If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.
आज मेरा ग्रैजुएशन पूरा हो गया।आज लग रहा था जैसे पापा के ऊपर का एक बोझ मैंने हल्का किया और नोकरी मिल जाएगी तो दूसरा भी हल्का कर दूंगा।फिर पापा आराम करेंगे और मैं माँ पापा की सेवा।
डिग्री का प्रोग्राम खत्म हुआ।मैं घर पे जाने के लिए यूनिवर्सिटी से निकला।और अब्दुल चाचा के घर के सामने आके रुक गया।अब्दुल चाचा मेरे घर के साइड में रहते थे मेरे पापा के साथ काम करते थे।मेरे घर के बाहर भीड़ थी।एक पल लगा सब मुझे बधाई देने के लिए इक्कठा हुए होंगे।मेरे ओंठो पे सुलझी सी मुस्कान आ गयी
मुझे देख अब्दुल चाचा मेरे पास आये और मेरे कंधे पे आके मेरे सर पे हाथ घुमाया"बेटा देखो जो होना है होकर रहेगा,अब तुम बड़े हो समझदार हो गए हो,अभी सब तुम्हारे जिम्मे है"
मैं उनके इस पहेली को सुलझा पाता उसके पहले ही माँ की चीख और रोना दोनो मेरे कानो में पड़ा,मेरे पैर मा की ओर दौड़ पड़े।सामने के नजारे ने मेरे होश उड़ा दिए।मेरे हाथ पाव में से सारी ताकद चली गयी अइसा महसूस हुआ।
मैं नीचे गिरने ही वाला था उसके पहले हिना चाची ने मुझे सहारा दिया और अपने कंधे पर सिर दबा के धीमे धीमे रोते हुए मुझे सांत्वना दे रही थी।जी हाँ हिना चाची अब्दुल चाचा की औरत,उनकी बीवी।
पापा के सारे विधि पार करके हम घर आये,मा थोड़ा सदमे में थी।
मैं बैठा था।तभी अब्दुल चाचा और हिना चाची आ गयी।
चाची अंदर मा के पास गयी और चाचा मेरे साइड बैठ गए।
मैं : "चाचा ये सब अचानक कैसे??
चाचा:" ओ फैक्टरी में थोड़ा काम का जोर था।पगार दुगना मिलने वाली थी।तो सब लोग जूट गए।पर मशनरी उसका जोर नही सहन कर पाई।और ज्यादा वर्क से मशनरी में करंट पास हुआ और हमारी बाद किस्मती की वह पर शिवराम काम कर रहा था।उसके साथ और दो लोगो की जान गयी।"
इस बात पर मुझे रोना आ गया।
चाचा मुझे संभालते हुए:"देख बेटा अलाह के मर्जी के खिलाप कुछ नही होता,अभी तुम एकलौते हो तो मा का खयाल रखना।
इधर हिना चाची भी मा को वही बात समझा रही थी।
एक महीना इसी चलबिचल में चला गया।मा थोड़ी सदमे से बाहर थी।रोज का काम कर रही थी।मैं भी अपना यूनिवसिर्टी का काम खत्म कर रहा था।जिससे जल्द से जल्द नोकरी ढूंढ सकू।
हिना चाची रोज आके मा को काम में मदत करती थी।मैं भी घर में रहता तो उनको हेल्प कर देता था।पापा के जाने के बाद मा बीमार होने लगी।कभी कभी तीन चार दिन तो कभी दो हप्ते पलँग पकड़ लेती थी।तब हिना चाची सब काम और माँ के मामले में मदत कर देती थी।अब्दुल चाचा और हिना चाची का बहुत सहारा था हमे।
मैं रोज हिना चाची को खाना बनाने में मदत कर देता था,जिस की वजह से मैं भी कुछ सिख लू।हिना चाची का बहोत से वक्त हमारे यहाँ ही बित जाता था,तो अब्दुल चाचा हमारे यह ही खाना खा लेते थे।
अभी मैं और हिना चाची काफी तरह से एक दूसरे के साथ खुल गए थे।मैं लड़की औरतो के मामले में शर्मिला नही था पर मैं ज्यादा उनसे बात भी नही करता था।
हुआ यू की एक दिन कम्प्यूटर पे कुछ काम करते हुए मेरा एक एडल्ट साइट के एडवरटाइजिंग के लिंक पर क्लिक हुआ।और उसके बाद जो दिखा उससे मेरे पेंट में लन्ड खड़ा हो गया।
मैंने करीब करीब उस साइट के बारह से तेरह वीडियो देख लिए।स्कूल कॉलेज में स्कोलर विद्यार्थियों में गिना जाता था तो ये भी झट से सिख गया।बस जब लन्ड खड़ा हो जाए तो पेंट में सेट कैसे किया जाता है ओ नही सिख पाया।
पर लन्ड को सेट करने का प्रयास जरूर किया पर तभी मुझे हिना चाची ने बुलाया।
मेरी तो हवाइयां उड़ गयी।मैं दिल थमा के किचन के पास पहुंच गया।और अंदर झुक के देखा तो चाची की पीठ मेरे बाजू थी।मैं अंदर गया
"जी चाची बुलाया"
"हा संजू ओ डिब्बा निकाल न,मेरा हाथ नही जा रहा है"
मेरे मन में डर सा तो पहले ही था,उसी जल्द बाजी में मैं कुछ न सोचे चाची के पीछे खड़ा होके शरीर तान के डिब्बा निकलने लगा।उसी चक्कर में मेरे लन्ड का घिसाव चाची के गांड के हुआ।चाची सलवार कमीज पहनती थी।तो उनके उभरे गांड पर उसका घिसाव उनके दिल तक महसूस हुआ
"आह सी ईई"
चाची सिसक गयी।चाची की सिसक से मुझे पसीना आने लगा।मैंने झट से सॉरी बोला और डिब्बा उनके हाथ में दे दिया।
चाची ने मुझे बाहर इंतजार करने बोला।मैं मा के साथ बेड के साइड में बैठ गया।चाचा भी आ चुके थे।फिर चाची सब खाना लेके बाहर आ गयी।
सब लोग खाना खाने लगे।चाची गुस्सा नही हुई इस विचार से मैं थोड़ा चैन की साँस लिया।
पर मुझ जैसे मासूम को क्या मालूम था की मेरे लन्ड देव की इस हरकत से हिना चाची की काम भावनाये (sex feelings) भड़क गयी थी।
मा बेड पे मैं और चाचा चाची डाइनिंग टेबल पर खाना खा रहे थे।चाचा दाये बाजू में तो हिना चाची मेरे सामने बैठी थी।
डाइनिंग टेबल छोटा था।
खाना खाते वक्त मेरा ध्यान जब भी ऊपर जाता हिना चाची की अजीब नजरे मुझे घूर रही ही इसका मुझे अहसास हो रहा था।मुझे ये आभास लगा पहले पहले पर बाद में मुझे उसकी तस्सली हो गयी की हिना चाची सच में मुझे घूर रही थी पर उनके आंखों में न प्यार था न गुस्सा।उनकी अजीब आंखे मुझे वह अनकंफर्टेबल करवा रही थी।
हद तो तब हो गयी जब उन्होंने बातें छेड़ दी
हिना चाची:क्यों सविता संजू की शादी कब करवा रही हो।
