शहनाज़ शादाब के नीचे पूरी तरह से दबी हुई पड़ी थी
और शादाब ने उसे पूरी तरह से कस रखा था तो शहनाज़ के हाथ भी पूरी ताकत से शादाब की कमर पर कसे हुए थे।
लंड से निकलती हुई वीर्य की पिचकारियां शहनाज़ की चूत में एक अजीब सी ठंडक प्रदान कर रही मानो तपते हुए रेगिस्तान को ठंडे पानी की बरसात मिल रही हो।
जब तक लंड से वीर्य की पिचकारी निकलती रही तब तक शादाब का वजन शहनाज़ को अच्छा लगा रहा था लेकिन जैसे ही लंड ने बरसना बंद किया तो शहनाज़ को वजन लगने लगा और वो कसमसाने लगी।
शहनाज़:" आह शादाब उफ्फ कितना वजन हैं तेरे अंदर, उतर जा बेटा मेरे उपर से अब
शादाब शहनाज़ की आंखो में देखते हुए:" थोड़ी देर पहले तो आपको वजन नहीं लग रहा था अम्मी, अब क्या हो गया ?
शहनाज़ शर्म से लाल हो गई और निगाहें नीची करके बोली:"
" जब मस्ती चढ़ती हैं तो वजन नहीं लगता मेरे राजा बेटा
शादाब शहनाज़ की बात सुनकर मस्त हो गया और उसके ऊपर से उतर गया। अब शहनाज़ और शादाब दोनो बगल में लेते हुए थे और एक दूसरे की तरफ देख रहे थे तो शहनाज़ ने आगे बढ़कर उसका मुंह चूम लिया और बोली:"
"शुक्रिया बेटा, सच में तू मुझसे बहुत प्यार करता हैं। आई लव यू शादाब
शादाब ने शहनाज़ का चेहरा अपने दोनो हाथों में थाम लिया और उसकी आंखो में देखते हुए बोला:"
" लव यू टू मेरी शहनाज़,
एक बात पूछूं आप इतनी जोर जोर से क्यों आवाज निकाल रही थी?
शहनाज़ की आंखे शर्म से झुक गई और बस होंठो पर हल्की सी स्माइल अा गई तो शादाब ने फिर से पूछा:"
" बताओ ना अम्मी प्लीज़ मुझे
शहनाज़ शरमाते हुए:"
" उफ्फ बेटा तू इतनी जोर जोर से कर रहा था कि मेरे मुंह से अपने आप ही वो सब आवाजे निकल रही थीं।
शादाब:' अम्मी आपको अच्छा तेज तेज ?
शाहनाज:" आह शादाब, बहुत ज्यादा अच्छा लगा, लेकिन धीरे धीरे भी ठीक था, लेकिन इस बार तो तूने मेरी हालत ही खराब कर दी मेरे राजा !!
शादाब शहनाज़ के होंठ चूम कर बोला:" अम्मी अभी तो सिर्फ शुरुवात हैं, आपका बेटा आपको हर वो खुशी देगा जो हर किसी लड़की को नहीं मिलती बस सपने देखती हैं उसके।
शहनाज़ शादाब से कसकर लिपट गई,। शहनाज़ की चूत में अभी भी हल्का हल्का मीठा मीठा दर्द हो रहा था क्योंकि शादाब ने उसकी चूत की को इस बार की चुदाई में थोड़ा तेज करके चोद दिया था। शहनाज़ तो जैसे एक चुदाई से बेहाल सी हो गईं थीं, शादाब ने उसकी चूत कि एक एक नस मटका दी थी।
दोनो मा बेटे ऐसे ही एक दूसरे से चिपके रहे और दोनो एक दूसरे की बाहों में सो गए। अगले दिन कोई सुबह नौ बजे के आस पास दोनो की आंखे एक साथ शादाब का फोन बजने से खुली तो शादाब ने देखा कि दादाजी का फोन था तो उसने उठाया और बोला:"
" सलाम दादा जी कैसे हैं आप ?
दादा:" सलाम बेटा, ठीक हैं मैं, काफी दिनों से तेरा फोन नहीं आया था इसलिए सोचा बात कर लू, घर की बहुत याद अा रही हैं।
शादाब:" बस दादा जी घर के काम में लगा रहा और पढ़ाई भी थोड़ी करता रहा।