- 3,371
- 13,845
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मैं ऊपर की ओर बड़ा और अम्मा की साइड में लेट गया. मैंने अपना बायां हाथ अम्मा की गर्दन के नीचे डाला और दाएं हाथ से उनके कंधे को धीरे धीरे सहलाने लगा. फिर मैंने साइड से चूची को चूमा और निपल को होठों में भर लिया. मेरे चूसने से अम्मा के निपल सख़्त होने लगे. अम्मा के मुँह से हल्की सी ऊओ…ऊवू की आवाज़ निकली लेकिन उन्होने मुझे रोका नही.
फिर मैं थोड़ा खिसका और अम्मा का दायां हाथ जो उन्होने अपने पेट पर रखा हुआ था , उसको पकड़कर अपने लंड पर लगाया. अम्मा ने पहले तो लंड को पकड़ा फिर झटक दिया. अम्मा ने कुछ सेकेंड्स के लिए ही मेरे लंड को पकड़ा, लेकिन जिस आनंद की अनुभूति मुझे हुई उसे मैं शब्दों में बयान नही कर सकता.
अम्मा ने अपना चेहरा दूसरी तरफ किया हुआ था और वो चुपचाप थी. अब मैंने आगे बढ़ने का निश्चय किया और मैं अम्मा के ऊपर आ गया. अम्मा समझ गयी , उसने उठने की कोशिश की लेकिन मैंने उसे टाइट पकड़े रखा और अपने होंठ उसके होठों से मिला दिए.
कुछ पल बाद वो शांत हो गयी और उसने अपने होंठ खोल दिए. उसने मेरा स्वागत किया या समर्पण कर कर दिया , मुझे नहीं मालूम . मैंने उसकी चूचियों को सहलाया, निपल को चूसा , ऐरोला पर जीभ फिराई और उसे चूमा और चाटा. फिर मैंने अपना हाथ नीचे ले जाकर अपने लंड को अम्मा की गीली चूत की दरार पर रगड़ना शुरू किया.
अम्मा ने दोनो हाथ पीछे ले जाकर बेड का हेडबोर्ड पकड़ लिया और चिल्लाई,” चिनू ये मत कर बेटा. मैं हाथ से तुम्हारा कर दूँगी पर बेटा अब इस सीमा को मत लाँघ.”
मैंने अम्मा को ओर्गास्म दिलाया था और अब अम्मा उसके बदले मुझे हस्तमैथुन का प्रस्ताव दे रही थी. इसका मतलब ये था की वो ये महसूस या कबूल कर रही थी की उसे ओर्गास्म आ चुका है तो चिनू को भी ओर्गास्म निकालने की ज़रूरत है. उसका ये प्रस्ताव ही मुझे प्रोत्साहित करने के लिए काफ़ी था. अब मुझे चुनाव करना था, या तो मैं उसका प्रस्ताव स्वीकार कर लूँ या फिर अम्मा मेरी इच्छा के आगे समर्पण कर दे.
मुझे जवाब ना देते देखकर अम्मा बोली,” चिनू बहुत पछताओगे बेटा, बाद में. मान जाओ.”
मैंने अम्मा के होठों को चूमा और बोला,” अगर ऐसे ही करना है तो मुँह से कर दीजिए.”
अम्मा ने कहा,”नहीं , लाओ हाथ से कर दूं.” और फिर अपना हाथ नीचे ले जाकर मेरे लंड को पकड़ लिया. मैंने थोड़ी सी जगह दी और अम्मा ने हाथ से मूठ मारनी शुरू कर दी. मैंने महसूस किया की अम्मा अनमने ढंग से हस्तमैथुन नही कर रही थी बल्कि वास्तव में वो मेरे लंड को सहला रही थी और सहलाते हुए सिसकियाँ ले रही थी.
इससे मैं और भी उत्तेजित हो गया. मैंने थोड़ी देर तक अम्मा को ऐसे ही करने दिया. मैं उसकी चूचियों को मुँह में भरकर चूसने लगा और उसकी चूत में उंगली डालकर तेज़ी से अंदर बाहर करने लगा. अम्मा सिसकारियाँ ले रही थी , उसके मुँह से निकलती उन सिसकारियों से मैं उत्तेजना से पागल हो गया. मैंने उसकी कलाई पकड़ी और अपने लंड से उसका हाथ हटा दिया और फिर से उसके ऊपर आ गया.
अम्मा बोली, “तुम नही मानोगे?”
लेकिन उसके बोलने की टोन से मुझे लगा की असलियत में वो चाहती है की मैं आगे बढूं , क्या उसका विरोध दिखावे के लिए ही था और वो चाहती थी की मैं आगे बढूं या फिर मैंने ग़लत समझा ? जो भी हो.
मुझे मालूम था यही सही समय है. मैंने अपने घुटनो से अम्मा की टाँगे फैला दी और उसकी जांघों के नीचे अपने घुटने रख दिए. इसे उसकी जांघें मेरी जांघों के ऊपर आ गयी. मैंने अपने लंड को अम्मा की चूत की दरार की पूरी लंबाई में ऊपर से नीचे तक रगड़ना शुरू किया.
अम्मा की आँखे बंद थी और साँसे इतनी भारी थी की उसकी चूचियां ज़ोर ज़ोर से हिल रही थी. मैं अब रुक नही सका. अम्मा की चूत के फूले हुए होठों को अलग करते हुए लंड को मैंने चूत के छेद पर लगा दिया. उसकी चूत की गर्मी से ऐसा लग रहा था जैसे मैंने किसी स्टोव में लंड को रख दिया है. जैसे ही मैंने अंदर घुसाने को धक्का दिया, अम्मा ने झटके से ऊपर को खिसकने की कोशिश की , होनी को टालने का ये उसका अंतिम प्रयास था.
“चिनुऊऊ….नहीं……रुक जाओ बेटा. मान जाओ…..ना…नहीं……आआहह…..आअहह….ऊऊऊ…उउउफ़फ्फ़ माँ..”
एक धक्के से मैंने समाज के सबसे पवित्र माने जाने वाले बंधन को तोड़ दिया.
आधी लम्बाई तक लंड अंदर जा चुका था. मैं रुका और लंड को वापस बाहर खींचा और फिर एक झटके में जड़ तक अंदर घुसा दिया.
अम्मा सिसकी,”ऊऊऊहह..……माँ ”
मैं कुछ पल के लिए रुका. अपनी आँखे बंद की और आनंद की उस भावना को महसूस किया. अम्मा की गहरी और गरम चूत की दीवारों ने मेरे लंड को जकड़ रखा था. चूत के अंदर बहुत मुलायम महसूस हो रहा था.
फिर मैंने आँखे खोलकर अम्मा को देखा. बड़ा मनमोहक दृश्य था . उसकी जांघें फैली हुई थी, टाँगे मुड़ी हुई थी. और उसके छोटी छोटी साँसे लेने से उसकी छाती और पेट हिल रहे थे. उसने अपनी बाँहे ऊपर उठा रखी थी और हाथों से बेड का हेडबोर्ड पकड़ रखा था. जिससे उसकी चूचियां ऊपर को उठी हुई थी. उसके बड़े निपल ऊपर को तने हुए आमंत्रण दे रहे थे. बेड लैंप की हल्की रोशनी में उसका पूरा गोरा नग्न बदन चमक रहा था.
मैं थोड़ा आगे को झुका , उसकी जांघों को थोड़ा और ऊपर उठाया और अम्मा के दोनो तरफ अपने हाथ रख दिए. फिर थोड़ा और नीचे सर झुकाकर मैंने अम्मा की नाभि को चूमा. फिर धीमे लेकिन लंबे स्ट्रोक लगाकर अम्मा की चुदाई करने लगा.
मैंने नीचे देखा, जहाँ पर हमारे जिस्म एक में मिल रहे थे, मेरा लंड चूत के रस से पूरा भीगा हुआ था. मैं लंड को पूरा बाहर निकालकर फिर तेज झटके से अंदर घुसाकर धक्के मारने लगा.
अम्मा का पूरा बदन मेरे धक्कों से हिलने लगा. वो ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ लेने लगी.
“हे माँ, उफ़फ्फ़ तुम कितने निर्दयी हो.”
मुझे मालूम था ऐसे तेज तेज करने से मैं ज़्यादा देर तक नही ठहर पाऊँगा. इसलिए मैं अम्मा के बदन पर लेट गया और फिर धीमे लेकिन गहरे धक्के लगाने लगा. मैंने उसकी चूचियों को मुँह मे भर लिया और चूसने लगा. मेरे चूसने और काटने से चूचियां लाल हो गयी.
मैंने अपना चेहरा ऊपर बढ़ा के अम्मा के होठों को चूमा. अम्मा अब कोई विरोध नही कर रही थी, विरोध का दिखावा भी नही. जैसे ही मेरे होठों ने उसके होठों को छुआ उसने मेरी जीभ का स्वागत करने के लिए अपने होंठ खोल दिए.
अब मैं सहारे के लिए अम्मा के कंधों को पकड़कर चुदाई करने लगा. हर धक्के के साथ कुछ अजीब सी फीलिंग आ रही थी. मैंने कभी खुद को इतना उत्तेजित और इतना आनंदित नही महसूस किया था. अब इस पोज़िशन मे मैं तेज तेज शॉट नही लगा पा रहा था. और जड़ तक लंड नही घुस पा रहा था क्यूंकी मैं आगे को झुका हुआ था. तभी अचानक अम्मा ने अपनी जांघें ऊपर की ओर फैला दी , जिससे मेरे लिए ज़्यादा जगह बन गयी और उसकी चूत के ऊपर उठने से मेरा लंड अब जड़ तह गहरा घुसने लगा.
इससे हमारे बीच की रही सही शरम भी ख़त्म हो गयी , मुझे मालूम चल गया था की अम्मा भी अच्छे से चुदाई चाह रही है. मैंने दुगने उत्साह से धक्के लगाने शुरू कर दिए.
मैंने अपना सर उठाया और धीरे से कहा,” आई लव यू अम्मा.”
अम्मा ने एक सिसकारी लेकर उसका जवाब दिया.
मेरे हर धक्के से उसके मुँह से ऊवू……आआअहह…की आवाज़ें निकल रही थी.
हर धक्के के साथ उसके बदन से मेरे बदन के टकराने से ठप ठप ठप की आवाज़ पूरे कमरे में गूंजने लगी. अम्मा के मुँह से निकलती ऊओ…आअहह….उफ़फ्फ़ माँ …की आवाज़ों का संगीत मुझे और भी उत्तेजित कर दे रहा था.
अम्मा भी अब कामोन्माद में थी. उसकी जीभ उसके मुँह में घूम रही थी. अम्मा ने मेरा निचला होंठ अपने मुँह में दबा लिया और उसे चूसने लगी. उसके दांतो के अपने होंठ पर गड़ने से मुझे पता चल गया की अम्मा अपने दूसरे ओर्गास्म के करीब है. अपनी धार्मिक माँ को कामोन्माद में इतना उत्तेजित देखना मेरे लिए हैरान करने वाला था. मैंने उसके बदन के निचले भाग के हल्के हल्के मूवमेंट को महसूस किया. और अपने धक्कों को उस के हिसाब से एडजस्ट कर दिया.
ऐसा करने से अम्मा बहुत उत्तेजित हो गयी. उसने बेड का हेडबोर्ड छोड़ दिया और अपनी बाँहे मेरी पीठ पर लपेट ली. अब वो मुझे बेतहाशा चूमने लगी और मेरे हर धक्के का जवाब अपने नितंबों को ऊपर उछालकर देने लगी. जब मैं ऊपर को आ रहा होता था तो वो नीचे पड़ी रहती थी लेकिन जब मैं नीचे को जाता था तो वो अपने नितंब उठाकर पूरा मेरे लंड को अपने अंदर ले लेती थी. फिर उसका बदन अकड़ने लगा. मैं समझ गया अब अम्मा को ओर्गास्म आने वाला है.
फिर अम्मा ने अपने हाथों से मेरे नितंबों को पकड़ लिया उसके नाख़ून मेरे माँस में गड़ रहे थे. वो मेरे नितंबों को पकड़कर अपनी चूत पर ज़ोर ज़ोर से पटककर धक्के देने लगी.
अब वो मेरे पर भारी पड़ने लगी थी. उसने मजबूती से अपने पैर बेड पर रखे हुए थे और मेरे नितंबों तो कसके पकड़कर वो नीचे से इतनी तेज धक्के मार रही थी की मुझे उसका साथ देने में मुश्किल होने लगी. मेरे नितंबों पर गडते उसके नाख़ून दर्द करने लगे थे. अपने ओर्गरस्म के आने से पहले अम्मा कामोन्माद से बहुत ही उत्तेजित हो गयी थी.
फिर वो चीखी,” ओह चिनुउऊउउ…सम्भालो हमको…आआअररररज्ग्घह……”
वो झड़ने लगी , मैं भी झड़ने ही वाला था. मैंने बेरहमी से अम्मा की चूचियां मसल डाली, उसके कंधों पर दाँत गड़ा दिए. और पूरी तेज़ी से धक्के मारने लगा.
अम्मा चीखी,”ऊूउउ…उफ़फ्फ़…मेरी जान ही ले लोगे क्या ..”
फिर अम्मा ने अपनी कमर उठाकर टेढ़ी कर दी और एक चीख उसके मुँह से निकली,”आऐईयईई…….ईईईईईए….मा…”
उसकी तेज चीख से मैं घबरा गया , कोई सुन ना ले. मैंने उसका मुँह अपने मुँह से बंद कर दिया.
अम्मा ने अपनी जाँघो को मेरे नितंबों पर लपेट कर मुझे जकड़ लिया. तभी मेरा वीर्य निकल गया. मैं धक्के लगाते रहा और अम्मा की चूत को अपने वीर्य से भर दिया.
अम्मा का बदन काँपने लगा. फिर वो शांत पड़ गयी और झड़ने के बाद मैं भी शांत होकर उसके ऊपर ही लेट गया. मेरा लंड अभी भी अम्मा की चूत के अंदर था.
अम्मा अपना मुँह मेरी गर्दन के पास लाई और हल्के से मेरी गर्दन चूमने लगी. अपने हाथ से वो मेरे नितंबों को सहलाने लगी. वो देर तक मेरे कंधे, मेरी पीठ को सहलाती रही. मैं उसके ऊपर पड़े हुए ही सोने लगा. उसके सहलाने से मेरी आँखे बंद होने लगी.
तभी वो हिली और अपने दायीं तरफ खिसकने लगी. मैं उसके ऊपर से उठकर उसके बगल में लेट गया.
मैंने अम्मा को देखा , वो मुझको ही देख रही थी . आँसू भरी आँखो से सीधे उसने मेरी आँखो में झाँका.
उसने मुझे अपनी तरफ खींचा और अपनी बड़ी छाती में मेरा चेहरा छुपा लिया.
“कैसे हो गया ये सब बेटा? तूने तो मार ही डाला मुझे चिनू. अब क्या होगा ?”
अपनी इच्छा पूरी हो जाने के बाद अब वास्तविकता से सामना था. अम्मा की बात का मेरे पास कोई जवाब नही था. मैं भी उतना ही कन्फ्यूज़ और चिंतित था. बात को जारी रखने की मेरी हिम्मत नही थी. इसलिए मैंने अपनी बाँहो को अम्मा के बदन में लपेटा. उसकी चूचियों के बीच की घाटी को चूमा. और अम्मा की छाती में चेहरा छुपा के किसी बच्चे की तरह सुरक्षित महसूस करते हुए सो गया.
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मैं ऊपर की ओर बड़ा और अम्मा की साइड में लेट गया. मैंने अपना बायां हाथ अम्मा की गर्दन के नीचे डाला और दाएं हाथ से उनके कंधे को धीरे धीरे सहलाने लगा. फिर मैंने साइड से चूची को चूमा और निपल को होठों में भर लिया. मेरे चूसने से अम्मा के निपल सख़्त होने लगे. अम्मा के मुँह से हल्की सी ऊओ…ऊवू की आवाज़ निकली लेकिन उन्होने मुझे रोका नही.
फिर मैं थोड़ा खिसका और अम्मा का दायां हाथ जो उन्होने अपने पेट पर रखा हुआ था , उसको पकड़कर अपने लंड पर लगाया. अम्मा ने पहले तो लंड को पकड़ा फिर झटक दिया. अम्मा ने कुछ सेकेंड्स के लिए ही मेरे लंड को पकड़ा, लेकिन जिस आनंद की अनुभूति मुझे हुई उसे मैं शब्दों में बयान नही कर सकता.
अम्मा ने अपना चेहरा दूसरी तरफ किया हुआ था और वो चुपचाप थी. अब मैंने आगे बढ़ने का निश्चय किया और मैं अम्मा के ऊपर आ गया. अम्मा समझ गयी , उसने उठने की कोशिश की लेकिन मैंने उसे टाइट पकड़े रखा और अपने होंठ उसके होठों से मिला दिए.
कुछ पल बाद वो शांत हो गयी और उसने अपने होंठ खोल दिए. उसने मेरा स्वागत किया या समर्पण कर कर दिया , मुझे नहीं मालूम . मैंने उसकी चूचियों को सहलाया, निपल को चूसा , ऐरोला पर जीभ फिराई और उसे चूमा और चाटा. फिर मैंने अपना हाथ नीचे ले जाकर अपने लंड को अम्मा की गीली चूत की दरार पर रगड़ना शुरू किया.
अम्मा ने दोनो हाथ पीछे ले जाकर बेड का हेडबोर्ड पकड़ लिया और चिल्लाई,” चिनू ये मत कर बेटा. मैं हाथ से तुम्हारा कर दूँगी पर बेटा अब इस सीमा को मत लाँघ.”
मैंने अम्मा को ओर्गास्म दिलाया था और अब अम्मा उसके बदले मुझे हस्तमैथुन का प्रस्ताव दे रही थी. इसका मतलब ये था की वो ये महसूस या कबूल कर रही थी की उसे ओर्गास्म आ चुका है तो चिनू को भी ओर्गास्म निकालने की ज़रूरत है. उसका ये प्रस्ताव ही मुझे प्रोत्साहित करने के लिए काफ़ी था. अब मुझे चुनाव करना था, या तो मैं उसका प्रस्ताव स्वीकार कर लूँ या फिर अम्मा मेरी इच्छा के आगे समर्पण कर दे.
मुझे जवाब ना देते देखकर अम्मा बोली,” चिनू बहुत पछताओगे बेटा, बाद में. मान जाओ.”
मैंने अम्मा के होठों को चूमा और बोला,” अगर ऐसे ही करना है तो मुँह से कर दीजिए.”
अम्मा ने कहा,”नहीं , लाओ हाथ से कर दूं.” और फिर अपना हाथ नीचे ले जाकर मेरे लंड को पकड़ लिया. मैंने थोड़ी सी जगह दी और अम्मा ने हाथ से मूठ मारनी शुरू कर दी. मैंने महसूस किया की अम्मा अनमने ढंग से हस्तमैथुन नही कर रही थी बल्कि वास्तव में वो मेरे लंड को सहला रही थी और सहलाते हुए सिसकियाँ ले रही थी.
