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Erotica वूमंडली की लौंडिया

naag.champa

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वूमंडली की लौंडिया

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(मलाई- एक रखैल भाग -२)
अनुक्रमणिका

अध्याय १ // अध्याय २ // अध्याय ३ // अध्याय ४ // अध्याय ५
अध्याय ६ // अध्याय ७ // अध्याय ८ // अध्याय ९ // अध्याय १०
अध्याय ११ // अध्याय १२ // अध्याय १३ // अध्याय १४ // अध्याय १५
अध्याय १६ // अध्याय १७ (समाप्ति )
 
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अध्याय १

आज का दिन काफी व्यस्तता में बीता| कमला मौसी का दस कर्मा भंडार में जहां हर तरह की पूजा अर्चना की सामग्री जैसे की अगरबत्ती, बताशा, मिट्टी के दिए आदि इत्यादि मिलती है - आज काफी बिक्री हुई| कमला मौसी उम्र में मेरे से बड़ी है इसलिए दुकान दुकान के अंदर ज्यादातर काम में ही करती हूं|

आज मैं काफी थक गई थी इसलिए कमला मौसी ने जोमैटो से आलू के पराठे मंगा लिए और उसके साथ घर में मैं दही तड़का मैंने पहले से बना रखा था| दही तड़का बनाना मैं यूट्यूब से सीखा था|

आज का दिन काफी व्यस्तता में बीता| कमला मौसी का दस कर्मा भंडार में जहां हर तरह की पूजा अर्चना की सामग्री जैसे की अगरबत्ती, बताशा, मिट्टी के दिए आदि इत्यादि मिलती है - आज काफी बिक्री हुई| कमला मौसी उम्र में मेरे से बड़ी है इसलिए दुकान दुकान के अंदर ज्यादातर काम में ही करती हूं |

आज मैं काफी थक गई थी इसलिए कमला मौसी ने जोमैटो से आलू के पराठे मंगा लिए और उसके साथ घर में मैं दही तड़का मैंने पहले से बना रखा था| दही तड़का बनाना मैं यूट्यूब से सीखा था |

आजकल गर्मी न जाने इतनी क्यों बढ़ गई है इसलिए घर आते ही मैं सबसे पहले बाथरूम में जाकर अच्छी तरह से नहाई धोई और बालों में अच्छे से शैंपू भी किया| और जैसे ही मैंने सिर्फ एक नाइटी अपने ऊपर चढ़ा कर बाथरूम के बाहर कदम रखा टिंग- टाँग टिंग- टाँग टिंग- टाँग करके घंटी बज उठी| मैं जल्दी-जल्दी अपने बालों को समेट कर सर के ऊपर हल्के से जुड़े में बांधा और दरवाजा खोलते ही मैंने देखा कि सामने बंटी मिस्त्री खड़ा है|

बंटी मिस्त्री इस मोहल्ले में नल और पानी का काम किया करता है और वह इस काम में बिल्कुल माहिर है और साथ ही हमारे लिए कभी कबार सामान वगैरा भी लेकर आता है|

मैंने अपने बदन पर सिर्फ एक नाइटी चढ़ा रखी थी और शायद इसीलिए मेरी स्त्रियोचित शारीरिक विशेषताएं और वक्रताएं उसकी नज़रों ने निखर रही थीं| "कमला मौसी ने मुझे आप लोगों के लिए बीयर लाने के लिए कहा था"

यह कहकर उसने मुझे एक थैला पकड़ा दिया , जिसमें बियर की चार बोतलें रखी हुई थी और वह आपस में ठन ठन आवाज कर रही थी|

बंटी मिस्त्री को एहसास हो गया था कि मैं नाइटी के नीचे कुछ भी नहीं पहन रखा है और मेरे स्तनों की चूचियां नाइटी से साफ उभर रही है| मैं समझ गई थी कि वह मुझे आंखें फाड़ फाड़ कर घूर रहा है|

इसलिए मैंने उसे हल्का सा डांटते हुए कहा, "ठीक है, तुझे बाकी पैसे वापस करने की जरूरत नहीं है और आप आंखें फाड़ फाड़ कर क्या देख रहा है? जा भाग यहां से"

