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Incest मां का बदला (incest, adultery)

Premkumar65

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Update 2
इधर रजत अपनी मां से स्कूटी ले कर पार्किंग में आ जाता है और जैसे ही वह पार्किंग के अंदर आता है तो उसकी नजर एक बाइक पर पड़ती है जिसे वह ललचाई नजरों से देखने लगता है ये एक काले रंग की रॉयल इनफील्ड बाइक थी जो की उसी की क्लास का एक लड़का लेके आता था जिसे देख रजत एक पल के लिए खो ही जाता है वह काले रंग की रॉयल इनफील्ड उस पार्किंग में खड़ी सभी बाइक में से अलग दिख रही थी अभी रजत अपनी ही सोच में डूबा था की अचानक ही उसकी स्कूटी का क्लच उससे छूटते छूटते रह जाता है जिसे वह बड़ी ही फुर्ती से कंट्रोल कर लेता है और फिर वह जल्दी से अपनी स्कूटी को एक जगह पार्क कर अपनी क्लास की ओर भाग लेता है।


अब आगे–



इधर ऑफिस में कोमल जैसे ही अंदर आती है और जैसे ही मिश्रा की नजर कोमल पर पड़ती है तो उसका मुंह खुला का खुला रह जाता है कोमल एक हरी रंग की साड़ी में बिल्कुल किसी आसमान से आई कोई अप्सरा सी जान पड़ रही थी वह उसका चेहरे की चमक उसके होठों की लाली उसके मध्यम वर्गीय स्तन और सबसे आकर्षक उसके सपाट पेट पर वो गहरी नाभी ऐसे दिख रही रही थी मानो सारे संसार की काम वासना उस नाभी में ही समाहित हो जिसे देख मिश्रा का अंग अंग काम वासना से भर उठा उसकी पलके झपकने का नाम ही नहीं ले रही थी।

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अभी उसके लिए इतना ही काफी नहीं था जब कोमल ने जल्दी प्रेजेंटी रजिस्टर उठाया और बिना मिश्रा से कुछ कहे या उसकी तरफ देखे ही वापिस जाने लगी।


मिश्रा एक बार फिर स्तब्ध रह गया उसका छोटा सा हथियार उससे बगावत करने लगा जब मिश्रा ने कोमल को तेजी से जाते देखा कोमल चाल से उसकी हरे रंग की साड़ी से लिपटी उसकी गांड़ आज मिश्रा पर कहर ढा रही थी जैसे ही कोमल मिश्रा की आंखों से ओझल होने को हुई मिश्रा हड़बड़ा कर जल्दी से उसने अपनी कुर्सी छोड़ी और कार्यालय के गेट पर ही आकर खड़ा हो गया और वह कोमल की मटकती उस गांड़ अपने दूर जाते हुए देखने लगा।

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कोमल के हर एक कदम पर उसके लंबे बाल जिन्हे आज उसे बस एक रबर बैंड लगा कर ऐसे ही खुला छोड़ दिया था आज उसने ना तो बाल बांधे थे और ना ही कोई मेक अप किया कोमल के वो बाल उसके चलने से कभी इधर तो कभी उधर आ रहे थे जिसे मिश्रा को कोमल के उन बालो से जलन सी होने लगी।


वह सोचने लगा काश वह आज कोमल के बालों का हिस्सा होता तो आज वह इस खूबसूरत स्त्री के नितम्भ बिल्कुल ऐसे ही चिपका होता जैसे की अभी उसके ये बाल उसकी गांड़ से चिपके हुए है कार्यालय के गेट पर खड़े खड़े मिश्रा बस कोमल को ही घूरे जा रहा था जब तक वह उसकी आंखो से ओझल ना हो गई तब तक वह बस उसे ही देखे जा रहा था फिर मुड़ते हुए अपने ही आप में बोला –काश ये मेरी हो जाए काश मैं इस फूल का रस चख सकू काश ये मेरी बाहों पूरी तरह नग्न होकर मदहोशी में मुझे प्यार करे आह कितना मजा आयेगा वो पल कितना हसीन होगा और ये ही सब सोचते हुए उसका लिंग उसके पैंट के अंदर ही झटके मारने लगा।


अब वह अपनी कुर्सी की ओर बढ़ने लगा दरसल अभी कार्यालय खाली ही था सभी स्टाफ टीचर अपनी अपनी क्लास में थे मिश्रा जो की इस स्कूल में एक क्लर्क का कार्य करता था वो अभी अपने उसी कार्यालय में बैठा था ये उसी का ऑफिस था और साथ साथ ही स्कूल का स्टाफ भी यही पर बैठता था जब वो फ्री टाइम में होते थे।


इधर रजत भी जल्दी से अपनी क्लास में घुस गया और जैसे ही वह अंदर आया क्लास की आधे से ज्यादा लड़कियां रजत की लुक को देख उसपे मर मिटी कोई उसे देख अपने दातों तले होंठ दबाता तो अपनी जांघो को जोर से भींचता तो कोई कोई तो अपनी सांसों को फूला कर अपने स्तनों के उभार को ऐसे बढ़ा देता मानो रजत अभी उनके स्तनों को पकड़ कर मसलने आने वाला है, ऐसा नहीं था की सिर्फ रजत ही पूरी क्लास का एक अकेला मात्रा हैंडसम हीरो था वहां पर कई हैंडसम और मस्त से दिखने वाले लड़के थे और एक तो उन सबका बाप ही था नवीन जिसकी पर्सनालिटी को मात देना पूरी क्लास में किसी के बस की बात नहीं थी ऊपर से वो एक अमीर बाप की औलाद भी था उसके बाप का नाम ही काफी था की लोगो की पैंट गीली हो जाती थी।


हां चलो माना की मेरे हीरो के पास आज उतना पैसा नहीं था लेकिन अपने हीरो की पर्सनालिटी की बात ही अलग थी क्लास की अगर आधे से ज्यादा लड़कियां पैसों की वजह से नवीन के पीछे जाती थी तो भी वही अभी अनेकों लड़कियां थी जो सिर्फ रजत की बस एक लुक पर मर मिटने को तैयार थी।


रजत अपनी मां की वजह से ही क्लास की सबसे आगे वाली रॉ में हमेशा बैठता था वैसे उसे ये जगह बिल्कुल भी पसंद नही थी वो तो हमेशा लास्ट बेंचर ही रहा है रजत एक बार हशरत भारी निगाह से उस लास्ट बेंच को देखता है और फिर उस पर बैठे अपने सहपाठियों को देखा और फिर मायूस होकर आगे वाली सीट पर बैठ गया।


एक लड़की अपनी जांघो को भींचते हुए अपनी बगल वाली फ्रेंड से बोली–यार देख ये कितना हैंडसम कितना क्यूट और कितना खूबसूरत बिल्कुल किसी सपने के राजकुमार जैसा इसके होंठ तो देखो कितने गुलाबी है मेरा मन तो बस इसके होंठो को चूसने का कर रहा है।


दूसरी लड़की बोली–मात्र इसकी वजह से ही मैंने पैन्टी पहनना छोड़ दिया इसको जब भी देखती हूं मेरी पैन्टी गीली हो जाती है और फिर पूरा दिन गीली पैन्टी ही पहनना पड़ता है और तू सिर्फ इसके होंठो के बारे में ही सोच रही है सोच जब ये इतना खूबसूरत है तो इसका लण्ड भी इसी की तरह सुंदर होगा हाय मेरी जान मेरी मुनिया तो बस इसे ही सोच कर झरना बनी हुई है काश एक इसका लण्ड देखने को मिल जाए बस एक बार चूसने को मिल जाए तो मैं तो अपनी पढ़ाई पूरी समझ लूंगी

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वही रजत भी एक बार सभी लड़कियों को देखता है तो पाता है की ज्यादा से ज्यादा लड़कियां उसे ही देख रही है लेकिन उसकी नजरे तो बस हिमानी को खोज रही थी लेकिन उसे आज हिमानी कहीं भी नजर नहीं आ रही थी तभी उसकी नज़र शिवानी से टकराती है उसकी बड़ी बड़ी कजरारी आंखे बस रजत को ही देख रही थी रजत भी एक बार उसे देख कर प्यारी सी स्माइल करता है जिसके बदले में शिवानी भी उसे प्यारी सी स्माइल देती है और फिर रजत सामने की ओर देखने लगता है।


लेकिन इधर शिवानी की चूत ने तो उससे बगावत ही कर बैठी उसकी चूत पानी पे पानी छोड़े जा रही थी अभी उसके लिए ये ही काफी नहीं था जब उसकी नजरे अपने अगल बगल बैठी लड़कियों को देखा तो उसे अहसास हुआ की रजत की वो स्माइल कितनी ज्यादा खतरनाक है उसके अगल बगल बैठी उसकी फ्रेंड बस उसे गुस्से से ही देखे जा रही थी।


अभी तक तो रजत ने लड़कियों की चूत गीली करके रक्खी थी की तभी रजत की मां क्लास के अंदर आ जाती है और बस उसके अंदर आते ही सभी के सभी छात्र खड़े होकर उसे ग्रीड करते है लेकिन लड़के तो लड़के लड़कियां भी अब अपनी आंखे फाड़े बस कोमल को देखे जा रहे थे और इधर पीछे कुछ लड़के तो बैठना ही भूल गए क्यूंकि कोमल ने सबकी ग्रीड को स्वीकार कर उन्हे वापस बैठने को तुरंत ही कहां था लेकिन बहुत से लड़कों को उन्हे कोमल की कोई आवाज ही नहीं सुनाई दी

जिस कारण वो लोग अभी भी खड़े होकर बस कोमल को देखे जा रहे थे और उनके बगल में बैठे उसके मित्र ये देख हसे जा रहे थे।


कोमल–what happened to you guys?, "I said to sit down"


और तब जाके वो लड़के दोबारा से कहने पर बैठे वही नवीन और उसका दोस्त ललित दोनो की ही हालत खराब हो चुकी थी दोनो के ही लौड़े टाइट हो चुके थे।


नवीन...यार मैम क्या लगती है क्लास में आते ही लण्ड खड़ा कर दिया यार ये बवाल है काश ये मेरी गर्लफ्रेंड बन जाए तो मैं इस क्लास की सारी लड़कियां तेरे लिए छोड़ दूं काश इसका सोने जैसा चमकता हुस्न मेरी बाइक मेरे बेड और मेरी बाहों होता तो कितना मजा आता और फिर वो एक हाथ से अपने लण्ड को मसलते हुए बोला


आह साली रण्डी रोजाना सुबह सुबह ही लण्ड खड़ा करके चली जाती है आहहह

क्या फिगर है।


ललित–हां भाई इसे देखकर किसका नही खड़ा होता होगा अभी अगर पूरी क्लास के लण्ड देखे जाए तो सभी के सभी खड़े होकर बस इसे सलामी मार रहे होंगे।


नवीन–अबे बहन के लौड़े वो तेरी भाभी है और मेरी होने वाली नई गर्लफ्रेंड और तेरी ये मजाल तू मेरी गर्लफ्रेंड को देख अपना लण्ड खड़ा करे साले तेरा लण्ड काट के फेंक दूंगा अभी के अभी इसे नीचे कर।


ये सुनते ही ललित की गांड़ फट जाती है वो भूल कर भी नवीन को ना नही कर सकता था आज अगर इस स्कूल में ललित जो कुछ भी था उसके पीछे नवीन ही था नवीन की वजह से ही उसने दूसरी गर्लफ्रेंड बनाई थी हां ये बात और थी की वह नवीन की छोड़ी हुई थी जिसकी नवीन ने चोद चोद कर फाड़ दी थी और अब उसे ललित चोद रहा था लेकिन फिर भी ललित अच्छी तरह जानता था वह अपने दम पर लड़की तो छोड़ो एक मक्खी भी नही चोद सकता फिर लड़की को चोदना तो उसके सपने जैसा होगा और यही नहीं ललित के छोटे मोटे सौक के खर्चे भी ललित ही उठाता है तो इस हालत में वह उसे गुस्सा नही कर सकता।


ललित–(थोड़ा घबराते हुए) ल ले लेकिन लेकिन भाई ये कैसे हो सकता है भला इसमें मैं कैसे क्या कर सकता हूं भाई वो इतनी हॉट और सेक्सी अरे सॉरी सॉरी भाई मुझे माफ कर दो।


नवीन ललित की शक्ल और उसकी हालत को देख अपनी हसी ना रोक पाया अभी वह ललित को और परेशान करता लेकिन उसकी चेहरा देख नवीन की हसी उससे कंट्रोल ना हुई और फिर वह हस्ते हुए बोला।


नवीन–अबे मैं मजाक कर रहा था अपना चेहरा तो देख कैसा बनाया है ऐसा लगता है मैने अभी अभी तेरी गांड़ मारी है वो भी बिना तेल के हाहाहाहा मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता की उस मादरचोद की मां को कौन कौन बुरी नजर से देखता है और मैं तो खुद चाहता हूं की वो रण्डी पूरी क्लास से चुदवाए ये गाँडू रजत बस अपनी मां को चुदते हुए देखता रहे।


ललित नवीन की बात सुन उसे थोड़ा राहत मिलती है और फिर वह भी एक बनावटी स्माइल देकर हसने लगता है।


इधर कोमल एक बार पूरी क्लास पर अपनी नजर दौड़ती है और फिर प्रजेंटी लेने लगती है और उसके बाद वह अपना सब्जेक्ट इंग्लिश पढ़ाने लगती है।
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Mast update.
 

Premkumar65

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Update 3
ललित नवीन की बात सुन उसे थोड़ा राहत मिलती है और फिर वह भी एक बनावटी स्माइल देकर हसने लगता है।


इधर कोमल एक बार पूरी क्लास पर अपनी नजर दौड़ती है और फिर प्रजेंटी लेने लगती है और उसके बाद वह अपना सब्जेक्ट इंग्लिश पढ़ाने लगती है।



अब आगे –



कोमल अपनी क्लास को खत्म कर चली जाती है हां जाने से पहले वह एक बार हिमानी के बारे जरूर पूछती है।


कोमल–रीतू हिमानी नही दिख रही है, क्या आज वह स्कूल नही आई है? क्या कोई प्राब्लम है?


रीतू–मैम उसने मुझे आज ना आने के बारे में कुछ भी नही बताया था।


कोमल–ओ अच्छा (थोड़ा उदास होते हुए) दरसल हिमानी कोमल की पसंददिदा स्टूडेंट थी और हो भी क्यूं ना हिमानी एक ऐसा कैरेक्टर जो ढूढने से भी नही मिलता और कोमल की फेवरेट होने का एक और रीजन था क्यूंकि कोमल हिमानी में अपना बचपना देखती थी हिमानी पूरी क्लास में सबसे सुंदर लड़की थी और इसके साथ ही वह पढ़ने में भी बहुत तेज़ भी किसी जमाने में कोमल भी उसी की तरह अपने क्लास की सबसे सुंदर लड़की हुआ करती थी और पढ़ाई में तो उसने हमेशा टॉप किया था लेकिन एक बात थी जो इन दोनो में थोड़ा अलग था और वो ये जहां हिमानी बहुत ही शांत स्वभाव की लड़की थी वही कोमल चुलबुली हुआ करती थी और इसी कारण वह अपने स्कूल और कॉलेज के दिनों काफी चर्चित हुआ करती थी। खैर उसके बाद कोमल बाहर निकल जाती है और उसके निकलते ही रजत अपनी सीट बदल देता है ऐसा वो रोजाना करता था वो कोमल के लिए आगे बैठता और जैसे ही उसकी क्लास खत्म होती तो वो अपनी पसंददीदा जगह पर ही जाकर बैठता और उसकी पसंदीदा जगह उस क्लास की लास्ट बेंच थी जिस पर दो लड़के हमेशा बैठे होते और वो भी रजत के आने का ही इंतजार किया करते।



चिराग और चीनू ये दो लड़के रजत के बेस्ट फ्रेंड थे ये दोनो भी एक साधारण परिवार से ही आते थे इनके परिवार का विवरण तब ही दिया जाएगा जब उसकी जरूरत होगी।


रजत–अबे चोमू कल तू प्ले ग्राउंड क्यूं नही आया हम सब तेरा ही इंतजार कर रहे थे साले तेरी वजह से ही हम कल का मैच हार गए और वो मादरचोद बाजपेई साले को खेलने को नही मिला तो जान बुझ कर कैचेज छोड़ रहा था उसके जैसा मक्कार आदमी नही देखा अरे भाई हम लोग कोई मजे के लिए तो नही खेल रहे थे आखिर कल टूर्नामेंट था लेकिन बहन चोद को खेलने को नही मिला तो फील्डिंग में गद्दारी कर गया।


चिराग–मैं तो तेरे से पहले ही कह रहा था इस मादरचोद बाजपेई और रघू पे भरोसा नही कर सकते तूने देखा नही रघु की बोलिंग कितनी गंदी थी साला हर एक ओवर में पिट रहा था।


रजत–अब क्या करे ये सब इन जनाब की वजह से हुआ अगर ये आया होता तो बोलिंग ये संभालता और फील्डिंग हम दोनो वैसे अभी तक तूने बताया नही तू आया क्यूं नही था।


चीनू–यार कल लड़के वाले दीदी को देखने आए थे जिसकी वजह से नही आ सका मैं तो तुम लोगो को भी बुलाना चाहता था लेकिन मुझे पता था कल का क्रिकेट इंपॉर्टेंट है इसलिए फिर मैने तुम दोनो को नही बुलाया लेकिन अगर मुझे मालूम होता मेरा होना इतना जरूरी है तो फिर मैं कैसे भी करके आने की पूरी कोशिश करता।


अभी ये सभी आपस में बाते कर ही रहे थे की रागिनी मैम अंदर आ जाती है रागिनी मैम इस स्कूल की दूसरी बोल्ड टीचर इनकी तारीफ जितनी की जाए उतना ही कम है और आज तो शायद ये अपनी क्लास लेने नही बल्कि बच्चो की गांड़ फाड़ने आई थी क्यूंकि आज उसने एक ब्लैक कॉलर की साड़ी पहनी हुई थी और उसके साथ ही स्लीवलेस ब्लैक ब्लाउज जिसमे वो बिल्कुल काम वासना से लिपटी कोई अप्सरा नजर आ रही थी इसकी चूचियां कोमल की चुचियों से बड़ी थी और इसका जिस्म भी थोड़ा गदराया भी था और इसका सबसे आकर्षक अंग इसकी हाहाकारी गांड़ जो बाहर को निकली हुई थी और जब ये चलती तो वह ऐसे हिलती जैसे "रज्जो का कोठा"

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रागिनी मैथ की टीचर थी उसके आते ही पूरी क्लास में खामोशी छा जाती है और सब उसे ही ताड़ने लगते है अभी कुछ देर पहले ही जो लण्ड थोड़े बहुत ढीले पड़े होंगे वो एक बार फिर से अपना सर उठाने लगे और फिर आज की तरह सारे लड़के रागिनी के गदराए जिस्म को देख वह कोमल के जिस्म से तुलना करने लगे वह सभी अपने मन में दोनो को नंगा कर सोचने लगे की कौन सबसे मस्त दिखता होगा ओबियस ज्यादा वोट तो कोमल के ही पछ में गिरने वाले थे पर अभी शायद रागिनी को देखने की जरूरत सभी को थी मानो जैसे वो कोई अमृत दश्य हो जिसे देखने से सुकून मिलता हो हां सही कहां सुकून ही तो मिलता है देखने वाले को भी और दिखाने वाले को भी 🤫


यहां अपना रजत भी कैसे शांत रहता वो भी आंखे फाड़े अपनी रागिनी मैम के जलवे देख हैरान था रागिनी के आगे की घुराली लटे उसकी खूबसूरती में चार चांद लगा रहे थे रागिनी जिसकी उम्र अभी 25 वर्ष थी वह खुद भी किसी भी तरह से टीचर नही बल्कि उनकी ही क्लास की कोई सहछात्रा ही दिख रही थी।

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इधर जब रागिनी ने देखा की क्लास के सारे ही लड़के बस उसे ही ताड़ रहे है तो वो अंदर ही अंदर बहुत खुश हो जाती है और अपने मन सोचने लगती है।


वाह रागिनी देख ये लड़के कैसे तुछे ताड़ रहे है देख रही है इनकी नजरे तेरे किन किन को अब तक तो ना जाने कितनी बार नंगा कर चुके होंगे और फिर रागिनी एक बार नवीन और रजत को अच्छी तरह से देखती है तो पाती है की वो दोनो भी बस उसे ही घूरे जा रहे थे जिसे देख रागिनी अंदर ही अंदर सिहर जाती है और उसके चेहरे पर एक अलग ही मुस्कान आ जाती है।


इसके कुछ देर बाद रागिनी अपना सब्जेक्ट रिवीजन करवाती है आज उसका मन पढ़ाने में बिल्कुल भी नही था वह पहले लड़कियों के पास जाकर उन्हें कुछ क्वेश्चन देती है जिन्हे उनको सॉल्व करना था और उसके बाद वो कुछ क्वेश्चन लडको को देती है क्वेश्चन दोनो ही पछ के हार्ड थे जिनको आसानी से तो नहीं सोल्ब किया जा सकता था लेकिन कुछ बच्चे थे जो पढ़ने में थोड़ा होशियार थे जिन्होंने जल्द ही उन सभी क्वेश्चन के हल जल्दी से खोज निकाले नवीन जिसको ये क्वेश्चन नही आते थे लेकिन उसने रागिनी का दिल जीतने के लिए चीटिंग करली और इधर रजत उसके भी 2 ही क्वेश्चन सॉल्व हुए थे जब रागिनी सभी की नोटबुक चेक करने को उनके पास जाती और झुककर उनकी नोटबुक देखती तो उसकी चूचियां नीचे को लटक जाती और रागिनी के बड़े क्लीवेज से उसके चूचियों की बड़ी सी घाटी अच्छे से दिखने लगती लेकिन रागिनी तो अच्छे से जानती थी और वह तो खुद ऐसा ही चाहती थी वह बस चोर नज़रों से उनकी नजरों को देखती और फिर झूठा गुस्सा दिखाते हुए आगे बढ़ जाती ऐसे ही जब वह नवीन के पास आई तब नवीन ने भी अपनी नजरे उसकी चूचियों में ही गड़ा दिया और वह उसकी चुचियों को घूरते हुए अपने होंठो पर जीभ फेरने लगा जिसे देख रागिनी बस शांती से कभी कभी उसकी नजरों को देखती वह अभी नवीन के लिए थोड़ा परेशान थी उसने नवीन पर अपना गुस्सा तो जाहिर नही किया क्यूंकि वह जानती थी नवीन एक बड़ी हस्ती है और उसे ऐसे डायरेक्ट ओफेंड करना सही नहीं था इसके बाद वह वहां से रजत की ओर आती है और रजत की टेबल के पास आके खड़ी हो जाती है।


