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Adultery शीला की लीला (५५ साल की शीला की जवानी)

vakharia

Supreme
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Bahut hi shandar update he vakharia Bhai,

Mausi ne apne bhosde ki aag bhujwane ke liye rasik se kavita ka sauda kar liya...............

Kavita bhi ab sabkuch jaan chuki he............jald hi vo bhi raik ke neeche aane wali he.......

Keep rocking Bro
Thanks a lot Ajju Landwalia ♥️ ♥️
Looking forward to your comments on the latest update...
 

Premkumar65

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वैशाली और पीयूष बाइक पर जा रहे थे.. पीयूष बातें कर रहा था पर वैशाली जवाब नहीं दे रही थी.. वो चुपचाप पीछे की सीट पर बैठी रही.. पीयूष कैसे भी वैशाली से संवाद स्थापित करना चाहता था पर वो कुछ बोल ही नहीं रही.. उसकी खामोशी को तोड़ने के लिए उसने मज़ाक भी किया और उसे गुस्सा भी दिलाया.. पर वो मौन ही रही..

आखिर पीयूष का रफ ड्राइविंग देखकर उसने अपना मौन तोड़ा..

"ओर थोड़ा फास्ट चला.. कम से कम इस ज़िंदगी से तो छुटकारा मिलें.. " निराश वैशाली ने कहा

पीयूष: "अरे यार.. कैसी अशुभ बातें कर रही थी.. तुझे अभी मारना थोड़े ही है.. अगर तेरी किस्मत में मौत लिखी होती तो आत्महत्या की कोशिश के बाद तू कैसे बच जाती?? मैं तो इसलिए ऐसे चला रहा हूँ क्यों की मुझे मरना है" मज़ाक करते हुए पीयूष ने कहा.. वैशाली को बोलते हुए देख वो खुश हुआ..

बेफिक्री से बाइक को तेज चलाते हुए वो तेजी से ऊबड़-खाबड़ रास्तों पर जा रहा था.. अचानक धड़ाम से बाइक एक खड्डे में गिरा पर पीयूष ने कंट्रोल कर लिया इसलिए वे दोनों गिरे नहीं.. वैशाली ने पीयूष का कंधा पकड़ लिया वरना वो जरूर गिर पड़ती..

"क्या कर रहा है तू? कैसे बाइक चला रहा है यार.. !! अभी हम दोनों मर जाते.. !!" वैशाली ने परेशान होते हुए कहा

पीयूष: "ऑफ कोर्स तुझे मारने के लिए.. अभी अभी तो तूने कहा.. की ज़िंदगी से छुटकारा चाहिए तुझे.. अब फट गई तेरी??"

वैशाली: "डर नहीं रही.. पर चिंता तो होगी ना.. !!"

पीयूष: "ओह.. क्या बात है.. !! मतलब मेरी चिंता करने वाला भी दुनिया में कोई है.. !!"

वैशाली: "ज्यादा रोमियोगिरी मत कर.. और सीधे सीधे बाइक चला.. " पीयूष को धमकाते हुए उसने कहा.. हम-उम्र दोस्त कितनी आसानी से एक दूसरे को किसी भी सदमे से उभरने में मदद कर सकते है.. !!

एक कॉफी शॉप के पास पीयूष ने बाइक रोक दी.. वैशाली चुपचाप उतर गई.. दोनों अंदर गए.. और एक टेबल पर बैठ गए..

एक वेटर ने आकर कहा "सर, वहाँ कॉर्नर सीट भी खाली है.. और कपल रूम भी अवेलेबल है.. सिर्फ 300 रुपये एक्स्ट्रा"

"ओके ओके.. थेंक्स.. पर हम कपल नहीं है" पीयूष ने हँसते हँसते कहा

"शरमाइए मत सर.. एकदम सैफ है.. और यहाँ आने वाले ज्यादातर कपल होते भी नहीं है.. " वेटर ने पीयूष को आँख मारते हुए कहा

"बहुत हुआ.. अब मुंह बंद कर.. और चलता बन.. एक बार मना किया ना तुझे?" पीयूष ने गुस्से से कहा

"ओके ओके.. सॉरी सर.. " वेटर चला गया

"साले, कैसे कैसे मार्केटिंग करते है!! भाई बहन को भी कपल समझ ले, ये लोग..!!" पीयूष ने कहा

"हम दोनों भाई बहन है क्या?" वैशाली ने सवाल किया

"अरे यार.. मैंने तो बस उदाहरण के रूप में कहा.."

"तो फिर ऐसा कहना चाहिए था की पड़ोसी को कपल बना दिया"

"तुझे जैसा ठीक लगे.. तू बचपन से ऐसी ही है.. हमेशा अपनी बात को सच साबित करना चाहती है.. " बचपन की बात सुनते ही वैशाली थोड़ी सी जज्बाती हो गई पर उसे अच्छा लगा

पीयूष: "अब मैं जो भी कह रहा हूँ वो ध्यान से सुन.. मैं तुझे वयस्क बुजुर्ग लोगों की तरह सलाह नहीं दूंगा.. पर एक दोस्त होने के नाते बता रहा हूँ.. तेरे साथ जो कुछ भी हुआ वो ठीक नहीं हुआ.. पर अब जो हो गया सो हो गया.. तू कितनी भी उदास होकर रहेगी.. उससे तेरा भूतकाल बदलने वाला नहीं है.. और ना ही उस चूतिये को इससे कोई फरक पड़ेगा.. वो साला तो उस रोजी की बाहों में पड़े पड़े बिस्तर गरम कर रहा होगा.. फिर तू क्यों उसे याद करके अपनी ज़िंदगी खराब कर रही है.. !!"

कॉफी के घूंट लगाते हुए पीयूष ने कहा और फिर बात आगे बढ़ाई.. "तू यहाँ से गई तब कितनी सुंदर और खुश लग रही थी.. तेरा चेहरा खिले हुए गुलाब जैसा था.. और अब देख अपना चेहरा आईने में?? मैं ये नहीं कह रहा की जो हुआ उसका तुझे दुख नहीं हुआ होगा.. बोलना आसान है पर जिस पर गुजरती है वही असलियत जानता है.. ये मैं समझता हूँ.. पर अगर मेरी बातों पर गौर करेगी तो तुझे समझ में आएगा.. तू अपने मन, शरीर और अपने माता-पिता को क्यों दुखी कर रही है?? ये तेरी जवानी के सामने.. एक नहीं हजार संजय तेरे कदमों में गिरने के लिए तैयार हो जाएंगे.. ऐसा कातिल हुस्न है तेरा.. " कहते कहते पीयूष ने वैशाली का हाथ पकड़ लिया.. वैशाली ने उसे रोका नहीं

वो वेटर फिर से टेबल के पास आकर बोला "सर, आपको अगर प्राइवसी चाहिए तो 300 रुपये खर्च कर दीजिए.. पर ऐसे टेबल पर ही शुरू मत हो जाइए.. यहाँ ओर कस्टमर भी है आस पास.. जरा ध्यान रखिए"

"ओके ओके.. आई एम सॉरी" सज्जनता पूर्वक पीयूष ने माफी मांगी..

वैशाली ने उस वेटर से पूछा "कपल रूम कहाँ है?" सुनते ही पीयूष चोंक उठा

"आइए मैडम.. मैं आपको दिखाता हूँ.. सर से तो ज्यादा आप फॉरवर्ड हो" वैशाली की तारीफ करते हुए वो वेटर उन्हें एक कमरे तक ले गया.. एक छोटी सी चेम्बर थी.. वैशाली अंदर गई और पीयूष भी उसके पीछे पीछे अंदर गया..

"अच्छा सुनो.. आधे घंटे बाद दो प्लेट समोसे ले कर आना.. और तब तक हमें डिस्टर्ब मत करना.. " वैशाली ने वेटर से कहा

"चिंता मत कीजिए मैडम.. आप को कोई डिस्टर्ब नहीं करेगा.. बस जाते जाते मुझे टिप जरूर दीजिएगा.. !!" कहते हुए वेटर खुश होकर चला गया..

पीयूष और वैशाली दोनों बेड पर बैठ गए..

पीयूष ने अपनी बात आगे बढ़ाई "क्या तुझे नहीं लगता की संजय को भूलकर तुझे आगे बढ़ना चाहिए? कब तक बीती हुई बातों को याद करके रोती रहेगी? जो हो गया उसे भूल कर.. अपने पैरों पर खड़े होने की कोशिश कर.. कहीं जॉब जॉइन कर ले.. अच्छा लड़का ढूंढ.. ऐसा लड़का जो ना सिर्फ तेरे जिस्म को बल्कि तेरे दिल को भी चाहें.. ऐसा लड़का मिलते ही बिना वक्त गँवाए उसे आई लव यू बोल दे.. और ये सुनिश्चित कर की वो तुझे खुश रखें.. खुश रहने के लिए खुश होने का इरादा भी जरूरी होता है.. तेरी इस जवानी का उपयोग कर.. तेरी सुंदरता से पुरुषों को अपनी उंगलियों पर नचा..ज्यादातर मर्द इसी लायक होते है.. अगर तूने ऐसा नहीं किया तो फिर से कोई संजय आकर तुझे बर्बाद कर देगा.. तुझे इस्तेमाल करके फेंक देगा.. तुझे क्यों नींद की गोलियां खानी पड़ीं?? तूने ऐसा क्यों कुछ नहीं किया की संजय को खुद गोलियाँ खानी पड़ें??" एक सांस में बहोत कुछ बोल गया पीयूष

ये सुनकर वैशाली के चेहरे की रेखाएं बदलने लगी.. जैसे जैसे पीयूष की बातें उसके दिमाग में उतरती गई वैसे वैसे उसके चेहरे पर चमक आने लगी..

थोड़ी देर के लिए चेम्बर में सन्नाटा छाया रहा.. विचारों में डूब गई वैशाली.. वैशाली ने सामने रखे ग्लास से पानी पिया.. चेहरे पर उदासी अब भी बरकरार थी पर पानी पीने से गीले हो चुके होंठ बहोत ही सुंदर लग रहे थे..

काफी देर तक जब वैशाली ने कुछ नहीं कहा तब पीयूष बोला "मेरी बातों का बुरा मान गई क्या?" पीयूष ने फिर से वैशाली का हाथ पकड़ लिया.. शायद वैशाली को ये पसंद न आयें.. ये सोचकर उसने हाथ छोड़ दिया.. उसकी आँखों में आँखें डालकर अपना खोया हुआ आत्मविश्वास ढूंढ रहा था पीयूष.. वैशाली की आँखों में दृढ़ निश्चय के भाव देखकर पीयूष की आँखों में चमक सी आ गई

वैशाली जैसे मन ही मन में तय कर लिया था की.. बस, अब बहोत हुआ.. अब तक की ज़िंदगी तो संजय ने तबाह कर दी थी.. पर अब आगे के जीवन को मैं बर्बाद नहीं होने दूँगी.. वैशाली के भावों में आ रहे सकारात्मक बदलाव को पीयूष आश्चर्यसह देखता ही रहा

वैशाली का दिमाग तेजी से चल रहा था,. वो सोच रही थी.. मैंने संजय को अपना सब कुछ समर्पित कर दिया और फिर भी उसने मुझे धोखा दिया.. !! वो चूतिया रोजी को चोदकर आता था.. और उस कमीनी रोजी की चूत के पानी से गीला लंड, साला मेरे मुंह में डालता था.. !! छी.. मादरचोद साला.. वैशाली के चेहरे पर क्रोध की रेखाओं को देखकर पीयूष समझ गया की वो संजय को याद कर रही थी

अब वैशाली ने सामने से पीयूष का हाथ पकड़ लिया.. निःसंकोच होकर.. और उसकी हथेली को चूम लिया.. चेम्बर के अंदर जल रहे लाल रंग के बल्ब की हल्की रोशनी में चमक रहे पीयूष के हेंडसम चेहरे को देखते हुए वैशाली ने कहा "तेरी बात सौ फीसदी सच है.. जो हो गया है उसे याद करके मैं और दुखी होना नहीं चाहती हूँ.. पर क्या करूँ यार!! पुरानी यादें दिमाग से हटती ही नहीं है.. चाहे कितनी भी कोशिश कर लूँ.. अब तू ही मुझे इन यादों से मुक्त होने में मदद कर.. !!"

वैशाली ने अभी भी पीयूष की हथेली को पकड़ रखा था.. पीयूष खड़ा हुआ और वैशाली के पीछे आया.. उसके कंधों को हल्के हल्के मसाज करता रहा.. उसका स्पर्श वैशाली को बहोत अच्छा लगा.. गर्दन झुकाते हुए उसने पीयूष के हाथ पर अपना सर रख दिया.. और फिर विचारों में खो गई.. पीयूष समझ गया की वैशाली वापिस अपने भूतकाल की यादों में खोने लगी थी.. इसलिए अब उसने ऐसी बातें करना शुरू कर दिया जो वैशाली को उन बुरी यादों से दूर रख सकें..

"याद है वैशाली.. उस दिन हमें जब वो ऑटो वाला उसके मकान पर ले गया था.. जो अभी बन रहा था.. वहाँ उस रेत के ढेर में हमने कितने मजे किए थे.. !! कितनी मस्ती कर रही थी तू उस दिन.. !! मैं तो तेरी हरकतों से पागल सा हो गया था.. जब हम छोटे थे तब तू मुझे लाइन मारती थी पर जब मैं तेरे बॉल की तरफ देखता था तब तू उन्हें दुपट्टे से ढँक लेती थी.. तुझे याद होगा.. ट्यूशन में जब हम साथ बैठते थे.. तब में अपनी कुहनी तेरे बबलों पर मारता रहता था.. और तू कितना गुस्सा करती थी!!" खराब भूतकाल को भूलने की सब से बेहतरीन जड़ीबूटी है अच्छे भूतकाल को याद करना..!!

स्कूल के वो दिन और किशोरावस्था का वो अदम्य विजातीय आकर्षण याद आते ही वैशाली को ऐसा महसूस हुआ जैसे वो फिर से सोलह साल की हो गई हो.. वो चुपचाप पीयूष की बातें सुनती रही.. जब हफ्तों तक स्त्री को किसी पुरुष का प्रेमभरा स्पर्श न मिला हो.. और लंबे अवकाश के बाद जब कोई मर्द उसे छु लेता है.. तब शरीर में अजीब सी हलचल होने लगती है.. शर्म और चारित्र के खोखले बक्से में बंद वासना रूपी शेर को कंट्रोल करने में उसे कितनी तकलीफ हुई होगी.. ये किसी ने नहीं सोचा था.. !! पीयूष के हाथ वैशाली के कंधों से सरककर उसके ड्रेस के अंदर घुस गए.. और उसने वैशाली की चूचियों को मजबूती से निचोड़ दिया.. स्तब्ध हो गई वैशाली.. और उसकी आँखों से आँसू बरसने लगे.. वो कैसा महसूस कर रही थी वो खुद तय नहीं कर पा रही थी.. मित्र भाव था या प्रेम.. या वासना या फिर संजय के प्रति नफरत..!!

लंबे अरसे से पुरुष के स्पर्श और संसर्ग के बिना सुषुप्त अवस्था में आ चुकी कामेच्छा को, जैसे पीयूष ने झकझोर कर जागा दिया था.. दोनों हाथों से उसके भव्य स्तनों को दबा रहे पीयूष ने उसकी निप्पलों को मरोड़ना शुरू कर दिया.. और इतने जोर से दबाया की वैशाली दर्द से कराह उठी..


"आह्ह.. पीयूष.. दर्द हो रहा है.. जरा धीरे धीरे कर.. बट डॉन्ट स्टॉप.. आई लाइक इट.. !!"

अब पीयूष निश्चिंत होकर वैशाली के स्तनों को अधिकार से दबाता रहा.. वैशाली के मदमस्त बबलों को दबाते हुए वो उत्तेजित हो रहा था..

"सेक्स करने का मन कर रहा है ना तुझे, वैशाली?? तू खुद को उंगली तो करती है ना.. !! या सब भूल गई.. इसलिए तेरी जवानी मुरझाए हुए फूल जैसी हो गई है.. फूल हो या चूत.. उसे समय समय पर पानी न पिलाया जाएँ तो वो मुरझा ही जाते है.. !!"

"ओह्ह पीयूष.. अब जोर से दबा.. आह्ह.. ओर जोर से मसल.. इशशशश.. " वैशाली अब सम्पूर्ण तौर पर कामदेव के प्रभाव तले आ चुकी थी.. "आह्ह पीयूष.. अब कंट्रोल नहीं होता" बेरहमी से स्तनों को मसल रहे पीयूष के हाथों को उसने अपने ड्रेस से बाहर निकाला.. और कुर्सी से खड़ी हो गई.. और पीयूष को अपनी बाहों में भरकर चूमने लगी.. काफी देर तक ये लीप किस चलती रही.. जब वेटर ने दरवाजे पर दस्तक दी तब दोनों का वास्तविकता का ज्ञान हुआ और फिर से नॉर्मल हो गए..

पीयूष ने दरवाजा खोला.. वैशाली को बहोत संकोच हो रहा था.. वो उत्तेजना के कारण थरथर कांप रही थी.. वेटर ने टेबल पर समोसे की प्लेट रख दी और चला गया.. पीयूष ने दरवाजा बंद कर दिया..

"आई एम सॉरी पीयूष.. बहोत दिन हो गए इसलिए मैं अपना कंट्रोल खो बैठी.. मुझे अभी भी कुछ कुछ हो रहा है..आई फ़ील सो हॉट.. प्लीज चल यहाँ से चले जाते है.. वरना मुझ से कोई गलती हो जाएगी.. मुझे अभी घर जाकर मास्टरबेट करना पड़ेगा.. !!"

वैशाली को इतना उत्तेजित देखकर पीयूष समझ गया की ये लड़की हवस और सदमे दोनों को साथ में संभालते हुए थक गई थी.. जिस्मानी जरूरतें गुर्रा रहे सांड की तरह बेकाबू हो रही थी.. और इस कपल रूम में कुछ भी करना खतरे से खाली नहीं था..