बंटी मिस्त्री पहले से थोड़ा बड़ा हो गया है| और जहां तक मैंने सुना है कि इस बार उनका नाम वोटर तालिका में भी आ गया है| पहले की तुलना में उनके शरीर स्वास्थ्य बेहतर हुआ है, उनके शरीर पर थोड़ा सा मांस चढ़ गया है और वह उम्र में बड़ा दिखने लगा है। ऐसा लगता है कि इस इस लड़के ने अब तक तो कोई ना कोई लड़की पटा ही ली होगी|

जहां तक मैं जानती हूं, मर्द लोग हमेशा हमेशा लड़कियों और औरतों को घूरते रहते हैं; इस बात का एहसास मुझे तब हुआ जब मैं बड़ी जवानी की दहलीज पर कदम रखा ही था। मेरा शरीर और स्तैण होने लगा था रूप निकल रहा था... तब से मैंने गौर किया था कि लोग बाग पहले मेरे चेहरे को देखते थे उसके बाद उनकी नज़रें मेरी छाती पर जा टिकति थी... मानो वह लोग नाप रहे हो कि मेरे स्तनों का विकास कितना हुआ है। शुरू शुरू में तो मुझे यह सब बहुत अटपटा लगता था; लेकिन जैसे दिन बीते गए मुझे मर्दों के घूरने की आदत सी पड़ गई।

खासकर अब, जब कमला मौसी अपनी दुकान में मुझे कटे कटे से खुले खुले से ब्लाउज पहनकर रहने को बोलता है... और जब उन्हें लगता है कि दुकान की बिक्री थोड़ी मंदी चल रही है; तो वह मेरे बाल खुलवा देती है... जहां तक मैं जानती हूं खुले बालों में मैं और भी सुंदर लगती हूं... इसलिए लोग बाग मुझे देखने के लिए ही सही दुकान में आते हैं और कुछ ना कुछ खरीद कर ली जाते हैं।

मैं यह सब सो ही रही थी कि इतने में मेरी नजर बाहर वाले कमरे में रखिए दो बड़े-बड़े थैलों पर पड़ी। इसमें हमारी ही दुकान का सामान अच्छे से सजाकर भरा हुआ था। मैंने जानकर भी अनजान बनते हुए कमला मौसी से पूछा " कमला मौसी में थालिया में आपने किसका समान इतना संभाल के भर रखा है?"

कमला मौसी ने अंदर से ही आवाज दिया, "आज हमारी दुकान में जो औरत आई थी ना? शैली खाला; यह सारा का सारा सामान वही रखवा कर गई है। कल तुझे जाकर यह सारा सामान उनके घर पहुंच कर आना होगा"

मुझे याद आया कि दोपहर को एक अधेड़ उम्र की औरत हमारी दुकान में आई थी। कमला मौसी ने उसका परिचय मेरे साथ शैली खाला के नाम से करवाया था। वह मेरे बारे में बहुत कुछ पूछ रही थी।

शैली खाला स्वामी जी गुड़धानी खाँ के आश्रम में रहती थी और कमला मासी ने मुझे यह भी बताया था कि वह स्वामी जी गुड़धानी खाँ के आश्रम में उन्हीं के साथ रहती है और साथ ही आश्रम के सारे के सारे काम वही संभालती है। किसी जमाने में वह स्वामी जी गुड़धानी खाँ की रखैल हुआ करती थी पर आज भी वह स्वामी जी की देखभाल करती है। अपने पति के रहते हुए भी सचिन अंकल के साथ शारीरिक संबंध बनाने के बाद मुझे रखैल शब्द बिल्कुल भी अटपटा नहीं लगता था।

स्वामी जी गुड़धानी खाँ एक भूत पिशाच और तांत्रिक सिद्ध व्यक्ति थे। और जहां तक मुझे मालूम था वहां हमेशा ही औरतोंकी भीड़ लगी रहती थी। सब के सब अपनी कोई ना कोई मनोकामना पूरी करने के लिए उनके पास जाते थे।

स्वामीजी गुड़धानी खाँ हमारे सबसे पक्के ग्राहक हैं। उन्होंने अपनी पैतृक संपत्ति पर काफी समय से कल्याणी हाईवे के पास अपना आश्रम बना रखा है, वे वहीं रहते हैं और जहां तक मुझे पता है वे अविवाहित हैं लेकिन उन्हें शादी करने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि उनकी उम्र चालीस या पैंतालीस साल है। एक गृहिणी के रूप में उनके पास शैली खाला जो मौजूद है।

जब दुकान में शैली खाला अलावा और कोई नहीं था तब वह कमला मौसी के पास गई और मुझे सुनाते हुए बोली, "देखत बानी कि तोहार दुकान में बढ़िया बिक्री हो रहिल बा..."

कमला मौसी ने भी गर्व से उत्तर दिया, "सब तांत्रिक भूत पिशाच सिद्ध स्वामीजी गुड़धानी खाँ का आशीर्वाद है..."

शैली खाला कहे लगली, “ हां हां हां, ई स्वामी जी के आशीर्वाद जरूर ह, ऊपर से तुम अइसन लौंडिया पालबे के रखि... लोग एकरा के देखे को आवेला... ईहो एकदम कच्चि कलि थुबड़ी लागे रि... ई उन्निस- बीस के ऊपर न होगी। हम त पक्का जानी कि ई लौंडिया तोहार पेट से न जनमी..."

यह सुनकर मैं एकदम चौंक गई और एक झटके में अपनी गर्दन घूमर उनकी तरफ मैंने देखा। और झटका की वजह से मेरे बालों का जुड़ा खुल गया। शैली खाला की नजर मुझ पर एकदम गढ़ गई... तब तक वह दुकान के अंदर आ चुकी थी, मैं झटपट बालों को समेट कर जुड़ा बांधने गई तो उन्होंने मुझे रोका और बोली, "ना ना ना हमार मीठी लौंडिया लडकी तोहार बाल पूरा खोला... हमरा के तोहार प्यारा बाल देखन दीं"

उसके बाद उसने मेरे बालों को अपने हाथों से सहलाया और फिर मेरे सामने खड़ी होकर हल्के से मेरे स्तनों को भी प्यार से दबाया और फिर एक आंख मार कर उसने कमला मौसी से पूछा, "ई उन्नीस बीस साल के सुन्दर लौंडिया हई, एह कुंवारी थुबड़ी के खरीदे खातिर कौन कौन खजाना बेच दिहनी?"

कमला मासी ने गर्व से हंसते हुए कहा, "हा हा हा हा... शैली खाला, यह लड़की थुबरी नही बल्कि फ़र्दा है फ़र्दा - बल्कि ब्याही हुई फ़र्दा है... और यह और हां यह उन्नीस बीस साल की नहीं है; इसकी उम्र उससे थोड़ी ज्यादा है हमारे यहां किराए पर रहती है... घर बैठे बैठे यह क्या करती? इसलिए मैंने इसको अपने साथ दुकान में आने को कहा... मेरा भी थोड़ा हाथ बंट जाता है और इसका दिल भी बहल जाता है "

ग्रामीण भाषा में 'थुबारी' का मतलब है कुंवारी लड़की जिसकी शादी नहीं हुई है और 'फ़र्दा ' का मतलब है ऐसी लड़की जिसके गुप्तांग में किसी पुरुष का लिंग डालकर उसकी सतीच्छद फाड़कर उसका कौमार्य भंग कर दिया गया हो... और ब्याही ही हुई फ़र्दा का मतलब एक ऐसी लड़की जिसका विवाह हो गया हो और उसके बाद उसे उसके कौमार्य से मुक्त किया गया हो...

शैली खाला ने मुझे दुकान में पहले भी देखा था पर उसे दिन यह सारी बात सुनकर मानव वह आसमान से गिरी और बोल पड़ी, "दैया रे दैया! हम तो देखबो न करि?! ईका हाथ मा शांखा पौला मांग मा पतली धरी का सिंदूर... हम तो ईका हाथ मा लाल लाल चूड़ी ही देखत रहिन, ई लौंडिया तुम्हार तरह बंगालिन हौ... अब हम समझिल... अब तक हम यहींन सोच राहिल कि ई लौंडिया कुंवारी थूबड़ी टाइट सील वाली हौ… पर एक बात बताओ कमला तोहार इस लौंडिया को ईका पति अच्छी तरह चटकानी और सफेदी देत ह कि नाहीं? एकरा बच्चा कच्चा हुआ कि नाही?”

