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Incest संस्कारी परिवार की बेशर्म कामुक रंडियां। अंदर छुपी हवस जब सामने आयी ।

किस तरह की कहानी चाहते हैं आप , Tell me your taste .


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Rachit Chaudhary

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Update 12

Hi dosto.

आपको बताना चाहूंगा कहानी में हल्का सा फेरबदल हुआ है तो लास्ट वाली update 10 (जो इस update से पहली update है) के आखिरी में कुछ लाइन्स बदल दी गयी है तो उन्हें आखिरी में दोबारा पढ़े कहानी समझने के लिए ।

दोस्तों इस कहानी को पढ़ने के लिए और स्पोर्ट करने के लिए आपका दिल से धन्यवाद ।
और आप विश्वाश रखिये आपको इस कहानी में मजा आएगा
क्योकि -

आंखों में रखता हूँ मैं चूतों का नक्शा ,
मैं चलते फिरते टैलेंट का बक्सा ।
वादा करूं यारो जब उपासना की चूत में लंड जायेगा ,
तो आपका पढ़ने का मजा दोगुना हो जायेगा ।


चलिए कहानी को आगे बढ़ाते है ।

********

धर्मवीर गुस्से से पागल होकर देखे जा रहा था उपासना को।
उपासना चुप खड़ी हुई अपने नौकर अनवर के सामने ।

धर्मवीर आग लगा देना चाहता था अपने बंगले और अपनी इस शानोशौकत में जो उसने इतनी मेहनत के बाद हासिल की थी ।

तभी उपासना और अनवर के बीच बात शुरू हुई ।
अनवर अपनी कहानी बताने लगा ।

अनवर - भाभी जी जैसा आपने बताया कि डॉक्टर्स की रिपोर्ट में आया था कि राकेश कभी आपको माँ नही बना सकता और ये मैं भी देख रहा हूँ कि 3 साल हो गए आपकी शादी को ।

( प्रिय पाठकों ये राज की बात आज धर्मवीर चुपके चुपके सुन रहा था की उसका बेटा किसी लड़की को माँ नही बना सकता है ।)

अनवर कहने लगा इस घर की सेवा मेरे पिताजी ने बड़े ही तन मन से की थी और मैंने भी आपका नमक खाया है ।
मुझे मालकिन से भाभी जी कहने का हक दिया है अपने ।
आपके कहेअनुसार मैं गांव जाने का बहाना करके गया था उस बाबा के पास जिसका आपने address दिया था मुझे ।

अनवर आगे कहने लगा कि भाभी बाबा ने बताया है कि राकेश पर कोई भूत या प्रेत का साया नही है, राकेश के वीर्य में ही कमी है । ये कहता हुआ राकेश मुह फेरकर बात करने लगा । क्योकि उसकी हिम्मत नही हो रही थी क्योंकि उपासना उसकी मालकिन थी ।

उपासना कहने लगी - हां अनवर तुमने मुझे फोन पर यह सब बताया था ।

उपासना ने राकेश की रिपोर्ट चैक की थी जिसमे मेंशन था कि राकेश कभी बाप नही बन सकता । उपासना ने सोचा किसी पहुंचे हुए साधु बाबा से ही मदद ली जाए ।
टैब उसने अनवर को उस साधु बाबा के पास भेजा था ।

अनवर जब से मैने सुना है कि राकेश मुझे माँ नही बना सकता टैब से मैं परेशान हूं । सोचा कि अब यह वंश कैसे आगे बढ़ेगा ।
लेकिन तुमने मुझे फिर आगे बताया कि बाबा कह रहे हैं यदि मैं 2 साल के अंदर इस खानदान को वारिश नहीं दे पाई तो फिर दुनिया की कोई ताकत नहीं है जो इस वंश को आगे बढ़ा पाए ।
और यह वंश यहीं पर समाप्त हो जाएगा
जब से तुम्हारे मुंह से मैंने ऐसा सुना है मुझे खाना तक भी अच्छा नहीं लगा।
फिर मैंने फैसला किया कि यदि राकेश मुझे मां नहीं बना सकते और 2 साल मैं इस खानदान को वारिश नहीं दे पाई तो फिर मेरे इस घर में होने पर कलंक है । मुझे ऐसी बहू होने पर कलंक है । उसके बाद मैंने फैसला किया कि मैं वारिश दूंगी इस घर को । मैं एक प्यारा सा बच्चा दूंगी इस घर को ।
और मैंने फैसला किया कि मैं राकेश के साथ सोने की जगह किसी और के साथ सो जाऊंगी ।
लेकिन मेरी भी कोई मान मर्यादा है । मेरी भी कोई इज्जत है।
मेरी नजरों में इस खानदान की इज्जत है जो कि मेरी इज्जत से भी बढ़कर है । तो मैं इस तरह से किसी के सामने कैसे यह बात रख सकती हूं ।
इससे तो हमारे खानदान की नाक कटेगी ।
मैंने फैसला किया कि मैं यह इज्जत अपने घर में ही रखूंगी और मैं पापाजी से इस बारे में सहायता लूंगी।
लेकिन तुमने मुझे बोला कि भाभी आप पापाजी से बात से बात मत करना क्योंकि वह यह बात कभी सहन नहीं कर पाएंगे।
वह ऐसा सपने में भी नहीं सोच सकते हैं कि वह आपको मां बनाएंगे। यदि आप उनसे बात करोगी तो वह आप को घर से निकाल देंगे । वह आपकी बात पर विश्वास नहीं करेंगे।
तब मैंने फैसला किया यह बात अनवर तुम खुद करोगे पापाजी से।
तुम खुद उन्हें इस कमरे में भेजोगे ।तुम हमारे नौकर ही नहीं हमारे परिवार का एक सदस्य हो । वह सदस्य जिसे हमारे राज पता है। हमें तुम पर पूरा विश्वास है जाओ और पापाजी को भेज दो । पापाजी से कैसे तुम बात करोगे तुम जानो ।

मैं आज बाबूजी का इंतजार इस बेड पर बैठकर करूंगी ।
ऐसा कहकर उपासना की आंखों से आंसू आ गए और वह अपने आंसू पोंछते हुए एक तरफ मुंह करके खड़ी हो गई।

और अपने गुस्से से कहने लगी अनवर से कि जाओ अब तुम अपना काम करो । तुम्हें जिस तरह से पापाजी को बोलना है , जाओ और जाकर के बोलो। ऐसा कहकर उपासना चुप हो गई ।

अनवर यह सुनकर रोने लगा और कहने लगा की भाभी बाबू जी क्या करेंगे ज्यादा से ज्यादा मुझे घर से निकाल देंगे, ज्यादा से ज्यादा मुझे पीट लेंगे , लेकिन मैं इस घर को बचाने के लिए पिट लूंगा , बेघर हो जाऊंगा लेकिन इस घर पर आंच नही आने दूंगा । ।

मैं जा रहा हूं बाबू जी से मिलने जैसे ही धर्मवीर ने यह सुना उसका सारा गुस्सा शांत हो गया। मानो उसे गुस्सा तो 3 साल से आया ही नहीं है ।
उसके चेहरे पर अब कोई शिकन नहीं थी वह बस मौन था।
बिल्कुल शांत था ।

ऐसा सुनते ही धर्मवीर जल्दी से अपने कदम सीढ़ियों की तरफ बढ़ाता हुआ अपने कमरे में जाकर बैठ गया । क्योंकि उसे पता था अब अनवर उसके पास आने वाला है उसे क्या रिएक्ट करना है कैसे रिएक्ट करना है यही मैं सोच रहा था।

5 मिनट के बाद अनवर लिफ्ट से तीसरे फ्लोर पर पहुंच चुका था ।
उसके हाथों में दूध का गिलास था वह धर्मवीर जी के कमरे में जाकर सर झुका कर कहने लगा - बाबू जी नमस्ते उसने आगे बढ़कर धर्मवीर के पैर छुए ।

धर्मवीर को पता नहीं कैसे उस पर इतना अपनापन लगा कि धर्मवीर ने अपना हाथ बड़े प्यार से उसके सर पर रखा और उसे आशीर्वाद दिया।
उसके बाद धर्मवीर कहने लगा रहे हैं अनवर तुम कब आए धर्मवीर ऐसा कहते हुए चौक गया जैसे उसे कुछ पता ही ना हो ।

अनवर कहने लगा - बाबूजी मैं अभी 1 घंटे पहले ही आया हूं।
मैं नीचे था माँ ने कुछ सामान दिया था वह सामान निकाल रहा था। मैंने सोचा कि बाबूजी के दूध पीने का टाइम हो गया है तो मैं दूध देकर आ जाता हूं ।
धर्मवीर बोले हां दूध रख दो वैसे मैं दूध पी चुका हूं।

फिर अनवर कहने लगा बाबूजी आप से मुझे कुछ बात करनी थी ।

धर्मवीर ,- हां बोलो अनवर कहने लगा.।

अनवर - बाबूजी बात कुछ इस तरह है -------
(प्रिय पाठकों अनवर ने अपने और उपासना के बीच हुई सारी बातें धर्मवीर को बता दी )

धर्मवीर ने यह सुनकर मन ही मन सोचा इतना वफादार नौकर भगवान सबको दे ।

धर्मवीर कहने लगा की अनवर - हमें तो यकीन ही नहीं होता कि पता नहीं किस बात की सजा हमें मिली है , यह क्या संकट, क्या मुसीबतों का पहाड़ हमारे घर पर टूट गया है ।सुनो तुम इस बारे में राकेश को कुछ भनक नहीं लगने देना । रही बात मेरे बहू के पास सोने की की तो मैं जाऊंगा तुम चिंता ना करो । मैं इस खानदान को वारिश दूंगा।

ऐसा कहकर धर्मवीर ने एक बार कड़क आवाज में कहा कि यह राज ही रहना चाहिए जाओ और जाकर सो जाओ।
और तुम आज तीसरे फ्लोर पर ही गेस्ट रूम में सो जाना यह सुनकर अनवर धर्मवीर की तरफ देखने लगा। लेकिन धर्मवीर की लाल आंखों को देखकर वह डर गया और सर झुका कर जी बाबू जी बोलते हुए चला गया ।

