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दोस्तों मेरा नाम समीर है और आज मैं अपनी पहली कहानी लिखने जा रहा हु।
जो कि एक पारिवारिक चुदाई संबंधों पर है। आशा करता हु आपको ये कहानी पसंद आएगी।
मैं अपने छोटे से परिवार के साथ एक गांव में रहता हूं जहा हम लोग बहुत खुस रहते है हमारे गांव का नाम ***** है और हमारे गांव में रात को बिजली नही आती।
तो ये है मेरा परिवार।
1)पिता- मोहन उम्र (50)साल ये फ़ौज़ में है हर दो साल में 1 महीने के लिए ही घर आते है।
2)माँ- सविता उम्र(40)साल यह एक गृहणी है जो हमेशा अपनी बुर की आग को ठंडा करने के कुछ न कुछ करती रहती है।
3) दीदी- कंचन उम्र(23) ये एक पुलिस ऑफिसर है पर अभी अभी मिलने अति रहती है ये दिल्ली में है और गुस्सा हमेशा इनकी नाक पर रहता है पर अपने छोटे भाई से बहुत प्यार करती है।
4)समीर यानी मै कहानी की हीरो उम्र(18)साल लन्ड(9इंच) पर अभी तक कोई बुर नही मिली इसीलिए हमेशा चूची और बुर के सपने देखता हूँ।
अब कहानी शुरू करते है।
Update. 1
तो मैं अपने घर आखिरकार वापस जा रहा था क्योंकि मेरी पढ़ाई पूरी हो गई थी में अपने घर 8 साल बाद जा रहा था क्योंकि पिता जी ने मुझे सहर के एक होस्टल में डाल दिया था।
पर अभी अभी में अपनी गांव जाया करता था छुटियो में।
मैंने बस स्टैंड से रात को 9 बजे बस में बैठा और सुबह 7 बजे घर पहुंच गया माँ को इस बात की खबर नही थी कि मै वापस आ रहा हूँ।
मै घर मे धीरे से घुसा माँ रसोई में थी और मैंने माँ को बाहो में भर लिया जिसे माँ चौक गयी।
माँ- कौन है।
मै- मैं हु।
माँ- कौन है छोड़ मुझे तू जानता नही मेरी बेटी पुलिस में है।
में- तो मैं क्या करूँ और मैंने एक चूमि उनके गालो पे दी।
माँ- समीर बेटा।
में- ओह्ह माँ।
और हम गले लग गए और माँ मेरे चेहरे को चूमने लगी और एक छोटी सी पप्पी मेरे होठो पे दी।
माँ- तू कब आया।
मै- बस अभी माँ।
माँ- एक बार बता तो देता बेटा।
मै- बता के आता तो चूमि कैसे मिलती।
ये सुनकर माँ शर्मा गयी।
माँ- तू नाहा ले में खाना बनाती हु।
मै- माँ तुम नहला दो ना।
माँ- हट बदमास।
इतना कहते हुए एक हल्की चपत मेरे गालो पे लगा दी और चली गयी।
उसके बाद मैंने और माँ ने साथ मे खाना खाया और ढेर सारी बाते करी उसके बाद में गाँव मे घूमने निकल गया।
गाँव घूमते हुए मैंने देखा कि एक औरत एक बच्चे को नहला रही थीं ये देखकर मुझे अपने पुराने दिन की याद गये।
बचपन की याद।
मैं अपने बचपन मे अपनी माँ और पापा के साथ ही सोता था और दीदी अपने कमरे में सोती थी जब पापा छुटियों में घर आते थे तो माँ को जमके रात भर चोदते थे में बगल में से सबकुछ देखता था वो सोचते थे कि मै सो रहा हु उस वक़्त मेरी उम्र 18 साल थी मे देखता की कैसे पापा माँ के ऊपर चढ़ के उन्हें चोदते थे माँ उनसे कहती मत करिए जी समीर देख लेगा तो पापा कहते वो अभी बच्चा है।
और जब हर सुबह माँ मुझे नहलाती तो मेरा लन्ड अपने हाथों से साफ करती एक बार मैंने माँ से कहा कि माँ आप पिता जी नुनु मुह में क्यों लेती हो तो वो चौक गयी और कहा कि क्योंकि नुनु चाटने में बहुत मज़ा आता है मैन फिर माँ से कहा मेरा भी नुनु चुसो न माँ तो माँ ने मना कर दिया तो तो जिद करने लगा तो उन्होने कहा ठीक है पर किसी कोबताना मत मैने है कर दी तो माँ मेरे लुंड पे जीभ फिरने लगी मैंने माँ के बाल पकड़ लिए फिर 1 में मै गरम हो गया और माँ भी गरम हो गयी थी तो उन्होने कहा बेटा अब जाओ नुनु चूस दिया ना तो मैं जाने लगा मैंने पलट कर देखा तो माँ अपनी ब्रा उतार रही थी मैंने पहली बार उनकी चुचियो को देख पागल से हो गया और मेरा लन्ड थोड़ा अकड़ गया क्योंकि मैं झड़ा नही था। और फिर माँ फर्श पर लेट कर अपना