Update #29
उसकी स्कर्ट उतारते समय वो मीना को चूम तो रहा था, लेकिन वो अच्छी तरह समझ रही थी कि वो क्या चाहता है! वो भी तो यही चाहती थी कि जय अपने मन का कर सके... मीना ने अपने नितम्ब ऊपर उठा कर, स्कर्ट उतारने में जय की मदद करने लगी। अब शंका का कोई स्थान नहीं रह गया था - जय समझ गया कि उसको मीना का पूर्ण समर्थन प्राप्त है! बस, फिर क्या! उसने हाथ के एक तीव्र गति से उसकी स्कर्ट को उतार फेंका! स्कर्ट फ़र्श पर कहीं दूर जा कर गिरी।
दोनों का चुम्बन अचानक से ही तेज और भावनात्मक आवेश युक्त हो गया! अचानक से उसमें एक तत्परता सी आ गई। वो कोमल प्रेम वाला भाव अचानक ही लुप्त हो गया - प्रकृति अचानक ही प्रेम-वृत्ति पर भारी पड़ने लगी! जय ने किसी भी लड़की को इस तरह से नग्न पहले कभी नहीं देखा था! मीना की पैंटी उसकी ब्रा मैचिंग सेट की थी। केवल बेबी पिंक रंग की, लेस वाली चड्ढी पहने हुए वो इतनी शानदार लग रही थी कि कुछ पलों के लिए जय की बोलती ही बंद हो गई। कोई और समय होता, तो संभव है जय उसको उतारता नहीं - लेकिन बिना उसे उतारे वो मीना का अति-दिव्य दर्शन कैसे करता?
उसका हाथ मीना के पेट पर फिसलते हुए उसकी पैंटी पर आ गया। वो उसको उतारने को हुआ, लेकिन फिर कुछ सोच कर लेस के ऊपर से ही मीना की योनि की फाँकों को सहलाने लगा। स्त्री-पुरुष का अंतर उसको मालूम था, लेकिन उस अंतर को जीवन में पहली बार, इतनी निकटता से देखना - अलग ही अनुभव था। उसकी श्रोणि पर कड़े बाल थे लेकिन मीना की श्रोणि चिकनी थी... लिंग कितना कठोर होता है, लेकिन योनि कितनी... कोमल! मीना की योनि की फाँकों को सहलाते सहलाते वो उसके भगशेफ की कली को महसूस कर रहा था! कोमल अंग के ऊपर उसकी कोमल कठोरता बड़ी अनोखी महसूस हो रही थी। उसके मन में यह चल रहा था मीना की योनि कैसी होगी! बस कुछ ही क्षणों में उसको यह राज़ भी पता होने वाला था! इस कामुक विचार से जय की उत्तेजना और भी अधिक बढ़ गई।
“मीना...” वो फुसफुसाते हुए कहने को हुआ, लेकिन मीना ने उसके होंठों पर उंगली रख के चुप रहने का इशारा किया।
स्वयं पर और नियंत्रण कर पाना जय के लिए अब लगभग असंभव हो गया था। उसने पैंटी के अंदर अपना हाथ डाला और कमर से इलास्टिक को हटा कर झरोखे के अंदर झाँका।
अंदर का नज़ारा अनोखा था!
‘तो ऐसी होती है योनि...’ मीना की योनि का आंशिक दर्शन कर के भी वो खुद को धन्य महसूस कर रहा था।
“इट्स ब्यूटीफुल...” उसके मुँह से निकल ही गया।
“हु...कु...म...” इतनी देर में मीना ने पहली बार कुछ कहा, “प्लीज़ डोंट टीज़ मी...”