धर्मवीर सोचने लगा हे भगवान मैं तो अपनी बहन के ही सपने देख रहा था मैने तो सोचा भी नही था कि यह कोहिनूर का खजाना भी मेरी राह देख रहा होगा।
लेकिन भगवान को कोसने लगा और कहने लगा कि यदि ऐसा कोई प्रोग्राम था तो पहले से बताया होता क्योंकि मुझे भी तो तैयार होने में थोड़ा समय लगता है ।

दोस्तों जल्दी से धर्मवीर अपने बाथरूम में गया उसने वहां जाकर अपने लंड को देखा उसका लंड राकेश से बड़ा था।

वह सोया हुआ लंड ही कम से कम 7 इंच का नजर आता था । और खड़ा होने के बाद वह 12 से 13 इंच का हो जाता था । और उसकी मोटाई हाथ की कलाई के बराबर मोटा था



यह देखकर अपने ऊपर गर्व महसूस करने लगा धर्मवीर उसने अपनी ज्यादा लंबी बढ़ी हुई झांटों को छोटा किया।
और गर्म पानी से नहाया , नहाने के बाद वह निकला और उसने अपने शरीर पर इत्र लगाया । इत्र लगाने के बाद हल्की-हल्की खुशबू धर्मवीर के जिस्म से आने लगी थी।

लेकिन उसने सोचा कि वह बहू को कैसे फेस कर पाएगा और कैसे बहू उसको फेस कर पायेगी ।

यह सोचते ही उसने सोचा कि क्यों ना बहू को पहले कॉल कर लिया जाए ऐसा सोचते हुए उसने उपासना को फोन लगाया उपासना ने जैसे ही अपने मोबाइल पर धर्मवीर जी का कॉल आते हुए देखा तो उसकी धड़कन तेज हो गई।

उसने सोचा कि हे भगवान पता नहीं क्या हो गया क्योंकि ससुर जी आने की जगह मुझे फोन क्यों कर रहे हैं ।
पापा जरूर गुस्सा होंगे ऐसे सोचते हुए उसने फोन उठाया और कुछ बोली नहीं । बस फोन उठाकर अपने कान पर लगा लिया ।

उधर से धर्मवीर धीमी आवाज में बोला । उपासना ने यह धीमी आवाज सुनकर थोड़ा दिल को तसल्ली दी और कहने लगी - जी पापा जी ।

धर्मवीर - उपासना बेटा मुझे दूध पीना था ।

धर्मवीर के इस अटपटे सवाल से चौक पर हैरान रह गई उपासना । वह समझ नहीं पाई कि अनवर ने उसे कुछ बताया है या नहीं ।
ऐसा सोचते हुए उपासना कहने लगी -जी पापा जी अनवर आ गया है मैं बोल देती हूं उसको ।

यह बात तो धर्मवीर को उल्टा ही पड़ी।

धर्मवीर- मुझे तुमसे कुछ बात भी करनी है बहू तुम ऊपर आ जाओ ।

ऐसा सुनकर उपासना कहने लगी पापा जी मैं ऊपर नहीं आ पाऊंगी क्योंकि मेरी तबीयत ठीक नहीं है माफी चाहती हूं।

मना करने की हिम्मत बड़ी ही मुश्किल से जुटा पाई । { उपासना अब धर्मवीर को कैसे बताती कि वह सजी सजाई नीचे फर्स्ट फ्लोर पर बैठी हुई है। और ऊपर आने के लिए उसे चलकर आना पड़ेगा और उसके कपड़े ऐसे नहीं है कि वह चल कर आ सके क्योंकि सलवार उसे चलने ही नहीं देगी ।

ऐसा सुनकर उपासना के मुंह से धर्मवीर बोला की बहू ठीक है तुम आराम करो मैं तुम्हारे पास आ जाता हूं ।

ऐसा सुनकर उपासना नहीं फोन पर ही एक गहरी सांस ली जो कि साफ-साफ सुनाई दी धर्मवीर को ।

धर्मवीर बोला क्या हुआ उपासना कहने लगी कुछ नहीं पापा जी आप आ सकते हैं ।

नीचे फ्लोर पर आकर धर्मवीर ने उपासना को फिर से कॉल किया ।

उपासना ने फोन उठाया - जी पापा जी।

इतना ही बोल पाई उपासना ।

धर्मवीर - उपासना बेटा तुम तो हो ही नहीं अपने कमरे में । तुम्हारा कमरा तो बाहर से लॉक है फिर तुम कहां पर हो।
यह सुनकर उपासना मन ही मन में अनवर पर गुस्सा करने लगी और कहने लगी कि कुत्ते मरवाएगा मुझे आज ।
बता नहीं सकता था पापाजी को जाकर। पापाजी को तो कुछ पता ही नहीं है ,और अगर उन्होंने मुझे इस हालत में देख लिया , बिना यह जाने कि मैं आज क्यों सजी हूं , तो अनर्थ ही हो जाएगा ।

उपासना ऐसा सोच ही रही थी कि अचानक उसके मुंह से निकला पापाजी- आप अनवर से पूछ लीजिये ।
अचानक उसके मुंह से इतना जल्दी निकला कि वह बिना सोचे समझे बोल गई

ऐसा सुनकर धर्मवीर धर्मवीर कहने लगा कि बहू - इसमे अनवर का क्या सीन है , तुम मुझे भी तो बता सकती हो, बताओ तुम कहां हो ।

यह सुनकर उपासना की हिम्मत नहीं हुई बताने की।

उपासना फोन पर हल्की सी मायूस और रोने जैसी आवाज से बोली - पापाजी आप प्लीज एक बार अनवर से मिल लीजिए ।

ऐसा कहकर उपासना चुप हो गई तो धर्मवीर कहने लगा कि बेटा अनवर से तो मैं मिल हूं ।
और उसने मुझे बताया भी है लेकिन मैं तुमसे भी तो कुछ सुनना चाहता हूं ।

यह सुनकर उपासना का दिल धड़कने लगा और छाती ऊपर नीचे होने लगी सांसो से, मन में सोचने लगी कि हे भगवान यह बुड्ढा चाहता है कि मैं खुद इसे बोलूं कि आकर अपनी बहू को चोद दे । कोई बहू ऐसे कैसे बोल सकती है।

उपासना - पापाजी मैं नहीं बोल पाऊंगी ।

धर्मवीर - जब तुम बोल ही नहीं पाओगी तो मैं यकीनन कह सकता हूं कि तुम कर भी नहीं पाओगी।
और जब तुम कर ही नहीं पाओगी तो मेरे आने से क्या फायदा। इस कलंक को मैं क्यों लगाऊ जब तुम ही इसमें रजामंद नहीं हो ।

यह सुनकर उपासना बोली - पापा जी ऐसा नहीं है, मैं उसी की तैयारियां करके बैठी हूं । अब आपको जो करना है आप कीजिए ।

धर्मवीर - बहू वह तो हमें करना ही पड़ेगा। लेकिन मैं सुनना चाहता हूं कि तुम कहां हो ।

उपासना - पापाजी मैं नीचे वाले फ्लोर पर कमरे में हूं।

धर्मवीर - तुमने नीचे वाला फ्लोर इसलिए चुना ताकि तुम्हारी चीखने की आवाजें किसी को ना सुनाई दे सकें ना सुनाई दे सकें ।

दरअसल पाठकों धर्मवीर उपासना को थोड़ा खोल लेना चाहता था ,, ताकि वह खुल कर बोल सके ।

उपासना - पापा जी आप आ जाइए।

धर्मवीर बोला मैं क्यों आ जाऊं ।

उपासना -0यदि आप सुनना ही चाहते हैं मेरे मुंह से तो लीजिए मैं कह देती हूं आ जाइए आपकी बहू सजधजकर आपका इंतजार कर रही है।


ऐसा कहकर उपासना नहीं फोन रख दिया । धर्मवीर का तो मानो लंड पेंट फाड़ कर बाहर आने को हो गया।
और धर्मवीर ने फोन को चूमते हुए नीचे की तरफ कदम बढ़ाने शुरू किये ।

जैसे ही धर्मवीर नीचे फ्लोर पर आकर कमरे में घुसने लगा ।
उपासना कमरे में दूसरी तरफ मुंह करके खड़ी हो गई।

उपासना का पिछवाड़ा धर्मवीर की ओर था ।
धर्मवीर वहीं खड़ा होकर उपासना को निहारने लगा और सोचने लगा कि इस सलवार में बहू की जवानी चुप ही नहीं रही है ।। क्या किस्मत है मेरे बेटे राकेश की जो उसे इतनी गदरायी हुई जवानी मिली है ।
मुझे तो लगता है कि राकेश संभाल भी नहीं पाता होगा उपासना को ।

ऐसा सोचते हुए उसकी नजर उसकी जांघो पर पड़ी जो सलवार में बुरी तरह फंसी हुई थी ।

और सलवार भी कुछ अजीब सी लगी धर्मवीर को क्योंकि वह दुपट्टे वाले कपड़े की थी ।

उसके बाल जुड़े में बंधे हुए उसके सर पर थे ,
कमर साफ दिख रही थी क्योंकि टॉप भी छोटा था इस रूप को देखकर धर्मवीर अपनी आंखें जब झपकाना ही भूल गया था ।

धर्मवीर ने अपने लंड पर हाथ ले जाकर उसे एडजस्ट किया पैंट में और आगे बढ़ने लगा जैसे ही धर्मवीर उपासना के पीछे पहुंचा ,उपासना की जिस्म की खुशबू धर्मवीर की नाक के नथुनों में भर गई । उसकी खुशबू उसे पागल कर गई।

उधर जैसे ही उपासना ने मैंने महसूस किया उसका ससुर उसके पीछे खड़ा है, इस हालत में तो वह शर्म से गढ़ी मरी जा रही थी।

धर्मवीर ने अपना चेहरा उपासना की पीछे गर्दन पर रखा, और एक लंबी सांस खींची ऐसा करते ही उपासना की छातियां ऊपर नीचे की तरफ उठान मारने लगी।

उसकी सांसें तेज हो चली थी क्योंकि उसे शर्म ही इतनी ज्यादा आ रही थी।
अपने पिछवाड़े को ससुर की तरफ निकाले हुए वह किसी मादरजात रंडी से कम नहीं लग रही थी ।



धर्मवीर ने उसकी गर्दन को सूंघा और लंबी सांस खींचकर अपनी सांस छोड़ी ।
फिर धर्मवीर अपना हाथ ले जाकर उसके कंधे पर रखा ।
कंधे पर धर्मवीर के हाथ का स्पर्श पाते ही उपासना आने वाले पल का इंतजार करने लगी।

धर्मवीर ने कहा बहू आपका यह रूप देखकर हमें यकीन नहीं हो रहा है कि आपने इतना सब कुछ हमारे लिए किया।

पहली बार बोला था धरम वीर जब से कमरे में आया था।

ऐसा सुनकर उपासना के मुंह से कोई बोल ही नहीं निकल रहा था ।
वह बस इतना ही बोल पाई - जी पापा जी ।

धर्मवीर ने ऐसा सुन तो सोचने लगा कि बहू खुलने में बहुत टाइम लेगी ।
वह आगे बढ़ा और जैसा ही हल्का आगे बढ़ा ।उपासना की भारी-भरकम गांड उसके लंड से टच हो गयी।

स्पर्श को पाते ही उपासना थोड़ी आगे हो गयी।
उपासना के इस तरह के नखरीले स्वभाव को देखकर धर्मवीर सोचने लगा। कि आज तेरे अंदर की रंडी ना जगाई तो मैं भी धर्मवीर नहीं ।

धर्मवीर ने अपने दोनों हाथ आगे की तरफ लंबे किए ।
उपासना की दोनों बाजुओं को पकड़कर धर्मवीर ने अपनी तरफ इतनी तेज खींचा । इस तरह झटका मारा कि जिसकी उम्मीद उपासना को भी नहीं थी ।
उपासना की गांड एकदम धर्मवीर के लंड से टकरा गई और धर्मवीर ने अपना चेहरा उसकी गर्दन के साइड में कंधे पर रख दिया ।।

उपासना जब एक साथ झटके सो पीछे को धर्मवीर से जाकर टकराई तो कमरे में एक साथ छन छन की आवाज हुई ।
उपासना की चूड़ियां और पैरों के घुंघरू की आवाज से धर्मवीर को पागलपन छा गया ।
उसने अपने हाथ आगे ले जाकर उसके पेट पर रखें। जैसे ही पेट पर हाथ रखे तो उसकी नाभि में लगी हुई बाली धर्मवीर की उंगलियों से टकरा गई ।

धर्मवीर ने धीरे से कहा कि आज तो मेरी बहू लगता है पैरों से लेकर सिर तक सजी है ।

उपासना सुनकर शरमा गई और कहने लगी यह क्या कर रहे हैं पापाजी आप ।

धर्मवीर को उपासना का यह नाटक बिल्कुल भी पसंद नहीं आया धर्मवीर बोल उठा कि मैं क्या कर रहा हूं तुम मुझसे पूछ रही हो। मुझे अभी 20 मिनट पहले पता चला है और तुम इस बैड पर अपनी जवानी को पूरी रात जी भर के पिलवाने के लिए सुबह से तैयारियां कर रही हो, और तुम मुझसे पूछ रही हो कि मैं क्या कर रहा हूं ।

उपासना ऐसा सुनकर एक एक गहरी सांस ली और चुप रही।

धर्मवीर ने उसके पेट पर हाथ फेरते हुए उपासना से पूछा कि तुमने मुझे पहले क्यों नहीं बताया ।

उपासना कहने लगी आज सुबह ही मुझे पता चला इस बारे में फिर कभी बताऊंगी । ऐसा कहकर उपासना अपने आप को छुड़ाकर रूम से बाहर जाने लगी दोस्तों कपड़ों की वजह से उपासना चल भी नहीं पा रही थी । और चलते हुए उसके हाथों की चूड़ियां और पैरों के घुंघरू की छन छन छन छन की आवाज आ रही थी। सलवार की वजह से उपासना बहुत ही धीरे धीरे चल पा रही थी और उपासना ने चूत पर भी एक बाली लगाई हुई थी जिस वजह से उसे चलने में परेशानी हो रही थी ।

वह धीरे-धीरे कि आगे कदम बढ़ा पा रही थी ।उपासना निकल गई रूम से ।

उधर उपासना की गांड की थिरकन देख कर धर्मवीर को आज पता चला कि किसी की गांड इतनी भी मटक सकती है । क्योंकि उपासना की दोनों चूतड़ बारी-बारी से ऊपर नीचे हो रहे थे । कुछ समय बाद उपासना कमरे में आई और इस बार उसके हाथ में बड़ी सी थाली थी उसमें चारों तरफ दिए लगे हुए थे । उपासना धीरे धीरे चलती हुई आ रही थी दोस्तों चेहरे पर घूंघट लेकिन नीचे उसके पेट पर लगी वह बाली , उसकी टॉप फाड़ कर बाहर आने वाली छातियां देखकर धर्मवीर से सबर नहीं हो रहा था ।

धर्मवीर की नजर उसकी जांघों पर पड़ी तो उसकी सांसे रुक गयीं क्योंकि उपासना की चूत का शेप उस सलवार से साफ पता लग रहा था। देख कर ही धर्मवीर समझ गया था की उपासना की चूत कितनी भरी हुई और रसीली होगी । वह उसकी चूत को छूने की कल्पना करके ही सिहर उठा।

उपासना धीरे धीरे चल कर उसके पास आई और आकर उसके पैर छुए और बस इतना ही बोल पाई कि आज मैं आपको आज की रात में अपने पति के रूप में स्वीकार करती हूं ।
धर्मवीर ने उपासना के कंधों को पकड़कर उसे ऊपर उठाया और उसके होठों पर लगी हुई लिक्विड मेट लिपस्टिक को देखकर अपनो जीभ होंठो पर फेरता हुआ कहने लगा कि मैं आज तुम्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार करता हूं।
लेकिन केवल इसी पल क्योंकि इसके आगे आने वाले पल में तुम मेरे बिस्तर पर मेरी बहू रंडी बन जाओगी।

ऐसा सुनकर उपासना बुरी तरह से शरमा गई और चेहरा तो धर्मवीर को दिखाई नहीं दिया लेकिन उपासना की होठों पर आई मुस्कुराहट यह सब बयान कर गई ।

धर्मवीर ने सोफे पर बैठते हुए कहा कि मैं चाहता हूं मेरी पत्नी मेरी गोद में आकर बैठे ।
ऐसा सुनते ही उपासना ने ने धीरे-धीरे धर्मवीर की तरफ चलना शुरू किया और उसके सामने जाकर उसकी तरफ पिछवाड़ा करके धीरे-धीरे नीचे बैठने लगी ।
दोस्तों धर्मवीर की आंखों ने इतना नजदीक से जब उपासना का पिछवाड़ा देखा तो उसकी आंखें फैल गई। क्योंकि उन कूल्हों पर जो चर्बी चढ़ी हुई थी वह बयान कर रही थी कि उन्हें बेरहमी से कोई ठोकने वाला मिले । उसकी गांड के छेद को उसकी गांड के अनुसार ही चौड़ा करने वाला उसे आज मिल चुका था ।

और जैसे ही उपासना धर्मवीर की गोद में बैठी उसके भारी-भरकम चूतड़ों की गर्माहट उसके लंड तक चली गई।
उपासना ने भी भी यह महसूस किया की धर्मवीर का लंड खड़ा है और उपासना चुपचाप बैठी रही ।
धर्मवीर मन में सोचा की बहू को थोड़ा खुल कर बोलना चाहिए इसे थोड़ी सी बेशर्म होना चाहिए ।
ऐसा सोचते हुए धर्मवीर कहने लगा मैंने सोचा भी नहीं
था कि कोई बहू अपने ससुर के लोड़े पर इस तरह बैठेगी।

यह सुनकर उपासना शरमाते हुए धीरे से कहने लगी कि मैं केवल अपने ससुर की गोद में बैठी हूं और कहीं नहीं ।

ऐसा सुनकर धर्मवीर बोला तो जल्दी किस बात की है लोड़े पर भी बिठा ही लेंगे ।

उपासना ऐसा सुनकर बोली- पापा जी ऐसा मत बोलिए ।

धर्मवीर बोला क्यों तुम पूरी तैयारी कर चुकी हो और अब मेरे लंड पर भी अपनी गांड रख कर बैठी हो और तुम कह रही हो मैं बोलूं ना ।
मैं तो आज तुम्हारी इस जवानी को चमेली के फूल की तरह खिला दूंगा मेरी जान ।
ऐसा सुनकर उपासना शर्मा उठी ।
फिर धर्मवीर ने उसके कंधों को पकड़कर उसे अपनी एक बाजू पर लिटाया और कहने लगा कि अपनी बहू का चेहरा तो देख लूं। बहू के चेहरे को देखने के लिए घूंघट को उठाने लगा ।
जैसे ही उसने घूंघट उठाया उपासना ने अपनी आंखें बंद कर ले दोस्तों नजारा कुछ ऐसा था की उपासना उसकी गोद में लेटी हुई थी अपनी आंखें बंद किए हुए।
और उसके होठों पर लगी हुई लिक्विड मैट लिपस्टिक जैसे ही देखी धर्मवीर पागल हो उठा ।
उसके चेहरे की सजावट देखकर धर्मवीर से रहा ना गया।
उसके गालों की लाली देखकर धर्मवीर कहने लगा कि तुझे असली लंडधारी मर्द आज मिला है ।
ऐसा सुनकर उपासना ने अपनी आंखें और तेज मींच लीं ।
फिर धर्मवीर ने धीरे-धीरे अपना चेहरा उपासना की चेहरे की चेहरे की तरफ बढ़ाया और जैसे ही धर्मवीर की सांसें उपासना के चेहरे पर महसूस हुई उपासना आने वाले पल का इंतजार करने लगी । शर्म से उसकी आंखें बंद थी और हाथों की मुट्ठियाँ पूरी जान लगाकर उसने भींची हुई थी ।