वही रजत को जैसे आभास होता है तो वह भी अपनी गर्दन उठाने लगता है लेकिन अभी वह अपनी गर्दन उठा कर रागिनी की नजरों से मिलाता उससे पहले ही उसकी नजर एक जगह पर आके ठहर गई दरसल रागिनी जब नवीन के पास से आई तो उसकी साड़ी उसके पेट से हट गई और उसकी गहरी नाभी दिखने लगी जो अभी रजत की बिल्कुल आंखो के सामने और उसके बहुत ही करीब थी जिसे देख वह बुत ही बन गया वही चिराग और चीनू अभी अपनी नोटबुक में लगे हुए थे वो दोनो ही डरे से लग रहे थे और इसीलिए अपनी नजरे ऊपर नही कर पा रहे थे वो जानते थे की अगर उन दोनो ने मैम से नजरे मिलाई तो मैम जरूर उनसे पूछ बैठेंगी जबकि अगर वो ऐसे ही बैठे रहे तो मैम उनको छोड़ आगे बढ़ जाएगी।


लेकिन यहां तो शीन ही अलग था रजत रागिनी की नाभी में ऐसे खो गया था जैसे वह गहरे संदर में उतर गया हो और जब रागिनी ने रजत की नजरों का पीछा किया तो उसके चेहरे पर हैरानी के साथ मुस्कान आए बिना रह ना पाई और मन में सोचने लगी।


रागिनी (अपने मन में) ये भी नहीं रजत मुझे तुमसे ये उम्मीद नहीं थी और देखो तो कैसे मेरे नंगे पेट को देख रहा है मतलब ये भी सभी की तरह ही है।


रजत (अपने मन में) यार ये मैम को भगवान ने कितना मस्त बनाया है देखो तो कोई इनकी खूबसूरती पर नजर ना लगा सके इसलिए भगवान ने मैम की कमर पर काला तिल भी दे दिया ये कितना खूबसूरत है काश मैम अपनी कमर में कमर चैन और पहन ले तो कितनी मस्त दिखे।

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इधर जब रागिनी रजत की नजरों को बर्दाश्त नहीं कर पाती तो वह वहां से हट कर फिर से लड़कियों की ओर बढ़ जाती है और उनकी नोटबुक चेक करने चली जाती है लेकिन फिर अचनाक ही वह एक बार मुडकर देखती है तो पाती है की रजत अपनी नोटबुक में झुकापड़ा है जिसे देख रागिनी अपने सर पर हल्के से हांथ मारती है और हस पड़ती है और उसके मुंह से बस इतना ही निकलता है (बुद्धू)



और फिर ऐसे ही पूरा दिन निकल जाता है स्कूल की लीव के बाद कोमल और रजत फिर से एक ही स्कूटी में बैठकर अपने घर की ओर निकल पड़ते है।
Superb update.
 

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Update 4

इधर जब रागिनी रजत की नजरों को बर्दाश्त नहीं कर पाती तो वह वहां से हट कर फिर से लड़कियों की ओर बढ़ जाती है और उनकी नोटबुक चेक करने चली जाती है लेकिन फिर अचनाक ही वह एक बार मुडकर देखती है तो पाती है की रजत अपनी नोटबुक में झुकापड़ा है जिसे देख रागिनी अपने सर पर हल्के से हांथ मारती है और हस पड़ती है और उसके मुंह से बस इतना ही निकलता है (बुद्धू)



और फिर ऐसे ही पूरा दिन निकल जाता है स्कूल की लीव के बाद कोमल और रजत फिर से एक ही स्कूटी में बैठकर अपने घर की ओर निकल पड़ते है।



अब आगे–



दूर किसी गांव में एक बड़ी आलीशान कोठी में एक बड़े आलीशान बेड पर एक बहुत ही खूबसूरत औरत आके लेती हुई थी वह अभी अभी अपने सभी काम निपटा कर आई थी उसके ही बगल में उसका 18 वर्षीय बेटा लेटा हुआ था।

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औरत –विवेक सो गए क्या?


विवेक आगे खिसकते हुए और अपने छोटे लण्ड को अपनी मां की गांड़ से सटाते हुए बोला –अभी नही मेरी जान अपनी जान के बिना कैसे सो सकता हूं नींद ही ना आएगी।


और फिर अपना एक हाथ अपनी मां की कमर रख देता है और फिर धीरे धीरे मां की जांघ को सहलाने लगता है।


वही वो औरत अपनी गांड़ को थोड़ा सा और पीछे को धक्का देती है जिससे उसके बेटे का लण्ड उसकी गांड़ की गहराई में और जा सके।


औरत– मैं तेरी मां हूं और अपनी मां की गांड़ में लण्ड पेल रहा है तुझे शर्म नही आती भला कोई बेटा अपनी ही मां को जान कहकर पुकारता है क्या?


विवेक– जब मां इतनी गदरायी हो और उसकी चूत हमेशा टपकती हो तो हर बेटे का फर्ज है की अपनी मां की चूत वो सुख वो शांति दे जिसे उसकी तलाश है।


अब वह औरत अपने बेटे का हाथ पकड़कर अपनी चूत के ऊपर रख देती है अभी उसने एक गुलाबी रंग का गाउन पहन रखा था और अपने बेटे के हांथ को पकड़ कर खुद से ही अपनी चूत मसलवाने लगती है।

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औरत– आआह्ह.......देख तेरा जन्म स्थान तुझे कैसे पुकार रहा है मेरे बेटे और थोड़ी देर ऐसे ही अपनी चूत मसलवाने के बाद वह पलट जाती है और एक बार अपने को हवस भरी निगाह से देखती है और अगले ही पल वह अपने बेटे के होंठो को अपने होंठो के गिरफ्त में कर लेती है और उसे जोर जोर से चूसने लगती है।


विवेक थोड़ी देर अपनी मां को उसके होठ चूसने देता है और फिर वह अपनी किस तोड़ कर उठ बैठता है और जल्दी से अपनी अंडरवियर निकाल फेंकता है।


अब उसका 5 इंच का लण्ड अपनी पूरी औकात में खड़ा हो चुका था जिसे उसकी मां बड़े ही गौर से देख रही थी।


विवेक – ऐसे क्या देख रही हो जानेमन क्या अपने बेटे का लण्ड तुझे पसंद नही आया?


औरत– क्यूं पसंद क्यूं नही आयेगा मुझे तेरा लण्ड, अगर पसंद ना आता तो क्या मैं तुझसे चुदती कभी नही।


विवेक –अच्छा तो ये बता मेरा लण्ड मेरे किस बाप से कितना बड़ा है मेरे असली बाप के लण्ड से बड़ा है या फिर मेरे नामर्द बाप के लण्ड से और कितना बड़ा है और तुझे किससे ज्यादा चुदवाने में मजा आता है मुझसे या फिर मेरे दोनो बाप से या फिर उस ड्राइवर रमन से और उसका कितना बड़ा लण्ड है उसका?



औरत –मेरे बेटे का लण्ड सबसे बड़ा है और मुझे तो अपने बेटे से ही चूदने में मजा आता है (दरसल ये बात उस औरत अपने बेटे का दिल रखने के लिए ही कहा था क्यूंकि वो अच्छे से जानती थी की कोई भी मर्द अपनी बेज्जती कभी नही बर्दास्त कर सकता।)


विवेक–क्या सच में नही नही ये झूठ है तुम झूठ बोल रही हो सच सच बताओ ना मुझे बुरा नही लगेगा प्लीज मां तुझे मेरी कसम है।


औरत बड़े गौर से अपने बेटे को देखती है और फिर बोलती है "तुझे बुरा लगेगा मेरे बच्चे"


विवेक –नही मां मुझे बुरा नही लगेगा जब मुझे ये तक बुरा ना लगा की मेरे घर का ड्राइवर मेरी मां की चूत चोदता है तो फिर किसी का लण्ड मुझसे बड़ा या छोटा होने से क्या फर्क पड़ता है।


वह औरत थोड़ी देर ऐसे ही अपने बेटे को देखती रही और फिर एक लंबी सांस खींचते हुए बोली तेरा लण्ड तेरे दोनो बाप के ही जितना है तो तू मायूस मत होना क्यूंकि तेरे ही जितने लण्ड से चूदकर मैने तुझे और तेरी बहनों को जन्म दिया है और ये भी सच है की तू मुझे पूरी तरह संतुष्ट कर देता है रही बात मजे की तो जब चूत में लण्ड जाता है तो उस पल में पूरा मजा लेना ही मजा होता है फिर तू चोदे या फिर कोई और अब रही बात उस ड्राइवर की तो हां उसका लण्ड तेरे लण्ड से एक इंच बड़ा है और इसमें भी कोई शक नहीं की वो मुझे पागलों की तरह चोदता है लेकिन मैं फिर से यही कहूंगी की जब चूत में मेरे लण्ड होता है मैं बस उस पल को मजे से जीती हूं।



और इतना बोलकर वह औरत चुप हो जाती है।



उसका बेटा उसे बड़े गौर से देख और सुन रहा था।


औरत अब बहुत देर हो गई जो भी करना है जल्दी करो मुझे सोना भी है और इतना कह कर अपने बेटे के लण्ड को अपने हाथ में भर लेती है और फिर उसे ऊपर नीचे कर हिलाने लगती है।


विवेक–मां तू एक नंबर की रण्डी है।


औरत– वो तो मैं हूं, और फिर झुककर अपने बेटे के छोटे लण्ड को अपने मुंह में भर लेती हैं और अपने होठों और गालों को भींचकर चोपे देते हुए अपने बेटे के लण्ड को चूसने लगती है।

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विवेक –सीसिसिसिसी मां तू तो बिल्कुल किसी प्रोफेशनल रण्डी की तरह लण्ड चूसती है आह ऐसा लगता है मैं अभी झड़ जाऊंगा।


और उसके हाथ अपने आप ही अपने मां के सर पर आ जाते है और फिर विवेक अपनी मां के सर को उसके बालों से पकड़कर अपने लण्ड को अपनी मां के मुंह में पेलने लगता है जिससे उसकी मां के मुंह से एक जानी पहचानी आवाज निकलने लगती है।

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गौ गौ गौ गौ गौ गौ गौ गौ गौ


और बस ऐसे ही ये आवाज पूरे कमरे में फैल जाती है विवेक अपनी आंखे बंद कर लेता है और अपनी मां के द्वारा लण्ड चुसाई का मजा लेने लगता है।


आह साली रण्डी बस ऐसे ही हां ऐसे ही चूस अपने बेटे का लौड़ा आह क्या लण्ड चूसती है तू आह साली ना जाने कितनों का चूसी होंगी छीनाल



और फिर करीब 15 मिनट की चुसाई के बाद ही विवेक अपनी मां के मुंह में ही झड़ जाता है जिसे उसकी मां बिना एक बूंद वेस्ट किए पूरा निगल जाती है।



औरत – क्यूं बच्चू मजा आया हूं ना मैं एक प्रोफेशनल रण्डी ऐसे तो रण्डी भी नही चूसती होंगी जैसा मैंने तुझे अभी निचोड़ा है।



विवेक– हां तू सच में एक होनहार रण्डी है आह क्या लण्ड चूसती है साली मादरचोद

मजा आ गया।



औरत – अब देर ना कर मेरी चूत में भी आग लगी हुई है आजा जल्दी से इसे चाटकर ठंडा कर दे और इतना कह कर वो औरत फुर्ती से अपना गाउन निकाल फेंकती है और फिर देखते ही देखते उसने अपनी पैन्टी भी निकाल फेंकी अब वह औरत भी विवेक की तरह ही पूरी नंगी हो जाती है और अपनी मोटी गदराई जांघो को फैलाकर अपने बेटे को अपनी चूत के दर्शन करवाती है।


उसकी चूत पूरी तरह क्लीन सेव्ड थी और उसकी चूत के ही पास एक टैटू बना हुआ था जो की बहुत प्यारा लग रहा था उस औरत की चूत की क्लिट हल्की सी काली थी



अब विवेक से भी नही रहा जाता और वो भी लपकर अपनी मां की जांघो के बीच आ बैठता है और अपने एक हाथ के अंगूठे से अपनी मां की चूत को सहलाने लगता है उसकी मां की चूत किसी झरने की तरह बहे जा रही थी जिसे देख विवेक तुरत झुक जाता है और अपना पूरा मुंह खोलकर अपनी मां की पूरी चूत को एक ही वार में पूरा भर लेता है और उसके बहते हुए रस को चूस चूस कर पीने लगता है।



इधर बस इतने से ही उस औरत की हालत खराब होने लगती है और उसके मुंह मदहोशी वाली सिसकियां निकलना शुरु हो जाती हैं।


सिसिसी आह बस ऐसे ही हां.....


