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Incest मेरा बेटा मेरा यार (माँ बेटे की वासना )

Sur281

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Koi ni bhai kl update mil jayega...intzar kariye
 
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Sur281

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वैसे तो हम दोनों ही माँ बेटे आपस में बिलकुल ही खुले हुए थे । अक्सर ही में घर में टीशर्ट और शॉर्ट्स में अपनी खुली टांगों में घूमती रहती थी । जब राज हमारे साथ आकर रहने लगा था तब भी में ने अपने तौर तरीकों में कोई बदलाव नहीं किया था । क्योंकि दोनों के दिल में एक दूसरे के लिए कोई बुरे विचार या वासना की भावना नहीं थी ।

लेकिन एक बार हम दोनों माँ बेटे के बीच जिस्मानी सम्बन्ध बन जाने के बाद अब सारे हालत बदल चुके थे।

“ मॉम ” उसने दरवाज़े के बाहर से मेरे को आवाज़ दी ।

" जाओ यहाँ से " में सुबकते सुबकते ही बोली ।

" मॉम , प्लीज मुझे अंदर आने दो । मैं तुमसे बात करना चाहता हूँ । “

" राज , तुम मुझसे दूर रहो । मुझे अकेला छोड़ दो । प्लीज ! ”


राज मेरा दुःख और बढ़ाना नहीं चाहता था । इसलिए उसने ज्यादा जोर नहीं दिया और चुपचाप अपने बेडरूम में आ गया । बेड में लेटे हुए उसे महसूस हुआ कि उसने अपनी प्यारी मॉम को खो दिया है ।

उसे लगा कि, उन दोनों के बीच जो लाड़ भरा रिश्ता माँ बेटे का था और जो उसके लिए बहुत मायने रखता था क्योंकि वो अपनी मॉम से बहुत प्यार करता था और उम्र में थोड़ा छोटा होने के बावजूद एक protective बेटे की तरह उसकी केयर करता था , वो रिश्ता अब हमेशा के लिए खत्म हो चुका है ।हम दोनों ही माँ बेटे के लिए वो रात बहुत लम्बी गुजरी l दोनों ही अपनी अपनी मानसिक पीड़ा को भोगते हुए बिस्तर में इधर से उधर करवटें बदलते रहे । आखिर थककर नींद ने हमें अपने आगोश में ले लिया ।
दूसरे दिन घर में मेरा मन नहीं लगा । मेरे मन में वही सब ख्याल आते रहे । उस रात में राज के सीने से लगने पर हुई उत्तेजना के दृश्य उसकी आँखों के सामने घूमते रहे । जिस अजनबी को वो इतना चाहने लगी थी वो अब अजनबी नहीं उसका बेटा राज था । फिर भी मेरी चाहत कम नहीं हो रही थी ।

मेने अपने दिल को समझाना चाहा कि ये सिर्फ छिछोरापन है , राज उसका बेटा है और वो उसकी मॉम आखिर दुनिया में कौन माँ अपने बेटे की तरफ इस तरह आकर्षित होती है कि उससे सेक्स सम्बन्ध बनाने की इच्छा हो ? जो भी हुआ वो किस्मत की एक गलती थी और अगर अब भी मैं राज की तरफ आकर्षित हो रही हूँ तो ये बहुत ही गलत बात है , जो संसार के नियम बंधनों के हिसाब से पाप है ।
मुझे अपने ऊपर ही क्रोध आने लगा । लेकिन लाख कोशिश करने के बाद भी में अपने दिल पर काबू न पा सकी ।मेरे मन में राज को पाने की इच्छा बढ़ती ही गयी । जब भी में अपनी आँखे बंद करती मुझको राज ही दिखाई देता । मेने अपनी पूरी कोशिश की , कि में अपने बेटे के बारे में इस तरह से न सोचू । मेने अपना ध्यान राज से हटाकर , अपने पति के साथ बिताये पलों को याद करने का प्रयास किया । लेकिन इन सब कोशिशों से कोई फायदा नहीं हुआ ।

मुझे बार बार उस अँधेरे कमरे में अपने ऊपर राज के बदन की परछाई दिखाई दे रही थी ।शाम को में डाइनिंग रूम में सोफे पर आँखें बंद किये लेटी थी । मेरे मन में राज के ही ख्याल आ रहे थे । मुझे लगा राज उसके ऊपर लेटा हुआ है और उससे धीमे धीमे प्यार कर रहा है । अपने आप ही मेरा एक हाथ clitoris पर चला गया और दूसरे हाथ से में अपनी एक चूची को हलके से सहलाने लगी । फिर कुछ पलों बाद मेने राज के मुंह से
निकलती सिसकारी सुनी और अपनी चूत में सफ़ेद गाड़े वीर्य की धार महसूस की ।

पिछले कुछ दिनों से मेरे मन में राज से मिलने की बहुत तड़प थी । उस रात की उत्तेजना मेरे मन से कभी निकल ही नहीं पायी । मुझे लगता था मेरे बदन में कुछ आग सी लग गयी है ।अपनी चूत के फूले होंठ मुझे कुछ ज्यादा ही sensitive महसूस हो रहे थे और चूत में हर समय एक गीलापन महसूस होता था ।

अपने अंदर उठती इन भावनाओं की वजह से दिन भर में बहुत रोयी थी । ये ऐसी इच्छाएं थी जो पूरी नहीं की जा सकती थीं और अपने बेटे के लिए तड़प , तो समाज स्वीकार ही नहीं करता था । मेने कभी नहीं सोचा था कि सिर्फ एक रात के सम्बन्ध से हालत यहाँ तक पहुँच जायेंगे और मेरे मन में अपने बेटे को पाने की चाहतइस कदर बढ़ जायेगी कि वो समाज के बनाये नियमों को तोड़ने पर आमादा हो जाएगी ।
अब में राज से अनजान नहीं थी । ये बात बिलकुल साफ़ हो चुकी थी कि वो कौन था जो उसके उत्तेजक सपनो में आता था और उसको भरपूर कामतृप्त करके ही जाता था । जिसके चौड़े सीने से लगकर वो अपने आप को फिर से छोटी बच्ची की तरह सुरक्षित महसूस करती थी । अब उस अजनबी का चेहरा धुंधला सा नहीं था ,
वो चेहरा था मेरे हैंडसम बेटे राज का ।

ऐसे हालात में एक ही छत के नीचे अपने बेटे के साथ रहना अब मेरे लिए नामुमकिन सा था । राज के उसके ही साथ रहने से मेरे को अपनी भावनाओं पर काबू पाना संभव नहीं लग रहा था । मुझे लग रहा था कि अगर राज यहीं रहा तो वो उसके लिए तड़पती ही रहेगी । मेने सोचा कि वो अपने बेटे से कह देगी कि वो फिर से हॉस्टल चला जाये
मगर राज को जाने के लिए कहने के ख्याल के बारे में सोचने से ही मुझे इतनी पीड़ा पहुंची कि मेने इस ख्याल को ही मन से निकाल दिया ।

मेरे लिए अब राज ही मेरा “ बॉयफ्रेंड “ था । लेकिन राज के लिए ?

दूसरी तरफ शायद राज के लिए ये सब बहुत मुश्किल था । वो कणिका को बहुत प्यार करता था और उसका पूरा ख्याल रखता था । कणिका की बात वो टालता नहीं था । लेकिन अपनी मॉम के लिए शारीरिक आकर्षण जैसी कोई भावना उसके मन में नहीं थी । उस रात नशे की हालत में उसने चुदाई जरूर कर दी थी लेकिन कभी मेरे माथे पर प्यार भरा किस कर लिया तो कर लिया वरना राज , समझदार बेटे की तरह उससे एक शारीरिक दूरी बनाये रखता था । उसने कभी भी मेरी छाती , मेरे नितम्बों और अक्सर खुली रहने वाली लम्बी चिकनी टांगों की तरफ गलत नज़रों से नहीं देखा था । वो तो मॉम की तरह उससे प्यार करता था । उसका मन अपनी माँ के लिए शीशे की तरह साफ़ था और ये बात मेरे को अच्छी तरह से मालूम थी ।

लेकिन इससे मेरी पीड़ा और भी बढ़ गयी क्योंकि में जानती थी कि मेरी तड़प इकतरफा थी और ये भी कि राज के मन में उसके लिए ऐसी कोई तड़प नहीं है ।

हर शाम मेरे लिए लम्बी खिंचती चली गयी । समय के साथ मेरी उलझन बढ़ती जा रही थी । मेरे को लग रहा था कि में एक चक्रव्यूह में फंस चुकी है और बाहर निकलने का कोई रास्ता उसे नहीं सूझ रहा था ।

“मॉम ! मॉम !”

“कौन ? कौन है ?“ जोर जोर से अपना नाम पुकारे जाने की आवाज़ से उसकी तन्द्रा टूटी और वो हड़बड़ा के सोफे में उठ बैठी ।
 

Sur281

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“मैं कितनी देर से आपको आवाज़ दे रहा हूँ । आपको क्या हो गया हे ?

“ सॉरी राज ...कुछ दिनों से मैं ढंग से सो नहीं पायी हूँ इसलिए आँख लग गयी थी “ मेने आँखें मलते हुए कहा ।

राज ने मेरे चेहरे से छलकता दर्द देखा वो तुरंत समझ गया कि में किन ख़यालों में डूबी हुई थी । रात को नींद न आने की बात तो सिर्फ एक बहाना थी ।

“ देखो मॉम , जो कुछ भी हुआ वो एक किस्मत की गलती थी और हम दोनों का ही इसमें कोई कसूर नहीं है । हमको इस बात को भूल जाना चाहिए और फिर से आपस में पहले जैसा ही व्यवहार करना चाहिए ।"

“पहले की तरह ? ये संभव ही नहीं है । “

“ लेकिन जो कुछ भी हुआ उसको अब हम पलट तो नहीं सकते ना । इसलिए उसे भूल जाना ही ठीक है । "

“तुम क्या कह रहे हो राज ? जो हुआ उसे भूल जाऊँ ? कैसे ? " मेरी पीड़ा अब गुस्से में बदल रही थी ।

एक तो मै पहले से ही परेशान थी , ऊपर से राज का बड़ों की तरह ऐसे बातें करना मुझे अच्छा नहीं लग रहा था । गुस्से से मेरा मुंह लाल हो गया ।

“ मॉम , प्लीज , पहले मेरी बात सुनो । मैं सिर्फ ये कह रहा हूँ कि माँ बेटे के बीच मर्यादा की जो रेखा होती है ,हमें उसे पहले जैसे ही बरक़रार रखना चाहिए । मैं तुम्हारा बेटा , तुम मेरी मॉम हो । जो कुछ हुआ उसे बुरा सपना समझकर भुला देना चाहिए । आपको मेरी इतनी सी बात समझ क्यों नहीं आ रही है ? उस घटना को भूल जाने में आपको प्रॉब्लम क्या है ? "

“ इतनी सी बात ...... ? ये इतनी सी बात है ......? बकवास बंद करो राज !! भाड़ में गयी तुम्हारी ये लेक्चर बाजी । तुम्हें कुछ अंदाजा भी है कि उस रात के बाद से मुझ पर क्या गुजरी है ? और तुमने कितनी आसानी से कह दिया , सब भूल जाओ । मैं कैसे भूल जाऊँ ? मर्यादा की जिस रेखा की तुम बात कर रहे हो , उसे तो तुम कब का पार कर चुके हो । राज अब वो रेखा हम दोनों के बीच है ही नहीं क्योंकि उस रात के बाद अब हम दोनों उस रेखा के एक ही तरफ हैं ।

उस रात जो बदन तुम्हारे जिस्म के नीचे था , वो मेरा बदन था , तुम्हारी अपनी सगी माँ का । अब आँखें फेर लेने से क्या होगा ।और ये बात नशे के बाद भी तुम जानते थे
सच को झुठला तो नहीं सकते ना तुम । "
मेरी आँखों से टपटप आँसू बहने लगे ।“ बात सिर्फ उस रात के सेक्स की नहीं है । लेकिन उस रात बिताये पलों के बाद , जाने अनजाने में , मेरे मन में जो आशाएं , उम्मीदें , जो इच्छाएं जन्मी थी , उनका क्या ? जो सपने रात भर मुझे बेचैन किये रहते थे , उनका क्या ? मैं उन्हें भुला ही नहीं सकती , चाहे मैं कितनी ही कोशिश क्यों ना कर लूँ । समझे तुम ? "
मेरे अंदर की इतने दिनों की पीड़ा , उसकी तड़प , लावा बनकर फूट पड़ी ।

“तुम सभी मर्द एक जैसे होते हो । तुम लोगों को इस बात का कुछ अंदाजा ही नहीं होता कि जब एक औरत किसी लड़के को अपना दिल दे बैठती है तो उस पर क्या बीतती है । लड़कों को लगता है कि औरत पर थोड़ा पैसा खर्च कर दो , कुछ गिफ्ट वगैरह दे दो और वो औरत उनके लिए अपने कपडे उतार दे । क्यों ? क्योंकि वो ऐसा चाहते हैं , बस । वो किसी भी तरह सिर्फ सेक्स करने की कोशिश में रहते हैं । औरत की भावनाओं की उन्हें कोई क़द्र नहीं होती । उनका सिर्फ एक लक्ष्य होता है कि कैसे भी पटाकर औरत की टांगे फैला दी जाएँ और इससे पहले कि औरत कहीं अपना इरादा ना बदल दे , झट से उसके
ऊपर चढ़के उसके अंदर अपना पानी गिरा दें ।

कई बेवक़ूफ़ औरते इनके चक्करों में फंस भी जाती हैं और जब तक उन्हें समझ आती है , लड़के अपना काम निकाल के , उनको छोड़ कर जा चुके होते हैं ।लेकिन ये बातें मुझे जल्द ही समझ आ गयी थीं । मैं जानती थी की उस दिन मेरे लिए सेक्स बहुत मायने रखता था,तुम नहीं होते तो शायद किसी और से चुदवा लेती ,तुम्हारे पापा की शराबखोरी ने उन्हें सेक्स में कमजोर बना दिया था और हर रात में अतृप्त रह जाती थी,उस रात तुमने मुझे कई रातो के बाद तृप्त किया था ,हा ये सही हे की मुझे जब ये पता चला की तुमने मेरे साथ सेक्स किया हे तो में नाराज थी लेकिन इन दो महीनो में मुझे पता चल गया हे की में तुम्हारे बिना नहीं रह सकती।

