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Incest मां और मैं

Sangya

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मां के गिरते ही मैं हड़बड़ाकर मां की और लपका लव का फर्श पर पानी पड़ा होने से मैं भी फिसल कर मां के पास गिर और मेरा तौलिया खुलकर गिर गया तथा मेरा सर मां के पेट पर लगा मम्मी वैसे ही बेसुध लेटी रही तो मुझे घबराहट हुई मैंने मां की हथेली अपने हाथों में ली और मसलने लगा

मां के हाथ बिल्कुल ठंडे थे तो मुझे और ज्यादा डर लगा

जाते समय आकाश भाई ने घर के बाहर ताला लगा दिया था ताकि कोई हमें तंग ना करे और हमें पूरा एकांत मिल पाए, पर अगर हमें कोई डॉक्टरी सहायता की जरूरत हो तो यह सुविधा भी खतरनाक हो सकती थी

मैं मां के पास पालथी मारकर बैठ गया और मां का एक हाथ अपनी गोदी में रखा और दूसरी हथेली को तेजी से रगड़ने लगा तो मां में गर्मी आने लगी फिर कुछ देर बाद मुझे मां के हाथ में कुछ चेतना आने लगी तो मैं पहले की तरह हथेली को मालिश करने लगा

अचानक मुझे अपने लंड के आसपास सरसराहट लगी तो मैंने पाया कि मां का जो हाथ मेरी गोदी में था वह मेरे लंड के पास मुट्ठी बना रहा है मैं भौंचक्का रह गया और मां की ओर देखा मां वैसे ही बेहोश पड़ी थी अवचेतन मन से ही मां का ठंडा हाथ लंड की गर्मी महसूस करते हुए उसको पकड़ रहा है


मैं निपट नंगा मां के सामने बैठा था मां के शरीर पर लिपटी चादर भी गांठ खुलने के कारण अस्त व्यस्त थी और मां की नाभि नंगा पेट और चूचियां दिख रही थी मैंने भी अवचेतन से बेकाबू होकर एक बार नाभि और किशमिश जैसे मुरझाए हुए निप्पल भी चूम लिये और फिर से मां की मालिश करने लगा


अपने गिर्द हाथ महसूस करके एक औरत का नर्म स्पर्श महसूस करके लोड़े महाराज भी ठुमकने लगे थे और इस कारण मां के हाथ को पूरी गर्मी मिलने लगी थी


5-7 मिनट मालिश करके मां को चेतन आने लगी थी परन्तु मां पर निढाल पड़ी रही न शरीर में जान लग रही थी और ना ही आंखों और चेहरे से कुछ ऐसा प्रकट हो रहा था कि मां चीजों को समझ रही है

यहां तक मां को नंगी होने का भी एहसास नहीं हुआ था जबकि कोई भी स्त्री नींद में भी करवट लेते हुए भी अपने कपड़ों को व्यस्त करने का प्रयास जरूर करती है

मैं मां के तलवों की भी मालिश करना चाहता था किंतु मां का हाथ अपने लोड़े पर से नहीं हटाना चाहता था फिर भी मां को सुरक्षित गर्म बिस्तर पर लिटाने के लिए अंदर ले जाना जरूरी था इसलिए मैंने अपनी क्षणिक सुख को त्याग कर मां का हाथ अपने लोड़े से हटाया और मां के पैरों की तरफ आ गया

मैंने मां का एक पैर अपनी गोदी में रखा और दूसरा पैर थोड़ा उठाकर तलवों की मालिश करने लगा

गोदी में रख पर के तलवे को मैंने अपने लंड से सटाया हुआ था, लंड मस्ती में आकर मेरे हिलते शरीर के साथ ही मां के तलवे पर छाप दे रहा था

जब मां के पैरों में कुछ गर्मी थी आने लगी तो मैंने दोनों पर अपनी गोदी में रखें और पिंडलियों को सहलाने लगा व रगड़ने लगा इसका वांछित परिणाम आया और मां के चेहरे की रंगत बदलने लगी


मां को चेतन होते देखकर मैंने पूछा क्या हुआ कैसे गिर गई

मां ने पलकें झपकाकर बताया कि पता नहीं क्या और कैसे हुआ


मैं बोला देखो कहीं लगी तो नहीं, कहते हुए मां के पैर गोदी से हटाए, मां का सिर उठाया और हाथ फेरकर देखने लगा कि कहीं कोई गुमड़ तो नहीं बना

फिर इस बीच मां ने अपने हाथ पैर हिलाए और दर्शाया की कोई दर्द नहीं महसूस हो रहा पर जान नहीं लग रही