हाथ पेटिकोट के अंदर दाल कर अपनी बुर सहलाने लगी मुझसे रहा नही गया तो मैं उनके पास गया और उनके ऊपर चढ़ गया जिसे माँ फिर चौक गयी और कहा अरे तू फिर आ गया फिर मैंने कहा कि माँ मेरे नुनु में दर्द हो रहा है इतना कहते ही में धक्के मारने लगा फिर माँ ने कहा धक्के क्यों मार रहा है फिर मैंने कहा अच्छा लग रहा ह माँ और अगला धक्का सीधा उनकी बुर बुर के दाने पे लगा जिसे उनकी सिसकी निकल गयी और फिरमैंने उनका पेटिकोट उठाया और धक्के पे धक्के मारने लगा फिर कुछ देर बाद माँ को भी मज़ा आने लगा और वो मुझसे कहने लगी और जोर से मार मेरे लाल पर उस वक़्त मेरा लन्ड इतना बड़ा नही था जो कि माँ को मैं चोद पाता पर मैं उनकी बुर पर अपना लन्ड घिसता गया और 10 मिनट बाद मेरे लन्ड कुछ बूंद पानी से निकल गया और माँ से कस के चिपक गया और मेरी आह निकल गयी माँ को इस बात का एहसास हो गया था और वो झड़ने लगी आह मेरे लाल कुछ देर बाद मैं उनके बगल मै लेट गया और सास लेने लग़ाफ़िर माँ मेरी ओर पलटी और कहा ये सब कहा से सीखा तूने फिर माँ से कहा कि जब पापा आप पे चढ़ हिलते थे तो मै देखा करता था इस पे माँ हँस पड़ी और कहा उसे हिलना नही कुछ और कहते है मेरे लाल इतना कह कर मेरे होठो पे चूमि दे दी और कहा अब बाहर जा मुझे नहाने दे और हा ये बात किसी से बताना मत मैंने हा कह दिया और बाहर आ गया।
फिर ये सिलसिला रोज का हो गया माँ जब मुझे नहलाती तो उन्हें पटक कर में उनपर चढ़ जाता धक्के मारने लगता माँ भी मुझे नही रोकती क्योंकि पिता जी जाने के बाद ये ही उनका सहारा था और सिर्फ नहाना ही नही यहाँ तक की माँ के साथ मे गुसलखाने में घुस जाता और मैं और माँ खूब मजा करते मगर फिर 2 महीने बाद सब बदल गया जब पिता जी मेरा दाखिल सेहर के हॉस्टल में करवा दिया और मै सहर चला गया और माँ फिर अकेले हो गयी।
To be continued.................
जो कि एक पारिवारिक चुदाई संबंधों पर है। आशा करता हु आपको ये कहानी पसंद आएगी।
मैं अपने छोटे से परिवार के साथ एक गांव में रहता हूं जहा हम लोग बहुत खुस रहते है हमारे गांव का नाम ***** है और हमारे गांव में रात को बिजली नही आती।
तो ये है मेरा परिवार।
1)पिता- मोहन उम्र (50)साल ये फ़ौज़ में है हर दो साल में 1 महीने के लिए ही घर आते है।
2)माँ- सविता उम्र(40)साल यह एक गृहणी है जो हमेशा अपनी बुर की आग को ठंडा करने के कुछ न कुछ करती रहती है।
3) दीदी- कंचन उम्र(23) ये एक पुलिस ऑफिसर है पर अभी अभी मिलने अति रहती है ये दिल्ली में है और गुस्सा हमेशा इनकी नाक पर रहता है पर अपने छोटे भाई से बहुत प्यार करती है।
4)समीर यानी मै कहानी की हीरो उम्र(18)साल लन्ड(9इंच) पर अभी तक कोई बुर नही मिली इसीलिए हमेशा चूची और बुर के सपने देखता हूँ।
अब कहानी शुरू करते है।
Update. 1
तो मैं अपने घर आखिरकार वापस जा रहा था क्योंकि मेरी पढ़ाई पूरी हो गई थी में अपने घर 8 साल बाद जा रहा था क्योंकि पिता जी ने मुझे सहर के एक होस्टल में डाल दिया था।
पर अभी अभी में अपनी गांव जाया करता था छुटियो में।
मैंने बस स्टैंड से रात को 9 बजे बस में बैठा और सुबह 7 बजे घर पहुंच गया माँ को इस बात की खबर नही थी कि मै वापस आ रहा हूँ।
मै घर मे धीरे से घुसा माँ रसोई में थी और मैंने माँ को बाहो में भर लिया जिसे माँ चौक गयी।
माँ- कौन है।
मै- मैं हु।
माँ- कौन है छोड़ मुझे तू जानता नही मेरी बेटी पुलिस में है।
में- तो मैं क्या करूँ और मैंने एक चूमि उनके गालो पे दी।
माँ- समीर बेटा।
में- ओह्ह माँ।
और हम गले लग गए और माँ मेरे चेहरे को चूमने लगी और एक छोटी सी पप्पी मेरे होठो पे दी।
माँ- तू कब आया।
मै- बस अभी माँ।
माँ- एक बार बता तो देता बेटा।