फिर धर्मवीर उसकी नाक से अपनी नाक को टच करता हुआ बोला कि जब तक तुम आंखें नहीं खोलोगी मैं तुम्हारे इन लबों पर अपने होठों को नहीं रख सकता।

उपासना को इसकी उम्मीद नहीं थी वह सोच रही थी कैसे अपने ससुर के होठों को चूसते हुए वह देखेगी ।
वह नजर किस तरह मिला पाएगी उपासना ने धीरे से बोला पापाजी मुझ में हिम्मत नहीं है ।
जब इतनी पास से उपासना बोली तो धर्मवीर को उसके मुंह की सुगंध और उसकी सांसे धर्मवीर के मुंह में भर गई ।
धर्मवीर ने बोला यदि आज तुम्हें चुदना है तो आंखें तो खोलनी पड़ेगी ।
ऐसा सुनकर उपासना ने धीरे-धीरे अपनी आंखें खोली
अपनी आंखें जैसे ही उसने खोली उसकी नजर धर्मवीर की निगाहों से टकरा गई । दोनों एक दूसरे दूसरे की आंखों में देख रहे थे ।
उपासना की आंखों में देखते हुए धर्मवीर को ऐसा लगा जैसे बहू कह रही है कि उसे जी भर के प्यार करो ।
धर्मवीर ने कहा कि तुम्हारी नजरें कह रही है कि मेरे होठों को जी भर के चूसो।
उपासना बहुत ही धीरे से कह पायी- रोका किसने है बस इतना कह कर वह उसकी नजरों में देखने लगी।
फिर धर्मवीर ने अपने होठों को उसके होठों से लगा दिया जैसे ही दोनों के होठों का मिलन हुआ उपासना के अंदर सुरसुरी दौड़ गई ।
धर्मवीर ने अपना पूरा मुंह खोल कर उसके दोनों होठों को मुंह में भर लिया ।
उपासना तो मानो पूरी गरमा गई । और उसके मुह से सिसकारी निकल गई sseeeeeesss.

फिर धर्मवीर ने इंतजार किया उसके होंठ थोड़े खुलने का और जैसे ही उपासना ने अपने होठों को थोड़ा सा खोला धर्मवीर ने उसके ऊपर वाले हॉट को मुंह में भर लिया और चूसने लगा अब धर्मवीर का नीचे वाला हॉट उपासना के मुंह में था ।

उपासना ने सोचा की शुरुआत तो ससुर जी ने कर ही दी है तो मुझे भी थोड़ा उनका साथ देना चाहिए । ऐसा सोचते हुए उसने अपने मुंह के अंदर से अपनी जीएफ को ससुर के नीचे वाले हॉट पर चलाने लगी ।धर्मवीर को यह बहुत ही मादक लगा ।

उसने बारी-बारी से उसके दोनों दोनों होठों को चूसना स्टार्ट कर दिया ।होठों की चुसाई के बाद जैसे ही धर्मवीर ने अपना चेहरा हटाया तो उपासना कहने लगी कि तुम्हारे होठों पर लिपस्टिक लग गई है ।
धर्मवीर ने देखा उपासना की लिपस्टिक उपासना होठों के चारों तरफ भी फैल गई है ।



फिर उसने उसके गालों को मुंह में भरकर चूसा और उपासना से कहा कि मेरी जान बिस्तर पर चलें ।
उपासना धीरे से खड़े होने लगी तो धर्मवीर ने उसकी बाजू को पकड़ लिया और बैठे-बैठे ही उपासना के चूतड़ों पर ग्रेट जोरदार थप्पड़ मारा ।
इसकी उम्मीद उपासना को भी नहीं थी।

और उपासना के मुंह आउच की तेज आवाज निकल गई।
जैसे ही उपासना की गदरायी हुई गांड पर थप्पड़ पड़ा तो उपासना की गांड पूरी हिल गई ।
और धर्मवीर उपासना की गांड के हिलता देखकर कहने लगा आज मेरी जान के भारी भरकम चूतड़ों को अपने गालों से जी भर कर सहलाऊंगा।

उपासना यह सुनकर गर्म होती जा रही थी ।
धर्मवीर खड़ा हो गया उपासना जैसे ही हल्की सी आगे को चलने लगी एक जोरदार थप्पड़ उसकी गांड पर फिर पड़ा।
फिर से उसके मुंह से आउच की आवाज निकली ।
इस बार उपासना ने धीरे से कहा पापाजी आप मुझे पीटने आए हैं या प्यार करने ।

यह सुनकर हल्का सा मुस्कुराते हुए धर्मवीर बोला- तू कभी पिटते हुए नहीं चुदी है आज मेरी जान तुझे पीटते हुए चोदूंगा और इतनी गहराई तक चोदूंगा कि एक साथ दो दो बच्चे पैदा होंगे ।

यह सुनकर शर्मा गई उपासना और उपासना ने जैसे ही अपना घुटना बेड पर रखना चाहा धर्मवीर ने उसे रोक दिया और कहा कि यह कपड़े पहन कर बिस्तर पर जाओगी क्या।

उपासना कहने लगी बाबूजी लाइट्स ऑफ कर दीजिए।
धर्मवीर यह सुनकर गुस्सा करते हुए बोला की तुम मुझे ऊपर से ही प्यार जता रही हो दिल से तुम मुझे नहीं चाहती हो कि मैं तुम्हारे साथ यह सब करूं ।
उपासना यह सुनकर कहने लगी पापाजी ऐसा नहीं है यदि आप नहीं ऑफ करना चाहते हैं तो कोई बात नहीं।
मैं समझ रही हूं कि आप मुझे नंगी देखना चाहते हैं ।
लीजिये कर लीजिए अपनी दिल की पूरी।
उपासना ऐसा कहकर उसके सामने खड़ी हो गई दुपट्टे को पहले ही फेंक चुका था धर्मवीर उसके सर से निकालकर। अब उपासना टॉप और सलवार में फंसी हुई उसके आगे खड़ी थी ।
उपासना को अपनी तरफ घुमा कर धर्मवीर ने गले से लगाया और उसकी कमर पर अपने हाथ फेरने लगा ।
उपासना ने भी बड़े प्यार से अपने ससुर की छाती पर अपना चेहरा रखा और खड़ी हो गई उसकी बाहों में ।
धर्मवीर पीछे कमर से हाथ नीचे गांड पर ले गया और उसके चूतड़ों को अपने हाथों से हल्का सा दबाया ।
उपासना उसकी छाती से लगी हुई सिसकारी ले गई ।

फिर धर्मवीर ने उपासना की चूतड़ों पर दोनों हाथों से बारी-बारी 4, 5 थप्पड़ मारे और यह थप्पड़ इतनी तेज थी कि पटपट की आवाज पूरे कमरे में गूंज गई।

आउच आउच करती रही वह चुदक्कड़ घोड़ी ।
फिर धर्मवीर ने उसको घुमाया और उसकी गांड के पीछे खड़ा होकर उसकी छातियों पर अपने हाथ ले गया।
धर्मवीर ने जैसे ही उपासना की चुचियों को अपने हाथों में भरा तो वह हैरान रह गया क्योंकि उसकी चूचियां उसके हाथों में आ ही नहीं रही थी ।
धर्मवीर कहने लगा की उपासना बहू, मेरी संस्कारी बहु तुझे तो मेरे जैसे लंड की ही जरूरत है ।

उपासना के मुंह से आह निकल गई और धर्मवीर ने उसकी चुचियों को अपनी पूरी ताकत लगा कर भींचा । उपासना के मुंह से जोरदार चीख निकली।
फिर धर्मवीर ने उपासना के टॉप को आगे से पकड़ा और इतना जोरदार झटका मारा कि पूरा का पूरा टॉप फाड़ कर अलग कर दिया और उपासना की चूचियां आजाद होकर ऐसे खुल गई जैसे दो बड़े-बड़े पपीते हो ।
उन पपीतों को अपने हाथ से मसला धर्मवीर ने जी भरकर।
और फिर उसने उसको घुमा कर अपनी तरफ घुमाया तो वह देखता ही रह गया चूचियां तन कर खड़ी थी।
और उन चूचियों के निप्पल की चारों तरफ मेहंदी से बना हुआ वह सर्कल ।
धर्मवीर ने दोनों चूचियों को अपने हाथों में भर लिया फिर उपासना की गर्दन पर चुंबन करते हुए अपने हाथ उपासना की भारी भरकम गांड पर ले गया और उसने उसकी सलवार में एक छेद करते हुए चर्र चर्र की आवाज से वह सलवार फाड़ दी जैसे ही सलवार फ़टी उसके चूतड़ बाहर निकलकर अपने पूरे फैलाव में आ गए ।
ऐसी चौड़ी गांड पर हाथ फेरते हुए अपनी किस्मत पर नाज करने लगा धर्मवीर ।
और उन चूतड़ों पर जोरदार थप्पड़ों की बरसात कर दी ।

उपासना की सांसे चलने लगी लगी थी उधर धर्मवीर की सांसे भी तेज हो गई थी । और उसने उपासना की गांड के पीछे बैठकर उसकी सलवार को पूरी फाड़ दिया अब उपासना मादरजात नंगी खड़ी थी धर्मवीर के आगे।
उसने उपासना की के दोनों चूतड़ों को हाथों से चौड़ा किया और उसमें अपना मुंह रखकर एक लंबी सांस खींची ।
यह बर्दाश्त ना कर सकी उपासना और उपासना ने ने अपने हाथ पीछे ले जाकर धर्मवीर के सर को अपनी गांड पर दबा लिया।

