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Incest माँ-बेटा:-एक सच्ची घटना

Esac

Maa ka diwana
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ये स्टोरी Satish नाम के एक राइटर की है जो बहुत सी साइट्स पर पोस्टेड है इस कहानी का श्रेय पूरी तरह से उनको जाता है । लेकिन इस कहानी में जो चीज़ें मुझे कम लगी वो थी इसमें पिक्चर्स और gifs का अभाव और लेखन का तरीका जो में पूरा करना चाहता हूं। इसीलिए ये एक remastered version है जिसमे ज्यादा अच्छी लिखाई और pictures और gifs है।

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Esac

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Update 1



मै हितेश। बचपन से मैं अपने नाना नानी और माँ के साथ रह के बड़ा हुआ । फादर न रहने के कारन मेरे नाना नानी ने कभी कोई कमी नहीं छोड़ी प्यार और सपोर्ट देने में। माँ ने हमेशा आपनी ममता और प्यार से मुझे पाला। नाना के पास पैसा होने के कारण मुझे कभी कुछ भी चीज़ की कमी महसुस करने नहीं हुई। मैं बहुत ही अच्छा स्टूडेंट था इस लिए सब लोग मुझे प्यार ही प्यार देते थे। मैं बदमाशी भी करता था पर इतना नहीं जो की बिगडे बच्चे करते है। छोटा मोटा शरारत करता वह अपनी तरीके से माफ़ किया कर देते थे। पर हाँ...मुझे हमेशा अच्चा वैल्यूज और मोरालिटी के साथ की पाला । बाहर ज़ादा लोगों के साथ मेरी दोस्ती भी नहीं थी। नाना नानी और माँ सब मेरे दोस्त भी थे और टीचर भी। डांटते भी थे , फिर सीखाते भी थे। हम चारों का एक स्ट्रॉन्ग बॉन्डिंग था। मेरे पिताजी के गुजर जाने के कुछ साल बाद , मेरे नाना नानी ने मेरी माँ की दोबारा शादी करवाने के लिए कोशिश कि थी। तब मेरी माँ 20-21 साल की थी।

Outfits
और आज भी वो 24 - २5 की ही लगती है । बहुत सुन्दर देखने में। स्लिम और गोरी, लम्बे बाल था , पान के पत्ते जैसा मुह का शेप। उनकी आँखे , आय ब्रोव्स , नाक, होठ सब कोई अर्टिस्ट का बना हुआ लगता है। Bsc तक पढ़ी है।
उसके बाद जिन्दगी में हदसा और बाद में मेरी देख भाल करने में जुट गई। मेरी और कोई मौसी या मामा नही है । सो नाना नानी की वही देख भाल करती थी। घर का काम भी करती थी , फिर मुझे पढाती भी थी और टाइम मिलता तो वह बड़े बड़े लेखको के नावेल स्टोरी पड़ने में उस्ताद थी। एक बेटी होने के कारण नाना नानी भी उनका घर में रहने का सब बंदोबस्त कर दिये थे। मेरे नानी भी इतने ओल्ड नहीं थे। पर मेरी माँ मेरे पिताजी का फॅमिली नहीं होने के कारण नाना नानी के फॅमिली को ही अपनी फॅमिली समझ के सब की देखभाल करती थी। शायद इस में उनको ख़ुशी मिलती थी और वक़्त भी गुजारने का तरीका मिला था। वह शांत स्वाभाव की थी पर हंसी की बातों से हस्ती और टीवी में दुःख दर्द भरी फिल्म देखके मायूस भी हो जाती थी।
 
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Esac

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Update 2

कुछ लोग नाना जी के पास उनकी शादी का प्रपोजल भी लाए थे। पर मेरी माँ ने कैंसिल कर दिया। स्टार्टिंग में नाना नानी माँ पर गुस्सा करते थे । माँ के भविष्य के लिए वह बोलते थे की सारी ज़िन्दगी पड़ी है तेरी, कैसे गुजारेगी। और यह भी कहते थे की हितेश को भी तो एक बाप की इच्छा होती होगी। पर माँ का कहना था की अगर उन्होंने किसी से फिर से शादी कि तो वह आदमी अपना अधिकार दिखा कर हितेश का त्याग करने को कहेगा और नाना नानी को छोड़ के भी जाने लिए कहेंगा। अब इस सिचुएशन ये उनके लिए सम्भव नहीं था वह मुझ से दूर नहीं रह सकती थी, और नाना नानी को अकेले छोड़ के और किसी फॅमिली में जाके अपनी गृहस्थी नही बसा सकता थीं। माँ ने मेरा मुह देख के उनकी सब खुशियां विसर्जन कर देने का फैसला किया । नाना नानी धीरे धीरे उनकी बात मान ने लगे , पर अंदर ही अंदर फ्यूचर को लेके परेशान थे।

