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Incest मेरी कशिश मेरी पूजनीय माँ

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मैं ऊपर की ओर बड़ा और अम्मा की साइड में लेट गया. मैंने अपना बायां हाथ अम्मा की गर्दन के नीचे डाला और दाएं हाथ से उनके कंधे को धीरे धीरे सहलाने लगा. फिर मैंने साइड से चूची को चूमा और निपल को होठों में भर लिया. मेरे चूसने से अम्मा के निपल सख़्त होने लगे. अम्मा के मुँह से हल्की सी ऊओ…ऊवू की आवाज़ निकली लेकिन उन्होने मुझे रोका नही.

फिर मैं थोड़ा खिसका और अम्मा का दायां हाथ जो उन्होने अपने पेट पर रखा हुआ था , उसको पकड़कर अपने लंड पर लगाया. अम्मा ने पहले तो लंड को पकड़ा फिर झटक दिया. अम्मा ने कुछ सेकेंड्स के लिए ही मेरे लंड को पकड़ा, लेकिन जिस आनंद की अनुभूति मुझे हुई उसे मैं शब्दों में बयान नही कर सकता.

अम्मा ने अपना चेहरा दूसरी तरफ किया हुआ था और वो चुपचाप थी. अब मैंने आगे बढ़ने का निश्चय किया और मैं अम्मा के ऊपर आ गया. अम्मा समझ गयी , उसने उठने की कोशिश की लेकिन मैंने उसे टाइट पकड़े रखा और अपने होंठ उसके होठों से मिला दिए.

कुछ पल बाद वो शांत हो गयी और उसने अपने होंठ खोल दिए. उसने मेरा स्वागत किया या समर्पण कर कर दिया , मुझे नहीं मालूम . मैंने उसकी चूचियों को सहलाया, निपल को चूसा , ऐरोला पर जीभ फिराई और उसे चूमा और चाटा. फिर मैंने अपना हाथ नीचे ले जाकर अपने लंड को अम्मा की गीली चूत की दरार पर रगड़ना शुरू किया.

अम्मा ने दोनो हाथ पीछे ले जाकर बेड का हेडबोर्ड पकड़ लिया और चिल्लाई,” चिनू ये मत कर बेटा. मैं हाथ से तुम्हारा कर दूँगी पर बेटा अब इस सीमा को मत लाँघ.”

मैंने अम्मा को ओर्गास्म दिलाया था और अब अम्मा उसके बदले मुझे हस्तमैथुन का प्रस्ताव दे रही थी. इसका मतलब ये था की वो ये महसूस या कबूल कर रही थी की उसे ओर्गास्म आ चुका है तो चिनू को भी ओर्गास्म निकालने की ज़रूरत है. उसका ये प्रस्ताव ही मुझे प्रोत्साहित करने के लिए काफ़ी था. अब मुझे चुनाव करना था, या तो मैं उसका प्रस्ताव स्वीकार कर लूँ या फिर अम्मा मेरी इच्छा के आगे समर्पण कर दे.

मुझे जवाब ना देते देखकर अम्मा बोली,” चिनू बहुत पछताओगे बेटा, बाद में. मान जाओ.”

मैंने अम्मा के होठों को चूमा और बोला,” अगर ऐसे ही करना है तो मुँह से कर दीजिए.”

अम्मा ने कहा,”नहीं , लाओ हाथ से कर दूं.” और फिर अपना हाथ नीचे ले जाकर मेरे लंड को पकड़ लिया. मैंने थोड़ी सी जगह दी और अम्मा ने हाथ से मूठ मारनी शुरू कर दी. मैंने महसूस किया की अम्मा अनमने ढंग से हस्तमैथुन नही कर रही थी बल्कि वास्तव में वो मेरे लंड को सहला रही थी और सहलाते हुए सिसकियाँ ले रही थी.

इससे मैं और भी उत्तेजित हो गया. मैंने थोड़ी देर तक अम्मा को ऐसे ही करने दिया. मैं उसकी चूचियों को मुँह में भरकर चूसने लगा और उसकी चूत में उंगली डालकर तेज़ी से अंदर बाहर करने लगा. अम्मा सिसकारियाँ ले रही थी , उसके मुँह से निकलती उन सिसकारियों से मैं उत्तेजना से पागल हो गया. मैंने उसकी कलाई पकड़ी और अपने लंड से उसका हाथ हटा दिया और फिर से उसके ऊपर आ गया.

अम्मा बोली, “तुम नही मानोगे?”

लेकिन उसके बोलने की टोन से मुझे लगा की असलियत में वो चाहती है की मैं आगे बढूं , क्या उसका विरोध दिखावे के लिए ही था और वो चाहती थी की मैं आगे बढूं या फिर मैंने ग़लत समझा ? जो भी हो.

मुझे मालूम था यही सही समय है. मैंने अपने घुटनो से अम्मा की टाँगे फैला दी और उसकी जांघों के नीचे अपने घुटने रख दिए. इसे उसकी जांघें मेरी जांघों के ऊपर आ गयी. मैंने अपने लंड को अम्मा की चूत की दरार की पूरी लंबाई में ऊपर से नीचे तक रगड़ना शुरू किया.

अम्मा की आँखे बंद थी और साँसे इतनी भारी थी की उसकी चूचियां ज़ोर ज़ोर से हिल रही थी. मैं अब रुक नही सका. अम्मा की चूत के फूले हुए होठों को अलग करते हुए लंड को मैंने चूत के छेद पर लगा दिया. उसकी चूत की गर्मी से ऐसा लग रहा था जैसे मैंने किसी स्टोव में लंड को रख दिया है. जैसे ही मैंने अंदर घुसाने को धक्का दिया, अम्मा ने झटके से ऊपर को खिसकने की कोशिश की , होनी को टालने का ये उसका अंतिम प्रयास था.

“चिनुऊऊ….नहीं……रुक जाओ बेटा. मान जाओ…..ना…नहीं……आआहह…..आअहह….ऊऊऊ…उउउफ़फ्फ़ माँ..”

एक धक्के से मैंने समाज के सबसे पवित्र माने जाने वाले बंधन को तोड़ दिया.

आधी लम्बाई तक लंड अंदर जा चुका था. मैं रुका और लंड को वापस बाहर खींचा और फिर एक झटके में जड़ तक अंदर घुसा दिया.

अम्मा सिसकी,”ऊऊऊहह..……माँ ”

मैं कुछ पल के लिए रुका. अपनी आँखे बंद की और आनंद की उस भावना को महसूस किया. अम्मा की गहरी और गरम चूत की दीवारों ने मेरे लंड को जकड़ रखा था. चूत के अंदर बहुत मुलायम महसूस हो रहा था.

फिर मैंने आँखे खोलकर अम्मा को देखा. बड़ा मनमोहक दृश्य था . उसकी जांघें फैली हुई थी, टाँगे मुड़ी हुई थी. और उसके छोटी छोटी साँसे लेने से उसकी छाती और पेट हिल रहे थे. उसने अपनी बाँहे ऊपर उठा रखी थी और हाथों से बेड का हेडबोर्ड पकड़ रखा था. जिससे उसकी चूचियां ऊपर को उठी हुई थी. उसके बड़े निपल ऊपर को तने हुए आमंत्रण दे रहे थे. बेड लैंप की हल्की रोशनी में उसका पूरा गोरा नग्न बदन चमक रहा था.

मैं थोड़ा आगे को झुका , उसकी जांघों को थोड़ा और ऊपर उठाया और अम्मा के दोनो तरफ अपने हाथ रख दिए. फिर थोड़ा और नीचे सर झुकाकर मैंने अम्मा की नाभि को चूमा. फिर धीमे लेकिन लंबे स्ट्रोक लगाकर अम्मा की चुदाई करने लगा.

मैंने नीचे देखा, जहाँ पर हमारे जिस्म एक में मिल रहे थे, मेरा लंड चूत के रस से पूरा भीगा हुआ था. मैं लंड को पूरा बाहर निकालकर फिर तेज झटके से अंदर घुसाकर धक्के मारने लगा.

अम्मा का पूरा बदन मेरे धक्कों से हिलने लगा. वो ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ लेने लगी.

“हे माँ, उफ़फ्फ़ तुम कितने निर्दयी हो.”

मुझे मालूम था ऐसे तेज तेज करने से मैं ज़्यादा देर तक नही ठहर पाऊँगा. इसलिए मैं अम्मा के बदन पर लेट गया और फिर धीमे लेकिन गहरे धक्के लगाने लगा. मैंने उसकी चूचियों को मुँह मे भर लिया और चूसने लगा. मेरे चूसने और काटने से चूचियां लाल हो गयी.

मैंने अपना चेहरा ऊपर बढ़ा के अम्मा के होठों को चूमा. अम्मा अब कोई विरोध नही कर रही थी, विरोध का दिखावा भी नही. जैसे ही मेरे होठों ने उसके होठों को छुआ उसने मेरी जीभ का स्वागत करने के लिए अपने होंठ खोल दिए.

