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Erotica मेरी पत्नी ( सु )( धा ) का शुद्धिकरण.....( एक गढ़वाली महिला की दास्तान)

rajveer juyal 11

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जैसा कि मेने अपने पहले भाग( घर संसार, मेरा अनोखा ) में अपने परिवार के सारे सदस्यों के बारे में जानकारी दे दी थी। अब में इस कहानी की शुरुआत अपनी पत्नी सुधा जुयाल से शुरू कर रहा हूं। मुझे उम्मीद है यह भी आपको पसंद आएगी।


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( चैप्टर - १ )

मेरा नाम राजवीर जुयाल है। में मूल रूप से उत्तराखंड देवभूमि से हूं। में अपने आप को बहुत भाग्यशाली मानता हूं जो मेरी शादी सुधा से हुई , में आपको क्या बताऊं मेरी पत्नी कितनी सुलझी हुई है। में ईश्वर का आभार व्यक्त करता हूं जो मुझे जीवन संगनी के रूप में सुधा जैसे सभ्य, संस्कार से अलंकृत पत्नी मिली। जिंदगी में कुछ रिश्ते ऊपर से जुड़े हुए होते हैं जिनमें गुण , व्यवहार, अपनापन, सच्ची निष्ठा, भोलापन , विश्वास, चरित्र ये सभी गुण मिलते हैं और मुझे यह सभी अपनी पत्नी में मिले थे। मुझे याद हे जब पहली बार में ओर मेरी पापा सुधा के गांव गए थे, एक ही नजर में मुझे ओर मेरे पापा को सुधा पसंद आ गई थी। मेरे ससुराल पक्ष से सास- ससुर एवं पत्नी के भाई भाभी एवं दीदी सभी संस्कारी एवं भोले भाले व्यक्तित्व के थे ,मुझे खुशी थी ऐसा सर्वगुण संपन्न परिवार मुझे मिला है। हमने चाय पी ओर फिर पापा से मेरे ससुर की बात हुई ओर शादी की तारीख तय हुई मुझे आज भी याद है कि उस दिन सोमवार था, 9 अगस्त वर्ष 2004 ओर समय सुबह के साढ़े ग्यारह बजे मुझे आज भी सब याद है। जब हमारी शादी हुई हम नए नए नवदंपति बने , एक दूजे के साथ सात फेरो के वचन लिए , एक दूसरे के प्रति वफादार होने की कसमें खाई। आज ऐसे समाज चाहे कुछ ओर कहे पर जब हम शादी शुदा जिंदगी में प्रवेश किया तो 10दिन तक हमने कुछ भी नहीं किया क्योंकि हमें पता ही नहीं था कि शादी क्यों करी जाती है, इसका क्या महत्व होता है बस हम दोनों इन सब कामों से अनजान थे। उम्र ही क्या थी उस समय में 20वर्ष का ओर पत्नी 19वर्ष,। मुझे बस इतना पता था कि यह मेरी पत्नी हे और यह मेरे साथ ही रहेगी। पर समय ने सब कुछ सिखा दिया और हमने अपनी शादी शुदा जिंदगी की नई शुरुवात की ।
मेरी पत्नी सुधा बहुत ही खुश मिजाज की महिला है, वह बहुत सरल स्वभाव की ओर संस्कारी थी। उसे छल कपट से सख्त नफ़रत थी। मेरी पत्नी परिवार बनाने वाली महिलाओं में से थी नहीं तो आजकल की महिलाओं को आप देखोगे तो वो किस तरह का चाल चलन रखती है पर मेरी पत्नी इसके विपरीत थी , उसे बस अपने काम परिवार से मतलब रहता था, न उसे ज्यादा घूमना अच्छा लगता,न यारी दोस्ती बस अपने तक सीमित थी ऐसा कह सकते हैं। मेरी पत्नी ने शादी के बाद सारे घर को संभाल लिया था वो मेरे पापा मां का ख्याल रखती, जो पापा मां खाना खाने की इच्छा जाहिर करते पत्नी तुरंत उस पूरा करती , सुबह से घर के सारे काम में लगी रहती पर कभी भी उसने मेरे से शिकायत नहीं की , मेरी बहन जो उससे एक साल छोटी थी पर मेरी पत्नी उसका ऐसा ध्यान रखती जैसे एक मां अपने बच्चों का , जैसे जैसे समय बीतता गया मेरी पत्नी सबकी पसंदिता बन गई थी। सारे घर में सुबह से लेकर रात तक बस एक हो आवाज सुनाई देती है पर वो थी , सुधा,!

मेने उसकी उम्र का ध्यान रखते हुए बच्चे की कोशिश नहीं करी ओर न कभी उसने पहल की, क्योंकि मेरा मानना था कि जब दोनों इसमें सहमत हो तो फिर आगे बढ़ना चाहिए और न मुझे अभी बच्चे की जरूरत थी और न मेरी पत्नी को, हम अभी परिपक्व होना चाहते थे ताकि हम बच्चे की जिम्मेदारी उठा सकें। हम दोनों में प्यार बहुत था में उसे अपनी जान से ज्यादा उसका खयाल रखता था।

2023का दिन । मेरी शादी 2019में ही हुई थी और उस समय मेरी आयु 20 वर्ष थी और मेरी पत्नी की 19 वर्ष, पर जब हमारे साथ घटना घटी तो उस समय मेरी आयु 24 वर्ष ओर मेरी पत्नी की 23 वर्ष थी। मैं उन दिनों कानपुर में रहता था वहां में एक मल्टीनेशनल कंपनी में सेल्स मैनेजर की पोस्ट में कार्यरत था। मेरा काम के प्रति वफादार रहना मेरे बॉस को अच्छा लगता था और इसी कारण उन्होंने मेरा प्रमोशन करने के लिए कंपनी के ऑनर से बात की। एक दिन कंपनी की तरफ से एक शानदार पार्टी का आयोजन किया गया,में अपनी पत्नी के साथ उस पार्टी में शामिल हुआ पर मेने नोटिस किया कि सारे लोग मेरी पत्नी को ही ताड़े जा रहे थे जो मुझे अच्छा नहीं लगा मेने भी फटाफट सबसे हाय हेलो किया और सीधे घर आ गए क्या बात है? , में उसे बोला कि सारे तुम्हे घूर रहे थे जो मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लगा.." अरे तो क्या हुआ ,, सभी सुन्दर इंसान को देखते हैं इसमें इतना नाराज होने वाली क्या बात हुई..." मेरी पत्नी ने कहा। "में कुछ नहीं बोला और सीधे सोने चला गया. परंतु मेरी नींद उड़ गई थी में बार बार यही सोचता रहा कि लोगों की सोच कितनी गंदी है जो दूसरों की पत्नी को गलत नज़र से देखा करते हैं।


रोज की तरह सुबह अपने समय पर आंख खुल गई, में घूमने निकल गया । आधे घंटे बाद वापस आया फिर थोड़ा योगा किया और फिर नहाने चला गया, वापस आकर नाश्ता किया और फिर बाइक की चाभी ली और ड्यूटी को निकल गया, ऑफिस में सभी साथियों ने मुझे रात वाली बात पर कोसना शुरू कर दिया और बोले कि राजवीर तुमने कल रात को पार्टी को बर्बाद के दिया था, एक बोला यार हम भाभी जी को घूर रहे थे तो क्या कुछ गलत किया, तुम मानो न मानो पर तुम्हारी पत्नी बहुत सुंदर है और सुंदर को सुंदर ही तो कहेंगे इसमें क्या गलत है। में चुपचाप उन सभी की बातों को सुनता रहा पर कुछ कहने की हिम्मत नहीं कर पाया और फिर मेरे मन में सवाल उठा की आखिर इन सभी की क्या गलती है क्योंकि इंसान सुंदर होगा उसे सुंदर ही कहा जाता है।

शाम को घर आया तो मेने अपनी पत्नी को देखा वो एक पारदर्शी मैक्सी में किचन में काम कर रही थी। उसके कपड़े इतने पारदर्शी थे कि मुझे उसकी ब्रा पेंटी साफ साफ दिखाई दे रही थी और साथ में उसका हरेक अंग भी, मेने शादी के बाद जब हम हनीमून पर शिमला गए थे तब यह मैक्सी ली थी। मेने पत्नी को कहा कि ये सब क्या है, ऐसे कपड़े सिर्फ रात को सोते समय पहने जाते हैं ना कि दिन के समय।

" मेरी पत्नी बोली "जी समझी नहीं आप क्या कह रहे हैं, कपड़े तो कपड़े होते हैं और वैसे भी ये मेरी शादी की पहली निशानी है तो बस आज मेरा मन किया तो पहन लिया ।

"मेने उसे बताया, हां मुझे पता हे कि यह पहली सुहागरात की निशानी है परंतु इसको पगली रात को पहना करते हैं ना कि दिन के उजाले में।

"हां मुझे पता है पर "यहां हम दोनों ही तो रहते हैं तो फिर रात दिन क्या देखना।

"हां में मानता हूं कि हम दोनों ही रहते है पर कभी कोई पड़ोस की आंटी वगैरह आ गई तो फिर क्या करोगी क्या ऐसे ही उनके सामने जाओगे ओर वैसे भी कल परसो तुम्हारे भाई का लड़का अमोल यहां आ रहा है तो क्या तब भी तुम ऐसे कपड़े पहना करोगी! ..

" अरे नहीं, मुझे सही गलत का पता है वो तो मुझे अभी पता है कि हम दोनों ही रहते हैं तो इसलिए. जब अमोल आ जाएगा तब थोड़ी ना पहनूंगी! ओर वैसे अमोल अभी बच्चा है, मेने खुद अपने हाथो से उसे पाला है हां वो बात अलग हैं कि में उसकी असली मां नहीं हूं मेने उसे अपनी कोख से नहीं जना है पर मेने उसे हमेशा अपना बेटा ही मानती हूं तो मुझे नहीं लगता कि उसके कोई दिक्कत होगी..

" में मानता हूं कि तुम्हारे लिए अमोल तुम्हारा बच्चे जैसा है किंतु बात वो नहीं है।बात यह कि वो अब बच्चा नहीं रहा.. अगले साल वो भी अठारह वर्ष का हो जाएगा ।

" तो क्या हुआ अमोल चाहे जितना भी बड़ा हो जाएगा पर मेरे लिए तो वो हमेशा मेरे बच्चे जैसा ही रहेगा। चाहे उसकी उम्र कितनी भी हो जाएं."


"हां में जानता हूं मेरा कहने का मतलब कुछ गलत नहीं है में तो बस यह कह रहा कि चाहे कोई भी रिश्ता हो बच्चा छोटा हो या बड़ा पर कपड़े हमेशा सही ढंग के पहनने चाहिए एवं उसमें पर्दा होना जरूरी है..बाकी तुम समझदार हो।

" निश्चित रहिए. में आगे से ध्यान रखूंगी।

" में आपको अपने पत्नी के परिवार के बारे में थोड़ी सी जानकारी दे देता हूं. मेरी पत्नी के परिवार में उसके मां पिता और दो भाई ओर दो बहनें हैं. मेरी पत्नी सबसे छोटी थी . उसकी बड़ी बहन और भाई की शादी हो चुकी थी और उनके दो दो बच्चे भी हैं। बड़ी बहन उसकी चंडीगढ़ में रहती है जबकि मां पिता ओर दोनों भाई गांव में रहते हैं,मेरी पत्नी के बड़े भाई का लड़का था अमोल और दूसरे भाई की अभी शादी नहीं हुई है। मेरी पत्नी अपने भाई के लड़के से बहुत लगाव था और होगा भी क्यों नहीं आखिर वो उसके भाई का लड़का था। बचपन में मेरी पत्नी ने ही उसे पाला था,उसी ने अमोल को नहलाया धुलाया था , क्योंकि परिवार बड़ा था तो उसकी भाभी को समय नहीं मिलता था इसलिए उसकी सारी जिम्मेदारी मेरी पत्नी ही निभाया करती थी, मेरी पत्नी उसे अपने बच्चे के समान मानती थी। अगर कहे तो मेरी पत्नी ने उसे अपनी कोख से बस जन्म नहीं दिया था बाकी सारे काम किए थे। वो उसे अपने बच्चे की तरह स्कूल के लिए तैयार करती ,अगर वो कभी बीमार हो जाता तो मेरी पत्नी सबसे ज्यादा दुखी हुआ करती थी और जब मेरी शादी हुई तो में यह सब देखकर अपनी पत्नी पर बड़ा गर्व महसूस किया करता था। )

अब आगे.........