इसी बीच मैं बड़ा होते रहा. नाना नानी को में बहुत बहुत प्यार करता था. उन लोगों से दूर नहीं रह पाता . वह लोग मेरी दुनिया बन चुके थे. सबसे ज़ादा प्यार मैं माँ को करता था. उनका सब कुछ मुझे बहुत अच्छा लगता था. वह जो कहे, जो करे, जो खाना बनाये, जो कपडा ख़रीदे मेरे लिये..सब...सब कुछ मुझे अच्छा लगता था. इतनी अच्छी होने के बाद भी उनको ज़िन्दगी ने बहुत कुछ नही दिया . हम सब का ख्याल रखा, सब की जिम्मेदारी उठाना मेरे अंदर उनके लिए एक अद्भुत प्यार था . मैंने कभी उनको दुःख न देने की कसम खाई थी .
नाना का घर काफी बड़ा था. नाना नानी एक बड़ा से रूम में रहते थे मैं माँ के साथ रहता था दूसरे एक बड़े कमरे में. घर में और भी तीन रूम है. जो खाली पड़े है. पर मैं जैसे जैसे बड़ा होता गया मेरे लिए एक स्टडी रूम बना. फिर में अकेला सोने लगा.
मैने हमेशा एक डिफरेंस देखा. मेरे बाकि दोस्तोँ की माँ और मेरी माँ में बहुत अंतर है. वह सब एक भारी भरकम माँ जैसे होती थी, पर मेरी माँ उन लोगों की बेटी जैसे लगती थी.


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एक तो उम्र बहुत कम है. साथ में वह देखने में बहुत सुन्दर थी. उनको रास्ते में जाते हुए देंखे तो कॉलेज की लड़कियों की तरह लगती थी. पर किसको मालूम की उनको मेरे जैसा एक बेटा है और उनकी ज़िन्दगी में एक भयानक हदसा हो चुका है..
 
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Esac

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Update 3



मैने इंजीनियरिंग के फर्स्ट इयर में एडमिशन ले लिया. मेरे रूम में भी कंप्यूटर आ गया . मेरे मन में नाना नानी और माँ के प्रति शद्ध भक्ति और प्यार , पहले जैसा ही था पर अंदर ही अंदर मेरा माँ के प्रति एक दूसरी तरह का प्यार मन में जन्म ले लिया. कब कैसे यह सब हुआ , मुझे भी पता नहीं चला. मेरे मन में उनके लिए दीवानगी जन्म लेने लगी .
मेरे ख़यालों में सिर्फ वह ही आती है. और कोई कभी एंट्री नहीं ले पाया आज तक्. मेने धीरे धीरे उनको अलग नज़रिये से देखना शूरु किया..पर सब का नज़र छुपाके, एवं माँ को भी आज तक पता नहीं चला. वह आज भी हमेशा के तरह सोते टाइम एक गिलास दूध लेके आती है, बिस्तर ठीक करवाके मेरे पास आती है और मेरे बालों पे प्यार से उँगलियाँ फ़िराती है. और थोड़ी देर बाद एक प्यारी सी स्माइल के साथ गुड नाईट कह के चली जाती है.


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मैं जब उनको सोच के हिलाता हू, तोह मेरा तन मन एक नशे से भर जाता है और मुझे सब से ज़ादा संतुस्टि मिलती है.

मां हमेशा लाइट कलर की नेल पोलिश पसंद करती है. जब भी वह किसी के घर शादी या और कोई प्रोग्राम में जाती थी तो हल्का सा मेकअप लगा लेती थी. हलका लिपस्टिक उनके होठो को और भी खूबसूरत बना देता था.