उसकी गांड की मादक महक लेते हुए धर्मवीर गांड को चूमने लगा ।
उसके चूतड़ों को अपने गालों से अपने होठों से सहलाने लगा ।
फिर धर्म भी खड़ा हुआ और अपनी शर्ट उतार उतार कर बेड पर लेट गया ।

उपासना खड़ी-खड़ी यह देखने लगी उसकी चौड़ी छाती नंगी आज उसने पहली बार देखी थी .
छाती पर हल्के हल्के काले बाल थे
धर्मवीर की बाजू पर कसरत करने की वजह से कट पड़े हुए थे ।
एक मजबूत सांड को बिस्तर पर इंतजार करते देख किसी घोड़े की तरह उपासना बेड पर चढ़ी ।
धर्मवीर कहने लगा कि तुम्हारा खजाना भी मेरी पैंट में है निकाल लो ।
यह सुनकर उपासना शर्मा गई और बोली मुझे शर्म आती है।
आप ही उतार दो धर्मवीर कहने लगा अभी मेरे सर को पकड़ कर अपनी अपनी अपनी गांड में घुसाते हुए तुझे शर्म नहीं आई और अब तो शर्म आ रही है।

उपासना बोली पापा जी यह किस बदतमीजी से आप बात कर रहे हैं ।
धर्मवीर बोला कि अब नाटक बहुत हो गया है और तुम भी जानती हो कि तुम पूरी रात लंड खाने के लिए इस बिस्तर पर आई हो । तो फिर क्यों शर्म कर रही हो थोड़ी सी बेशर्म बनना , जिससे तुम्हें भी मजा आए, तुम भी इंजॉय कर सको खुलकर ।

ऐसा सुनकर उपासना कहने लगी अगर मैंने शर्म छोड़ दी तो आप बर्दाश्त नहीं कर पाओगे पापा जी ।
यह सुनकर धर्मवीर बोला कि दिखा तो अपना बेशर्म पना ।
मैं भी तो देखूं कि मैंने अपने घर में किस तरह की रंडी रखी हुई है ।

यह कहकर धर्मवीर लेट गया
उपासना यह सुनकर धर्मवीर के पास आई उसकी पेंट को खोलने लगी ।

जैसे ही उसने उसके पेंट को नीचे किया उपासना डर गई और डरकर बैड से दूर जाकर खड़ी हो गई भागती हुई ।

धर्मवीर बोला क्या हुआ ।
उपासना बोले नहीं ऐसा नहीं हो सकता पापा जी ऐसा तो किसी का भी नहीं हो सकता ।
इतना बड़ा और इतना मोटा । मैंने अपने पैर पर ही कुल्हाड़ी मार ली है ।

धर्मवीर कहने लगा कि मुझ पर विश्वास रखो मैं बहुत प्यार से करूंगा और धर्मवीर ने उसे अपनी तरफ आने को कहा।

उपासना धीरे-धीरे हिम्मत जुटाते हुए धर्मवीर के करीब आने लगी और आकर बैठ गयी।
धर्मवीर ने उपासना से कहा अपना लंड पकड़ाते हुए कि क्या हुआ पसंद नहीं आया क्या तुमको ।

उपासना डरते हुए कहने लगी कि आपका यह बहुत बड़ा है।
मैं तो कल्पना भी नहीं कर सकती फिर धर्मवीर ने उसका हाथ पकड़कर लंड पर रखा ,जैसे ही इतने मोटे लंड को हाथ में भरा उपासना की चूत में बिजली की तरह चीटियां चलने लगीं ।

धर्मवीर ने उपासना को बेड पर खड़े होने को बोला उपासना जैसे ही बेड पर सामने से खड़ी हुई धर्मवीर यह नजारा देखकर अपनी किस्मत पर फक्र करने लगा ।

उसकी चूत पर लटकता हुआ छल्ला उसकी चूत पर चार चांद लगा रहा था ।
भरी हुई जांघों के बीच चूत ऐसी लग रही थी जैसे ये मोटी जांघे उसकी चूत की रक्षा करती हो ।
उसकी मोटी मोटी जांघों के बीच रसीली चूत इस तरह शोभा दे रही थी जैसे कि गुलदस्ते में कोई फूल ।
उसकी गांड पर हाथ ले जाकर धर्मवीर ने उसे अपनी तरफ दबाया अपना चेहरा उसकी चूत के करीब ले गया।
उपासना को उसकी सांसे अपनी चूत पर महसूस हुई तो उसकी चूत और गर्म हो गई ।

धर्मवीर ने उसकी सजी हुई चूत को गौर से देखा ।चूत के दाने पर लटकी हुई वह बाली चूत को और भी ज्यादा शानदार बना रही थी।
उसने अपनी नाक की चूत पर लगाई और एक तेज सांस खींची उपासना के मुंह से सिसकारी निकल गई aaaaahhhhh ।
और धर्मवीर तो मानो दूसरी दुनिया में चला गया हो ।
उसकी चूत से उसके मूत की भीनी भीनी खुशबू उसे पागल कर गई ।
धर्मवीर ने अपनी जीभ निकालकर उसकी चूत पर जैसे ही लगाई उपासना की जान ही निकल गई ।

फिर धर्मवीर ने अपना पूरा मुंह खोला पूरी चूत को मुंह में भर कर अपनी जीभ से उसके दाने को सहलाने लगा ।
इसे बर्दाश्त नहीं कर पायी उपासना और एक ग़दरायी हुए जिस्म की रंडी की तरह बिस्तर पर गिर पड़ी ।
जैसे ही वह बिस्तर पर गिरी धर्मवीर ने उसकी चेहरे के पास आकर उसके गालों को चूमा उसके होठों को चूसने लगा।
और हाथ उसकी चूत पर ले जाकर उसकी चूत की दरार के बीच में उंगली से सहलाने लगा ।
यह उपासना के लिए हाल बेहाल वाली हालत थी ।
उसने अपनी दोनों जांघों को आपस में भींच लिया अब धर्मवीर के लिए हाथ को चलाना थोड़ा मुश्किल हो रहा था।
लेकिन उसने मशक्कत करके अपनी एक ऊंगली उपासना की उपासना की चूत के छेद पर रख कर अंदर की तरफ दबाई ।
जैसे ही आधी उंगली चूत में गई उपासना एक साथ सिसक उठी आआआआआआईईईईईईई ।

धर्मवीर को उसकी चूत में बहुत ही गीला गीला पानी महसूस हुआ , पानी छोड़ता देख धर्मवीर उपासना से बोला चुदने के लिए तैयार हो रही है तुम्हारी ये चूत ।

उपासना भी अब शर्म छोड़ देना चाहती थी।
उपासना बोली आज आपकी ये रांड आपके बिस्तर पर आपसे चुदने के लिए फैली पड़ी है ।
अपनी इन मजबूत बाजू में जकड़ कर इस रांड की चूत को चोदिये पापा जी ।आपकी संस्कारी बहु की चूत आपके सामने है।

जब धर्मवीर ने ऐसा सुना तो उसके लंड में इतना कड़कपन आगया कि उसने अपनी पूरी उंगली उपासना की चूत में उतार दी ।

उपासना इसके लिए तैयार नहीं थी और उपासना उंगली चूत में घुसते ही ऊपर की तरफ सरकने लगी ।

धर्मवीर बोला कि मेरी जान अभी तो उंगली ही गई है लोड़ा भी ऐसी चूत में उतरेगा आज ।
यह सुनकर उपासना से बर्दाश्त नहीं हुआ और उपासना बोली - पापा जी देखिए आपकी बहू कितनी बड़ी चुडक्कड़ रंडी है , आज यह आपको मैं दिखा ही देती हूं ।
ऐसा कह कर उपासना ने उसके सीने पर धक्का मारा और उसको लिटा कर उसके लोड़े के पास अपना चेहरा ले गई।

दोस्तों उपासना ने अपने चेहरे से लंड को नापा तो धर्मवीर का लंड उपासना के माथे से भी ऊपर जा रहा था ।
उपासना धर्मवीर के देखकर हैरान होते हुए सोचने लगी कि इस मर्द इन अंडों में कितना रस होगा।
कैसा होगा वह पल जब इनका रस निकल कर मेरी चूत में भर जाएगा ।
यह सोचते ही उसने अपनी जीभ निकाली और लंड को चाटने लगी।
लंड को चाटते हुए उपासना अब इतनी बेशर्मी पर उतर आई थी कि उसने अपनी आंखें धर्मवीर की निगाहों से मिला दीं ।

उसकी नजरों में झांकते हुए उसके लंड को चाटने लगी।
यह नजारा देखने लायक था। और धर्मवीर का लंड भनभना गया ।

उपासना ने उसके लंड को चाटने के बाद उसे मुंह में लेना चाहा लेकिन उसका लैंड का आगे का नुकीला हिस्सा ही उसके मुंह में जा सका । क्योंकि धर्मवीर का लंड मोटा होने की वजह से उसके मुंह में फस रहा था ।
यानी कि अंदर नहीं घुस पाया था। यह देखकर धर्मवीर ने उसका सर पकड़ कर अपने लंड पर दबाया लेकिन फिर भी उसके मुंह में जाने से नाकाम रहा ।
धर्मवीर को यह बर्दाश्त नहीं हुआ और उसने उपासना को बड़ी फुर्ती से बेड पर सीधा चित्त लिटाया और उसके ऊपर चढ़कर उसके सर के नीचे एक तकिया लगाया
धर्मवीर ने कहा कि खोल मेरी जान अपना मुंह ।
उपासना ने जैसे ही मुंह चौड़ा किया धर्मवीर ने पूरा झुक कर उसके मुंह में ऐसा झटका मारा कि लंड आधा उपासना के मुंह में चला गया । अब आधा लंड उपासना के मुंह में फसाकर धर्मवीर जैसे ही ऊपर की तरफ हुआ तो उपासना का चेहरा भी लंड के साथ ऊपर की तरफ खींचने लगा।
क्योंकि उसके मुंह में लंड फसा पड़ा था ।उपासना की आंखें बाहर निकलने को तैयार थी और आंखों से हल्के हल्के आंसू निकलने लगे थे ।