पर एक बात बताओ कमला तोहार इस लौंडिया को ईका पति अच्छी तरह चटकानी और सफेदी देत ह कि नाहीं? एकरा बच्चा कच्चा हुआ कि नाही?”

ये बातें सुनकर मैं शर्म से लाल हो गयी और सिर झुका लिया. चटकानी का अर्थ है किसी लड़की को पुरुष द्वारा सहलाना या फिर प्यार से उसके पूरे बदन को मसलन; सफेदी प्रेम का अर्थ है - वीर्य स्खलन और इच्छा संतुष्टि... शैली खाला की भाषा बिल्कुल गवारों जैसी है, लेकिन मेरी तारीफ ही कर रही है... हां, मैं फर्दा हूं लेकिन ब्याही हुई फर्दा है... शादी के बाद, मेरे पति का लिंग मेरे गुप्तांगों में डाला गया और मैं कुंवारे पन से मुक्त हो गई मेरी सील यानि की हैमेन फट चुकी है...

"अब मैं तुमसे क्या छुपाऊं शैली खाला? इसकी शादी को कई साल हो गए; लेकिन यह सभी बच्चा नहीं हुआ| इसका पति बहुत ही दुबला पतला और कमजोर है | जब से मैं इन दोनों को साथ देखा मुझे बड़ी तकलीफ होती थी| इसलिए मैंने ठान ली कि मुझे इसकी मदद करनी चाहिए| और जब मेरे पति के दोस्त, वह है ना सचिन बाबू? वह जब अमेरिका से आए तो मैं इससे कहा कि मलाई, तू उनके कमरे में ही रह- सचिन बाबू ने इसको वह सुख दिया जो उसका पति नहीं दे सकता है| यह जी भर के और दिल खोल के चुदी है सचिन बाबू से... मैंने इसे कंडोम का इस्तेमाल करने से सख्त मना कर दिया था; लेकिन मैं इस बात का भी ध्यान रखा किसके पेट में बच्चा ना जाए... इसलिए मैं इसे x- pill खिला दिया करती थी... इसकी उम्र ही क्या है? अभी से अगर यह मां बन गई ऐसा समझ लो किसी गायक को हमने खूंटे में बाँध दिया है... सचिन बाबू के प्यार चटकानि और सफेदी से मैंने इसे दुफला बनवाया... लेकिन मैं अब इसका क्या करूं मुझे समझ में नहीं आ रहा"

गांव की भाषा में दुफला मतलब होता है एक ऐसी लड़की जो शादीशुदा हो लेकिन किसी दूसरे पुरुष के साथ संबंध बना चुकी हो। कमला मौसी ने मुझे दुफला बनाने की बात कुछ इस तरह से कहीं; मानो उसने बड़ी मुश्किल से एक लड़की से शादी करके उसकी दुनिया को बचाया हो।

शैली खाला बड़े ध्यान से कमला मौसी की बातें सुन रही थी| फिर उन्होंने दबे स्वर में कमला मौसी से कहा, "हमहुँ एह समस्या के एके गो समाधान दिखत राहिलबा, तू ई लौंडिया के हमनी के वूमंडली में शामिल कर लीं... ई लौंडिया मा सेक्स का इतना पानी भरल रहिन कि हमका लागे ई लौंडिया चार चार बिस्तर मा अपनी टांगे फैला सकींन... हम तो कही तू ईका द्वारा लेचरी करवा... हमार तो वैसन ही बहुत जान पहचान थई, रोज़ चुदेगी तोहार लौंडिया और हम दोनों का बहुत आमदनी भी होईलगी"

गांव की तरफ ज्यादातर शादीशुदा आदमी काम के सिलसिले में घर से बाहर रहते हैं| इसकी वजह से अक्सर अच्छे परिवार की लड़कियां दुल्हनें या फिर महिलाएं अपना अकेलापन या फिर पैसों की कमी को दूर करने के लिए अक्सर दूसरे आदमियों के साथ शारीरिक संबंध बना लेती है.... भले ही यह गलत हो लेकिन हमारे समाज में इसे गुप्त रूप से स्वीकार भी किया गया है|

