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Thriller "विश्वरूप" ( completed )

Kala Nag

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👉एक सौ बयालीसवां अपडेट
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क्षेत्रपाल महल

नागेंद्र के कमरे में एक मेडिकल बेड लगा हुआ है l डॉक्टर्स और नर्सेस अपने काम में लगे हुए हैं l बेड के पास एक चेयर पर भैरव सिंह बैठा हुआ है और बेड के सिरहाने पर सुषमा खड़ी हुई है l कमरे में भीमा और बल्लभ भी दरवाजे के पास खड़े हैं l एक सैलाईन बोतल स्टैंड पर लगा कर नागेंद्र के कलाई पर ड्रिप लगा देता है, उसके बाद डॉक्टर नागेंद्र को एक इंजेक्शन देता है और फिर भैरव सिंह के पास आकर कहता है

डॉक्टर - राजा साहब... उम्र का तकाजा है... इस पड़ाव पर... लाइट फ़ूड खाना सेहत के लिए ठीक होता है... बड़े राजा जी को... बदहजमी के वज़ह से उल्टी और गैस हो गई थी... हमने इंजेक्शन दे दिया है... अब फिक्र करने की कोई जरूरत नहीं है....
भैरव सिंह - (ताली बजाता है, कुछ नौकर दौड़कर आते हैं) जाओ... डॉक्टर और उनकी टीम को छोड़ कर आओ... (सुषमा से) छोटी रानी... इनकी जितनी भी फीस बनती है... इन्हें दे दीजिए...
डॉक्टर - यह फीस की क्या बात कर रहे हैं राजा साहब... हम तो आपकी प्रजा हैं... बड़े राजा जी की सेवा... बड़े भाग्य से मिला है... हम भाग्य को पैसों से कैसे तोल सकते हैं...
भैरव सिंह - यह क्या कह रहे हो डॉक्टर... आपने सर्विस दी है...
बल्लभ - राजा साहब... जैसी जिसकी भावना... भावना अगर नेक हो... तो उसका सम्मान तो होनी ही चाहिए...
भैरव सिंह - ठीक कहते हो प्रधान... (भीमा की ओर देख कर) भीमा... जाओ इन्हें हमारी गाड़ी से छोड़ आओ...

सारे मेडिकल स्टाफ़ झुक कर नमस्कार करते हैं और भीमा के साथ बाहर चले जाते हैं l भैरव सिंह एक नजर सुषमा को देखता है, सुषमा समझ जाती है और अपना सिर पर घूंघट ला कर सिर हिला कर कमरे में ठहर कर नागेंद्र की सेवा करने की हामी भरती है l उसके बाद उस उस कमरे से पहले भैरव सिंह निकलता है और उसके पीछे पीछे बल्लभ l दोनों महल के लंबे से गलियारे में पहुंचते हैं l बल्लभ भैरव सिंह से अपनी घुटी जुबान से पूछता है

बल्लभ - राजा साहब.. राजगड़ हो या यशपुर... आप फीस देना चाहें तो भी कोई फीस लेने की हिम्मत आज तक किया नहीं है... यह जानते हुए भी... आप उन्हें फीस क्यों ऑफर कर रहे थे...
भैरव सिंह - (कुछ सोच में खोया खोया सा था, उसी खोए खोए अंदाज में) कुछ नहीं... चांद सुरज में ग्रहण अक्सर लगते हैं... कहीं क्षेत्रपाल के रुआब में ग्रहण तो नहीं लग रहा... यही चेक कर रहे थे...
बल्लभ - ऐसा क्यूँ राजा साहब... लगता है... कोई चिंता का विषय है...
भैरव सिंह - खास तो नहीं है... पर... क्या हम... उसे खास ना समझ कर नजर अंदाज कर... गलती तो नहीं कर रहे हैं...
बल्लभ - ओ.. समझ गया... शायद आप विश्वा... (बल्लभ आगे कुछ कहता नहीं है)
भैरव सिंह - प्रधान बाबु... मत भूलें... आप कौन हैँ... क्षेत्रपाल से दोस्ती या दुश्मनी करने के लिए... क्षेत्रपाल के बराबर का कद होना चाहिए... विश्वा जैसे आदमी के लिए सोच कर... हम समय और शक्ति दोनों का नष्ट नहीं करना चाहते...
बल्लभ - (थोड़ा खरासते हुए) हम भी यही मानते हैं... जानते हैं... पर समय के चिलमन में क्या छुपा है... कौन जाने...
भैरव सिंह - हमारी उम्र जरुर ढल रही है प्रधान... पर आज भी हमारी सोच वैसी की वैसी ही है... रुआब और पैसों के आगे हम किसीके लिए... दिल में कोई दयामाया नहीं पालते...
बल्लभ - हम भी यही कह रहे हैं... आप अपनी रबाब से नीचे ना सोचें... विश्व जैसों के लिए सोचने के लिए... आपने हम जैसे लोग पाल रखे हैं..
भैरव सिंह - हाँ अब वही लोग... एक एक करके नाकारा साबित हो रहे हैं...
बल्लभ - ऐसा अभी क्या हो गया है राजा साहब...
भैरव सिंह - प्रधान... हमने विश्व के पीछे... रोणा को छोड़ा था... पर अब... रोणा गायब हो गया है... कोई खबर ही नहीं है... पता नहीं कहीं... मर मरा तो नहीं गया...
बल्लभ - नहीं... राजा साहब... वह जिंदा जरूर है... विश्वा को दबोचने के लिए... आड़े हाथ लेने के लिए... जरुर कोई तिकड़म भीड़ा रहा होगा...
भैरव सिंह - पुरी बात बताओ प्रधान... विश्वा... जिसकी सिर को अपने जुते की बराबर की ऊँचाई पर रखे थे... अब लगता है या तो वह अपना कद बढ़ा रहा है... या फिर... हमें हमारी कद से नीचे की ओर खिंच रहा है... रोणा को विश्व के पीछे छोड़ा था... पर पता नहीं क्या हुआ... उसकी कोई खबर नहीं है... फोन भी स्विच ऑफ आ रहा है...
बल्लभ - राजा साहब... विश्वा... लगता है शायद उसके ऊपर भारी पड़ा... इस कदर भारी पड़ा के... शर्म और जिल्लत के मारे... अब मुहँ छुपाये कहीं छिप गया है... इंडेफिनाइट छुट्टी की एप्लिकेशन डाल कर चला गया है... उधर भुवनेश्वर में श्रीधर परीड़ा... भी गायब हो गया है...
भैरव सिंह - ह्म्म्म्म... इसका मतलब यह हुआ... की विश्वा अपना दायरा फैला रहा है... ताकि हमारे दायरे को काट सके...
बल्लभ - बात वहाँ तक नहीं आएगी... हम आने ही नहीं देंगे...
भैरव सिंह - वह तो देखा जाएगा... फिलहाल... हम अपने घर के सदस्यों के बारे में सोच रहे हैं...
बल्लभ - राजकुमार के बारे में...
भैरव सिंह - ह्म्म्म्म....
बल्लभ - समझ सकता हूँ... युवराज के मना करने के बाद... आपने राजकुमार को राजनीति में युवा चेहरा बना कर सामने लाने की कोशिश की गई... पर राजकुमार जी के उस लड़की के साथ... (चुप हो जाता है)
भैरव सिंह - कहो प्रधान कहो... चुप क्यूँ हो गए... राजकुमार ने हमारी सारे प्लान पर पानी फ़ेर दिया... वज़ह... वह दो कौड़ी की लड़की... और जब तक वह लड़की उसके साथ है... राजकुमार वापस नहीं आयेंगे...
बल्लभ - छोटे राजा जी भी तो अभी नहीं आए हैं... उन्हें अब राजगड़ आ जाना चाहिए... भुवनेश्वर में पता नहीं क्या कर रहे हैं...
भैरव सिंह - नहीं भुवनेश्वर में उनका काम बाकी है... जब तक काम ख़तम ना हो जाए... तब तक... छोटे राजा जी राजगड़ नहीं आयेंगे...
बल्लभ - क्या आप... उस बाबत भुवनेश्वर जाएंगे...
भैरव सिंह - नहीं... फ़िलहाल.. नहीं... हम यहाँ अपनी किला को मजबूत करेंगे... ताकि कोई दुश्मन राजगड़ में हमारे खिलाफ कोई किलाबंदी ना कर सके...
बल्लभ - क्या हम युवराज जी से संपर्क करें...
भैरव सिंह - प्रधान... बेटा अपने पैर में बाप का जुता पहनता है... बाप बेटे का जुता नहीं पहनता...
बल्लभ - क्षमा चाहते हैं... फिर राजकुमार कैसे वापस आयेंगे...
भैरव सिंह - हमने छोटे राजा जी को कह रखा है... उनके बारे में... छोटे राजा जी ज़रूर कुछ ना कुछ सोच रहे होंगे....

थोड़ी देर के लिए दोनों के बीच एक चुप्पी पसर जाती है l दोनों यूँही चले जा रहे थे l कुछ देर बाद बाद भैरव सिंह कहता है

भैरव सिंह - प्रधान...
बल्लभ - जी राजा साहब...
भैरव सिंह - तुम्हें क्या लगता है...
बल्लभ - जी... मैं कुछ समझा नहीं...
भैरव सिंह - (एक गहरी साँस छोड़ते हुए) देखो... कितना शांत वातावरण है... इतना शांत... के... कहीं दुर बहती नदी की कल कल शब्द यहाँ तक सुनाई दे रही है...
बल्लभ - (चुप रहता है)
भैरव सिंह - वातावरण इतना शांत कब होता है प्रधान...
बल्लभ - (हकलाते हुए) न न.. नहीं जानता राजा साहब...

तभी भीमा इन दोनों के पास आ पहुँचता है और चुपचाप सिर झुकाए खड़ा हो जाता है l

भैरव सिंह - प्रधान... इतनी खामोशी किसी आने वाले तूफान का इशारा है... तुम अब हर कोने में... हर हिस्से में... अपनी पैनी नजर घुमाओ... अपना कान लगाओ... हमारे अंदर से एक वाईव सा आ रहा है... कहीं ना कहीं... कुछ ना कुछ.. हो रहा है... पर क्या... हमें बहुत सतर्क रहना होगा... और भीमा तुम...
भीमा - जी हुकुम...
भैरव सिंह - कुछ दिनों के लिए... आखेट परिसर के... मगरमच्छों को और लकड़बग्घों को भूखा रखो...
भीमा - जी हुकुम...
भैरव सिंह - लगता है... बहुत जल्द उन्हें इंसानी गोश्त मिलने वाली है...

भीमा हैरानी भरे नजरों से बल्लभ की ओर देखता है l वैसा ही हाल बल्लभ का भी हुआ जा रहा था l


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किचन में अनु गैस पर कुकर को रखती है फिर गैस जलाती है l तभी उसे कलिंग बेल की टिंग टोंग की आवाज सुनाई देती है l अपने पल्लू से हाथ और चेहरा पोछते हुए दरवाजा खोलती है l सामने वीर खड़ा था l चेहरे पर थोड़ी उदासी और मायूसी लिए l वीर हल्का सा मुस्कराते हुए अंदर दाखिल होता है और सोफ़े पर धप कर बैठ जाता है l अनु अभी भी दरवाजे पर थी l वीर अनु की ओर देखता है, अनु अपनी बड़ी बड़ी आँखों से वीर की ओर थोड़ी हैरानी और परेशान भरे नजरों से देखे जा रही थी l वीर अपना हाथ बढ़ा कर इशारे से अनु को बुलाता है l अनु का चेहरा खिल उठता है l वह किसी मासूम बच्ची की तरह खिलखिलाते हुए भागते हुए आती है और दोनों हाथों से वीर की हाथ पकड़ लेती है l वीर उसे अपनी गोद में खिंच लेता है l

अनु की पीठ अब वीर के सीने से चिपकी हुई थी l वीर अपना चेहरा अनु की कंधे पर रख देता है l अनु को अपने कंधे पर एक गर्म चुंबन का एहसास होता है l उसकी आँखे बंद हो जाती है l पर उसे हैरानी होती है कि वीर अपना चेहरा उसके कंधे पर रख कर वैसे ही बैठ गया था l अनु वीर से सवाल करती है

अनु - राजकुमार जी... आज क्या हुआ...
वीर - (वैसे ही अपने गालों को अनु की कंधे पर रगड़ते हुए कहता है) कुछ नहीं मेरी जान... कुछ भी तो नहीं...
अनु - फिर आप ऐसे... मायूस से.. हारे हुए से क्यूँ लग रहे हैं...
वीर - (अपना माथा अनु के कंधे से हटा कर) क्या मैं तुम्हें हारा हुआ लग रहा हूँ... (अनु चुप रहती है, उसे सूझती नहीं है क्या कहे, वीर उसकी मनःस्थिति को समझ जाता है) अरे मेरी अनु... मेरी तो सबसे बड़ी जीत तु है... और जब तक तु मेरे साथ है... मुझे कौन हरा सकता है... खुद वह तकदीर लिखने वाला भी नहीं...
अनु - (वीर की ओर घुमती है, अपने दोनों हाथों से वीर की चेहरे को थामती है) राजकुमार... तो आपके चेहरे पर यह मायूसी क्यूँ...
वीर - चलो नहीं बताता... मैं तुम से नाराज हूँ... बहुत बहुत नाराज हूँ...
अनु - (वीर की चेहरे को छोड़ देती है) झूठे... नहीं बताना चाहते हैं... तो मत बताइए... यूँ मुझसे नाराज होने की झूठी बात क्यूँ कर रहे हैं...
वीर - क्या करूँ बोलो... मैं दुखी होने की ऐक्टिंग करता हूँ... पर तुम्हारा चेहरा देखता हूँ... तो सारे दुख भुला जाता हूँ... कभी कभी सोचता हूँ... के तुम्हें थोड़ा नाराज कर दूँ... ताकि तुम्हें मनाऊँ... पर तुम हो कि मेरी झूठ पकड़ लेती हो... और रूठने की झूठी नाटक तक नहीं करती...
अनु - जान चली जाए मेरी... अगर कभी आपसे मैं रूठी तो...
वीर - (अनु के गाल पर हल्का सा चपत लगाते हुए) श्श्श... क्या बात कर रही है... ऐसी बातों से मुझ पर क्या गुज़रती है.. सोच समझ कर बातेँ किया कर.. समझी...
अनु - (वीर की गोद से उतर कर वीर के बगल में बैठ जाती है और अपने कान पकड़ कर) ठिक है बाबा कान पकड़ती हूँ... फिर कभी ऐसा नहीं कहूँगी... पर मुझे बताइए तो सही... आप जाके कहाँ से आ रहे हैं...
वीर - (अनु के दोनों हाथों को अपने गालों पर रख कर) हमारे प्यारे संसार में... खुशियां ही खुशियां है... घर है... पैसा भी है... पर... संसार जैसा कुछ लग नहीं रहा है... इसलिए एक संसार का बंदोबस्त करने गया था...
अनु - मतलब...
वीर - अरे मेरी भोली अनु... काम ढूंढने गया था...
अनु - काम...
वीर - हाँ... ताकि मैं सुबह तेरी यह खूबसूरत चेहरा देख कर काम को निकलुं... तु मुझे पीछे से आवाज देकर बुलाए... मैं तेरी आवाज सुन कर रुक जाऊँ... तु मेरे पास आकर... मेरे हाथ में टिफिन कैरेज दे दे... मैं इस आशय से निकलुं... के मुझे शाम को लौटना है.. दो प्यारी प्यारी बड़ी सी हिरनी जैसी आँखे मेरी राह तक रही होंगी... जब मैं दुनिया से जद्दोजहद कर थका हारा लौटुं... तो मेरी राह में पलकें बिछाये इन दो नैनों को देखते ही... मेरी थकान सारी फुर्र हो जाए...

अनु मुस्करा देती है, शर्म से उसके गालों पर लाली छाने लगती है, वह वीर के गालों से अपना हाथ खिंच कर अपना चेहरा छुपा लेती है l

वीर - है.. क्या हुआ... (अनु के चेहरे पर हाथ हटा कर)
अनु - आप ना बड़े... छोड़िए...
वीर - अरे बात तो पुरा करो...
अनु - आप बड़े...
वीर - हाँ हाँ... आगे..
अनु - आप बड़े झूठे हो...
वीर - (अनु की हाथ छोड़ कर) लो करदिया मेरा मुड़ खराब...
अनु - (घबराते हुए) उई माँ.. क्या हुआ...
वीर - बताऊँगा... पहले यह बोलो... मैंने झूठ क्या बोला...
अनु - वह तो मैंने यूँही कह दी..
वीर - मुझे झूठा कहना... तुम्हें बड़ा मजा देता है ना...

अनु बड़ी मासूमियत से अपना सिर हिला कर हामी भरती है, जिसे देख कर वीर उसकी नाक खिंच कर कहता है l

वीर - तुम्हारी यही अदा तो मुझे दुनिया से टकराने के लिए हिम्मत देती है...
अनु - पर आपने बताया नहीं... किस काम के लिए गए थे और हुआ क्या...

वीर अनु को अपने उपर खिंच लेता है l अनु उसके उपर आकर गिरती है l पहले वीर उसके आँखों में झाँकता है फिर अपना सिर अनु के सीने पर धड़कन के पास रख देता है l अनु भी उसके सिर को थाम लेती है l

वीर - जानती है अनु... मेरे पिता ने... मेरी मदत को सबसे मना कर रखा है... यहाँ तक... जो कभी मुझसे डरा करते थे... मेरे रीकमेंडेशन पर जो दूसरों को नौकरी दिया करते थे... वे लोग भी... अब मुझसे कन्नी काटने लगे हैं... पर तु इसे दिल पर मत लगा ले... जो मैंने कभी बोया था... आज वह लौट कर आ रहा है... दुनिया से असल पहचान हो रही है...
अनु - आपके पास तो पैसे हैं ना... फिर आप क्यूँ कहीं जा रहे हैं...
वीर - वह मेरे पैसे नहीं है अनु... वह विक्रम भैया के पैसे हैं... मैं जिंदगी भर कुछ भी ना करूँ... फिर भी... मेरा एकाउंट कभी खाली होने नहीं देंगे... तेरे बदन पर... सूती साड़ी ही सही... पर एक बार अपनी कमाई से देखना चाहता हूँ... किसी रेस्टोरेंट के बजाय... फुटपाथ ही सही... पर एकबार तुझे अपनी कमाई से नास्ता खिलाना चाहता हूँ... (वीर के गालों पर गर्म पानी की बूंद आकर गिरती है, वीर अचानक अनु से अलग हो जाता है) अनु... यह क्या... तेरे आँखों में आँसू.. मेरे दिल को चीर देंगे... प्लीज मत रो...
अनु - मैं एक पनौती बन कर आपके जीवन में आई ना... आप राजकुमार... काम ढूंढ रहे हैं...
वीर - धत पगली... तु जानती है ना... मेरे पास इतना पैसा है कि... तुझे हीरों से सजा सकता हूँ... (अनु अपना सिर हामी भरते हुए हिलाती है) तुझे सेवन स्टार होटल में खिला सकता हूँ... (अनु उसी मासूमियत के साथ हाँ कहती है) यह तो एक मेरी एक ऐसी.. मासूम सी ख़्वाहिश है... जिसे एक दिन मैं पुरा करना चाहता हूँ... (अनु की नाक पकड़ कर उसका सिर हिलाते हुए) समझी मेरी मासूम पगली... (अनु हँस देती है) यह हुई ना बात... अब तुझे खुश ख़बर भी सुना देता हूँ... एक बंदे ने मुझे काम पर रख लिया...
अनु - झुठे...
वीर - सच्ची...
अनु - झूठ मत बोलिए... आपको झूठ बोलना आता ही नहीं है...
वीर - अच्छा... मुझे झूठ बोलना नहीं आता... तो और एक बात कहूँ...
अनु - (अपनी आँखे पोछते हुए) जी कहिये...
वीर - आई लव यु... (अनु शर्मा कर उठ कर जाने लगती है तो वीर अनु की हाथ पकड़ लेता है) क्या हुआ...
अनु - राजकुमार जी छोड़िए ना... किचन में बहुत कम पड़ा है...
वीर - (खड़े होकर) हाँ हाँ... पता है कितना काम पड़ा है... आज मिली हो तुम मुझे... चलो... मेरे बात का जवाब दो...
अनु - (हाथ छुड़ाने की कोशिश करती है) छोड़िए ना राजकुमार जी...
वीर - नहीं... बिल्कुल नहीं... आज तो तुम्हारे मुहँ से सुन कर ही रहूँगा...

अनु हाथ छुड़ा नहीं पाती और वीर की घुम जाती है, वीर उसे फिर से अपने पास खिंच कर सीने से जकड़ लेता है l

वीर - चलो बोलो...
अनु - (शर्म ओ हया के साथ अपनी हँसी को दबाते हुए) क्या...
वीर - आई लव यु...
अनु - ऊँ.. हूँ..
वीर - अनु...
अनु - हूँ...
वीर - प्लीज...
अनु - अच्छा ठीक है... आप अपनी आँखे बंद कर लीजिए...
वीर - यह क्या... इसमे आँख बंद करने वाली क्या बात है..
अनु - प्लीज...
वीर - ठीक है... (आँखे बंद कर लेता है) कहो अब...
अनु - (धीरे से,धीमी आवाज़ में)आई...
वीर - हाँ हाँ... आई...
अनु - लव...
वीर - हाँ हाँ... लव...
अनु - आई लव...
वीर - हाँ हाँ.. आई लव...

तभी प्रेसर कुकर की सीटी जोर से बजने लगती है जिससे वीर चौंक कर अनु को छोड़ देता है l मौका पाकर अनु किचन की ओर भाग जाती है l

वीर - अनु... (अनु रुक कर पीछे मुड़ कर देखती है) दिस इज़ नॉट फेयर... (अनु वीर को जीभ दिखा कर किचन के अंदर चली जाती है, वीर मुस्करा कर रह जाता है)

अनु के किचन के अंदर जाने के बाद वीर सोफ़े पर बैठ कर रिमोट से टीवी ऑन करता है l टीवी पर एक न्यूज ब्रीफिंग चल रही थी l न्यूज सुनते ही वीर की आँखे हैरानी से फैल जाती हैं

"कल देर रात कटक में वाव की अध्यक्षा प्रतिभा सेनापति जी के घर पर कुछ अज्ञात लोगों ने डकैती की कोशिश की थी l घर में समान तितर-बितर होकर पड़े थे l घर पर तक कोई था या नहीं इस बात की पुष्टि अभी तक नहीं हो पाई है l पुलिस सेनापति दंपति से संपर्क करने की कोशिश कर रही है पर अभी तक कोई सफलता हाथ नहीं लगी है l "

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भुवनेश्वर के प्रवेश पर टोल नाके पर सुपरिटेंडेंट जान निसार खान सादे कपड़े में जीप के बोनेट पर कुहनियों पर टेक लगाए खड़ा था l कुछ देर बाद एक ट्रक टोल नाके पर रुकती है l विश्व उस ट्रक से उतर कर भागते हुए खान के पास आता है l खान जल्दी से जीप की ड्राइविंग सीट पर बैठ जाता है और बगल में विश्व l खान गाड़ी स्टार्ट कर शहर की ओर घुमा देता है l विश्व बहुत ही सीरियस हो कर अपनी सीट पर बैठा हुआ था l मुट्ठीयाँ भिंची हुई थी चेहरा सख्त हो गया था l

खान - विश्व डोंट बी सो पेनिक...
विश्व - (बिना खान की ओर देखे) कैसे ना होऊँ खान सर... माँ और डैड... रात से गायब हैं... उनकी अभी तक कोई खबर नहीं...
खान - देखो मुझे भी देर रात खबर मिली... जोडार ने तुम्हारे साथ साथ... मुझे भी खबर किया था... पुलिस हरकत में आ चुकी है... घबराओ नहीं... ट्विन सिटी पुरा नाका बंदी कर ली गई है...
विश्व - कोई फायदा नहीं होगा खान सर...
खान - ओह... कॉम ऑन विश्व... इतना भी निरास ना हो... कम से कम... तुम... भाभीजी का स्टेट में... क्या पोजीशन है... तुम जानते हो... और तापस एक बड़े अहदे वाला ऑफिसर रहा है... जिसने भी अगुआ किया है... वह पुरे सिस्टम से पंगा नहीं ले सकता...
विश्व - हाँ नहीं ले सकता... पर अगर वह सिर फ़िरा हुआ तो...

इस बार खान चुप रहता है l गाड़ी जोडार ग्रुप्स लिमिटेड के ऑफिस में रुकती है l विश्व और खान दोनों उतर कर ऑफिस के अंदर सीधे कांफ्रेंस रुम में पहुँचते हैं l विश्व देखता है कमरे में सुभाष और सुप्रिया भी जोडार के साथ बैठे हुए थे l विश्व को देखते ही तीनों खड़े हो जाते हैं l

विश्व - (जोडार से) जोडार साहब... मैं क्या कहूँ... कैसे कहूँ...
सुप्रिया - विश्व प्रताप...
विश्व - मैं आपसे बात नहीं कर रहा हूँ... यह कोई मीडिया मसाला वाली बात नहीं है...
जोडार - तुम्हें एक बार... मिस सुप्रिया को सुनना चाहिए...
सुभाष - हाँ विश्व... सुप्रिया के पास तुम्हारे लिए एक खबर है...

विश्व हैरानी से सुप्रिया की ओर देखता है, सुप्रिया हाँ में अपना सिर हिलाते हुए अपना मोबाइल निकाल कर एक विडिओ चला कर विश्व के हाथ में देती है l विश्व के लिए प्रतिभा का वीडियो मैसेज था

प्रतिभा - मेरे बेटे प्रताप... जानती हूँ... तु डर रहा होगा... हमारे बारे में सोच कर... हाँ... यह सच है... हमारी किडनैपिंग की कोशिश हुई... गनीमत है मर्डर करने की कोशिश नहीं हुई... पर उन किडनैपर से हमें तेरे एक शुभ चिंतक ने बचा लिया है... अब हम... यानी मैं और तेरे डैड दोनों उसके पास महफ़ूज़ हैं... नाम उसका मैं तुमसे इस वक़्त रिवील नहीं कर सकती... उसका कहना है कि तुम... समझ जाओगे और बहुत जल्द तुम उसे और हमें ढूंढ लोगे...

वीडियो बंद हो जाता है l विश्व के माथे पर बल पड़ जाता है l पास ही एक चेयर पर धढ़ाम कर बैठ जाता है l जोडार एक पानी का ग्लास लाकर विश्व को देता है पर विश्व मना कर देता है l

विश्व - जोडार सर... कैसे हुआ... मुझे थोड़ा डिटेल में बतायेंगे प्लीज...
जोडार - देखो विश्व... मुझसे एक छोटी गलती यह हुई कि... मुझे डबल लेयर सिक्युरिटी लगानी चाहिए थी... पर मैंने सिंगल लेयर सिक्युरिटी लगाया था... जो कि ब्रिच हो गया... जिन्होंने भी यह कांड किया है... वे लोग पहले से ही... अच्छी तरह से रेकी किए थे... (एक गहरी साँस छोड़ता है, फिर, एक छोटा सा इलेक्ट्रॉनिक डीवाइस निकाल कर विश्व के हाथ में देता है) यह एक ट्रांसमिशन जैमर है... जिसके वज़ह से... सीसीटीवी की ट्रांसमिशन रुक गई... जिसकी अलर्ट... तुम्हारे मोबाइल पर तुम्हें मिली... जाहिर है... ऐसा ही अलर्ट... हमारे कंट्रोल रुम में भी आया था... तुमने जैसे ही फोन किया... मेरे आदमी जब तक घर पर पहुँचे... तब तक... सेनापति जी... और मैम किडनैप हो चुके थे... हमने अपने आदमियों को चेक किया तो पाया... (सीरींज नुमा एक शॉट दिखाते हुए) सबको ऐनेस्थेटीक ट्रांकुलाइजर शॉट से... बेहोश किया गया था...
विश्व - (उस शॉट को हाथ में लेकर) आपके आदमियों को बेहोश कर जिन्होंने माँ और डैड को किडनैप करी... माँ उन्हीं के कब्जे में है... या किसी और के कब्जे में...
सुभाष - जोडार ग्रुप को छका कर जो चोर सेनापति सर और मैम को किडनैप किया... उन पर कोई तीसरा मोर बन गया...
विश्व - यह आप कैसे कह सकते हैं...
सुभाष - देखो विश्व... मैं इस केस में नहीं हूँ... तुम्हारे वज़ह से... मुझे होम मिनिस्ट्री ने... रुप फाउंडेशन का एसआईटी चीफ बनाया है... तुम तक खबर पहुँचाने के लिए मैम ने... तुम्हारे फोन के बजाय... सुप्रिया जी को क्यूँ इन्फॉर्म किया... यह मैं नहीं कह सकता... पर जैसे ही यह विडिओ... सुप्रिया जी को मिला... उन्होंने मुझे कॉन्टैक्ट किया... मैंने खान सर से मिलकर... तुम्हारे लिए कुछ इन्फॉर्मेशन जुटाए हैं... शायद तुम्हारे काम आ जाए... (इतना कह कर सुभाष एक टेबलेट निकाल कर विश्व के हाथ में देता है) यह देखो... यह लिंक रोड पर जो प्रेस क्लब है... वहाँ की सीसीटीवी की फुटेज है...

विश्व देखता है दो काली रंग की गाड़ी को प्रेस क्लब जंक्शन के आगे चार काले रंग के गाड़ी आकर रुकती हैं l उससे कुछ बंदे उतर कर उन दो गाड़ी में बैठे लोगों को बंदूक की नोक पर ले लेते हैं, फिर वे लोग गाड़ी की डोर खोल कर बेहोश तापस दंपति को अपनी गाड़ी में लेकर उन दो गाड़ियों के हवा निकाल कर चले जाते हैं l तब एक आदमी एक गाड़ी से उतर कर अपना नकाब उतरता है और फिर बोनेट पर मुक्का मारता है l

विश्व - रंगा... यह तो रंगा है... इसने...
सुभाष - हाँ... रंग चरण सेठी... याद है... तुमसे छत्तीस का आँकड़ा है...
विश्व - इसने इतनी हिम्मत जुटाई कहाँ से... पर न्यूज में तो यह क्लिप नहीं चला रहे हैं...
खान - अभी तक पुलिस वालों को भी यह क्लिप नहीं मिली है...
विश्व - व्हाट...
सुभाष - हाँ... इसे हमने सुप्रिया जी की मदत से... पूरा का पूरा मास्टर क्लिप ले आए हैं... क्यूँकी... खान सर चाहते थे... पहले तुम... तसल्ली कर लो... उसके बाद ही हम... पुलिस और मीडिया तक पहुँचाएँगे...
विश्व - मुझे अभी भी समझ में नहीं आ रहा... डैड के पास एक रिवॉलवर है... कैसे इस्तेमाल नहीं कर सके...
खान - उनके सोने के बाद... यह सब आधी रात को हुआ है... घर में घुसने वाले... किचन की खिड़की की सरिया को तेजाब से पिघला कर घुसे थे...

विश्व सोच में पड़ जाता है l सभी के सभी विश्व की ओर देखने लगते हैं l तभी अचानक विश्व सुभाष से दोबारा टेबलेट दिखाने के लिए कहता है l विश्व फुटेज को गौर से देखता है l सेनापति दंपति को अपनी गाड़ी में बिठाने के बाद एक नकाबपोश रंगा के गाड़ी के पास आता है और सीसीटीवी की ओर देखता है फिर एक काग़ज़ की पर्ची निकाल कर गाड़ी के छत पर चिपका का चला जाता है l

विश्व - (सुभाष से) सतपती जी... यह गाड़ी मौका ए वारदात पर क्या पुलिस को मिली...
सुभाष - हाँ... इस गाड़ी का चारों टायरों के हवा निकाल दी गई थी... इसलिए किडनैपर मजबूरन उस गाड़ी को छोड़ कर चले गए...
विश्व - क्या यह गाड़ी अभी पुलिस की कब्जे में है...
सुभाष - नहीं... पुलिस को यह नहीं मालुम है कि सेनापति सर और मैम की इस गाड़ी से किडनैपिंग की कोशिश हुई थी... इसलिए... यह गाड़ी ट्रैफ़िक पुलिस ऑफिस में है...
विश्व - क्या... मुझे इस चिट... या फिर इस चिट की फोटो मिल सकती है...

विश्व की हाथ से टेबलेट लेकर सुभाष वीडियो को दोबारा देखता है फिर अपना मोबाइल निकाल कर कहीं पर फोन लगाता है l कुछ देर बाद सुभाष के फोन पर एक व्हाट्सअप फोटो का मेसेज आती है l सुभाष उस फोटो को डाउन लोड करने के बाद विश्व को दिखाता है l वह फोटो ओरायन मॉल की पार्किंग एरिया की टोकन थी l अचानक विश्व की आँखे फैल जाती हैं l

विश्व - (जोडार से) सर मुझे आपकी गाड़ी चाहिए...
खान - मतलब तुम्हें मालुम हो गया... सेनापति और भाभी जी कहाँ है इस वक़्त...
विश्व - जी... पर यह निमंत्रण सिर्फ मेरे अकेले के लिए है... जाहिर है... मुझे अकेले जाना होगा...

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"अबे चुप"

चिल्लाया पिनाक l उसके सामने एक शख्स खड़ा हुआ था l पिनाक एक कुर्सी पर शराब का ग्लास हाथ लिए बैठा था l एक घुट पीने के बाद अपने आस्तीन से अपना मुहँ साफ करता है l

पिनाक - साले... तुझे काम दिया था... यह सिला दिया... कुछ भी नहीं हो रहा है तुझसे... (ग्लास ख़तम कर, एक छटपटाहत के साथ) लगता है... किसी और से बोलना पड़ेगा... तुझसे कुछ नहीं हो पा रहा है...
@ - जो आप समझ सकते हैं समझ लें... न्यूज में दिखा रहा है... सेनापति दंपति अभी भी... लापता हैं...
पिनाक - पर मेरे कब्जे में तो नहीं हैं ना.... पता नहीं वह कौनसा मनहूस दिन था... जो मैं तुझ पर इम्प्रेस हो गया.... पर तु तो एकदम से पनौती निकला... कोई एक काम ढंग से किया भी है तु...
@ - (एक गहरी साँस छोड़ते हुए) हाँ पर काम जब भी... लगभग लगभग होने को था... तभी कोई ना कोई भाजी मार जाता है... पर क्या करूँ... मैं आपके हुकुम का गुलाम... हमेशा इसी कोशिश में रहा... कहीं भी कभी भी... आपका नाम बाहर ना आए...
पिनाक - फायदा क्या हुआ.... ना मेरा बेटा मेरे पास है... ना ही उस विश्व को अपने घुटने पर ला सका... यह कौन आकर... सेनापति दंपति को हमसे छुड़ा ले गया...
@ - जो भी है... विश्व का दोस्त तो हो नहीं सकता... जरुर विश्व का कोई दुश्मन होगा... क्यूँकी अभी भी... वे लोग लापता हैं... और मुझे लगता है... विश्व का दुश्मन... विश्व से कॉन्टैक्ट किया भी नहीं होगा... वर्ना पुलिस की हलचल हमें बता चुकी होती...
पिनाक - ठीक है... हम ना सही... कोई तो विश्व को घुटने पर लाएगा... पर तुमने उस दो कौड़ी लड़की का भी अभी तक कुछ नहीं किया...
@ - इस बात के लिए... आपका भतीजा... मेरा मतलब है... युवराज जिम्मेदार हैं...
पिनाक - उसने क्या किया...
@ - जिस अपार्टमेंट में राजकुमार... और वह लड़की रह रहे हैं... उस अपार्टमेंट की सेक्यूरिटी से लेकर लिफ्ट मेन... दुध वाला... सब्जी वाला... सब... ESS के लोग हैं...
पिनाक - ओ... मतलब युवराज पूरी जान लगा कर... उस लड़की की हिफाजत कर रहे हैं...
@ - हाँ शायद... इसलिए तो... हमारे कोई भी आदमी... उस अपार्टमेंट के आसपास भी फटक नहीं पा रहे हैं...
पिनाक - चलो मान लिया... उस लड़की के पास तुम या तुम्हारा कोई आदमी फटक भी नहीं पा रहे हैं... पर सेनापति दंपति की हिफाजत तो युवराज नहीं कर रहे थे ना... वहाँ तो तुम्हारी दाल नहीं गली....
@ - अब विश्वा सिर्फ क्षेत्रपालों से तो दुश्मनी नहीं रखी होगी... जैल में विश्वा भाई था... जरुर किसी और ने दुश्मनी उतारी होगी... हाँ यह बात और है कि... वह हम पर भी नजर रखे हुए था...
पिनाक - यह कहते हुए... तुम्हें शर्म भी नहीं आ रही...
@ - छोटे राजा जी... मैं कोई प्रोफेशनल नहीं हूँ... हाँ जिन्हें प्रोफेशनल समझ कर काम सौंपा था... वह फुस्सी बम निकले...
पिनाक - जानते हो... मैं कुछ न कुछ कर के... एक जीत वाली सुकून के साथ... राजगड़ जाना चाहता हूँ... सिर उठा कर... सीना ताने... अपनी मूँछ पर ताव देते हुए... इसलिए... मैं ना तो... पार्टी ऑफिस जा रहा हूँ... ना ही... मेयर ऑफिस...
@ - कोई नहीं छोटे राजा जी... मेरा वादा है आपसे... अगला जो भी कदम हम उठाएंगे... चाहे वह उस लड़की के मामले में हो या... विश्व के मामले में... कामयाबी के साथ ही हम... लौटेंगे... फिलहाल तो विश्व की मुहँ बोले माँ बाप... लापता हैं... इस खबर का मजा लीजिए....

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चर्र्र्र्र्र्र्र्र् की आवाज के साथ एक गाड़ी द हैल की लोहे के फाटक के सामने आकर रुकती है l ड्राइविंग सीट की डोर खोल कर विश्व उतरता है l तब तक फाटक के बाहर चार गार्ड्स आकर अपना पोजीशन ले लेते हैं l विश्व उनके पास आकर खड़ा होता है l

विश्व - (उन गार्ड्स से) जाओ... अपने मालिक को खबर दो... विश्वा आया है...

गार्ड्स विश्व की बात सुनकर हैरानी से एकदूसरे को देखते हैं फिर उनमें से एक गार्ड विश्व से कहता है l

गार्ड - युवराज जी ने कहा था... विश्वा नाम का कोई बंदा आए तो उन्हें अदब के साथ सीधे जीम पर भेज देना... (इतने में बाकी गार्ड्स फाटक खोल देते हैं) वह रहा जीम... जहां पर युवराज एक्सरसाइज कर रहे हैं... और आपका इंतजार भी...

विश्व द हैल के परिसर के अंदर दाखिल होता है और सीधे जीम की ओर बढ़ने लगता है l जीम में दाखिल होते ही देखता है एक बड़ा सा हॉल है जो लाइट्स से जगमगा रहा है l एक और जीम के सभी प्रकार के इंस्टृमेंट्स लगे हुए हैं और दुसरी तरफ स्पेरिंग के लिए रिंग भी सजा हुआ है l वहीँ सिफ एक पैंट में और ऊपर का पूरा बदन नंगा था, विक्रम एक ओर पंच बैग पर घुसों और लातों की बौछार कर रहा था l विक्रम पसीने से लथपथ था, अपनी जीम पर विश्व को नजर घूमाते देख विश्व से पूछता है

विक्रम - पसंद आया... यह मेरा वर्ल्ड क्लास जीम है...
विश्व - (उसके पास पहुँच कर) मेरे माँ डैड कहाँ हैं...
विक्रम - वाव... मैं तो डर गया... मुझे लगा तुम मुझे थैंक्यू कहोगे...
विश्व - विक्रम... मैंने तुमसे पहले ही कह दिया था... तुम्हारे और मेरे फिलींग्स के बीच परिवार आना नहीं चाहिए...
विक्रम - हाँ कहा तो था... और तुमने यह वॉर्न भी किया था... के मुझे तुम्हारे घर में कभी घुसना नहीं चाहिए... क्यूँकी अगर मैंने ऐसा किया तो तुम... मेरे घर में घुसोगे...
विश्व - हाँ...
विक्रम - पर मैं तुम्हारे घर में घुसा ही नहीं... विश्व प्रताप... पर तुम मेरे घर में घुस आये... हा हा हा...
विश्व - विक्रम... मैं यहाँ तुमसे कोई बकवास करने नहीं आया हूँ... अब सीधी तरह से मेरे माता पिता को मेरे हवाले करो... नहीं तो...
विक्रम - ह्म्म्म्म... धमकी... गुड... (पंच बैग से दुर चलते हुए स्पेरिंग रिंग में पहुँच कर) नहीं तो... क्या कर लोगे... विश्वा...

विश्व स्पेरिंग रिंग की रस्सी को पकड़ कर एक कुदी मार कर रिंग के अंदर पहुँचता है l

विश्व - नहीं तो... मैं तुम्हारा वह हश्र करूँगा के तुम कभी सोच भी नहीं पाओगे युवराज...
विक्रम - वाह मजा आ गया... चलो दिखाओ... तुम क्या क्या कर सकते हो... जो मैं... सोच नहीं सकता... (विश्व एक पंच मारता है जिसे विक्रम डॉज करता है) ना... इस पंच में... कोई ताकत नहीं है... चलो... आज विश्वा द बिष्ट को दिखाओ...

विश्व अब लगातार कुछ पंच और किक मारने लगता है पर विक्रम आसानी से सारे पंच और किक को डॉज कर लेता है l पर धीरे धीरे विश्व की पंच और किक में तेजी आने लगती है l डॉज करते हुए विक्रम एक जबरदस्त मुक्का विश्व के जबड़े पर मारता है l मुक्का जबरदस्त था विश्व छिटक कर रस्सियों के बकल पर गिरता है l थोड़ी देर के लिए विश्व का सिर झनझना जाता है l

विक्रम - बहुत दिन हो गए हैं ना... तुम्हें मार खाते हुए... कोई ना... आज सारी की सारी कसर मैं पुरा कर दूँगा...

विश्व अब अपना शर्ट उतार कर एक ओर फेंक देता है l फिर स्पेरिंग वाला पोजिशन लेता है l विक्रम भी अपना पोजीशन लेता है l विश्व अब हमला कर देता है, विक्रम विश्व के सारे मूव को डॉज करते हुए परखता है फिर एक हिट विश्व के पिंजर पर करता है l पर इस बार विश्व तैयार था l विक्रम की पंच को रोक कर विश्व एक अपरकट पंच विक्रम के जबड़े पर जड़ देता है l इसबार विक्रम छिटक कर रिंग के बकल पर पड़ता है l

विक्रम - आह... वाव... बहुत अच्छे... पर विश्व तुम्हारे हर दाव का तोड़ है आज मेरे पास..

इस बार विक्रम विश्व पर धाबा बोल देता है l अब दोनों एक-दूसरे पर हावी होने के लिए दाव पर दाव आजमाने लगते हैं l पर कोई किसी को पछाड़ नहीं पा रहा होता है l दोनों थक कर आमने सामने वाले बकल पर साँस दुरुस्त करने लगते हैं l

विक्रम - सिर्फ दो मिनट... आज हर हाल में... फैसला हो जाना चाहिए...

विश्व इस बार विक्रम पर जम्प लगा देता है, पर वार खाली जाता है, क्यूंकि शायद विक्रम को अंदाजा हो गया था, इसलिए विक्रम फर्श पर रोल होते हुए दूसरे किनारे पर पहुँच जाता है l

विक्रम - बड़ी जल्दी है तुम्हें... चलो फिर... आज खेल ख़तम कर ही देते हैं...

दोनों के बीच फिर से स्पेरिंग शुरु हो जाती है l इस बार विक्रम धीरे धीरे स्लो होने लगता है तो विक्रम बकल के पास पहुँचता है और अचानक दाव बदल कर अपने पैरों का सीजर लॉक मूव विश्व के पैरों पर आजमाता है विश्व रिंग के बकल पर गिरता है तो विक्रम नीचे वाले बकल के रस्सी को विश्व के गले में फांस देता है l विश्व रस्सी में फंसे अपनी गर्दन को छुड़ाने के लिए अपने हाथ को बकल के बीच रख देता है l विक्रम पीछे से विश्व के घुटने पर अपना पैर रख कर विश्व का घुटना मोड़ देता है l इससे विश्व अब विक्रम के कब्जे में आ जाता है l तभी एक चीखने की जनाना आवाज आती है तो दोनों का ध्यान उस आवाज के तरफ जाता है l प्रतिभा भागते हुए रिंग के पास आती है l


प्रतिभा - यह क्या कर रहे हो विक्रम... मेरे बेटे ने क्या किया है...
विक्रम - ओह माँ जी आप... यहाँ... कैसे...
प्रतिभा - तुम दोनों लड़ क्यूँ रहे हो... और मेरे बेटे ने किया क्या है... देखो अगर इससे कोई गलती हो गई है... तो मैं इसके लिए माफी मांगती हूँ... (प्रतिभा हाथ जोड़ कर) प्लीज... छोड दो मेरे बेटे को...

विक्रम इतना सुनते ही विश्व के गले से वह बकल वाला रस्सी निकाल देता है l विश्व रिंग पर बकल वाले रस्सी पर पीठ टिकाए बैठ कर जोर जोर से साँस लेने लगता है l प्रतिभा विश्व को पीछे से पकड़ कर गले लगा कर रोने लगती है l अपनी साँस दुरुस्त करने के बाद विश्व विक्रम की ओर देखता है l विक्रम विश्व को देखते हुए एक विजयी मुस्कान के साथ अपनी मूँछों पर ताव देता है l विश्व के चेहरे पर भी एक मुस्कान आ कर चली जाती है l इतने में शुभ्रा, रुप और तापस सभी आकर रिंग के पास पहुँचते हैं l

घूम कर विश्व प्रतिभा की आँखों को पोंछता है फिर रिंग से उतर कर प्रतिभा और तापस दोनों के पैरों को छूता है l

प्रतिभा - (हैरानी के साथ) यह क्या है विक्रम....
विक्रम - कोई बात नहीं माँ जी... बस एक सुकून था जो खो गया था... आज आपने पुरा कर दिया...

विक्रम रिंग से बाहर आता है और गौर से शुभ्रा और रुप की ओर देखता है, फिर तापस और प्रतिभा की ओर देखता है l

विक्रम - वैसे माँ जी...
प्रतिभा - क्यूँ ना आती तो मार देता मेरे बच्चे को...
विश्व - रिलैक्स माँ रिलैक्स... कुछ नहीं हुआ है...
प्रतिभा - (विक्रम से) हमें उन किडनैपरों से बचा कर... क्या यह दिखा ने के लिए यहाँ लाए थे...
विक्रम - माँ जी... यह एक इतिहास है... और गुरुर भी...
विक्रम - माँ जी... मैं हमेशा से आपका गुनहगार रहा हूँ... शायद उसकी सजा आपके इस बेटे के हाथों मुझे मिली थी... पर क्या करूँ... मेरे धमनीयों में राजसी खुन बह रही है... अपना सिर और मूंछें ऊँचा रखने के लिए... हम किसी भी हद तक चले जाते हैं... आपके बेटे ने मुझे मूंछें रखने लायक नहीं रखा था... मैंने बस आज वही गुरुर दोबारा हासिल कर लिया है... (प्रतिभा हैरानी के साथ विक्रम की ओर देख रही थी) एक वह दिन था... जब मेरी पत्नी विश्व के आगे मेरे लिए गिड़गिड़ाइ थी... आज विश्व के लिए... मेरे सामने हाथ जोड़ दिए... बस... आपका मान रह गया... और मेरा गुमान बच गया...
Nice and superb update....
 

avsji

कुछ लिख लेता हूँ
Supreme
4,218
23,619
159
👉एक सौ बयालीसवां अपडेट
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क्षेत्रपाल महल

नागेंद्र के कमरे में एक मेडिकल बेड लगा हुआ है l डॉक्टर्स और नर्सेस अपने काम में लगे हुए हैं l बेड के पास एक चेयर पर भैरव सिंह बैठा हुआ है और बेड के सिरहाने पर सुषमा खड़ी हुई है l कमरे में भीमा और बल्लभ भी दरवाजे के पास खड़े हैं l एक सैलाईन बोतल स्टैंड पर लगा कर नागेंद्र के कलाई पर ड्रिप लगा देता है, उसके बाद डॉक्टर नागेंद्र को एक इंजेक्शन देता है और फिर भैरव सिंह के पास आकर कहता है

डॉक्टर - राजा साहब... उम्र का तकाजा है... इस पड़ाव पर... लाइट फ़ूड खाना सेहत के लिए ठीक होता है... बड़े राजा जी को... बदहजमी के वज़ह से उल्टी और गैस हो गई थी... हमने इंजेक्शन दे दिया है... अब फिक्र करने की कोई जरूरत नहीं है....
भैरव सिंह - (ताली बजाता है, कुछ नौकर दौड़कर आते हैं) जाओ... डॉक्टर और उनकी टीम को छोड़ कर आओ... (सुषमा से) छोटी रानी... इनकी जितनी भी फीस बनती है... इन्हें दे दीजिए...
डॉक्टर - यह फीस की क्या बात कर रहे हैं राजा साहब... हम तो आपकी प्रजा हैं... बड़े राजा जी की सेवा... बड़े भाग्य से मिला है... हम भाग्य को पैसों से कैसे तोल सकते हैं...
भैरव सिंह - यह क्या कह रहे हो डॉक्टर... आपने सर्विस दी है...
बल्लभ - राजा साहब... जैसी जिसकी भावना... भावना अगर नेक हो... तो उसका सम्मान तो होनी ही चाहिए...
भैरव सिंह - ठीक कहते हो प्रधान... (भीमा की ओर देख कर) भीमा... जाओ इन्हें हमारी गाड़ी से छोड़ आओ...

सारे मेडिकल स्टाफ़ झुक कर नमस्कार करते हैं और भीमा के साथ बाहर चले जाते हैं l भैरव सिंह एक नजर सुषमा को देखता है, सुषमा समझ जाती है और अपना सिर पर घूंघट ला कर सिर हिला कर कमरे में ठहर कर नागेंद्र की सेवा करने की हामी भरती है l उसके बाद उस उस कमरे से पहले भैरव सिंह निकलता है और उसके पीछे पीछे बल्लभ l दोनों महल के लंबे से गलियारे में पहुंचते हैं l बल्लभ भैरव सिंह से अपनी घुटी जुबान से पूछता है

बल्लभ - राजा साहब.. राजगड़ हो या यशपुर... आप फीस देना चाहें तो भी कोई फीस लेने की हिम्मत आज तक किया नहीं है... यह जानते हुए भी... आप उन्हें फीस क्यों ऑफर कर रहे थे...
भैरव सिंह - (कुछ सोच में खोया खोया सा था, उसी खोए खोए अंदाज में) कुछ नहीं... चांद सुरज में ग्रहण अक्सर लगते हैं... कहीं क्षेत्रपाल के रुआब में ग्रहण तो नहीं लग रहा... यही चेक कर रहे थे...
बल्लभ - ऐसा क्यूँ राजा साहब... लगता है... कोई चिंता का विषय है...
भैरव सिंह - खास तो नहीं है... पर... क्या हम... उसे खास ना समझ कर नजर अंदाज कर... गलती तो नहीं कर रहे हैं...
बल्लभ - ओ.. समझ गया... शायद आप विश्वा... (बल्लभ आगे कुछ कहता नहीं है)
भैरव सिंह - प्रधान बाबु... मत भूलें... आप कौन हैँ... क्षेत्रपाल से दोस्ती या दुश्मनी करने के लिए... क्षेत्रपाल के बराबर का कद होना चाहिए... विश्वा जैसे आदमी के लिए सोच कर... हम समय और शक्ति दोनों का नष्ट नहीं करना चाहते...
बल्लभ - (थोड़ा खरासते हुए) हम भी यही मानते हैं... जानते हैं... पर समय के चिलमन में क्या छुपा है... कौन जाने...
भैरव सिंह - हमारी उम्र जरुर ढल रही है प्रधान... पर आज भी हमारी सोच वैसी की वैसी ही है... रुआब और पैसों के आगे हम किसीके लिए... दिल में कोई दयामाया नहीं पालते...
बल्लभ - हम भी यही कह रहे हैं... आप अपनी रबाब से नीचे ना सोचें... विश्व जैसों के लिए सोचने के लिए... आपने हम जैसे लोग पाल रखे हैं..
भैरव सिंह - हाँ अब वही लोग... एक एक करके नाकारा साबित हो रहे हैं...
बल्लभ - ऐसा अभी क्या हो गया है राजा साहब...
भैरव सिंह - प्रधान... हमने विश्व के पीछे... रोणा को छोड़ा था... पर अब... रोणा गायब हो गया है... कोई खबर ही नहीं है... पता नहीं कहीं... मर मरा तो नहीं गया...
बल्लभ - नहीं... राजा साहब... वह जिंदा जरूर है... विश्वा को दबोचने के लिए... आड़े हाथ लेने के लिए... जरुर कोई तिकड़म भीड़ा रहा होगा...
भैरव सिंह - पुरी बात बताओ प्रधान... विश्वा... जिसकी सिर को अपने जुते की बराबर की ऊँचाई पर रखे थे... अब लगता है या तो वह अपना कद बढ़ा रहा है... या फिर... हमें हमारी कद से नीचे की ओर खिंच रहा है... रोणा को विश्व के पीछे छोड़ा था... पर पता नहीं क्या हुआ... उसकी कोई खबर नहीं है... फोन भी स्विच ऑफ आ रहा है...
बल्लभ - राजा साहब... विश्वा... लगता है शायद उसके ऊपर भारी पड़ा... इस कदर भारी पड़ा के... शर्म और जिल्लत के मारे... अब मुहँ छुपाये कहीं छिप गया है... इंडेफिनाइट छुट्टी की एप्लिकेशन डाल कर चला गया है... उधर भुवनेश्वर में श्रीधर परीड़ा... भी गायब हो गया है...
भैरव सिंह - ह्म्म्म्म... इसका मतलब यह हुआ... की विश्वा अपना दायरा फैला रहा है... ताकि हमारे दायरे को काट सके...
बल्लभ - बात वहाँ तक नहीं आएगी... हम आने ही नहीं देंगे...
भैरव सिंह - वह तो देखा जाएगा... फिलहाल... हम अपने घर के सदस्यों के बारे में सोच रहे हैं...
बल्लभ - राजकुमार के बारे में...
भैरव सिंह - ह्म्म्म्म....
बल्लभ - समझ सकता हूँ... युवराज के मना करने के बाद... आपने राजकुमार को राजनीति में युवा चेहरा बना कर सामने लाने की कोशिश की गई... पर राजकुमार जी के उस लड़की के साथ... (चुप हो जाता है)
भैरव सिंह - कहो प्रधान कहो... चुप क्यूँ हो गए... राजकुमार ने हमारी सारे प्लान पर पानी फ़ेर दिया... वज़ह... वह दो कौड़ी की लड़की... और जब तक वह लड़की उसके साथ है... राजकुमार वापस नहीं आयेंगे...
बल्लभ - छोटे राजा जी भी तो अभी नहीं आए हैं... उन्हें अब राजगड़ आ जाना चाहिए... भुवनेश्वर में पता नहीं क्या कर रहे हैं...
भैरव सिंह - नहीं भुवनेश्वर में उनका काम बाकी है... जब तक काम ख़तम ना हो जाए... तब तक... छोटे राजा जी राजगड़ नहीं आयेंगे...
बल्लभ - क्या आप... उस बाबत भुवनेश्वर जाएंगे...
भैरव सिंह - नहीं... फ़िलहाल.. नहीं... हम यहाँ अपनी किला को मजबूत करेंगे... ताकि कोई दुश्मन राजगड़ में हमारे खिलाफ कोई किलाबंदी ना कर सके...
बल्लभ - क्या हम युवराज जी से संपर्क करें...
भैरव सिंह - प्रधान... बेटा अपने पैर में बाप का जुता पहनता है... बाप बेटे का जुता नहीं पहनता...
बल्लभ - क्षमा चाहते हैं... फिर राजकुमार कैसे वापस आयेंगे...
भैरव सिंह - हमने छोटे राजा जी को कह रखा है... उनके बारे में... छोटे राजा जी ज़रूर कुछ ना कुछ सोच रहे होंगे....

थोड़ी देर के लिए दोनों के बीच एक चुप्पी पसर जाती है l दोनों यूँही चले जा रहे थे l कुछ देर बाद बाद भैरव सिंह कहता है

भैरव सिंह - प्रधान...
बल्लभ - जी राजा साहब...
भैरव सिंह - तुम्हें क्या लगता है...
बल्लभ - जी... मैं कुछ समझा नहीं...
भैरव सिंह - (एक गहरी साँस छोड़ते हुए) देखो... कितना शांत वातावरण है... इतना शांत... के... कहीं दुर बहती नदी की कल कल शब्द यहाँ तक सुनाई दे रही है...
बल्लभ - (चुप रहता है)
भैरव सिंह - वातावरण इतना शांत कब होता है प्रधान...
बल्लभ - (हकलाते हुए) न न.. नहीं जानता राजा साहब...

तभी भीमा इन दोनों के पास आ पहुँचता है और चुपचाप सिर झुकाए खड़ा हो जाता है l

भैरव सिंह - प्रधान... इतनी खामोशी किसी आने वाले तूफान का इशारा है... तुम अब हर कोने में... हर हिस्से में... अपनी पैनी नजर घुमाओ... अपना कान लगाओ... हमारे अंदर से एक वाईव सा आ रहा है... कहीं ना कहीं... कुछ ना कुछ.. हो रहा है... पर क्या... हमें बहुत सतर्क रहना होगा... और भीमा तुम...
भीमा - जी हुकुम...
भैरव सिंह - कुछ दिनों के लिए... आखेट परिसर के... मगरमच्छों को और लकड़बग्घों को भूखा रखो...
भीमा - जी हुकुम...
भैरव सिंह - लगता है... बहुत जल्द उन्हें इंसानी गोश्त मिलने वाली है...