तू तो कितना मस्त चाटता है....

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अब विवेक अपनी मां की चूत को फैला कर अपनी जीभ उसमे डाल देता है और अपनी जीभ को नीचे से ऊपर कर चाटने लगता है बीच बीच में वह अपनी मां की चूत का लहसुन जैसा दाना अपने मुंह में भरकर चूस लेता है जिससे उस औरत की कमर हवा में ऊपर उठ जाती अब उसकी सांसे धीरे धीरे बढ़ती जा रही थी वह जल्द ही अपने चरम की ओर बढ़ने लगती है।


जिसे देख विवेक खुश हो जाता है और वह भी पूरी लगन से अपनी मां की चूत को चाटने लगता है उसके साथ ही साथ वह अपने दोनो हाथो को ऊपर की ओर बढ़ाकर अपनी मां की मुलायम चूचियां दोनो हाथो में भर लेता है और उन्हें जोर जोर से मीसने लगता है जिससे उसकी मां को और भी मजा आने लगता है।



और फिर कुछ देर की चुसाई के बाद ही उसकी उसके मुंह पर ही झड़ जाती है जिसे वह चाट चाट कर पूरा साफ़ कर देता है और उसके बाद एक बार फिर से वह अपनी मां के होंठो पर टूट पड़ता है और उसे ताबड़ तोड़ किस करने लगता है।


उस औरत को किस करते हुए अपनी ही चूत के पानी का स्वाद अपने मुंह में महसूस करने लगती है थोड़ी देर किस करने के बाद अब विवेक अपना लण्ड अपनी मां की चूत पर सेट करते हुए आगे पीछे कर सहलाने लगता है।



औरत–अब और कितना तड़पाएगा डाल ना अंदर....


इतना सुनते ही विवेक के चेहरे पर मुस्कान फैल जाती है और फिर वह अपने लण्ड को पकड़कर एक शॉट मारता है जिससे उसका लण्ड उसकी मां की चूत की गहराई में समाता चला जाता है और फिर वह अपने कमर से धक्का देते हुए अपनी मां को चोदने लगता है।

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औरत – आह सीसीसी आह मेरे राजा बस ऐसे और तेज और तेज चोदो अपनी रण्डी मां को आह बहुत मजा आ रहा है.....


पॉक्क पॉक्क पॉक्क पॉक्क.......


और फिर विवेक अपनी मां को कुछ देर ऐसे ही चोदता रहता है वह बीच बीच में कभी अपनी की चुचियों को चूसता तो कभी उसके होंठो का रसपान भी करता रहता हैं अब जब वह थकने लगता है तो उसकी मां उसे नीचे कर खुद उसके लण्ड पर बैठ जाती है और जैसे वह घोड़े की सवारी करते है ऐसे ही वह अपने बेटे के लण्ड को अपनी चूत में फसाए अपने बेटे की सवारी करने लगती है।

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वही विवेक अपनी मां की भारी भरकम गांड़ को पकड़कर नीचे से धक्का लगाने लगता है अब दोनो के धक्कों से उस औरत को चुदायी में और भी मजा आने लगता है जिससे वह खुद से ही अपनी चुचियों को मसलने लगती है।



आह विवेक चोद और जोर से चोद मादरचोद अपनी मां को ऐसे ही चोद बिना रहम के चोद मेरी इस चूत को इसने मुझे बहुत तंग कर रक्खा है।


और फिर ऐसे ही करीब 15 मिनट की भीसड़ चुदाई के बाद दोनो ही एक साथ झड़ जाते है वह औरत थककर अपने बेटे के सीने पर ही लोट जाती है और अपनी सांसों को काबू में करने लगती है।



कुछ देर बाद दोनो की नजरे एक होती है दोनो ही एक दूसरे को देखते है और फिर मुस्कुरा पड़ते है और फिर वह औरत अपने बेटे के होंठो को चूमने लगती है और चूमते चूमते वैसे ही नंगे दोनो मां बेटे एक दूसरे से चिपक कर सो जाते है।पॉक्क

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Woww very sexy update.
 

Singhs

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Update 5





अगली सुबह रजत आज थोड़ा देरी से उठा फिर उसने जल्दी से अपना डेली रूटीन के काम खत्म कर नहाया और फिर नीचे आ गया।



दरसल रजत का मकान 2 खंड का बना हुआ था (ग्राउंड और फर्स्ट फ्लोर) ग्राउंड फ्लोर पर 2 रूम 1 स्टोर रूम किचेन बाथरूम और इस सबके साथ लगा हुआ एक बड़ा सा हॉल और सेम ऐसा ही ऊपर वाले फ्लोर बने हुए थे नीचे के एक रूम कोमल उसे करती जबकि दूसरा रूम को गेस्ट रूम बना रक्खा था और रजत को ऊपर वाले रूम पसंद आए इसलिए वह ऊपर वाले एक रूम को अपना बेड रूम और दूसरे रूम को अपना स्टडी रूम बनाए हुए था ये मकान ना ही रजत का था और ना ही कोमल का बस कोमल इस मकान में तब से रह रही थी जब से उसने अपना घर छोड़ा था ये मकान किसी ऐसे शक्स का था जो कोमल को बहुत ही करीब से जानता था और उसने कोमल का तब साथ दिया जब कोमल को एक सहारे की सबसे ज्यादा जरूरत थी।


लेकिन ये कौन हो सकता है और कोमल का उसके साथ कितना गहरा रिश्ता है ये तो आगे ही पता चलेगा.....



अभी तो रजत को सिर्फ इतना ही मालूम था की ये मकान उसके पिता ने बनवाया था लेकिन किसी झगड़े की वजह से वह उसकी मां से दूर रहने लगे रजत को अपने पिता का नाम तक नहीं पता था क्यूंकि कोमल ने बस उसे इतना ही बताया था लेकिन रजत को अपने डैक्यूमेंट्स से अपने पिता का नाम तो मालूम हो गया था "मिस्टर रंजीत सिंह" लेकिन उनकी फोटो को उसने अब तक किसी भी डैक्यूमेंट्स में देखने को नही मिली थी वह जब भी अपनी मां से इस विषय में बात करता तो उसे कोमल शख्ती से साफ मना कर देती की वह उसके पिता के बारे में कभी ना पूछे और जब उचित समय आएगा तो वो उसे खुद बता देगी इसके साथ ही उस दिन उसका मूड ऑफ ही रहता जिसके चलते रजत को काफी दुख होता और बस इसी वजह से अब वह अपने पिता के बारे में कोई बात नही करता।



वापस कहानी पर....




रजत ने नीचे आकर देखा तो उसे उसकी मां कही भी नजर नहीं आ रही थी।


रजत – मां मां कहां हो आप मां....


लेकिन कोई आवाज नहीं आई....


मां मां.....


जब रजत को कही से फिर आवाज नहीं आई तो वो सोच में पड़ गया क्या मां अभी तक शो रही है कहीं आज फिर से तो वो रात में....



और रजत को जैसे कुछ याद आया तो उसकी पूरी बॉडी सिहर सी गई और वह थोड़ा चिंतित भी नजर आने लगा उसने दौड़कर अपनी मां का रूम खोला तो उसे कोमल वहां भी नही फिर रजत ने नीचे से लेके ऊपर तक पूरा घर तलाश लिया लेकिन उसे उसकी मां कहीं नजर ना आई लेकिन अब रजत भी थोड़ा थक चुका था इसलिए अब वह एक जगह जमीन की ही फर्श पर बैठ गया और सोचने लगा की ये मां कहां चली गई सुबह सुबह बिना उसे बताए।



रजत– क्या मां कहीं बाहर गई है लेकिन अगर उसे बाहर जाना होता है तो वो बिना मेरे तो कहीं भी नही जाती फिर आज कैसे नही ये तो पक्का है वो अकेले बाहर कभी नही जायेगी तो फिर वो है कहां पर अब रजत फिर से थोड़ा सोचते हुए....


मैने नीचे का पूरा घर देख लिया और ऊपर का भी पूरा घर देख लिया अब बचा अरे हां नीचे का स्टोर रूम और ऊपर टैरेस अभी ये बाकी है तो चलो पहले टैरेस देख लेते है और फिर रजत तेज कदमों के साथ टैरेस की ओर बढ़ने लगता है।


और जब रजत टैरेस पर देखता है तो पाता है की उसकी मां कोमल घर की छत पर बैठी किसी शून्य में देखती बस अपनी ही यादों में खोई हुई थी उसके चेहरे पर किसी भी प्रकार के कोई भाव नहीं थे रजत ने तो आज तक अपनी मां की हसी ही ना देखी थी और ना सुनी थी उसे तो बस उसकी मां की लाल आंखे बड़ी बड़ी देखने को मिला करती थी।


रजत अपनी मां की ऐसी हालत देख बहुत दुखी हो जाता है उसे कुछ भी समझ नही आता की वह क्या करे उसकी मां उससे कुछ भी बताती नही किसी और से पता तो चलने वाला है नही क्यूंकि कोमल की कोई फ्रेंड तो है नही और ना ही उसका कोई रिलेटिव जिसे रजत जानता हो और ये रंजीत मेरे डैड कौन और किस तरह के आदमी है जो अपनी बीबी और अपने बेटे को ऐसे अकेला छोड़ कर चला गया।


फिर रजत दौड़कर कर नीचे किचेन में जाता है और फ्रिज से एक ठंडी बोतल और एक गिलास लेकर अपनी मां की ओर दौड़ पड़ता है।


अभी अभी तो रजत इतनी सीढियां चढ़ कर ऊपर गया था फिर दौड़कर नीचे भी आया और अब फिर से दौड़कर ऊपर जा रहा था क्या अब उसे थकवाट नही हुई शायद नही क्यूंकि ये उसकी मां का सवाल था वह अपनी मां के लिए तो पूरी दुनिया पैदल ही नाप ले भला ये सीढियां क्या चीज थी।


रजत दौड़कर जल्दी से बोतल में से पानी ग्लास में डालता है और फिर अपनी मां के कंधे को पकड़कर बुलाता है।


रजत – मां मां ये लो पानी पी लो...


कोमल जो न जाने कब से यहां बैठी थी जब वह अपने बेटे को देखती है जो की उसे पानी पीने को बोल रहा था रजत के माथे पर चिंता की सिलवटे साफ झलक रही थी और दोनो ही मां बेटे के होंठ खुले हुए फड़फड़ा रहे थे दोनो की नजरे आपस में मिलती है तो रजत देखता है की उसकी आंखे पूरी तरह लाल है उसकी आंखे में दर्द पीड़ा घुटन भरा पड़ा हुआ था जिसे देख रजत का गला रूंध सा जाता है।


कोमल ने अपना हाथ आगे बढ़ाया वह रजत से पानी का ग्लास लेने लगती है और जब वह रजत के हाथ से ग्लास लेती है तो रजत को अहसास होता है की उसकी मां का हाथ कांप रहा था और बस अब रजत से बर्दास्त नही होता उसकी आंखे अपने आंसू नहीं रोक पाती अब रजत की आंखे किसी झरने की तरह बहने लगती है और फिर रजत झट से आगे बढ़ अपनी मां को अपने आगोस में भर लेता है।


वही कोमल को तो जैसे कोई फर्क ही नहीं पड़ता उसने अपना जो हाथ आगे बढाया था उसे बस अपने बेटे के कंधे पर रख देती है रजत काफी देर तक बस ऐसे ही अपनी मां को अपने से लगाए खुद से रोता रहा और फिर उससे दूर होकर खुद अपने हाथों से अपनी मां को पानी पिलाने लगा...


फिर रजत अपनी मां को सहारा देकर नीचे ले आया और उसे उसके कमरे में लिटा कर जल्दी से बाहर कुछ खाने को लाने के लिए निकल गया।


दरशल आज रात कोमल बिल्कुल भी नही सोई थी जिस कारण उसकी हालत ऐसी हो गई थी उसने रात भर ऐसे ही खुद की घुटन से तड़पती हुई काटी थी और जब सुबह हुई तो वह टहलते टहलते छत पर निकल गई थी और रात भर की थकवाट से वो वही बैठ गई थी।
 
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monty sharma

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Lovely update
 

Gokb

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Bahut badhiya update diya hai apne
 

ellysperry

Humko jante ho ya hum bhi de apna introduction
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Update–1
रजत ओ रजत उठ जा बेटा देख कितना टाइम हो गया


रजत ओ रजत.......


हां मां उठ गया हूं, रजत ने जोर से आवाज देते हुए कहा।


कोमल ने नीचे से ही अपने बेटे को आवाज लगाते हुए उसे उठने को कहती है।


कोमल (अपने मन में ही बुदबुदाते हुए), लाड साहब को जब तक कोई जगाए नही तब तक उठने वाले नही सुबह सुबह मेरा गला जरूर फडवाएंगे।


और फिर कोमल अपने काम में लग जाती है आज उसे भी देरी हो गई थी जिसके चलते उसके हाथ बड़ी ही रफ्तार से किचेन में चल रहे थे।


आज उसने एक हरे रंग की चमचमाती साड़ी पहनी थी जिसमे उसका स्लिम शरीर बिल्कुल किसी सोने की तरांसी हुई अंगूठी की तरह लग रही थी जो किसी के सुंदर अंगुलियों में फिट हो जाए वैसे ही ये हरे रंग की साड़ी में कोमल आज कहर ढा रही थी वैसे कोमल कहर कब नही ढाती उसने जब कल नीले रंग की साड़ी पहनी थी तो स्कूल का उसका पूरा स्टाफ बस उसे ही ताड़ रहा था और मिश्रा जी वो तो बार बार उसे देख कही खो ही जा रहे थे।

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सच में कोमल बहुत ही ज्यादा सुंदर थी उसका शरीर बिल्कुल दिशा पटानी जैसा स्लिम परफेक्ट था उसे देख कर कोई कह ही नही सकता था की रजत उसका बेटा भी है अगर दोनो साथ में खड़े हो जाए तो लोगो की आंखे धोखा ही खा जाए और वैसे आज कल तो लोग बिना मैचिंग के ही गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड समझ जाते है फिर यहां दोनो ही अच्छी पर्सनालिटी से है तो लोग कोमल को रजत की गर्लफ्रेंड ही समझते थे


खैर कोमल जल्द से जल्द अपने सारे काम खत्म करना चाहती थी अभी उसके बाल भी खुले हुए थे जिन्हे उसे अभी संवारना भी था उसके बाल इतने लंबे थे की वह उसके नितम्भ तक आते थे और उसकी प्यारी गोल मटोल सुडौल गांड़ को ढक लेते थे और जब उसके बाल खुले हो या फिर उसने पूरे बालो को एक लंबी चोटी में बांधा हो तो क्या ही कहना जब वह चलती तो उसकी चोटी किसी काली नागिन की तरह उसकी गांड़ पर ऐसे हिलती जैसे किसी घड़ी का पेंडुलम हो।

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कोमल—उम्र 37 वर्षीय लंबे कद काठी की बहुत ही खूबसूरत महिला जिसका दूध जैसा गोरा रंग सुनहले घने बाल बड़ी बड़ी कजरारी आंखे और रसीले होंठ उसके नीचे सुराही दार लंबी गर्दन और फिर चौड़ा सीना जिस पर मध्यम आकार की चूचियां जो अपने वजूद के होने अहसास भली भांति करवाती थी और उसके नीचे चर्बी रहित उसका कसा पेट और उसकी गहरी नाभी जिसमे उसकी सारी काम वासना समाई हुई हो फिर उसकी पतली सी कमर और फिर कहर ढाती उसकी गोल मटोल गांड़ उसका ऐसा कर्वी फिगर देख लोगो के तोते उड़ जाते थे जब भी वह चलते हुए कहीं जाति तो लोग उसे मुड़ मुड़कर कर उसकी बलखाती गांड़ को ही देखते।



चलो अभी कोमल को छोड़ते है ऊपर चल के देखते है ये आखिर रजत साहब कौन है?


रजत—एक 18 वर्षीय अपनी मां की तरह लंबी कद कांठी का बल्कि उससे भी लंबा हस्ट पुष्ट शरीर का नौजवान लड़का जिसका रंग बिल्कुल अपनी मां पर गया है जिसकी वजह से लड़कियां अकेले में उसके लिए आहे भरती थी ये जनाब अभी अपनी मां के ही स्कूल में है और इसकी मां इसकी क्लास टीचर भी है।

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और फिर कोमल गैस बंद करके ऊपर जाने लगती है......



कोमल का जब सारा काम खत्म हो जाता है तब किचेन से निकल कर अपने रूम की तरफ जाने को होती है, तभी उसे याद आता है की अभी तक रजत नीचे नही आया है कहीं ये फिर से तो नहीं सो गया ऐसा सोच अब कोमल फिर से अपने बेटे को आवाज देते हुए उसके रूम में जाने लगती है।


रजत ओ रजत......रजत........


इस लड़के ने तो मुझे तंग करके रक्खा है देखू तो अभी क्या कर रहा है और कोमल रजत का दरवाजा खोलती है दरवाजा बस ऐसे ही भिड़ा था कोमल के धक्का देते ही वह पूरा खुल गया और अब कोमल रजत के रूम के अंदर चली जाती है और देखती है तो पाती है की बेड पर सिर्फ रजत की चादर ही पड़ी है तभी कोमल को अंदर बने बाथरूम से पानी के गिरने की आवाज आती है जिससे कोमल को मालूम हो जाता है की रजत उठ गया है फिर कोमल जल्दी से रजत के बेड के पास जाकर उसकी चादर को फोल्ड कर के रख देती है और उसके बेड को सही कर वह जल्दी से अपने कमरे में आकर अपने आपको स्कूल के लिए तैयार करने लगती है।



अब कोमल ड्रेसिंग मिरर में अपना चांद सा चमकता चेहरा देखती है तो उसे अपना सुंदर सा चेहरा बहुत भाता है लेकिन अगले ही पल जैसे ही उसे कुछ याद आता तो उसे वही अपना चेहरा बिल्कुल भी पसंद नही आता और बल्कि उसकी आंखे खून जैसी सुर्ख लाल हो जाती है और वह बिना देरी किए बेड पर पड़ी टॉवेल को उठाकर उस मिरर पर डाल देती है जिससे वो मिरर पूरी तरह ढक जाता है अब कोमल बिना मिरर में देखे ऐसे ही अपने बालो को मोड़कर बांध लेती है और दिन के मुकाबले तो आज उसने अपने चेहरे पर मेक अप भी नही किया बस एक बोरो प्लस एक क्रीम को थोड़ा सा लेकर अपने चेहरे पर मल लेती है और फिर तेजी से अपने कमरे से बाहर निकल आती है।


’रजत किधर हो तुम’ कोमल बहुत ही क्रोधित स्वर में अपने बेटे रजत को बुलाती है

उसे लगा उसका बेटा अभी भी ऊपर है आज वह अपने बेटे की वजह से क्लास में लेट ना हो जाए।


लेकिन रजत तो कबका तैयार होकर नीचे आ चुका था और कोमल के ऐसे जोर से चिल्लाने से वह डर भी गया था।


मां.... मां... मैं यहां हूं।


कोमल (थोड़ा शांत होते हुए)–क्या करता है बेटा? कितना टाइम कर दिया तूने?


जल्दी कर हमे देर हो रही है।


रजत–हां मां (और फिर रजत नाश्ते के लिए डाइनिंग टेबल पर बैठ जाता है)



अब कोमल जल्दी से अपने और रजत के लिए नाश्ता लगाती है और दोनो ही जल्दी जल्दी में थोड़ा बहुत खाते है और फिर दोनो ही एक स्कूटी से स्कूल के लिए निकल जाते है कोमल खुद स्कूटी ड्राइव कर रही थी जबकि रजत अपनी मां के पीछे बैठ जाता है और अपनी मां की कमर को हल्के हाथों से थाम लेता है।


इधर कोमल को जैसे ही अहसास होता है की उसका बेटा उसे पकड़ कर बैठ गया है तो वह स्कूटी का एक्सिलेटर खींच देती है और कोमल स्कूल की ओर चल देती है।



कोमल...बेटा रजत तूने अपने एसिनमेंट कंप्लीट कर लिए?


रजत... मां वो मां (और फिर थोड़ा दुखी होके) अभी नही


कोमल... ओ वैसे तुम करते क्या रहते हो? तुम्हारा आज कल ध्यान किधर रहता है?