यह देखकर धर्मवीर भी सोचने लगा कि यदि मैंने अब लंड निकाल लिया तो यह दोबारा लेने के लिए राजी नहीं होगी ऐसा सोचते ही उसने अपनी कमर का दबाव बनाते हुए एक और झटका मारा और लंड उपासना के हलक तक उतार दिया। इतना मोटा लौड़ा अपने मुंह में फंसा कर पछता रही थी आज उपासना । वह बस गूंगूंगूंघोंघों के अलावा कुछ नहीं कर पाई। 1, 2 झटके के बाद जब धर्मवीर को लगा की उपासना की हालत बर्दाश्त से बाहर है तो उसने माथे पर हाथ रखकर अपने लंड को बाहर खींचा और लंड बाहर खींचते ही उपासना के मुंह से ढेर सारा थूक उसके लंड के साथ बाहर तक निकल गया उसके थूक से पूरी उसकी चूचियां गीली हो गयी ।

उपासना - अपनी बहू को इस तरह भी क्या कोई लंड डालता है मुंह में कि मेरे हलक तक ही उतार दिया ।
और वह भी इतना मोटा लौड़ा मुझे नहीं लगता मैं इसे चूत में ले पाऊंगी ।

धर्मवीर- मुस्कुराते हुए कहने लगा कि मेरी जान इस लंड से चुदने के बाद निखर जाएगी ।तेरी गांड और भी ज्यादा चौड़ी हो जाएगी । तेरी सुंदरता और भी ज्यादा बढ़ जाएगी।

ऐसा कहते हुए उपासना को उसने दोबारा से लिटाया और अपने लंड को उसके गालों पर ऐसे मारने मारने लगा जैसे हल्के हल्के हल्के थप्पड़ मार रहा हो। अपने लंड से उसके मुंह को सहलाने के बाद धर्मवीर उसकी चुचियों पर आया।

धर्मवीर ने अपना मुंह खोला और उसकी चुचियों को मुंह में भरा । फिर धर्मवीर ने उपासना की कमर के नीचे अपने हाथ लगाए और उसकी छाती को अपने मुंह पर और ज्यादा दबाया जिससे कि उसकी चूचियां उसके मुंह में ज्यादा से ज्यादा आजाये । उसके बाद उसकी चुचियों को चाटने लगा।
दोनों चुचियों से खेलने और चाटने के बाद धर्मवीर ने अपना चेहरा उठाया तो देखा उसके थूक से उसकी दोनों चूचियां गीली हो गई है ।
धर्मवीर ने अपना भयंकर लंड उसकी चुचियों के बीच में रखा और उसकी चूची में घिसने लगा और एक हाथ से उसकी चूत को सहलाने लगा ।
अब उपासना चुदने के लिए पूरी तैयार हो चुकी थी ।
लेकिन और भी उसे तड़पाना चाहता था धर्मवीर ।
उपासना से कहने लगा कि मेरी बहू मुझे पता होता कि तेरी जवानी इतनी लंड की भूकी है तो कब का मैं तुझे चोद चोद कर निहाल कर देता । ऐसा कहकर धर्मवीर नीचे की तरफ आया और उसके पेट को चाटने लगा उसके पेट को चाटने के बाद धर्मवीर उसके चूत पर ना जाकर सीधा उसके पैरों पर गया ।
पैरों को चूमने चाटने लगा फिर उसने उपासना के पैरों को पकड़कर उपासना को उल्टा लेटने का इशारा किया।
उपासना उल्टी होकर लेट गई जैसे ही उसकी गांड ऊपर को उठी धर्मवीर ने उसकी गांड पर अपने दोनों हाथो से थप्पड़ों की बरसात करदी ।उसकी गांड हल्की-हल्की लाल हो गई थी ।
उसकी कमर पर चुंबन करने लगा ।
फिर धर्मवीर उसके चूतड़ों को अपने गालों से सहलाने लगा।
अपने होठों से उन चूतड़ों पर चुंबन देने लगा फिर उसने उन चूतड़ों को अपनी जीभ निकालकर चांटा और उन्हें फैला कर चूतड़ों के बीच मुह घुसा दिया ।

फिर धर्मवीर ने उपासना को सीधी लिटाया और उसकी जांघों को उसके घुटनों तक मुड़कर छातियों से मिला दिया।
धर्मवीर उपासना के इस रूप को देखकर पागल हो उठा क्योंकि उसकी चूत खुलकर सामने आ गई थी और उसकी चूत के एकदूसरे से सटे हुए होंठ अब छेद के पास से हल्का सा खुल गए थे और एक छोटा सा छेद धर्मवीर को नजर आने लगा ।
धर्मवीर उसे निहारते हुए उसकी चूत पर ऐसे टूट पड़ा कि जैसे कुत्ता ।

धर्मवीर ने अपना थूक निकाल निकाल कर उसकी चूत के पानी के साथ मिलाया और उसकी चूत को लप-लप चाटने लगा ।
उसके दाने को चूसने लगा। उपासना की बर्दाश्त से बाहर हुआ तो उपासना उसके सर को अपनी चूत पर दबाने लगी।
उपासना के मुंह से निकला चाट लो पापाजी मीठा पानी। इस पानी को चाटने के लिए तो कितने लोग पागल हुए फिरते हैं। और आपकी बहू अपनी चूत फैलाकर आपसे भीख मांग रही है कि इसे चाटो, इसे इतना प्यार करो कि निगोड़ी चूत इतनी निखर जाए कि हर लंड को इससे प्यार हो जाये ।
धर्मवीर का पूरा चेहरा उपासना की चूत के पानी से और थूक से सन गया था ।
धर्मवीर बोला इस चूत को आज इतना प्यार करूंगा की ये चूत, चूत ना रहकर भोसड़ा बन जाएगी ।



उपासना की आंखों में धर्मवीर ने देखा तो उपासना की आंखें कह रही थी कि मैं लंड मांग रही हूं मैं मुझे दे दो अपना तगड़ा हल्ल्बी लोड़ा।

धर्मवीर ने जब देखा कि उपासना हद से ज्यादा पानी छोड़ने लगी है तो ऊपर आया और उसके ऊपर लेट कर अपने लंड को उपासना की चूत से रगड़ दिया।
जैसे ही लंड का स्पर्श चूत पर हुआ उपासना पागल हो गयी । उस गरम लंड के के स्पर्श से ।
फिर उसकी टांगों को उसकी छातियों से लगाकर धर्मवीर उसकी चूत के आगे बैठा और अपना लंड उसकी चूत पर ऐसे मरने लगा जैसे हल्के हल्के थप्पड़ मार रहा हो ।
उसके बाद धर्मवीर भी सोचने लगा कि अब समय आ गया है बहू की चूत में लंड डालने का फिर धर्मवीर ने अपने लंड पर थूक लगाया और उसे उपासना के छेद पर लगा कर जैसे ही हल्का सा धक्का दिया है लंड फिसल गया ।



उपासना आंखें बंद किए हुए इंतजार कर रही थी और आह आह सिसकारी ले रही थी ।कि अब उसकी चूत में लंड उतरेगा ।धर्मवीर ने दोबारा उसके ऊपर लंड को चूत पर लगाकर झटका दिया हल्का सा छेद में जाने के लिए घुसा ही लेकिन फिर फिसल गया ।
और जैसे ही लंड चूत के छेद पर लगा रहा था उपासना को ऐसा लगा जैसे कोई क्रिकेट वाली बॉल को उसकी चूत में घुसा रहा हो ।
उपासना जानती थी कि उसे असहनीय दर्द होगा लेकिन वह अपने आप को तैयार कर रही थी।
फिर भी बड़ी मशक्कत करने के बाद जब लंड उसकी चूत में नहीं गया तो उपासना को याद आया कि उसने रैक में चॉकलेट का डब्बा भी रखा था ।
उसने लिक्विड चॉकलेट का डब्बा निकालकर धर्मवीर की तरफ बढ़ा दिया धर्मवीर ने देखा तो उसका मजा दोगुना हो गया ।
उसने जल्दी से डब्बा खोला और उसकी टांगों को छाती से लगाकर वह लिक्विड चॉकलेट उसकी चूत पर डालने लगा जब चॉकलेट से पूरी चूत ढक गई धर्मवीर उसे चाटने लगा।
पूरा डब्बा उसकी चूत पर डाल डाल कर चाटा।
उपासना तो मजे से दोहरी हो गई ।
चूत की ऐसी चटाई उसने आज तक नहीं देखी थी ।

उसके बाद धर्मवीर ने सोचा कि इतनी आसानी से बहू की चूत में नहीं जाएगा और उसने उपासना को घोड़ी बनने को बोला ।
उपासना घोड़ी बन गई और उसकी जांघों का और गांड का फैलाव देखकर धर्मवीर का लंड बिल्कुल उसकी चूत फाड़ने के लिए तैयार हो गया था।
धर्मवीर ने उपासना की कोहनी को भी मोड़ कर उसके चेहरे को बिस्तर से लगा दिया।
फिर धर्मवीर ने उपासना से मुंह खोलने को बोला।
उपासना ने अपना मुंह खोला तो धर्मवीर ने उसमें अपना दो उंगलियां डाल दीं ।
उपासना उन्हें चूसने लगी लेकिन धर्मवीर के दिमाग में क्या आया कि उसने ढेर सारा थूक अपने लंड पर लगाया।
लंड को थूक से पूरा सानने के बाद उसकी चूत में भी उसने ढेर सारा थूक भरा ।
और फिर चारों उंगलियां उपासना के मुंह में डाल दी।
धर्मवीर ने अपनी उंगलियां , अपना आधा हाथ उपासना के मुंह में हलक तक उतारा



