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अध्याय 1
पूनम मिश्रा एक 37 साल की शादी शुदा औरत है जिसकी एक बेटी है। पूनम के पति जिनका नाम सुरेश मिश्रा है वो सरकारी ठेकेदार है जो अधिकतम समय अपने काम में रहते है।
पूनम की बेटी अपने गर्मियों की छुट्टियों में अपने नाना नानी के यहां गई थी। जिसके कारण पूनम को अब घर में काम करने का ज्यादा टाइम मिलता था। आज पूनम की फ्रेंड्स शाम को उसके घर आने वाली थी जिसकी वजह से वो सुबह से कुछ ना कुछ काम कर रही थी। तभी पूनम सोफे के कवर को झटकने के लिए अपनी बालकनी में जाती है। दरअसल पूनम का मकान एक सोसाइटी में था जहां सभी घर 2 मंजिला बने हुए थे। पूनम और उसका पति दोनों ऊपर रहते थी और उसके सास ससुर नीचे रहते थी। पर दो दिन पहले ही पूनम के सास ससुर तीर्थ यात्रा पर गए थे। उसके सास ससुर की ये यात्रा 15 दिन की थी। इसलिए पूनम घर के अंदर हे थी। पूनम ने आज काम के चक्कर में घर के कपड़े पहने थे। पूनम ने ग्रे कलर की सलवार पहनी थी।
पूनम जैसे ही अपनी बालकनी में सोफे के कवर झटक रही थी तभी वो देखती है कि नीचे रोड पर सामने एक कुबड़ा सा भिखारी उसकी ओर हे देख रहा था। पूनम ने उसको अनदेखा कर दिया। फिर पूनम कुछ देर बाद वापस अपनी बालकनी में आई ओर भी कवर को झटकने पर वो कुबड़ा भिखारी वही था। अब पूनम को भी अजीब लगा कि ये भिखारी कब से क्या घूरे जा रहा है पर पूनम ने उसको इग्नोर करते हुए अपने काम में लग गई। पर पूनम कवर को झटकते समय तिरछी नजर से देखा तो पाया कि वो कुबड़ा भिखारी पूनम को देख कर मुस्करा रहा था। उसकी गन्दी शकल की गन्दी स्माइल बहुत खराब थी। पूनम अपने मन में सोचती की ये कुबड़ा भिखारी कैसी हरकत कर रहा है सरे आम मुझको देख रहा है और लाइन मार रहा है। फिर पूनम वापस रूम में आ जाती है और काम करते हुए पूनम सोचती है छोड़ो मुझको क्या करना है ये गन्दा सा कुबड़ा भिखारी ओर करेगा भी क्या। फिर पूनम के मन में खयाल आया कि क्यों ना वो भी भिखारी को थोड़ा परेशान करे। अब पूनम अपना काम पूरा करके वापस बालकनी में आती है और वो देखती है कि वो कुबड़ा भिखारी वही खड़ा था।
पूनम मिश्रा एक 37 साल की शादी शुदा औरत है जिसकी एक बेटी है। पूनम के पति जिनका नाम सुरेश मिश्रा है वो सरकारी ठेकेदार है जो अधिकतम समय अपने काम में रहते है।
पूनम की बेटी अपने गर्मियों की छुट्टियों में अपने नाना नानी के यहां गई थी। जिसके कारण पूनम को अब घर में काम करने का ज्यादा टाइम मिलता था। आज पूनम की फ्रेंड्स शाम को उसके घर आने वाली थी जिसकी वजह से वो सुबह से कुछ ना कुछ काम कर रही थी। तभी पूनम सोफे के कवर को झटकने के लिए अपनी बालकनी में जाती है। दरअसल पूनम का मकान एक सोसाइटी में था जहां सभी घर 2 मंजिला बने हुए थे। पूनम और उसका पति दोनों ऊपर रहते थी और उसके सास ससुर नीचे रहते थी। पर दो दिन पहले ही पूनम के सास ससुर तीर्थ यात्रा पर गए थे। उसके सास ससुर की ये यात्रा 15 दिन की थी। इसलिए पूनम घर के अंदर हे थी। पूनम ने आज काम के चक्कर में घर के कपड़े पहने थे। पूनम ने ग्रे कलर की सलवार पहनी थी।
पूनम जैसे ही अपनी बालकनी में सोफे के कवर झटक रही थी तभी वो देखती है कि नीचे रोड पर सामने एक कुबड़ा सा भिखारी उसकी ओर हे देख रहा था। पूनम ने उसको अनदेखा कर दिया। फिर पूनम कुछ देर बाद वापस अपनी बालकनी में आई ओर भी कवर को झटकने पर वो कुबड़ा भिखारी वही था। अब पूनम को भी अजीब लगा कि ये भिखारी कब से क्या घूरे जा रहा है पर पूनम ने उसको इग्नोर करते हुए अपने काम में लग गई। पर पूनम कवर को झटकते समय तिरछी नजर से देखा तो पाया कि वो कुबड़ा भिखारी पूनम को देख कर मुस्करा रहा था। उसकी गन्दी शकल की गन्दी स्माइल बहुत खराब थी। पूनम अपने मन में सोचती की ये कुबड़ा भिखारी कैसी हरकत कर रहा है सरे आम मुझको देख रहा है और लाइन मार रहा है। फिर पूनम वापस रूम में आ जाती है और काम करते हुए पूनम सोचती है छोड़ो मुझको क्या करना है ये गन्दा सा कुबड़ा भिखारी ओर करेगा भी क्या। फिर पूनम के मन में खयाल आया कि क्यों ना वो भी भिखारी को थोड़ा परेशान करे। अब पूनम अपना काम पूरा करके वापस बालकनी में आती है और वो देखती है कि वो कुबड़ा भिखारी वही खड़ा था।