मैंने सोचा यहां आंगन में तो कुछ नहीं हो पाएगा अंदर चलते हैं

अंदर जाने के लिए मां को सहारा देकर उठाना चाहा, लेकिन मां खड़ी नहीं हो पा रही थी तो मैंने मां की गर्दन के पीछे एक हाथ लगाया और घुटनों के पीछे दूसरा हाथ लेकर मां को अपनी गोदी में उठा लिया और धीरे-धीरे अंदर बिस्तर पर ले आया

मां को उठाने के दौरान मां की नंगी गांड मेरे नंगे लंड से लगातार रगड़ खा रही थी और मां का काफी वजन मेरे लोड़े पर आ रहा था

मां को बिस्तर पर लिटाने के दौरान मैं झुका तो मां की चूंचियां मेरी छाती से रगड़ गई और मेरे शरीर में एक करंट सा दौड़ गया


अंदर जाकर मैंने मां की हथेलियां और तलवे तलवों की मालिश की और किचन में जाकर दूध गर्म कर लाया

पीठ को सहारा देकर मां की साइड में बैठकर एक घुटना मां की पीठ पर लगाया और दूसरे घुटने से मां की जांघों को दबाकर ठीक से बैठने में मदद की और अपने हाथों से मां को दूध पिलाने लगा मां मेरी और से सेवा होती देखकर खुश होने लगी

आंखें चेहरे की मुस्कुराहट मुझे अच्छी लग रही थी तब तक मां को चोदने का विचार मेरे मन से निकला हुआ था
 

rkv66

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घर में मैं और मां अकेले ही थे भाई होस्टल में रहता था और पिताजी हफ्ते या २ हफ्ते में 1 दिन के लिए आते थे।

पढ़ाई के बाद चाची का कमरा देखा तो पाया कि आज उनके पति घर में हैं।

रात 8 बजे मां उठी तो काफी ठीक लग रही थी।
मैं सोच रहा था कि जो शाम को हुआ उसके बाद पता नहीं मैं मां को कैसे बात करेगी किंतु मां बिल्कुल सामान्य थी, उठकर बोली बेटा कौन सी सब्जी बनाऊं मैंने कहा जो आपकी इच्छा!!
हमने खाना खाया मां ने कुछ देर टीवी देखा और 9:30 बजे ही मां बोली कि अब नींद आ रही है चल सोते हैं।
मैंने कहा कि कुछ पढ़ाई बाकी है

मां बोली पढ़ाई कल कर लेना आज लाइटें बंद करके जल्दी सो जाओ
मैंने मां की आज्ञा मानने में भलाई समझी।
कूलर चल रहा था और मां पेटिकोट और ब्लाउज में बिस्तर पर लेटी हुई थी मैंने आकर चुपचाप अपने आप को चम्मच की तरह मां से चिपका लिया
मेरा एक हाथ मां के पेट पर और दूसरा हाथ मैंने मां से गले के नीचे से निकाल कर उसके वक्ष पर रख दिया
मां कुछ बोली नहीं मैंने सोने से पहले सिर्फ कच्छा ही पहना हुआ था इस तरह से मेरा लिंग सख्त होकर मां के नितंबों में धंसने लगा मां ने कुछ नहीं कहा और मैं धीरे-धीरे मां के पेट को सहलाने लगा।
मां बोली बेटा आप सो जाओ मैंने कहा मां मुझे आपके गुलगुले पेट पर हाथ रखने से अच्छे से नींद आती है
मां बोली पहले तो तू बचपन में दूध पीते पीते सो जाता था पर अब तू बड़ा हो गया है
मैं बोला नहीं मां दूध तो मुझे अभी भी बहुत अच्छा लगता है किंतु इस उम्र में क्या आपको अच्छा लगेगा
मां बोली तू तो मेरा एकदम प्यारा राजा बेटा जो कि मेरा बहुत ध्यान रखता है तो तुझे दूध पिलाने में क्या मुश्किल।

यह बातें सुनकर मेरा लिंग मां के पेटीकोट में बहुत ज्यादा दबाव बनाकर नितंबों की दरार में धस चुका था उसको हटाने का मन तो नहीं था पर दूध मिलने का लालच इससे ज्यादा था
मैंने कहा ऐसी बात है तो मैं मुझे दूध पिलाओ जिससे मेरी बुद्धि तेज होगी और मैं अच्छी पढ़ाई कर सकूंगा मेरा मन भी इधर-उधर नहीं भटकेगा।

मां ने मुस्कुराकर मेरी तरफ करवट ली मैंने थोड़ा नीचे होकर मां के चूचियों पर अपना मुंह दबा दिया जैसे रूई के नर्म गोलों पर अपना मुंह रख दिया हो और ब्लाउज के ऊपर से ही जीभ से टटोलने लगा।
बिना कुछ कहे मां ने अपने हाथों से ब्लाउज खोला और मैंने अपना मुंह मां के बांए निप्पल पर लगा दिया।
निप्पल को चूसते हुए एक हाथ से दायां निप्पल मरोड़ने लगा और दूसरे हाथ से मां के नितंबों को सहलाने लगा

मां ने अपने दोनों पैर खोले तो मैंने अपनी दोनों जांघें मां मां की जांघों में फंसा दी,
अब मेरा लिंग मां की जांघों के बीच टक्कर देने लगा।

मैंने दूध पीना छोड़ कर मां को कसकर अपनी छाती पर जकड़ लिया और नीचे से अपने लंड का दवाब चूत पर बनाना शुरू किया।
मां ने चुपचाप साइड से अपने पेटीकोट का नाड़ा खोला और जब मैंने यह महसूस किया तो मैंने भी अपने कच्छे को नीचे सरका दिया,
मौका पाते ही एक साथ एक ही लक्ष्य में मां का पेटीकोट और मेरा कच्छा उतर गया।
अब हम दोनों मां बेटा निपट नंगे थे मैं मां के शरीर में समाने का प्रयास कर रहा था और मां मुझको अपने मन और तन में अंगीकार कर रही थी।

मैंने कुछ नीचे होकर मां की चूचियां चाटनी शुरू की । दोनों हाथों से दुग्ध कलश पकड़े और बारी बारी से दोनों थनों को भुखे बच्चे की तरह पीने लगा।
फिर मैं एक हाथ नीचे करके अपने लिंग को पकड़ कर मां की नंगी योनि के द्वार तक लाया पर अपनी एक अंगुली मां की चूत में डालकर छेड़ने लगा

मां ने अपने हाथ से मेरा लौड़ा पकड़ा और अपनी हथेली से मेरे खम्बे का मुआयना करने लगी
मैंने भी मम्मे चूसना छोड़ कर मां की मुख चुम्मी लेने लगा हम दोनों के मुखरस एक दूसरे के मुंह में घुल रहे थे
मां का हाथ मेरे लंड को मसल रहा था और मेरी 3 अंगुलियां मां की चूत का मर्दन कर रही थीं।
मेरा लंड और मां की चूत फड़फड़ा रहे थे मैंने शाम को मां द्वारा प्रदत अनुभव के अनुसार अपने लिंग को मां की चूत में ठूंस दिया।
अंदर जाकर लंड ठप-ठपा-ठप करने लगा, मां ने अपने दोनों पैरों से मेरे पैरों पर कैंची बना ली और अपने नाखूनों से मेरी पीठ खरोंचने लगी
मां मेरे हर धक्के का जवाब अपने धक्के से दे रही थी रेलगाड़ी पटरी पर धक धका धक चली जा रही थी, पिस्टन अपने सिलेंडर में अंदर-बाहर हो रहा था, दोनों की सांसें लय बद्ध तरीके से थाप दे रही थी
मां का शरीर मेरे शरीर को अपने से पुनः एकाकार करने का प्रयास कर रहा था और मैं अपनी मां की योनि में घर्षण कर रहा था
मां की सांसें तेज तेज चल रही थीं और मैं 100 मीटर रेस की स्पीड से लंड को चूत में भगा रहा था
अब मुझे झनझनाहट होने लगी थी और मेरा वीर्य मां की चूत में भरने लगा मैंने कसकर मां को जकड़ लिया अब मां भी झड़झड़ाने लगी थी हम दोनो एकाकार हो कर झड़ गये और ऐसे ही लिपटकर नंगे ही सो गये
excellent
 

Rajizexy

Punjabi Doc
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मां के गिरते ही मैं हड़बड़ाकर मां की और लपका लव का फर्श पर पानी पड़ा होने से मैं भी फिसल कर मां के पास गिर और मेरा तौलिया खुलकर गिर गया तथा मेरा सर मां के पेट पर लगा मम्मी वैसे ही बेसुध लेटी रही तो मुझे घबराहट हुई मैंने मां की हथेली अपने हाथों में ली और मसलने लगा

मां के हाथ बिल्कुल ठंडे थे तो मुझे और ज्यादा डर लगा

जाते समय आकाश भाई ने घर के बाहर ताला लगा दिया था ताकि कोई हमें तंग ना करे और हमें पूरा एकांत मिल पाए, पर अगर हमें कोई डॉक्टरी सहायता की जरूरत हो तो यह सुविधा भी खतरनाक हो सकती थी

मैं मां के पास पालथी मारकर बैठ गया और मां का एक हाथ अपनी गोदी में रखा और दूसरी हथेली को तेजी से रगड़ने लगा तो मां में गर्मी आने लगी फिर कुछ देर बाद मुझे मां के हाथ में कुछ चेतना आने लगी तो मैं पहले की तरह हथेली को मालिश करने लगा