उम्र हो गयी है,निपटा दो,तुम्हे भी सहारा मिल जावेगा।
अब्दुल चाचा:जी भाभी,हम लोग तो है ही पर इसकी उम्र की हिसाब से शादी करवा दो,उतना की बदलाव आ जाएगा वातावरण में।
मा ने भी हस्ते हुए हामी भर दी।
पर तभी मेरे पैरो को किसी तरह का स्पर्श महसूस हुआ उस टच से शरीर में रोमांच सा फैल गया।मैने नीचे झुक कर देखा तो ओ चाची के पैर थे।पर मुझे लगा की मेरी ही गलती है तो मैंने अपने पैर पीछे करवा लिए।पर थोड़ी देर जाने के बाद चाची का पैर फिरसे मेरे पैर से छूने लगा।ओ अपने अंगूठे को घुमा रही थी।मैं थोड़ा हैरान था,मुझे भी मजा आ रहा था तो मैंने भी इनकार नही किया।
खाना खत्म होने के बाद हिना चाची बर्तन धोने गयी।
मा बेड पे सो गयीं,और चाचा हमेशा की तरह फैक्टरी चले गए।
सुबह से जो हो रहा था उस घटनाओ से मैं पूरा हिल चुका था।उस सदमे से बाहर आने की कोशिश ही कर रहा था तभी चाची ने मुझे पुकारा,आवाज तो रोज जैसी लग रही थी तो मैं भी हर बार की तरह ही उनको मदद करने उनके पास चला गया।
इसबार भी उनका पिछवाड़ा मेरे बाजू में ही था।पर क्यों न जाने उनकी उस उभरी गांड से मेरे शरीर में अलग सी फीलिंग आने लगी।मेरे मन में पहले जो उनके बारे में रेस्पेक्ट थी ओ वैसी ही थी पर भावनाये बदल रही थी।
चाची करीब 40 की उम्र पर थी।थोड़ी भारी भक्कम थी।
मेरे खयाल से 36'36'38 का फिगर होगा उनका,रंग थोड़ा सावला था पर उनका लुक अच्छा था,उनकी स्माइल किसी भी नौजवान को आधा पागल कर सकती थी।
मैं:जी चाची बुलाया।
हिना चाची:अरे ये ओढ़नी सही कर दो प्लीज,बार बार सामने गिर रही है ,बर्तन धोने में परेशानी हो रही है।
मैं मासूमियत से ठीक करने गया पर उनके दिल में शरारत थी अइसा मुझे तब मालूम गिरा।उन्होंने कमीज की बटन खोल रखे थे ,और उनके कमीज के गले की गोलाई आगे से बहुत नीचे की थी और उसमे सारे बटन्स खुले हुए थे तो,मैं थोड़ा हड़बड़ा गया।पहले उभरी हुई गांड और अभी आधे नंगे चुचे देख मेरा लन्ड भी हरकत में आ रहा था।
मेरे लन्ड की हरकत को महसूस तो चाची ने कर ही लिया पर साथ ही साथ मेरी हड़बड़ाहट को निकालने के लिए उन्होंने हस्ते हुए बोला।
"अरे मैं कर लेती पर साबुन से खराब हो जाएगा,तुम बिनधास्त कर लो ,मैं तुम्हारी ही हु....."
मैं :अ...क्या?
मेरे अइसे अचानक से चौकने पर ओ बोली
चाची:"अरे पगले मैं तुम्हारी चाची तो हु,तुमने क्या सोचा?"
और उन्होंने आंख मार के हस दिया।
मैं तो सुबह से ही सदमे में था ,पर सदमे में गिरानी वाली घटनाये बार बार हो रही थी,उसमे ये आंख मारना और उसपे हसना भी सबसे बड़ी बात थी।
मैं ओढ़नी ठीक ठाक कर के वहां से निकल गया।
पर उस दिन के बाद चाची सिर्फ सलवार कमीज में घूमने लगी घर में ,ओढ़नी ओ निकाल के रखती थी।और उसमे भी वही गहरा गले वाला कमीज और बटन्स खुले हुए।मैन एक दो बार बोला पर उन्होंने "गर्म होता है बीटा,और तू तो घर का ही आदमी है "बोल के बात वही दबा दी।
पर एकदिन जो हुआ ओ मेरे पूरे जिंदगी में घटे भयानक घटना कहो या आश्चर्यजनक कहो,पर उस घटना से मैं पूरा हिल गया।
रात के 10 बजे की बात थी।मैं कम्प्यूटर पे कुछ काम कर रहा था।जॉब नही था तो work from home करता था तो वही चालू था।
तभी मेरे मोबाइल में नोटिफिकेशन की घंटी बजी।
मुझे लगा ग्रुप में कुछ मस्ती चल रही होगी व्हाट्सअप पे।
पर दो तीन बार घंटी बजने पर मुझे मोबाइल को ओपन करना पड़ा।
किसी नए नंबर से मुझे मैसेज थे।
नोटिफिकेशन में "कैसी लग रही हु बताना।"ये 4 था मेसेज शो हो रहा था।
प्राथमिक अनुमान से ये तो मालूम हुआ की ये किसी औरत का नंबर है और उसके 4 मेसेज आ गए है।
मैंने मेसेज को ओपन किया तो पहले hii फिर दो फोटो और फिर"कैसी लग रही हु बताना" लिखा था।मेरे में अइसी चीजो में सहनशीलता(पैशन्स)बहोत कम है तो मैन झट से उसको ओपन किया।
फोटो को देख मैं सहर सा गया।मेरा लन्ड में हलचल आने लगी।ओ फोटो में ब्रा और नीचे सलवार अइसी आगे पीछे की फ़ोटो थी।चुचे ब्रा में समा नही रहे थे।शरीर से ओ थोड़ा उम्र ज्यादा होगी अइसी लग रही थी।
पहले तो मैंने सोचा की ये गलती से भेजा रहेगा या किसी दोस्त ने मजाक किया होगा।
पर ओ दोस्त कौन है ओ जानने के लिए मैंने ओ नंबर truecaller पे सर्च किया।
"अब्दुल जफर खान"
ये तो हद हो गयी।अभी सोचने वाली बात ही नही थी,क्योकि सरल साफ था की वो हिना चाची है।
पर मुझे उस समय क्या रियेक्ट करू यह सुझा नही इसलिए मैंने मेसेज रीड करके मोबाइल और कम्प्यूटर बंद कर सोने चला गया।नींद तो आने वाली थी नही दिनभर और ये अभी के घटना से पर मैंने सोने की पूरी कोशिश की।
ohooo bhai aa gya..I miss you bro...ye kahani puri jarur kar dena..Yaha Response Accha Milega Tumhe..Viewers readers Bahot Creative hai yaha pe..lets have fun dude
ohooo bhai aa gya..I miss you bro...ye kahani puri jarur kar dena..Yaha Response Accha Milega Tumhe..Viewers readers Bahot Creative hai yaha pe..lets have fun dude
Sorry Bhai,Family Problem Ki vajah Se Thoda Busy Tha.MAine Bhi Miss Kiya Tujhe Bas Mujhe Ye malum nhi pada ki Mrsexy Webee Team Se Mrsexywebee Individual kyo hue.baki sab kaha hai?xossip ke bad aj mile ho.