मै बोलते बोलते थोड़ी साँस लेने के लिए रुकी । मेरी पीड़ा देखकर राज का दिल भर आया । उसने मुझ को आलिंगन में भरकर मेरा सर अपनी छाती से लगा लिया । अपने बेटे की मजबूत बाँहों के घेरे में आकर मेने एक गहरी सांस ली । मेरी आँखों से फिर आँसू बह चले ।सुबकते हुए में बोली
मै बोलते बोलते थोड़ी साँस लेने के लिए रुकी । मेरी पीड़ा देखकर राज का दिल भर आया । उसने मुझ को आलिंगन में भरकर मेरा सर अपनी छाती से लगा लिया । अपने बेटे की मजबूत बाँहों के घेरे में आकर मेने एक गहरी सांस ली । मेरी आँखों से फिर आँसू बह चले ।सुबकते हुए में बोली ,


“ राज उस रात मैं सिर्फ थोड़ा मज़ा लेना चाहती थी और कुछ नहीं । लेकिन जैसा प्यार उस अजनबी ने मुझे दिया वैसा मैंने कभी महसूस ही नहीं किया था । मुझे पता ही नहीं था कोई ऐसा इतना प्यार देने वाला भी हो सकता है। मैं उस रात के बाद से हर रात उस अजनबी के ही सपने देखती रही हूँ और एक बार फिर से उन आनंद के पलों को पाने के लिए तड़प रही हूँ । लेकिन जब वो अजनबी मेरा बेटा यानि तुम निकले तो मेरे ऊपर आसमान ही टूट पड़ा । मेरे सपनों का शहजादा जिससे मिलने को मैं तड़प रही थी वो मेरा अपना बेटा निकला तो इसमें मेरा क्या कसूर है । “


मै फिर चुप हो गयी और अपने बेटे के सीने से लगी रही । राज के आलिंगन से मेरी तड़प फिर बढ़ने लगी । मै फिर से बेचैन हो उठी ।

“ सिर्फ एक बार , बस एक बार, अगर तुम मुझसे वैसे ही प्यार करो , तो शायद मेरे मन की तड़प पूरी हो जाये और ये रोज़ रात में आकर तड़पाने वाले सपनों से मुझे मुक्ति मिल जाये । क्या पता । “

फिर मेने अपनी आँखें उठाकर राज की आँखों में झाँका पर उनमे उसे वही भाव दिखे , जो कुछ दिन से दिख रहे थे

" राज प्लीज , मैं जानती हूँ तुम मेरे बेटे हो और ऐसा करना शायद तुम्हारे लिए बहुत मुश्किल होगा। लेकिन सिर्फ एक बार मुझे वही प्यार दो । उसके बाद तुम अगर मेरे पास आना नहीं चाहोगे तो कोई बात नहीं । लेकिन सिर्फ एक बार मैं तुमसे वही प्यार चाहती हूँ और फिर जैसा तुम चाहोगे वैसा ही होगा । अगर तुम चाहोगे तो फिर से हम पहले के जैसे माँ बेटे बन जायेंगे । लेकिन प्लीज एक बार , सिर्फ इस बार मेरा मन रखलो । सिर्फ एक बार के लिए मेरे बॉयफ्रेंड बन जाओ मेरे बेटे ।"

अपनी सुबकती हुई माँ को सीने से लगाए हुए राज गहरी साँसे लेते हुए चुपचाप खड़ा रहा ।
मेने अपने को राज के आलिंगन से अलग किया । अपनी आँखों से आँसू पोछेऔर राज को उम्मीद भरी नज़रों से देखा ।लेकिन राज की कुछ समझ मेँ नहीं आ रहा था कि वो क्या बोले ।

" मैं अपने बेडरूम का दरवाज़ा खुला रखूंगी । तुम अगर अपना मन बना लोगे तो सीधे अंदर आ जाना । नॉक करने की कोई जरुरत नहीं । मैं तुम्हारा इंतज़ार करुँगी । अगर तुम नहीं आये तो मैं समझ जाऊँगी कि तुमने क्या decide किया है । "

इससे पहले कि राज कुछ जवाब दे पाता , मै तेज तेज क़दमों से अपने बेडरूम में चली गयी मै बोलते बोलते थोड़ी साँस लेने के लिए रुकी । मेरी पीड़ा देखकर राज का दिल भर आया । उसने मुझ को आलिंगन में भरकर मेरा सर अपनी छाती से लगा लिया । अपने बेटे की मजबूत बाँहों के घेरे में आकर मेने एक गहरी सांस ली । मेरी आँखों से फिर आँसू बह चले ।सुबकते हुए में बोली ,

“ राज उस रात मैं सिर्फ थोड़ा मज़ा लेना चाहती थी और कुछ नहीं । लेकिन जैसा प्यार उस अजनबी ने मुझे दिया वैसा मैंने कभी महसूस ही नहीं किया था । मुझे पता ही नहीं था कोई ऐसा इतना प्यार देने वाला भी हो सकता है। मैं उस रात के बाद से हर रात उस अजनबी के ही सपने देखती रही हूँ और एक बार फिर से उन आनंद के पलों को पाने के लिए तड़प रही हूँ । लेकिन जब वो अजनबी मेरा बेटा यानि तुम निकले तो मेरे ऊपर आसमान ही टूट पड़ा । मेरे सपनों का शहजादा जिससे मिलने को मैं तड़प रही थी वो मेरा अपना बेटा निकला तो इसमें मेरा क्या कसूर है । “

मै फिर चुप हो गयी और अपने बेटे के सीने से लगी रही । राज के आलिंगन से मेरी तड़प फिर बढ़ने लगी । मै फिर से बेचैन हो उठी ।

“ सिर्फ एक बार , बस एक बार, अगर तुम मुझसे वैसे ही प्यार करो , तो शायद मेरे मन की तड़प पूरी हो जाये और ये रोज़ रात में आकर तड़पाने वाले सपनों से मुझे मुक्ति मिल जाये । क्या पता । “

फिर मेने अपनी आँखें उठाकर राज की आँखों में झाँका पर उनमे उसे वही भाव दिखे , जो कुछ दिन से दिख रहे थे

" राज प्लीज , मैं जानती हूँ तुम मेरे बेटे हो और ऐसा करना शायद तुम्हारे लिए बहुत मुश्किल होगा। लेकिन सिर्फ एक बार मुझे वही प्यार दो । उसके बाद तुम अगर मेरे पास आना नहीं चाहोगे तो कोई बात नहीं । लेकिन सिर्फ एक बार मैं तुमसे वही प्यार चाहती हूँ और फिर जैसा तुम चाहोगे वैसा ही होगा । अगर तुम चाहोगे तो फिर से हम पहले के जैसे माँ बेटे बन जायेंगे । लेकिन प्लीज एक बार , सिर्फ इस बार मेरा मन रखलो । सिर्फ एक बार के लिए मेरे बॉयफ्रेंड बन जाओ मेरे बेटे ।"

अपनी सुबकती हुई माँ को सीने से लगाए हुए राज गहरी साँसे लेते हुए चुपचाप खड़ा रहा ।
मेने अपने को राज के आलिंगन से अलग किया । अपनी आँखों से आँसू पोछेऔर राज को उम्मीद भरी नज़रों से देखा ।लेकिन राज की कुछ समझ मेँ नहीं आ रहा था कि वो क्या बोले ।

