Update #33
मजिस्ट्रेट ऑफ़िस में जा कर जब आदित्य ने उसको सारी बात सुनाई, तब वो भी हँसने लगा। सोमवार होने के कारण वैसे भी आज कोई विवाह का समारोह नहीं था, और समय ही समय था। इसलिए उसने आदित्य को कहा कि एक घंटे में वो जय और मीना की शादी करवा सकता है। लेकिन उसने बताया कि उसको कोई भारतीय रीति नहीं आती, इसलिए वो केवल पाश्चात्य तरीके से ही शादी करवा पाएगा। कानूनन यह शादी मान्य होगी - और उसमें कोई समस्या नहीं होगी।
आदित्य को इस बात से कोई समस्या नहीं थी! भगवान तो सभी एक ही हैं। वैसे भी, भारत जा कर धूम-धाम से, रीति के हिसाब से दोनों का ब्याह होना ही था। इसलिए यह कोई बड़ी बात नहीं थी। वो भागा भागा मीना, जय, और क्लेयर को यह खुशखबरी सुनाने लगा।
मैरिज लाइसेंस मिलते ही सभी लोग मजिस्ट्रेट के ऑफिस में पहुँच गए। ऑफिस बहुत बड़ा नहीं था, लेकिन इतना बड़ा अवश्य था कि एक दर्ज़न लोग बेहद आराम से वहाँ उपस्थित हो सकें।
मजिस्ट्रेट ने शुरू किया,
“डिअर फ्रेंड्स, व्ही आर गैदर्ड हियर, इन द प्रेसेंस ऑफ़ गॉड टू विटनेस एंड ब्लेस दिस यूनियन, एस मीनाक्षी एंड धनञ्जय - जय ज्वाइन टुगेदर इन होली मॅट्रिमनी!"
[अब आगे का मैं अधिकतर हिंदी में अनुवाद कर के लिखूँगा, नहीं तो दो दो बार लिखना पड़ेगा]
"शादी एक पवित्र बंधन है, जिसको हल्के में, और बिना अपने स्नेही स्वजनों से सलाह मशविरा किए नहीं करना चाहिए... बल्कि सोच समझ कर, और पूरी श्रद्धा के साथ करना चाहिए... स्त्री पुरुष एक दूसरे के पूरक हैं, और मिल कर सृष्टि का सृजन करते हैं। यही ईश्वर द्वारा परिवार की परिकल्पना है।”
इतना उपदेश दे कर मजिस्ट्रेट मुस्कुराया।
जय और मीना उत्साह में चमक रहे थे। क्या करने यहाँ आये थे, और क्या करने लगे थे! दिन ने कैसा रोचक और आश्चर्यजनक मोड़ ले लिया था। दोनों ने ही मन ही मन क्लेयर को धन्यवाद किया।
“अगर किसी को ऐसा लगता है कि जय और मीना को शादी के बंधन में नहीं बंधना चाहिए, तो वो सामने आए, अपनी बात कहे, और अपने दिल का बोझ हल्का कर दे!”
इस बात पर सभी मुस्कुराये। भला किसको उनके बंधन पर ऐतराज़ होता? सभी तो दोस्त ही थे।
“जय और मीना... हम यहाँ ईश्वर की, अपने परिवारों की, और अपने मित्रों की उपस्थिति में मौजूद हैं... अगर तुम दोनों में से किसी को ऐसा कोई भी कारण लगता है कि तुमको ये शादी नहीं करनी चाहिए, तो बोलो...”
दोनों ने कुछ नहीं कहा और बस मुस्कुराते रहे।
“बहुत बढ़िया...” मैजिस्ट्रेट ने कहा, “हू प्रेजेंट्स मीनाक्षी टू बी मैरीड टू जय?”
दो पल सभी चुप रहे।
क्लेयर ने आदित्य को कोहनी मारी,
वो चौंक के बोला, “आई डू...”
पाश्चात्य व्यवस्था में भी लड़की का पिता ही कन्यादान करता है। लेकिन मीना का तो और कोई था ही नहीं।
आदित्य ने कहा और मीना को जय के सामने खड़ा कर के, स्वयं उसके पीछे खड़ा हो गया।
मजिस्ट्रेट ने दोनों को उसकी तरफ़ देखता हुआ देख कर कहा,
“प्लीज फेस ईच अदर एंड ज्वाइन हैंड्स (कृपया एक दूसरे का हाथ थाम कर एक दूसरे की तरफ़ देखें),”
जय और मीना ने निर्देशानुसार वही किया।
“जय, आप अपने मन में, पूरी शुद्ध रूप से सोच कर मेरी बात दोहराएँ,”
जय ने समझते हुए ‘हाँ’ में सर हिलाया,
“मैं, ‘धनञ्जय जय सिंह’...” जय ने दोहराया, “भगवान को हाज़िर नाज़िर जान कर... ‘मीनाक्षी दहिमा’ को... अपनी धर्मपत्नी स्वीकार करता हूँ... और आज इस दिन, इस क्षण से... अपने पूरे जीवन भर... हर भले - बुरे, ऊँच - नीच, लाभ - हानि, सम्पन्नता - विपन्नता, रोग - निरोग में... पूरे दिल से उनका साथ निभाऊँगा... जब तक मृत्यु हम दोनों को अलग न कर दे... यह मेरी अखंड प्रतिज्ञा है!”
जय ने हर प्रतिज्ञा दोहराई।
फिर वो मीना से बोला, “मीना, अब आप अपने मन में, पूरी शुद्ध रूप से सोच कर मेरी बात दोहराएँ,”
मीना ने भी ‘हाँ’ में सर हिलाया,
“मैं, ‘मीनाक्षी दहिमा’...” मीना ने दोहराया, “भगवान को हाज़िर नाज़िर जान कर... ‘धनञ्जय सिंह’ को... अपना पति स्वीकार करती हूँ... और आज इस दिन, इस क्षण से... अपने पूरे जीवन भर... हर भले - बुरे, ऊँच - नीच, लाभ - हानि, सम्पन्नता - विपन्नता, रोग - निरोग में... पूरे दिल से उनका साथ निभाऊँगी... जब तक मृत्यु हम दोनों को अलग न कर दे... यह मेरी अखंड प्रतिज्ञा है!”
अपनी प्रतिज्ञा करते करते मीना की आँखों में आँसू आ गए। लेकिन वो उनको पोंछ नहीं सकती थी - दोनों ने एक दूसरे का हाथ जो थामा हुआ था।
मजिस्ट्रेट ने ये देखा तो मुस्कुराया।
“रिंग्स?” उसने आदित्य की तरफ़ देखा।
क्लेयर ने दोनों डिब्बियाँ तुरंत निकाल कर दिखाईं, “हियर...”
मजिस्ट्रेट ने कहना शुरू किया, “हे प्रभु, इन अँगूठियों में अपनी कृपा, अपना आशीर्वाद दीजिए, और जय और मीना के विवाह को अपना आशीष दीजिए... आपकी अनंत प्रज्ञा, आपकी अनंत कृपा इन बच्चों पर जीवन पर्यन्त बनी रहे। आमेन!”
“प्लीज़ एक्सचेंज द रिंग्स वन बाई वन...” उसने निर्देश दिया।
पहले जय की बारी थी, “मीना, आई गिव यू दिस रिंग एस अ सिम्बल ऑफ़ माय लव एंड डिवोशन... विद आल दैट आई हैव, एंड आल दैट आई ऍम, आई प्रॉमिस टू हॉनर एंड चेरिश यू, इन माय गॉड्स नेम!”
फिर जय ने मीना को अँगूठी पहनाई।
अब मीना की बारी थी, “जय, आई गिव यू दिस रिंग एस अ सिम्बल ऑफ़ माय लव एंड डिवोशन... विद आल दैट आई हैव, एंड आल दैट आई ऍम, आई प्रॉमिस टू हॉनर एंड चेरिश यू, इन माय गॉड्स नेम!”
फिर मीना ने जय को अँगूठी पहनाई।
इस पर उपस्थित सभी लोग तालियाँ बजाने लगे।
मजिस्ट्रेट मुस्कुराया, और हँसते हुए बोला, “वेट वेट! लेट मी फर्स्ट प्रोनाउन्स देम...”
उसकी बात पर सभी हँसने लगे।
“जय... मीना... बिफोर आई प्रोनाउन्स यू, एक दूसरे को खूब प्यार करना - ठीक वैसे ही जैसे आपके परमेश्वर आपसे करते हैं। विवाह बहुत पवित्र वस्तु है... यह जीवन भर न टूटने वाला वायदा है जो आप एक दूसरे को कर रहे हैं... दोनों के बीच हमेशा प्रेम, आदर, धैर्य, विश्वास, और दयाभाव बनाए रखें। ईश्वर में भरोसा रखें। ... हर कठिन समय में वो आपको राह दिखलाएँगे! ... आप दोनों ऐसा करेंगे तो आप दोनों का जीवन खुशियों से भर जाएगा!”
यह सुन कर जय और मीना ने एक दूसरे का हाथ मज़बूती से थाम लिया।
मजिस्ट्रेट ने मुस्कुराते हुए ‘हाँ’ में सर हिलाया, फिर बोला,
“बाय द पॉवर वेस्टेड इन मी बाय द ब्यूटीफुल स्टेट ऑफ़ इलिनॉय, इन द प्रेसेंस ऑफ़ गॉड एंड द विटनेस ऑफ़ फैमिली एंड फ्रेंड्स, इट इस माय ग्रेट प्रिविलेज टू प्रोनाउन्स यू हस्बैंड एंड वाइफ!”
इस बात पर फिर से तालियाँ बजने लगीं।
“यू मे किस द ब्राइड!”
इतना सुनते ही दोनों एक दूसरे के आलिंगन में समां गए, और दोनों के होंठ, एक प्रेममय चुम्बन में लिप्त हो गए।
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