शक का अंजाम
PART 3
Update 51
( New-15)
मूल लेखक ने ये स्टोरी जिस जगह समाप्त की है. मेरा प्रयास है कहानी वही से को आगे बढ़ाने का और नए मौलिक अपडेट देने की । एक पाठक (जिन्होने अपना नाम नहीं बताने के लिए अनुरोध किया है) और मेरा मिलजुल कर प्रयास रहेगा, इस कहानी को और आगे ले कर जाने का . लीजिये पेश है भाग 3 Update 51. ( New-15)
मैं उससे कस कर लिपट गयी.. उसके बाद मैंने अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए और जैसे ही मैं नंगी हुई, फ़ौरन अविनाश मुझ से आकर लिपट गया तो मैंने उसे बिस्तर पर गिरा दिया। और अविनाश के पैंट के बटन और चेन खोल कर उसे नीचे से नँगा कर दिया। अविनाश का लण्ड कड़क होकर सर उठाये खड़ा था। मेरी उंगलियो ने मेरे लण्ड को अपने में लपेट लिया। और मैं लण्ड को रगडने लगी। अविनाश मुँह खोल कर तेज साँसें ले रहा था।
मैंने उसके कपड़े उतारने में देर नहीं लगाई और हम दोनों लगे होकर बेड पर लेट गए । और अविनाश मुझे जहाँ तहँ चूमने लगा और मैं बोली अविनाश .....सस्स.......मेरी काम अग्नि को शांत कीजिए....हह...प्लीज़.. अविनाश .
मेरे मम्मे लटकने के बाद लंबे हो गए। अविनाश मेरे बूब्स को ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा... और मैंने अविनाश को मेरे मम्मे चुसने को बोला और वो एक आज्ञाकारी बच्चे की तरह उसने मेरे निप्पल रूपी काले अंगूर को अपने होंठों में दबा लिया। .फिर वो मेरे बूब्स पे टूट पड़ा. और मेरे निपल्स को अपने मुंह में ले लिया..... ....अविनाश मेरे निपल्स को कस कस के चूसने लगा.... अविनाश कुछ देर तक मेरे स्तनों को चूसता , चबाता, दबाता और काटता रहा..
अविनाश : ऋतू भाभी .. .. मैंने जब आपको पहली बार देखा था तभी आप मुझे बहुत अच्छे लगी थी , और जब भी मैं आपको देखता था तो सोचता जरूर था कि बिना कपड़ों केआपका बदन कैसा लगता होगा। आज ऐसे स्तिथि बन गयी है जिसकी मुझे कभी भी उम्मीद नहीं थी की मैं आपके ऐसे देख सकूंगा और आप मेरो बाहो में होंगी ”
ऋतू: फिर हम चुंबन करने लगे और इस बीच अविनाश का एक हाथ मेरे स्तन दबाने लगा.
अविनाश: भाभी जी मुझे नहीं पता था आप इतनी प्यासी हैं ..
मैंने उसका लंड पकड़ा तो उसका लंड पूरी तरह तनकर खड़ा हो गया. मैंने मेरे हाथ को लंड के ऊपर नीचे किया, तो अविनाश भी अपना एक हाथ मेरी चूत पर ले आया और मेरी चूत को सहलाने लगा. मैं तो पहले से ही गर्म थी अब ज़ोर-ज़ोर से साँसें लेने के साथ आह … ओह … करने लगी. फिर अविनाश ने मेरी टाँगों को फैला दिया और हाथ को चूत के छेद पर रख दिया. और बुर के छेद को सहलाना शुरू किया तो उसमें से पानी निकलने लगा.
अविनाश ने अपनी एक उंगली मेरी बुर में घुसा दी, तो मेरे शरीर ने ज़ोर का झटका लिया. वो उंगली को अंदर बाहर करने लगा, तो मैं अपने चूतड़ हिलाकर उसे जगह देने लगी. फिर उसने दो उंगलियाँ अंदर बाहर करनी शुरू की. अब मेरे शरीर की हरकत बेक़ाबू होने लगी थी. मैं ज़ोर-ज़ोर से ऊपर-नीचे होकर अविनाश की उंगलियों को अंदर-बाहर करने लगी. साथ ही मेरे मुँह से काराहे -आह ओह्ह्ह निकलने लगीं.