उसने अपना लंड उपासना की चूत पर रख कर एक हाथ से उसकी भारी-भरकम गांड को पकड़ा और दूसरे हाथ से अपना लंड पकड़ कर उसकी चूत के छेद पर रख कर जितनी उसमें ताकत थी पूरी ताकत से धर्मवीर ने झटका मारा तो धर्मवीर का लंड कम से कम 4 इंच उपासना की चूत में घुस गया।
जैसे ही उपासना की चूत में लंड घुसा उसकी चूत इस तरह चौड़ी होकर लंड पर फैल गई जैसे कोई रबड़ चढ़ाई गई हो।
दोस्तों जैसे ही झटका लगा तो उपासना की आंखें बाहर आ गई ,चिल्ला तो नहीं सकी क्योंकि धर्मवीर का हाथ उसके मुंह में फंसा हुआ था और जैसे ही धर्म भी ने झटका मारा था तो अपना हाथ और भी उसके गले लग तक उतार दिया था।
उपासना बस गूंगूंगूंघोंघों गूंगूंगूंघोंघों ही कर सकी ।

उपासना की आंखों से आंसुओं की झड़ी लग गई ।
उपासना अगले पल का इंतजार करने लगी।
धर्मवीर ने इस अवस्था में 1 मिनट तक रुकने के बाद अपनी पूरी ताकत से दूसरा झटका मारा और इस बार लंड का एक तिहाई हिस्सा उपासना की चूत में उतर गया था।
उपासना का दर्द और भी बढ़ता गया और वह गूंगूंगूंघोंघों करती रही जैसे कोई रंडी गलत जगह फंस गई हो।
फिर धर्मवीर ने लंड को हल्का सा बाहर खींचकर एक और तगड़ा झटका मारा और इस बार धर्मवीर की झांटे मिल गई थी उपासना की चूत से ।
पूरा लंड उसकी चूत में उतर चुका था।
नजारा यह था कि इतना तगड़ा लंड अपनी चूत में फंसाकर उपासना ना रो पा रही थी और ना ही चिल्ला पा रही थी। उपासना की गांड का छेद बार-बार बंद हो रहा था बार-बार खुल रहा था ।

धर्मवीर ने अपना हाथ उपासना के मुंह से निकाला

उपासना चिल्लाते हुए - पापाजी मर गई ।
यह मेरी चूत का हाल क्या कर दिया आपने मेरी चूत तो ऐसे लग रही है जैसे पूरी भर गई हो आई आई हुई करती हुई उपासना ने कहा हल्का सा बाहर कर लीजिए मुझसे सहन नहीं हो रहा ।
धर्मवीर ने सोचा कि अब उपासना की चूत में लंड चला गया है तो जगह बन गई और धीरे-धीरे धर्मवीर ने अपना लंड बाहर निकाल लिया।
दोस्तों जैसे ही लंड बाहर निकला उपासना चूत की कुछ खाल धर्मवीर के लंड के साथ बाहर को खींच रही थी।
उपासना का छेद इतना चौड़ा हो गया था तो उसमें काफी अंदर तक देखा जा सकता था।
चूत खुलकर बिल्कुल चौड़ गई थी ।
धर्मवीर ने उपासना को सीधा लिटाया और अपनी बहू के ऊपर लेट कर उसकी टांगों को मोड़कर छाती से लगा दिया।
धर्मवीर उसके ऊपर झुका और झुक कर उसके चेहरे को चाटते हुए लंड रगड़ने लगा चूत से।
लंड की रगड़ से उसकी चूत दोबारा से पानी पानी हो गई।
और उपासना ने अपनी हाथों से उस लंड को पकड़ कर अपने छेद पर सेट किया और बोली ससुर जी जरा धीरे से इतना सुनते ही धर्मवीर ने उसके होठों को चूसते हुए उसके जोरदार धक्का मारा।

उपासना - आआईईईईई जी मर गई बचा लो मुझे।
इतनी जोर से चिल्लाने लगी जैसे कोई गाय रेंक रही हो ।
धर्मवीर ने दोबारा से एक और झटका मारा इस बार उसका पूरा का पूरा लंड उसकी चूत में उतर गया ।
और उसकी चूत को अपने लंड से भर कर चुचों से खेलने लगा धर्मवीर । उसके गालों को अपने गालों से सहलाने लगा। उसके माथे को चूमने लगा उसके होठों को चूसने लगा।
जब कुछ नॉर्मल हुई उपासना तो उवासन उसकी आंखों में झांककर अनुमति दी कि अब झटके मार सकते हो।
दोबारा से 2, 3 झटके पूरी जान से मारे धर्मबीर ने।
दोस्तों इन झटकों से उपासना की चूत पूरी तरह से चौड़ गई थी ।
उपासना की चूत का दाना बिल्कुल लंड पर रगड़ खा रहा था इतना चौड़ा हो गया था उपासना की चूत का छेद
फिर धीरे-धीरे नॉर्मल हुई उपासना नीचे से गांड हिलाने लगी।
जब धर्मवीर ने देखा तो उसने सोचा कि अभी उसने मेरे लंड की ताकत देखी कहाँ है । उसने पूरा झुक कर अपनी पूरी स्पीड में 10 , 15 झटके मारे।



दोस्तों जैसे ही धर्मवीर के लंड के झटके उपासना की चूत पर पड़ते हैं तो उसकी चूड़ियों की खनखन पूरे कमरे में गूंज जाती हर झटके पर उसके पैरों में बंधे घुंघरू छन छन छन की आवाज कर रहे थे ।
इतना मधुर संगीत पहली बार उपासना ने सुना था कि चूत की चुदाई का संगीत साथ में उसकी चूड़ियां और घुंघरुओं की खनखन उसे डबल मजा दे रही थी।

झटके इतने ताबड़तोड़ तरीके से मारे गए थे कि उपासना की गांड धर्मवीर के लंड के साथ ही उठ जाती और धर्मवीर के पूरे वजन के साथ उसकी गांड बैड के गद्दे में धंस जाती ।

उपासना की इतने बुरे तरीके से चूत फाड़ी जाएगी उपासना ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था ।
उसकी चूत पर वह तगड़ा लंड बार-बार झटके दे रहा था।
और उपासना की चूत का पानी उस लंड पर ऐसे चमक रहा था कि मानो कोई चुडक्कड़ रांड की चूत में अंदर बाहर हो रहा हो।
फिर धर्मवीर कहने लगा कि मानता हूं मेरी रानी तेरी भी दाद देनी पड़ेगी । मेरे लंड को पूरा ले गई चूत में वरना इतना आसान नहीं होता हर किसी के लिए अपनी चूत में मेरा यह लंड लेना ।



उपासना कहने लगी कि बहू भी तो आपकी ही हूं कर लीजिए अपने मन की पूरी । यह पड़ी आपके रंडी आपके नीचे अपनी टांगों को फैलाकर ।

धर्मवीर ने उसके कंधे को पकड़कर उसकी चूत में इतने तगड़े तगड़े झटके मारे की उपासना तो दोहरी हो गई ।और मजे से सातवें आसमान में पहुंच गई ।
चूत का बाजा तो इस तरह बज चुका था कि कोई कह नहीं सकता था वह चूत है अब तो वह भोसड़ा बनने की कगार पर थी ।

चुदते वक्त जब उपासना के पैरों में बंधे घुंगरू इतनी तेज आवाज कर रहे थे छनछन की लग रहा था कोई ढोल बैंड वाले मजीरा बजा रहे हैं।
उसकी चूड़ियों की खनखन धर्मवीर के पीठ पर खनक रही थी ।

उपासना की चूत में इस तरह गदर मचाता हुआ लंड जब अंदर बाहर होने लगा तो उपासना की चूत से पानी रिसने लगा । और वह पानी उसकी गांड तक पहुंच गया।

उपासना की चुदाई इस तरीके से हो रही थी जैसे कोई किसान हल से अपना खेत जोत रहा हो ।
भयंकर और धमाकेदार चुदाई से उपासना निहाल होती जा रही थी।
उसे चोदते चोदते धर्मवीर ने उसके मुंह पर थूक दिया। उपासना के गालों पर पड़ा हुआ धर्मवीर थूक इस बात की गवाही था कि वह एक संस्कारी बहु से बेशर्म रंडी बन गई है।
और उपासना ने उस थूक को अपने गाल पर मल लिया।
जिसे कि उसका सारा मेकअप उसकी आंखों का काजल उसके चेहरे पर ऐसे फैल गया जैसे कोई रंडी रात भर चुद कर सुबह को उठी हो।

इस रूप को देखकर और झुककर धर्मवीर ने अपने मुंह से जैसे ही तो अपने मुह से थूक निकालना चाहा यह देखकर उपासना ने अपना मुंह खोल दिया और उसका सारा थूक अपने मुंह में ले लिया ।
और फिर धर्मवीर ने उसके होठों को चूसते हुए उसकी चूत पर लंड के प्रहार जारी रखे।
इस तरह से चुदने के बाद उपासना का रोम रोम खिल उठा।
धर्मवीर ने ने उसकी एक टांग को नीचे कर दिया और एक टांग को कंधे पर ही रहने दिया और उसकी चूत में ताबड़तोड़ झटके मारता चला गया ।
कम से कम 40 45 मिनट इसी पोजीशन में चोदने के बाद उपासना की टांगे भी दुखने लगी और उपासना थक गई थी।
धर्मवीर ने उसकी चूत से लंड निकाला और चूत को देखकर कोई नहीं कह सकता था कि यह वही उपासना की चूत है ।

उपासना अपना हाथ चूत पर लेकर गई तो जैसे ही उसकी चूत के छेद पर उसकी उंगलियां गई उसे पता ही नहीं चला कि उसका छेद है उसकी तीन उंगलियां एक साथ उसकी चूत में घुस गई ।।
उपासना मुंह से निकला हे भगवान पापा जी आप ने क्या कर दिया अब मैं आपके बेटे के सामने इस चूत को कैसे लेकर जाऊंगी ।
धर्मवीर कहने लगा कि आज की चुदाई अभी तक पूरी नहीं हुई है ।उसके बारे में बाद में सोचेंगे और ऐसा कहते हुए धर्मवीर लेट गया और उपासना उसके ऊपर आकर अपनी थोड़ी सी गांड को फैला कर अपनी चूत के छेद पर उसका लंड सेट करके और एक साथ चीखती हुई बैठी आआआआआआईईईईईईई बचाओ कोई मुझे हाय ।

