शक का अंजाम
PART 3
Update 52
( New-16)
मूल लेखक ने ये स्टोरी जिस जगह समाप्त की है. मेरा प्रयास है कहानी वही से को आगे बढ़ाने का और नए मौलिक अपडेट देने की । एक पाठक (जिन्होने अपना नाम नहीं बताने के लिए अनुरोध किया है) और मेरा मिलजुल कर प्रयास रहेगा, इस कहानी को और आगे ले कर जाने का . लीजिये पेश है भाग 3 Update 52. ( New-16)
ऋतू: झड़ने के बाद भी अविनाश लुढ़क कर साइड पर आ गया और मेरे नितम्बो और पीठ से चिपका रहा और मेरी चूचिया दबाता रहा
मैं अविनाश के हाथों से मेरी चूचियों के दबने का मैं बहुत मज़ा ले रही थी। उसके ऐसा करने से मेरी चूचियाँ और निपल्स बड़ी जल्दी ही तनकर दुबारा बड़े हो गये और मेरी चूत पूरी गीली ही थी । मैं धीमे-धीमे अपने मुलायम नितंबों को उसके खड़े लंड पर दबाने लगी।
अविनाश ने अब अपना दायाँ चूचियों से हटा लिया और नीचे को मेरे नंगे पेट की तरफ़ ले जाने लगा। मेरी नाभि के चारो ओर हाथ को घुमाया फिर नाभि में अंगुली डालकर गोल घुमाने लगा।
ऋतू: आआआह...उहह!!
उसकी अँगुलियाँ मेरी झांटो को छूने सहलाने लगीं। अपने आप मेरी टाँगें आपस में चिपक गयी लेकिन अविनाश ने पीछे से मेरे नितंबों पर एक धक्का लगाकर जताया की मेरा टाँगों को चिपकाना उसे पसंद नहीं आया। मैंने लेटे लेटे ही फिर से टाँगों को ढीला कर दिया।
अविनाश मेरे होठों को चूमने लगा और मेरे नंगे बदन पर हर जगह हाथ फिराने लगा। अब उसने धीरे से मुझे बिस्तर पे चित्त लिटा दिया।
आआआआहह......" मैं उत्तेजना से सिसकने लगी। अविनाश मेरी पूरी बायीं चूची को जीभ लगाकर चाट रहा था और दायीं चूची को हाथों से सहला रहा था। मैं हाथ नीचे ले जाकर उसके खड़े लंड को सहलाने लगी। फिर वह मेरी दायीं चूची के निप्पल को ज़ोर से चूसने लगा जैसे उसमें से दूध निकालना चाह रहा हो और बायीं चूची को ज़ोर से मसल रहा था, इससे मुझे बहुत आनंद मिल रहा था। जब उसने मेरी चूचियों को छोड़ दिया तो मैंने देखा मेरी चूचियाँ अविनाश की लार से पूरी गीली होकर चमक रही थीं। मेरे निपल्स उसने सूज़ा दिए थे।
फिर अविनाश मेरे चेहरे और गर्दन को चाट रहा था। उस दिन पहली बार मेरे पति की बजाय कोई गैर मर्द मेरे बदन पर इस तरह से चढ़ा हुआ था और मैं सेक्स के लिए इतनी उतावली हो चुकी थी की मुझे इसमें कुछ भी गलत नही लगा । और जो आनंद मेरे पति नीरज ने मुझे दिया था निश्चित ही उससे ज़्यादा मुझे अभी अविनाश से मिल रहा था। और फिर मैं कई दिन से सेक्स के लिए भूखी थी और जब भूख ज्यादा लगी हो तो जो भी मिल जाए वो बहुत स्वादिष्ट लगता है .. नीरू मेरी बहन मेरा भी उस समय बस यही हाल था ..