मीना की योनि के आंशिक दर्शन से जय की उत्तेजना बिना किसी लगाम के भागने लगी। अब तो अपने गंतव्य पर पहुँच कर ही उसकी कामाग्नि ठंडी होने वाली थी। मीना ने भी इस तथ्य को स्वीकार कर लिया था कि आज रात उन दोनों का ‘एक होना’ तय है! अनुभवी होने के बावज़ूद उसके दिल में डर सा बैठा हुआ था... शायद इसलिए कि वो चाहती थी कि दोनों का मिलन जय के लिए सुखकारी हो! उसको आनंद मिले। और उसको इस बात से संतुष्टि मिल रही थी कि वो कुछ ही देर में अपने जय की होने वाली थी! पूरी तरह से! इस तथ्य को आत्मसात करना बहुत मुश्किल था।
जय ने उसकी योनि को हल्के से छुआ! मीना उत्तेजनावश कराह उठी! वो कब से सम्भोग के लिए तैयार बैठी थी, लेकिन जय उस तथ्य से अपरिचित था। उसने उसकी पैंटी को थोड़ा नीचे सरकाया। बड़ी कोमलता से! मीना ने फिर से अपने नितम्ब उठा कर पैंटी उतरवाने में जय की मदद करी।
अंततः!
जय ने जब अपनी सुन्दर और सेक्सी प्रेमिका का पूर्ण नग्न शरीर पहली बार देखा तो कुछ समय के लिए सन्न रह गया। रूप की देवी थी मीना! चेहरा तो सुन्दर था ही; स्तनों का हाल बयान कर ही चुके; अब बाकी की बातें बता देते हैं। मीना की जाँघें सुगढ़, दृढ़, और चिकनी थीं; उन दोनों जाँघों के बीच उसकी योनि के दोनों होंठ उत्तेजनावश सूजे हुए थे, और उन होंठों के बीच में कामातुर योनि-मुख! उसका आकार ट्यूलिप की कली के समान था। जय को उसका आकार और प्रकार दोनों ही पसंद आया।
“मीना... यार...” जय से रहा नहीं गया, “ये तो... बहुत सुन्दर है! ट्यूलिप की कली जैसा... जैसी...”
“आपको पसंद आई?”
“बहुत! बहुत! थैंक यू!”
मीना का शरीर सुडौल था ही, लेकिन अपने नग्न रूप में वो और भी सुगठित लग रही थी।
जय बेहद उत्तेजित था - उसके अंदर सम्भोग करने की इच्छा इतनी बलवती हो गई थी कि उसको अब कुछ और सूझ नहीं रहा था। लेकिन न जाने कैसे, अचानक ही उसका प्रेम-भाव वापस आ गया - जय को लगा कि उसकी मीना चाहती है कि वो उसको अपने आलिंगन में भर ले! शायद स्वयं जय को मीना के आलिंगन में आने की इच्छा हो आई हो!
जय ने तुरंत ही मीना को अपनी बाहों में भर लिया, और जितना अधिक संभव था, उसको अपने में भींच लिया। उस जोशीले आलिंगन में आते ही दोनों के होंठ आपस में मिल गए! यह चुम्बन बड़ा ही भावुक करने वाला था। जय को उस क्षण एक अभूतपूर्व और अलौकिक सा एहसास हुआ... एहसास कि उसका और मीना का साथ हमेशा का है... कि दोनों के अस्तित्व एक दूसरे के कारण हैं... कि उनका बंधन अटूट है, चाहे कुछ भी हो जाय। इस एहसास के कारण जय के मन में मीना के लिए और भी प्यार उमड़ आया।
‘हाँ, बस मीना ही चाहिए उसको! और कुछ भी नहीं!’
दोनों बिना कुछ बोले चुम्बन का आनंद उठाते रहे। फिर अचानक ही मीना ने कुछ अनोखा किया : चुम्बन लेते लेते, उसने जय है हाथ अपने स्तन पर रख दिया। जय ने उसके स्तनों को बारी बारी सहलाया... कुछ ही देर में होंठों का चुम्बन, चूचकों का चुम्बन बन गया - दोनों को समझ नहीं आया! मीना इस अनुभव का आनंद लेते हुए किलकारियाँ भर रही थी! जय के साथ कुछ ही पलों के साथ ने उसको गज़ब का सुख दिया था।
“आई लव यू...” जय बोला।
उसकी बोली में इतनी सच्चाई और ईमानदारी थी, जो मीना को साफ़ साफ़ सुनाई दी।
“आई नो!”