पापा जी आपकी रंडी आपका सारा लौड़ा ले गयी मैं।
धर्मवीर के हाथ उसके चूतड़ों पर चले गए और धर्मवीर उसके चूतड़ों पर थप्पड़ मारते हुए नीचे से झटके देने लगा।

और उपासना झुक कर अपने ससुर के होठों को चूसने लगी ।
धर्मवीर ने जैसे ही झटकों की रफ्तार बढ़ाई उपासना किसी रंडी की तरह चिल्लाने लगी कमरे में ।



उपासना की चुदाई का शोर कुछ इस कदर था जैसे कोई तीन चार रंडियां एक साथ मिलकर चुद रही हों।
उपासना सस्ती रांड की तरह गुर्राते हुए कहने लगी और तेज और तेज ससुर जी ।
अपनी बहू की चूत को आपने ही मुझे पसंद किया था ना अपने बेटे के लिए तो लीजिये आज संभालिये इस चूत की गर्मी ।
डाल दीजिए मेरी चूत में अपना बच्चा ।
धर्मवीर कहने लगा कि मेरी जान तुझे तो अपने लंड पर इस तरह नचाऊंगा कि दीवानी हो उठेगी ।

दिन में भी खुली आंखों से सपने देखेगी मेरे लंड के ।

उपासना - आपकी कुत्तिया देखो तो आपके ऊपर किस तरह से आपके लंड को निगले हुए बैठी है। देख क्या रहे हो पापाजी दिखाओ इसे अपने लंड का दम।
इस निगोड़ी चूत में अपना लंड उतारो उपासना की चूत मारते हुए धर्मवीर उसे चोदता रहा और कहने लगा कि मैंने सोचा भी नहीं था कि मेरी बहू इतनी गरम कुतिया होगी।

उपासना कहने लगी आपके जैसा लंड अगर चूत में उतरेगा तो संस्कारी बहु भी कुतिया बनेगी पापाजी।
जिससे कहोगे आप उससे चुद जाऊंगी इस लंड के लिए।
आपके मुंह पर अपनी चूत रख कर बैठा करूंगी सुबह को और तब आपको गुड मॉर्निंग बोला करूंगी।
आपकी रंडी इस घर में अब सिर्फ चुदने के लिए रहेगी।

धर्मवीर यह सुनकर कहने लगा हां मेरी रानी बहू अब तुझे कहीं जाने की जरूरत नहीं है बस तू अपनी गांड और चूत को सजाकर मेरे लोड़े के लिए मेरे बिस्तर पर इंतजार किया करना इस तरह झटके मारते हुए उसकी चूत की ताबड़तोड़ चुदाई चालू थी ।

फिर धर्मवीर ने उपासना को दोबारा से नीचे लिटाया और उसकी गांड के नीचे एक तकिया रख दिया और ऊपर आकर उसकी चूत का हाल देखा ।
धर्मवीर मन ही मन अपने ऊपर गर्व महसूस करने लगा क्योंकि उपासना की चूत ऐसी हो गई थी जैसे कोई दो तीन अफ्रीकन नीग्रो से उसका गैंगबैंग हुआ हो।
फिर पूरी ताकत से झटका मारा धर्मवीर ने।
दोस्तों गांड के नीचे तकिया रखा होने की वजह से धर्मवीर का लंड जड़ तक उसकी चूत में उतर गया।
और उसकी बच्चेदानी से जा टकराया उपासना मजे से दोहरी होकर गुर्रा पड़ी पापाजी फाड़ दीजिए प्लीज रंडी की चूत । मत कीजिए कोई रहम।
इस कदर मेरी चूत का मंथन कीजिए जैसे देवताओं ने मिलकर समंदर का मंथन किया था। लाज और शर्म में बहुत दिन रहली अब यह तुम्हारे लंड की दीवानी बन के अपनी चूत को दिन-रात आपके लंड से सजाएगी ।

धर्मवीर ने कसकस के उसकी चूत में घस्से मारे जिस वजह से उपासना का पानी निकलने को तैयार हो गया ।
और उपासना रंडियों की तरह चिल्लाते हुए कहने लगी पापाजी आपकी कुतिया गयी ।

धर्मवीर सोचने लगा कि उपासना झड़ने वाली है तो उसे भी झड़ना होगा उसने अपने धक्कों की रफ़्तार और तेज कर दी पिस्टन की तरह अंदर बाहर करना स्टार्ट कर दिया लंड।
किसी मशीन की तरह धर्मवीर की कमर ऊपर नीचे इतनी स्पीड से हो रही थी कि बिल्कुल उपासना की चूत के छेद में उसका लंड पूरा बाहर आता उतनी ही स्पीड से अंदर जाता ।
उपासना चिल्लाते हुए झड़ गयी पापाजी डाल दीजिए अपना बच्चा मेरी चूत में ।आपके बच्चे को जन्म देना चाहती हूं मैं ।
आपका पानी मेरी चूत में छोड़ दीजिए बना दीजिए मुझे मां एक नहीं दो दो बच्चों की मां बना दीजिए इस घोड़ी को ।
यह घोड़ी अभी तक कुंवारी थी आज मैंने जाना है चूत फाड़ना किसे कहते हैं ।
सच में आपने वह कर दिखाया जो आपने कहा था।
बना दिया पापाजी आपने आपने मेरी चूत का भोसड़ा।
अभी फटी हुई चूत को लेकर मैं घर में घुमा करूंगी ।
और धर्मवीर इन बातों से इतना गरम हुआ कि उसने अपनी सांसो को खींचकर झटके इतने तेज मारे की फिर चीख पड़ी उपासना और लास्ट वाले झटके में अपनी पूरी ताकत लगाकर अपने लंड को चूत में उतार कर अपना पानी भरने लग गया ।

धर्मवीर के लंड से गरम गरम ढेर सारा वीर्य उसकी चूत में भर गया ।



धर्मवीर कुछ देर तक उसके ऊपर ऐसे ही पड़ा रहा ।
फिर लंड उसकी चूत से जैसे ही बाहर निकाला तो चूत का छेद उसके लंड की आकार का हो गया और उसकी चूत के छेद में से वीर्य बाहर निकलने लगा ।
क्योंकि चुदायी इस कदर हुई थी।
वीर्य बहकर उसकी गांड तक जाने लगा।
इस हालत को देखकर धर्मवीर हल्का सा मुस्कुराया और उसके होंठों को चूमने लगा।


इस भयंकर चुदाई के बाद जैसे ही उपासना की आंखे खुली तो उसकी नजर डायरेक्ट सामने वाली खिड़की पर गयी ।
उसकी मुह से तुरंत चीख निकली क्योंकि खिड़की पर दो साये खड़े यह देख रहे थे । उसमे एक साया लड़के का था और दूसरा साया किसी लड़की का।
यह तो पक्का था कि वो शालीनी और राकेश तो थे ही नही कौन थे और उसके बाद क्या होता है जानते है next update में।


।।।।।।।।।।
कैसा लगा दोस्तो आपको आज का ये चुदाई समारोह ।
आपके सपोर्ट की उम्मीद रखने वाला आपका प्यारा सा राइटर - रचित चौधरी ।
आगे आने वाली updates में थोड़ा स्टोरी को तेज करना होगा मेरे कुछ भाइयो का ऐसा कहना है तो अब तक ये कहानी स्लो मोशन में चली उसके लिए माफ करियेगा इस नादान को।

।।।।।।।।।।।

Baap re kiya update tha, maana kahani ko aapne puri tarah badal diya, jo ki reader k liye tha, par ek writer k taur pe wo sahi nahi laga Hume, berhaal update behad garam tha aur khas karke dharm k bahar nikalte waqt munh main fasna aur pure munh k sath main uth jaana ye toh behad unique cheezo lagi aur behad khubsurat bhi, yakinan aapka dimag in cheezon main kaafi satir hai,
Eske alawa munh k andar thukna ye cheez kafi waqt se mere man main thi, jo main khud apni Kahani main use karne wali hu par jis tarah aapne es ceez ka estimal kiya uski baat hi aur hai, sach main aapki kahani k es update k chakkar main aaj 2 baj gaye raat k aur main kabhi itha nahi jahti hu, ha sohar chade ho toh wo baat aur hai
 

Rachit Chaudhary

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Baap re kiya update tha, maana kahani ko aapne puri tarah badal diya, jo ki reader k liye tha, par ek writer k taur pe wo sahi nahi laga Hume, berhaal update behad garam tha aur khas karke dharm k bahar nikalte waqt munh main fasna aur pure munh k sath main uth jaana ye toh behad unique cheezo lagi aur behad khubsurat bhi, yakinan aapka dimag in cheezon main kaafi satir hai,
Eske alawa munh k andar thukna ye cheez kafi waqt se mere man main thi, jo main khud apni Kahani main use karne wali hu par jis tarah aapne es ceez ka estimal kiya uski baat hi aur hai, sach main aapki kahani k es update k chakkar main aaj 2 baj gaye raat k aur main kabhi itha nahi jahti hu, ha sohar chade ho toh wo baat aur hai
आपका धन्यवाद करने के लिए शब्द नही है मेरे पास ।
So इतना ही कहूंगा तहेदिल से धन्यवाद
साथ बने रहिएगा
 

Nasn

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आपका धन्यवाद करने के लिए शब्द नही है मेरे पास ।
So इतना ही कहूंगा तहेदिल से धन्यवाद
साथ बने रहिएगा
....भाई......
अपडेट भी दे दो....
FORUM पर कहाँ मूड़ मारे ...?
कोई भी स्टोरी इतनी HORNEY कहाँ है
दोस्त......…??


यार....बहुत तरसाते हो....:angrywife:
 
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Rachit Chaudhary

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लिखने का तो मन नही था but comments पढ़कर अबी लिखना शुरू कर रहा दोस्त
 

Kabir

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waiting for next update
 

Rachit Chaudhary

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