अचानक मुझे अपने लंड के आसपास सरसराहट लगी तो मैंने पाया कि मां का जो हाथ मेरी गोदी में था वह मेरे लंड के पास मुट्ठी बना रहा है मैं भौंचक्का रह गया और मां की ओर देखा मां वैसे ही बेहोश पड़ी थी अवचेतन मन से ही मां का ठंडा हाथ लंड की गर्मी महसूस करते हुए उसको पकड़ रहा है


मैं निपट नंगा मां के सामने बैठा था मां के शरीर पर लिपटी चादर भी गांठ खुलने के कारण अस्त व्यस्त थी और मां की नाभि नंगा पेट और चूचियां दिख रही थी मैंने भी अवचेतन से बेकाबू होकर एक बार नाभि और किशमिश जैसे मुरझाए हुए निप्पल भी चूम लिये और फिर से मां की मालिश करने लगा


अपने गिर्द हाथ महसूस करके एक औरत का नर्म स्पर्श महसूस करके लोड़े महाराज भी ठुमकने लगे थे और इस कारण मां के हाथ को पूरी गर्मी मिलने लगी थी


5-7 मिनट मालिश करके मां को चेतन आने लगी थी परन्तु मां पर निढाल पड़ी रही न शरीर में जान लग रही थी और ना ही आंखों और चेहरे से कुछ ऐसा प्रकट हो रहा था कि मां चीजों को समझ रही है

यहां तक मां को नंगी होने का भी एहसास नहीं हुआ था जबकि कोई भी स्त्री नींद में भी करवट लेते हुए भी अपने कपड़ों को व्यस्त करने का प्रयास जरूर करती है

मैं मां के तलवों की भी मालिश करना चाहता था किंतु मां का हाथ अपने लोड़े पर से नहीं हटाना चाहता था फिर भी मां को सुरक्षित गर्म बिस्तर पर लिटाने के लिए अंदर ले जाना जरूरी था इसलिए मैंने अपनी क्षणिक सुख को त्याग कर मां का हाथ अपने लोड़े से हटाया और मां के पैरों की तरफ आ गया

मैंने मां का एक पैर अपनी गोदी में रखा और दूसरा पैर थोड़ा उठाकर तलवों की मालिश करने लगा

गोदी में रख पर के तलवे को मैंने अपने लंड से सटाया हुआ था, लंड मस्ती में आकर मेरे हिलते शरीर के साथ ही मां के तलवे पर छाप दे रहा था

जब मां के पैरों में कुछ गर्मी थी आने लगी तो मैंने दोनों पर अपनी गोदी में रखें और पिंडलियों को सहलाने लगा व रगड़ने लगा इसका वांछित परिणाम आया और मां के चेहरे की रंगत बदलने लगी


मां को चेतन होते देखकर मैंने पूछा क्या हुआ कैसे गिर गई

मां ने पलकें झपकाकर बताया कि पता नहीं क्या और कैसे हुआ


मैं बोला देखो कहीं लगी तो नहीं, कहते हुए मां के पैर गोदी से हटाए, मां का सिर उठाया और हाथ फेरकर देखने लगा कि कहीं कोई गुमड़ तो नहीं बना

फिर इस बीच मां ने अपने हाथ पैर हिलाए और दर्शाया की कोई दर्द नहीं महसूस हो रहा पर जान नहीं लग रही


मैंने सोचा यहां आंगन में तो कुछ नहीं हो पाएगा अंदर चलते हैं

अंदर जाने के लिए मां को सहारा देकर उठाना चाहा, लेकिन मां खड़ी नहीं हो पा रही थी तो मैंने मां की गर्दन के पीछे एक हाथ लगाया और घुटनों के पीछे दूसरा हाथ लेकर मां को अपनी गोदी में उठा लिया और धीरे-धीरे अंदर बिस्तर पर ले आया

मां को उठाने के दौरान मां की नंगी गांड मेरे नंगे लंड से लगातार रगड़ खा रही थी और मां का काफी वजन मेरे लोड़े पर आ रहा था

मां को बिस्तर पर लिटाने के दौरान मैं झुका तो मां की चूंचियां मेरी छाती से रगड़ गई और मेरे शरीर में एक करंट सा दौड़ गया


अंदर जाकर मैंने मां की हथेलियां और तलवे तलवों की मालिश की और किचन में जाकर दूध गर्म कर लाया

पीठ को सहारा देकर मां की साइड में बैठकर एक घुटना मां की पीठ पर लगाया और दूसरे घुटने से मां की जांघों को दबाकर ठीक से बैठने में मदद की और अपने हाथों से मां को दूध पिलाने लगा मां मेरी और से सेवा होती देखकर खुश होने लगी

आंखें चेहरे की मुस्कुराहट मुझे अच्छी लग रही थी तब तक मां को चोदने का विचार मेरे मन से निकला हुआ था
Nice update👌👌👌✅
 
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