लेचारी का मतलब है कि मैंने जो सुना है, गांव के ज्यादातर शादीशुदा पुरुष काम के सिलसिले में बाहर रहते हैं, इस वजह से अक्सर अच्छे परिवार की लड़कियां, दुल्हन या महिलाएं दूसरे पुरुषों के साथ संबंध बनाती हैं... भले ही यह व्यभिचार हो, हमारे यहां इसे गुप्त रूप से स्वीकार किया जाता है समाज…

लेकिन वूमंडली का मतलब क्या है?


क्रमश:
 
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अध्याय २

इसके बाद शैली खाला मेरे पास आकर मुझे कुछ जननी सवाल पूछने लगी, ता- झिल्ली... कवन साइज के पेनी पहनत रही? हम देख लील कि तोहार मम्मों का साइज काफी बड़का बड़का बा..."

मैंने धीरे से सर झुकाए जवाब दिया, “जी मैं चौतीस डीडी की ब्रा पहनती हूं...”

शैली खाला कि जैसे बंसी खिल गई और उसने कहा, "बहुत बढ़िया, बहुत बढ़िया! एतना बड़का बड़का स्तन के ऊपर ब्रा नहीं न पहिनी, निप्पल देखाई देत राहिल, और तोरा ब्लाउज भी बहुत बढ़िया बा, पीठ और छाती काफी खुला खुला, और स्तन के जोड़ी के बीच के क्लीवेज बढ़िया से देखाई देत ढील ... कमला ? तू ई लौंडिया को हमनी के भेज... तांत्रिक पिशाच सिद्ध स्वामी जी गुड़धानी खाँ एकरा के देख के प्रसन्न हो जइहें - आपन आशीर्वाद दीं”

मैंने मन में सोचा, स्वामीजी गुरधनी खान एक स्वामी जी गुड़धानी खाँ एक तांत्रिक हैं और मैं एक युवा सुंदर लड़की हूं। क्या मुझे आशीर्वाद देने का मतलब मेरे जैसी कच्ची-कली के साथ झिल्ली के साथ सेक्स करना है?

इसका जवाब मुझे तुरंत ही मिल गया क्योंकि कमला मौसी ने खिल खिला कर हंसते हुए कहा, “ठीक है मैं कल ही भेजती हूं इसे स्वामी जी के यहां, लेकिन शैली खाला एक बात का ध्यान रखना तुम्हारे यहां मेरी लौंडिया को कोई चोद ना दे... हा हा हा"

"ई चुदेगी ज़रूर चुदेगी; तोहार लौंडिया जी भर का चुदेगी, अगर हमरा स्वामी जी के आशीर्वाद राहिल तो... हम कहत बानी कि उ एक से नाही चार-चार से चुदेगी ... ठीक बा कमला दीदी, एक बात बताई? का तुम घर मा ई लौंडिया के कपड़े पहना कर राखत हो? अगर हम अइसन लौंडिया के पाले रहतीं त घर में पूरा नंगी रखले रहतीं... और बाल भी खुला छोड़े के कहतीं... ई लौंडिया हमर के वूमंडली खातिर बिल्कुल परफेक्ट बा”

***

मैंने चुस्कियां लेते-लेते बियर की दो बोतलें ख़त्म कर दीं और मैं ने साथ ही मैंने तीन आलू के पराठे भी खा लिए थे| लेकिन मैं बिल्कुल चुपचाप बैठी हुई थी कमला मौसी ने यह इस बात का गौर जरूर किया था और आंखें खुद को रोक न सकी और मुझसे पूछा, “क्या बात है? आज तू इतने चुपचाप क्यों है?”

उनके पूछने पर मेरी झिझक थोड़ी कटी और फिर मैंने कहा , "कमला मौसी मैं शैली खाला की बातों को याद कर रही थी- उसने कहा था कि अगर वह मुझे पाल रही होती ; तो शायद मुझे घर में ना ही कपड़े पहनने देती और ना ही मेरे बालों को बांधने देती... क्या तुम भी मेरे साथ ऐसा ही करती?"

