अध्याय २
इसके बाद शैली खाला मेरे पास आकर मुझे कुछ जननी सवाल पूछने लगी, ता- झिल्ली... कवन साइज के पेनी पहनत रही? हम देख लील कि तोहार मम्मों का साइज काफी बड़का बड़का बा..."
मैंने धीरे से सर झुकाए जवाब दिया, “जी मैं चौतीस डीडी की ब्रा पहनती हूं...”
शैली खाला कि जैसे बंसी खिल गई और उसने कहा, "बहुत बढ़िया, बहुत बढ़िया! एतना बड़का बड़का स्तन के ऊपर ब्रा नहीं न पहिनी, निप्पल देखाई देत राहिल, और तोरा ब्लाउज भी बहुत बढ़िया बा, पीठ और छाती काफी खुला खुला, और स्तन के जोड़ी के बीच के क्लीवेज बढ़िया से देखाई देत ढील ... कमला ? तू ई लौंडिया को हमनी के भेज... तांत्रिक पिशाच सिद्ध स्वामी जी गुड़धानी खाँ एकरा के देख के प्रसन्न हो जइहें - आपन आशीर्वाद दीं”
मैंने मन में सोचा, स्वामीजी गुरधनी खान एक स्वामी जी गुड़धानी खाँ एक तांत्रिक हैं और मैं एक युवा सुंदर लड़की हूं। क्या मुझे आशीर्वाद देने का मतलब मेरे जैसी कच्ची-कली के साथ झिल्ली के साथ सेक्स करना है?
इसका जवाब मुझे तुरंत ही मिल गया क्योंकि कमला मौसी ने खिल खिला कर हंसते हुए कहा, “ठीक है मैं कल ही भेजती हूं इसे स्वामी जी के यहां, लेकिन शैली खाला एक बात का ध्यान रखना तुम्हारे यहां मेरी लौंडिया को कोई चोद ना दे... हा हा हा"
"ई चुदेगी ज़रूर चुदेगी; तोहार लौंडिया जी भर का चुदेगी, अगर हमरा स्वामी जी के आशीर्वाद राहिल तो... हम कहत बानी कि उ एक से नाही चार-चार से चुदेगी ... ठीक बा कमला दीदी, एक बात बताई? का तुम घर मा ई लौंडिया के कपड़े पहना कर राखत हो? अगर हम अइसन लौंडिया के पाले रहतीं त घर में पूरा नंगी रखले रहतीं... और बाल भी खुला छोड़े के कहतीं... ई लौंडिया हमर के वूमंडली खातिर बिल्कुल परफेक्ट बा”
***
मैंने चुस्कियां लेते-लेते बियर की दो बोतलें ख़त्म कर दीं और मैं ने साथ ही मैंने तीन आलू के पराठे भी खा लिए थे| लेकिन मैं बिल्कुल चुपचाप बैठी हुई थी कमला मौसी ने यह इस बात का गौर जरूर किया था और आंखें खुद को रोक न सकी और मुझसे पूछा, “क्या बात है? आज तू इतने चुपचाप क्यों है?”
उनके पूछने पर मेरी झिझक थोड़ी कटी और फिर मैंने कहा , "कमला मौसी मैं शैली खाला की बातों को याद कर रही थी- उसने कहा था कि अगर वह मुझे पाल रही होती ; तो शायद मुझे घर में ना ही कपड़े पहनने देती और ना ही मेरे बालों को बांधने देती... क्या तुम भी मेरे साथ ऐसा ही करती?"
कमला मौसी ने अपने चेहरे पर शरारत भरी मुस्कान लिए हुए से मेरी तरफ देखा और फिर उन्होंने मुझसे पूछा, "क्यों? मेरे सामने नंगी होने में तुझे कोई एतराज है क्या?"