वैशाली को सांत्वना देते हुए उसने कहा "थोड़ी देर के लिए अपने आप को संभाल लें.. हम घर जाकर.. मेरे रूम में ही करेंगे.. मैं जब बुलाऊँ तब तू आ जाना.. और हाँ.. ये लैपटॉप की बैटरी अपने पास रख.. उसे देने के बहाने चली आना.. मैं जब फोन करूँ तब तू शीला भाभी से कहना की तू ये बैटरी देना भूल गई थी और मुझे देने आ रही है.. किसी को शक नहीं होगा.. मेरा भी बहोत मन कर रहा है वैशाली.. कविता से मुझे कोई शिकायत नहीं है यार पर ये तेरी बड़ी बड़ी छातियाँ देखकर.. उफ्फ़.. मुझ से रहा नहीं जाता.. !!"

"बड़ा तो मुझे भी पसंद है.. अब यहाँ बातें करके ही मुझे झड़वा देगा क्या?? कितनी प्यारी बातें करता है तू.. कोई कैसे तुझे मना कर पाएगा.. !!"

"चल अब फटाफट समोसे खा ले.. और तेरे इन विराट बबलों को दुपट्टे से ढँक ले जरा.. मेरा लंड इन्हें देखकर अंदर उछल रहा है.. तेरे बबलों के बीच की ये रेखा.. हाय.. कितने जबरदस्त चुचे है तेरे वैशाली.. !!" लंड को हाथ से दबाते हुए सामने की कुर्सी पर बैठी वैशाली के अर्धनग्न स्तनों के बीच की खाई को छूते हुए बोला पीयूष..

आँखें बंद कर सिसकें लगी वैशाली.. "आह्ह पीयूष.. ऐसा मत कर.. मुझे कुछ कुछ हो रहा है.. चल अब चलते है.. तेरे दोस्त के घर लैपटॉप देने भी तो जाना है"

"अरे मुझे किसी दोस्त के घर लैपटॉप नहीं देना था.. कंपनी का लैपटॉप है.. चिमनलाल की जागीर नहीं.. ये तो तेरी उदासी छटाने के लिए तेरी अति-सुंदर मम्मी ने मुझे रीक्वेस्ट की थी इसलिए बहाना बनाया था मैंने.. और मैं खुश हूँ की मैं ऐसा करने में सफल रहा.. शीला भाभी भी तुझे हँसता हुआ देखकर खुश हो जाएगी.. वैशाली.. अपने जज़्बातों को उन्हीं लोगों के लिए आरक्षित रखना चाहिए जिन्हें हमारी कदर हो.. संजय जैसे नालायक के लिए क्यों आँसू बहाना?? चल अब टाइम वेस्ट मत कर.. और समोसे खाना शुरू कर.. " कहते हुए एक समोसा वैशाली को देकर दूसरा खुद खाने लगा पीयूष

वैशाली गदगद हो गई.. इतने लंबे अरसे के दुख भरे दिनों के बाद.. आज वो खुश हुई थी.. दोनों ने फटाफट समोसे खतम कीये और खुशी खुशी कॉफी शॉप के बाहर निकलने लगे.. वो वेटर तभी आ टपका.. "सर, आशा है की आपको और मैडम को मज़ा आया होगा.. मुसकुराते हुए वो वैशाली के अस्तव्यस्त कपड़े और शर्म से लाल चेहरे को देख रहा था.. सारे वेटर वैशाली के मदमस्त उरोजों को तांकते हुए पीयूष की ओर ईर्ष्या के भाव से देख रहे थे.. उनकी भूखी नज़रों को अपने स्तनों पर महसूस करते हुए वैशाली को बड़ा अजीब लग रहा था.. पर वो क्या करती? अपने गदराए स्तनों को कैसे उनकी नज़रों से छुपाती??

पीयूष ने पेमेंट और टिप चुकाई तब तक सारे वेटर तसल्ली से वैशाली के स्तनों का चक्षु-चोदन करते रहे..

वैशाली पीयूष के पीछे बाइक पर बैठ गई.. और पीयूष ने तेजी से बाइक को घर की तरफ दौड़ा दी.. ऐसा लग रहा था जैसे बाइक को पीयूष नहीं.. पर उसका उत्तेजित लंड चला रहा था.. आते वक्त तो वैशाली ने उसे तेज बाइक चलाने से टोका था.. पर अब वो खुद चाह रही थी की पीयूष और तेज बाइक चलाएं और जल्दी से जल्दी घर पहुंचा दे.. अपने विशाल स्तनों को पीयूष की पीठ पर टेककर.. उसको दोनों कंधों से पकड़े रखा था.. स्त्री हो या स्तन.. टिकने के लिए उन्हें आधार की जरूरत तो पड़ती ही है..