Sorry Bhai,Family Problem Ki vajah Se Thoda Busy Tha.MAine Bhi Miss Kiya Tujhe Bas Mujhe Ye malum nhi pada ki Mrsexy Webee Team Se Mrsexywebee Individual kyo hue.baki sab kaha hai?xossip ke bad aj mile ho.
Vo badi lambi kahani hai..Sab Log Abhi Apna Blog Khud Kar rahe hai..tere jane ke bad Apne city chale gaye.fir kya individual chalana pad raha hai.Mujhe malum hai tum yek fadu writer Ho..Aasha Hai mja ayega abhi
दूसरे दिन सुबह मैं कम्प्यूटर पे अपना रात का अधूरा काम पूरा कर रहा था जो हिना चाची के मेसेज की वजह से कर न पाया था।करीब 10 बजे हिना चाची अपने घर के काम निपटा के हमारे यहाँ आ गयी।घर का दरवाजा खुल्ला ही रहता है तो वो अंदर आई।और दरवाजे के पास से ही घूरते हुए अंदर चली गई।मैं उस बात पर ध्यान न देते हुए अपना काम में ही जुटा था।क्योकि आज दोपहर तक सबमिशन था।12 बजे सबमिशन करके मैंने सुकून की सास ली और सब बंद कर मा के पास गया।मा सोई थी।तो मैं घर में इधर उधर टहलने लगा।जब भी मैं किचन की दरवाजे के आगे से गुजरता चाची की आंखे मेरे तरफ रुख लगाए दिख जाती थी।आज चाची के दिल का मौहोल कुछ अजीब लग रहा था। मैं इसी सोच विचार में इधर उधर घूमता रहा।मुझे प्यास लगी तो मैं अंदर गया।उस वक्त मा का खाना लेकर चाची बाहर आ रही थी।मैं साइड से अंदर गया।मैं जब पानी पी रहा था।तो पीछे से दरवाजा बंद होने का आभास हुआ।मुझे लगा हवा की वजह से हुआ होगा।क्योकि कई बार अइसे हो जाता था।पर उसके दूसरे ही क्षण में जब मैं पीछे घूम गया तो पानी का ग्लास गिरते गिरते रह गया था।सामने वही रात वाले फोटो का नजारा।वही भरे चुचे गोल मटोल कमर, गहरी नाभि।
वो काम देवी मेरे पास आ रही थी।उसने मेरे हाथ से ग्लास बाजू में रखा और मेरा हाथ अपने हाथ में लेके अपने कमर पर रखा।मेरे तो रोंगटे और लन्ड दोनो खड़े होने लगे।
क्या मुलायम सी त्वचा(स्किन) थी।मजा बहुत आ रहा था,पर मुझे अजीब भी लग रहा था।
हिना चाची से कुछ मैं कहता पूछता उससे पहले ही उन्होंने बोला"क्यो संजू कैसी लग रही हु,कल तुमने जवाब नही दिया तो मुझे लगा फोटो में सही से नही दिख रही हूँगी।अभी बता।"
मैं:चाची ओ रात को काम कर रहा था रिप्लाई दे न पाया,आप दिख तो कयामत रही हो,पर ये...."
मेरी बात को तोड़ते हुए ओ घूम गई,मेरे हाथ का कमर पे घेराव वैसे ही था,पर अभी तकलीफ ये थे की उनकी बड़ी गांड मेरे लन्ड पे थी।और मेरा लन्ड उनके स्पर्श से सातवे आसमान पे था।थोड़ी देर का अवकाश उन्होंने अपनी गांड दबाना चालू किया मेरे लन्ड पे,मेरा लन्ड भी उनकी गांड की छेद में सटने लगा।उस हरकतों से दोनो के मुह से भी सिसकारियां निकल रही थी।चाची पूरी हवस में भर गयी थी।उसने मेरे हाथो को हाथ में लेके ऊपर अपने चुचो तक लिया और नीचे से दबाया और खुद ही चाटने लगी,ब्रा के ऊपर से।
हमारी काम लीला आगे बढ़ने वाली थी तभी बाहर से मा ने आवाज दी।चाची के मुह पे गुस्सा चढ़ गया।मुझे दिख गया पर उन्होंने हस के गुस्से को छुपा लिया,हवस में अइसी हरकते होती है इसलिए मैने भी कुछ कहा नही।
हिना चाची ने कपड़े पहने और बाहर गयी।मैं भी कहना लेके वही बैठ गया।मेरा खाना खत्म होते होते हिना चाची आई।
मैं बेसिंग में प्लेट रख के उनको स्माइल दी और बाहर आया।ओ भी नखरे वाली स्माइल देते हुए मुझे ताड़ती रही।
उसके बाद मैं दिनभर अपने काम में बिजी रहा।
रात को हिना चाची आयी पर अब्दुल चाचा नही थे।
माँ:हिनाबेन अब्दुल भाई नही आये।
चाची:नही ओ उनकी कोई मीटिंग है ओ रातभर वही रुकेंगे,खाना भेज दिया है।
चाची ने मुझे खाने के लिए पूछा तो मैंने उनको जहा मैं बैठा था वही लाके देने की गुजारिश की।उन्होंने लाके दिया।
चाची और माँ खाना खाते हुए हस रही थी।बीच में चुप हो जाती।मैंने उसपे उतना ध्यान ना दिया।
जब खाना खाके मैं किचन में जा रहा था की मा का खाना हो गया था और ओ सो भी चुकी थी।मैं थोड़ा अजरच में पड़ गया।मुझे लगा मैंने ही खाना बहुत लेट किया खाने में काम के चक्कर में और मा दवाई लेके सो गयी।मैं बेसिंग के पास गया तो सारा बर्तन साफ था।मैंने अपना प्लेट साफ किया।
अभी मेरी नजरे हिना चाची को ढूंढने लगी।और घुमके पीछे देखा तो वही कामदेवी का नजारा।पर इसबार वो सिर्फ पेंटी में थी।
मैं कुछ कहु इससे पहले ओ मेरे पास आयी और नीचे बैठ के मेरी शॉर्ट को खींचा और लन्ड को मुह में लेके चूसने लगी।मुझे कुछ देर तो कुछ समझ में ही नही आया की आखिर कर हुआ क्या यह पे,मुझे लगा मैं सपने में हु,क्योकि रात होने से सब लाइट बन्द थी।पड़ोसी भी सो गए थे।मुझे एकबार लगा की मुझे ये आभास हो रहा है।पर जब चुसम चुसाई से मेरा लन्ड तन गया और उसपे कोमल ओंठ घूम रहे है ये महसूस हुआ तब मुझे हकीकत का मालूम हुआ।
मेरे मुहसे सिर्फ सिसकिया बाहर आ रही थी।चाची लन्ड को मुह में लेके चूसे जा रही थी।कुछ ही देर की बात थी की मेरे लन्ड ने अपना धैर्य छोड़ दिया।मेरा पूरा माल चाची के मुह में छूट गया।चाची ने उसे भी बड़े मजे से गटक लिया और लन्ड पे जो बचा था ओ भी चाट लिया।
चाची उठ के खड़ी हो गयी।मैं भी अभी पूरे जोश में था।
मैंने उनको अपनी ओर खींच लिया
"चाची जान,आज कुछ ज्यादा ही मेहरबान हो"
"क्या करू संजू मेरी जान चुत की तडप और क्या?!?"
माँ तो सो चुकी थी,अब्दुल चाचा के आने की कोई आशंका न थी।अंधेरा बहुत छा गया था,और दो जवान जिस्म गरम हो चुके थे।मेरे हाथ हिना चाची के चुचो को मसल रहे थे,बीच बीच में उनके रसीले ओंठो का रसपान भी हो रहा था,उनके निप्पल्स एकदम कठोर बन गए थे,लगता है बहोत दिन से चुदाई नही हुई थी,पर अब्दुल चाचा तो बहोत टाइम घर पे रहते थे जब मैं कॉलेज जाता था तभी,फिर भी चाची की चुत की भूख इतनी कैसे?
पर कुछ भी हो अपने लन्ड के तो मजे थे।चाची लन्ड को सहला रही थी,लन्ड को फिर से खड़ा करवा रही थी।
उनकी गरम और कोमल हाथ से मेरा लन्ड ज्यादा देर राह न पाया और उठ खड़ा हुआ।जैसे ही उसने सलामी दी।इधर चाची के चेहरे के नक्से बदल गए।अजीब सी खुशी थी उसकी आंखों में।लब्जो की थरथराहट में अलग सी भूख थी।
ओ मुड़ी और थोड़ी थूक चुत पे और थोड़ी लन्ड पे डाल झुक गयी।अभी मेरी बारी थी।मैंने लन्ड को पीछे से छेद में सेट किया और अंदर घुसा दिया.
"हाय दैया"
चाची के मुह से सिसक निकल गयी।
मैंने थोड़ा समय लेते हुए फिर से खुद को आगे पीछे करना चालू किया।
अभी चुदाई का खेल रंगीन हो रहा था।पूरी रात अलग अलग आसनों में चुदाई लीला रची गयी।चाची ने तो चुदाई में मास्टर किया है अइसा महसूस हो रहा था।
रात भर चुदाई के बाद भी सुबह नींद जल्दी खुली।मैं किचन में ही था,नंगा।ऊपर देखा तो 7 बज रहे थे।मैं उठा,बाथरूम अंदर था तो फ्रेश होकर नहा के बाहर आया।मा अभी सो रही थी।
मैंने रोज की तरह अपने काम में ध्यान बटा दिया।
हिना चाची सुबह ही नाश्ता बना के कहि बाहर गयी थी।मैन खुद भी खाया,मा को भी दिया,चाचा सुबह आये तो ओ भी बैठ गए क्योकि चाची भी घर पर नही थी।
चाचा रात भर जगे थे तो ओ जाके सो गए।मा भी गोली लेके सो गयी।और मैं काम में लग गया।
अभी जब भी चाचा का कोई काम निकलता तो हिना चाची का और मेरा रात का सुहागरात का कार्यक्रम हो जाता था।
कभी कभी दिन में चाची के घर में भी हम चुदाई का खेल खेल लेते थे।
अइसे ही दिन निकल रहे थे,मा की तबियत भी सुधर रही थी।पर आजकल हिना चाची मुझे हर बात के लिए बाहर लेके जा रही थी।कभी बाजार में सब्जी लेने,कभी शॉपिंग करने,मायके गयी तो भी मुझे लेके जाती थी।पहले तो लगा की मेरे पास बाइक है इसलिए अइसा करती होगी।
पर एक दिन जब हम शॉपिंग गए तो मुझे मेरे वर्क फ्रॉम होम के आफिस से कॉल आया की एक मेल किया है उसका रिप्लाई दे देना।पर चाची शॉपिंगऔर बारगिनिंग में व्यस्त थी।मैंने उनको पुकारा की मैं जा रहा हु।उन्होंने कुछ बोला नही बस "हुन्न"किया।और शॉपकीपर के साथ झगड़ा चालू रखा।
मुझे कुछ अंदाजा नही था की मेल महत्वपूर्ण है और क्या है मैं चिंता में बाइक चालू की।ट्रैफिक थोड़ा ज्यादा था तो चॉल के पिछले रास्ते वाले रॉड पर से गाड़ी निकली क्योकि हैम आखरी में रहते थे और मैं गाड़ी भी मेरे घर के पीछे वाले सुनसान गली में करता था पार्क ।
जैसे ही मैंने गाड़ी पार्क की मुझे किचन की खिड़की से कुछ आवाजे सुनाई दी।क्योकि पार्किंग करता था वह पे किचन की पिछली खिड़की आती थी।
मैंने देखा खिड़की थोड़ी खुली है।दोपहर थी और पिछली साइड में नाला भी था तो मैं खिड़की बन्द करने गया।
पर अंदर तो कुछ अलग ही चल रहा था।मुझे मेरे आंखों पर भरोसा न हुआ।
मेरी मा और अब्दुल चाचा नंगे एकदूसरे पर है।मतलब दोनो में चुदाई हो रही थी।मा चाचा का लन्ड हिला रही थी।
मा:"कितनी जल्दी झड़ जाते हो ,ये 3 बार है"
अब्दुल:"क्या करू रानी ,तू है ही गर्म माल"
मा:"इसलिए हिना बेन मेरे पति से चूदवाती थी,तुम 1 घण्टे में 3 बार झड़ गए"
अब्दुल:अरे ओ रंडिया का बोल ही मत,साली रात भर चुद लेगी तो भी जल्दी नही झड़ती।पहले तेरे पति से अभी बेटे से।
मा:'"नही तो क्या,कितनी चुदास है उसमे,रोज रात को चुदने आ जाती है,लोगो ने संदेय किया तो"
अब्दुल:"मुझे उसे चोदे करीब साल हो गया,और जब से तेरी चुत मिली है अब उसमे मन न रहा"
मा:"तो आजाओ ना सैया ये रानी और उसकी चुत तुम्हारी ही है,"
अब्दुल चाचा खड़ा लन्ड मा के चुत पर लगा के धक्का देने लगते है।उनका ये ठुकम ठुकाई का प्रोग्राम करिब 10 मिनट चलता है।
अब्दुल:"पर सविता ये छुपन छुपाई वाला खेल कब तक,हम निगाह क्यो नही कर लेते।"
मा:"संजू का क्या करे,हमारा जैसे तय हुआ था संजू के पापा और हिना बेन का और आपका और मेरा निगाह,पर ये जो अचानक हुआ ,उससे अभी संजू हिना से शादी करेगा क्या?"
अब्दुल:"मुश्किल तो है क्योकि जवान लड़का है चुदाई तक तो ठीक है पर शादी के लिए उसके कुछ और अरमान हो सकते है।देखते है हिना कितना उसे अपने कंट्रोल में करती है।
तभी चाचा का फोन बजा।
अब्दुल:"बोल हिना क्या हुआ?"
थोड़ी देर की बातचीत के बाद अब्दुल चाचा ने झट से कॉल रखा।
"सविता जल्दी तैयार हो जाओ।संजू आधे घंटे पहले वह से निकल गया"
"हाय दैया हिना ये बात अभी बता रही है"
"अरे नही उसे उसने कुछ नही बताया और निकल गुण,तुम रेडी हो जाओ,हमे अइसे देखा तो सब बिगड़ जाएगा।"
दोनो रेडी होकर सेफ पोजीशन में आ गये।पर मैं यह पर सारा मसला समझ गया।उस दिन की हसी पिछले कई महीनों का हिना चाची का लाडप्यार।मैं थोड़ा टाइम बाहर रुक अंदर जाके काम में लग गया।
अइसे ही और 1 2 महीना निकल गया।इस महीनों में चाची शादी वादी की बातें छेड़ने लगी।अभी घर में मा के होते चाची मेरे लन्ड के साथ छेड़खानी,किसिंग वैगर करने लगी।लगता है इन बुढऊ लोगो की सहन शक्ति खत्म हो रही है।
एक दिन तो हद हो गयी।अंदर मा चाचा चाची बात कर रहे थे मैं बाहर काम कर रहा था।थोड़ी अवकाश के बाद हिना चाची बाहर गयी।और मैं पानी पीने अंदर गया।और देखा तो क्या ।अब्दुल चाचा और मा चुदाई कर रहे थे।घर में जवान बेटा है इसकी भी ध्यान न था इनको।मुझे देख दोनो के पसीने छूटने लगे।तभी पीछे से भागती हिना चाची आयी। ओ तीनो कुछ बोले उससे पहले में बाहर आया बाइक की चाबी ली और गुस्से जैसा दिखा के वहां से निकल गया।
मेरे घर जाने के बाद मा तो रोने लग गयी थी।अब्दुल और हिना चाची के हवाइयां उड़ी थी।
हिना चाची मा को शांत करा रही थी और अब्दुल चाचा को भी चिल्ला रही थी
हिना चाची: "अबे भड़वे तेरे लन्ड को क्या ज्यादा गर्मी आई है क्या चुतये,घर में संजू है ये पता नही था तुझे"
अब्दुल:"अरे मुझे बरदाश्त नही हुआ और वो कभी इतना जल्दी नही आता अंदर,कुछ होगा तो पुकारता है,पर आज..."
हिना चाची:"अबे रंडी छिनाल के पैदाइश तेरा लन्ड 5 मिंनट से ज्यादा खड़ा नही होता,तेरे लन्ड के चक्कर में अभी मेरी गांड और चुत दोनो उदास हो गयी।तेरे चक्कर में मेरे चुत के मजे भी तूने ले लिए भड़वे"
अब्दुल चाचा चुपचाप हिना चाची की सुनाई पट्टी सुन रहे थे।और इधर मा का गले का स्वर भी बढ़ गया।रोने की आवाज से परेशान और पहले ही गुस्से में रही हिना चाची
मा के ऊपर भी खिसकी
"अरि रंडी तू क्यो अपनी गांड हलग में ला रही है,कोई सुनेगा तो,चुप कर"
मा:"पर हिना बेन संजू क्या सोचेगा मेरे बारे में,हमारा रिश्ता न टूट जाए"
हिना:"अरि रंडिया चुत मरवाने से पहले नही सुझा ये,अभी गांड फाड़ रोने से क्या होगा,तेरी चुत के लिए ये भड़वा है,तू मेरी सोच तुम्हारी वजह से पूरा बनाया खेल बिगड़ गया।"
मा:"पर अभी क्या होगा?संजू को कैसे मनाए,मेरी तो हिम्मत नही हो रही उसके सामने जाने की।"
हिना:"जो होगा मंजूर ये संजू होगा,उसका गुस्सा कोई नही सह सकता,पर मुझे कुछ तो करना पड़ेगा,मेरे चुत के भविष्य का सवाल है।"
[Image: 0264.gif]
देर रात करीब 9 से 9:30 बजे मैं घर में आया।चाचा चाची और मा हॉल में जहा मैं काम करता हु वहां बैठे उसी बात पे चर्चा कर रहे थे।ओ लोग सब नॉर्मल दिखाने की कोशिश में थे।पर मेरे चेहरे के हाव भाव देख उनका ओ धैर्य चूर चूर हो गया।ओ समजे की अभी सब हाथ से बाहर गया है।
मुझे उनके रिश्ते से कोई आपत्ति नही होती पर उनका बिना मेरे अनुमति के आइसा बर्ताव करना मेरे ईगो को लग गया था।एक आदमी मेरी मा को मेरे किसी अनुमति के सिवा मेरे घर में मेरे सामने चोद रहा है।ओ बात मुझे हजम नही हो रही थी।
मैं सीधा अंदर किचन में गया और बेसिंग में मुह धो रहा था।मेरा गुस्सा थोड़ा ज्यादा होता है,जिसमे पूरा सर गर्म ,मुह लाल हो जाता है,मेरा कोई कंट्रोल नही रहता,तब भी मैं बहोत कंट्रोल कर रखा था।
मैं जैसे ही अंदर गया हिना चाची भी अंदर आई ,और पीछे से आके मुझसे लिपट गयी।मैंने उनको आहिस्ते पीछे कर दिया।
"चाची मैं अभी कोई भी बात करने के मूड में नही हु,तुम बाहर जाओ"
हिना चाची मुझे ठंडा देख समझ फिरसे मेरे से लिपट कर
बोली:"क्या हुआ मेरे सैया जी को,इतना गुस्से में कहे लाल होए जा रहे है"
मैं:"चाची अइसी भोली न बनो जैसे तुम्हे कुछ मालूम नही,तुम्हे भी मालूम है की दोपहर को क्या हुआ था,तुम थी(मेरा आवाज थोड़ा चढ़ ग़ुस्सेदार हो गया था)
