Nice update broअपडेट
सुबह हो चुकी थी।सूरज ने रानीगंज पे दस्तक दे दिया था।पर ये सुबह दो लोगों के लिए खुशी और उमंग से भरा हुआ था।वो कोई और नहीं अजय और सुनीता थी।आज ये दोनों एक दूसरे में बहुत खुश थे।
अजय अभी भी छत के मचान पे सो रहा था।८:३० बज चुके थे।धूप निकल गई थी पर मचान ऊपर से ढाका हुआ था और चारों तरफ से खुला था इसलिए अजय को धूप नहीं लग रही थी।और फिर कुछ देर बाद अजय अंगड़ाई लेते हुए उठाता है ।उसने एक टी शर्ट डाली हुई थी और गर्मी के कारण लोवर निकल रखा हुआ था और सिर्फ बॉक्सर में था।और बॉक्सर के अंदर उसका लौड़ा पूरा खड़ा था और उसमें वो धीरे से हाथ फेरता है और फिर देखता है उसकी मां सुनीता नहीं है क्योंकि रात को दोनों एक साथ मचान पे सोए थे और वो पैरो मैं चप्पल डाल कर नीचे की तरफ जाता है और सुनीता के कमरे में देखता है या वहा भी कोई नहीं होता।
फिर वो किचेन की तरफ जाता है तो सुनीता की वहां पता है।सुनीता की पीठ उसकी तरफ थी और उसे नहीं पता होता कि अजय जग गया है।अजय पीछे से उसके जिस्म का दीदार करने लगता है।उसकी नजर आ कर सुनीता की गांड़ पे रुकती है।और उसका लौड़ा बगवत करने लगता है उसकी गांड़ को देकर।सुनीता के काले लंबे बाल जो उसके गांड़ तक आते थे।वो उसके जिस्म को और कामुक बनते थे।अजय को लंबे बाल वाली लड़िकयां या औरत जायदा पसंद थी।
अजय कुछ देर सुनीता के बदन को देखने के बाद सीधा उसके पीछे जा कर खड़ा हो जाता है।सुनीता इस वक्त नहा धो कर अपनी मैक्सी में थी।और अजय सीधा सुनीता के पीछे जा कर अपना लन्ड उसकी गांड़ की दरार में फसा देता है।पहले तो सुनीता डर जाती है।फिर उसे याद आता है कि घर में उसके और उसके बेटे के अलावा कोई नहीं है और फिर वो बड़े प्यार से बोलती है।
सुनीता: उठ गए आप।अपने बताया नहीं था कितने बजे उठाना है वरना मैं आपको आकर उठा देती।
अजय: कोई बात नहीं मेरी जान ।तू बड़ी मस्त महक रही है लगता है नहा ली क्या।और ये बोलते ही वो अपने लन्ड वो दरार में घिसने लगता है।
सुनीता:मेरे राजा मत तड़पिए इतना कल रात से अपने मेरा पानी नहीं निकला कब से तड़प रही हु।कुछ कीजिए स्वामी मेरे प्राणनाथ।
और अजय अभी भी अपना लन्ड उसके गांड़ में फसाए रखता है।और अपने दूसरे हाथ से मैक्सी के ऊपर से ही उसके बुर को मसलने लगता है।और ये आग में घी डालने का काम था। सुनीता तड़प उठती है। और अजय अब कस कस के उसकी बुर के मसलता रहता है।और कभी कभी तो अपने पूरे हाथों के पंजों से पूरी बुर को भीज देता है जिस से सुनीता के पैर कमजोर पड़ने लगते है और वो झड़ने को होती है पर तभी अजय उस से अलग हो जाता है।और सुनीता तुरंत पीछे मुड़कर बोलती है।
सुनीता:मालिक रेहम कीजिए बहुत तड़प रही हु।एक बार मालिक ठंडा कर दीजिए।
अजय तुरंत सुनीता को अपनी और खींचकर अपने से सटा लेता है और उसके होंठों का रसपान करने लगता है।दोनों एक दूसरे के थूक की लेने देने करने लगते है।और फिर अजय सुनीता के बालों को पकड़ कर अलग करते हुए बोलता है।