इससे मैं और भी उत्तेजित हो गया. मैंने थोड़ी देर तक अम्मा को ऐसे ही करने दिया. मैं उसकी चूचियों को मुँह में भरकर चूसने लगा और उसकी चूत में उंगली डालकर तेज़ी से अंदर बाहर करने लगा. अम्मा सिसकारियाँ ले रही थी , उसके मुँह से निकलती उन सिसकारियों से मैं उत्तेजना से पागल हो गया. मैंने उसकी कलाई पकड़ी और अपने लंड से उसका हाथ हटा दिया और फिर से उसके ऊपर आ गया.
अम्मा बोली, “तुम नही मानोगे?”
लेकिन उसके बोलने की टोन से मुझे लगा की असलियत में वो चाहती है की मैं आगे बढूं , क्या उसका विरोध दिखावे के लिए ही था और वो चाहती थी की मैं आगे बढूं या फिर मैंने ग़लत समझा ? जो भी हो.
मुझे मालूम था यही सही समय है. मैंने अपने घुटनो से अम्मा की टाँगे फैला दी और उसकी जांघों के नीचे अपने घुटने रख दिए. इसे उसकी जांघें मेरी जांघों के ऊपर आ गयी. मैंने अपने लंड को अम्मा की चूत की दरार की पूरी लंबाई में ऊपर से नीचे तक रगड़ना शुरू किया.
अम्मा की आँखे बंद थी और साँसे इतनी भारी थी की उसकी चूचियां ज़ोर ज़ोर से हिल रही थी. मैं अब रुक नही सका. अम्मा की चूत के फूले हुए होठों को अलग करते हुए लंड को मैंने चूत के छेद पर लगा दिया. उसकी चूत की गर्मी से ऐसा लग रहा था जैसे मैंने किसी स्टोव में लंड को रख दिया है. जैसे ही मैंने अंदर घुसाने को धक्का दिया, अम्मा ने झटके से ऊपर को खिसकने की कोशिश की , होनी को टालने का ये उसका अंतिम प्रयास था.
“चिनुऊऊ….नहीं……रुक जाओ बेटा. मान जाओ…..ना…नहीं……आआहह…..आअहह….ऊऊऊ…उउउफ़फ्फ़ माँ..”
एक धक्के से मैंने समाज के सबसे पवित्र माने जाने वाले बंधन को तोड़ दिया.
आधी लम्बाई तक लंड अंदर जा चुका था. मैं रुका और लंड को वापस बाहर खींचा और फिर एक झटके में जड़ तक अंदर घुसा दिया.
अम्मा सिसकी,”ऊऊऊहह..……माँ ”
मैं कुछ पल के लिए रुका. अपनी आँखे बंद की और आनंद की उस भावना को महसूस किया. अम्मा की गहरी और गरम चूत की दीवारों ने मेरे लंड को जकड़ रखा था. चूत के अंदर बहुत मुलायम महसूस हो रहा था.
फिर मैंने आँखे खोलकर अम्मा को देखा. बड़ा मनमोहक दृश्य था . उसकी जांघें फैली हुई थी, टाँगे मुड़ी हुई थी. और उसके छोटी छोटी साँसे लेने से उसकी छाती और पेट हिल रहे थे. उसने अपनी बाँहे ऊपर उठा रखी थी और हाथों से बेड का हेडबोर्ड पकड़ रखा था. जिससे उसकी चूचियां ऊपर को उठी हुई थी. उसके बड़े निपल ऊपर को तने हुए आमंत्रण दे रहे थे. बेड लैंप की हल्की रोशनी में उसका पूरा गोरा नग्न बदन चमक रहा था.
मैं थोड़ा आगे को झुका , उसकी जांघों को थोड़ा और ऊपर उठाया और अम्मा के दोनो तरफ अपने हाथ रख दिए. फिर थोड़ा और नीचे सर झुकाकर मैंने अम्मा की नाभि को चूमा. फिर धीमे लेकिन लंबे स्ट्रोक लगाकर अम्मा की चुदाई करने लगा.
मैंने नीचे देखा, जहाँ पर हमारे जिस्म एक में मिल रहे थे, मेरा लंड चूत के रस से पूरा भीगा हुआ था. मैं लंड को पूरा बाहर निकालकर फिर तेज झटके से अंदर घुसाकर धक्के मारने लगा.