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वो मेरे साथ मेरी बड़ी दीदी जैसी लगती थी और नाना नानी के साथ लगता ही नहीं था की वह उनका बेटी और मैं पोता हूं.
माँ का सब फोटो मेने एक सीक्रेट फोल्डर में छुपाके रखा है. जो केवल मेरे लिए ही है. उस फोल्डर में माँ की हर तरीके की फोटोज है. हस्ते हुये, घुस्से के टाइम, उदासी के फोटोस, प्यार भरी झुकि हुई नज़र का पिक्स, बाते करते वक़्त का पिक्स, काम करते वक़्त का फोटो, मेरे साथ पिक्स है जो नानाजी ने क्लिक किया. और बाकि कुछ जॉइंट फोटो से केवल माँ का पिक्चर काट के अलग कर लिया. ऐसा भरा हुआ है मेरा पिसी माँ का फोटोज से. अब मैं हर रात जब माँ दूध का गिलास देके चले जाती है और सब सो जाते है तो वह फोल्डर खोल के माँ को देखता हू
माँ के लिए प्यार उभर के आने लगता है. तब मैं आहिस्ता से पैंट का ज़िप निकाल के अपना लोड़ा निकालता हू. तब वह और भी बड़ा होने लगता है. मेरा हाथ भी कम पडता है अपनी पाँच उँगलियों से उसको टाइट पकडता हूँ और माँ के साथ मिलन का प्यारा दृश्य की कल्पना करके धीरे धीरे हिलाने लगता हू.
 
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Update 4


मेरा लोड़ा बहुत मोटा और बड़ा है. और उसका अगला पोरशन सबसे ज्यादा मोटा और राउंड शेप का है.

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मेरे देखे हुये बाकि पेनिस की तरह छोटा नही हैं जब ओर्गास्म होता है तब उसके अगले भाग का कैप और भी फूल जाता है और मुठ्ठी की पकड़ में नही आ पता है. पर में ओर्गास्म के टाइम आंख बंध करके माँ के शरीर के अंदर मेरा सीमेन छोड़ने का सुख प्राप्त करने की सोचता हूं।


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Update 5



इसी तरह लाइफ चलती रही और मैं इंजीनियरिंग के लास्ट सेमेस्टर में पहुच गया। मेरा रिजल्ट अच्छा हो रहा था। पढाई में कोई ढील नहीं दि। जब नाना नानी और माँ मेरा इतना ख्याल रखते है, इतना प्यार देते है, तोह में क्यों न उन लोगों को खुश होने का मौका दू !! मेरी पढाई से सब खुश थे।
पढाई का प्रेशर और रात की फैंटसी सेक्स वर्ल्ड के कारण मैं बाकि स्टूडेंट से थोड़ा मेचुरड लगता था। एकबार में माँ के साथ घर की कुछ शॉपिंग में माँ को हेल्प करने के लिए उनके साथ एक सुपर मार्किट गया था । वहाँ मेरा एक क्लासमैट मेरी माँ को मेरी बहन समझ के बात कर रहा था।


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जब उसे बताया की यह मेरी माँ है, तो उसकी हालत क्या हुई थी , आज भी मुझे याद है। मेरा अच्छा ख़ासा मेनली अपीयरेंस के कारण कॉलेज में कुछ लड़कियां मेरे साथ क्लोज होने की कोशिश करती थी लेकिन मुझे मेरी माँ के अलावा कोई भी अच्छी नहीं लगती थी। इस लिए शायद में अपनी माँ के ही प्यार में पडा। पर ये मेरे मन की बात मन में ही रहती थी।

मुझे यह भी मालूम था की मुझे एक दिन किसी दूसरी लड़की से शादी करनी पडेगी। मुझे मालूम था की मैं मन में जो भी सोच के रोज खुश हो जाऊं, मुझे एक दिन एक लड़की को चुनना पड़ेगा को मेरी बीवी बनेगी । तब मुझे एक डर भी लगता था। क्युकी मेरा लोड़ा और बाकि सब के जैसा नही है। यह बहुत मोटा और आगे का कैप बहुत बड़ा राउंड शेप का है। फिर रस स्खलन के टाइम तो टोपा फूल के और भी बड़ा हो जाता है। मैं कैसे अपनी बीवी के साथ सेक्स करूँगा। यह सोच के में कभी कभी मायुस हो जाता था।