दो दिन बाद अमोल आ गया, मेने उसे तीन साल पहले देखा था और उस समय ओर अब के समय में बहुत अंतर आ चुका था ... अब वह किसी जवान लड़के की तरह दिखाई देता था। मेरी पत्नी अपने भतीजे के आने पर बहुत खुश थी । मेने अमोल से कहा कि सफर कैसा रहा तो उसने कहा कि," मामाजी बहुत अच्छा ," फिर थोड़ी बहुत बाते हुई ओर में ऑफिस को निकल गया. देखते देखते एक हफ्ता बीत गया, मेरी पत्नी बोली कि इसका एडमिशन करना है ." में बोला ठीक है ओर फिर अगले दिन ही मेने एक निजी स्कूल में उसका एडमिशन करवा दिया। अब आगे कैसे हुआ क्या हुआ सीधे उस पर आते हैं।


एक दिन मेरी पत्नी ने फिर से वही वाला पारदर्शी मैक्सी पहना हुआ था,अमोल भी घर में ही था तो उसने भी अपनी बुआ को इस हालत में देख लिया था, में जब घर पहुंचा तो मुझे यह थोड़ा अजीब सा लगा । मेने अपनी पत्नी को कहा कि तुम्हे कहा था कि ऐसे कपड़े मत पहनना तो तुमने फिर पहन लिए आखिर तुम समझती क्यों नहीं.

" आप क्यों इतना परेशान होते हैं... अमोल बच्चा है, मेने उसकी परवरिश की है तो मुझे मालूम है मेरा अमोल कभी भी गलत नहीं हो सकता। रही बात कपड़ो की तो में भूल गई थी सॉरी, आइंदा से ऐसा नहीं होगा। बाकी जबसे वो स्कूल से आया है तबसे अपने कमरे से बाहर भी नहीं निकला तो कहा से देख लिया उसने मेरे को ऐसे कपड़ो में तुम खामखां परेशान होते हो।

"अरे ठीक है उसने नहीं देखा पर कभी देख लेगा तो उसके मन में क्या प्रभाव पड़ेगा इसका तुम्हे अंदाजा भी है।


"में जानती हूं पर अभी उसे इतनी समझ नहीं है।

" क्या समझ नहीं मतलब अरे उसकी आंखे तो है ना. वो तुम्हे इन कपड़ों में देखेगा तो क्या समझेगा नहीं।

"क्या समझेगा ! अमोल मेरे बच्चे के समान है तो अपने बच्चे से क्या मां को कोई दिक्कत हो सकती है मुझे तो नहीं लगता।

"मेने उसकी बात को सुना और अपने मन में उठते विचारों को शांत किया और सोचा कि मेरी पत्नी जो कुछ भी कह रही वो सच ही तो है. मुझे अपनी पत्नी पर पुर्ण विश्वास था कि वो गलत नहीं है बस मेरे ही दिमाग में ये गलत विचार उत्पन्न हो रहे. मेने पत्नी को सॉरी बोला और उसे कहा अच्छा चाय तो बना दो !

रात को खाना खाने के बाद मेने अमोल से कहा कि जाओ अपने रूम में सो जाओ सुबह जल्दी जाना स्कूल वो क्योंकि कल रिपब्लिक डे है। अमोल जी मामाजी कहकर सोने चला गया, उसके जाने के बाद मेने अपनी पत्नी सुधा से कहा कि जल्दी काम खत्म कर मेरा आज मूड बना हुआ है," " अच्छा जी आज कुछ ज्यादा ही रोमांटिक हो रहे हो .. चलो कोई नहीं में बस पांच मिनट में आती हूं तबतक आप अपने हाथियार को खड़ा करो और ऐसा कहकर वो किचन में चली गई। थोड़ी देर बाद आई और फिर हमने रोज की तरह संबंध बनाए ।

एक बार ऑफिस में एक अर्जेंट फाइल बना रहा था तो मेरे दोस्त ने व्हाट्सएप में एक वीडियो भेजा मेने वीडियो खोला तो मेरे सामने एक पोर्न वीडियो चला जिसमें एक लड़की अपनी योनि में खीरा डाल रही थी यह देखकर मुझे बड़ा अजीब सा लगा ओर मेने सोचा कि क्या ऐसा करने से सेक्स में संतुष्टि मिलती होगी. वीडियो जैसे जैसे आगे बढ़ता गया वैसे वैसे वह लड़की पूरा खीरा अपनी योनि में डालने लगी और एक समय ऐसा आया कि सारा खीरा वह लड़की अपनी योनि में डाल चुकी थी. मेरे दिमाग की तारे हिल गई ये सब देखकर मेने तुंरत वीडियो बंद किया और अपने काम में लग गया परंतु मेरा मन बार बार वीडियो में उस लड़की की तरफ जा रहा था मेने अपने दोस्त को फोन किया और उसे डांट लगाई कि आइंदा से ऐसी वीडियो मत भेजना वरना सही नहीं होगा। मेने अपने दोस्त को तो डांट दिया था पर मेरा मन बार बार उस वीडियो को देखने का करने लगा ओर मेने वीडियो को कही बार ओर देख लिया और मन में हर बार एक ही सवाल उठाता की क्या यह संभव है, क्या लड़कियां ऐसा करती हैं, क्या इस तरह से सेक्स संतुष्टि प्राप्त की जा सकती है। मेरे मन में अब जोर से कुलबुलाहट होने लगी थी और सबसे बड़ी दिक्कत ये कि मेरा लिंग तन गया था मेने जैसे तैसे उसे एडजेस्ट किया और घर के लिए निकल गया।

रास्ते में फोन की रिंग बजी मेने बाइक साइड लगाई और पेंट की जेब से फोन निकला तो देखा पत्नी का फोन था मेने हेलो' कहा ।

" कहा तक पहुंचे आप!


"अभी निकला हूं ऑफिस से क्या कुछ काम है!

"काम कुछ नहीं बस आते हुए सब्जी लेते आना।

"मेने भी हां में हामी भरी ओर फिर सीधा सब्जी मंडी गया और वहां से दो चार सब्जियां खरीद ली और वापस लौटने लगा तो रास्ते में एक ठेली वाला दिखा जिसके पास गाजर,मूली, खीरा, लौकी, बैंगन,भिंडी,तोरई, गोभी, टमाटर इत्यादि अनेकों तरह की सब्जियां थी."मेने बाइक साइड में रोकी और उस ठेली वाले को रुकने को कहा ।

भाई लौकी कैसे दी..

साहब जी 40kg

टमाटर?

साहब 30,kg

बैंगन और खीरा?

साहब 30,kg

गाजर और मूली?

साहब 10,kg

यार बहुत महंगी सब्जी कर दी?

साहब हमने क्या की ये तो मंडी से रेट आता है।

नहीं फिर भी इतना महंगा थोड़ी न है।

साहब आप कही भी पूछ लीजिए यही रेट मिलेगा।

अच्छा ठीक है, तुम एक काम करो , गाजर खीरा मूली बैंगन और गोभी एक एक kg कर दो पर खीरा में खुद छाटूंगा!

जी साहब और फिर वो ठेली वाला एक एक बाकी सब्जियों को तोल कर पेक करने लगा। ओर में खीरा छांटने लगा , मेने एक दो मोटे लंबे खीरे रख दिए पर तभी ठेली वाला बोला....
" साहब बड़े खीरे मत रखो इनमें स्वाद नहीं होता है आप छोटे वाले रखो ये स्वादिष्ट होते हैं।

अरे तुम रहने दो मुझे मत बताओ कि कौन से स्वादिष्ट होते हैं और कौन से नहीं!

जैसे आपकी मर्जी साहब.

फिर मेने दो खीरे छांटे जो काफी मोटे लंबे थे और फिर ठेली वाले को उसका पैसा दिया और घर को निकल गया। पहुंचकर थोड़ी देर अमोल के साथ टाइम बिताया और फिर पत्नी खाना लेकर आ गई, साथ में तीनों ने खाना खाया और फिर किचन में जाकर खीरे को देखने लगा क्योंकि मेरे मन में उस विडियो के दृश्य हट ही नहीं रहे थे। एक बार मन में आया कि क्या सचमुच ऐसा होता होगा कि योनि में खीरा जा सकता है कही कोई एंडिंग वीडियो तो नहीं कही सवाल उठे पर जवाब कुछ नहीं। तभी मन में आया कि एक बार अपनी पत्नी पर ट्राई करू तो मुझे पता चल जाएगा कि क्या यह सही है कि गलत! किंतु मेरी इतनी हिम्मत हो ही नहीं रही कि में पत्नी से बात करूं इस बारे में क्योंकि मुझे यह भी मालूम था कि मेरी पत्नी कभी इस तरह का कुकृत्य के लिए कभी तैयार नहीं होगी। इसलिए मेने अपने मन से यह विचार निकालने में ही बेहतर समझा । मन को परवर्तित किया और किचन से वापस आया और अपने कमरे में सोने चला गया थोड़ी देर बाद पत्नी आई और कही की क्या बात है आप परेशान से लग रहे हो, मेने भी उसके सवाल का जवाब दिया कि ऐसा कुछ नहीं हे बस आज ऑफिस में काम बहुत था तो थकान लग गई बस मन कर रहा की सो जाऊं।

सुधा: ऐसा क्या काम था जो इतनी थकान लग गई आपको।

में: अरे यार, आज दिन भर अकाउंट का काम किया कंप्यूटर पे तो सारी गरदन ,कंधे दुःख रहे जिस कारण बहुत थकान नींद सी लग रही है।

सुधा: अच्छा, वो तो ठीक है पर क्या आज कुछ नहीं होगा।

में: क्या नहीं होगा।

सुधा: आप तो ऐसे अनजान बन रहे जैसे आपको पता ही ना हो कि में किसकी बात कर रही हूं।


में : में जानता था पर आज वाकई में मेरा मूड नहीं है कल करते हैं।

सुधा: कल क्या करना आज रात से तो मेरी डेट आनी शुरू हो जाएगी।

में आपको एक बात कहता चलूं कि मेरी पत्नी एक खुशमिजाज एवं रोमांटिक महिला थी और वैसे मेरा भी मानना था कि एक शादी शुदा महिला को अपने पति के लिए रोमांटिक होना भी चाहिए जिससे उनकी आगे की जिंदगी खुशी से बीत सके।
आजकल के पति पत्नी या बॉयफ्रेंड गर्लफ्रेंड जैसे सेक्स किया करते हैं जैसे कि मुखमैथुन, गुदामैथुन, डॉगी स्टाइल, एक से अधिक महिला या पुरुष एक साथ संबंध बनाना वगैरह वगैरह, में यही नहीं कहता कि यह गलत है अपितु कही बार मेरे मन में भी इस प्रकार की भावनाएं जाग्रत हुई ओर उनमें से खासकर के मुखमैथुन एवं गुदामैथुन. मेने शादी के इतने सालों के दरमियान अपनी पत्नी को कही बार उससे कहा परंतु उसका एक ही जवाब रहता की यह सब गलत है और में कभी भी यह नहीं करूंगी। में उसके आत्मसम्मान को ठेस पहुंचा कर कोई भी सुख हासिल नहीं करना चाहता था इसलिए बस उससे विनती ही किया करता था क्योंकि मुझे लगता कि क्या पता कभी मेरी पत्नी का मन बदल जाए और वो हां कहे दे ।
चलिए फिर जहां से छोड़ा था कहानी को वही से आगे बढ़ते हैं....

में: अच्छा , तो चलो करते हैं। ऐसा कहकर मेने पत्नी को लाइट बंद करने को कहा. पत्नी लाइट बंद करने गई ओर साथ में अपने कपड़े भी उतार कर आ गई। मेने भी अपने कपड़े उतारे और अपनी पत्नी पर कसके चिपक गया। तभी मेरी पत्नी कही की आज आप अंदर ही छोड़ सकते हैं अपना पानी। में बोला कोई दिक्कत तो नहीं होगी क्योंकि हम जब भी सेक्स करते तो कंडोम का इस्तेमाल जरूर किया करते सेफ्टी के लिए। नहीं कोई दिक्कत नहीं होगी क्योंकि अंत समय में बच्चा नहीं ठहर पाता है मेरी पत्नी बोली। खेर फिर हमने आधे घंटे तक सेक्स किया, मेने अपना पानी अपनी पत्नी के अंदर ही छोड़ दिया। मेरी पत्नी संतुष्ट हो गई थी और में भी फिर हम साथ में चिपक के ही सो गए ।

सुबह मेरी आंख देर से खुली क्योंकि आज छुट्टी जो थी . उधर पत्नी ने आलू के पराठे बनाए हुए थे बस मेरे जगाने का ही इंतजार कर रहे थे। अमोल भी नहाकर तैयार हो रखा था. मेने पत्नी को पूछा क्या अमोल कही बाहर जा रहा है. " हां वो थोड़ा दोस्तों के संग फिल्म देखने जा रहा है' मेरी पत्नी ने कहा । "अच्छा ठीक है, अमोल जल्दी आ जाना ठीक है,। " जी मामाजी, इतना कहकर अमोल उठा अपने जूते पहने और चला गया।

सुधा: उठो अब नाश्ता ठंडा हो रहा है।

में : हां बस पांच मिनट रुको।

सुधा: ठीक है फिर चाय तभी दूंगी जाइए जल्दी से.