कमला मौसी ने अपने चेहरे पर शरारत भरी मुस्कान लिए हुए से मेरी तरफ देखा और फिर उन्होंने मुझसे पूछा, "क्यों? मेरे सामने नंगी होने में तुझे कोई एतराज है क्या?"

मैं चुपचाप खाना खाना जारी रखा लेकिन कमला मौसी मेरे सर पर हाथ फेरती हुई बोली, "सच-सच बताऊं ? अगर तू वास्तव में शैली खाला की पालतू लड़की होती तो शायद सचमुच वह तुझे घर में बिल्कुल नंगी ही रखती और हां तुझे अपने बालों को भी बढ़ने की इजाजत नहीं देती"

मैंने हैरानी से पूछा, "ऐसा क्यों?"

कमला मौसी ने बिल्कुल ऐसे मुझे समझाया जैसे मानो कि किसी छोटे बच्चों को समझ रही हो, "तो जैसी सुंदर लौंडिया को कपड़े पहन कर रखना सुंदर घने रेशमी लंबे बालों को बाँध कर रखना सुंदरता का अपमान है..."

फिर मैं भी शरारत से उनसे पूछा , "अगर बंटी मिस्त्री ने मुझे नंगी हालत में देख लिया होता तो?"

कमला मौसी ने हँसकर कहा, “और क्या हो सकता था? बंटी मिस्त्री बड़ा हो गया है... और इसके अलावा शैली खाला ने जो कहा... वह बात मुझे पसंद आ गई... सच कहूं तो, वास्तव में तुझे लेचारी करने के बारे में सोचना चाहिए इससे तेरा भी दिल बहला रहेगा..."

मैंने चुस्कियां लेते-लेते बियर की दो बोतलें ख़त्म कर दीं और मैं ने साथ ही मैंने तीन आलू के पराठे भी खा लिए थे| लेकिन मैं बिल्कुल चुपचाप बैठी हुई थी कमला मौसी ने यह इस बात का गौर जरूर किया था और आंखें खुद को रोक न सकी और मुझसे पूछा, “क्या बात है? आज तू इतने चुपचाप क्यों है?”

उनके पूछने पर मेरी झिझक थोड़ी कटी और फिर मैंने कहा , "कमला मौसी मैं शैली खाला की बातों को याद कर रही थी- उसने कहा था कि अगर वह मुझे पाल रही होती ; तो शायद मुझे घर में ना ही कपड़े पहनने देती और ना ही मेरे बालों को बांधने देती... क्या तुम भी मेरे साथ ऐसा ही करती?"

कमला मौसी ने अपने चेहरे पर शरारत भरी मुस्कान लिए हुए से मेरी तरफ देखा और फिर उन्होंने मुझसे पूछा, "क्यों? मेरे सामने नंगी होने में तुझे कोई एतराज है क्या?"

मैं चुपचाप खाना खाना जारी रखा लेकिन कमला मौसी मेरे सर पर हाथ फर्टिलि हुई बोली, "सच-सच बताऊं ? अगर तू वास्तव में शैली खाला की पालतू लड़की होती तो शायद सचमुच वह तुझे घर में बिल्कुल नंगी ही रखती और हां तुझे अपने बालों को भी बढ़ने की इजाजत नहीं देती"

मैंने हैरानी से पूछा, "ऐसा क्यों?"

कमला मौसी ने बिल्कुल ऐसे मुझे समझाया जैसे मानो कि किसी छोटे बच्चों को समझ रही हो, "तो जैसी सुंदर लौंडिया को कपड़े पहन कर रखना सुंदर घने रेशमी लंबे बालों को बाँध कर रखना सुंदरता का अपमान है..."

फिर मैं भी शरारत से उनसे पूछा , "अगर बंटी मिस्त्री ने मुझे नंगी हालत में देख लिया होता तो?"

कमला मौसी ने हँसकर कहा, “और क्या हो सकता था? बंटी मिस्त्री बड़ा हो गया है... और इसके अलावा शैली खाला ने जो कहा... वह बात मुझे पसंद आ गई... सच कहूं तो, वास्तव में तुझे लेचारी करने के बारे में सोचना चाहिए इससे तेरा भी दिल बहला रहेगा..."

