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जैसा कि मेने अपने पहले भाग( घर संसार, मेरा अनोखा ) में अपने परिवार के सारे सदस्यों के बारे में जानकारी दे दी थी। अब में इस कहानी की शुरुआत अपनी पत्नी सुधा जुयाल से शुरू कर रहा हूं। मुझे उम्मीद है यह भी आपको पसंद आएगी।
मेरा नाम राजवीर जुयाल है। में मूल रूप से उत्तराखंड देवभूमि से हूं। में अपने आप को बहुत भाग्यशाली मानता हूं जो मेरी शादी सुधा से हुई , में आपको क्या बताऊं मेरी पत्नी कितनी सुलझी हुई है। में ईश्वर का आभार व्यक्त करता हूं जो मुझे जीवन संगनी के रूप में सुधा जैसे सभ्य, संस्कार से अलंकृत पत्नी मिली। जिंदगी में कुछ रिश्ते ऊपर से जुड़े हुए होते हैं जिनमें गुण , व्यवहार, अपनापन, सच्ची निष्ठा, भोलापन , विश्वास, चरित्र वान ये सभी गुण मिलते हैं और मुझे यह सभी मिले थे। मुझे याद हे जब पहली बार में ओर मेरी पापा सुधा के गांव गए थे, एक ही नजर में मुझे ओर मेरे पापा को सुधा पसंद आ गई थी। मेरे ससुराल पक्ष से सास- ससुर एवं पत्नी के भाई भाभी एवं दीदी सभी संस्कारी एवं भोले भाले व्यक्तित्व के थे ,मुझे खुशी थी ऐसा सर्वगुण संपन्न परिवार मुझे मिला है। हमने चाय पी ओर फिर पापा से मेरे ससुर की बात हुई ओर शादी की तारीख तय हुई मुझे आज भी याद है कि उस दिन सोमवार था, 9 अगस्त वर्ष 2004 ओर समय सुबह के साढ़े ग्यारह बजे मुझे आज भी सब याद है। जब हमारी शादी हुई हम नए नए नवदंपति बने , एक दूजे के साथ सात फेरो के वचन लिए , एक दूसरे के प्रति वफादार होने की कसमें खाई। आज ऐसे समाज चाहे कुछ ओर कहे पर जब हम शादी शुदा जिंदगी में प्रवेश किया तो 10दिन तक हमने कुछ भी नहीं किया क्योंकि हमें पता ही नहीं था कि शादी क्यों करी जाती है, इसका क्या महत्व होता है बस हम दोनों इन सब कामों से अनजान थे। उम्र ही क्या थी उस समय में 20वर्ष का ओर पत्नी 19वर्ष,। मुझे बस इतना पता था कि यह मेरी पत्नी हे और यह मेरे साथ ही रहेगी। पर समय ने सब कुछ सिखा दिया और हमने अपनी शादी शुदा जिंदगी की नई शुरुवात की ।
मेरी पत्नी सुधा बहुत ही खुश मिजाज की महिला थी, वह बहुत सरल स्वभाव की ओर संस्कारी थी। उसे छल कपट से सख्त नफ़रत थी। मेरी पत्नी परिवार बनाने वाली महिलाओं में से थी नहीं तो आजकल की महिलाओं को आप देखोगे तो वो किस तरह का चाल चलन रखती है पर मेरी पत्नी इसके विपरीत थी , उसे बस अपने काम परिवार से मतलब रहता था, न उसे ज्यादा घूमना अच्छा लगता,न यारी दोस्ती बस अपने तक सीमित थी ऐसा कह सकते हैं। मेरी पत्नी ने शादी के बाद सारे घर को संभाल लिया था वो मेरे पापा मां का ख्याल रखती, जो पापा मां खाना खाने की इच्छा जाहिर करते पत्नी तुरंत उस पूरा करती , सुबह से घर के सारे काम में लगी रहती पर कभी भी उसने मेरे से शिकायत नहीं की , मेरी बहन जो उससे एक साल छोटी थी पर मेरी पत्नी उसका ऐसा ध्यान रखती जैसे एक मां अपने बच्चों का , जैसे जैसे समय बीतता गया मेरी पत्नी सबकी पसंदिता बन गई थी। सारे घर में सुबह से लेकर रात तक बस एक हो आवाज सुनाई देती है पर वो थी , सुधा,!
मेने उसकी उम्र का ध्यान रखते हुए बच्चा पैदा करने की कोशिश नहीं करी ओर न कभी उसने पहल की, हम दोनों में प्यार बहुत था में उसे अपनी जान से ज्यादा उसका खयाल रखता था। पर वो कहते है जो किस्मत में होगा वो होगा । न मेरे मन में कभी अपनी पत्नी के लिए गलत भावनाएं जाग्रत हुई। पर एक समय आया जब में मेरा मन भी प्रवर्तित हुआ। आगे चलकर आपको सब कुछ मालूम हो जाएगा।
यह किस्सा 2023का है। मेरी शादी 2019में ही हुई थी और उस समय मेरी आयु 20 वर्ष थी और मेरी पत्नी की 19 वर्ष, पर जब यह घटना हुई तो उस समय मेरी आयु 24 वर्ष, ओर मेरी पत्नी की 23 वर्ष, थी। मैं उन दिनों कानपुर में रहता था वहां में एक मल्टीनेशनल कंपनी में सेल्स मैनेजर की पोस्ट में कार्यरत था। मेरा काम के प्रति वफादार रहना मेरे बॉस को अच्छा लगता था और इसी कारण उन्होंने मेरा प्रमोशन करने के लिए कंपनी के ऑनर से बात की। एक दिन कंपनी की तरफ से एक शानदार पार्टी का आयोजन किया गया,में अपनी पत्नी के साथ उस पार्टी में शामिल हुआ पर मेने नोटिस किया कि सारे लोग मेरी पत्नी को ही ताड़े जा रहे थे जो मुझे अच्छा नहीं लगा मेने भी फटाफट सबसे हाय हेलो किया और सीधे घर आ गए क्या बात है? , में उसे बोला कि सारे तुम्हे घूर रहे थे जो मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लगा.." अरे तो क्या हुआ ,, सभी सुन्दर इंसान को देखते हैं इसमें इतना नाराज होने वाली क्या बात हुई..." मेरी पत्नी ने कहा। "में कुछ नहीं बोला और सीधे सोने चला गया. परंतु मेरी नींद उड़ गई थी में बार बार यही सोचता रहा कि लोगों की सोच कितनी गंदी है जो दूसरों की पत्नी को गलत नज़र से देखा करते हैं।
सुबह अपने समय पर आंख खुल गई, में भी रोज की तरह घूमने निकल गया । आधे घंटे बाद वापस आया फिर थोड़ा योगा किया और फिर नहाने चला गया, वापस आकर नाश्ता किया और फिर बाइक की चाभी ली और ड्यूटी को निकल गया, ऑफिस में सभी साथियों ने मुझे रात वाली बात पर कोसना शुरू कर दिया और बोले कि राजवीर तुमने कल रात को पार्टी को बर्बाद के दिया था, एक बोला यार हम भाभी जी को घूर रहे थे तो क्या कुछ गलत किया, तुम मानो न मानो पर तुम्हारी पत्नी बहुत सुंदर है और सुंदर को सुंदर ही तो कहेंगे इसमें क्या गलत है। में चुपचाप उन सभी की बातों को सुनता रहा पर कुछ कहने की हिम्मत नहीं कर पाया और फिर मेरे मन में सवाल उठा की आखिर इन सभी की क्या गलती है क्योंकि इंसान सुंदर होगा उसे सुंदर ही कहा जाता है। शाम को घर आया तो मेने अपनी पत्नी को देखा वो एक पारदर्शी मैक्सी में किचन में काम कर रही थी। उसके कपड़े इतने पारदर्शी थे कि मुझे उसकी ब्रा पेंटी साफ साफ दिखाई दे रही थी और साथ में उसका हरेक अंग भी ,मेने पत्नी को कहा कि ये सब क्या है।
"जी समझी नहीं आप क्या कह रहे हैं, खेर मेने उसे बताया तो उसमें कहा कि "यहां हम दोनों ही तो है। मेने उसे कहा कि वो तो में जानता हूं पर अगर कोई आ जाए ओर वैसे भी अब तुम्हारे भाई का लड़का अमोल यहां आ रहा है तो क्या तब भी तुम ऐसे कपड़े पहना करोगी उसके सामने! ..." अरे नहीं ,,, पर वैसे अमोल अभी बच्चा है तो कोई दिक्कत नहीं.." क्या बच्चा है..' अगले साल वो भी अठारह वर्ष का हो जाएगा। . " तो क्या हुआ मेरे लिए तो वो बच्चा ही है,, चाहे वो कितने साल का हो जाएं." । "अब में क्या कहूं ,,,जैसे तुम्हारी मर्जी मेरा काम था तुम्हे बताने का वो मेने कर दिया और इतना कहकर मेने उसे चाय बनाने को कहा,!
(" में आपको अपने पत्नी के परिवार के बारे में थोड़ी सी जानकारी दे देता हूं. मेरी पत्नी के परिवार में उसके मां पिता और दो भाई ओर दो बहनें हैं. मेरी पत्नी सबसे छोटी थी . उसकी बड़ी बहन और भाई की शादी हो चुकी थी और उनके दो दो बच्चे भी हैं। बड़ी बहन उसकी चंडीगढ़ में रहती है जबकि मां पिता ओर दोनों भाई गांव में रहते हैं,मेरी पत्नी के बड़े भाई का लड़का था अमोल और दूसरे भाई की अभी शादी नहीं हुई है। मेरी पत्नी अपने भाई के लड़के से बहुत लगाव था और होगा भी क्यों नहीं आखिर वो उसके भाई का लड़का था। बचपन में मेरी पत्नी ने ही उसे पाला था,उसी ने अमोल को नहलाया धुलाया था , क्योंकि परिवार बड़ा था तो उसकी भाभी को समय नहीं मिलता था इसलिए उसकी सारी जिम्मेदारी मेरी पत्नी ही निभाया करती थी, मेरी पत्नी उसे अपने बच्चे के समान मानती थी। अगर कहे तो मेरी पत्नी ने उसे अपनी कोख से बस जन्म नहीं दिया था बाकी सारे काम किए थे। वो उसे अपने बच्चे की तरह स्कूल के लिए तैयार करती ,अगर वो कभी बीमार हो जाता तो मेरी पत्नी सबसे ज्यादा दुखी हुआ करती थी और जब मेरी शादी हुई तो में यह सब देखकर अपनी पत्नी पर बड़ा गर्व महसूस किया करता था। )
अब आगे.........