भीमा हैरानी भरे नजरों से बल्लभ की ओर देखता है l वैसा ही हाल बल्लभ का भी हुआ जा रहा था l


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किचन में अनु गैस पर कुकर को रखती है फिर गैस जलाती है l तभी उसे कलिंग बेल की टिंग टोंग की आवाज सुनाई देती है l अपने पल्लू से हाथ और चेहरा पोछते हुए दरवाजा खोलती है l सामने वीर खड़ा था l चेहरे पर थोड़ी उदासी और मायूसी लिए l वीर हल्का सा मुस्कराते हुए अंदर दाखिल होता है और सोफ़े पर धप कर बैठ जाता है l अनु अभी भी दरवाजे पर थी l वीर अनु की ओर देखता है, अनु अपनी बड़ी बड़ी आँखों से वीर की ओर थोड़ी हैरानी और परेशान भरे नजरों से देखे जा रही थी l वीर अपना हाथ बढ़ा कर इशारे से अनु को बुलाता है l अनु का चेहरा खिल उठता है l वह किसी मासूम बच्ची की तरह खिलखिलाते हुए भागते हुए आती है और दोनों हाथों से वीर की हाथ पकड़ लेती है l वीर उसे अपनी गोद में खिंच लेता है l

अनु की पीठ अब वीर के सीने से चिपकी हुई थी l वीर अपना चेहरा अनु की कंधे पर रख देता है l अनु को अपने कंधे पर एक गर्म चुंबन का एहसास होता है l उसकी आँखे बंद हो जाती है l पर उसे हैरानी होती है कि वीर अपना चेहरा उसके कंधे पर रख कर वैसे ही बैठ गया था l अनु वीर से सवाल करती है

अनु - राजकुमार जी... आज क्या हुआ...
वीर - (वैसे ही अपने गालों को अनु की कंधे पर रगड़ते हुए कहता है) कुछ नहीं मेरी जान... कुछ भी तो नहीं...
अनु - फिर आप ऐसे... मायूस से.. हारे हुए से क्यूँ लग रहे हैं...
वीर - (अपना माथा अनु के कंधे से हटा कर) क्या मैं तुम्हें हारा हुआ लग रहा हूँ... (अनु चुप रहती है, उसे सूझती नहीं है क्या कहे, वीर उसकी मनःस्थिति को समझ जाता है) अरे मेरी अनु... मेरी तो सबसे बड़ी जीत तु है... और जब तक तु मेरे साथ है... मुझे कौन हरा सकता है... खुद वह तकदीर लिखने वाला भी नहीं...
अनु - (वीर की ओर घुमती है, अपने दोनों हाथों से वीर की चेहरे को थामती है) राजकुमार... तो आपके चेहरे पर यह मायूसी क्यूँ...
वीर - चलो नहीं बताता... मैं तुम से नाराज हूँ... बहुत बहुत नाराज हूँ...
अनु - (वीर की चेहरे को छोड़ देती है) झूठे... नहीं बताना चाहते हैं... तो मत बताइए... यूँ मुझसे नाराज होने की झूठी बात क्यूँ कर रहे हैं...
वीर - क्या करूँ बोलो... मैं दुखी होने की ऐक्टिंग करता हूँ... पर तुम्हारा चेहरा देखता हूँ... तो सारे दुख भुला जाता हूँ... कभी कभी सोचता हूँ... के तुम्हें थोड़ा नाराज कर दूँ... ताकि तुम्हें मनाऊँ... पर तुम हो कि मेरी झूठ पकड़ लेती हो... और रूठने की झूठी नाटक तक नहीं करती...
अनु - जान चली जाए मेरी... अगर कभी आपसे मैं रूठी तो...
वीर - (अनु के गाल पर हल्का सा चपत लगाते हुए) श्श्श... क्या बात कर रही है... ऐसी बातों से मुझ पर क्या गुज़रती है.. सोच समझ कर बातेँ किया कर.. समझी...
अनु - (वीर की गोद से उतर कर वीर के बगल में बैठ जाती है और अपने कान पकड़ कर) ठिक है बाबा कान पकड़ती हूँ... फिर कभी ऐसा नहीं कहूँगी... पर मुझे बताइए तो सही... आप जाके कहाँ से आ रहे हैं...
वीर - (अनु के दोनों हाथों को अपने गालों पर रख कर) हमारे प्यारे संसार में... खुशियां ही खुशियां है... घर है... पैसा भी है... पर... संसार जैसा कुछ लग नहीं रहा है... इसलिए एक संसार का बंदोबस्त करने गया था...
अनु - मतलब...
वीर - अरे मेरी भोली अनु... काम ढूंढने गया था...
अनु - काम...
वीर - हाँ... ताकि मैं सुबह तेरी यह खूबसूरत चेहरा देख कर काम को निकलुं... तु मुझे पीछे से आवाज देकर बुलाए... मैं तेरी आवाज सुन कर रुक जाऊँ... तु मेरे पास आकर... मेरे हाथ में टिफिन कैरेज दे दे... मैं इस आशय से निकलुं... के मुझे शाम को लौटना है.. दो प्यारी प्यारी बड़ी सी हिरनी जैसी आँखे मेरी राह तक रही होंगी... जब मैं दुनिया से जद्दोजहद कर थका हारा लौटुं... तो मेरी राह में पलकें बिछाये इन दो नैनों को देखते ही... मेरी थकान सारी फुर्र हो जाए...

अनु मुस्करा देती है, शर्म से उसके गालों पर लाली छाने लगती है, वह वीर के गालों से अपना हाथ खिंच कर अपना चेहरा छुपा लेती है l

वीर - है.. क्या हुआ... (अनु के चेहरे पर हाथ हटा कर)
अनु - आप ना बड़े... छोड़िए...
वीर - अरे बात तो पुरा करो...
अनु - आप बड़े...
वीर - हाँ हाँ... आगे..
अनु - आप बड़े झूठे हो...
वीर - (अनु की हाथ छोड़ कर) लो करदिया मेरा मुड़ खराब...
अनु - (घबराते हुए) उई माँ.. क्या हुआ...
वीर - बताऊँगा... पहले यह बोलो... मैंने झूठ क्या बोला...
अनु - वह तो मैंने यूँही कह दी..
वीर - मुझे झूठा कहना... तुम्हें बड़ा मजा देता है ना...

अनु बड़ी मासूमियत से अपना सिर हिला कर हामी भरती है, जिसे देख कर वीर उसकी नाक खिंच कर कहता है l

वीर - तुम्हारी यही अदा तो मुझे दुनिया से टकराने के लिए हिम्मत देती है...
अनु - पर आपने बताया नहीं... किस काम के लिए गए थे और हुआ क्या...

वीर अनु को अपने उपर खिंच लेता है l अनु उसके उपर आकर गिरती है l पहले वीर उसके आँखों में झाँकता है फिर अपना सिर अनु के सीने पर धड़कन के पास रख देता है l अनु भी उसके सिर को थाम लेती है l

वीर - जानती है अनु... मेरे पिता ने... मेरी मदत को सबसे मना कर रखा है... यहाँ तक... जो कभी मुझसे डरा करते थे... मेरे रीकमेंडेशन पर जो दूसरों को नौकरी दिया करते थे... वे लोग भी... अब मुझसे कन्नी काटने लगे हैं... पर तु इसे दिल पर मत लगा ले... जो मैंने कभी बोया था... आज वह लौट कर आ रहा है... दुनिया से असल पहचान हो रही है...
अनु - आपके पास तो पैसे हैं ना... फिर आप क्यूँ कहीं जा रहे हैं...
वीर - वह मेरे पैसे नहीं है अनु... वह विक्रम भैया के पैसे हैं... मैं जिंदगी भर कुछ भी ना करूँ... फिर भी... मेरा एकाउंट कभी खाली होने नहीं देंगे... तेरे बदन पर... सूती साड़ी ही सही... पर एक बार अपनी कमाई से देखना चाहता हूँ... किसी रेस्टोरेंट के बजाय... फुटपाथ ही सही... पर एकबार तुझे अपनी कमाई से नास्ता खिलाना चाहता हूँ... (वीर के गालों पर गर्म पानी की बूंद आकर गिरती है, वीर अचानक अनु से अलग हो जाता है) अनु... यह क्या... तेरे आँखों में आँसू.. मेरे दिल को चीर देंगे... प्लीज मत रो...
अनु - मैं एक पनौती बन कर आपके जीवन में आई ना... आप राजकुमार... काम ढूंढ रहे हैं...
वीर - धत पगली... तु जानती है ना... मेरे पास इतना पैसा है कि... तुझे हीरों से सजा सकता हूँ... (अनु अपना सिर हामी भरते हुए हिलाती है) तुझे सेवन स्टार होटल में खिला सकता हूँ... (अनु उसी मासूमियत के साथ हाँ कहती है) यह तो एक मेरी एक ऐसी.. मासूम सी ख़्वाहिश है... जिसे एक दिन मैं पुरा करना चाहता हूँ... (अनु की नाक पकड़ कर उसका सिर हिलाते हुए) समझी मेरी मासूम पगली... (अनु हँस देती है) यह हुई ना बात... अब तुझे खुश ख़बर भी सुना देता हूँ... एक बंदे ने मुझे काम पर रख लिया...
अनु - झुठे...
वीर - सच्ची...
अनु - झूठ मत बोलिए... आपको झूठ बोलना आता ही नहीं है...
वीर - अच्छा... मुझे झूठ बोलना नहीं आता... तो और एक बात कहूँ...
अनु - (अपनी आँखे पोछते हुए) जी कहिये...
वीर - आई लव यु... (अनु शर्मा कर उठ कर जाने लगती है तो वीर अनु की हाथ पकड़ लेता है) क्या हुआ...
अनु - राजकुमार जी छोड़िए ना... किचन में बहुत कम पड़ा है...
वीर - (खड़े होकर) हाँ हाँ... पता है कितना काम पड़ा है... आज मिली हो तुम मुझे... चलो... मेरे बात का जवाब दो...
अनु - (हाथ छुड़ाने की कोशिश करती है) छोड़िए ना राजकुमार जी...
वीर - नहीं... बिल्कुल नहीं... आज तो तुम्हारे मुहँ से सुन कर ही रहूँगा...

अनु हाथ छुड़ा नहीं पाती और वीर की घुम जाती है, वीर उसे फिर से अपने पास खिंच कर सीने से जकड़ लेता है l

वीर - चलो बोलो...
अनु - (शर्म ओ हया के साथ अपनी हँसी को दबाते हुए) क्या...
वीर - आई लव यु...
अनु - ऊँ.. हूँ..
वीर - अनु...
अनु - हूँ...
वीर - प्लीज...
अनु - अच्छा ठीक है... आप अपनी आँखे बंद कर लीजिए...
वीर - यह क्या... इसमे आँख बंद करने वाली क्या बात है..
अनु - प्लीज...
वीर - ठीक है... (आँखे बंद कर लेता है) कहो अब...
अनु - (धीरे से,धीमी आवाज़ में)आई...
वीर - हाँ हाँ... आई...
अनु - लव...
वीर - हाँ हाँ... लव...
अनु - आई लव...
वीर - हाँ हाँ.. आई लव...

तभी प्रेसर कुकर की सीटी जोर से बजने लगती है जिससे वीर चौंक कर अनु को छोड़ देता है l मौका पाकर अनु किचन की ओर भाग जाती है l

वीर - अनु... (अनु रुक कर पीछे मुड़ कर देखती है) दिस इज़ नॉट फेयर... (अनु वीर को जीभ दिखा कर किचन के अंदर चली जाती है, वीर मुस्करा कर रह जाता है)

अनु के किचन के अंदर जाने के बाद वीर सोफ़े पर बैठ कर रिमोट से टीवी ऑन करता है l टीवी पर एक न्यूज ब्रीफिंग चल रही थी l न्यूज सुनते ही वीर की आँखे हैरानी से फैल जाती हैं

"कल देर रात कटक में वाव की अध्यक्षा प्रतिभा सेनापति जी के घर पर कुछ अज्ञात लोगों ने डकैती की कोशिश की थी l घर में समान तितर-बितर होकर पड़े थे l घर पर तक कोई था या नहीं इस बात की पुष्टि अभी तक नहीं हो पाई है l पुलिस सेनापति दंपति से संपर्क करने की कोशिश कर रही है पर अभी तक कोई सफलता हाथ नहीं लगी है l "

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भुवनेश्वर के प्रवेश पर टोल नाके पर सुपरिटेंडेंट जान निसार खान सादे कपड़े में जीप के बोनेट पर कुहनियों पर टेक लगाए खड़ा था l कुछ देर बाद एक ट्रक टोल नाके पर रुकती है l विश्व उस ट्रक से उतर कर भागते हुए खान के पास आता है l खान जल्दी से जीप की ड्राइविंग सीट पर बैठ जाता है और बगल में विश्व l खान गाड़ी स्टार्ट कर शहर की ओर घुमा देता है l विश्व बहुत ही सीरियस हो कर अपनी सीट पर बैठा हुआ था l मुट्ठीयाँ भिंची हुई थी चेहरा सख्त हो गया था l

खान - विश्व डोंट बी सो पेनिक...
विश्व - (बिना खान की ओर देखे) कैसे ना होऊँ खान सर... माँ और डैड... रात से गायब हैं... उनकी अभी तक कोई खबर नहीं...
खान - देखो मुझे भी देर रात खबर मिली... जोडार ने तुम्हारे साथ साथ... मुझे भी खबर किया था... पुलिस हरकत में आ चुकी है... घबराओ नहीं... ट्विन सिटी पुरा नाका बंदी कर ली गई है...
विश्व - कोई फायदा नहीं होगा खान सर...
खान - ओह... कॉम ऑन विश्व... इतना भी निरास ना हो... कम से कम... तुम... भाभीजी का स्टेट में... क्या पोजीशन है... तुम जानते हो... और तापस एक बड़े अहदे वाला ऑफिसर रहा है... जिसने भी अगुआ किया है... वह पुरे सिस्टम से पंगा नहीं ले सकता...
विश्व - हाँ नहीं ले सकता... पर अगर वह सिर फ़िरा हुआ तो...

इस बार खान चुप रहता है l गाड़ी जोडार ग्रुप्स लिमिटेड के ऑफिस में रुकती है l विश्व और खान दोनों उतर कर ऑफिस के अंदर सीधे कांफ्रेंस रुम में पहुँचते हैं l विश्व देखता है कमरे में सुभाष और सुप्रिया भी जोडार के साथ बैठे हुए थे l विश्व को देखते ही तीनों खड़े हो जाते हैं l

विश्व - (जोडार से) जोडार साहब... मैं क्या कहूँ... कैसे कहूँ...
सुप्रिया - विश्व प्रताप...
विश्व - मैं आपसे बात नहीं कर रहा हूँ... यह कोई मीडिया मसाला वाली बात नहीं है...
जोडार - तुम्हें एक बार... मिस सुप्रिया को सुनना चाहिए...
सुभाष - हाँ विश्व... सुप्रिया के पास तुम्हारे लिए एक खबर है...

विश्व हैरानी से सुप्रिया की ओर देखता है, सुप्रिया हाँ में अपना सिर हिलाते हुए अपना मोबाइल निकाल कर एक विडिओ चला कर विश्व के हाथ में देती है l विश्व के लिए प्रतिभा का वीडियो मैसेज था

प्रतिभा - मेरे बेटे प्रताप... जानती हूँ... तु डर रहा होगा... हमारे बारे में सोच कर... हाँ... यह सच है... हमारी किडनैपिंग की कोशिश हुई... गनीमत है मर्डर करने की कोशिश नहीं हुई... पर उन किडनैपर से हमें तेरे एक शुभ चिंतक ने बचा लिया है... अब हम... यानी मैं और तेरे डैड दोनों उसके पास महफ़ूज़ हैं... नाम उसका मैं तुमसे इस वक़्त रिवील नहीं कर सकती... उसका कहना है कि तुम... समझ जाओगे और बहुत जल्द तुम उसे और हमें ढूंढ लोगे...

वीडियो बंद हो जाता है l विश्व के माथे पर बल पड़ जाता है l पास ही एक चेयर पर धढ़ाम कर बैठ जाता है l जोडार एक पानी का ग्लास लाकर विश्व को देता है पर विश्व मना कर देता है l

विश्व - जोडार सर... कैसे हुआ... मुझे थोड़ा डिटेल में बतायेंगे प्लीज...
जोडार - देखो विश्व... मुझसे एक छोटी गलती यह हुई कि... मुझे डबल लेयर सिक्युरिटी लगानी चाहिए थी... पर मैंने सिंगल लेयर सिक्युरिटी लगाया था... जो कि ब्रिच हो गया... जिन्होंने भी यह कांड किया है... वे लोग पहले से ही... अच्छी तरह से रेकी किए थे... (एक गहरी साँस छोड़ता है, फिर, एक छोटा सा इलेक्ट्रॉनिक डीवाइस निकाल कर विश्व के हाथ में देता है) यह एक ट्रांसमिशन जैमर है... जिसके वज़ह से... सीसीटीवी की ट्रांसमिशन रुक गई... जिसकी अलर्ट... तुम्हारे मोबाइल पर तुम्हें मिली... जाहिर है... ऐसा ही अलर्ट... हमारे कंट्रोल रुम में भी आया था... तुमने जैसे ही फोन किया... मेरे आदमी जब तक घर पर पहुँचे... तब तक... सेनापति जी... और मैम किडनैप हो चुके थे... हमने अपने आदमियों को चेक किया तो पाया... (सीरींज नुमा एक शॉट दिखाते हुए) सबको ऐनेस्थेटीक ट्रांकुलाइजर शॉट से... बेहोश किया गया था...
विश्व - (उस शॉट को हाथ में लेकर) आपके आदमियों को बेहोश कर जिन्होंने माँ और डैड को किडनैप करी... माँ उन्हीं के कब्जे में है... या किसी और के कब्जे में...
सुभाष - जोडार ग्रुप को छका कर जो चोर सेनापति सर और मैम को किडनैप किया... उन पर कोई तीसरा मोर बन गया...
विश्व - यह आप कैसे कह सकते हैं...
सुभाष - देखो विश्व... मैं इस केस में नहीं हूँ... तुम्हारे वज़ह से... मुझे होम मिनिस्ट्री ने... रुप फाउंडेशन का एसआईटी चीफ बनाया है... तुम तक खबर पहुँचाने के लिए मैम ने... तुम्हारे फोन के बजाय... सुप्रिया जी को क्यूँ इन्फॉर्म किया... यह मैं नहीं कह सकता... पर जैसे ही यह विडिओ... सुप्रिया जी को मिला... उन्होंने मुझे कॉन्टैक्ट किया... मैंने खान सर से मिलकर... तुम्हारे लिए कुछ इन्फॉर्मेशन जुटाए हैं... शायद तुम्हारे काम आ जाए... (इतना कह कर सुभाष एक टेबलेट निकाल कर विश्व के हाथ में देता है) यह देखो... यह लिंक रोड पर जो प्रेस क्लब है... वहाँ की सीसीटीवी की फुटेज है...

विश्व देखता है दो काली रंग की गाड़ी को प्रेस क्लब जंक्शन के आगे चार काले रंग के गाड़ी आकर रुकती हैं l उससे कुछ बंदे उतर कर उन दो गाड़ी में बैठे लोगों को बंदूक की नोक पर ले लेते हैं, फिर वे लोग गाड़ी की डोर खोल कर बेहोश तापस दंपति को अपनी गाड़ी में लेकर उन दो गाड़ियों के हवा निकाल कर चले जाते हैं l तब एक आदमी एक गाड़ी से उतर कर अपना नकाब उतरता है और फिर बोनेट पर मुक्का मारता है l

विश्व - रंगा... यह तो रंगा है... इसने...
सुभाष - हाँ... रंग चरण सेठी... याद है... तुमसे छत्तीस का आँकड़ा है...
विश्व - इसने इतनी हिम्मत जुटाई कहाँ से... पर न्यूज में तो यह क्लिप नहीं चला रहे हैं...
खान - अभी तक पुलिस वालों को भी यह क्लिप नहीं मिली है...
विश्व - व्हाट...
सुभाष - हाँ... इसे हमने सुप्रिया जी की मदत से... पूरा का पूरा मास्टर क्लिप ले आए हैं... क्यूँकी... खान सर चाहते थे... पहले तुम... तसल्ली कर लो... उसके बाद ही हम... पुलिस और मीडिया तक पहुँचाएँगे...
विश्व - मुझे अभी भी समझ में नहीं आ रहा... डैड के पास एक रिवॉलवर है... कैसे इस्तेमाल नहीं कर सके...
खान - उनके सोने के बाद... यह सब आधी रात को हुआ है... घर में घुसने वाले... किचन की खिड़की की सरिया को तेजाब से पिघला कर घुसे थे...

विश्व सोच में पड़ जाता है l सभी के सभी विश्व की ओर देखने लगते हैं l तभी अचानक विश्व सुभाष से दोबारा टेबलेट दिखाने के लिए कहता है l विश्व फुटेज को गौर से देखता है l सेनापति दंपति को अपनी गाड़ी में बिठाने के बाद एक नकाबपोश रंगा के गाड़ी के पास आता है और सीसीटीवी की ओर देखता है फिर एक काग़ज़ की पर्ची निकाल कर गाड़ी के छत पर चिपका का चला जाता है l

विश्व - (सुभाष से) सतपती जी... यह गाड़ी मौका ए वारदात पर क्या पुलिस को मिली...
सुभाष - हाँ... इस गाड़ी का चारों टायरों के हवा निकाल दी गई थी... इसलिए किडनैपर मजबूरन उस गाड़ी को छोड़ कर चले गए...
विश्व - क्या यह गाड़ी अभी पुलिस की कब्जे में है...
सुभाष - नहीं... पुलिस को यह नहीं मालुम है कि सेनापति सर और मैम की इस गाड़ी से किडनैपिंग की कोशिश हुई थी... इसलिए... यह गाड़ी ट्रैफ़िक पुलिस ऑफिस में है...
विश्व - क्या... मुझे इस चिट... या फिर इस चिट की फोटो मिल सकती है...

विश्व की हाथ से टेबलेट लेकर सुभाष वीडियो को दोबारा देखता है फिर अपना मोबाइल निकाल कर कहीं पर फोन लगाता है l कुछ देर बाद सुभाष के फोन पर एक व्हाट्सअप फोटो का मेसेज आती है l सुभाष उस फोटो को डाउन लोड करने के बाद विश्व को दिखाता है l वह फोटो ओरायन मॉल की पार्किंग एरिया की टोकन थी l अचानक विश्व की आँखे फैल जाती हैं l

विश्व - (जोडार से) सर मुझे आपकी गाड़ी चाहिए...
खान - मतलब तुम्हें मालुम हो गया... सेनापति और भाभी जी कहाँ है इस वक़्त...
विश्व - जी... पर यह निमंत्रण सिर्फ मेरे अकेले के लिए है... जाहिर है... मुझे अकेले जाना होगा...

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"अबे चुप"

चिल्लाया पिनाक l उसके सामने एक शख्स खड़ा हुआ था l पिनाक एक कुर्सी पर शराब का ग्लास हाथ लिए बैठा था l एक घुट पीने के बाद अपने आस्तीन से अपना मुहँ साफ करता है l

पिनाक - साले... तुझे काम दिया था... यह सिला दिया... कुछ भी नहीं हो रहा है तुझसे... (ग्लास ख़तम कर, एक छटपटाहत के साथ) लगता है... किसी और से बोलना पड़ेगा... तुझसे कुछ नहीं हो पा रहा है...
@ - जो आप समझ सकते हैं समझ लें... न्यूज में दिखा रहा है... सेनापति दंपति अभी भी... लापता हैं...
पिनाक - पर मेरे कब्जे में तो नहीं हैं ना.... पता नहीं वह कौनसा मनहूस दिन था... जो मैं तुझ पर इम्प्रेस हो गया.... पर तु तो एकदम से पनौती निकला... कोई एक काम ढंग से किया भी है तु...
@ - (एक गहरी साँस छोड़ते हुए) हाँ पर काम जब भी... लगभग लगभग होने को था... तभी कोई ना कोई भाजी मार जाता है... पर क्या करूँ... मैं आपके हुकुम का गुलाम... हमेशा इसी कोशिश में रहा... कहीं भी कभी भी... आपका नाम बाहर ना आए...
पिनाक - फायदा क्या हुआ.... ना मेरा बेटा मेरे पास है... ना ही उस विश्व को अपने घुटने पर ला सका... यह कौन आकर... सेनापति दंपति को हमसे छुड़ा ले गया...
@ - जो भी है... विश्व का दोस्त तो हो नहीं सकता... जरुर विश्व का कोई दुश्मन होगा... क्यूँकी अभी भी... वे लोग लापता हैं... और मुझे लगता है... विश्व का दुश्मन... विश्व से कॉन्टैक्ट किया भी नहीं होगा... वर्ना पुलिस की हलचल हमें बता चुकी होती...
पिनाक - ठीक है... हम ना सही... कोई तो विश्व को घुटने पर लाएगा... पर तुमने उस दो कौड़ी लड़की का भी अभी तक कुछ नहीं किया...
@ - इस बात के लिए... आपका भतीजा... मेरा मतलब है... युवराज जिम्मेदार हैं...
पिनाक - उसने क्या किया...
@ - जिस अपार्टमेंट में राजकुमार... और वह लड़की रह रहे हैं... उस अपार्टमेंट की सेक्यूरिटी से लेकर लिफ्ट मेन... दुध वाला... सब्जी वाला... सब... ESS के लोग हैं...
पिनाक - ओ... मतलब युवराज पूरी जान लगा कर... उस लड़की की हिफाजत कर रहे हैं...
@ - हाँ शायद... इसलिए तो... हमारे कोई भी आदमी... उस अपार्टमेंट के आसपास भी फटक नहीं पा रहे हैं...
पिनाक - चलो मान लिया... उस लड़की के पास तुम या तुम्हारा कोई आदमी फटक भी नहीं पा रहे हैं... पर सेनापति दंपति की हिफाजत तो युवराज नहीं कर रहे थे ना... वहाँ तो तुम्हारी दाल नहीं गली....
@ - अब विश्वा सिर्फ क्षेत्रपालों से तो दुश्मनी नहीं रखी होगी... जैल में विश्वा भाई था... जरुर किसी और ने दुश्मनी उतारी होगी... हाँ यह बात और है कि... वह हम पर भी नजर रखे हुए था...
पिनाक - यह कहते हुए... तुम्हें शर्म भी नहीं आ रही...
@ - छोटे राजा जी... मैं कोई प्रोफेशनल नहीं हूँ... हाँ जिन्हें प्रोफेशनल समझ कर काम सौंपा था... वह फुस्सी बम निकले...
पिनाक - जानते हो... मैं कुछ न कुछ कर के... एक जीत वाली सुकून के साथ... राजगड़ जाना चाहता हूँ... सिर उठा कर... सीना ताने... अपनी मूँछ पर ताव देते हुए... इसलिए... मैं ना तो... पार्टी ऑफिस जा रहा हूँ... ना ही... मेयर ऑफिस...
@ - कोई नहीं छोटे राजा जी... मेरा वादा है आपसे... अगला जो भी कदम हम उठाएंगे... चाहे वह उस लड़की के मामले में हो या... विश्व के मामले में... कामयाबी के साथ ही हम... लौटेंगे... फिलहाल तो विश्व की मुहँ बोले माँ बाप... लापता हैं... इस खबर का मजा लीजिए....

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चर्र्र्र्र्र्र्र्र् की आवाज के साथ एक गाड़ी द हैल की लोहे के फाटक के सामने आकर रुकती है l ड्राइविंग सीट की डोर खोल कर विश्व उतरता है l तब तक फाटक के बाहर चार गार्ड्स आकर अपना पोजीशन ले लेते हैं l विश्व उनके पास आकर खड़ा होता है l

विश्व - (उन गार्ड्स से) जाओ... अपने मालिक को खबर दो... विश्वा आया है...

गार्ड्स विश्व की बात सुनकर हैरानी से एकदूसरे को देखते हैं फिर उनमें से एक गार्ड विश्व से कहता है l

गार्ड - युवराज जी ने कहा था... विश्वा नाम का कोई बंदा आए तो उन्हें अदब के साथ सीधे जीम पर भेज देना... (इतने में बाकी गार्ड्स फाटक खोल देते हैं) वह रहा जीम... जहां पर युवराज एक्सरसाइज कर रहे हैं... और आपका इंतजार भी...

विश्व द हैल के परिसर के अंदर दाखिल होता है और सीधे जीम की ओर बढ़ने लगता है l जीम में दाखिल होते ही देखता है एक बड़ा सा हॉल है जो लाइट्स से जगमगा रहा है l एक और जीम के सभी प्रकार के इंस्टृमेंट्स लगे हुए हैं और दुसरी तरफ स्पेरिंग के लिए रिंग भी सजा हुआ है l वहीँ सिफ एक पैंट में और ऊपर का पूरा बदन नंगा था, विक्रम एक ओर पंच बैग पर घुसों और लातों की बौछार कर रहा था l विक्रम पसीने से लथपथ था, अपनी जीम पर विश्व को नजर घूमाते देख विश्व से पूछता है

विक्रम - पसंद आया... यह मेरा वर्ल्ड क्लास जीम है...
विश्व - (उसके पास पहुँच कर) मेरे माँ डैड कहाँ हैं...
विक्रम - वाव... मैं तो डर गया... मुझे लगा तुम मुझे थैंक्यू कहोगे...
विश्व - विक्रम... मैंने तुमसे पहले ही कह दिया था... तुम्हारे और मेरे फिलींग्स के बीच परिवार आना नहीं चाहिए...
विक्रम - हाँ कहा तो था... और तुमने यह वॉर्न भी किया था... के मुझे तुम्हारे घर में कभी घुसना नहीं चाहिए... क्यूँकी अगर मैंने ऐसा किया तो तुम... मेरे घर में घुसोगे...
विश्व - हाँ...
विक्रम - पर मैं तुम्हारे घर में घुसा ही नहीं... विश्व प्रताप... पर तुम मेरे घर में घुस आये... हा हा हा...
विश्व - विक्रम... मैं यहाँ तुमसे कोई बकवास करने नहीं आया हूँ... अब सीधी तरह से मेरे माता पिता को मेरे हवाले करो... नहीं तो...
विक्रम - ह्म्म्म्म... धमकी... गुड... (पंच बैग से दुर चलते हुए स्पेरिंग रिंग में पहुँच कर) नहीं तो... क्या कर लोगे... विश्वा...

विश्व स्पेरिंग रिंग की रस्सी को पकड़ कर एक कुदी मार कर रिंग के अंदर पहुँचता है l

विश्व - नहीं तो... मैं तुम्हारा वह हश्र करूँगा के तुम कभी सोच भी नहीं पाओगे युवराज...
विक्रम - वाह मजा आ गया... चलो दिखाओ... तुम क्या क्या कर सकते हो... जो मैं... सोच नहीं सकता... (विश्व एक पंच मारता है जिसे विक्रम डॉज करता है) ना... इस पंच में... कोई ताकत नहीं है... चलो... आज विश्वा द बिष्ट को दिखाओ...

विश्व अब लगातार कुछ पंच और किक मारने लगता है पर विक्रम आसानी से सारे पंच और किक को डॉज कर लेता है l पर धीरे धीरे विश्व की पंच और किक में तेजी आने लगती है l डॉज करते हुए विक्रम एक जबरदस्त मुक्का विश्व के जबड़े पर मारता है l मुक्का जबरदस्त था विश्व छिटक कर रस्सियों के बकल पर गिरता है l थोड़ी देर के लिए विश्व का सिर झनझना जाता है l

विक्रम - बहुत दिन हो गए हैं ना... तुम्हें मार खाते हुए... कोई ना... आज सारी की सारी कसर मैं पुरा कर दूँगा...

विश्व अब अपना शर्ट उतार कर एक ओर फेंक देता है l फिर स्पेरिंग वाला पोजिशन लेता है l विक्रम भी अपना पोजीशन लेता है l विश्व अब हमला कर देता है, विक्रम विश्व के सारे मूव को डॉज करते हुए परखता है फिर एक हिट विश्व के पिंजर पर करता है l पर इस बार विश्व तैयार था l विक्रम की पंच को रोक कर विश्व एक अपरकट पंच विक्रम के जबड़े पर जड़ देता है l इसबार विक्रम छिटक कर रिंग के बकल पर पड़ता है l

विक्रम - आह... वाव... बहुत अच्छे... पर विश्व तुम्हारे हर दाव का तोड़ है आज मेरे पास..

इस बार विक्रम विश्व पर धाबा बोल देता है l अब दोनों एक-दूसरे पर हावी होने के लिए दाव पर दाव आजमाने लगते हैं l पर कोई किसी को पछाड़ नहीं पा रहा होता है l दोनों थक कर आमने सामने वाले बकल पर साँस दुरुस्त करने लगते हैं l

विक्रम - सिर्फ दो मिनट... आज हर हाल में... फैसला हो जाना चाहिए...

विश्व इस बार विक्रम पर जम्प लगा देता है, पर वार खाली जाता है, क्यूंकि शायद विक्रम को अंदाजा हो गया था, इसलिए विक्रम फर्श पर रोल होते हुए दूसरे किनारे पर पहुँच जाता है l

विक्रम - बड़ी जल्दी है तुम्हें... चलो फिर... आज खेल ख़तम कर ही देते हैं...

दोनों के बीच फिर से स्पेरिंग शुरु हो जाती है l इस बार विक्रम धीरे धीरे स्लो होने लगता है तो विक्रम बकल के पास पहुँचता है और अचानक दाव बदल कर अपने पैरों का सीजर लॉक मूव विश्व के पैरों पर आजमाता है विश्व रिंग के बकल पर गिरता है तो विक्रम नीचे वाले बकल के रस्सी को विश्व के गले में फांस देता है l विश्व रस्सी में फंसे अपनी गर्दन को छुड़ाने के लिए अपने हाथ को बकल के बीच रख देता है l विक्रम पीछे से विश्व के घुटने पर अपना पैर रख कर विश्व का घुटना मोड़ देता है l इससे विश्व अब विक्रम के कब्जे में आ जाता है l तभी एक चीखने की जनाना आवाज आती है तो दोनों का ध्यान उस आवाज के तरफ जाता है l प्रतिभा भागते हुए रिंग के पास आती है l


प्रतिभा - यह क्या कर रहे हो विक्रम... मेरे बेटे ने क्या किया है...
विक्रम - ओह माँ जी आप... यहाँ... कैसे...
प्रतिभा - तुम दोनों लड़ क्यूँ रहे हो... और मेरे बेटे ने किया क्या है... देखो अगर इससे कोई गलती हो गई है... तो मैं इसके लिए माफी मांगती हूँ... (प्रतिभा हाथ जोड़ कर) प्लीज... छोड दो मेरे बेटे को...

विक्रम इतना सुनते ही विश्व के गले से वह बकल वाला रस्सी निकाल देता है l विश्व रिंग पर बकल वाले रस्सी पर पीठ टिकाए बैठ कर जोर जोर से साँस लेने लगता है l प्रतिभा विश्व को पीछे से पकड़ कर गले लगा कर रोने लगती है l अपनी साँस दुरुस्त करने के बाद विश्व विक्रम की ओर देखता है l विक्रम विश्व को देखते हुए एक विजयी मुस्कान के साथ अपनी मूँछों पर ताव देता है l विश्व के चेहरे पर भी एक मुस्कान आ कर चली जाती है l इतने में शुभ्रा, रुप और तापस सभी आकर रिंग के पास पहुँचते हैं l

घूम कर विश्व प्रतिभा की आँखों को पोंछता है फिर रिंग से उतर कर प्रतिभा और तापस दोनों के पैरों को छूता है l

प्रतिभा - (हैरानी के साथ) यह क्या है विक्रम....
विक्रम - कोई बात नहीं माँ जी... बस एक सुकून था जो खो गया था... आज आपने पुरा कर दिया...

विक्रम रिंग से बाहर आता है और गौर से शुभ्रा और रुप की ओर देखता है, फिर तापस और प्रतिभा की ओर देखता है l

विक्रम - वैसे माँ जी...
प्रतिभा - क्यूँ ना आती तो मार देता मेरे बच्चे को...
विश्व - रिलैक्स माँ रिलैक्स... कुछ नहीं हुआ है...
प्रतिभा - (विक्रम से) हमें उन किडनैपरों से बचा कर... क्या यह दिखा ने के लिए यहाँ लाए थे...
विक्रम - माँ जी... यह एक इतिहास है... और गुरुर भी...
विक्रम - माँ जी... मैं हमेशा से आपका गुनहगार रहा हूँ... शायद उसकी सजा आपके इस बेटे के हाथों मुझे मिली थी... पर क्या करूँ... मेरे धमनीयों में राजसी खुन बह रही है... अपना सिर और मूंछें ऊँचा रखने के लिए... हम किसी भी हद तक चले जाते हैं... आपके बेटे ने मुझे मूंछें रखने लायक नहीं रखा था... मैंने बस आज वही गुरुर दोबारा हासिल कर लिया है... (प्रतिभा हैरानी के साथ विक्रम की ओर देख रही थी) एक वह दिन था... जब मेरी पत्नी विश्व के आगे मेरे लिए गिड़गिड़ाइ थी... आज विश्व के लिए... मेरे सामने हाथ जोड़ दिए... बस... आपका मान रह गया... और मेरा गुमान बच गया...

भैरव सिंह और बल्लभ का संवाद बढ़िया है। ऊपर से वो कुछ भी कहे, लेकिन जाहिर है, उसको अंदर ही अंदर उद्विग्नता हो रही है। जिस विश्व को उसने इतना कमतर आँका हुआ था, उसी विश्व ने उसकी नाक में अभी से दम कर दिया है। इसलिए वो आगे की लड़ाई को ले कर चिंतित तो है।
अचानक से अनु और वीर की कहानी सुना कर आपने उनकी याद वापस दिला दी। लेकिन आखिरी पंक्ति (न्यूज़ ब्रीफिंग) ने इंगित किया है कि अब वो बहुत देर तक मुख्य-धारा से अलग नहीं रह पाएगा। वो जल्दी ही लड़ाई में शामिल होने वाला है। और हम सब जानते हैं कि उसका सामना किस से होने वाला है।
विक्रम और विश्व के बीच जो हुआ उससे एक बात जाहिर है - और मैं यह बात सौ बार कह चुका हूँ शायद! विक्रम जैसा महा-चूतिया शायद ही कोई हो। वो भैरव सिंह का सच्चा वारिस है। खोखले गुरूर में चूर! बस, क्रूरता की ही कमी रह गई है - लेकिन बाकी सभी गुण वही हैं। वो न ही अपना परिवार सम्हाल सका, न ही खुद को! अपनी माँ के क़ातिल के सामने जुबां खोलने की दम नहीं है उसमें। नकारा है पूरा। और खेत्रपाल खानदान का न भौंक पाने वाला कुत्ता भी। उसकी अपनी कोई पहचान ही नहीं! वीर कम से कम कुछ कर पाने की तमन्ना और जूनून तो रखता है। इसमें कुछ भी नहीं है। बड़े भाई जैसा भी कोई गुण नहीं।
मतलब साफ़ है - वीर का सामना विक्रम से होना लगता है; और तो और रूप का भी सामना उससे होना लगता है। अभागी है इसकी बीवी। ठीक है, प्रतिभा ऑन्टी के गिड़गिड़ाने से उसके खोखले गुरूर को ठसक मिली हो, लेकिन हाथ क्या आया उसके?
हमेशा की ही तरह बहुत ही बढ़िया अपडेट! ऐसे ही (अपेक्षाकृत) जल्दी जल्दी अपडेट मिलते रहें, तो मज़ा आ जाय भाई! कैसे हैं आप?
 

parkas

Well-Known Member
28,485
62,834
303
👉एक सौ बयालीसवां अपडेट
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क्षेत्रपाल महल

नागेंद्र के कमरे में एक मेडिकल बेड लगा हुआ है l डॉक्टर्स और नर्सेस अपने काम में लगे हुए हैं l बेड के पास एक चेयर पर भैरव सिंह बैठा हुआ है और बेड के सिरहाने पर सुषमा खड़ी हुई है l कमरे में भीमा और बल्लभ भी दरवाजे के पास खड़े हैं l एक सैलाईन बोतल स्टैंड पर लगा कर नागेंद्र के कलाई पर ड्रिप लगा देता है, उसके बाद डॉक्टर नागेंद्र को एक इंजेक्शन देता है और फिर भैरव सिंह के पास आकर कहता है

डॉक्टर - राजा साहब... उम्र का तकाजा है... इस पड़ाव पर... लाइट फ़ूड खाना सेहत के लिए ठीक होता है... बड़े राजा जी को... बदहजमी के वज़ह से उल्टी और गैस हो गई थी... हमने इंजेक्शन दे दिया है... अब फिक्र करने की कोई जरूरत नहीं है....
भैरव सिंह - (ताली बजाता है, कुछ नौकर दौड़कर आते हैं) जाओ... डॉक्टर और उनकी टीम को छोड़ कर आओ... (सुषमा से) छोटी रानी... इनकी जितनी भी फीस बनती है... इन्हें दे दीजिए...
डॉक्टर - यह फीस की क्या बात कर रहे हैं राजा साहब... हम तो आपकी प्रजा हैं... बड़े राजा जी की सेवा... बड़े भाग्य से मिला है... हम भाग्य को पैसों से कैसे तोल सकते हैं...
भैरव सिंह - यह क्या कह रहे हो डॉक्टर... आपने सर्विस दी है...
बल्लभ - राजा साहब... जैसी जिसकी भावना... भावना अगर नेक हो... तो उसका सम्मान तो होनी ही चाहिए...
भैरव सिंह - ठीक कहते हो प्रधान... (भीमा की ओर देख कर) भीमा... जाओ इन्हें हमारी गाड़ी से छोड़ आओ...

सारे मेडिकल स्टाफ़ झुक कर नमस्कार करते हैं और भीमा के साथ बाहर चले जाते हैं l भैरव सिंह एक नजर सुषमा को देखता है, सुषमा समझ जाती है और अपना सिर पर घूंघट ला कर सिर हिला कर कमरे में ठहर कर नागेंद्र की सेवा करने की हामी भरती है l उसके बाद उस उस कमरे से पहले भैरव सिंह निकलता है और उसके पीछे पीछे बल्लभ l दोनों महल के लंबे से गलियारे में पहुंचते हैं l बल्लभ भैरव सिंह से अपनी घुटी जुबान से पूछता है

बल्लभ - राजा साहब.. राजगड़ हो या यशपुर... आप फीस देना चाहें तो भी कोई फीस लेने की हिम्मत आज तक किया नहीं है... यह जानते हुए भी... आप उन्हें फीस क्यों ऑफर कर रहे थे...
भैरव सिंह - (कुछ सोच में खोया खोया सा था, उसी खोए खोए अंदाज में) कुछ नहीं... चांद सुरज में ग्रहण अक्सर लगते हैं... कहीं क्षेत्रपाल के रुआब में ग्रहण तो नहीं लग रहा... यही चेक कर रहे थे...
बल्लभ - ऐसा क्यूँ राजा साहब... लगता है... कोई चिंता का विषय है...
भैरव सिंह - खास तो नहीं है... पर... क्या हम... उसे खास ना समझ कर नजर अंदाज कर... गलती तो नहीं कर रहे हैं...
बल्लभ - ओ.. समझ गया... शायद आप विश्वा... (बल्लभ आगे कुछ कहता नहीं है)
भैरव सिंह - प्रधान बाबु... मत भूलें... आप कौन हैँ... क्षेत्रपाल से दोस्ती या दुश्मनी करने के लिए... क्षेत्रपाल के बराबर का कद होना चाहिए... विश्वा जैसे आदमी के लिए सोच कर... हम समय और शक्ति दोनों का नष्ट नहीं करना चाहते...
बल्लभ - (थोड़ा खरासते हुए) हम भी यही मानते हैं... जानते हैं... पर समय के चिलमन में क्या छुपा है... कौन जाने...
भैरव सिंह - हमारी उम्र जरुर ढल रही है प्रधान... पर आज भी हमारी सोच वैसी की वैसी ही है... रुआब और पैसों के आगे हम किसीके लिए... दिल में कोई दयामाया नहीं पालते...
बल्लभ - हम भी यही कह रहे हैं... आप अपनी रबाब से नीचे ना सोचें... विश्व जैसों के लिए सोचने के लिए... आपने हम जैसे लोग पाल रखे हैं..
भैरव सिंह - हाँ अब वही लोग... एक एक करके नाकारा साबित हो रहे हैं...
बल्लभ - ऐसा अभी क्या हो गया है राजा साहब...
भैरव सिंह - प्रधान... हमने विश्व के पीछे... रोणा को छोड़ा था... पर अब... रोणा गायब हो गया है... कोई खबर ही नहीं है... पता नहीं कहीं... मर मरा तो नहीं गया...
बल्लभ - नहीं... राजा साहब... वह जिंदा जरूर है... विश्वा को दबोचने के लिए... आड़े हाथ लेने के लिए... जरुर कोई तिकड़म भीड़ा रहा होगा...
भैरव सिंह - पुरी बात बताओ प्रधान... विश्वा... जिसकी सिर को अपने जुते की बराबर की ऊँचाई पर रखे थे... अब लगता है या तो वह अपना कद बढ़ा रहा है... या फिर... हमें हमारी कद से नीचे की ओर खिंच रहा है... रोणा को विश्व के पीछे छोड़ा था... पर पता नहीं क्या हुआ... उसकी कोई खबर नहीं है... फोन भी स्विच ऑफ आ रहा है...
बल्लभ - राजा साहब... विश्वा... लगता है शायद उसके ऊपर भारी पड़ा... इस कदर भारी पड़ा के... शर्म और जिल्लत के मारे... अब मुहँ छुपाये कहीं छिप गया है... इंडेफिनाइट छुट्टी की एप्लिकेशन डाल कर चला गया है... उधर भुवनेश्वर में श्रीधर परीड़ा... भी गायब हो गया है...
भैरव सिंह - ह्म्म्म्म... इसका मतलब यह हुआ... की विश्वा अपना दायरा फैला रहा है... ताकि हमारे दायरे को काट सके...
बल्लभ - बात वहाँ तक नहीं आएगी... हम आने ही नहीं देंगे...
भैरव सिंह - वह तो देखा जाएगा... फिलहाल... हम अपने घर के सदस्यों के बारे में सोच रहे हैं...
बल्लभ - राजकुमार के बारे में...
भैरव सिंह - ह्म्म्म्म....
बल्लभ - समझ सकता हूँ... युवराज के मना करने के बाद... आपने राजकुमार को राजनीति में युवा चेहरा बना कर सामने लाने की कोशिश की गई... पर राजकुमार जी के उस लड़की के साथ... (चुप हो जाता है)
भैरव सिंह - कहो प्रधान कहो... चुप क्यूँ हो गए... राजकुमार ने हमारी सारे प्लान पर पानी फ़ेर दिया... वज़ह... वह दो कौड़ी की लड़की... और जब तक वह लड़की उसके साथ है... राजकुमार वापस नहीं आयेंगे...
बल्लभ - छोटे राजा जी भी तो अभी नहीं आए हैं... उन्हें अब राजगड़ आ जाना चाहिए... भुवनेश्वर में पता नहीं क्या कर रहे हैं...
भैरव सिंह - नहीं भुवनेश्वर में उनका काम बाकी है... जब तक काम ख़तम ना हो जाए... तब तक... छोटे राजा जी राजगड़ नहीं आयेंगे...
बल्लभ - क्या आप... उस बाबत भुवनेश्वर जाएंगे...
भैरव सिंह - नहीं... फ़िलहाल.. नहीं... हम यहाँ अपनी किला को मजबूत करेंगे... ताकि कोई दुश्मन राजगड़ में हमारे खिलाफ कोई किलाबंदी ना कर सके...
बल्लभ - क्या हम युवराज जी से संपर्क करें...
भैरव सिंह - प्रधान... बेटा अपने पैर में बाप का जुता पहनता है... बाप बेटे का जुता नहीं पहनता...
बल्लभ - क्षमा चाहते हैं... फिर राजकुमार कैसे वापस आयेंगे...
भैरव सिंह - हमने छोटे राजा जी को कह रखा है... उनके बारे में... छोटे राजा जी ज़रूर कुछ ना कुछ सोच रहे होंगे....

थोड़ी देर के लिए दोनों के बीच एक चुप्पी पसर जाती है l दोनों यूँही चले जा रहे थे l कुछ देर बाद बाद भैरव सिंह कहता है

भैरव सिंह - प्रधान...
बल्लभ - जी राजा साहब...
भैरव सिंह - तुम्हें क्या लगता है...
बल्लभ - जी... मैं कुछ समझा नहीं...
भैरव सिंह - (एक गहरी साँस छोड़ते हुए) देखो... कितना शांत वातावरण है... इतना शांत... के... कहीं दुर बहती नदी की कल कल शब्द यहाँ तक सुनाई दे रही है...
बल्लभ - (चुप रहता है)
भैरव सिंह - वातावरण इतना शांत कब होता है प्रधान...
बल्लभ - (हकलाते हुए) न न.. नहीं जानता राजा साहब...

तभी भीमा इन दोनों के पास आ पहुँचता है और चुपचाप सिर झुकाए खड़ा हो जाता है l

भैरव सिंह - प्रधान... इतनी खामोशी किसी आने वाले तूफान का इशारा है... तुम अब हर कोने में... हर हिस्से में... अपनी पैनी नजर घुमाओ... अपना कान लगाओ... हमारे अंदर से एक वाईव सा आ रहा है... कहीं ना कहीं... कुछ ना कुछ.. हो रहा है... पर क्या... हमें बहुत सतर्क रहना होगा... और भीमा तुम...
भीमा - जी हुकुम...
भैरव सिंह - कुछ दिनों के लिए... आखेट परिसर के... मगरमच्छों को और लकड़बग्घों को भूखा रखो...
भीमा - जी हुकुम...
भैरव सिंह - लगता है... बहुत जल्द उन्हें इंसानी गोश्त मिलने वाली है...

भीमा हैरानी भरे नजरों से बल्लभ की ओर देखता है l वैसा ही हाल बल्लभ का भी हुआ जा रहा था l


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किचन में अनु गैस पर कुकर को रखती है फिर गैस जलाती है l तभी उसे कलिंग बेल की टिंग टोंग की आवाज सुनाई देती है l अपने पल्लू से हाथ और चेहरा पोछते हुए दरवाजा खोलती है l सामने वीर खड़ा था l चेहरे पर थोड़ी उदासी और मायूसी लिए l वीर हल्का सा मुस्कराते हुए अंदर दाखिल होता है और सोफ़े पर धप कर बैठ जाता है l अनु अभी भी दरवाजे पर थी l वीर अनु की ओर देखता है, अनु अपनी बड़ी बड़ी आँखों से वीर की ओर थोड़ी हैरानी और परेशान भरे नजरों से देखे जा रही थी l वीर अपना हाथ बढ़ा कर इशारे से अनु को बुलाता है l अनु का चेहरा खिल उठता है l वह किसी मासूम बच्ची की तरह खिलखिलाते हुए भागते हुए आती है और दोनों हाथों से वीर की हाथ पकड़ लेती है l वीर उसे अपनी गोद में खिंच लेता है l

अनु की पीठ अब वीर के सीने से चिपकी हुई थी l वीर अपना चेहरा अनु की कंधे पर रख देता है l अनु को अपने कंधे पर एक गर्म चुंबन का एहसास होता है l उसकी आँखे बंद हो जाती है l पर उसे हैरानी होती है कि वीर अपना चेहरा उसके कंधे पर रख कर वैसे ही बैठ गया था l अनु वीर से सवाल करती है

अनु - राजकुमार जी... आज क्या हुआ...
वीर - (वैसे ही अपने गालों को अनु की कंधे पर रगड़ते हुए कहता है) कुछ नहीं मेरी जान... कुछ भी तो नहीं...
अनु - फिर आप ऐसे... मायूस से.. हारे हुए से क्यूँ लग रहे हैं...
वीर - (अपना माथा अनु के कंधे से हटा कर) क्या मैं तुम्हें हारा हुआ लग रहा हूँ... (अनु चुप रहती है, उसे सूझती नहीं है क्या कहे, वीर उसकी मनःस्थिति को समझ जाता है) अरे मेरी अनु... मेरी तो सबसे बड़ी जीत तु है... और जब तक तु मेरे साथ है... मुझे कौन हरा सकता है... खुद वह तकदीर लिखने वाला भी नहीं...
अनु - (वीर की ओर घुमती है, अपने दोनों हाथों से वीर की चेहरे को थामती है) राजकुमार... तो आपके चेहरे पर यह मायूसी क्यूँ...
वीर - चलो नहीं बताता... मैं तुम से नाराज हूँ... बहुत बहुत नाराज हूँ...
अनु - (वीर की चेहरे को छोड़ देती है) झूठे... नहीं बताना चाहते हैं... तो मत बताइए... यूँ मुझसे नाराज होने की झूठी बात क्यूँ कर रहे हैं...
वीर - क्या करूँ बोलो... मैं दुखी होने की ऐक्टिंग करता हूँ... पर तुम्हारा चेहरा देखता हूँ... तो सारे दुख भुला जाता हूँ... कभी कभी सोचता हूँ... के तुम्हें थोड़ा नाराज कर दूँ... ताकि तुम्हें मनाऊँ... पर तुम हो कि मेरी झूठ पकड़ लेती हो... और रूठने की झूठी नाटक तक नहीं करती...
अनु - जान चली जाए मेरी... अगर कभी आपसे मैं रूठी तो...
वीर - (अनु के गाल पर हल्का सा चपत लगाते हुए) श्श्श... क्या बात कर रही है... ऐसी बातों से मुझ पर क्या गुज़रती है.. सोच समझ कर बातेँ किया कर.. समझी...
अनु - (वीर की गोद से उतर कर वीर के बगल में बैठ जाती है और अपने कान पकड़ कर) ठिक है बाबा कान पकड़ती हूँ... फिर कभी ऐसा नहीं कहूँगी... पर मुझे बताइए तो सही... आप जाके कहाँ से आ रहे हैं...
वीर - (अनु के दोनों हाथों को अपने गालों पर रख कर) हमारे प्यारे संसार में... खुशियां ही खुशियां है... घर है... पैसा भी है... पर... संसार जैसा कुछ लग नहीं रहा है... इसलिए एक संसार का बंदोबस्त करने गया था...
अनु - मतलब...
वीर - अरे मेरी भोली अनु... काम ढूंढने गया था...
अनु - काम...
वीर - हाँ... ताकि मैं सुबह तेरी यह खूबसूरत चेहरा देख कर काम को निकलुं... तु मुझे पीछे से आवाज देकर बुलाए... मैं तेरी आवाज सुन कर रुक जाऊँ... तु मेरे पास आकर... मेरे हाथ में टिफिन कैरेज दे दे... मैं इस आशय से निकलुं... के मुझे शाम को लौटना है.. दो प्यारी प्यारी बड़ी सी हिरनी जैसी आँखे मेरी राह तक रही होंगी... जब मैं दुनिया से जद्दोजहद कर थका हारा लौटुं... तो मेरी राह में पलकें बिछाये इन दो नैनों को देखते ही... मेरी थकान सारी फुर्र हो जाए...

अनु मुस्करा देती है, शर्म से उसके गालों पर लाली छाने लगती है, वह वीर के गालों से अपना हाथ खिंच कर अपना चेहरा छुपा लेती है l

वीर - है.. क्या हुआ... (अनु के चेहरे पर हाथ हटा कर)
अनु - आप ना बड़े... छोड़िए...
वीर - अरे बात तो पुरा करो...
अनु - आप बड़े...
वीर - हाँ हाँ... आगे..
अनु - आप बड़े झूठे हो...
वीर - (अनु की हाथ छोड़ कर) लो करदिया मेरा मुड़ खराब...
अनु - (घबराते हुए) उई माँ.. क्या हुआ...
वीर - बताऊँगा... पहले यह बोलो... मैंने झूठ क्या बोला...
अनु - वह तो मैंने यूँही कह दी..
वीर - मुझे झूठा कहना... तुम्हें बड़ा मजा देता है ना...

अनु बड़ी मासूमियत से अपना सिर हिला कर हामी भरती है, जिसे देख कर वीर उसकी नाक खिंच कर कहता है l

वीर - तुम्हारी यही अदा तो मुझे दुनिया से टकराने के लिए हिम्मत देती है...
अनु - पर आपने बताया नहीं... किस काम के लिए गए थे और हुआ क्या...

वीर अनु को अपने उपर खिंच लेता है l अनु उसके उपर आकर गिरती है l पहले वीर उसके आँखों में झाँकता है फिर अपना सिर अनु के सीने पर धड़कन के पास रख देता है l अनु भी उसके सिर को थाम लेती है l

वीर - जानती है अनु... मेरे पिता ने... मेरी मदत को सबसे मना कर रखा है... यहाँ तक... जो कभी मुझसे डरा करते थे... मेरे रीकमेंडेशन पर जो दूसरों को नौकरी दिया करते थे... वे लोग भी... अब मुझसे कन्नी काटने लगे हैं... पर तु इसे दिल पर मत लगा ले... जो मैंने कभी बोया था... आज वह लौट कर आ रहा है... दुनिया से असल पहचान हो रही है...
अनु - आपके पास तो पैसे हैं ना... फिर आप क्यूँ कहीं जा रहे हैं...
वीर - वह मेरे पैसे नहीं है अनु... वह विक्रम भैया के पैसे हैं... मैं जिंदगी भर कुछ भी ना करूँ... फिर भी... मेरा एकाउंट कभी खाली होने नहीं देंगे... तेरे बदन पर... सूती साड़ी ही सही... पर एक बार अपनी कमाई से देखना चाहता हूँ... किसी रेस्टोरेंट के बजाय... फुटपाथ ही सही... पर एकबार तुझे अपनी कमाई से नास्ता खिलाना चाहता हूँ... (वीर के गालों पर गर्म पानी की बूंद आकर गिरती है, वीर अचानक अनु से अलग हो जाता है) अनु... यह क्या... तेरे आँखों में आँसू.. मेरे दिल को चीर देंगे... प्लीज मत रो...
अनु - मैं एक पनौती बन कर आपके जीवन में आई ना... आप राजकुमार... काम ढूंढ रहे हैं...
वीर - धत पगली... तु जानती है ना... मेरे पास इतना पैसा है कि... तुझे हीरों से सजा सकता हूँ... (अनु अपना सिर हामी भरते हुए हिलाती है) तुझे सेवन स्टार होटल में खिला सकता हूँ... (अनु उसी मासूमियत के साथ हाँ कहती है) यह तो एक मेरी एक ऐसी.. मासूम सी ख़्वाहिश है... जिसे एक दिन मैं पुरा करना चाहता हूँ... (अनु की नाक पकड़ कर उसका सिर हिलाते हुए) समझी मेरी मासूम पगली... (अनु हँस देती है) यह हुई ना बात... अब तुझे खुश ख़बर भी सुना देता हूँ... एक बंदे ने मुझे काम पर रख लिया...
अनु - झुठे...
वीर - सच्ची...
अनु - झूठ मत बोलिए... आपको झूठ बोलना आता ही नहीं है...
वीर - अच्छा... मुझे झूठ बोलना नहीं आता... तो और एक बात कहूँ...
अनु - (अपनी आँखे पोछते हुए) जी कहिये...
वीर - आई लव यु... (अनु शर्मा कर उठ कर जाने लगती है तो वीर अनु की हाथ पकड़ लेता है) क्या हुआ...
अनु - राजकुमार जी छोड़िए ना... किचन में बहुत कम पड़ा है...
वीर - (खड़े होकर) हाँ हाँ... पता है कितना काम पड़ा है... आज मिली हो तुम मुझे... चलो... मेरे बात का जवाब दो...
अनु - (हाथ छुड़ाने की कोशिश करती है) छोड़िए ना राजकुमार जी...
वीर - नहीं... बिल्कुल नहीं... आज तो तुम्हारे मुहँ से सुन कर ही रहूँगा...

अनु हाथ छुड़ा नहीं पाती और वीर की घुम जाती है, वीर उसे फिर से अपने पास खिंच कर सीने से जकड़ लेता है l

वीर - चलो बोलो...
अनु - (शर्म ओ हया के साथ अपनी हँसी को दबाते हुए) क्या...
वीर - आई लव यु...
अनु - ऊँ.. हूँ..
वीर - अनु...
अनु - हूँ...
वीर - प्लीज...
अनु - अच्छा ठीक है... आप अपनी आँखे बंद कर लीजिए...
वीर - यह क्या... इसमे आँख बंद करने वाली क्या बात है..
अनु - प्लीज...
वीर - ठीक है... (आँखे बंद कर लेता है) कहो अब...
अनु - (धीरे से,धीमी आवाज़ में)आई...
वीर - हाँ हाँ... आई...
अनु - लव...
वीर - हाँ हाँ... लव...
अनु - आई लव...
वीर - हाँ हाँ.. आई लव...

तभी प्रेसर कुकर की सीटी जोर से बजने लगती है जिससे वीर चौंक कर अनु को छोड़ देता है l मौका पाकर अनु किचन की ओर भाग जाती है l

वीर - अनु... (अनु रुक कर पीछे मुड़ कर देखती है) दिस इज़ नॉट फेयर... (अनु वीर को जीभ दिखा कर किचन के अंदर चली जाती है, वीर मुस्करा कर रह जाता है)

अनु के किचन के अंदर जाने के बाद वीर सोफ़े पर बैठ कर रिमोट से टीवी ऑन करता है l टीवी पर एक न्यूज ब्रीफिंग चल रही थी l न्यूज सुनते ही वीर की आँखे हैरानी से फैल जाती हैं

"कल देर रात कटक में वाव की अध्यक्षा प्रतिभा सेनापति जी के घर पर कुछ अज्ञात लोगों ने डकैती की कोशिश की थी l घर में समान तितर-बितर होकर पड़े थे l घर पर तक कोई था या नहीं इस बात की पुष्टि अभी तक नहीं हो पाई है l पुलिस सेनापति दंपति से संपर्क करने की कोशिश कर रही है पर अभी तक कोई सफलता हाथ नहीं लगी है l "

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भुवनेश्वर के प्रवेश पर टोल नाके पर सुपरिटेंडेंट जान निसार खान सादे कपड़े में जीप के बोनेट पर कुहनियों पर टेक लगाए खड़ा था l कुछ देर बाद एक ट्रक टोल नाके पर रुकती है l विश्व उस ट्रक से उतर कर भागते हुए खान के पास आता है l खान जल्दी से जीप की ड्राइविंग सीट पर बैठ जाता है और बगल में विश्व l खान गाड़ी स्टार्ट कर शहर की ओर घुमा देता है l विश्व बहुत ही सीरियस हो कर अपनी सीट पर बैठा हुआ था l मुट्ठीयाँ भिंची हुई थी चेहरा सख्त हो गया था l

खान - विश्व डोंट बी सो पेनिक...
विश्व - (बिना खान की ओर देखे) कैसे ना होऊँ खान सर... माँ और डैड... रात से गायब हैं... उनकी अभी तक कोई खबर नहीं...
खान - देखो मुझे भी देर रात खबर मिली... जोडार ने तुम्हारे साथ साथ... मुझे भी खबर किया था... पुलिस हरकत में आ चुकी है... घबराओ नहीं... ट्विन सिटी पुरा नाका बंदी कर ली गई है...
विश्व - कोई फायदा नहीं होगा खान सर...
खान - ओह... कॉम ऑन विश्व... इतना भी निरास ना हो... कम से कम... तुम... भाभीजी का स्टेट में... क्या पोजीशन है... तुम जानते हो... और तापस एक बड़े अहदे वाला ऑफिसर रहा है... जिसने भी अगुआ किया है... वह पुरे सिस्टम से पंगा नहीं ले सकता...
विश्व - हाँ नहीं ले सकता... पर अगर वह सिर फ़िरा हुआ तो...