वो मुस्कुराया, और मीना के हर अंग को चूमने लगा। देर तक चूमने के कारण मीना का निचला होंठ थोड़ा सूज गया था और एक दो जगह से थोड़ा फट गया था। जय के साथ मीना एक छोटी लड़की के समान हो गई थी - उसकी भाव-भंगिमा थोड़ी नटखट सी, थोड़ी चुलबुली सी हो गई थी। जय को पता नहीं था कि इतनी देर के प्रेम-मई चुम्बन, चूषण इत्यादि से मीना को कुछ समय पहले ओर्गास्म हो आया था। उसकी योनि से भारी मात्रा में काम-रस निकल रहा था, जो बाहर से भी दिख रहा था। बिस्तर पर वो जहाँ जहाँ बैठ रही थी, वहाँ वहाँ गीलेपन के चिन्ह साफ़ दिखाई दे रहे थे।
जब जय एक बार फिर से उसके एक चूचक से जा लगा, तब मीना खिलखिला कर हँसने लगी।
“मेरे जय... तुमको ये इतने पसंद आए?”
“बहुत!”
“डोंट फ़िनिश देम... नहीं तो तुम्हारे चारों बच्चे गाय का दूध पियेंगे!”
मीना ने कुछ ऐसे चुलबुले अंदाज़ में कहा कि जय भी हँसने लगा। उसकी सँगत का बड़ा ही सकारात्मक प्रभाव पड़ रहा था मीना पर! और इस बात को देख कर उसको स्वयं पर बड़ा ही गर्व महसूस हो रहा था।
“जो हुकुम...” वो बोला, “... हुकुम!”
मीना मुस्कुराई... एक चौड़ी, चमकती हुई मुस्कान! अब उसको भी पहल करने का समय आ गया था। उसने एक एक कर के जय की शर्ट के बटन खोले और फिर उसको उतारने लगे। पहली बार उसको भी जय का शरीर देखने को मिला। उसको जैसी उम्मीद थी, जय का शरीर वैसा ही था - माँसल, मज़बूत, और युवा शक्ति से लबरेज़!
“लाइक्ड व्हाट यू सी?” उसने मीना से पूछा।
“वैरी मच! ... एग्ज़क्टली ऍस हाऊ आई होप्ड...”
फिर उसने उसकी पैंट की बेल्ट उतारी और थोड़ी जल्दबाज़ी से उसकी पैंट की ज़िप खोल कर उसको उतार दिया। जय के अंडरवियर से उसका उत्तेजित लिंग बुरी तरह से उभरा हुआ था। मीना उसको देख कर प्रभावित हुए बिना न रह सकी। जय भी चाहता था कि अब वो वस्त्रों के इस अनावश्यक दबाव से मुक्त हो जाय। उसको थोड़ी शर्म ज़रूर आ रही थी, लेकिन मन में यह बात भी आ रही थी कि मीना के सामने नग्न होना बड़ी प्राकृतिक सी बात है। वो भी चाहता था कि मीना उसको देख कर प्रभावित हो। उसकी चड्ढी उतारने से पहले मीना उसकी तरफ देख कर मुस्कुराई। जय भी मुस्कुराया।
अगले ही पल जय का उत्तेजित लिंग मुक्त हो कर हवा में तन गया। अन्य दिनों की अपेक्षा आज उसके लिंग का आकार थोड़ा अधिक ही बढ़ गया था, और इस कारण से वो जय को भी अजनबी सा लग रहा था! लेकिन यह अच्छी बात थी - अगर जय स्वयं अपने ही अंग से प्रभावित हो सकता है, तो मीना भी अवश्य होगी। लेकिन मीना को उसके लिंग से प्रभावित होने की आवश्यकता नहीं थी - अगर जय उसका है, तो किसी भी अन्य बात का कोई महत्त्व नहीं! मीना ने हाथ बढ़ा कर उसके स्तंभित लिंग पर रख दिया। उसके लिंग पर हाथ लगाते ही मीना की सिसकी सी निकल गई और वो हाथ हटा कर उसको देखने लगी।
“क्या इरादे हैं हुकुम?” उसने जय से पूछा।
“लेट्स मेक अ बेबी?”