रजत... सॉरी मां


फिर कोमल को अहसास होता है की वो थोड़ा ज्यादा ही हाइपर हो रही है इसलिए फिर वह चुपचाप ड्राइविंग पर फोकस करने लगती है और दोनो ही जल्द स्कूल पहुंच चुके थे।



सच में आज कोमल बहुत लेट हो गई थी जैसे ही वह स्कूल के अंदर आती है तो उसे लाउडस्पीकर से प्रेयर की आखिरी लाइन के कुछ शब्द सुनाई दे जाते है जिसका मतलब साफ था की प्रेयर खत्म और उसकी क्लास का पहला पीरियड चालू हो चुका था।



कोमल–ले बेटा इसे पार्किंग में जल्दी से खड़ी करके अपनी क्लास में पहुंच मैं भी ऑफिस लौटकर आती हूं।



और कोमल वही गेट पर रजत को स्कूटी पकड़ा कर स्टाफ ऑफिस की ओर जल्दी जल्दी लंबे लंबे कदम बढ़ा कर जाने लगती है।



इधर रजत अपनी मां से स्कूटी ले कर पार्किंग में आ जाता है और जैसे ही वह पार्किंग के अंदर आता है तो उसकी नजर एक बाइक पर पड़ती है जिसे वह ललचाई नजरों से देखने लगता है ये एक काले रंग की रॉयल इनफील्ड बाइक थी जो की उसी की क्लास का एक लड़का लेके आता था जिसे देख रजत एक पल के लिए खो ही जाता है वह काले रंग की रॉयल इनफील्ड उस पार्किंग में खड़ी सभी बाइक में से अलग दिख रही थी।

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अभी रजत अपनी ही सोच में डूबा था की अचानक ही उसकी स्कूटी का क्लच उससे छूटते छूटते रह जाता है जिसे वह बड़ी ही फुर्ती से कंट्रोल कर लेता है और फिर वह जल्दी से अपनी स्कूटी को एक जगह पार्क कर अपनी क्लास की ओर भाग लेता है।
Jabardast update
 

ellysperry

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Update 2
इधर रजत अपनी मां से स्कूटी ले कर पार्किंग में आ जाता है और जैसे ही वह पार्किंग के अंदर आता है तो उसकी नजर एक बाइक पर पड़ती है जिसे वह ललचाई नजरों से देखने लगता है ये एक काले रंग की रॉयल इनफील्ड बाइक थी जो की उसी की क्लास का एक लड़का लेके आता था जिसे देख रजत एक पल के लिए खो ही जाता है वह काले रंग की रॉयल इनफील्ड उस पार्किंग में खड़ी सभी बाइक में से अलग दिख रही थी अभी रजत अपनी ही सोच में डूबा था की अचानक ही उसकी स्कूटी का क्लच उससे छूटते छूटते रह जाता है जिसे वह बड़ी ही फुर्ती से कंट्रोल कर लेता है और फिर वह जल्दी से अपनी स्कूटी को एक जगह पार्क कर अपनी क्लास की ओर भाग लेता है।


अब आगे–



इधर ऑफिस में कोमल जैसे ही अंदर आती है और जैसे ही मिश्रा की नजर कोमल पर पड़ती है तो उसका मुंह खुला का खुला रह जाता है कोमल एक हरी रंग की साड़ी में बिल्कुल किसी आसमान से आई कोई अप्सरा सी जान पड़ रही थी वह उसका चेहरे की चमक उसके होठों की लाली उसके मध्यम वर्गीय स्तन और सबसे आकर्षक उसके सपाट पेट पर वो गहरी नाभी ऐसे दिख रही रही थी मानो सारे संसार की काम वासना उस नाभी में ही समाहित हो जिसे देख मिश्रा का अंग अंग काम वासना से भर उठा उसकी पलके झपकने का नाम ही नहीं ले रही थी।

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अभी उसके लिए इतना ही काफी नहीं था जब कोमल ने जल्दी प्रेजेंटी रजिस्टर उठाया और बिना मिश्रा से कुछ कहे या उसकी तरफ देखे ही वापिस जाने लगी।


मिश्रा एक बार फिर स्तब्ध रह गया उसका छोटा सा हथियार उससे बगावत करने लगा जब मिश्रा ने कोमल को तेजी से जाते देखा कोमल चाल से उसकी हरे रंग की साड़ी से लिपटी उसकी गांड़ आज मिश्रा पर कहर ढा रही थी जैसे ही कोमल मिश्रा की आंखों से ओझल होने को हुई मिश्रा हड़बड़ा कर जल्दी से उसने अपनी कुर्सी छोड़ी और कार्यालय के गेट पर ही आकर खड़ा हो गया और वह कोमल की मटकती उस गांड़ अपने दूर जाते हुए देखने लगा।

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कोमल के हर एक कदम पर उसके लंबे बाल जिन्हे आज उसे बस एक रबर बैंड लगा कर ऐसे ही खुला छोड़ दिया था आज उसने ना तो बाल बांधे थे और ना ही कोई मेक अप किया कोमल के वो बाल उसके चलने से कभी इधर तो कभी उधर आ रहे थे जिसे मिश्रा को कोमल के उन बालो से जलन सी होने लगी।


वह सोचने लगा काश वह आज कोमल के बालों का हिस्सा होता तो आज वह इस खूबसूरत स्त्री के नितम्भ बिल्कुल ऐसे ही चिपका होता जैसे की अभी उसके ये बाल उसकी गांड़ से चिपके हुए है कार्यालय के गेट पर खड़े खड़े मिश्रा बस कोमल को ही घूरे जा रहा था जब तक वह उसकी आंखो से ओझल ना हो गई तब तक वह बस उसे ही देखे जा रहा था फिर मुड़ते हुए अपने ही आप में बोला –काश ये मेरी हो जाए काश मैं इस फूल का रस चख सकू काश ये मेरी बाहों पूरी तरह नग्न होकर मदहोशी में मुझे प्यार करे आह कितना मजा आयेगा वो पल कितना हसीन होगा और ये ही सब सोचते हुए उसका लिंग उसके पैंट के अंदर ही झटके मारने लगा।


अब वह अपनी कुर्सी की ओर बढ़ने लगा दरसल अभी कार्यालय खाली ही था सभी स्टाफ टीचर अपनी अपनी क्लास में थे मिश्रा जो की इस स्कूल में एक क्लर्क का कार्य करता था वो अभी अपने उसी कार्यालय में बैठा था ये उसी का ऑफिस था और साथ साथ ही स्कूल का स्टाफ भी यही पर बैठता था जब वो फ्री टाइम में होते थे।


इधर रजत भी जल्दी से अपनी क्लास में घुस गया और जैसे ही वह अंदर आया क्लास की आधे से ज्यादा लड़कियां रजत की लुक को देख उसपे मर मिटी कोई उसे देख अपने दातों तले होंठ दबाता तो अपनी जांघो को जोर से भींचता तो कोई कोई तो अपनी सांसों को फूला कर अपने स्तनों के उभार को ऐसे बढ़ा देता मानो रजत अभी उनके स्तनों को पकड़ कर मसलने आने वाला है, ऐसा नहीं था की सिर्फ रजत ही पूरी क्लास का एक अकेला मात्रा हैंडसम हीरो था वहां पर कई हैंडसम और मस्त से दिखने वाले लड़के थे और एक तो उन सबका बाप ही था नवीन जिसकी पर्सनालिटी को मात देना पूरी क्लास में किसी के बस की बात नहीं थी ऊपर से वो एक अमीर बाप की औलाद भी था उसके बाप का नाम ही काफी था की लोगो की पैंट गीली हो जाती थी।


हां चलो माना की मेरे हीरो के पास आज उतना पैसा नहीं था लेकिन अपने हीरो की पर्सनालिटी की बात ही अलग थी क्लास की अगर आधे से ज्यादा लड़कियां पैसों की वजह से नवीन के पीछे जाती थी तो भी वही अभी अनेकों लड़कियां थी जो सिर्फ रजत की बस एक लुक पर मर मिटने को तैयार थी।


रजत अपनी मां की वजह से ही क्लास की सबसे आगे वाली रॉ में हमेशा बैठता था वैसे उसे ये जगह बिल्कुल भी पसंद नही थी वो तो हमेशा लास्ट बेंचर ही रहा है रजत एक बार हशरत भारी निगाह से उस लास्ट बेंच को देखता है और फिर उस पर बैठे अपने सहपाठियों को देखा और फिर मायूस होकर आगे वाली सीट पर बैठ गया।


एक लड़की अपनी जांघो को भींचते हुए अपनी बगल वाली फ्रेंड से बोली–यार देख ये कितना हैंडसम कितना क्यूट और कितना खूबसूरत बिल्कुल किसी सपने के राजकुमार जैसा इसके होंठ तो देखो कितने गुलाबी है मेरा मन तो बस इसके होंठो को चूसने का कर रहा है।


दूसरी लड़की बोली–मात्र इसकी वजह से ही मैंने पैन्टी पहनना छोड़ दिया इसको जब भी देखती हूं मेरी पैन्टी गीली हो जाती है और फिर पूरा दिन गीली पैन्टी ही पहनना पड़ता है और तू सिर्फ इसके होंठो के बारे में ही सोच रही है सोच जब ये इतना खूबसूरत है तो इसका लण्ड भी इसी की तरह सुंदर होगा हाय मेरी जान मेरी मुनिया तो बस इसे ही सोच कर झरना बनी हुई है काश एक इसका लण्ड देखने को मिल जाए बस एक बार चूसने को मिल जाए तो मैं तो अपनी पढ़ाई पूरी समझ लूंगी

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वही रजत भी एक बार सभी लड़कियों को देखता है तो पाता है की ज्यादा से ज्यादा लड़कियां उसे ही देख रही है लेकिन उसकी नजरे तो बस हिमानी को खोज रही थी लेकिन उसे आज हिमानी कहीं भी नजर नहीं आ रही थी तभी उसकी नज़र शिवानी से टकराती है उसकी बड़ी बड़ी कजरारी आंखे बस रजत को ही देख रही थी रजत भी एक बार उसे देख कर प्यारी सी स्माइल करता है जिसके बदले में शिवानी भी उसे प्यारी सी स्माइल देती है और फिर रजत सामने की ओर देखने लगता है।


लेकिन इधर शिवानी की चूत ने तो उससे बगावत ही कर बैठी उसकी चूत पानी पे पानी छोड़े जा रही थी अभी उसके लिए ये ही काफी नहीं था जब उसकी नजरे अपने अगल बगल बैठी लड़कियों को देखा तो उसे अहसास हुआ की रजत की वो स्माइल कितनी ज्यादा खतरनाक है उसके अगल बगल बैठी उसकी फ्रेंड बस उसे गुस्से से ही देखे जा रही थी।


अभी तक तो रजत ने लड़कियों की चूत गीली करके रक्खी थी की तभी रजत की मां क्लास के अंदर आ जाती है और बस उसके अंदर आते ही सभी के सभी छात्र खड़े होकर उसे ग्रीड करते है लेकिन लड़के तो लड़के लड़कियां भी अब अपनी आंखे फाड़े बस कोमल को देखे जा रहे थे और इधर पीछे कुछ लड़के तो बैठना ही भूल गए क्यूंकि कोमल ने सबकी ग्रीड को स्वीकार कर उन्हे वापस बैठने को तुरंत ही कहां था लेकिन बहुत से लड़कों को उन्हे कोमल की कोई आवाज ही नहीं सुनाई दी

जिस कारण वो लोग अभी भी खड़े होकर बस कोमल को देखे जा रहे थे और उनके बगल में बैठे उसके मित्र ये देख हसे जा रहे थे।


कोमल–what happened to you guys?, "I said to sit down"


और तब जाके वो लड़के दोबारा से कहने पर बैठे वही नवीन और उसका दोस्त ललित दोनो की ही हालत खराब हो चुकी थी दोनो के ही लौड़े टाइट हो चुके थे।


नवीन...यार मैम क्या लगती है क्लास में आते ही लण्ड खड़ा कर दिया यार ये बवाल है काश ये मेरी गर्लफ्रेंड बन जाए तो मैं इस क्लास की सारी लड़कियां तेरे लिए छोड़ दूं काश इसका सोने जैसा चमकता हुस्न मेरी बाइक मेरे बेड और मेरी बाहों होता तो कितना मजा आता और फिर वो एक हाथ से अपने लण्ड को मसलते हुए बोला


आह साली रण्डी रोजाना सुबह सुबह ही लण्ड खड़ा करके चली जाती है आहहह

क्या फिगर है।


ललित–हां भाई इसे देखकर किसका नही खड़ा होता होगा अभी अगर पूरी क्लास के लण्ड देखे जाए तो सभी के सभी खड़े होकर बस इसे सलामी मार रहे होंगे।


नवीन–अबे बहन के लौड़े वो तेरी भाभी है और मेरी होने वाली नई गर्लफ्रेंड और तेरी ये मजाल तू मेरी गर्लफ्रेंड को देख अपना लण्ड खड़ा करे साले तेरा लण्ड काट के फेंक दूंगा अभी के अभी इसे नीचे कर।


