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मानव ने कैसेट में से पहली कैसेट निकाली और टीवी से जोड़ कर देखने लगा।
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जून 1982
30 वर्ष की बेहद खूबसूरत माया हाथ में पूजा की थाली लिए हाल में आ गई और 21 वर्ष के आकर्षक हीरेश को देख कर चौंक गई।
माया, "अरे हीरेश, तुम कब से मंदिर और पूजा करने लगे?"
हीरेश मुस्कुराकर, "अरे मम्मी, मेरे दोस्त ने जबरदस्ती मुझे एक बड़े बाबा से मिलवाया। वहीं से आ रहा हूं।"
माया, "वैसे भी धंधे में काम करने से पहले माथे पर तिलक अच्छा होता है। वैसे ये बाबा कौन है? देखो किसी ढोंगी बाबा के बहकावे में मत आना।"
हीरेश, "मम्मी ये बाबा बड़े पहुंचे हुए स्वामी जी हैं। इन्हे पापियों के पाप मिटाने की सिद्धि प्राप्त है। ये देखिए उनका प्रसाद, आप भी लीजिए।"
माया हिचकिचाते हुए, "अब मैंने कौनसा पाप किया है जो बाबाजी को मिटाना पड़ेगा?"
हीरेश, "सिर्फ चोरी और हत्या ही पाप नहीं होते। वैसे भी प्रसाद बांट कर खाना चाहिए। बस बाबाजी की गोली को पूरा निगल जाना है। उसे जबान या दांत छू जाना माना है।"
माया ने अनमन से गोली निगल कर अपना प्रसाद हीरेश को दिया।
माया, "हीरेश, तुम्हारे पिता आज सुबह ही यूरोप के लिए गए हैं और एक महीने तक वहीं रहेंगे। तुम शाम को समय पर आना। मानव तुमसे मिलने के लिए उतावला रहता है। तुम दोनों भाइयों का प्यार देख कर मुझे बहुत खुशी होती है।"
हालांकि माया को नजर नहीं आया पर मानव को अपने भाई के चेहरे पर आए गुस्से के भाव चमक कर जाते हुए नजर आए।
कुछ कदम चलने पर माया अचानक कांपने लगी और उसके हाथों से पूजा की थाली गिर गई। हीरेश ने भाग कर माया को अपनी मजबूत बाहों में भर लिया।
माया, "ये क्या हो रहा है, हीरेश? मेरा सर चकरा रहा है! मेरा पूरा बदन जैसे हवा में उड़ रहा है! चारों ओर इंद्रधनुष चमक रहे हैं? यह क्या है हीरेश? मुझे डॉक्टर के पास जाना होगा!"
हीरेश, "अरे नहीं मम्मी। यह तो बाबा मस्तराम के आशीर्वाद का असर है। आप के सारे पाप उड़ गए हैं और आप की आत्मा बोझ से हल्की होने से उड़ रही है। आप कुछ पल के लिए लेट जाएं।"
हीरेश माया को अपनी बाहों में लेकर बेडरूम में ले गया।
***
अगले दिन
हीरेश को वापस प्रसाद लाते हुए देख कर माया चौंक और डर गई।
माया, "ना बाबा, ना। मैं यह प्रसाद नहीं खा सकती। कल तो मेरी हालत खराब हो गई थी। तुम्हे अपने कोई पाप धोने हो तो अंदर मंदिर में हाथ जोड़ कर मन से भक्ति करो। इस बाबा मस्तराम से तो मुझे डर लगता है।"
हीरेश, "मम्मी आप भी ना! आप को पता नहीं था कि बाबा मस्तराम का प्रसाद कितना शक्तिशाली होता है इस लिए लड़खड़ाए। वैसे भी धंधे में पाप तो होते रहते हैं और प्रसाद परिवार बांट कर खाता है।"
माया प्रसाद खाने तो तयार नहीं हो रही थी तो हीरेश ने अपना छुपा हुआ हथियार निकाला।
हीरेश, "अगर आप नही खायेंगी तो मुझे यह मानव के साथ बांटना होगा।"
मानव को बचाने के लिए माया मान गई और प्रसाद की गोली निगल गई। माया बगल में सोफे पर बैठ गई। कुछ ही पलों में माया का बदन ढीला पड़ गया और उसके बदन पर पसीने की चमक आ गई। माया अपनी आंखे बंद करके पड़ी गहरी सांसे ले रही थीं लेकिन हीरेश किसी भूखे भेड़िए की तरह नफरत भरी आंखों से उसे देख रहा था।
***
कुछ दिनों बाद
माया गुस्से में हाल में घूम रही थी। उसने सभी नौकरों को भगा दिया था। हीरेश ने जैसे ही हॉल में कदम रखा माया ने उसके शर्ट को पकड़ लिया।
माया, "आज इतनी देर क्यों लगा दी!! बाबा मस्तराम के प्रसाद के बिना मैं अपने दिन की शुरुवात नहीं कर सकती। लाओ! लाओ वो प्रसाद! मुझे प्रसाद चाहिए!!"
हीरेश (एक गंदी मुस्कान देते हुए), "माफ करना मम्मी पर बाबा मस्तराम ने आप को प्रसाद देने से मना किया है। उन्होंने कहा कि यह प्रसाद सिर्फ पापियों के लिए है। आप ने बिना पाप किए यह प्रसाद खाया तो जल्द ही आप के सारे पाप मिट कर आप स्वर्ग सिधार जाएगी। तो आप की जान बचाने के लिए मैं आप को प्रसाद नहीं दे सकता।"
माया गुस्से से लाल हो गई।
माया, "मैं पापी हूं। मैने कल ही तुम्हारे बटवे से 10 रुपए चुराए थे। मुझे प्रसाद दो! मुझे प्रसाद दो! मुझे प्रसाद चाहिए!!"
हीरेश, "मम्मी, आप इस घर की रानी है। इस घर की हर चीज आपकी है। तो फिर आप का कुछ चुराना मतलब अपनी एक जेब में से दूसरी जेब में रखना। इसे कोई भी चोरी या पाप नही बोलेगा! आप को अगर पाप करना है तो कुछ ऐसा करना होगा जो साफ तौर पर मना किया गया है।"
माया प्रसाद के लिए गिड़गिड़ाने लगी तो हीरेश ने उसे पाप करने का सुझाव दिया।
हीरेश, "वैसे पाप करने का एक तरीका है। अगर आप किसी पराए मर्द से संबंध बना ले तो यह पाप होगा।"
माया हैरान रह गई। उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि उसका बेटा उसे ऐसा कुछ करने को कह रहा है। लेकिन हीरेश इतने पर रुका नहीं।
हीरेश, "पापा अक्सर महीनों तक विदेश में रहते हैं तो यह मुमकिन है कि वह जर्मनी और Amsterdam की वैश्या महिलाओं का भी मजा लेते होंगे। तो किसी भी पराए मर्द संग संबंध बनाना पाप नही पर इंसाफ होगा। आप को पक्का पाप करने के लिए किसी ऐसे मर्द संग संबंध बनाना होगा जो हर तरह से गलत हो। आप को मेरे साथ सेक्स करना होगा।"
माया, "तुम पागल हो गए हो। बाबा मस्तराम ने तुझे पागल कर दिया है। तुम अपनी मां से ऐसी बात कैसे कर सकते हो?"
हीरेश, "ठीक है। मैं चला जाता हूं। लेकिन पाप नहीं तो प्रसाद नहीं।"
माया बाबा मस्तराम के प्रसाद के लिए तड़प रही थी। माया ने आखिर में मरने पर उतारू हो कर हीरेश की बात मान ली।
माया, "मैं… मैं… मैं तुम्हें हिला कर दूंगी। हिला कर तुम्हारा पानी अपने हाथ में लूंगी। एक मां के लिए इस से बुरा क्या होगा?"