अब मैं सहारे के लिए अम्मा के कंधों को पकड़कर चुदाई करने लगा. हर धक्के के साथ कुछ अजीब सी फीलिंग आ रही थी. मैंने कभी खुद को इतना उत्तेजित और इतना आनंदित नही महसूस किया था. अब इस पोज़िशन मे मैं तेज तेज शॉट नही लगा पा रहा था. और जड़ तक लंड नही घुस पा रहा था क्यूंकी मैं आगे को झुका हुआ था. तभी अचानक अम्मा ने अपनी जांघें ऊपर की ओर फैला दी , जिससे मेरे लिए ज़्यादा जगह बन गयी और उसकी चूत के ऊपर उठने से मेरा लंड अब जड़ तह गहरा घुसने लगा.

इससे हमारे बीच की रही सही शरम भी ख़त्म हो गयी , मुझे मालूम चल गया था की अम्मा भी अच्छे से चुदाई चाह रही है. मैंने दुगने उत्साह से धक्के लगाने शुरू कर दिए.

मैंने अपना सर उठाया और धीरे से कहा,” आई लव यू अम्मा.”

अम्मा ने एक सिसकारी लेकर उसका जवाब दिया.

मेरे हर धक्के से उसके मुँह से ऊवू……आआअहह…की आवाज़ें निकल रही थी.

हर धक्के के साथ उसके बदन से मेरे बदन के टकराने से ठप ठप ठप की आवाज़ पूरे कमरे में गूंजने लगी. अम्मा के मुँह से निकलती ऊओ…आअहह….उफ़फ्फ़ माँ …की आवाज़ों का संगीत मुझे और भी उत्तेजित कर दे रहा था.

अम्मा भी अब कामोन्माद में थी. उसकी जीभ उसके मुँह में घूम रही थी. अम्मा ने मेरा निचला होंठ अपने मुँह में दबा लिया और उसे चूसने लगी. उसके दांतो के अपने होंठ पर गड़ने से मुझे पता चल गया की अम्मा अपने दूसरे ओर्गास्म के करीब है. अपनी धार्मिक माँ को कामोन्माद में इतना उत्तेजित देखना मेरे लिए हैरान करने वाला था. मैंने उसके बदन के निचले भाग के हल्के हल्के मूवमेंट को महसूस किया. और अपने धक्कों को उस के हिसाब से एडजस्ट कर दिया.

ऐसा करने से अम्मा बहुत उत्तेजित हो गयी. उसने बेड का हेडबोर्ड छोड़ दिया और अपनी बाँहे मेरी पीठ पर लपेट ली. अब वो मुझे बेतहाशा चूमने लगी और मेरे हर धक्के का जवाब अपने नितंबों को ऊपर उछालकर देने लगी. जब मैं ऊपर को आ रहा होता था तो वो नीचे पड़ी रहती थी लेकिन जब मैं नीचे को जाता था तो वो अपने नितंब उठाकर पूरा मेरे लंड को अपने अंदर ले लेती थी. फिर उसका बदन अकड़ने लगा. मैं समझ गया अब अम्मा को ओर्गास्म आने वाला है.

फिर अम्मा ने अपने हाथों से मेरे नितंबों को पकड़ लिया उसके नाख़ून मेरे माँस में गड़ रहे थे. वो मेरे नितंबों को पकड़कर अपनी चूत पर ज़ोर ज़ोर से पटककर धक्के देने लगी.

अब वो मेरे पर भारी पड़ने लगी थी. उसने मजबूती से अपने पैर बेड पर रखे हुए थे और मेरे नितंबों तो कसके पकड़कर वो नीचे से इतनी तेज धक्के मार रही थी की मुझे उसका साथ देने में मुश्किल होने लगी. मेरे नितंबों पर गडते उसके नाख़ून दर्द करने लगे थे. अपने ओर्गरस्म के आने से पहले अम्मा कामोन्माद से बहुत ही उत्तेजित हो गयी थी.

फिर वो चीखी,” ओह चिनुउऊउउ…सम्भालो हमको…आआअररररज्ग्घह……”

वो झड़ने लगी , मैं भी झड़ने ही वाला था. मैंने बेरहमी से अम्मा की चूचियां मसल डाली, उसके कंधों पर दाँत गड़ा दिए. और पूरी तेज़ी से धक्के मारने लगा.

अम्मा चीखी,”ऊूउउ…उफ़फ्फ़…मेरी जान ही ले लोगे क्या ..”

फिर अम्मा ने अपनी कमर उठाकर टेढ़ी कर दी और एक चीख उसके मुँह से निकली,”आऐईयईई…….ईईईईईए….मा…”

उसकी तेज चीख से मैं घबरा गया , कोई सुन ना ले. मैंने उसका मुँह अपने मुँह से बंद कर दिया.
अम्मा ने अपनी जाँघो को मेरे नितंबों पर लपेट कर मुझे जकड़ लिया. तभी मेरा वीर्य निकल गया. मैं धक्के लगाते रहा और अम्मा की चूत को अपने वीर्य से भर दिया.

अम्मा का बदन काँपने लगा. फिर वो शांत पड़ गयी और झड़ने के बाद मैं भी शांत होकर उसके ऊपर ही लेट गया. मेरा लंड अभी भी अम्मा की चूत के अंदर था.

अम्मा अपना मुँह मेरी गर्दन के पास लाई और हल्के से मेरी गर्दन चूमने लगी. अपने हाथ से वो मेरे नितंबों को सहलाने लगी. वो देर तक मेरे कंधे, मेरी पीठ को सहलाती रही. मैं उसके ऊपर पड़े हुए ही सोने लगा. उसके सहलाने से मेरी आँखे बंद होने लगी.

तभी वो हिली और अपने दायीं तरफ खिसकने लगी. मैं उसके ऊपर से उठकर उसके बगल में लेट गया.
मैंने अम्मा को देखा , वो मुझको ही देख रही थी . आँसू भरी आँखो से सीधे उसने मेरी आँखो में झाँका.

उसने मुझे अपनी तरफ खींचा और अपनी बड़ी छाती में मेरा चेहरा छुपा लिया.
“कैसे हो गया ये सब बेटा? तूने तो मार ही डाला मुझे चिनू. अब क्या होगा ?”

अपनी इच्छा पूरी हो जाने के बाद अब वास्तविकता से सामना था. अम्मा की बात का मेरे पास कोई जवाब नही था. मैं भी उतना ही कन्फ्यूज़ और चिंतित था. बात को जारी रखने की मेरी हिम्मत नही थी. इसलिए मैंने अपनी बाँहो को अम्मा के बदन में लपेटा. उसकी चूचियों के बीच की घाटी को चूमा. और अम्मा की छाती में चेहरा छुपा के किसी बच्चे की तरह सुरक्षित महसूस करते हुए सो गया.

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सुबह जल्दी मेरी नींद खुल गयी, बाहर अभी उजाला नही हुआ था. मैं बेड में लेटे हुए ही रात में हुई घटना के बारे में सोचने लगा. लेकिन मैं कुछ भी ठीक से नही सोच पा रहा था , दिमाग़ में कई तरह के विचार आ रहे थे. मुझे बहुत अपराधबोध हो रहा था लेकिन इस बात से भी मैं इनकार नही कर सकता था की जिस आनंद की मुझे अनुभूति हुई थी वैसी पहले कभी नही हुई. मैंने खुद से स्वीकार किया की अम्मा का इस घटना में कोई हाथ नही है, ये सब मेरी वजह से ही हुआ है. मेरी ही वजह से अम्मा इस पाप की भागीदार बनी , जिसके बारे में हमारे समाज में सोचा भी नही जा सकता.

यही सब सोचते हुए मुझे फिर से नींद आ गयी. सुबह बेड के हिलने से मेरी नींद खुली. मैं खिड़की की तरफ मुँह करके सोया हुआ था और अम्मा की तरफ मेरी पीठ थी. अम्मा के हिलने डुलने से मुझे लगा की वो बेड से उठ रही है. माँ ने बेड साइड लैंप ऑन किया. मैंने सामने दीवार पर लगे मिरर में देखा अम्मा बेड में पीछे टेक लगाकर बैठी है और उसने अपना चेहरा हाथों से ढका है. फिर वो सुबकने लगी और उसकी आँखो से आँसू बहने लगे. बीच बीच में वो, हे प्रभु ! हे ईश्वर ! भी जप रही थी.

मुझे बहुत बुरा लगा. क्या करूँ समझ नही आया इसलिए मैं चुपचाप वैसे ही लेटे रहा. मैंने फिर से मिरर में देखा तो , मेरे अंदर का जानवर फिर से सर उठाने लगा. मिरर में माँ की बड़ी छाती दिख रही थी. कुछ घंटे पहले रात में इन चूचियों को मैंने खूब चूसा था पर अभी नज़ारा कुछ और ही था.

जब माँ ने अपने हाथों से चेहरा ढका था तो मिरर में कुछ दिख नही पा रहा था पर जब उसने अपनी आँखे पोछी और हाथ नीचे कर दिए तो अम्मा की गदराई हुई छाती मुझे दिखने लगी. मुझे इस बात पे हैरानी हुई की माँ की चूचियां ज़्यादा ढली हुई नही थी. वो बड़ी बड़ी और गोल थी और उन्होने अपना आकार बरकरार रखा था. माँ ने अपना सर पीछे को किया हुआ था और उसके गहरी साँसे लेने से उसकी चूचियां हल्के से हिल रही थी. उसके कंधे , उसकी उठी हुई ठोड़ी , सब कुछ एकदम परफेक्ट था.

फिर वो सीधी होकर बैठ गयी और हाथ पीछे ले जाकर अपने बाल बाँधने लगी. उसने एक नज़र मेरी तरफ देखा. क्या मैंने उसे मुस्कुराते हुए देखा ? हाँ, वो मुझे देखकर मुस्कुरा रही थी. फिर मैंने उसका हाथ अपने सर पे महसूस किया. उसने प्यार से मेरा सर सहलाया फिर मेरे गाल को सहलाया.

“ये तूने क्या कर डाला मेरे बच्चे “, अम्मा बोली.

मैंने मिरर में देखा अम्मा मेरे ऊपर झुक रही है. मैंने सोए हुए का नाटक करते हुए आँखे बंद कर ली. मैंने अम्मा की गरम साँसे अपनी गर्दन पर महसूस की. अम्मा ने अपने होंठ मेरी बाई कनपटी पर रख दिए और कुछ देर तक ऐसे ही वो अपने हाथ से मेरा सर सहलाती रही.

फिर उसने अपने होंठ हटाए और वो बेड से उठने लगी. मैंने अपनी आँखे खोली और मिरर में देखा लेकिन तब तक वो बेड से उठ चुकी थी.

मैंने कान लगाकर सुनने की कोशिश की , बाथरूम का दरवाज़ा खुलने की आवाज़ आई. अम्मा बाथरूम में चली गयी है समझकर मैं जैसे ही सीधा लेटने को हुआ वो अचानक मिरर में मुझे दिख गयी. मैंने जल्दी से आँखे बंद कर ली. फिर थोड़ी सी खोलकर देखा. अम्मा घूमकर मेरी बेड की साइड में आई और फर्श से अपनी नाइटी उठाने लगी , जो मैंने रात में उतार कर फेंक दी थी. नाइटी को अपनी छाती से लगाकर वो सामने मिरर में अपने नंगे बदन को देखने लगी , उसकी पीठ मेरी तरफ थी.

वो दृश्य पागल कर देने वाला था. माँ अपनी पूरी नग्नता के साथ मिरर के सामने खड़ी थी . उसने अपनी नाइटी बेड में रख दी और अपने को देखा. वो थोड़ी साइड में घूमी और अपने को मिरर में देखने लगी. ऐसा ही उसने दूसरी तरफ घूमकर किया. फिर उसने अपनी चूचियों के नीचे हाथ रखे और उन्हे थोड़ा ऊपर उठाया , फिर थोड़ा हिलाया. चादर के अंदर ही मेरा पानी निकलने को हो गया. वो थोड़ी देर तक अपने को ऐसे ही मिरर में निहारती रही. शायद वो गर्व महसूस कर रही होगी की अभी भी उसका बदन ऐसा है की वो उसका जवान बेटा भी उस पर लटटू हो गया.

फिर वो थोड़ा पीछे हटी , मिरर में अपना पूरा बदन देखने के लिए. अब वो मेरे बिल्कुल करीब थी. उसके बदन से उठती खुशबू को मैंने महसूस किया. उसके पसीने और चूतरस की मिली जुली खुशबू से मैं मदहोश हो गया. कमरे में आती हुई सूरज की रोशनी मे उसका नंगा बदन चमक रहा था. कुछ समय के लिए मैं दुनिया को भूलकर अपनी देवी जैसी माँ को देखते रहा. उसकी टांगों और जांघों का पिछला भाग जो मेरी आँखों के सामने था , बिल्कुल गोरा और मांसल था. कमर से नीचे को उसके विशाल नितंब फैले हुए थे जो माँ के हिलने के साथ ही हिल डुल रहे थे. उसकी चूत के बड़े फूले हुए होठों से उसकी गुलाबी क्लिट ढक सी गयी थी. ज्यादातर गोरी औरतों की चूत भी काले रंग की होती है लेकिन उसकी गोरी थी. नाभि के नीचे वो उभरा हुआ भाग बड़ा ही मादक दिख रहा था.

मुझे लगा मेरी प्यारी अम्मा रति का अवतार है. एक आदमी को जो चाहिए वो सब उसमे था. लंबी टाँगे, अच्छा आकार लिए हुए चूचियां, बाहर को निकले हुए विशाल नितंब और नाभि के नीचे उभरा हुआ वो भाग.

मैं अम्मा को देखने में डूबा हुआ था तभी अम्मा झुकी और बेड से अपनी नाइटी उठाने लगी. उसके झुकने से उसके नितंबों के बीच की दरार से मुझे उसकी चूत दिखी. अब मेरा लंड पूरा मस्त हो चुका था. मेरा मूड हुआ की मैं वहीं पर ही अम्मा को चोद दूं. लेकिन इससे पहले की मैं उठ पाता अम्मा ने नाइटी अपने बदन पर डाल ली और वहाँ से चली गयी.

फिर बाथरूम का दरवाज़ा बंद होने की आवाज़ आई. मैंने बाथरूम से पानी गिरने की आवाज़ का इंतज़ार किया. फिर मैं उठ गया और टीशर्ट और शॉर्ट पहन लिया. कमरे में अकेला होने के बाद फिर से मेरे दिमाग़ में उथल पुथल होने लगी. मेरी इच्छाओं और नैतिकता के बीच द्वन्द्ध होने लगा. फिर मैंने सोचना छोड़कर दरवाज़ा खोला और बास्केट में से सुबह का अख़बार निकाल लिया. फिर नाश्ते का ऑर्डर देकर में अख़बार पढ़ने लगा. मौसम के बारे में लिखा था की उत्तर भारत में शीतलहर जारी है लेकिन आश्चर्यजनक रूप से मुझे कोई खुशी नही हुई. एक रात पहले जो मुझे मौसम खराब होने पर होटेल में रुकने की खुशी थी , वैसा अब महसूस नही हो रहा था , पता नही क्यूँ. तब मुझे एहसास हुआ की कल रात माँ के साथ जबरदस्त चुदाई के बाद अब मेरे और उनके बीच एक चुप्पी सी छा गयी है , जिसे मैं बर्दाश्त नही कर पा रहा था और मैं इसे खत्म करना चाहता था.

तभी बाथरूम का दरवाज़ा खुला और माँ सिर्फ़ ब्रा और पेटीकोट पहने हुए बाहर आई. मेरी तरफ देखे बिना वो सूटकेस मे से अपनी साड़ी निकालने लगी. वो थोड़ी देर खड़ी रही फिर उसने कुर्ता और पैजामा निकाल लिया. वो कभी कभार ही कुर्ता पैजामा पहनती थी. माँ की तरफ सीधे देखने की मेरी हिम्मत नही हुई इसलिए मैं आँखों के कोने से उसे देखता रहा.

फिर मुझसे और टेंशन बर्दाश्त नही हुआ और मैं उठा और बाथरूम चला गया. बाथरूम में आकर मैंने देखा मेरा लंड मुरझा चुका है . अब मुझे उत्तेजना भी महसूस नही हो रही थी. मुझे कुछ समझ नही आ रहा था. तभी मैंने अम्मा को कुछ मैगज़ीन्स और अख़बार का ऑर्डर देते हुए सुना. अम्मा को थोड़ी बहुत अँग्रेज़ी ही आती थी. फिर मैं नहाने लगा. ठंडा पानी जब मेरे बदन पर पड़ा तो काँपते हुए मेरे दिमाग़ की उथल पुथल गायब हो गयी. फिर टीशर्ट और शॉर्ट पहनकर मैं रूम में आ गया.

नाश्ता आ चुका था और अम्मा चाय डाल रही थी. मैंने रूम सर्विस को लांड्री के लिए कहा और खिड़की से बाहर झाँकने लगा. हमारे रूम के सामने नीचे स्विमिंग पूल था, मैं बच्चों को तैरते हुए देखने लगा.

अम्मा ने नाश्ते के लिए बुलाया तो मैं उनके सामने बैठ गया. मैंने सीधे अम्मा की आँखो में देखा. उन्होने नज़रें घुमा ली और सैंडविच की प्लेट मेरी तरफ सरका दी. मैंने सैंडविच उठा लिया और खाने लगा. जब भी मैं अम्मा की ओर देखता की वो क्या सोच रही है तो वो अपनी नज़रें घुमा लेती. लेकिन मुझे ऐसा लग रहा था की जब मैं उसको नही देख रहा होता था तो वो मुझे देख रही होती थी. नाश्ता भी ख़तम हो गया और हमारे बीच टेंशन बना रहा. कोई कुछ नही बोला.

नाश्ता खत्म होते ही , लांड्री के लिए वेटर आ गया. मैंने उसको कपड़ों का बैग दिया और अम्मा से पूछा,” अम्मा आपको कुछ और देना है लांड्री के लिए ?”

अम्मा ने सिर्फ़ ‘नही’ कहा . फिर जैसे ही वेटर जाने को मुड़ा तो उन्होने सूटकेस से 2 नाइटी निकालकर लांड्री बैग में डाल दी.

उसके जाते ही रूम साफ करने के लिए आया आ गयी. मैं बैठे हुए सोचने लगा , अब क्या किया जाए.