अम्मा का पूरा बदन मेरे धक्कों से हिलने लगा. वो ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ लेने लगी.
“हे माँ, उफ़फ्फ़ तुम कितने निर्दयी हो.”
मुझे मालूम था ऐसे तेज तेज करने से मैं ज़्यादा देर तक नही ठहर पाऊँगा. इसलिए मैं अम्मा के बदन पर लेट गया और फिर धीमे लेकिन गहरे धक्के लगाने लगा. मैंने उसकी चूचियों को मुँह मे भर लिया और चूसने लगा. मेरे चूसने और काटने से चूचियां लाल हो गयी.
मैंने अपना चेहरा ऊपर बढ़ा के अम्मा के होठों को चूमा. अम्मा अब कोई विरोध नही कर रही थी, विरोध का दिखावा भी नही. जैसे ही मेरे होठों ने उसके होठों को छुआ उसने मेरी जीभ का स्वागत करने के लिए अपने होंठ खोल दिए.
अब मैं सहारे के लिए अम्मा के कंधों को पकड़कर चुदाई करने लगा. हर धक्के के साथ कुछ अजीब सी फीलिंग आ रही थी. मैंने कभी खुद को इतना उत्तेजित और इतना आनंदित नही महसूस किया था. अब इस पोज़िशन मे मैं तेज तेज शॉट नही लगा पा रहा था. और जड़ तक लंड नही घुस पा रहा था क्यूंकी मैं आगे को झुका हुआ था. तभी अचानक अम्मा ने अपनी जांघें ऊपर की ओर फैला दी , जिससे मेरे लिए ज़्यादा जगह बन गयी और उसकी चूत के ऊपर उठने से मेरा लंड अब जड़ तह गहरा घुसने लगा.
इससे हमारे बीच की रही सही शरम भी ख़त्म हो गयी , मुझे मालूम चल गया था की अम्मा भी अच्छे से चुदाई चाह रही है. मैंने दुगने उत्साह से धक्के लगाने शुरू कर दिए.
मैंने अपना सर उठाया और धीरे से कहा,” आई लव यू अम्मा.”
अम्मा ने एक सिसकारी लेकर उसका जवाब दिया.
मेरे हर धक्के से उसके मुँह से ऊवू……आआअहह…की आवाज़ें निकल रही थी.
हर धक्के के साथ उसके बदन से मेरे बदन के टकराने से ठप ठप ठप की आवाज़ पूरे कमरे में गूंजने लगी. अम्मा के मुँह से निकलती ऊओ…आअहह….उफ़फ्फ़ माँ …की आवाज़ों का संगीत मुझे और भी उत्तेजित कर दे रहा था.
अम्मा भी अब कामोन्माद में थी. उसकी जीभ उसके मुँह में घूम रही थी. अम्मा ने मेरा निचला होंठ अपने मुँह में दबा लिया और उसे चूसने लगी. उसके दांतो के अपने होंठ पर गड़ने से मुझे पता चल गया की अम्मा अपने दूसरे ओर्गास्म के करीब है. अपनी धार्मिक माँ को कामोन्माद में इतना उत्तेजित देखना मेरे लिए हैरान करने वाला था. मैंने उसके बदन के निचले भाग के हल्के हल्के मूवमेंट को महसूस किया. और अपने धक्कों को उस के हिसाब से एडजस्ट कर दिया.
ऐसा करने से अम्मा बहुत उत्तेजित हो गयी. उसने बेड का हेडबोर्ड छोड़ दिया और अपनी बाँहे मेरी पीठ पर लपेट ली. अब वो मुझे बेतहाशा चूमने लगी और मेरे हर धक्के का जवाब अपने नितंबों को ऊपर उछालकर देने लगी. जब मैं ऊपर को आ रहा होता था तो वो नीचे पड़ी रहती थी लेकिन जब मैं नीचे को जाता था तो वो अपने नितंब उठाकर पूरा मेरे लंड को अपने अंदर ले लेती थी. फिर उसका बदन अकड़ने लगा. मैं समझ गया अब अम्मा को ओर्गास्म आने वाला है.
फिर अम्मा ने अपने हाथों से मेरे नितंबों को पकड़ लिया उसके नाख़ून मेरे माँस में गड़ रहे थे. वो मेरे नितंबों को पकड़कर अपनी चूत पर ज़ोर ज़ोर से पटककर धक्के देने लगी.
अब वो मेरे पर भारी पड़ने लगी थी. उसने मजबूती से अपने पैर बेड पर रखे हुए थे और मेरे नितंबों तो कसके पकड़कर वो नीचे से इतनी तेज धक्के मार रही थी की मुझे उसका साथ देने में मुश्किल होने लगी. मेरे नितंबों पर गडते उसके नाख़ून दर्द करने लगे थे. अपने ओर्गरस्म के आने से पहले अम्मा कामोन्माद से बहुत ही उत्तेजित हो गयी थी.
फिर वो चीखी,” ओह चिनुउऊउउ…सम्भालो हमको…आआअररररज्ग्घह……”
वो झड़ने लगी , मैं भी झड़ने ही वाला था. मैंने बेरहमी से अम्मा की चूचियां मसल डाली, उसके कंधों पर दाँत गड़ा दिए. और पूरी तेज़ी से धक्के मारने लगा.
अम्मा चीखी,”ऊूउउ…उफ़फ्फ़…मेरी जान ही ले लोगे क्या ..”
फिर अम्मा ने अपनी कमर उठाकर टेढ़ी कर दी और एक चीख उसके मुँह से निकली,”आऐईयईई…….ईईईईईए….मा…”
उसकी तेज चीख से मैं घबरा गया , कोई सुन ना ले. मैंने उसका मुँह अपने मुँह से बंद कर दिया.
अम्मा ने अपनी जाँघो को मेरे नितंबों पर लपेट कर मुझे जकड़ लिया. तभी मेरा वीर्य निकल गया. मैं धक्के लगाते रहा और अम्मा की चूत को अपने वीर्य से भर दिया.
अम्मा का बदन काँपने लगा. फिर वो शांत पड़ गयी और झड़ने के बाद मैं भी शांत होकर उसके ऊपर ही लेट गया. मेरा लंड अभी भी अम्मा की चूत के अंदर था.
अम्मा अपना मुँह मेरी गर्दन के पास लाई और हल्के से मेरी गर्दन चूमने लगी. अपने हाथ से वो मेरे नितंबों को सहलाने लगी. वो देर तक मेरे कंधे, मेरी पीठ को सहलाती रही. मैं उसके ऊपर पड़े हुए ही सोने लगा. उसके सहलाने से मेरी आँखे बंद होने लगी.
तभी वो हिली और अपने दायीं तरफ खिसकने लगी. मैं उसके ऊपर से उठकर उसके बगल में लेट गया.
मैंने अम्मा को देखा , वो मुझको ही देख रही थी . आँसू भरी आँखो से सीधे उसने मेरी आँखो में झाँका.
उसने मुझे अपनी तरफ खींचा और अपनी बड़ी छाती में मेरा चेहरा छुपा लिया.
“कैसे हो गया ये सब बेटा? तूने तो मार ही डाला मुझे चिनू. अब क्या होगा ?”
अपनी इच्छा पूरी हो जाने के बाद अब वास्तविकता से सामना था. अम्मा की बात का मेरे पास कोई जवाब नही था. मैं भी उतना ही कन्फ्यूज़ और चिंतित था. बात को जारी रखने की मेरी हिम्मत नही थी. इसलिए मैंने अपनी बाँहो को अम्मा के बदन में लपेटा. उसकी चूचियों के बीच की घाटी को चूमा. और अम्मा की छाती में चेहरा छुपा के किसी बच्चे की तरह सुरक्षित महसूस करते हुए सो गया.
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