दो दिन बाद अमोल आ गया, मेने उसे तीन साल पहले देखा था और उस समय ओर अबके समय में वह बहुत अंतर हो चुका था ... अब वह किसी जवान लड़के की तरह दिखाई देता था। मेरी पत्नी अपने भतीजे के आने पर बहुत खुश थी । मेने अमोल से कहा कि सफर कैसा रहा तो उसने कहा कि," मामाजी बहुत अच्छा ," फिर थोड़ी बहुत बाते हुई ओर में ऑफिस को निकल गया. देखते देखते एक हफ्ता बीत गया, मेरी पत्नी बोली कि इसका एडमिशन करना है ." में बोला ठीक है ओर फिर अगले दिन ही मेने एक निजी स्कूल में उसका एडमिशन करवा दिया। अब आगे कैसे हुआ क्या हुआ सीधे उस पर आते हैं।
एक दिन मेरी पत्नी ने फिर से वही वाला पारदर्शी मैक्सी पहना हुआ था,अमोल भी घर में ही था तो उसने भी अपनी बुआ को इस हालत में देखा होगा , में गुस्से कहा कि यह क्या है मेने तुम्हे कहा था कि ऐसे कपड़े मत पहना करो पर तुम सुनती नहीं हो," मेरी बात सुनकर मेरी पत्नी कही की आप क्यों इतना परेशान होते हैं... अमोल बच्चा है उसे क्या मालूम की यह क्या..... ," क्या मालूम मतलब अरे उसकी आंखे तो है ना वो तुम्हारे नग्न बदन को देखकर समझे गा नहीं ओर वैसे भी अमोल मेरे बच्चे के समान है तो अपने बच्चे से क्या मां को कोई दिक्कत हो सकती है." मेने उसकी बात को सुना और मुझे भी अपनी पत्नी पर पुर्ण विश्वास था हो गया कि वो गलत नहीं है बस मेरे ही दिमाग में ये गलत विचार उत्पन्न हो रहे हैं।
रात को खाना खाने के बाद मेने अमोल से कहा कि जाओ अपने रूम में सो जाओ सुबह जल्दी जाना स्कूल वो क्योंकि कल रिपब्लिक डे है। अमोल जी मामाजी कहकर सोने चला गया, उसके जाने के बाद मेने अपनी पत्नी सुधा से कहा कि जल्दी काम खत्म कर मेरा आज मूड बना हुआ है," " अच्छा जी आज कुछ ज्यादा ही रोमांटिक हो रहे हो .. चलो कोई नहीं में बस पांच मिनट में आती हूं तबतक आप अपने हाथियार को खड़ा करो और ऐसा कहकर वो किचन में चली गई। थोड़ी देर बाद आई और फिर हमने अपनी कामक्रीड़ा शुरू करदी हमेशा की तरह, सबसे पहले उसके कपड़े उतारे फिर उसके स्तनों को चूसना दबाना शुरू किया और जब वो गर्म हो जाती तो खुद ही कहती लंड डालने को ओर में भी लग जाता उसकी चुदाई करने। किंतु आज मुझे कुछ अलग सा लग रहा था क्योंकि आज मेरी पत्नी पहले जैसा साथ नहीं दे रही थी मेने जब उसे पूछा कि क्या दिक्कत है तो बोली ." नहीं तो ' ऐसा क्यों कह रहे!
,"में बस ऐसे ही क्योंकि आज तुम पहले जैसा साथ नहीं दे रही हो "! नहीं" ऐसा नहीं,साथ दे तो रही हूं ," यार पता नहीं मुझे आज ठीक नहीं लग रहा! ऐसा नहीं पर पता नहीं क्यूं आज तुम्हारे लंड में अब वो पहले जैसा कंकड़ पन नहीं है आज! " जबकि आज से पहले कभी भी मेरी पत्नी ने ऐसा नहीं कहा था पर पता नहीं आज क्यों कही , मेने भी उसे कहा कि क्या पता आज तुम्हारा मूड नहीं हो करने का पर अब रोज पत्नी यही कहा करती कि अब इसमें वो बात नहीं, में थोड़ा परेशान हो गया उसकी बात से ,मेने कहा कि जैसा पहले था लंड आज भी ऐसा ही है बल्कि अब तो पहले से भी थोड़ा बड़ा ओर मोटा हो गया है," " नहीं कुछ बड़ा मोटा नहीं हुआ राजवीर," पता नहीं मुझे क्यों मजा नहीं आ रहा. , में उसकी बात सुनकर ओर ज्यादा परेशान हो गया और इसी असमंजस में अब मेरा लंड ढंग से खड़ा भी नहीं हो पा रहा था । एक दिन सुबह ऑफिस जाते समय मेरी पत्नी कही की आते समय डाक्टर से जांच करवा कर आना ." में भी हां कहा ओर ऑफिस को निकल गया। शाम को जल्दी आया और एक जाने माने डॉक्टर से मिला, परंतु डाक्टर ने सब नॉर्मल बताया । घर पहुंच कर मेने पत्नी को बताया कि डाक्टर ने कोई दिक्कत नहीं बताई पर तभी पत्नी बोली कि आप कोई लंड को मोटा लंबा टाइट करने वाली दवाई ढूंढो क्योंकि मुझे मोटा लंबा टाइट लंड चाहिए आपका ओर यह कहते हुए मुंह फूला कर किचन में चली गई। में सोचने लगा कि मेरी पत्नी को क्या हो गया है आज से पहले तो कभी ऐसा नहीं बोली तभी मेरे मन में ख्याल आया कि कही मेरी पत्नी मेरे लंड से ऊब तो नहीं गई है?" कही उसे दूसरा लंड तो नहीं चाहिए? ऐसे सवाल मेरे मन में उठने लगे, "छी,छी, ये में क्या सोचने लगा मेने अपने अंतर मन को झंझोरा नहीं नहीं मेरी पत्नी ऐसा नहीं सोच सकती , पर में क्या करू क्योंकि अब ये समस्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही थी । मेने ऑनलाइन इस समस्या का समाधान ढूंढने की कोशिश करी तो उसमें एक उपाय बताया गया था कि अगर पत्नी को यह समस्या होने लग जाए तो किसी सेक्स टॉय ( नकली लंड ) का उपयोग किया जा सकता है. मेने ऑनलाइन नकली लंड के बारे में सर्च किया तो एक लंबी लिस्ट मेरे समाने खुल गई ओर में यह सब देखकर कनफ्यूज हो गया और दूसरा इन नकली लंड की कीमत बहुत अधिक थी और ऊपर से डिलेवरी सुरक्षा की भी कोई गारंटी नहीं थी तो ऐसे में इसका ऑर्डर करना फसने जैसा था तो मेने यह विचार अपने मन से निकाल दिया।
ऑफिस से आते हुए पत्नी का फोन आया और बोली कि सब्जी लेते आना। में आते समय सब्जी मंडी गया और वहां से दो चार सब्जियां खरीद ली और वापस लौटने लगा तो रास्ते में एक ठेली वाला दिखा जिसके पास गाजर,मूली, खीरा, लौकी, बैंगन,भिंडी,तोरई, गोभी, टमाटर इत्यादि अनेकों तरह की सब्जियां थी."मेने बाइक साइड में रोकी और उस ठेली वाले को रुकने को कहा ।
भाई लौकी कैसे दी..
साहब जी 40kg
टमाटर?
साहब 30,kg
बैंगन और खीरा?
साहब 30,kg
गाजर और मूली?
साहब 10,kg
यार बहुत महंगी सब्जी कर दी?
साहब हमने क्या की ये तो मंडी से रेट आता है।
नहीं फिर भी इतना महंगा थोड़ी न है।
साहब आप कही भी पूछ लीजिए यही रेट मिलेगा।
अच्छा ठीक है, तुम एक काम करो , गाजर खीरा मूली बैंगन और गोभी एक एक kg कर दो पर खीरा में खुद छाटूंगा!
जी साहब और फिर वो ठेली वाला एक एक बाकी सब्जियों को तोल कर पेक करने लगा। ओर में खीरा छांटने लगा , मेने एक दो मोटे लंबे खीरे रख दिए पर तभी ठेली वाला बोला....
" साहब बड़े खीरे मत रखो इनमें स्वाद नहीं होता है आप छोटे वाले रखो ये स्वादिष्ट होते हैं।
अरे तुम रहने दो मुझे मत बताओ कि कौन से स्वादिष्ट होते हैं और कौन से नहीं!
जैसे आपकी मर्जी साहब.
फिर मेने दो खीरे छांटे जो काफी मोटे लंबे थे और फिर ठेली वाले को उसका पैसा दिया और घर को निकल गया। पहुंचकर थोड़ी देर अमोल के साथ टाइम बिताया और फिर पत्नी खाना लेकर आ गई, साथ में तीनों ने खाना खाया और फिर किचन में जाकर एक खीरा लेकर अपने रूम में चल दिया। थोड़ी देर बाद पत्नी भी आ गई,मेने फटाफट से उसके कपड़े उतारे और फिर उसकी योनि में अपनी उंगली डाल ली, " अरे रुको इतनी क्या जल्दी हो रखी है आपको आराम से करो में कही भागी थोड़ी जा रही हूं, सुधा बोली।
मेने उसकी बात को इग्नोर किया और उसकी योनि को सहलाने लगा , मेरा ऐसा करने से पत्नी का भी पानी निकल आया तो मेने अपना लंड डाला और चुदाई शुरू कर दी, कुछ देर के बाद पत्नी बोली मजा नहीं आ रहा। "तो तभी मेरा ध्यान तकिए के नीचे रखे खीरे पर गया मेरे अंदर सेक्स की कामुकता बहुत बड़क गई यह सोचकर," आह,,, जानू मजा नहीं आ रहा,! मेरी पत्नी फिर से वही बात बोली जो उसने कुछ मिनट पहले बोली थी।
आगे चलकर क्या होगा यह आपको आगे के भाग में पता चलेगा । कमेंट लाइक कीजिए । धन्यवाद्।।।।
मेरा नाम राजवीर जुयाल है। में मूल रूप से उत्तराखंड देवभूमि से हूं। में अपने आप को बहुत भाग्यशाली मानता हूं जो मेरी शादी सुधा से हुई , में आपको क्या बताऊं मेरी पत्नी कितनी सुलझी हुई है। में ईश्वर का आभार व्यक्त करता हूं जो मुझे जीवन संगनी के रूप में सुधा जैसे सभ्य, संस्कार से अलंकृत पत्नी मिली। जिंदगी में कुछ रिश्ते ऊपर से जुड़े हुए होते हैं जिनमें गुण , व्यवहार, अपनापन, सच्ची निष्ठा, भोलापन , विश्वास, चरित्र वान ये सभी गुण मिलते हैं और मुझे यह सभी मिले थे। मुझे याद हे जब पहली बार में ओर मेरी पापा सुधा के गांव गए थे, एक ही नजर में मुझे ओर मेरे पापा को सुधा पसंद आ गई थी। मेरे ससुराल पक्ष से सास- ससुर एवं पत्नी के भाई भाभी एवं दीदी सभी संस्कारी एवं भोले भाले व्यक्तित्व के थे ,मुझे खुशी थी ऐसा सर्वगुण संपन्न परिवार मुझे मिला है। हमने चाय पी ओर फिर पापा से मेरे ससुर की बात हुई ओर शादी की तारीख तय हुई मुझे आज भी याद है कि उस दिन सोमवार था, 9 अगस्त वर्ष 2004 ओर समय सुबह के साढ़े ग्यारह बजे मुझे आज भी सब याद है। जब हमारी शादी हुई हम नए नए नवदंपति बने , एक दूजे के साथ सात फेरो के वचन लिए , एक दूसरे के प्रति वफादार होने की कसमें खाई। आज ऐसे समाज चाहे कुछ ओर कहे पर जब हम शादी शुदा जिंदगी में प्रवेश किया तो 10दिन तक हमने कुछ भी नहीं किया क्योंकि हमें पता ही नहीं था कि शादी क्यों करी जाती है, इसका क्या महत्व होता है बस हम दोनों इन सब कामों से अनजान थे। उम्र ही क्या थी उस समय में 20वर्ष का ओर पत्नी 19वर्ष,। मुझे बस इतना पता था कि यह मेरी पत्नी हे और यह मेरे साथ ही रहेगी। पर समय ने सब कुछ सिखा दिया और हमने अपनी शादी शुदा जिंदगी की नई शुरुवात की ।
मेरी पत्नी सुधा बहुत ही खुश मिजाज की महिला थी, वह बहुत सरल स्वभाव की ओर संस्कारी थी। उसे छल कपट से सख्त नफ़रत थी। मेरी पत्नी परिवार बनाने वाली महिलाओं में से थी नहीं तो आजकल की महिलाओं को आप देखोगे तो वो किस तरह का चाल चलन रखती है पर मेरी पत्नी इसके विपरीत थी , उसे बस अपने काम परिवार से मतलब रहता था, न उसे ज्यादा घूमना अच्छा लगता,न यारी दोस्ती बस अपने तक सीमित थी ऐसा कह सकते हैं। मेरी पत्नी ने शादी के बाद सारे घर को संभाल लिया था वो मेरे पापा मां का ख्याल रखती, जो पापा मां खाना खाने की इच्छा जाहिर करते पत्नी तुरंत उस पूरा करती , सुबह से घर के सारे काम में लगी रहती पर कभी भी उसने मेरे से शिकायत नहीं की , मेरी बहन जो उससे एक साल छोटी थी पर मेरी पत्नी उसका ऐसा ध्यान रखती जैसे एक मां अपने बच्चों का , जैसे जैसे समय बीतता गया मेरी पत्नी सबकी पसंदिता बन गई थी। सारे घर में सुबह से लेकर रात तक बस एक हो आवाज सुनाई देती है पर वो थी , सुधा,!
मेने उसकी उम्र का ध्यान रखते हुए बच्चा पैदा करने की कोशिश नहीं करी ओर न कभी उसने पहल की, हम दोनों में प्यार बहुत था में उसे अपनी जान से ज्यादा उसका खयाल रखता था। पर वो कहते है जो किस्मत में होगा वो होगा । न मेरे मन में कभी अपनी पत्नी के लिए गलत भावनाएं जाग्रत हुई। पर एक समय आया जब में मेरा मन भी प्रवर्तित हुआ। आगे चलकर आपको सब कुछ मालूम हो जाएगा।
यह किस्सा 2023का है। मेरी शादी 2019में ही हुई थी और उस समय मेरी आयु 20 वर्ष थी और मेरी पत्नी की 19 वर्ष, पर जब यह घटना हुई तो उस समय मेरी आयु 24 वर्ष, ओर मेरी पत्नी की 23 वर्ष, थी। मैं उन दिनों कानपुर में रहता था वहां में एक मल्टीनेशनल कंपनी में सेल्स मैनेजर की पोस्ट में कार्यरत था। मेरा काम के प्रति वफादार रहना मेरे बॉस को अच्छा लगता था और इसी कारण उन्होंने मेरा प्रमोशन करने के लिए कंपनी के ऑनर से बात की। एक दिन कंपनी की तरफ से एक शानदार पार्टी का आयोजन किया गया,में अपनी पत्नी के साथ उस पार्टी में शामिल हुआ पर मेने नोटिस किया कि सारे लोग मेरी पत्नी को ही ताड़े जा रहे थे जो मुझे अच्छा नहीं लगा मेने भी फटाफट सबसे हाय हेलो किया और सीधे घर आ गए क्या बात है? , में उसे बोला कि सारे तुम्हे घूर रहे थे जो मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लगा.." अरे तो क्या हुआ ,, सभी सुन्दर इंसान को देखते हैं इसमें इतना नाराज होने वाली क्या बात हुई..." मेरी पत्नी ने कहा। "में कुछ नहीं बोला और सीधे सोने चला गया. परंतु मेरी नींद उड़ गई थी में बार बार यही सोचता रहा कि लोगों की सोच कितनी गंदी है जो दूसरों की पत्नी को गलत नज़र से देखा करते हैं।
सुबह अपने समय पर आंख खुल गई, में भी रोज की तरह घूमने निकल गया । आधे घंटे बाद वापस आया फिर थोड़ा योगा किया और फिर नहाने चला गया, वापस आकर नाश्ता किया और फिर बाइक की चाभी ली और ड्यूटी को निकल गया, ऑफिस में सभी साथियों ने मुझे रात वाली बात पर कोसना शुरू कर दिया और बोले कि राजवीर तुमने कल रात को पार्टी को बर्बाद के दिया था, एक बोला यार हम भाभी जी को घूर रहे थे तो क्या कुछ गलत किया, तुम मानो न मानो पर तुम्हारी पत्नी बहुत सुंदर है और सुंदर को सुंदर ही तो कहेंगे इसमें क्या गलत है। में चुपचाप उन सभी की बातों को सुनता रहा पर कुछ कहने की हिम्मत नहीं कर पाया और फिर मेरे मन में सवाल उठा की आखिर इन सभी की क्या गलती है क्योंकि इंसान सुंदर होगा उसे सुंदर ही कहा जाता है। शाम को घर आया तो मेने अपनी पत्नी को देखा वो एक पारदर्शी मैक्सी में किचन में काम कर रही थी। उसके कपड़े इतने पारदर्शी थे कि मुझे उसकी ब्रा पेंटी साफ साफ दिखाई दे रही थी और साथ में उसका हरेक अंग भी ,मेने पत्नी को कहा कि ये सब क्या है।
"जी समझी नहीं आप क्या कह रहे हैं, खेर मेने उसे बताया तो उसमें कहा कि "यहां हम दोनों ही तो है। मेने उसे कहा कि वो तो में जानता हूं पर अगर कोई आ जाए ओर वैसे भी अब तुम्हारे भाई का लड़का अमोल यहां आ रहा है तो क्या तब भी तुम ऐसे कपड़े पहना करोगी उसके सामने! ..." अरे नहीं ,,, पर वैसे अमोल अभी बच्चा है तो कोई दिक्कत नहीं.." क्या बच्चा है..' अगले साल वो भी अठारह वर्ष का हो जाएगा। . " तो क्या हुआ मेरे लिए तो वो बच्चा ही है,, चाहे वो कितने साल का हो जाएं." । "अब में क्या कहूं ,,,जैसे तुम्हारी मर्जी मेरा काम था तुम्हे बताने का वो मेने कर दिया और इतना कहकर मेने उसे चाय बनाने को कहा,!
(" में आपको अपने पत्नी के परिवार के बारे में थोड़ी सी जानकारी दे देता हूं. मेरी पत्नी के परिवार में उसके मां पिता और दो भाई ओर दो बहनें हैं. मेरी पत्नी सबसे छोटी थी . उसकी बड़ी बहन और भाई की शादी हो चुकी थी और उनके दो दो बच्चे भी हैं। बड़ी बहन उसकी चंडीगढ़ में रहती है जबकि मां पिता ओर दोनों भाई गांव में रहते हैं,मेरी पत्नी के बड़े भाई का लड़का था अमोल और दूसरे भाई की अभी शादी नहीं हुई है। मेरी पत्नी अपने भाई के लड़के से बहुत लगाव था और होगा भी क्यों नहीं आखिर वो उसके भाई का लड़का था। बचपन में मेरी पत्नी ने ही उसे पाला था,उसी ने अमोल को नहलाया धुलाया था , क्योंकि परिवार बड़ा था तो उसकी भाभी को समय नहीं मिलता था इसलिए उसकी सारी जिम्मेदारी मेरी पत्नी ही निभाया करती थी, मेरी पत्नी उसे अपने बच्चे के समान मानती थी। अगर कहे तो मेरी पत्नी ने उसे अपनी कोख से बस जन्म नहीं दिया था बाकी सारे काम किए थे। वो उसे अपने बच्चे की तरह स्कूल के लिए तैयार करती ,अगर वो कभी बीमार हो जाता तो मेरी पत्नी सबसे ज्यादा दुखी हुआ करती थी और जब मेरी शादी हुई तो में यह सब देखकर अपनी पत्नी पर बड़ा गर्व महसूस किया करता था। )
अब आगे.........
दो दिन बाद अमोल आ गया, मेने उसे तीन साल पहले देखा था और उस समय ओर अबके समय में वह बहुत अंतर हो चुका था ... अब वह किसी जवान लड़के की तरह दिखाई देता था। मेरी पत्नी अपने भतीजे के आने पर बहुत खुश थी । मेने अमोल से कहा कि सफर कैसा रहा तो उसने कहा कि," मामाजी बहुत अच्छा ," फिर थोड़ी बहुत बाते हुई ओर में ऑफिस को निकल गया. देखते देखते एक हफ्ता बीत गया, मेरी पत्नी बोली कि इसका एडमिशन करना है ." में बोला ठीक है ओर फिर अगले दिन ही मेने एक निजी स्कूल में उसका एडमिशन करवा दिया। अब आगे कैसे हुआ क्या हुआ सीधे उस पर आते हैं।
एक दिन मेरी पत्नी ने फिर से वही वाला पारदर्शी मैक्सी पहना हुआ था,अमोल भी घर में ही था तो उसने भी अपनी बुआ को इस हालत में देखा होगा , में गुस्से कहा कि यह क्या है मेने तुम्हे कहा था कि ऐसे कपड़े मत पहना करो पर तुम सुनती नहीं हो," मेरी बात सुनकर मेरी पत्नी कही की आप क्यों इतना परेशान होते हैं... अमोल बच्चा है उसे क्या मालूम की यह क्या..... ," क्या मालूम मतलब अरे उसकी आंखे तो है ना वो तुम्हारे नग्न बदन को देखकर समझे गा नहीं ओर वैसे भी अमोल मेरे बच्चे के समान है तो अपने बच्चे से क्या मां को कोई दिक्कत हो सकती है." मेने उसकी बात को सुना और मुझे भी अपनी पत्नी पर पुर्ण विश्वास था हो गया कि वो गलत नहीं है बस मेरे ही दिमाग में ये गलत विचार उत्पन्न हो रहे हैं।
रात को खाना खाने के बाद मेने अमोल से कहा कि जाओ अपने रूम में सो जाओ सुबह जल्दी जाना स्कूल वो क्योंकि कल रिपब्लिक डे है। अमोल जी मामाजी कहकर सोने चला गया, उसके जाने के बाद मेने अपनी पत्नी सुधा से कहा कि जल्दी काम खत्म कर मेरा आज मूड बना हुआ है," " अच्छा जी आज कुछ ज्यादा ही रोमांटिक हो रहे हो .. चलो कोई नहीं में बस पांच मिनट में आती हूं तबतक आप अपने हाथियार को खड़ा करो और ऐसा कहकर वो किचन में चली गई। थोड़ी देर बाद आई और फिर हमने अपनी कामक्रीड़ा शुरू करदी हमेशा की तरह, सबसे पहले उसके कपड़े उतारे फिर उसके स्तनों को चूसना दबाना शुरू किया और जब वो गर्म हो जाती तो खुद ही कहती लंड डालने को ओर में भी लग जाता उसकी चुदाई करने। किंतु आज मुझे कुछ अलग सा लग रहा था क्योंकि आज मेरी पत्नी पहले जैसा साथ नहीं दे रही थी मेने जब उसे पूछा कि क्या दिक्कत है तो बोली ." नहीं तो ' ऐसा क्यों कह रहे!
,"में बस ऐसे ही क्योंकि आज तुम पहले जैसा साथ नहीं दे रही हो "! नहीं" ऐसा नहीं,साथ दे तो रही हूं ," यार पता नहीं मुझे आज ठीक नहीं लग रहा! ऐसा नहीं पर पता नहीं क्यूं आज तुम्हारे लंड में अब वो पहले जैसा कंकड़ पन नहीं है आज! " जबकि आज से पहले कभी भी मेरी पत्नी ने ऐसा नहीं कहा था पर पता नहीं आज क्यों कही , मेने भी उसे कहा कि क्या पता आज तुम्हारा मूड नहीं हो करने का पर अब रोज पत्नी यही कहा करती कि अब इसमें वो बात नहीं, में थोड़ा परेशान हो गया उसकी बात से ,मेने कहा कि जैसा पहले था लंड आज भी ऐसा ही है बल्कि अब तो पहले से भी थोड़ा बड़ा ओर मोटा हो गया है," " नहीं कुछ बड़ा मोटा नहीं हुआ राजवीर," पता नहीं मुझे क्यों मजा नहीं आ रहा. , में उसकी बात सुनकर ओर ज्यादा परेशान हो गया और इसी असमंजस में अब मेरा लंड ढंग से खड़ा भी नहीं हो पा रहा था । एक दिन सुबह ऑफिस जाते समय मेरी पत्नी कही की आते समय डाक्टर से जांच करवा कर आना ." में भी हां कहा ओर ऑफिस को निकल गया। शाम को जल्दी आया और एक जाने माने डॉक्टर से मिला, परंतु डाक्टर ने सब नॉर्मल बताया । घर पहुंच कर मेने पत्नी को बताया कि डाक्टर ने कोई दिक्कत नहीं