मेरे फाइनल एग्जाम से पहले मुझे जॉब मिल गया M.P. में। एक बहुत बड़ा इंजिनेअरिंग कंस्ट्रक्शन कम्पनी में। भारत की पुरानी कंपनी में से एक है। उस दिन घर में जब मैने यह न्यूज़ दिया , तो सब ख़ुशी से झूम उठे। इस लिए नहीं की मुझे सैलरी मिलेगी, वह लोग खुश इसलिए थे यह लडका, जिसका बाप बचपन में चल बसा, उसको उसके नाना नानी और माँ ने पाल के एक इंडिपेंडेंट आदमी बना दिया। नाना का पैर छुआ तो उन्होंने मुझे गले लगा लिया। नानी का पैर छुए तो उन्होंने मेरे सर पे हाथ रख के अशीर्वाद दिया। नाना नानी बहुत भावूक हो चुके थे। ख़ुशी से आँख नम होक कर छल छल करने लगी। दोनों बहुत सारी बाते करे जा रहे थे। माँ एक साइड में खड़ी होके यह सब देख रही थी। जब में माँ के पास गया, माँ कुछ नहीं बोली। लेकिन उनकी आँखों मैने प्यार और ख़ुशी देखी।


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मेने उनके पैर छुए तो वह मुझे पकड के गले मिल गई पर मैं 5'11'' का था , वह 5' 5'' कि, तो उनका सर मेरे गले के पास कंधे में टिक गया।

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उन्होंने मुझे पकड़ के रखा कुछ मोमेन्ट्स। फिर छोड़ के मेरे दोनों गालो को दोनों हाथ से पकड के, आँखों में बहुत सारा प्यार लेके और होठो में ख़ुशी का स्माइल लेके मुझे देखा । फिर मुझे नाना ने बुलाया तो में उनके पास गया। माँ और नानी किचन में चली गयी मेरे लिए खीर बनाने के लिए। जब भी कुछ ख़ुशी की बात होती थी तो घर में खीर बनती थी। मैं खीर बहुत पसंद करता हू। आज भी मेरे घर में खीर की परंपरा जारी है।
 
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Premkumar65

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मै हितेश। बचपन से में अपना नाना नानी और माँ के साथ रह के बड़ा हुआ। फादर न रहने के कारन मेरा नाना नानी कभी कमी नहीं छोड़ि प्यार और सपोर्ट देणे में। माँ हमेशा आपनि ममता और प्यार से मुझे पालन किया। नाना के पास पैसा होने के कारन मुझे कभी कुछ भी चीज़ का कमी मेहसुस करने नहीं दीए। मैं ऐसे ही तेज स्टूडेंट था। इस्स लिए सब लोग मुझे प्यार ही प्यार देते थे। मैं बदमासी भी करता था। पर इतना नहीं जो की बिगडे बच्चे करते है। छोटा मोटा शरारत करता वह अपनी तरीके से माफ़ किया कर देता थे। पर हाँ।।।मुझे हमेशा अच्चा वैल्यूज और मोरालिटी के साथ की पाला वह लोग। बाहर ज़ादा लोगों के साथ मेरा दोस्ती भी नहीं था। नाना नानी और माँ सब मेरा दोस्त भी थे और टीचर भी। डांटते भी थे । फिर सीखाते भी थे। हम चारों एक बॉन्डिंग से बढ रहै थे बचपन से।यही देखते गया। मैंने यह सुना की मेरा पिताजी गुजर जाने के कुछ साल बाद , मेरा नाना नानी मेरा माँ का दोबारा शादी करवा नेके लिए कोसिश किया थे। तब मेरा माँ २३-२४ साल की थी।

Outfits
बहुत सुन्दर देखने में थी। स्लिम और गोरी। लम्बे बाल था । पान का पत्ते जैसा मुह का शेप। उनका आँख , ऑय ब्रोव्स , नाक, होठ सब कोई अर्टिस्ट का बना हुआ लगता है। बारवी क्लास तक पढ़ी है।
उसके बाद जिन्दगी में हदसा और बाद में मुझे देख भाल करके बड़ा करने में जुट गई। मेरा और कोई मौसी नहि। सो नाना नानी की वही देख भाल करति थी। घर का काम भी करति थी , फिर मुझे पढाती भी थी और टाइम मिलता तोह वह बड़े बड़े लेखक के नावेल स्टोरी पड़ने में उस्ताद थी। एक बेटी होने के कारन नाना नानी भी उनको घर में रहने का सब बंदोबस्त कर दिया था। उनको भी बुक पड़ने का नशा लग गया बचपन से। बाद में वह एक ही की थी जो वह अपनी खुद के लिए ,अपनी मन की ख़ुशी के लिए करती थी। मेरा नानी भी इतने ओल्ड नहीं थे। पर मेरी माँ मेरे पिताजी का फॅमिली नहीं होने के कारन अपना बेटा लेके नाना नानी के फॅमिली को ही अपना फॅमिली सोच के सब देख भाल करती थी। शायद उस में उनको ख़ुशी मिलति थी और वक़्त भी गुजर ने का तरीका मिला था। वह शांत स्वाभाव की थी पर हसि की बातों से हस्ति भी थी और टीवी में दुःख दर्द भरी फिल्म देखके मायूस भी हो जाति थी।
Good start.
 
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कुछ लोग नाना जी के पास उनको शादी करने के लिए प्रपोजल भी लाया था। पर कुछ मेरा नाना जी।।और बाकि मेरा माँ कैंसिल कर दिया। स्टार्टिंग में नाना नानी माँ से गुस्सा करता था । माँ का भविष्य के लिए वह बोलते थे की सारी ज़िन्दगी पड़ी है तेरी, कैसे गुजारेगि। और यह भी कहते थे की हितेश को भी तो एक बाप पाने का इचछा होता होगा। बाप का प्यार। पर माँ का कहना था की अगर वह किसी को फिर से शादी किया तोह वह आदमी अपना अधिकार दिखाके मुझे त्याग करने को कहेगा और नाना नानी को छोड़ के भी जाने लिए कहेंगा। आब इस सिचुएशन पे वह उनके लिए सम्भब नहीं था वह मुझ से दूर नहीं रह सकति , और नाना नानी को अकेले छोड़के और किसी फॅमिली में जाके अपना गृहस्थी कर सकता थीं। माँ ने मेरा मुह देख के उनका सब सुख ख़ुशी विसर्जन देणे का फैसला किया था। नाना नानी धीरे धीरे उनका बात मान ने लगा , पर अंदर ही अंदर फ्यूचर को लेके परेशान थे।

इसी बीच में बड़ा होते रहा. नाना नानी को में बहुत बहुत प्यार करता था. उन लोगों से दूर नहीं रह पाता में. वह लोग मेरी दुनिया बन चुके थे. सबसे ज़ादा प्यार करता था माँ को. उनका सब कुछ मुझे बहुत अच्चा लगता था. वह जो कहे, जो करे, जो खाना बनाये, जो कपडा ख़रीदे मेरे लिये..सब...सब कुछ मुझे अच्चा लगता था. इतनी अच्छी होने के बाद भी उनको ज़िन्दगी बहुत कुछ दिया नही. फिर कुछ चीज़ देके फिर ले भी लिया. हमारे सब के ख्याल रखा, सब की जिम्मेदारी उठाना मुझे उनके लिए एक अद्भुत प्यार था मन में. मैंने कभी उनको दुःख न देणे की कसम खाई थी .
नाना नानी और हम सब के बीच एक बॉन्डिंग था. नाना का घर काफी बड़ा था. नाना नानी एक बड़ा सा रूम में रहते थे मैं माँ के साथ रहता था दूसरे एक बड़े कमरे में. घर में और भी तीन रूम है. जो खाली पड़े है. सामान है. पर में जैसे जैसे बड़ा होता गया मेरे लिए एक स्टडी रूम बना. फिर में अकेला सोने लगा. मेरे नाना एक दिन एक रूम साफ़ सफाई करके और एक बेड लगा के वह रूम मेरे नाम कर दिया. मैं बहुत खुश था.
मैने हमेशा एक डिफरेंस देखा. मेरे बाकि दोस्तोँ की माँ और मेरी माँ में बहुत अंतर है. वह सब एक भारी भरकम माँ जैसा होता था, पर मेरी माँ उन लोगों के छोटी बहन या बेटी जैसे लगती थी.

Tara-Sutaria-looks-elegant-in-brick-red-kurta-with-zari-work-by-Manish-Malhotra
एक तो उम्र बहुत कम है. साथ में वह देखने में बहुत सुन्दर थी. उनको रस्ते में जाते हुए देंखे तो कॉलेज की लड़कियों की तरह लगती थी. पर किसको मालूम की उनको मेरे जैसा एक बेटा है और उनकी ज़िन्दगी में एक भयानक हदसा हो चुका है..
Woww nice mom.
 