वो और ज़ोर से मेरी बुर में उंगलियाँ पेलने लगा. थोड़ी देर बाद मैं ज़ोर-ज़ोर के झटके लेने लगी, और फिर शांत हो गई. मेरी चूत से ढेर सारा पानी निकलने लगा जिससे अविनाश की उंगलियों से लेकर मेरी हथेली तक भीग गई. अविनाश के चेहरे पर अजीब सी मुस्कान खिल गई.
अपनी हथेली में उन्होने मेरे लंड को थाम कर हिलाना, सहलाना शुरू किया.
मुझे ऐसी सनसनी हुई उस दिन अविनाश के साथ काफी दिन के बाद हुई थी. मेरे हाथ का स्पर्श अविनाश को भी मदहोश कर रहा था. थोड़ी देर में ही काफ़ी समय से खड़ा, उसका बेचैन लंड बेक़ाबू हो गया और मेरे रोकते रोकते भी मेरे लंड से सफेद वीर्य की पिचकारी निकल गई, जो मेरे शरीर पर गिरी. मैंने लंड को तब तक सहलाना जारी रखा, जब तक कि अविनाश के लंड का एक-एक बूँद रस निकल नहीं गया. पानी को मैं अपनी जीभ से उसे धीरे-धीरे चाटने लगी.
उसके बाद वो मुझे चूमता रहा और मैं थोड़ी देर बाद फिर से सिसकारियाँ लेने लगी, बदन मरोड़ने लगी. थोड़ी देर बाद उसने मेरे स्तनों पर हाथ फिराते हुए मेरी चूत को सहलाना शुरू कर दिया. मैंने अपनी टाँगें खोल दी . उसने फिर फिर से पहले एक, फिर दो उंगलियाँ मेरी चूत में घुसा दीं और उन्हें अंदर बाहर करने लगा. मैं तड़पने लगी, आह … ओह करने लगी. काफ़ी देर तक मेरी बुर में उंगलियाँ पेलता रहा और मैं कराहती रही.
फिर उसने अपना सिर मेरी दोनों टांगों के बीच घुसा दिया. उसने अपनी उंगली को मेरे होंठों पर फेरा, और फिर उन्हें मेरी चूत पर रगड़ा. फिर धीरे-धीरे सिर को मेरी जांघों के बीच ऐसे घुसाया कि उसके होंठ मेरी बुर से जा लगे. काम वासना में तड़प रही मैं अपने चूतड़ को उठा कर उसके होंठों पर अपनी चिकनी चूत पर रगड़ने लगी. वो फिर जीभ निकाल कर चूत को चाटने लगा. और मेरी चीख जैसी सिसकारी उम्म्ह… अहह… हय… याह… निकलने लगी और मेरा पूरा बदन थरथरा गया.
मैं ज़ोर-ज़ोर से अपनी गांड को उचकाने लगी और वो अपने मुँह पर मेरी चूत को रगड़ने लगा , उत्तेजित हो मैं अपने दोनों हाथों से उसके सिर को पकड़ कर अपनी चूत पर रगड़ने लगी.
वो भी पूरे जोश में आ गया था, हालाँकि मैंने इससे पहले नीरज के सिवा किसी के भी साथ सेक्स नहीं कभी नहीं किया था. पर उस दिन उसके साथ सब कुछ होता जा रहा था. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था .
फिर उसने अपनी जीभ से मेरी चूत के ऊपर की घुंडी को सहलाना शुरू किया, तो मैं और ज़ोर-ज़ोर से गांड हिलाने लगी. उसने अपनी जीभ को मेरी बुर के अंदर घुसा दिया. इस बार उनके शरीर ने पहले से भी ज़ोरदार झटका लिया, और उनके गले से ऐसी आवाज़ निकली, जैसे उनकी साँस फँस गई हो.
मैं जीभ से उनकी चूत के अंदरूनी हिस्से को चाटने लगा. उनकी बुर से झरने की तरह पानी निकलने लगा, जिसे वो पीता गया.