में : अरे जा रहा हूं तुम तो गुस्सा होने लगी. में मजाक में बोला और बाथरूम चला गया.

थोड़ी देर बाद आया हमने साथ में नाश्ता किया और फिर में बाहर आंगन में बैठकर अखबार पढ़ने लगा ओर पत्नी साहेबा किचन में बर्तन धोने चली गई।

सुधा: ऐजी सुनते हो जरा बाहर से पूछा और बाल्टी देना मुझे !

में : ठीक हे लाता हूं, फिर मेने उसे पूछा बाल्टी दे दी और फिर अपनी बाइक की साफ सफाई करने लगा।

दिन में अमोल आया हमने साथ में खाना खाया और फिर में अमोल को लेकर खेतों में क्यारी बनाने को ले गया . हम दोनों ने दो क्यारी तैयार करी ओर फिर उसमें प्याज की पौध लगाई। शाम के सात बज चुके थे। अमोल टीवी देख रहा था ओर में पत्नी के साथ खाना बनाने में उसकी हेल्प कर रहा था।

सुधा: सुनो जी क्या कल आप आते समय कल मेरे मोबाइल की स्क्रीन चेंज करवा दोगे!

में : हां, कर दूंगा । तुम एक काम करो न यह मोबाइल बहुत पुराना हो गया है में एक नया ले आता हूं।

सुधा: नहीं , मुझे नहीं चाहिए।

में : जैसे तुम्हारी इच्छा। अच्छा कुछ मीठा बना लेना ।

सुधा : ठीक है हलवा बना देती हूं!

में : अमोल को पूछ तो लो उसे पसंद है कि नहीं ।

सुधा : हां, पसंद हे उसे मुझे मालूम है।

में : ठीक है फिर में जरा बाहर टहल कर आता हूं तब तक तुम खाना बना लो!

सुधा : ठीक है।

में : अमोल चल बाहर टहल कर आते हैं थोड़ा।

अमोल: जी मामाजी,।
फिर में अमोल को लेकर एक पार्क में गया आधे घंटे तक हम घूमे और निकलने वाले ही थे तभी पत्नी का फोन आया और कहीं की आ जाओ खाना रेडी है। में भी आ रहे कहा ओर अमोल को लेकर घर की ओर चल दिए।






आगे क्या क्या हुआ यह आपको आने वाले भाग में पता चलेगा। आपको मेरी कहानी कैसे लग रही कृपया बताए । आप ज्यादा से ज्यादा कमेंट लाइक कीजिए । धन्यवाद्।।।।
 
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जैसा कि मेने अपने पहले भाग( घर संसार, मेरा अनोखा ) में अपने परिवार के सारे सदस्यों के बारे में जानकारी दे दी थी। अब में इस कहानी की शुरुआत अपनी पत्नी सुधा जुयाल से शुरू कर रहा हूं। मुझे उम्मीद है यह भी आपको पसंद आएगी।


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मेरा नाम राजवीर जुयाल है। में मूल रूप से उत्तराखंड देवभूमि से हूं। में अपने आप को बहुत भाग्यशाली मानता हूं जो मेरी शादी सुधा से हुई , में आपको क्या बताऊं मेरी पत्नी कितनी सुलझी हुई है। में ईश्वर का आभार व्यक्त करता हूं जो मुझे जीवन संगनी के रूप में सुधा जैसे सभ्य, संस्कार से अलंकृत पत्नी मिली। जिंदगी में कुछ रिश्ते ऊपर से जुड़े हुए होते हैं जिनमें गुण , व्यवहार, अपनापन, सच्ची निष्ठा, भोलापन , विश्वास, चरित्र ये सभी गुण मिलते हैं और मुझे यह सभी अपनी पत्नी में मिले थे। मुझे याद हे जब पहली बार में ओर मेरी पापा सुधा के गांव गए थे, एक ही नजर में मुझे ओर मेरे पापा को सुधा पसंद आ गई थी। मेरे ससुराल पक्ष से सास- ससुर एवं पत्नी के भाई भाभी एवं दीदी सभी संस्कारी एवं भोले भाले व्यक्तित्व के थे ,मुझे खुशी थी ऐसा सर्वगुण संपन्न परिवार मुझे मिला है। हमने चाय पी ओर फिर पापा से मेरे ससुर की बात हुई ओर शादी की तारीख तय हुई मुझे आज भी याद है कि उस दिन सोमवार था, 9 अगस्त वर्ष 2004 ओर समय सुबह के साढ़े ग्यारह बजे मुझे आज भी सब याद है। जब हमारी शादी हुई हम नए नए नवदंपति बने , एक दूजे के साथ सात फेरो के वचन लिए , एक दूसरे के प्रति वफादार होने की कसमें खाई। आज ऐसे समाज चाहे कुछ ओर कहे पर जब हम शादी शुदा जिंदगी में प्रवेश किया तो 10दिन तक हमने कुछ भी नहीं किया क्योंकि हमें पता ही नहीं था कि शादी क्यों करी जाती है, इसका क्या महत्व होता है बस हम दोनों इन सब कामों से अनजान थे। उम्र ही क्या थी उस समय में 20वर्ष का ओर पत्नी 19वर्ष,। मुझे बस इतना पता था कि यह मेरी पत्नी हे और यह मेरे साथ ही रहेगी। पर समय ने सब कुछ सिखा दिया और हमने अपनी शादी शुदा जिंदगी की नई शुरुवात की ।
मेरी पत्नी सुधा बहुत ही खुश मिजाज की महिला है, वह बहुत सरल स्वभाव की ओर संस्कारी थी। उसे छल कपट से सख्त नफ़रत थी। मेरी पत्नी परिवार बनाने वाली महिलाओं में से थी नहीं तो आजकल की महिलाओं को आप देखोगे तो वो किस तरह का चाल चलन रखती है पर मेरी पत्नी इसके विपरीत थी , उसे बस अपने काम परिवार से मतलब रहता था, न उसे ज्यादा घूमना अच्छा लगता,न यारी दोस्ती बस अपने तक सीमित थी ऐसा कह सकते हैं। मेरी पत्नी ने शादी के बाद सारे घर को संभाल लिया था वो मेरे पापा मां का ख्याल रखती, जो पापा मां खाना खाने की इच्छा जाहिर करते पत्नी तुरंत उस पूरा करती , सुबह से घर के सारे काम में लगी रहती पर कभी भी उसने मेरे से शिकायत नहीं की , मेरी बहन जो उससे एक साल छोटी थी पर मेरी पत्नी उसका ऐसा ध्यान रखती जैसे एक मां अपने बच्चों का , जैसे जैसे समय बीतता गया मेरी पत्नी सबकी पसंदिता बन गई थी। सारे घर में सुबह से लेकर रात तक बस एक हो आवाज सुनाई देती है पर वो थी , सुधा,!

मेने उसकी उम्र का ध्यान रखते हुए बच्चे की कोशिश नहीं करी ओर न कभी उसने पहल की, क्योंकि मेरा मानना था कि जब दोनों इसमें सहमत हो तो फिर आगे बढ़ना चाहिए और न मुझे अभी बच्चे की जरूरत थी और न मेरी पत्नी को, हम अभी परिपक्व होना चाहते थे ताकि हम बच्चे की जिम्मेदारी उठा सकें। हम दोनों में प्यार बहुत था में उसे अपनी जान से ज्यादा उसका खयाल रखता था।

2023का दिन । मेरी शादी 2019में ही हुई थी और उस समय मेरी आयु 20 वर्ष थी और मेरी पत्नी की 19 वर्ष, पर जब हमारे साथ घटना घटी तो उस समय मेरी आयु 24 वर्ष ओर मेरी पत्नी की 23 वर्ष थी। मैं उन दिनों कानपुर में रहता था वहां में एक मल्टीनेशनल कंपनी में सेल्स मैनेजर की पोस्ट में कार्यरत था। मेरा काम के प्रति वफादार रहना मेरे बॉस को अच्छा लगता था और इसी कारण उन्होंने मेरा प्रमोशन करने के लिए कंपनी के ऑनर से बात की। एक दिन कंपनी की तरफ से एक शानदार पार्टी का आयोजन किया गया,में अपनी पत्नी के साथ उस पार्टी में शामिल हुआ पर मेने नोटिस किया कि सारे लोग मेरी पत्नी को ही ताड़े जा रहे थे जो मुझे अच्छा नहीं लगा मेने भी फटाफट सबसे हाय हेलो किया और सीधे घर आ गए क्या बात है? , में उसे बोला कि सारे तुम्हे घूर रहे थे जो मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लगा.." अरे तो क्या हुआ ,, सभी सुन्दर इंसान को देखते हैं इसमें इतना नाराज होने वाली क्या बात हुई..." मेरी पत्नी ने कहा। "में कुछ नहीं बोला और सीधे सोने चला गया. परंतु मेरी नींद उड़ गई थी में बार बार यही सोचता रहा कि लोगों की सोच कितनी गंदी है जो दूसरों की पत्नी को गलत नज़र से देखा करते हैं।


रोज की तरह सुबह अपने समय पर आंख खुल गई, में घूमने निकल गया । आधे घंटे बाद वापस आया फिर थोड़ा योगा किया और फिर नहाने चला गया, वापस आकर नाश्ता किया और फिर बाइक की चाभी ली और ड्यूटी को निकल गया, ऑफिस में सभी साथियों ने मुझे रात वाली बात पर कोसना शुरू कर दिया और बोले कि राजवीर तुमने कल रात को पार्टी को बर्बाद के दिया था, एक बोला यार हम भाभी जी को घूर रहे थे तो क्या कुछ गलत किया, तुम मानो न मानो पर तुम्हारी पत्नी बहुत सुंदर है और सुंदर को सुंदर ही तो कहेंगे इसमें क्या गलत है। में चुपचाप उन सभी की बातों को सुनता रहा पर कुछ कहने की हिम्मत नहीं कर पाया और फिर मेरे मन में सवाल उठा की आखिर इन सभी की क्या गलती है क्योंकि इंसान सुंदर होगा उसे सुंदर ही कहा जाता है।

शाम को घर आया तो मेने अपनी पत्नी को देखा वो एक पारदर्शी मैक्सी में किचन में काम कर रही थी। उसके कपड़े इतने पारदर्शी थे कि मुझे उसकी ब्रा पेंटी साफ साफ दिखाई दे रही थी और साथ में उसका हरेक अंग भी, मेने शादी के बाद जब हम हनीमून पर शिमला गए थे तब यह मैक्सी ली थी। मेने पत्नी को कहा कि ये सब क्या है, ऐसे कपड़े सिर्फ रात को सोते समय पहने जाते हैं ना कि दिन के समय।


" मेरी पत्नी बोली "जी समझी नहीं आप क्या कह रहे हैं, कपड़े तो कपड़े होते हैं और वैसे भी ये मेरी शादी की पहली निशानी है तो बस आज मेरा मन किया तो पहन लिया ।

"मेने उसे बताया, हां मुझे पता हे कि यह पहली सुहागरात की निशानी है परंतु इसको पगली रात को पहना करते हैं ना कि दिन के उजाले में।

"हां मुझे पता है पर "यहां हम दोनों ही तो रहते हैं तो फिर रात दिन क्या देखना।

"हां में मानता हूं कि हम दोनों ही रहते है पर कभी कोई पड़ोस की आंटी वगैरह आ गई तो फिर क्या करोगी क्या ऐसे ही उनके सामने जाओगे ओर वैसे भी कल परसो तुम्हारे भाई का लड़का अमोल यहां आ रहा है तो क्या तब भी तुम ऐसे कपड़े पहना करोगी! ..

" अरे नहीं, मुझे सही गलत का पता है वो तो मुझे अभी पता है कि हम दोनों ही रहते हैं तो इसलिए. जब अमोल आ जाएगा तब थोड़ी ना पहनूंगी! ओर वैसे अमोल अभी बच्चा है, मेने खुद अपने हाथो से उसे पाला है हां वो बात अलग हैं कि में उसकी असली मां नहीं हूं मेने उसे अपनी कोख से नहीं जना है पर मेने उसे हमेशा अपना बेटा ही मानती हूं तो मुझे नहीं लगता कि उसके कोई दिक्कत होगी..

" में मानता हूं कि तुम्हारे लिए अमोल तुम्हारा बच्चे जैसा है किंतु बात वो नहीं है।बात यह कि वो अब बच्चा नहीं रहा.. अगले साल वो भी अठारह वर्ष का हो जाएगा ।

" तो क्या हुआ अमोल चाहे जितना भी बड़ा हो जाएगा पर मेरे लिए तो वो हमेशा मेरे बच्चे जैसा ही रहेगा। चाहे उसकी उम्र कितनी भी हो जाएं."