रूम की सफाई करने के बाद आया ने ट्राली मे से 2 साफ चादर निकाली और बेड से पुरानी चादरें हटा दी. मैं आया को ऐसे ही देख रहा था तभी उसने पुरानी चादर को अपनी नाक पर लगाकर सूँघा. उसमे एक बड़ा सा दाग लगा हुआ था. मुझे इतनी शरम आई की मैंने मुँह फेर लिया और नीचे स्विमिंग पूल को देखने लगा. तभी आया अम्मा से कन्नड़ में कुछ बोलने लगी.

मैं मुड़कर उसे देखने लगा , तभी वो टूटी फूटी हिन्दी मे धीमे से अम्मा से बोली,” भगवान अयप्पा के आशीर्वाद से आपको ऐसी बहुत सी रातें बिताने को मिले.”

फिर ऐसा कहते हुए आया ने अम्मा को वो चादर पर लगा धब्बा दिखाया. अम्मा डर गयी. उसने सोचा रात मे जो हुआ , वो सब आया समझ गयी है. उसने जल्दी से 500 का नोट निकाला और आया के हाथ में थमा दिया. ताकि आया खुश हो जाए और अपना मुँह बंद रखे और अपने साथ काम करने वालों को कुछ ना बताए.
आया ने खुश होकर वो नोट अपने माथे से लगाया और बोली,” भगवान तुम दोनो को खुश रखे.” और फिर वो चली गयी.

उसके जाते ही अम्मा ने मुझे देखा , शरम से उसका पूरा चेहरा सुर्ख लाल हो गया था. मैं दौड़कर उसके पास गया और कंधों से उसे पकड़ लिया. अम्मा ने मेरी आँखों में देखा और अपनी नज़रें फर्श की तरफ झुका ली.मैंने अपने आलिंगन में अम्मा को कस लिया और वो सुबकने लगी. मैं कुछ भी नही बोल पाया और उसे अपने से चिपकाए रखा.

फिर मैं उसे बेड के पास ले गया और बेड पर बिठा दिया. और उसकी पीठ बेड के हेडबोर्ड पर टिका दी. खुद उसके सामने बैठ गया.

“तुमने मेरे साथ ऐसा क्यूँ किया ? क्या तुम्हारे मन में लंबे समय से मेरे लिए वासना थी या फिर मेरे व्यवहार में ऐसा कुछ था जिससे ये घटना हुई ?”

मैं सीधे अम्मा की आँखो में नही देख पाया. मैं दूसरी तरफ देखता रहा.

अम्मा ने मेरे कंधे पकड़कर मुझे अपनी तरफ घुमाया,” बताओ बेटा. कल रात जो हुआ उसके बारे में बहुत सी बातें करनी है , जाननी है.”

मुझे चुप देखकर अम्मा ने मुझे ज़ोर से झिझोड़ दिया,” मुझसे बात करो बेटा. मैं बर्बाद हो गयी हूँ. हम दोनो ही इस घटना से प्रभावित हुए है.”

“अम्मा, मैंने कभी आपको ऐसी नज़र से नही देखा. लेकिन जब आप बाथरूम में थी और आपने मुझसे नाइटी माँगी थी, जिस दिन हम बंगलोर आए थे…….” और फिर मैंने पूरी बात अम्मा को बता दी की कैसे कैसे मेरी काम इच्छा बढ़ती चली गयी.

पूरी बात सुनकर वो अपने को दोष देने लगी और रोने लगी.

मैंने कहा,” अम्मा ये बात सही है की उस दिन बाथरूम में आपको देखकर ही ये भावना मेरे अंदर आई. लेकिन जो कुछ हुआ उसके लिए आप अपने को दोषी क्यूँ ठहरा रही हैं. आपने तो होनी को टालने की पूरी कोशिश की थी लेकिन आप भी इंसान हैं और शारीरिक इच्छाओं के आगे आपने समर्पण कर दिया.”

एक गहरी साँस लेकर वो बोली,” चिनू, सिर्फ़ एक पल की कमज़ोरी से मेरा सब कुछ छिन गया. हे ईश्वर! मैंने ऐसा होने कैसे दिया .”

फिर सुबकते हुए वो कहने लगी,”अपने ही बेटे की नज़रों में मैं अपना रुतबा खो चुकी हूँ. मैं अब वो माँ नही रही जो तुम्हारे लिए पूजनीय थी जिसकी तुम इज़्ज़त करते थे. आज से मैं तुम्हारी नज़रों मे ऐसी चरित्रहीन औरत हूँ जो इस उमर में भी अपनी टाँगे फैला देती है.”

“अम्मा प्लीज़ , ऐसा ना कहो. मैं अब आपको और भी ज़्यादा प्यार करता हूँ. आप ये बात समझ लो की बिना इज़्ज़त के प्यार नही हो सकता. आप मेरे लिए वो देवी हो जिसके चरणों में मेरा सब कुछ अर्पित है. प्यार , इज़्ज़त और ज़रूरत पड़ी तो मेरी जिंदगी भी. मैंने कभी अपनी माँ के साथ संभोग के लिए नही सोचा था लेकिन फिर भी ये हो गया. ये हमारे भाग्य में था. या तो हमें इसे स्वीकार कर लेना चाहिए या फिर रोते चिल्लाते रहें, कोसते रहें लेकिन भाग्य में जो होगा वो होकर रहेगा.”

मेरी बात सुनकर अम्मा ने रोना बंद कर दिया और आश्चर्य से बोली,” क्या तुम मुझे ये समझाना चाहते हो की जो कुछ हुआ वो सही था और हमें इस पाप को करते रहना चाहिए ? अपनी काम इच्छाओं को सही ठहराने के लिए भाग्य का बहाना बनाना चाहिए ?”

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“अम्मा क्या सही है क्या ग़लत, इसका फ़ैसला मैं या आप नही कर सकते हैं. ये बस यूँ ही हो गया और मुझे इसका कोई अफ़सोस या दुख नही है. आप अपने को देखिए , आपने विरोध करने की कोशिश की थी लेकिन कही गहराई में आपके अंदर कुछ था जिसने आपके विरोध को कमज़ोर कर दिया और उसके बाद आपने भी यौनसुख का भरपूर आनंद लिया. अम्मा आप चाहे माने या ना माने लेकिन आपके अंदर भी कुछ ख़ालीपन या शून्य था जिसके बारे में आप खुद अंजान थीं. “

“अम्मा मेरी आँखो में देखिए और मुझसे कहिये की जो कुछ हुआ उसके बाद आप मुझसे घृणा करती हैं और आप इसे जारी नही रखना चाहती हैं. मेरी सौगंध लीजिए अम्मा , उसके बाद मैं कभी आपको परेशान नही करूँगा. मेरे हृद्य मे आप मेरी काम की देवी की तरह रहेंगी लेकिन मैं आपसे फिर कभी संभोग के लिए नही कहूँगा. बताइए मुझे अम्मा .“ मेरी आँखो से आँसू बहने लगे.

अम्मा ने अपनी बड़ी बड़ी आँखो से मुझे देखा और बड़बड़ाई ,” हे ईश्वर !”

वो मुझे ऐसे ही देखती रही जैसे मुझे नही बल्कि मेरे अंदर मेरी आत्मा में कुछ देख रही हो.

फिर मैं अम्मा के नज़दीक़ बैठ गया , अम्मा ने थोड़ा खिसककर मुझे जगह दी. मैंने अपनी बाँह अम्मा से लपेटकर उन्हे अपनी ओर खींचा. अम्मा ने मेरे कंधे पर अपना सर रख दिया और मेरी छाती पर अपनी बाँह लपेटकर मुझे पकड़ लिया. मैंने अम्मा के चेहरे को सहलाया तो उनके मुँह से एक सिसकारी निकली और मेरे बदन में अपना चेहरा छुपा लिया.

अम्मा को अपने से लगाए हुए मैं बैठा रहा. उस समय कुछ ऐसी फीलिंग थी जैसा पहले कभी महसूस नही हुआ था. वो वासना नही थी, प्यार भी नही था, एक अजीब सी भावना थी , क्या था मुझे भी नही पता. अब मेरे अंदर कोई अपराधबोध या इच्छाओं के बीच संघर्ष नही रह गया था. सब साफ हो चुका था की मुझे अम्मा की पूजा और उनसे प्यार करने की अपनी दैवीय ज़िम्मेदारी को निभाना है.

अम्मा और मेरे शारीरिक संबंध के बावजूद , अम्मा का रुतबा और उनके लिए इज़्ज़त पहले जैसी ही रही. अम्मा को ऐसे पकड़े रहने और उनकी चूचियों के मेरे बदन से दबने से मुझे उत्तेजना आ रही थी , लेकिन उसके माँ होने की भावना भी मेरे मन में आ रही थी. किसी भी औरत के साथ मैं इस अवस्था में होता तो उत्तेजना की भावना तो आती लेकिन वो एमोशनल फीलिंग नही आती जो अम्मा के साथ आ रही थी.

मैंने अपने अंगूठे से अम्मा के होठों को छुआ. छूने पर उनके होठों में हुए कंपन को मैंने महसूस किया. मैंने धीरे से निचले होंठ को अलग किया और थोड़ा सा अंगूठा अंदर डाला. उन्होने अपने होठों से मेरे अंगूठे का हल्का चुंबन लिया.

मैंने अम्मा की ठोड़ी ऊपर उठाई , अब अम्मा सीधे मेरी आँखो में झाँक रही थी. उनके होंठ खुले हुए थे. मैंने अम्मा की आँखो में देखा और अपने होंठ अम्मा के होठों से मिला दिए. अम्मा के बदन में कंपन हुआ. मैंने उनके मुँह में जीभ घुसा दी. अम्मा ने कोई विरोध नही किया और मजबूती से मुझे पकड़े रखा.हम चुंबन लेते रहे. अम्मा अपनी तरफ से ज़्यादा कुछ नही कर रही थी. उसने अपनी जीभ से मेरे होठों को छुआ और कभी कभार मेरे निचले होंठ को अपने होठों मे भर लेती थी .

थोड़ी देर तक ये हल्का फुल्का प्यार, चुंबन ऐसे ही चलता रहा. फिर मैंने अम्मा के कुर्ते के बटन खोलने शुरू किए. अम्मा बिल्कुल जड़वत हो गयी. उसका पूरा बदन अकड़ गया. मैंने अपने हाथ रोक दिए , कुछ पल बाद जब अम्मा का बदन ढीला पड़ने लगा. तो मैंने फटाफट बटन खोल दिए और अपनी उंगलियों से चूचियों का ऊपरी हिस्सा सहलाने लगा. अम्मा ने मेरे कंधे को कस के पकड़ लिया और दूसरे हाथ से मेरी पीठ को पकड़कर मुझे आलिंगन कर लिया.

मैं अपने हाथ को नीचे ले जाकर अम्मा की चूचियों को सहलाने लगा. मैंने कुर्ते के बाहर से अम्मा की नाभि को सहलाया. फिर मैंने कुर्ते के नीचे से अंदर हाथ घुसाने की कोशिश की लेकिन कुर्ता अम्मा के नीचे दबा हुआ था. अम्मा ने थोड़ा सा अपने नितंब ऊपर को उठाए और मैंने कुर्ता उनके नीचे से हटा दिया. फिर मैंने नीचे से कुर्ते के अंदर हाथ डाला तो अपने पेट पर मेरे हाथों के स्पर्श से अम्मा ने सिसकारी ली. कुछ पल तक मैं अम्मा के मुलायम पेट पर हाथ फिराता रहा और उनकी नाभि को सहलाता रहा. फिर मैं ऊपर को बढ़ा और उसकी चूचियों को छुआ.

एक बार फिर से अम्मा का बदन अकड़ गया. लेकिन उसने कोई विरोध नही किया. मुझे टाइट पकड़े हुए वो सिसकारी ले रही थी. अम्मा की ब्रा के ऊपर से ही मैंने दोनो चूचियों को धीरे से दबाया.

फिर मैंने अम्मा के होठों को चूमा और एक हाथ पीछे ले जाकर ब्रा के हुक खोल दिए. ब्रा की क़ैद से चूचियों को आज़ाद करके मैं उन्हे दबाने और सहलाने लगा. अंगूठे और बीच वाली उंगली के बीच निपल को दबाकर मैंने धीरे से मसला. अम्मा के मुँह से , ओह…माँ! निकला और वो बेड पर पीछे को लेट गयी. मैं भी कोहनियों के बल अम्मा के पास लेट गया. हम दोनो की नज़रें मिली और फिर उसने अपनी आँखे बंद कर ली.

मैंने अम्मा का कुर्ता उतारने की कोशिश की. अम्मा ने अपनी बाँहे उठाकर मुझे मदद की. जैसे ही मैंने कुर्ता उतारा अम्मा ने अपनी बाँह आड़ी रखके चूचियां ढक ली. मैंने अम्मा का चुंबन लिया और उसकी बाँह हटा दी. मैंने उसकी बड़ी चूचियों को मसला और ऐरोला और निपल को जीभ से चाटा. निप्पल पर मेरी जीभ लगते ही अम्मा ने ज़ोर से सिसकारी ली और अपनी बाँह मेरे ऊपर रख दी.

अब हम प्रेमी जोड़े की तरह से थे. अम्मा की शरम और हिचकिचाहट दूर हो चुकी थी.वो धीरे धीरे मेरा साथ दे रही थी. वो एक ऐसी शर्मीली लड़की की तरह व्यवहार कर रही थी जिसे पहली बार छुआ गया हो.

मैंने दोनो हाथों में चूचियां पकड़कर ज़ोर से दबा दिया. अम्मा ने ……. आह भरी और आँखे खोल के मुझे देखा. मेरा सर पकड़कर वो मेरे चेहरे को नज़दीक़ लाई और मेरा चुंबन लेते हुए मेरे मुँह के अंदर जीभ डाल दी. अब हम दोनो जोरदार तरीके से चुंबन लेने लगे. उसने मेरे गालों और माथे को चूमा और फिर से होठों को बेतहाशा चूमने लगी.

मैंने अपना हाथ नीचे ले जाकर अम्मा के पेट पर फिराया और फिर पैजामे के एलास्टिक के अंदर हाथ डाल दिया. मैंने उठकर अम्मा की आँखो में देखा. अम्मा ने शांति से मुझे देखा उसके चेहरे पर कोई भाव नही थे. मेरा हाथ पैजामे के अंदर नीचे को बढ़ता गया और अम्मा के चेहरे के भाव बदलते गये.

जैसी ही मेरे हाथ ने उसकी चूत को छुआ, अम्मा ने अपने निचले होंठ को दाँतो से काट लिया और अपना मुँह दूसरी तरफ घुमा लिया.

मैंने दूसरे हाथ से अम्मा का मुँह घुमाकर सीधा कर दिया और अम्मा की चूत के उभरे हुए भाग को हथेली में पकड़ लिया. अम्मा ने अपनी आँखे कस कर बंद कर रखी थी.

“अम्मा मुझे देखो.” लेकिन उसने आँखे नही खोली.

मैंने ज़ोर से अम्मा की चूत को अँगुलियों से पकड़कर दबा दिया.“अम्मा प्लीज़.”

अम्मा ने अपनी आँखे खोल दी और मुझे देखा. उसकी आँखो में कामोन्माद दिखा. चूत की दरार की पूरी लंबाई पर मैं उंगली फिराने लगा ऊपर से नीचे तक. अम्मा अपने होठों को काटने लगी, उसने अपनी ठोड़ी ऊपर उठा ली और उसकी जांघें ढीली पड़ गयी.

अम्मा की गीली चूत में मैंने बीच वाली उंगली डाल दी.
“ऊऊओ…ऊओफफ्फ़…माँ!” अम्मा ने सिसकारी ली और अपनी बाँहों में भरके ज़ोर से मेरे होठों का चुंबन ले लिया.

अम्मा ने अपनी जांघें थोड़ी फैला दी. मैंने दो उंगलियाँ डालकर चूत में अंदर बाहर करना शुरू किया. अम्मा ने मेरे होंठ काट लिए और मेरे मुँह में अपनी जीभ घुमाने लगी.

मैं नीचे को जाकर अम्मा के तने हुए निपल को होठों के बीच लेकर बच्चे की तरह चूसने लगा. फिर और नीचे को जाकर अम्मा के पेट पर जीभ फिराने लगा. अम्मा की चूत में ऊँगली करना जारी रखते हुए मैंने उनके मुलायम पेट पर दांतो से हल्के हल्के काट लिया.

अम्मा ऊह…….ओह…..आह…… करती रही.

मैंने अम्मा की चूत से उंगलियाँ बाहर निकाल ली और उनके पैजामे को नीचे खिसकाने लगा. पैजामा उनके नीचे दबा हुआ था इसलिए मैं नीचे नही कर पाया. मैंने उनकी नाभि पर जीभ फिराई और उन्होने थोड़ा सा बदन उठाकर पैजामा उतारने दिया. मैंने घुटनो तक पैजामा खींच लिया. और फिर मैं उनके ऊपर लेट गया.

मैंने कोहनियों के बल ऊपर उठकर अम्मा को देखा , अम्मा ने अपनी नज़रें नही हटाई. उसकी गहरी आँखो में शांति का भाव था. उसके चेहरे पर मुझे हल्की सी मुस्कुराहट दिखी. उसने दोनो हाथों से मेरी टीशर्ट पकड़ी और सर के ऊपर से उतार दी.

अब अम्मा के हाथ मेरी पूरी पीठ को सहला रहे थे. कंधों से लेकर नीचे नितंबों तक. अम्मा अब अपनी नज़र फेर नही रही थी वो सीधे मेरी आँखो में देख रही थी.

फिर मैं अंगूठे से अम्मा की क्लिट को मसलने लगा और दो उंगलियाँ चूत के अंदर बाहर करने लगा.

अम्मा ने अपने होंठ काट लिए और कमर ऐंठ कर टेडी कर दी,”ऊऊओ……..ओह! चिनू बर्दाश्त नही हो रहा है. इतनी दूर ले आए हो की अब वापस नही लौट सकती. प्रेम या वासना , फ़र्क़ बहुत कम होता है मेरे बेटे. मुझे स्वयं अपने ही भाव का भान नही है. तुम अपने को समझो. अगर सब उन्माद ही है तो तुम्हें मेरी सौगंध, ये आख़िरी बार ही होगा. बेटा मुझे और नीचे मत गिराना.”

“ ये क्या है यह तो मैं भी नहीं जानता अम्मा, संभवतः यह प्रेम और वासना में से कुछ भी नहीं है. यह तो उपासना है. अब मैं आपको हिंदू दर्शन पर व्याख्यान तो नहीं दे सकता, बोलिये शिवलिंग क्या है, लिंग और योनि का समागम ही तो है, जो की सृष्टि की रचना का आधार है. अम्मा मैं आपकी योनि को अपना लिंग समर्पित करता हूँ , जहाँ से मेरा जन्म हुआ था उस चक्र को पूर्ण करने के लिए. “

“बोलिये अम्मा, आप कहती हैं की ये पाप है. तब तो क्या संसार के सभी प्राणी अपने माता पिता के पाप का फल हैं. बच्चे के जन्म पर खुशियाँ क्यों, संतान पाप का फल है या परमात्मा का वरदान. अब ये मत कहना की किसे संभोग का अधिकार है और किसे नही. पिताजी जिन्हें आपने विवाह के पहले ना देखा था ना ही प्रेम किया था. वो आपके साथ संभोग कर सकते हैं, उनका आपके साथ यौन संबंध हो सकता है तो फिर आपके अपने शरीर से ही उत्पन्न आपकी संतान का प्रेम , शरीर पर आकर पाप क्यूँ हो जाता है ? बताए अम्मा , ऐसा क्यूँ है ? आपके पास इसका जवाब शायद ना हो लेकिन मुझे तो ये किसी प्रकार का पाप नही लगता है, आपसे संभोग तो मुझे उपासना लगता है.”

“उफ बेटा , कुछ ही घंटो में दार्शनिक हो गये . सच ही कहते हैं पुरुष का दिमाग़ उसकी टाँगों के बीच होता है.” अम्मा शरारतभरी मुस्कान से बोली और मुझे नीचे को खींचकर चूमने लगी.

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मैंने अम्मा के पैजामे के एलास्टिक में अपने पैर का अंगूठा फसाया और पैजामे को नीचे को खींच दिया. अम्मा ने अपने पैरों को हिलाकर पैजामे को अपने पैरो से निकाल दिया. अब मेरी प्यारी अम्मा मेरी बाँहों में बिल्कुल नग्न थी. लेकिन आश्चर्यजनक रूप से मुझे कोई जल्दबाज़ी नही थी , एक पुरुष और स्त्री नग्न होकर जैसे एक दूसरे के ऊपर टूट पड़ते हैं , वैसा कुछ भी नही था. मैं शांत भाव से आगे बढ़ रहा था. अपना शांत भाव देखकर मुझे खुद हैरानी हो रही थी. तभी मुझे अम्मा को पूर्ण रूप से देखने की इच्छा हुई. और मैं बेड से उठकर थोड़ी दूर खड़ा हो गया और अम्मा को देखने लगा.

मुझे ऐसे देखते हुए पाकर अम्मा ने अपने को ढकने की कोशिश की. मैंने नीचे झुककर अम्मा को रोका,”अम्मा मुझे रति के रूप की ये छवि देखने दो. प्लीज़ मुझे इस दृश्य को देखने से वंचित मत कीजिए.”

मेरी प्रार्थना सुनकर अम्मा शांत पड़ गयी. उसने अपने घुटने मोड़ लिए और कमर थोड़ी टेडी करते हुए हाथ फैला लिए. अम्मा उस पोज़ में खजुराहो के मंदिरों में गढ़ी हुई किसी नारी की तरह कामुक लग रही थी. और उसके चेहरे की मुस्कुराहट देखकर तो मेरा पानी ही निकलने को हो गया.

मैंने अपना शॉर्ट उतार दिया और अम्मा के बगल में लेट गया. एक हाथ अम्मा की गर्दन के नीचे डालकर मैंने उसे चुंबन के लिए अपनी ओर खींचा. अम्मा ने चुंबन में पूरा साथ देते हुए मेरे मुँह में जीभ घुसा दी. उसके हाथ मेरी नंगी पीठ को, कंधे से लेकर नितंबों तक सहलाने लगे. मेरे नितंबों के बीच की दरार पर अम्मा ने उंगलियाँ फिराई. मेरे नितंबों को उसने दबाया और सहलाया. अब हमारे बीच अपराधबोध जैसी कोई भावना नही रह गयी थी , ये इतना आनंददायक था की मैं बिना संभोग किए हुए ही दिन भर अम्मा के साथ ऐसे ही लेटे रह सकता था. मेरे लिए जैसे समय रुक सा गया था. आनंद के उन पलों को मैं लंबा खींचना चाहता था, ऐसा लग रहा था की ये पल कभी ख़तम ही ना हो.

मैंने अम्मा का हाथ पकड़ा और अपने लंड पर रख दिया. अम्मा ने पहले हल्के से लंड को छुआ फिर हल्के से पकड़ लिया. कुछ पल बाद, जो मुझे बहुत लंबे लगे, उसने मेरी गोलियों को सहलाना शुरू किया.मैंने अपना सर उठाकर अम्मा को देखा.

“मुझे गर्व है की तुम मेरे ही शरीर से उत्पन्न हो “, मेरे लंड पर हाथ फिराते हुए अम्मा बोली. फिर उसने लंड को ज़ोर से दबाया और मेरा सर नीचे को खींचकर अपनी छाती में दबा लिया.

अम्मा की चूचियों के बीच से सर उठाकर मैं नीचे को बढ़ा और उसकी जांघों के बीच आ गया. अम्मा की चूत में मुँह लगाने से पहले ही उसने मुझे रोक दिया.

“चिनू आज आनंद का समय नही है. आज बेटा मुझे लाज और संसारिकता की इस दुर्गम नदी के पार ले चलो. आनंद के अवसर तो और भी आएँगे. इससे पहले की मेरा साहस टूट जाए , आज मुझे बहा के ले चल बेटा .”

अम्मा की चूत में जीभ घुसाने की अपनी इच्छा को रोकते हुए मैं ऊपर को बढ़ा और उसकी जाँघो के ऊपर झुक गया. अपनी जाँघो को फैलाकर अम्मा ने मुझे जगह दी. लंड को हाथ से पकड़कर मैंने अम्मा की चूत के होठों और क्लिट पर रगड़ना शुरू किया. अम्मा ने अपनी कमर उठा दी और क्लिट को रगड़ने से वो सिसकारी लेने लगी.

“हे माँ, इस अलौकिक संसर्ग की अनुमति माँग रहा हूँ. मुझे, अपने पुत्र को, अपनी योनि में स्वीकार कीजिए माँ.” अम्मा के दोनो तरफ हाथ रखकर मैंने अम्मा की आँखो में देखा , जिनमे आनंद और आँसू दोनो ही मुझे दिखा.

“आओ , मेरा उपभोग करो बेटा. तुम्हारी माँ तुम्हारा स्वागत करती है. परंतु तुमको सौगंध है अपने उत्तरदायित्व और मर्यादा का पालन करने की.” ऐसा कहते हुए अम्मा ने मेरे लंड को पकड़ा और अपनी चूत के छेद पर लगा दिया. अपने नितंबों को थोड़ा ऊपर करके उसने मुझे धक्का देने का इशारा किया.

मैंने धीरे से लंड को अम्मा की चूत के अंदर डाला . अम्मा की चूत के होठों ने फैलकर मेरे लंड को अंदर घुसने दिया. बहुत ही आनंद की अनुभूति हो रही थी. फिर मैंने पूरा लंड बाहर निकालकर अम्मा की कमर पकड़कर एक झटके में जड़ तक चूत में घुसा दिया.

अम्मा के मुँह से लंबी सिसकारी निकली. मैंने सर उठाकर अम्मा को देखा. वो अपने होंठ काट रही थी और कमर टेडी कर रखी थी. लेकिन मुझे आश्चर्य हुआ की उसकी आँखे बंद नही थी. वो सीधे मेरी आँखो में देख रही थी. वो मुझे देखती रही फिर उसने मेरे लिए अपनी बाँहे उठा दी. मैं अम्मा की बाँहो में आ गया और अपने होंठ उसके होठों से मिला दिए. अम्मा की चूत की गर्मी अपने लंड पर महसूस करते हुए मैंने अम्मा के मुँह में जीभ घुसा दी.

फिर मैं धीरे धीरे लंड को अंदर बाहर करने लगा. अम्मा ने अपनी टाँगे उठाकर मेरी कमर पर लपेट दी. इशारे को समझते हुए मैं लंबे स्ट्रोक लगाकर अम्मा की चुदाई करने लगा. आधे से ज़्यादा लंड बाहर निकालकर मैं एक झटके से अंदर घुसा दे रहा था. जिससे अम्मा का बदन हिल जा रहा था. अम्मा की आँखो में देखते हुए मैं ऐसा करते रहा.

अम्मा अपने निचले होंठ को काटते हुए “ऊओफफ्फ़……आअहह…ओह…बेटा….उम्म्म्म” करती रही. अम्मा की सिसकारियों से मैं बहुत उत्तेजित हो गया लेकिन अपने ऊपर काबू रखते हुए मैंने धीमे धीमे चुदाई जारी रखी.