फिर उसने अपनी जीभ से मेरी चूत के ऊपर की घुंडी को सहलाना शुरू किया, तो मैं और ज़ोर-ज़ोर से गांड हिलाने लगी. उसने अपनी जीभ को मेरी बुर के अंदर घुसा दिया. इस बार मेरे शरीर ने पहले से भी ज़ोरदार झटका लिया, और मेरे गले से ऐसी आवाज़ निकली, जैसे मेरी साँस फँस गई हो.
अविनाश जीभ से मेरी चूत के अंदरूनी हिस्से को चाटने लगा. मेरी बुर से झरने की तरह पानी निकलने लगा, जिसे वो पीता गया.
फिर अविनाश ने अपने होंठों को गोल करके मेरी मांसपेशियों को अपने मुंह के अंदर खींचा. और बार-बार ऐसे ही करने लगा. अब मैं जैसे पागल हो गई. मैंने अविनाश के सिर को ज़ोर से पकड़ लिया और अपनी बुर की ओर खींचने के साथ ही अपनी चूत को मेरे मुंह पर ज़ोर-ज़ोर से रगड़ने लगी. मेरी साँस बंद हो गई, पर अविनाश बदस्तूर मेरी बुर को ज़ोर-ज़ोर से चाटता, चूसता रहा. ऐसे कुछ ही मिनट किया कि मेरे शरीर ने ज़ोर-ज़ोर से झटके लेने शुरू किए, और मेरे मुंह से आ … आह … उम्म्म … ओह्ह … अहा … माँ … ओह्ह … की आवाज़ें निकलने लगीं.
मेरी चूत से गाढ़ा-गाढ़ा पानी निकलने लगा, . अविनाश उसे पीने लगा और फिर अपने ओंठ मेरे ओंठो से लगा दिए मेरी चूत का पानी का स्वाद मुझे बड़ा अच्छा लगा. इधर अविनाश का लंड पूरी तरह तनकर खड़ा हो गया था. कुछ देर झटके लेने के बाद मैं शांत हो गई.
अविनाश ने मेरे गालों को सहलाया, फिर गले को. और मेरी चूचियों को पकड़ लिया. अविनाश ने मेरी चूचियों को दबाना, मसलना शुरू किया तो मैं कसमसाने लगी.
अविनाश ने चुटकी में मेरी निप्पल्स को पकड़ कर मसला तो मैं सिसकारी लेने लगी. अविनाश पहले धीरे-धीरे, फिर ज़ोर-ज़ोर से मेरी चूचियों को मसलने लगा. मैं मज़े लेने के साथ-साथ सी-सी कर रही थी.
फिर अविनाश ने अपने हाथ को नीचे ले जाते हुए मेरी जांघों को सहलाना शुरू कर दिया. कुछ देर ऐसा करने के बाद अविनाश ने एक हाथ मेरी चूत पर रख दिया … अविनाश ने मेरी चूत को धीरे-धीरे सहलाने लगा, मैंने उसे अपने ऊपर खींच लिया और उसके मुंह को अपनी चूचियों में दबाने लगी. अविनाश होंठों से मेरी चूचियों को चूमने लगा और मेरा शरीर सिहरने लगा.
अविनाश ने अपनी दो उँगलियाँ मेरी गीली चूत में घुसा दीं, और अंदर बाहर करने लगा. मैं गहरी गहरी सांसें लेने लगीं और सिर इधर-उधर पटकने लगी. अविनाश मेरी चूचियों से खेलता रहा.
मेरी हालात उस समय बहुत ख़राब थी और मैं तड़प गयी मैंने अविनाश को कहा आअहह... अविनाश ये सब तुम बाद में कर लेना पहले मुझे चोदो ..मेरे साथ सेक्स करो....
फिर मैं बेड पर लेट गई और अपनी दोनों टांगों को फैला लिया. अविनाश ने अपने लंड को पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर ऊपर नीचे रगड़ा .... और फिर छेद में थोड़ा सा घुसाकर टिका दिया. अविनाश ने धक्का मारकर पूरा लौड़ा मेरी चिकनी, गीली चूत में घुसेड़ दिया.
काफी दिनों से चुदाई न होने और अभी तक कोई बच्चा न होने के कारण मेरी चूत एकदम टाइट हो गयी थी. मेरे गले से एक ज़ोर की आह निकली. अविनाश ने लंड को बाहर खींचा, और दोगुनी ताक़त से फिर से घुसेड़ा. मैं मचल उठी.
अब अविनाश मुझे चोदने वाला था, या यो कहो मैं खुद उससे चुद रही थी। उसका लण्ड अब मेरी चूत की गर्मी का अहसास कर रहा था और आधा मेरी चूत में उतार चुका था। मैंने एक ठंडी आह भरी और अविनाश ने लण्ड पूरा मेरी चूत में घुसा दिया। मुझे प्रेगनेंसी का कोई डर नहीं था बल्कि मैं तो हर हालत एक बच्चा चाहती थी इसलिए मैं अविनाश से खुलकर बिना प्रोटेक्शन के चुद रही थी।
अब अविनाश ने लय बनाकर अपने लंड को मेरी बुर के अंदर बाहर करते हुए चोदने लगा. मेरी जानी पहचानी सी सिसकिया चालु हो गयी जो तुमने और प्रशांत ने भी सुनी हुई हैं जब हम एक साथ रहे थे और नीरज मुझे चोद रहा था .. मेरी गीली चूत उसे बड़ा मज़ा दे रही थी. थोड़ी ही देर में मेरी चूत की मांसपेशियां सिकुड़ने लगीं और अविनाश के लंड को दबाने लगी.
मेरे गले से अजीब-अजीब आवाज़ें निकलने लगीं. और अपनी गांड को ऊपर उचकाकर उसके लंड की ताल से ताल मिला कर चुदने लगी.
मेरी चूत के जूस की चिकनाई के कारण लण्ड जब जड़ में टकराता था तो ठप ठपपप चप्प्प छप्पप की आवाज आ रही थीi। मेरे आनंद की आज कोई सीमा नहीं थी। मैंने जो नहीं माँगा था वो बिन मांगे मिल रहा था।
फिर मैंने कराहना शुरू कर दिया आअहह...ओफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ... आअहह.....चीर दो....आआअहह....चीर दो नाआआआआअ .....आआहह “ अविनाश , चोद दो मुझे। प्लीज, मुझे चोद डालो जितना जोर से चोदना हैं, चोद दो ।”
उसने एक दो धक्के लण्ड के मेरी चूत में मारे और तब दो बार मेरी सिसकिया एकदम तेज हुयी। उसने मुझे मेरी कमर और पीठ से कस कर पकड़ लिया और फिर अपना हाथ मेरे नंगे बदन पर घुमाने लगा।
वो लगातार मुझे धक्के मार कर अभी भी चोद रहा था । मैने अब अपने दोनों हाथ अविनाश की नंगी गांड पर रख दिए। उसकी गांड बड़ी तेजी से आगे पीछे हील रही थी, जिस से मेरे हाथ भी आगे पीछे हो हील रहे थे।
मैं अपनी उंगलिया उनकी गांड की दरार से होते हुए नीचे ले जाने लगी । मेरी ऊँगली उसके लंड के नीचे छु गयी, जो की चिकना हो चुका था। लण्ड चूत के अन्दर बाहर हो रहा था और मेरी ऊँगली वो सब महसूस कर रही थी। मैं खुद आहें भर रही थी और अविनाश का लेते हुए चोदने को बोल रही थी, मुझसे रुका नहीं गया। उसने मेरी चूत में झटका मारा और मैंने एक तेज आह भरते हुए कहा “ओह अविनाश , और मारो”
अविनाश ने रफ़्तार बढ़ा दी और थोड़ी ही देर में दोनों हांफते हुए एक दूसरे में समा जाने को कसरत कर रहे थे. अविनाश ज्यादा देर टिक न पाया और उसका सारा रस मेरी चूत में गिर गया. न जाने कितनी देर तक दोनों हांफते रहे. मेरा लौड़ा सिकुड़कर खुद मेरी चूत से बाहर निकल आया. मेरी चूत से मेरा गाढ़ा माल भी बहकर नीचे गिरने लगा.
जारी रहेगी