"हां में जानता हूं मेरा कहने का मतलब कुछ गलत नहीं है में तो बस यह कह रहा कि चाहे कोई भी रिश्ता हो बच्चा छोटा हो या बड़ा पर कपड़े हमेशा सही ढंग के पहनने चाहिए एवं उसमें पर्दा होना जरूरी है..बाकी तुम समझदार हो।

" निश्चित रहिए. में आगे से ध्यान रखूंगी।


" में आपको अपने पत्नी के परिवार के बारे में थोड़ी सी जानकारी दे देता हूं. मेरी पत्नी के परिवार में उसके मां पिता और दो भाई ओर दो बहनें हैं. मेरी पत्नी सबसे छोटी थी . उसकी बड़ी बहन और भाई की शादी हो चुकी थी और उनके दो दो बच्चे भी हैं। बड़ी बहन उसकी चंडीगढ़ में रहती है जबकि मां पिता ओर दोनों भाई गांव में रहते हैं,मेरी पत्नी के बड़े भाई का लड़का था अमोल और दूसरे भाई की अभी शादी नहीं हुई है। मेरी पत्नी अपने भाई के लड़के से बहुत लगाव था और होगा भी क्यों नहीं आखिर वो उसके भाई का लड़का था। बचपन में मेरी पत्नी ने ही उसे पाला था,उसी ने अमोल को नहलाया धुलाया था , क्योंकि परिवार बड़ा था तो उसकी भाभी को समय नहीं मिलता था इसलिए उसकी सारी जिम्मेदारी मेरी पत्नी ही निभाया करती थी, मेरी पत्नी उसे अपने बच्चे के समान मानती थी। अगर कहे तो मेरी पत्नी ने उसे अपनी कोख से बस जन्म नहीं दिया था बाकी सारे काम किए थे। वो उसे अपने बच्चे की तरह स्कूल के लिए तैयार करती ,अगर वो कभी बीमार हो जाता तो मेरी पत्नी सबसे ज्यादा दुखी हुआ करती थी और जब मेरी शादी हुई तो में यह सब देखकर अपनी पत्नी पर बड़ा गर्व महसूस किया करता था। )
अब आगे.........

दो दिन बाद अमोल आ गया, मेने उसे तीन साल पहले देखा था और उस समय ओर अब के समय में बहुत अंतर आ चुका था ... अब वह किसी जवान लड़के की तरह दिखाई देता था। मेरी पत्नी अपने भतीजे के आने पर बहुत खुश थी । मेने अमोल से कहा कि सफर कैसा रहा तो उसने कहा कि," मामाजी बहुत अच्छा ," फिर थोड़ी बहुत बाते हुई ओर में ऑफिस को निकल गया. देखते देखते एक हफ्ता बीत गया, मेरी पत्नी बोली कि इसका एडमिशन करना है ." में बोला ठीक है ओर फिर अगले दिन ही मेने एक निजी स्कूल में उसका एडमिशन करवा दिया। अब आगे कैसे हुआ क्या हुआ सीधे उस पर आते हैं।


एक दिन मेरी पत्नी ने फिर से वही वाला पारदर्शी मैक्सी पहना हुआ था,अमोल भी घर में ही था तो उसने भी अपनी बुआ को इस हालत में देख लिया था, में जब घर पहुंचा तो मुझे यह थोड़ा अजीब सा लगा । मेने अपनी पत्नी को कहा कि तुम्हे कहा था कि ऐसे कपड़े मत पहनना तो तुमने फिर पहन लिए आखिर तुम समझती क्यों नहीं.

" आप क्यों इतना परेशान होते हैं... अमोल बच्चा है, मेने उसकी परवरिश की है तो मुझे मालूम है मेरा अमोल कभी भी गलत नहीं हो सकता। रही बात कपड़ो की तो में भूल गई थी सॉरी, आइंदा से ऐसा नहीं होगा। बाकी जबसे वो स्कूल से आया है तबसे अपने कमरे से बाहर भी नहीं निकला तो कहा से देख लिया उसने मेरे को ऐसे कपड़ो में तुम खामखां परेशान होते हो।

"अरे ठीक है उसने नहीं देखा पर कभी देख लेगा तो उसके मन में क्या प्रभाव पड़ेगा इसका तुम्हे अंदाजा भी है।


"में जानती हूं पर अभी उसे इतनी समझ नहीं है।

" क्या समझ नहीं मतलब अरे उसकी आंखे तो है ना. वो तुम्हे इन कपड़ों में देखेगा तो क्या समझेगा नहीं।

"क्या समझेगा ! अमोल मेरे बच्चे के समान है तो अपने बच्चे से क्या मां को कोई दिक्कत हो सकती है मुझे तो नहीं लगता।

"मेने उसकी बात को सुना और अपने मन में उठते विचारों को शांत किया और सोचा कि मेरी पत्नी जो कुछ भी कह रही वो सच ही तो है. मुझे अपनी पत्नी पर पुर्ण विश्वास था कि वो गलत नहीं है बस मेरे ही दिमाग में ये गलत विचार उत्पन्न हो रहे. मेने पत्नी को सॉरी बोला और उसे कहा अच्छा चाय तो बना दो !


रात को खाना खाने के बाद मेने अमोल से कहा कि जाओ अपने रूम में सो जाओ सुबह जल्दी जाना स्कूल वो क्योंकि कल रिपब्लिक डे है। अमोल जी मामाजी कहकर सोने चला गया, उसके जाने के बाद मेने अपनी पत्नी सुधा से कहा कि जल्दी काम खत्म कर मेरा आज मूड बना हुआ है," " अच्छा जी आज कुछ ज्यादा ही रोमांटिक हो रहे हो .. चलो कोई नहीं में बस पांच मिनट में आती हूं तबतक आप अपने हाथियार को खड़ा करो और ऐसा कहकर वो किचन में चली गई। थोड़ी देर बाद आई और फिर हमने रोज की तरह संबंध बनाए ।

एक बार ऑफिस में एक अर्जेंट फाइल बना रहा था तो मेरे दोस्त ने व्हाट्सएप में एक वीडियो भेजा मेने वीडियो खोला तो मेरे सामने एक पोर्न वीडियो चला जिसमें एक लड़की अपनी योनि में खीरा डाल रही थी यह देखकर मुझे बड़ा अजीब सा लगा ओर मेने सोचा कि क्या ऐसा करने से सेक्स में संतुष्टि मिलती होगी. वीडियो जैसे जैसे आगे बढ़ता गया वैसे वैसे वह लड़की पूरा खीरा अपनी योनि में डालने लगी और एक समय ऐसा आया कि सारा खीरा वह लड़की अपनी योनि में डाल चुकी थी. मेरे दिमाग की तारे हिल गई ये सब देखकर मेने तुंरत वीडियो बंद किया और अपने काम में लग गया परंतु मेरा मन बार बार वीडियो में उस लड़की की तरफ जा रहा था मेने अपने दोस्त को फोन किया और उसे डांट लगाई कि आइंदा से ऐसी वीडियो मत भेजना वरना सही नहीं होगा। मेने अपने दोस्त को तो डांट दिया था पर मेरा मन बार बार उस वीडियो को देखने का करने लगा ओर मेने वीडियो को कही बार ओर देख लिया और मन में हर बार एक ही सवाल उठाता की क्या यह संभव है, क्या लड़कियां ऐसा करती हैं, क्या इस तरह से सेक्स संतुष्टि प्राप्त की जा सकती है। मेरे मन में अब जोर से कुलबुलाहट होने लगी थी और सबसे बड़ी दिक्कत ये कि मेरा लिंग तन गया था मेने जैसे तैसे उसे एडजेस्ट किया और घर के लिए निकल गया।


रास्ते में फोन की रिंग बजी मेने बाइक साइड लगाई और पेंट की जेब से फोन निकला तो देखा पत्नी का फोन था मेने हेलो' कहा ।

" कहा तक पहुंचे आप!


"अभी निकला हूं ऑफिस से क्या कुछ काम है!

"काम कुछ नहीं बस आते हुए सब्जी लेते आना।

"मेने भी हां में हामी भरी ओर फिर सीधा सब्जी मंडी गया और वहां से दो चार सब्जियां खरीद ली और वापस लौटने लगा तो रास्ते में एक ठेली वाला दिखा जिसके पास गाजर,मूली, खीरा, लौकी, बैंगन,भिंडी,तोरई, गोभी, टमाटर इत्यादि अनेकों तरह की सब्जियां थी."मेने बाइक साइड में रोकी और उस ठेली वाले को रुकने को कहा ।


भाई लौकी कैसे दी..

साहब जी 40kg

टमाटर?

साहब 30,kg

बैंगन और खीरा?

साहब 30,kg

गाजर और मूली?

साहब 10,kg

यार बहुत महंगी सब्जी कर दी?

साहब हमने क्या की ये तो मंडी से रेट आता है।

नहीं फिर भी इतना महंगा थोड़ी न है।

साहब आप कही भी पूछ लीजिए यही रेट मिलेगा।

अच्छा ठीक है, तुम एक काम करो , गाजर खीरा मूली बैंगन और गोभी एक एक kg कर दो पर खीरा में खुद छाटूंगा!

जी साहब और फिर वो ठेली वाला एक एक बाकी सब्जियों को तोल कर पेक करने लगा। ओर में खीरा छांटने लगा , मेने एक दो मोटे लंबे खीरे रख दिए पर तभी ठेली वाला बोला....
" साहब बड़े खीरे मत रखो इनमें स्वाद नहीं होता है आप छोटे वाले रखो ये स्वादिष्ट होते हैं।

अरे तुम रहने दो मुझे मत बताओ कि कौन से स्वादिष्ट होते हैं और कौन से नहीं!

जैसे आपकी मर्जी साहब.

फिर मेने दो खीरे छांटे जो काफी मोटे लंबे थे और फिर ठेली वाले को उसका पैसा दिया और घर को निकल गया। पहुंचकर थोड़ी देर अमोल के साथ टाइम बिताया और फिर पत्नी खाना लेकर आ गई, साथ में तीनों ने खाना खाया और फिर किचन में जाकर खीरे को देखने लगा क्योंकि मेरे मन में उस विडियो के दृश्य हट ही नहीं रहे थे। एक बार मन में आया कि क्या सचमुच ऐसा होता होगा कि योनि में खीरा जा सकता है कही कोई एंडिंग वीडियो तो नहीं कही सवाल उठे पर जवाब कुछ नहीं। तभी मन में आया कि एक बार अपनी पत्नी पर ट्राई करू तो मुझे पता चल जाएगा कि क्या यह सही है कि गलत! किंतु मेरी इतनी हिम्मत हो ही नहीं रही कि में पत्नी से बात करूं इस बारे में क्योंकि मुझे यह भी मालूम था कि मेरी पत्नी कभी इस तरह का कुकृत्य के लिए कभी तैयार नहीं होगी। इसलिए मेने अपने मन से यह विचार निकालने में ही बेहतर समझा । मन को परवर्तित किया और किचन से वापस आया और अपने कमरे में सोने चला गया थोड़ी देर बाद पत्नी आई और कही की क्या बात है आप परेशान से लग रहे हो, मेने भी उसके सवाल का जवाब दिया कि ऐसा कुछ नहीं हे बस आज ऑफिस में काम बहुत था तो थकान लग गई बस मन कर रहा की सो जाऊं।

सुधा: ऐसा क्या काम था जो इतनी थकान लग गई आपको।

में: अरे यार, आज दिन भर अकाउंट का काम किया कंप्यूटर पे तो सारी गरदन ,कंधे दुःख रहे जिस कारण बहुत थकान नींद सी लग रही है।

सुधा: अच्छा, वो तो ठीक है पर क्या आज कुछ नहीं होगा।

में: क्या नहीं होगा।

सुधा: आप तो ऐसे अनजान बन रहे जैसे आपको पता ही ना हो कि में किसकी बात कर रही हूं।


में : में जानता था पर आज वाकई में मेरा मूड नहीं है कल करते हैं।

सुधा: कल क्या करना आज रात से तो मेरी डेट आनी शुरू हो जाएगी।

में आपको एक बात कहता चलूं कि मेरी पत्नी एक खुशमिजाज एवं रोमांटिक महिला थी और वैसे मेरा भी मानना था कि एक शादी शुदा महिला को अपने पति के लिए रोमांटिक होना भी चाहिए जिससे उनकी आगे की जिंदगी खुशी से बीत सके।
आजकल के पति पत्नी या बॉयफ्रेंड गर्लफ्रेंड जैसे सेक्स किया करते हैं जैसे कि मुखमैथुन, गुदामैथुन, डॉगी स्टाइल, एक से अधिक महिला या पुरुष एक साथ संबंध बनाना वगैरह वगैरह, में यही नहीं कहता कि यह गलत है अपितु कही बार मेरे मन में भी इस प्रकार की भावनाएं जाग्रत हुई ओर उनमें से खासकर के मुखमैथुन एवं गुदामैथुन. मेने शादी के इतने सालों के दरमियान अपनी पत्नी को कही बार उससे कहा परंतु उसका एक ही जवाब रहता की यह सब गलत है और में कभी भी यह नहीं करूंगी। में उसके आत्मसम्मान को ठेस पहुंचा कर कोई भी सुख हासिल नहीं करना चाहता था इसलिए बस उससे विनती ही किया करता था क्योंकि मुझे लगता कि क्या पता कभी मेरी पत्नी का मन बदल जाए और वो हां कहे दे ।

चलिए फिर जहां से छोड़ा था कहानी को वही से आगे बढ़ते हैं....


