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Erotica शादी में मुलाकात

arushi_dayal

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इस कहानी की शुरुआत एक शादी में हुई थी। रिश्तेदार की लड़की की शादी थी सो जाना जरुरी था। शादी के बहाने ही कितनों से मुलाकात का अवसर मिल जाता है। शादी में एक नजदीकी रिश्तेदार महिला जो 35-36 साल की होगी उनसे मुलाकात हुई। महिला सुलझी हुई और आधुनिक विचारों की थी। बातें होने लगी। जयमाला होने के बाद खाने का कार्यक्रम हुआ, इसके बाद में फेरे वगैरहा होने में समय था तभी मेरी परिचित रिश्तेदार आयी और मुझ से अनुरोध किया कि मैं उन की कजिन को उस के घर तक अपनी कार से ले जाऊँ। उसे कपड़ें बदल कर आने थे। मेरे पास समय बिताने के लिए कुछ नही था सो मैं तैयार हो गया। जब वो कजिन आई तो पता चला कि ये तो वही महिला है जिन का जिक्र मैंने ऊपर किया था। मैं अपनी गाड़ी की तरफ चला तो उन्होने कहा कि वह अपनी गाड़ी लाई है। केवल रात होने के कारण उन की बहन उन्हें अकेली नही जाने दे रही है। मैंने कहा अच्छी बात है।

हम दोनों उन की कार की तरफ चल दिये। कार उन की थी इस लिए कार वह ही ड्राईव कर रही थी। छोटे शहरों के रास्ते वहाँ के रहने वाले ही अच्छी तरह से जानते है। 10 मिनट के बाद हम उनके घर पहुंच गये। उन्होने घर का दरवाजा खोला और कार को पोर्च में खड़ा कर दिया। दरवाजा खोल कर घर में प्रवेश किया। पति व्यापार के सिलसिले में शहर से बाहर गये हुऐ थे। कोई घर में कोई और नही था। वह मेरे से बोली कि 10-15 मिनट लगेगे उन्हें तैयार होने में, क्या मैं एक कप चाय लेना चाहुँगा? मैंने हाँ कहा। थोड़ी देर में वह चाय का कप देकर कपड़ें बदलने चली गई। मैं चाय का सिप भर ही रहा था कि उन की आवाज आई कि जीजा जी जरा अन्दर आयेगे। मैंने पुछा कहाँ तो उन्होने बताया कि साथ वाले दरवाजे से आऊँ।

मैं अन्दर चला गया, यह कमरा बैडरुम था। माया जी कपड़ें बदल रही थी। वह बोली की उन के ब्लाउज की जिप फंस गई है और खुल नही रही है। मैं उसे खोल दुँ। माया ने अपने सामने के हिस्से पर एक तोलिया डाल रखा था। उस के ब्लाउज की जिप फंस गई थी और खुल नही रही थी। मैं बड़ी असमंजस से उन की पीठ की तरफ बढा और ब्लाउज की जिप को हाथ लगाया। मेरे हाथ कांप रहे थे पहला मौका था जब पत्नी के अलावा किसी अन्य महिला की पीठ को हाथ लगाया था। अपनी घबराहट को काबु में कर के मैंने जिप को नीचे की तरफ खीचने की कोशिश की लेकिन जिप टस से मस नही हुई। पास से जा कर देखा तो पता चला कि जिप का हुक टुट गया था और वह जिप को खुलने नही दे रहा था।

उस का एक ही उपाय था की जिप को तोड़ा जाये, मैंने माया से पुछा की कोई छोटा पेचकस होंगा। उसने कहा कि वह ढुढ़ती है। एक दराज में पेचकस मिल गया। मैंने माया की पीठ को रोशनी की तरफ करके पेचकस को जिप के हुक के अन्दर फँसा कर उसे चौड़ा करने का प्रयास किया मेरी ऊंगलियाँ उस की पीठ और ब्लाउज के बीच फंसी थी। कंरट सा शरीर में दौड रहा था। आखिर कोशिश रंग लायी और हुक लुज हो गया। मैंने ऊंगलियों से पकड़ कर उसे नीचे की तरफ करा। माया ने कहा कि इसे पुरा खोल कर ब्लाउज को पुरा खोल दूँ। मैने ऐसा की किया। गोरी चिकनी सपाट पीठ मेरे सामने थी। मैं अपना थुक सटक रहा था। मैंने हटने की कोशिश की तो माया ने कहा कि जब इतनी जहमत ऊँठाई है तो ईनाम तो बनता है। मैं चुप रहा तब तक उसने तोलिये के साथ ही ब्लाउज को हटा दिया। मेरे सामने गोरे पुष्ट भरे हुये उरोज तने हुये खड़े थे। मैं इस घटना के लिए तैयार नही था। सकपका गया था। माया ने कहा कि जीजा जी अब इतने भी शरीफ ना बनो।

और मेरे हाथों को पकड़ कर उसने अपने उरोजों पर रख लिया। मुझे जोर का झटका लगा। लेकिन मैंने उन्हें हल्के से सहला कर कहा कि ठन्ड लग जाऐगी कुछ और पहन लो।

माया बोली जीजाजी आज आप शादी में कहर ढ़ा रहे थे, तभी मैने सोचा था कि कैसे आप से मिलु? दीदी ने मौका दे दिया। अब तो जो मेरी मर्जी होगी सो मैं करुगी।

मैंने कहा तुम्हारे काबू में हुँ जो मर्जी करो। खदिम हूँ।

वह यह सुन कर हंस दी और बोली कि आप इतने भोले भी नही है जितने नजर आते है।

मैंने कहा ये तो तुम्हारी नजरों का असर है।

मैने माया से कहा कि आज तो तुम भी कहर ढ़ा रही थी। वह बोली मुझे तो पता नही चला कि आप पर इस का कोई असर हुआ है। मैंने कहा मैडम रात को आप के साथ खिदमतदार बन कर खड़ें है बताओ और क्या करे?

मैने उसके होठों को चुमने का प्रयास किया तो उसने कहा कि मेकअप खराब हो जाऐगा।

मैंने उसे अपने से थोड़ी दूर कर दिया तो वह बोली कि लिपिस्टक तो दुबारा लगानी ही पड़ेगी कपड़ों के कलर की। यह तो कर सकते है फिर वह आगे आ कर मुझ से लिपट गई। मैंने कहा कि माया मेरे शर्ट पर कहीं दाग न लग जाये।

कोट तो मैंने पहले ही उतार दिया था, कमीज के बटन माया ने खोल दिये और उसे उतार दिया अब मैं कोई बहाना नही कर सकता था। मैंने उसे आंलिगन मे ले लिया और जोर से उसके होंठों को चुमने लगा। वह भी खुब चुम रही थी। हम दोनों ऐसे लग रहे थे मानो कोई प्रेमी-प्रेमिका वर्षो के बाद मिले हो। मेकअप की वजह से कहीं और चुमना सम्भव नही था। मैं चेहरा झुका कर उसके उरोजों के मध्य उतर गया। एक हाथ से सहला रहा था तथा दुसरें को होंठो से चुम रहा था। माया भी खुब साथ दे रही थी। उत्तेजना के कारण उसके चुचुंक आधा इचं से ज्यादा बड़े हो चुके थे। उन को पीने में मजा आ रहा था।

अहा हाहहहहहहा

उहहह आआहहहह आहहहहहहह

ओहहहहहहहहहहह आहह...

उस ने जो लहंगा पहना हुआ था वह अभी उतारा नही था। मैंने खोलने की कोशिश की तो पता चला कि वह भी जिप वाला है।

माया ने साइड से जिप खोल कर उस को नीचे गिरा दिया। मैंने उसे उठा कर बेड पर लिटा दिया और लहंगे को फर्श से उठा कर बेड के किनारे पर रख दिया।

माया मेरे सामने पुरी नंगी पड़ी थी। मेरी परेशानी यह थी कि मैं सुट पहने हुऐ था। शर्ट के अलावा और भी कपड़ें मेरे बदन पर थे। उन का आगे के कार्यक्रम में खराब होने का फुल चांस था। क्या करुँ?

माया ने मेरी पेंट की बेल्ट खोल कर उसे नीचे सरका कर अंडरवियर को भी खिसका दिया और बोली देखिये मैं आप के दिमाग को पढ़ सकती हुँ।

इस सब में मेरे लिंग ने पुरा तनाव ले लिया था और तन कर सलाम ठोक रहा था। माया ने उसे हाथों में ले कर सहलाया और मुंह में ले लिया। मैंने माया से कहा कि हमारे पास ज्यादा समय नही है उसे तय करना है कि कैसे करें।

उसने लिंग को मुँह से निकाल कर अपने पैरों को बेड से नीचे कर लिया और उन्हें फैला लिया। अब मेरे सामने उसकी चूत खुली पडी थी मैंने अपने लिंग के सुपारे को उसके मुँह पर रखा और योनि में डालने की कोशिश की माया की योनि तो बहुत कसी हुई थी। तब तलक माया ने अपने हाथ से पकड के मेरे लिंग को अन्दर डाल लिया। अन्दर तो इतना गिलापन था कि वह अपने आप सरक कर गहरे तक उतर गया।

आह हहहहहह आहहहह आहहह

माया दर्द से चिल्लाने लगी।

मैंने डर कर लिंग को बाहर निकाल लिया। इस पर वह बोली कि आवाज से भी डरते हैं?

मैंने कहा मुझे लगा कि दर्द हो रहा है

हां दर्द तो हो रहा है लेकिन इसी दर्द के लिये तो यह सब हो रहा है।

डालो

मैंने फिर से डाल दिया। माया ने अपने दोनों हाथो को मेरे कुल्हों के पीछे से ऐसे जकड़ लिया कि मैं अब लिंग निकाल ना सकुँ।

मजा तो अब शुरु हुआ था।

मैंने जोर-जोर से धक्कें मारनें शुरु कर दिये। फच फच की आवाज आने लगी।

माया ने भी चुतड़ उठा कर साथ दिया।

मैं फर्श पर खड़ा था और कमर से झुक कर माया के स्तनों को चुम रहा था।

जल्दी झडने का डर नही था लेकिन इसे ज्यादा देर तक नही कर सकते थे। इस के बाद माया को तैयार भी होना था।

5 मिनट के बाद मैंने माया को उलटा करके पेट के बल लिटा दिया। इस से मुझे आराम हो गया। अब मैं माया की योनि में पीछे की तरफ से प्रवेश कर सकता था। ऐसा ही मैंने किया।

जोर-जोर से झटके मारने के कारण माया के चुतड़ों पर चोट पड़ रही थी। वह लाल हो गये थे मैंने लिंग निकाल कर उसकी गुदा के मुख पर रखा तो माया बोली गांड़ मारने के बाद मैं वहाँ कैसे बैठुगी यह तो सोचिए। मैने फिर से लिंग को योनि में डाल दिया।

इसी बीच माया डिस्चार्ज हो गई। मैंने सांस रोक कर बडे जोर-जोर से लिंग को अन्दर बाहर करना शुरु किया। थोडी ही देर में मैं भी डिस्चार्ज हो गया।

मैं भी माया के बगल में लेट गया।

मैंने उठ कर माया से पुछा कि टिशु पेपर है उसने इशारे से बताया। मैंने टिशु पेपर निकाल कर अपने लिंग को साफ किया और माया की चूत को भी पोंछा। माया ने करवट बदल कर टिशु पेपर ले कर अपने नीचे के हिस्से को भी अच्छी तरह से पोंछा और उठ कर बैठ गई।

आप अब मेरी कपड़ें पहनने में मदद करो तो मैं जल्दी तैयार हो जाऊँगी।

मैंने कहा बंदा हाजिर है पहले मैं शर्ट पहन कर कपड़ें सही कर लुँ।

मैंने जब तक अपने कपड़ें सही तरह से पहने माया बाथरुम से फ्रैश हो कर आ गई। इस के बाद मैंने उसे ब्लाउज पहनने में मदद करी और पेटीकोट पहना कर साड़ी भी बाँध दी। इस साड़ी मे तो वो और भी सुन्दर लग रही थी।

उसने शीशे में देख कर अपनी लिपस्टिक लगाई। मेकअप टच अप किया। मेरी तरफ घूम कर देखा और कहा कि आप भी टचअप कर लो। मैंने उस से कहा कि वह देख कर कर दे। उस ने मेरे बालों में कंधी की और टाई को सही कर दिया।

आप तो जँच रहे है

चले

एक बार घूम कर देख ले कही कोई कमी तो नही रह गई है।

मैंने उस के चारों ओर घूम कर देखा और हाँ में सर हिलाया।

मैंने कहा कि छाती पर एक बार टचअप कर ले रंग अलग लग रहा है। वह हंसी और बोली आदमी तो वही पर नजर डालेगे।

मैने कहा कि मैं तो सहायता कर रहा हूँ।

उस ने वहाँ पर पफ लगाया और सेंट छिडका। मैं उस से दूर हट गया।

अब दूर क्यों हो रहे हो?

सेंट तुम्हारी पहचान है मुझे परेशानी में डाल देगी।

वो हंसी

आप तो छुपे रूस्तम निकले।

आप के साथ का असर है।

जीजा जी आप तो ऐसे ना थे

आप की सोहबत का असर है

पहले पता होता तो और मजा आता

जो मिल जाये वही काफी है

चले

हाँ

मैंने कोट पहना शीशे में खुद को निहारा।

सही

जोरदार

माया ने दरवाजा बन्द किया और गाड़ी स्टार्ट कर बाहर निकाली मैंने बाहर के दरवाजे पर ताला लगा दिया। फिर माया कि बगल में बैठ गया।

रास्ते में माया ने कहा कि उसके कुल्हों में दर्द हो रहा है मैंने कहा ये तो होना नही चाहिये। ज्यादा जोर तो नही लगाया था।

आप मर्द लोग अपने बल को समझ नही पाते है।

हमारे लिए तो इतना ही काफी है।

अगर मौका मिलता तो पावं कन्धे पर रख कर के करता।

तब तो हो चुका था

अभी ही हालत खराब है।

ध्यान रखना। वहाँ कोई समस्या ना खडी हो।

आप को लगता है मैं कुछ ऐसा करुँगी?

जिसे अपने मनमर्जी की चीज मिली हो वह शिकायत क्यों करेगा।

लेकिन लगता है कि मेरी बहन को आप बहुत तंग करते होगे वो तो दर्द से कराहती होगी

कराहेगी तो जब, जब प्यार करेगी। उसे तो करे महीनों बीत गये है मेरे लबों पर अपनी कहानी आ गई।

आप की कहानी भी मेरी जैसी है।

मैंने आश्चर्य से पुछा, ऐसा क्या?

आज कितने सालों के बाद मैंने यह आनंद लिया है। ये तो सालों से कुछ नही करते।

मैं चुप चाप बैठा रहा। मैंने अपना हाथ उसके हाथ पर रख कर दबाया। वह खोखली हँसी। आप को देख कर मैं आज धैर्य खो बेठी लेकिन मुझे गर्व है कि मैं आप के साथ हुँ।

मैंने उस का हाथ और जोर से दबाया।

तभी मंजिल आ गई। गाड़ी खडी कर के माया औरतों के झुड़ में खो गई और मैं पुरुषों के पास चला आया।

शादी की रस्में शुरु होने वाली थी। हम समय से आ गये थे। मेरे फोन की घन्टी बजी। देखा तो अन्जाना नम्बर था।

उठाया तो जानी पहचानी हँसी थी।

कोई और आवाज नही आई। जरुरत भी नही थी।

अज्ञात के नाम से सेव कर लिया।

इस आशा से कि शायद कभी फोन आयेगा।

और जब आया तो मेरे लिए असमंजस की स्थिती खड़ी कर दी।...........
 

sapna 1

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इस कहानी की शुरुआत एक शादी में हुई थी। रिश्तेदार की लड़की की शादी थी सो जाना जरुरी था। शादी के बहाने ही कितनों से मुलाकात का अवसर मिल जाता है। शादी में एक नजदीकी रिश्तेदार महिला जो 35-36 साल की होगी उनसे मुलाकात हुई। महिला सुलझी हुई और आधुनिक विचारों की थी। बातें होने लगी। जयमाला होने के बाद खाने का कार्यक्रम हुआ, इसके बाद में फेरे वगैरहा होने में समय था तभी मेरी परिचित रिश्तेदार आयी और मुझ से अनुरोध किया कि मैं उन की कजिन को उस के घर तक अपनी कार से ले जाऊँ। उसे कपड़ें बदल कर आने थे। मेरे पास समय बिताने के लिए कुछ नही था सो मैं तैयार हो गया। जब वो कजिन आई तो पता चला कि ये तो वही महिला है जिन का जिक्र मैंने ऊपर किया था। मैं अपनी गाड़ी की तरफ चला तो उन्होने कहा कि वह अपनी गाड़ी लाई है। केवल रात होने के कारण उन की बहन उन्हें अकेली नही जाने दे रही है। मैंने कहा अच्छी बात है।

हम दोनों उन की कार की तरफ चल दिये। कार उन की थी इस लिए कार वह ही ड्राईव कर रही थी। छोटे शहरों के रास्ते वहाँ के रहने वाले ही अच्छी तरह से जानते है। 10 मिनट के बाद हम उनके घर पहुंच गये। उन्होने घर का दरवाजा खोला और कार को पोर्च में खड़ा कर दिया। दरवाजा खोल कर घर में प्रवेश किया। पति व्यापार के सिलसिले में शहर से बाहर गये हुऐ थे। कोई घर में कोई और नही था। वह मेरे से बोली कि 10-15 मिनट लगेगे उन्हें तैयार होने में, क्या मैं एक कप चाय लेना चाहुँगा? मैंने हाँ कहा। थोड़ी देर में वह चाय का कप देकर कपड़ें बदलने चली गई। मैं चाय का सिप भर ही रहा था कि उन की आवाज आई कि जीजा जी जरा अन्दर आयेगे। मैंने पुछा कहाँ तो उन्होने बताया कि साथ वाले दरवाजे से आऊँ।

मैं अन्दर चला गया, यह कमरा बैडरुम था। माया जी कपड़ें बदल रही थी। वह बोली की उन के ब्लाउज की जिप फंस गई है और खुल नही रही है। मैं उसे खोल दुँ। माया ने अपने सामने के हिस्से पर एक तोलिया डाल रखा था। उस के ब्लाउज की जिप फंस गई थी और खुल नही रही थी। मैं बड़ी असमंजस से उन की पीठ की तरफ बढा और ब्लाउज की जिप को हाथ लगाया। मेरे हाथ कांप रहे थे पहला मौका था जब पत्नी के अलावा किसी अन्य महिला की पीठ को हाथ लगाया था। अपनी घबराहट को काबु में कर के मैंने जिप को नीचे की तरफ खीचने की कोशिश की लेकिन जिप टस से मस नही हुई। पास से जा कर देखा तो पता चला कि जिप का हुक टुट गया था और वह जिप को खुलने नही दे रहा था।

उस का एक ही उपाय था की जिप को तोड़ा जाये, मैंने माया से पुछा की कोई छोटा पेचकस होंगा। उसने कहा कि वह ढुढ़ती है। एक दराज में पेचकस मिल गया। मैंने माया की पीठ को रोशनी की तरफ करके पेचकस को जिप के हुक के अन्दर फँसा कर उसे चौड़ा करने का प्रयास किया मेरी ऊंगलियाँ उस की पीठ और ब्लाउज के बीच फंसी थी। कंरट सा शरीर में दौड रहा था। आखिर कोशिश रंग लायी और हुक लुज हो गया। मैंने ऊंगलियों से पकड़ कर उसे नीचे की तरफ करा। माया ने कहा कि इसे पुरा खोल कर ब्लाउज को पुरा खोल दूँ। मैने ऐसा की किया। गोरी चिकनी सपाट पीठ मेरे सामने थी। मैं अपना थुक सटक रहा था। मैंने हटने की कोशिश की तो माया ने कहा कि जब इतनी जहमत ऊँठाई है तो ईनाम तो बनता है। मैं चुप रहा तब तक उसने तोलिये के साथ ही ब्लाउज को हटा दिया। मेरे सामने गोरे पुष्ट भरे हुये उरोज तने हुये खड़े थे। मैं इस घटना के लिए तैयार नही था। सकपका गया था। माया ने कहा कि जीजा जी अब इतने भी शरीफ ना बनो।

और मेरे हाथों को पकड़ कर उसने अपने उरोजों पर रख लिया। मुझे जोर का झटका लगा। लेकिन मैंने उन्हें हल्के से सहला कर कहा कि ठन्ड लग जाऐगी कुछ और पहन लो।

माया बोली जीजाजी आज आप शादी में कहर ढ़ा रहे थे, तभी मैने सोचा था कि कैसे आप से मिलु? दीदी ने मौका दे दिया। अब तो जो मेरी मर्जी होगी सो मैं करुगी।

मैंने कहा तुम्हारे काबू में हुँ जो मर्जी करो। खदिम हूँ।

वह यह सुन कर हंस दी और बोली कि आप इतने भोले भी नही है जितने नजर आते है।

मैंने कहा ये तो तुम्हारी नजरों का असर है।

मैने माया से कहा कि आज तो तुम भी कहर ढ़ा रही थी। वह बोली मुझे तो पता नही चला कि आप पर इस का कोई असर हुआ है। मैंने कहा मैडम रात को आप के साथ खिदमतदार बन कर खड़ें है बताओ और क्या करे?

मैने उसके होठों को चुमने का प्रयास किया तो उसने कहा कि मेकअप खराब हो जाऐगा।

मैंने उसे अपने से थोड़ी दूर कर दिया तो वह बोली कि लिपिस्टक तो दुबारा लगानी ही पड़ेगी कपड़ों के कलर की। यह तो कर सकते है फिर वह आगे आ कर मुझ से लिपट गई। मैंने कहा कि माया मेरे शर्ट पर कहीं दाग न लग जाये।

कोट तो मैंने पहले ही उतार दिया था, कमीज के बटन माया ने खोल दिये और उसे उतार दिया अब मैं कोई बहाना नही कर सकता था। मैंने उसे आंलिगन मे ले लिया और जोर से उसके होंठों को चुमने लगा। वह भी खुब चुम रही थी। हम दोनों ऐसे लग रहे थे मानो कोई प्रेमी-प्रेमिका वर्षो के बाद मिले हो। मेकअप की वजह से कहीं और चुमना सम्भव नही था। मैं चेहरा झुका कर उसके उरोजों के मध्य उतर गया। एक हाथ से सहला रहा था तथा दुसरें को होंठो से चुम रहा था। माया भी खुब साथ दे रही थी। उत्तेजना के कारण उसके चुचुंक आधा इचं से ज्यादा बड़े हो चुके थे। उन को पीने में मजा आ रहा था।

अहा हाहहहहहहा

उहहह आआहहहह आहहहहहहह

ओहहहहहहहहहहह आहह...

उस ने जो लहंगा पहना हुआ था वह अभी उतारा नही था। मैंने खोलने की कोशिश की तो पता चला कि वह भी जिप वाला है।

माया ने साइड से जिप खोल कर उस को नीचे गिरा दिया। मैंने उसे उठा कर बेड पर लिटा दिया और लहंगे को फर्श से उठा कर बेड के किनारे पर रख दिया।

माया मेरे सामने पुरी नंगी पड़ी थी। मेरी परेशानी यह थी कि मैं सुट पहने हुऐ था। शर्ट के अलावा और भी कपड़ें मेरे बदन पर थे। उन का आगे के कार्यक्रम में खराब होने का फुल चांस था। क्या करुँ?

माया ने मेरी पेंट की बेल्ट खोल कर उसे नीचे सरका कर अंडरवियर को भी खिसका दिया और बोली देखिये मैं आप के दिमाग को पढ़ सकती हुँ।

इस सब में मेरे लिंग ने पुरा तनाव ले लिया था और तन कर सलाम ठोक रहा था। माया ने उसे हाथों में ले कर सहलाया और मुंह में ले लिया। मैंने माया से कहा कि हमारे पास ज्यादा समय नही है उसे तय करना है कि कैसे करें।

उसने लिंग को मुँह से निकाल कर अपने पैरों को बेड से नीचे कर लिया और उन्हें फैला लिया। अब मेरे सामने उसकी चूत खुली पडी थी मैंने अपने लिंग के सुपारे को उसके मुँह पर रखा और योनि में डालने की कोशिश की माया की योनि तो बहुत कसी हुई थी। तब तलक माया ने अपने हाथ से पकड के मेरे लिंग को अन्दर डाल लिया। अन्दर तो इतना गिलापन था कि वह अपने आप सरक कर गहरे तक उतर गया।

आह हहहहहह आहहहह आहहह

माया दर्द से चिल्लाने लगी।

मैंने डर कर लिंग को बाहर निकाल लिया। इस पर वह बोली कि आवाज से भी डरते हैं?

मैंने कहा मुझे लगा कि दर्द हो रहा है

हां दर्द तो हो रहा है लेकिन इसी दर्द के लिये तो यह सब हो रहा है।

डालो

मैंने फिर से डाल दिया। माया ने अपने दोनों हाथो को मेरे कुल्हों के पीछे से ऐसे जकड़ लिया कि मैं अब लिंग निकाल ना सकुँ।

मजा तो अब शुरु हुआ था।

मैंने जोर-जोर से धक्कें मारनें शुरु कर दिये। फच फच की आवाज आने लगी।

माया ने भी चुतड़ उठा कर साथ दिया।

मैं फर्श पर खड़ा था और कमर से झुक कर माया के स्तनों को चुम रहा था।

जल्दी झडने का डर नही था लेकिन इसे ज्यादा देर तक नही कर सकते थे। इस के बाद माया को तैयार भी होना था।

5 मिनट के बाद मैंने माया को उलटा करके पेट के बल लिटा दिया। इस से मुझे आराम हो गया। अब मैं माया की योनि में पीछे की तरफ से प्रवेश कर सकता था। ऐसा ही मैंने किया।

जोर-जोर से झटके मारने के कारण माया के चुतड़ों पर चोट पड़ रही थी। वह लाल हो गये थे मैंने लिंग निकाल कर उसकी गुदा के मुख पर रखा तो माया बोली गांड़ मारने के बाद मैं वहाँ कैसे बैठुगी यह तो सोचिए। मैने फिर से लिंग को योनि में डाल दिया।

इसी बीच माया डिस्चार्ज हो गई। मैंने सांस रोक कर बडे जोर-जोर से लिंग को अन्दर बाहर करना शुरु किया। थोडी ही देर में मैं भी डिस्चार्ज हो गया।

मैं भी माया के बगल में लेट गया।

मैंने उठ कर माया से पुछा कि टिशु पेपर है उसने इशारे से बताया। मैंने टिशु पेपर निकाल कर अपने लिंग को साफ किया और माया की चूत को भी पोंछा। माया ने करवट बदल कर टिशु पेपर ले कर अपने नीचे के हिस्से को भी अच्छी तरह से पोंछा और उठ कर बैठ गई।

आप अब मेरी कपड़ें पहनने में मदद करो तो मैं जल्दी तैयार हो जाऊँगी।

मैंने कहा बंदा हाजिर है पहले मैं शर्ट पहन कर कपड़ें सही कर लुँ।

मैंने जब तक अपने कपड़ें सही तरह से पहने माया बाथरुम से फ्रैश हो कर आ गई। इस के बाद मैंने उसे ब्लाउज पहनने में मदद करी और पेटीकोट पहना कर साड़ी भी बाँध दी। इस साड़ी मे तो वो और भी सुन्दर लग रही थी।

उसने शीशे में देख कर अपनी लिपस्टिक लगाई। मेकअप टच अप किया। मेरी तरफ घूम कर देखा और कहा कि आप भी टचअप कर लो। मैंने उस से कहा कि वह देख कर कर दे। उस ने मेरे बालों में कंधी की और टाई को सही कर दिया।

आप तो जँच रहे है

चले

एक बार घूम कर देख ले कही कोई कमी तो नही रह गई है।

मैंने उस के चारों ओर घूम कर देखा और हाँ में सर हिलाया।

मैंने कहा कि छाती पर एक बार टचअप कर ले रंग अलग लग रहा है। वह हंसी और बोली आदमी तो वही पर नजर डालेगे।

मैने कहा कि मैं तो सहायता कर रहा हूँ।

उस ने वहाँ पर पफ लगाया और सेंट छिडका। मैं उस से दूर हट गया।

अब दूर क्यों हो रहे हो?

सेंट तुम्हारी पहचान है मुझे परेशानी में डाल देगी।

वो हंसी

आप तो छुपे रूस्तम निकले।

आप के साथ का असर है।

जीजा जी आप तो ऐसे ना थे

आप की सोहबत का असर है

पहले पता होता तो और मजा आता

जो मिल जाये वही काफी है

चले

हाँ

मैंने कोट पहना शीशे में खुद को निहारा।

सही

जोरदार

माया ने दरवाजा बन्द किया और गाड़ी स्टार्ट कर बाहर निकाली मैंने बाहर के दरवाजे पर ताला लगा दिया। फिर माया कि बगल में बैठ गया।

रास्ते में माया ने कहा कि उसके कुल्हों में दर्द हो रहा है मैंने कहा ये तो होना नही चाहिये। ज्यादा जोर तो नही लगाया था।

आप मर्द लोग अपने बल को समझ नही पाते है।

हमारे लिए तो इतना ही काफी है।

अगर मौका मिलता तो पावं कन्धे पर रख कर के करता।

तब तो हो चुका था

अभी ही हालत खराब है।

ध्यान रखना। वहाँ कोई समस्या ना खडी हो।

आप को लगता है मैं कुछ ऐसा करुँगी?

जिसे अपने मनमर्जी की चीज मिली हो वह शिकायत क्यों करेगा।

लेकिन लगता है कि मेरी बहन को आप बहुत तंग करते होगे वो तो दर्द से कराहती होगी

कराहेगी तो जब, जब प्यार करेगी। उसे तो करे महीनों बीत गये है मेरे लबों पर अपनी कहानी आ गई।

आप की कहानी भी मेरी जैसी है।

मैंने आश्चर्य से पुछा, ऐसा क्या?

आज कितने सालों के बाद मैंने यह आनंद लिया है। ये तो सालों से कुछ नही करते।

मैं चुप चाप बैठा रहा। मैंने अपना हाथ उसके हाथ पर रख कर दबाया। वह खोखली हँसी। आप को देख कर मैं आज धैर्य खो बेठी लेकिन मुझे गर्व है कि मैं आप के साथ हुँ।

मैंने उस का हाथ और जोर से दबाया।

तभी मंजिल आ गई। गाड़ी खडी कर के माया औरतों के झुड़ में खो गई और मैं पुरुषों के पास चला आया।

शादी की रस्में शुरु होने वाली थी। हम समय से आ गये थे। मेरे फोन की घन्टी बजी। देखा तो अन्जाना नम्बर था।

उठाया तो जानी पहचानी हँसी थी।

कोई और आवाज नही आई। जरुरत भी नही थी।

अज्ञात के नाम से सेव कर लिया।

इस आशा से कि शायद कभी फोन आयेगा।

और जब आया तो मेरे लिए असमंजस की स्थिती खड़ी कर दी।...........
Nice update
 

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
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इस कहानी की शुरुआत एक शादी में हुई थी। रिश्तेदार की लड़की की शादी थी सो जाना जरुरी था। शादी के बहाने ही कितनों से मुलाकात का अवसर मिल जाता है। शादी में एक नजदीकी रिश्तेदार महिला जो 35-36 साल की होगी उनसे मुलाकात हुई। महिला सुलझी हुई और आधुनिक विचारों की थी। बातें होने लगी। जयमाला होने के बाद खाने का कार्यक्रम हुआ, इसके बाद में फेरे वगैरहा होने में समय था तभी मेरी परिचित रिश्तेदार आयी और मुझ से अनुरोध किया कि मैं उन की कजिन को उस के घर तक अपनी कार से ले जाऊँ। उसे कपड़ें बदल कर आने थे। मेरे पास समय बिताने के लिए कुछ नही था सो मैं तैयार हो गया। जब वो कजिन आई तो पता चला कि ये तो वही महिला है जिन का जिक्र मैंने ऊपर किया था। मैं अपनी गाड़ी की तरफ चला तो उन्होने कहा कि वह अपनी गाड़ी लाई है। केवल रात होने के कारण उन की बहन उन्हें अकेली नही जाने दे रही है। मैंने कहा अच्छी बात है।

हम दोनों उन की कार की तरफ चल दिये। कार उन की थी इस लिए कार वह ही ड्राईव कर रही थी। छोटे शहरों के रास्ते वहाँ के रहने वाले ही अच्छी तरह से जानते है। 10 मिनट के बाद हम उनके घर पहुंच गये। उन्होने घर का दरवाजा खोला और कार को पोर्च में खड़ा कर दिया। दरवाजा खोल कर घर में प्रवेश किया। पति व्यापार के सिलसिले में शहर से बाहर गये हुऐ थे। कोई घर में कोई और नही था। वह मेरे से बोली कि 10-15 मिनट लगेगे उन्हें तैयार होने में, क्या मैं एक कप चाय लेना चाहुँगा? मैंने हाँ कहा। थोड़ी देर में वह चाय का कप देकर कपड़ें बदलने चली गई। मैं चाय का सिप भर ही रहा था कि उन की आवाज आई कि जीजा जी जरा अन्दर आयेगे। मैंने पुछा कहाँ तो उन्होने बताया कि साथ वाले दरवाजे से आऊँ।

मैं अन्दर चला गया, यह कमरा बैडरुम था। माया जी कपड़ें बदल रही थी। वह बोली की उन के ब्लाउज की जिप फंस गई है और खुल नही रही है। मैं उसे खोल दुँ। माया ने अपने सामने के हिस्से पर एक तोलिया डाल रखा था। उस के ब्लाउज की जिप फंस गई थी और खुल नही रही थी। मैं बड़ी असमंजस से उन की पीठ की तरफ बढा और ब्लाउज की जिप को हाथ लगाया। मेरे हाथ कांप रहे थे पहला मौका था जब पत्नी के अलावा किसी अन्य महिला की पीठ को हाथ लगाया था। अपनी घबराहट को काबु में कर के मैंने जिप को नीचे की तरफ खीचने की कोशिश की लेकिन जिप टस से मस नही हुई। पास से जा कर देखा तो पता चला कि जिप का हुक टुट गया था और वह जिप को खुलने नही दे रहा था।

उस का एक ही उपाय था की जिप को तोड़ा जाये, मैंने माया से पुछा की कोई छोटा पेचकस होंगा। उसने कहा कि वह ढुढ़ती है। एक दराज में पेचकस मिल गया। मैंने माया की पीठ को रोशनी की तरफ करके पेचकस को जिप के हुक के अन्दर फँसा कर उसे चौड़ा करने का प्रयास किया मेरी ऊंगलियाँ उस की पीठ और ब्लाउज के बीच फंसी थी। कंरट सा शरीर में दौड रहा था। आखिर कोशिश रंग लायी और हुक लुज हो गया। मैंने ऊंगलियों से पकड़ कर उसे नीचे की तरफ करा। माया ने कहा कि इसे पुरा खोल कर ब्लाउज को पुरा खोल दूँ। मैने ऐसा की किया। गोरी चिकनी सपाट पीठ मेरे सामने थी। मैं अपना थुक सटक रहा था। मैंने हटने की कोशिश की तो माया ने कहा कि जब इतनी जहमत ऊँठाई है तो ईनाम तो बनता है। मैं चुप रहा तब तक उसने तोलिये के साथ ही ब्लाउज को हटा दिया। मेरे सामने गोरे पुष्ट भरे हुये उरोज तने हुये खड़े थे। मैं इस घटना के लिए तैयार नही था। सकपका गया था। माया ने कहा कि जीजा जी अब इतने भी शरीफ ना बनो।

और मेरे हाथों को पकड़ कर उसने अपने उरोजों पर रख लिया। मुझे जोर का झटका लगा। लेकिन मैंने उन्हें हल्के से सहला कर कहा कि ठन्ड लग जाऐगी कुछ और पहन लो।

माया बोली जीजाजी आज आप शादी में कहर ढ़ा रहे थे, तभी मैने सोचा था कि कैसे आप से मिलु? दीदी ने मौका दे दिया। अब तो जो मेरी मर्जी होगी सो मैं करुगी।

मैंने कहा तुम्हारे काबू में हुँ जो मर्जी करो। खदिम हूँ।

वह यह सुन कर हंस दी और बोली कि आप इतने भोले भी नही है जितने नजर आते है।

मैंने कहा ये तो तुम्हारी नजरों का असर है।

मैने माया से कहा कि आज तो तुम भी कहर ढ़ा रही थी। वह बोली मुझे तो पता नही चला कि आप पर इस का कोई असर हुआ है। मैंने कहा मैडम रात को आप के साथ खिदमतदार बन कर खड़ें है बताओ और क्या करे?

मैने उसके होठों को चुमने का प्रयास किया तो उसने कहा कि मेकअप खराब हो जाऐगा।

मैंने उसे अपने से थोड़ी दूर कर दिया तो वह बोली कि लिपिस्टक तो दुबारा लगानी ही पड़ेगी कपड़ों के कलर की। यह तो कर सकते है फिर वह आगे आ कर मुझ से लिपट गई। मैंने कहा कि माया मेरे शर्ट पर कहीं दाग न लग जाये।

कोट तो मैंने पहले ही उतार दिया था, कमीज के बटन माया ने खोल दिये और उसे उतार दिया अब मैं कोई बहाना नही कर सकता था। मैंने उसे आंलिगन मे ले लिया और जोर से उसके होंठों को चुमने लगा। वह भी खुब चुम रही थी। हम दोनों ऐसे लग रहे थे मानो कोई प्रेमी-प्रेमिका वर्षो के बाद मिले हो। मेकअप की वजह से कहीं और चुमना सम्भव नही था। मैं चेहरा झुका कर उसके उरोजों के मध्य उतर गया। एक हाथ से सहला रहा था तथा दुसरें को होंठो से चुम रहा था। माया भी खुब साथ दे रही थी। उत्तेजना के कारण उसके चुचुंक आधा इचं से ज्यादा बड़े हो चुके थे। उन को पीने में मजा आ रहा था।

अहा हाहहहहहहा

उहहह आआहहहह आहहहहहहह

ओहहहहहहहहहहह आहह...

उस ने जो लहंगा पहना हुआ था वह अभी उतारा नही था। मैंने खोलने की कोशिश की तो पता चला कि वह भी जिप वाला है।

माया ने साइड से जिप खोल कर उस को नीचे गिरा दिया। मैंने उसे उठा कर बेड पर लिटा दिया और लहंगे को फर्श से उठा कर बेड के किनारे पर रख दिया।

माया मेरे सामने पुरी नंगी पड़ी थी। मेरी परेशानी यह थी कि मैं सुट पहने हुऐ था। शर्ट के अलावा और भी कपड़ें मेरे बदन पर थे। उन का आगे के कार्यक्रम में खराब होने का फुल चांस था। क्या करुँ?

माया ने मेरी पेंट की बेल्ट खोल कर उसे नीचे सरका कर अंडरवियर को भी खिसका दिया और बोली देखिये मैं आप के दिमाग को पढ़ सकती हुँ।

इस सब में मेरे लिंग ने पुरा तनाव ले लिया था और तन कर सलाम ठोक रहा था। माया ने उसे हाथों में ले कर सहलाया और मुंह में ले लिया। मैंने माया से कहा कि हमारे पास ज्यादा समय नही है उसे तय करना है कि कैसे करें।

उसने लिंग को मुँह से निकाल कर अपने पैरों को बेड से नीचे कर लिया और उन्हें फैला लिया। अब मेरे सामने उसकी चूत खुली पडी थी मैंने अपने लिंग के सुपारे को उसके मुँह पर रखा और योनि में डालने की कोशिश की माया की योनि तो बहुत कसी हुई थी। तब तलक माया ने अपने हाथ से पकड के मेरे लिंग को अन्दर डाल लिया। अन्दर तो इतना गिलापन था कि वह अपने आप सरक कर गहरे तक उतर गया।

आह हहहहहह आहहहह आहहह

माया दर्द से चिल्लाने लगी।

मैंने डर कर लिंग को बाहर निकाल लिया। इस पर वह बोली कि आवाज से भी डरते हैं?

मैंने कहा मुझे लगा कि दर्द हो रहा है

हां दर्द तो हो रहा है लेकिन इसी दर्द के लिये तो यह सब हो रहा है।

डालो

मैंने फिर से डाल दिया। माया ने अपने दोनों हाथो को मेरे कुल्हों के पीछे से ऐसे जकड़ लिया कि मैं अब लिंग निकाल ना सकुँ।

मजा तो अब शुरु हुआ था।

मैंने जोर-जोर से धक्कें मारनें शुरु कर दिये। फच फच की आवाज आने लगी।

माया ने भी चुतड़ उठा कर साथ दिया।

मैं फर्श पर खड़ा था और कमर से झुक कर माया के स्तनों को चुम रहा था।

जल्दी झडने का डर नही था लेकिन इसे ज्यादा देर तक नही कर सकते थे। इस के बाद माया को तैयार भी होना था।

5 मिनट के बाद मैंने माया को उलटा करके पेट के बल लिटा दिया। इस से मुझे आराम हो गया। अब मैं माया की योनि में पीछे की तरफ से प्रवेश कर सकता था। ऐसा ही मैंने किया।

जोर-जोर से झटके मारने के कारण माया के चुतड़ों पर चोट पड़ रही थी। वह लाल हो गये थे मैंने लिंग निकाल कर उसकी गुदा के मुख पर रखा तो माया बोली गांड़ मारने के बाद मैं वहाँ कैसे बैठुगी यह तो सोचिए। मैने फिर से लिंग को योनि में डाल दिया।

इसी बीच माया डिस्चार्ज हो गई। मैंने सांस रोक कर बडे जोर-जोर से लिंग को अन्दर बाहर करना शुरु किया। थोडी ही देर में मैं भी डिस्चार्ज हो गया।

मैं भी माया के बगल में लेट गया।

मैंने उठ कर माया से पुछा कि टिशु पेपर है उसने इशारे से बताया। मैंने टिशु पेपर निकाल कर अपने लिंग को साफ किया और माया की चूत को भी पोंछा। माया ने करवट बदल कर टिशु पेपर ले कर अपने नीचे के हिस्से को भी अच्छी तरह से पोंछा और उठ कर बैठ गई।

आप अब मेरी कपड़ें पहनने में मदद करो तो मैं जल्दी तैयार हो जाऊँगी।

मैंने कहा बंदा हाजिर है पहले मैं शर्ट पहन कर कपड़ें सही कर लुँ।

मैंने जब तक अपने कपड़ें सही तरह से पहने माया बाथरुम से फ्रैश हो कर आ गई। इस के बाद मैंने उसे ब्लाउज पहनने में मदद करी और पेटीकोट पहना कर साड़ी भी बाँध दी। इस साड़ी मे तो वो और भी सुन्दर लग रही थी।

उसने शीशे में देख कर अपनी लिपस्टिक लगाई। मेकअप टच अप किया। मेरी तरफ घूम कर देखा और कहा कि आप भी टचअप कर लो। मैंने उस से कहा कि वह देख कर कर दे। उस ने मेरे बालों में कंधी की और टाई को सही कर दिया।

आप तो जँच रहे है

चले

एक बार घूम कर देख ले कही कोई कमी तो नही रह गई है।

मैंने उस के चारों ओर घूम कर देखा और हाँ में सर हिलाया।

मैंने कहा कि छाती पर एक बार टचअप कर ले रंग अलग लग रहा है। वह हंसी और बोली आदमी तो वही पर नजर डालेगे।

मैने कहा कि मैं तो सहायता कर रहा हूँ।

उस ने वहाँ पर पफ लगाया और सेंट छिडका। मैं उस से दूर हट गया।

अब दूर क्यों हो रहे हो?

सेंट तुम्हारी पहचान है मुझे परेशानी में डाल देगी।

वो हंसी

आप तो छुपे रूस्तम निकले।

आप के साथ का असर है।

जीजा जी आप तो ऐसे ना थे

आप की सोहबत का असर है

पहले पता होता तो और मजा आता

जो मिल जाये वही काफी है

चले

हाँ

मैंने कोट पहना शीशे में खुद को निहारा।

सही

जोरदार

माया ने दरवाजा बन्द किया और गाड़ी स्टार्ट कर बाहर निकाली मैंने बाहर के दरवाजे पर ताला लगा दिया। फिर माया कि बगल में बैठ गया।

रास्ते में माया ने कहा कि उसके कुल्हों में दर्द हो रहा है मैंने कहा ये तो होना नही चाहिये। ज्यादा जोर तो नही लगाया था।

आप मर्द लोग अपने बल को समझ नही पाते है।

हमारे लिए तो इतना ही काफी है।

अगर मौका मिलता तो पावं कन्धे पर रख कर के करता।

तब तो हो चुका था

अभी ही हालत खराब है।

ध्यान रखना। वहाँ कोई समस्या ना खडी हो।

आप को लगता है मैं कुछ ऐसा करुँगी?

जिसे अपने मनमर्जी की चीज मिली हो वह शिकायत क्यों करेगा।

लेकिन लगता है कि मेरी बहन को आप बहुत तंग करते होगे वो तो दर्द से कराहती होगी

कराहेगी तो जब, जब प्यार करेगी। उसे तो करे महीनों बीत गये है मेरे लबों पर अपनी कहानी आ गई।

आप की कहानी भी मेरी जैसी है।

मैंने आश्चर्य से पुछा, ऐसा क्या?

आज कितने सालों के बाद मैंने यह आनंद लिया है। ये तो सालों से कुछ नही करते।

मैं चुप चाप बैठा रहा। मैंने अपना हाथ उसके हाथ पर रख कर दबाया। वह खोखली हँसी। आप को देख कर मैं आज धैर्य खो बेठी लेकिन मुझे गर्व है कि मैं आप के साथ हुँ।

मैंने उस का हाथ और जोर से दबाया।

तभी मंजिल आ गई। गाड़ी खडी कर के माया औरतों के झुड़ में खो गई और मैं पुरुषों के पास चला आया।

शादी की रस्में शुरु होने वाली थी। हम समय से आ गये थे। मेरे फोन की घन्टी बजी। देखा तो अन्जाना नम्बर था।

उठाया तो जानी पहचानी हँसी थी।

कोई और आवाज नही आई। जरुरत भी नही थी।

अज्ञात के नाम से सेव कर लिया।

इस आशा से कि शायद कभी फोन आयेगा।

और जब आया तो मेरे लिए असमंजस की स्थिती खड़ी कर दी।...........
Shaandar Mast Hot Update 🔥 🔥 🔥
 

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इस कहानी की शुरुआत एक शादी में हुई थी। रिश्तेदार की लड़की की शादी थी सो जाना जरुरी था। शादी के बहाने ही कितनों से मुलाकात का अवसर मिल जाता है। शादी में एक नजदीकी रिश्तेदार महिला जो 35-36 साल की होगी उनसे मुलाकात हुई। महिला सुलझी हुई और आधुनिक विचारों की थी। बातें होने लगी। जयमाला होने के बाद खाने का कार्यक्रम हुआ, इसके बाद में फेरे वगैरहा होने में समय था तभी मेरी परिचित रिश्तेदार आयी और मुझ से अनुरोध किया कि मैं उन की कजिन को उस के घर तक अपनी कार से ले जाऊँ। उसे कपड़ें बदल कर आने थे। मेरे पास समय बिताने के लिए कुछ नही था सो मैं तैयार हो गया। जब वो कजिन आई तो पता चला कि ये तो वही महिला है जिन का जिक्र मैंने ऊपर किया था। मैं अपनी गाड़ी की तरफ चला तो उन्होने कहा कि वह अपनी गाड़ी लाई है। केवल रात होने के कारण उन की बहन उन्हें अकेली नही जाने दे रही है। मैंने कहा अच्छी बात है।

हम दोनों उन की कार की तरफ चल दिये। कार उन की थी इस लिए कार वह ही ड्राईव कर रही थी। छोटे शहरों के रास्ते वहाँ के रहने वाले ही अच्छी तरह से जानते है। 10 मिनट के बाद हम उनके घर पहुंच गये। उन्होने घर का दरवाजा खोला और कार को पोर्च में खड़ा कर दिया। दरवाजा खोल कर घर में प्रवेश किया। पति व्यापार के सिलसिले में शहर से बाहर गये हुऐ थे। कोई घर में कोई और नही था। वह मेरे से बोली कि 10-15 मिनट लगेगे उन्हें तैयार होने में, क्या मैं एक कप चाय लेना चाहुँगा? मैंने हाँ कहा। थोड़ी देर में वह चाय का कप देकर कपड़ें बदलने चली गई। मैं चाय का सिप भर ही रहा था कि उन की आवाज आई कि जीजा जी जरा अन्दर आयेगे। मैंने पुछा कहाँ तो उन्होने बताया कि साथ वाले दरवाजे से आऊँ।

मैं अन्दर चला गया, यह कमरा बैडरुम था। माया जी कपड़ें बदल रही थी। वह बोली की उन के ब्लाउज की जिप फंस गई है और खुल नही रही है। मैं उसे खोल दुँ। माया ने अपने सामने के हिस्से पर एक तोलिया डाल रखा था। उस के ब्लाउज की जिप फंस गई थी और खुल नही रही थी। मैं बड़ी असमंजस से उन की पीठ की तरफ बढा और ब्लाउज की जिप को हाथ लगाया। मेरे हाथ कांप रहे थे पहला मौका था जब पत्नी के अलावा किसी अन्य महिला की पीठ को हाथ लगाया था। अपनी घबराहट को काबु में कर के मैंने जिप को नीचे की तरफ खीचने की कोशिश की लेकिन जिप टस से मस नही हुई। पास से जा कर देखा तो पता चला कि जिप का हुक टुट गया था और वह जिप को खुलने नही दे रहा था।

उस का एक ही उपाय था की जिप को तोड़ा जाये, मैंने माया से पुछा की कोई छोटा पेचकस होंगा। उसने कहा कि वह ढुढ़ती है। एक दराज में पेचकस मिल गया। मैंने माया की पीठ को रोशनी की तरफ करके पेचकस को जिप के हुक के अन्दर फँसा कर उसे चौड़ा करने का प्रयास किया मेरी ऊंगलियाँ उस की पीठ और ब्लाउज के बीच फंसी थी। कंरट सा शरीर में दौड रहा था। आखिर कोशिश रंग लायी और हुक लुज हो गया। मैंने ऊंगलियों से पकड़ कर उसे नीचे की तरफ करा। माया ने कहा कि इसे पुरा खोल कर ब्लाउज को पुरा खोल दूँ। मैने ऐसा की किया। गोरी चिकनी सपाट पीठ मेरे सामने थी। मैं अपना थुक सटक रहा था। मैंने हटने की कोशिश की तो माया ने कहा कि जब इतनी जहमत ऊँठाई है तो ईनाम तो बनता है। मैं चुप रहा तब तक उसने तोलिये के साथ ही ब्लाउज को हटा दिया। मेरे सामने गोरे पुष्ट भरे हुये उरोज तने हुये खड़े थे। मैं इस घटना के लिए तैयार नही था। सकपका गया था। माया ने कहा कि जीजा जी अब इतने भी शरीफ ना बनो।

और मेरे हाथों को पकड़ कर उसने अपने उरोजों पर रख लिया। मुझे जोर का झटका लगा। लेकिन मैंने उन्हें हल्के से सहला कर कहा कि ठन्ड लग जाऐगी कुछ और पहन लो।

माया बोली जीजाजी आज आप शादी में कहर ढ़ा रहे थे, तभी मैने सोचा था कि कैसे आप से मिलु? दीदी ने मौका दे दिया। अब तो जो मेरी मर्जी होगी सो मैं करुगी।

मैंने कहा तुम्हारे काबू में हुँ जो मर्जी करो। खदिम हूँ।

वह यह सुन कर हंस दी और बोली कि आप इतने भोले भी नही है जितने नजर आते है।

मैंने कहा ये तो तुम्हारी नजरों का असर है।

मैने माया से कहा कि आज तो तुम भी कहर ढ़ा रही थी। वह बोली मुझे तो पता नही चला कि आप पर इस का कोई असर हुआ है। मैंने कहा मैडम रात को आप के साथ खिदमतदार बन कर खड़ें है बताओ और क्या करे?

मैने उसके होठों को चुमने का प्रयास किया तो उसने कहा कि मेकअप खराब हो जाऐगा।

मैंने उसे अपने से थोड़ी दूर कर दिया तो वह बोली कि लिपिस्टक तो दुबारा लगानी ही पड़ेगी कपड़ों के कलर की। यह तो कर सकते है फिर वह आगे आ कर मुझ से लिपट गई। मैंने कहा कि माया मेरे शर्ट पर कहीं दाग न लग जाये।

कोट तो मैंने पहले ही उतार दिया था, कमीज के बटन माया ने खोल दिये और उसे उतार दिया अब मैं कोई बहाना नही कर सकता था। मैंने उसे आंलिगन मे ले लिया और जोर से उसके होंठों को चुमने लगा। वह भी खुब चुम रही थी। हम दोनों ऐसे लग रहे थे मानो कोई प्रेमी-प्रेमिका वर्षो के बाद मिले हो। मेकअप की वजह से कहीं और चुमना सम्भव नही था। मैं चेहरा झुका कर उसके उरोजों के मध्य उतर गया। एक हाथ से सहला रहा था तथा दुसरें को होंठो से चुम रहा था। माया भी खुब साथ दे रही थी। उत्तेजना के कारण उसके चुचुंक आधा इचं से ज्यादा बड़े हो चुके थे। उन को पीने में मजा आ रहा था।

अहा हाहहहहहहा

उहहह आआहहहह आहहहहहहह

ओहहहहहहहहहहह आहह...

उस ने जो लहंगा पहना हुआ था वह अभी उतारा नही था। मैंने खोलने की कोशिश की तो पता चला कि वह भी जिप वाला है।

माया ने साइड से जिप खोल कर उस को नीचे गिरा दिया। मैंने उसे उठा कर बेड पर लिटा दिया और लहंगे को फर्श से उठा कर बेड के किनारे पर रख दिया।

माया मेरे सामने पुरी नंगी पड़ी थी। मेरी परेशानी यह थी कि मैं सुट पहने हुऐ था। शर्ट के अलावा और भी कपड़ें मेरे बदन पर थे। उन का आगे के कार्यक्रम में खराब होने का फुल चांस था। क्या करुँ?

माया ने मेरी पेंट की बेल्ट खोल कर उसे नीचे सरका कर अंडरवियर को भी खिसका दिया और बोली देखिये मैं आप के दिमाग को पढ़ सकती हुँ।

इस सब में मेरे लिंग ने पुरा तनाव ले लिया था और तन कर सलाम ठोक रहा था। माया ने उसे हाथों में ले कर सहलाया और मुंह में ले लिया। मैंने माया से कहा कि हमारे पास ज्यादा समय नही है उसे तय करना है कि कैसे करें।

उसने लिंग को मुँह से निकाल कर अपने पैरों को बेड से नीचे कर लिया और उन्हें फैला लिया। अब मेरे सामने उसकी चूत खुली पडी थी मैंने अपने लिंग के सुपारे को उसके मुँह पर रखा और योनि में डालने की कोशिश की माया की योनि तो बहुत कसी हुई थी। तब तलक माया ने अपने हाथ से पकड के मेरे लिंग को अन्दर डाल लिया। अन्दर तो इतना गिलापन था कि वह अपने आप सरक कर गहरे तक उतर गया।

आह हहहहहह आहहहह आहहह

माया दर्द से चिल्लाने लगी।

मैंने डर कर लिंग को बाहर निकाल लिया। इस पर वह बोली कि आवाज से भी डरते हैं?

मैंने कहा मुझे लगा कि दर्द हो रहा है

हां दर्द तो हो रहा है लेकिन इसी दर्द के लिये तो यह सब हो रहा है।

डालो

मैंने फिर से डाल दिया। माया ने अपने दोनों हाथो को मेरे कुल्हों के पीछे से ऐसे जकड़ लिया कि मैं अब लिंग निकाल ना सकुँ।

मजा तो अब शुरु हुआ था।

मैंने जोर-जोर से धक्कें मारनें शुरु कर दिये। फच फच की आवाज आने लगी।

माया ने भी चुतड़ उठा कर साथ दिया।

मैं फर्श पर खड़ा था और कमर से झुक कर माया के स्तनों को चुम रहा था।

जल्दी झडने का डर नही था लेकिन इसे ज्यादा देर तक नही कर सकते थे। इस के बाद माया को तैयार भी होना था।

5 मिनट के बाद मैंने माया को उलटा करके पेट के बल लिटा दिया। इस से मुझे आराम हो गया। अब मैं माया की योनि में पीछे की तरफ से प्रवेश कर सकता था। ऐसा ही मैंने किया।

जोर-जोर से झटके मारने के कारण माया के चुतड़ों पर चोट पड़ रही थी। वह लाल हो गये थे मैंने लिंग निकाल कर उसकी गुदा के मुख पर रखा तो माया बोली गांड़ मारने के बाद मैं वहाँ कैसे बैठुगी यह तो सोचिए। मैने फिर से लिंग को योनि में डाल दिया।

इसी बीच माया डिस्चार्ज हो गई। मैंने सांस रोक कर बडे जोर-जोर से लिंग को अन्दर बाहर करना शुरु किया। थोडी ही देर में मैं भी डिस्चार्ज हो गया।

मैं भी माया के बगल में लेट गया।

मैंने उठ कर माया से पुछा कि टिशु पेपर है उसने इशारे से बताया। मैंने टिशु पेपर निकाल कर अपने लिंग को साफ किया और माया की चूत को भी पोंछा। माया ने करवट बदल कर टिशु पेपर ले कर अपने नीचे के हिस्से को भी अच्छी तरह से पोंछा और उठ कर बैठ गई।

आप अब मेरी कपड़ें पहनने में मदद करो तो मैं जल्दी तैयार हो जाऊँगी।

मैंने कहा बंदा हाजिर है पहले मैं शर्ट पहन कर कपड़ें सही कर लुँ।

मैंने जब तक अपने कपड़ें सही तरह से पहने माया बाथरुम से फ्रैश हो कर आ गई। इस के बाद मैंने उसे ब्लाउज पहनने में मदद करी और पेटीकोट पहना कर साड़ी भी बाँध दी। इस साड़ी मे तो वो और भी सुन्दर लग रही थी।

उसने शीशे में देख कर अपनी लिपस्टिक लगाई। मेकअप टच अप किया। मेरी तरफ घूम कर देखा और कहा कि आप भी टचअप कर लो। मैंने उस से कहा कि वह देख कर कर दे। उस ने मेरे बालों में कंधी की और टाई को सही कर दिया।

आप तो जँच रहे है

चले

एक बार घूम कर देख ले कही कोई कमी तो नही रह गई है।

मैंने उस के चारों ओर घूम कर देखा और हाँ में सर हिलाया।

मैंने कहा कि छाती पर एक बार टचअप कर ले रंग अलग लग रहा है। वह हंसी और बोली आदमी तो वही पर नजर डालेगे।

मैने कहा कि मैं तो सहायता कर रहा हूँ।

उस ने वहाँ पर पफ लगाया और सेंट छिडका। मैं उस से दूर हट गया।

अब दूर क्यों हो रहे हो?

सेंट तुम्हारी पहचान है मुझे परेशानी में डाल देगी।

वो हंसी

आप तो छुपे रूस्तम निकले।

आप के साथ का असर है।

जीजा जी आप तो ऐसे ना थे

आप की सोहबत का असर है

पहले पता होता तो और मजा आता

जो मिल जाये वही काफी है

चले

हाँ

मैंने कोट पहना शीशे में खुद को निहारा।

सही

जोरदार

माया ने दरवाजा बन्द किया और गाड़ी स्टार्ट कर बाहर निकाली मैंने बाहर के दरवाजे पर ताला लगा दिया। फिर माया कि बगल में बैठ गया।

रास्ते में माया ने कहा कि उसके कुल्हों में दर्द हो रहा है मैंने कहा ये तो होना नही चाहिये। ज्यादा जोर तो नही लगाया था।

आप मर्द लोग अपने बल को समझ नही पाते है।

हमारे लिए तो इतना ही काफी है।

अगर मौका मिलता तो पावं कन्धे पर रख कर के करता।

तब तो हो चुका था

अभी ही हालत खराब है।

ध्यान रखना। वहाँ कोई समस्या ना खडी हो।

आप को लगता है मैं कुछ ऐसा करुँगी?

जिसे अपने मनमर्जी की चीज मिली हो वह शिकायत क्यों करेगा।

लेकिन लगता है कि मेरी बहन को आप बहुत तंग करते होगे वो तो दर्द से कराहती होगी

कराहेगी तो जब, जब प्यार करेगी। उसे तो करे महीनों बीत गये है मेरे लबों पर अपनी कहानी आ गई।

आप की कहानी भी मेरी जैसी है।

मैंने आश्चर्य से पुछा, ऐसा क्या?

आज कितने सालों के बाद मैंने यह आनंद लिया है। ये तो सालों से कुछ नही करते।

मैं चुप चाप बैठा रहा। मैंने अपना हाथ उसके हाथ पर रख कर दबाया। वह खोखली हँसी। आप को देख कर मैं आज धैर्य खो बेठी लेकिन मुझे गर्व है कि मैं आप के साथ हुँ।

मैंने उस का हाथ और जोर से दबाया।

तभी मंजिल आ गई। गाड़ी खडी कर के माया औरतों के झुड़ में खो गई और मैं पुरुषों के पास चला आया।

शादी की रस्में शुरु होने वाली थी। हम समय से आ गये थे। मेरे फोन की घन्टी बजी। देखा तो अन्जाना नम्बर था।

उठाया तो जानी पहचानी हँसी थी।

कोई और आवाज नही आई। जरुरत भी नही थी।

अज्ञात के नाम से सेव कर लिया।

इस आशा से कि शायद कभी फोन आयेगा।

और जब आया तो मेरे लिए असमंजस की स्थिती खड़ी कर दी।...........
Beautiful short story with an open end...

Nice one arushi_dayal ji
 

arushi_dayal

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माया से पहली मुलाकात बहुत रोमांचक थी। मुझे वह बहुत रहस्यमय लगी। उस के बारें में ज्यादा पता नहीं कर पाया, इस लिये रहस्य बना ही रहा। एक दिन ऑफिस में काम कर रहा था तभी फोन बजा, जब उठाया तो नंबर देख कर आश्चर्य से भर उठा।

दूसरी तरफ से वही रहस्यमयी आवाज थी, यहाँ रीगल होटल में रुम नम्बर 202 में ठहरी हूँ तुम्हारा इंतजार कर रही हूँ, बताओं कितनी जल्दी आ सकते हो ? एक ही साँस में इतने सवाल सुन कर पहले तो मैं अचकचा गया, कुछ बोलता इस से पहले ही खनखनाती हूई आवाज ने कहा कि मैं आप का इंतजार कर रही हूँ। इतना कह कर उस ने फोन काट दिया।

मैं हैरान था कि अब क्या होने वाला है, यह यहाँ क्या करने आयी है? और मुझ से क्यों मिलना चाहती है? इन सब सवालों का जवाब मुझे वही जा कर मिलने वाला था। इस लिये मैंने हॉफ-डे ऑफ लिया और कार ले कर होटल रीगल की तरफ चल दिया। आधे घंटे के बाद होटल पहुँच कर दूसरी मंजिल पर रुम नम्बर 202 की बेल बजाई। दरवाजा खुला और मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अंदर घसीट लिया गया।
मैं हैरान सा होटल के सूट में खड़ा था मेरा हाथ माया के हाथ में था। वह मेरे से लिपट गयी और मैंने भी उसे बांहों में भर लिया। कुछ देर तक हम दोनों ऐसे ही एक-दूसरें से लिपटें खड़ें रहे, फिर अलग हो गये। मैं कुर्सी पर बैठ गया और वह मेरे सामने बेड पर पाँव ऊपर करके बैठ गयी। अभी तक मैं चुप था, मुझे चुप देख कर माया बोली कि क्या शॉक लग गया है ? मैंने हाँ में गरदन हिलायी तो वह हँसती हूई बोली कि ऐसा क्या किया है मैंने जो इतने हैरान है? मैं अभी भी चुप था।



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यह देख कर वह बेड से उठी और मुझे झकझौर कर बोली कि सपना नहीं देख रहे है, सच में मैं ही हूँ। मैंने कहा कि शॉक तो तुम्हारें फोन से लगा था कि तुम अचानक यहाँ कैसे? लेकिन अब विश्वास हो गया है कि तुम ही हो, मायावी माया। मेरी बात पर उस की खनकती हूई हँसी मेरे कानों में घुल गयी। वह बोली कि आप के सिवा मैं किसी के पास नहीं जा सकती हूँ इस लिये यहाँ चली आयी। मुझे अभी तक कुछ समझ नहीं आया था। वह मेरा चेहरा देख कर बोली कि

आप को कुछ पता नहीं है ?

क्या कुछ ?

मेरे बारे में कुछ भी ?

नहीं
मेरी इतनी चिन्ता करते है ?

तुम्हारी चिन्ता नहीं करता

क्यों ?

तुम अपनी चिन्ता खुद कर सकती हो, ऐसा मेरा मानना है

इस लिये मेरे बारे में कुछ पता नहीं रखते

अब बता भी दो, क्या हुआ है ?

सच बोल रहे है

हाँ भई हाँ

मैं आजाद हो गयी हूँ

किस से

अपने बंधन से

कुछ समझा नहीं

इनकी मृत्यु हो गयी है, चार महीने पहले

सॉरी, मुझे पता नहीं था

आप क्यों सॉरी हैं

तुम्हारें साथ बुरा हुआ

कौन कह रहा है कि बुरा हुआ है

मैं कुछ समझा नहीं

उस रात के बाद भी कुछ समझ नहीं आया था आप को

कुछ-कुछ समझ आया था लेकिन इस बारें में ज्यादा पता नहीं कर पाया

अच्छा किया पता नहीं किया, कोई कुछ बताता नहीं

क्या हुआ?

अचानक हार्ट अटैक आया और कुछ कर नहीं पाये।
मैं अब उस संबध से आजाद हूँ, मुझे कोई रोल करने की आवश्यकता नहीं है। सारा बिजनेस मेरे नाम हो गया है और मैंने उसे बेच कर यहाँ बसने का फैसला कर लिया है।

बढिया है

आप को मेरा साथ देना है, मैं आप के पास ही आयी हूँ या यह कहे की आप के सर पर लदने आ गयी हूँ।



2

कोई बात नहीं है, तुम्हारा साथ जरुर दुँगा, आखिर साली जो हो

खाली साली ?

कोई नाम देना जरुरी है ?

नहीं मुझे किसी नाम की अब जरुरत नहीं है, मुझे बस आप का साथ चाहिये।

इतनी बड़ी बात इतनी आसानी से कैसे कह सकती हो ?

आप के साथ इतने कम समय रह कर ही मैं आप को पहचान गयी हूँ, तभी तो इतना बड़ा फैसला किया है। मेरी नजरें पहचानने में धोखा नहीं खाती है।

पहले क्या करोगी ?

मकान खरीदूँगी, कुछ के बारें में पता किया है, आप के साथ चल कर देख लेती हूँ।

तुम्हारी दीदी को कैसे बताना है ?

वो सब आप मुझ पर छोड़ों, मैं सब संभाल लुँगी। आप तो अपनी कहो।

अब और क्या सुनना चाहती हो ?

जो सुनना चाहती हूँ वह पता है कि नहीं हो सकता है।

क्या नहीं हो सकता है, इतना सब तो हो चुका है।

वह तो अचानक हुआ था, अब जो होगा वह सोच समझ कर होगा।

हाँ यह तो है उस की तैयारी करनी पड़ेगी। सोचना पड़ेगा कि उस का सब पर क्या असर पड़ेगा ?
सोचने का ही काम है अब मेरे पास, और कोई काम नहीं है, पैसे की चिन्ता नहीं है। जीवन को दूबारा पटरी पर लाने की सोच रही हूँ।

वह भी पटरी पर आ जायेगी। चिन्ता मत करों।

यह कह कर मैं कुर्सी से उठा और माया को बेड से उठा कर अपने से आलिंगन बद्ध कर लिया, वह भी लता की तरह मेरे से लिपट गयी। मेरे होंठ उस के होंठों से जुड़ गये और हम दोनों चुम्बनलीन हो गये। मेरी बाँहों का कसाब उस की पीठ पर कस रहा था, वह बोली कि दम मत निकालों, नहीं तो किसी काम की नहीं रहुँगी। यह सुन कर मैंने बाँहों का कसाब ढ़ीला किया। फिर उसे बाँहों से मुक्त कर दिया।
हम दोनों बेड के किनारे पर बैठ गये। कुछ देर चुप रहने के बाद मैंने उस से पुछा कि खाना खा लिया है? तो वह बोली कि नहीं यहाँ आ कर तुम्हारा चेहरा देखे बिना कुछ खाना नहीं था। उस की यह बात सुन कर मैंने उस से कहा कि जब मेरे से इतना प्यार है तो बीच में कभी याद क्यों नहीं किया?

वह बोली कि इस प्यार की वजह से ही तो जिन्दा हूँ नहीं तो कब की मर जाती, लेकिन लाज-शर्म की वजह से और दीदी को धोखा देने के भय से अपने पर काबु रखा, लेकिन अब काबु नहीं रहा। इस लिये आप के पास चली आयी।

मैंने उस की पीठ के पीछे से बाँह कर के उसे अपने से सटा लिया। हम दोनों के पास शब्द खत्म हो गये थे। काफी देर तक दोनों ऐसे ही बैठे रहे। फिर मैंने कहा कि चलों कहीं बाहर चलते है खाना खाने। माया बोली यही सही रहेगा। हम दोनों ने अपने कपड़ें सही किये और रुम का दरवाजा लॉक करके दोनों निकल लिये। होटल से कार ले कर मैं एक रेस्टारेंट में आ गया। यहाँ हम दोनों नें भरपेट खाना खाया।

खाने के बाद माया बोली कि मुझे कुछ कपड़ें खरीदने है कहीं चलो। मैंने कहा चलो चलते है और हम दोनों एक बड़ी मॉल के लिये चल दिये।

मॉल पहुँच कर माया की आँखें चौधियाँ गयी और वह बोली कि मैं तो यहाँ पागल हो जाऊँगी। मैंने कहा कि वह तो तुम पहले से ही हो दुबारा क्या होगी? तो वह मेरी तरफ आँखें तरेर कर बोली कि अच्छा ऐसे विचार है आप के मेरे बारे में।

मैं हँस दिया और हम दोनों कपड़ों की बड़ी दूकान में घुस गये। कुछ वेस्टर्न कपड़ें खरीदने के बाद मैंने माया से कहा कि मैडम कुछ अंडर गारमेंट भी ले लो तो वह बोली कि आप ने अच्छा याद दिलाया। हम अंडर गारमेंट के सेक्शन में आ गये। मैंने सेल्सगर्ल को बुला कर कहा कि मैडम का सही साइज ले कर मैडम को ब्रा दिखायो और पेंटी सेट भी दो। मेरी बात सुन कर माया ने मुझे हैरानी से देखा तो मैंने उस से आँखें चुरा ली।

वह सेल्सगर्ल के साथ चली गयी। काफी देर बाद ट्रायल रुम से बाहर आ कर मेरी बाँह पकड़ कर बोली कि आप को कैसे पता कि मेरा साइज गलत है ? मैं मुस्कराया तो वह बोली कि मैं तो भुल ही जाती हूँ कि आप तो ऑलराउंडर है। मैंने सर झुका कर धन्यवाद दिया तो वह मेरी चुकुटी काट कर बोली कि ऐसा कुछ है जो आप को पता नहीं है ?

मैं हँस गया और बोला कि बहुत कुछ है जो मैं नहीं जानता। वह और मैं बिल देने के लिये काउंटर पर पहुँच गये। उस ने पर्स से कैश निकाल कर भुगतान कर दिया। सामान ले कर हम मॉल से बाहर निकले तो शाम घिर आयी थी, मैंने पुछा कि खाना खाना है तो वह बोली कि होटल में रुम में ऑडर कर देगे।

उस की बात मान कर मैं कार की तरफ चल दिया। सामान कार में रख कर हम दोनों वापस होटल के लिये चल दिये। होटल पहुँच कर सामान ले कर उस के रुम पर आ गये। वह बोली कि बोलों क्या खाना खाना है? मैंने कहा कि जो उसे पसन्द हो, मेरी बात सुन कर वह फोन पर ऑडर करने लग गयी।

इस के बाद मेरी तरफ घुम कर बोली कि उस दिन तो आप ने ऊपर हाथ ही लगाया था फिर भी आप को कैसे पता चला कि मेरी ब्रा का साइज गलत था। मैंने कहा कि तुम्हारें ब्लाउज उतारते ही मुझे पता चल गया था कि तुम्हारा साइज गलत है, वह बोली कि ऐसा कैसे पता चला? मैंने कहा कि नजर है पता चल जाता है। वह हँसी और बोली कि आप की इस बात से मेरी चिन्ता बढ़ गयी है कि मेरा प्रेमी कितनों को जानता है?

मैं उस की बात सुन कर बोला कि दो को ही जानता हूँ एक तुम्हारी बहन यानी मेरी बीवी और अब दूसरी तुम, इस पर तुम विश्वास करो या ना करो लेकिन यही सही है। वह मुस्करायी और बोली कि इस बात पर विश्वास नहीं होता कि कोई व्यक्ति एक बार में ही खुले वक्ष को देख कर बता दे कि ब्रा गलत साइज की पहन रखी है। लेकिन उस दिन तो ब्रा भी नहीं पहन रखी थी।


3

मैंने उसे बताया कि उस का ब्लाउज उस की छाती पर इतना कसा था कि उस का वक्ष सामने से दबा हुआ था, इसी लिये मैंने कहा कि तुम्हारी ब्रा का साइज गलत है। ब्लाउज का साइज भी गलत था। इतनी सी बात है यह बात पहली बार में ही पकड़ ली थी। मेरी बात सुन कर उस के चेहरे पर संतोष के भाव आये।

मैंने उसे बताया कि मैं देख कर एक-दो एमएम का अंतर भी पकड़ सकता हूँ, तुम्हारा तो इंच से ज्यादा का था। वह हँस कर दोहरी हो गयी और बोली कि आप की माया आप ही जानो, लेकिन मैं तो डर गयी थी कि आप ऐसे विषय पर इतनी जानकारी कैसे रखते है? तभी बेल बजी और वेटर खाना ले कर आया और खाना लगा कर चला गया।

हम दोनों खाना खाने लगे, खाना खाने के बाद मैंने माया से पुछा कि कल का क्या प्रोग्राम है तो वह बोली कि कल मैं दीदी को फोन करके बात करती हूँ फिर पता चलेगा क्या करना है। रात हो रही थी इस लिये मैं उस से विदा ले कर वापस घर चला आया।

सुबह जब ऑफिस पहुँचा तो कुछ देर बाद ही पत्नी का फोन आया कि माया यहाँ आई हुई है और होटल में रुकी हुई है, तुम उसे होटल से लेकर घर छोड़ जाओं, वह मुर्ख मेरे होते हुये होटल में रुकी है। उस से पुछा कि कौन सा होटल है और रुम नंबर क्या है। उस ने सब मुझे बता दिया, मैं ऑफिस से निकल कर होटल पहुँचा और माया का चैक आऊट करा कर उस का सामान गाड़ी में रख कर घर की तरफ चल दिया।

रास्तें में मैंने उस से पुछा कि कपड़ों के थेलें कहाँ है? तो वह बोली कि कपड़ों के टैग वगैरहा हटा कर उन के थेलें फैक दिये है, दीदी को पता नहीं चलना चाहिये कि कल मैं आप के साथ थी, नहीं तो सब कुछ गड़बड़ हो जायेगा। मैं मुस्करा दिया घर पहुँच कर दोनों बहनें गले मिल कर रोने लगी।

पति की मौत के बाद माया पहली बार पत्नी से मिली थी। जब दोनों शांत हो गयी तो मैंने पत्नी से पुछा कि और कोई काम तो नहीं है, नहीं तो मैं वापिस ऑफिस जाऊँ, तो बीवी बोली कि नहीं इसे यहाँ छोड़ना था, अब तुम ऑफिस चले जाओ।
शाम को आते में कुछ काम हुआ तो मैं बता दूँगी। मैं ऑफिस के लिये निकल गया। शाम को जब ऑफिस से निकलने लगा तो पत्नी से फोन करके पुछा कि कहो तो खाना लेता आऊँ तो वह बोली कि मैं भी यही कहने वाली थी जो तुम्हें पसन्द हो लेते आना।

मैं आते में तीन लोगों के लिये खाना लेता आया। जब सब खाना खाने बैठे तो माया बोली कि जीजा जी आप की पसन्द तो बढ़िया है, खाना स्वादिष्ट है। पत्नी बोली कि इन की पसन्द तो लाजवाव है इस के दो राय नहीं है।

मैं चुपचाप अपनी प्रशंसा सुनता रहा। रात तो जब सोने लगे तो पत्नी ने बताया कि अब माया इसी शहर में रहेगी। उसे पास में ही कोई मकान दिलवाना है। ताकि हम उस का ध्यान रख सके। मैं उस की बात सुनता रहा। मैंने कुछ ज्यादा नहीं पुछा, क्योंकि मैं उस के मन में शंक उत्पन्न नहीं करना चाहता था।

सुबह रविवार था सो ऑफिस नहीं जाना था, सुबह बिस्तर में ही था कि माया चाय ले कर आ गयी। यह देख कर बीवी बोली कि तुझें यह सब करने की आवश्यकता नहीं है। माया बोली कि जैसे तुम चाय बना कर लाती वैसे ही मैं भी ले आयी हूँ इस में क्या बात है?

उस की बात सुन कर पत्नी से जबाव नहीं दिया गया। तीनों चाय पीने लगे। चाय पीने के बाद मैं बाहर अखबार लेने चला गया। अखबार ले कर बाहर के कमरे में उसे पढ़ने बैठ गया। तभी माया आयी और बोली कि जीजा जी नाश्ते में क्या खाना है?

उस की बात सुन कर मैं बोला कि माया अब यह ज्यादा हो रहा है अभी तो आयी हो थोड़ा आराम कर लो, बाद में यह सब काम कर लेना। वह बोली कि आप भी दीदी के साथ मिल गये है। मैंने कहा कि हाँ उस के साथ ही हूँ कुछ दिन आराम करो फिर सब कर लेना, अभी तो कुछ दिन दीदी के आथिथ्य का आनंद लो।

तभी पत्नी भी आ गयी और बोली कि अब तो तेरे जीजा जी ने भी कह दिया है, उन की बात तो तुम मानती ही हो। माया बोली कि यह तो आप दोनों गलत बात कर रहे हो। ऐसे तो मैं आलसी बन जाऊँगी। पत्नी बोली कि, तु चिन्ता मत कर बहुत काम करायेंगे हम दोनों।

माया बोली कि अब क्या करुँ ? मैंने कहा कि नहा लो, सामान वगैरहा निकाल कर अलमारी में सजा लो। दीदी के साथ मिल कर घर देख लो। बहुत काम है करने के लिये। दोपहर में मैं तुम्हें काम बताऊँगा।

वह मेरी बात सुन कर मुस्करा कर चली गयी। पत्नी बोली कि आज पहली बार इस के चेहरे पर मुस्कराहट देखी है, तुम्हारी बात मान लेती है। मैंने कहा कि जीजा भी तो हूँ मैं। पत्नी भी चली गयी और मैं अखबार पढ़ने में मग्न हो गया।

कुछ देर बाद मेरे कानों में आवाज पड़ी कि आज क्या सारा अखबार चाटना है? सर उठा कर देखा को माया गिले सिर पर तौलिया लपेटे खड़ी थी। बड़ी सुन्दर लग रही थी। मैंने उसे देखा और अखबार बंद कर के रख दिया। फिर उस को देख कर पुछा कि साली जी बताओ क्या आज्ञा है? वह बोली कि नहा ले नहीं तो ऐसे ही नाश्ता करने के लिये चले। मैंने कहा कि एक दिन तो मिलता है देर से नहाने का, इस लिये ऐसे ही नाश्ता दे दो।

यह कह कर मैं उस के साथ चल दिया। वह आगे चल रही थी और मैं पीछे-पीछे उस की मस्त हथिनी की जैसी चाल देख रहा था। डाइनिग टेबल पर पत्नी नाश्ता लगा कर इंतजार कर रही थी। मुझे देख कर बोली कि अब तुझे पता चला कि तेरे ये पसन्दीदा जीजा जी कैसे है, छुठ्ठी के दिन तो इन से कोई भी काम करवाना बहुत मुश्किल काम है।

मैंने दोनों से माफी माँगी और कहा कि तुम आवाज दे देती, मैं आ जाता। मेरी बात सुन कर दोनों हँस पड़ी कि आप को सच में नहीं पता कि हम दोनों कितनी देर से आप को आवाज दे रहे थें। मैंने कानों को हाथ लगा कर कहा कि सच में, मैं अखबार पढ़ने में इतना डुब गया था कि कुछ भी ध्यान नहीं रहा। यह कह कर मैं मेज पर नाश्तें की प्लेट अपने आगे करके बैठ गया। माया बोली कि अब आप कुछ देर इंतजार करों, चाय दूबारा बनानी पड़ेगी। यह कह कर वह किचन में चली गयी।

पत्नी ने मेरी तरफ आँखें तरेर कर कहा कि आज तो पता नहीं तुम कहाँ खो गये थे। पहले तो ऐसे नहीं थे। मैंने कहा कि यार सच में अखबार पढ़ने में कुछ सुनायी ही नहीं दिया। कुछ देर बाद माया चाय ले कर आ गयी और हम तीनों चाय के साथ नाश्ता करने लगे। पत्नी बोली कि अब पहले नहाने जाना फिर और कोई काम करना। नहीं तो शाम तक ऐसे ही घुमते रहोगे।

उस की बात सुन कर माया बोली कि नहाने में भी बहाने, मैंने उसे देख कर कहा कि भाई आज के दिन हम एक दिन के बादशाह है इस लिये माबदौलत कोई काम नहीं करते है। मेरी बात पर दोनों हँस कर दोहरी हो गयी। मैं उन को हँसता छोड़ कर नहाने भाग गया। लेकिन जब नहा लिया तो पता चला कि तौलिया तो ले कर आया ही नहीं था। अब क्या करुँ ? पत्नी को आवाज लगायी तो माया की आवाज आयी की क्या है?

मैंने कहा कि दीदी को भेज, वह हँस कर पत्नी को बुलाने चली गयी। पत्नी के आने पर मैंने उसे बताया कि मेरा तौलिया बाहर रह गया है उसे दे दो। पत्नी भी हँस कर चली गयी किसी की आवाज आयी तो मैंने हाथ बाहर निकाला तो तौलिये की जगह हाथ पकड़ लिया, मुझे लगा कि पत्नी मजाक कर रही है, मैंने उसे डाट कर कहा कि यार अभी मजाक करने की सुझी है जब तुम्हारी बहन घर में है नहीं तो मैं ऐसे ही बाहर आ जाता, मेरी बात पर किसी परिचित की खनकती हँसी सुनायी दी और हाथ में तौलिया पकड़ा दिया गया।

मैं जब तौलिया लपेट कर बाहर आया तो देखा कि कोने में माया खड़ी मुझे देख रही थी। उस के इस रुप से मुझे डर लगा कि कहीं पत्नी को सब पता ना चल जाये लेकिन इस पर उसे कुछ कहना उचित ना समझ कर मैं बेडरुम में कपड़ें पहनने चला गया। कपड़ें पहन कर निकला तो देखा कि माया अभी तक वहीं खड़ी थी। मुझे देख कर बोली कि गीला तौलिया मुझे दे दे, मैं उसे सुखा कर आती हूँ यह कह कर वह तौलिया मेरे हाथ से ले कर चली गयी।
मैं पत्नी को ढुढ़ने लगा तो वह मुझे मिली नहीं, जब छत पर पहुँचा तो मैडम वहाँ कपड़ें सुखा रही थी। माया भी बहन के साथ कपड़ें सुखाने में मदद कर रही थी। मुझे देख कर दोनों बोली कि अब साहब खुद ही सुखने के लिये आ गये है। मैं हँस पड़ा और बोला कि हाँ ऐसा कह सकती हो।

मुझे कपड़ों में देख कर पत्नी बोली कि कहीं जा रहे हो तो मैं बोला कि बाहर जा रहा हूँ कुछ मगाँना तो नहीं है तो वह बोली कि माया को साथ ले जाओ, इसे यहाँ के बारे में पता चल जायेगा। पनीर लेते आना। फिर वह माया से बोली कि जो सब्जी तुझे पसन्द हो वह भी लेतीआना।

मैं स्कूटर निकाल कर माया को बिठा कर बाजार को चला तो वह बोली कि आप से अच्छा तो मैं चला लेती हूँ, मैंने कहा कि कार ज्यादा चलाने के कारण स्कुटर अब तेज नहीं चलता है। बाजार पहुँच कर मैं माया को साथ ले कर सब्जी खरीदने चल दिया तो माया बोली कि आप किस लिये बाजार आये थे?

मैं चुप रहा तो वह बोली कि क्या मेरे साथ आने के लिये बहाना किया था। मैंने कहा कि नहीं मुझे यहाँ से कुछ खरीदना था सो आना पड़ा तो वह बोली कि अब खरीद क्यों नहीं रहे? मैंने कहा कि पहले तुम सब्जी खरीद लो, पनीर ले लो फिर वापिस जाते में मैं उसे भी खरीद लुगा।

वह चुप रही, उस का सामान खरीदने के बाद मैं वाइन की दूकान के सामने माया को खड़ा करके अंदर चला गया तो माया भी मेरे साथ ही अंदर आ गयी और बोली की बाहर बहुत धुप है। मैंने स्काच की बोतल खरीदी और जब बाहर आया तो माया बोली कि सीधी तरह से नहीं बता सकते थे कि शराब लेनी है। मैंने कहा कि पता नहीं था कि तुम कैसे रियेक्ट करती ? इस लिये झिझक रहा था।

वह बोली कि मैं भी पी लेती हूँ। आगे से ध्यान रखना, मैंने पुछा कोई खास पसन्द तो वह बोली कि रेड वाइन पसन्द है लेकिन आज नहीं, नहीं तो दीदी को जबाव देना मुश्किल हो जायेगा। अब आप के साथ कुछ और मजा आयेगा।

रास्ते भर हम दोनों चुप रहे। पत्नी को सारा सामान दे कर मैं बोतल अलमारी में रखने चला गया। वापस लौटा तो बीवी बोली कि साली से क्या शर्म ? जब पीते हो तो पीते हो। मैंने कहाँ कि मुझे कोई शर्म नहीं है। बात यहीं खत्म हो गयी।

दोपहर के खाने के बाद मैं सोने चला गया। हफ्तें भर की नींद की पूर्ति आज ही हो पाती है। शाम को पत्नी ने झकझौर कर उठाया और कहा कि चलो उठ कर चाय पी लो। मैं उठ कर डाइगरुम में आ गया। मेज पर चाय के साथ पकोड़ें रखे थे। मैंने प्रश्नवाचक निगाहों से पत्नी की तरफ देखा तो वह बोली की तुम्हारी साली ने बनाये है, बोली कि पकोड़ें तो जीजा जी को अच्छे लगते होगे?

मैंने माया कि तरफ देख कर कहा कि पकोड़ों के लिये धन्यवाद तुम्हारी दीदी और पकोड़ों का छत्तीस का आकड़ा है, मेरी इस बात पर पत्नी ने मेरी तरफ आँख तरेर कर देखा। हम तीनों पकोड़ों का आनंद उठाने लगे। पकोड़ें स्वादिष्ट बने थे। खा कर मजा आ गया। पत्नी बोली कि अब तुम्हारी साली तुम्हारें ऐसे शौकों को पुरा करेगी।

पत्नी बोली कि हम दोनों बाजार घुमने जा रहे है। तुम्हें कोई काम तो नहीं है? मैंने ना में सर हिलाया। दोनों तैयार हो कर बाजार चली गयी। मैं अकेला घर में रह गया। मैंने फोन चैक किया कि कहीं माया की कॉल तो नहीं पड़ी है लेकिन कोई कॉल नहीं थी।

बैठ कर टीवी पर पोर्न देखने बैठ गया। सेक्स की ललक जग रही थी लेकिन पता नहीं था कि कब करने का मौका मिलेगा। पत्नी जी की हाँ का कोई पता नहीं था। माया के साथ करने की सोच भी नहीं सकता था। कोई भी जल्दबाजी भारी पड़ सकती थी।

कोई रास्ता ना देख कर पोर्न ही देख कर काम चलाना पड़ रहा था। दो घंटे तक पोर्न देखता रहा। फिर बंद कर दिया कि पता नहीं दोनों कब लौट आये। मेरा सोचना सही निकला, टीवी बंद करते ही घंटी बज गयी, बाहर दोनों सामान से लदी हुई खड़ी थी। दोनों का सामान उन के हाथों से ले कर मैं अंदर आ गया। बीवी बोली कि मैं तो थोड़ा सा सामान लायी हूँ बाकि तो माया का है। मैं कुछ नहीं बोला।

रात को खाना खाने के बाद मैं पैग बना कर टीवी देखने बैठ गया, दोनों बहनें बेडरुम में थी, तभी माया आयी और मेरे गिलास से सिप मार कर बोली कि स्वाद तो अच्छा है, मैंने पुछा कि पैग बनाऊँ तो वह बोली कि नहीं अभी नहीं। वह वापस चली गयी। मैं अपना पैग खत्म कर के दूसरा पैग बना कर बैठ गया। पैग खत्म होने के बाद सोने चला गया। रात को बिस्तर पर पत्नी तैयार मिली और काफी दिनों के बाद दोनों ने जोरदार सेक्स का आनंद उठाया।

अगला दिन सोमवार था सो मैं तो ऑफिस के लिये चला गया। शाम तक मेरी किसी से कोई बात नहीं हुई। जब घर आया तो पत्नी से पुछा कि कैसा दिन बीता तो वह बोली कि पता ही नहीं चला कि दिन कब बीत गया। हम दोनों बातें बनाने में लगी रही, फिर इसे जरुरी सामान दिलाने के लिये बाजार चली गयी। वहाँ से वापस आये तो तुम ऑफिस से आ गये हो, अब चाय पी कर रात के खाने की तैयारी करते है।

रात को खाने पर पत्नी बोली कि मुझे तीन दिन के लिये बहन के पास जाना है, क्या करुँ, मैंने कहा तुम और माया दोनों चली जाओं तो माया बोली कि मैं तो वही से आयी हूँ अब वहाँ नहीं जाना चाहती। उस की बात सुन कर मैं चुप हो गया। पत्नी बोली कि मेरे पीछे माया के होने से तुम्हें कोई परेशानी नहीं होगी, इसी को केवल समय अकेले बिताना पड़ेगा। पत्नी की बात सुन कर माया बोली कि उस की तो मुझे आदत है।

मैंने उसी समय दूसरे दिन की पत्नी की ट्रेन की टिकट बुक करा दी। ट्रेन दोपहर में जाती थी सो अगले दिन ऑफिस से बीच में आ कर पत्नी को ट्रेन में बिठा आया और वापस ऑफिस आ गया। शाम को जब घर पहुँचा तो माया बोली कि दोपहर में आप फोन तो कर सकते थे? मैंने उसे बताया कि मुझे ऑफिस में दम मारने की फुर्सत नहीं मिलती है। इसी वजह से घ्यान में होने के बावजूद फोन करना भुल गया।

मैंने इस के लिये माया से सॉरी कहा तो वह बोली कि सॉरी माँगने की जरुरत नहीं है, जाते समय दीदी सब बता कर गयी है कि इन्हें ऑफिस जा कर घर फोन करने का समय नहीं मिलता है इस लिये चिन्ता मत करना और ना नाराज होना। ये ऐसे ही है। उस की बात सुन कर मैं मुस्करा दिया और बोला कि चलों मेरी प्रशंसा शुरु हो गयी।

मैंने माया से पुछा कि तुम्हें पता है क्यों तुम्हारी दीदी तुम्हें और मुझे अकेला छोड़ गयी है? उस ने ना में सर हिलाया तो मैंने कहा कि वह हम दोनों को चैक करना चाहती है। माया को विश्वास नहीं हुआ, मैंने उसे बताया कि वह जितनी सीधी है, उतनी ही तेज है लेकिन वह तेजी दिखाती नहीं है। इस लिये हम दोनों अच्छें बच्चें बन कर रहेगे। मेरी बात पर वह भी मुस्करा दी और बोली कि होगा तो वही जो दीदी चाहती है। मैंने हाँ में सर हिलाया।

वह बोली कि मुझ से कोई गल्ती हो जाये तो मुझे बता जरुर देना। मैं बोला कि क्या बताऊँगा कि तुम ने नमक कम डाला है या चीनी कम है, छोडो़ं अब हम दोनों की यह सब करने की उम्र नहीं रही। तुम जो करोगी सही करोगी ऐसा मेरा विश्वास है।

मेरी बात पर माया बोली कि मुझ पर इतनी जल्दी इतना विश्वास कैसे हो गया? जैसे तुम को हो गया है, वैसे ही मुझ को हो गया है। मेरी बात पर वह बोली कि दीदी सही कहती है कि आप से बातों में कोई नही जीत सकता।

फिर वह मेरी नाक हिला कर चाय बनाने चली गयी। रात के खाने पर मैंने पुछा कि सारा दिन क्या करा? तो वह बोली कि आप के जाने के बाद नहा धो कर घर साफ करके मैं तो सोने चली गयी और दोपहर तक सोती रही। और सोती रहती लेकिन दीदी के फोन ने जगा दिया। वह पहुँच गयी थी इसी बात की सुचना उन्होनें मुझे दी थी।

इसके बाद मैंने नाश्ता या कहो खाना बनाया और खाने के बाद कपड़ें वगैरहा लगाने लग गयी। पुराना सब वही छोड़ दिया था सो सब कुछ नया लेना पड़ रहा है। इसी में लगी थी कि आप आ गये थे। खाने के बाद हम दोनों कुछ देर बातें करते रहे, मैं बहुत थका था सो सोने चला गया, कब नींद आ गयी पता ही नहीं चला।
 
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Motaland2468

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इस कहानी की शुरुआत एक शादी में हुई थी। रिश्तेदार की लड़की की शादी थी सो जाना जरुरी था। शादी के बहाने ही कितनों से मुलाकात का अवसर मिल जाता है। शादी में एक नजदीकी रिश्तेदार महिला जो 35-36 साल की होगी उनसे मुलाकात हुई। महिला सुलझी हुई और आधुनिक विचारों की थी। बातें होने लगी। जयमाला होने के बाद खाने का कार्यक्रम हुआ, इसके बाद में फेरे वगैरहा होने में समय था तभी मेरी परिचित रिश्तेदार आयी और मुझ से अनुरोध किया कि मैं उन की कजिन को उस के घर तक अपनी कार से ले जाऊँ। उसे कपड़ें बदल कर आने थे। मेरे पास समय बिताने के लिए कुछ नही था सो मैं तैयार हो गया। जब वो कजिन आई तो पता चला कि ये तो वही महिला है जिन का जिक्र मैंने ऊपर किया था। मैं अपनी गाड़ी की तरफ चला तो उन्होने कहा कि वह अपनी गाड़ी लाई है। केवल रात होने के कारण उन की बहन उन्हें अकेली नही जाने दे रही है। मैंने कहा अच्छी बात है।

हम दोनों उन की कार की तरफ चल दिये। कार उन की थी इस लिए कार वह ही ड्राईव कर रही थी। छोटे शहरों के रास्ते वहाँ के रहने वाले ही अच्छी तरह से जानते है। 10 मिनट के बाद हम उनके घर पहुंच गये। उन्होने घर का दरवाजा खोला और कार को पोर्च में खड़ा कर दिया। दरवाजा खोल कर घर में प्रवेश किया। पति व्यापार के सिलसिले में शहर से बाहर गये हुऐ थे। कोई घर में कोई और नही था। वह मेरे से बोली कि 10-15 मिनट लगेगे उन्हें तैयार होने में, क्या मैं एक कप चाय लेना चाहुँगा? मैंने हाँ कहा। थोड़ी देर में वह चाय का कप देकर कपड़ें बदलने चली गई। मैं चाय का सिप भर ही रहा था कि उन की आवाज आई कि जीजा जी जरा अन्दर आयेगे। मैंने पुछा कहाँ तो उन्होने बताया कि साथ वाले दरवाजे से आऊँ।

मैं अन्दर चला गया, यह कमरा बैडरुम था। माया जी कपड़ें बदल रही थी। वह बोली की उन के ब्लाउज की जिप फंस गई है और खुल नही रही है। मैं उसे खोल दुँ। माया ने अपने सामने के हिस्से पर एक तोलिया डाल रखा था। उस के ब्लाउज की जिप फंस गई थी और खुल नही रही थी। मैं बड़ी असमंजस से उन की पीठ की तरफ बढा और ब्लाउज की जिप को हाथ लगाया। मेरे हाथ कांप रहे थे पहला मौका था जब पत्नी के अलावा किसी अन्य महिला की पीठ को हाथ लगाया था। अपनी घबराहट को काबु में कर के मैंने जिप को नीचे की तरफ खीचने की कोशिश की लेकिन जिप टस से मस नही हुई। पास से जा कर देखा तो पता चला कि जिप का हुक टुट गया था और वह जिप को खुलने नही दे रहा था।

उस का एक ही उपाय था की जिप को तोड़ा जाये, मैंने माया से पुछा की कोई छोटा पेचकस होंगा। उसने कहा कि वह ढुढ़ती है। एक दराज में पेचकस मिल गया। मैंने माया की पीठ को रोशनी की तरफ करके पेचकस को जिप के हुक के अन्दर फँसा कर उसे चौड़ा करने का प्रयास किया मेरी ऊंगलियाँ उस की पीठ और ब्लाउज के बीच फंसी थी। कंरट सा शरीर में दौड रहा था। आखिर कोशिश रंग लायी और हुक लुज हो गया। मैंने ऊंगलियों से पकड़ कर उसे नीचे की तरफ करा। माया ने कहा कि इसे पुरा खोल कर ब्लाउज को पुरा खोल दूँ। मैने ऐसा की किया। गोरी चिकनी सपाट पीठ मेरे सामने थी। मैं अपना थुक सटक रहा था। मैंने हटने की कोशिश की तो माया ने कहा कि जब इतनी जहमत ऊँठाई है तो ईनाम तो बनता है। मैं चुप रहा तब तक उसने तोलिये के साथ ही ब्लाउज को हटा दिया। मेरे सामने गोरे पुष्ट भरे हुये उरोज तने हुये खड़े थे। मैं इस घटना के लिए तैयार नही था। सकपका गया था। माया ने कहा कि जीजा जी अब इतने भी शरीफ ना बनो।

और मेरे हाथों को पकड़ कर उसने अपने उरोजों पर रख लिया। मुझे जोर का झटका लगा। लेकिन मैंने उन्हें हल्के से सहला कर कहा कि ठन्ड लग जाऐगी कुछ और पहन लो।

माया बोली जीजाजी आज आप शादी में कहर ढ़ा रहे थे, तभी मैने सोचा था कि कैसे आप से मिलु? दीदी ने मौका दे दिया। अब तो जो मेरी मर्जी होगी सो मैं करुगी।

मैंने कहा तुम्हारे काबू में हुँ जो मर्जी करो। खदिम हूँ।

वह यह सुन कर हंस दी और बोली कि आप इतने भोले भी नही है जितने नजर आते है।

मैंने कहा ये तो तुम्हारी नजरों का असर है।

मैने माया से कहा कि आज तो तुम भी कहर ढ़ा रही थी। वह बोली मुझे तो पता नही चला कि आप पर इस का कोई असर हुआ है। मैंने कहा मैडम रात को आप के साथ खिदमतदार बन कर खड़ें है बताओ और क्या करे?

मैने उसके होठों को चुमने का प्रयास किया तो उसने कहा कि मेकअप खराब हो जाऐगा।

मैंने उसे अपने से थोड़ी दूर कर दिया तो वह बोली कि लिपिस्टक तो दुबारा लगानी ही पड़ेगी कपड़ों के कलर की। यह तो कर सकते है फिर वह आगे आ कर मुझ से लिपट गई। मैंने कहा कि माया मेरे शर्ट पर कहीं दाग न लग जाये।

कोट तो मैंने पहले ही उतार दिया था, कमीज के बटन माया ने खोल दिये और उसे उतार दिया अब मैं कोई बहाना नही कर सकता था। मैंने उसे आंलिगन मे ले लिया और जोर से उसके होंठों को चुमने लगा। वह भी खुब चुम रही थी। हम दोनों ऐसे लग रहे थे मानो कोई प्रेमी-प्रेमिका वर्षो के बाद मिले हो। मेकअप की वजह से कहीं और चुमना सम्भव नही था। मैं चेहरा झुका कर उसके उरोजों के मध्य उतर गया। एक हाथ से सहला रहा था तथा दुसरें को होंठो से चुम रहा था। माया भी खुब साथ दे रही थी। उत्तेजना के कारण उसके चुचुंक आधा इचं से ज्यादा बड़े हो चुके थे। उन को पीने में मजा आ रहा था।

अहा हाहहहहहहा

उहहह आआहहहह आहहहहहहह

ओहहहहहहहहहहह आहह...

उस ने जो लहंगा पहना हुआ था वह अभी उतारा नही था। मैंने खोलने की कोशिश की तो पता चला कि वह भी जिप वाला है।

माया ने साइड से जिप खोल कर उस को नीचे गिरा दिया। मैंने उसे उठा कर बेड पर लिटा दिया और लहंगे को फर्श से उठा कर बेड के किनारे पर रख दिया।

माया मेरे सामने पुरी नंगी पड़ी थी। मेरी परेशानी यह थी कि मैं सुट पहने हुऐ था। शर्ट के अलावा और भी कपड़ें मेरे बदन पर थे। उन का आगे के कार्यक्रम में खराब होने का फुल चांस था। क्या करुँ?

माया ने मेरी पेंट की बेल्ट खोल कर उसे नीचे सरका कर अंडरवियर को भी खिसका दिया और बोली देखिये मैं आप के दिमाग को पढ़ सकती हुँ।

इस सब में मेरे लिंग ने पुरा तनाव ले लिया था और तन कर सलाम ठोक रहा था। माया ने उसे हाथों में ले कर सहलाया और मुंह में ले लिया। मैंने माया से कहा कि हमारे पास ज्यादा समय नही है उसे तय करना है कि कैसे करें।

उसने लिंग को मुँह से निकाल कर अपने पैरों को बेड से नीचे कर लिया और उन्हें फैला लिया। अब मेरे सामने उसकी चूत खुली पडी थी मैंने अपने लिंग के सुपारे को उसके मुँह पर रखा और योनि में डालने की कोशिश की माया की योनि तो बहुत कसी हुई थी। तब तलक माया ने अपने हाथ से पकड के मेरे लिंग को अन्दर डाल लिया। अन्दर तो इतना गिलापन था कि वह अपने आप सरक कर गहरे तक उतर गया।

आह हहहहहह आहहहह आहहह

माया दर्द से चिल्लाने लगी।

मैंने डर कर लिंग को बाहर निकाल लिया। इस पर वह बोली कि आवाज से भी डरते हैं?

मैंने कहा मुझे लगा कि दर्द हो रहा है

हां दर्द तो हो रहा है लेकिन इसी दर्द के लिये तो यह सब हो रहा है।

डालो

मैंने फिर से डाल दिया। माया ने अपने दोनों हाथो को मेरे कुल्हों के पीछे से ऐसे जकड़ लिया कि मैं अब लिंग निकाल ना सकुँ।

मजा तो अब शुरु हुआ था।

मैंने जोर-जोर से धक्कें मारनें शुरु कर दिये। फच फच की आवाज आने लगी।

माया ने भी चुतड़ उठा कर साथ दिया।

मैं फर्श पर खड़ा था और कमर से झुक कर माया के स्तनों को चुम रहा था।

जल्दी झडने का डर नही था लेकिन इसे ज्यादा देर तक नही कर सकते थे। इस के बाद माया को तैयार भी होना था।

5 मिनट के बाद मैंने माया को उलटा करके पेट के बल लिटा दिया। इस से मुझे आराम हो गया। अब मैं माया की योनि में पीछे की तरफ से प्रवेश कर सकता था। ऐसा ही मैंने किया।

जोर-जोर से झटके मारने के कारण माया के चुतड़ों पर चोट पड़ रही थी। वह लाल हो गये थे मैंने लिंग निकाल कर उसकी गुदा के मुख पर रखा तो माया बोली गांड़ मारने के बाद मैं वहाँ कैसे बैठुगी यह तो सोचिए। मैने फिर से लिंग को योनि में डाल दिया।

इसी बीच माया डिस्चार्ज हो गई। मैंने सांस रोक कर बडे जोर-जोर से लिंग को अन्दर बाहर करना शुरु किया। थोडी ही देर में मैं भी डिस्चार्ज हो गया।

मैं भी माया के बगल में लेट गया।

मैंने उठ कर माया से पुछा कि टिशु पेपर है उसने इशारे से बताया। मैंने टिशु पेपर निकाल कर अपने लिंग को साफ किया और माया की चूत को भी पोंछा। माया ने करवट बदल कर टिशु पेपर ले कर अपने नीचे के हिस्से को भी अच्छी तरह से पोंछा और उठ कर बैठ गई।

आप अब मेरी कपड़ें पहनने में मदद करो तो मैं जल्दी तैयार हो जाऊँगी।

मैंने कहा बंदा हाजिर है पहले मैं शर्ट पहन कर कपड़ें सही कर लुँ।

मैंने जब तक अपने कपड़ें सही तरह से पहने माया बाथरुम से फ्रैश हो कर आ गई। इस के बाद मैंने उसे ब्लाउज पहनने में मदद करी और पेटीकोट पहना कर साड़ी भी बाँध दी। इस साड़ी मे तो वो और भी सुन्दर लग रही थी।

उसने शीशे में देख कर अपनी लिपस्टिक लगाई। मेकअप टच अप किया। मेरी तरफ घूम कर देखा और कहा कि आप भी टचअप कर लो। मैंने उस से कहा कि वह देख कर कर दे। उस ने मेरे बालों में कंधी की और टाई को सही कर दिया।

आप तो जँच रहे है

चले

एक बार घूम कर देख ले कही कोई कमी तो नही रह गई है।

मैंने उस के चारों ओर घूम कर देखा और हाँ में सर हिलाया।

मैंने कहा कि छाती पर एक बार टचअप कर ले रंग अलग लग रहा है। वह हंसी और बोली आदमी तो वही पर नजर डालेगे।

मैने कहा कि मैं तो सहायता कर रहा हूँ।

उस ने वहाँ पर पफ लगाया और सेंट छिडका। मैं उस से दूर हट गया।

अब दूर क्यों हो रहे हो?

सेंट तुम्हारी पहचान है मुझे परेशानी में डाल देगी।

वो हंसी

आप तो छुपे रूस्तम निकले।

आप के साथ का असर है।

जीजा जी आप तो ऐसे ना थे

आप की सोहबत का असर है

पहले पता होता तो और मजा आता

जो मिल जाये वही काफी है

चले

हाँ

मैंने कोट पहना शीशे में खुद को निहारा।

सही

जोरदार

माया ने दरवाजा बन्द किया और गाड़ी स्टार्ट कर बाहर निकाली मैंने बाहर के दरवाजे पर ताला लगा दिया। फिर माया कि बगल में बैठ गया।

रास्ते में माया ने कहा कि उसके कुल्हों में दर्द हो रहा है मैंने कहा ये तो होना नही चाहिये। ज्यादा जोर तो नही लगाया था।

आप मर्द लोग अपने बल को समझ नही पाते है।

हमारे लिए तो इतना ही काफी है।

अगर मौका मिलता तो पावं कन्धे पर रख कर के करता।

तब तो हो चुका था

अभी ही हालत खराब है।

ध्यान रखना। वहाँ कोई समस्या ना खडी हो।

आप को लगता है मैं कुछ ऐसा करुँगी?

जिसे अपने मनमर्जी की चीज मिली हो वह शिकायत क्यों करेगा।

लेकिन लगता है कि मेरी बहन को आप बहुत तंग करते होगे वो तो दर्द से कराहती होगी

कराहेगी तो जब, जब प्यार करेगी। उसे तो करे महीनों बीत गये है मेरे लबों पर अपनी कहानी आ गई।

आप की कहानी भी मेरी जैसी है।

मैंने आश्चर्य से पुछा, ऐसा क्या?

आज कितने सालों के बाद मैंने यह आनंद लिया है। ये तो सालों से कुछ नही करते।

मैं चुप चाप बैठा रहा। मैंने अपना हाथ उसके हाथ पर रख कर दबाया। वह खोखली हँसी। आप को देख कर मैं आज धैर्य खो बेठी लेकिन मुझे गर्व है कि मैं आप के साथ हुँ।

मैंने उस का हाथ और जोर से दबाया।

तभी मंजिल आ गई। गाड़ी खडी कर के माया औरतों के झुड़ में खो गई और मैं पुरुषों के पास चला आया।

शादी की रस्में शुरु होने वाली थी। हम समय से आ गये थे। मेरे फोन की घन्टी बजी। देखा तो अन्जाना नम्बर था।

उठाया तो जानी पहचानी हँसी थी।

कोई और आवाज नही आई। जरुरत भी नही थी।

अज्ञात के नाम से सेव कर लिया।

इस आशा से कि शायद कभी फोन आयेगा।

और जब आया तो मेरे लिए असमंजस की स्थिती खड़ी कर दी।...........
Congratulations for new story.aapko story likhta dekh kar bahut khushi huyi.next story incest likhiyega
 

Motaland2468

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माया से पहली मुलाकात बहुत रोमांचक थी। मुझे वह बहुत रहस्यमय लगी। उस के बारें में ज्यादा पता नहीं कर पाया, इस लिये रहस्य बना ही रहा। एक दिन ऑफिस में काम कर रहा था तभी फोन बजा, जब उठाया तो नंबर देख कर आश्चर्य से भर उठा।

दूसरी तरफ से वही रहस्यमयी आवाज थी, यहाँ रीगल होटल में रुम नम्बर 202 में ठहरी हूँ तुम्हारा इंतजार कर रही हूँ, बताओं कितनी जल्दी आ सकते हो ? एक ही साँस में इतने सवाल सुन कर पहले तो मैं अचकचा गया, कुछ बोलता इस से पहले ही खनखनाती हूई आवाज ने कहा कि मैं आप का इंतजार कर रही हूँ। इतना कह कर उस ने फोन काट दिया।

मैं हैरान था कि अब क्या होने वाला है, यह यहाँ क्या करने आयी है? और मुझ से क्यों मिलना चाहती है? इन सब सवालों का जवाब मुझे वही जा कर मिलने वाला था। इस लिये मैंने हॉफ-डे ऑफ लिया और कार ले कर होटल रीगल की तरफ चल दिया। आधे घंटे के बाद होटल पहुँच कर दूसरी मंजिल पर रुम नम्बर 202 की बेल बजाई। दरवाजा खुला और मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अंदर घसीट लिया गया।
मैं हैरान सा होटल के सूट में खड़ा था मेरा हाथ माया के हाथ में था। वह मेरे से लिपट गयी और मैंने भी उसे बांहों में भर लिया। कुछ देर तक हम दोनों ऐसे ही एक-दूसरें से लिपटें खड़ें रहे, फिर अलग हो गये। मैं कुर्सी पर बैठ गया और वह मेरे सामने बेड पर पाँव ऊपर करके बैठ गयी। अभी तक मैं चुप था, मुझे चुप देख कर माया बोली कि क्या शॉक लग गया है ? मैंने हाँ में गरदन हिलायी तो वह हँसती हूई बोली कि ऐसा क्या किया है मैंने जो इतने हैरान है? मैं अभी भी चुप था।



1
यह देख कर वह बेड से उठी और मुझे झकझौर कर बोली कि सपना नहीं देख रहे है, सच में मैं ही हूँ। मैंने कहा कि शॉक तो तुम्हारें फोन से लगा था कि तुम अचानक यहाँ कैसे? लेकिन अब विश्वास हो गया है कि तुम ही हो, मायावी माया। मेरी बात पर उस की खनकती हूई हँसी मेरे कानों में घुल गयी। वह बोली कि आप के सिवा मैं किसी के पास नहीं जा सकती हूँ इस लिये यहाँ चली आयी। मुझे अभी तक कुछ समझ नहीं आया था। वह मेरा चेहरा देख कर बोली कि

आप को कुछ पता नहीं है ?

क्या कुछ ?

मेरे बारे में कुछ भी ?

नहीं
मेरी इतनी चिन्ता करते है ?

तुम्हारी चिन्ता नहीं करता

क्यों ?

तुम अपनी चिन्ता खुद कर सकती हो, ऐसा मेरा मानना है

इस लिये मेरे बारे में कुछ पता नहीं रखते

अब बता भी दो, क्या हुआ है ?

सच बोल रहे है

हाँ भई हाँ

मैं आजाद हो गयी हूँ

किस से

अपने बंधन से

कुछ समझा नहीं

इनकी मृत्यु हो गयी है, चार महीने पहले

सॉरी, मुझे पता नहीं था

आप क्यों सॉरी हैं

तुम्हारें साथ बुरा हुआ

कौन कह रहा है कि बुरा हुआ है

मैं कुछ समझा नहीं

उस रात के बाद भी कुछ समझ नहीं आया था आप को

कुछ-कुछ समझ आया था लेकिन इस बारें में ज्यादा पता नहीं कर पाया

अच्छा किया पता नहीं किया, कोई कुछ बताता नहीं

क्या हुआ?

अचानक हार्ट अटैक आया और कुछ कर नहीं पाये।
मैं अब उस संबध से आजाद हूँ, मुझे कोई रोल करने की आवश्यकता नहीं है। सारा बिजनेस मेरे नाम हो गया है और मैंने उसे बेच कर यहाँ बसने का फैसला कर लिया है।

बढिया है

आप को मेरा साथ देना है, मैं आप के पास ही आयी हूँ या यह कहे की आप के सर पर लदने आ गयी हूँ।



2

कोई बात नहीं है, तुम्हारा साथ जरुर दुँगा, आखिर साली जो हो

खाली साली ?

कोई नाम देना जरुरी है ?

नहीं मुझे किसी नाम की अब जरुरत नहीं है, मुझे बस आप का साथ चाहिये।

इतनी बड़ी बात इतनी आसानी से कैसे कह सकती हो ?

आप के साथ इतने कम समय रह कर ही मैं आप को पहचान गयी हूँ, तभी तो इतना बड़ा फैसला किया है। मेरी नजरें पहचानने में धोखा नहीं खाती है।

पहले क्या करोगी ?

मकान खरीदूँगी, कुछ के बारें में पता किया है, आप के साथ चल कर देख लेती हूँ।

तुम्हारी दीदी को कैसे बताना है ?

वो सब आप मुझ पर छोड़ों, मैं सब संभाल लुँगी। आप तो अपनी कहो।

अब और क्या सुनना चाहती हो ?

जो सुनना चाहती हूँ वह पता है कि नहीं हो सकता है।

क्या नहीं हो सकता है, इतना सब तो हो चुका है।

वह तो अचानक हुआ था, अब जो होगा वह सोच समझ कर होगा।

हाँ यह तो है उस की तैयारी करनी पड़ेगी। सोचना पड़ेगा कि उस का सब पर क्या असर पड़ेगा ?
सोचने का ही काम है अब मेरे पास, और कोई काम नहीं है, पैसे की चिन्ता नहीं है। जीवन को दूबारा पटरी पर लाने की सोच रही हूँ।

वह भी पटरी पर आ जायेगी। चिन्ता मत करों।

यह कह कर मैं कुर्सी से उठा और माया को बेड से उठा कर अपने से आलिंगन बद्ध कर लिया, वह भी लता की तरह मेरे से लिपट गयी। मेरे होंठ उस के होंठों से जुड़ गये और हम दोनों चुम्बनलीन हो गये। मेरी बाँहों का कसाब उस की पीठ पर कस रहा था, वह बोली कि दम मत निकालों, नहीं तो किसी काम की नहीं रहुँगी। यह सुन कर मैंने बाँहों का कसाब ढ़ीला किया। फिर उसे बाँहों से मुक्त कर दिया।
हम दोनों बेड के किनारे पर बैठ गये। कुछ देर चुप रहने के बाद मैंने उस से पुछा कि खाना खा लिया है? तो वह बोली कि नहीं यहाँ आ कर तुम्हारा चेहरा देखे बिना कुछ खाना नहीं था। उस की यह बात सुन कर मैंने उस से कहा कि जब मेरे से इतना प्यार है तो बीच में कभी याद क्यों नहीं किया?

वह बोली कि इस प्यार की वजह से ही तो जिन्दा हूँ नहीं तो कब की मर जाती, लेकिन लाज-शर्म की वजह से और दीदी को धोखा देने के भय से अपने पर काबु रखा, लेकिन अब काबु नहीं रहा। इस लिये आप के पास चली आयी।

मैंने उस की पीठ के पीछे से बाँह कर के उसे अपने से सटा लिया। हम दोनों के पास शब्द खत्म हो गये थे। काफी देर तक दोनों ऐसे ही बैठे रहे। फिर मैंने कहा कि चलों कहीं बाहर चलते है खाना खाने। माया बोली यही सही रहेगा। हम दोनों ने अपने कपड़ें सही किये और रुम का दरवाजा लॉक करके दोनों निकल लिये। होटल से कार ले कर मैं एक रेस्टारेंट में आ गया। यहाँ हम दोनों नें भरपेट खाना खाया।

खाने के बाद माया बोली कि मुझे कुछ कपड़ें खरीदने है कहीं चलो। मैंने कहा चलो चलते है और हम दोनों एक बड़ी मॉल के लिये चल दिये।

मॉल पहुँच कर माया की आँखें चौधियाँ गयी और वह बोली कि मैं तो यहाँ पागल हो जाऊँगी। मैंने कहा कि वह तो तुम पहले से ही हो दुबारा क्या होगी? तो वह मेरी तरफ आँखें तरेर कर बोली कि अच्छा ऐसे विचार है आप के मेरे बारे में।

मैं हँस दिया और हम दोनों कपड़ों की बड़ी दूकान में घुस गये। कुछ वेस्टर्न कपड़ें खरीदने के बाद मैंने माया से कहा कि मैडम कुछ अंडर गारमेंट भी ले लो तो वह बोली कि आप ने अच्छा याद दिलाया। हम अंडर गारमेंट के सेक्शन में आ गये। मैंने सेल्सगर्ल को बुला कर कहा कि मैडम का सही साइज ले कर मैडम को ब्रा दिखायो और पेंटी सेट भी दो। मेरी बात सुन कर माया ने मुझे हैरानी से देखा तो मैंने उस से आँखें चुरा ली।

वह सेल्सगर्ल के साथ चली गयी। काफी देर बाद ट्रायल रुम से बाहर आ कर मेरी बाँह पकड़ कर बोली कि आप को कैसे पता कि मेरा साइज गलत है ? मैं मुस्कराया तो वह बोली कि मैं तो भुल ही जाती हूँ कि आप तो ऑलराउंडर है। मैंने सर झुका कर धन्यवाद दिया तो वह मेरी चुकुटी काट कर बोली कि ऐसा कुछ है जो आप को पता नहीं है ?

मैं हँस गया और बोला कि बहुत कुछ है जो मैं नहीं जानता। वह और मैं बिल देने के लिये काउंटर पर पहुँच गये। उस ने पर्स से कैश निकाल कर भुगतान कर दिया। सामान ले कर हम मॉल से बाहर निकले तो शाम घिर आयी थी, मैंने पुछा कि खाना खाना है तो वह बोली कि होटल में रुम में ऑडर कर देगे।

उस की बात मान कर मैं कार की तरफ चल दिया। सामान कार में रख कर हम दोनों वापस होटल के लिये चल दिये। होटल पहुँच कर सामान ले कर उस के रुम पर आ गये। वह बोली कि बोलों क्या खाना खाना है? मैंने कहा कि जो उसे पसन्द हो, मेरी बात सुन कर वह फोन पर ऑडर करने लग गयी।

इस के बाद मेरी तरफ घुम कर बोली कि उस दिन तो आप ने ऊपर हाथ ही लगाया था फिर भी आप को कैसे पता चला कि मेरी ब्रा का साइज गलत था। मैंने कहा कि तुम्हारें ब्लाउज उतारते ही मुझे पता चल गया था कि तुम्हारा साइज गलत है, वह बोली कि ऐसा कैसे पता चला? मैंने कहा कि नजर है पता चल जाता है। वह हँसी और बोली कि आप की इस बात से मेरी चिन्ता बढ़ गयी है कि मेरा प्रेमी कितनों को जानता है?

मैं उस की बात सुन कर बोला कि दो को ही जानता हूँ एक तुम्हारी बहन यानी मेरी बीवी और अब दूसरी तुम, इस पर तुम विश्वास करो या ना करो लेकिन यही सही है। वह मुस्करायी और बोली कि इस बात पर विश्वास नहीं होता कि कोई व्यक्ति एक बार में ही खुले वक्ष को देख कर बता दे कि ब्रा गलत साइज की पहन रखी है। लेकिन उस दिन तो ब्रा भी नहीं पहन रखी थी।


3

मैंने उसे बताया कि उस का ब्लाउज उस की छाती पर इतना कसा था कि उस का वक्ष सामने से दबा हुआ था, इसी लिये मैंने कहा कि तुम्हारी ब्रा का साइज गलत है। ब्लाउज का साइज भी गलत था। इतनी सी बात है यह बात पहली बार में ही पकड़ ली थी। मेरी बात सुन कर उस के चेहरे पर संतोष के भाव आये।

मैंने उसे बताया कि मैं देख कर एक-दो एमएम का अंतर भी पकड़ सकता हूँ, तुम्हारा तो इंच से ज्यादा का था। वह हँस कर दोहरी हो गयी और बोली कि आप की माया आप ही जानो, लेकिन मैं तो डर गयी थी कि आप ऐसे विषय पर इतनी जानकारी कैसे रखते है? तभी बेल बजी और वेटर खाना ले कर आया और खाना लगा कर चला गया।

हम दोनों खाना खाने लगे, खाना खाने के बाद मैंने माया से पुछा कि कल का क्या प्रोग्राम है तो वह बोली कि कल मैं दीदी को फोन करके बात करती हूँ फिर पता चलेगा क्या करना है। रात हो रही थी इस लिये मैं उस से विदा ले कर वापस घर चला आया।

सुबह जब ऑफिस पहुँचा तो कुछ देर बाद ही पत्नी का फोन आया कि माया यहाँ आई हुई है और होटल में रुकी हुई है, तुम उसे होटल से लेकर घर छोड़ जाओं, वह मुर्ख मेरे होते हुये होटल में रुकी है। उस से पुछा कि कौन सा होटल है और रुम नंबर क्या है। उस ने सब मुझे बता दिया, मैं ऑफिस से निकल कर होटल पहुँचा और माया का चैक आऊट करा कर उस का सामान गाड़ी में रख कर घर की तरफ चल दिया।

रास्तें में मैंने उस से पुछा कि कपड़ों के थेलें कहाँ है? तो वह बोली कि कपड़ों के टैग वगैरहा हटा कर उन के थेलें फैक दिये है, दीदी को पता नहीं चलना चाहिये कि कल मैं आप के साथ थी, नहीं तो सब कुछ गड़बड़ हो जायेगा। मैं मुस्करा दिया घर पहुँच कर दोनों बहनें गले मिल कर रोने लगी।

पति की मौत के बाद माया पहली बार पत्नी से मिली थी। जब दोनों शांत हो गयी तो मैंने पत्नी से पुछा कि और कोई काम तो नहीं है, नहीं तो मैं वापिस ऑफिस जाऊँ, तो बीवी बोली कि नहीं इसे यहाँ छोड़ना था, अब तुम ऑफिस चले जाओ।
शाम को आते में कुछ काम हुआ तो मैं बता दूँगी। मैं ऑफिस के लिये निकल गया। शाम को जब ऑफिस से निकलने लगा तो पत्नी से फोन करके पुछा कि कहो तो खाना लेता आऊँ तो वह बोली कि मैं भी यही कहने वाली थी जो तुम्हें पसन्द हो लेते आना।

मैं आते में तीन लोगों के लिये खाना लेता आया। जब सब खाना खाने बैठे तो माया बोली कि जीजा जी आप की पसन्द तो बढ़िया है, खाना स्वादिष्ट है। पत्नी बोली कि इन की पसन्द तो लाजवाव है इस के दो राय नहीं है।

मैं चुपचाप अपनी प्रशंसा सुनता रहा। रात तो जब सोने लगे तो पत्नी ने बताया कि अब माया इसी शहर में रहेगी। उसे पास में ही कोई मकान दिलवाना है। ताकि हम उस का ध्यान रख सके। मैं उस की बात सुनता रहा। मैंने कुछ ज्यादा नहीं पुछा, क्योंकि मैं उस के मन में शंक उत्पन्न नहीं करना चाहता था।

सुबह रविवार था सो ऑफिस नहीं जाना था, सुबह बिस्तर में ही था कि माया चाय ले कर आ गयी। यह देख कर बीवी बोली कि तुझें यह सब करने की आवश्यकता नहीं है। माया बोली कि जैसे तुम चाय बना कर लाती वैसे ही मैं भी ले आयी हूँ इस में क्या बात है?

उस की बात सुन कर पत्नी से जबाव नहीं दिया गया। तीनों चाय पीने लगे। चाय पीने के बाद मैं बाहर अखबार लेने चला गया। अखबार ले कर बाहर के कमरे में उसे पढ़ने बैठ गया। तभी माया आयी और बोली कि जीजा जी नाश्ते में क्या खाना है?

उस की बात सुन कर मैं बोला कि माया अब यह ज्यादा हो रहा है अभी तो आयी हो थोड़ा आराम कर लो, बाद में यह सब काम कर लेना। वह बोली कि आप भी दीदी के साथ मिल गये है। मैंने कहा कि हाँ उस के साथ ही हूँ कुछ दिन आराम करो फिर सब कर लेना, अभी तो कुछ दिन दीदी के आथिथ्य का आनंद लो।

तभी पत्नी भी आ गयी और बोली कि अब तो तेरे जीजा जी ने भी कह दिया है, उन की बात तो तुम मानती ही हो। माया बोली कि यह तो आप दोनों गलत बात कर रहे हो। ऐसे तो मैं आलसी बन जाऊँगी। पत्नी बोली कि, तु चिन्ता मत कर बहुत काम करायेंगे हम दोनों।

माया बोली कि अब क्या करुँ ? मैंने कहा कि नहा लो, सामान वगैरहा निकाल कर अलमारी में सजा लो। दीदी के साथ मिल कर घर देख लो। बहुत काम है करने के लिये। दोपहर में मैं तुम्हें काम बताऊँगा।

वह मेरी बात सुन कर मुस्करा कर चली गयी। पत्नी बोली कि आज पहली बार इस के चेहरे पर मुस्कराहट देखी है, तुम्हारी बात मान लेती है। मैंने कहा कि जीजा भी तो हूँ मैं। पत्नी भी चली गयी और मैं अखबार पढ़ने में मग्न हो गया।

कुछ देर बाद मेरे कानों में आवाज पड़ी कि आज क्या सारा अखबार चाटना है? सर उठा कर देखा को माया गिले सिर पर तौलिया लपेटे खड़ी थी। बड़ी सुन्दर लग रही थी। मैंने उसे देखा और अखबार बंद कर के रख दिया। फिर उस को देख कर पुछा कि साली जी बताओ क्या आज्ञा है? वह बोली कि नहा ले नहीं तो ऐसे ही नाश्ता करने के लिये चले। मैंने कहा कि एक दिन तो मिलता है देर से नहाने का, इस लिये ऐसे ही नाश्ता दे दो।

यह कह कर मैं उस के साथ चल दिया। वह आगे चल रही थी और मैं पीछे-पीछे उस की मस्त हथिनी की जैसी चाल देख रहा था। डाइनिग टेबल पर पत्नी नाश्ता लगा कर इंतजार कर रही थी। मुझे देख कर बोली कि अब तुझे पता चला कि तेरे ये पसन्दीदा जीजा जी कैसे है, छुठ्ठी के दिन तो इन से कोई भी काम करवाना बहुत मुश्किल काम है।

मैंने दोनों से माफी माँगी और कहा कि तुम आवाज दे देती, मैं आ जाता। मेरी बात सुन कर दोनों हँस पड़ी कि आप को सच में नहीं पता कि हम दोनों कितनी देर से आप को आवाज दे रहे थें। मैंने कानों को हाथ लगा कर कहा कि सच में, मैं अखबार पढ़ने में इतना डुब गया था कि कुछ भी ध्यान नहीं रहा। यह कह कर मैं मेज पर नाश्तें की प्लेट अपने आगे करके बैठ गया। माया बोली कि अब आप कुछ देर इंतजार करों, चाय दूबारा बनानी पड़ेगी। यह कह कर वह किचन में चली गयी।

पत्नी ने मेरी तरफ आँखें तरेर कर कहा कि आज तो पता नहीं तुम कहाँ खो गये थे। पहले तो ऐसे नहीं थे। मैंने कहा कि यार सच में अखबार पढ़ने में कुछ सुनायी ही नहीं दिया। कुछ देर बाद माया चाय ले कर आ गयी और हम तीनों चाय के साथ नाश्ता करने लगे। पत्नी बोली कि अब पहले नहाने जाना फिर और कोई काम करना। नहीं तो शाम तक ऐसे ही घुमते रहोगे।

उस की बात सुन कर माया बोली कि नहाने में भी बहाने, मैंने उसे देख कर कहा कि भाई आज के दिन हम एक दिन के बादशाह है इस लिये माबदौलत कोई काम नहीं करते है। मेरी बात पर दोनों हँस कर दोहरी हो गयी। मैं उन को हँसता छोड़ कर नहाने भाग गया। लेकिन जब नहा लिया तो पता चला कि तौलिया तो ले कर आया ही नहीं था। अब क्या करुँ ? पत्नी को आवाज लगायी तो माया की आवाज आयी की क्या है?

मैंने कहा कि दीदी को भेज, वह हँस कर पत्नी को बुलाने चली गयी। पत्नी के आने पर मैंने उसे बताया कि मेरा तौलिया बाहर रह गया है उसे दे दो। पत्नी भी हँस कर चली गयी किसी की आवाज आयी तो मैंने हाथ बाहर निकाला तो तौलिये की जगह हाथ पकड़ लिया, मुझे लगा कि पत्नी मजाक कर रही है, मैंने उसे डाट कर कहा कि यार अभी मजाक करने की सुझी है जब तुम्हारी बहन घर में है नहीं तो मैं ऐसे ही बाहर आ जाता, मेरी बात पर किसी परिचित की खनकती हँसी सुनायी दी और हाथ में तौलिया पकड़ा दिया गया।

मैं जब तौलिया लपेट कर बाहर आया तो देखा कि कोने में माया खड़ी मुझे देख रही थी। उस के इस रुप से मुझे डर लगा कि कहीं पत्नी को सब पता ना चल जाये लेकिन इस पर उसे कुछ कहना उचित ना समझ कर मैं बेडरुम में कपड़ें पहनने चला गया। कपड़ें पहन कर निकला तो देखा कि माया अभी तक वहीं खड़ी थी। मुझे देख कर बोली कि गीला तौलिया मुझे दे दे, मैं उसे सुखा कर आती हूँ यह कह कर वह तौलिया मेरे हाथ से ले कर चली गयी।
मैं पत्नी को ढुढ़ने लगा तो वह मुझे मिली नहीं, जब छत पर पहुँचा तो मैडम वहाँ कपड़ें सुखा रही थी। माया भी बहन के साथ कपड़ें सुखाने में मदद कर रही थी। मुझे देख कर दोनों बोली कि अब साहब खुद ही सुखने के लिये आ गये है। मैं हँस पड़ा और बोला कि हाँ ऐसा कह सकती हो।

मुझे कपड़ों में देख कर पत्नी बोली कि कहीं जा रहे हो तो मैं बोला कि बाहर जा रहा हूँ कुछ मगाँना तो नहीं है तो वह बोली कि माया को साथ ले जाओ, इसे यहाँ के बारे में पता चल जायेगा। पनीर लेते आना। फिर वह माया से बोली कि जो सब्जी तुझे पसन्द हो वह भी लेतीआना।

मैं स्कूटर निकाल कर माया को बिठा कर बाजार को चला तो वह बोली कि आप से अच्छा तो मैं चला लेती हूँ, मैंने कहा कि कार ज्यादा चलाने के कारण स्कुटर अब तेज नहीं चलता है। बाजार पहुँच कर मैं माया को साथ ले कर सब्जी खरीदने चल दिया तो माया बोली कि आप किस लिये बाजार आये थे?

मैं चुप रहा तो वह बोली कि क्या मेरे साथ आने के लिये बहाना किया था। मैंने कहा कि नहीं मुझे यहाँ से कुछ खरीदना था सो आना पड़ा तो वह बोली कि अब खरीद क्यों नहीं रहे? मैंने कहा कि पहले तुम सब्जी खरीद लो, पनीर ले लो फिर वापिस जाते में मैं उसे भी खरीद लुगा।

वह चुप रही, उस का सामान खरीदने के बाद मैं वाइन की दूकान के सामने माया को खड़ा करके अंदर चला गया तो माया भी मेरे साथ ही अंदर आ गयी और बोली की बाहर बहुत धुप है। मैंने स्काच की बोतल खरीदी और जब बाहर आया तो माया बोली कि सीधी तरह से नहीं बता सकते थे कि शराब लेनी है। मैंने कहा कि पता नहीं था कि तुम कैसे रियेक्ट करती ? इस लिये झिझक रहा था।

वह बोली कि मैं भी पी लेती हूँ। आगे से ध्यान रखना, मैंने पुछा कोई खास पसन्द तो वह बोली कि रेड वाइन पसन्द है लेकिन आज नहीं, नहीं तो दीदी को जबाव देना मुश्किल हो जायेगा। अब आप के साथ कुछ और मजा आयेगा।

रास्ते भर हम दोनों चुप रहे। पत्नी को सारा सामान दे कर मैं बोतल अलमारी में रखने चला गया। वापस लौटा तो बीवी बोली कि साली से क्या शर्म ? जब पीते हो तो पीते हो। मैंने कहाँ कि मुझे कोई शर्म नहीं है। बात यहीं खत्म हो गयी।

दोपहर के खाने के बाद मैं सोने चला गया। हफ्तें भर की नींद की पूर्ति आज ही हो पाती है। शाम को पत्नी ने झकझौर कर उठाया और कहा कि चलो उठ कर चाय पी लो। मैं उठ कर डाइगरुम में आ गया। मेज पर चाय के साथ पकोड़ें रखे थे। मैंने प्रश्नवाचक निगाहों से पत्नी की तरफ देखा तो वह बोली की तुम्हारी साली ने बनाये है, बोली कि पकोड़ें तो जीजा जी को अच्छे लगते होगे?

मैंने माया कि तरफ देख कर कहा कि पकोड़ों के लिये धन्यवाद तुम्हारी दीदी और पकोड़ों का छत्तीस का आकड़ा है, मेरी इस बात पर पत्नी ने मेरी तरफ आँख तरेर कर देखा। हम तीनों पकोड़ों का आनंद उठाने लगे। पकोड़ें स्वादिष्ट बने थे। खा कर मजा आ गया। पत्नी बोली कि अब तुम्हारी साली तुम्हारें ऐसे शौकों को पुरा करेगी।

पत्नी बोली कि हम दोनों बाजार घुमने जा रहे है। तुम्हें कोई काम तो नहीं है? मैंने ना में सर हिलाया। दोनों तैयार हो कर बाजार चली गयी। मैं अकेला घर में रह गया। मैंने फोन चैक किया कि कहीं माया की कॉल तो नहीं पड़ी है लेकिन कोई कॉल नहीं थी।

बैठ कर टीवी पर पोर्न देखने बैठ गया। सेक्स की ललक जग रही थी लेकिन पता नहीं था कि कब करने का मौका मिलेगा। पत्नी जी की हाँ का कोई पता नहीं था। माया के साथ करने की सोच भी नहीं सकता था। कोई भी जल्दबाजी भारी पड़ सकती थी।

कोई रास्ता ना देख कर पोर्न ही देख कर काम चलाना पड़ रहा था। दो घंटे तक पोर्न देखता रहा। फिर बंद कर दिया कि पता नहीं दोनों कब लौट आये। मेरा सोचना सही निकला, टीवी बंद करते ही घंटी बज गयी, बाहर दोनों सामान से लदी हुई खड़ी थी। दोनों का सामान उन के हाथों से ले कर मैं अंदर आ गया। बीवी बोली कि मैं तो थोड़ा सा सामान लायी हूँ बाकि तो माया का है। मैं कुछ नहीं बोला।

रात को खाना खाने के बाद मैं पैग बना कर टीवी देखने बैठ गया, दोनों बहनें बेडरुम में थी, तभी माया आयी और मेरे गिलास से सिप मार कर बोली कि स्वाद तो अच्छा है, मैंने पुछा कि पैग बनाऊँ तो वह बोली कि नहीं अभी नहीं। वह वापस चली गयी। मैं अपना पैग खत्म कर के दूसरा पैग बना कर बैठ गया। पैग खत्म होने के बाद सोने चला गया। रात को बिस्तर पर पत्नी तैयार मिली और काफी दिनों के बाद दोनों ने जोरदार सेक्स का आनंद उठाया।

अगला दिन सोमवार था सो मैं तो ऑफिस के लिये चला गया। शाम तक मेरी किसी से कोई बात नहीं हुई। जब घर आया तो पत्नी से पुछा कि कैसा दिन बीता तो वह बोली कि पता ही नहीं चला कि दिन कब बीत गया। हम दोनों बातें बनाने में लगी रही, फिर इसे जरुरी सामान दिलाने के लिये बाजार चली गयी। वहाँ से वापस आये तो तुम ऑफिस से आ गये हो, अब चाय पी कर रात के खाने की तैयारी करते है।

रात को खाने पर पत्नी बोली कि मुझे तीन दिन के लिये बहन के पास जाना है, क्या करुँ, मैंने कहा तुम और माया दोनों चली जाओं तो माया बोली कि मैं तो वही से आयी हूँ अब वहाँ नहीं जाना चाहती। उस की बात सुन कर मैं चुप हो गया। पत्नी बोली कि मेरे पीछे माया के होने से तुम्हें कोई परेशानी नहीं होगी, इसी को केवल समय अकेले बिताना पड़ेगा। पत्नी की बात सुन कर माया बोली कि उस की तो मुझे आदत है।

मैंने उसी समय दूसरे दिन की पत्नी की ट्रेन की टिकट बुक करा दी। ट्रेन दोपहर में जाती थी सो अगले दिन ऑफिस से बीच में आ कर पत्नी को ट्रेन में बिठा आया और वापस ऑफिस आ गया। शाम को जब घर पहुँचा तो माया बोली कि दोपहर में आप फोन तो कर सकते थे? मैंने उसे बताया कि मुझे ऑफिस में दम मारने की फुर्सत नहीं मिलती है। इसी वजह से घ्यान में होने के बावजूद फोन करना भुल गया।

मैंने इस के लिये माया से सॉरी कहा तो वह बोली कि सॉरी माँगने की जरुरत नहीं है, जाते समय दीदी सब बता कर गयी है कि इन्हें ऑफिस जा कर घर फोन करने का समय नहीं मिलता है इस लिये चिन्ता मत करना और ना नाराज होना। ये ऐसे ही है। उस की बात सुन कर मैं मुस्करा दिया और बोला कि चलों मेरी प्रशंसा शुरु हो गयी।

मैंने माया से पुछा कि तुम्हें पता है क्यों तुम्हारी दीदी तुम्हें और मुझे अकेला छोड़ गयी है? उस ने ना में सर हिलाया तो मैंने कहा कि वह हम दोनों को चैक करना चाहती है। माया को विश्वास नहीं हुआ, मैंने उसे बताया कि वह जितनी सीधी है, उतनी ही तेज है लेकिन वह तेजी दिखाती नहीं है। इस लिये हम दोनों अच्छें बच्चें बन कर रहेगे। मेरी बात पर वह भी मुस्करा दी और बोली कि होगा तो वही जो दीदी चाहती है। मैंने हाँ में सर हिलाया।

वह बोली कि मुझ से कोई गल्ती हो जाये तो मुझे बता जरुर देना। मैं बोला कि क्या बताऊँगा कि तुम ने नमक कम डाला है या चीनी कम है, छोडो़ं अब हम दोनों की यह सब करने की उम्र नहीं रही। तुम जो करोगी सही करोगी ऐसा मेरा विश्वास है।

मेरी बात पर माया बोली कि मुझ पर इतनी जल्दी इतना विश्वास कैसे हो गया? जैसे तुम को हो गया है, वैसे ही मुझ को हो गया है। मेरी बात पर वह बोली कि दीदी सही कहती है कि आप से बातों में कोई नही जीत सकता।

फिर वह मेरी नाक हिला कर चाय बनाने चली गयी। रात के खाने पर मैंने पुछा कि सारा दिन क्या करा? तो वह बोली कि आप के जाने के बाद नहा धो कर घर साफ करके मैं तो सोने चली गयी और दोपहर तक सोती रही। और सोती रहती लेकिन दीदी के फोन ने जगा दिया। वह पहुँच गयी थी इसी बात की सुचना उन्होनें मुझे दी थी।


इसके बाद मैंने नाश्ता या कहो खाना बनाया और खाने के बाद कपड़ें वगैरहा लगाने लग गयी। पुराना सब वही छोड़ दिया था सो सब कुछ नया लेना पड़ रहा है। इसी में लगी थी कि आप आ गये थे। खाने के बाद हम दोनों कुछ देर बातें करते रहे, मैं बहुत थका था सो सोने चला गया, कब नींद आ गयी पता ही नहीं चला।
Jaandaar shaandar mazedaar update
 

Umakant007

चरित्रं विचित्रं..
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Please mention the original writer on Xforum Stories by katha_vachak
 

arushi_dayal

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Please mention the original writer on Xforum Stories by katha_vachak
yes this is not my story. i posted it here because i like it. the credit goes to katha vachak.
 
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xf1

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