने लगी।तभी मुझे किसीका काल आया मैंने उनको आगे जाने को बोला।कॉल इंस्पेक्टर का था।

मै:जी सर बोलो,कुछ खबर मिली

इंस्पेक्टर:माफ करना इतनी रात गए कॉल किया।बात ये है की मक्खन को गोली मारने से पहले पीटा गया।उसके शरीर पे कुछ उंगलियो के निशान मिले।वो रिकॉर्ड में चेक किया तो कोई 'बलबीर सिंह' है।

मैं:अच्छा बलबीर!!!!

इंस्पेक्टर:आप जानते हो उसे??

मैं:जी वो मेकेनिक प्लम्बर है कम्पनी का।

इंस्पेक्टर:बड़ा बदमाश है,चोरी हाफ मर्डर के केस है।कैसे नोकरी पे रखा क्या मालूम आप लोगो ने।

मै:वो तो नाना जी के टाइम से है।पर वो छोड़ो उस पेनड्राइव का क्या हुआ।

इंस्पेक्टर:उसमे किसी फ़ाइल के पेपर के फोटोज है।आपके नाना के जायदाद के पेपर।आप देखना चाहते हो तो आपके यहाँ भेज देता हु।

मै:ठीक है मैं देखता हु।

इंस्पेक्टर ने मुझे व्हाट्सएप के जरिये वो फ़ोटो भेजे।वो पेपर अलग थे और मेरे हमले के बाद बने थे।मुझे अभी खतरे की घण्टी बजती दिखाई दी।मैंने कुछ सोचा औऱ इंस्पेक्टर को कॉल किया।अभी तो हम दोस्त बन गए थे।मैंने सारा प्लान उनको समझा दिया।कल कुछ जबरदस्त होने वाला था।मेरे शादी को मेरे बर्बादी की योजना बना रहा था कोई।
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(Episode 5)

सुबह हम जल्दी उठ गए थे।छोटी मामी छोड़ बाकीऔरते सुबह ही गेस्ट हाउस पोहोंच गयी थी नाना के साथ।छोटे मामा मामी तो वैसे भी मेरे किसी खुशी में रुचि नही रखते थे।पर मुझे भी उनको तंग करना अच्छा नही लग रहा था।सुबह मैं मामी के कमरे में गया।

मामी:क्या है अभी,क्या चाहिए तुझे।

मै:ये आपके कागजाद!!!!

मामी को कागजाद सौंप दिए और वहा से निकलने लगा।

मामी ने रोका:रुक वीरू!ये क्या कैसे।अचानक!मुझे कुछ विश्वास ही नही हो रहा।

मैं:मामी मुझे आपसे कोई दुश्मनी नही,बस थोड़ा सावधान था तो बर्ताव में बदलाव किया था।कुछ गलत बोला हो तो माफ कर देना।

मामी:अरे नही गलती तो हमसे हुई,हमे तुम्हे जाने बिना बदसलूकी की।

मैं:चलो अभी तो साफ हो गये गिलाशिकवे तो आप अपने रास्ते मैं अपने रास्ते।

मामी:अरे वीरू रुक तो सही।अभी गिलेशिकवे दूर हो गए तो दोस्ती कर ले।

मैं:मैं अयसेही किसीसे दोस्ती नही करता।आपके लिए सोचूंगा फिर कभी।

मामी:अरे तुम बहोत ही बुरा मान गये।चलो आओ बैठो।मैं कुछ तोफा लाती हु।

मै:नही मामी,देर हो जाएगी।सभी लोग गेस्ट हाउस गए है।

मामी:शादी दोपहर 2 बजे है अभी 9 बजे है।बहोत ज्यादा टाइम है।तुम बैठो तो सही ।

मैं बेड पे बैठ गया।और मामी की राह देखने लगा।कुछ देर बाद मामी बाहर आयी।पूरी नंगी।

मैं:मामी ये क्या है।नही ये सब अभी मत करो,इसके लिए ये सही वक्त नही है।

मामी:वीरू इसका कोई वक्त नही होता।(उन्होने चुत को मसला।)जब आग लगे चुदवा लेना चाहिए।तू चोदता बड़ा मस्त है।अबतक थोड़ा ईगो था इसलिए नही तो तेरे से मजे लेके चुदवाने का मन था।

मैं:पर अभी कैसे,ये वक्त नही है ये।बाद में कभी सोचेंगे।

मैं उठ कर जाने लगा।मामी मेरे पास आयी और मुझे बेड पर धककल कर मेरे ऊपर चढ़ गयी।मेरे चेहरे को चूमने लगी।

मामी:अभी तू समय की बात मत कर,अभी सहन नही होगा मुझसे।

मामी ने मेरे कपड़े झट से निकाल फेंके औऱ बेड पर मेरे ऊपर चढ़ के मेरे पूरे शरीर को चाटने लगी।चाटते हुए नीचे लन्ड तक जाके लण्ड को चाटने लगी ऊपर से नीचे अंडों तक।लण्ड के टोपे पर जीभ घुमाने लगी।पूरा लण्ड मुह में लेके चुसने लगी।

फिरसे मेरे ऊपर आयी अपनी चुत को मेरे मुह पर लगा के गांड को आगे पीछे करने लगी।मैन अपनी जीभ उनके चुत में डाल दी थी।वो अभी जीभ से अपनी चुत को चुदवा रही थी।अपने चुचे मसल रही थी।चुत एकदम गर्म हो गयी थी।कुछ पल में ही उन्होंने अपने चुत को झड़ा दिया।

फिर नीचे लण्ड पे बैठ के पूरा लण्ड चुत में लिया"आहाह आहाह" ।गांड उठा के आहिस्ता आहिस्ता चोदने लगी।

मामी:साला कुछ भी हो तू है बड़ा दमदार लौंडा।तेरा लण्ड चुत में घुसते ही चुत तिलमिल जाती है आआह आआह आआह।

मामी ने चुदने का स्पीड बढ़ाया और फिरसे झड गई।वो आगे बढ़ती उससे पहले मै उनको हटाया और बाजू होकर कपड़े पहन लिया।

मैं:मामी बस हो गया।आपकी हवस कभी मिटेगी नही ,पर आज कुछ खास दिन है,आपकी हवस बाद में मिटा दूंगा।


मामी का ये बर्ताव सच में मेरे लिये बड़ा ही पहेली वाला था।क्या छोटी मामी सच में मेरे जान के पीछे नही थी।छोटे मामा तो मुझसे कबसे दूर भागे जा रहे है।मतलब पहलेसे ही इनको मेरे रास्ते में रखा गया था जिससे मेरा ध्यान सही शख्स से भटका रहे।बड़ा गेम खेल लियो रे ये तो।

दोपहर को 1 बजे

हम गेस्ट हाउस पहोंच गए।मेरा द्वार पे स्वागत हुआ।नाचते हुए गेस्ट हाउस के पिछे की तरफ जाना था।मेरे साथ छोटी मामी मा और रवि भैया और भाभी थी।बेंजो वाले आगे थे।पीछे कान्ता और शिवकरण।



मेरी नजर इंस्पेक्टर को ढूंढ रही थी।बेंजो वाले बड़े मजे ले रहे थे मेरे शादी की।
एक बेंजो वाला:साब जी काहे मय्यत वाली शक्ल बनाये हो,खुशियां मनाओ,आज तो शादी है।

इसको क्या मालूम आज मैं दो धार वाली तलवार में चल रहा हु ।आज या तो आर या पार।


आज शादी थी मैरी पर मुझे शोकसभा का अहसास हो रहा था।कल रात जो बाते मुझे मालूम पड़ी वो बहोत भयानक थी।

हम मंडप में गए।थोड़ी रस्मे पार हुई और संजू आ गयी।
आज कमाल लग रही थी।आज उनके प्यार में जान देने का भी मन नही था क्योकि वैसे भी जान के पीछे कोई और था।

संजू मंडप में आयी।सब लोग मंगलाष्टक के लिए खड़े हुए।
हर एक के आंखों में खुशी की लहर थी।ये जानना बहोत कठिन था की वो शादी की है या किसी और बात की।मै सिर्फ इंस्पेक्टर को ढूंढ रहा था।अभी उसके सिवा भरोसेमंद कोई था नही औऱ वही था जो आज मुझे बचा सकता था।

शादी खत्म हुई हम खाना खाने गए।फिर बिदाई तो होनी सी नही रही।पर अभी तक इंस्पेक्टर का कुछ मालूम पता नही था।अरे यार आज तो जान जानी थी।

घर जाने के लिए सब गाड़ी में बैठ गए।मेरे गाड़ी में मैं संजू मा बड़ी मामी और रवि भैया और दूसरे गाड़ी में छोटे मामा मामी भाभी और कान्ता।बाकी लोग तीसरे गाड़ी में।

हमारी गाड़ी बीच में थी और कान्ता वाली हमारे पीछे हमारे आगे बेंजो वाले थे।कुछ आधा कोस दूर रास्ते पर आने के बाद पूरा घना अंधेरा हो गया।और अचानक कहि से एक गाड़ी आयी 5 से 6 लोग उतरे और गोलीबारी चालू हुई।हमलावरों ने शुरवाती निशाना ड्रायविंग सीट मतलब ड्राइवर पर साधा क्योकि उससे गाड़ी या तो रुक जाय यातो पलट जाए।मारना तो सबको ही होगा उनको।इस मनसूबे की वजह से शिवकरण और छोटे मामा पहले शिकार हो गए।

गाड़िया रास्ते के बाजू वाले डगर पर चढ़ के रुक गयी।सारे लोग डर के मारे रो रहे थे चिल्ला रहे थे।इनका निशाना इसबार सिर्फ मैं नही था सारे थे।दो आदमी झट से कहि से आके मेरे गाड़ी का दरवाजा खोला बड़ी मामी को नीचे खींच कर संजू को लेके गया।दो आदमी उन 5 6 लोगो से अलग थे।वो दूसरी गाड़ी से आये थे।

सारा खेल सिर्फ 5 मिनट में घटा।उन लोगो ने फट फट से सारे लोगो को बाहर किया।सारे लोगो के एक किनारे खड़ा किया।हमलावर मास्क पहने थे।

मैं:देखो मुझे मालूम है की आप किसके लिए आये हो।जान मेरी लेनी थी तो उनको क्यो मारा।अभी बस हो गया ।आपको मैं चाहिए तो मै हाजिर हु।इनको छोड़ दो।

बंदे ने अपना मास्क हटाया:अरे चल बे लवड़े,आज सब के गाड़ में गोली मारूंगा।राम नाम सत्य है।

सब लोगो की उसको देख के आंखे घूम गयी।वो बलबीर था।बाकी लोगो ने भी मास्क हटाए।उन लोगो में फैक्टी के ही लोग थे।और वो दोनो सुपरवाइजिंग स्टाफ भी।मतलब मै जहा सेफ महसूस कर रहा था वही मेरे हमलावर थे।पिछला हमला कैसे हुआ इसका पता चल रहा था मुझे।

बलबीर ने मेरे ऊपर गन तानी:बहोत खून में गर्मी है न तेरे।साले आज सब मिट जाएगी।

उसका उंगली ट्रिगर पे दबने वाला था।यहाँ घरवाले पूरा सदमे में और हमलावर सब हस कर मजे ले रहे थे।मैंने आंखे बन्द की।मन ही मन इंस्पेक्टर को गाली देने लगा।फिर एक गोली चली।आंखे खोलने तक 4 5 6 गोलियां बरस गयी।पर फिर भी मैं जिंदा था।किसीने मुझे पीछे धकेला।मैं होश में आया।वो बेंजो वाले थे।

वो शख्स ने मुझे अपना वेश उतारा:क्यो साब जी मजे आये,खुशियां मनाओ,शादी हो गयी है।

मैं:यार पवन जान निकाल दी आपने।मुझे लगा आप फूल चढ़ाने आओगे मय्यत पे।

पवन वही है जो पुलिस में काम करता है और अभी दोस्त भी बना था।जिसकी सुबह से आँखे लगाए राहदेख रहा था।

पवन:अरे देरी करने की बहोत बड़ी वजह है चलो मेरे साथ।बताता हु।

शिवकरण और छोटे मामा तो स्वर्ग सिधार गए।मामी और कान्ता को एकदम से गहरे सदमे में थी।लाशें पोस्टमार्टम को ले जाई गयी।और सारे लोगो को इंस्पेक्टर पवन ने सारी बाते समझा दी।

सब लोग बंगले पर पहुंच गए।औरते बाहर थी।रवि भैया को गोली छू कर गयी थी तो उसे लेकर अस्पताल गए मै और पवन और कुछ हवलदार हमलावर का भेस बनाकर बंगले में गए।बलबीर को गाड़ी में बांध पुलिस ने बंगले को घेर लिया था।

हम घर में घुसे।सामने कुछ लोग खड़े थे।नानाजी,बड़े मामाजी,सुशील(छोटे मामी का बाप)सविता,संपत सिंह और अम्मा।

पवन संपत से:हो गया काम तमाम,अभी क्या हुकुम है।

संपत:और लाशें।

पवन(हमलावरों की भेस में):वो वहां है जहा आप सोच नही सकते।

"वो जिंदा हो गए तो तुम्हारे साथ क्या होगा ये तुम नही सोच सकते।ओ मरने ही चाहिए।"आवाज जानी पहचानी थी पर भरोसा नही हो रहा था की है शख्स इस सब के पीछे हो सकता है।जी जनाब वही मिस्टर शामलदास सिंह ,यानी नानाजी।

बड़े मामा:अभी उनकी जरूरत नही हमे,पुलिस को ओ महज एक एक्सीटेंट लगना चाहिए।

पवन ने अपना भेस हटाया:पर अभी बहोत देर हो गयी है।

अचानक से बलबीर समझ रहे थे वही पवन निकलने से सारे लोग एक दम हड़बड़ा गए।

सुशील:कौन हो तुम,बलबीर कहा है?

पवन:मैं तेरा बाप और तेरा बलबीर को ससुराल भेज दियो हमने।अभी आपकी बारी।

सविता:पु पु पुलिस.........!!!!!

सविता भाभी के पुलिस शब्द से सब चौकना हो गए।संपत ने झट से बंदूक तानी ।सविता उसका पति और नाना जी निकल गए। वह से निकल गए।संपत ने अपने कुछ आदमियो को भी इशारा किया।अभी वह जंग छिड़ गयी थी।गोलीबारी हो रही थी।

पवन ने मुझे कवर करके बोला तुम तुम्हारी बीवी को बचाओ।मैं संभाल लूंगा इनको।मैं ऊपर के कमरे में गुया।संजू के कमरे में।वह सविता नाना जी और सुशील थे।सविता ने चाकू संजू के गर्दन पे रखा था बाकी दोनो गमला लेके खड़े थे।

मैं:सुनो पूरा बंगला पुलिस से घिरा है।तुम लोगो का बचने का चांस नही।अगर संजू को कुछ हो जाएगा तो इंस्पेक्टर दोस्त है मेरा।यही शट आउट साइट करवा दूंगा।

सविता घबराहट से हाथ हटा दी।
नानाजी:अरे पगला गयी है।ये तुम्हे फुसला रहा है।और तुम पुलिस बाहर नही गयी तो संजू को मार देंगे।

मैं चौक कर:नानाजी नातिन है आपकी,ये क्या वाहियात हरकते लगा रखे हो।आप छोड़ो उसे।अपने ही परिवार को मारने को तुले हो।

हम झगड़ रहे थे।तभी रवि भैया के बाल्कनी से कूद के पवन अंदर आया उसने सुशील पर गोली चला दी।गोली पैर के नीचे लगी पर आवाज भारी होने से सविता के हाथ से चाकू गिर गया।नानाजी गमला लेके भाग ही रहे थे ।मैं पवन को मना करने से पहले ही पवन ने गोली चला दी पर बदनसीबी से जो गोली पैर पर लगने वाली तबी वो छाती पे लग गयी क्योकि जब भागते वक्त गोली बचाने नानाजी नीचे झुके उनको मालूम नही था की वो गोली पैर पे चलाएगा उन्होंने छाती का अनुमान लगाया था।एक गोली का झटका और नानाजी स्वर्ग पधार गए।

तभी पीछे से सारे घरवाले। अंदर घुस गए।मा और बड़ी मामी नानजी के पास जाके रोने धोने लग गयी।

मैं पवन से:भाई इंस्पेक्टर जनाब ये माजला क्या है,हम तो पूरे हिल गए है।जो कभी जिंदगी में नही सोचा वो देख रहै है।

पवन:चलो नीचे चलते है।फोरेंसिक को बुलाया है वो अपना काम करेगी यहां बाकी माजला मै समझा दूंगा।
नीचे संपत और उसके साथी मरे पड़े थे और चाचा के पैर पे गोली लगी थी।फोरेंसिक मलम पट्टी कर चुकी थी।उन्हें हतकड़िया से जखड के पुलिस कॉन्स्टेबल खड़ा था।

पवन ने अपनी बात शुरू की।




ब मामि मामा से रोते चिल्लाते:अरे हरामी हमे छोड़ो खुद की सगी बेटी को भी मारने का कैसे मन किया।

वो मामा को मारने दौड़ी पे लेडी कॉन्स्टेबल ने रोका।मा ने मामी को सम्भलके बाजू किया।मैंने पवन को थैंक्स बोला।बाद में आता हु बाकी की करवाई के लिए बोलके अलविदा किया।

अभी पूरे राज खुल गए थे।नाना छोटे मामा शिवकरण अभी इस दुनिया में नही है।बड़े मामा छोटी मामी के माता पिता को अरेस्ट किया गया।अभी उनके ऊपर मुकदमा चलेगा।चाचा भी माफी का साक्षीदार बन गया तो चाची और मेरे बीच भी कोई गीले शिकवे नही रहे।

अभी बचे मैं संजू मा छोटी और बड़ी मामी रवि भैया सिद्धि भाभी और कान्ता।अभी जिंदगी इन्ही लोगो के साथ जिनी थी।उनकी जिम्मेदारी मेरे ऊपर थी।सारे कम्पनी का बोझ मेरे ऊपर आया।बाद में संजू और रवि भैया और सिद्धि भाभी ने भी उसमे भागीदारी लेके साथ दिया।अभी फिलहाल जिंदगी बिना रुकावट चल रही है।


ये "मा का मायका" का पार्ट 1 ।अगला पार्ट दमदार सीजन और जोरदार अपडेट के साथ आ जाएगा जितना जल्दी होगा उतना जल्दी।आपको ये पार्ट कैसे लगा,कोई सुझाव हो तो जरूर बताना

आपका आभारी और शुभचिंतक





:thanks: Completed:topicsuck:
Mind-blowing excellent fabulous jabardast mast story bro
 
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Harshit

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मा का इलाज अभी ठीक तरह से नही हुआ है उसे और खुराक चाहिए है, और छोटी मामी का क्या बनेगा जब अपनी माँ की चुदाई का मालूम चलेगा, अपने हीरो तो पूरा घी की कढ़ाई में है
सही कहा आपने पर कढाई मे घी नही चूत का अमृत है जिस्मे वो नहा रहा है
 
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