में: अच्छा , तो चलो करते हैं। ऐसा कहकर मेने पत्नी को लाइट बंद करने को कहा. पत्नी लाइट बंद करने गई ओर साथ में अपने कपड़े भी उतार कर आ गई। मेने भी अपने कपड़े उतारे और अपनी पत्नी पर कसके चिपक गया। तभी मेरी पत्नी कही की आज आप अंदर ही छोड़ सकते हैं अपना पानी। में बोला कोई दिक्कत तो नहीं होगी क्योंकि हम जब भी सेक्स करते तो कंडोम का इस्तेमाल जरूर किया करते सेफ्टी के लिए। नहीं कोई दिक्कत नहीं होगी क्योंकि अंत समय में बच्चा नहीं ठहर पाता है मेरी पत्नी बोली। खेर फिर हमने आधे घंटे तक सेक्स किया, मेने अपना पानी अपनी पत्नी के अंदर ही छोड़ दिया। मेरी पत्नी संतुष्ट हो गई थी और में भी फिर हम साथ में चिपक के ही सो गए ।

सुबह मेरी आंख देर से खुली क्योंकि आज छुट्टी जो थी . उधर पत्नी ने आलू के पराठे बनाए हुए थे बस मेरे जगाने का ही इंतजार कर रहे थे। अमोल भी नहाकर तैयार हो रखा था. मेने पत्नी को पूछा क्या अमोल कही बाहर जा रहा है. " हां वो थोड़ा दोस्तों के संग फिल्म देखने जा रहा है' मेरी पत्नी ने कहा । "अच्छा ठीक है, अमोल जल्दी आ जाना ठीक है,। " जी मामाजी, इतना कहकर अमोल उठा अपने जूते पहने और चला गया।

सुधा: उठो अब नाश्ता ठंडा हो रहा है।

में : हां बस पांच मिनट रुको।

सुधा: ठीक है फिर चाय तभी दूंगी जाइए जल्दी से.

में : अरे जा रहा हूं तुम तो गुस्सा होने लगी. में मजाक में बोला और बाथरूम चला गया.

थोड़ी देर बाद आया हमने साथ में नाश्ता किया और फिर में बाहर आंगन में बैठकर अखबार पढ़ने लगा ओर पत्नी साहेबा किचन में बर्तन धोने चली गई।

सुधा: ऐजी सुनते हो जरा बाहर से पूछा और बाल्टी देना मुझे !

में : ठीक हे लाता हूं, फिर मेने उसे पूछा बाल्टी दे दी और फिर अपनी बाइक की साफ सफाई करने लगा।

दिन में अमोल आया हमने साथ में खाना खाया और फिर में अमोल को लेकर खेतों में क्यारी बनाने को ले गया . हम दोनों ने दो क्यारी तैयार करी ओर फिर उसमें प्याज की पौध लगाई। शाम के सात बज चुके थे। अमोल टीवी देख रहा था ओर में पत्नी के साथ खाना बनाने में उसकी हेल्प कर रहा था।

सुधा: सुनो जी क्या कल आप आते समय कल मेरे मोबाइल की स्क्रीन चेंज करवा दोगे!

में : हां, कर दूंगा । तुम एक काम करो न यह मोबाइल बहुत पुराना हो गया है में एक नया ले आता हूं।

सुधा: नहीं , मुझे नहीं चाहिए।

में : जैसे तुम्हारी इच्छा। अच्छा कुछ मीठा बना लेना ।

सुधा : ठीक है हलवा बना देती हूं!

में : अमोल को पूछ तो लो उसे पसंद है कि नहीं ।

सुधा : हां, पसंद हे उसे मुझे मालूम है।

में : ठीक है फिर में जरा बाहर टहल कर आता हूं तब तक तुम खाना बना लो!

सुधा : ठीक है।

में : अमोल चल बाहर टहल कर आते हैं थोड़ा।

अमोल: जी मामाजी,।

फिर में अमोल को लेकर एक पार्क में गया आधे घंटे तक हम घूमे और निकलने वाले ही थे तभी पत्नी का फोन आया और कहीं की आ जाओ खाना रेडी है। में भी आ रहे कहा ओर अमोल को लेकर घर की ओर चल दिए।





आगे क्या क्या हुआ यह आपको आने वाले भाग में पता चलेगा। आपको मेरी कहानी कैसे लग रही कृपया बताए । आप ज्यादा से ज्यादा कमेंट लाइक कीजिए । धन्यवाद्।।।।
🙏
 

Bulbul_Rani

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जैसा कि मेने अपने पहले भाग( घर संसार, मेरा अनोखा ) में अपने परिवार के सारे सदस्यों के बारे में जानकारी दे दी थी। अब में इस कहानी की शुरुआत अपनी पत्नी सुधा जुयाल से शुरू कर रहा हूं। मुझे उम्मीद है यह भी आपको पसंद आएगी।


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( चैप्टर - १ )

मेरा नाम राजवीर जुयाल है। में मूल रूप से उत्तराखंड देवभूमि से हूं। में अपने आप को बहुत भाग्यशाली मानता हूं जो मेरी शादी सुधा से हुई , में आपको क्या बताऊं मेरी पत्नी कितनी सुलझी हुई है। में ईश्वर का आभार व्यक्त करता हूं जो मुझे जीवन संगनी के रूप में सुधा जैसे सभ्य, संस्कार से अलंकृत पत्नी मिली। जिंदगी में कुछ रिश्ते ऊपर से जुड़े हुए होते हैं जिनमें गुण , व्यवहार, अपनापन, सच्ची निष्ठा, भोलापन , विश्वास, चरित्र ये सभी गुण मिलते हैं और मुझे यह सभी अपनी पत्नी में मिले थे। मुझे याद हे जब पहली बार में ओर मेरी पापा सुधा के गांव गए थे, एक ही नजर में मुझे ओर मेरे पापा को सुधा पसंद आ गई थी। मेरे ससुराल पक्ष से सास- ससुर एवं पत्नी के भाई भाभी एवं दीदी सभी संस्कारी एवं भोले भाले व्यक्तित्व के थे ,मुझे खुशी थी ऐसा सर्वगुण संपन्न परिवार मुझे मिला है। हमने चाय पी ओर फिर पापा से मेरे ससुर की बात हुई ओर शादी की तारीख तय हुई मुझे आज भी याद है कि उस दिन सोमवार था, 9 अगस्त वर्ष 2004 ओर समय सुबह के साढ़े ग्यारह बजे मुझे आज भी सब याद है। जब हमारी शादी हुई हम नए नए नवदंपति बने , एक दूजे के साथ सात फेरो के वचन लिए , एक दूसरे के प्रति वफादार होने की कसमें खाई। आज ऐसे समाज चाहे कुछ ओर कहे पर जब हम शादी शुदा जिंदगी में प्रवेश किया तो 10दिन तक हमने कुछ भी नहीं किया क्योंकि हमें पता ही नहीं था कि शादी क्यों करी जाती है, इसका क्या महत्व होता है बस हम दोनों इन सब कामों से अनजान थे। उम्र ही क्या थी उस समय में 20वर्ष का ओर पत्नी 19वर्ष,। मुझे बस इतना पता था कि यह मेरी पत्नी हे और यह मेरे साथ ही रहेगी। पर समय ने सब कुछ सिखा दिया और हमने अपनी शादी शुदा जिंदगी की नई शुरुवात की ।
मेरी पत्नी सुधा बहुत ही खुश मिजाज की महिला है, वह बहुत सरल स्वभाव की ओर संस्कारी थी। उसे छल कपट से सख्त नफ़रत थी। मेरी पत्नी परिवार बनाने वाली महिलाओं में से थी नहीं तो आजकल की महिलाओं को आप देखोगे तो वो किस तरह का चाल चलन रखती है पर मेरी पत्नी इसके विपरीत थी , उसे बस अपने काम परिवार से मतलब रहता था, न उसे ज्यादा घूमना अच्छा लगता,न यारी दोस्ती बस अपने तक सीमित थी ऐसा कह सकते हैं। मेरी पत्नी ने शादी के बाद सारे घर को संभाल लिया था वो मेरे पापा मां का ख्याल रखती, जो पापा मां खाना खाने की इच्छा जाहिर करते पत्नी तुरंत उस पूरा करती , सुबह से घर के सारे काम में लगी रहती पर कभी भी उसने मेरे से शिकायत नहीं की , मेरी बहन जो उससे एक साल छोटी थी पर मेरी पत्नी उसका ऐसा ध्यान रखती जैसे एक मां अपने बच्चों का , जैसे जैसे समय बीतता गया मेरी पत्नी सबकी पसंदिता बन गई थी। सारे घर में सुबह से लेकर रात तक बस एक हो आवाज सुनाई देती है पर वो थी , सुधा,!

मेने उसकी उम्र का ध्यान रखते हुए बच्चे की कोशिश नहीं करी ओर न कभी उसने पहल की, क्योंकि मेरा मानना था कि जब दोनों इसमें सहमत हो तो फिर आगे बढ़ना चाहिए और न मुझे अभी बच्चे की जरूरत थी और न मेरी पत्नी को, हम अभी परिपक्व होना चाहते थे ताकि हम बच्चे की जिम्मेदारी उठा सकें। हम दोनों में प्यार बहुत था में उसे अपनी जान से ज्यादा उसका खयाल रखता था।

2023का दिन । मेरी शादी 2019में ही हुई थी और उस समय मेरी आयु 20 वर्ष थी और मेरी पत्नी की 19 वर्ष, पर जब हमारे साथ घटना घटी तो उस समय मेरी आयु 24 वर्ष ओर मेरी पत्नी की 23 वर्ष थी। मैं उन दिनों कानपुर में रहता था वहां में एक मल्टीनेशनल कंपनी में सेल्स मैनेजर की पोस्ट में कार्यरत था। मेरा काम के प्रति वफादार रहना मेरे बॉस को अच्छा लगता था और इसी कारण उन्होंने मेरा प्रमोशन करने के लिए कंपनी के ऑनर से बात की। एक दिन कंपनी की तरफ से एक शानदार पार्टी का आयोजन किया गया,में अपनी पत्नी के साथ उस पार्टी में शामिल हुआ पर मेने नोटिस किया कि सारे लोग मेरी पत्नी को ही ताड़े जा रहे थे जो मुझे अच्छा नहीं लगा मेने भी फटाफट सबसे हाय हेलो किया और सीधे घर आ गए क्या बात है? , में उसे बोला कि सारे तुम्हे घूर रहे थे जो मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लगा.." अरे तो क्या हुआ ,, सभी सुन्दर इंसान को देखते हैं इसमें इतना नाराज होने वाली क्या बात हुई..." मेरी पत्नी ने कहा। "में कुछ नहीं बोला और सीधे सोने चला गया. परंतु मेरी नींद उड़ गई थी में बार बार यही सोचता रहा कि लोगों की सोच कितनी गंदी है जो दूसरों की पत्नी को गलत नज़र से देखा करते हैं।


रोज की तरह सुबह अपने समय पर आंख खुल गई, में घूमने निकल गया । आधे घंटे बाद वापस आया फिर थोड़ा योगा किया और फिर नहाने चला गया, वापस आकर नाश्ता किया और फिर बाइक की चाभी ली और ड्यूटी को निकल गया, ऑफिस में सभी साथियों ने मुझे रात वाली बात पर कोसना शुरू कर दिया और बोले कि राजवीर तुमने कल रात को पार्टी को बर्बाद के दिया था, एक बोला यार हम भाभी जी को घूर रहे थे तो क्या कुछ गलत किया, तुम मानो न मानो पर तुम्हारी पत्नी बहुत सुंदर है और सुंदर को सुंदर ही तो कहेंगे इसमें क्या गलत है। में चुपचाप उन सभी की बातों को सुनता रहा पर कुछ कहने की हिम्मत नहीं कर पाया और फिर मेरे मन में सवाल उठा की आखिर इन सभी की क्या गलती है क्योंकि इंसान सुंदर होगा उसे सुंदर ही कहा जाता है।

शाम को घर आया तो मेने अपनी पत्नी को देखा वो एक पारदर्शी मैक्सी में किचन में काम कर रही थी। उसके कपड़े इतने पारदर्शी थे कि मुझे उसकी ब्रा पेंटी साफ साफ दिखाई दे रही थी और साथ में उसका हरेक अंग भी, मेने शादी के बाद जब हम हनीमून पर शिमला गए थे तब यह मैक्सी ली थी। मेने पत्नी को कहा कि ये सब क्या है, ऐसे कपड़े सिर्फ रात को सोते समय पहने जाते हैं ना कि दिन के समय।


" मेरी पत्नी बोली "जी समझी नहीं आप क्या कह रहे हैं, कपड़े तो कपड़े होते हैं और वैसे भी ये मेरी शादी की पहली निशानी है तो बस आज मेरा मन किया तो पहन लिया ।

"मेने उसे बताया, हां मुझे पता हे कि यह पहली सुहागरात की निशानी है परंतु इसको पगली रात को पहना करते हैं ना कि दिन के उजाले में।

"हां मुझे पता है पर "यहां हम दोनों ही तो रहते हैं तो फिर रात दिन क्या देखना।

"हां में मानता हूं कि हम दोनों ही रहते है पर कभी कोई पड़ोस की आंटी वगैरह आ गई तो फिर क्या करोगी क्या ऐसे ही उनके सामने जाओगे ओर वैसे भी कल परसो तुम्हारे भाई का लड़का अमोल यहां आ रहा है तो क्या तब भी तुम ऐसे कपड़े पहना करोगी! ..

" अरे नहीं, मुझे सही गलत का पता है वो तो मुझे अभी पता है कि हम दोनों ही रहते हैं तो इसलिए. जब अमोल आ जाएगा तब थोड़ी ना पहनूंगी! ओर वैसे अमोल अभी बच्चा है, मेने खुद अपने हाथो से उसे पाला है हां वो बात अलग हैं कि में उसकी असली मां नहीं हूं मेने उसे अपनी कोख से नहीं जना है पर मेने उसे हमेशा अपना बेटा ही मानती हूं तो मुझे नहीं लगता कि उसके कोई दिक्कत होगी..

" में मानता हूं कि तुम्हारे लिए अमोल तुम्हारा बच्चे जैसा है किंतु बात वो नहीं है।बात यह कि वो अब बच्चा नहीं रहा.. अगले साल वो भी अठारह वर्ष का हो जाएगा ।

" तो क्या हुआ अमोल चाहे जितना भी बड़ा हो जाएगा पर मेरे लिए तो वो हमेशा मेरे बच्चे जैसा ही रहेगा। चाहे उसकी उम्र कितनी भी हो जाएं."


"हां में जानता हूं मेरा कहने का मतलब कुछ गलत नहीं है में तो बस यह कह रहा कि चाहे कोई भी रिश्ता हो बच्चा छोटा हो या बड़ा पर कपड़े हमेशा सही ढंग के पहनने चाहिए एवं उसमें पर्दा होना जरूरी है..बाकी तुम समझदार हो।

" निश्चित रहिए. में आगे से ध्यान रखूंगी।


" में आपको अपने पत्नी के परिवार के बारे में थोड़ी सी जानकारी दे देता हूं. मेरी पत्नी के परिवार में उसके मां पिता और दो भाई ओर दो बहनें हैं. मेरी पत्नी सबसे छोटी थी . उसकी बड़ी बहन और भाई की शादी हो चुकी थी और उनके दो दो बच्चे भी हैं। बड़ी बहन उसकी चंडीगढ़ में रहती है जबकि मां पिता ओर दोनों भाई गांव में रहते हैं,मेरी पत्नी के बड़े भाई का लड़का था अमोल और दूसरे भाई की अभी शादी नहीं हुई है। मेरी पत्नी अपने भाई के लड़के से बहुत लगाव था और होगा भी क्यों नहीं आखिर वो उसके भाई का लड़का था। बचपन में मेरी पत्नी ने ही उसे पाला था,उसी ने अमोल को नहलाया धुलाया था , क्योंकि परिवार बड़ा था तो उसकी भाभी को समय नहीं मिलता था इसलिए उसकी सारी जिम्मेदारी मेरी पत्नी ही निभाया करती थी, मेरी पत्नी उसे अपने बच्चे के समान मानती थी। अगर कहे तो मेरी पत्नी ने उसे अपनी कोख से बस जन्म नहीं दिया था बाकी सारे काम किए थे। वो उसे अपने बच्चे की तरह स्कूल के लिए तैयार करती ,अगर वो कभी बीमार हो जाता तो मेरी पत्नी सबसे ज्यादा दुखी हुआ करती थी और जब मेरी शादी हुई तो में यह सब देखकर अपनी पत्नी पर बड़ा गर्व महसूस किया करता था। )
अब आगे.........

दो दिन बाद अमोल आ गया, मेने उसे तीन साल पहले देखा था और उस समय ओर अब के समय में बहुत अंतर आ चुका था ... अब वह किसी जवान लड़के की तरह दिखाई देता था। मेरी पत्नी अपने भतीजे के आने पर बहुत खुश थी । मेने अमोल से कहा कि सफर कैसा रहा तो उसने कहा कि," मामाजी बहुत अच्छा ," फिर थोड़ी बहुत बाते हुई ओर में ऑफिस को निकल गया. देखते देखते एक हफ्ता बीत गया, मेरी पत्नी बोली कि इसका एडमिशन करना है ." में बोला ठीक है ओर फिर अगले दिन ही मेने एक निजी स्कूल में उसका एडमिशन करवा दिया। अब आगे कैसे हुआ क्या हुआ सीधे उस पर आते हैं।


एक दिन मेरी पत्नी ने फिर से वही वाला पारदर्शी मैक्सी पहना हुआ था,अमोल भी घर में ही था तो उसने भी अपनी बुआ को इस हालत में देख लिया था, में जब घर पहुंचा तो मुझे यह थोड़ा अजीब सा लगा । मेने अपनी पत्नी को कहा कि तुम्हे कहा था कि ऐसे कपड़े मत पहनना तो तुमने फिर पहन लिए आखिर तुम समझती क्यों नहीं.

" आप क्यों इतना परेशान होते हैं... अमोल बच्चा है, मेने उसकी परवरिश की है तो मुझे मालूम है मेरा अमोल कभी भी गलत नहीं हो सकता। रही बात कपड़ो की तो में भूल गई थी सॉरी, आइंदा से ऐसा नहीं होगा। बाकी जबसे वो स्कूल से आया है तबसे अपने कमरे से बाहर भी नहीं निकला तो कहा से देख लिया उसने मेरे को ऐसे कपड़ो में तुम खामखां परेशान होते हो।

"अरे ठीक है उसने नहीं देखा पर कभी देख लेगा तो उसके मन में क्या प्रभाव पड़ेगा इसका तुम्हे अंदाजा भी है।


"में जानती हूं पर अभी उसे इतनी समझ नहीं है।

" क्या समझ नहीं मतलब अरे उसकी आंखे तो है ना. वो तुम्हे इन कपड़ों में देखेगा तो क्या समझेगा नहीं।

"क्या समझेगा ! अमोल मेरे बच्चे के समान है तो अपने बच्चे से क्या मां को कोई दिक्कत हो सकती है मुझे तो नहीं लगता।

"मेने उसकी बात को सुना और अपने मन में उठते विचारों को शांत किया और सोचा कि मेरी पत्नी जो कुछ भी कह रही वो सच ही तो है. मुझे अपनी पत्नी पर पुर्ण विश्वास था कि वो गलत नहीं है बस मेरे ही दिमाग में ये गलत विचार उत्पन्न हो रहे. मेने पत्नी को सॉरी बोला और उसे कहा अच्छा चाय तो बना दो !


रात को खाना खाने के बाद मेने अमोल से कहा कि जाओ अपने रूम में सो जाओ सुबह जल्दी जाना स्कूल वो क्योंकि कल रिपब्लिक डे है। अमोल जी मामाजी कहकर सोने चला गया, उसके जाने के बाद मेने अपनी पत्नी सुधा से कहा कि जल्दी काम खत्म कर मेरा आज मूड बना हुआ है," " अच्छा जी आज कुछ ज्यादा ही रोमांटिक हो रहे हो .. चलो कोई नहीं में बस पांच मिनट में आती हूं तबतक आप अपने हाथियार को खड़ा करो और ऐसा कहकर वो किचन में चली गई। थोड़ी देर बाद आई और फिर हमने रोज की तरह संबंध बनाए ।

एक बार ऑफिस में एक अर्जेंट फाइल बना रहा था तो मेरे दोस्त ने व्हाट्सएप में एक वीडियो भेजा मेने वीडियो खोला तो मेरे सामने एक पोर्न वीडियो चला जिसमें एक लड़की अपनी योनि में खीरा डाल रही थी यह देखकर मुझे बड़ा अजीब सा लगा ओर मेने सोचा कि क्या ऐसा करने से सेक्स में संतुष्टि मिलती होगी. वीडियो जैसे जैसे आगे बढ़ता गया वैसे वैसे वह लड़की पूरा खीरा अपनी योनि में डालने लगी और एक समय ऐसा आया कि सारा खीरा वह लड़की अपनी योनि में डाल चुकी थी. मेरे दिमाग की तारे हिल गई ये सब देखकर मेने तुंरत वीडियो बंद किया और अपने काम में लग गया परंतु मेरा मन बार बार वीडियो में उस लड़की की तरफ जा रहा था मेने अपने दोस्त को फोन किया और उसे डांट लगाई कि आइंदा से ऐसी वीडियो मत भेजना वरना सही नहीं होगा। मेने अपने दोस्त को तो डांट दिया था पर मेरा मन बार बार उस वीडियो को देखने का करने लगा ओर मेने वीडियो को कही बार ओर देख लिया और मन में हर बार एक ही सवाल उठाता की क्या यह संभव है, क्या लड़कियां ऐसा करती हैं, क्या इस तरह से सेक्स संतुष्टि प्राप्त की जा सकती है। मेरे मन में अब जोर से कुलबुलाहट होने लगी थी और सबसे बड़ी दिक्कत ये कि मेरा लिंग तन गया था मेने जैसे तैसे उसे एडजेस्ट किया और घर के लिए निकल गया।


रास्ते में फोन की रिंग बजी मेने बाइक साइड लगाई और पेंट की जेब से फोन निकला तो देखा पत्नी का फोन था मेने हेलो' कहा ।

" कहा तक पहुंचे आप!


"अभी निकला हूं ऑफिस से क्या कुछ काम है!

"काम कुछ नहीं बस आते हुए सब्जी लेते आना।

"मेने भी हां में हामी भरी ओर फिर सीधा सब्जी मंडी गया और वहां से दो चार सब्जियां खरीद ली और वापस लौटने लगा तो रास्ते में एक ठेली वाला दिखा जिसके पास गाजर,मूली, खीरा, लौकी, बैंगन,भिंडी,तोरई, गोभी, टमाटर इत्यादि अनेकों तरह की सब्जियां थी."मेने बाइक साइड में रोकी और उस ठेली वाले को रुकने को कहा ।


भाई लौकी कैसे दी..

साहब जी 40kg

टमाटर?

साहब 30,kg

बैंगन और खीरा?

साहब 30,kg

गाजर और मूली?

साहब 10,kg

यार बहुत महंगी सब्जी कर दी?

साहब हमने क्या की ये तो मंडी से रेट आता है।

नहीं फिर भी इतना महंगा थोड़ी न है।

साहब आप कही भी पूछ लीजिए यही रेट मिलेगा।

अच्छा ठीक है, तुम एक काम करो , गाजर खीरा मूली बैंगन और गोभी एक एक kg कर दो पर खीरा में खुद छाटूंगा!

जी साहब और फिर वो ठेली वाला एक एक बाकी सब्जियों को तोल कर पेक करने लगा। ओर में खीरा छांटने लगा , मेने एक दो मोटे लंबे खीरे रख दिए पर तभी ठेली वाला बोला....
" साहब बड़े खीरे मत रखो इनमें स्वाद नहीं होता है आप छोटे वाले रखो ये स्वादिष्ट होते हैं।

अरे तुम रहने दो मुझे मत बताओ कि कौन से स्वादिष्ट होते हैं और कौन से नहीं!

जैसे आपकी मर्जी साहब.