बताई पर तभी पत्नी बोली कि आप कोई लंड को मोटा लंबा टाइट करने वाली दवाई ढूंढो क्योंकि मुझे मोटा लंबा टाइट लंड चाहिए आपका ओर यह कहते हुए मुंह फूला कर किचन में चली गई। में सोचने लगा कि मेरी पत्नी को क्या हो गया है आज से पहले तो कभी ऐसा नहीं बोली तभी मेरे मन में ख्याल आया कि कही मेरी पत्नी मेरे लंड से ऊब तो नहीं गई है?" कही उसे दूसरा लंड तो नहीं चाहिए? ऐसे सवाल मेरे मन में उठने लगे, "छी,छी, ये में क्या सोचने लगा मेने अपने अंतर मन को झंझोरा नहीं नहीं मेरी पत्नी ऐसा नहीं सोच सकती , पर में क्या करू क्योंकि अब ये समस्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही थी । मेने ऑनलाइन इस समस्या का समाधान ढूंढने की कोशिश करी तो उसमें एक उपाय बताया गया था कि अगर पत्नी को यह समस्या होने लग जाए तो किसी सेक्स टॉय ( नकली लंड ) का उपयोग किया जा सकता है. मेने ऑनलाइन नकली लंड के बारे में सर्च किया तो एक लंबी लिस्ट मेरे समाने खुल गई ओर में यह सब देखकर कनफ्यूज हो गया और दूसरा इन नकली लंड की कीमत बहुत अधिक थी और ऊपर से डिलेवरी सुरक्षा की भी कोई गारंटी नहीं थी तो ऐसे में इसका ऑर्डर करना फसने जैसा था तो मेने यह विचार अपने मन से निकाल दिया।
ऑफिस से आते हुए पत्नी का फोन आया और बोली कि सब्जी लेते आना। में आते समय सब्जी मंडी गया और वहां से दो चार सब्जियां खरीद ली और वापस लौटने लगा तो रास्ते में एक ठेली वाला दिखा जिसके पास गाजर,मूली, खीरा, लौकी, बैंगन,भिंडी,तोरई, गोभी, टमाटर इत्यादि अनेकों तरह की सब्जियां थी."मेने बाइक साइड में रोकी और उस ठेली वाले को रुकने को कहा ।
भाई लौकी कैसे दी..
साहब जी 40kg
टमाटर?
साहब 30,kg
बैंगन और खीरा?
साहब 30,kg
गाजर और मूली?
साहब 10,kg
यार बहुत महंगी सब्जी कर दी?
साहब हमने क्या की ये तो मंडी से रेट आता है।
नहीं फिर भी इतना महंगा थोड़ी न है।
साहब आप कही भी पूछ लीजिए यही रेट मिलेगा।
अच्छा ठीक है, तुम एक काम करो , गाजर खीरा मूली बैंगन और गोभी एक एक kg कर दो पर खीरा में खुद छाटूंगा!
जी साहब और फिर वो ठेली वाला एक एक बाकी सब्जियों को तोल कर पेक करने लगा। ओर में खीरा छांटने लगा , मेने एक दो मोटे लंबे खीरे रख दिए पर तभी ठेली वाला बोला....
" साहब बड़े खीरे मत रखो इनमें स्वाद नहीं होता है आप छोटे वाले रखो ये स्वादिष्ट होते हैं।
अरे तुम रहने दो मुझे मत बताओ कि कौन से स्वादिष्ट होते हैं और कौन से नहीं!
जैसे आपकी मर्जी साहब.
फिर मेने दो खीरे छांटे जो काफी मोटे लंबे थे और फिर ठेली वाले को उसका पैसा दिया और घर को निकल गया। पहुंचकर थोड़ी देर अमोल के साथ टाइम बिताया और फिर पत्नी खाना लेकर आ गई, साथ में तीनों ने खाना खाया और फिर किचन में जाकर एक खीरा लेकर अपने रूम में चल दिया। थोड़ी देर बाद पत्नी भी आ गई,मेने फटाफट से उसके कपड़े उतारे और फिर उसकी योनि में अपनी उंगली डाल ली, " अरे रुको इतनी क्या जल्दी हो रखी है आपको आराम से करो में कही भागी थोड़ी जा रही हूं, सुधा बोली।
मेने उसकी बात को इग्नोर किया और उसकी योनि को सहलाने लगा , मेरा ऐसा करने से पत्नी का भी पानी निकल आया तो मेने अपना लंड डाला और चुदाई शुरू कर दी, कुछ देर के बाद पत्नी बोली मजा नहीं आ रहा। "तो तभी मेरा ध्यान तकिए के नीचे रखे खीरे पर गया मेरे अंदर सेक्स की कामुकता बहुत बड़क गई यह सोचकर," आह,,, जानू मजा नहीं आ रहा,! मेरी पत्नी फिर से वही बात बोली जो उसने कुछ मिनट पहले बोली थी।
आगे चलकर क्या होगा यह आपको आगे के भाग में पता चलेगा । कमेंट लाइक कीजिए । धन्यवाद्।।।।