अविनाश के हाथ मेरी चूचियों पर थे और हमारे होंठ एक दूसरे से चिपके हुए थे। हम दोनों एक दूसरे के होंठ चबा रहे थे और एक दूसरे की लार का स्वाद ले रहे थे। फिर अविनाश खड़ा हो गया और मेरे निचले बदन पर उसका ध्यान गया।
अविनाश—ऋतू भाभी , प्लीज़ ज़रा पलट जाओl
मैं बेड पर अब नीचे को मुँह करके पलट गयी। अविनाश की आँखों के सामने मेरी गांड नंगी ही थी।
अविनाश : ऋतू भाभी थोड़ा गांड ऊपर उठाओ और कुत्तिया बन जाओ ... ऐसे झुको जैसे कुत्तिया झुकती है कुत्ते के सामने... ठीक है।”
मैंने नीरज से कई बार कुतिया बन कर चुदाई करवाई थी इसलिए कुतिया बन गयी . अपनी गांड को थोड़ा ऊपर को धकेला और अपनी कोहनियों के बल लेट गयी और गांड मटकाने लगी । नीरज को मेरी ये डा बहुत पसंद है । अविनाश ने जब पीछे से मेरे की अपनी गाँड मटकाते हुए देखा तो उसका लंड फुफकारने लगा।
अविनाश: भाभी आपकी गांड तो बहुत शानदार है .. मेरा मन कर रहा है आपकी गांड मारने का
ऋतू : नहीं वहां नहीं अविनाश मैंने कभी गांड नहीं मरवाई है .. चाहो तो पीछे से चूत में लंड डाल लो
अविनाश: ठीक है भाभी आप जैसा कहो
लेकिन मेरी एकदम स्पंजी कमर मांसल यौवन देख कर अविनाश ने मेरी गांड मारने का मन बना लिया और मुझे चूमने चाटने लगा .
अब अविनाश उसका तना हुआ लौडा और साथ ही मैं भी नंगी, मेरे मम्मों पे उसके कसते हुए हाथ, मेरी फुदकती टाइट चूत और कोमल, प्यारी, राजदुलारी गांड. अविनाश अपने हाथों से उसके मम्मे और भी ज़ोरों से रगड़ने लगा, खूब मम्मे दबा के और निप्प्ल चूस चूस के उसके हाथ नीचे खिसके और एक हाथ लगा चूत को सहलाने तो दूसरा मेरी गांड से खिलवाड़ करने लगा. मैंने उसके हाथ अपनी गांड से हटाने के कुछ क्षीण प्रयास किये लेकिन इतने दिनों से वो मेरी ताक में था तो हाथ में आने के बाद इतनी आसानी से थोड़े न छोड़ता.
फिर उसने मेरी जांघों को फैलाया और मेरी गांड की दरार में मुँह लगाकर जीभ से चाटने लगा।
"उूउऊहह! "
मैं कामोत्तेजना से काँपने लगी। मेरी नंगी गांड को चाटते हुए अविनाश भी बहुत कामोत्तेजित हो गया था। पहले उसने मेरे दोनों नितंबों को एक-एक करके चाटा फिर दोनों नितंबों को अपनी अंगुलियों से अलग करके मेरी गांड की दरार को चाटने लगा। वह मेरी गांड के मुलायम माँस पर दाँत गड़ाने लगा और मेरी गांड के छेद को चाटने लगा। उसके बाद अविनाश मेरी गांड के छेद में धीरे से अंगुली करने लगा।
मैं आआआअहह...... ओह्ह कर कराहने लगी .. उसे पता लग गया अब मुझे मजा आ रहा है
उसकी अंगुली के अंदर बाहर होने से मेरी सांस रुकने लगी। उसने छेद में अंगुली की और उसे इतना चाटा की मुझे लगा छेद थोड़ा खुल रहा है और अब थोड़ा बड़ा दिख रहा होगा। मैंने भी अपनी गांड को थोड़ा फैलाया ताकि छेद थोड़ा और खुल जाएl
मैंने थोड़ा और झुक के अपनी गाँड बाहर उघाड़ दी और मेरे मम्मे आगे झूल रहे थे। ऋतू अपना हाथ पीछे ले जा कर अपनी गाँड खोलते हुए बोली, “
ऋतू : यह ले अविनाश तेरी ऋतू कुत्तिया बनके झुकी है तेरे सामने। लेकिन यह बता कि तू मेरी गाँड क्यों मारना चाहता है?”अविनाश ने अपना लंड ऋतू की खुली गाँड के छेद पे रखा और हाथ आगे बढ़ा के उसके झूलते हुए मम्मे पकड़ लिए और अपने लंड को ऋतू की गाँड पे दबाते हुए बोला,
अविनाश : ऋतू भाभी वाह,आप बड़ी समझदार हो ... मेरो को आपकी गाँड भा गयी और मेरा लंड तुम्हारी कुंवारी गाँड की अकड़ निकालने के लिए तड़प रहा है। आपको नहीं पता तेरी गाँड कितनी लाजवाब है। आपके चूत, मम्मे, होंठ, गाँड और पूरा जिस्म, सब लाजवाब है।
फिर उसने मेरी जांघों को फैलाया और मेरी गांड की दरार में मुँह लगाकर जीभ से फिर चाटने लगा।
उसकी अंगुली के अंदर बाहर होने से मेरी सांस रुकने लगी। उसने छेद में अंगुली की और उसे इतना चाटा की मुझे लगा छेद थोड़ा खुल रहा है और अब थोड़ा बड़ा दिख रहा होगा। मैंने भी अपनी गांड को थोड़ा फैलाया ताकि छेद थोड़ा और खुल जाएl
अविनाश ने थोडा सा उंगली घुसेड दी मेरी चूत में और मैं काफी आश्चर्यचकित हो उठी.