" मैं अपने बेडरूम का दरवाज़ा खुला रखूंगी । तुम अगर अपना मन बना लोगे तो सीधे अंदर आ जाना । नॉक करने की कोई जरुरत नहीं । मैं तुम्हारा इंतज़ार करुँगी । अगर तुम नहीं आये तो मैं समझ जाऊँगी कि तुमने क्या decide किया है । "

इससे पहले कि राज कुछ जवाब दे पाता , मै तेज तेज क़दमों से अपने बेडरूम में चली गयी
 

Sur281

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राज की कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था । अपने बेडरूम में बेड पर लेटे हुए उसके दिमाग में उस रात के दृश्य घूमने लगे । उस अँधेरे कमरे में वो मादक औरत जिसने उसे जी भर के कामतृप्ति दी थी । लेकिन मेने जो बातें अभी कहीं थी , उनसे राज उलझन में था । अगर वो मेरी बात मानकर मेरा दिल रख लेता है तो भी उनके बीच कुछ अलग नहीं होने वाला था । क्योंकि आपस में सेक्स तो वो पहले ही कर चुके थे । अब इससे ज्यादा और हो ही क्या सकता था। लेकिन वो ये भी जानता था कि अगर ये किस्सा शुरू हुआ तो फिर ये एक बार ही नहीं होगा ।

ये होते रहेगा और उनकी लाइफ को और उनके आपसी रिश्तों को और उलझा देगा ।

राज अभी कोई मन नहीं बना पा रहा था । उसको इन सब बातों पर सोचने के लिए कुछ और वक़्त की जरुरत थी । उसने सोचा होगा कि अगर वो मेरी बात नहीं मानता और मुझको मना कर देता है तो फिर एक ही छत के नीचे वो कैसे रह पायेंगे । उनके रिश्ते के बीच एक दरार पैदा हो जायेगी ।

राज फिर उस रात की औरत के बारे में सोचने लगता है । वो औरत उसे भी बहुत पसंद आयी थी और उस रात को याद करके उसका लंड भी कई बार खड़ा हो जाता था । पर अब हालत दूसरे थे , वो औरत कोई अनजान नहीं , खुद उसकी माँ थी । अब अगर वो मॉम के बेडरूम में चला भी जाता है तो अपनी मॉम के साथ वैसे सेक्स थोड़ी कर पायेगा जैसे उसने उस रात अनजान औरत के साथ उसको dominate करके किया था और जो submissive nature की मुझे बहुत पसंद आया था । वो वैसा कर ही नहीं सकता था क्योंकि उसे मालूम था , अपनी मॉम के सामने वो नर्वस हो जायेगा । राज कुछ भी decide नहीं कर पाया । उसने सारी समस्या को वक़्त और किस्मत के भरोसे छोड़ दिया । जो किस्मत में होगा देखा जायेगा । उसने सोचा कि देखते हैं सुबह में कैसा रियेक्ट करती हू ।

उधर मै रात में अपने कमरे में राज के आने का इंतज़ार करती रही । वो रात मेरे लिए बहुत लम्बी और तड़पा देने वाली वाली साबित हुई । जैसे जैसे समय बीतता गया , में डिप्रेशन की गहराईयों में गिरते चली गयी ।दूसरे दिन सुबहमें बहुत दुखी थी । अपनी पैंटी के ऊपर एक लम्बी ढीली टीशर्ट डालकर नाश्ता बना रही थी । नाश्ता करते समय हम दोनों में से कोई भी कुछ नहीं बोल रहा था । हम चुपचाप अपनी प्लेटों की तरफ देखकर खाना खा रहे थे । खा क्या रहे थे , बस प्लेट में खाना इधर उधर घुमा रहे थे । दोनों ही अपने अपने विचारों में खोये हुए थे ।

जब मेने नाश्ता कर लिया तो मेने नज़रें उठाकर राज को देखा , अपने हैंडसम बेटे को ।लेकिन अब में जानती थी कि मुझे अपने बेटे के प्रति शारीरिक आकर्षण को वहीँ पर ख़तम कर देना चाहिए । हम दोनों की नज़रें आपस में मिली । मेरा दिल तड़प उठा । मेरी आँखों में दर्द उमड़ आया । राज द्वारा ठुकरा दिए जाने की पीड़ा से मेरे आँसू गालों पर बहने लगे ।
तुम्हारा निर्णय अब मुझे पता चल गया है ” में बुदबुदायी और फिर एक झटके से उठी और अपनी प्लेट लेकर किचन में चली गयी ।


मेरा दुःख देखकर राज का दिल भर आया । मेरे उदास और लटके हुए चेहरे को देखकर उसने उसी क्षण फैसला ले लिया , भाड़ में जाये , समाज के नियम - कानून । मेरी माँ मुझे इतना चाहती है और मैं उसे चाहता हूँ , तो हमें औरों से क्या लेना देना ।

राज अपनी कुर्सी से उठा और मेरी ओर बढ़ा । मेरे को अपनी तरफ घुमाकर उसने मजबूत बाँहों के घेरे में भरके मुझे अपनी ओर खींचा । मेने अपनी आँसुओं से भरी आँखें उठाकर राज की आँखों में देखा , वहां अब असमंजस के भाव नहीं थे , राज निर्णय ले चुका था ।मेने अपनी बाहें उसके गले में डालकर उसकी छाती में अपना सर रख दिया ।
हम दोनों थोड़ी देर तक एक दूसरे की बांहों में ऐसे ही खड़े रहे । राज ने अपने हाथ नीचे ले जाकर मेरे चूतड़ों को पकड़कर मुझे प्यार से थोड़ा और अपनी तरफ खींचा । मै मानो इन्ही पलों का इंतज़ार कर रही थी मै खुद ही राज से चिपट गयी । राज की बांहों में जो ख़ुशी मेरे को मिली उससे मुझे ऐसा महसूस हुआ मानो मेरा दिल ही उछल कर बाहर आ जायेगा ।

राज ने फिर से अपनी माँ के नरम जिस्म और उसकी मादक गंध को महसूस किया । लेकिन वो जल्दबाज़ी नहीं करना चाहता था । उसके दिल से बोझ उतर चुका था और वो अब बहुत हल्का महसूस कर रहा था । राज ने अपना सर झुकाकर मेरे को देखा , पहली बार एक लड़के की नज़र से , मै खूबसूरत थी और अब तो राज का दिल भी पिघल चुका था । अब उनके बीच कोई दीवार नहीं थी । राज ने मेरे माथे का धीरे से चुम्बन लिया और फिर मेरे सर के ऊपर अपना चेहरा रख दिया । मेने राज का चुम्बन अपने माथे पर महसूस किया , मेरे पूरे बदन में एक लहर सी दौड़ गयी और तभी मुझे राज का चेहरा अपने बालों में महसूस हुआ । मेने अपने सर को थोड़ा हटाया और राज की तरफ देखा । दोनों की नज़रें मिली ।

" तुम ये मेरी खुशी के लिए कर रहे हो ? " मै फुसफुसाई ।
"हमारी ख़ुशी के लिए मॉम " राज मुस्कुराया ।
फिर राज ने अपना चेहरा झुकाके मेरे होठों की तरफ अपने होंठ बढ़ाये । मेने भी अपने कंपकपाते होंठ राज के होठों से लगा लिये ।हम दोनों किसी नए प्रेमी जोड़े की तरह धीरे धीरे एक दूसरे का चुम्बन लेने लगे ।