मैं चुपचाप खाना खाना जारी रखा लेकिन कमला मौसी मेरे सर पर हाथ फेरती हुई बोली, "सच-सच बताऊं ? अगर तू वास्तव में शैली खाला की पालतू लड़की होती तो शायद सचमुच वह तुझे घर में बिल्कुल नंगी ही रखती और हां तुझे अपने बालों को भी बढ़ने की इजाजत नहीं देती"
मैंने हैरानी से पूछा, "ऐसा क्यों?"
कमला मौसी ने बिल्कुल ऐसे मुझे समझाया जैसे मानो कि किसी छोटे बच्चों को समझ रही हो, "तो जैसी सुंदर लौंडिया को कपड़े पहन कर रखना सुंदर घने रेशमी लंबे बालों को बाँध कर रखना सुंदरता का अपमान है..."
फिर मैं भी शरारत से उनसे पूछा , "अगर बंटी मिस्त्री ने मुझे नंगी हालत में देख लिया होता तो?"
कमला मौसी ने हँसकर कहा, “और क्या हो सकता था? बंटी मिस्त्री बड़ा हो गया है... और इसके अलावा शैली खाला ने जो कहा... वह बात मुझे पसंद आ गई... सच कहूं तो, वास्तव में तुझे लेचारी करने के बारे में सोचना चाहिए इससे तेरा भी दिल बहला रहेगा..."
मैंने चुस्कियां लेते-लेते बियर की दो बोतलें ख़त्म कर दीं और मैं ने साथ ही मैंने तीन आलू के पराठे भी खा लिए थे| लेकिन मैं बिल्कुल चुपचाप बैठी हुई थी कमला मौसी ने यह इस बात का गौर जरूर किया था और आंखें खुद को रोक न सकी और मुझसे पूछा, “क्या बात है? आज तू इतने चुपचाप क्यों है?”
उनके पूछने पर मेरी झिझक थोड़ी कटी और फिर मैंने कहा , "कमला मौसी मैं शैली खाला की बातों को याद कर रही थी- उसने कहा था कि अगर वह मुझे पाल रही होती ; तो शायद मुझे घर में ना ही कपड़े पहनने देती और ना ही मेरे बालों को बांधने देती... क्या तुम भी मेरे साथ ऐसा ही करती?"
कमला मौसी ने अपने चेहरे पर शरारत भरी मुस्कान लिए हुए से मेरी तरफ देखा और फिर उन्होंने मुझसे पूछा, "क्यों? मेरे सामने नंगी होने में तुझे कोई एतराज है क्या?"
मैं चुपचाप खाना खाना जारी रखा लेकिन कमला मौसी मेरे सर पर हाथ फर्टिलि हुई बोली, "सच-सच बताऊं ? अगर तू वास्तव में शैली खाला की पालतू लड़की होती तो शायद सचमुच वह तुझे घर में बिल्कुल नंगी ही रखती और हां तुझे अपने बालों को भी बढ़ने की इजाजत नहीं देती"
मैंने हैरानी से पूछा, "ऐसा क्यों?"
कमला मौसी ने बिल्कुल ऐसे मुझे समझाया जैसे मानो कि किसी छोटे बच्चों को समझ रही हो, "तो जैसी सुंदर लौंडिया को कपड़े पहन कर रखना सुंदर घने रेशमी लंबे बालों को बाँध कर रखना सुंदरता का अपमान है..."
फिर मैं भी शरारत से उनसे पूछा , "अगर बंटी मिस्त्री ने मुझे नंगी हालत में देख लिया होता तो?"
कमला मौसी ने हँसकर कहा, “और क्या हो सकता था? बंटी मिस्त्री बड़ा हो गया है... और इसके अलावा शैली खाला ने जो कहा... वह बात मुझे पसंद आ गई... सच कहूं तो, वास्तव में तुझे लेचारी करने के बारे में सोचना चाहिए इससे तेरा भी दिल बहला रहेगा..."
कमला मौसी की बातें सुनकर मेरा दिल धक से रह गया|
मैंने हैरानी से पूछा, "मतलब?"