अम्मा की चूत में लंड घुसाए रखकर मैं अम्मा के पूरे बदन को देखने लगा. मैंने अपने लंड को देखा जो अम्मा की चूत में घुसा हुआ था. मैंने थोड़ा अंदर डाला और फिर बाहर निकाल लिया. मेरी प्यारी अम्मा की चूत के रस से लंड पूरा भीग गया था. वोही चूत जो कल तक मेरे लिए असंभव थी, वोही चूत जिससे मेरा जन्म हुआ था. उस फीलिंग को शब्दों में बयान नही किया जा सकता. मैंने अम्मा की जांघों पर हाथ फिराया और ज़ोर से माँस को दबा दिया. अम्मा को देखा , वो मुस्कुरा रही थी.

“जो तुम्हारी आँखों में देख रही हूँ वो पाप नही हो सकता मेरे बेटे. मुझे आज तक आभास नही हुआ की क्या ऐसा है जिसकी मुझे तलाश थी. पर अदभुत पूर्णता का आभास हो रहा है. ऐसा लग रहा है की मुझे इसका इंतज़ार था. आ मेरे बेटे पूर्ण कर दे अपनी माँ को.” ऐसा कहते हुए अम्मा ने अपनी जांघें उठा दी और अपने नितंबों को ऊपर को मोड़कर अपनी चूत ऊपर उठा दी. मैंने अपने दोनो हाथों पर वजन डालकर चूत पर गहरे धक्के मारने शुरू किए. इस पोज़ में बहुत गहराई तक चूत के अंदर लंड घुस जा रहा था. धक्कों से अम्मा की चूचियां हिलने लगी और उसने अपनी ठोड़ी ऊपर उठा दी.

“उफ़फ्फ़ माँ, आआहह बेटा……....भर दो मुझे बेटा. मुझे विश्वास नही हो रहा की मैं ये कर रही हूँ लेकिन मुझे अच्छा लग रहा है. एयेए……आह……. बेटा.”

अम्मा ने मुझे और तेज़ी से करने को कहा. अब मैं अम्मा की तेज तेज चुदाई करने लगा. अम्मा ने अपना सर उठाकर लंड को चूत में घुसते देखा. फिर उसने अपनी बाँहे मेरी पीठ में लपेटकर मुझे अपनी ओर खींचा. मैं नीचे आकर अम्मा की चूचियों के निपल को चूसने लगा. इससे अम्मा का आनंद कई गुना बढ़ गया.

“पी लो बेटा. काश आज भी मेरे स्तनों में दूध होता.”

मैंने ज़ोर से निपल को चूसा.

“एयाया…….आह चिनू.” अम्मा सिसकी.

अम्मा की चुदाई करते हुए दोनो चूचियों को मैंने खूब चूसा. ऐसा आनंद मुझे पहले कभी नही आया था.

अब अम्मा ने अपने हाथ मेरे नितंबों पर रख दिए और उनको कसके पकड़कर वो मुझे अपनी ओर खींचने लगी. और हर धक्के के साथ उसकी सिसकारी निकल जा रही थी. मुझे अभी भी लगता है , काश मैं उस दृश्य को कैमरे में क़ैद कर पाता. (हालाँकि बाद में घर में हमारे संबंधों के दौरान मैंने इच्छा प्रकट की थी , हमारी चुदाई को रेकॉर्ड करने की और वो तैयार हो गयी थी. और जब उसने रेकॉर्डिंग देखी तो फिर जब भी हम चुदाई करते वो हैंडीकैम से रेकॉर्ड करने को कहती)

अचानक अम्मा ने अपने नितंबों को ऊपर उछालना शुरू किया, मेरे हर धक्के का जवाब वो नीचे से देने लगी. हमारे बदन के टकराने की आवाज़ पूरे कमरे तैयार गूंजने लगी. वो इतनी ज़ोर से अपने नितंबों को ऊपर उछाल रही थी की उसका साथ देना मेरे लिए मुश्किल हो गया. ठप ठप ठप की आवाज़ के साथ अम्मा की सिसकारियाँ कमरे तैयार गूंजने लगी.

मुझे ऐसा लगा की अब अम्मा अपने ओर्गास्म के नज़दीक़ है. अपनी जांघों के बीच वो मुझे किसी गुड्डे की तरह ऊपर उछाल रही थी.

“चिनू………..आह…………बेटे तेज करो…………..ऊऊहह……....बेटा मैं मझधार में हूँ , मुझे पार करा दे मेरे बच्चे.”

अम्मा के कहने का मतलब था मुझे ओर्गास्म आने वाला है, तेज धक्के लगाकर मुझे ओर्गास्म दिला दो.

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अम्मा को ओर्गास्म आने वाला था , अम्मा ने मुझे तेज तेज करने को कहा. मैं तेज तेज धक्के लगाकर लंड को अम्मा की चूत में गहराई तक पेलने लगा. मैंने अम्मा की चूचियों में मुँह लगाया और ज़ोर से दाँत गड़ा दिए.

“एयेए…..आह…. बेटा….” अम्मा सिसकी.

अब अम्मा ऊपर को छोटे छोटे धक्के लगा रही थी . मैंने अम्मा का चुंबन लिया और उसकी जीभ को चूसा.
“आऐईयईईईईईईई………आआअहह…”

अम्मा ने अपनी कमर उठाकर टेडी कर दी और वो सिसकियाँ लेते हुए झड़ने लगी. उसने मेरी पीठ पर नाख़ून गड़ा दिए. कुछ पल तक ऐसे ही हवा में रुककर अम्मा ने कमर नीचे कर दी.

“रुक मत बेटा नही तो मेरी जान निकल जाएगी. मुझे दे दो बेटा.” अम्मा चिल्लाई.

अम्मा ने फिर से अपनी जांघें उठा ली. मैं अम्मा की जांघों को पकड़कर चूत में लंबे और जोरदार स्ट्रोक लगाने लगा. मुझे मालूम था अम्मा का ओर्गास्म पूरा नही हुआ है और पूरा ओर्गास्म निकालने के लिए उसको तेज तेज चुदाई की ज़रूरत है.

“हाँ … हाँ…....ऐसे ही मेरे बच्चे………….…बस थोड़ा और…………..थोड़ा और मेरे बच्चे…………....आआआ…….आअहह……....चिनुउऊुउउ…………..मैं गयी……....मुझे संभाल बेटा………...ओइईईईईईईईईई……….”

फिर अम्मा ने मुझे अपनी गिरफ़्त में जकड़ लिया. मैंने उसकी जांघों को छोड़ दिया और धक्के लगाकर अम्मा की चुदाई करते रहा. अम्मा के झड़ने से उसकी चूत से रस बहने लगा. चूत के अंदर बाहर लंड जाते समय रस से भीगकर फच………..फच……….फच की आवाज़ करने लगा.

अब अम्मा बेड में शांत पड़ गयी. उसके बदन से पसीना निकल रहा था. अम्मा की चूचियों के बीच मुंह रखकर मैं लेट गया.

अम्मा ने मेरे कंधों को पकड़कर मुझे थोड़ा ऊपर उठाया और मेरे चेहरे पर उंगलियाँ फिराने लगी. उसके चेहरे पर मुस्कुराहट थी, अब वो कोई दूसरी ही औरत बन चुकी थी. उसने अपनी जाँघो को उठाया और नितंबों को हिलाकर मुझे चुदाई की याद दिलाई.

मैं अम्मा के चेहरे को देखते हुए हल्के हल्के धक्के लगाकर चुदाई करने लगा.

“ओह चिनू, ऐसा विस्फोटक चरम मैने आज तक अनुभव नही किया.” सिसकियाँ लेते हुए अम्मा बोली.

मैंने मुस्कुराते हुए अम्मा का चुंबन लिया,” आई लव यू अम्मा.”

अम्मा ने मेरे चेहरे को पकड़ा और माथे का चुंबन लिया , फिर आँखो, नाक और होठों का चुंबन लेकर मेरे निचले होंठ को चूसने लगी.

अब मैं भी झड़ने के करीब था. मैंने लंबे स्ट्रोक लगाने शुरू किए. लंड को आधा बाहर निकालकर फिर एक झटके में अंदर घुसाने लगा. अम्मा की चूत की गहराई में जड़ तक मैं लंड को घुसा दे रहा था.

“आह चिनू भर दो मुझे….मेरे बच्चे..” अम्मा मेरा उत्साह बढ़ाते रही.

मुझे एहसास हुआ की हम बिना किसी गर्भनिरोध के ही चुदाई कर रहे हैं. अम्मा को गर्भ भी ठहर सकता है. मुझे चिंता हुई.

“चिनू…...काश की मैं गर्भ धारण कर सकती. तुम्हारे वीर्य से स्थापित गर्भ मेरे बच्चे. बेटा अपने वीर्य से मेरी योनि भर दो. आह …….चिनू भर दो मुझे.”

अब अम्मा सारे बंधनो से पार जा चुकी थी. वो खुलेआम अपनी भावनाओ का इज़हार कर रही थी. अम्मा की चूचियों को पकड़कर मैं जोरदार धक्के लगाने लगा.

“अम्मा…….मेरी प्यारी अम्मा………...मेरे वीर्य को ग्रहण करो मेरी माँ.”

“भर दो बेटा. अपनी अम्मा की योनि को अपने वीर्य से भर दो. ना जाने कितने जन्मों से ये योनि तुम्हारे वीर्य के लिए तरसती रही है. मेरे बच्चे भर दो मुझे.”

मैंने अम्मा की चूचियों को छोड़ दिया और उसकी गर्दन के नीचे हाथ डालकर उसे चूमने लगा. मेरे वीर्य से अम्मा की चूत भर गयी. अम्मा ने भी वीर्य को महसूस किया और अपने नितंबों को उठाकर वीर्य को ग्रहण किया. मेरे नितंबों को पकड़कर वो मुझे अपनी चूत पर पटकने लगी.

“ओह्ह चिनुउऊउ……….मैं फिर से गयी………………..” अम्मा ज़ोर से चीखी . उसको दूसरा ओर्गास्म आ गया.

मेरे शरीर से सारा वीर्य निकलकर अम्मा की योनि में चला गया.

जबरदस्त चुदाई के बाद हम दोनो बेड पर शांत पड़ गये. मैं अम्मा के बदन के ऊपर लेटा हुआ था. उसने अपनी बाँहों में मुझे जकड़ा हुआ था. अम्मा की चूत में अभी भी मेरा लंड घुसा हुआ था. मैंने फिर से धक्के लगाने की कोशिश की लेकिन अम्मा ने मुझे रोक दिया और शांत लेटे रहने को कहा.

मेरा लंड मुरझाकर अम्मा की चूत से बाहर निकल गया. अम्मा मुस्कुरायी और मुझसे हटने को कहा. मैं उसके ऊपर से सरककर बगल में लेट गया.

अम्मा बेड में बैठ गयी और अपनी फैली हुई जांघों के बीच देखने लगी,”चिनू देखो, तुमने क्या किया है.”

मैं उठकर देखने लगा. अम्मा की चूत से वीर्य निकलकर बेड में चादर पर गिर रहा था.

मैंने अम्मा को देखा , वो मुस्कुरायी,”मुझे दुख है मेरे बच्चे , ये तुम्हारा वीर्य बरबाद चला गया. शिवांगी के गर्भ में इससे एक सुंदर पुत्र पैदा हो गया होता. काश मैं भी गर्भधारण कर पाती.”

फिर झुककर अम्मा ने मेरे होठों का चुंबन ले लिया. मैंने अम्मा की चूत से वीर्य निकालकर उसकी चूचियों पर मल दिया. और उसकी चूत में उंगली करने लगा.

“एयेए…..आह चिनू. अब बस करो मैं थक गयी हूँ. इस उमर में कैसे तुम्हारा इतना साथ दे पाई मुझे खुद आश्चर्य हो रहा है. कहाँ से आई मुझ में इतनी शक्ति ?”

“अम्मा, आपकी सही सही उमर क्या है ?” मैंने पूछा.

“बेटा 18 बरस की उमर में मेरी शादी हो गयी थी और एक साल से पहले ही तुम हो गये थे. “ अम्मा मुस्कुराते हुए बोली और बेड से उठने लगी.

मैंने उसका हाथ पकड़ा,” इसका मतलब आप….”

अम्मा ने अपना हाथ छुड़ाया और बाथरूम में भाग गयी.

बाथरूम के दरवाज़े से बोली,” तुम मेरी उमर का हिसाब लगाते रहो लेकिन कुछ खाने का भी ऑर्डर दे दो. मुझे भूख लगी है. अपने प्यारे बच्चे का ख्याल रखने के लिए मुझे ताक़त की ज़रूरत है.” अम्मा शरारतभरी मुस्कान से मुझे आँख मारते हुए बोली और फिर बाथरूम का दरवाज़ा बंद कर दिया.

मैंने घड़ी में देखा, 11:45 का टाइम हुआ था. हे ईश्वर , 4 घंटे ! , 4 घंटे तक हमारा लंबा प्यार चला था. मैं मुस्कुराने लगा.

फिर मैंने खाने का ऑर्डर दिया और अम्मा की उमर का हिसाब लगाने लगा. जो अम्मा ने बताया था उसके हिसाब से अम्मा की उमर 52 या 53 वर्ष थी. हम चारो भाई बहिनो में मैं सबसे बड़ा था और सबसे छोटी बहिन मुझसे 7 साल छोटी थी. इसका मतलब 30 वर्ष की उमर तक अम्मा चार बच्चों की माँ बन चुकी थी. शायद उस समय अम्मा जितनी सुंदर रही होगी उसके हिसाब से पिताजी को अम्मा से दूर रहना मुश्किल लगता होगा.

तभी अम्मा ने बाथरूम से मुझे आवाज़ दी. बाथरूम का दरवाज़ा थोड़ा खुला हुआ था. मैं बाथरूम के अंदर चला गया. अम्मा बाथटब में खड़ी थी.

“आओ चिनू तुमको नहला दूं” अम्मा मुस्कुराते हुए बोली.

मैं बाथटब में गया और अम्मा का चुंबन लिया. और दूसरे हाथ से अम्मा की चूचियां दबाने लगा. अम्मा ने मेरा चुंबन लिया और फिर मुझे धकेलते हुए बोली,”पहले नहा लो बेटा.”

एक अच्छे बच्चे की तरह मैं अम्मा के सामने खड़ा हो गया. अम्मा ने मुझे घुमा दिया और मेरी पीठ पर साबुन लगाने लगी.

फिर नीचे को साबुन लगाते हुए उसका हाथ आगे मेरे लंड पर लगा.,” हे भगवान तुम तो फिर से तैयार हो.”

“मेरा ऐसा हाल नही था , ये तो आपके छूने से हो गया.” मैंने मुस्कुराकर जवाब दिया.

अम्मा ने मुझे सीधा घुमाकर शावर चला दिया. फिर नहलाने के बाद तौलिए से मेरा बदन पोछने लगी. मैं चुपचाप खड़ा रहा और अम्मा को निहारते रहा. ऊपर का बदन पोछकर अम्मा नीचे को पोछने लगी. मैं दीवार से टेक लगाकर खड़ा हो गया , कुछ पल के लिए मैंने अपनी आँखे बंद कर ली.

तभी मेरे लंड पर गर्मी महसूस हुई . मैंने आँखे खोलकर देखा तो अम्मा ने लंड को मुँह में लिया हुआ था. वो भी क्या दृश्य था. मेरे मुँह से … आह निकली. अम्मा ने हाथ से मेरे लंड को पकड़ा और चूसने लगी. दूसरे हाथ से वो मेरी गोलियों को सहला रही थी. मैंने फिर से आँखे बंद कर ली.

अम्मा ने मुझसे टाँगे फैलाने को कहा. और मेरे नितंबों को पकड़ लिया. मेरा ओर्गास्म बनने लगा . तभी अम्मा ने अचानक मेरी गांड के छेद में अंगुली डाल दी और आगे पीछे करने लगी. शुरू में मुझे कुछ अजीब लगा लेकिन फिर मेरे आनंद में कई गुना बढ़ोतरी हो गयी.

“अम्मा…….मैं झड़ने वाला हूँ…….” और फिर मैंने अम्मा को हटाने की कोशिश की. अम्मा ने हाथ के इशारे से मुझे मना किया और लंड चूसते रही.

मेरे लंड से वीर्य की धार निकली और सीधे अम्मा के मुँह में गिरी . अम्मा लंड चूसते रही . वीर्य से उसका मुंह भर गया. खांसते हुए मुँह में हाथ लगाकर बड़ी मुश्किल से उसने वीर्य निगल लिया.

मैंने अम्मा को कंधे से पकड़कर उठाया,” अम्मा आपने थूक क्यूँ नही दिया ?”

“अपने भक्त पुत्र के वीर्य को कैसे बहा दूं. तेरा वीर्य अमूल्य है मेरे लिए. धीरे धीरे आदत पड़ जाएगी. तब आसानी से पी सकूँगी.” अम्मा मुस्कुराते हुए बोली और मेरे होठों का चुंबन ले लिया.

अम्मा के होठों से मुझे अपने ही वीर्य का स्वाद आया. मैंने अम्मा को कसकर आलिंगन कर लिया, उसकी बड़ी चूचियां मेरी छाती से दब गयी.

मैंने अम्मा की चूत को चूसकर उसे सुख देने की कोशिश की लेकिन उसने मुझे रोक दिया.

“चलो बेटा , कमरे में चलो और कपड़े पहन लो. बहुत सी बातें करनी हैं. हमने अपने बदन नंगे करके एक दूसरे को दिखा दिए. अब हमें अपनी आत्मा को भी ऐसे ही खोलकर दिखाना है. एक पुरुष की तरह तुम्हें जानना है, समझना है और तुम भी एक स्त्री की तरह मुझे समझो, मुझे जानो. अच्छा या बुरा लेकिन हमें बहुत सी बातें करनी हैं.”

मैंने हामी भरी और हम दोनो बाथरूम से बाहर आ गये.

********


समाप्त
 

Aidenhunt

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please continue bro
 

Aidenhunt

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bade bhai ye meri kahani nahi hai .. sirf copy/paste hai .. agar aap chahe to isse aage badha sakte hai ...
Bhai aap chaho to aap bhi kar sakte continue story waise agar mujhe aage ja kar time mila to ye story per sochunga ...
 
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