शुरू में थोड़ी झिझक हुई पर कुछ पलों बाद दोनों का चुम्बन लम्बा और प्रगाढ़ हो गया राज ने अपने दोनों हाथ मेरे बड़े गोल चूतड़ों पर रखे हुए थे और मेने अपनी बाहें राज के गले में डाली हुई थी । मेने अपने होंठ राज के होठों से अलग किये बिना ही अपना एक हाथ राज की कमीज के अंदर डाल दिया और उसके पेट , चौड़ी छाती और मजबूत कन्धों पर अपना हाथ फिराने लगी । जब मेरी उँगलियों ने राज के निप्पल को छुआ तो मेने उसको उंगुलियों के बीच थोड़ा दबाया और गोल गोल घुमाया ।

अपनी बाँहों में लेकर मेरे प्रेमी की तरह चुम्बन लेते हुए राज को बहुत अच्छा महसूस हो रहा था । मेरे नाजुक और रसीले होठों को राज चूमते रहा । फिर राज ने अपना बांया हाथ मेरी पैंटी के अंदर खिसक्या । उसने मेरे बदन में कम्पन महसूस किया । कुछ पलों तक उसने अपना हाथ मेरे बड़े गोल चूतड़ों पर रोके रखा और अपनी मॉम के नग्न शरीर के स्पर्श का सुख लिया फिर उसका हाथ दोनों चूतड़ों के बीच की दरार की तरफ बढ़ गया ।जब उसकी उँगलियों ने दरार के बीच से मेरी चूत को छुआ तो उसको अपनी उँगलियों में गीलापन महसूस हुआ ।

मेने उत्तेजना से अपने पैर जकड़ लिये । राज ने चूत के नरम और गीले होठों को अपनी उँगलियों से सहलाया और अपनी दो उँगलियाँ चूत के छेद के अंदर डालकर अंदर की गर्मी और गीलेपन को महसूस किया । हम दोनों के होंठ अभी भी एक दूसरे से चिपके हुए थे । राज की उँगलियों के अपनी चूत में स्पर्श से मेने अपने पूरे बदन में उतेज़ना की बढ़ती लहर महसूस की ।

राज ने मेरे बदन में उठती उत्तेजना की लहरें महसूस की । उसने भांप लिया कि अगर वो ऐसे ही मेरी चूत में उँगलियाँ अंदर बाहर करते रहेगा तो में झड़ जाउंगी । लेकिन वो इतनी जल्दी ऐसा होना नहीं चाहता था । इन मादक पलों को लम्बा खींचने के लिये उसने अपनी उँगलियाँ मेरी चूत से बाहर निकाल लीं और अपने होंठ मेरे होठों से अलग कर लिये । लेकिन मेरे को चुम्बन तोडना पसंद नहीं आया मै तो सुधबुध खोकर आँखें बंद किये चुम्बन लेते हुए किसी और ही दुनिया में खोयी थी.
 

Sur281

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फिर राज मेरी टीशर्ट को उतारने लगा । में ने अपने दोनों हाथ ऊपर उठाकर टीशर्ट उतारने में मदद की । अब राज की आँखों के सामने अपनी मॉम की बड़ी बड़ी गोल चूचियां थीं , जिन्हें वो पहली बार देख रहा था । राज ने दोनों चूचियों के निप्पल को एक एक करके अपने होठों के बीच लेकर उनका चुम्बन लिया । मेरी उत्तेजना से सिसकारी निकल गयी।

फिर उसने अपनी कमीज भी उतार दी । कमीज़ उतरते ही अपने हैंडसम बेटे के गठीले जिस्म को देखकर मेरी आँखों में चमक आ गयी । मेने तुरंत अपने हाथों को उसके गठीले जिस्म पर फिराया । फिर उसका निक्कर का बटन खोलकर उसे फर्श पर गिरा दिया। पैंटी और अंडरवियर छोड़कर अब दोनों के बदन पर कोई कपड़ा नहीं था ।हम दोनों ने एक दूसरे के बदन पर बचे आखिरी कपडे को पकड़ा और नीचे को खींच लिया ।

दोनों पहली बार एक दूसरे के नग्न बदन को देख रहे थे । मेरे खूबसूरत नग्न जिस्म को देखकर राज का लंड तनकर खड़ा हो गया । मेने भी पहली बार अच्छे से राज के लंड को देखा । मेने लंड को हाथ में लेकर उसकी मोटाई का अंदाजा लिया । मुझे याद आया इसी मोटे लंड से उस रात राज ने मेरी चूत की खूब धुलाई की थी । राज अभी भी मेरे नग्न जिस्म की खूबसूरती में खोया हुआ था । उस रात अँधेरे कमरे में हम दोनों ने एक दूसरे को महसूस किया था पर आज पहली बार दोनों एक दूसरे के नंगे बदन को अपनी आँखों से देख रहे थे ।

राज ने मेरे नग्न बदन को अपने आलिंगन में भर लिया । मेरे को अपने बदन में पेट के पास राज के खड़े लंड की चुभन महसूस हुई । मेने अपने होंठ फिर से राज के होठों से लगा लिए । कुछ देर तक दोनों चुम्बन लेते रहे । राज ने अपने होंठ अलग किये और फिर अपने दोनों हाथ मेरे कन्धों पर रखकर उसको नीचे घुटनों के बल झुका दिया । अब मेरी आँखों के सामने राज का तना हुआ लंड था । मै समझ गयी कि उसका बेटा क्या चाहता है । मेने एक गहरी साँस ली और अपने होंठ सुपाड़े पर रख दिये और उसका चुम्बन लिया । फिर अपना मुंह खोलकर सुपाड़े को अंदर ले लिया । और लंड को अपने हाथ से ऊपर नीचे करने लगी।

मेरे को अपनी जीभ पर लंड से टपकी pre - cum की बूँद का स्वाद महसूस हुआ । अपना दूसरा हाथ मै राज की जांघों के पिछले हिस्से पर फेरने लगी और लंड को चूसते चूसते अपने हाथ को राज के चूतड़ों पर फिराने लगी । राज ने मेरे सर को दोनों हाथों से पकड़ा और अपने लंड को मेरे मुंह में गले तक डाल दिया । मेरे को दम घुटता सा महसूस हुआ । मै समझ गयी कि dominating nature का राज उसे उसी तरह से अपने काबू में कर रहा है , जैसे उसने उस रात किया था । थोड़ी देर तक मेरा मुंह चोदने के बाद राज ने अपना लंड बाहर निकाल लिया और मेरे सर पर पकड़ ढीली कर दी । वो अभी झड़ना नहीं चाहता था और इन पलों को और लम्बा खींचना चाहता था । में ने लंड को चूसते और चाटते हुए राज की बढ़ती हुई उत्तेजना महसूस की । तभी राज ने मेरे को रोक दिया और मुझको खड़ा करके मेरे होठों पर गहरा चुम्बन फिर राज ने मुझे उठाया और किचन काउंटर पर बैठा दिया । मेरे पैर फैलाकर खुद उनके बीच आ गया। मेरे को राज के हाथ अपनी नग्न पीठ पर घूमते महसूस हुए और राज का लंड मेरी चूत को स्पर्श कर रहा था । फिर राज ने अपने होंठ मेरे होठों पर रख दिये।हम दोनों एक दूसरे के होठों को चूमने लगे और एक दूसरे के मुंह में जीभ घुमाने लगे । हमारे हाथ एक दूसरे के बदन और पीठ पर घूम रहे थे ।
 