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मैं इंजीनियरिंग में फर्स्ट इयर में एडमिशन ले लिया. मेरे रूम में भी कंप्यूटर आ गया . मेरा नाना नानी और माँ के प्रति शद्ध भक्ति और प्यार , पहले जैसा ही था पर अंदर ही अंदर मेरा माँ के प्रति एक दूसरी तरह का प्यार मन में जनम ले लिया. कब कैसे यह सब हुआ , मुझे भी पता नहीं चला. मेरे मन में उनके लिए दीवानगी जन्म लेने लगी .
मेरे ख़यालों में सिर्फ वह ही आति है. और कोई कभी एंट्री नहीं ले पाया आज तक्. मैं धीरे धीरे उनको अलग नज़रियाँ से देखना सुरु किया..पर सब का नज़र छुपाके, एवं माँ को भी आज तक पता नहीं चला. वह आज भी हमेशा के तरह सोते टाइम एक गिलास दूध लेके आति है, बिस्तर ठीक करवाके मेरे पास आति है और सर के बाल पे प्यार से उँगलियाँ फ़िराती है. और थोड़ा देर बाद एक प्यारी सी स्माइल के साथ गुड नाईट कह के चली जाती है.

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मैं जब उनको सोच के हिलाता हू, तोह मेरे तन्न मन एक नशे में भर जाता है और मुझे सब से ज़ादा संतुस्टि मिलति है.

मा हमेशा लाइट कलर नेल पोलिश पसंद करती है. जब भी वह किसी के घर शादी या और कोई प्रोग्राम में जाती थी तोह उन्होंने हल्का सा मेकअप लगा लेती थी. हलका लिपस्टिक उनके होठो को और भी खूबसूरत बना देती थी.

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मेरे साथ मेरी बड़ी दीदी जैसा लगता थी. और नाना नानी के साथ लगता ही नहीं था की वह उनका बेटी और मैं पोता हु.
माँ का सब फोटो में एक सीक्रेट फोल्डर बनाके छुपाके रखा है. जो केवल मेरे लिए ही है. उस फोल्डर में माँ का हर तरीके का फोटोज है. हस्ते हुये, घुस्सेके टाइम, उदासी के फोटोस, प्यार भरी झुकि हुई नज़र का पिक्स, बाते करते वक़्त का पिक्स, काम करते वक़्त का फोटो, मेरे साथ पिक्स है जो नानाजी क्लिक किया. और बाकि कुछ जॉइंट फोटो से केवल माँ का पिक्चर काट के अलग कर लिया. ऐसा भरा हुआ है मेरा पिसी माँ का फोटोज से. अब में हर रात जब माँ दूध का गिलास देके चले जाते है और सब सो जाते है, में वह फोल्डर खोल के माँ को देखता हू
माँ के लिए प्यार उभर के आने लगता है. तब में आहिस्ता से पैंट का ज़िप निकाल के अपना पेनिस निकाल ता हूण. वह अब और भी बड़ा होने लगता है. मेरा मुठ्ठी भी कम पडता है. अपनी पाँच उँगलियाँ से उसको टाइट पकडता हूँ और माँ के साथ मिलन का प्यारी दृस्य कल्पना करके धीरे धीरे हिलाने लगता हू.
Very very smooth moving story.
 
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मेरा पेनिस बहुत मोटा है. और उसका अगली पोरशन सबसे ज़ादा मोटा और राउंड शेप का है. सामने का पोरशन फ्लैट है.

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मेरे देखे हुये बाकि पेनिस की पिक्टुरेस जैसा अगला भाग पतला होक पॉइंटेड टाइप नहि. थोड़ा सा डम्बल के किनारे जैसा है. लम्बाई नार्मल है. जब ओर्गास्म होता है तब वह अगले भाग का कैप और फूल जाता है और मुठ्ठी के अंदर आने में अटक जाता है. पर में ओर्गास्म के टाइम अंख बंध करके माँ के शरीर के अंदर मेरा सीमेन छोड़ने का सुख प्राप्त करता हू


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Great the sexual feeling towards mom is building up.
 
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