तेजी से चलाते हुए थोड़ी ही मिनटों में दोनों शीला के घर के बाहर आ गए.. वैशाली को वहाँ छोड़कर वो अपने घर पहुँच गया..

वैशाली ने अपनी चाबी से घर खोला.. यहाँ वहाँ देखने पर भी मम्मी कहीं नजर नहीं आई.. उसने धीरे से उनके बेडरूम का दरवाजा खोला.. शीला घोड़ी बनी हुई थी और मदन पीछे से उसे पेल रहा था.. दोनों ही मादरजात नंगे थे..




स्तब्ध हो गई वैशाली.. सेक्स की आखिरी पलों में मगन मम्मी और पापा को देखकर उसने चुपके से दरवाजा बंद कर दिया.. गनीमत थी की मदन और शीला की पीठ दरवाजे के तरफ थी.. इसलिए वो देख्न न पाएं.. सामने भी होते तो वो दोनों चुदाई में इतने डूब चुके थे की वैशाली की मौजूदगी का एहसास भी न होता दोनों को..

वैशाली घर से बाहर निकली और पीयूष के घर की तरफ चल दी.. थोड़ी क्षणों पहले जो द्रश्य उसने देखा था वो नज़रों के सामने से हट नहीं रहा था.. पापा मम्मी को घोड़ी बनाकर कैसे चोद रहे थे.. !! इस उम्र में भी दोनों कितने ऐक्टिव है.. !! आज उसे मम्मी के सौन्दर्य का राज पता चला.. जब इतनी मजबूत ठुकाई नियमित रूप से मिलती हो.. तब किसी भी औरत का चेहरा सुंदर और खिला हुआ रहेगा..

पहले से ही उत्तेजित वैशाली.. अपने माँ-बाप की चुदाई को देखकर और व्यग्र हो गई.. उसका शरीर थरथर कांप रहा था.. एक तो वो कपल रूम में पीयूष ने बबले दबाकर चूत को पहले से ही गीला कर रखा था.. ऊपर से मम्मी-पापा को मस्ती से छोड़ते हुए देखकर.. पेन्टी में बाढ़ आ चुकी थी.. चलते हुए भी वैशाली को चिपचिपाहट का एहसास हो रहा था.. अब वैशाली का शरीर और मन दोनों.. मर्द के संसर्ग के लिए बेबस हो चुका था

वो पीयूष के घर के दरवाजे पर ही थी तभी पीयूष का फोन आया उसके मोबाइल पर..

"अरे, तू पहुँच भी गई.. !! बहोत मस्ती चढ़ी है तुझे ऐसा लगता है.. रहा नहीं जाता ना.. !! चल जल्दी.. मेरे लंड की हालत भी कुछ ऐसी ही है.. " हाथ पकड़कर लगभग घसीटते हुए वैशाली को अपने घर के अंदर ले गया पीयूष.. और लात मारकर दरवाजा बंद कर दिया..

"घर पर कोई नहीं है क्या?" वैशाली ने पूछा

"मम्मी मंदिर गई है.. एक घंटे से पहले नहीं आने वाली.. और पापा दुकान पर है.. रात को लौटेंगे"

मौसम के कुँवारे उरोजों को जितनी उत्कटता से वो पाना चाह रहा था उतनी ही उन्हें पाने की संभावना कम होती जा रही थी.. मौसम के गोरे मासूम स्तनों को माउंट आबू में देखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था.. दोनों तरफ आग बराबर जल रही थी पर हालातों ने आगे कुछ होना मुमकिन न होने दिया.. अब वो सारी भड़ास वैशाली पर निकाल रहा था पीयूष.. वैशाली के ड्रेस पर से उसके बेमिसाल उरोजों को पूरी ताकत से दबा दिया पीयूष ने.. वैशाली ने एक ऊँह तक नहीं की.. कितने दिनों के बाद आज ठीक से स्तन दबे थे उसके.. !! वो खुद ही चाहती थी की कोई उसके स्तन दबाएं, मसल दे.. कुचल कर रख दें.. पीयूष को उसने रोका नहीं.. बल्कि पीयूष की इस क्रिया में मदद करने लगी..


पीयूष ने जब उसके स्तनों से हाथ हटाकर उसकी कमर को सहलाना शुरू किया तब वैशाली का मन अब तक स्तन-मर्दन से भरा नहीं था..