अजय:मेरी छमक छल्लों फिक्र न कर आज की रात यादगार बना दूंगा मेरी छमिया पर तू ये बता तू मुझे खुश कर पाएगी
सुनीता:आप फिक्र न करें आज आपकी सुनीता आज आपकी दासी है आप बस हुकुम करिएगा बस आपकी सुनीता आपकी आज्ञा का पालन करेगी।
अजय:सोच ले एक बार।
सुनीता फिर वापस अजय के पास जाती है और बॉक्सर के ऊपर से ही उसके लन्ड की मालिश करने लगती है।और कहती है
सुनीता:आप ७ बजे आज घर आ जाना ।आपकी दुल्हन आप का इंतेज़ार करेगी।
अजय नहा धो कर और नाश्ता कर रहा होता है सुनीता के साथ तभी सुनीता का फोन बजता है।
सुनीता फोन पे बात करती है और फिर बहुत खुश होती है तो अजय पूछता है कि क्या हुआ
सुनीता:शोभा दिव्या और सुधा तीनों २० दिन के लिए बाहर जा रहे है।इस से जायदा खुशी की बात क्या ही हो सकती है।अब तो आप और मैं बस और कोई नहीं है हमें तंग करने के लिए।अच्छा सुनिए कुछ पैसे दे दीजिए कुछ सामान लेना है।
अजय नाश्ता करके फिर अपने कमरे में जाता है और दो गड्डी पांच सो की लाकर सुनीता को बोलता है।
अजय:ये लो कोई कमी नहीं होनीं चाहिए हमारी सुहागरात में और फिर निकल जाता है।
सुनीता भी निकल जाती है और पहले तो एक महिला के दुकान पे जाती है जो थोक में फूलों का व्यापार करती है और सुनीता उस से बोलती है।
सुनीता:दीदी ५ बोरी गुलाब की पाकुड़िया चाहिए।
महिला:अभी तो नहीं है पर २ बजे ताज़ा माल आने वाला है आप तब तक और खरीदारी कर लीजिए मैं ५ बोरी पैक करवा देती हु।
फिर वो बहुत सारे फल खरीद लेती है।जैसे कि काले अंगूर,हरे अंगूर,अनार,सेब,मीठे मीठे काले जामुन। फिर वो एक केक के दुकान पे जाती है वह वो एक किलो के दो केक लेती है।वो भी चॉकलेट फ्लेवर वाला।क्योंकि अजय को चॉकलेट बहुत पसंद है।फिर वो एक लेडीज दुकान पे जाती है जहां वो डिजाइनर ब्रा और चड्डी खरीद लेती है।ब्रा का साइज एक नंबर छोटा लेती है।जिससे उसके चूचे पे दबाव पड़े और वो बाहर की और आए उसके ब्लाउज से।फिर वो अपने मुंह में दुपट्टे से अपना पूरा चेहरा ढक लेती है सिर्फ आंखे दिखती है।और इस से उसे कोई पहचान नहीं पता वो कौन है ये करके वो बाजार के कोने पे जाती है वहां बीयर की दुकान होती है वह से वो ४ बोतल बीयर खरीद लेती है।फिर जल्दी जल्दी खरीद कर वो वह से चुपके से निकल जाती है।उसने सब समान ले लिया था।बस छोटे मोटे सामान लेना था।वो कुछ कोल्ड ड्रिंक्स ले लेती है और एक पान की दुकान से चार मीठा पान पैक करवा लेती है।
फिर अजय की नाप का एक कुर्ता और पायजामा ले लेती है।और फिर उस फूल वाली औरत के पास पहुंच जाती है।उसने सुनीता के लिए ५ बोरी गुलाब की पाकुड़िया पैक कर दी थी।और फिर एक गद्दे वाले को बोल देती है कि चार गद्दे उसके घर भिजवा दे।और सारा सामान लेकर सुनीता घर पहुंच जाती है।
फिर कुछ देर बात वो आदमी आ जाता है गद्दे लेकर और सुनीता वो गद्दे अजय के कमरे में बीजेवा देती है।और फिर अपनी सुहागरात की तैयारी करने लगती है।वो सुहागरात अजय के कमरे में मानने का निर्णय लेती है।और अजय के कमरे में एक छोटा फ्रिज भी था अजय ने अपने कमरे में बहुत सुविधा करवा रखी थे सिर्फ उसके कमरे में एक बड़ी बालकनी थी जहां पे खटिया डाल कर भी सो सकते हैं।
सुधा पूरे कमरे में गुलाब की पाकुड़िया फैला देती है पूरे कमरे में मोमबत्ती जला देती जो बहुत ही खुशबू दे रही होती है वो चारों गद्दे नीचे रहते है और उसपे भी वो गुलाब की पाकुड़िया बिछा देती है।पूरे कमरे में एक अलग ही रोशनी थी।जो कि बिना लाइट के अच्छी लग रही थी।सुधा वो सारी बीयर और कोल्ड ड्रिंक की बोतल अजय के फ्रिज में रख देती है।और एक अच्छी सी साड़ी डाल लेती है।और तब तक ७ बज जाते है।और फिर अजय भी आ जाता है और जैस ही वो ऊपर अपने कमरे में जाने वाला होता है।सुनीता उसको रोक देती है।
सुनीता:रुक चाहिए कुछ देर आज आपके लिए एक सरप्राइस है।और उसको वो कुर्ता पैयजम देती है और बोलती है ये पहन कर उसे छत पे आ जाए
सुनीता भी अपने कमरे में जाती है।उसने तो ब्यूटी पार्लर का कोर्स किया था तो उसने अपने ऊपर ब्राइडल मेक अप कर लिया था और एक छत पे चली जाती है और वह अजय पहले से मौजूद था।फिर छत पे ही एक बड़े से स्टील का बरतन होता है उसमें ऊपरी राक कर वो आग जला देती है।फिर अजय को अपने पास बुलाती है और अपने आंचल से उसके कुर्ते में गांठ कर लेती है।और फिर सुनीता और अजय आग के सात चक्कर लगाते है।और फिर सुनीत अपने हाथों में मांगटिक्क ले कर अपने हाथ आगे करती है।और अजय उसकी मांग सिंदूर से भर देता है।और अपने जेब से एक बहुत भरी और महंगा मंगलसूत्र निकलता है और सुनीता के गले में पहना देता है।और सुनीता की आंखों में आंसू आ जाते है और वो झुकती है और अजय का पैर छू लेती है।
अजय उसकी उठाता है और गले से लगा लेता है।और फिर सुनीता बोलती है आप यही रुकिए और मेरे फोन का इंतेज़ार करिए जब आपके फोन की घंटी बजे तो आप आ जाना अपने कमरे में और ये बोल कर वो निकल जाती है।
बहुत ही बढ़िया और कामुक अपडेट है !अपडेट
सुनीता को गए हुए २० मिनिट से जायदा हो गया था।और अजय वही छत पे खड़े होकर सुनीता के फोन का इंतेज़ार करने लगा।पर अभी तक सुनीता का फोन नहीं आया।उसकी बेचैनी बढ़ने लगी।वो वही छत पे टहलने लगा।४० मिनिट के ऊपर हो गए थे सुनीता को गए हुए।
तभी उसके फोन की घंटी बजती है और अजय फोन पे देखता है तो सुनीता नाम लिखा हुआ आ रहा था।और फिर अजय छत से उतर कर अपने कमरे की तरफ जाने लगा।इस समय रात के ८:३० बज रहे थे।और इतने समय तक रात को सब सो रहे होते है।चारों तरफ सन्नाटा था।और ये सन्नाटा और फिर भी कामुक कर रहा था।अजय अपने कमरे के दरवाजे के बाहर खड़ा होता है।और हल्के हाथ से दरवाजे को छुआ तो वो खुल जाता है।और अजय अंदर घुस के दरवाज़ा बंद कर लेता है।और अंदर का नजारा देकर उसके होश उड़ जाते है।
अजय का कमरा कोई राजकुमार के कमरे से कम नहीं लग रहा था।अजय के पूरे मकान में सीमेंट से प्लास्टर किया हुआ था फर्श पर भी और यही हाल उसके खुद के कमरे का था।सुनीता ने पूरा फर्श साबुन से धुला था।इतना साफ था फर्श की कोई चाट ले ऐसी सफाई की थी।पूरे फर्श पे गुलाब की पाकुड़िया बिछी हुई थी।नीचे की तरफ चार बड़े गद्दे बिछे हुए थे उसपे भी गुलाब की पाकुड़िया बिछी हुई थी।पूरा कमरा मोमबत्तियों से सुगंदिद था।और ये सुगंध उसको और कामुक बना रही थी।कमरे के बीच में एक आलीशान बेड था।और उसपे सुनीता अपने दोनों पैर मोड़ के बैठी हुई थी।उसका सिर घूंघट से ढाका हुआ था।
अजय बेड के पास पहुंचता है और बिस्तर के कोने पे बैठ जाता है।और उसके बैठने का अहसास सुनीता को भी होता है।उसके दिल की धड़कन तेज होने लगती है।अजय के नाक में सुनीता के जिस्म की खुशबू जा रही होती है।जिससे वो मदहोश हो जाता है।और फिर वो सुनीता के करीब पहुंचता है और अपने दोनों हाथों से घुघंट हटाता है और सुनीता की खूबसूरती में खो जाता है।सुनीता आज एकदम सज धज के तैयार हुई थी ।पूरा ब्राइडल मेकअप किया था।किसी हीरोइन से कम नहीं लग रही थी।उसके चूचे उसके ब्लाउज से बाहर निकलने को तड़प रहे थे।वो अंदर अंदर कसमसा रही थी और फिर अजय बोलता है।
अजय:बहुत सुंदर लग रही जो मेरी रानी।आज तो तुम कहर ढा रही हो मेरी जानेमान।
सुनीता:मेरे स्वामी ये सब आपके लिए ही तो किया है।आपको पसंद आया इस से खुशी की बात और क्या हो सकती है।
अजय अपना हाथ सुनीता को देता है और सुनीता अपना हाथ उसके हाथों में दे देती है और अजय उसका हाथ पकड़कर बिस्तर से उठता है।और फिर दोनों खड़े हो जाते है।अजय सुनीता को अपने बाहों में ले लेता और अब उस से और रहा नहीं जाता और वो अपने होंठ सीधा सुनीता के होंठों से सटा देता है और दोनों एक दूसरे को चूम रहे होते है।दस मिनिट तो दोनों एकदम इत्मीनान से चूम रहे होते है।पर फिर अचानक दोनों एकदम जंगली की तरह चूमने लगते है।अजय अपने दोनों हाथों को पीछे लेजाकर सुनीता की गांड़ को मसल देता है।और उसकी गांड़ को आटे की तरह गुदने लगता है।सुनीता की आहा निकल जाती है पर वो अपना चूमना बंद नहीं करती और चुंबन का मजा लेने लगती है।
फिर सुनीता चुंबन तोड़ती है और फिर जाकर दोनों के होंठ अलग होते है।और सुनीता बोलती है।
सुनीता:मेरे राजा आप गद्दे पे आराम से लेट जाए और अपने सुनीता के हुस्न का दीदार करे।
इतना कहते ही अजय लेट जाता है।और सुनीता बगल की एक प्लेट में पान रखा हुआ होता है उसे अपने लबों से दबा लेती है और अपने होंठ अजय की तरफ ले जाती है और अजय पहले तो पान को पहले अपने होंठों से चूसता है और फिर उसे धीरे धीरे खाने लगता है। सुनीता एक हल्का चुंबन देकर उठ जाती है और वो अजय के सामने अपने सारे जेवरात एक कर करके निकलने लगती है।और फिर आखिर में एक सिर्फ ब्लाउज और एक साया में होती है।अजय गद्दे पे बैठ कर सारा मजा ले रहा था।फिर सुनीता अपने मोबाइल से ब्ल्यूटूथ स्पीकर को कनेक्ट करती है और एक अश्लील भोजपुरी गाना लगा देती है।और फिर शुरू होता है सुनीता का कामुक और अश्लील मुजरा जिसको देखने के लिए गांव का हर मर्द तरसता होगा।कोई ये देख कर कह नहीं सकता था कि सबके सामने इतनी शरीफ और घरेलू दिखने वाली औरत एक सस्ती रण्डी की तरह बर्ताव करेगी।
गाना बजता रहा और सुनीता नाचती रही।अजय एक महाराज की तरफ गद्दे पे बैठ कर अपनी कनीज का नाज देख रहा था।अजय का लौड़ा एकदम खड़ा और कड़क हो गया था।जो उसके बॉक्सर के ऊपर से तंबू बना रहा था।सुनीता उसके लन्ड को देकर अजय से अश्लील इशार करती है और अपनी जीभ बाहर निकल कर फेरने लगती है।अजय ने अब अपना लन्ड कच्चे से बाहर निकल लिया और उसको अपने हाथों से पकड़ कर लहरा रहा था और सुनीता से अब रहा नहीं गया और वो गाना बंद कर अजय के पास आ गई तब तक अजय खड़ा हो चुका था और सुनीता उसके समाने बैठी हुई थी।उसका लन्ड उसके मुंह के सामने था और सुनीता के मुंह में पानी आने लगा।
अजय:मेरी रानी इसकी गंध को अपने नाक के अंदर बसा ले।
सुनीता अपनी नाक अजय के लौड़े के पास लेकर जाती है और उसको सूंघने लगती है।तभी वो अपना हाथ आगे करती है।तो अजय अपनी कमर हिला कर उसके गाल पे अपने लौड़े से तपड़ मरता है और बोलता है।
अजय:रण्डी हाथ नीचे कर साली जब तक मैं न बोलूं हाथ मत लगना।
सुनीता किसी कुतिया की तरह अजय की बात सुनते ही अपना हाथ नीचे कर लेती है।और उसके लन्ड को अपने नाक से सूंघने लगती है।वो पूरा मदहोश हो जाती अजय के लन्ड के सुगंध से और लंबी लंबी संसे लेकर उसके लन्ड की सूंघती है।फिर वो कहती है
सुनीता:मालिक अपनी कृपा बरसाओ अपनी इस कुतिया पे।मालिक भीख मांगती हु आपसे अपना लौड़ा चूसने दीजिए।दो दिन से प्यासी हु इसके लिए मेरे प्राणनाथ।
अजय के चेहरे पे एक कामिनी मुस्कान आ जाती है।और वो उसके बालों को गुच्छा बनकर पकता है और बोलता है
अजय:मेरी दासी को लन्ड चाहिए।चल पहल अपना मुंह खोल चिनार।
सुनीता अपना मुंह खोल देती है और अपनी जीभ बाहर निकल देती है।अजय अपने लौड़े से उसकी जीभ पे तपड़ बरसने लगता है।और सुनीता पानिया जाती है।और अजय अपना एक हाथ उसके साया के अन्दर डाल कर उसकी कच्ची के ऊपर रक देता है तो वो जगह पूरी गीली होती है।और वो अपने पंजों से उसकी बुर को भीज देता है जिस से उसका हाथ गिला हो जाता है ।वो हाथ बहत निकलता है और सुनीता के सामने रख देता है और बोलता है।
अजय:साली तू तो अभी से पानी छोड़ने लगी रंड चल चाट इसे ।
सुनीता एक पालतू कुतिया की तरह अजय के पूरे पंजों को अपने जीभ से चाट जाती है जिसपे उसका ही पानी लगा हुआ था।अजय बहुत खुश होता है ये देकर ।अजय ने पूरा पान चबा लिया था वो एक मीठा पान था और अजय पान थूकने के लिए उठाता है।तो सुनीता समझ जाती है और उसका पैर पकड़ के रोक लेती है।और अजय के सामने अपना मुंह खोल देती है और अपनी जीभ लपलपाते हुए उसको बोलती है।
सुनीता:मालिक उसको मत थूकिए आपकी सुनीता बहुत प्यासी है।
अजय मुस्करा देता है और फिर सुनीता के पास जाकर उसके मुंह के अंदर सारा पान और थूक धीर धीरे के पतली धार के साथ गिरने लगता है।और सुनीता किसी प्यासी की तरह उसको अपने गले के अंदर उतर लेती है।फिर अजय पानी का गिलास उठाकर कर पानी पिता है और अपने मुंह से पूरा पान साफ करके आता है।सुनीता अभी भी वैसे ही बैठी थी।
सुनीता:मालिक इस दासी पे रेहम कीजिए स्वामी जो आपके लौड़े के लिए तरस रही है।
अजय:साली तू क्या है ये तो बता ।
अजय उसके बालों को फिर से पकड़ के ये बात बोलता है।
सुनीता:मैं एक रंड हु।और सिर्फ अपने बेटे की रंड हु।उसकी पालतू कुतिया हु।मालिक मेरे स्वामी मुझे अपनी रण्डी बना लीजिए आपकी पूरी जिंदगी खिदमत करेगी ये रंड।
अजय उसके मुंह पे थूक देता है। सुनीता अपना जीभ बाहर निकलती है और फिर उसी जीभ से अपना पूरा चेहरा जीभ से चाट कर साफ करती और कहती है
सुनीता:मालिक आपका थूक बहुत स्वादिश्ट है।और यही कहने के बाद वो फिर जीभ निकल देती है।
अजय:कुतिया ये थूक बहुत कीमती है इसके लिए मेहनत करना पड़ेगा।
सुनीता:हुकुम कीजिए स्वामी आपकी ये कुतिया आपके थूक के लिए कुछ भी करेगी।
अजय:कुतिया है न तू।चल चक्कर लगा पूरे कमरे का कुतिया की तरह।
अजय वही गद्दे पे तकिया दीवार से सटा देता है और अपने दोनों पैर फैला कर लेता जाता है और अपने हाथों से अपने लौड़े पे रखकर हाथ को ऊपर नीचे करने लगता है।सुनीता किसी कुतिया की तरह अपने घुटने पे बैठ कर पूरे कमरे का चक्कर लगाने लगती है।ये हर एक बेटे की इच्छा होती है कि उसकी मां उसके सामने कुतिया की तरह घूमे और अपने जिस्म की नुमाइश करें।अजय अपने मन में ऊपर वाले का शुक्रिया कर रहा था जो इतनी कामुक खूबूशूरत और चुदासी मां दी है।
सुनीता पूरे कमरे का चक्कर लगा कर अजय के दोनों टांगों के बीच आकर वापस से अपनी जीभ निकल कर बोलती है ।
सुनीता: मालिक दया कीजिए।
अजय उसको घूमने बोलता है और फिर उसका साया उसकी गांड़ तक उठा देता है।और बोलता है।
अजय:मेरी छमक छल्लों तेरी गांड़ का दीदार तो हुआ ही नहीं चल कुतिया थोड़ा अपने गांड़ का भी नुमाइश करदे
सुनीता मुस्करा देती है।और वापस कमरे का चक्कर लगाने लगती है।उसकी पूरी गांड़ कच्ची के ऊपर से हिलोरे मर रही थी।अजय का तो अब सब्र टूट रहा था और सुनीता कमरे का चक्कर लगती रहती है।अजय उठकर उसके पीछे पीछे चलने लगता है और जब भी वो रुकती वो उसकी गांड़ पे एक तपड़ जड़ देता है।फिर उसकी बोलता है कि गद्दे पे चल और वो कुतिया की तरह वह चल जाती है।फिर वो उसके खुले मुंह पे थूक देता है जिसे सुनीता बड़े चाव से पी जाती है और बोलती है।
सुनीता:मेरे राजा आपके थूक की तो मैं दीवानी हो गई हु।
अजय:चिंता मत कर मेरी जान तुझे इसकी कभी कमी नहीं होगी।
फिर सुनीता अजय के पैरों को चूमने लगती है और उसके अंगूठे को मुंह में लेकर चुस्ती है।अजय के लिए ये नया अनुभव था वो तो लेट कर इसका आनंद ले रहा था।फिर सुनीता ऊपर की तरफ आती है और अजय की छाती को चाटने लगती है और उसमें थूकती है और अपना ही थूक वापस पी जाती है।उसके निप्पल को मुंह में रख कर चुस्ती है।जिसके अजय बोलता है।
अजय: वहां मेरी रानी तूने तो खुश कर दिया आज।
सुनीता:अभी कहा मेरे स्वामी अभी तो रात बाकी है आप बस अपनी सुनीता के मजे लीजिए।