Sur281

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तभी मेने न साँस लेने के लिए चुम्बन तोड़ दिया और बोली ,
"राज अगर तुम्हें सही नहीं लग रहा है तो अभी भी रुक सकते हो । मैं नहीं चाहती कि बाद में तुम कुछ और फील करो । मुझे तो अच्छा लग रहा है पर मैं चाहती हूँ कि तुम फिर से सोच लो ।"

राज ने मेरी आँखों में देखा फिर बोला ,
" देखो मॉम तुम जितना मुझे चाहती हो , मैं भी तुम्हें उतना ही चाहता हूँ । सिर्फ निर्णय न ले पाने से उलझन थी , झिझक थी । जो अब दूर हो चुकी है ।अब तुम मेरी गर्लफ्रेंड हो और मैं तुम्हारा बॉयफ्रेंड ।"फिर उसने अपने लंड को मेरी चूत के छेद पर लगा दिया और थोड़ा अंदर धकेल दिया ।

मेने दोनों हाथों से राज के चूतड़ों को पकड़ा और धीरे धीरे अपनी तरफ खींचने लगी। राज का पूरा लंड मेरी पूरी तरह से गीली हो चुकी चूत में घुसता चला गया ।

"अहह ........ राज बहुत अच्छा लग रहा है " मदहोशी में आँखे बंद करके सिसकारी लेते हुए मै बोली ।

राज के मोटे लंड से मेरे को अपनी टाइट चूत में कुछ दर्द सा भी महसूस हो रहा था लेकिन दर्द के साथ साथ बहुत कामसुख भी मिल रहा था । मेरे चेहरे के भाव देखकर राज ने मुझसे पूछा " मॉम तुम्हें कुछ परेशानी , दर्द तो नहीं हो रहा ? " में ने एक पल के लिए आँखे खोली , राज को देखा , हल्का मुस्कुरायी , " नहीं राज , मुझे कोई दर्द नहीं हो रहा । तुम करते रहो ।"

राज ने सुपाड़ा छोड़कर बाकी लंड बाहर निकाल लिया । फिर मेरे चूतड़ों को दोनों हाथ से पकड़कर उसे अपनी तरफ खींच कर , अचानक एक झटके में पूरा लंड अंदर धांस दिया । मेरी तेज चीख निकल गयी । फिर राज चूत में थपाथप धक्के लगाने लगा । धक्के लगाते हुए ही अपने एक हाथ से मेरी हिलती हुई बड़ी बड़ी चूचियों को पकड़कर उन्हें मसलने लगा । कुछ देर बाद अपने मुंह को मेरी क चूचियों पर रखकर उन्हें चूसने लगा ।

राज के अपनी चूत पर पड़ते धक्कों से मेरी सिसकारियां बढ़ती चली गयीं । दर्द और उत्तेजना से मेने राज के कन्धों पर अपने नाख़ून गड़ा दिये और अपनी टांगों को उसकी कमर के चारों ओर लपेट लिया । कुछ देर बाद मेरा बदन अकड़ गया ओर उसको एक जबरदस्त ओर्गास्म की लहरें आयीं । राज भी ज्यादा देर नहीं रुक पाया और उसने अपनी माँ यानी मेरी चूत को अपने वीर्य से भर दिया । फिर कुछ समय तक हम दोनों एक दूसरे को आलिंगन में जकड़े रहे । दोनों ही एक दूसरे से अलग होना नहीं चाह रहे थे ।
फिर कुछ समय तक दोनों एक दूसरे को आलिंगन में जकड़े रहे । दोनों ही एक दूसरे से अलग होना नहीं चाह रहे थे ।
कुछ देर बाद राज ने मुझे किचन काउंटर से उतार दिया और मुझे घुमाकर कमर से झुका दिया ।

मेने ने अपनी बांहें किचन काउंटर पर टिका दीं । उसकी बड़ी बड़ी चूचियां लटकी हुई थीं और लम्बी चिकनी टाँगें थोड़ा फैली हुई थीं ।"लगता है अभी मेरे प्रेमी का मन नहीं भरा ।" में पीछे की ओर सर मोड़कर राज को देखते हुए बोली ।


राज बस मुस्कुरा दिया । मेरी खूबसूरत गांड उसके सामने थी । उसने मेरी एक टांग मोड़कर किचन काउंटर पर रख दी । अब में घबरा गयी मेने सोचा राज उसकी गांड में लंड घुसाने जा रहा है , वो भी बिना किसी lube के , जैसे उसने उस रात अँधेरे कमरे में घुसेड़ दिया था । तब राज के मोटे लंड ने मेरी गांड की जो कुटाई की थी , उससे मै दो दिन तक ठीक से चल नहीं पायी थी । राज ने जोर से सर हिलाकर "नहीं " कहा पर राज ने मेरी तरफ ध्यान नहीं दिया और अपने तने हुए लंड को, मेरी चूतरस से भीगी हुई चूत में पीछे से घुसेड़ दिया ।

में तो कुछ और ही सोच रही थी , हुआ कुछ और ।

राज ने पूछा , " तुमने नहीं क्यों कहा ?"

" कुछ नहीं , मैंने सोचा तुम आज फिर मेरे बदन की कुटाई करने वाले हो । " मेने शरारत भरी मुस्कान से राज को देखा ।

राज मुस्कुरा दिया , उसे अच्छी तरह से पता था कि मेने “ नहीं “ क्यों कहा था। वो जानता था अब मै उसके मोटे लंड को अपनी टाइट गांड में डालने नहीं दूंगी । वो तो बस मज़े में मेरे मुंह से सुनना चाह रहा था । पर मेने भी सीधे कहने की बजाय इशारों में जवाब दिया था ।
 
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Sur281

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अब राज ने दोनों हाथों से मेरी कमर पकड़कर पीछे से धक्के लगाने शुरू कर दिए । मै भी अपने बेटे का पूरा साथ देते हुए पीछे को गांड दबाकर लंड अपनी चूत में ज्यादा से ज्यादा अंदर भरने की कोशिश करने लगी । राज बीच बीच में मेरी मखमली पीठ पर हाथ फेरने लगता । कभी आगे हाथ बढ़ाकर उसकी नीचे को लटक के हिलती हुई मुलायम चूचियों और निप्पल को हाथ में दबाकर मसलने लगता और मेरे को तड़पाने के लिए धक्के रोक देता । धक्के रोक देने से मेरा मज़ा बिगड़ जा रहा था तो मेने खुद ही अपनी चूत आगे पीछे करते हुए राज के लंड को चोदना शुरू कर दिया । मेरी कामुकता देखकर राज को भी जोश चढ़ गया । उसने पूरी तेजी से जोरदार धक्के लगाने शुरू कर दिए । मेरी सिसकारियां उसी तेजी से धक्कों के साथ बढ़ती गयीं । सिसकारियों लेते लेते ही मै बोली ,
"राज मेरे बेटे !!! हाँ ऐसे ही तेज तेज धक्के लगाते रहो .....आह आह .आआ हहहह ..."
और देखते ही देखते मै बदन में कंपकपी के साथ दूसरी बार कामतृप्त हो गयी


