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Adultery मेरे बचपन का प्यार रूबी

LOV mis

अलग हूं, पर गलत नहीं..!!👈🏻
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विक्रम मल्होत्रा (विक्की)


images-1
मुकुल चौधरी (रूबी)


4lll
रितु

यहां दिए गए पिक से आप स्टोरी के कैरेक्टर को इमेजिन कर सकते हो
 
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पूर्णतया काल्पनिक है और केवल मनोरंजन के लिए लिखी गयी है।
 
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malikarman

Well-Known Member
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Aaj sunata hu ek Masoom ki dastan Jo tha abtak mohabbat se anjaan New school me gaya tha padhne Apni zindagi me kuchh achchha karne Par ...
Story mein pics bhi add kijiye
Aur ladki ke point of view se story zyada achhi lagti hai
 

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Story mein pics bhi add kijiye
Aur ladki ke point of view se story zyada achhi lagti hai
Thank bro
कोसिस रहेगी pic ऐड करने की
 
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Update No.1

मेरा नाम विक्रम मल्होत्रा है और ये कहानी है 2018 की जब मेरी उम्र 37 साल की थी I लेकिन इस कहानी की शरुआत हो चुकी थी 1985 में जब मैंने चार साल की आयु में हिमाचल प्रदेश के छोटे से शहर धर्मपुर में नर्सरी कक्षा में दाखिला लिया था।



मेरे साथ ही दाखिला लिया था एक सुन्दर गोरी चिट्टी लड़की ने। हम दोनों में पहले दिन ही दोस्ती हो गयी। हम इक्क्ठे बैठते थे, इक्क्ठे खेलते थे।

छोटा शहर होने के कारण लगभग सब एक दूसरे को जानते थे। हमारी दोस्ती के कारण हमारे परिवार भी एक दूसरे से मिलने लगे।

वक़्त गुज़रता गया, हम भी बड़े होते गए। हमारी दोस्ती भी परवान चढ़ती गयी। हमारी नादान दोस्ती कुछ ऐसी थी की वो मेरी लुल्ली पकड़ कर मुझे चिढ़ाती,”ये क्या लटका रक्खा है “। और मैं उसके आगे चूत हाथ लगा कर कहता ,”तो तेरा कहां गया ” ?

“धीरे धीरे हमें समझ आती गयी और हमारी हरकतें भी बदलती गयी। हमारी दोस्ती बचपन के प्यार में बदलने लगी”।

उसका नाम था मुकुल – मुकुल चौधरी। बेहद हंसमुख, हमेशा फूल की तरह खिली रहने वाली I अत्यधिक गोरी होने के कारण और गालों पर गुलाबी रंगत के कारण उसको सब रूबी कह कर बुलाते थे। मेरा नाम विक्रम है लेकिन मुझे सब विक्की बुलाते थे।

मेरी ननिहाल शिमला में थी, और हम परिवार के साथ शिमला बहुत जाया करते थे। एक बार तो रूबी भी हमारे साथ गयी थी। मेरी मां को रूबी बड़ी अच्छी लगती थी। जितने दिन हम शिमला रहे, रूबी मेरी मां के साथ ही चिपकी रहती थी – उसके साथ ही सोती थी।
आठवीं कक्षा तक पहुंचते पहुंचते हममे थोड़ा अलग तरह का प्यार पनपने लगा। अब हम ये भी बातें करने लगे की बड़े हो कर हम आपस में ही शादी करेंगे। एक दुसरे को चूमते थे। मैं उसकी छोटी छोटी चूचियों को हल्का हल्का दबाता था। रूबी मेरा लंड, जो अब लुल्ली से लंड बन रहा था, हाथ में पकड़ कर आगे पीछे करती थी।

एक बार वो जब मेरा लंड निक्कर के ऊपर से पकड़ कर ऐसे आगे पीछे कर रही थी तो मेरा पानी ही निकल गया। मेरे मुंह से एक सिसकारी ही निकल गयी, “आआआह….. रूबी “। मैंने उसका हाथ अपने लंड से हटा दिया। उसने पूछा, “क्या हुआ विक्की ” ? मैंने कहा कुछ नहीं। उसे शायद इतनी समझ नहीं थी की मैं झड़ गया हूं, या हो भी तो मुझे पता नहीं ।

13 -14 साल की उम्र में लड़के मुट्ठ मारने लग जाते हैं, मैं भी मारता था – रूबी का नाम ले कर – रूबी..रूबी..रूबी..रूबी। रूबी का खूबसूरत चेहरा अपने आखों के सामने ला कर, और झड़ता भी उसी का नाम लेकर……आ….आह….ररररूबीईईइ।
वक़्त गुज़रता गया, गुज़रता क्या उड़ता गया। बाहरवीं पास करने के बाद हम सोलन कालेज में चले गए। धर्मपुर से रोज़ गाडी या बस से सोलन आते जाते थे।
रूबी बड़ी ही सुन्दर निकल रही थी। पांच फुट आठ इंच लम्बी और बेहद सुन्दर। अब तो उसके शरीर का विकास भी होने लगा। जिस्म भरने लगा था। चूचियां उभर रहीं थी। चूतड़ भारी ही रहे थे। हल्का फैशन भी करती थी। कॉलेज के लड़के उसके बड़े दीवाने थे।
अब उसकी चूचियां दबाने में बड़ा मजा आता था – मुझे भी और उसे भी। वो भी मेरा लंड पैंट से बाहर निकल कर पकड़ कर हिलती थी, मगर अब मैं झड़ता नहीं था। जब कभी कभी सलवार में हाथ डाल कर उसकी नरम नाजुक चूत पर हाथ फेरता था और रूबी की सिसकारियां निकल जाती थीं। वो मुझे कस के पकड़ लेती थी। एकदम चिकनी चूत – एक बाल नहीं था चूत पर I

चूमा चाटी सब हो रहा था, बस एक चुदाई ही नहीं हुई थी – मौक़ा भी नहीं मिला और डर भी लगता था।
हम एक दूसरे से मजाक भी बहुत करते थे। अब हमने आपस में शादी की बात खुल कर करनी शुरू कर दी । यहां तक की हनीमून शिमला में मनाने का फैसला भी कर लिया। रूबी जानती थी की शिमला मुझे बहुत पसंद है। मैं हर साल या साल में दो बार भी शिमला जाता था।

1999 में सोलन कॉलेज की एक साल की पढ़ाई के बाद मुझे सोलन छोड़ना पड़ा। मेरा बैंगलोर में एक इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन हो गया था। जब मैं जाने लगा तो रूबी बड़ा रोई थी। रोना तो मुझे भी आ रहा था, मगर कोइ चारा नहीं था।
 
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