इस बार खान चुप रहता है l गाड़ी जोडार ग्रुप्स लिमिटेड के ऑफिस में रुकती है l विश्व और खान दोनों उतर कर ऑफिस के अंदर सीधे कांफ्रेंस रुम में पहुँचते हैं l विश्व देखता है कमरे में सुभाष और सुप्रिया भी जोडार के साथ बैठे हुए थे l विश्व को देखते ही तीनों खड़े हो जाते हैं l

विश्व - (जोडार से) जोडार साहब... मैं क्या कहूँ... कैसे कहूँ...
सुप्रिया - विश्व प्रताप...
विश्व - मैं आपसे बात नहीं कर रहा हूँ... यह कोई मीडिया मसाला वाली बात नहीं है...
जोडार - तुम्हें एक बार... मिस सुप्रिया को सुनना चाहिए...
सुभाष - हाँ विश्व... सुप्रिया के पास तुम्हारे लिए एक खबर है...

विश्व हैरानी से सुप्रिया की ओर देखता है, सुप्रिया हाँ में अपना सिर हिलाते हुए अपना मोबाइल निकाल कर एक विडिओ चला कर विश्व के हाथ में देती है l विश्व के लिए प्रतिभा का वीडियो मैसेज था

प्रतिभा - मेरे बेटे प्रताप... जानती हूँ... तु डर रहा होगा... हमारे बारे में सोच कर... हाँ... यह सच है... हमारी किडनैपिंग की कोशिश हुई... गनीमत है मर्डर करने की कोशिश नहीं हुई... पर उन किडनैपर से हमें तेरे एक शुभ चिंतक ने बचा लिया है... अब हम... यानी मैं और तेरे डैड दोनों उसके पास महफ़ूज़ हैं... नाम उसका मैं तुमसे इस वक़्त रिवील नहीं कर सकती... उसका कहना है कि तुम... समझ जाओगे और बहुत जल्द तुम उसे और हमें ढूंढ लोगे...

वीडियो बंद हो जाता है l विश्व के माथे पर बल पड़ जाता है l पास ही एक चेयर पर धढ़ाम कर बैठ जाता है l जोडार एक पानी का ग्लास लाकर विश्व को देता है पर विश्व मना कर देता है l

विश्व - जोडार सर... कैसे हुआ... मुझे थोड़ा डिटेल में बतायेंगे प्लीज...
जोडार - देखो विश्व... मुझसे एक छोटी गलती यह हुई कि... मुझे डबल लेयर सिक्युरिटी लगानी चाहिए थी... पर मैंने सिंगल लेयर सिक्युरिटी लगाया था... जो कि ब्रिच हो गया... जिन्होंने भी यह कांड किया है... वे लोग पहले से ही... अच्छी तरह से रेकी किए थे... (एक गहरी साँस छोड़ता है, फिर, एक छोटा सा इलेक्ट्रॉनिक डीवाइस निकाल कर विश्व के हाथ में देता है) यह एक ट्रांसमिशन जैमर है... जिसके वज़ह से... सीसीटीवी की ट्रांसमिशन रुक गई... जिसकी अलर्ट... तुम्हारे मोबाइल पर तुम्हें मिली... जाहिर है... ऐसा ही अलर्ट... हमारे कंट्रोल रुम में भी आया था... तुमने जैसे ही फोन किया... मेरे आदमी जब तक घर पर पहुँचे... तब तक... सेनापति जी... और मैम किडनैप हो चुके थे... हमने अपने आदमियों को चेक किया तो पाया... (सीरींज नुमा एक शॉट दिखाते हुए) सबको ऐनेस्थेटीक ट्रांकुलाइजर शॉट से... बेहोश किया गया था...
विश्व - (उस शॉट को हाथ में लेकर) आपके आदमियों को बेहोश कर जिन्होंने माँ और डैड को किडनैप करी... माँ उन्हीं के कब्जे में है... या किसी और के कब्जे में...
सुभाष - जोडार ग्रुप को छका कर जो चोर सेनापति सर और मैम को किडनैप किया... उन पर कोई तीसरा मोर बन गया...
विश्व - यह आप कैसे कह सकते हैं...
सुभाष - देखो विश्व... मैं इस केस में नहीं हूँ... तुम्हारे वज़ह से... मुझे होम मिनिस्ट्री ने... रुप फाउंडेशन का एसआईटी चीफ बनाया है... तुम तक खबर पहुँचाने के लिए मैम ने... तुम्हारे फोन के बजाय... सुप्रिया जी को क्यूँ इन्फॉर्म किया... यह मैं नहीं कह सकता... पर जैसे ही यह विडिओ... सुप्रिया जी को मिला... उन्होंने मुझे कॉन्टैक्ट किया... मैंने खान सर से मिलकर... तुम्हारे लिए कुछ इन्फॉर्मेशन जुटाए हैं... शायद तुम्हारे काम आ जाए... (इतना कह कर सुभाष एक टेबलेट निकाल कर विश्व के हाथ में देता है) यह देखो... यह लिंक रोड पर जो प्रेस क्लब है... वहाँ की सीसीटीवी की फुटेज है...

विश्व देखता है दो काली रंग की गाड़ी को प्रेस क्लब जंक्शन के आगे चार काले रंग के गाड़ी आकर रुकती हैं l उससे कुछ बंदे उतर कर उन दो गाड़ी में बैठे लोगों को बंदूक की नोक पर ले लेते हैं, फिर वे लोग गाड़ी की डोर खोल कर बेहोश तापस दंपति को अपनी गाड़ी में लेकर उन दो गाड़ियों के हवा निकाल कर चले जाते हैं l तब एक आदमी एक गाड़ी से उतर कर अपना नकाब उतरता है और फिर बोनेट पर मुक्का मारता है l

विश्व - रंगा... यह तो रंगा है... इसने...
सुभाष - हाँ... रंग चरण सेठी... याद है... तुमसे छत्तीस का आँकड़ा है...
विश्व - इसने इतनी हिम्मत जुटाई कहाँ से... पर न्यूज में तो यह क्लिप नहीं चला रहे हैं...
खान - अभी तक पुलिस वालों को भी यह क्लिप नहीं मिली है...
विश्व - व्हाट...
सुभाष - हाँ... इसे हमने सुप्रिया जी की मदत से... पूरा का पूरा मास्टर क्लिप ले आए हैं... क्यूँकी... खान सर चाहते थे... पहले तुम... तसल्ली कर लो... उसके बाद ही हम... पुलिस और मीडिया तक पहुँचाएँगे...
विश्व - मुझे अभी भी समझ में नहीं आ रहा... डैड के पास एक रिवॉलवर है... कैसे इस्तेमाल नहीं कर सके...
खान - उनके सोने के बाद... यह सब आधी रात को हुआ है... घर में घुसने वाले... किचन की खिड़की की सरिया को तेजाब से पिघला कर घुसे थे...

विश्व सोच में पड़ जाता है l सभी के सभी विश्व की ओर देखने लगते हैं l तभी अचानक विश्व सुभाष से दोबारा टेबलेट दिखाने के लिए कहता है l विश्व फुटेज को गौर से देखता है l सेनापति दंपति को अपनी गाड़ी में बिठाने के बाद एक नकाबपोश रंगा के गाड़ी के पास आता है और सीसीटीवी की ओर देखता है फिर एक काग़ज़ की पर्ची निकाल कर गाड़ी के छत पर चिपका का चला जाता है l

विश्व - (सुभाष से) सतपती जी... यह गाड़ी मौका ए वारदात पर क्या पुलिस को मिली...
सुभाष - हाँ... इस गाड़ी का चारों टायरों के हवा निकाल दी गई थी... इसलिए किडनैपर मजबूरन उस गाड़ी को छोड़ कर चले गए...
विश्व - क्या यह गाड़ी अभी पुलिस की कब्जे में है...
सुभाष - नहीं... पुलिस को यह नहीं मालुम है कि सेनापति सर और मैम की इस गाड़ी से किडनैपिंग की कोशिश हुई थी... इसलिए... यह गाड़ी ट्रैफ़िक पुलिस ऑफिस में है...
विश्व - क्या... मुझे इस चिट... या फिर इस चिट की फोटो मिल सकती है...

विश्व की हाथ से टेबलेट लेकर सुभाष वीडियो को दोबारा देखता है फिर अपना मोबाइल निकाल कर कहीं पर फोन लगाता है l कुछ देर बाद सुभाष के फोन पर एक व्हाट्सअप फोटो का मेसेज आती है l सुभाष उस फोटो को डाउन लोड करने के बाद विश्व को दिखाता है l वह फोटो ओरायन मॉल की पार्किंग एरिया की टोकन थी l अचानक विश्व की आँखे फैल जाती हैं l

विश्व - (जोडार से) सर मुझे आपकी गाड़ी चाहिए...
खान - मतलब तुम्हें मालुम हो गया... सेनापति और भाभी जी कहाँ है इस वक़्त...
विश्व - जी... पर यह निमंत्रण सिर्फ मेरे अकेले के लिए है... जाहिर है... मुझे अकेले जाना होगा...

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"अबे चुप"

चिल्लाया पिनाक l उसके सामने एक शख्स खड़ा हुआ था l पिनाक एक कुर्सी पर शराब का ग्लास हाथ लिए बैठा था l एक घुट पीने के बाद अपने आस्तीन से अपना मुहँ साफ करता है l

पिनाक - साले... तुझे काम दिया था... यह सिला दिया... कुछ भी नहीं हो रहा है तुझसे... (ग्लास ख़तम कर, एक छटपटाहत के साथ) लगता है... किसी और से बोलना पड़ेगा... तुझसे कुछ नहीं हो पा रहा है...
@ - जो आप समझ सकते हैं समझ लें... न्यूज में दिखा रहा है... सेनापति दंपति अभी भी... लापता हैं...
पिनाक - पर मेरे कब्जे में तो नहीं हैं ना.... पता नहीं वह कौनसा मनहूस दिन था... जो मैं तुझ पर इम्प्रेस हो गया.... पर तु तो एकदम से पनौती निकला... कोई एक काम ढंग से किया भी है तु...
@ - (एक गहरी साँस छोड़ते हुए) हाँ पर काम जब भी... लगभग लगभग होने को था... तभी कोई ना कोई भाजी मार जाता है... पर क्या करूँ... मैं आपके हुकुम का गुलाम... हमेशा इसी कोशिश में रहा... कहीं भी कभी भी... आपका नाम बाहर ना आए...
पिनाक - फायदा क्या हुआ.... ना मेरा बेटा मेरे पास है... ना ही उस विश्व को अपने घुटने पर ला सका... यह कौन आकर... सेनापति दंपति को हमसे छुड़ा ले गया...
@ - जो भी है... विश्व का दोस्त तो हो नहीं सकता... जरुर विश्व का कोई दुश्मन होगा... क्यूँकी अभी भी... वे लोग लापता हैं... और मुझे लगता है... विश्व का दुश्मन... विश्व से कॉन्टैक्ट किया भी नहीं होगा... वर्ना पुलिस की हलचल हमें बता चुकी होती...
पिनाक - ठीक है... हम ना सही... कोई तो विश्व को घुटने पर लाएगा... पर तुमने उस दो कौड़ी लड़की का भी अभी तक कुछ नहीं किया...
@ - इस बात के लिए... आपका भतीजा... मेरा मतलब है... युवराज जिम्मेदार हैं...
पिनाक - उसने क्या किया...
@ - जिस अपार्टमेंट में राजकुमार... और वह लड़की रह रहे हैं... उस अपार्टमेंट की सेक्यूरिटी से लेकर लिफ्ट मेन... दुध वाला... सब्जी वाला... सब... ESS के लोग हैं...
पिनाक - ओ... मतलब युवराज पूरी जान लगा कर... उस लड़की की हिफाजत कर रहे हैं...
@ - हाँ शायद... इसलिए तो... हमारे कोई भी आदमी... उस अपार्टमेंट के आसपास भी फटक नहीं पा रहे हैं...
पिनाक - चलो मान लिया... उस लड़की के पास तुम या तुम्हारा कोई आदमी फटक भी नहीं पा रहे हैं... पर सेनापति दंपति की हिफाजत तो युवराज नहीं कर रहे थे ना... वहाँ तो तुम्हारी दाल नहीं गली....
@ - अब विश्वा सिर्फ क्षेत्रपालों से तो दुश्मनी नहीं रखी होगी... जैल में विश्वा भाई था... जरुर किसी और ने दुश्मनी उतारी होगी... हाँ यह बात और है कि... वह हम पर भी नजर रखे हुए था...
पिनाक - यह कहते हुए... तुम्हें शर्म भी नहीं आ रही...
@ - छोटे राजा जी... मैं कोई प्रोफेशनल नहीं हूँ... हाँ जिन्हें प्रोफेशनल समझ कर काम सौंपा था... वह फुस्सी बम निकले...
पिनाक - जानते हो... मैं कुछ न कुछ कर के... एक जीत वाली सुकून के साथ... राजगड़ जाना चाहता हूँ... सिर उठा कर... सीना ताने... अपनी मूँछ पर ताव देते हुए... इसलिए... मैं ना तो... पार्टी ऑफिस जा रहा हूँ... ना ही... मेयर ऑफिस...
@ - कोई नहीं छोटे राजा जी... मेरा वादा है आपसे... अगला जो भी कदम हम उठाएंगे... चाहे वह उस लड़की के मामले में हो या... विश्व के मामले में... कामयाबी के साथ ही हम... लौटेंगे... फिलहाल तो विश्व की मुहँ बोले माँ बाप... लापता हैं... इस खबर का मजा लीजिए....

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चर्र्र्र्र्र्र्र्र् की आवाज के साथ एक गाड़ी द हैल की लोहे के फाटक के सामने आकर रुकती है l ड्राइविंग सीट की डोर खोल कर विश्व उतरता है l तब तक फाटक के बाहर चार गार्ड्स आकर अपना पोजीशन ले लेते हैं l विश्व उनके पास आकर खड़ा होता है l

विश्व - (उन गार्ड्स से) जाओ... अपने मालिक को खबर दो... विश्वा आया है...

गार्ड्स विश्व की बात सुनकर हैरानी से एकदूसरे को देखते हैं फिर उनमें से एक गार्ड विश्व से कहता है l

गार्ड - युवराज जी ने कहा था... विश्वा नाम का कोई बंदा आए तो उन्हें अदब के साथ सीधे जीम पर भेज देना... (इतने में बाकी गार्ड्स फाटक खोल देते हैं) वह रहा जीम... जहां पर युवराज एक्सरसाइज कर रहे हैं... और आपका इंतजार भी...

विश्व द हैल के परिसर के अंदर दाखिल होता है और सीधे जीम की ओर बढ़ने लगता है l जीम में दाखिल होते ही देखता है एक बड़ा सा हॉल है जो लाइट्स से जगमगा रहा है l एक और जीम के सभी प्रकार के इंस्टृमेंट्स लगे हुए हैं और दुसरी तरफ स्पेरिंग के लिए रिंग भी सजा हुआ है l वहीँ सिफ एक पैंट में और ऊपर का पूरा बदन नंगा था, विक्रम एक ओर पंच बैग पर घुसों और लातों की बौछार कर रहा था l विक्रम पसीने से लथपथ था, अपनी जीम पर विश्व को नजर घूमाते देख विश्व से पूछता है

विक्रम - पसंद आया... यह मेरा वर्ल्ड क्लास जीम है...
विश्व - (उसके पास पहुँच कर) मेरे माँ डैड कहाँ हैं...
विक्रम - वाव... मैं तो डर गया... मुझे लगा तुम मुझे थैंक्यू कहोगे...
विश्व - विक्रम... मैंने तुमसे पहले ही कह दिया था... तुम्हारे और मेरे फिलींग्स के बीच परिवार आना नहीं चाहिए...
विक्रम - हाँ कहा तो था... और तुमने यह वॉर्न भी किया था... के मुझे तुम्हारे घर में कभी घुसना नहीं चाहिए... क्यूँकी अगर मैंने ऐसा किया तो तुम... मेरे घर में घुसोगे...
विश्व - हाँ...
विक्रम - पर मैं तुम्हारे घर में घुसा ही नहीं... विश्व प्रताप... पर तुम मेरे घर में घुस आये... हा हा हा...
विश्व - विक्रम... मैं यहाँ तुमसे कोई बकवास करने नहीं आया हूँ... अब सीधी तरह से मेरे माता पिता को मेरे हवाले करो... नहीं तो...
विक्रम - ह्म्म्म्म... धमकी... गुड... (पंच बैग से दुर चलते हुए स्पेरिंग रिंग में पहुँच कर) नहीं तो... क्या कर लोगे... विश्वा...

विश्व स्पेरिंग रिंग की रस्सी को पकड़ कर एक कुदी मार कर रिंग के अंदर पहुँचता है l

विश्व - नहीं तो... मैं तुम्हारा वह हश्र करूँगा के तुम कभी सोच भी नहीं पाओगे युवराज...
विक्रम - वाह मजा आ गया... चलो दिखाओ... तुम क्या क्या कर सकते हो... जो मैं... सोच नहीं सकता... (विश्व एक पंच मारता है जिसे विक्रम डॉज करता है) ना... इस पंच में... कोई ताकत नहीं है... चलो... आज विश्वा द बिष्ट को दिखाओ...

विश्व अब लगातार कुछ पंच और किक मारने लगता है पर विक्रम आसानी से सारे पंच और किक को डॉज कर लेता है l पर धीरे धीरे विश्व की पंच और किक में तेजी आने लगती है l डॉज करते हुए विक्रम एक जबरदस्त मुक्का विश्व के जबड़े पर मारता है l मुक्का जबरदस्त था विश्व छिटक कर रस्सियों के बकल पर गिरता है l थोड़ी देर के लिए विश्व का सिर झनझना जाता है l

विक्रम - बहुत दिन हो गए हैं ना... तुम्हें मार खाते हुए... कोई ना... आज सारी की सारी कसर मैं पुरा कर दूँगा...

विश्व अब अपना शर्ट उतार कर एक ओर फेंक देता है l फिर स्पेरिंग वाला पोजिशन लेता है l विक्रम भी अपना पोजीशन लेता है l विश्व अब हमला कर देता है, विक्रम विश्व के सारे मूव को डॉज करते हुए परखता है फिर एक हिट विश्व के पिंजर पर करता है l पर इस बार विश्व तैयार था l विक्रम की पंच को रोक कर विश्व एक अपरकट पंच विक्रम के जबड़े पर जड़ देता है l इसबार विक्रम छिटक कर रिंग के बकल पर पड़ता है l

विक्रम - आह... वाव... बहुत अच्छे... पर विश्व तुम्हारे हर दाव का तोड़ है आज मेरे पास..

इस बार विक्रम विश्व पर धाबा बोल देता है l अब दोनों एक-दूसरे पर हावी होने के लिए दाव पर दाव आजमाने लगते हैं l पर कोई किसी को पछाड़ नहीं पा रहा होता है l दोनों थक कर आमने सामने वाले बकल पर साँस दुरुस्त करने लगते हैं l

विक्रम - सिर्फ दो मिनट... आज हर हाल में... फैसला हो जाना चाहिए...

विश्व इस बार विक्रम पर जम्प लगा देता है, पर वार खाली जाता है, क्यूंकि शायद विक्रम को अंदाजा हो गया था, इसलिए विक्रम फर्श पर रोल होते हुए दूसरे किनारे पर पहुँच जाता है l

विक्रम - बड़ी जल्दी है तुम्हें... चलो फिर... आज खेल ख़तम कर ही देते हैं...

दोनों के बीच फिर से स्पेरिंग शुरु हो जाती है l इस बार विक्रम धीरे धीरे स्लो होने लगता है तो विक्रम बकल के पास पहुँचता है और अचानक दाव बदल कर अपने पैरों का सीजर लॉक मूव विश्व के पैरों पर आजमाता है विश्व रिंग के बकल पर गिरता है तो विक्रम नीचे वाले बकल के रस्सी को विश्व के गले में फांस देता है l विश्व रस्सी में फंसे अपनी गर्दन को छुड़ाने के लिए अपने हाथ को बकल के बीच रख देता है l विक्रम पीछे से विश्व के घुटने पर अपना पैर रख कर विश्व का घुटना मोड़ देता है l इससे विश्व अब विक्रम के कब्जे में आ जाता है l तभी एक चीखने की जनाना आवाज आती है तो दोनों का ध्यान उस आवाज के तरफ जाता है l प्रतिभा भागते हुए रिंग के पास आती है l


प्रतिभा - यह क्या कर रहे हो विक्रम... मेरे बेटे ने क्या किया है...
विक्रम - ओह माँ जी आप... यहाँ... कैसे...
प्रतिभा - तुम दोनों लड़ क्यूँ रहे हो... और मेरे बेटे ने किया क्या है... देखो अगर इससे कोई गलती हो गई है... तो मैं इसके लिए माफी मांगती हूँ... (प्रतिभा हाथ जोड़ कर) प्लीज... छोड दो मेरे बेटे को...

विक्रम इतना सुनते ही विश्व के गले से वह बकल वाला रस्सी निकाल देता है l विश्व रिंग पर बकल वाले रस्सी पर पीठ टिकाए बैठ कर जोर जोर से साँस लेने लगता है l प्रतिभा विश्व को पीछे से पकड़ कर गले लगा कर रोने लगती है l अपनी साँस दुरुस्त करने के बाद विश्व विक्रम की ओर देखता है l विक्रम विश्व को देखते हुए एक विजयी मुस्कान के साथ अपनी मूँछों पर ताव देता है l विश्व के चेहरे पर भी एक मुस्कान आ कर चली जाती है l इतने में शुभ्रा, रुप और तापस सभी आकर रिंग के पास पहुँचते हैं l

घूम कर विश्व प्रतिभा की आँखों को पोंछता है फिर रिंग से उतर कर प्रतिभा और तापस दोनों के पैरों को छूता है l

प्रतिभा - (हैरानी के साथ) यह क्या है विक्रम....
विक्रम - कोई बात नहीं माँ जी... बस एक सुकून था जो खो गया था... आज आपने पुरा कर दिया...

विक्रम रिंग से बाहर आता है और गौर से शुभ्रा और रुप की ओर देखता है, फिर तापस और प्रतिभा की ओर देखता है l

विक्रम - वैसे माँ जी...
प्रतिभा - क्यूँ ना आती तो मार देता मेरे बच्चे को...
विश्व - रिलैक्स माँ रिलैक्स... कुछ नहीं हुआ है...
प्रतिभा - (विक्रम से) हमें उन किडनैपरों से बचा कर... क्या यह दिखा ने के लिए यहाँ लाए थे...
विक्रम - माँ जी... यह एक इतिहास है... और गुरुर भी...
विक्रम - माँ जी... मैं हमेशा से आपका गुनहगार रहा हूँ... शायद उसकी सजा आपके इस बेटे के हाथों मुझे मिली थी... पर क्या करूँ... मेरे धमनीयों में राजसी खुन बह रही है... अपना सिर और मूंछें ऊँचा रखने के लिए... हम किसी भी हद तक चले जाते हैं... आपके बेटे ने मुझे मूंछें रखने लायक नहीं रखा था... मैंने बस आज वही गुरुर दोबारा हासिल कर लिया है... (प्रतिभा हैरानी के साथ विक्रम की ओर देख रही थी) एक वह दिन था... जब मेरी पत्नी विश्व के आगे मेरे लिए गिड़गिड़ाइ थी... आज विश्व के लिए... मेरे सामने हाथ जोड़ दिए... बस... आपका मान रह गया... और मेरा गुमान बच गया...
Bahut hi badhiya update diya hai Kala Nag bhai....
Nice and beautiful update.....
 

kas1709

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👉एक सौ बयालीसवां अपडेट
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क्षेत्रपाल महल

नागेंद्र के कमरे में एक मेडिकल बेड लगा हुआ है l डॉक्टर्स और नर्सेस अपने काम में लगे हुए हैं l बेड के पास एक चेयर पर भैरव सिंह बैठा हुआ है और बेड के सिरहाने पर सुषमा खड़ी हुई है l कमरे में भीमा और बल्लभ भी दरवाजे के पास खड़े हैं l एक सैलाईन बोतल स्टैंड पर लगा कर नागेंद्र के कलाई पर ड्रिप लगा देता है, उसके बाद डॉक्टर नागेंद्र को एक इंजेक्शन देता है और फिर भैरव सिंह के पास आकर कहता है

डॉक्टर - राजा साहब... उम्र का तकाजा है... इस पड़ाव पर... लाइट फ़ूड खाना सेहत के लिए ठीक होता है... बड़े राजा जी को... बदहजमी के वज़ह से उल्टी और गैस हो गई थी... हमने इंजेक्शन दे दिया है... अब फिक्र करने की कोई जरूरत नहीं है....
भैरव सिंह - (ताली बजाता है, कुछ नौकर दौड़कर आते हैं) जाओ... डॉक्टर और उनकी टीम को छोड़ कर आओ... (सुषमा से) छोटी रानी... इनकी जितनी भी फीस बनती है... इन्हें दे दीजिए...
डॉक्टर - यह फीस की क्या बात कर रहे हैं राजा साहब... हम तो आपकी प्रजा हैं... बड़े राजा जी की सेवा... बड़े भाग्य से मिला है... हम भाग्य को पैसों से कैसे तोल सकते हैं...
भैरव सिंह - यह क्या कह रहे हो डॉक्टर... आपने सर्विस दी है...
बल्लभ - राजा साहब... जैसी जिसकी भावना... भावना अगर नेक हो... तो उसका सम्मान तो होनी ही चाहिए...
भैरव सिंह - ठीक कहते हो प्रधान... (भीमा की ओर देख कर) भीमा... जाओ इन्हें हमारी गाड़ी से छोड़ आओ...

सारे मेडिकल स्टाफ़ झुक कर नमस्कार करते हैं और भीमा के साथ बाहर चले जाते हैं l भैरव सिंह एक नजर सुषमा को देखता है, सुषमा समझ जाती है और अपना सिर पर घूंघट ला कर सिर हिला कर कमरे में ठहर कर नागेंद्र की सेवा करने की हामी भरती है l उसके बाद उस उस कमरे से पहले भैरव सिंह निकलता है और उसके पीछे पीछे बल्लभ l दोनों महल के लंबे से गलियारे में पहुंचते हैं l बल्लभ भैरव सिंह से अपनी घुटी जुबान से पूछता है

बल्लभ - राजा साहब.. राजगड़ हो या यशपुर... आप फीस देना चाहें तो भी कोई फीस लेने की हिम्मत आज तक किया नहीं है... यह जानते हुए भी... आप उन्हें फीस क्यों ऑफर कर रहे थे...
भैरव सिंह - (कुछ सोच में खोया खोया सा था, उसी खोए खोए अंदाज में) कुछ नहीं... चांद सुरज में ग्रहण अक्सर लगते हैं... कहीं क्षेत्रपाल के रुआब में ग्रहण तो नहीं लग रहा... यही चेक कर रहे थे...
बल्लभ - ऐसा क्यूँ राजा साहब... लगता है... कोई चिंता का विषय है...
भैरव सिंह - खास तो नहीं है... पर... क्या हम... उसे खास ना समझ कर नजर अंदाज कर... गलती तो नहीं कर रहे हैं...
बल्लभ - ओ.. समझ गया... शायद आप विश्वा... (बल्लभ आगे कुछ कहता नहीं है)
भैरव सिंह - प्रधान बाबु... मत भूलें... आप कौन हैँ... क्षेत्रपाल से दोस्ती या दुश्मनी करने के लिए... क्षेत्रपाल के बराबर का कद होना चाहिए... विश्वा जैसे आदमी के लिए सोच कर... हम समय और शक्ति दोनों का नष्ट नहीं करना चाहते...
बल्लभ - (थोड़ा खरासते हुए) हम भी यही मानते हैं... जानते हैं... पर समय के चिलमन में क्या छुपा है... कौन जाने...
भैरव सिंह - हमारी उम्र जरुर ढल रही है प्रधान... पर आज भी हमारी सोच वैसी की वैसी ही है... रुआब और पैसों के आगे हम किसीके लिए... दिल में कोई दयामाया नहीं पालते...
बल्लभ - हम भी यही कह रहे हैं... आप अपनी रबाब से नीचे ना सोचें... विश्व जैसों के लिए सोचने के लिए... आपने हम जैसे लोग पाल रखे हैं..
भैरव सिंह - हाँ अब वही लोग... एक एक करके नाकारा साबित हो रहे हैं...
बल्लभ - ऐसा अभी क्या हो गया है राजा साहब...
भैरव सिंह - प्रधान... हमने विश्व के पीछे... रोणा को छोड़ा था... पर अब... रोणा गायब हो गया है... कोई खबर ही नहीं है... पता नहीं कहीं... मर मरा तो नहीं गया...
बल्लभ - नहीं... राजा साहब... वह जिंदा जरूर है... विश्वा को दबोचने के लिए... आड़े हाथ लेने के लिए... जरुर कोई तिकड़म भीड़ा रहा होगा...
भैरव सिंह - पुरी बात बताओ प्रधान... विश्वा... जिसकी सिर को अपने जुते की बराबर की ऊँचाई पर रखे थे... अब लगता है या तो वह अपना कद बढ़ा रहा है... या फिर... हमें हमारी कद से नीचे की ओर खिंच रहा है... रोणा को विश्व के पीछे छोड़ा था... पर पता नहीं क्या हुआ... उसकी कोई खबर नहीं है... फोन भी स्विच ऑफ आ रहा है...
बल्लभ - राजा साहब... विश्वा... लगता है शायद उसके ऊपर भारी पड़ा... इस कदर भारी पड़ा के... शर्म और जिल्लत के मारे... अब मुहँ छुपाये कहीं छिप गया है... इंडेफिनाइट छुट्टी की एप्लिकेशन डाल कर चला गया है... उधर भुवनेश्वर में श्रीधर परीड़ा... भी गायब हो गया है...
भैरव सिंह - ह्म्म्म्म... इसका मतलब यह हुआ... की विश्वा अपना दायरा फैला रहा है... ताकि हमारे दायरे को काट सके...
बल्लभ - बात वहाँ तक नहीं आएगी... हम आने ही नहीं देंगे...
भैरव सिंह - वह तो देखा जाएगा... फिलहाल... हम अपने घर के सदस्यों के बारे में सोच रहे हैं...
बल्लभ - राजकुमार के बारे में...
भैरव सिंह - ह्म्म्म्म....
बल्लभ - समझ सकता हूँ... युवराज के मना करने के बाद... आपने राजकुमार को राजनीति में युवा चेहरा बना कर सामने लाने की कोशिश की गई... पर राजकुमार जी के उस लड़की के साथ... (चुप हो जाता है)
भैरव सिंह - कहो प्रधान कहो... चुप क्यूँ हो गए... राजकुमार ने हमारी सारे प्लान पर पानी फ़ेर दिया... वज़ह... वह दो कौड़ी की लड़की... और जब तक वह लड़की उसके साथ है... राजकुमार वापस नहीं आयेंगे...
बल्लभ - छोटे राजा जी भी तो अभी नहीं आए हैं... उन्हें अब राजगड़ आ जाना चाहिए... भुवनेश्वर में पता नहीं क्या कर रहे हैं...
भैरव सिंह - नहीं भुवनेश्वर में उनका काम बाकी है... जब तक काम ख़तम ना हो जाए... तब तक... छोटे राजा जी राजगड़ नहीं आयेंगे...
बल्लभ - क्या आप... उस बाबत भुवनेश्वर जाएंगे...
भैरव सिंह - नहीं... फ़िलहाल.. नहीं... हम यहाँ अपनी किला को मजबूत करेंगे... ताकि कोई दुश्मन राजगड़ में हमारे खिलाफ कोई किलाबंदी ना कर सके...
बल्लभ - क्या हम युवराज जी से संपर्क करें...
भैरव सिंह - प्रधान... बेटा अपने पैर में बाप का जुता पहनता है... बाप बेटे का जुता नहीं पहनता...
बल्लभ - क्षमा चाहते हैं... फिर राजकुमार कैसे वापस आयेंगे...
भैरव सिंह - हमने छोटे राजा जी को कह रखा है... उनके बारे में... छोटे राजा जी ज़रूर कुछ ना कुछ सोच रहे होंगे....