फिर मेने दो खीरे छांटे जो काफी मोटे लंबे थे और फिर ठेली वाले को उसका पैसा दिया और घर को निकल गया। पहुंचकर थोड़ी देर अमोल के साथ टाइम बिताया और फिर पत्नी खाना लेकर आ गई, साथ में तीनों ने खाना खाया और फिर किचन में जाकर खीरे को देखने लगा क्योंकि मेरे मन में उस विडियो के दृश्य हट ही नहीं रहे थे। एक बार मन में आया कि क्या सचमुच ऐसा होता होगा कि योनि में खीरा जा सकता है कही कोई एंडिंग वीडियो तो नहीं कही सवाल उठे पर जवाब कुछ नहीं। तभी मन में आया कि एक बार अपनी पत्नी पर ट्राई करू तो मुझे पता चल जाएगा कि क्या यह सही है कि गलत! किंतु मेरी इतनी हिम्मत हो ही नहीं रही कि में पत्नी से बात करूं इस बारे में क्योंकि मुझे यह भी मालूम था कि मेरी पत्नी कभी इस तरह का कुकृत्य के लिए कभी तैयार नहीं होगी। इसलिए मेने अपने मन से यह विचार निकालने में ही बेहतर समझा । मन को परवर्तित किया और किचन से वापस आया और अपने कमरे में सोने चला गया थोड़ी देर बाद पत्नी आई और कही की क्या बात है आप परेशान से लग रहे हो, मेने भी उसके सवाल का जवाब दिया कि ऐसा कुछ नहीं हे बस आज ऑफिस में काम बहुत था तो थकान लग गई बस मन कर रहा की सो जाऊं।

सुधा: ऐसा क्या काम था जो इतनी थकान लग गई आपको।

में: अरे यार, आज दिन भर अकाउंट का काम किया कंप्यूटर पे तो सारी गरदन ,कंधे दुःख रहे जिस कारण बहुत थकान नींद सी लग रही है।

सुधा: अच्छा, वो तो ठीक है पर क्या आज कुछ नहीं होगा।

में: क्या नहीं होगा।

सुधा: आप तो ऐसे अनजान बन रहे जैसे आपको पता ही ना हो कि में किसकी बात कर रही हूं।


में : में जानता था पर आज वाकई में मेरा मूड नहीं है कल करते हैं।

सुधा: कल क्या करना आज रात से तो मेरी डेट आनी शुरू हो जाएगी।

में आपको एक बात कहता चलूं कि मेरी पत्नी एक खुशमिजाज एवं रोमांटिक महिला थी और वैसे मेरा भी मानना था कि एक शादी शुदा महिला को अपने पति के लिए रोमांटिक होना भी चाहिए जिससे उनकी आगे की जिंदगी खुशी से बीत सके।
आजकल के पति पत्नी या बॉयफ्रेंड गर्लफ्रेंड जैसे सेक्स किया करते हैं जैसे कि मुखमैथुन, गुदामैथुन, डॉगी स्टाइल, एक से अधिक महिला या पुरुष एक साथ संबंध बनाना वगैरह वगैरह, में यही नहीं कहता कि यह गलत है अपितु कही बार मेरे मन में भी इस प्रकार की भावनाएं जाग्रत हुई ओर उनमें से खासकर के मुखमैथुन एवं गुदामैथुन. मेने शादी के इतने सालों के दरमियान अपनी पत्नी को कही बार उससे कहा परंतु उसका एक ही जवाब रहता की यह सब गलत है और में कभी भी यह नहीं करूंगी। में उसके आत्मसम्मान को ठेस पहुंचा कर कोई भी सुख हासिल नहीं करना चाहता था इसलिए बस उससे विनती ही किया करता था क्योंकि मुझे लगता कि क्या पता कभी मेरी पत्नी का मन बदल जाए और वो हां कहे दे ।

चलिए फिर जहां से छोड़ा था कहानी को वही से आगे बढ़ते हैं....


में: अच्छा , तो चलो करते हैं। ऐसा कहकर मेने पत्नी को लाइट बंद करने को कहा. पत्नी लाइट बंद करने गई ओर साथ में अपने कपड़े भी उतार कर आ गई। मेने भी अपने कपड़े उतारे और अपनी पत्नी पर कसके चिपक गया। तभी मेरी पत्नी कही की आज आप अंदर ही छोड़ सकते हैं अपना पानी। में बोला कोई दिक्कत तो नहीं होगी क्योंकि हम जब भी सेक्स करते तो कंडोम का इस्तेमाल जरूर किया करते सेफ्टी के लिए। नहीं कोई दिक्कत नहीं होगी क्योंकि अंत समय में बच्चा नहीं ठहर पाता है मेरी पत्नी बोली। खेर फिर हमने आधे घंटे तक सेक्स किया, मेने अपना पानी अपनी पत्नी के अंदर ही छोड़ दिया। मेरी पत्नी संतुष्ट हो गई थी और में भी फिर हम साथ में चिपक के ही सो गए ।

सुबह मेरी आंख देर से खुली क्योंकि आज छुट्टी जो थी . उधर पत्नी ने आलू के पराठे बनाए हुए थे बस मेरे जगाने का ही इंतजार कर रहे थे। अमोल भी नहाकर तैयार हो रखा था. मेने पत्नी को पूछा क्या अमोल कही बाहर जा रहा है. " हां वो थोड़ा दोस्तों के संग फिल्म देखने जा रहा है' मेरी पत्नी ने कहा । "अच्छा ठीक है, अमोल जल्दी आ जाना ठीक है,। " जी मामाजी, इतना कहकर अमोल उठा अपने जूते पहने और चला गया।

सुधा: उठो अब नाश्ता ठंडा हो रहा है।

में : हां बस पांच मिनट रुको।

सुधा: ठीक है फिर चाय तभी दूंगी जाइए जल्दी से.

में : अरे जा रहा हूं तुम तो गुस्सा होने लगी. में मजाक में बोला और बाथरूम चला गया.

थोड़ी देर बाद आया हमने साथ में नाश्ता किया और फिर में बाहर आंगन में बैठकर अखबार पढ़ने लगा ओर पत्नी साहेबा किचन में बर्तन धोने चली गई।

सुधा: ऐजी सुनते हो जरा बाहर से पूछा और बाल्टी देना मुझे !

में : ठीक हे लाता हूं, फिर मेने उसे पूछा बाल्टी दे दी और फिर अपनी बाइक की साफ सफाई करने लगा।

दिन में अमोल आया हमने साथ में खाना खाया और फिर में अमोल को लेकर खेतों में क्यारी बनाने को ले गया . हम दोनों ने दो क्यारी तैयार करी ओर फिर उसमें प्याज की पौध लगाई। शाम के सात बज चुके थे। अमोल टीवी देख रहा था ओर में पत्नी के साथ खाना बनाने में उसकी हेल्प कर रहा था।

सुधा: सुनो जी क्या कल आप आते समय कल मेरे मोबाइल की स्क्रीन चेंज करवा दोगे!

में : हां, कर दूंगा । तुम एक काम करो न यह मोबाइल बहुत पुराना हो गया है में एक नया ले आता हूं।

सुधा: नहीं , मुझे नहीं चाहिए।

में : जैसे तुम्हारी इच्छा। अच्छा कुछ मीठा बना लेना ।

सुधा : ठीक है हलवा बना देती हूं!

में : अमोल को पूछ तो लो उसे पसंद है कि नहीं ।

सुधा : हां, पसंद हे उसे मुझे मालूम है।

में : ठीक है फिर में जरा बाहर टहल कर आता हूं तब तक तुम खाना बना लो!

सुधा : ठीक है।

में : अमोल चल बाहर टहल कर आते हैं थोड़ा।

अमोल: जी मामाजी,।

फिर में अमोल को लेकर एक पार्क में गया आधे घंटे तक हम घूमे और निकलने वाले ही थे तभी पत्नी का फोन आया और कहीं की आ जाओ खाना रेडी है। में भी आ रहे कहा ओर अमोल को लेकर घर की ओर चल दिए।





आगे क्या क्या हुआ यह आपको आने वाले भाग में पता चलेगा। आपको मेरी कहानी कैसे लग रही कृपया बताए । आप ज्यादा से ज्यादा कमेंट लाइक कीजिए । धन्यवाद्।।।।
Acchi shuruwaat h.
 

rajveer juyal 11

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Picsart-24-12-25-09-44-09-624 ( चैप्टर- २ )

अब आगे.......

अगले दिन में रोज की तरह ऑफिस था शाम के पांच बज चुके थे पर अभी अमोल स्कूल से नहीं लौटा था, इस बात से मेरी पत्नी बहुत परेशान हो गई वो बार बार दरवाजे की ओर अपनी नजरें गड़ाए हुए थी। तभी उसने मेरे को फोन लगाया !

" ऐजी सुनते हो, अमोल अभी तक घर नहीं लौटा है मुझे बहुत डर लग रहा है।

"डरो नहीं , अपने दोस्तों के साथ होगा थोड़ी देर में आ जाएगा।

"नहीं ,, आप जल्दी से आईए!

"अच्छा ठीक है में उसके स्कूल जाता हूं तुम परेशान मत होवो। फिर मेने फोन काट दिया और ऑफिस से सीधे अमोल के स्कूल चल दिया । वहां पहुंचकर देखा तो अमोल वहां नहीं था , वॉचमैन से पूछा तो उसने कहा कि अमोल तो एक घंटे पहले जा चुका था। अब में भी परेशान हो गया क्योंकि मेरे घर से स्कूल आधे घंटे की दूरी पर था तो अभी तक अमोल कहा रह गया। मेने बाइक स्टार्ट की ओर घर की ओर निकल आया , कुछ दूर बाद मुझे अमोल दिखाई दिया ।

"अमोल क्या हुआ !

"वो मामाजी , आज स्कूल में प्रोग्राम था और फिर कोई रिक्शा नहीं मिला तो पैदल ही आ रहा हूं ।

"अरे , तेरी बुआ बहुत परेशान हो गई खेर बैठ , ओर फिर हम घर पहुंच गए।

सुधा: अमोल तू कहा था मेरी तो जान निकल गई थी।

अमोल: बुआ वो स्कूल में प्रोग्राम था और आते समय रिक्शा नहीं मिला तो पैदल आ रहा था पर आप इतना क्यों परेशान होती हो।

सुधा: परेशान नहीं होना क्या? अगर कोई बात हो जाती तो में क्या जवाब देती तेरे मां पापा को ।

अमोल: बुआ आप भी ना, कुछ नहीं होगा मुझे ।

सुधा: हां, चल बाते बनाना बंद कर ओर जा कपड़े चेंज करले।

अमोल: जी बुआ!

सुधा: ऐजी सुनो,, में क्या कहती की एक स्कूटी ले लो ना !

में : क्यों?

सुधा: वो अमोल फिर सही समय पर आ जाएगा और वैसे भी में कितने सालों से कह रही आपको की मुझे एक स्कूटी दिला दो ।

में : तुम क्या करोगे स्कूटी का ,तुम्हे तो चलानी आती भी नहीं!

सुधा: तो क्या हुआ अमोल को तो आती है ना, में उसे सिख लूंगी। मेरा भी कुछ शाम कट जाएगा इसी बहाने ,वरना सुबह से शाम तक में घर पर बोर हो जाती हूं।

में : ये तो सही कहा तुमने, ठीक है में कल स्कूटी देखकर आता हूं।

सुधा : हां , चलो आप भी कपड़े चेंज कर लो में तब तक चाय बना देती हूं।

में: ठीक है।

सुधा : आ गया अमोल, आ मेरे पास बैठ ओर बता आज क्या प्रोग्राम था तुम्हारा !

अमोल: वो बुआ, आज स्कूल में जन्माष्टमी का प्रोग्राम था।

सुधा: अच्छा, तो केसा था !

अमोल: बहुत अच्छा ।

सुधा: तेरा क्या रोल था,

अमोल: मेरा वासुदेव का रोल था, आपको पता है बुआ जो कंस बना था वो हमारे हिन्दी के टीचर थे।

सुधा: अच्छा! तब तो बहुत अच्छा प्रोग्राम हुआ होगा ,क्या नाम था उनका!

अमोल: उनका, दीपक सर।

सुधा : अच्छा में उन्हें जानती हूं!

अमोल: वो कैसे बुआ?

सुधा: अरे अमोल, वो हमारे मोहल्ले की रामलीला में में हर साल हनुमान का रोल करते हैं, बहुत अच्छे कलाकार हैं,बस तब से ही जान पहचान है।

अमोल: अच्छा बुआ में आपसे एक बात कहूं?

सुधा: हां कहो!

अमोल: वो बुआ , मुझे एक मोबाइल दिला दो मामाजी से कहकर!

सुधा: क्यों? तुझे मोबाइल की क्या आवश्यकता पड़ने लगी, अभी बेटा सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान रखो।

अमोल: मुझे पता है बुआ और में इस बार अपनी क्लास में फस्ट आऊंगा, पर मोबाइल इस लिए की जैसा आप ओर मामाजी आज मेरे देर से लौटने पर परेशान हो गए, पर बुआ अगर मेरे पास मोबाइल होगा तो आप पता कर सकते हो कि में कहा हूं, आपको भी आगे से कोई परेशानी नहीं होगी इसलिए कह रहा हूं।

सुधा: आइडिया तो अच्छा है पर फिर तू मोबाइल में गेम खेलने लग जाएगा जिससे तेरी पढ़ाई में दिक्कत आएगी।

अमोल: नहीं बुआ में आपकी कसम खाता हूं में कोई गेम नहीं खेलूंगा।

सुधा : अच्छा ठीक है में तेरे मामाजी से कहकर तुझे कल ही नया मोबाइल दिला दूंगी!