ये सुनते ही ललित की गांड़ फट जाती है वो भूल कर भी नवीन को ना नही कर सकता था आज अगर इस स्कूल में ललित जो कुछ भी था उसके पीछे नवीन ही था नवीन की वजह से ही उसने दूसरी गर्लफ्रेंड बनाई थी हां ये बात और थी की वह नवीन की छोड़ी हुई थी जिसकी नवीन ने चोद चोद कर फाड़ दी थी और अब उसे ललित चोद रहा था लेकिन फिर भी ललित अच्छी तरह जानता था वह अपने दम पर लड़की तो छोड़ो एक मक्खी भी नही चोद सकता फिर लड़की को चोदना तो उसके सपने जैसा होगा और यही नहीं ललित के छोटे मोटे सौक के खर्चे भी ललित ही उठाता है तो इस हालत में वह उसे गुस्सा नही कर सकता।


ललित–(थोड़ा घबराते हुए) ल ले लेकिन लेकिन भाई ये कैसे हो सकता है भला इसमें मैं कैसे क्या कर सकता हूं भाई वो इतनी हॉट और सेक्सी अरे सॉरी सॉरी भाई मुझे माफ कर दो।


नवीन ललित की शक्ल और उसकी हालत को देख अपनी हसी ना रोक पाया अभी वह ललित को और परेशान करता लेकिन उसकी चेहरा देख नवीन की हसी उससे कंट्रोल ना हुई और फिर वह हस्ते हुए बोला।


नवीन–अबे मैं मजाक कर रहा था अपना चेहरा तो देख कैसा बनाया है ऐसा लगता है मैने अभी अभी तेरी गांड़ मारी है वो भी बिना तेल के हाहाहाहा मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता की उस मादरचोद की मां को कौन कौन बुरी नजर से देखता है और मैं तो खुद चाहता हूं की वो रण्डी पूरी क्लास से चुदवाए ये गाँडू रजत बस अपनी मां को चुदते हुए देखता रहे।


ललित नवीन की बात सुन उसे थोड़ा राहत मिलती है और फिर वह भी एक बनावटी स्माइल देकर हसने लगता है।


इधर कोमल एक बार पूरी क्लास पर अपनी नजर दौड़ती है और फिर प्रजेंटी लेने लगती है और उसके बाद वह अपना सब्जेक्ट इंग्लिश पढ़ाने लगती है।
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Awesome update bro

But Bhai ye lalit aur Naveen kuch jyada hi soch rha hai
But aapse ek baat karunga ki agar story incest hai to incest hi rahne Dena aur aise chooso ( Naveen aur lalit) ko dur ho rakhi komal se aur

kya Naveen aur lalit ko nhi hai hai ki Komal ,Rajat ki maa hai ...?
 

ellysperry

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Update 3
ललित नवीन की बात सुन उसे थोड़ा राहत मिलती है और फिर वह भी एक बनावटी स्माइल देकर हसने लगता है।


इधर कोमल एक बार पूरी क्लास पर अपनी नजर दौड़ती है और फिर प्रजेंटी लेने लगती है और उसके बाद वह अपना सब्जेक्ट इंग्लिश पढ़ाने लगती है।



अब आगे –



कोमल अपनी क्लास को खत्म कर चली जाती है हां जाने से पहले वह एक बार हिमानी के बारे जरूर पूछती है।


कोमल–रीतू हिमानी नही दिख रही है, क्या आज वह स्कूल नही आई है? क्या कोई प्राब्लम है?


रीतू–मैम उसने मुझे आज ना आने के बारे में कुछ भी नही बताया था।


कोमल–ओ अच्छा (थोड़ा उदास होते हुए) दरसल हिमानी कोमल की पसंददिदा स्टूडेंट थी और हो भी क्यूं ना हिमानी एक ऐसा कैरेक्टर जो ढूढने से भी नही मिलता और कोमल की फेवरेट होने का एक और रीजन था क्यूंकि कोमल हिमानी में अपना बचपना देखती थी हिमानी पूरी क्लास में सबसे सुंदर लड़की थी और इसके साथ ही वह पढ़ने में भी बहुत तेज़ भी किसी जमाने में कोमल भी उसी की तरह अपने क्लास की सबसे सुंदर लड़की हुआ करती थी और पढ़ाई में तो उसने हमेशा टॉप किया था लेकिन एक बात थी जो इन दोनो में थोड़ा अलग था और वो ये जहां हिमानी बहुत ही शांत स्वभाव की लड़की थी वही कोमल चुलबुली हुआ करती थी और इसी कारण वह अपने स्कूल और कॉलेज के दिनों काफी चर्चित हुआ करती थी। खैर उसके बाद कोमल बाहर निकल जाती है और उसके निकलते ही रजत अपनी सीट बदल देता है ऐसा वो रोजाना करता था वो कोमल के लिए आगे बैठता और जैसे ही उसकी क्लास खत्म होती तो वो अपनी पसंददीदा जगह पर ही जाकर बैठता और उसकी पसंदीदा जगह उस क्लास की लास्ट बेंच थी जिस पर दो लड़के हमेशा बैठे होते और वो भी रजत के आने का ही इंतजार किया करते।



चिराग और चीनू ये दो लड़के रजत के बेस्ट फ्रेंड थे ये दोनो भी एक साधारण परिवार से ही आते थे इनके परिवार का विवरण तब ही दिया जाएगा जब उसकी जरूरत होगी।


रजत–अबे चोमू कल तू प्ले ग्राउंड क्यूं नही आया हम सब तेरा ही इंतजार कर रहे थे साले तेरी वजह से ही हम कल का मैच हार गए और वो मादरचोद बाजपेई साले को खेलने को नही मिला तो जान बुझ कर कैचेज छोड़ रहा था उसके जैसा मक्कार आदमी नही देखा अरे भाई हम लोग कोई मजे के लिए तो नही खेल रहे थे आखिर कल टूर्नामेंट था लेकिन बहन चोद को खेलने को नही मिला तो फील्डिंग में गद्दारी कर गया।


चिराग–मैं तो तेरे से पहले ही कह रहा था इस मादरचोद बाजपेई और रघू पे भरोसा नही कर सकते तूने देखा नही रघु की बोलिंग कितनी गंदी थी साला हर एक ओवर में पिट रहा था।


रजत–अब क्या करे ये सब इन जनाब की वजह से हुआ अगर ये आया होता तो बोलिंग ये संभालता और फील्डिंग हम दोनो वैसे अभी तक तूने बताया नही तू आया क्यूं नही था।


चीनू–यार कल लड़के वाले दीदी को देखने आए थे जिसकी वजह से नही आ सका मैं तो तुम लोगो को भी बुलाना चाहता था लेकिन मुझे पता था कल का क्रिकेट इंपॉर्टेंट है इसलिए फिर मैने तुम दोनो को नही बुलाया लेकिन अगर मुझे मालूम होता मेरा होना इतना जरूरी है तो फिर मैं कैसे भी करके आने की पूरी कोशिश करता।


अभी ये सभी आपस में बाते कर ही रहे थे की रागिनी मैम अंदर आ जाती है रागिनी मैम इस स्कूल की दूसरी बोल्ड टीचर इनकी तारीफ जितनी की जाए उतना ही कम है और आज तो शायद ये अपनी क्लास लेने नही बल्कि बच्चो की गांड़ फाड़ने आई थी क्यूंकि आज उसने एक ब्लैक कॉलर की साड़ी पहनी हुई थी और उसके साथ ही स्लीवलेस ब्लैक ब्लाउज जिसमे वो बिल्कुल काम वासना से लिपटी कोई अप्सरा नजर आ रही थी इसकी चूचियां कोमल की चुचियों से बड़ी थी और इसका जिस्म भी थोड़ा गदराया भी था और इसका सबसे आकर्षक अंग इसकी हाहाकारी गांड़ जो बाहर को निकली हुई थी और जब ये चलती तो वह ऐसे हिलती जैसे "रज्जो का कोठा"

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रागिनी मैथ की टीचर थी उसके आते ही पूरी क्लास में खामोशी छा जाती है और सब उसे ही ताड़ने लगते है अभी कुछ देर पहले ही जो लण्ड थोड़े बहुत ढीले पड़े होंगे वो एक बार फिर से अपना सर उठाने लगे और फिर आज की तरह सारे लड़के रागिनी के गदराए जिस्म को देख वह कोमल के जिस्म से तुलना करने लगे वह सभी अपने मन में दोनो को नंगा कर सोचने लगे की कौन सबसे मस्त दिखता होगा ओबियस ज्यादा वोट तो कोमल के ही पछ में गिरने वाले थे पर अभी शायद रागिनी को देखने की जरूरत सभी को थी मानो जैसे वो कोई अमृत दश्य हो जिसे देखने से सुकून मिलता हो हां सही कहां सुकून ही तो मिलता है देखने वाले को भी और दिखाने वाले को भी 🤫


यहां अपना रजत भी कैसे शांत रहता वो भी आंखे फाड़े अपनी रागिनी मैम के जलवे देख हैरान था रागिनी के आगे की घुराली लटे उसकी खूबसूरती में चार चांद लगा रहे थे रागिनी जिसकी उम्र अभी 25 वर्ष थी वह खुद भी किसी भी तरह से टीचर नही बल्कि उनकी ही क्लास की कोई सहछात्रा ही दिख रही थी।

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इधर जब रागिनी ने देखा की क्लास के सारे ही लड़के बस उसे ही ताड़ रहे है तो वो अंदर ही अंदर बहुत खुश हो जाती है और अपने मन सोचने लगती है।


वाह रागिनी देख ये लड़के कैसे तुछे ताड़ रहे है देख रही है इनकी नजरे तेरे किन किन को अब तक तो ना जाने कितनी बार नंगा कर चुके होंगे और फिर रागिनी एक बार नवीन और रजत को अच्छी तरह से देखती है तो पाती है की वो दोनो भी बस उसे ही घूरे जा रहे थे जिसे देख रागिनी अंदर ही अंदर सिहर जाती है और उसके चेहरे पर एक अलग ही मुस्कान आ जाती है।


इसके कुछ देर बाद रागिनी अपना सब्जेक्ट रिवीजन करवाती है आज उसका मन पढ़ाने में बिल्कुल भी नही था वह पहले लड़कियों के पास जाकर उन्हें कुछ क्वेश्चन देती है जिन्हे उनको सॉल्व करना था और उसके बाद वो कुछ क्वेश्चन लडको को देती है क्वेश्चन दोनो ही पछ के हार्ड थे जिनको आसानी से तो नहीं सोल्ब किया जा सकता था लेकिन कुछ बच्चे थे जो पढ़ने में थोड़ा होशियार थे जिन्होंने जल्द ही उन सभी क्वेश्चन के हल जल्दी से खोज निकाले नवीन जिसको ये क्वेश्चन नही आते थे लेकिन उसने रागिनी का दिल जीतने के लिए चीटिंग करली और इधर रजत उसके भी 2 ही क्वेश्चन सॉल्व हुए थे जब रागिनी सभी की नोटबुक चेक करने को उनके पास जाती और झुककर उनकी नोटबुक देखती तो उसकी चूचियां नीचे को लटक जाती और रागिनी के बड़े क्लीवेज से उसके चूचियों की बड़ी सी घाटी अच्छे से दिखने लगती लेकिन रागिनी तो अच्छे से जानती थी और वह तो खुद ऐसा ही चाहती थी वह बस चोर नज़रों से उनकी नजरों को देखती और फिर झूठा गुस्सा दिखाते हुए आगे बढ़ जाती ऐसे ही जब वह नवीन के पास आई तब नवीन ने भी अपनी नजरे उसकी चूचियों में ही गड़ा दिया और वह उसकी चुचियों को घूरते हुए अपने होंठो पर जीभ फेरने लगा जिसे देख रागिनी बस शांती से कभी कभी उसकी नजरों को देखती वह अभी नवीन के लिए थोड़ा परेशान थी उसने नवीन पर अपना गुस्सा तो जाहिर नही किया क्यूंकि वह जानती थी नवीन एक बड़ी हस्ती है और उसे ऐसे डायरेक्ट ओफेंड करना सही नहीं था इसके बाद वह वहां से रजत की ओर आती है और रजत की टेबल के पास आके खड़ी हो जाती है।


वही रजत को जैसे आभास होता है तो वह भी अपनी गर्दन उठाने लगता है लेकिन अभी वह अपनी गर्दन उठा कर रागिनी की नजरों से मिलाता उससे पहले ही उसकी नजर एक जगह पर आके ठहर गई दरसल रागिनी जब नवीन के पास से आई तो उसकी साड़ी उसके पेट से हट गई और उसकी गहरी नाभी दिखने लगी जो अभी रजत की बिल्कुल आंखो के सामने और उसके बहुत ही करीब थी जिसे देख वह बुत ही बन गया वही चिराग और चीनू अभी अपनी नोटबुक में लगे हुए थे वो दोनो ही डरे से लग रहे थे और इसीलिए अपनी नजरे ऊपर नही कर पा रहे थे वो जानते थे की अगर उन दोनो ने मैम से नजरे मिलाई तो मैम जरूर उनसे पूछ बैठेंगी जबकि अगर वो ऐसे ही बैठे रहे तो मैम उनको छोड़ आगे बढ़ जाएगी।


लेकिन यहां तो शीन ही अलग था रजत रागिनी की नाभी में ऐसे खो गया था जैसे वह गहरे संदर में उतर गया हो और जब रागिनी ने रजत की नजरों का पीछा किया तो उसके चेहरे पर हैरानी के साथ मुस्कान आए बिना रह ना पाई और मन में सोचने लगी।


रागिनी (अपने मन में) ये भी नहीं रजत मुझे तुमसे ये उम्मीद नहीं थी और देखो तो कैसे मेरे नंगे पेट को देख रहा है मतलब ये भी सभी की तरह ही है।


रजत (अपने मन में) यार ये मैम को भगवान ने कितना मस्त बनाया है देखो तो कोई इनकी खूबसूरती पर नजर ना लगा सके इसलिए भगवान ने मैम की कमर पर काला तिल भी दे दिया ये कितना खूबसूरत है काश मैम अपनी कमर में कमर चैन और पहन ले तो कितनी मस्त दिखे।

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इधर जब रागिनी रजत की नजरों को बर्दाश्त नहीं कर पाती तो वह वहां से हट कर फिर से लड़कियों की ओर बढ़ जाती है और उनकी नोटबुक चेक करने चली जाती है लेकिन फिर अचनाक ही वह एक बार मुडकर देखती है तो पाती है की रजत अपनी नोटबुक में झुकापड़ा है जिसे देख रागिनी अपने सर पर हल्के से हांथ मारती है और हस पड़ती है और उसके मुंह से बस इतना ही निकलता है (बुद्धू)



और फिर ऐसे ही पूरा दिन निकल जाता है स्कूल की लीव के बाद कोमल और रजत फिर से एक ही स्कूटी में बैठकर अपने घर की ओर निकल पड़ते है।
Jabardast update
 

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Update 5





अगली सुबह रजत आज थोड़ा देरी से उठा फिर उसने जल्दी से अपना डेली रूटीन के काम खत्म कर नहाया और फिर नीचे आ गया।



दरसल रजत का मकान 2 खंड का बना हुआ था (ग्राउंड और फर्स्ट फ्लोर) ग्राउंड फ्लोर पर 2 रूम 1 स्टोर रूम किचेन बाथरूम और इस सबके साथ लगा हुआ एक बड़ा सा हॉल और सेम ऐसा ही ऊपर वाले फ्लोर बने हुए थे नीचे के एक रूम कोमल उसे करती जबकि दूसरा रूम को गेस्ट रूम बना रक्खा था और रजत को ऊपर वाले रूम पसंद आए इसलिए वह ऊपर वाले एक रूम को अपना बेड रूम और दूसरे रूम को अपना स्टडी रूम बनाए हुए था ये मकान ना ही रजत का था और ना ही कोमल का बस कोमल इस मकान में तब से रह रही थी जब से उसने अपना घर छोड़ा था ये मकान किसी ऐसे शक्स का था जो कोमल को बहुत ही करीब से जानता था और उसने कोमल का तब साथ दिया जब कोमल को एक सहारे की सबसे ज्यादा जरूरत थी।


लेकिन ये कौन हो सकता है और कोमल का उसके साथ कितना गहरा रिश्ता है ये तो आगे ही पता चलेगा.....



अभी तो रजत को सिर्फ इतना ही मालूम था की ये मकान उसके पिता ने बनवाया था लेकिन किसी झगड़े की वजह से वह उसकी मां से दूर रहने लगे रजत को अपने पिता का नाम तक नहीं पता था क्यूंकि कोमल ने बस उसे इतना ही बताया था लेकिन रजत को अपने डैक्यूमेंट्स से अपने पिता का नाम तो मालूम हो गया था "मिस्टर रंजीत सिंह" लेकिन उनकी फोटो को उसने अब तक किसी भी डैक्यूमेंट्स में देखने को नही मिली थी वह जब भी अपनी मां से इस विषय में बात करता तो उसे कोमल शख्ती से साफ मना कर देती की वह उसके पिता के बारे में कभी ना पूछे और जब उचित समय आएगा तो वो उसे खुद बता देगी इसके साथ ही उस दिन उसका मूड ऑफ ही रहता जिसके चलते रजत को काफी दुख होता और बस इसी वजह से अब वह अपने पिता के बारे में कोई बात नही करता।



वापस कहानी पर....




रजत ने नीचे आकर देखा तो उसे उसकी मां कही भी नजर नहीं आ रही थी।


रजत – मां मां कहां हो आप मां....


लेकिन कोई आवाज नहीं आई....


मां मां.....


जब रजत को कही से फिर आवाज नहीं आई तो वो सोच में पड़ गया क्या मां अभी तक शो रही है कहीं आज फिर से तो वो रात में....



और रजत को जैसे कुछ याद आया तो उसकी पूरी बॉडी सिहर सी गई और वह थोड़ा चिंतित भी नजर आने लगा उसने दौड़कर अपनी मां का रूम खोला तो उसे कोमल वहां भी नही फिर रजत ने नीचे से लेके ऊपर तक पूरा घर तलाश लिया लेकिन उसे उसकी मां कहीं नजर ना आई लेकिन अब रजत भी थोड़ा थक चुका था इसलिए अब वह एक जगह जमीन की ही फर्श पर बैठ गया और सोचने लगा की ये मां कहां चली गई सुबह सुबह बिना उसे बताए।



रजत– क्या मां कहीं बाहर गई है लेकिन अगर उसे बाहर जाना होता है तो वो बिना मेरे तो कहीं भी नही जाती फिर आज कैसे नही ये तो पक्का है वो अकेले बाहर कभी नही जायेगी तो फिर वो है कहां पर अब रजत फिर से थोड़ा सोचते हुए....


मैने नीचे का पूरा घर देख लिया और ऊपर का भी पूरा घर देख लिया अब बचा अरे हां नीचे का स्टोर रूम और ऊपर टैरेस अभी ये बाकी है तो चलो पहले टैरेस देख लेते है और फिर रजत तेज कदमों के साथ टैरेस की ओर बढ़ने लगता है।


और जब रजत टैरेस पर देखता है तो पाता है की उसकी मां कोमल घर की छत पर बैठी किसी शून्य में देखती बस अपनी ही यादों में खोई हुई थी उसके चेहरे पर किसी भी प्रकार के कोई भाव नहीं थे रजत ने तो आज तक अपनी मां की हसी ही ना देखी थी और ना सुनी थी उसे तो बस उसकी मां की लाल आंखे बड़ी बड़ी देखने को मिला करती थी।


रजत अपनी मां की ऐसी हालत देख बहुत दुखी हो जाता है उसे कुछ भी समझ नही आता की वह क्या करे उसकी मां उससे कुछ भी बताती नही किसी और से पता तो चलने वाला है नही क्यूंकि कोमल की कोई फ्रेंड तो है नही और ना ही उसका कोई रिलेटिव जिसे रजत जानता हो और ये रंजीत मेरे डैड कौन और किस तरह के आदमी है जो अपनी बीबी और अपने बेटे को ऐसे अकेला छोड़ कर चला गया।


फिर रजत दौड़कर कर नीचे किचेन में जाता है और फ्रिज से एक ठंडी बोतल और एक गिलास लेकर अपनी मां की ओर दौड़ पड़ता है।


अभी अभी तो रजत इतनी सीढियां चढ़ कर ऊपर गया था फिर दौड़कर नीचे भी आया और अब फिर से दौड़कर ऊपर जा रहा था क्या अब उसे थकवाट नही हुई शायद नही क्यूंकि ये उसकी मां का सवाल था वह अपनी मां के लिए तो पूरी दुनिया पैदल ही नाप ले भला ये सीढियां क्या चीज थी।


रजत दौड़कर जल्दी से बोतल में से पानी ग्लास में डालता है और फिर अपनी मां के कंधे को पकड़कर बुलाता है।


रजत – मां मां ये लो पानी पी लो...


कोमल जो न जाने कब से यहां बैठी थी जब वह अपने बेटे को देखती है जो की उसे पानी पीने को बोल रहा था रजत के माथे पर चिंता की सिलवटे साफ झलक रही थी और दोनो ही मां बेटे के होंठ खुले हुए फड़फड़ा रहे थे दोनो की नजरे आपस में मिलती है तो रजत देखता है की उसकी आंखे पूरी तरह लाल है उसकी आंखे में दर्द पीड़ा घुटन भरा पड़ा हुआ था जिसे देख रजत का गला रूंध सा जाता है।


कोमल ने अपना हाथ आगे बढ़ाया वह रजत से पानी का ग्लास लेने लगती है और जब वह रजत के हाथ से ग्लास लेती है तो रजत को अहसास होता है की उसकी मां का हाथ कांप रहा था और बस अब रजत से बर्दास्त नही होता उसकी आंखे अपने आंसू नहीं रोक पाती अब रजत की आंखे किसी झरने की तरह बहने लगती है और फिर रजत झट से आगे बढ़ अपनी मां को अपने आगोस में भर लेता है।


वही कोमल को तो जैसे कोई फर्क ही नहीं पड़ता उसने अपना जो हाथ आगे बढाया था उसे बस अपने बेटे के कंधे पर रख देती है रजत काफी देर तक बस ऐसे ही अपनी मां को अपने से लगाए खुद से रोता रहा और फिर उससे दूर होकर खुद अपने हाथों से अपनी मां को पानी पिलाने लगा...


फिर रजत अपनी मां को सहारा देकर नीचे ले आया और उसे उसके कमरे में लिटा कर जल्दी से बाहर कुछ खाने को लाने के लिए निकल गया।


दरशल आज रात कोमल बिल्कुल भी नही सोई थी जिस कारण उसकी हालत ऐसी हो गई थी उसने रात भर ऐसे ही खुद की घुटन से तड़पती हुई काटी थी और जब सुबह हुई तो वह टहलते टहलते छत पर निकल गई थी और रात भर की थकवाट से वो वही बैठ गई थी।
Awesome update bhai

Per wo kareebi insaan kaun hai ..? Jisne komal ka sath diya ,bas uske sath koi chakkar na chala dena komal ka
 
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