जय की बात सुन कर मीना हँसने लगी!
“हुकुम आज ही पापा बनना चाहते हैं?”
“अगर हमारी राजकुमारी की भी यही इच्छा है, तो!”
मीना ने जय को बहुत प्रभावित हो कर देखा। कैसा सीधा सा और सच्चा सा है उसका जय! उसका दिल घमंड से भर गया! हाँ, वो अपने जय को संतान देगी। एक नहीं, चार! जैसा वो चाहता है। उन दोनों का जीवन अब बस जुड़ने ही वाला है, और वो ग़ुरूर से भरी जा रही थी। कैसी किस्मत होनी चाहिए जय जैसा सुन्दर, सरल, सच्चा साथी पाने के लिए!
“आई विल बी हैप्पी एंड प्राउड टू हैव योर बेबी, माय लव! ... नथिंग एल्स विल मेक माय लाइफ वर्थ मोर!”
“ओह मीना! मीना...”
कह कर जय ने मीना को बिस्तर पर लिटा दिया, और उसको अपनी तरफ़ सरका कर व्यवस्थित किया। उसका उत्तेजित लिंग मीना के पेट को छूने लगा। उन दोनों के होंठ फिर से मल्लयुद्ध में रत हो गए। एक कामुक चुम्बन! अंततः, अब समय आ ही गया था!
मीना ने अपने पाँव उठा कर जय के साइड में ला कर, उसकी पीठ पर टिका दिए। उधर जय का हाथ उसकी योनि पर चला गया। जब उसकी उँगलियों ने मीना के योनिमुख को छुआ, तो मीना के मुँह से एक कामुक कराह छूट गई। जय ने अपने लिंग को उसकी योनि पर फिराया - मीना की योनि पूरी तरह से नम थी और उसके लिंग का स्वागत करने को तत्पर भी थी।
“आई लव यू सो मच, मीना!” वो फुुसफुसाया।
“आई लव यू मोर...” वो भी फुसफुसाई।
जय ने फिर से उसकी योनि को अपने लिंग को फिराया।
“बहुत पेन होगा?”
मीना ने ‘न’ में सर हिलाया, “डोंट वरि अबाउट दैट! ... हमको मम्मी पापा बनना है न? ... तो हुकुम, बस आप वही सोचिए... और कुछ भी नहीं!”
जय ने ‘हाँ’ में एक दो बार हिलाया, फिर अपने लिंग को पकड़ कर उसके सिरे को मीना की योनि के अंदर धक्का दिया। जय नौसिखिया था - उसको सेक्स करने का कोई व्यवहारिक ज्ञान नहीं था। इसलिए पहला धक्का ही बलपूर्वक लग गया। अच्छी बात यह थी कि मीना की योनि अच्छी तरह से चिकनी हो रखी थी - इसलिए उसका लिंग मीना की योनि में फिसल कर काफी अंदर तक घुस गया।
अद्भुत एहसास!
कितना लम्बा अर्सा हो गया था!
मीना ने गहरी आह भरते हुए कहा, “ओह हनी!”
जय को लगा कि उसने जो किया, वो अच्छा किया। लिहाज़ा उसने फिर से एक और बलवान धक्का लगाया। पिछली बार उसके लिंग का जो भी हिस्सा बचा था, वो इस बार पूरा मीना की योनि में समाहित हो गया। मीना की कराह की आवाज़ ही बदल गई इस बार! लेकिन फिर भी मीना ने कोई शिकायत नहीं करी। लिहाज़ा, जय को अभी भी नहीं समझ आया कि उसके हर धक्के से मीना को चोट लग रही है। कुछ ब्लू फिल्मों से, जो उसने देखी हुई थीं, प्रेरित हो कर जय ने लगातार धक्के लगाने का सोचा और अगले ही पल उसका क्रियान्वयन भी कर दिया।
इस बार मीन स्वयं को रोक न सकी, “आह आह आआह्ह्ह!!” और उसकी चीख निकल गई।
जब जय ने उसकी आँखों में आँसू बनते देखे, तब उसको समझ आया कि उसकी हरकतों से मीना को चोट लग गई है। ग्लानि से भर के जय ने मीना को अपने आलिंगन में भर लिया - उसका शरीर काँप रहा था।
वो बड़बड़ाया, “आई ऍम सॉरी, हनी! ... आई हर्ट यू... डिडन्ट आई? ... आर यू ओके?”
दर्द और कराह के बीच, मीना मुस्कुराई और बड़ी कोमलता से बोली, “माय लव... डोंट वरि! यस, आई ऍम अ बिट हर्ट... बट डोंट वरि...! आई लव यू द मोस्ट! ... एंड आई वांटेड इट टू हैपन! ... डोंट स्टॉप नाउ! ... अच्छे से सेक्स करो मेरे साथ!”
फिर वो आह लेते हुए बोली, “आई फ़ील सो फुल इनसाइड! ... फुल... एंड ग्रेट! ... डोंट स्टॉप हनी... जी भर के प्यार करो मेरे साथ...”
जय ने प्रोत्साहन पा कर लिंग को थोड़ा बाहर निकाला, और वापस बलशाली धक्का लगाया। मीना की फिर से गहरी आह निकल गई। उसकी योनि अपने खुद के तरीके से चल रही थी इस समय - योनि की दीवारों में स्वतः ही संकुचन हो रहा था।
“हुकुम... कैसा लग रहा है?” जब जय वापस लयबद्ध धक्के लगाने लगा, तो मीना ने पूछा।
“ओह मीना... माय लव... आई कांट डिस्क्राइब द फ़ीलिंग...”
“गुड! एन्जॉय देन...”
“क्या अभी भी दर्द हो रहा है?”
“नहीं... उतना नहीं।”
“गुड...,” जय शरारत से मुस्कुराते हुए बोला, “क्योंकि मैं ये रोज़ करूँगा तुम्हारे साथ!”
“हा हा...” दर्द में भी मीना हँसने लगी।
हर खिलखिलाहट पर उसकी योनि और कस जाती, और जय के लिंग को अद्भुत ढंग से दबा देती!
जय ओर्गास्म को सन्निकट महसूस कर रहा था, इसलिए उसने धक्के लगाना तेज़ कर दिया। उधर मीना की योनि फिर से और भी गीली हो रही थी - उसका ओर्गास्म भी सन्निकट था।
संयोग से जब जय के वीर्य की पहली धार उसकी कोख में गिरी, उसी समय मीना भी अपने ओर्गास्म के शिखर पर पहुँच गई। अपने शरीर में वो मीठी, कामुक लहर बनती हुई महसूस कर के दोनों प्रेमी आनंद के सातवें आसमान पर उड़ने लगे। दोनों का शरीर एक पल को सख्त हो गया, और फिर अगले ही पल शांत हो कर शिथिल पड़ गया। जैसे-जैसे उनके कामुक उन्माद में कमी आई, दोनों एक दूसरे के कोमल आलिंगन में समां गए। दोनों ही थक गए थे।
“इट वास अनबिलिवेबल!” अंततः जय ने चुप्पी तोड़ी, “बेबीज़ बनाना इतना मज़ेदार होता है, यह मालूम होता तो अब तक न जाने कितने बेबीज़ बना चुका होता!”
“हा हा... बदमाश...” मीना ने उसके गालों को प्यार से सहलाते हुए कहा।
“मीना?”
“हम्म्म?”
“इंडिया चलो मेरे साथ... माँ से मिलो! ... फिर हम शादी कर लेंगे!”
“हाँ!”
“पक्की बात?”
“पक्की बात!”
“आई लव यू!”
“आई लव यू मोर...”
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