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हैलो दोस्तों मेरा नाम राखी है और मै 22 साल की वर्जिन लड़की थी. लेकिन अब नहीं रही. करीब 2 हफ्ते पहले की बात है. मेरे लिए शादी का रिश्ता आया था. लड़के के नाम आकाश था और वो एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर था. वो दिखने में भी थोड़ा शरीफ था और हंसमुख भी था. इसी वजह से सभी को आकाश पसंद आ गया (मुझे भी). सभी के चेहरे पे मुस्कान थी और पापा की तो ख़ुशी का ठिकाना ही नहीं था. दूसरी तरफ मम्मी भी सभी का ज़बरदस्ती मुँह मीठा करवा रही थी.
फिर हम सब ने हंसी मज़ाक में डिनर खत्म किया और छत पे बैठ कर बाते करने लगे. बाते करते-करते मम्मी कब सो गयी पता ही नहीं चला और मै और पापा अभी भी बाते करे जा रहे थे. फिर मैंने पापा से बोला-
मै - पापा आप खुश है ना?
बाबू जी - क्यों मुझे क्या होगा पगली?
मै - पापा मुझे पता है की जब से मै 18 की हुई हु तब से आपके बिहेवियर में मैंने अपने लिए थोड़ा चेंज महसूस किया है.
बाबू जी - क्या बकवास करे जा रही है?
मै - सही में पापा सच बताओ और आप सही में खुश हो ना?
बाबू जी - हां हर बाप के लिए ये दिन आता है. आज मेरी लिए भी आ गया.
मै - एक बात पूछू पापा? सच-सच बताना.
बाबू जी - हां पूछ.
मै - रोज़ रात को मेरे रूम में कौन आता है?
बाबू जी - बेटी ये मुझे क्या पता? तेरा कोई बॉयफ्रेंड आता होगा और तेरी कच्छी सूंघ कर मुठ मार कर माल गिराता होगा! मैंने कुछ नहीं किया.
मै - मैंने तो बस रूम में आने की बात पूछी थी आगे की नहीं! इसका मतलब वो सब आप करते थे.
फिर बाबू जी अपना मुँह छुपाने लगे और नज़रे नीचे करके खड़े हो गए.
मै - अब बताओ आप खुश हो सही में?
बाबू जी - नहीं मेरी जान.
मै - क्यों?
बाबू जी - क्युकी पहले मै तेरी चूत को अपना बनाना चाहता हु.
मै - क्यों पापा ये सब क्यों? मम्मी है तो सही आपके लिए.
उसके बाद बाबू जी ने मेरे बाल पकड़ लिए और मेरे बूब्स दबाने लगे और साथ में मेरे होंठो को चूमने लगे और धीरे-धीरे गले से नीचे पहुँच गए. मैंने ज़ोर ज़बरदस्ती से खुद को उनसे अलग किया लेकिन तभी बाबू जी ने मेरा हाथ पकड़ कर बोला-
बाबू जी - तेरी जवानी देख कर सोचा था की बस एक रात मज़ा करके छोड़ दूंगा. लेकिन नहीं तू शादी किसी से भी करले तेरी चूत पे नाम मेरा ही लिखा है और तू हमेशा मेरी ही रहेगी.
उसके बाद बाबू जी ने मुझे छोड़ दिया और मै बस यही सोचती रही की जो बाबू जी ने मुझसे कहा और क्या वो ये सब सच में करेंगे. मुझे वगैरा-वगैरा ख़याल आने लगे और मेरी शादी का दिन भी आ गया. मै दुल्हन बन कर बैठ गयी और बारातियो के आने की वेट करने लगी. तभी लाइट चली गयी और अँधेरा हो गया. मेरे रूम से सब लोग बाहर लाइट का पता लगाने चले गए. तभी कोई अंदर आया और उसने गेट लगा दिया. उसने फ़ोन की लाइट ऑन की और फ़ोन टेबल पर रख दिया. मैंने देखा तो वो बाबू जी ही थे.
मै कुछ बोल पाती तब तक उन्होंने मेरे मुँह में रुमाल ठूस दिया और मुझे बेड पर उल्टा लिटा दिया. फिर उन्होंने मेरा लहंगा मेरी गांड तक उठा दिया जिससे मेरी जाँघे नंगी हो गयी और मेरी पैंटी दिखने लगी. फिर उन्होंने झटके से मेरी पैंटी उतारी और अपना लंड मेरी गांड पे टिका लिया. फिर उन्होंने धक्के पे धक्का देना शुरू कर दिया. थोड़ी देर मेरी गांड मारने के बाद उन्होंने मुझे सीधा किया और मेरे पैर हवा में उठा कर चूत पे थूक गिरा दी. फिर उन्होंने अपने लंड को मसला और लंड मसलते हुए मेरी चूत में घुसा दिया.
मेरी चीखे रुमाल ने रोक दी और इसी का फ़ायदा उठा कर बाबू जी मुझे तेज़ी से चोदे चले जा रहे थे. फिर अचानक से लाइट आयी और बाबू जी अपना माल मेरी चूत पर निकाल कर खड़े हो गए और अपने कपडे पहनने लगे. फिर बाबू जी बोले-
बाबू जी - चल अभी तू भी तैयार हो जा सही से.
मै - तैयार? अब किसके लिए हो तैयार.
बाबू जी - अपने होने वाले पति के लिए.
फिर मै आराम-आराम से उठते हुए खड़ी हुई और बाबू जी ने झुक कर मेरे पैरो में फंसी मेरी पैंटी को निकाल लिया और सूंघ कर जेब में रख लिया. फिर मैंने अपना लहंगा सही किया. तभी बाकी लोग गेट पे नॉक करने लगे और बाबू जी गए और गेट खोल कर नकली आंसू निकालते हुए बाहर चले गए. जाते-जाते बाबू जी आँख मार कर मुझे चिढ़ाने लगे और फिर बाकी सब अंदर आकर बरात के बारे में बाते करने लगे.
तभी मंडप में जाने का बुलावा आया और मुझे पहले बाबू जी की गोद में बैठना था. फिर मै जाके उनकी गोद में बैठ गयी और शादी के मंत्र शुरू हुए. फिर जैसे-जैसे पंडित बोलता गया वैसे-वैसे हम करते गए. फाइनली शादी हो गयी और मुझे बाबू जी से राहत मिली. लेकिन ये मेरा वहम था की मुझे बाबू जी से राहत मिल गयी थी. शादी के 2-3 दिन बाद जब सब मेहमान चले गए तब बाबू जी मेरे ससुराल आये.
आकाश - देखो राखी तुम्हारे पापा आये है.
मै ये सोच के बैठी थी की अब बाबू जी मेरी नहीं ले सकते. फिर यही सोचते-सोचते मै उनके लिए पानी का गिलास लायी.
आकाश - लीजिये पानी बाबू जी.
बाबू जी - नहीं बेटा मै पानी पीने नहीं आया हु.
मै - तो आप यहाँ क्यों आये हो?
आकाश - तेरी लेने आये है! जाइये बाबू जी मार लीजिये इसकी.
बाबू जी - ठीक है बेटा.
ये सब देख कर जब तक मुझे कुछ समझ आता तब तक बाबू जी मेरा हाथ पकड़ कर मुझे रूम में ले गए और उन्होंने मेरे कपडे उतार दिए. फिर उन्होंने मुझे बेड पे लिटा दिया और मेरी चुदाई करने लगे. इस बार पहले से भी ज़्यादा और तेज़ रफ़्तार थी उनकी चुदाई में. चुदाई के वक़्त मेरे मुँह से निकलती आवाज़े आकाश के कानो तक भी पहुंच रही थी.
30 मिनट तक चुदाई करवाने के बाद जब मै लड़खड़ाते हुए बाहर आयी तो मैंने आकाश से पुछा-
मै - ये क्या हो रहा है? मै आपकी बीवी हूँ आकाश.
बाबू जी - ये तेरा पति होने से पहले मेरा बेटा है. ये सुन कर तो मेरे शरीर के रोंगटे खड़े हो गए. फिर आकाश बोला-
आकाश - ये सही कह रहे है यार.
बाबू जी - अगर तू मुझे वहाँ चुदाई करने नहीं देती तो यहाँ तो मै पक्का तेरी चुदाई करता और मैंने तुझे बोला था ना की तू मेरी है.
उसके बाद बाबू जी को जब भी मौका मिलता वो ज़रूर मेरी चुदाई करने आते.
मेरे पापा ने की मेरी पहली चुदाई चूत फाड़ के
फिर हम सब ने हंसी मज़ाक में डिनर खत्म किया और छत पे बैठ कर बाते करने लगे. बाते करते-करते मम्मी कब सो गयी पता ही नहीं चला और मै और पापा अभी भी बाते करे जा रहे थे. फिर मैंने पापा से बोला-
मै - पापा आप खुश है ना?
बाबू जी - क्यों मुझे क्या होगा पगली?
मै - पापा मुझे पता है की जब से मै 18 की हुई हु तब से आपके बिहेवियर में मैंने अपने लिए थोड़ा चेंज महसूस किया है.
बाबू जी - क्या बकवास करे जा रही है?
मै - सही में पापा सच बताओ और आप सही में खुश हो ना?
बाबू जी - हां हर बाप के लिए ये दिन आता है. आज मेरी लिए भी आ गया.
मै - एक बात पूछू पापा? सच-सच बताना.
बाबू जी - हां पूछ.
मै - रोज़ रात को मेरे रूम में कौन आता है?
बाबू जी - बेटी ये मुझे क्या पता? तेरा कोई बॉयफ्रेंड आता होगा और तेरी कच्छी सूंघ कर मुठ मार कर माल गिराता होगा! मैंने कुछ नहीं किया.
मै - मैंने तो बस रूम में आने की बात पूछी थी आगे की नहीं! इसका मतलब वो सब आप करते थे.
फिर बाबू जी अपना मुँह छुपाने लगे और नज़रे नीचे करके खड़े हो गए.
मै - अब बताओ आप खुश हो सही में?
बाबू जी - नहीं मेरी जान.
मै - क्यों?
बाबू जी - क्युकी पहले मै तेरी चूत को अपना बनाना चाहता हु.
मै - क्यों पापा ये सब क्यों? मम्मी है तो सही आपके लिए.
उसके बाद बाबू जी ने मेरे बाल पकड़ लिए और मेरे बूब्स दबाने लगे और साथ में मेरे होंठो को चूमने लगे और धीरे-धीरे गले से नीचे पहुँच गए. मैंने ज़ोर ज़बरदस्ती से खुद को उनसे अलग किया लेकिन तभी बाबू जी ने मेरा हाथ पकड़ कर बोला-
बाबू जी - तेरी जवानी देख कर सोचा था की बस एक रात मज़ा करके छोड़ दूंगा. लेकिन नहीं तू शादी किसी से भी करले तेरी चूत पे नाम मेरा ही लिखा है और तू हमेशा मेरी ही रहेगी.
उसके बाद बाबू जी ने मुझे छोड़ दिया और मै बस यही सोचती रही की जो बाबू जी ने मुझसे कहा और क्या वो ये सब सच में करेंगे. मुझे वगैरा-वगैरा ख़याल आने लगे और मेरी शादी का दिन भी आ गया. मै दुल्हन बन कर बैठ गयी और बारातियो के आने की वेट करने लगी. तभी लाइट चली गयी और अँधेरा हो गया. मेरे रूम से सब लोग बाहर लाइट का पता लगाने चले गए. तभी कोई अंदर आया और उसने गेट लगा दिया. उसने फ़ोन की लाइट ऑन की और फ़ोन टेबल पर रख दिया. मैंने देखा तो वो बाबू जी ही थे.
मै कुछ बोल पाती तब तक उन्होंने मेरे मुँह में रुमाल ठूस दिया और मुझे बेड पर उल्टा लिटा दिया. फिर उन्होंने मेरा लहंगा मेरी गांड तक उठा दिया जिससे मेरी जाँघे नंगी हो गयी और मेरी पैंटी दिखने लगी. फिर उन्होंने झटके से मेरी पैंटी उतारी और अपना लंड मेरी गांड पे टिका लिया. फिर उन्होंने धक्के पे धक्का देना शुरू कर दिया. थोड़ी देर मेरी गांड मारने के बाद उन्होंने मुझे सीधा किया और मेरे पैर हवा में उठा कर चूत पे थूक गिरा दी. फिर उन्होंने अपने लंड को मसला और लंड मसलते हुए मेरी चूत में घुसा दिया.
मेरी चीखे रुमाल ने रोक दी और इसी का फ़ायदा उठा कर बाबू जी मुझे तेज़ी से चोदे चले जा रहे थे. फिर अचानक से लाइट आयी और बाबू जी अपना माल मेरी चूत पर निकाल कर खड़े हो गए और अपने कपडे पहनने लगे. फिर बाबू जी बोले-
बाबू जी - चल अभी तू भी तैयार हो जा सही से.
मै - तैयार? अब किसके लिए हो तैयार.
बाबू जी - अपने होने वाले पति के लिए.
फिर मै आराम-आराम से उठते हुए खड़ी हुई और बाबू जी ने झुक कर मेरे पैरो में फंसी मेरी पैंटी को निकाल लिया और सूंघ कर जेब में रख लिया. फिर मैंने अपना लहंगा सही किया. तभी बाकी लोग गेट पे नॉक करने लगे और बाबू जी गए और गेट खोल कर नकली आंसू निकालते हुए बाहर चले गए. जाते-जाते बाबू जी आँख मार कर मुझे चिढ़ाने लगे और फिर बाकी सब अंदर आकर बरात के बारे में बाते करने लगे.
तभी मंडप में जाने का बुलावा आया और मुझे पहले बाबू जी की गोद में बैठना था. फिर मै जाके उनकी गोद में बैठ गयी और शादी के मंत्र शुरू हुए. फिर जैसे-जैसे पंडित बोलता गया वैसे-वैसे हम करते गए. फाइनली शादी हो गयी और मुझे बाबू जी से राहत मिली. लेकिन ये मेरा वहम था की मुझे बाबू जी से राहत मिल गयी थी. शादी के 2-3 दिन बाद जब सब मेहमान चले गए तब बाबू जी मेरे ससुराल आये.
आकाश - देखो राखी तुम्हारे पापा आये है.
मै ये सोच के बैठी थी की अब बाबू जी मेरी नहीं ले सकते. फिर यही सोचते-सोचते मै उनके लिए पानी का गिलास लायी.
आकाश - लीजिये पानी बाबू जी.
बाबू जी - नहीं बेटा मै पानी पीने नहीं आया हु.
मै - तो आप यहाँ क्यों आये हो?
आकाश - तेरी लेने आये है! जाइये बाबू जी मार लीजिये इसकी.
बाबू जी - ठीक है बेटा.
ये सब देख कर जब तक मुझे कुछ समझ आता तब तक बाबू जी मेरा हाथ पकड़ कर मुझे रूम में ले गए और उन्होंने मेरे कपडे उतार दिए. फिर उन्होंने मुझे बेड पे लिटा दिया और मेरी चुदाई करने लगे. इस बार पहले से भी ज़्यादा और तेज़ रफ़्तार थी उनकी चुदाई में. चुदाई के वक़्त मेरे मुँह से निकलती आवाज़े आकाश के कानो तक भी पहुंच रही थी.
30 मिनट तक चुदाई करवाने के बाद जब मै लड़खड़ाते हुए बाहर आयी तो मैंने आकाश से पुछा-
मै - ये क्या हो रहा है? मै आपकी बीवी हूँ आकाश.
बाबू जी - ये तेरा पति होने से पहले मेरा बेटा है. ये सुन कर तो मेरे शरीर के रोंगटे खड़े हो गए. फिर आकाश बोला-
आकाश - ये सही कह रहे है यार.
बाबू जी - अगर तू मुझे वहाँ चुदाई करने नहीं देती तो यहाँ तो मै पक्का तेरी चुदाई करता और मैंने तुझे बोला था ना की तू मेरी है.
उसके बाद बाबू जी को जब भी मौका मिलता वो ज़रूर मेरी चुदाई करने आते.
मेरे पापा ने की मेरी पहली चुदाई चूत फाड़ के