थोड़ी देर के लिए दोनों के बीच एक चुप्पी पसर जाती है l दोनों यूँही चले जा रहे थे l कुछ देर बाद बाद भैरव सिंह कहता है

भैरव सिंह - प्रधान...
बल्लभ - जी राजा साहब...
भैरव सिंह - तुम्हें क्या लगता है...
बल्लभ - जी... मैं कुछ समझा नहीं...
भैरव सिंह - (एक गहरी साँस छोड़ते हुए) देखो... कितना शांत वातावरण है... इतना शांत... के... कहीं दुर बहती नदी की कल कल शब्द यहाँ तक सुनाई दे रही है...
बल्लभ - (चुप रहता है)
भैरव सिंह - वातावरण इतना शांत कब होता है प्रधान...
बल्लभ - (हकलाते हुए) न न.. नहीं जानता राजा साहब...

तभी भीमा इन दोनों के पास आ पहुँचता है और चुपचाप सिर झुकाए खड़ा हो जाता है l

भैरव सिंह - प्रधान... इतनी खामोशी किसी आने वाले तूफान का इशारा है... तुम अब हर कोने में... हर हिस्से में... अपनी पैनी नजर घुमाओ... अपना कान लगाओ... हमारे अंदर से एक वाईव सा आ रहा है... कहीं ना कहीं... कुछ ना कुछ.. हो रहा है... पर क्या... हमें बहुत सतर्क रहना होगा... और भीमा तुम...
भीमा - जी हुकुम...
भैरव सिंह - कुछ दिनों के लिए... आखेट परिसर के... मगरमच्छों को और लकड़बग्घों को भूखा रखो...
भीमा - जी हुकुम...
भैरव सिंह - लगता है... बहुत जल्द उन्हें इंसानी गोश्त मिलने वाली है...

भीमा हैरानी भरे नजरों से बल्लभ की ओर देखता है l वैसा ही हाल बल्लभ का भी हुआ जा रहा था l


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किचन में अनु गैस पर कुकर को रखती है फिर गैस जलाती है l तभी उसे कलिंग बेल की टिंग टोंग की आवाज सुनाई देती है l अपने पल्लू से हाथ और चेहरा पोछते हुए दरवाजा खोलती है l सामने वीर खड़ा था l चेहरे पर थोड़ी उदासी और मायूसी लिए l वीर हल्का सा मुस्कराते हुए अंदर दाखिल होता है और सोफ़े पर धप कर बैठ जाता है l अनु अभी भी दरवाजे पर थी l वीर अनु की ओर देखता है, अनु अपनी बड़ी बड़ी आँखों से वीर की ओर थोड़ी हैरानी और परेशान भरे नजरों से देखे जा रही थी l वीर अपना हाथ बढ़ा कर इशारे से अनु को बुलाता है l अनु का चेहरा खिल उठता है l वह किसी मासूम बच्ची की तरह खिलखिलाते हुए भागते हुए आती है और दोनों हाथों से वीर की हाथ पकड़ लेती है l वीर उसे अपनी गोद में खिंच लेता है l

अनु की पीठ अब वीर के सीने से चिपकी हुई थी l वीर अपना चेहरा अनु की कंधे पर रख देता है l अनु को अपने कंधे पर एक गर्म चुंबन का एहसास होता है l उसकी आँखे बंद हो जाती है l पर उसे हैरानी होती है कि वीर अपना चेहरा उसके कंधे पर रख कर वैसे ही बैठ गया था l अनु वीर से सवाल करती है

अनु - राजकुमार जी... आज क्या हुआ...
वीर - (वैसे ही अपने गालों को अनु की कंधे पर रगड़ते हुए कहता है) कुछ नहीं मेरी जान... कुछ भी तो नहीं...
अनु - फिर आप ऐसे... मायूस से.. हारे हुए से क्यूँ लग रहे हैं...
वीर - (अपना माथा अनु के कंधे से हटा कर) क्या मैं तुम्हें हारा हुआ लग रहा हूँ... (अनु चुप रहती है, उसे सूझती नहीं है क्या कहे, वीर उसकी मनःस्थिति को समझ जाता है) अरे मेरी अनु... मेरी तो सबसे बड़ी जीत तु है... और जब तक तु मेरे साथ है... मुझे कौन हरा सकता है... खुद वह तकदीर लिखने वाला भी नहीं...
अनु - (वीर की ओर घुमती है, अपने दोनों हाथों से वीर की चेहरे को थामती है) राजकुमार... तो आपके चेहरे पर यह मायूसी क्यूँ...
वीर - चलो नहीं बताता... मैं तुम से नाराज हूँ... बहुत बहुत नाराज हूँ...
अनु - (वीर की चेहरे को छोड़ देती है) झूठे... नहीं बताना चाहते हैं... तो मत बताइए... यूँ मुझसे नाराज होने की झूठी बात क्यूँ कर रहे हैं...
वीर - क्या करूँ बोलो... मैं दुखी होने की ऐक्टिंग करता हूँ... पर तुम्हारा चेहरा देखता हूँ... तो सारे दुख भुला जाता हूँ... कभी कभी सोचता हूँ... के तुम्हें थोड़ा नाराज कर दूँ... ताकि तुम्हें मनाऊँ... पर तुम हो कि मेरी झूठ पकड़ लेती हो... और रूठने की झूठी नाटक तक नहीं करती...
अनु - जान चली जाए मेरी... अगर कभी आपसे मैं रूठी तो...
वीर - (अनु के गाल पर हल्का सा चपत लगाते हुए) श्श्श... क्या बात कर रही है... ऐसी बातों से मुझ पर क्या गुज़रती है.. सोच समझ कर बातेँ किया कर.. समझी...
अनु - (वीर की गोद से उतर कर वीर के बगल में बैठ जाती है और अपने कान पकड़ कर) ठिक है बाबा कान पकड़ती हूँ... फिर कभी ऐसा नहीं कहूँगी... पर मुझे बताइए तो सही... आप जाके कहाँ से आ रहे हैं...
वीर - (अनु के दोनों हाथों को अपने गालों पर रख कर) हमारे प्यारे संसार में... खुशियां ही खुशियां है... घर है... पैसा भी है... पर... संसार जैसा कुछ लग नहीं रहा है... इसलिए एक संसार का बंदोबस्त करने गया था...
अनु - मतलब...
वीर - अरे मेरी भोली अनु... काम ढूंढने गया था...
अनु - काम...
वीर - हाँ... ताकि मैं सुबह तेरी यह खूबसूरत चेहरा देख कर काम को निकलुं... तु मुझे पीछे से आवाज देकर बुलाए... मैं तेरी आवाज सुन कर रुक जाऊँ... तु मेरे पास आकर... मेरे हाथ में टिफिन कैरेज दे दे... मैं इस आशय से निकलुं... के मुझे शाम को लौटना है.. दो प्यारी प्यारी बड़ी सी हिरनी जैसी आँखे मेरी राह तक रही होंगी... जब मैं दुनिया से जद्दोजहद कर थका हारा लौटुं... तो मेरी राह में पलकें बिछाये इन दो नैनों को देखते ही... मेरी थकान सारी फुर्र हो जाए...

अनु मुस्करा देती है, शर्म से उसके गालों पर लाली छाने लगती है, वह वीर के गालों से अपना हाथ खिंच कर अपना चेहरा छुपा लेती है l

वीर - है.. क्या हुआ... (अनु के चेहरे पर हाथ हटा कर)
अनु - आप ना बड़े... छोड़िए...
वीर - अरे बात तो पुरा करो...
अनु - आप बड़े...
वीर - हाँ हाँ... आगे..
अनु - आप बड़े झूठे हो...
वीर - (अनु की हाथ छोड़ कर) लो करदिया मेरा मुड़ खराब...
अनु - (घबराते हुए) उई माँ.. क्या हुआ...
वीर - बताऊँगा... पहले यह बोलो... मैंने झूठ क्या बोला...
अनु - वह तो मैंने यूँही कह दी..
वीर - मुझे झूठा कहना... तुम्हें बड़ा मजा देता है ना...

अनु बड़ी मासूमियत से अपना सिर हिला कर हामी भरती है, जिसे देख कर वीर उसकी नाक खिंच कर कहता है l

वीर - तुम्हारी यही अदा तो मुझे दुनिया से टकराने के लिए हिम्मत देती है...
अनु - पर आपने बताया नहीं... किस काम के लिए गए थे और हुआ क्या...

वीर अनु को अपने उपर खिंच लेता है l अनु उसके उपर आकर गिरती है l पहले वीर उसके आँखों में झाँकता है फिर अपना सिर अनु के सीने पर धड़कन के पास रख देता है l अनु भी उसके सिर को थाम लेती है l

वीर - जानती है अनु... मेरे पिता ने... मेरी मदत को सबसे मना कर रखा है... यहाँ तक... जो कभी मुझसे डरा करते थे... मेरे रीकमेंडेशन पर जो दूसरों को नौकरी दिया करते थे... वे लोग भी... अब मुझसे कन्नी काटने लगे हैं... पर तु इसे दिल पर मत लगा ले... जो मैंने कभी बोया था... आज वह लौट कर आ रहा है... दुनिया से असल पहचान हो रही है...
अनु - आपके पास तो पैसे हैं ना... फिर आप क्यूँ कहीं जा रहे हैं...
वीर - वह मेरे पैसे नहीं है अनु... वह विक्रम भैया के पैसे हैं... मैं जिंदगी भर कुछ भी ना करूँ... फिर भी... मेरा एकाउंट कभी खाली होने नहीं देंगे... तेरे बदन पर... सूती साड़ी ही सही... पर एक बार अपनी कमाई से देखना चाहता हूँ... किसी रेस्टोरेंट के बजाय... फुटपाथ ही सही... पर एकबार तुझे अपनी कमाई से नास्ता खिलाना चाहता हूँ... (वीर के गालों पर गर्म पानी की बूंद आकर गिरती है, वीर अचानक अनु से अलग हो जाता है) अनु... यह क्या... तेरे आँखों में आँसू.. मेरे दिल को चीर देंगे... प्लीज मत रो...
अनु - मैं एक पनौती बन कर आपके जीवन में आई ना... आप राजकुमार... काम ढूंढ रहे हैं...
वीर - धत पगली... तु जानती है ना... मेरे पास इतना पैसा है कि... तुझे हीरों से सजा सकता हूँ... (अनु अपना सिर हामी भरते हुए हिलाती है) तुझे सेवन स्टार होटल में खिला सकता हूँ... (अनु उसी मासूमियत के साथ हाँ कहती है) यह तो एक मेरी एक ऐसी.. मासूम सी ख़्वाहिश है... जिसे एक दिन मैं पुरा करना चाहता हूँ... (अनु की नाक पकड़ कर उसका सिर हिलाते हुए) समझी मेरी मासूम पगली... (अनु हँस देती है) यह हुई ना बात... अब तुझे खुश ख़बर भी सुना देता हूँ... एक बंदे ने मुझे काम पर रख लिया...
अनु - झुठे...
वीर - सच्ची...
अनु - झूठ मत बोलिए... आपको झूठ बोलना आता ही नहीं है...
वीर - अच्छा... मुझे झूठ बोलना नहीं आता... तो और एक बात कहूँ...
अनु - (अपनी आँखे पोछते हुए) जी कहिये...
वीर - आई लव यु... (अनु शर्मा कर उठ कर जाने लगती है तो वीर अनु की हाथ पकड़ लेता है) क्या हुआ...
अनु - राजकुमार जी छोड़िए ना... किचन में बहुत कम पड़ा है...
वीर - (खड़े होकर) हाँ हाँ... पता है कितना काम पड़ा है... आज मिली हो तुम मुझे... चलो... मेरे बात का जवाब दो...
अनु - (हाथ छुड़ाने की कोशिश करती है) छोड़िए ना राजकुमार जी...
वीर - नहीं... बिल्कुल नहीं... आज तो तुम्हारे मुहँ से सुन कर ही रहूँगा...

अनु हाथ छुड़ा नहीं पाती और वीर की घुम जाती है, वीर उसे फिर से अपने पास खिंच कर सीने से जकड़ लेता है l

वीर - चलो बोलो...
अनु - (शर्म ओ हया के साथ अपनी हँसी को दबाते हुए) क्या...
वीर - आई लव यु...
अनु - ऊँ.. हूँ..
वीर - अनु...
अनु - हूँ...
वीर - प्लीज...
अनु - अच्छा ठीक है... आप अपनी आँखे बंद कर लीजिए...
वीर - यह क्या... इसमे आँख बंद करने वाली क्या बात है..
अनु - प्लीज...
वीर - ठीक है... (आँखे बंद कर लेता है) कहो अब...
अनु - (धीरे से,धीमी आवाज़ में)आई...
वीर - हाँ हाँ... आई...
अनु - लव...
वीर - हाँ हाँ... लव...
अनु - आई लव...
वीर - हाँ हाँ.. आई लव...

तभी प्रेसर कुकर की सीटी जोर से बजने लगती है जिससे वीर चौंक कर अनु को छोड़ देता है l मौका पाकर अनु किचन की ओर भाग जाती है l

वीर - अनु... (अनु रुक कर पीछे मुड़ कर देखती है) दिस इज़ नॉट फेयर... (अनु वीर को जीभ दिखा कर किचन के अंदर चली जाती है, वीर मुस्करा कर रह जाता है)

अनु के किचन के अंदर जाने के बाद वीर सोफ़े पर बैठ कर रिमोट से टीवी ऑन करता है l टीवी पर एक न्यूज ब्रीफिंग चल रही थी l न्यूज सुनते ही वीर की आँखे हैरानी से फैल जाती हैं

"कल देर रात कटक में वाव की अध्यक्षा प्रतिभा सेनापति जी के घर पर कुछ अज्ञात लोगों ने डकैती की कोशिश की थी l घर में समान तितर-बितर होकर पड़े थे l घर पर तक कोई था या नहीं इस बात की पुष्टि अभी तक नहीं हो पाई है l पुलिस सेनापति दंपति से संपर्क करने की कोशिश कर रही है पर अभी तक कोई सफलता हाथ नहीं लगी है l "

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भुवनेश्वर के प्रवेश पर टोल नाके पर सुपरिटेंडेंट जान निसार खान सादे कपड़े में जीप के बोनेट पर कुहनियों पर टेक लगाए खड़ा था l कुछ देर बाद एक ट्रक टोल नाके पर रुकती है l विश्व उस ट्रक से उतर कर भागते हुए खान के पास आता है l खान जल्दी से जीप की ड्राइविंग सीट पर बैठ जाता है और बगल में विश्व l खान गाड़ी स्टार्ट कर शहर की ओर घुमा देता है l विश्व बहुत ही सीरियस हो कर अपनी सीट पर बैठा हुआ था l मुट्ठीयाँ भिंची हुई थी चेहरा सख्त हो गया था l

खान - विश्व डोंट बी सो पेनिक...
विश्व - (बिना खान की ओर देखे) कैसे ना होऊँ खान सर... माँ और डैड... रात से गायब हैं... उनकी अभी तक कोई खबर नहीं...
खान - देखो मुझे भी देर रात खबर मिली... जोडार ने तुम्हारे साथ साथ... मुझे भी खबर किया था... पुलिस हरकत में आ चुकी है... घबराओ नहीं... ट्विन सिटी पुरा नाका बंदी कर ली गई है...
विश्व - कोई फायदा नहीं होगा खान सर...
खान - ओह... कॉम ऑन विश्व... इतना भी निरास ना हो... कम से कम... तुम... भाभीजी का स्टेट में... क्या पोजीशन है... तुम जानते हो... और तापस एक बड़े अहदे वाला ऑफिसर रहा है... जिसने भी अगुआ किया है... वह पुरे सिस्टम से पंगा नहीं ले सकता...
विश्व - हाँ नहीं ले सकता... पर अगर वह सिर फ़िरा हुआ तो...

इस बार खान चुप रहता है l गाड़ी जोडार ग्रुप्स लिमिटेड के ऑफिस में रुकती है l विश्व और खान दोनों उतर कर ऑफिस के अंदर सीधे कांफ्रेंस रुम में पहुँचते हैं l विश्व देखता है कमरे में सुभाष और सुप्रिया भी जोडार के साथ बैठे हुए थे l विश्व को देखते ही तीनों खड़े हो जाते हैं l

विश्व - (जोडार से) जोडार साहब... मैं क्या कहूँ... कैसे कहूँ...
सुप्रिया - विश्व प्रताप...
विश्व - मैं आपसे बात नहीं कर रहा हूँ... यह कोई मीडिया मसाला वाली बात नहीं है...
जोडार - तुम्हें एक बार... मिस सुप्रिया को सुनना चाहिए...
सुभाष - हाँ विश्व... सुप्रिया के पास तुम्हारे लिए एक खबर है...

विश्व हैरानी से सुप्रिया की ओर देखता है, सुप्रिया हाँ में अपना सिर हिलाते हुए अपना मोबाइल निकाल कर एक विडिओ चला कर विश्व के हाथ में देती है l विश्व के लिए प्रतिभा का वीडियो मैसेज था

प्रतिभा - मेरे बेटे प्रताप... जानती हूँ... तु डर रहा होगा... हमारे बारे में सोच कर... हाँ... यह सच है... हमारी किडनैपिंग की कोशिश हुई... गनीमत है मर्डर करने की कोशिश नहीं हुई... पर उन किडनैपर से हमें तेरे एक शुभ चिंतक ने बचा लिया है... अब हम... यानी मैं और तेरे डैड दोनों उसके पास महफ़ूज़ हैं... नाम उसका मैं तुमसे इस वक़्त रिवील नहीं कर सकती... उसका कहना है कि तुम... समझ जाओगे और बहुत जल्द तुम उसे और हमें ढूंढ लोगे...

वीडियो बंद हो जाता है l विश्व के माथे पर बल पड़ जाता है l पास ही एक चेयर पर धढ़ाम कर बैठ जाता है l जोडार एक पानी का ग्लास लाकर विश्व को देता है पर विश्व मना कर देता है l

विश्व - जोडार सर... कैसे हुआ... मुझे थोड़ा डिटेल में बतायेंगे प्लीज...
जोडार - देखो विश्व... मुझसे एक छोटी गलती यह हुई कि... मुझे डबल लेयर सिक्युरिटी लगानी चाहिए थी... पर मैंने सिंगल लेयर सिक्युरिटी लगाया था... जो कि ब्रिच हो गया... जिन्होंने भी यह कांड किया है... वे लोग पहले से ही... अच्छी तरह से रेकी किए थे... (एक गहरी साँस छोड़ता है, फिर, एक छोटा सा इलेक्ट्रॉनिक डीवाइस निकाल कर विश्व के हाथ में देता है) यह एक ट्रांसमिशन जैमर है... जिसके वज़ह से... सीसीटीवी की ट्रांसमिशन रुक गई... जिसकी अलर्ट... तुम्हारे मोबाइल पर तुम्हें मिली... जाहिर है... ऐसा ही अलर्ट... हमारे कंट्रोल रुम में भी आया था... तुमने जैसे ही फोन किया... मेरे आदमी जब तक घर पर पहुँचे... तब तक... सेनापति जी... और मैम किडनैप हो चुके थे... हमने अपने आदमियों को चेक किया तो पाया... (सीरींज नुमा एक शॉट दिखाते हुए) सबको ऐनेस्थेटीक ट्रांकुलाइजर शॉट से... बेहोश किया गया था...
विश्व - (उस शॉट को हाथ में लेकर) आपके आदमियों को बेहोश कर जिन्होंने माँ और डैड को किडनैप करी... माँ उन्हीं के कब्जे में है... या किसी और के कब्जे में...
सुभाष - जोडार ग्रुप को छका कर जो चोर सेनापति सर और मैम को किडनैप किया... उन पर कोई तीसरा मोर बन गया...
विश्व - यह आप कैसे कह सकते हैं...
सुभाष - देखो विश्व... मैं इस केस में नहीं हूँ... तुम्हारे वज़ह से... मुझे होम मिनिस्ट्री ने... रुप फाउंडेशन का एसआईटी चीफ बनाया है... तुम तक खबर पहुँचाने के लिए मैम ने... तुम्हारे फोन के बजाय... सुप्रिया जी को क्यूँ इन्फॉर्म किया... यह मैं नहीं कह सकता... पर जैसे ही यह विडिओ... सुप्रिया जी को मिला... उन्होंने मुझे कॉन्टैक्ट किया... मैंने खान सर से मिलकर... तुम्हारे लिए कुछ इन्फॉर्मेशन जुटाए हैं... शायद तुम्हारे काम आ जाए... (इतना कह कर सुभाष एक टेबलेट निकाल कर विश्व के हाथ में देता है) यह देखो... यह लिंक रोड पर जो प्रेस क्लब है... वहाँ की सीसीटीवी की फुटेज है...

विश्व देखता है दो काली रंग की गाड़ी को प्रेस क्लब जंक्शन के आगे चार काले रंग के गाड़ी आकर रुकती हैं l उससे कुछ बंदे उतर कर उन दो गाड़ी में बैठे लोगों को बंदूक की नोक पर ले लेते हैं, फिर वे लोग गाड़ी की डोर खोल कर बेहोश तापस दंपति को अपनी गाड़ी में लेकर उन दो गाड़ियों के हवा निकाल कर चले जाते हैं l तब एक आदमी एक गाड़ी से उतर कर अपना नकाब उतरता है और फिर बोनेट पर मुक्का मारता है l

विश्व - रंगा... यह तो रंगा है... इसने...
सुभाष - हाँ... रंग चरण सेठी... याद है... तुमसे छत्तीस का आँकड़ा है...
विश्व - इसने इतनी हिम्मत जुटाई कहाँ से... पर न्यूज में तो यह क्लिप नहीं चला रहे हैं...
खान - अभी तक पुलिस वालों को भी यह क्लिप नहीं मिली है...
विश्व - व्हाट...
सुभाष - हाँ... इसे हमने सुप्रिया जी की मदत से... पूरा का पूरा मास्टर क्लिप ले आए हैं... क्यूँकी... खान सर चाहते थे... पहले तुम... तसल्ली कर लो... उसके बाद ही हम... पुलिस और मीडिया तक पहुँचाएँगे...
विश्व - मुझे अभी भी समझ में नहीं आ रहा... डैड के पास एक रिवॉलवर है... कैसे इस्तेमाल नहीं कर सके...
खान - उनके सोने के बाद... यह सब आधी रात को हुआ है... घर में घुसने वाले... किचन की खिड़की की सरिया को तेजाब से पिघला कर घुसे थे...

विश्व सोच में पड़ जाता है l सभी के सभी विश्व की ओर देखने लगते हैं l तभी अचानक विश्व सुभाष से दोबारा टेबलेट दिखाने के लिए कहता है l विश्व फुटेज को गौर से देखता है l सेनापति दंपति को अपनी गाड़ी में बिठाने के बाद एक नकाबपोश रंगा के गाड़ी के पास आता है और सीसीटीवी की ओर देखता है फिर एक काग़ज़ की पर्ची निकाल कर गाड़ी के छत पर चिपका का चला जाता है l

विश्व - (सुभाष से) सतपती जी... यह गाड़ी मौका ए वारदात पर क्या पुलिस को मिली...
सुभाष - हाँ... इस गाड़ी का चारों टायरों के हवा निकाल दी गई थी... इसलिए किडनैपर मजबूरन उस गाड़ी को छोड़ कर चले गए...
विश्व - क्या यह गाड़ी अभी पुलिस की कब्जे में है...
सुभाष - नहीं... पुलिस को यह नहीं मालुम है कि सेनापति सर और मैम की इस गाड़ी से किडनैपिंग की कोशिश हुई थी... इसलिए... यह गाड़ी ट्रैफ़िक पुलिस ऑफिस में है...
विश्व - क्या... मुझे इस चिट... या फिर इस चिट की फोटो मिल सकती है...

विश्व की हाथ से टेबलेट लेकर सुभाष वीडियो को दोबारा देखता है फिर अपना मोबाइल निकाल कर कहीं पर फोन लगाता है l कुछ देर बाद सुभाष के फोन पर एक व्हाट्सअप फोटो का मेसेज आती है l सुभाष उस फोटो को डाउन लोड करने के बाद विश्व को दिखाता है l वह फोटो ओरायन मॉल की पार्किंग एरिया की टोकन थी l अचानक विश्व की आँखे फैल जाती हैं l

विश्व - (जोडार से) सर मुझे आपकी गाड़ी चाहिए...
खान - मतलब तुम्हें मालुम हो गया... सेनापति और भाभी जी कहाँ है इस वक़्त...
विश्व - जी... पर यह निमंत्रण सिर्फ मेरे अकेले के लिए है... जाहिर है... मुझे अकेले जाना होगा...

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"अबे चुप"

चिल्लाया पिनाक l उसके सामने एक शख्स खड़ा हुआ था l पिनाक एक कुर्सी पर शराब का ग्लास हाथ लिए बैठा था l एक घुट पीने के बाद अपने आस्तीन से अपना मुहँ साफ करता है l

पिनाक - साले... तुझे काम दिया था... यह सिला दिया... कुछ भी नहीं हो रहा है तुझसे... (ग्लास ख़तम कर, एक छटपटाहत के साथ) लगता है... किसी और से बोलना पड़ेगा... तुझसे कुछ नहीं हो पा रहा है...
@ - जो आप समझ सकते हैं समझ लें... न्यूज में दिखा रहा है... सेनापति दंपति अभी भी... लापता हैं...
पिनाक - पर मेरे कब्जे में तो नहीं हैं ना.... पता नहीं वह कौनसा मनहूस दिन था... जो मैं तुझ पर इम्प्रेस हो गया.... पर तु तो एकदम से पनौती निकला... कोई एक काम ढंग से किया भी है तु...
@ - (एक गहरी साँस छोड़ते हुए) हाँ पर काम जब भी... लगभग लगभग होने को था... तभी कोई ना कोई भाजी मार जाता है... पर क्या करूँ... मैं आपके हुकुम का गुलाम... हमेशा इसी कोशिश में रहा... कहीं भी कभी भी... आपका नाम बाहर ना आए...
पिनाक - फायदा क्या हुआ.... ना मेरा बेटा मेरे पास है... ना ही उस विश्व को अपने घुटने पर ला सका... यह कौन आकर... सेनापति दंपति को हमसे छुड़ा ले गया...
@ - जो भी है... विश्व का दोस्त तो हो नहीं सकता... जरुर विश्व का कोई दुश्मन होगा... क्यूँकी अभी भी... वे लोग लापता हैं... और मुझे लगता है... विश्व का दुश्मन... विश्व से कॉन्टैक्ट किया भी नहीं होगा... वर्ना पुलिस की हलचल हमें बता चुकी होती...
पिनाक - ठीक है... हम ना सही... कोई तो विश्व को घुटने पर लाएगा... पर तुमने उस दो कौड़ी लड़की का भी अभी तक कुछ नहीं किया...
@ - इस बात के लिए... आपका भतीजा... मेरा मतलब है... युवराज जिम्मेदार हैं...
पिनाक - उसने क्या किया...
@ - जिस अपार्टमेंट में राजकुमार... और वह लड़की रह रहे हैं... उस अपार्टमेंट की सेक्यूरिटी से लेकर लिफ्ट मेन... दुध वाला... सब्जी वाला... सब... ESS के लोग हैं...
पिनाक - ओ... मतलब युवराज पूरी जान लगा कर... उस लड़की की हिफाजत कर रहे हैं...
@ - हाँ शायद... इसलिए तो... हमारे कोई भी आदमी... उस अपार्टमेंट के आसपास भी फटक नहीं पा रहे हैं...
पिनाक - चलो मान लिया... उस लड़की के पास तुम या तुम्हारा कोई आदमी फटक भी नहीं पा रहे हैं... पर सेनापति दंपति की हिफाजत तो युवराज नहीं कर रहे थे ना... वहाँ तो तुम्हारी दाल नहीं गली....
@ - अब विश्वा सिर्फ क्षेत्रपालों से तो दुश्मनी नहीं रखी होगी... जैल में विश्वा भाई था... जरुर किसी और ने दुश्मनी उतारी होगी... हाँ यह बात और है कि... वह हम पर भी नजर रखे हुए था...
पिनाक - यह कहते हुए... तुम्हें शर्म भी नहीं आ रही...
@ - छोटे राजा जी... मैं कोई प्रोफेशनल नहीं हूँ... हाँ जिन्हें प्रोफेशनल समझ कर काम सौंपा था... वह फुस्सी बम निकले...
पिनाक - जानते हो... मैं कुछ न कुछ कर के... एक जीत वाली सुकून के साथ... राजगड़ जाना चाहता हूँ... सिर उठा कर... सीना ताने... अपनी मूँछ पर ताव देते हुए... इसलिए... मैं ना तो... पार्टी ऑफिस जा रहा हूँ... ना ही... मेयर ऑफिस...
@ - कोई नहीं छोटे राजा जी... मेरा वादा है आपसे... अगला जो भी कदम हम उठाएंगे... चाहे वह उस लड़की के मामले में हो या... विश्व के मामले में... कामयाबी के साथ ही हम... लौटेंगे... फिलहाल तो विश्व की मुहँ बोले माँ बाप... लापता हैं... इस खबर का मजा लीजिए....