ऋतू -क्या कर रहे हो?
अविनाश - कुछ नहीं, मजे ले रहा हूँ.
अविनाश एक ऊँगली चूत में और एक मेरी गांड में अंदर बाहर करने लगा. और दुसरे हाथ से लंड को को अपने हाथों से सहला सहला के त्यार कर रहा था. अब लौडा इतना सख्त हो गया था के फुन्फ्कारें मारने लगा और अविनाश ने आव देखा न ताव, चूत से लंड लगाया और हौले हौले से घुसना शुरू किया. इतनी टाईट चूत के लंड महाराज के घुसते ही मेरे मुंह से सिसकारी निकल पडी. अविनाश ने मुझे घूर के देखा,
अविनाश: क्या हुआ भाभी , मेरा दोस्त नीरज आपकी नहीं लेता क्या जो इतनी टाईट है?
ऋतू : नहीं, आजकल ये थोड़ा ओफिस के काम में बिजी रहते है .
अविनाश : कोई बात नहीं अब आपको कभी कोई कमी नहीं खलेगी भाभी
लंड एकदम फँस के बैठ गया मेरी चूत में तो अविनाश थोडा थोडा अन्दर बाहर करने लगा. मेरे चेहरे पे दर्द और आनंद के मिले जुले भाव थे. अविनाश ने चुदाई थोड़ी तेज कर दी और जोर से गांड यूँ दबोच ली के एक हाथ में एक कुल्हा और ज़ोरों से ऐसे दबाई के बीच में से एकदम चौड़ी हो जाए. उसके धक्के तेज़ होते गए और छूट के गीलेपन के चलते ज़ोरदार “फच्च फच्च” की आवाज़ आने लगी.
फिर अविनाश ने अपने हाथों से उसकी पतली, नाज़ुक और चीकनी कमर पर रेंगते हुए उसकी गांड तक ले आया. फिर मैंने एक उंगली से गांड को थोडा टटोला,
और इससे पहले के ऋतू भांप पाती, मेरा लंड उसकी चूत से बाहर और लंड उसकी गांड के छेद पर लगा दिया
अविनाश - बहुत दिनों से आपकी गांड पे नज़र थी, ऋतू भाभी ”,
अविनाश बोला. ऋतू ने कुछ बोलना चाहा लेकिन बोल न पायी.
अविनाश-- भाभी अब आपको थोड़ा-सा दर्द होगा पर उसके बाद बहुत मज़ा आएगा।
ऋतू -अविनाश प्लीज़ धीरे से करना मैंने कभी अपने पति नीरज को भी अपने गांड नहीं मारने दी है ।
मैंने अविनाश से विनती की। अविनाश ने धीरे से झटका दिया, उसके तेल से चिकने लंड का सुपाड़ा मेरी गांड के छेद में घुसने लगा। लंड को गांड में अंदर घुस नहीं पाया। मैं दब कर आगे को झुक गयी और पेट के बल हो गयी और मैंने बेड की चादर को पकड़ लिया । अविनाश ने मेरे बदन के नीचे हाथ घुसाकर मेरी चूचियों को पकड़ लिया और उन्हें दबाने लगा।
ऋतू: ओह्ह ......बहुत मज़ा आ रहा है!
मैंने अविनाश को और ज़्यादा मज़ा देने के लिए अपनी गांड को थोड़ा ऊपर को धकेला और अपनी कोहनियों के बल लेट गयी । इससे मेरी चूचियाँ हवा में उठ गयी और दो आमों की तरह अविनाश ने उन्हें पकड़ लिया। सच कहूँ तो मुझे थोड़ा दर्द हो रहा था पर शुक्र था कि अविनाश ने तेल लगाकर चिकनाई से थोड़ा आसान कर दिया था और वैसे भी वह किसी हड़बड़ाहट में नहीं था बल्कि बड़े आराम-आराम से मेरी गांड पर टकरा रहा था। हम दोनों ही धीरे-धीरे से कामक्रीड़ा कर रहे थे। वह धीरे-धीरे अपना लंड घुसा रहा था और मैं अपनी गांड पीछे को धकेल रही थी, अब उसने धक्के लगाने शुरू किए और मैं उसके हर धक्के के साथ कामोन्माद में डूबती चली गयी।
मेरी गांड टाइट थी या अविनाश का लंड बड़ा था पर अविनाश का लंड अंदर नहीं घुस रहा था। कुछ देर तक वह धक्के लगाते रहा और मैं काम सुख लेती रही।
अविनाश: भाभी अब संभालना ।”
अविनाश ने फिर मेरी मर पकड़के अपना लंड मेरी के गाँड के छेद पे दबाया। मेरी साँसें तेज़ हो गयीं और वो धड़कते दिल से अपने होंठ दाँतों के नीचे दबा के अविनाश के लंड के अपनी गाँड में घुसने का इंतज़ार करने लगी। क्योंकि अविनाश का लंड बड़ा तगड़ा था और मैंने कभी गाँड नहीं मरवायी थी कभी। लेकिन मुझे आज बहुत खुशी भी मिल रही थी क्योंकि इतने दोनी बाद ना केवल मेरी चुदाई हो रही थी बल्कि ऐसा बड़ा लंड मिल रहा था।
हाथ पीछे करके मैं अविनाश का लंड पकड़के बोली, “
ऋतू : ओहहहह अविनाश इतनी अच्छी लगी मेरी गाँड तुझे? अविनाश इसिलिए तो हाई हील पहनती हूँ... मुझे पता है कि इनसे मेरी चाल सैक्सी हो जाती है और लोगों का ध्यान मेरी मटकती गाँड की तरफ खिंच जाता है... तुझे मेरी गाँड अच्छी लगी और तूने मेरी गाँड मारने की सोची... तो अब देख अविनाश तुझसे गाँड मरवाने जा रही हूँ और अब बार-बार तुझसे चुदवाके तुझे पूरा मज़ा दूँगी।”
मेरी इस बात सुनके अविनाश खुश हुआ और एक हाथ से ऋतू की कमर पकड़ के और दूसरे हाथ से उसके मम्मे ज़ोर से दबाते हुए लंड ऋतू की गाँड में घुसाने लगा। जैसे ही अविनाश का लंड मेरी गाँड में घुसा तो मैं दर्द से छटपटाती हुई ज़ोर से चिल्लाने लगी,
“आआआआआआहहहहहहह अविनाश ऽऽऽ रह...म खाआआ.... मेरीईईई गाँड गयीईईईई....। बहुत दर्द हो रहा है... प्लीज़ लंड निकाल मेरी गाँड से।”
अविनाश ने लंड धीरे धीरे अन्दर करना शुरू किया और मैंने आँखे बंद कर ली और हलके से सिसकारी ली. अविनाश ने अपना प्रयास ज़ारी रखा. थोड़ी देर में हलके हलके से धक्के लगा लगा के लैंड पूरा अन्दर घुस गया था. उसका तना हुआ सख्त मौत लौड़ा मेरी एकदम टाईट गांड में और मेरी हर सांस के साथ उसके लौड़े पे चारो और से उसकी गांड का कसाव मैं आँखें बंद करके लेती रहे और वो ढ़ाके मारता रहा हाथ से मेरी दोनों चूचों का मर्दन करता रहा. एक एक सेकंड इतना आनंददायी था के लग रहा था पूरे जीवन की खुशियों के बराबर हो.
फिर उसने मेरे मम्मे कस के दबाते हुए हलके हलके धक्के लगाने शुरू किये. जो धीरे ढीरे तेज हो गए और और उसने जम के मेरी गांड को चौदा . बीच बीच में रुक जाता या लौड़ा निकाल लेता कहीं माल ना निकल जाए. लौड़ा बीच बीच में निकल के घुसाड़ने में बहुत मजा आरा था दोनों को .
ऐसे ही करते करते जब समय आया तो उसने जोर से मेरे चूचे दबाये और लंड को उसकी गांड में जितना घुसता था घुसा के अपनी जांघ को उसकी गांड से एकदम जोर से सटा के पिचकारी मारी. तीन चार पिचकारियाँ कम से कम निकली होंगी. फिरउसने लंड बाहर निकला, मेरे नरम और गोल मांसल कूल्हों से रगड़ के साफ़ किया और बिस्तर में मेरे साथ चिपक कर पड़ा रहा.
साढे ग्यारह बजे से लेकर ढाई बजे तक अविनाश ने लगातार मेरी चुदाई की
ढाई बजे अविनाश चला जाता है और फिर वो रात को खाने पर आता है। रात को मैं अविनाश से नजरें नहीं मिला पा रही थी लेकिन अविनाश बिल्कुल नार्मल लग रहा था जैसे कुछ हुआ ही नहीं हो। नीरज की मीटिंग अच्छी नहीं रही थी। इसलिए वो भी परेशान था। दूसरे दिन एक बार अविनाश फिर 11 बजे आया मैंने उसे रोकने की बहुत कोशिश की। लेकिन नाकाम रही और एक बार फिर वो अपनी मनमानी करके चला गया। ये सिलसिला 15 दिन तक लगातार चलता रहा। अविनाश दोपहर को आता और मेरी चुदाई कर चला जाता है। शुरूआत में दो तीन दिन तो मैंने उसे समझाने की कोशिश की। लेकिन फिर मुझे भी उसका इंतजार रहने लगा। 11 बजे मैं उसका इंतजार करती थी। 15 दिन बाद नीरज मुझसे कहता है कि जो पिछली बार जिस मीटिंग में काम नहीं बन पाया था अब वो मीटिंग फिर हो रही है लेकिन दूसरे शहर में हैं और या तो रात 8 बजे होगी या फिर सुबह 10 बजे इसलिए उसे शाम को ही निकलना होगा और मीटिंग रात को होती है तो रात 2 बजे तक वो घर आ जाएंगा नहीं तो फिर दूसरे दिन शाम तक ही घर आ पाएगा। नीरज के घर से जाते ही अविनाश आ जाता है। अविनाश मुझे बेडरूम में ले आता है और मेरी चुदाई करने के बाद कहता है कि आज शाम को वो मुझे घुमाने ले जाएगा। मैं मना करती हूं लेकिन वो मानता नहीं हैं। रात को अविनाश घूमाने के नाम पर अपने फ्लैट पर ले जाता है जहां उसके तीन विदेशी दोस्त उपस्थित थे और टीवी पर एक मूवी चल रही थी जिसे देख मेरे होश उड जाते हैं कि क्यों ये मूवी मेरी और अविनाश की चुदाई की थी।
ऋतु : अविनाश ये तुमने क्या किया मेरे साथ धोखा किया है तुमने
अविनाश : मैंने कोई धोखा नहीं दिया, तुम ही मेरे विस्तर गर्म करने को तैयार हो गई थी। ये मेरे दोस्त है और रोज मैं दोपहर को गायब रहता हूं जिस कारण से इन्हें मुझे पर शक हुआ। मेरा काम करने की इन्होंने शर्त रखी थी कि ये लोग भी तुम्हारी चुदाई करना चाहता हैं।
ऋतु : देखों अविनाश ये सब नहीं हो सकता मैं ऐसी औरत नहीं हूं।
अविनाश : तो कैसी औरत हो अपने पति के अलावा तुम दूसरे मर्द से चुद रही हो। अब दो से चुदो या 20 से कोई फर्क नहीं पडता। और यदि तुमने मना किया तो इस फिल्म की सीडी तुम्हारे पति को भी भेजी जा सकती है।
ऋतु : अविनाश की धमकी से मैं धबरा गई।
जारी रहेगी