"मेरी निप्पल को पकड़ कर दबा और खींच उन्हें.. मेरे बॉल चूस यार.. जल्दी.. "बेशर्म होकर वैशाली ने कहा.. इसलिए कहा की पीयूष उसे जल्दी से जल्दी नंगी कर दें..

उसने पीयूष के लंड को पेंट को ऊपर से दबाकर देखा.. लंड के उभार को देखकर उससे रहा नहीं गया.. उसने तुरंत चैन खोली और अन्डरवेर के अंदर हाथ डालकर उसे पकड़ लिया.. जबरदस्त सख्त हो गया था पीयूष का लंड.. !! पीयूष को खुद ताज्जुब हो रहा था की कविता के संग सेक्स करते हुए कभी इतना कडक नहीं हुआ था.. अरे कविता के चूसने पर भी कभी इतना सख्त नहीं हुआ था पहले.. ये सब अनधिकृत सेक्स का कमाल था..

"आह्ह पीयूष.. मस्त कडक हो गया है तेरा.. " लंड को बाहर निकाल कर मुठ्ठी में भरते हुए वैशाली ने उत्तेजित होकर कहा.. काफी समय के बाद वो पीयूष के लंड को देख रही थी.. पीयूष ने वैशाली को घुमा कर उल्टा कर दिया.. और उसके ड्रेस की चैन उतार दी.. अपनी पीठ पर पीयूष के हाथों के स्पर्श से सिहर उठी वैशाली..

पीयूष का नंगा लंड आइफेल टावर की तरह झूल रहा था.. और वैशाली की गांड की दरार के संग प्रेम-क्रीडा कर रहा था.. अपने मांसल चूतड़ों पर सुपाड़े का गरमागरम स्पर्श महसूस होते ही वैशाली उत्तेजना के शिखर पर पहुँच गई.. दोनों हाथ पीछे ले जाकर उसने पीयूष की गर्दन को पकड़कर अपना चेहरा ऊपर किया..

दोनों ने फ्रेंच किस करते हुए एक दूसरे के वस्त्रों को उतारना जारी रखा.. वैशाली ने अपने दोनों हाथ ऊपर कर दीये.. और पीयूष ने उसका ड्रेस निकाल दिया.. उसका गोरा नंगा बदन देखकर पीयूष हतप्रभ हो गया.. वाकई अपनी माँ पर ही गई थी वैशाली.. !! शीला भाभी का बदन भी ऐसा ही गोरा और गदराया था.. पिंक कलर की ब्रा से आधे बाहर झांक रहे स्तनों को ललचाई नज़रों से देख रहा था पीयूष.. जैसे उसके स्तन पीयूष को आमंत्रित कर रहे थे.. लेकिन पीयूष को ये ब्रा का आवरण मंजूर नहीं था.. ब्रा की क्लिप निकालकर उसने उस खजाने को खोल दिया.. स्प्रिंग की तरह उछलकर दोनों स्तन मुक्त हो गए..


पीयूष ने वैशाली की पीठ को चाटना शुरू कर दीया.. पीठ से लेकर कमर पर होते हुए उसकी जीभ चूतड़ों की दरार तक पहुँच गई..

"ओह्ह पीयूष, प्लीज.. !!" कहते हुए वैशाली पीयूष की तरफ मुड़ गई.. उसके सुंदर दुधमल थनों को देखकर पीयूष अपने होश गंवा बैठा.. उसके लंड ने अभूतपूर्व सख्ती हाँसील कर ली थी.. वासना की आग में जल रही वैशाली ने पीयूष को अपनी बाहों में भरकर चूम लिया..

पीयूष ने वैशाली के तमाम वस्त्र उतारकर उसे अनावृत कर दिया.. और अपनी पतलून उतारते हुए कमर के नीचे से खुद भी नंगा हो गया.. देखकर वैशाली शरमा गई.. उसे अपनी खुद की नग्नता से शर्म नहीं आ रही थी.. पर पीयूष को नंगा देखकर वो लाल हो गई.. दोनों जांघों के बीच में झूलता हुआ उसका लंड इतना आकर्षक लग रहा था की वैशाली तुरंत ही घुटनों के बल बैठ गई और लंड को पकड़ते हुए, ब्ल्यू फिल्मों की हीरोइन की तरह चूसने लगी.. उसके शरीर और गर्दन की हलचल से ये साफ प्रतीत हो रहा था की वो कितनी गरम हो चुकी थी..