हीरेश (शैतानी मुस्कान देते हुए), "ठीक है। मैं कल बाबा मस्तराम की अनुमति से तुम्हे प्रसाद दूंगा।"
माया ने हीरेश को पकड़ कर सोफे पर बिठाया और उसके कपड़े उतारने लगी।
माया, "कल नही! आज! अभी!! मुझे प्रसाद चाहिए!"
माया ने हीरेश की पैंट खोली और उसके कच्छे को नीचे किया। हिरेश का 5 इंच लम्बा और डेढ़ इंच मोटा लौड़ा छत की ओर इशारा करता खड़ा था। माया की आंखों में बेबसी के आंसू थे। माया ने अपनी आंखें बंद करके अपने पति की मांफी मांगी और हीरेश के जवान गरम लौड़े को अपनी उंगलियों से छू लिया।
हीरेश ने अपने सपने को साकार होते देख कर मजा लेने की ठान ली। माया की उंगलियों ने हीरेश की 5 इंची लंबाई को छू कर सहलाया और धीरे से उसे अपनी मुट्ठी में भर लिया।
हीरेश, "मम्मी, बाबा मस्तराम ने कहा है कि अगर कोई इंसान मजबूरी में गुनाह करे तो वह पाप नहीं होता। अगर इस में आप को मजा नही आया तो यह पाप नहीं है। पाप के बिना प्रसाद पर आपका कोई हक नहीं है।"
माया ने डर कर, "तो मुझे और क्या करना होगा?"
हीरेश, "जैसे आप मुझे सहला रही हैं वैसे मैं भी आप को सहलाऊंगा।"
माया ने रोकने की कोशिश की तो हीरेश उठ कर जाने लगा। माया को हीरेश की बात माननी पड़ी।
माया भी सोफे पर हीरेश के बगल में बैठ गई। हीरेश की नजर सीधे कैमरा में गई और वह मुस्कुराया। यह कैमरा हीरेश ने लगवाए थे।
माया ने अपनी उंगलियों में हीरेश के लौड़े को लेने की कोशिश की पर हीरेश ने जिद्द कर पहले माया की साड़ी उठाई और अपने दाहिने हाथ को माया की पैंटी में डाल दिया।
माया बाबा मस्तराम के प्रसाद के लिए तड़पती हीरेश को रोकने में नाकाम रही। हीरेश की उंगलियों ने माया की सुहागन चूत को सहलाते हुए उसकी जवानी को मजबूर किया। माया की जवानी ने पराए मर्द के बुलावे पर अंगड़ाई ली।
माया ने हीरेश से लड़ने के बजाय हीरेश के ताल में उसका लौड़ा हिलाना शुरू किया। हितेश की उंगलियां तेजी से घूमती हुई माया की जवानी को भड़का कर झड़ने को मजबूर कर रही थी। हीरेश ने यकीनन सुबह एक बार मूठ मारी थी जिस वजह से वह माया की कोशिशों के बाद भी टीका रहा।
अचानक माया का शरीर कांपते हुए अकड़ने लगा और माया ने झड़ते हुए अपनी मुट्ठी में हीरेश के लौड़े को कस कर पकड़ लिया। माया झड़ने लगी और हिरेश का भी वीर्य लौड़े की जड़ पर अटक कर जोरों से धड़कने लगा। माया झड़ कर ढीली पड़ गई और हितेश का पानी फूट पड़ा।
माया ने अपनी हथेली में हीरेश का पानी पकड़ लिया और उसे दिखाया।
माया, "अब तो मैने पाप किया है। अब तो मुझे बाबा मस्तराम का प्रसाद दे दो।"
हीरेश ने अपनी सौतेली मां की आंखों में देख कर जेब में से एक गोली निकली और अपने वीर्य से भरी हथेली में डाल दी।
माया बाबा मस्तराम के प्रसाद के लिए इतनी उतावली हो गई थी की उसने वह गोली हीरेश के वीर्य के साथ ही पी ली। कुछ ही पलों में गोली का असर होने लगा और माया वहीं सोफे पर सर रखते हुए जमीन पर बैठ गई।