कमला मासी ने अपना हाथ मेरे गाल पर रखा और मेरे एक स्तन को दबाया और मुझसे कहा, “क्या तुझे याद नहीं कि मैंने क्या कहा था? भगवान ने तुझे एक योनि दी है... क्या तू इससे जिंदगी भर मूतती ही रहेगी? देख, मलाई, अगर जैसा मैं कहती हूं तू अगर वैसा करेगी और अगर तुम मेरी सब बात मानेगी; वह तो यकीन मान; ये तेरा भला ही होगा और तू ऐश करेगी... मैं हूँ न तेरी कमला मौसी? तो तू किसी भी बात की कोई भी चिंता मत कर"
***
जब अनिमेष घर पर नहीं होता, तुम्हें कमला मौसी के साथ ही उनके बिस्तर पर ही सो जाती हूँ| लेकिन सोने से पहले मैं उनके हाथों और पैरों की अच्छी तरह मालिश कर देता हूं।
ऐसा करने के बाद कब उनसे लिपटकर सो गई मुझे याद नहीं | लेकिन सोते वक्त बार-बार मुझे शैली खाला की बातें याद आ रही थी- 'ई लौंडिया मा सेक्स का इतना पानी भरल रहिन कि हमका लागे ई लौंडिया चार चार बिस्तर मा अपनी टांगे फैला सकींन... हम तो कही तू ईका द्वारा लेचरी करवा...
और यह सब सोच सोच कर मेरे पेट के निचले हिस्से में एक अजीब सी शरारत भरी गुदगुदी भी हो रही थी।
अचानक रात को एक अजीब सा सपना देखने के बाद मेरी नींद खुल गई। कमला मौसी के तकिए के नीचे रखी हुई टॉर्च जलाकर मैंने देखा किरात के एक बजकर तीस मिनट हो रहे थे।
कमला मासी अभी भी मुझसे लिपट कर सो रही हैं, उनका एक पैर मेरी कमर पर चढ़ा रखी थी, मैंने किसी तरह धीरे धीरे से खुद को उनके आलिंगन से मुक्त किया, फिर बाथरूम में जाकर नहाने लगी । नहाने के बाद मैंने तौलिये से अच्छी तरह से अपने हाथ, पैर और बाल पोंछे। पर अजीब सी बात है, मेरा शरीर और दिमाग ठंडा क्यों नहीं हो रहा है?
मैंने नाइटी पहनी और कमला चाची के बगल में लेट गई और कुछ देर तक छत की ओर देखती रही...
फिर, अब और न रह पाने के कारण, मैंने एक बार पीछे मुड़कर देखा, कमला मौसी अभी भी गहरी नींद में सो रही थीं।
अपने अजीब से सपने के बारे में सोचते हुए, मैंने अपनी नाइटी को अपनी कमर के ऊपर तक तक खींच लिया, अपने पैरों को फैलाया, अपनी उंगलियों को अपने यौनांग में डाला और धीरे-धीरे हिलाना और हस्तमैथुन करना शुरू कर दिया, और खुद को शांत करने की कोशिश करने लगी।
मेरी नैया अभी मझधार में ही पहुंची थी कि अचानक कमला मौसी जग गई और बोली, “रुक रुक रुक रुक... तेरे बाल अभी भी गले हैं। इतनी रात को तो दोबारा से नहा कर आई है क्या? और यह तो कर क्या रही है? जरा ठहर तेरे को मैं उंगली की देता हूं चिंता मत कर, तू चिंता मत कर; मैं हूं ना तेरी मौसी। बस एक बात का ध्यान रखना, मैं जैसा कहती हूं अगर तू वैसा ही करेगी... मेरी अगर बात मानकर चलेगी, तो यकीन मान तेरा भला ही होगा… तू ऐश करेगी"
मैंने कांपती आवाज़ में पूछा, "क्या तुम जग रही हो कमला मौसी?"
क्रमश: