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मैं अपनी सोचों खोया हुआ, कुछ डरा हुआ अपने अंगौछे से मुंह छिपाये तेजी से सड़क किनारे बने फुटपाथ पर भागा चला जा रहा हूं। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है कि मैं क्या करूं। राहुल और राना का पीछा करते हुए मैं गांधी चौक तक चला आया हूं। मैंने इधर उधर देखा वो मुझे कहीं नहीं दिखाई दिए । मैं झुंझला उठा और बोझिल कदमों से अपने घर की ओर बढ़ चला।
शाम तेेेजी से रात में बदल रही थी । मैं थक कर चूर हो गया था जल्दी से अपने घर पहुंच कर आराम करना चाह रहा था। करीब दस बजे मैं अपने घर पहुंच कर दरवाजा खटखटाया काफ़ी देर तक दरवाजा न खुलने के कारण मेंरा गुस्सा बढ़ रहा था। मेरे चीखने पर रंजना आंटी ने दरवाजा खोला , मैं गुुुस्से में उनकी ओर बढ़ा ,मुझे देख कर वो डर गई और तुरन्त ही झुक कर अपनी मैक्सी पेट तक उठा कर अपनी गोल, गोरी और गदराई गांड दिखानें लगी , मैं मुस्कुरा उठा और उनकी नर्म मुलायम गांड़ पर धीरे धीरे हांथ फिराने लगा।
शाम तेेेजी से रात में बदल रही थी । मैं थक कर चूर हो गया था जल्दी से अपने घर पहुंच कर आराम करना चाह रहा था। करीब दस बजे मैं अपने घर पहुंच कर दरवाजा खटखटाया काफ़ी देर तक दरवाजा न खुलने के कारण मेंरा गुस्सा बढ़ रहा था। मेरे चीखने पर रंजना आंटी ने दरवाजा खोला , मैं गुुुस्से में उनकी ओर बढ़ा ,मुझे देख कर वो डर गई और तुरन्त ही झुक कर अपनी मैक्सी पेट तक उठा कर अपनी गोल, गोरी और गदराई गांड दिखानें लगी , मैं मुस्कुरा उठा और उनकी नर्म मुलायम गांड़ पर धीरे धीरे हांथ फिराने लगा।