कमला मौसी की बातें सुनकर मेरा दिल धक से रह गया|

मैंने हैरानी से पूछा, "मतलब?"

कमला मासी ने अपना हाथ मेरे गाल पर रखा और मेरे एक स्तन को दबाया और मुझसे कहा, “क्या तुझे याद नहीं कि मैंने क्या कहा था? भगवान ने तुझे एक योनि दी है... क्या तू इससे जिंदगी भर मूतती ही रहेगी? देख, मलाई, अगर जैसा मैं कहती हूं तू अगर वैसा करेगी और अगर तुम मेरी सब बात मानेगी; वह तो यकीन मान; ये तेरा भला ही होगा और तू ऐश करेगी... मैं हूँ न तेरी कमला मौसी? तो तू किसी भी बात की कोई भी चिंता मत कर"

***

जब अनिमेष घर पर नहीं होता, तुम्हें कमला मौसी के साथ ही उनके बिस्तर पर ही सो जाती हूँ| लेकिन सोने से पहले मैं उनके हाथों और पैरों की अच्छी तरह मालिश कर देता हूं।

ऐसा करने के बाद कब उनसे लिपटकर सो गई मुझे याद नहीं | लेकिन सोते वक्त बार-बार मुझे शैली खाला की बातें याद आ रही थी- 'ई लौंडिया मा सेक्स का इतना पानी भरल रहिन कि हमका लागे ई लौंडिया चार चार बिस्तर मा अपनी टांगे फैला सकींन... हम तो कही तू ईका द्वारा लेचरी करवा...

और यह सब सोच सोच कर मेरे पेट के निचले हिस्से में एक अजीब सी शरारत भरी गुदगुदी भी हो रही थी।

अचानक रात को एक अजीब सा सपना देखने के बाद मेरी नींद खुल गई। कमला मौसी के तकिए के नीचे रखी हुई टॉर्च जलाकर मैंने देखा किरात के एक बजकर तीस मिनट हो रहे थे।

कमला मासी अभी भी मुझसे लिपट कर सो रही हैं, उनका एक पैर मेरी कमर पर चढ़ा रखी थी, मैंने किसी तरह धीरे धीरे से खुद को उनके आलिंगन से मुक्त किया, फिर बाथरूम में जाकर नहाने लगी । नहाने के बाद मैंने तौलिये से अच्छी तरह से अपने हाथ, पैर और बाल पोंछे। पर अजीब सी बात है, मेरा शरीर और दिमाग ठंडा क्यों नहीं हो रहा है?

मैंने नाइटी पहनी और कमला चाची के बगल में लेट गई और कुछ देर तक छत की ओर देखती रही...

फिर, अब और न रह पाने के कारण, मैंने एक बार पीछे मुड़कर देखा, कमला मौसी अभी भी गहरी नींद में सो रही थीं।

अपने अजीब से सपने के बारे में सोचते हुए, मैंने अपनी नाइटी को अपनी कमर के ऊपर तक तक खींच लिया, अपने पैरों को फैलाया, अपनी उंगलियों को अपने यौनांग में डाला और धीरे-धीरे हिलाना और हस्तमैथुन करना शुरू कर दिया, और खुद को शांत करने की कोशिश करने लगी।

मेरी नैया अभी मझधार में ही पहुंची थी कि अचानक कमला मौसी जग गई और बोली, “रुक रुक रुक रुक... तेरे बाल अभी भी गले हैं। इतनी रात को तो दोबारा से नहा कर आई है क्या? और यह तो कर क्या रही है? जरा ठहर तेरे को मैं उंगली की देता हूं चिंता मत कर, तू चिंता मत कर; मैं हूं ना तेरी मौसी। बस एक बात का ध्यान रखना, मैं जैसा कहती हूं अगर तू वैसा ही करेगी... मेरी अगर बात मानकर चलेगी, तो यकीन मान तेरा भला ही होगा… तू ऐश करेगी"

मैंने कांपती आवाज़ में पूछा, "क्या तुम जग रही हो कमला मौसी?"

क्रमश:
 
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