इस बार का ओर्गास्म कुछ ज्यादा ही तेज और देर तक आया था ।पर अभी राज का पानी नहीं निकला था । वो दोनों हाथ से मेरी गांड पकड़कर मेरी चूत को पेलता रहा ।कुछ देर बाद राज को भी लगा कि वो अब झड़ने वाला है । उसने आगे झुककर दोनों हाथों में मेरी चूचियां पकड़ ली और दोनों चूचियों को मसलने लगा । फिर उसका बदन कांपा और उसके लंड से वीर्य निकलकर मेरी चूत में गिरने लगा । थककर वो मेरी पीठ में ही पस्त हो गया ।हम दोनों जी भरकर कामतृप्त हो चुके थे ।

कुछ पलों बाद जब राज की सांस लौटी तब वो मेरे बदन से अलग हुआ । उसका लंड मेरी चूत से बाहर निकल आया । चूत से वीर्य और चूतरस का मिला जुला जूस बाहर निकलकर मेरी टांगों में बहने लगा ।मै मुस्कुरायी और राज की तरफ मुड़कर थोड़ा झुकी फिर दोनों हाथों में राज का लंड पकड़कर उसको चूमा। फिर खड़े होकर राज के गले में बाहें डालकरराज के होठों पर एक जोरदार चुम्बन दिया ।

"थैंक यू मेरे बेटे !! तुमने मेरा सपना पूरा कर दिया। "

"थैंक्स मुझे नहीं , अपनी हिम्मत को कहना मॉम जिस की वजह से आज मैं तुम्हारा बॉयफ्रेंड हूँ । "

"मेरा बेटा , मेरा बॉयफ्रेंड। " मेरे दमकते चेहरे पर अब सुख की मुस्कान थी ।
माँ बेटे की इस चुदाई के चक्कर में राज के कॉलेज जाने का वक़्त निकल चुका था । पर हमें इसकी कोई परवाह नहीं थी ।

जब घर में इतना सुख मिल रहा हो तो कॉलेज जाके करना भी क्या था ।
शाम को जब राज मार्केट से घर वापस आया तो में टीवी देख रही थी । राज भी सोफे पर बैठ गया और मेरे हाथ से रिमोट लेकर चैनल बदलने लगा। इस वक़्त सारे चूतियापे के प्रोग्राम आ रहे थे इसलिए जल्दी ही वो बोर हो गया ।और मेरे को रिमोट पकड़ा दिया । जितनी देर तक वो चैनल बदलने में लगा था , मै TV स्क्रीन की बजाय उसी को देख रही थी । जब राज ने उसे रिमोट पकड़ा दिया तो मेने रिमोट को टेबल पर रख दिया और खुद राज से जांघें सटा कर बैठ गयी और उसके कंधे पर अपना सर रख दिया । राज ने मेरे कंधे पर अपनी बांह रख दी ।

कुछ देर बाद मेने अपनी एक टाँग उठाकर राज की जांघों के ऊपर डाल दी और उसके गले में बाँहें डालकर अपनी आँखें बंद करके होंठ गोल करके आगे को बढ़ाये । राज ने अपना हाथ मेरे सर के पीछे लगाकर अपने होंठ मेरे होठों पर रख दिये और फिर हम दोनों की चुम्माचाटी शुरू हो गयी ।दोनों एक दूसरे के मुंह में जीभ घुसा घुसाकर , जीभ से ही ब्रश करने लगे ।

मेरे निप्पल खड़े होकर तन गए । अब मै राज की गोद में बैठ गयी और अपनी तनी हुई चूचियां राज की छाती में गड़ा के फिर से चुम्बन चालू कर दिया । अपने शॉर्ट्स के नीचे मुझे राज का खड़ा होता लंड चुभता सा महसूस हुआ । अब मेने अपनी चूत को कपड़ों के ऊपर से ही राज के लंड के ऊपर रगड़ना शुरू कर दिया । मुझे अपनी पैंटी गीली होती महसूस हुई । दोनों को बहुत मज़ा आ रहा था तब ही मेरी फ्रेंड रिया का फ़ोन आ गया

रिया ने फ़ोन रखा नहीं मुझ से किट - पिट करती रही तब तक राज का खड़ा होता लंड बैठ गया और मेरे तने निप्पल मुरझा गये । "

रात में ,मै किचन में डिनर की तैयारी कर रही थी । राज किचन के दरवाजे पर हाथ बांध के खड़ा हो गया और अपने कंधे दरवाजे पर टिका लिये । खाना बनाती हुई मुझ को निहारने लगा । अपने बेटे को अपनी ख़ूबसूरती निहारते देखकर मै मन ही मन ख़ुश हुई । फिर राज की तरफ देखकर बोली ,

"राज, मैंने तुम्हारे लिये स्पेशल डिनर बनाया है । जितना ज्यादा खा सकते हो , खा लेना । आज रात तुम्हें बहुत एनर्जी की जरुरत पड़ने वाली है ।"

मेरी कामुक बातें सुनकर राज का लंड नींद से उठ गया । वो मेरे पीछे गांड से चिपक के आलिंगन करते हुए मेरा चुम्बन लेने लगा ।

" तुम्हारे लिये मेरे पास पहले से ही बहुत एनर्जी है मॉम । अगर तुमने मुझे एक्स्ट्रा एनर्जी दे दी तो फिर तुम मुझे झेल नहीं पाओगी और फिर एक हफ्ते तक बेड से उठ नहीं सकोगी , और अगर उठ भी गयी तो लंगड़ा लंगड़ा के चलोगी ।"
उसकी इस गुस्ताखी पर , में ने अपने निचले होंठ को दातों में दबाते हुए , राज के पेट में अपनी कोहनी मार दी । मेने कहा मुझे यह मोटा लौड़ा अपनी चूत की पूरी गहराई में चाहिये… पूरा जड़ तक… तुझे मैं सिखाऊँगी किएक्स्ट्रा एनर्जी क्या हे और मुझे कैसी चुदाई पसंद है… मुझे जोरदार और निर्मम चुदाई पसंद है… कोई दया नहीं… वहशी चुदाई… अब रुको मत और एक ही बार में बाकी का लण्ड घुसेड़ दो मेरी चूत में…”

यह सुनकर राज ने एक जोरदार शाट मारा और पूरा का पूरा मूसल मेरी चूत में पेलम-पेलकर दिया। पर मेरे लिये यह भी पूरा न पड़ा।
“और अंदर…” मै चीखी।

फिर तो राज ने आव देखा न ताव और अपने लण्ड से जबरदस्त पेलाई शुरू कर दी।“बैठ जा इस पर, छिनाल… चल साली कुतिया… चोद मेरे लौड़े को। अब किस बात का इंतज़ार है… मुझे पता है कि मुझसे ज्यादा तू तड़प रही है मेरा लौड़ा अपनी चूत में खाने के लिये। बैठ जा अब इस पर राँड… चोद अपनी गीली चूत पूरी नीचे तक मेरे लण्ड की जड़ तक…”


“ये ले… साले हरामी…” मै बोली और उस मोटे लण्ड को जकड़ने के लिये उसने अपनी चूत नीचे दबा दी- “हाय… कितना बड़ा और मोटा महसूस हो रहा है, विशाल सख्त लौड़ा… अपना लण्ड मेरी चूत में ऊपर को ठाँस… चोदू, मुझे पूरा लण्ड दे दे… मैंने अपनी चूत में कभी कुछ भी इतना बड़ा नहीं लिया। ऐसा लग रहा है जैसे ये लौड़ा मेरी चूत को चीर रहा है…”

मै सच ही बोल रही थी। ये अदभुत ठुँसायी जो इस समय मेरी चूत में महसूस हो रही थी, इसकी मेने कभी कल्पना भी नहीं की थी। मुझे लग रहा था कि मेरी तंग चूत इतनी फैल जायेगी कि फिर पहले जैसी नहीं होगी। फिर भी बोली- “मुझे पूरा चाहिये… बेरहमी से चोद … मेरी चूत में ऊपर तक ठाँस दे… चीर दे मेरी चूत को, इसका भोंसड़ा बना दे…” गहरे, लम्बे धक्कों की ऐसी झड़ी राज ने लगाई कि मेरे मुँह से चूं तक न निकल पाई। मै जब झड़ी तो मुझे लगा कि वो शायद मर चुकी है। उसका अपने शरीर पर कोई जोर नहीं है। उसकी चमड़ी जैसे जल रही है। उसकी चूचियों में जैसे पिन घुसी हुई हों। उसकी चूत की तो हालत ही खस्ता थी। राज के मोटे लौड़े की भीषण पेलाई ने जैसे उसे चीर दिया था। उसके बाद भी वो मादरचोद लड़का पिला हुआ था उसकी चूत की असीमतम गहराइयों को चूमने के लिये।

मेने अपने होश सम्भालते हुए गुहार की- “दे मुझे यह लौड़ा, पेल दे, पेल दे, पेल दे… भर दे मेरी चूत, भर दे… भर दे इसे अपने लौड़े के पानी से…”

राजअब और न ठहर सका। और भरभरा कर अपनी मॉम की चूत में झड़ गया। मै अपनी चूत को उसके लण्ड पर रगड़ती जा रही थी।

जब दोनों शांत हुए तो मै राज को चूमते हुए बोली- “मेरे शानदार चुदक्कड़ बेटे, काश हम लोग भाग सकते होते तो हम कहीं ऐसी जगह चले जाते जहाँ हम जितनी चाहते, चुदाई कर सकते
शाम को राज घर लौटा तो मै घर पर नहीं थी मै अपने फ्रेंड्स के साथ शॉपिंग करने गयी थी । जब मै वापिस आयी तो पाया कि राज टीवी देख रहा था ।
में ने काले रंग की ड्रेस पहनी थी जो मेरी मांसल जांघों के सिर्फ ऊपरी भाग को ढक रही थी । राज ने उसको देख कर होंठ गोल करके सिटी बजायी ।
“मॉम , इस ड्रेस में तुम कितनी सेक्सी लग रही हो ! ये ड्रेस तुम्हारे बदन से बिलकुल चिपकी हुई है और ढकने के बजाये तुम्हारे खूबसूरत जिस्म के सारे उभारों और कटावों को दिखा रही है । "
अपनी तारीफ सुनकर मेने शरारती मुस्कान के साथ राज के सामने एक चक्कर गोल घूमकर हर तरफ से उसको ड्रेस में अपना बदन दिखाया । फिर राज के पास आकर उसको अपने आलिंगन में भर लिया और अपनी बड़ी बड़ी चूचियां राज की छाती में दबा दी । अपने रसीले कामुक होंठ राज के होठों पर रख दिये । दोनों एक दूसरे का चुम्बन लेने लगे और एक दूसरे के मुंह में जीभ घुमाने लगे ।
राज चुम्बन लेते हुए ही अपने हाथ नीचे ले जाकर मेरी बड़ी लेकिन मक्खन जैसी मुलायम गांड को अपने हाथों में दबाकर मसलने लगा । फिर ड्रेस के अंदर हाथ घुसाकर गांड की दरार के बीच से मेरी मखमली चूत के होठों को सहलाने लगा । मै थोड़ा और राज से चिपक गयी ।

" तुम्हें मालूम है राज , आज हमारे इस नए रिश्ते को एक महीना पूरा हो गया है । "

"अच्छा ! तब तो कुछ सेलिब्रेशन होना चाहिए । बताओ आज अपने बॉयफ्रेंड को क्या गिफ्ट देने वाली हो। "
मेरे खूबसूरत चेहरे को अपने दोनों हाथों के बीच प्यार से पकड़कर राज बोला ।
मै कुछ पल सोचती रही । फिर अचानक मै राज से अलग होकर उसकी तरफ पीठ करके कुछ दूर खड़ी हो गयी । थोड़ा कमर झुकाकर राज की तरफ अपनी गांड बाहर को निकालकर धीरे धीरे से अपनी ड्रेस ऊपर को उठाने लगी । अंदर उसने मैचिंग कलर की काले रंग की पैंटी पहनी हुई थी । जिसमें पीछे से सिर्फ एक पतली डोरी थी और दोनों चूतड खुले हुए नग्न थे । फिर मादक मुस्कान बिखेरते हुए बोली ,
“ आज रात ये तोहफा , तुम्हारे लिये राज !!!उस मक्खन जैसी मुलायम , बड़ी गांड को देखकर राज होठों पर जीभ फिराते हुए मुस्कुराया ,
"आज रात मुझे बहुत मज़ा आने वाला है माँ , कसम से !!!


"मॉम , हम लोग बिस्तर में चलें?| राज ने मेरी कामवासना लिप्त चेहरा देख कर शरारत से पूछा.

शयनकक्ष में पहुँचते ही राज ने मुझे प्यार से वस्त्रहीन कर दिया। शीघ्र ही मैं निवस्त्र बिस्तर में लेटी राजको कपड़े उतारते हुए

देख रही थी. राज भी निवस्त्र हो कर मेरे साथ बिस्तर में लेट गया . हम दोनों ने एक दुसरे को बाँहों में भर कर खुले मुंह से चूमने लगे. राज ने मेरे गुदाज़ चूतड़ों को मसलते हुए मेरे मुंह में अपनी जीभ डाल कर मेरे सारे मुंह के अंदर सब तरफ घूमा दी. मैंने भी अपने जीभ

राज की जीभ से भीड़ा कर उनके मीठे मुंह के स्वाद का आनंद लेने लगी.

राज ने मुझे चित लिटा कर मेरे मुलायम बड़ी चूचियों को अपने मूंह से उत्तेजित करने लगा राज ने मेरे चूचुक अपने मूंह में

भर कर उनको पहले धीरे-धीरे फिर ज़ोर से चूस-चूस कर मेरी सिसकारी निकल दी.

राज ने मेरे गोल भरे हुए पेट को चूमते हुए मेरी गीली चूत के ऊपर अपना मूंह रख कर मेरी हल्की सुनहरी झांटों को अपने

जीभ से भाग कर मेरी चूत के द्वार के अंदर डाल दी. मेरी ज़ोर की सिसकारी ने राज को भी उत्तेजित कर दिया. राज ने मेरी चूत

और भगशिश्निका को अपनी जीभ और मुंह से सता कर मेरी वासना को चरम सीमा तक पहुंचा दिया.
राज ने अपनी खुरदुरी जीभ से मेरे क्लीटोरिस को चाट कर मुझे बिलकुल पागल सा कर दिया। उसकी एक उंगली अहिस्ता से

मेरी गीली मचलती चूत में फिसल कर अंदर चली गयी। उसने अपनी उंगली को टेड़ा कर के मेरी चूत के सुरंग के आगे की दीवार को

रगड़ने लगा । उसकी जीभ और उंगली दोनों ही मुझे एक बराबर का आनंद दे रहीं थीं।
 
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