हिना चाची प्यार वाले गुस्से में:"तो क्या हुआ,तुम भी तो मेरी लेते हो,उनकी भी इच्छा हुई उन्होंने भी कर लिया,इसमे क्या गलत हुआ।"
उनके उस करतूत का मुझपर कारण थोपते सुन मैं थोड़ा बोखला गया।मैने गुस्से में जोर से झटका दिया और बोला
"तो ठीक है मुझे नही चाहिए तुम,तुम्हारी चुत के बिना मेरा लन्ड भूखा न मरेगा।तू आयी थी चुदने,जा कोई और ढूंढ ले,थोड़ा प्यार क्या कर बैठे जनाब दुनिया सर पे मूतने लग गयी।"
मेरा बोखलाए हुए रूप को देख हिना चाची डर गयी।ओ रोते हुए बाहर चली गयी।
मुझे मेरे बात पे कोई अफसोस ना था,ये बात सही थी की मैं भी चाचा को धोखा दिया था,और मा भी मर्जी से ही चाचा से चुदती थी,पर मैंने चाचा के मौजूदगी में चाची के साथ अइसी करतुते नही की थी।पिछली बार चाचा और मा को खिड़की से देखा था ये करतुते करते हुए।समझ कर उनकी भावनाये हम चुप बैठ गए,पर अब तो हमारी मौजूदगी की कोई इज्जत ही नही रही हमारे घर में।
[Image: 0302.gif]
बाहर हिना चाची मा के यहां बैठ रोने लगी।अब्दुल चाचा भी परेशान होने लगे।हिना को भी रोते देख माँ का शरीर डर से सुन्न पड़ गया।
हिना चाची दोनो को रोते रोते कोस रही थी।
"तुम लोगो की रंडियाबाजी के वजह से क्या कांड कर बैठे हो तुमको अंदाजा है।खुद की लगा ही ली साथ में मेरी भी लगा दी।"
मैं अंदर खाना खा रहा था।वो लोग खाना खा चुके थे।मैं खाना खत्म कर बाहर देखा तो चाचा चाची घर जा चुके थे।
मा चुप चाप बेड पे पड़ी थी।सोई थी या जग रही थी उसका अंदाजा नही था क्योकि पीठ थी मेरे सामने।मैं जाके हॉल के बेड पर सो गया जहा पर रोज सोता था,चाची के साथ चुदाई की राते बिताने से पहले।
करीब रात 11.30 बजे मेरी नींद खुली ।मेरा लन्ड तन गया था।हस्तमैथुन मुझे पसंद नही था,चाची थी नही।फिर भी कोई दूसरा जरिया नही था इसलिए मैं हस्थमैथुन करने बाथरूम की ओर निकला।पर रास्ते में मेरी नजर स्ट्रीट लाइट्स की प्रकाश की किरणों में झलकारी मारते मेरे मा के यौवन पर गयी।पहले मैंने खुद को बहोत समझाया।
"नही संजू,मा है,तुम्हारी सगी मा,ये गलत होगा,रिश्ते पे कलंक मत लगा"
पर मेरी दिमाग की निगेटिव साइड मुझे ओ करने पर मजबूर कर रही थी।
"अरे संजू तू सही सोच रहा है,तू सही है पर तू जिसके बारे में इतना सही सोच रहा है उसने बेशर्मी की हद कबकी पार कर चुकी है,बाहर का पुरुष आकर आनंद ले सकता है तो इस मामले ने तू घर का आदमी है तेरा हक ज्यादा है,और अभी तुझे जरूरत भी है,जा तू जा"
खड़े हवसी लन्ड के प्रभाव से मैंने अपने नेगेटिव माइंड की सुनी।
मैंने अपने सारे कपड़े उतारे,पूरा नंगा लन्ड को हाथ में सहलाते हुए ,मा के बेड के पास गया।बेड थोड़ा दीवार को लगके था और दो लोग सो सके इतना बड़ा भी था।मा को हिलाया और पीछे लन्ड हाथ में लेके खड़ा हो गया।मा जैसे ही घूमी उसके सामने 5 इंच का लण्ड तना हुआ था।
ओ :संजू ये क्या है मैं तुम्हारी मा...."इसके आगे कुछ बोल पाती मैंने उसके बाल पकड़ उसको खींचा और लन्ड को मुह में घुसा दिया।
पहले लन्ड को मुह में दबाना पड़ा पर बाद में ओ समझ गयी की अभी उसके विरोध का कुछ फायदा नही है उसने लन्ड को बिना किसी ना नकुर के चूसना चालू किया।
करीब आधा घंटा चूसने के बाद मैंने पूरा माल उसके मुह में छोड़ दिया।थोड़ा उसने निगल निया जोष में और बचा हुआ बाहर थूक दिया।
मा ने मुझे इस अवतार में देख दोपहर वाली बात को छेड़ दिया
"संजू दोपहर जो हुआ उसके लिए मैं बहुत शर्मिंदा हु,पर अभी बहुत समय निकल गया है।और हम शादी करने वाले है।
मैं:"वाह,ये भी तय कर दिया आपने,अभी आपने सोच ही लिया है तो मैं क्या बोलू,तुम खुश तो मैं खुश।तुम्हे कोई आपत्ति नही है तो मुझे कोई परेशानी नही है इस रिश्ते से"
मेरी उनके निकाह के लिए हा सुन मा खुश हुई पर फिरसे उनके मुह पे परेशानी छा गयी।
मैं:अब क्या हुआ?"
माँ:"पर शर्त के अनुसार हिना बेन की शादी तुम्हारे पापा से होने वाली थी,अभी ओ नही रहे तो क्या तुम...!?
मैं:क्या मैं??शादी ओ भी चाची से!
माँ:गुस्सा मत कर पर उनकी भी कुछ आशा होगी न?!?!
मैं:पर मा उनको चुदवा के सुख देना अलग बात है,पर शादी कैसे?!? उनकी उम्र मेरी उम्र!!मेरी भी कुछ आशाएं है।
मा:उसकी चिंता तुम मत करो,मेरी बात सुनो और सिर्फ ये हमारे तक ही रहने दो।
मैं:"क्या?"
मा:अब्दुल की कोई फैमिली नही है सिवाय उसके एक बहन के ।जो तलाक के बाद समाजसेवा में लगी है।पर हिना का परिवार बड़ा है शोहरत वाला है।उसके घर में माँ , विधवा बहन,बेटी की शादी हुई है पर ओ भी आती जाती रहती है,सुना है जिससे शादी करवाई ओ बुढऊ है,पर पैसेवाला है।और भी रिश्तेदार है।बड़े जगहों पर पहचान है उनकी।
अभी शादी कर ले ,थोड़ा अयशोराम कर ले,फिर किसी कुवारी से शादी कर लेना।अभी अपने पास कुछ नही है।उतना ही जीने का सहारा।
मैं:ठीक है,पैसे की अयशोराम की बात नही है,पर तुम्हारी सेहत और आराम के लिए ये फैसला सही लगता है।
मा ने खुशी में मेरे सर पर चूम दिया।पर मैं तो कड़े जोश में था।मैंने झट से उसको खींच के होठ चूसने लगा।और उसने विरोध भी नही किया।जैसे ही चुम्मा चुसाई खत्म हुई।मा ने एक स्माइल दी और सो गई।मैं भी अपनी जगह आकर सो गया।रात भर अगले दिन के बारे में योजना करते हुए मुझे नींद आ गयी।
सुबह के टाइम हिना चाची आई।माँ नाश्ता बना रही थी।मा ने मेरे कहने पे रात की कोई बात नही कहि।वो फिरसे मेरी नाराजगी सहन नही करना चाहती थी।वो इस कशमकश में थी की मेरी हा करने की बात हिना चाची को बताएगी या नही पर उसका चेहरा देख हिना चाची ने अनोखा ही अनुमान लगा दिया,उसे लगा की मैं अभी तक गुस्सा हु।इस सोच से ही उसका चेहरा उतर गया।सुबह के नमाज पे गए अब्दुल चाचा नाश्ता करने घर नही आये,या तो मुझसे बात करने,आंख मिलाने से झिझक रहे थे या झगड़ा न हो जाए इस डर से हिना चाची ने उनको आने से मना किया होगा। माँ ने हिना चाची को इशारों में मुझे नाश्ता देने बोला।
हिना चाची ना नकुर कर रही थी,पर माँ के दबाव से ओ मेरे पास आई,मेरे सामने नाश्ते की प्लेट रखी,हर बार की तरह सिर पर प्यार से हाथ घूमाने की कोशिश की पर मैं वहां से उठकर किताबो की अलमारी के यहा चला गया,जैसे उनको दिखाना चाहता था की मैं अभी व्यस्त हु।ओ वहां से रोते हुए अंदर चली गयी।पहले तो ये बात अजीब लग रही थी की एक 40 की उम्र पार एक नौजवान जो 22 23 उम्र का है उसके इस बर्ताव पर बार बार रो रही है,जब की वो खून की रिश्तेदारों में भी नही है।ये चुदास हवस में अइसी बाते नही होती क्योकि उनके पास और भी उपाय थे।अगर ये हवस चुदास नही तो क्या "प्यार",नही नही ये कैसे मुमकिन है।इस उम्र में ओ इन बातों की ओर नही प्रभावित हो सकती।पर इस बार भी मेरे पॉजिटिव और नेगेटिव दिमाग में महाभारत शुरू हुई।
इधर हिना चाची बेसिंग पे आकर रोने लगी।माँ उनके पीछे जाकर उन्हें सहलाने लगी।
माँ:क्या हुआ,कुछ बात हुई?
हिना:नही सविता ओ बात छोड़ो मेरे स्पर्श से भी दूर भाग रहा है।
मा:कुछ नही,अभी थोड़ा गुस्से में है,ये सब कभी उसके साथ हुआ नही,रिशतो को ओ साफ और अच्छी नियत से देखता है।
हिना:मेरी भी नियत ठीक ही है बस तरीका थोड़ा अजीब था।
मा थोड़ा हस्ते हुए:तू सच में प्यार व्यार तो नही करने लगी?
हिना:हा सविता,संजू मुझे 10 वी में था तबसे भा गया था दिल को ,उसका मुझसे लिपटना,मुझे अच्छा लगता था।मैं इसलिए तुम्हारे पति से शादी करना चाहती थी क्योकि संजू की मा ही सही पर उम्र भर उसके साथ रहू।
मा चौक कर हिना चाची की बाते सुन रही थी क्योकि उनकी बातों में 25 से 30 साल की जवान औरत के स्वर का अभ्यास हो रहा था।
हिना चाची बोल रही थी."उसका साथ मुझे मेरे पति से भी अच्छा लगता है।कई बार लगा उससे चुदाई करू बस यही डर था की वो गुस्सा न हो जाए।जब अइसे लगा अभी हम शादी कर सकते है तो मैं और खुश थी।पूरी खुशी में योजना के तहत सयम से कर रही थी।पर तुम लोगो ने सब बिगाड़ दिया।"
इस बात पर मा का भी चेहरा उतरा।ओ हिना चाची से बोली।
"तू चिंता मत कर सब सही होगा,मैं जानती हु मेरे बेटे को,जब गुस्सा कम होगा,समझदार की तरह सब बातों को सोचेगा तो खुद ही समझ जाएगा,और कुछ रहा बाकी तो मैं देख लुंगी"
हिना चाची:सच्ची,बहोत मेहरबानी होगी तुम्हारी,उससे तन्हाहिया बर्दाश्त नही होती मुझे।जो भी करना है जल्दी करना।
दोपहर का खाना हुआ फिर मैं सोया शाम को बाहर घूम कर आया।फिर टेलीविजन पर मूवी देखी।बाद में मा ने और मैंने खाना खाया।खाना खाते वक्त मा ने कोई सवाल जवाब नही किये।खाना खत्म कर मैं जाके फिरसे टेलिविज़न के सामने बैठा।पर टेलीविजन पर कुछ खास नही आ रहा था।मैं बोर हो रहा था।दोपहर सोया था तो नींद भी नही आ रही थी।
इधर रसोई का काम खत्म कर बाहर किचन की लाइट बन्द की।मुझे लगा अभी मा भी सो लेगी।और तभी खयाल आया की मेरे पास जो कलेक्शन है मेरे पसंदिता फिल्म्स का उनमे से एक फ़िल्म लगाई जाए।मैंने मेरे pendrive में जो थी वही लगाने की सोची।LED टेलीविजन था तो बड़ी स्क्रीन थी।पहले सब खिड़की दरवाजे चेक कर पडदे डाल दिए।और फ़िल्म चालू की।सिनेमाघर जैसा फील था बस आवाज कम थी जो घर के बाहर न जाए।पहले एक नॉर्मल सी फ़िल्म लगी जो फ्लॉप थी पर बचपन से मुझे पसंद थी।मैं मा पापा साथ में देखते थे।उस की आवाज से मा भी बाहर आयी।अभी हम दोनो साथ में देख रहे थे मेरे बेड पे बैठ कर।मैं सोया था और मा मेरे कमर के पास आकर बैठ गयी थी।दोनो एक दूसरे को देख मुस्करा कर मुव्ही एन्जॉय कर रहे थे,क्योकि पुरानी यादे जुड़ी थी उससे।
कुछ देर में ही ओ फ़िल्म खत्म हुई।दोनो को नींद भी नही आ रही थी।रात के करीब 12 बजे की बात थी।ये मूवी खत्म होने के बाद मैं बदलने जाता उससे पहले दूसरी मुव्ही अपने आप चालू हुई।मुझे वो थोड़ी नई लगी।टाइटल वैगरा अच्छा था।मुझे लगा जब दोस्त को इस्तेमाल करने दी थी तब उसने कुछ डाला रहेगा।
फ़िल्म का शीर्षक अभीतक नही आया था।पर फ़िल्म काफी सेक्सुअल थी,एक्टर्स हीरोइन के कपड़े पहनने के तरीके काफी ओपन थे।अभी घर में सेक्सुअल वाला मौहोल इतना परेशानी जनक नही था।तो दोनो काफी एन्जॉय कर रहे थे।करीब आधा घंटे हम बिना किसी हलचल मुव्ही देख रहे थे।मुझे इतना तो मालूम हो गया था की मुव्ही B ग्रेड है।
पर माँ के पास नजर घुमाई तो वो बड़े मजे ले रही थी।टीव्ही के लाइट से जो दिख रहा था उससे अंदाज आया की जैसे ही फ़िल्म बढ़ रही थी माँ भी गरम हो रही थी।
अभी मेरा भी लन्ड खड़े होने लगा।और उठा हुआ लन्ड का उभार माँ के पीठ को टच कर रहा था।पहले तो लगा माँ उठ के चली जाएगी पर उसने तो अलग ही किया ओ खुद को थोड़ा हिला कर लन्ड को और गर्म कर रही थी।लग रहा था माँ फ़िल्म में पूरी घुसी थी।मुव्ही में अभी कमर तक नंगे बदन दिखने चालू हुए थे।
आपको बता दु मेरी मा उम्र 40 के आगे 36'34'36'
रंग थोड़ा सावला 5'1की ऊंचाई।बड़ी चुदास भरी औरत
जैसे की आप जान चुके हो।
मेरा हाथ अभी माँ के चुचो के ऊपर गया मैंने आहिस्ता सीधे होकर पीछे से धीरे से हाथ घुसा कर ब्लाउज के बटन खुले कर दिए,पर तभी मेरे हाथ में दोनो गुब्बारे आ गए।लगता है मा रात को बिना ब्रा के सोती है।शायद अब्दुल चाचा के साथ चुदने की पूरी तैयारी रखती रहेगी।चुचो के ऊपर के निप्पल्स काफी कठोर बन चुके थे।मैं यह उनका वस्त्रहरण कर रहा था पर उनको उसका कोई आभास नही था।मैं चुचे मसल रहा था।निपल्स से खेल रहा था।मुझे मजा बहुत आ रहा था।पर मेरा लन्ड शॉर्ट में अकड़ने से दुख रहा था।मैंने शॉर्ट निकाल दी ,अभी मैं बनियान और अंडरवियर में था।थोड़ी अंडरवियर नीचे खिसका के मैं एक हाथ से चुचे मसल रहा था और एक हाथ से लन्ड हिला रहा था।दोनो ओ रास भरी मुव्ही देख रहे थे।फर्क इतना था मा मन ही मनमें मजे ले रही थी और मैं असलियत में।यहाँ मूवी खत्म हुई वैसे माँ को होश आया।एकबार के लिए सोच हट जाऊ वहाँ से पर लन्ड इतनी तूफानी हालत में था की मैं खुद को रोक न पाया।होश में आते ही माँ को असलियत का पता चला।उन्होंने पहले उनके खुले चुचे देखे।फिर उनकी नजर मेरे लन्ड पे गयी।
और वो मादक सी मुस्करा दी।उनका हाथ उठ कर मेरे लण्ड की ओर बढ़ा।मेरे मन में गुब्बारे फूटने लगे।जैसे ही लन्ड पे उनका हाथ टिका।लन्ड और मैं दोनो सातवे आसमान पे थे
मा:अरे संजू ये तो लोहा बन गया है
मैं:हा मा तू है ही अइसी जबरदस्त की ओ भी गरम हो गया।
मा:फिर तेरी गरम जबरदस्त मा होते हुए तू अपने हाथ को क्यों परेशान कर रहा है,तेरी रंडी अभी जीवित है।
मैं मा के मुह से रंडी शब्द सुन चौक से गया,उनके लिए चुदाई के वक्त का आम शब्द रहेगा पर ओ भूल गयी है क्या ओ अब्दुल चाचा के साथ नही अपने बेटे के साथ है।उनका खुला हुआ बर्ताव देख मैंने भी कुछ न कहा।
माँ ने ब्लाउज उतार दिया।और मेरे लंड को सहलाने लगी।
मैं उसके चुचो को बारी बारी मसल रहा था।ओ मेरे लन्ड को भूखे शेरनी की तरह घूर रही थी।हम दोनो सामने सामने बैठे थे।मैं पैर फैलाये बैठा था।थोड़ी देर सहलाने के बाद ओ नीचे झुकी और लन्ड मुह में लेके चूसने लगी।मैं तो फुले नही समा रहा था।ओ मेरे पूरे लन्ड को चाट रही थी।सुपाड़े से नीचे गोटियों तक जीभ को घुमा रही थी।मेरे पूरे लन्ड को अंदर लेने की कोशिश कर रही थी।अभी इतनी गरमागरमी से लोहे में से ज्वाला मुखी बाहर पड़ने वाला था।मेरे लन्ड पानी छोड़ने वाला था।मेरी अकड़न को समझ मा पहचान गयी उस बात को उसने अपना मुह लन्ड पर लगाया ।लन्ड से जो पानी निकला सीधा माँ के मुह में ही नही पूरे मुह के ऊपर भी लगा।उसने मुह का गटक लिए और जो मुँहपर था उसको हाथ से साफ कर चाट कर लिया।
मा की हवसिनता मेरे मन को भा रही थी।तभी मा उठी।मुझे लगा आज का चुदाई का खेल खत्म ,पर नही उसने बची हुई साड़ी और पेटीकोट उतार दिया।ब्रा की तरह पेंटी भी नही पहनी थी।
माँ मेरे सामने पूरी नंगी खड़ी थी
ओ ठीक मेरे सामने जाके पैर फैलाये बैठी।अपने भोसड़े जैसे चुत की पंखुड़ीओ को सहलाने लगी।उनकी मुह से सिसकारियां आ रही थी।उन्होंने ओंठ चबाना चालू किया।
थोड़ी देर बाद उन्होंने मुझे पास आने का इशारा किया।मैं पास गया।उन्होंने मेरे सर को पकड़ा और अपने ओंठो से लगाया।उनके लब्जो से अजीब पर बहुत बढ़िया स्वाद आ रहा था।मेरा लन्ड गर्म हो रहा था।उसने मेरी गर्दन पकड़ अपने टांगो के बीच दहलती ज्वालामुखी में मेरा मुह घुसा दिया।मैं भी उस ज्वालामुखी गरम चुत के ज्वाला रस को चाटने लगा चूसने लगा।ये चुम्मा चाटी औऱ चुत चाटी के बाद अभी बारी चुत को चोदने की थी।मैं और मेरा लन्ड पूरी तरह से तैयार थे।
मा निचे खिसकी और बेड पर सीधा लेट गयी।मैंने उनके चुत पे लन्ड रखा और धक्के देना चालू किया।पहले तो धीमे धीमे सिसकारियां निकल रही थी।पर जैसे ही मैंने अपनी गति बढाई उनकी आवाज बढ़ा ।ओ गालियों में मुझे उत्तेजित कर रही थी
"अरे रंडी के बच्चे चोद और जोर से चोद आह हहहहहह सीईई आह पूरा लन्ड घुसा अंदर तक आआह जा आआह ने दे भोसडीके पूरी चुत का भोसड़ा कर दे आह सीईई" मुझे उनकी बातों से मजा आ रहा था।रात भर अलग अलग आसनों में चुदाई रास लीला का आनंद लिया।