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चर्र्र्र्र्र्र्र्र् की आवाज के साथ एक गाड़ी द हैल की लोहे के फाटक के सामने आकर रुकती है l ड्राइविंग सीट की डोर खोल कर विश्व उतरता है l तब तक फाटक के बाहर चार गार्ड्स आकर अपना पोजीशन ले लेते हैं l विश्व उनके पास आकर खड़ा होता है l

विश्व - (उन गार्ड्स से) जाओ... अपने मालिक को खबर दो... विश्वा आया है...

गार्ड्स विश्व की बात सुनकर हैरानी से एकदूसरे को देखते हैं फिर उनमें से एक गार्ड विश्व से कहता है l

गार्ड - युवराज जी ने कहा था... विश्वा नाम का कोई बंदा आए तो उन्हें अदब के साथ सीधे जीम पर भेज देना... (इतने में बाकी गार्ड्स फाटक खोल देते हैं) वह रहा जीम... जहां पर युवराज एक्सरसाइज कर रहे हैं... और आपका इंतजार भी...

विश्व द हैल के परिसर के अंदर दाखिल होता है और सीधे जीम की ओर बढ़ने लगता है l जीम में दाखिल होते ही देखता है एक बड़ा सा हॉल है जो लाइट्स से जगमगा रहा है l एक और जीम के सभी प्रकार के इंस्टृमेंट्स लगे हुए हैं और दुसरी तरफ स्पेरिंग के लिए रिंग भी सजा हुआ है l वहीँ सिफ एक पैंट में और ऊपर का पूरा बदन नंगा था, विक्रम एक ओर पंच बैग पर घुसों और लातों की बौछार कर रहा था l विक्रम पसीने से लथपथ था, अपनी जीम पर विश्व को नजर घूमाते देख विश्व से पूछता है

विक्रम - पसंद आया... यह मेरा वर्ल्ड क्लास जीम है...
विश्व - (उसके पास पहुँच कर) मेरे माँ डैड कहाँ हैं...
विक्रम - वाव... मैं तो डर गया... मुझे लगा तुम मुझे थैंक्यू कहोगे...
विश्व - विक्रम... मैंने तुमसे पहले ही कह दिया था... तुम्हारे और मेरे फिलींग्स के बीच परिवार आना नहीं चाहिए...
विक्रम - हाँ कहा तो था... और तुमने यह वॉर्न भी किया था... के मुझे तुम्हारे घर में कभी घुसना नहीं चाहिए... क्यूँकी अगर मैंने ऐसा किया तो तुम... मेरे घर में घुसोगे...
विश्व - हाँ...
विक्रम - पर मैं तुम्हारे घर में घुसा ही नहीं... विश्व प्रताप... पर तुम मेरे घर में घुस आये... हा हा हा...
विश्व - विक्रम... मैं यहाँ तुमसे कोई बकवास करने नहीं आया हूँ... अब सीधी तरह से मेरे माता पिता को मेरे हवाले करो... नहीं तो...
विक्रम - ह्म्म्म्म... धमकी... गुड... (पंच बैग से दुर चलते हुए स्पेरिंग रिंग में पहुँच कर) नहीं तो... क्या कर लोगे... विश्वा...

विश्व स्पेरिंग रिंग की रस्सी को पकड़ कर एक कुदी मार कर रिंग के अंदर पहुँचता है l

विश्व - नहीं तो... मैं तुम्हारा वह हश्र करूँगा के तुम कभी सोच भी नहीं पाओगे युवराज...
विक्रम - वाह मजा आ गया... चलो दिखाओ... तुम क्या क्या कर सकते हो... जो मैं... सोच नहीं सकता... (विश्व एक पंच मारता है जिसे विक्रम डॉज करता है) ना... इस पंच में... कोई ताकत नहीं है... चलो... आज विश्वा द बिष्ट को दिखाओ...

विश्व अब लगातार कुछ पंच और किक मारने लगता है पर विक्रम आसानी से सारे पंच और किक को डॉज कर लेता है l पर धीरे धीरे विश्व की पंच और किक में तेजी आने लगती है l डॉज करते हुए विक्रम एक जबरदस्त मुक्का विश्व के जबड़े पर मारता है l मुक्का जबरदस्त था विश्व छिटक कर रस्सियों के बकल पर गिरता है l थोड़ी देर के लिए विश्व का सिर झनझना जाता है l

विक्रम - बहुत दिन हो गए हैं ना... तुम्हें मार खाते हुए... कोई ना... आज सारी की सारी कसर मैं पुरा कर दूँगा...

विश्व अब अपना शर्ट उतार कर एक ओर फेंक देता है l फिर स्पेरिंग वाला पोजिशन लेता है l विक्रम भी अपना पोजीशन लेता है l विश्व अब हमला कर देता है, विक्रम विश्व के सारे मूव को डॉज करते हुए परखता है फिर एक हिट विश्व के पिंजर पर करता है l पर इस बार विश्व तैयार था l विक्रम की पंच को रोक कर विश्व एक अपरकट पंच विक्रम के जबड़े पर जड़ देता है l इसबार विक्रम छिटक कर रिंग के बकल पर पड़ता है l

विक्रम - आह... वाव... बहुत अच्छे... पर विश्व तुम्हारे हर दाव का तोड़ है आज मेरे पास..

इस बार विक्रम विश्व पर धाबा बोल देता है l अब दोनों एक-दूसरे पर हावी होने के लिए दाव पर दाव आजमाने लगते हैं l पर कोई किसी को पछाड़ नहीं पा रहा होता है l दोनों थक कर आमने सामने वाले बकल पर साँस दुरुस्त करने लगते हैं l

विक्रम - सिर्फ दो मिनट... आज हर हाल में... फैसला हो जाना चाहिए...

विश्व इस बार विक्रम पर जम्प लगा देता है, पर वार खाली जाता है, क्यूंकि शायद विक्रम को अंदाजा हो गया था, इसलिए विक्रम फर्श पर रोल होते हुए दूसरे किनारे पर पहुँच जाता है l

विक्रम - बड़ी जल्दी है तुम्हें... चलो फिर... आज खेल ख़तम कर ही देते हैं...

दोनों के बीच फिर से स्पेरिंग शुरु हो जाती है l इस बार विक्रम धीरे धीरे स्लो होने लगता है तो विक्रम बकल के पास पहुँचता है और अचानक दाव बदल कर अपने पैरों का सीजर लॉक मूव विश्व के पैरों पर आजमाता है विश्व रिंग के बकल पर गिरता है तो विक्रम नीचे वाले बकल के रस्सी को विश्व के गले में फांस देता है l विश्व रस्सी में फंसे अपनी गर्दन को छुड़ाने के लिए अपने हाथ को बकल के बीच रख देता है l विक्रम पीछे से विश्व के घुटने पर अपना पैर रख कर विश्व का घुटना मोड़ देता है l इससे विश्व अब विक्रम के कब्जे में आ जाता है l तभी एक चीखने की जनाना आवाज आती है तो दोनों का ध्यान उस आवाज के तरफ जाता है l प्रतिभा भागते हुए रिंग के पास आती है l


प्रतिभा - यह क्या कर रहे हो विक्रम... मेरे बेटे ने क्या किया है...
विक्रम - ओह माँ जी आप... यहाँ... कैसे...
प्रतिभा - तुम दोनों लड़ क्यूँ रहे हो... और मेरे बेटे ने किया क्या है... देखो अगर इससे कोई गलती हो गई है... तो मैं इसके लिए माफी मांगती हूँ... (प्रतिभा हाथ जोड़ कर) प्लीज... छोड दो मेरे बेटे को...

विक्रम इतना सुनते ही विश्व के गले से वह बकल वाला रस्सी निकाल देता है l विश्व रिंग पर बकल वाले रस्सी पर पीठ टिकाए बैठ कर जोर जोर से साँस लेने लगता है l प्रतिभा विश्व को पीछे से पकड़ कर गले लगा कर रोने लगती है l अपनी साँस दुरुस्त करने के बाद विश्व विक्रम की ओर देखता है l विक्रम विश्व को देखते हुए एक विजयी मुस्कान के साथ अपनी मूँछों पर ताव देता है l विश्व के चेहरे पर भी एक मुस्कान आ कर चली जाती है l इतने में शुभ्रा, रुप और तापस सभी आकर रिंग के पास पहुँचते हैं l

घूम कर विश्व प्रतिभा की आँखों को पोंछता है फिर रिंग से उतर कर प्रतिभा और तापस दोनों के पैरों को छूता है l

प्रतिभा - (हैरानी के साथ) यह क्या है विक्रम....
विक्रम - कोई बात नहीं माँ जी... बस एक सुकून था जो खो गया था... आज आपने पुरा कर दिया...

विक्रम रिंग से बाहर आता है और गौर से शुभ्रा और रुप की ओर देखता है, फिर तापस और प्रतिभा की ओर देखता है l

विक्रम - वैसे माँ जी...
प्रतिभा - क्यूँ ना आती तो मार देता मेरे बच्चे को...
विश्व - रिलैक्स माँ रिलैक्स... कुछ नहीं हुआ है...
प्रतिभा - (विक्रम से) हमें उन किडनैपरों से बचा कर... क्या यह दिखा ने के लिए यहाँ लाए थे...
विक्रम - माँ जी... यह एक इतिहास है... और गुरुर भी...
विक्रम - माँ जी... मैं हमेशा से आपका गुनहगार रहा हूँ... शायद उसकी सजा आपके इस बेटे के हाथों मुझे मिली थी... पर क्या करूँ... मेरे धमनीयों में राजसी खुन बह रही है... अपना सिर और मूंछें ऊँचा रखने के लिए... हम किसी भी हद तक चले जाते हैं... आपके बेटे ने मुझे मूंछें रखने लायक नहीं रखा था... मैंने बस आज वही गुरुर दोबारा हासिल कर लिया है... (प्रतिभा हैरानी के साथ विक्रम की ओर देख रही थी) एक वह दिन था... जब मेरी पत्नी विश्व के आगे मेरे लिए गिड़गिड़ाइ थी... आज विश्व के लिए... मेरे सामने हाथ जोड़ दिए... बस... आपका मान रह गया... और मेरा गुमान बच गया...
Nice update...
 
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मनुष्य का आत्म सम्मान ही उसके लिए दुनिया मे सबसे महत्वपूर्ण और अनमोल होता है।
अगर कोई व्यक्ति आपके आत्म सम्मान के उपर चोट करता है तो सबसे बेहतर और आसान उपाय यही है कि आप उस इंसान के साथ अपना रिश्ता तोड़ ले। लेकिन यह भी इस बात पर निर्भर करता है कि सामने वाला व्यक्ति कौन है ! वो घर-परिवार का है , कोई रिश्तेदार है , या आप जहां काम करते है , या कोई अजनबी व्यक्ति है ।

विक्रम के आत्म सम्मान पर विश्वा ने गहरी चोट पहुंचाई थी । उसका क्रोधित होना , जिल्लत महसूस करना कहीं से भी गलत नही था । कुदरत ने एक ऐसा मौका उसे उपलब्ध कराया कि सांप भी मर गया और लाठी भी न टूटी। उसका मंशा भी पुरा हुआ और विश्व के साथ किसी तरह की दुश्मनी भी न पनप पाई।

लेकिन इस क्षेत्रपाल फैमिली मे क्या ही अजब - गजब की सिचुएशन जब - तब बन रही है । चाचा जी , तापस और उनकी पत्नी को किडनैप करवा रहे है और भतीजा उन्हे किडनैपर के चंगुल से छुड़ा ले जा रहे है।
पिनाक साहब जरूर भैरव सिंह के कलयुगी कुम्भकर्ण भ्राता है।

वीर और अनु का प्रसंग रोमांटिक और इमोशनल था। वीर को अब समझ आ गया होगा कि ये इश्क नही आसां , इक आग का दरिया है और डूबकर जाना है।

बहुत खुबसूरत अपडेट Kala naag भाई।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट।
 
Last edited:

Akhil bharatiya

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👉एक सौ बयालीसवां अपडेट
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क्षेत्रपाल महल

नागेंद्र के कमरे में एक मेडिकल बेड लगा हुआ है l डॉक्टर्स और नर्सेस अपने काम में लगे हुए हैं l बेड के पास एक चेयर पर भैरव सिंह बैठा हुआ है और बेड के सिरहाने पर सुषमा खड़ी हुई है l कमरे में भीमा और बल्लभ भी दरवाजे के पास खड़े हैं l एक सैलाईन बोतल स्टैंड पर लगा कर नागेंद्र के कलाई पर ड्रिप लगा देता है, उसके बाद डॉक्टर नागेंद्र को एक इंजेक्शन देता है और फिर भैरव सिंह के पास आकर कहता है

डॉक्टर - राजा साहब... उम्र का तकाजा है... इस पड़ाव पर... लाइट फ़ूड खाना सेहत के लिए ठीक होता है... बड़े राजा जी को... बदहजमी के वज़ह से उल्टी और गैस हो गई थी... हमने इंजेक्शन दे दिया है... अब फिक्र करने की कोई जरूरत नहीं है....
भैरव सिंह - (ताली बजाता है, कुछ नौकर दौड़कर आते हैं) जाओ... डॉक्टर और उनकी टीम को छोड़ कर आओ... (सुषमा से) छोटी रानी... इनकी जितनी भी फीस बनती है... इन्हें दे दीजिए...
डॉक्टर - यह फीस की क्या बात कर रहे हैं राजा साहब... हम तो आपकी प्रजा हैं... बड़े राजा जी की सेवा... बड़े भाग्य से मिला है... हम भाग्य को पैसों से कैसे तोल सकते हैं...
भैरव सिंह - यह क्या कह रहे हो डॉक्टर... आपने सर्विस दी है...
बल्लभ - राजा साहब... जैसी जिसकी भावना... भावना अगर नेक हो... तो उसका सम्मान तो होनी ही चाहिए...
भैरव सिंह - ठीक कहते हो प्रधान... (भीमा की ओर देख कर) भीमा... जाओ इन्हें हमारी गाड़ी से छोड़ आओ...

सारे मेडिकल स्टाफ़ झुक कर नमस्कार करते हैं और भीमा के साथ बाहर चले जाते हैं l भैरव सिंह एक नजर सुषमा को देखता है, सुषमा समझ जाती है और अपना सिर पर घूंघट ला कर सिर हिला कर कमरे में ठहर कर नागेंद्र की सेवा करने की हामी भरती है l उसके बाद उस उस कमरे से पहले भैरव सिंह निकलता है और उसके पीछे पीछे बल्लभ l दोनों महल के लंबे से गलियारे में पहुंचते हैं l बल्लभ भैरव सिंह से अपनी घुटी जुबान से पूछता है

बल्लभ - राजा साहब.. राजगड़ हो या यशपुर... आप फीस देना चाहें तो भी कोई फीस लेने की हिम्मत आज तक किया नहीं है... यह जानते हुए भी... आप उन्हें फीस क्यों ऑफर कर रहे थे...
भैरव सिंह - (कुछ सोच में खोया खोया सा था, उसी खोए खोए अंदाज में) कुछ नहीं... चांद सुरज में ग्रहण अक्सर लगते हैं... कहीं क्षेत्रपाल के रुआब में ग्रहण तो नहीं लग रहा... यही चेक कर रहे थे...
बल्लभ - ऐसा क्यूँ राजा साहब... लगता है... कोई चिंता का विषय है...
भैरव सिंह - खास तो नहीं है... पर... क्या हम... उसे खास ना समझ कर नजर अंदाज कर... गलती तो नहीं कर रहे हैं...
बल्लभ - ओ.. समझ गया... शायद आप विश्वा... (बल्लभ आगे कुछ कहता नहीं है)
भैरव सिंह - प्रधान बाबु... मत भूलें... आप कौन हैँ... क्षेत्रपाल से दोस्ती या दुश्मनी करने के लिए... क्षेत्रपाल के बराबर का कद होना चाहिए... विश्वा जैसे आदमी के लिए सोच कर... हम समय और शक्ति दोनों का नष्ट नहीं करना चाहते...
बल्लभ - (थोड़ा खरासते हुए) हम भी यही मानते हैं... जानते हैं... पर समय के चिलमन में क्या छुपा है... कौन जाने...
भैरव सिंह - हमारी उम्र जरुर ढल रही है प्रधान... पर आज भी हमारी सोच वैसी की वैसी ही है... रुआब और पैसों के आगे हम किसीके लिए... दिल में कोई दयामाया नहीं पालते...
बल्लभ - हम भी यही कह रहे हैं... आप अपनी रबाब से नीचे ना सोचें... विश्व जैसों के लिए सोचने के लिए... आपने हम जैसे लोग पाल रखे हैं..
भैरव सिंह - हाँ अब वही लोग... एक एक करके नाकारा साबित हो रहे हैं...
बल्लभ - ऐसा अभी क्या हो गया है राजा साहब...
भैरव सिंह - प्रधान... हमने विश्व के पीछे... रोणा को छोड़ा था... पर अब... रोणा गायब हो गया है... कोई खबर ही नहीं है... पता नहीं कहीं... मर मरा तो नहीं गया...
बल्लभ - नहीं... राजा साहब... वह जिंदा जरूर है... विश्वा को दबोचने के लिए... आड़े हाथ लेने के लिए... जरुर कोई तिकड़म भीड़ा रहा होगा...
भैरव सिंह - पुरी बात बताओ प्रधान... विश्वा... जिसकी सिर को अपने जुते की बराबर की ऊँचाई पर रखे थे... अब लगता है या तो वह अपना कद बढ़ा रहा है... या फिर... हमें हमारी कद से नीचे की ओर खिंच रहा है... रोणा को विश्व के पीछे छोड़ा था... पर पता नहीं क्या हुआ... उसकी कोई खबर नहीं है... फोन भी स्विच ऑफ आ रहा है...
बल्लभ - राजा साहब... विश्वा... लगता है शायद उसके ऊपर भारी पड़ा... इस कदर भारी पड़ा के... शर्म और जिल्लत के मारे... अब मुहँ छुपाये कहीं छिप गया है... इंडेफिनाइट छुट्टी की एप्लिकेशन डाल कर चला गया है... उधर भुवनेश्वर में श्रीधर परीड़ा... भी गायब हो गया है...
भैरव सिंह - ह्म्म्म्म... इसका मतलब यह हुआ... की विश्वा अपना दायरा फैला रहा है... ताकि हमारे दायरे को काट सके...
बल्लभ - बात वहाँ तक नहीं आएगी... हम आने ही नहीं देंगे...
भैरव सिंह - वह तो देखा जाएगा... फिलहाल... हम अपने घर के सदस्यों के बारे में सोच रहे हैं...
बल्लभ - राजकुमार के बारे में...
भैरव सिंह - ह्म्म्म्म....
बल्लभ - समझ सकता हूँ... युवराज के मना करने के बाद... आपने राजकुमार को राजनीति में युवा चेहरा बना कर सामने लाने की कोशिश की गई... पर राजकुमार जी के उस लड़की के साथ... (चुप हो जाता है)
भैरव सिंह - कहो प्रधान कहो... चुप क्यूँ हो गए... राजकुमार ने हमारी सारे प्लान पर पानी फ़ेर दिया... वज़ह... वह दो कौड़ी की लड़की... और जब तक वह लड़की उसके साथ है... राजकुमार वापस नहीं आयेंगे...
बल्लभ - छोटे राजा जी भी तो अभी नहीं आए हैं... उन्हें अब राजगड़ आ जाना चाहिए... भुवनेश्वर में पता नहीं क्या कर रहे हैं...
भैरव सिंह - नहीं भुवनेश्वर में उनका काम बाकी है... जब तक काम ख़तम ना हो जाए... तब तक... छोटे राजा जी राजगड़ नहीं आयेंगे...
बल्लभ - क्या आप... उस बाबत भुवनेश्वर जाएंगे...
भैरव सिंह - नहीं... फ़िलहाल.. नहीं... हम यहाँ अपनी किला को मजबूत करेंगे... ताकि कोई दुश्मन राजगड़ में हमारे खिलाफ कोई किलाबंदी ना कर सके...
बल्लभ - क्या हम युवराज जी से संपर्क करें...
भैरव सिंह - प्रधान... बेटा अपने पैर में बाप का जुता पहनता है... बाप बेटे का जुता नहीं पहनता...
बल्लभ - क्षमा चाहते हैं... फिर राजकुमार कैसे वापस आयेंगे...
भैरव सिंह - हमने छोटे राजा जी को कह रखा है... उनके बारे में... छोटे राजा जी ज़रूर कुछ ना कुछ सोच रहे होंगे....

थोड़ी देर के लिए दोनों के बीच एक चुप्पी पसर जाती है l दोनों यूँही चले जा रहे थे l कुछ देर बाद बाद भैरव सिंह कहता है

भैरव सिंह - प्रधान...
बल्लभ - जी राजा साहब...
भैरव सिंह - तुम्हें क्या लगता है...
बल्लभ - जी... मैं कुछ समझा नहीं...
भैरव सिंह - (एक गहरी साँस छोड़ते हुए) देखो... कितना शांत वातावरण है... इतना शांत... के... कहीं दुर बहती नदी की कल कल शब्द यहाँ तक सुनाई दे रही है...
बल्लभ - (चुप रहता है)
भैरव सिंह - वातावरण इतना शांत कब होता है प्रधान...
बल्लभ - (हकलाते हुए) न न.. नहीं जानता राजा साहब...

तभी भीमा इन दोनों के पास आ पहुँचता है और चुपचाप सिर झुकाए खड़ा हो जाता है l

भैरव सिंह - प्रधान... इतनी खामोशी किसी आने वाले तूफान का इशारा है... तुम अब हर कोने में... हर हिस्से में... अपनी पैनी नजर घुमाओ... अपना कान लगाओ... हमारे अंदर से एक वाईव सा आ रहा है... कहीं ना कहीं... कुछ ना कुछ.. हो रहा है... पर क्या... हमें बहुत सतर्क रहना होगा... और भीमा तुम...
भीमा - जी हुकुम...
भैरव सिंह - कुछ दिनों के लिए... आखेट परिसर के... मगरमच्छों को और लकड़बग्घों को भूखा रखो...
भीमा - जी हुकुम...
भैरव सिंह - लगता है... बहुत जल्द उन्हें इंसानी गोश्त मिलने वाली है...

भीमा हैरानी भरे नजरों से बल्लभ की ओर देखता है l वैसा ही हाल बल्लभ का भी हुआ जा रहा था l


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किचन में अनु गैस पर कुकर को रखती है फिर गैस जलाती है l तभी उसे कलिंग बेल की टिंग टोंग की आवाज सुनाई देती है l अपने पल्लू से हाथ और चेहरा पोछते हुए दरवाजा खोलती है l सामने वीर खड़ा था l चेहरे पर थोड़ी उदासी और मायूसी लिए l वीर हल्का सा मुस्कराते हुए अंदर दाखिल होता है और सोफ़े पर धप कर बैठ जाता है l अनु अभी भी दरवाजे पर थी l वीर अनु की ओर देखता है, अनु अपनी बड़ी बड़ी आँखों से वीर की ओर थोड़ी हैरानी और परेशान भरे नजरों से देखे जा रही थी l वीर अपना हाथ बढ़ा कर इशारे से अनु को बुलाता है l अनु का चेहरा खिल उठता है l वह किसी मासूम बच्ची की तरह खिलखिलाते हुए भागते हुए आती है और दोनों हाथों से वीर की हाथ पकड़ लेती है l वीर उसे अपनी गोद में खिंच लेता है l

अनु की पीठ अब वीर के सीने से चिपकी हुई थी l वीर अपना चेहरा अनु की कंधे पर रख देता है l अनु को अपने कंधे पर एक गर्म चुंबन का एहसास होता है l उसकी आँखे बंद हो जाती है l पर उसे हैरानी होती है कि वीर अपना चेहरा उसके कंधे पर रख कर वैसे ही बैठ गया था l अनु वीर से सवाल करती है

अनु - राजकुमार जी... आज क्या हुआ...
वीर - (वैसे ही अपने गालों को अनु की कंधे पर रगड़ते हुए कहता है) कुछ नहीं मेरी जान... कुछ भी तो नहीं...
अनु - फिर आप ऐसे... मायूस से.. हारे हुए से क्यूँ लग रहे हैं...
वीर - (अपना माथा अनु के कंधे से हटा कर) क्या मैं तुम्हें हारा हुआ लग रहा हूँ... (अनु चुप रहती है, उसे सूझती नहीं है क्या कहे, वीर उसकी मनःस्थिति को समझ जाता है) अरे मेरी अनु... मेरी तो सबसे बड़ी जीत तु है... और जब तक तु मेरे साथ है... मुझे कौन हरा सकता है... खुद वह तकदीर लिखने वाला भी नहीं...
अनु - (वीर की ओर घुमती है, अपने दोनों हाथों से वीर की चेहरे को थामती है) राजकुमार... तो आपके चेहरे पर यह मायूसी क्यूँ...
वीर - चलो नहीं बताता... मैं तुम से नाराज हूँ... बहुत बहुत नाराज हूँ...
अनु - (वीर की चेहरे को छोड़ देती है) झूठे... नहीं बताना चाहते हैं... तो मत बताइए... यूँ मुझसे नाराज होने की झूठी बात क्यूँ कर रहे हैं...
वीर - क्या करूँ बोलो... मैं दुखी होने की ऐक्टिंग करता हूँ... पर तुम्हारा चेहरा देखता हूँ... तो सारे दुख भुला जाता हूँ... कभी कभी सोचता हूँ... के तुम्हें थोड़ा नाराज कर दूँ... ताकि तुम्हें मनाऊँ... पर तुम हो कि मेरी झूठ पकड़ लेती हो... और रूठने की झूठी नाटक तक नहीं करती...
अनु - जान चली जाए मेरी... अगर कभी आपसे मैं रूठी तो...
वीर - (अनु के गाल पर हल्का सा चपत लगाते हुए) श्श्श... क्या बात कर रही है... ऐसी बातों से मुझ पर क्या गुज़रती है.. सोच समझ कर बातेँ किया कर.. समझी...
अनु - (वीर की गोद से उतर कर वीर के बगल में बैठ जाती है और अपने कान पकड़ कर) ठिक है बाबा कान पकड़ती हूँ... फिर कभी ऐसा नहीं कहूँगी... पर मुझे बताइए तो सही... आप जाके कहाँ से आ रहे हैं...
वीर - (अनु के दोनों हाथों को अपने गालों पर रख कर) हमारे प्यारे संसार में... खुशियां ही खुशियां है... घर है... पैसा भी है... पर... संसार जैसा कुछ लग नहीं रहा है... इसलिए एक संसार का बंदोबस्त करने गया था...
अनु - मतलब...
वीर - अरे मेरी भोली अनु... काम ढूंढने गया था...
अनु - काम...
वीर - हाँ... ताकि मैं सुबह तेरी यह खूबसूरत चेहरा देख कर काम को निकलुं... तु मुझे पीछे से आवाज देकर बुलाए... मैं तेरी आवाज सुन कर रुक जाऊँ... तु मेरे पास आकर... मेरे हाथ में टिफिन कैरेज दे दे... मैं इस आशय से निकलुं... के मुझे शाम को लौटना है.. दो प्यारी प्यारी बड़ी सी हिरनी जैसी आँखे मेरी राह तक रही होंगी... जब मैं दुनिया से जद्दोजहद कर थका हारा लौटुं... तो मेरी राह में पलकें बिछाये इन दो नैनों को देखते ही... मेरी थकान सारी फुर्र हो जाए...

अनु मुस्करा देती है, शर्म से उसके गालों पर लाली छाने लगती है, वह वीर के गालों से अपना हाथ खिंच कर अपना चेहरा छुपा लेती है l

वीर - है.. क्या हुआ... (अनु के चेहरे पर हाथ हटा कर)
अनु - आप ना बड़े... छोड़िए...
वीर - अरे बात तो पुरा करो...
अनु - आप बड़े...
वीर - हाँ हाँ... आगे..
अनु - आप बड़े झूठे हो...
वीर - (अनु की हाथ छोड़ कर) लो करदिया मेरा मुड़ खराब...
अनु - (घबराते हुए) उई माँ.. क्या हुआ...
वीर - बताऊँगा... पहले यह बोलो... मैंने झूठ क्या बोला...
अनु - वह तो मैंने यूँही कह दी..
वीर - मुझे झूठा कहना... तुम्हें बड़ा मजा देता है ना...

अनु बड़ी मासूमियत से अपना सिर हिला कर हामी भरती है, जिसे देख कर वीर उसकी नाक खिंच कर कहता है l

वीर - तुम्हारी यही अदा तो मुझे दुनिया से टकराने के लिए हिम्मत देती है...
अनु - पर आपने बताया नहीं... किस काम के लिए गए थे और हुआ क्या...

वीर अनु को अपने उपर खिंच लेता है l अनु उसके उपर आकर गिरती है l पहले वीर उसके आँखों में झाँकता है फिर अपना सिर अनु के सीने पर धड़कन के पास रख देता है l अनु भी उसके सिर को थाम लेती है l

वीर - जानती है अनु... मेरे पिता ने... मेरी मदत को सबसे मना कर रखा है... यहाँ तक... जो कभी मुझसे डरा करते थे... मेरे रीकमेंडेशन पर जो दूसरों को नौकरी दिया करते थे... वे लोग भी... अब मुझसे कन्नी काटने लगे हैं... पर तु इसे दिल पर मत लगा ले... जो मैंने कभी बोया था... आज वह लौट कर आ रहा है... दुनिया से असल पहचान हो रही है...
अनु - आपके पास तो पैसे हैं ना... फिर आप क्यूँ कहीं जा रहे हैं...
वीर - वह मेरे पैसे नहीं है अनु... वह विक्रम भैया के पैसे हैं... मैं जिंदगी भर कुछ भी ना करूँ... फिर भी... मेरा एकाउंट कभी खाली होने नहीं देंगे... तेरे बदन पर... सूती साड़ी ही सही... पर एक बार अपनी कमाई से देखना चाहता हूँ... किसी रेस्टोरेंट के बजाय... फुटपाथ ही सही... पर एकबार तुझे अपनी कमाई से नास्ता खिलाना चाहता हूँ... (वीर के गालों पर गर्म पानी की बूंद आकर गिरती है, वीर अचानक अनु से अलग हो जाता है) अनु... यह क्या... तेरे आँखों में आँसू.. मेरे दिल को चीर देंगे... प्लीज मत रो...
अनु - मैं एक पनौती बन कर आपके जीवन में आई ना... आप राजकुमार... काम ढूंढ रहे हैं...
वीर - धत पगली... तु जानती है ना... मेरे पास इतना पैसा है कि... तुझे हीरों से सजा सकता हूँ... (अनु अपना सिर हामी भरते हुए हिलाती है) तुझे सेवन स्टार होटल में खिला सकता हूँ... (अनु उसी मासूमियत के साथ हाँ कहती है) यह तो एक मेरी एक ऐसी.. मासूम सी ख़्वाहिश है... जिसे एक दिन मैं पुरा करना चाहता हूँ... (अनु की नाक पकड़ कर उसका सिर हिलाते हुए) समझी मेरी मासूम पगली... (अनु हँस देती है) यह हुई ना बात... अब तुझे खुश ख़बर भी सुना देता हूँ... एक बंदे ने मुझे काम पर रख लिया...
अनु - झुठे...
वीर - सच्ची...
अनु - झूठ मत बोलिए... आपको झूठ बोलना आता ही नहीं है...
वीर - अच्छा... मुझे झूठ बोलना नहीं आता... तो और एक बात कहूँ...
अनु - (अपनी आँखे पोछते हुए) जी कहिये...
वीर - आई लव यु... (अनु शर्मा कर उठ कर जाने लगती है तो वीर अनु की हाथ पकड़ लेता है) क्या हुआ...
अनु - राजकुमार जी छोड़िए ना... किचन में बहुत कम पड़ा है...
वीर - (खड़े होकर) हाँ हाँ... पता है कितना काम पड़ा है... आज मिली हो तुम मुझे... चलो... मेरे बात का जवाब दो...
अनु - (हाथ छुड़ाने की कोशिश करती है) छोड़िए ना राजकुमार जी...
वीर - नहीं... बिल्कुल नहीं... आज तो तुम्हारे मुहँ से सुन कर ही रहूँगा...

अनु हाथ छुड़ा नहीं पाती और वीर की घुम जाती है, वीर उसे फिर से अपने पास खिंच कर सीने से जकड़ लेता है l

वीर - चलो बोलो...
अनु - (शर्म ओ हया के साथ अपनी हँसी को दबाते हुए) क्या...
वीर - आई लव यु...
अनु - ऊँ.. हूँ..
वीर - अनु...
अनु - हूँ...
वीर - प्लीज...
अनु - अच्छा ठीक है... आप अपनी आँखे बंद कर लीजिए...
वीर - यह क्या... इसमे आँख बंद करने वाली क्या बात है..
अनु - प्लीज...
वीर - ठीक है... (आँखे बंद कर लेता है) कहो अब...
अनु - (धीरे से,धीमी आवाज़ में)आई...
वीर - हाँ हाँ... आई...
अनु - लव...
वीर - हाँ हाँ... लव...
अनु - आई लव...
वीर - हाँ हाँ.. आई लव...

तभी प्रेसर कुकर की सीटी जोर से बजने लगती है जिससे वीर चौंक कर अनु को छोड़ देता है l मौका पाकर अनु किचन की ओर भाग जाती है l

वीर - अनु... (अनु रुक कर पीछे मुड़ कर देखती है) दिस इज़ नॉट फेयर... (अनु वीर को जीभ दिखा कर किचन के अंदर चली जाती है, वीर मुस्करा कर रह जाता है)

अनु के किचन के अंदर जाने के बाद वीर सोफ़े पर बैठ कर रिमोट से टीवी ऑन करता है l टीवी पर एक न्यूज ब्रीफिंग चल रही थी l न्यूज सुनते ही वीर की आँखे हैरानी से फैल जाती हैं

"कल देर रात कटक में वाव की अध्यक्षा प्रतिभा सेनापति जी के घर पर कुछ अज्ञात लोगों ने डकैती की कोशिश की थी l घर में समान तितर-बितर होकर पड़े थे l घर पर तक कोई था या नहीं इस बात की पुष्टि अभी तक नहीं हो पाई है l पुलिस सेनापति दंपति से संपर्क करने की कोशिश कर रही है पर अभी तक कोई सफलता हाथ नहीं लगी है l "

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भुवनेश्वर के प्रवेश पर टोल नाके पर सुपरिटेंडेंट जान निसार खान सादे कपड़े में जीप के बोनेट पर कुहनियों पर टेक लगाए खड़ा था l कुछ देर बाद एक ट्रक टोल नाके पर रुकती है l विश्व उस ट्रक से उतर कर भागते हुए खान के पास आता है l खान जल्दी से जीप की ड्राइविंग सीट पर बैठ जाता है और बगल में विश्व l खान गाड़ी स्टार्ट कर शहर की ओर घुमा देता है l विश्व बहुत ही सीरियस हो कर अपनी सीट पर बैठा हुआ था l मुट्ठीयाँ भिंची हुई थी चेहरा सख्त हो गया था l

खान - विश्व डोंट बी सो पेनिक...
विश्व - (बिना खान की ओर देखे) कैसे ना होऊँ खान सर... माँ और डैड... रात से गायब हैं... उनकी अभी तक कोई खबर नहीं...
खान - देखो मुझे भी देर रात खबर मिली... जोडार ने तुम्हारे साथ साथ... मुझे भी खबर किया था... पुलिस हरकत में आ चुकी है... घबराओ नहीं... ट्विन सिटी पुरा नाका बंदी कर ली गई है...
विश्व - कोई फायदा नहीं होगा खान सर...
खान - ओह... कॉम ऑन विश्व... इतना भी निरास ना हो... कम से कम... तुम... भाभीजी का स्टेट में... क्या पोजीशन है... तुम जानते हो... और तापस एक बड़े अहदे वाला ऑफिसर रहा है... जिसने भी अगुआ किया है... वह पुरे सिस्टम से पंगा नहीं ले सकता...
विश्व - हाँ नहीं ले सकता... पर अगर वह सिर फ़िरा हुआ तो...

इस बार खान चुप रहता है l गाड़ी जोडार ग्रुप्स लिमिटेड के ऑफिस में रुकती है l विश्व और खान दोनों उतर कर ऑफिस के अंदर सीधे कांफ्रेंस रुम में पहुँचते हैं l विश्व देखता है कमरे में सुभाष और सुप्रिया भी जोडार के साथ बैठे हुए थे l विश्व को देखते ही तीनों खड़े हो जाते हैं l

विश्व - (जोडार से) जोडार साहब... मैं क्या कहूँ... कैसे कहूँ...
सुप्रिया - विश्व प्रताप...
विश्व - मैं आपसे बात नहीं कर रहा हूँ... यह कोई मीडिया मसाला वाली बात नहीं है...
जोडार - तुम्हें एक बार... मिस सुप्रिया को सुनना चाहिए...
सुभाष - हाँ विश्व... सुप्रिया के पास तुम्हारे लिए एक खबर है...

विश्व हैरानी से सुप्रिया की ओर देखता है, सुप्रिया हाँ में अपना सिर हिलाते हुए अपना मोबाइल निकाल कर एक विडिओ चला कर विश्व के हाथ में देती है l विश्व के लिए प्रतिभा का वीडियो मैसेज था

प्रतिभा - मेरे बेटे प्रताप... जानती हूँ... तु डर रहा होगा... हमारे बारे में सोच कर... हाँ... यह सच है... हमारी किडनैपिंग की कोशिश हुई... गनीमत है मर्डर करने की कोशिश नहीं हुई... पर उन किडनैपर से हमें तेरे एक शुभ चिंतक ने बचा लिया है... अब हम... यानी मैं और तेरे डैड दोनों उसके पास महफ़ूज़ हैं... नाम उसका मैं तुमसे इस वक़्त रिवील नहीं कर सकती... उसका कहना है कि तुम... समझ जाओगे और बहुत जल्द तुम उसे और हमें ढूंढ लोगे...

वीडियो बंद हो जाता है l विश्व के माथे पर बल पड़ जाता है l पास ही एक चेयर पर धढ़ाम कर बैठ जाता है l जोडार एक पानी का ग्लास लाकर विश्व को देता है पर विश्व मना कर देता है l

विश्व - जोडार सर... कैसे हुआ... मुझे थोड़ा डिटेल में बतायेंगे प्लीज...
जोडार - देखो विश्व... मुझसे एक छोटी गलती यह हुई कि... मुझे डबल लेयर सिक्युरिटी लगानी चाहिए थी... पर मैंने सिंगल लेयर सिक्युरिटी लगाया था... जो कि ब्रिच हो गया... जिन्होंने भी यह कांड किया है... वे लोग पहले से ही... अच्छी तरह से रेकी किए थे... (एक गहरी साँस छोड़ता है, फिर, एक छोटा सा इलेक्ट्रॉनिक डीवाइस निकाल कर विश्व के हाथ में देता है) यह एक ट्रांसमिशन जैमर है... जिसके वज़ह से... सीसीटीवी की ट्रांसमिशन रुक गई... जिसकी अलर्ट... तुम्हारे मोबाइल पर तुम्हें मिली... जाहिर है... ऐसा ही अलर्ट... हमारे कंट्रोल रुम में भी आया था... तुमने जैसे ही फोन किया... मेरे आदमी जब तक घर पर पहुँचे... तब तक... सेनापति जी... और मैम किडनैप हो चुके थे... हमने अपने आदमियों को चेक किया तो पाया... (सीरींज नुमा एक शॉट दिखाते हुए) सबको ऐनेस्थेटीक ट्रांकुलाइजर शॉट से... बेहोश किया गया था...
विश्व - (उस शॉट को हाथ में लेकर) आपके आदमियों को बेहोश कर जिन्होंने माँ और डैड को किडनैप करी... माँ उन्हीं के कब्जे में है... या किसी और के कब्जे में...
सुभाष - जोडार ग्रुप को छका कर जो चोर सेनापति सर और मैम को किडनैप किया... उन पर कोई तीसरा मोर बन गया...
विश्व - यह आप कैसे कह सकते हैं...
सुभाष - देखो विश्व... मैं इस केस में नहीं हूँ... तुम्हारे वज़ह से... मुझे होम मिनिस्ट्री ने... रुप फाउंडेशन का एसआईटी चीफ बनाया है... तुम तक खबर पहुँचाने के लिए मैम ने... तुम्हारे फोन के बजाय... सुप्रिया जी को क्यूँ इन्फॉर्म किया... यह मैं नहीं कह सकता... पर जैसे ही यह विडिओ... सुप्रिया जी को मिला... उन्होंने मुझे कॉन्टैक्ट किया... मैंने खान सर से मिलकर... तुम्हारे लिए कुछ इन्फॉर्मेशन जुटाए हैं... शायद तुम्हारे काम आ जाए... (इतना कह कर सुभाष एक टेबलेट निकाल कर विश्व के हाथ में देता है) यह देखो... यह लिंक रोड पर जो प्रेस क्लब है... वहाँ की सीसीटीवी की फुटेज है...

विश्व देखता है दो काली रंग की गाड़ी को प्रेस क्लब जंक्शन के आगे चार काले रंग के गाड़ी आकर रुकती हैं l उससे कुछ बंदे उतर कर उन दो गाड़ी में बैठे लोगों को बंदूक की नोक पर ले लेते हैं, फिर वे लोग गाड़ी की डोर खोल कर बेहोश तापस दंपति को अपनी गाड़ी में लेकर उन दो गाड़ियों के हवा निकाल कर चले जाते हैं l तब एक आदमी एक गाड़ी से उतर कर अपना नकाब उतरता है और फिर बोनेट पर मुक्का मारता है l

विश्व - रंगा... यह तो रंगा है... इसने...
सुभाष - हाँ... रंग चरण सेठी... याद है... तुमसे छत्तीस का आँकड़ा है...
विश्व - इसने इतनी हिम्मत जुटाई कहाँ से... पर न्यूज में तो यह क्लिप नहीं चला रहे हैं...
खान - अभी तक पुलिस वालों को भी यह क्लिप नहीं मिली है...
विश्व - व्हाट...
सुभाष - हाँ... इसे हमने सुप्रिया जी की मदत से... पूरा का पूरा मास्टर क्लिप ले आए हैं... क्यूँकी... खान सर चाहते थे... पहले तुम... तसल्ली कर लो... उसके बाद ही हम... पुलिस और मीडिया तक पहुँचाएँगे...
विश्व - मुझे अभी भी समझ में नहीं आ रहा... डैड के पास एक रिवॉलवर है... कैसे इस्तेमाल नहीं कर सके...
खान - उनके सोने के बाद... यह सब आधी रात को हुआ है... घर में घुसने वाले... किचन की खिड़की की सरिया को तेजाब से पिघला कर घुसे थे...

विश्व सोच में पड़ जाता है l सभी के सभी विश्व की ओर देखने लगते हैं l तभी अचानक विश्व सुभाष से दोबारा टेबलेट दिखाने के लिए कहता है l विश्व फुटेज को गौर से देखता है l सेनापति दंपति को अपनी गाड़ी में बिठाने के बाद एक नकाबपोश रंगा के गाड़ी के पास आता है और सीसीटीवी की ओर देखता है फिर एक काग़ज़ की पर्ची निकाल कर गाड़ी के छत पर चिपका का चला जाता है l

विश्व - (सुभाष से) सतपती जी... यह गाड़ी मौका ए वारदात पर क्या पुलिस को मिली...
सुभाष - हाँ... इस गाड़ी का चारों टायरों के हवा निकाल दी गई थी... इसलिए किडनैपर मजबूरन उस गाड़ी को छोड़ कर चले गए...
विश्व - क्या यह गाड़ी अभी पुलिस की कब्जे में है...
सुभाष - नहीं... पुलिस को यह नहीं मालुम है कि सेनापति सर और मैम की इस गाड़ी से किडनैपिंग की कोशिश हुई थी... इसलिए... यह गाड़ी ट्रैफ़िक पुलिस ऑफिस में है...
विश्व - क्या... मुझे इस चिट... या फिर इस चिट की फोटो मिल सकती है...

विश्व की हाथ से टेबलेट लेकर सुभाष वीडियो को दोबारा देखता है फिर अपना मोबाइल निकाल कर कहीं पर फोन लगाता है l कुछ देर बाद सुभाष के फोन पर एक व्हाट्सअप फोटो का मेसेज आती है l सुभाष उस फोटो को डाउन लोड करने के बाद विश्व को दिखाता है l वह फोटो ओरायन मॉल की पार्किंग एरिया की टोकन थी l अचानक विश्व की आँखे फैल जाती हैं l

विश्व - (जोडार से) सर मुझे आपकी गाड़ी चाहिए...
खान - मतलब तुम्हें मालुम हो गया... सेनापति और भाभी जी कहाँ है इस वक़्त...
विश्व - जी... पर यह निमंत्रण सिर्फ मेरे अकेले के लिए है... जाहिर है... मुझे अकेले जाना होगा...

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"अबे चुप"

चिल्लाया पिनाक l उसके सामने एक शख्स खड़ा हुआ था l पिनाक एक कुर्सी पर शराब का ग्लास हाथ लिए बैठा था l एक घुट पीने के बाद अपने आस्तीन से अपना मुहँ साफ करता है l

पिनाक - साले... तुझे काम दिया था... यह सिला दिया... कुछ भी नहीं हो रहा है तुझसे... (ग्लास ख़तम कर, एक छटपटाहत के साथ) लगता है... किसी और से बोलना पड़ेगा... तुझसे कुछ नहीं हो पा रहा है...
@ - जो आप समझ सकते हैं समझ लें... न्यूज में दिखा रहा है... सेनापति दंपति अभी भी... लापता हैं...
पिनाक - पर मेरे कब्जे में तो नहीं हैं ना.... पता नहीं वह कौनसा मनहूस दिन था... जो मैं तुझ पर इम्प्रेस हो गया.... पर तु तो एकदम से पनौती निकला... कोई एक काम ढंग से किया भी है तु...
@ - (एक गहरी साँस छोड़ते हुए) हाँ पर काम जब भी... लगभग लगभग होने को था... तभी कोई ना कोई भाजी मार जाता है... पर क्या करूँ... मैं आपके हुकुम का गुलाम... हमेशा इसी कोशिश में रहा... कहीं भी कभी भी... आपका नाम बाहर ना आए...
पिनाक - फायदा क्या हुआ.... ना मेरा बेटा मेरे पास है... ना ही उस विश्व को अपने घुटने पर ला सका... यह कौन आकर... सेनापति दंपति को हमसे छुड़ा ले गया...
@ - जो भी है... विश्व का दोस्त तो हो नहीं सकता... जरुर विश्व का कोई दुश्मन होगा... क्यूँकी अभी भी... वे लोग लापता हैं... और मुझे लगता है... विश्व का दुश्मन... विश्व से कॉन्टैक्ट किया भी नहीं होगा... वर्ना पुलिस की हलचल हमें बता चुकी होती...
पिनाक - ठीक है... हम ना सही... कोई तो विश्व को घुटने पर लाएगा... पर तुमने उस दो कौड़ी लड़की का भी अभी तक कुछ नहीं किया...
@ - इस बात के लिए... आपका भतीजा... मेरा मतलब है... युवराज जिम्मेदार हैं...
पिनाक - उसने क्या किया...
@ - जिस अपार्टमेंट में राजकुमार... और वह लड़की रह रहे हैं... उस अपार्टमेंट की सेक्यूरिटी से लेकर लिफ्ट मेन... दुध वाला... सब्जी वाला... सब... ESS के लोग हैं...
पिनाक - ओ... मतलब युवराज पूरी जान लगा कर... उस लड़की की हिफाजत कर रहे हैं...
@ - हाँ शायद... इसलिए तो... हमारे कोई भी आदमी... उस अपार्टमेंट के आसपास भी फटक नहीं पा रहे हैं...
पिनाक - चलो मान लिया... उस लड़की के पास तुम या तुम्हारा कोई आदमी फटक भी नहीं पा रहे हैं... पर सेनापति दंपति की हिफाजत तो युवराज नहीं कर रहे थे ना... वहाँ तो तुम्हारी दाल नहीं गली....
@ - अब विश्वा सिर्फ क्षेत्रपालों से तो दुश्मनी नहीं रखी होगी... जैल में विश्वा भाई था... जरुर किसी और ने दुश्मनी उतारी होगी... हाँ यह बात और है कि... वह हम पर भी नजर रखे हुए था...
पिनाक - यह कहते हुए... तुम्हें शर्म भी नहीं आ रही...
@ - छोटे राजा जी... मैं कोई प्रोफेशनल नहीं हूँ... हाँ जिन्हें प्रोफेशनल समझ कर काम सौंपा था... वह फुस्सी बम निकले...
पिनाक - जानते हो... मैं कुछ न कुछ कर के... एक जीत वाली सुकून के साथ... राजगड़ जाना चाहता हूँ... सिर उठा कर... सीना ताने... अपनी मूँछ पर ताव देते हुए... इसलिए... मैं ना तो... पार्टी ऑफिस जा रहा हूँ... ना ही... मेयर ऑफिस...
@ - कोई नहीं छोटे राजा जी... मेरा वादा है आपसे... अगला जो भी कदम हम उठाएंगे... चाहे वह उस लड़की के मामले में हो या... विश्व के मामले में... कामयाबी के साथ ही हम... लौटेंगे... फिलहाल तो विश्व की मुहँ बोले माँ बाप... लापता हैं... इस खबर का मजा लीजिए....

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चर्र्र्र्र्र्र्र्र् की आवाज के साथ एक गाड़ी द हैल की लोहे के फाटक के सामने आकर रुकती है l ड्राइविंग सीट की डोर खोल कर विश्व उतरता है l तब तक फाटक के बाहर चार गार्ड्स आकर अपना पोजीशन ले लेते हैं l विश्व उनके पास आकर खड़ा होता है l

विश्व - (उन गार्ड्स से) जाओ... अपने मालिक को खबर दो... विश्वा आया है...

गार्ड्स विश्व की बात सुनकर हैरानी से एकदूसरे को देखते हैं फिर उनमें से एक गार्ड विश्व से कहता है l

गार्ड - युवराज जी ने कहा था... विश्वा नाम का कोई बंदा आए तो उन्हें अदब के साथ सीधे जीम पर भेज देना... (इतने में बाकी गार्ड्स फाटक खोल देते हैं) वह रहा जीम... जहां पर युवराज एक्सरसाइज कर रहे हैं... और आपका इंतजार भी...

विश्व द हैल के परिसर के अंदर दाखिल होता है और सीधे जीम की ओर बढ़ने लगता है l जीम में दाखिल होते ही देखता है एक बड़ा सा हॉल है जो लाइट्स से जगमगा रहा है l एक और जीम के सभी प्रकार के इंस्टृमेंट्स लगे हुए हैं और दुसरी तरफ स्पेरिंग के लिए रिंग भी सजा हुआ है l वहीँ सिफ एक पैंट में और ऊपर का पूरा बदन नंगा था, विक्रम एक ओर पंच बैग पर घुसों और लातों की बौछार कर रहा था l विक्रम पसीने से लथपथ था, अपनी जीम पर विश्व को नजर घूमाते देख विश्व से पूछता है

विक्रम - पसंद आया... यह मेरा वर्ल्ड क्लास जीम है...
विश्व - (उसके पास पहुँच कर) मेरे माँ डैड कहाँ हैं...
विक्रम - वाव... मैं तो डर गया... मुझे लगा तुम मुझे थैंक्यू कहोगे...
विश्व - विक्रम... मैंने तुमसे पहले ही कह दिया था... तुम्हारे और मेरे फिलींग्स के बीच परिवार आना नहीं चाहिए...
विक्रम - हाँ कहा तो था... और तुमने यह वॉर्न भी किया था... के मुझे तुम्हारे घर में कभी घुसना नहीं चाहिए... क्यूँकी अगर मैंने ऐसा किया तो तुम... मेरे घर में घुसोगे...
विश्व - हाँ...
विक्रम - पर मैं तुम्हारे घर में घुसा ही नहीं... विश्व प्रताप... पर तुम मेरे घर में घुस आये... हा हा हा...
विश्व - विक्रम... मैं यहाँ तुमसे कोई बकवास करने नहीं आया हूँ... अब सीधी तरह से मेरे माता पिता को मेरे हवाले करो... नहीं तो...
विक्रम - ह्म्म्म्म... धमकी... गुड... (पंच बैग से दुर चलते हुए स्पेरिंग रिंग में पहुँच कर) नहीं तो... क्या कर लोगे... विश्वा...

विश्व स्पेरिंग रिंग की रस्सी को पकड़ कर एक कुदी मार कर रिंग के अंदर पहुँचता है l

विश्व - नहीं तो... मैं तुम्हारा वह हश्र करूँगा के तुम कभी सोच भी नहीं पाओगे युवराज...
विक्रम - वाह मजा आ गया... चलो दिखाओ... तुम क्या क्या कर सकते हो... जो मैं... सोच नहीं सकता... (विश्व एक पंच मारता है जिसे विक्रम डॉज करता है) ना... इस पंच में... कोई ताकत नहीं है... चलो... आज विश्वा द बिष्ट को दिखाओ...

विश्व अब लगातार कुछ पंच और किक मारने लगता है पर विक्रम आसानी से सारे पंच और किक को डॉज कर लेता है l पर धीरे धीरे विश्व की पंच और किक में तेजी आने लगती है l डॉज करते हुए विक्रम एक जबरदस्त मुक्का विश्व के जबड़े पर मारता है l मुक्का जबरदस्त था विश्व छिटक कर रस्सियों के बकल पर गिरता है l थोड़ी देर के लिए विश्व का सिर झनझना जाता है l

विक्रम - बहुत दिन हो गए हैं ना... तुम्हें मार खाते हुए... कोई ना... आज सारी की सारी कसर मैं पुरा कर दूँगा...

विश्व अब अपना शर्ट उतार कर एक ओर फेंक देता है l फिर स्पेरिंग वाला पोजिशन लेता है l विक्रम भी अपना पोजीशन लेता है l विश्व अब हमला कर देता है, विक्रम विश्व के सारे मूव को डॉज करते हुए परखता है फिर एक हिट विश्व के पिंजर पर करता है l पर इस बार विश्व तैयार था l विक्रम की पंच को रोक कर विश्व एक अपरकट पंच विक्रम के जबड़े पर जड़ देता है l इसबार विक्रम छिटक कर रिंग के बकल पर पड़ता है l

विक्रम - आह... वाव... बहुत अच्छे... पर विश्व तुम्हारे हर दाव का तोड़ है आज मेरे पास..

इस बार विक्रम विश्व पर धाबा बोल देता है l अब दोनों एक-दूसरे पर हावी होने के लिए दाव पर दाव आजमाने लगते हैं l पर कोई किसी को पछाड़ नहीं पा रहा होता है l दोनों थक कर आमने सामने वाले बकल पर साँस दुरुस्त करने लगते हैं l

विक्रम - सिर्फ दो मिनट... आज हर हाल में... फैसला हो जाना चाहिए...

विश्व इस बार विक्रम पर जम्प लगा देता है, पर वार खाली जाता है, क्यूंकि शायद विक्रम को अंदाजा हो गया था, इसलिए विक्रम फर्श पर रोल होते हुए दूसरे किनारे पर पहुँच जाता है l

विक्रम - बड़ी जल्दी है तुम्हें... चलो फिर... आज खेल ख़तम कर ही देते हैं...

दोनों के बीच फिर से स्पेरिंग शुरु हो जाती है l इस बार विक्रम धीरे धीरे स्लो होने लगता है तो विक्रम बकल के पास पहुँचता है और अचानक दाव बदल कर अपने पैरों का सीजर लॉक मूव विश्व के पैरों पर आजमाता है विश्व रिंग के बकल पर गिरता है तो विक्रम नीचे वाले बकल के रस्सी को विश्व के गले में फांस देता है l विश्व रस्सी में फंसे अपनी गर्दन को छुड़ाने के लिए अपने हाथ को बकल के बीच रख देता है l विक्रम पीछे से विश्व के घुटने पर अपना पैर रख कर विश्व का घुटना मोड़ देता है l इससे विश्व अब विक्रम के कब्जे में आ जाता है l तभी एक चीखने की जनाना आवाज आती है तो दोनों का ध्यान उस आवाज के तरफ जाता है l प्रतिभा भागते हुए रिंग के पास आती है l


प्रतिभा - यह क्या कर रहे हो विक्रम... मेरे बेटे ने क्या किया है...
विक्रम - ओह माँ जी आप... यहाँ... कैसे...
प्रतिभा - तुम दोनों लड़ क्यूँ रहे हो... और मेरे बेटे ने किया क्या है... देखो अगर इससे कोई गलती हो गई है... तो मैं इसके लिए माफी मांगती हूँ... (प्रतिभा हाथ जोड़ कर) प्लीज... छोड दो मेरे बेटे को...

विक्रम इतना सुनते ही विश्व के गले से वह बकल वाला रस्सी निकाल देता है l विश्व रिंग पर बकल वाले रस्सी पर पीठ टिकाए बैठ कर जोर जोर से साँस लेने लगता है l प्रतिभा विश्व को पीछे से पकड़ कर गले लगा कर रोने लगती है l अपनी साँस दुरुस्त करने के बाद विश्व विक्रम की ओर देखता है l विक्रम विश्व को देखते हुए एक विजयी मुस्कान के साथ अपनी मूँछों पर ताव देता है l विश्व के चेहरे पर भी एक मुस्कान आ कर चली जाती है l इतने में शुभ्रा, रुप और तापस सभी आकर रिंग के पास पहुँचते हैं l

घूम कर विश्व प्रतिभा की आँखों को पोंछता है फिर रिंग से उतर कर प्रतिभा और तापस दोनों के पैरों को छूता है l

प्रतिभा - (हैरानी के साथ) यह क्या है विक्रम....
विक्रम - कोई बात नहीं माँ जी... बस एक सुकून था जो खो गया था... आज आपने पुरा कर दिया...

विक्रम रिंग से बाहर आता है और गौर से शुभ्रा और रुप की ओर देखता है, फिर तापस और प्रतिभा की ओर देखता है l

विक्रम - वैसे माँ जी...
प्रतिभा - क्यूँ ना आती तो मार देता मेरे बच्चे को...
विश्व - रिलैक्स माँ रिलैक्स... कुछ नहीं हुआ है...
प्रतिभा - (विक्रम से) हमें उन किडनैपरों से बचा कर... क्या यह दिखा ने के लिए यहाँ लाए थे...
विक्रम - माँ जी... यह एक इतिहास है... और गुरुर भी...
विक्रम - माँ जी... मैं हमेशा से आपका गुनहगार रहा हूँ... शायद उसकी सजा आपके इस बेटे के हाथों मुझे मिली थी... पर क्या करूँ... मेरे धमनीयों में राजसी खुन बह रही है... अपना सिर और मूंछें ऊँचा रखने के लिए... हम किसी भी हद तक चले जाते हैं... आपके बेटे ने मुझे मूंछें रखने लायक नहीं रखा था... मैंने बस आज वही गुरुर दोबारा हासिल कर लिया है... (प्रतिभा हैरानी के साथ विक्रम की ओर देख रही थी) एक वह दिन था... जब मेरी पत्नी विश्व के आगे मेरे लिए गिड़गिड़ाइ थी... आज विश्व के लिए... मेरे सामने हाथ जोड़ दिए... बस... आपका मान रह गया... और मेरा गुमान बच गया...

Bhut hi sundar or shandar update bhai aise hi aage bhi update dete rahiyega
 
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Kala Nag

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Wah gajab maza a gya kala naag bhai.
शुक्रिया मेरे दोस्त आपका बहुत बहुत शुक्रिया
 
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