अमोल: ओह, मेरी प्यारी बुआ!
ऐसा कहते हुए अमोल अपनी बुआ (मेरी पत्नी) पर आलिंगन कर लेता है और मेरी पत्नी उसके सर पर ममता से हाथ फेरती और माथे पर एक प्यारी सी किस्सी कर देती है। में अपने रूम से यह सब देख रहा था। थोड़ी देर बाद मेरी पत्नी उठकर मेरे पास आई ।

सुधा: ऐजी सुनो अमोल के लिए एक मोबाइल ले लीजिए।

में : क्यों? ( मेने उन दोनों की सारी बातें सुन ली थी पर में जानबूझकर अनजान बना )

सुधा: क्यों ,क्या देखा ना आज आपने, में कितनी परेशान हो गई थी। अगर उसके पास मोबाइल होगा तो हम उससे बात करके पूछ सकते हैं कभी कुछ सामान मांगना होगा तो वो सब भी।

में: हां ये बात तो सही कही तुमने, ठीक है, में कल ले आऊंगा मोबाइल। अच्छा तुमने अमोल को बताया कि हम उसके लिए स्कूटी ले रहे हैं।

सुधा: नहीं !

में : क्यों?

सुधा: इसलिए कि हम उसे सरप्राइज़ देंगे।

में : ओह, ये बहुत अच्छा प्लान है तुम्हारा वाकई में अमोल अचंभित हो जाएगा उसे विश्वास भी नहीं होगा कि हम उसकी यह ख्वाइश पूरी करने वाले हैं।

सुधा: बिल्कुल, चौंक जाएगा वो।

में: वही तो चल अब इस बात को यही खत्म करते हैं और चलो जल्दी से तुम खाना लगाओ बहुत भूख लगी है।

सुधा: ठीक है बस पांच मिनट, तबतक आप अमोल के साथ गप्पे लगाओ में गर्म गर्म रोटी बना लेती हूं फिर खाते हैं साथ में ।

यह कहते हुए मेरी पत्नी किचन में चली गई। ओर में अमोल के साथ बाते करने लगा। अरे अमोल तुम्हारे स्कूल पढ़ाई सही तो होती है ना!

अमोल: हां मामाजी पढ़ाई तो अच्छी होती है।

में: अच्छा ये बताओ कि सबसे अच्छा कौन सा सब्जेक्ट का टीचर पड़ता है ।

अमोल: मामाजी दो टीचर हैं, मैथ्स ओर बायोलॉजी के।

में: अच्छा ,यह तो अच्छी बात है।
तभी मेरी पत्नी ने आवाज दी....

सुधा: अमोल, चलो खाना खाने आवो मामाजी को भी कह दो।

अमोल: जी बुआ!

में ओर अमोल फिर खाना खाने आ गए। मेरी पत्नी ने आलू गोभी की सब्जी बनाई थी और मीठे में खीर! फिर बाते करते हुए हमने खाना खाया और अपने अपने कमरों में सोने चले गए।

अगले दिन सुबह ऑफिस जाते हुए सबसे पहले एटीम से पैसे निकाले और अमोल के लिए एक अच्छा सा 5G स्मार्ट मोबाइल खरीदा। दिन में ऑफिस से छुट्टी ली फिर अपनी बाइक ऑफिस में ही खड़ी की, रिक्शा लेकर स्कूटी खरीदने होंडा के शोरुम पहुंच गया। वहां पहुंचकर सारी कागज़ी फॉर्मेलिटी की ओर स्कूटी लेकर घर की ओर निकल आया , रास्ते से पत्नी को फोन कर दिया था कि पूजा थाली, धूप अगरबत्ती की तैयारी कर लेना में पंद्रह मिनट में पहुंच रहा हूं."पत्नी ने भी "हां, कहा ओर फिर फोन रख दिया।

जैसे में स्कूटी लेकर घर पहुंचा तो सामने मेरी पत्नी और अमोल खड़े थे। मेरी पत्नी ने लाल रंग की साड़ी पहनी थी मुझे यह देखकर ऐसा लगा कि जैसे साक्षात् कोई देवी देवलोक से हमें बधाई,आशीर्वाद देने आ स्वयं पहुंची हो। तभी ...मेरे कानो में किसी की आवाज सुनाई दी. में अपने सपने से बाहर निकला और देखा तो अमोल कुछ कह रहा है.....

अमोल: मामाजी नई स्कूटी.!

में : हां, कैसी लगी।

अमोल: बहुत अच्छी है मामाजी।

सुधा: अब बाते बाद में करना पहले मुझे पूजा करने दो,।

में : हां , बिल्कुल।

फिर मेरी पत्नी ने सारे विधि विधान से स्कूटी की पूजा आरती करी। में, अमोल की ओर देखकर बोला, कैसे लगी ।

अमोल : मामाजी बहुत अच्छी, मुझको क्यों नहीं बताया आपने और ना बुआ ने बताया!

में : तेरी बुआ ने है बताने को मना किया था,

अमोल: क्यूं?

में : अरे तुझे सरप्राइज़ जो देना था, फिर में ओर मेरी पत्नी हस दिए।

अमोल: ओह, ये बात थी ।
ऐसा कहते ही अमोल मेरे गले लग गया

सुधा : हां, अरे दलबदलु अपने मामाजी के ही गले लगेगा या अपनी बुआ के भी लगेगा।

अमोल: नहीं बुआ जी, ऐसा नहीं है।
फिर अमोल कहते हुए अपनी बुआ( मेरी पत्नी) के गले लग गया।


सुधा: अमोल, तेरे लिए एक ओर सरप्राइज़ है!

अमोल: वो क्या बुआ!

सुधा : "मोबाइल ।
ऐसा कहते ही मेरी पत्नी ने मेरे को इशारे से फोन देने को कहा ओर मेने उसके हाथ में फोन रख दिया। ले अमोल तेरा गिफ्ट, अमोल ने अपनी बुआ के हाथ से फोन लिया और खुशी से एक दो बार उछल दिया।

अमोल: धन्यवाद मामाजी ।

सुधा: ये क्या बस मामाजी को ही धन्यवाद कहेगा बुआ को नहीं!

अमोल: नहीं बुआ ऐसा नहीं आपको भी धन्यवाद,! ओर इतना कहकर अमोल ने मेरे ओर मेरी पत्नी के पैर छूं लिए।

सुधा: खुश रहो हमेशा ऐसे ही अमोल,

में : सदा खुश रहो, भगवान तुम्हें अपना आशीष दे।

सुधा: चलो अब क्या सारी बातें यही बाहर करेंगे चलो अंदर!

में : हां चलो!

फिर हम अंदर आ गए, मेने पत्नी से कहा कि में कुछ मीठा लाना तो भूल गया.. ‘कोई बात नहीं अमोल ले आयेगा. मेरी पत्नी ने अमोल को पांचसो रुपए दिए।

अमोल: क्या लाना है! बुआजी मामाजी!

में : तुझे क्या पसंद है अमोल? वो ही ले आ!

अमोल: मुझे तो मामाजी गुलाब जामुन पसंद हैं!

में : तो ठीक है वहीं ले आ एक kg ओर एक प्लेट मोमोज भी।

सुधा: मोमोज रहने देते हैं जी , घर में ही कुछ बना लेंगे!

में: क्या बनाओगी !

सुधा: एक काम करते हैं छोले भटूरे बनाते हैं और कुछ मीठा भी!

अमोल: हां बुआ जी ये सही रहेगा !

में: अच्छा तो अमोल गुलाब जामुन एक पाव ही लाना क्योंकि मुझे तो मिठाई पसंद नही, तेरी बुआ भी बस एक दो पिस वाली है

अमोल: ठीक है मामाजी।

में: एक काम करना जो पैसे बचेंगे उससे एक kg मैदा और एक kg गुड़ ले आना।

अमोल: जी मामाजी।

सुधा: हां ये ठीक है, अब खड़ा क्यों है अमोल जल्दी जा!

अमोल: बुआ, मामाजी क्या में?

सुधा : में क्या?

में : में में क्या कर रहा, कोई बात है तो बता घबरा क्यों रहा ?

अमोल: नहीं मामाजी में घबरा नहीं रहा बस में सोच रहा था कि क्या स्कूटी लेकर....

में : ओह,, तो इसमें इतना सोचने वाली क्या बात है, जा ले जा स्कूटी!

अमोल: धन्यवाद मामाजी,

में : पर हेलमेट पहनकर जाना!

सुधा: बिल्कुल

अमोल: बस यही पर तो जा रहा हूं मामाजी, बुआ जी!

सुधा: तुझे जो बोला वो कर अमोल! हेलमेट बहुत जरूरी है तू रोज अखबार में पढ़ता नहीं ।

में : देख अमोल, यह अपनी सुरक्षा के लिए है!

अमोल: ठीक है मामाजी बुआ जी!

इतना कहते ही अमोल ने डाइनिंग टेबल से चाबी हेलमेट लिया और चल दिया। "अरे भाग्यवान सुनो, क्या एक कप गर्मागर्म चाय मिल सकती है! " हां,जी. आप हाथ मुंह धो के कपड़े चेंज कर के आवो इतने में चाय बनाती हूं तबतक अमोल भी आ जायेगा फिर साथ में पियेंगे।

ठीक है, में फिर कपड़े चेंज करने चला गया और पत्नी ने चाय बनानी शुरु कर दी। हाथ मुंह धोकर में बाथरूम से निकला ही की तभी अमोल भी आ गया। पत्नी किचन से बाहर आई तो अमोल ने सारा सामान उसके हाथ में थमा दिया।

सुधा: चलो चाय तैयार हैं, बैठो डाइनिंग में में मोमोज भी लाती हूं ।

हमने चाय पी, मोमोज खाएं। इसी बीच अमोल बोला मामाजी कल में स्कूटी को मंदिर लेकर चले जाऊं। " हां चले जाना ओर साथ में अपनी बुआ को भी ले जाना। " ठीक है मामाजी ! "आप नहीं आयेंगे क्या? " अरे मुझे सुबह जल्दी जाना है। " ठीक है'! " बुआ सुबह सुबह जल्दी चले जाएंगे '! " अमोल सही कह रहा है सुधा, जितनी जल्दी जाओगे तो तुम्हे बीड़ नहीं मिलेगी! " ठीक है फिर सात बजे चले जाएंगे घर से अमोल हम.! " जी बुआ '! " अच्छा तुम बाते करो में थोड़ा टीवी देखता हूं और फिर में टीवी देखने चले गया। अमोल भी पढ़ाई करने गया और पत्नी खाना बनाने। सुबह जल्दी जाना था तो पत्नी ने झट पट खाना तैयार किया और फिर हमने भी खाया ।

अमोल: बुआ जल्दी चलो सवा सात बज गए है वरना लाइन में लगना पड़ेगा ।

सुधा: अरे बस हो गया, तू स्कूटी स्टार्ट कर में आई ।

में : ये लो पैसे, पंडित जी के 251रुपए, प्रसाद के 101रुपए ओर ये....

सुधा: बस बस मुझे पता है किसको कितना देना है देर हो रही है।

में: ठीक है आराम से जाओ कोई जल्दी बाजी मत करना अमोल स्कूटी धीरे चलना !

अमोल : जी मामाजी आप बेफ्रिक रहें में धीरे धीरे चलाऊंगा, बाय मामाजी जी ।

में : बाय,

सुधा: चल अमोल ।

अमोल: जी बुआ।

ओर फिर दोनों चल दिए । मेने भी थोड़ा योगा किया और फिर अपने लिए नाश्ता बनाया। गर्म पानी किया था पत्नी ने तो फिर में नहाने चला गया। कुछ देर बाद नहा कर आया तो घंडी में टाइम देखा साढ़े आठ से ऊपर हो गया था। मेने फटाफट नाश्ता किया । सारे कमरों पर ताला लगाया ओर चाभी जहां पत्नी रखती थी हमेशा वहीं रख कर ऑफिस को निकल गया। मेने सबसे पहले पहुंचकर पत्नी को फोन लगाया तो उसने बताया कि अभी घर पहुंचे हैं बस ताला ही खोल रही हूं। " अच्छा ठीक है शाम को मिलते हैं बाय. पत्नी ने भी बाय कहा ओर फोन काट दिया. में भी अपने काम में व्यस्त हो गया ।


अब आगे चलकर क्या होगा यह आपको अगले चैप्टर में मालूम होगा तब आप ज्यादा से ज्यादा कमेंट लाइक करें धन्यवाद !!
 
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mastmast123

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बहुत शानदार लिख रहे हो आप, ऐसे ही लिखिए, गरिमा रखते हुये अश्लील लिखना बहुत बड़ी कला है, घटिया शब्दों में तो हर कोई लिख लेता है लेकिन शालीन तरीके से कामुक अश्लील और उत्तेजक लिखना हर किसी ऐरे गैरे के बस का नहीं है, आप बहुत गजब लिखते हो, ऐसे ही continue कीजिये,
 
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