दोनों इस काम-करम में इतने व्यस्त हो गए थे की अनुमौसी ने तीसरी बार दरवाजे पर दस्तक दी तब उन्हें सुनाई दिया.. दोनों ने तुरंत ही कपड़े पहन लिए.. और वैशाली पीयूष के लैपटॉप के सामने बैठ गई.. जैसे अंदर कुछ देख रही हो.. पतलून की चैन बंद करते हुए पीयूष ने दरवाजा खोला

"क्या कर रहा था? कितनी देर से खटखटा रही हूँ? कान की दुकान बंद है क्या?" मौसी ने गुस्से से कहा.. मंदिर से चलकर आ रही मौसी हांफ रही थी.. वो इतनी थकी हुई थी की आगे कोई तहकीकात करने जितनी ऊर्जा ही नहीं बची थी..

तभी रसिक दूध के पैसे लेने आ गया.. रसिक एक नंबर का हरामी था.. उसने देखा की ड्रॉइंग रूम में बैठे पीयूष और वैशाली का ध्यान उसकी और नहीं था.. मौसी को हिसाब समझाते हुए अपने पाजामे से नरम लोडा बाहर निकालकर मौसी को दिखाकर हंसने लगा.. उसका सोया हुआ काला नाग देखकर मौसी एकदम डर गई.. वैसे तो वो रसिक के लंड की आशिक थी.. पर यहाँ खुले में.. पीयूष और वैशाली की मौजूदगी में उसका खुला लंड देखकर मौसी घबरा गई..



"नालायक.. अक्ल नाम की कोई चीज है की नहीं तेरे पास?? अगल-बगल की परवाह कीये बगैर लंड खोलकर खड़ा हो गया? शर्म कर साले.. किसी ने देख लिया तो हम दोनों मरेंगे.. " मौसी तुरंत किचन में चली गई.. जैसे वो नाग उठकर उन्हें डंस लेगा.. मुसकुराते हुए रसिक ने लंड पाजामे में वापिस डाल दिया..

हँसते हँसते रसिक बरामदे से बाहर निकला और अपनी साइकिल पर बैठा तभी उसने मौसी को किचन की खिड़की से झाँकते हुए देखा और बोला "चलता हूँ मौसी.. अब तो शीला भाभी भी वापिस आ गई है" आँख मारते हुए उसने मौसी को गुस्सा दिलाया

मौसी ने दूर से चिल्लाकर कहा "पैसे कल ले जाना.. और दूध में पानी मिलाना कम कर" मौसी को इतना गुस्सा आ रहा था की उनका बस चलता तो बाहर निकलकर रसिक की गांड पर लात मारकर भागा देती.. एक तो खुले में लंड निकालकर खड़ा हो गया.. और जाते जाते शीला के नाम की हूल देकर गया.. रसिक अपनी साइकिल लेकर तेजी से निकल गया..

मौसी किचन से बाहर आई.. तभी वैशाली उठकर जा रही थी

"अरे बैठ ना बेटा.. !! इतनी जल्दी जा रही है.. !!! तेरा कंप्यूटर का काम हो गया क्या?"

"नहीं मौसी, काम तो अभी भी बाकी है.. कल आकर खत्म कर लूँगी.. अभी बहोत देर हो गई इसलिए जा रही हूँ" वैशाली ने जो भी कहा सच ही कहा.. काम कहाँ पूरा हुआ ही था?? बस होने ही वाला था की मौसी टपक पड़ी.. अपनी भूखी चूत को लेकर वैशाली घर गई..

घर पहुंचते ही उसने देखा.. शीला किचन में खाना बना रही थी.. और मदन टीवी पर न्यूज़ देख रहा था.. घर में वापीस आते ही वैशाली को उदासी ने फिर से घेर लिया.. जब तक वो बाहर थी तब तक उसका मूड ठीक था.. घर पर आते ही सारे विचारों ने फिर से उसके मन पर हमला कर दिया.. सामाजिक दीवारों से अक्सर इंसानों का दम घूँटने लगता है.. जब आदिमानव गुफाओं में रहता था तब शायद आज से ज्यादा सुखी होगा..


वैशाली सीधे अपने कमरे में गई.. दरवाजा अंदर से बंद किया.. और बेड पर बैठ गई.. उसने अपनी सलवार उतारी.. और तेजी से अपनी चूत को कुरेदने लगी..


आज दो बार उसका ऑर्गजम होते होते रह गया.. एक बार कपल रूम में और दूसरी दफा पीयूष के घर में.. सारा गुस्सा उसने अपनी चूत पर निकाल दिया.. उत्तेजना, क्रोध और असंतोष के कारण वो जैसे तैसे स्खलित हो गई.. पर झड़ने के बाद उसका मन शांत हो गया.. हाथ मुंह धोकर उसने नाइटड्रेस पहन लिया और किचन में शीला की मदद करने गई..
Vaishali is too hot to handle.
 
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