मै- बता के आता तो चूमि कैसे मिलती।
ये सुनकर माँ शर्मा गयी।
माँ- तू नाहा ले में खाना बनाती हु।
मै- माँ तुम नहला दो ना।
माँ- हट बदमास।
इतना कहते हुए एक हल्की चपत मेरे गालो पे लगा दी और चली गयी।
उसके बाद मैंने और माँ ने साथ मे खाना खाया और ढेर सारी बाते करी उसके बाद में गाँव मे घूमने निकल गया।
गाँव घूमते हुए मैंने देखा कि एक औरत एक बच्चे को नहला रही थीं ये देखकर मुझे अपने पुराने दिन की याद गये।
बचपन की याद।
मैं अपने बचपन मे अपनी माँ और पापा के साथ ही सोता था और दीदी अपने कमरे में सोती थी जब पापा छुटियों में घर आते थे तो माँ को जमके रात भर चोदते थे में बगल में से सबकुछ देखता था वो सोचते थे कि मै सो रहा हु उस वक़्त मेरी उम्र 18 साल थी मे देखता की कैसे पापा माँ के ऊपर चढ़ के उन्हें चोदते थे माँ उनसे कहती मत करिए जी समीर देख लेगा तो पापा कहते वो अभी बच्चा है।
और जब हर सुबह माँ मुझे नहलाती तो मेरा लन्ड अपने हाथों से साफ करती एक बार मैंने माँ से कहा कि माँ आप पिता जी नुनु मुह में क्यों लेती हो तो वो चौक गयी और कहा कि क्योंकि नुनु चाटने में बहुत मज़ा आता है मैन फिर माँ से कहा मेरा भी नुनु चुसो न माँ तो माँ ने मना कर दिया तो तो जिद करने लगा तो उन्होने कहा ठीक है पर किसी कोबताना मत मैने है कर दी तो माँ मेरे लुंड पे जीभ फिरने लगी मैंने माँ के बाल पकड़ लिए फिर 1 में मै गरम हो गया और माँ भी गरम हो गयी थी तो उन्होने कहा बेटा अब जाओ नुनु चूस दिया ना तो मैं जाने लगा मैंने पलट कर देखा तो माँ अपनी ब्रा उतार रही थी मैंने पहली बार उनकी चुचियो को देख पागल से हो गया और मेरा लन्ड थोड़ा अकड़ गया क्योंकि मैं झड़ा नही था। और फिर माँ फर्श पर लेट कर अपना हाथ पेटिकोट के अंदर दाल कर अपनी बुर सहलाने लगी मुझसे रहा नही गया तो मैं उनके पास गया और उनके ऊपर चढ़ गया जिसे माँ फिर चौक गयी और कहा अरे तू फिर आ गया फिर मैंने कहा कि माँ मेरे नुनु में दर्द हो रहा है इतना कहते ही में धक्के मारने लगा फिर माँ ने कहा धक्के क्यों मार रहा है फिर मैंने कहा अच्छा लग रहा ह माँ और अगला धक्का सीधा उनकी बुर बुर के दाने पे लगा जिसे उनकी सिसकी निकल गयी और फिरमैंने उनका पेटिकोट उठाया और धक्के पे धक्के मारने लगा फिर कुछ देर बाद माँ को भी मज़ा आने लगा और वो मुझसे कहने लगी और जोर से मार मेरे लाल पर उस वक़्त मेरा लन्ड इतना बड़ा नही था जो कि माँ को मैं चोद पाता पर मैं उनकी बुर पर अपना लन्ड घिसता गया और 10 मिनट बाद मेरे लन्ड कुछ बूंद पानी से निकल गया और माँ से कस के चिपक गया और मेरी आह निकल गयी माँ को इस बात का एहसास हो गया था और वो झड़ने लगी आह मेरे लाल कुछ देर बाद मैं उनके बगल मै लेट गया और सास लेने लग़ाफ़िर माँ मेरी ओर पलटी और कहा ये सब कहा से सीखा तूने फिर माँ से कहा कि जब पापा आप पे चढ़ हिलते थे तो मै देखा करता था इस पे माँ हँस पड़ी और कहा उसे हिलना नही कुछ और कहते है मेरे लाल इतना कह कर मेरे होठो पे चूमि दे दी और कहा अब बाहर जा मुझे नहाने दे और हा ये बात किसी से बताना मत मैंने हा कह दिया और बाहर आ गया।
फिर ये सिलसिला रोज का हो गया माँ जब मुझे नहलाती तो उन्हें पटक कर में उनपर चढ़ जाता धक्के मारने लगता माँ भी मुझे नही रोकती क्योंकि पिता जी जाने के बाद ये ही उनका सहारा था और सिर्फ नहाना ही नही यहाँ तक की माँ के साथ मे गुसलखाने में घुस जाता और मैं और माँ खूब मजा करते मगर फिर 2 महीने बाद सब बदल गया जब पिता जी मेरा दाखिल सेहर के हॉस्टल में करवा दिया और मै सहर चला गया और माँ फिर अकेले हो गयी।
To be continued.................
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