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ये कहानी मेरी नहीं है और इसका क्रेडिट मुझे नहीं जाता मगर मेंने इस कहानी को थोड़ा सा अलग किया और अपनी तरफ से इसमें एडिटिंग की है अगर कहानी अच्छी लगे तो कमेंट जरुर करना और बताना के आपको कहानी कैसी लगी
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Superbपाठ १
हिंदोस्तान का एक बादशाह बड़ा प्रतापी और ऐश्वर्यवान था। उसके तीन बेटे थे। बड़े का नाम हुसैन, मँझले का अली और छोटे का अहमद था। बादशाह का एक भाई जब मरा तो उसने उसकी पुत्री को अपने महल में रख कर उसका पालन-पोषण किया। उसने उसकी शिक्षा-दीक्षा के लिए कई गुणवान और विद्वान नियुक्त किए। वह बचपन में अपने चचेरे भाइयों के साथ खेल कूद कर बड़ी हुई थी। पहले बादशाह का विचार था कि अपनी भतीजी का विवाह किसी अन्य शहजादे से करे। लेकिन उसे मालूम हुआ कि तीनों शहजादे अपनी चचेरी बहन पर मुग्ध हैं, उनमें से हर एक की इच्छा है कि उसका विवाह शहजादी के साथ हो जाए।
बादशाह को बड़ी चिंता हुई कि इस समस्या का समाधान कैसे किया जाए। यह तो स्पष्ट ही हो गया था कि अगर उसका विवाह किसी बाहरी राजकुमार से किया जाएगा तो उसके तीनों ही पुत्र दुखी होंगे। संभव है कि शहजादी के हमेशा निगाहों से दूर होने के कारण उनमें से कोई आत्महत्या कर ले। यह भी संभव है कि उनमें से कोई क्रोध के वशीभूत हो कर अपने पिता ही से विद्रोह कर बैठे। अगर उनमें से किसी एक के साथ शहजादी का विवाह किया जाता है तो बाकी दो दुखी होंगे और सोचेंगे कि हमारे साथ अन्याय किया गया है। इस निराशा की स्थिति में भी वे न जाने क्या करें। बादशाह अजीब उलझन में पड़ा था। उसकी समझ में इस जटिल समस्या का कोई समाधान नहीं आ रहा था।
बादशाह कई दिनों तक इस पर विचार करता रहा कि तीनों पुत्रों में से वह अपनी भतीजी नूरुन्निहार के लिए किसी का चुनाव किस आधार पर करे। फिर एक दिन उसने तीनों को अपने पास बुलाया और कहा, बेटो, तुम तीनों ही नूरुन्निहार के साथ विवाह करना चाहते हो। नूरुन्निहार सभी से ब्याही नहीं जा सकती, किसी एक ही से ब्याही जाएगी। मेरी नजर में तुम तीनों बराबर हो। मैं किसी एक को नूरुन्निहार के लायक समझ कर बाकी दो के दिलों में यह विचार पैदा नहीं करना चाहता कि मैं उन्हें घटिया समझता हूँ।
इसलिए मैंने एक तरकीब सोची है। यह तो स्पष्ट ही है कि तुममें से दो को नूरुन्निहार से हाथ धोना है और इस कारण इन दो को दुख भी होगा। किंतु उन्हें यह महसूस नहीं होगा कि उनके साथ अन्याय किया गया है। इसलिए तुम तीनों के आपसी प्रेम-भाव में कोई कमी नहीं आएगी और कोई एक किसी दूसरे को हानि पहुँचाने की स्थिति में नहीं रहेगा। मैंने यह उपाय सोचा है कि तुम तीनों अलग-अलग देशों की यात्रा करो और मेरे लिए सुंदर और दुर्लभ वस्तुएँ लाओ। एक शहजादे का एक भेंट लाना ही यथेष्ट है। जिस शहजादे की भेंट मेरी निगाह में सबसे विचित्र होगी उसी के साथ शहजादी नूरुन्निहार का विवाह होगा। इस प्रकार इस विवाह का फैसला मेरे हाथ नहीं बल्कि तुम लोगों के भाग्य और पुरुषार्थ के हाथ होगा। तुम लोगों को अपनी यात्राओं के लिए पर्याप्त और बराबर मात्रा में धन मिलेगा। मुझे आशा है कि तुम तीनों ही इस परीक्षा के लिए तैयार हो जाओगे और इसका जो भी फल होगा उसकी तुम्हें कोई और किसी से शिकायत नहीं रहेगी। तीनों राजकुमारों ने पिता का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया।