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पिछले अपडेट मे आपने पढा एक ओर जहा राहुल और निशा की चुदाई हो गयी थी , वही राज ने काजल भाभी को लपेटना शुरु कर दिया है देखते है आगे राज का क्या प्लान बनता है ।
अब आगे
राज की जुबानी
निशा से फोन पर और फिर काजल भाभी से whatsaap पर बात की और दुकान के काम मे लगा रहा ।
शाम को अनुज रोज की तरह राहुल से मिलने गया और वापस घर की ओर निकल गया ।
रात के 8 बजने के करीब थे और मै दुकान लगभग बढा चुका था कि शालिनी चाची दुकान पर आई ।
चाची को इस समय अचानक से दुकान पर देख कर मै चौक गया
मै - चाची आप यहा इस वक़्त ? सब ठिक है ना
चाची मुस्कुरा कर - हा रे । मुझे क्या होगा ?
मै - आप इतने टाईम यहा , मा तो घर पर है
चाची मुस्कुरा कर - अरे लेकिन मुझे तो तुझसे काम है ना
मेरी आंखे चमकी कि कही चाची उस दिन दोपहर वाली अधूरी कहानी पूरी करने तो नही आ गयी । क्योकि आखिरी बार जब वो आई थी तो मस्त मुह पेलाई से काम चलाना पडा था ।
मै मुस्कुरा कर - अरे तो ऐसे बोलो ना कि अपने बॉयफ्रेंड से मिलने आई हो
चाची ने इधर उधर देखा और शर्मा कर - धत्त बदमाश ,,कोई सुन लिया तो
चाची - वो तो मै ब्रा लेने आई हू
मै - अच्छा ठिक है आप बैठो मै ये सामान रख दू फिर आपको दिखाता हू
फिर मैने फटाफट समान हटाया और शटर गिरा दिया
चाची - अरे बेटा क्या कर रहा है ये ,,,आस पास की दुकाने खुली है और तु
मै हस कर - आप नही चाची,,, आप अपने घर मे है किसी बाहर के गैर के साथ नही हिहिही और उपर से आपका बॉयफ्रेंड हू मै हिहिहिहिही
ये बोल कर मै चाची की कमर मे हाथ डाल कर उन्हे अपनी ओर खिच कर उनके रसीले होठो को चूसा
चाची पहले तो कसमसायी लेकिन मेरे हाथ जब उनकी नंगी मुलायम कमर पर रेंगते हुए उपर पीठ की ओर बढने लगे तो वो भी अपने आप को ढिला करते हुए मेरे होठ चूसने लगी ।
उनका साथ पाते ही मैने अपने दोनो हाथो को उन्के जिस्म के पीछले हिस्सो को सहलाना शुरु कर दिया ।
उनके उभरे हुए चुतडो से उपर के कन्धे तक कमर पीठ सब
चाची मेरे स्पर्श से सिस्कने लगी और सारा बदला मेरे होठो को निचोड कर निकालने लगी ।
मेरा लण्ड तो उनके आने से ही तना हुआ था और अब तो और भी मोटा हुआ जा रहा था ।
इसिलिए मैने लोवर मे हाथ डाल कर लास्टीक के उपर से लण्ड को निकाला और उनका एक हाथ पकड कर उसपे रख दिया ।
चाची मेरे गरम लण्ड को छुते ही सिहरि मगर उन्के होठ मेरे गिरफ्त मे थे जिससे उनका सीना फुल गया ।
उन्होने उसे आगे की ओर भीचना शुरु कर दिया
मैने उनके होठ छोडता हुआ - अह्ह्ह चाची थोडा आराम से उह्ह्ह्ह सीई उफ्फ्फ
चाची - ओह्ह्ह बेटा कितना मोटा हो गया है रे पहले से उम्म्ंम्ं
मै - ये अपनी जान को देख कर हो गया है ,,,
मै उसके चुचे उपर से मसल कर बोला
चाची आन्खे बन्द करके मेरे हाथो का मर्दन अपने स्तनो पर मह्सूस करके मेरे लण्ड को आगे की ओर मुठियाते हुए सिस्कने लगी ।
मैने उनको घुमाया और पीछे होकर साड़ी का पल्लू हटाते हुए ब्लाउज के उपर से दोनो चुचियो को थामते हुए मसलना शुरु कर दिया ।
क्या मस्त कड़क चुचिया थी चाची की । लगता ही नही कि दो बच्चे जवान हो गये है । जैसे किसी नयी शादीशुदा औरत जितनी कसावट थी इनमे ।
मै एक एक करके बटन खोले और बिना ब्रा वाली चुचियो को नंगी ही हाथो मे भरने लगा
उफ्फ्च ये नुकिले निप्प्स हहह क्या कड़कपन है ,, जैसे ही मेरी हथेलीया चाची के तने हुए निप्प्लो पर घुमे । चाची ने और गहरि सास भरी और कसमसाने लगी ।
मैने वापस से वही दुहराया और फिर उनकी चुचियो को मिज्ने लगा
मै - ओह्ह चाची कितना मस्त चुची है आपकी ,,,इतना कसा कैसे है ओह्ह्ह
चाची - हा लेकिन तु जैसे मसल रहा है ,तेरे चाचा ऐसा करते तो कबकी ढीली हो जाती
मै - ओह्ह तो फिर चाचा को क्या पसन्द है आपमे उम्म्ंम
चाची सिस्क कर - वही जहा तेरा मुसल बार बार ठोकर मार रहा है
मै जोश से भर गया कि चाचा को चाची की गाड़ बहुत पसंद है ।
मै अपना लण्ड अब चाची के गाड़ पर चुभोता हुआ - ओह्ह फिर तो क्या चाचा रोज रोज
चाची - सीई उह्ह्ह हाआअह बेटाहहह रोज मारते है अह्ह्ह ,, आगे से ज्यादाआह्ह तो उन्हे पीछे ही उम्म्ंम ओह्ह अराअम्ंं से बेटाहह ओह्ब माआआह्ह
मै उनकी चुची मस्लता हुआ - तो मुझे नही दोगी चाची उम्म्ंम
चाची - उम्म्ंम क्या लेगा बेटा बोल ना ,,,सब तेरा ही है रे अह्ह्ह उम्म्ंम
मै गहरी आह्ह्ह भरता हुआ - चाची उम्म्ंम मुझे भी आपकी गाड़ चोदनी है
चाची सिहरि - अह्ह्ह तो लेले ना बेटा उम्म्ं लेकिन जल्दी कर उम्म्ंम
मै चहका - तो जल्दी से चुसो मेरा लण्ड फिर मै जल्दी से आपकी गाड़
चाची घूमी और मुझे एक नजर मादकता से देखा और घुटनो के बल होकर बैठ गयी ।
मैने मेरे लोवर और अंडरवियर को थोडा निचे किया । फिर चाची ने हौले से मेरे लण्ड को थामा
चाची - ये तो बड़ा गरम है रे उम्म्ं उम्म्ं सरर्र्र्रृऊऊपपपपप उम्म्ंम गुउउउऊगऊऊउऊ अह्ह्ह्ह्ह उम्म्ंम
मै - ओह्ह्ह चाची उम्म्ं मस्त चुसते हो आप अह्ह्ह
मेरा लंड तो जैसे चाची के मुह मे घुलने ही लगा था ,, उनकी उंगलिया मेरे आड़ो को छू रही थी । मै जैसे उड़ने को हुआ मेरी एडिया अनायास ही उठने लगी और लण्ड चाची के गले मे उतरता रहा ।
अगले ही पल चाची ने खासते हुए ढेर सारे लार के साथ मेरा लण्ड उगल दिया ।
मगर मै कहा से रुकता ,,उनके बालो को पकड कर चेहरा उपर की ओर करके अपना लण्ड उनके मुह पर रगड़ने ल्गा और दो तिन बार उन्के होठो पर पटका जिससे मेरे शुरुवाती वीर्य की कुछ बुन्दे टपक पडी ।
चाची ने फौरन लपक कर मुह मे लण्ड भर लिया और निचोडने लगी ।
मै - ओह्ह चाची सारा माल ऐसे ही पी जाओगी क्याआह्ह्ह ,,, उठो ना मुझे आपकी गाड़ मे डालना है इसे
चाची मे मुह से लण्ड निकाला और लार से लभेड़ाये मेरे लण्ड को मुठियाते हुए एक कामुक मुस्कुराहट भरी नजरो से मुझे देखा और खड़ी हो गयी ।
चाची - वो तेल वाली शीशी खोल पहले
मै जानता था चाची अपने शरीर को लेके बहुत फोकस औरत है । खासकर सेक्स के दौरान कोई भी लापरवाही नही बरतती है । हमेशा सेफ़ सेक्स के लिए ही जाती है ।
मैने मुस्कुरा कर एक नारियल तेल की छोटी सीसी उठाई और चाची ने भी अपनी साड़ी उठा कर पैंटी निकाल दिया ।
फिर काउंटर के सहारे झुक कर मुझे अपनी कसी हुई मुलायम पाटो वाली गाड़ दिखाते हुए अपने कूल्हो पर हाथ फेरने लगी ।
मैने तेल की पतली शीशी का ढक्कन खोला कर टिप टिप करके एक एक बूंद चाची की गाड़ के दरारो मे गिराने लगा ।
जैसे जैसे तेल दरारो से रिस कर गाड़ की सुराख की ओर जाता वैसे वैसे वो अपने पाटो को सख्त करती जा रही थी ।
फिर मैने अपनी चार उंगलियो मे तेल को च्भोड़ा और चाची के गाड़ के दरारो मे घिसते हुए उन्के गाड़ की छेद पर ले गया ।
चाची सिस्क उठी , उत्तेज्ना तो मुझे भी हो रही थी और लण्ड उनकी गाड़ मे घुसने को बेताब था ।
मैने थोडा सा उनकी गाड़ के सुराख के पास तेल को मलने लगा
चाची - उम्म्ंम्मा अच्छे से लगाना बेटा अह्ह्ह उगली डाल के अह्ह्ह ऐसे ही हा हा और थोडा तेल लेके अच्छे से लगा दे ,,,
मै मुस्कुराया और चाची की गाड़ मे दो ऊँगली पेले हुए उनकी चुतड के दरारो को फैलाये रखा और उपर से टिप टिप करके थोडा तेल और अपनी दोनो उंगलियो पर लिया और खचाखच तेजी से चाची की गाड़ मे ऊँगलीया पेलने लगा
मैने देखा जल्द ही चाची की गाड़ नरम होने लगी । मैने अपने लण्ड पर अब तेल गिराना शुरु किया और अच्छे ल्भेड़ कर पिचिर पिचिर की आवाज से उसे मुठियाते हुए चाची के गाड़ के सुराख पे ले गया।
चाची गहरी सास लेते हुए - उसपे भी अच्छे से तेल लगाया है ना बेटा,,,उम्म्ंम थोडा धीरे धीरे करके डालना
मै अपना अंगूठा चाची के गाड़ मे घुसेड़ कर पेल रहा था और दुसरे हाथ से लण्ड मुठीयाते हुए सोच रहा था - साली अभी देख ऐसे फाड़ दूँगा कि दोबारा से इतने नाटक नही करेगी ,,ये कर वो कर ऐसे कर । पता नही चाचा को कैसे कैसे रोक लगा कर उन्हे चोदने देती होगी । हर बात के लिए टोका टाकी । शायद तभी चाचा ने लव मैरिज करने के बाद भी बडी बुआ को चोदा होगा ।
मैने थोडा आवेश मे लण्ड को भीचता हुआ गाड़ के सुराख पर ले गया और सुपाड़े को दबाते हुए पच्च करके लण्ड घुसेड़ दिया ।
चाची थोडा दर्द से छटकी मगर मैने कोई रहम ना दिखाई और लण्ड को आधा घुसेड़ दिया ।
मै जानता चाची दर्द मे है और मेरा लण्ड उनकी गाड़ मे फसा हुआ है इसिलिए वो बोलती उस्से पहले मैने ही पहल कर दी - चाची थोडा तेल और डाल दू
चाची सिस्कर कर - अह्ह्ह हा बेटा डाल दे आह्ह बहुत दर्द है ,,तेरा तो बहुत मोटा है रे अह्ह्ह माअह्ह
मैने वापस से चाची की गाड़ मे आधा लण्ड ही आगे पीछे करके तेल को गाड़ के छल्ले के पास अपने लण्ड पर गिराने लगा ।जल्द ही मेरा लण्ड फ्री हुआ और अब उनकी गाड़ ने भी जगह देदी थी।
मै अब धीरे धीरे करके लण्ड उनकी गाड़ की गहराई मे ले जाने लगा।
चाची - ओह्ह्ह बेटा अह्ह्ह सीईई अह्ह्ह मस्त लण्ड है रे तेरा अह्ह्ह माआआआ उम्म्ंम पेल ऐसे ही ओह्ह्ह
जब पुरा लण्ड आराम से उनकी गाड़ मे अन्दर बाहर होने लगा तो वो भी अब मजे लेने लगी और कामुक सिसकिया लेने लगी ।
मुझे भी उनकी कसी हुई गाड़ मे लण्ड घुसाने मे बहुत मजा आ रहा था।इतना मजा कभी शिला बुआ की गाड़ मे नही आया । चाची की कमर भले ही पतली थी लेकिन गाड़ की चर्बी बहुत ही फैली हुई थी और जैसे जैसे लण्ड मै उन्के गाड़ मे घुसाता , वैसे ही उन्के पाट दोनो ओर फैल जाते
बहुत ही मजा आ रहा था । लण्ड अपनी गति पर था और फचाफच मै उनकी गाड़ मे पेले जा रहा था । बिच मे एक बार चाची ने फिर से तेल डालने को कहा और इस बार तेल डालकर मैने उनके कूल्हो को थामा और पेलता रहा जोरो से
दुकान मे थपथप की आवाज तेज थी साथ मे चाची के सिसकिया भी ।अगर कोई भी बाहर से मेरे शटर के पास कान लगाता को बडे आराम से उसे हमारी चुदाई का पता चल जाता । क्योकि दुकान का कुलर भी जोरो पर ही चल रह था तो ज्यादा बाहर आवाज जाने की चिंता नही थी ।
चाची तो झड़ रही थी और गाड़ मे लण्ड को कसे जा रही थी । मै भी धक्के की गति बढाई और ताबाड़तोड धक्के लगाते हुए उनकी गाड़ मे झड़ने लगा ।
आखिरी बूंद तक मैने चाची के गाड़ मे झड़ा और जब लण्ड बाहर निकाला तो मेरा माल निचे दुकान की फर्श पर तपक रहा था । निचे तो काफी सारा तेल और चाची की चुत का पानी भी गिरा हुआ था ।
मै मुस्करा कर दुकान पर एक डोरमैट पैर से खिच कर उस जगह पर रख दिया ताकी ज्यादा दाग ना बने और सुबह मे आकर उसे साफ कर दूँगा मै ।
मैने एक रुमाल लिया और चाची के गाड़ मे घुसेड़ दिया । चाची चिहुकी - हीईईए बदमाश कही का ,
मै - हिहिहिही अरे रहने दो ना चाची बहेगा नही हाहहहा
चाची मुस्कुरा कर उस रुमाल को अच्छे से गाड़ से निकाल कर अपनी चुत साफ किया और फिर पैंटी पहन ली ।
फिर हम दोनो उपर गये और हाथ धुल कर निचे आये ।
फिर मैने उन्हे उन्की पसंद के ब्रा और काटन टेप दिये ।
मै मुस्कुरा कर - तब चाची फिर से कब आओगे ब्रा लेने हिहिहिही
चाची थोडा कुल्हे को थाम कर - उम्म्ंम देखती हू ,,लेकिन आज तुने अपने चाचा का हिस्सा ले लिया । उनको तो आज सुखे ही रहना पडेगा
मै हस कर - क्यू आगे वाला है ना हिहिहिहिही
चाची - नही रे उनको तो बिना पीछे से लिये नीद नही आती और आज तुने जो किया है उससे मै आगे भी नही देने वाली
मै हस कर मुठियाने का इशारा करता हुआ - मतलब चाचा को आज .....हिहिहिही।
चाची - धत बदमाश कही का ,चल मै जाती हू बहुत लेट हो गया है
मैने भी घड़ी देखी 8.30 हो गये थे । मतलब पिछले आधे घंटे से चाची की गाड चुदाई ही जारी थी ।
फिर मै भी दुकान मे ताला लगा कर निकल गया चौराहे पर ।
वहा गया तो मा ने थोडी पुछ ताछ की ।आज लेट क्यो हुआ तो मैने भी ग्राहक का बहाना बना दिया ।
खाने के बाद अनुज ने मोबाइल मागा लेकिन मैने मना कर दिया । क्योकि आज मुझे काजल भाभी से बात करनी थी ।
इसिलिए मैने थकावट का बहाना करके मम्मी पापा को मना कर दिया ।
पापा ने थोडी आपत्ति की तो मा ने उन्हे थोडा डाट अपने साथ ले गयी ।
मै अपने कमरे मे गया और लेते हुए मोबाइल चेक करने लगा ।
रात के करीब 10 बज रहे थे और काजल भाभी ऑनलाइन थी ।
मुझे तो पता ही था इनकी मुझसे फटी हुई है तो मैने सोचा क्यू ना थोडा मजा लिया जाये
मैने मैसेज करना शुरु किया
मै - hiii bhaabhi
काजल - hmm kaho
मै जानता था कि ये बहुत सावधानी से ही बात करेगी अब इसिलिए मैने भी सतर्कता रखी ।
मै - aur dinner hua apka
काजल - hmm aur apka
मै - abhi abhi pet full karake aaya hu
काजल - hmmm good
मैने देखा ये तो बस कोटा पुरा कर रही है और शायद कल के बाद से वो जो समान है वो मै इनको देदू तो ये मुझसे बात भी नही करे ,,पूरी तरह इग्नोर कर दे। मतलब इसे बहुत ही सोच समझ कर ही बात आगे बढानी होगी ।
मै - hmm lag raha hai aap mujhse naaraaj hai
काजल - nahi to
मै - dekhiye aap wo dophar wali baat ke liye tension na lijiye .
मै -Mujhpe bharosa rakhiye mai kisi se nahi kahunga
काजल- hmmm thank you
मै - achcha ab smile kariye
काजल -
मै - mujhe nahi lag raha ki aap muskura rahi ho ... rukiye videocall karata hu
मै तुरंत वीडियो कॉल किया लेकिन काजल ने उसे काट दिया ।
मै - kya hua
काजल - Wo mai Abhi video call par baat nahi kar sakati
मै - kyu
काजल - wo maine raat waale kapde pahane hai
मै - ohh sorry sorry bhaabhi please sorry ...lag raha hai aap apne gadgets ke saath
काजल - nahi paagal , wo maine night gown pahana hai to mana kar rhi hu
मै - Oh , Koi bat nahi
काजल - hmm
मै - achcha fir aap aaraam kariye. Mai kal aata hu parcel leke aapka
काजल - ha mai fone karungi ok
मै - Ha ok ... good nyt bhabhi & enjoy your time
काजल - badmash kahi ke ,,,bye gn
मैने थोडा राहत की सास ली चलो अच्छा हुआ ये नाराज नही हुई नही तो पक्का मेरा पत्ता कट जाता । अब कल इसके फोन का इन्तेजार रहेगा फिर देखता हू क्या हो सकता है ।
लेखक की जुबानी
एक ओर जहा निचे के कमरे सोया राज कल काजल के लिए प्लानिंग कर रहा था । वही ठिक उसके कमरे के उपर वाले कमरे मे अनुज बेचैन लेटा हुआ था ।
उसके दिमाग मे वो बाते घूम रही थी जो शाम को राहुल ने उसे बतायी थी । कि कैसे राहुल ने अपनी सगी बहन को पेल दिया कल रात को ।
अनुज का ध्यान एक पल को सोनल की ओर जाता , मगर जल्द ही वो वहा से कतरा जाता था क्योकि उसकी नजर में सोनल बहुत ही शांत और अच्छे विचारो वाली लड्की थी । वैसे भी वो लव मैरिज कर रही है तो मेरे साथ क्या वो किसी और के साथ अपने जिस्मो का सौदा नही करेगी ।
बस यही बाते अनुज को सोनल से काट कर निशा के करीब ले जाती , और उसका लंड उसकी मुठ्ठि मे कसने लगता ।
वो मन ही मन कलपनाये बुनता कि कैसे राहुल निशा को चोदा होगा ।
क्या वो दोनो ने बॉयफ्रेंड गर्लफ्रेंड बनकर चुदाई की या फिर भाई बहन वाले संवादो के साथ चुदाई की ।
अनुज मन मे - ओह्ह्ह्ह यार कितना मजा आया होगा राहुल को सीईई अह्ह्ह्ह ,,, काश मुझे भी निशा दीदी की चुत मिल जाये । मै तो इत्ना चोदूंगा की चुत फट जायेगी ।
अनुज निशा के संग चुदाई भरे ख्वाब देखता तेजी से लण्ड हिलाए जा रहा था - अह्ह्ह्ह मै तो उन्हे चोदते हूए भी दिदी ही बोलूंगा उम्म्ंम अह्ह्ह निशा दिदीईईई अह्ह्ह । फिर मै भी राहुल की तरह बहिनचोद हो जाऊंगा अह्ह्ह्ह क्या मस्त गाली है याररर
अनुज झडने के करीब था वो तेजी से लण्ड को हिला रहा था और बड़बड़ा रहा था - ओह्ह्ह्ह हाआ मै बहिनचोद हू उम्म्ं निशा दिदी को चोद के बहिनचोद बनूँगा अह्ह्ह्ज सीईई ओह्ह्ह दिदीईईईई मै अपना साराआ माल दिदी की चुत मे भर दूँगा अह्ह्ह्ह दिदीईई देखो ना मै झड़ रहा हू
अह्ह्ह मेरी निशा दिदीईई देखोओह्ह अह्ह्ह ओह्ह्ह
अनुज कमर झटक कर झड़ने लगा और काफी सारा वीर्य उसके लिंग से फुटने लगा
उस्के हाथ मे वीर्य चिपुडने लगा और रिसकर उसका अंडरवियर और जान्घे भीगने लगी ।
जल्द ही शांत हुआ और उसकी सासे अब भी तेज थी ।
मगर उसके चेहरे पर मुस्कुराहट थी ।
वो उसी अवस्था मे सो गया । ना उसने हाथ धुले ना ही अंडरवियर निकाला बस अपने ख्वाबो मे निशा को सोचता रहा ।
इनसब से अलग राहुल के कमरे मे निशा घोडी बनी हुई थी और राहुल उसकी चुत मे लण्ड पेले जा रहा था । आज भी उसकी वही विनती थी कि वो अनुज के सामने एक बार सेक्स के लिये राजी हो जाये ।
मगर निशा ने बडी शरारती अंदाज मे उसे झड़ा कर बिना उसके सवालो का जवाब दिये अपने कमरे मे निकल गयी ।
इधर जन्गीलाल आज बहुत उदास था क्योकि आज शालिनी ने उसे चुदवाने से मना कर दिया था ।
शालिनी तो सो गयी लेकिन जंगीलाल की आंखो से नीद गायब थी । महिने 7 8 बार ऐसा जरुर होता था कि शालिनी सेक्स के लिए मना कर देती थी । ऐसे मौके पर जंगीलाल को बहुत गुस्सा आता था क्योकि एक तो शालिनी का चुदाई के लिए अलग ही नखरे और टीटीममे होते थे । दुनिया भर की सुरक्षा सावधानियो से वो तंग आ चुका था । जन्गीलाल की बहुत इच्छा उठती थी वो बडी बेरहमी से एक बार शालिनी को नोच्ज खसोट कर पेले ,मगर लव मैरिज मे बीवी भारी ही रहती है ।
शालिनी को अपने बदन पर खरोच के निशान तक बरदास्त नही थे और वो इनसब मामलो मे बडी सख्त थी । क्योकि वो काफी मोर्डन तरीके से कपडे पहनती थी । ब्लाउज भी स्लिवलेस ही रहता और पीछे का गला भी मुस्किल से 3 से साडे तिन इन्च । ब्रा का चुनाव भी बहुत सोच समझ कर करती थी ।
नाभि से 6 उंगल निचे साड़ी पहनने की आदत ने ना जाने कितनो के लण्ड मे हवा भरी होगी ।
जन्गीलाल भले ही शालिनी को उसके सेक्स रिस्ट्रीक्शन के लिए कोसता लेकिन दिन के उजाले मे समाज मे हमेशा गर्व से छाती चौडी करके रहता था क्योकि उम्र के इस पड़ाव पर शालिनी की टक्कर मे कोई भी औरत नही थी । हा भले ही उससे गदराई जिस्मो वाली और कामुक अदाये दिखाने वाली लाखो मिलती लेकिन शलिनी के जिसमो को कसावट और सपाट पेट के सामने अच्छी अच्छी पानी भरती नजर आती थी । बस यही कारण था कि जन्गीलाल कभी सेक्स का गुस्सा शालिनी पर नही निकालता था ।
समय के साथ उसने अपनी बड़ी बहन शिला के साथ जबसे सम्बंध बना लिये । उसके बाद से उसका रसिकपना बढ गया । काम के बहाने कभी कभी बडे शहरो मे जाता तो वहा हॉटलो मे एक रात के लिये अच्छी से अच्छी और महगी रन्डी चुनता था । पूरी रात उस रन्डी को रौंद कर महिनो की अपनी भड़ास निकाल देता ।
इनसब अलग शालिनी तो थी ही चंचल और हाल के समय मे जबसे वो अपनी जेठानी रागिनी के साथ ज्यादा समय बिता रही थी उसके अन्दर भी बदलाव आने लगे । वो भी रागिनी के बातो मे आकर खुद को नारी सुख देने के लिए तत्पर होने लगी । उसे अब मर्दो को छेड़ कर उन्हे परेशान करने मे मजा आता था । ऐसा तो वो पहले कयी दफा अपने जेठ रंगीलाल के साथ कर ही चुकी थी । मगर राज ने उसे लपेट लिया और आज उसकी जो चुदाई की वो शालिनी अगले कुछ दिनों तक याद करने वाली थी ।
पिछले अपडेट मे आपने पढा एक ओर जहा राज ने अपनी चाची की जबरजस्त तरीके से दुकान मे ही गाड़ ठुकाई की जिससे जन्गीलाल की रात खराब हो गयी ।
वही राज ने काजल भाभी के साथ लगातार संपर्क बनाने की कोसिस मे है । अनुज और राहुल की अलग ही योजना चल रही है । देखते क्या होता है आगे ।
लेखक की जुबानी
पूरी रात जंगीलाल को नीद नही आयी , मगर सुबह की बेला आते आते कैसे करके वो सो गया था ।
कुछ समय बाद सुबह हुई और रोज की तरह पहले शालिनी उठी । उसने अपने कूल्हो मे थोडा दर्द मह्सूस किया और उसे कल रात मे राज के साथ वो चुदाई याद आई ।
शालिनी मुस्कुरा कर मन मे - पहली बार कोई मर्द मिला है जिसने ऐसा चोदा की अब तक दर्द है ।
फिर वो नहा धो कर पूजापाठ करके निशा को जगा देती है और किचन मे काम करने चली जाती है ।
निशा उठकर फ्रेश होकर नहाने चली जाती है और आज वो अपनी ब्रा पैंटी बाहर के बजाय अंदर बाथरूम मे ही डाल देती है क्योकि कल जैसा उसकी मा ने उसे डाटा था तो वो बात दुहराना नही चाहती है । नहाने के बाद से वो ब्रा की जगह नयी फुल टेप डाल लेती है और फिर टीशर्ट । जिससे उसके चुचे ज्यादा हिलते भी नही और गर्मी मे राहत भी थी ।
नहाने के बाद निशा किचन मे आती है और काम बटाने लगती है । इधर राहुल भी नहा धोकर दुकान खोलने चला जाता है ।
जन्गीलाल जोकि रात मे देर से सोया था तो करीब 8 बजे तक उसकी आंख खुलती है ।
वो भी अपने कपडे लेके उपर जाता है और पहले पाखाने से निपट कर नहाने जाता है तो उसकी नजर बाथरूम के हैंगर पर लटकी उसकी बेटी की ब्रा और पैंटी पर जाती है ।
उसे देखते ही जंगीलाल के जहन मे परसो रात की वो बात याद आती है जब शालिनी उसे बताया था कि निशा के पास एक ही ब्रा है ।
जन्गीलाल मन मे - तो आज भी निशा बिटिया बिना ब्रा के होगी । क्या सच मे उस्के स्तन इतने बडे है कि उसके निप्प्ल बाहर से दिखते है ,,,,,छीईईई ये मै क्या सोच रहा हू नही ये गलत है ।
फिर जन्गीलाल ने वहा से नजर फेर कर नहा लिया । नहाने के बाद उसने अपना जांघिया निचोड कर बाहर आने को हुआ कि फिर से उसकी नजर निशा के ब्रा पैंटी पर गयी ।
वो बिना कुछ सोचे वहा से बाहर आ गया और निचे चला गया ।
पुरा दिन आज वो परेशान रहा । लण्ड की अकड़न आज हर औरत की भरी हुई छाती और गुदाज नंगी कमर देख कर बढ जाती थी ।
दोपहर तक वो दुकान मे व्यस्त रहा और जब खाना खाने के लिए अन्दर गया तो उसकी निगाहे अनायास ही निशा के टीशर्ट पर जमी थी ।
वो नजरे घुमा फिरा कर स्टाल के निचे उसके टीशर्ट मे उभरे उसके निप्प्ल को देखना चाहता था ।
किचन मे गरमा गरम रोटीया सेक रही निशा कभी कभी साइड से घूमती तो उसके दुध के उभार टीशर्ट मे कसे हुए जन्गिलाल को दिख जाते और उसका लण्ड तन जाता ।
जंगीलाल मन मे - क्या सच मे किसी ने मेरी लाडो के दूध दबाए होगे । क्या वो चुदी भी होगी किसी से । इसके कुल्हे तो इतने नही उभरे जीतने चुदाई करवाने वाली लड़कीयो के निकले होते है । लेकिन क्या पता इसके गोल म्टोल देह के कारण ऐसा मुझे लग रहा हो ।
जंगीलाल खुद को तसल्ली देता हुआ मन मे बड़बड़ाया - हा ऐसा ही होगा ,,मेरी लाडो अपनी मर्यादा नही लान्घ सकती ।
इतने मे निशा दो और गरम रोटिया लेके जन्गीलाल के पास आई और झुक कर उसकी थाली मे रोटी रखते हुए - क्या हुआ पापा ? क्या सोच रहे हो ?
जन्गीलाल ने थाली से नजरे उठा कर अपनी झुकी हुई बेटी को देखा । सामने की ओर झुकने से निशा का स्टाल लटक गया था और टीशर्ट से थोडी दुरी बना लिया था । जन्गीलाल ने तिरछी नजरो से निशा के स्तनो पर नजर मारी वो पुरे गोल दिखे ,,निप्प्ल का सूत भर भी उभार नही दिखा ।
जन्गीलाल ने फौरन निगाहे फेर ली और निशा से पानी मागा ।
मगर निशा समझ गयी कि उसके पापा ने उसके टीशर्ट मे उभरे उसके दूध को निहारा है ।
वो मुस्कुरा कर खड़ी हुई और किचन की ओर जाते हुए मन मे सोचने लगी - तो क्या मा सही कह रही थी कि पापा ने मेरे उभरे हुए निप्प्ल देखे थे । हा और क्या देखो अभी भी वही खोज रहे थे हिहिहिहिही
निशा ने ये सब बाते सोचनी शुरु की ही थी कि उसके निप्प्ल ने कड़ा होना शुरु कर दिया था और जब तक वो अपने पापा के बारे मे सोचकर किचन से पानी लेके जन्गीलाल के पास जाती है । तब तक उस्के निप्प्ल तन चुके थे और टीशर्ट मे किसी बटन के जैसे उभर चुके थे ।
जैसे ही निशा ने झुक कर जंगीलाल के सामने उसके ग्लास मे जग से पानी डालना शुरु किया । उसका स्टाल एक बार फिर से लटक गया और उसके कड़े मोटे दाने वाले निप्प्ल की झलक जंगीलाल को हो गयी ।
जंगीलाल की हलक अटक सी गयी उसकी आंखे फैल गयी और हाफ चढ्ढे मे लण्ड अकडने लगा।
निशा वापस किचन मे चली गयी । लेकिन य्हा जंगीलाल के हलक से खाना निचे जाना मुस्किल हो गया क्योकि उसके आंखो के सामने निशा की टीशर्ट पर बटन जैसे उभरी हुई निप्प्ल देख देखकर उसके दिमाग मे काफी सारे बाते घूमने लगी थी ।
" कितना मोटा उभार था निशा बिटिया के निप्प्ल का ? ऐसा तो तभी होता है जब किसी ने उन्हे चूसा हो । तो क्या निशा ने भी ??? "
कभी जंगीलाल अपने ही मत से राजी हो जाता और अगले ही पल उससे इंकार कर जाता । इसी उलझन मे उसने बडी मुश्किल से खाना आया और जब वहा से हट कर दुकान मे आया तो उसकी नजर शालिनी पर गयी । फिर उसे ध्यान आया कि कल रात चुदाई नही की है उस्ने शायद इसी वजह से ये ऊलूल -जलूल ख्यालात उसके जहन मे आ रहे है । फिर वो वापस से अपने कामो मे लग गया ।
राज की जुबानी
सुबह उठकर मै नास्ते के बाद दुकान चला गया और 11बजे के करीब काजल भाभी का फोन आया कि उनका पार्सल आ गया ।
मैने अनुज को दुकान पर बिठा कर निकल गया पार्सल लेने और फिर उसे लेके वापस घर आ गया क्योकि अभी शकुन्तला ताई घर पर ही थी । जो शाम को बाजार जाने वाली थी और उसी समय काजल भाभी ने मुझे आने को कहा था ।
पार्सल छोटा ही था एक बॉक्स उसपे कोई scan code भी नही था ना कोई कम्पनी का नाम । यहा तक कि डिलेवरि कम्प्नी का नाम नही था ।
मुझे आश्चर्य हुआ कि ऐसा क्या होगा इसमे ।
हालकि वो पैकेट कुछ खास तरीके से पैक नही था , मै उसे बडी आसानी से खोल कर वापस से उसे वैसे ही पैक कर सकता था क्योकि उसपे मोटे कागज की रैपरिंग की हुई थी ।
मगर इस समय दुकान मे अनुज था तो मैने उसके खाना खाने जाने तक का इन्तेजार किया ।
12 वजे के बाद वो चौराहे वाले घर गया और मैने फटाफट वो बॉक्स खोला तो अन्दर एक मजबूत बॉक्स मे से वाईब्रेटोर निकला ।
मै समझ गया कि क्यू आखिर इसकी कोई ब्राण्ड प्रोमोटिंग नही की गयी । क्योकि ऐसे प्रॉडक्ट इंडिया मे बैन थे और इनकी खुले आम बिक्री नही थी । कुछ स्पेशल साइट के माध्यम से ही वो चीजे आ सकती थी।
मै मन मे - ओह्ह्हो भाभी जी ,,,आपके शौक तो बडे वाले है हम्म्म्म
मैने वापस से उस वाईब्रेटर को पैक करके उसे रख दिया और शाम होने का इंतेजार करने लगा ।
साढ़े तीन बजे करीब काजल भाभी का फोन आया और मै अनुज को बिठा कर फिर से चौराहे पर निकल गया ।
मन मे बहुत तरंगे उठ रही थी । कभी बहुत एक्साईटेड हो जाता तो कभी खुद को सतर्क करता कि जो कुछ करना है सोच समझ कर , कही ये आखिरी बातचीत ना हो जाये ।
थोडे देर बाद मै भाभी के दरवाजे पर था और रिंग बजा दी ।
सामने से दरवाजा खुला तो भाभी एक मैक्सि मे थी ।
आज ना कोई दुपट्टा ना कोई खास गहने ।
सामने से मेरी नजरे पहले उन्के 32B के मास्ल चुचो पर गयी । समझ आया कि भाभी ने ब्रा भी नही पहनी है ।
काजल - अरे आ गये ,,आओ
मै अंदर घुसा और हाल मे चला गया ।
काजल - यहा नही उपर वाले कमरे मे चलो
मै असमंजस मे था कि ये हो क्या रहा है ।
मै सीढिया चढ़ कर उपर जाने लगा ,,मै पहली बार भाभी के यहा की छत पर जा रहा था ।
फिर हम उपर के एक कमरे मे गये , ये उनका बेडरूम था जब रोहन यहा आया था । तबसे भाभी यही उपर ही सोती है रोहन के जाने के बाद भी ।
मै - यहा क्यू बुलाया भाभी
काजल इतरा कर - क्यू तुम्हे नही जानना इसमे क्या है ?
मै तो जानता था कि इसमे क्या है लेकिन फिर भी मस्ती मे - हा बताओ ना भाभी ,,,वैसे इसपे कोई scan code भी नही मिला
काजल कुछ सोच कर - हा तुम्हारी बहुत आदात है ना ताक झाक करने की....। वैसे तुम अभी फ्री तो हो ना
मुझे थोडा अटपटा सा काजल के ऐसे सवाल से - अह हा हा मै तो फ्री ही हू
काजल मुस्कुरा कर - अरे वाह फिर तो मजा आयेगा
मै मन मे - मजा आयेगा ??? भाई ये करने क्या वाली है ?? और आज इसके हाव भाव अलग क्यू है ? वो शर्माहाट नही वो झिझक नही ?? हुआ क्या है । कही इसने ड्रिंक तो नही करी ना ???
मै सवालो मे खोया हुआ था कि तभी काजल की आवाज आई ।
काजल - हा तो तुम जानना चाहते थे ना कि उस दिन के बॉक्स मे क्या था और क्यू मगवाया था मैने
मै मन मे चहका - लग रहा है ये भी खुल्ला माल है हिहिहिही आज तो बेटा ईसकौ पेल के ही जाना है ।
मै - हा हा बताओ ना भाभी
काजल - बताती हु बताती हु ,लेकिन मेरी एक शर्त है । जब मै ये सब बताऊंगी उस समय तुम्हारी आंखे बंद होगी
मै चौक कर - लेकिन क्यू ?? मतलब मै देखूँगा कैसे
काजल इतरा कर - ओह्हो अब मुझे बनाओ मत , तुम्हे पहले से पता है कि उस बॉक्स मे क्या आया था । जो तुम्हे जानना है वो मै तभी बताऊंगी जब तुम अपनी आंखे बन्द करोगे ।
मै मन मे सोचा कि चलो यार शायद ये थोडा शर्मा रही हो तो आंखे बन्द करने मे क्या है । तो मैने अपनी आंखे बन्द कर ली ।
त्भी मुझे आहटो से कुछ अन्दाजा लगा और मेरे आंखो पर एक पट्टी आ गयी ।
मै - अरे ये क्या कर रही हो भाभी आप ???
काजल मेरी आंखो पर पट्टी बांधते हुए - बस ऐसे ही यार हिहिहिही
ना जाने क्यू मुझे एक डर सा लग रहा था ।
तभी मुझे काजल मेरे आस पास घूमती मह्सूस हुई ।
काजल - जानते हो राज मैने वो समान क्यू मगवाये
मै खुस होकर - क्यू
काजल - देखो अब तुम मेरे बारे मे जान ही चुके हो कि मै किन विचारो वाली हू तो तुमसे क्या छिपाना ।
मै - हम्म्म्म
काजल - और तुम ये भी जान चुके होगे कि मै कितनी प्यासी औरत हू
मेरी सासे धक्क कर रुक गयी कि ये ऐसे कैसे खुद के बारे मे बोल सकती है और कही मै फस तो नही गया हू । मगर एक ओर मुझे ये भी लगता शायद ये एक नंबर की चुद्क्क्ड हो मगर झिझक कम करने के लिए ये सब ड्रामे कर रही हो ।
मै - मै समझा नही भाभी ,,आप ये क्या कह रही है ।
काजल मेरे पास आकर पीछे से मेरे कन्धे को सहलाते हुए बड़ी कामुकता से मेरे कान मे बोली - ओह्ह राज अब बनो मत ,,,क्या तुमने ये नही सोचा था कि मै कैसे इन सामानो का यूज़ करूंगी .....हम्म्म बोलो
काजल के हाथ मेरे बदन पर सरक रहे थे और मेरे पैर कापने लगे । उसके कबूलवाने की कला मुझे मुह्फट किये जा रही थी ।मै चाह कर भी अपनी बात दबा नही सकता था
मै हकला कर - वो हा हा ,,सोचा तो था लेकिन
काजल ने मुझे अचानक से पीछे से हग कर लिया और टीशर्ट के उपर से मेरे सीने को सहलाने लगी । उसके मुलायम गाल मेरे कान के पास स्पर्श होने लगे ।
मेरा लण्ड पैंट मे तनने लगा ।
काजल - उम्म्ं तो तुमने ये भी सोचा होगा ना कि मै उसमे से वो मोटा रबर वाला पेनिस क्यू मग्वायि थी ।
काजल की बाते सुन कर मेरा लण्ड और फुकार मारने लगा और इसी ऊततेजना मे मेरे मुह से निकल गया - च्चचुउउऊत मे लेने के लिए ना भाभी उम्म्ंम्ं
काजल ने पीछे से ही अपने हाथ सरकाते हुए पैंट के उपर से मेरे लण्ड को थाम लिया और उसे भीचते हुए बोली - हा राज सही कह रहे हो ,,मेरी चुत मे बहुत गरमी है और रोहन का लण्ड काफी नही है उसके लिये ,,,,,क्या तुम अपना ये मोटा लण्ड मुझे दोगे अह्ह्ह
मेरा दिल बाग बाग हो गया और मै भी अपना हाथ भाभी के हाथ पर रख कर अपना लण्ड दबाते हुए एक गहरी आह्ह भरग हुआ - हाआ भाभी लेलो ना उफ्फ्फ्फ आप कमाल की हो ओह्ह्ह
भाभी ने बडी कामुकता से मेरे आगे आयी और निचे बैठ कर मेरे पैंट को खोलने लगी और फिर उन्हे घूटनो तक ले आई
मेरा लण्ड अब सामने तना हुआ था
थोडा सन्नाटा रहा और फिर मुझे भाभी की ऊँगलीया मेरे आड़ो पर मह्सुस हुई
मै कसमसा कर -ओह्ह भाभी ये पट्टी मै खोल दू क्या ,,,मुझे देखना है प्लीज
काजल - नही नही ऐसा नही करना मुझे शरम आयेगी ना । हिहिहिहिही
मै थोडा खुश हुआ और चहक कर -अच्छा तो अपने दूध तो पकडवा दो
काजल हस कर - धत्त बदमाश ,,अभी नही
मै थोडा नाटक करता हुआ - प्लीज ना भाभी प्लीज ,बस छू लेने दो ना
तभी मुझे कुछ आहट मह्सूस हुई और भाभी की आवाज आई - तो क्या सच मे तुम मेरे बूबस पकडना चाहते हो राज
मै हा मे सर हिलाया और सामने की ओर हाथ से टटोलने लगा
काजल मेरे हाथ को देख कर - अरे थोडा सीधा करो दोनो हाथ ,,हा अब ऐसे ही रहो मै मेरे बूबस लाती हू तुम पकड लेना
मै चहक उठा और मन मे बड़बड़ाया - याररर ये आंखो की पट्टी वाला एक्सपीरिंस मस्त है हिहिही ,,आओ ना भाभी अपने चुचे मेरे हाथ मे भर दो
मै दोनो हाथ सीधा आगे किये खड़ा होकर बस अपने पंजे हिलाता हुआ- ओह्ह भाभी लाओ ना अपने नरम चुचे उम्म्ं
काजल इतरा कर चलके मेरे पास आई और मुस्कुरा कर बोली -हा हा बाबा आ गयी बस रुको तो थोडा .....हम्म्म्म्ं लो हो गया
मै चौका - अरे ये क्या है ? भाभी ये क्या पहना दिया आपने मुझे ? अरे नही
मै मन के - अबे यार कही ये हथकड़ी तो नही ना जो उस दिन मैने भाभी के gagdets मे देखी थी ।
काजल हस कर - तुम्हारे हाथ बहुत चलते है इसिलिए ये हथकड़ी लगायी है हिहिहिही
एक तो मेरा पैंट और अंडरवियर पैर मे अटका था । हाथ बढे हुए और आंखे बन्द ।
पता नही क्यू लेकिन अब मुझे थोडा डर सा लगने लगा था पहले वो आंख पर पट्टी और फिर भाभी का यू मुझे बातो मे उलझा कर मेरा लण्ड बाहर निकलवाना । फिर चूचे पकडवाने के बहाने हाथ बान्ध देना । मानो वो कुछ करने की फिराक मे थी ।
तभी मेरे लण्ड पर उन्के हथेली का स्पर्श मिला और मेरा लण्ड कसने लगा ।
मै भी सब कुछ भूलने लगा ,,तभी मानो मेरे लण्ड पर थोड़ी मुलायम बर्फ घुलने लगी क्योकि भाभी ने मेरा लण्ड मुह मे लेना शुरु कर दिया था । मै हवा मे उड़ने लगा था ।
उनके नुकीले नाखुनो की खरोंच मानो मेरे आड़ो की थैली चिर देगी और उनकी शैतान उंगलिया बडी चन्चलता से आड़ो को सहला रही थी ।
उन्होने धीरे धीरे करके मेरे आड़ो को निचे की ओर सहला कर उनकी पोटली बनाने लगी
मेरे दोनो आड़ो को मुठ्ठि मे भर कर उन्हे हल्का सा दबाती ।
मुझे दर्द होता मगर मै बहुत ही उत्तेजना पर था ।
तभी मेरे आड़ो मे एक दर्द सा उठा ,,कारण था कि काजल ने एक लास्टीक जैसा रबर को मेरे आड़ो की गठरी बना कर उससे बान्ध दिया था और मेरे आड़ आपस मे कस कर दबे हुए थे । वहा पर खुन का बहाव मानो रुक सा गया था ।
मै चिख पडा -अह्ह्ह भाभी ये क्याआ दर्द हो रहा है अह्ह्ह मम्मी उह्ह्ह
मेरे हाथ वहा तक नही जा सकते थे और तभी मेरे नंगे गाड़ के पाटो पर चट्ट से एक पतली डंडी की मार पडी
मै छ्नमना कर रह गया और उछल कूद करने से मेरे आड़ो मे दर्द टीस उठा - आह्ह मम्मी ,,,ओह्ह भाभी ये क्या कर रही हो
काजल हस्ती हुई - क्यू मजा आया ना ,, तुम पुछ रहे थे ना कि मै ये सामान कैसे यूज़ करती हू
भाभी की बाते सुन कर मेरे दिमाग की बत्ती जल गयी । मतलब ये सामान रोहन नही बल्कि काजल खुद रोहन के उपर इस्तेमाल करती थी । काजल के ऐसे शौक की मै कल्पना तक नही कर सकता था । इसका मतलब था कि रोहन सच मे बहुत ही मासूम है वो जैसा दिखता है वैसा ही है । भ्रम मुझे काजल भाभी को लेके था ।
मगर अब मै क्या कर सकता था मै बुरी तरह से फस गया था । आज पहली बार शकसियत पहचानने मे मुझे धोखा हो गया और मेरे ओवरकांफिडेंस ने मेरी ही गाड़ मार रखी थी ।
तभी मुझे वाईब्रेटर की आवाज आई और मेरी बची ही गाड़ की सिलाई खुद ही खुलने ।
ना जाने काजल ने आड़ो के पास कैसी रबर लगायी थी कि इस टेनसन मे भी लण्ड वैसे का वैसा ही तना हुआ था ।
मै - भाभी ये क्या करने जा रही है आप ,,प्लीज मुझे जाने दीजिये ना
काजल - ओहब राज अब ना मत बोलो ,,प्लीज मै वो सब कुछ करूंगी जो तुम कहोगे बस मेरे मन की कर लेने दो
मै - ल ल लेकिन भाभीईई अह्ह्ह न्हीईई उह्ह्ह माआआअह्ह हिहिहिहिही सीई भाभी गुदगुदी लग रही है और दर्द भी हो रहा है
मेरे इतने छ्टपटाने का कारण था कि भाभी ने वो वाईब्रेटर ऑन करके मेरे कसे हुए आड़ो पर घुमाना शुरु कर दिया था और मै पागल होने लगा ।
मै - आह्ह नही भाभी प्लीज रुक जाओ ,,बहुत दर्द हो रहा है अह्ह्ह माआहह
तभी उस मशीन की घरघराहट बन्द हुई और मुझे चैन की सास आई और भाभी ने वो लास्टीक भी मेरे आड़ो से निकाल दी ।
तेजी से मेरे आड़ो मे खुन दौड़ना शुरु किया जिस्से मै अकड कर रह गया ....
इधर काजल भाभी के हाथो का स्पर्श वापस से मेरी जांघो पर होने लगा और धीरे धीरे उन्होने मेरे आड़ो को छुआ ।
मै सिस्का - आह्ह नही भाभी दर्द हो रहा है प्लीज उह्ह्ह
काजल - अच्छा रुको मै अभी आई
मै - अरे कहा जा रही हो ये खोल के जाओ ना
फिर मुझे भाभी के सीढियो से निचे जाने की आहट सुनाई दी
मै मन मे - यार ये मै कहा फस गया ,,एक बार इससे आजाद हो जाऊ फिर साली को ऐसा पेलूंगा कि याद रखेगी
थोडी ही देर मे वापस से जीने पर आहट हुई और काजल मेरे पास थी
काजल - बस रुको तुम्हे दर्द नही होगा
ये बोलकर काजल ने मेरे आड़ो पर बर्फ के टुकड़े घिसने लगी । पहले तो मुझे गुदगुदी हुई मगर जल्द ही राहत होने लगी और लण्ड थोडा सा शांत होने लगा ।
मै - भाभी अब तो आंखे खोल दो ना
काजल उठी और मुस्कुरा कर - ओह्ह सॉरी ,,,रुको खोल देती हू
तभी काजल ने मेरी आंखे खोली और मैने आस पास नजर दौड़ाई तो बिसतर पर वही सेक्स वाले सामानो वाला बॉक्स खुला हुआ था ।
तभी काजल मेरे सामने आई- सॉरी राज वो मै तुम्हारे साथ ऐसे पेश आई ,,,,वो क्या है ना मेरी कालेज के दिनो से ऐसी फैंटेसी रही है कि मै ...
मै उसकी भावनाये समझ गया और मेरा लण्ड वापस से कसने लगा - मै तो क्या अब इसे ऐसे ही छोड दोगी
मै अपने तने हुए लण्ड को दिखा कर बोला
भाभी मुस्कुरा के ना मे सर हिलाया और घुटने के बल बैठ गयी । फिर लण्ड को मुह मे भरना शुरु कर दिया
मै फिर से गुहार लगायी - भाभी अब इसे क्यू बान्ध रखा है खोल दो ,,,हाथ भी दर्द कर रहा है
काजल ने मुह मे मेरा लण्ड भरे हुए ही मेरी हथकडिता खोली
जैसे ही मेरे हाथ आजाद हुए मैने उन्हे चटकाया और तुरंत काजल भाभी के बालो पकड कर अपने लण्ड पर दबाने लगा
मै - ले साली और चुस ,,बहुत दर्द दे रही थी ना मुझे
मै उसका सर पकडे लगातार उसके गले तक लण्ड पेले जा रहा था ।
भाभी गुउउऊ गुउउऊ करके खासी जा रही थी और ढेर सारा लार मेरे लण्ड पर उडेल रही थी ।
मैने उनकी आंखे लाल होती देखी तो लण्ड हल्क से बाहर निकालते हुए उनके बाल खिचकर उसके चेहरे पर लार से लिभ्डा हुआ लण्ड पटकने लगा
मै - क्यू साली ऐसे ही मजा आता है ना तुझे ,,ले और चुस आह्ह ऐसे ही
मैने अगले ही पल वापस से अपना लण्ड भाभी के मुह मे पेल दिया और सर को पकड़ कर तेजी से मुह मे पेलते हुए अंदर ही झड़ने लगा
मेरा सारा माल उसके मुह से बहने लगा और मैने भी अपना लण्ड बाहर निकाला तो वो जोर जोर से खासने लगी और फिर मेरा लण्ड पकड कर उसे सुरकने लगी ।
मै खडे खडे हाफ रहा था और वो अपने चेहरे पर लिभडाया हुआ माल साफ कर रही थी ।
मै - अह्ह्ह भाभी तुम तो सच मे कमाल की हो ,,,मजा आ गया ,,लेकिन दर्द भी खुब दिया हिहिहिही
काजल भाभी चुप रही और उठ कर मुह धुलने चली गयी और मै भी अपने कपडे सही करके निचे हाल मे उन्के आने का इन्तेजार करने लगा ।
थोडी देर बाद भाभी दुसरी मैक्सि पहन कर आई और काफी फ्रेश लग रही थी ।
मै मुस्कुरा कर - तो मै चलू
काजल थोडा नर्वस होकर - अच्छा ठिक है लेकिन सुनो
मै - हा बाबा मै किसी को नही कहूँगा इस बारे मे ओके
काजल थोडा हिचक कर - नही वो बात नही है ,
मै - फिर
काजल - वो मैने बताया ना कि मेरी फैंटेसी क्या है ,,तो क्या तुम मेरी इसमे मदद करोगे
मै - मतलब
काजल - क्या तुम मेरे hardcore fetish sex के सपने को हकीकत बनाओगे
मेरी तो गले से थुक गटकने वाली नौबत आ गयी थी- लेकिन वो तो मुझे नही आता
काजल मुस्कुरा कर मेरे गाल चूमते हुए - मै वीडियो भेज दूँगी
मुझे आता क्या नही था ,,बस कभी ऐसा खतरनाक तरीका आजमाया नही था । फिर मै वहा से निकल गया और दुकान की ओर चला गया ।
रास्ते मे दर्द निवारक दवा ली क्योकि आड़ो मे दर्द अभी भी हल्का हल्का मह्सूस हो रहा था ।
पिछले अपडेट मे आपने पढा कि एक ओर जन्गिलाल के सेक्स भूख बढ रही है , वही दुसरी ओर राज पहली बार धोखा हुआ । पहली बार वो शक्सियत पहचानने मे गच्चा खा गया और काजल ने जो उसकी हालत कि क्या वो आगे हिम्मत कर पायेगा उससे नजदीकीया बढ़ाने की ।
अब आगे
लेखक की जुबानी
राज तो अपने दुकान वापस लौट गया था लेकिन काजल की खुशी का ठिकाना नही था । आखिरकार उसकी कालेज की सहेली का मोटीवेशन काम जो आ गया ।
बीते दिन मे जब राज ने काजल को बताया कि वो उसके पार्सल के बारे मे जान चुका है और बार बार उसे इसी बात को लेके परेशान कर रहा था तो काजल ने इसी उलझन को सुलझाने के लिए अपने कालेज की दोस्त रीमा को फोन किया ।
कारण था कि काजल चाह कर भी राज से गुस्सा या नाराजगी नही दिखा सकती थी क्योकि धीरे धीरे उसके और राज के घर के बीच बहुत अच्छी तालमेल हो गयी थी । और जो अकेलापन उसकी सास शकुंतला ने अपने ससुराल ने झेला था , काजल नही चाहती थी कि वो दिन फिर से आये ।
बडी मुश्किल इस मुहल्ले मे एक परिवार उनसे जुडा था ,,नही तो बिना मर्द के इस घर को सब हेय दृष्टि से देखते थे ।
फिर उसे डर था कि कही राज उसकी बात किसी से कह दिया तो उसकी क्या इज्जत रह जायेगी ।
काजल ने इसी बात से परेशान होकर जब सारी बात अपनी कालेज की सहेली रीमा को बताई तो उसने ही समझाया कि समय आ गया है कि वो अपने फैंटसी को पुरा कर ले । क्योकि रोहन ने उसे करने से इंकार ही कर दिया था ।
उसके बाद रात मे देर तक काजल ने hardcore fetish sex की वीडियो देखी और चुत सहलाती रही ।
फिर जब आज शाम को राज आया तो उसके जहन मे बस अपने फैंटेसी को लेके ही पोजीटीवनेस भरी थी और इसिलिए तो उसका रूप आज बदल सा गया था ।
राज के जाने के बाद उसने फौरन रीमा को फोन किया और चहकपने मे सारी बाते बतायी । थोडे समय बाद उसी सास बाजार से वापस आ गई और वो घर के कामो मे लग गयी ।
उधर अनुज राहुल के घर की ओर निकल गया था ।
अनुज की तलब भी बीती रात से निशा के लिये बढ चुकी थी । जबसे वो दुकान से निकला उसका लण्ड तना हुआ था ।
बार बार वो अपने लण्ड को ऐडजस्ट करता हुआ राहुल के घर पहुचा। हर बार की तरह आज भी शाम के नास्ते की तैयारी किचन मे निशा कर रही थी और वही हाल मे बैठा हुआ राहुल निशा के मोबाइल मे अपने कहानियो के सफ़र मे आगे बढ रहा था ।
अनुज आकर धीरे से राहुल के पास बैठ जाता है और वो भी मोबाइल स्क्रीन पर नजरे मारता है । बीच बीच में वो किचन मे काम कर रही निशा के कुल्हे भी निहार रहा था ।
अनुज धीरे से - भाई दीदी ने कुछ कहा
राहुल ने उखडे मन से - नही यार वो मान ही नही रही है ।
अनुज खीझ कर - मुझे नही लगता कि तुने दीदी से कुछ किया भी है ,,अगर किया होता तो वो इतने नखरे नही करती सम्झा
राहुल फिर से अनुज की बात पर चिढ़ गया - क्या मतलब है तेरा अब तुझे प्रूफ दू
अनुज हिचक के - हा तुने ही बोला था ना मेरे सामने ......मेरे सामने दीदी को चोदेगा (धीमी आवाज मे )
राहुल के सर से गर्मी रिसने लगी ,,उसे बर्दाश्त ही नही था कि अनुज उसकी सफलता पर ऐसे उन्गली करेगा इसिलिए वो गुस्से मे तमतमाता हुआ उठा और धीमी आवाज मे दाँत पीसते हुए बोला - देख तू अब मै क्या करता हू ।
राहुल के बार आस पास नजर घुमाया कि कही उसकी मम्मी है तो नही ना । फिर वो थोडा आत्मविश्वासी होकर किचन मे गया और निशा के बगल मे खड़ा होता हुआ सीधा उसके चुतडो पर हाथ घुमाते हुए बोला -क्या बना रही हो दीदी ।
निशा को इस बात का आभास ही नही था कि अनुज आ चुका था तो उसने पहले कोई खास प्रतिक्रिया या रोकटोक नही दिखाई ।
बस उसी तरह से नासता बनाती रही । राहुल एक विजयी मुस्कान के साथ निशा के चुतडो को दबोचता हुआ अनुज की ओर देखा ।
अनुज का लण्ड ये सब देख कर फड़फडाने लगा और वो अपने पैन्ट मे लण्ड को दबाने लगा ।
इधर निशा ने राहुल से मम्मी को बुलाने को कहा लेकिन राहुल ने उसे कोई प्रतिक्रिया नही दी ।वो तो अनुज को दिखा रहा था कि कैसे वो निशा के नरम गाड़ की चर्बी को मिज रहा है ।
निशा ने जब जवाब नही पाया और नजर उठा कर राहुल को देखा और फिर गरदन घुमा कर हाल मे अनुज को बैठा देखा तो झट से राहुल से दुर हो गयी ।
निशा गुस्से मे - कमीने क्या कर रहा है ये सब ,,जा मम्मी को बुला कर ला । मै बताती हू तुझे फिर ।
यहा राहुल निश्चित था क्योकि उसे कोई डर नही था लेकिन निशा गुस्सैल के रूप को देख कर अनुज की फट गयी और वो वहा से सरक रहा था कि निशा ने उसे भी टोका - तु कहा जा रहा है ,,बैठ तु भी यही ।
अनुज की फटी पडी थी । वो बार बार खुद को कोसे जा रहा था कि वो क्यू इस लफडे मे पडा आज तो मार पड़ेगी ही ।
वो मन ही मन भगवान से दुवाए किए जा रहा था कि आज एक बार फिर से उसे बचा ले । वो स्वा किलो लड्डु का भोग लगायेगा ।
राहुल शालिनी को बुला कर लाया और अनुज के पास बैठ गया मोबाइल लेके ।
अनुज धीमी आवाज मे अपने दाँत पीसकर - अबे साले रख दे उसे ,,देख नही रहा है दीदी गुस्सा हो गयी । आज पक्का मार पड़ेगी और मेरी मम्मी को पता चला तो ।
राहुल हस्ता हुआ - अबे तु परेशान क्यू हो रहा है । वो कुछ नही कहेगी ।
इधर शालिनी किचन से चाय नास्ता लेके दुकान मे चली गयी और निशा एक ट्रे मे तिन लोगो का नासता लेके अपने रूम मे जाते हुए गुस्से मे बोलो - तुम दोनो आओ यहा अभी
राहुल जहा मुस्कुरा रहा था वही अनुज की फटी पडी थी ।
दोनो कमरे मे गये और दरवाजा बन्द ।
निशा गुस्से मे - ये क्या खिचड़ी पक रही है तुम दोनो मे हा ,,
निशा राहुल से - और तू क्या मुझे सड़क छाप रन्डी समझ रखा है क्या बोल
राहुल भी निशा के ऐसे तीखे तेवर देख कर चौका ,अनुज की हालत वैसे भी पतली थी ।
अनुज ने अब तक कोई खास हरकत की नही थी तो उसके पास बचने के साफ तरीके थे - नही दीदी मैने ऐसा कुछ नही सोचा,,इसी ने सब शुरु किया था और बोला था कि ....।
निशा तेज आवाज मे - क्या बोला था
अनुज एक बार राहुल को देख कर- यही कि वो मुझे दिखायेगा
निशा की आंखे फैल गयी और राहुल से - तो ये सही बात है , मतलब तु रात मे जो कहता रहता है हमम
राहुल खिखी करके ,- मै कहा झूठ बोल रहा था दीदी
निशा आंखे चढा कर अनुज को देखते हुए- तो तु भी बस मुझे देखना चाहता है
अनुज की आंखे चमकी कि शायद उसे उतना डरने की जरुरत नही है जितना को सोच रहा है ,क्योकि निशा तो मानो उसे ऑफ़र ही हो रही थी ।
अनुज मुस्कुरा देता था
निशा को उसको देख के हसी आ जाती है - देखो देखो कैसे हस रहा है कमीना
राहुल निशा के पास जाकर उसका हाथ पकडकर - दिदी मान जाओ ना प्लीज
अनुज भी उम्मीद भरी नजरो और सर उठाते लण्ड से निशा को देखा ।
निशा - तू पागल है ऐसे कैसे मै । तेरे साथ भी मै बस रात मे ही .....। तो ईसकौ कैसे
अनुज चहक कर- मै आज रात यही रुक जाऊ दीदी
राहुल भी खुश होकर - हा दीदी वो रात मे रुक जायेगा ,,प्लीज मान जाओ ना
निशा के दिल मे कुछ अपने ही अरमान जाग रहे थे जो शायद राहुल और अनुज के दिमाग से परे थे । वो बस मुस्कुराइ और बाहर चली गयी ।
अनुज उलझन भरी नजरो से राहुल को देखता है कि क्या हुआ वो रुके या नही ।
राहुल हस कर - भाई तु घर पर बात कर ले । आज रात हिहिहिहिही
अनुज खुश होकर - सच मे
राहुल हस कर - हा भाई ,,आज दोनो भाई मिल कर मजा करेंगे हिहिही
फिर वो दोनो ने नासता किया और अनुज वापस अपने दुकान पर चला गया क्योकि उसे पता था कि सिर्फ राज ही उसे चाचा के यहा जाने के लिए मम्मी से हा करवा सकता है ।
राज की जुबानी
शाम का समय हो चला था और मै दुकान मे व्यस्त था ।
6 बजने को थे और अनुज बहुत ही संकोची भाव मे चुपचाप बैठा हुआ था ।
मुझे लग रहा था कि कल रात मे मोबाइल नही मिला तो परेशान होगा ।
कभी कभी मन करता था कि पापा से बोल कर इसे भी एक मोबाइल दिला दू । लेकिन इस बार इसकी 10वी के परीक्षा होते तो थोडा डर भी था कि पढाई मे ध्यान नही रहेगा ।
नया नया है अभी जिस्मो के भवर मे ....हिहिहिही बहक जायेगा और कुछ काम का नही रह जायेगा ।
खैर मैने उसको खुश करने के लिए बोला - क्या हुआ भाई मुह काहे लटकाया है । किसी लड़की ने तुझे थप्पड़ तो नही ना मारा हिहिहिहू
अनुज खिस्स से हसा और ना मे सर हिला दिया
मै - अच्छा ठिक है आज रात मे मोबाइल तु ले लेना ठिक है ।
अनुज - नही भैया मोबाइल नही चाहिये
मै अचरज से - मोबाइल नही चाहिये ??? फिर
अनुज - वो आज मै चाचा के यहा सोने जाऊ , राहुल बुला रहा है ।
मै मन मे - ये चाचा के यहा जा रहा है ,,कही निशा राजी तो नही हो गयी ना या फिर इन दोनो का कोई और ही प्लान ???
अनुज - बोलो ना भैया ,,आप मम्मी से बोल दो ना प्लीज
मै - हा लेकिन वहा क्यू जायेगा , अपने घर नीद नही आती क्या ?
अनुज - नही भैया आज राहुल ने बहुत अच्छी फिल्म मोबाइल मे डलवाया है । वही देखने जाऊंगा
राज - हम्म्म , ठिक है जा लेकिन रोज रोज नही , नही तो मम्मी तुझे ही पिटेगी ।
अनुज - ओके फिर मै खाना भी वही खाऊंगा
मै मुस्कुरा - ठिक है
मै उसे जाने के लिए बोल तो दिया था लेकिन मन में चूल मची हुई थी कि आखिर मसला क्या है । राहुल को अगर रात मे निशा को चोदाने को मिल रहा है तो वो अनुज को बुला कर रिस्क क्यू लेगा ?
अरे हा कही वो अनुज को अपनी चुदाई दिखाने के बहाने तो नही बुलाया है । निशा भी उस दिन बता रही थी कि राहुल ने कयी बार उससे कहा था इस बारे । निशा को इस बारे मे पता भी है या नही ??
मै थोडा अपने काम मे लगा रहा और 7 बजे तक अनुज को दुकान बंद करके चाचा के जाने का बोल कर निकल गया चौराहे पर ।
रास्ते मे मैने निशा को फोन किया तो राहुल ने ही फोन उठाया तो मैने काट दिया बिना कोई बात किये ।
चौराहे वाले घर पहुच कर मैने मा को अनुज के लिए बोल दिया तो पहले वो थोडी ना नुकुर की लेकिन फिर मैने कहा कि एक दिन की बात है और वैसे भी किसी दुसरे के यहा थोडी गया है ।
किचन मे काम कर रही सोनल ने जब अनुज के ना होने की बात सुनी तो उसके अपने ही अरमान जाग गये ।
खाना बनाते हुए ही उसने मुझे मैसेज किया कि आज रात मे वो इन्तजार करेगी ।
मैने भी खुश होकर ओके बोल दिया । क्योकि अब कुछ ही दिनो की बात थी कि दीदी के साथ समय बीता सकता था ।
उसकी शादी को अब दो ही महीने रह गये थे ।
मै और पापा हाल मे बैठे हुए यही सब बाते कर रहे थे । कि आगे की तैयारिया कैसी की जाये ।
दो महीने ही रह गये है शादी को । कार्ड छपवाने से लेकर उसे बाटने की जिम्मेदारि पापा ने मेरे सर ही डाल दी ।
मा पापा से - ऐसा करिये आप इधर एक दो दिन मे जैसा आपको समय मिल रहा है आप एक बार समधि जी के यहा हो आईये और दामाद बाबू की भी खोज खबर ले लिजिए
मै हस कर - अरे उसके लिए दिदी से पुछ लो ना मम्मी की अमन कैसा है ।
मै सोनल को किचन मे आवाज देकर - दीदी ,,जीजा कैसे है बताना जरा हिहिहिही मम्मी पुछ रही है ।
मा मेरे बगल मे बैठी हुई थी तो मेरे कान पकड कर खीचते हुए - धत्त पागल कही का ।
पापा हस्ते हुए - उसकी चिंता ना करो रागिनी ,,मै कल शाम को ही चला जाऊंगा और मुरालीलाल भाई से मुलाकात कर लूंगा ।
फिर बात खतम हुई और सबने खाना खाया । सोनल उपर चली गयी फिर मैने आज भी मा को मना कर दिया कि मै आज थोडा थका हुआ हू और इच्छा नही हो रही है ।
मा ने मुझे आराम करने के लिए बोला और पापा के साथ कमरे मे चली गयी ।
थोडी देर बाद ही सोनल ने मुझे फोन करके उपर बुलाया और मै भी चुपचाप उपर चला गया ।
कमरे मे सोनल एक टीशर्ट और शॉर्टस मे थी और उसके कड़े निप्प्ल उसकी बिना ब्रा वाली टीशर्ट से साफ उभरे हुए दिख रहे थे । वो लेती हुई मोबाइल चला रहा थी और अमन से chatting से बाते कर रही थी ।
मैने दरवाजा बन्द किया और बिस्तर पर चढ़ते हुए पहले सोनल के नंगे वैक्स हुए पैरो को चुमना शुरु किया और उसके पिंडलियों से उसके जांघो को चूमते आगे बढने लगा
सोनल धिरे धिरे मदहोश होती हुई और अपनी जान्घे खोलने लगी ।
मैने उसकी जांघो के पास से सुन्घते हुए उसके चुत के पास अपने नथुने को उसकी शॉर्टस पर घुमाया और सोनल ने खुद को ढिला छोड दिया । उसकी सासे तेज थी। मैने उसके चुत के उपर अपने होठो और गालो को फिराया और जान्घो को सहलाने लगा ।
ऊततेज्ना बस सोनल अपनी जान्घे कसने लगी और मेरी तडप और भी बड़ने लगी ।
मैने उसके नंगी कमर की चूमना शुरु कर दिया , शुरु वो थोडा गुदगुदी से खिलखिलाई मगर जैसे जैसे मेरे होठो की मादकता बढती गयी उसकी सासे गहराती गयी ।
मैने उसके ब
नाभि को निशान बनाया और उनमे जीभ फिराने लगा ।
फिर नाभि के निचली चर्बी को मुह मे भर के उन्हे चुबलाने लगा।
मक्खन सा नरम था उसका जिस्म । मेरे चपल होठ उसके पेड़ू की ओर सरकते रहे और मै उसके शॉर्टस की लास्टीक की थोडा थोडा निचे करके की उसकी चुत की ओर बढने लगा ।
सोनल कसमसा कर कभी अपने जान्घे ढीली कर देती तो कभी तेजी से कस लेती ।
मैने धीरे धीरे उसके आधे कुल्हे तक ऐसे ही चुमते हुए उसके शॉर्टस निचे कर दिये और फिर जब वो थोडी सख्ती करने लगी तो उसके सामने आकर उसकी टांगो को उठा कर अपने कन्धे पर रखा।
सोनल हसे जा रही थी लेकिन उसकी आंखो से मादकता साफ झलक रही थी ।
उसकी हसी से मेरे होठों पर भी मुस्कुराहट थी ।
लेकिन लोवर मे तना मेरा लण्ड अभी कुछ और ही हसरत लिये एठ रहा था ।
मैने झुक कर उसके कूल्हो से उसकी शॉर्ट्स को खिचना शुरु कर दिया । वो थोडा खिलखिलाई लेकिन मैने भी थोडा जोर देके उपर खिच लिया ।
अभी शॉर्ट्स घुटने तक ही आया था कि मुझे दीदी की क्लीन सेव चुत दिखी ।
मेरे दिल की धडकनें तेज हो गयी ।
मैने आंखो के इशारे से दिदी के पुछा की ये शेव कब किया तो बस मुस्कुराये जा रही थी ।
मैने उसका शॉर्ट्स पैरो से अलग किया और जान्घे फैलाते हुए अपना मुह सिधा सोनल की चुत की ओर ले गया ।
एकदम से एक मादक सी खुस्बु ने मेरे नाको को घेर किया और मुह मे लार भरने लगा । मै खुद को रोक नही सका और धीरे से मेरे फड़फडाते होठो को दिदी को मुलायम चुत पर रखा और बहुत हल्का हल्का स्मूच करने करने लगा । मेरे लार और दिदी की चुत का रस आपस मे मिलने लगे और मोटे तार की चासनी सी बनने लगी ।
मैने बिना हाथो का प्रयोग किये अपने नाक को ही निचे से जगह बनाते हुए दिदी की चुत के फाको मे फैलाता हुआ उपर लेके गया और तुरत जीभ को उनकी गर्म चुत मे घुसेड़ दिया ।
दिदी ऐंठनेलगी । ऐसे मे मुझे उनके जांघो को पकडना पड़ा और मेरे जीभ अब उनकी चुत मे फ्लिक करने लगे । उपर से मेरे होठो से उनकी चुत होठो की घिसाई जारी थी । बीच बीच में मै उत्तेजित होकर उनके चुत की फलको को होठो मे लेके चुबलाने लगता और जीभ से उन्की चुत के दाने को कुदेरता ।
दीदी तो बस अपनी कमर झटक कर झड़ रही थी और मेरे मुह मे अपना सोमरस की फुहार दे रही थी ।
मैने अच्छे से दीदी को निचोड़ा और हथेली से मुह पोछ कर उनके उपर चढ़ गया । हम दोनो के बिच थोडा डीप किस्सिंग चली और मेरा लण्ड वापस से बागी होने लगा ।
अंडरवियर के उपर से ही अपनी नंगी चुत पर मेरा लण्ड की गरमी और घर्षण दीदी को आभास हो रहे थे। वही मेरे हाथ उनकी रसदार चुचियो को मरोड रहे थे । क्या कड़क चुचिया थी । जीभ फिर से बेकाबू होने लगी और इस बार शिकार दीदी की निप्प्ल को होना पडा। महीन रोए दार गुलाबी भूरे रंग की उनकी निप्प्ल्स । होली के बाद से मैने ना जाने कितनी बार इन्हे मन भर के चूसा था और जीभ से निप्प्ल को नचाया होगा ।
मगर ये तडप हर बार बढ जाती है । वही हाल अभी मेरा था । मै लपालप दीदी की निप्प्ल को जीभ से घुमा रहा था और दुसरे चुची की घुंडी को उंगलियो से मसल रहा था ।
दीदी तो बस कसमसा और सिस्क कर रह जा रही थी ।
निचे से लण्ड को रगड़ उपर के दोनो मोती भी गिरफ्त मे ।
खुजली स्व्भाविक थी और हुआ वही । दीदी के चुत की खुजली बढने लगी । एक बार उनकी चुत ने लूब्रिकेंट छोडना शुरु कर दिया ।
दिदि - ओह्ह्ह राजजज अब मत तडपा डाल दे ना प्लिज्ज्ज
मै - क्या दिदीईई उम्म्ंम्ं
दीदी अपनी गाड़ उचकाकर अपने चुत को मेरे लण्ड पर घिसती हुई - येह्ह्ह लण्ड भाईई अह्ह्ह प्लिज्ज देदे ना मुझे
मै - तो लेलो ना रोका किसने है दीदी ,,,
दीदी - उम्म्ंम सीईई तु डाल ने एक बार मे पुरा अह्ह्ह बहुत मन है ,,,खुब हचक के पेलवाने का
मै भी जोश मे आने लगा दीदी की नशिलि बाते सुन कर और लण्ड मे जैसे एक नयी ऊर्जा आ गयी । मेरे लण्ड की गर्मी ही बढ गयी थी ।
मैने उठा और खड़ा होकर अपना अंडरवियर निकाला और थोडा सा थुक लगा कर लण्ड को दीदी के चुत के मुहाने पर रखा ।
मै - फाड़ दू दीदी !!!!
दीदी अपनी दोनो चुचिया के निप्प्ल मरोडती हुई - अह्ह्ह हाआ प्लीज रज्ज्ज चोद दे फाड़ दे जो मन हो कर ले अह्ह्ह लेकिन इसे घुसा दे
मै उनकी तडप देख रहा था और मै भी कम परेशान नही था । इसलिये मैने देर ना करते हुए अपना लण्ड का सुपाडा खोल कर दीदी की चुत पर सेट किया और सीधा उन्की चुत मे उतार दिया ।
दीदी - अह्ह्ह्ह माआआआ उफ्फ्फ ओह्ह ओह्ह हा अब पेल मुझे भाईई उम्म्ंम्ं उफ्फ्च बहुत मस्त लण्ड है तेरा ओह्ह्ह येस्स्स्स बेबी फ़क मी येएस्स्स येस्स्स्स ओह्ह्ह भाई
मै दीदी की भावनाये सुनकर मुस्कुराया कि आजकल ये कुछ ज्यादा ही पोर्न देख रही है । आज इंग्लिश मे हिहिहिही । मैने उसकी जांघो को पकड कर सटासट पेले जा रहा था ।
मै तेज धक्के लगाते हुए अपने बातो की पिसकर - क्युउऊ दीईइदीई मजा आ रहा है ना अपने भाई का लण्ड लेके उम्म्ंम बोलो
दीदी मेरे आंखो मे देखते हुए - हा भाई बहुत ज्यादाआआ अह्ह्ह मस्त चोदता ही है तू ओह्ह्ह फ़क मीईई उम्म्ंम्ं
फ़क मी हार्ड बेबी ओह्ह्ह रराज्ज्ज्ज फ्क्क्क फ्क्क्क अह्ह्ह आह्ह येस्स्स्स
मै दीदी की बाते सुन कर और भी उत्तेजित हो रहा था और तेजी से उनकी चुत फाडे जा रहा था ।
मै - दिदीई ये अन्ग्रेजी वाला कब से उम्म्ं फ़क फ़क सिख ली । कही अमन तो नही सिखा रहा ना
दीदी मुस्कुराई और बोली -नाहीई उसके साथ कहा ये सब बाते होती है । वो निशा कामिनी ने आदत बना दी है।
मै - वो कैसे ??
दीदी - अब तु तो हमेशा नही रहता है ना मेरे लिये ना निशा के लिए तो कभी कभी विकली जब मै और निशा मिलते है तो हम लोग एक दुसरे को शांत कर देते है तो उसी मे अह्ह्ह्ह आदत हो गयी उम्मममं सीईईई
मै समझ गया कि हाल ही समय मै जबसे पापा के साथ मिल कर मा को चोदना शुरु किया तब से दीदी से थोदा दुर हो गया था । लेकिन अब नही । शादी तक दिदी की चुत का भोसडा बना दूँगा ।
मै अपनी ही कल्प्नाओ मे खोया हुआ दीदी को चोद रहा था और वो झड़ रही और मेरे लण्ड पर अपनी चुत का छल्ला कस रही थी ।
मै भी आखिरी कूछ धक्को के साथ दीदी के उपर ही झड़ गया और हम दोनो आपस मे लिपट कर सो गये ।
यहा राज ने खुद को शांत कर लिया लेकिन अनुज का क्या ? आज रात मे क्या वो निशा के साथ कुछ कर पायेगा या फिर बस देख कर हिलायेगा ही ।
मिलते है अगले अपडेट मे ।
आपकी प्रतिक्रिया का इंतजार रहेगा ।
धन्यवाद
पिछले अपडेट मे आपने पढा कि एक ओर जहा सोनल ने अनुज के ना रहने पर राज को रात मे चुदवाने के लिए बुला लिया । वही अनुज आज कुछ उम्मीद लिये अपने चाचा के य्हा गया है रात बिताने ।
तो देखते है आगे क्या होता है ।
लेखक की जुबानी
अनुज और राहुल इस वक़्त अपने कमरे मे बिस्तर पर बैठे हुए थे। सामने मोबाइल पर थ्रीसोम सेक्स की म्यूट वीडियो चल रही थी । मतलब साफ था कि दोनो रात के लिए तैयारिया कर रहे थे।
वीडियो मे इस समय DOUBLE PENETRATION का सीन चल रहा था और दोनो लण्ड ने निशा के गाड़ के सुराख मे घुसने की इच्छा हो रही थी ।
अनुज - यार तुने दीदी की गाड भी ली है क्या ?
राहुल - नही यार अभी इतना जल्दी कैसे वो मान जायेगी । सुना है बहुत दर्द होता है पहली बार मे
अनुज- फिर हम लोग एक साथ कैसे करेंगे ।
राहुल हसता हुआ - वो दीदी मेरा लण्ड मुह मे लेती है ना ,,,तो एक एक लोग बारी बारी से चुत मे पेलेन्गे
अनुज थोडा हिचक कर - अच्छा सुन , यार कन्डोम लेले क्या
राहुल हस कर - अबे साले तु तो ऐसे बोल रहा है कि जैसे दीदी की चुत मे झ्देगा
अनुज - नही नही वो बहुत रिस्की है ,
राहुल - और क्या हम दोनो मस्त ऐसे ही दीदी को घुटनो के बल बैठाकर उन्के चेहरे पर अपना बीज गिरायेंगे ,,,देख ऐसे ही
राहुल उस पोर्न वीडियो मे आखिरी सीन को अनुज को दिखाता है जिससे अनुज का जोश और भी बढ जाता है ।
अनुज अपना लण्ड मसलते हुए - भाई मै तो पागल हो जाउन्गा , सीई आअह्ह्ह निशाआ दिदीई
राहुल अनुज की तडप देख कर हस रहा था ।
तभी अनुज के दिमाग मे एक बात आई जिस्से उस्का सारा जोश कुछ पल के लिए ठहर गया
अनुज - यार दीदी मान जायेगी ना मुझसे चुदवाने के लिए,,,
राहुल - हा तु फिकर ना कर ,,
इधर इनकी बाते चल रही थी । वही दुकान मे जंगीलाल अलग ही परेशान था । वो जल्दी से खा पी कर शालिनी को चोदने की योजना बना रहा था ।
थोडी देर बाद खाने के सबको बुलाया गया ।
अनुज राहुल और जन्गीलाल बैठ गये और निशा ने सबको परोसना शुरु कर दिया ।
जन्गीलाल के जहन मे निशा को देखते वाप्स से सुबह वाली बाते चलने लगी और वो फिर उसे उसके निप्प्ल के मोटे उभार को खोजने लगा । मगर इस बार किस्मत ने साथ नही दिया ।
लेकिन जब निशा मुड के किचन मे वाप्स जाने लगी तो उसके हिलते कूल्हो ने जंगीलाल के लण्ड मे हवा भर दी और तुरन्त जंगीलाल की कल्पना मे अपनी बेटी को घोडि बना कर उसकी गाड चोदने की छवि दिखी ।
जंगीलाल ने खुद को झझोरा कि वो ये सब क्या सोच रहा है वो उसकी बेटी है । लेकिन दिमाग के एक कोने मे अपने ही बेटी की गाड़ चोदने की तस्वीर भी उसे अपनी ओर आकर्षित कर रही थी ।
जंगीलाल मन मे - ये सेक्स ने मुझे पागल बना दिया है । मुझे कल ही शहर चले जाना चाहिए और जबतक किसी की ताबड़तोड़ चुदाई नही कर लूंगा तबतक ऐसे ही मेरे दिमाग मे उलुल जलूल बाते आती रहेंगी ।
फिलहाल तो आज शालिनी की चुत लेनी है ,,चाहे जबरदस्ती ही लेनी पडे । हर बार उसकी ही मनमानी नही रहेगी आखिर मै भी पति हू मेरा भी हक है कुछ । हम्म्म्म यही करना होगा आज इसकी चिखे ना निकलवा दी तो कहना हुउह
एक ओर जहा जन्गीलाल अपने ही ख्यालो मे खोया हुआ बडबड़ा रहा था । वही बगल मे बैठे राहुल और अनुज के अरमान कम उचाईया नही छू रहे थे ।
खाने का निवाले को मुह मे चबाते हुए दोनो की निगाहे बस निशा को घुरे जा रही थी ।
निशा तो समझ रही थी इसिलिए वो भी इतरा रही । किचन मे जाते वक़्त अपने कुल्हे ऐसे मटकाती मानो दोनो को झाड़ ही देगी ।
लेकिन उसे क्या पता था कि वो जिन दो छोटे चूजो को दाने का लालच दे रही थी । उस्के बगल मे बैठा मुर्गा भी उसकी हरकते देख कर अपना सिर उठा रहा था ।
निशा को आभास ही नही था कि उसका बाप भी उसकी मदमस्त चाल को निहार रहा है और मन मे क्या क्या तस्वीरे सजा रहा है ।
खाना पीना हूआ और सब लोग अपने अपने कमरे मे गये ।
इधर जंगीलाल ने शालिनी के सामने प्रसताव रखा तो वो मान गयी और उनकी चुदाई शुरु हो गयी ।
वही राहुल और अनुज अपने कमरे मे बैठे हुए निशा का इन्तजार कर रहे थे ।
आधे घन्ते से उपर हो चुका था अनुज तो दो बार दरवाजा खोलकर निशा का कमरा देख चुका था ।
अनुज - भाई दीदी आयेगी ना
राहुल - हा भाई क्यू परेशान है । नही आयेगी तो हम लोग चलेंगे ना हिहिहिही
थोडा समय और बीता तो राहुल को भी लगा कि कही निशा सच मे नही आयेगी ।
अनुज - भाई दीदी के पास ही चले ,,अब रहा नही जा रहा है ।
राहुल - यार दीदी और मम्मी का कमरा अगल बगल है , वहा कैसे करेंगे ।
अनुज - तो तु जा बुला कर ला
राहुल - हा ये ठिक रहेगा
फिर राहुल धीरे धीरे निशा के कमरे की ओर जाने लगा और अनुज अपने क्मरे के दरवाजे पर खड़ा होकर उसे जाते देख रहा था और लोवर मे अपना लण्ड मसल रहा था।
राहुल निशा के कमरे का दरवाजा धकेला तो वो आसानी से खुल गया और राहुल कमरे मे चल गया ।
इधर अनुज की आंखे चमक उठी और वो खुश हो गया और राहुल के वापस आने का इंतजार करने लगा ।
धीरे धीरे 5 , 8 और फिर 10 मिंट हो गये और हर बीतता पल अनुज की बेचैनी बढा रहा था इसिलिए वो खुद निशा के कमरे की चल दिया ।
उसने जैसे ही कमरे का दरवाजा खोला सामने का नजारा देख कर वो मस्त हो गया । कमरे मे फर्श पर निशा घुटनो के बल होकर राहुल का लण्ड चुस रही थी ।
अनुज का तो जैसे सपना ही सच हो गया । वो बस पोर्न वाली वीडियो के जैसे अपना लण्ड लोवर से बाहर निकाला और निशा को देखते हुए सहलाने लगा ।
निशा ने तो अनुज को दरवाजे पर खड़ा देखा था लेकिन उसने उस वक़्त नजरंदाज कर दिया लेकिन जब अनुज अपना लण्ड बाहर निकाल कर मुठियाने लगा तो मुह मे लण्ड भरे भरे ही निशा की आंखे फटने लगी ।
वो फौरन मुह से राहुल का लण्ड निकाल कर - पागल वहा क्या कर रहा है ,,कही मम्मी पापा बाहर आ गये तो ।
अनुज की भी फटी और वो फौरन कमरे मे आकर दरवाजा बन्द कर दिया ।
फिर तीनो आपस मे मुस्कुराने लगे ।
अनुज खिखी करता हुआ - दीदी मै भी आ जाऊ
निशा मुस्कुराते हुए राहुल का लण्ड सहलाते हुए बस इतरायी और वापस से लण्ड चूसने लगी ।
अनुज ने फिर राहुल को देखा तो उसने पास आने का इशारा किया ।
अनुज चहकता हुआ राहुल के बगल मे आ गया ।
निशा ने तिरछी नरजो से अनुज का तना हुआ लण्ड देखा जो लगभग राहुल के ही बराबर था बस सुपाडा थोडा ज्यादा फुला हुआ था राहुल के मुकाबले ।
निशा राहुल का लण्ड चुसते हुए अनुज के आड़ो को अपनी उन्गलियो से सहलाया ।
अनुज सिसिक पडा - सीईई अह्ह्ह दिदीईईई
राहुल ने फौरन अनुज के मुह पर हाथ रखते हुए - पागल है क्या , पापा मम्मी सुन लेंगे
अनुज धीमी आवाज मे - तो अपने कमरे मे चले अह्ह्ह उम्म्ंम ओह्ह दिदीईईई
अब तक निशा ने अनुज क लण्ड मुह मे भर लिया और सुपाड़े पर जीभ की कलाकारी दिखा रही थी । जिससे अनुज छटपटा रहा था ।
अनुज को सिसकता और आवाज करता देख राहुल ने निशा के गुहार की , कि वो उसके कमरे मे चले ।
कमरे बदलें , जगह बदल गयी
लेकिन माहोल नही बदल सका । निशा यहा भी उसी तरह से दोनो के लण्ड को बारी बारी से चुस रही थी ।
अब यहा अनुज खुल कर अपनी भावनाये आअहे भरता हुआ जाहिर कर रहा था ।
अनुज - ओह्ह्ह दिदीईई ऐसे ही चुसो उम्म्ं मजा आ रहा है अह्ह्ह
इधर निशा अनुज के लण्ड मे बिजी थी तो राहुल ने आगे का प्रोग्राम बढाने लगा ।
उसने एक एक करके अपने कपडे निकाल दिये और अनुज ने भी अपने कपड़े निकालने लगा ।
राहुल नंगा होकर निशा के पीछे गया और उसे उठाने लगा ।
निशा ने भी मुह खोल कर अनुज का लण्ड छोड दिया और खड़ा होते ही राहुल का लण्ड थाम ली ।
उसके जिस्म की गर्मी बढ चुकी थी । वो भी चाह रही थी कि अब दोनो मिल कर उसके बदन को प्यार दे ।
राहुल ने पहले निशा का टीशर्ट निकाला और एक चुचो को टेप के उपर से मसलना शुरु कर दिया ।
यहा अनुज की भी लालसा बढ रही थी और वो भी अपना लोवर अंडरवियर निकाल कर निशा के दुसरी ओर आकर उसके चुचे को पकड लिया
दोनो भाई मिल कर अपनी दीदी की दोनो चुचिय एक साथ मसलने लगे ।
ऐसे मे पहली बार निशा ने आअह्ह्ह भरीई और दुसरे हाथ से अनुज का लण्ड भी थाम लिया ।
राहुल ने निशा के होठो को चूसना शुरु कर दिया और वही अनुज ने टेप मे हाथ घुसा कर निशा की नंगी चुचियो का छुने लगा ।
अपनी चचेरी बहन के मुलायम चुचियो का स्पर्श उसे पागल किये जा रहा था और वो निशा की चुचियो को दबा रहा था और उसके कंधे गरदन को चुम भी रहा था ।
जिससे निशा ने कसमसा कर अपने होठो का रुख अनुज की ओर मोड़ लिया और दोनो मे पहली बात गहरा चुंबन शुरु हुआ ।
अनुज के होठो को निशा वैसे ही निचोड़ रही थी जैसे अनुज उसकी चुचिया मसल रहा था
राहुल के हाथ आगे बढे जा रहे थे वो निशा की कमर पर हाथ ले जाकर उसकी कुछ पल उसके गुदाज गाड़ को सह्लया और फिर पीछे जाकर उसका स्कर्ट निकाल दिया ।
निशा ने निचे कोई पैंटी नही पहन रखि ।
राहुल निशा को नंगी गोरी गाड़ देख कर पागल हो गया और उसके दरारो मे मुह दे दिया ।
निशा सिसकी और अनुज के होठो को छोड कर राहुल के जीभ को अपने गाड़ से सुराख पर नाचता मह्सूस करने लगी।
वो थोडा आगे की ओर झुकने लगी तो अनुज ने उसे थामा । उसकी आंखे आधी बन्द थी और चेहरे पर कामुक मुस्कुराहट । मानो गाड़ के छेद पर जो हरकत राहुल दुहरा रहा था वो उसे मदमस्त कर रही थी
अनुज की भी इच्छा हुई कि वो भी निशा को ऐसे ही सुख देगा ।इसिलिए उसने आगे बैठ कर उसकी नंगी मुलायम जांघो को थामते हुए अपना मुह उसकी चुत पर दे दिया ।
अब निशा अकड़ सी गयी ।
पहले ही अपने एडिया उचकाये बडी मुश्किल से खड़ी थी और अनुज की जीभ जब उसके चुत पर नाचने लगी तो उसे पूरी तरह सेअप्नी उन्गियो के भरोसे खड़ा होना पडा ।
दोनो भाई आगे पीछे के छेड़ो को लपालप चाटे जा रहे थे । कभी कभी दोनो की ठूडीया एक दुसरे को छू भी जाती थी लेकिन सुराख से दुरी नही बनाई किसी ने ।
लण्ड फटने को आ चुका था ।
अनुज पहले उठा और निशा को बिस्तर पर लिटा दिया ।
निशा अभी भी टेप पहने हुए थी । लेकिन उसकी चुत अब चमक रही थी । अनुज ने अपना सुपाडा मसला और जान्घे उठा कर लण्ड निशा की चुत पर लगाने लगा ।
राहुल वही फर्श पर बैठा अनुज के कान्फिडेंश को निहार कर मुस्कुरा रहा था । लेकिन अनुज की प्रेरणा तो वो कहानी थी जिसमे हीरो अपनी चचेरि बहन को पेलता है ।
अनुज बिना झिझक के अपना सुपाडा निशा के चुत मे फसा कर हचाक कर आधा लण्ड निशा की चुत मे उतार देता है ।
निशा - औउउच ओह्ह मम्मी उम्म्ंम्ं आराम से उम्म्ं सीईई ओह्ह्ह
अनुज ने जब निशा की सिसकी सुनी तो उसे खुद पर थोडा गर्व हुआ और अगला ध्क्क्का उसने और करारा लगाया ।इस बार लण्ड निशा की जड़ तक गया और निशा की आंखे बाहर को आने को गयी ।
निशा - उह्ह्ह्ह माआअह्ह उम्म्ं
निशा की तेज सिसकिया सुन कर राहुल भाग कर निशा के बगल मे गया और उसके होथो को चुस्ते हुए उसके चुचे मसलने लगा ।
वही अनुज ये सीन देख कर मानो उसे लगा कि उसे खुली छूट मिल गयी है । अब वो कस कस के ही धक्के लगाने लगा ।
राहुल निशा की सिस्किया अपने मुह मे दबाए उसके टेप को उठा कर उसकी नंगी चुचिया मसलने लगा ।
कभी कभी वो निशा के होठ छोड कर उसके निप्प्ल को मुह मे भर लेता
अनुज निशा की सिसकिया सुन कर तेज तेज पेलने लगा , वही राहुल निशा के मुह पर हाथ रख कर उसके निप्प्ल चूसने लगा ।
फिर वो ख्दा हुआ और उसके मुह मे अपना लण्ड भर दिया ।
अनुज ने जब ये सीन देखा कि निशा के मुह मे राहुल का लण्ड है और उसकी चुत मे वो पेल रहा है । तो वो पोर्न वीडियो के सीन याद करके निशा के जांघो को अपने कन्धे पर उथा दिया जिससे उसका लण्ड और गहराई मे जाने लग
निशा राहुल का लण्ड मुह मे भरे हुए उसे गले तक ले जाती और बिच मे मुह से निकाल कर आहे भारती हुई अनुज को उत्तेजित करती ।
लम्बी लण्ड चुसाई और ताबड़तोड़ चुदाई से दोनो चरम पर पहुचने वाले थे । निशा तो दो बार झड़ चुकी थी ।
उसके चेहरे के भाव बिगड़ गये थे ।
अनुज आखिर के ध्क्क्को के साथ - ओह्ह मेरा आयेगाआ उम्म्ंम्ं
राहुल - हा हा भाई आजा उह्ह्ह हा दिदीईई जल्दी निचे आओ
निशा फटाफट निचे फर्श पर घुटने के बल आ गयी । अनुज अपना सुपाडा मुठी मे पकडे हुए था और उसका लण्ड वीर्य उगल्ने को बेताब था । यहा जैसे ही निशा निचे आई ,,अनुज ने सुपाडा से पकड धिली करता है और हलहला कर उसका लण्ड पिचकारी छोडने लगत है और सारा रस निशा के चेहरे पर जाने लगता है ।
इधर राहुल अपनी एडिया उचका कर तेजी से लण्ड सहलाता है और कुछ सेकंड मे वो भी निशा के उपर झड़ने लगता है ।
निशा दोनो के लण्ड को थाम कर बारी बारी से साफ करती है और अपने टेप से अपना मुह साफ करने के लिए उपर उठाती तो उसकी चुचिया फिर से नंगी हो जाती है ।
जिसे देख कर अनुज के मुह मे पानी आ जाता है और ये भी याद आता है कि उसने तो चुचिया चुसी ही नही ।
तो वो निचे झुक कर निशा के चुची को मुह मे भर लेता है ।
निशा हसते हुए - हट कमीना कही का हिहिहिही सब कर लिया तो अब क्या
अनुज - वो दीदी इसे टेस्ट नही किया था हिहिहिही
अनुज की बात पर सब ह्सने लगते है ।
इधर राहुल निशा से एक राउंड और करने के लिए कहता है क्योकि अभी वो चोद नही पाया था ।
निशा उसे पहले किचन से पानी लाने के लिए भेजती है और फिर आगे की प्लानिंग बतायेगी । ऐसा कहकर वो बिस्तर पर जाकर लेट जाती है ।
राहुल अपना लोवर पहन कर किचन से पानी लेने चला जाता है ।
पिछले अपडेट मे आपने पढा कि एक ओर जहा अनुज निशा को चोदने मे कामयाब रहा । वही अन्जाने मे निशा खुद के प्रति अपने पापा को रिझाने लगी थी ।
अब आगे
लेखक की जुबानी
रात मे दो से तीन राउंड तक निशा की चुदाई राहुल और अनुज ने मिलकर की और उसे अपने वीर्य से नहालाया ।
वही दुसरे कमरे मे जंगीलाल की तृप्ति नही हुई क्योकि आज फिर शालिनी ने उसे वैसा सेक्स नही दिया जैसा वो चाहता था । शालिनी अपनी अदाओ से उसे गर्म तो बहुत कर देती थी लेकिन जंगीलाल को उसकी हवस को पूरी तरह से निकालने का मौका नही देती । वो सेफ़ सेक्स पर ही फोकस रहती थी ।
एक राउंड के बाद शालिनी नहाने चली गयी इधर जन्गिलाल ने तय किया कि कल दोपहर को ही वो बडे शहर निकल जायेगा ।
सुबह हुई तो अनुज अपने घर के लिए निकल गया था ।
वही शालिनी नहा धो कर नास्ते की तैयारी मे थी । निशा भी नहा कर किचन मे लग गयी थी । राहुल रोज की तरह दुकान खोलने और साफ सफाई मे व्यस्त था ।
जंगीलाल की भी रोज की तरह देर से ही आंख खुली । वो उठा तो उसका मूड उखड़ा हुआ ही था । इसिलिए बाथरूम जाने से पहले उसने शालिनी को शहर जाने वाली बात बताने के लिए किचन की ओर गया ।
जंगीलाल जांघिया और बनियान पहने जैसे ही किचन के दरवाजे के पास पहुचा किचन मे निशा निचे बैठ कर आंटा लगा रही थी । उसने एक ढीले गले का टीशर्ट डाल रखा था जिससे जंगीलाल को खडे खडे ही निशा के गोरे फुले हुए चुचे दिख गये ।
आंटा गुथते वक़्त निशा बार बार आगे की ओर झुक रही थी तो ऐसे मे उसके चुचे हल्के हल्के हिल रहे थे ।
ये नजारा देखते ही जंगीलाल के जांघिया मे उसका लण्ड तन गया ।
इधर निशा को भी थोडा आभास हुआ कि दरवाजे पर कोई है । जब वो नजरे तिरछी कर अपने पापा के टांगो को देखते हुए उपर जाती है तो उसकी आंख अपने पापा के जांघिया मे बने टेन्ट पर अटक जाती है ।
वो थोडा मुस्कुराते हुए मुह फेर लेती है ।
तभी शालिनी - क्या हुआ जी कुछ चाहिये था ?
जंगीलाल का ध्यान निशा के छातियो से हट कर शालिनी की ओर जाता है - न न नही , वो जरा आज खाना जल्दी तैयार कर देना मुझे बडे शहर निकलना है ।
शालिनी - अरे अभी पिछले महीने तो गये थे ।
जन्गिलाल उखड़ कर - अरे भाई शादियो का सीजन है , स्टॉक कम पड़ रहा है तो जाना पडेगा ।
शालिनी - ठिक है लेकिन आप भडक क्यू रहे है ?? , आप जायिये नहा कर आईये मै आपके कपडे निकाल देती हू ।
जंगीलाल चुप हो गया और तौलिया लेके छत पर चला गया । जीने पर जाते हुए उसे थोडा बुरा लग रहा था कि क्यू आखिर वो अपनी शालिनी से ये सब धोखा कर रहा है ।
जंगीलाल मन मे - मै क्या करु , मेरी तडप शालिनी समझती ही नही । मुझे उसे रन्डीयो के जैसे खुब हचक के चोदना है । शादी के इतने सालो मे सिर्फ एक ही बार उसने मुझे करने दिया था वो भी आखिरी बार ।
वो मजा मै वापस से पाने के लिए कितना बेताब रहता हू और शालिनी ये समझती ही नही ।
जन्गीलाल उखड़े मन से पाखाने मे जाता है और अभी भी उसके दिमाग मे निराशा ही भरी थी ।
जंगीलाल मन ने - क्यू ना मै शालिनी से एक बार और बात करु । वो मुझे हफते मे एक ही बार मेरे हिसाब से चुदाई करने दे । मै और उसे धोखा नही दे सकता । आखिर कब तक मै अपनी ही कमजोरियो के लिए उसे अन्धेरे मे रखे रहूंगा ।
जंगीलाल पाखाने से निकल कर हाथ धुलकर बाथरूम मे घुसता है कि सामने उसकी नजर हैंगर पर लटके निशा की पैंटी पर जाती है ।
जंगीलाल मे दिल ने एक बार को निशा के लिए हवस की लहर उठती तो है लेकिन अगले ही पल वो निराश हो जाता है ।
जन्गीलाल मन मे ग्लानि से भर कर - शालिनी देखो ! तुम मुझे मेरे हक का प्यार नही दे रही हो तो मेरा मन भटक रहा है । बार बार मेरी लाडो के लिए मेरा हवस मुझ पर हावी हो जा रहा है ।
जंगीलाल मन मे - नही ये नही हो सकता । मुझे इस मसले पर शालिनी से खुल कर बात करनी पड़ेगी और ये भी बताना पडेगा कि कैसे मै निशा की ओर आकर्षित हुआ जा रहा हू ।
जंगीलाल - अब मै शहर नही जाऊंगा । आखिर कब तक यू ही अपनी कमजोरि से भागता रहूंगा । शालिनी मेरी बीवी है उसे मेरी तकलिफ समझनी ही होगी ।
जन्गीलाल थोड़ा संकल्पी होकर नहाने बैठ गया और शालिनी से कैसे बात करनी है इस सोच मे मगन हो गया ।
जंगीलाल नहा धोकर दुकान ने ही अपना नासता राहुल से मगवा लिया और फिर शालिनी को कहलवा दिया कि वो आज शहर नही जायेगा ।
पहले तो शालिनी भी खिझी लेकिन फिर बच्चो के सामने उसने कोई खास प्रतिक्रिया नही दी । बस अपने काम मे लग गयी ये सोच कर की खाने के समय बात करेगी इस बात को लेके ।
राज की जुबानी
रात मे दीदी की मस्त चुदाई के बाद मै उठा और फ्रेश होकर नहा धो कर नास्ते के लिए बैठा था कि मेरा मोबाइल बिप हुआ ।
निशा ने whatsaap पर कुछ भेजा था , मैने चेक किया तो उसने एक मिंट का रिकॉर्डिंग वीडियो भेजा था । जिसमे वो राहुल और अनुज का एक साथ लण्ड चुस रही थी ।
मै वीडियो देख कर हस पडा और रिप्लाई करने वाला था कि निशा का मैसेज आया ।
निशा - ab mujhe tumahari jarurt nahi . Bahut bhaaw khaate the na
मै - Matlb
निशा - video dekho . Ek sath do do
मै - waise ek baat puchu ?
निशा - kya bolo ??
मै - gaad kab dogi mujhe bahut chikani lag rahi hai
निशा - tumhe to bilkul nahi dungi
मै - kyu meri jaan naraaj hai kya ...
मै - ya mujhe miss kar rhi thi rat me
निशा - mai kyu yaad karungi . Mere pas kal do do the
ऐसे ही थोडे देर निशा के साथ चैटींग हुई और मै दुकान के लिए निकल गया । मै जानता था , भले ही निशा दो लण्ड से चुदी हो लेकिन दोनो थे तो अनाडी ही ना । जल्द ही फिर से मिल कर ईसकौ भी खुश करना पडेगा । हिहिहिही
फिर मै दुकान पर चला गया और अपने कामो मे लग गया ।
दोपहर को मा खाना लेके आई ।
मै - क्या हुआ मा अनुज क्यू नही आया ?
मा - अरे बेटा पता नही उसको क्या हुआ वो सो रहा था । बोला कि कल रात मे देर तक फिल्म देखा हू ।
मै हस कर - अच्छा कोई बात नही आप बैठो मै पापा को खाना देके आता हू
मम्मी - हा ठिक है जा , जल्दी आना मुझे वापस से चौराहे वाले घर जाना है ।
मै टिफ़िन लेके पापा के पास चल दिया कि रास्ते मे काजल भाभी का फोन आया ।
मै - हा भाभी कहिये
काजल - वो मम्मी जी मार्केट गयी है ,तो तुम आ सकते हो क्या ?
मेरी तो आंखे चमक गयी लेकिन फिर हाथ मे टिफ़िन देख कर मा की बात याद आई ।
मै - सॉरी भाभी आज नही , वो मम्मी है ना दुकान पर , आज अनुज नही आया और मै अभी पापा को खाना देने जा रहा हू
काजल उखड़े मन से - अच्छा ठिक है कोई बात नही ,,बाय
फोन तो कट गया लेकिन मुझे बहुत बुरा लगा कि कितनी उम्मीद से काजल भाभी ने मुझे बुलाया ।
खैर मै पापा के दुकान की ओर चल दिया
दुकान पर पहुचा तो वहा बबलू काका बैठे हुए थे ।
मै - काका , पापा कहा है ।
काका - छोटे सेठ , कोई रिश्तेदार आया तो सेठ जी उनको लेके अंदर कमरे मे गये है ।
मै - अच्छा ठिक है
मै काका के सामने तो समान्य रहा लेकिन वहा से निकलकर अन्दर जाते ही मेरे दिमाग मे खुराफात चलने लगी । इस समय कौन आया होगा चुदवाने । इस समय तो रोज अनुज खाना देने आता है ।
पापा भी जानते है इस बात को तो वो क्यू किसी को बुलाएंगे
खैर मै धीरे धीरे रेस्टरूम की ओर गया और दरवाजा खुला हुआ ही मिला मुझे । अन्दर शकुन्तला ताई बैठी हुई थी ।
मै - अरे बडी मम्मी आप यहा
शकुन्तला - हा लल्ला वो बस बाजार आई थी तो ऐसे ही भाई साहब से भेट करने चली आई
मै समझ गया कि ये क्यू आई थी ।
शकुन्तला - अच्छा भाई साहब मै चलती हू
मै - अरे रुको ना बडी मम्मी मै चलता हू , बस पापा को खाना देने आया था ।
शकुन्तला - अरे तु दुकान पर जायेगा और मुझे चौराहे पर जाना है बेटा
मै - अरे आप भी चलो ना दुकान पर , वहा से और मम्मी दोनो साथ मे चले जाना
शकुन्तला हस कर - अच्छा ठिक है चल भाई हिहिहिही
फिर पापा हमे छोड़ने बाहर आने लगे तो मै धीरे से पापा से पुछा - क्या हुआ कुछ किये या नही ।
पापा मुस्करा रहे थे । मतलब काम हो चुका था ।
फिर हम दोनो मेरे दुकान पर चले गये ।
वहा मैने सारी बात मा को बतायी कि शकुन्तला ताई बाजार आई थी तो पापा से मिलने गयी थी ।
मै फिर खाना खाने पीछे कमरे मे चला गया ।
मेरे कमरे मे जाते ही मा मुस्कुरा कर शकुन्तला को छेड़ते हुए - क्या बात दिदी , अपने देवर से छिप छिप कर मिल रही हो हिहिही
शकुन्तला शर्मा कर हस्ते हुए - क्या तु भी रागिनी , ऐसा कोई बोलत है भला । अन्दर राज खाना खा रहा है और तु
मा हस कर - अरे तो आप धीरे से बता दो ना हिहिहिही , कही मेरे पीठ पीछे आप देवर भौजाई मे कुछ चल तो नही रहा
शकुन्तला ने हसी मजाक को गहरा करते हुए - करना होगा तो पीछे क्यू ? तेरे सामने करूंगी और तु मुझे रोक पायेगी क्या ? हिहिहिही
मा - अरे मै क्यू क्वाब मे हड्डी बनने आऊंगी । मै तो बस इस आश से कह रही थी कि एक आध शो हमे भी दिखा देना । मेरा शक दू हो जायेगा ।
शकुन्तला- कैसा शक ??
मा हस कर - यही कि कही अपनी भौजाई के कूल्हो पर मेरे से ज्यादा जोर तो नही दे रहे है । काफी फैल रही है इस समय ।
मा ने शकुन्तला के चुतड सहला कर बोली ।
शकुन्तला मा की इस हरकत से सकपका गयी ।
शकुन्तला - हे पागल , ये क्या कर रही है तु रागिनी । शर्म कर थोडा तेरा बेटा अन्दर ही है ।
मम्मी की छेड़खानी जारी रही और थोडी देर मे मै खाना खा कर बाहर आया और ये दोनो चौराहे के लिए निकल गयी ।
लेखक की जुबानी
निशा भी अनुज की तरह रात के नीद का कोटा दोपहर मे पूरी कर रही थी । इसिलिए आज जंगीलाल को शालिनी ने ही दोपहर का खाना परोसा ।
शालिनी थोडी चुप थी , उसे जन्गीलाल से थोडी नाराजगी थी । इसके उलट जन्गीलाल की नजरे निशा को खोज रही थी ।
जन्गीलाल - लाडो कहा है , दिख नही रही ।
शालिनी तुनकते हुए - सो रही है वो , क्यू कोई काम था ।
शालिनी के तीखे स्वर सुन कर जंगीलाल समझ गया कि सुबह की बात को लेके शालिनी नाराज है ।
जंगीलाल मुस्कुरा कर - नही । अच्छा है सो गयी है । तुम जरा यहा आओ मेरे पास ।
शलिनी मुह फुलाए सोफे पर जंगीलाल के पास बैठ गयी । सामने की टेबल पर खाना रखा हुआ था
जन्गीलाल ने बडे प्यार से एक निवाला निकाला और शालिनी की ओर बढ़ाया ।
शालिनी मुह फेर कर - मुझे भूख नही है ।
जन्गीलाल - हमम तो मेरी जान गुस्सा है , सॉरी मेरी स्वीटू मान जाओ ना ।
शालिनी अपने पति के मुह से स्वीटू शब्द सुन कर मुस्कुरा देती है - आप ना एक नम्बर के चालू को ,,बस फुसलाना जान्ते हो
जंगीलाल ने शालिनी की कमर मे हाथ डाल कर अपने करीब किया और बडे प्यार से उसके गालो को चूमते हुए वापस से निवाला उसके मुह के पास लेके गया ।
जंगीलाल - खा लो ना मेरी जान,
शालिनी मुह खोल देती और खाने लगति है ।
इधर इन दोनो तोता मैना रोमांटिक लंच पार्टी चल रही थी । वही निशा अपने कमरे से निकल कर फ्रेश होने उपर की ओर जाती है ।
जैसे ही वो दरवाजा खोलकर बाहर आती है , उसकी नजर हाल मे बैठे अपने मम्मी पापा को रोमांटिक अंदाज ने खाना खाते देख । उसकी हसी निकल जाती है और वो फौरन छिप कर अपने कमरे से बाहर झाकने लगती है ।
दोनो दम्पति प्रेमियो के जैसे एक दुसरे को खिला रहे थे और काफी खुश थे। निशा उन्हे देख कर भगवान से प्रार्थना करती है कि उन्हे हमेशा ऐसे ही खुश रखे।
फिर वो धीरे से बिना कोई आहट के उपर चली जाती है ।
निचे आने तक जंगीलाल खाना खा कर जा चुका था और शालिनी किचन मे थी ।
निशा भी किचन मे जाती है अपने लिये खाना लेने ।
शालिनी - अरे तु आ गयी ,मै तुझे जगाने ही आ रही थी । चल हम लोग भी खा लेते है ।
शालिनी मुस्कुरा कर - लेकिन आप तो पापा के साथ खा ली ना हिहिहिही
शालिनी को समझते देर नही लगी कि निशा ने उन्हे साथ खाते हुए देख लिया है । तो वो शर्म से लाल हो गयी ।
निशा हसते हुए - अरे मम्मी मुझसे क्या शर्माना आप तो मेरी सहेली हो ना हिहिहिही
शालिनी हस्ते हूए खाना परोस रही थी ।
निशा ने देखा कि अभी भी उसकी मा ने कोई खास प्रतिक्रिया नही दी तो वो उसे छेड़ने के अंदाज मे बोली - वैसे मुझे नही पता था कि जीजू इतने रोमांटिक है हिहिहीही
निशा जानती थी कि उसकी मा किसी बात के लिए परेशान हो या ना हो लेकिन अपने पापा को जीजू बनाने पर चिढ़ जरुर जायेगी ।
इसिलिए वो फौरन अपना थाली लेके अपने कमरे मे भाग गयी । शालिनी भाग कर उसके पीछे तो गयी लेकिन तब तक निशा ने दरवाजा बन्द कर लिया था ।
शालिनी हस्ती हुई मन मे बड़बड़ाती हुई किचन मे आ गयी ।
ऐसे ही चलता रहा शाम हो गयी । शाम के समय अनुज रोज की तरह निशा के घर आया और राहुल से थोडी बात करके निकल गया । क्योकि कल रात की 3 राउंड चुदाई मे निशा ने उसे बुरी तरह निचोड दिया था ।
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इधर ये सब चल रहा था , वहा राज के पापा भी अपने दुकान से 6 वजे के करिब निकल गये । जैसा कल राज की मा से उन्होंने कहा था कि आज वो सोनल के ससुराल मे बात करके आयेंगे ।
रन्गीलाल ने पहले ही अपने दुकान के एक नौकर को भेजवा कर चमनपुरा की फेमस खोवे वाली मिठाई पाच किलो मगवा लिया था ।
मिठाई लेके रंगीलाल अमन के दरवाजे पहुच गया
मेन गेट से अन्दर होकर रंगीलाल सीधा हाल मे प्रवेश करता है ।
सामने ममता एक पटीयाल सूट सलवार मे बिना दुपट्टे के टीवी की ओर मुह करके खड़ी थी ।
रंगीलाल की नजरे ममता के गठिले जिस्म पर गयी तो उस्का लण्ड बगावत पर आ गया । पहली बार वो ममता के इतने चौडे कुल्हे देख रहा था ।
पीठ पर ममता के ब्रा की कसावट सूट के उपर से ही पता चल रही थी ।
रन्गीलाल मुस्कुराता हुआ - भाभी जी नमस्ते
ममता ने नजर घुमाकर पल्टी की कौन आ गया बिना दस्तक के घर उसके ।
ममता के सामने होते ही रंगीलाल की नजरे उसके 44 साइज़ की मोटे थनो पर जम सी गयी ।
इतने बडे चुचे तो रज्जो के भी नही थे ,जितने ममता के सूट मे फैले हुए थे ।
ममता ने जैसे ही रंगीलाल को देखा और अगले ही पल उसकी नजरो का पीछा किया तो सकपका कर इधर उधर अपना दुपट्टा खोजने लगी ।
रंगीलाल ने भी नैतिकता दिखाते हुए नजरे फेर ली और मुस्कुरा कर बोला - वो भाई साहब नही है ।
ममता ने झट पट से सोफे पर पडा हुआ अपना सूती दुप्प्टा उठाया और जल्दी से आगे ओढ़ लिया ।
ममता मुस्कुरा कर - नमस्ते भाईसाहब, आप इस समय ? आईये बैठीये
रन्गीलाल मुस्कुरा कर सोफे पर बैठता हुआ मिठाई का झोला अपने बगल मे रखता हुआ - जी वो सोनल की मा बोली , थोडा हाल चाल लेते आओ । वैसे भाई साहब नही दिख रहे ।
ममता - जी वो बाजार मे ही गये एक जन के यहा तगादा करने , बैठीये मै पानी लाती हू।
ये बोल्कर ममता घूमकर किचन की ओर जाने लगी ।
रंगीलाल ने उसके मासल भारी चुतडो की थिरकन को देख कर लण्ड भीच कर रह गया ।
रंगीलाल मन मे - आह्ह इन्होने तो मुझे परेशान ही कर दिया । पता नही इस घोडी पर भाई साहब सवारी कैसे कर लेते होगे ।
रंगीलाल अपने ख्यालो मे गुम था कि ममता किचन से पानी लेके आती है और रंगीलाल के बगल वाले सोफे पर बैठ जाती है ।
ममत मुस्कुरा कर - लिजिए पानी पीजिए
रंगीलाल गला तर करता हुआ - और ब्तायिये भाभी जी घर मे सब कैसे है ।
ममता मुस्कुरा कर - जी सब अच्छे है , बस यही अपनी बहू के आने के दिन गिन रहे है हाहह्हहा
रन्गीलाल मुस्कुरा कर - हा हा क्यो नही , अब दिन ही कितने बचे है । वैसे जमाई बाबू कब तक आयेंगे ।
ममता - बस अगले ही महिने
रंगीलाल - अच्छा अच्छा ।
ममता - आप बताईये आपके यहा क्या हाल चाल है ?
रंगीलाल मुस्कुरा कर - सब ठिक है भाभी जी , लेकिन रागिनी आपसे थोडी नाराज है । हाहाहहा
ममता अचरज से - क्यू ?
रंगीलाल हस कर- भई उसका तो कहना है कि समधन जी उसे अपना मानती ही नही । एक बार भी फोन नही किया । सगाई के बाद से
ममता हस कर - अरे नही ऐसी बात नही है । अब तो आप लोग ही हमारे सगे रिश्तेदार हो रहे है ।
रंगीलाल हस कर - हा तभी तो उसने खास तौर पर कहा है कि हमारी समधन जी का मोबाइल नंबर लेके ही आना ।हाहाहाहा
ममता भी हस कर - अच्छा ठिक है लिख लिजिए
रंगीलाल पहले नम्बर नोट करता है और फिर अपने ही फोन से डायल कर देता है ।
तभी बोर्ड मे चार्ज पर लगा फोन रिन्ग करता है तो ममता उसे लेके आती है और रंगिलाल को देती हुई - जरा इसमे नम्बर सेट कर दीजिये ।
रंगीलाल ममता का स्क्रीनटच मोबाइल हाथ मे लेके - जी किस नाम से सेट करु
ममता मुस्कुरा कर - उम्मम समधि जी करके डाल दीजिये । वो क्या है कि आपके नाम से एक मेरे मायके मे भी जानपहचान वाले है ।
रन्गीलाल उसी नाम से नम्बर सेट करके अपने मोबाइल मे भी समधन जी के नाम से नम्बर सेट कर देता है ।
रंगीलाल - लिजिए भाभी जी हो गया और बताईये शादी की तैयारिया कैसी चल रही है ।
ममता - जी भाईसाहब सब कुछ तो अमन के चाचा ही देख रहे है , आज ही वो बडे शहर गये है ।बहू के लिए जेवर का ओर्डेर देने
रन्गीलाल काफी खुश होता है - अच्छा अच्छा
ममता - हा फिर जब अमन आ जाएगा तो कपड़ो की शापिंग कर लेंगे ।
रंगीलाल थोडा झिझक दिखाता हुआ - भाभी जी एक बात थी ,, पता नही आपको उचित लगेगा की नही ।
ममता मुस्कुरा कर - अरे कहिये ना इसमे इतना झिझक क्यू रहे है ??
रंगीलाल - वो बच्चो की इच्छा थी और रागिनी भी कह रही थी कि दूल्हा दुल्हन के कपडे साथ मे ले लिये जाये । आप तो जानती ही अब हम लोगो का समय तो रहा नही । नये जमाने के बच्चे,
ममता मुस्कुरा कर - अरे ये तो बहुत अच्छी बात है ,,इसी बहाने समधन जी से भेट हो जायेगी । बहुत अच्छा सोचा है आपने।
रंगीलाल - अरे अपनी समधन से मिलने आप हमारे घर ही आ जाईये किसी दिन । अब वो भी आपका घर है ।
ममता मुस्कुरा कर - जी जरुर जरुर
इधर इनकी बाते चल रही थी कि मुरालीलाल हाल मे झोला लिये आता है ।
रंगीलाल उस्से भी मिलता और कुछ बाते दुहराई जाती है ।
फिर रंगीलाल मिठाई वाला झोला अपने बगल स्व उठाकर मुरारिलाल को देता हुआ - भाईसाहब ये रखिये और मुझे इजाजत दीजिये ।
मुरालीलाल हस कर झोला लेते हुए - अरे भाई रंगीलाल इतना सारा लाने की क्या जरुरत थी । यहा कौन इतनी मिठाई खायेगा
ममता - जी इनका सुगर बढा हुआ है और घर मे कोई बच्चे भी तो नही है ।
रंगीलाल - अरे भाभी अब रखिये इसे , आप और मदन भाई खा लिजिएग
मुरारिलाल हस्ता हुआ - रंगी भाई वैसे इनका भी वजन अब 90 के करीब हो गया है । हहहहा ..... डॉक्टर ने मीठा मना किया है ।
ममता अपने देह के लिए मजाक सुन कर रंगीलाल के सामने झेप सी जाती है । क्योकि उसे अभी थोडे देर पहले की घटना याद आ जाती है जब वो बिना दुपट्टे के ही रंगीलाल के सामने खड़ी थी ।
रंगीलाल हस कर - वो सब मै नही जानता ,भाई आपकी होने वाली बहू के यहा से । प्लीज मना ना करिये
ममता थोडा तुन्क कर - आप मुझे दीजिये भाईसाहब । मेरी बहू के यहा सगुन है मै तो जरुर चखूंगी । इनकी तो आदत ही खराब है ।
रंगीलाल ममता की बात सुन कर समझ गया कि उसे मुरारिलाल का मजाक अच्छा नही लगा ।
फिर वो वहा से विदा होकर अपने घर के लिए निकल गया
।
जारी रहेगी
पिछले अपडेट मे आपने पढ़ा कि एक ओर जहा जंगीलाल की हालत बहुत ही खराब थी । उसकी असमंजसता ने उसे चिंता मे डाल दिया था वही रंगीलाल अपनी समधन से भेट मुलाकात कर आया था ।
अब आगे
राज की जुबानी
रात को 8 बजे तक मै दुकान बढा कर चौराहे वाले घर पहुचा तो देखा हाल मे मा पापा बैठे हुए थे और मा किसी से फोन पर बाते कर रही थी ।
किचन मे सोनल खाना बना रही थी ।
मै भी फ्रेश होकर हाल मे बैठ गया तो पता चला कि मा , सोनल की होने वाली सास ममता से बाते कर रही थी ।
फिर मा ने फोन रख दिया और हमने थोडी बहुत चर्चा की । बातो ही बातो मे पापा ने बताया कि आज सोनल की सास ने उनसे कहा था कि अमन के चचा बडे शहर जेवर का ऑर्डर देने गये हैं ।
पापा - रागिनी अब हमे भी तैयारियाँ शुरु कर देनी चाहिए । थोडा थोडा करके खरीदारी कर ले और कार्ड छपने भी तो 15 दिन लग जायेंगे ।
मा - हा जी इस बार थोडा पूजा पाठ भी तो होना है ना । याद है गृह प्रवेश मे ज्यादा कुछ हो नही पाया था ।
पापा - हा सोच रहा हू शादी से दो दिन पहले एक पाठ करवा लू भगवान जी का और ये भी कार्ड मे छपवा दूँगा । घर मे मेहमान पहले आयेंगे तो थोडी कामकाज मे राहत रहेगी ।
मा - हा ये सही रहेगा । आप पंडित जी मिल कर शादी के आस पास का समय देख लिजिए और पूजा की लिस्ट बनवा लिजिएगा । पिछ्ली बार भूल गये थे ।
मा की बात पर मै खिखी करके हस दिया ।
मा मुझे डांटते हुए - तु क्या दाँत दिखा रहा है । कल तु भी कार्ड वाले यहा से कुछ डिज़ाइन लेते आ दिखाने के लिए
मै - हा मा हो जायेगा , आप परेशान ना हो । मै और पापा मिल कर सब कर लेंगे । क्यू पापा ?
पापा - हा रागिनी । राज सही कह रहा है ।
मै - मा आप भी सामानो की पर्ची बनाना शुरु कर दीजिये । जो कुछ लाना होगा मै लेते आऊंगा ।
मा - वो तो पहले ही बना चुकी हू और रज्जो दीदी से भी पूछा था शादी के तैयारियो के बारे मे । वो कह रही थी कि तु चिंता ना कर मै एक हफते पहले ही आ जाऊंगी ।
पापा की आंखे चमकी - क्या सच मे रज्जो दीदी एक हफते पहले ही आयेंगी
मा समझ गयी कि पापा का उतावलापन,,तो तुनक कर धीमी आवाज मे बोली - हा लेकिन आप जरा खुद पे संयम रखियेगा । शादी व्याह का दिन रहेगा और वो अकेली थोडी आयेगी ।
पापा - फिर ?
मा मुस्कुरा कर - जीजा उसे और रमन की पतोह दोनो को छोड कर जायेंगे
अब चहकने की बारी मेरी थी - क्या सच मे रीना भाभी भी आ रही है ।
मा - हा मैने जिद की तब रज्जो दीदी हा बोली ।
मै खुश था कि घर मे एक और ताजा माल आने वाला है लेकिन ये सब अभी बहुत दुर था करीब दो महीने का समय ।
हमारी बाते चल रही थी कि मुझे अनुज की सुझी - मा ये अनुज कहा है
मा - अभी तो था निचे ही अब पता नही कहा गया ।
मै किचन मे दीदी को आवाज देकर - दीदी अनुज कहा है ?
सोनल - अरे वो मेरे मोबाइल मे फिल्म देख रहा है ।
मै हस पडा और समझ गया कि वो क्या देख रहा होगा ।
एक पल को मुझे लगा कही अनुज वो वाली साइट खोले ही मोबाइल सोनल को वाप्स कर दिया तो । फिर मुझे ध्यान आया कि नही सोनल तो नोर्मल ब्राऊजर यूज़ करती है ।
मैने सोचा क्यू ना अनुज को भी छोटा मोबाइल दिला ही दू और उसका जन्मदिन भी अगले महीने था । हालाकी हमारे यहा केक काट कर पार्टी देने वाला रिवाज नही था । मा को ये सब पसंद नही था । हा लेकिन सबको कपडे या कोई तोहफा पापा जरुर देते थे । नही तो पॉकेट मनी ही मिल जाती थी ।
मै- पापा मै सोच रहा था कि अनुज को भी एक मोबाइल दे दिया जाये
मा थोडा खिझी - अब उसे क्या जरुरत है मोबाइल की । अभी तो उसने 10वी भी पास नही की ।
पापा मा की बात से सहमत होते हुए - हा बेटा तेरी मा ठिक कह रही है , अभी उसकी उम्र ही क्या है । उसे पढने पर ध्यान देना चाहिये
मै कुछ सोच कर - हा पापा लेकिन अब मेरे जैसा समय तो है नही , उसके साथ के सभी बच्चे लेके चलते है मोबाइल । फिर उसकी पढाई मे मदद हो जायेगी वो होनहार लड़का है और आगे शादी मे इतने सारे काम रहेन्गे किसको कहा कोई खोजेगा
पापा - देख बेटा मेरी सिख गांठ बान्ध ले , दुसरे का देख कर अपना रास्ता तय नही करते । बात अगर पढाई कि है तो मै उसे लैपटाप दिला देता हू
मा भी खुश होकर - हा ये ठिक रहेगा । उसका जन्मदिन भी आ रहा है ।
पापा - और रही बात शादी मे कामो के लिए तो उस समय मे एक टेम्पोररी फोन उसे दे दूँगा ।
पापा की बातो से मै भी प्रभावित हुआ कि वो कितने समझदार है और हर पहलू पर अच्छा सोच लेते है ।
मै खुश हुआ - हा पापा आप सही कह रहे हो
मै मन मे - हा इससे उसकी हरकते लिमिट मे रहेगी । नही तो गलती से भी सोनल को भनक तक लगी अनुज के बारे मे वो निशा के जैसे व्यवहार नही करेगी । सीधा पीट देगी ।
फिर हमारी बाते चली और थोडे समय बाद हम लोग खाना खा कर अपने अपने कमरो मे चले गये ।
आज रात मैने और पापा ने मा की जबरजस्त चुदाई की और सो गये ।
लेखक की जुबानी
राज के यहा तो सब सो गये लेकिन निशा के यहा दो लोगो की रात आज लम्बी होने वाली थी ।
रात के खाने के बाद सभी अपने कमरे चले गये और निशा थोडे समय बाद राहुल के पास चली गयी । उनकी काम क्रीड़ा जारी रही ।
वही दुसरे कमरे मे शालिनी रोज की तरह अपने गहने उतार कर जिस्म ढिला कर रही थी । वो जानती थी कि बिना चुदाई किये जंगीलाल को नीद नही आती थी और उसे भी इसकी आदत थी ।
इधर जंगीलाल बिस्तर टेक लगाकर फुल बनियान और जन्घिया पहने जान्घे खोल कर बैठा हुआ । फर्श निहार रहा था । उस्के जहन मे द्वंद चल रहा था । मन के एक ओर वो शालिनी से सब कुछ पहले जैसे छिपाये रखना चाहता था और दुसरी ओर उसका मन उसे शालिनी को सब सच बताने को सही समझ रहा था । वो डर भी रहा था कि आगे क्या होगा । शालिनी क्या प्रतिक्रिया देगी ।
शालिनी इस समय अपनी साडी निकाल रही थी और उसने बिना ब्लाउज खोले ही बडी तरकिब से ब्रा निकाल दिया । वो समझ रही थी कि पीछे से उसका पति उसे निहार रहा होगा और अभी रोज की तरह उसे अपनी बाहो मे भर लेगा ।
ऐसा नही था कि शालिनी को सेक्स पसन्द न्ही था लेकिन जिस तरह जंगीलाल डिमांड करता था वो उस तरह का सेक्स नही चाहती थी । वो बहुत ही रोमांटिक तरीके से पसंद करती थी सब धिरे धिरे और लम्बे समय तक चले ।
शालिनी ने जब मह्सूस किया कि जन्गिलाल अभी तक उसके पास नही आया तो उसने नजर उठा कर सामने आईने मे देखा कि वो बिस्तर पर पैर फैला कर बैठा हूआ कुछ सोच रहा है ।
शालिनी समझ गयी कुछ गम्भीर बात है नहीं तो ऐसे मौके पर उसका पति हमेशा उससे चिपका ही रहता है ।
शालिनी घूमी और जंगीलाल के पास उसके बगल मे सामने से बैठते हुए उसके पाव को हिला कर - क्या सोच रहे है जी आप
जंगीलाल चौक कर - न न नही कुछ तो नही
शालिनी मुस्कुरा कर - आपको तो झूठ बोलना भी नही आता । आंखे लाल हो रही है और भरी हुई है
जंगीलाल जान गया कि शालिनी ने भाप लिया है कि वो कुछ सोच रहा है । इसिलिए उसने आंखे बंद करके एक गहरी सास ली तो उसकी भरी हुई आंखे नम सी हो गयी ।
शालिनी की चिंता बढ गयी कि क्या बात है ।
शालिनी - अरे क्या हुआ बताईये
जंगीलाल शालिनी के हाथ पकड कर - वो मुझे तुम्हे कुछ बताना है
शालिनी का कलेजा धक धक कर रहा था कि आखीर क्या बात है । कही इनको कोई बिमारी तो नही है ना । नही नही भगवान ऐसा ना करना ।
शालिनी कापते हुए - क क्क्या बोलो जी । मेरा जी घबरा रहा है । आप बोलो ना
जन्गीलाल अटकते हुर स्वर मे - पहले वादा करो कि तुम मुझसे नाराज नही होगी और मुझे छोड कर नही जाओगे । मेरी मजबूरी सम्झोगी ।
शालिनी चौकी - मजबुरी !! कैसी मजबूरी ??
जंगीलाल - पहले तुम हमारी लाडो का कसम खाओ कि तुम मेरे लिए अपना व्यवहार नही बदलोगि ।
शालिनी असमंजस मे थी - हा हा ठिक है कहिये
जंगीलाल नजरे नीची करके - जानती हो शालिनी मे महीने दो महिने पर बडे शहर क्यू जाता हू
शालिनी के मन में शंका घिर रही थी कि कही कोई सौत का चक्कर तो नही - क्क्क्यू बताओ ना ,,आप बात लम्बी क्यू कर रहे हो । मुझे चिंता हो रही है ।
जंगीलाल - हा बताता हू सुनो । वो मै बडे शहर अपनी सेक्स की भड़ास निकालने जाता हू । वो सेक्स जो तुम मुझे नही देती हो ।
शालिनी का कलेजा धक करके रह गया और वो चुप सी हो गयी । उसके हाथ जन्गिलाल के तन से दुर होने लगे ।
शलिनि का स्पर्श कम होता मह्सूस कर जंगीलाल को लगा कि जैसे वो खुद उससे दुर जा रही थी । इसिलिए घबरा कर वो शालिनी के हाथ थाम लेता है और उदास मन से - मुझे माफ कर दो शालिनी । मै मजबुर था और जब व्हा सेक्स कर लेता खुद को सजा ही देता था । हमेशा कोसता रहता था ।
शालिनी की आंखे भर आई थी इसिलिए नही कि उसके पति ने कुछ गलत किया बल्कि इसलिए कि उसके रोकटोक से उसका पति बहक गया । अगर वो चाहती तो जन्गिलाल सिर्फ़ उसका ही रहता ।
जंगीलाल ने जब शालिनी का रुआस चेहरा देखा तो वो भी आसू बहाते हुए - तु काहे आसू बहा रही है । गलती मेरी है तु मुझे सजा दे । लेकिन मुझसे बाते कर रूठना मत
ये कह कर जंगीलाल शालिनी के हाथ पकड कर अपने चेहरे पर चाटे मारने लगा और फफक पडा ।
शालिनी ने चौक कर अपना हाथ खिच लिया और जंगीलाल को अपने सीने से लगा लिया ।
शालिनी - मुझे माफ कर दीजिये । मेरी वजह से आपको इनसब रास्तो चुनना पडा । मै अभागिन किस काम की जब पति को खुश नही रख सकती ।
शालिनी ने रुआसे ही अपने होठ अपने पति से जोड लिये ताकी उसे हिम्मत मिले कि वो उससे नाराज नही है और ना ही उससे दुर जायेगी ।
जंगीलाल ने उसे अपनी बाहो मे भर लिया । शालिनी का ब्लाऊज जन्गिलाल के आसुओ और पसीने से भीग गया था ।
शालिनी जंगीलाल की बाहो मे लिपटी हुई उस पल को याद करती है जब शादी के कुछ साल बाद पहली और आखिरी बार शालिनी ने अपने पति को उसके हिसाब से सब कुछ करने की छुट दी । उसी दिन तो जंगीलाल ने उसकी गाड को खोला था ।
वो पल सोच कर वो मुस्कुरा देती है हालकि उस दिन उसने भी बहुत मजा किया था लेकिन उसका फोकस शुरु से ही अपने जिस्मो को सवारने मे था और उस रात जो हुआ उसने शालिनी को काफी निराश भी किया था ।
शालिनी जंगीलाल के कन्धे पर सर रखे हुए - जानू सुनो ना
जन्गीलाल शालिनी की मीठी आवाज सुन कर उसे अपनी बाहो मे कसते हुए - हा मेरी स्वीटू कहो ना
शालीनी शर्माते हुए - वो मै कह रही थी कि बच्चे अब बडे हो गये हैं और आपको याद है ना उस रात मै कितना चिल्लाई थी ।
जन्गीलाल की भौहे खिल गयी , दिल मचल उठा और लण्ड एक ही बार मे तन कर फौलादी हो गया क्योकि इशारो मे ही शालिनी ने उसकी बात मान ली थी । वो उसके मन चाहे सेक्स के लिए तैयार हो गयी थी ।
जंगीलाल शालिनी के होठ चुस्कर - रोज रोज नही मेरी जान बस हफते मे एक बार
शालिनी जंगीलाल के खडे लण्ड को बडी अदा से हाथो ने भरती हुई नशीली आँखो से उसे देखती है । जन्गीलाल का शरीर कापने लगा था ।
शालिनी अपने हाथ से अपने पति के आड़ो को मुथ्ठी मे भरते हुए अपने चुचो के उभार पर ब्लाऊज के उपर से हाथ फिराते हुए बोली - अपनी रन्डी को हफते मे सिर्फ़ एक ही बार चोदोगे मेरे राजा उम्म्ं बोलो
जंगीलाल शालिनी की हरकत से पूरी तरह गनगना और जोश से भर गया । उस्का लण्ड और भी कसने लगा था । ये वो शब्द थे जिन्हे आखिरी बार उसी रात को जंगीलाल ने शालिनी को कहा था और गालिया दे देकर उसकी जबरदस्त चुदाई की थी । सेक्स के दौरान तो शालिनी ने मदहोशि मे उसका साथ दे दिया था लेकिन अगली सुबह से कुछ दिनो तक वो जंगीलाल के उस व्यवहार से वो खफा थी और खुद को भी उस चीज़ के लिए कोस रही थी । क्योकि उस रात जन्गीलाल बेबाक होकर शालिनी को गालिया देकर उसकी चुदाई की थी और शालिनी ने भी उस रात अपने पति के नये जोश का भरपूर मजा लिया था । मगर जब होश मे आने के बाद उन गालियो का तर्क करने लगी तो उसे बहुत दुख हुआ । तबसे शालिनी ने जंगीलाल से समान्य सेक्स करने की शर्त रख दी थी और अपने प्रेमी जोड़े का महत्व समझाते हुए जंगीलाल को मना भी लिया था ।
जंगीलाल को उम्मिद नही थी कि शालिनी खुद से पहल करेगी ।
जन्गीलाल जोश मे आकर उसे अपने करीब खिच कर उसके चुची को सामने से पकड कर उसके होठ चूसने लगता है ।दोनो एक गहरे चुंबन मे खो जाते है ।
जंगीलाल शालिनी से अलग होकर उसे घुमाते हुए उसे पीछे से पकड लेता है और ब्लाउज के उपर से ही उसकी मोटी कसी हुई गोल गोल चुचो को मिजने लगता है ।
शालिनी कसमसाते हुए खुद को जन्गिलाल के जिस्म पर घिसने लगती है ।
शालिनी - ओह्ह्ह आराम से मेरे राजा उम्म्ंम्म्ं तुम्हारी चुद्क्क्ड रानी कही जायेगी नही ।
जंगीलाल शालिनी के मुह से गंदे और मनचाहे शब्दो को सुन कर और जोश मे आ जाता है और ब्लाउज का गला उपर से पकड कर जोर से खिच कर सारे हुक चटका देता है ।
शालिनी के कांख के पास मे थोडी चमडी खिचने उसे दर्द होता है लेकिन वो अपने पति के लिए सह जाती है और जन्गिलाल उसके नंगे चुचो को पीछे से हाथो मे भर लेता है ।
जंगीलाल - ओह्ह मेरी जान क्या मस्त चुचे है तेरे उम्म्ंम्ं जी कर रहा है नोच लू अह्ह्ह
शालिनी कसमसा कर - उह्ह्ह तो नोच लो ना मेरे राजा अह्ह्ह उम्म्ंम्ं जैसे चाहो प्यार करो मुझे उम्म्ंम्ं
जन्गीलाल शालिनी के कंधो को चुमता हुआ उसके चुचे हाथो मे भर कर मसल रहा था ।
शालिनी उसे और भी उत्तेजित किये जा रही थी - उम्म्ंम्ं मेरे राजा और कस के मसलो ना मेरे चुचो को उम्म्ंम्ं अह्ह्ह ऐसे ही । बना लो मुझे अपनी रन्डी बीवी अह्ह्ह मेरी जान उम्म्ंम्म्ं आह्ह
जन्गीलाल का लण्ड शालिनी कामोत्तेजक शब्दो को सुन कर फड़फडा रहा था ।
उसने शालिनी को खड़ा किया और खुद पैर लटका कर बैठ गया । फिर शालिनी की कमर को बाये हाथ मे थाम कर एक ओर किया और झुक कर उसकी नंगी चुचियो पर टुट पडा ।
वो शालिनी की एक चुची मुह से चुस रहा था तो दूसरी को दाये हाथ से मसल रहा था ।
शालिनी अपने पति का सर उत्तेजना वश अपने चुची पर दबा रही थी जिससे जन्गिलाल और भी उत्तेजित होकर उसका निप्प्ल खिचने लगा ।
शालिनी की गोरी मखमल सी चुचिया चुसाई और रग्डाई से लाल होने लगी थी ।
जंगीलाल ने उसे आजाद किया और निचे जाने का इशारा किया ।
शालिनी मुस्कुरा कर उसके होठो को चुसा और फिर घुटने के बल होकर अपने पति का फौलादी लण्ड जांघिया खोल कर निकालने लगी ।
रोज के मुकाबले जन्गीलाल का लण्ड फुला हुआ था और सुपाडा लाल हुआ जा रहा था ।
शालिनी ने मुह खोलते हुए लण्ड को मुह मे आधा भर लिया और आंखे उठाकर जन्गीलाल के जांघो को सह्लाती हुई लण्ड चूसने लगी
जंगीलाल जोश से भर गया और उसे अपनी बीवी किसी रन्डी से कम नही लग रही थी । लेकिन अभी भी वो अपने जज्बातो को काबू मे किये हुआ था ।
शालिनी थोडी देर मे लण्ड चुसकर जंगीलाल के सामने खड़ी हुई और अपना पेटीकोट खोल कर पूरी नंगी हो गयी ।
और मुस्कुराते हुए जंगीलाल को बिस्तर पर धकेल दिया
जंगीलाल समझ गया कि आज शालिनी खुद उपर आयेगी तो उसने पैर सीधे कर लिये ।
शालिनी बिस्तर पर चढ़ कर अपने पति के कमर के दोनो ओर घुटने के बल हो गयी और उसका लण्ड थाम कर अपनी चुत पर टच करने लगी ।
जन्गिलाल सिहर कर रह गया और देखते ही देखते शालिनी ने बडी कामुकता से अपने पति का गिला मोटा लण्ड अपनी चुत मे ले लिया और बैठ गयी ।
जन्गीलाल आंखे बन्द करके शालिनी के मादक कमर हिलाने की अदा का मजा अपने लण्ड पर मह्सुस कर रहा था ।
शालिनी ने इतना सब के बाद भी जंगीलाल ने एक भी बार उसे गंदे शब्दो से नही पुचकारा ।
शालिनी मुस्कुरा वैसे ही लण्ड को अपनी चुत मे भरे अपने पति के उपर झुक गयी और उसके चुचे जन्गिलाल के मुह के पास झूलने लगे ।
जंगीलाल ने आंखे खोली और हाथ बढा कर चुचो को थाम लिया ।
शालिनी मुस्कुरा कर अपनी कमर आगे पीछे करके लण्ड को अपनी चुत मे घिस रही थी - क्यू मेरे राजा मजा नही आ रहा है क्या हम्म्म
जंगीलाल सिस्क कर - आआह आ रहाआ है जान उम्म्ंम
शालिनी - तो बोलो ना
जंगीलाल -उम्म्ंम सीई क्याअह्ह मेरी जान
शालिनी थोडा गति बढा कर अपने पति के लण्ड पर हुमचने लगी जिससे जन्गिलाल का नशा और भी गहराने लगा ।
शालिनी शब्दो को पीसते हुए - अपनी रन्डी को पेलोगे नही उम्म्ंम अह्ह्ह पेलो ना मुझे मेरे राजा
जंगीलाल शालिनी की सिसकिया सुन कर उत्तेजित हुआ और अपने हाथ उसके दोनो कूल्हो पर ले जाकर पैरो को फ़ोल्ड कर लिया । फिर शालिनी की गाड़ को पकड कर हल्का हल्का निचे से अपनी गाड़ उचका कर पेलने लगा ।
जन्गीलाल - कैसे पेलू मेरी जान उम्म्ंम देखो निचे से पेल रहा हू ,देखो ना ,,,ये देखो अह्ह्ह
जंगीलाल निचे से झटके तेज करता हुआ बोला
शालिनी उसी अवस्था मे झुकी हुई अपने पति के धक्के खाती हुई - अपनी रन्डी बीवी बना के चोदो ना ,खुब हचक के सीईई अह्ह्ह उम्म्ंम्म्ं
जन्गीलाल जोश मे आ गया और कस कस के चोदने लगा । वो अपनी कमर उठाकर तेजी से ध्क्के मारते हुए - ले साली रन्डी आज ऐसा चोदूंगाअह्ह्ह की याद करेगी उह्ह्ह्ह ले मादरचोद सीई अह्ज्ज साली चुद्क्क्ड ले
जंगीलाल शालिनी को गालिया देते हुए तेजी से चोद रहा था । कमरे मे काफी सालो बाद थपथप की तेज आवाज आ रही थी । शालिनी की सिस्किया हल्क मे रुक गयी थी ।
थोडी देर निचे से धक्का लगाने के बाद जन्गीलाल वैसे ही शालिनी को लण्ड पर बिठाये उठा और उसे सामने लिटा कर खुद उसके उपर आ गया ।
शालिनी - ओह्ह मेरे राजा उम्म्ंम चोदो ना मुझे उम्म्ंम सीईई अह्ह्ह ऐसे ही फाडो मेरी चुत आह्ह रहम मत करो उन्म्म्ं चोदो अपनी रन्डी बिवी को उम्म्ंम
जन्गीलाल शालिनी की जान्घे खोले घपाघ्प लण्ड उसकी चुत की गहराइयो मे ले जा रहा था और पेल रहा था - हा मेरी जान आज तेरी चुत फ़ाड कर भोसडा बना दूँगा उम्म्ं साली रन्डी मादरचोद लेह्ह मेरा लण्ड अपनी बुर मे लेहहह
शालिनी - आह्ह हा भर दो मेरी चुत को मेरे राजाआह्ह
शालिनी - आपको अच्छा लगता है ना ऐसे ही मुझे गन्द गन्दा बोल कर चोदना उम्म्ंं
जन्गीलाल - हा मेरी जान ,,कितने सालो से तुझे ऐसे ही रन्डी के जैसे चोदना चाह रहा था । अह्ह्ह साली मादरचोद उम्म्ंम्ं मस्त भोस्डा है तेरा अह्ह्ह
शालिनी - उम्म्ं तो और गाली दो ना मुझे बहिनचोद नही कहोगे उम्म्ं सिर्फ मादरचोद ही कहोगे उम्म्ंम
जन्गीलाल और भी जोश मे आगय - आह्ह कयू नही , साली बहिनचोद एक नम्बर की अह्ह्ह
शालिनी अपने चुत के छल्ले को जन्गीलाल के लण्ड पर कसने लगी और निचोडते हुए - क्या हू मै मेरे राजा , क्या एक नम्बर की .....।
जन्गीलाल जोर लगा कर आखिरी कुछ धक्के शालिनी के चुत मे पेलता हुआ - साली तु एक नम्बर की चुदक्क्ड है बहिनचोद उम्म्म्ं ले साली आज तेरी बुर भर दूँगा अपने बिज से अह्ह्ह मादरचोद उम्म्ं ले मेरी रन्डी हहह लेह्ह्ह बहिनचोद साली अह्ह्ह्ह जान उम्म्ंम्ं
शालिनी - अह्ह्ह हा मेरे राजा भर दो अपनी जान का भोसडा उम्म्ं अह्ह्ह माआ ओह्ह्ह
जन्गीलाल झड़ कर शालिनी के उपर ढह गया और शालिनी ने उसे अपने से चिपका लिया
थोडी देर शान्ति रही और दोनो एक दुसरे से चिपके हुए लेटे रहे कि तभी शालिनी ने जंगीलाल से कुछ ऐसा पुछा कि उसकी धडकनें फिर से तेज हो गयी।
आखिर क्या था वो सवाल ? जिससे जंगीलाल वापस से परेशान हो गया है ।
परेशानिया जो भी लेकिन एक बात तो क्लियर है कि इसके बाद दोनो पति-पत्नी का जीवन मे बहुत बड़ा बदलाव आने वाला है ।
तो मै DREAMBOY फिल्हाल आपसे विदा चाहूँगा ।जल्द ही मिलते है अगले अपडेट
पढते रहिये हिलाते रहिये ।
" ओह येस बेबी उम्ममम कितनी सेक्सी सा चूस रही हो अह्ह्ह्ह्ह बाबू उम्ममम कितनी बड़ी गाड़ है तुम दोनों की एकदम गोरी गोरी दूधिया गाड़ अह्ह्ह्ह पागल कर दे रहे हो ओह्ह्ह्ह " , अमन बेड के किनारे अपना लंड बाहर किए खड़ा था और बिस्तर पर बेट के बल लेट कर सोनल और निशा बारी बारी उसका लंड चूस रही थी ।
" लुक हियर बेबी अह्ह्ह्ह्ह सेक्सी लग रही हो उम्ममम अह्ह्ह्ह " , अमन सोनल को कैमरे की ओर देखने को कहता है जिसमें वो दोनों की लंड चूसते हुए वीडियो बना रहा था ।
दोनो ने मैचिंग सेक्सी सी ब्रा पैंटी सेट पहनी थी और होटल के बेड पर लेती हुई अमन का लंड साझा करने लगी
निशा : उम्ममम जीजू कितना गर्म है उम्ममम सीईईई ओह्ह्ह्ह लोहे जैसा लंड है तुम्हारा
सोनल अमन से मोबाइल लेकर फ्रंट कैमरे से निशा के साथ वीडियो बनाने लगी : निशा इधर देख अह्ह्ह्ह्ह सीईईई
निशा कैमरे में देखते हुए अमन का टोपा चुबला रही थी और उसकी आंखो में खुमारी उतर चुकी थी वो मदहोश नजरों से खुद को ही निहार रही थी ।
तभी अमन के मोबाइल पर रिंग हुआ
अमन : किसका है ?
सोनल : पापा जी का है !!
अमन समझ गया कि जरूर कुछ जरूरी बात होगी
अमन मोबाइल लेकर : मै बात करके आता हु
फिर वो वैसे हो कमरे निकल कर बालकनी में नंगा खड़ा होकर बात करने लगा
फोन पर
: नमस्ते पापा , कैसे हो ?
: मै ठीक हूं बेटा , तुम कैसे हो ? ( मुरारी की आवाज आई )
: मै तो एकदम मस्त हु पापा हीही ( अमन ने चहक कर जवाब दिया )
: हा हा भाई तेरी तो डबल मस्ती चल रही होगी क्यों ( मुरारी ने अंदाजा लगाया )
: उफ्फ पापा क्या बताऊं , आपकी बहु और उसकी बहन पूरा दिन मुझे कपड़े नहीं पहनने देते , अभी भी नंगा हु बालकनी में हीही
: ऐसी किस्मत सबको नहीं मिलती बेटा , मै तो 2 रोज से तड़प रहा हूं। शहर के शहर भटक रहा था अब तक आज कही पाव रुके है मेरे
: मतलब चाची मिल गई ( अमन खुश होकर )
: हा बेटा मिल गई , अभी उसके घर पर रुका हु कल सुबह हम लोग निकलेंगे घर के लिए
: वाव पापा फिर तो मै भी जल्दी आता हूं हीही मजा आएगा ( अमन एकदम से खुश हो गया )
: नहीं नहीं बेटा तुम आराम से अपनी ट्रिप इंजॉय करके आना , तबतक मै तैयारिया देख लूंगा , ठीक है (मुरारी बोला )
: पापा?
: हा बोल न बेटा ?
: पापा चाची कैसी दिखती है , मतलब sexy है या नहीं हीही ( अमन कमरे में झाक कर अंदर का माहौल देख कर अपना लंड सहलाते हुए मुरारी से सवाल किया )
: बदमाश कही का , आकर देख लेना न कैसी है ? हाहाहाहा ( मुरारी हंसा)
: पापा बताओ न प्लीज
: अब क्या बताओ बेटे , एकदम कड़क गदराया पीस है उफ्फ तेरी बुआ संगीता के जैसी कसी हुई मोटी मोटी छातियां है और कूल्हे उठे हुए है उसके जैसे ही । उम्मम अब क्या बोलूं , मेरा तो सोच कर ही मूड बन गया अह्ह्ह्ह
: वाव सच में फिर तो चाचू के भाग्य खुल गए हीही ( अमन बोला )
: किस्मत तेरी भी कम बुलंद नहीं है बेटा , बीवी के साथ साली को भी चोद रहा है उम्मम हाहाहा ( मुरारी ने अमन को छेड़ा )
: पापा एक गजब की चीज दिखाऊं, कलेजा थाम के देखना ओके ( अमन कमरे में झांकता हुआ बोला )
फिर वो मुरारी को वीडियो काल उठाने की रिक्वेस्ट भेजता है
: ऐसा क्या दिखाने वाला है तू ( मुरारी अंधेरे में वीडियो काल उठाता है
: श्शशश, चुप रहिएगा (अमन ने मुरारी को टोका और वीडियो काल पर बैक कैमरा से कमरे के अंदर का माहौल दिखाय
अंदर दोनो बहने सोनल और निशा 69 पोजिशन में एकदूसरे के बुर और गाड़ चाट रही थी और सोनल तो अपनी एक उंगली निशा की गाड़ में गुब्ब गुब्ब पेलते हुए उसकी झड़ती चूत चाट रही थी )
इधर मुरारी की आंखे फटी की फटी रह गई और लंड एकदम उफान पर था
कमरे से बाहर निकल कर
: क्या हुआ पापा होश उड़ गए न
: बेटा ये तो मैने पहली बार देखा , बहु अपनी बहन के साथ , अह्ह्ह्ह बेटा तेरे तो मजे ही मजे है । ( मुरारी पजामे में अपना लंड मसल कर बोला )
: पापा जल्द ही आपकी बहु को आपके आगे लिटाऊनंगा फिर आप भी मजे लेना , चलो मै चलता हु बाय
: हा बेटा मजे करे ( मुरारी फोन काटकर ) मेरे नसीब में तो अभी दो रात चूत का कोई ठिकाना नहीं है ।
मुरारी छत से नीचे आया और वो मोबाईल का टार्च जला कर नीचे आ रहा था कि उसके जहन में अमन के सवाल कौंधी " चाची कैसी है ? "
मुरारी कमरे में आया और उसकी नजर जमीन पर सोई हुई अपने भाई की प्रेमिका पर गई , जो इस वक्त साड़ी बदल कर नाइटी में सोई थी ।
उसके घुटने फोल्ड थे और पैर की ओर से नाइटी में पूरा गैप बना हुआ था ।
मुरारी का जी ललचा गया
वो दबे पाव दूसरी तरफ आया और मंजू के चेहरे पर टार्च जलाई , वो गहरी नीद में थी और उसने झुक कर हौले से मंजू की खुली नाइटी में टॉर्च दिखाई
आहे क्या नजारा था , हल्की फुल्की झुरमुट में झांकी एक रसीली फांक
देखते ही मुरारी का लंड एकदम फड़फड़ाने लगा मगर वो ज्यादा देर तक ऐसे नहीं रुक सकता था इसीलिए वो उठ कर बिस्तर पर आ गया ।
वही दूसरी ओर अमन कॉल काट कर वापस आया कमरे में तो सोनल निशा की जांघें फाड़े हुए उसकी बुर में अपना मुंह दिए हुए थी
सोनल : अह्ह्ह्ह कितनी गर्म है तेरी चूत रे अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह , इसको खा जाऊंगी आज उम्ममम
निशा उसके गाड़ के सुराख को गिला कर रही थी वो पागलों के जैसे सिसकने लगी जब सोनल इसके चूत में जीभ घुमाने लगी
निशा : ओह्ह्ह्ह मम्मीईईई उम्ममम सीईईई ओह्ह्ह्ह गॉड फक्क्क् मीईईईई यस्स अह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह सोनल उम्ममम मै पागल हो जाऊंगी
अमन अपना लंड सोनल के मुंह पर लाता हुआ : हाय बेबी इसे नहीं चूसोगी उम्मम
सोनल ने नजरे उठा कर देखा और मुस्कुराते हुए अमन का लंड पकड़ कर मुंह में भर ली
अमन : ओह्ह्ह्ह गॉड उम्मम माय डर्टी बीच सेक्सी डॉल उम्ममम सक इट बेबी अह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म फक्क्क् यूयू ओह्ह्ह्ह यशस्स अह्ह्ह्ह्ह
अमन सिसकने लगा और सोनल उसका लंड गले तक ले जाने लगी उसकी उंगलियां अभी भी निशा के बुर को मसल रही थी
निशा तड़पती हुई : डालो न जीजू उम्ममम प्लीज अह्ह्ह्ह
अगले ही पल सोनल ने लंड को मुंह से निकाल कर अमन का सुपाड़ा निशा के बुर के फांके पर रगड़ने लगा
निशा : अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म फक्क्क् मीईईईई अह्ह्ह्ह्ह डाल दे न कामिनी अह्ह्ह्ह बहनचोद अह्ह्ह्ह्ह जाने दे न अह्ह्ह्ह
अगले ही पल अमन ने हचक से लंड को झटका दिया और वो निशा के बुर के फाकों को चौड़ी करता हुआ अंदर घुसता चला गया
निशा : ओह्ह्ह्ह्ह गॉड फक्क्क् मीईईईई यस्स अह्ह्ह्ह्ह जीजू पेलो मुझे उम्मम कितना बड़ा है अह्ह्ह्ह रुकना नहीं उम्ममम यस्स जीजू उम्ममम अह्ह्ह्ह फक्क्क् फ़क्कक्क फक्क्क् ओह्ह्ह्ह गॉड फक्क्क् मीईईईई अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह यस्स बेबी
अमन निशा की जांघें उठा कर तेजी से उसकी बुर में पेलने लगा : अह्ह्ह्ह ले मेरी जान कितनी गर्मी है तेरी बुर में अह्ह्ह्ह्ह मजा आ रहा है ओह बहिनचोद सपना था तुझे पेलने का जबसे तेरे चौड़े कूल्हे देखे थे उम्मम अह्ह्ह्ह्ह
निशा : अह्ह्ह्ह हा जीजू मै भी पागल हु आपके लिए अह्ह्ह्ह फक्क्क् मीईईई ओह्ह्ह गॉड अह्ह्ह्ह सोनल उम्ममम ममममाआ अह्ह्ह्ह्ह
वही सोनल निशा के निप्पल चूस रही थी और उन्हें मिंज रही थी कि उसकी नजर वापस से अमन के मोबाइल पर गई और लपक कर वो निशा के बगल में अपनी टांगे खोलकर भी लेट गई और सेल्फी कैमरे पर वीडियो बनाने लगी
निशा : अह्ह्ह्ह्ह कामिनी किसको दिखाएगी उम्मम अह्ह्ह्ह्ह जीजू और तेज अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म फक्क्क् बहिनचो ताकत नहीं है क्या अह्ह्ह्ह
अमन जोश में उसकी जांघें पकड़ कर फचर फचर पेलने लगा : साली मादरचोद फाड़ दूंगा अह्ह्ह्ह लह्ह्ह ओह्ह्ह्ह कितनी गरम है चूत अह्ह्ह्ह
निशा तेजी से चीख रही थी
और सोनल हस्ते हुए सेल्फी कैमरे पर वीडियो ब्लॉग बना रही थी : हाय गाइज वी आर ऑन हनीमून , माय बिग डिक्की हब्बी फकिंग माय सिस्टर हाहा , देखो गाइज मेरी चूत अह्ह्ह्ह कितनी गर्म है मुझे भी लंड चाहिए कोई चोदेगा मुझे हाहाहा
सोनल मस्ती कर रही थी और उसकी बातें सुनकर उसका लंड और फड़कने लगा कि क्या हो अगर ये वीडियो अपने पापा को दिखाएगा
अमन निशा को छोड़ कर लपक कर सोनल को अपनी ओर खींचा और गपक से लंड उसकी चूत में उतार दिया ।
सोनल : ओह्ह्ह्ह बेबी कितना टाइट है आह्ह्ह्ह मम्मा उम्मम्म फक्क्क् मीईईई ओह्ह्ह यस्स बेबी अह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह
अमन उसके हाथ से मोबाईल लेकर बैक कैमरा से वीडियो रिकार्ड करने लगा सोनल को चोदते हुए
सोनल अपनी जांघें खोलते हुए : अच्छे से बनाओ न बेबी अह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह ओह गॉड फक्क्क् मीईईईई यस्स बेबी उम्मम्म फक्क्क् मीईईईई अह्ह्ह्ह्हमम
निशा ने उसके लिप्स से लिप्स जोड़ लिए और चूत सहलाने लगी , सोनल ने बदन और जोश बढ़ने लगा । निशा झुक कर सोनल के बड़े बड़े रसीले मम्में मुंह में भरने लगी अपनी गाड़ फैला कर
अमन उसकी भी सारी हरकते रिकॉर्ड करता है सोनल को पूरे जोश ने पेले जा रहा : ओह्ह्ह्ह्ह बेबी कितनी मुलायम चूत है तुम्हारी ओह्ह्ह्ह गॉड फक्क्क् यूयू बाबू
सोनल : उम्ममम यस्स बेबी फक्क मीईईई अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म फक्क्क् मीईईईई यस्स अह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह
अगले ही पल निशा लपक कर अमन के हाथ से मोबाइल लेते हुए : जीजू मुझे दो न हिही
निशा ने सेम सेल्फी कैमरे से वीडियो चालू की और अपनी बुर सोनल के मुंह पर ले जाती हुई : देखो गाइज मेरी ये मेरी बहन है , ये मै हु और ये मेरी चूत चाट रही है , अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम और डाल ने जीभ ओह्ह्ह्ह गॉड उम्मम, अह्ह्ह्ह्ह गाइज देखो मेरी बहन को जीजू मेरे चोद रहे है अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म
सोनल ने निशा की दोनो जांघों को कस लिया और उसकी बुर के फांके चुंबलाने लगी
वही दूसरी ओर अमन सटासट उसकी बुर पेले जा रहा था , सोनल के बाद अब निशा की हरकते उसको और पागल किए जा रही थी , उसके पैर थक रहे थे ।
वो उठा और बिस्तर पर आ गया
लंड आसमान की ओर उठाए : आजाओ बेब्स
निशा : मेरी टर्न मेरी टर्न अह्ह्ह्ह उम्ममम
निशा दोनों पैर फेक कर अमन की ओर अपना गाड़ करके उसका लंड अपनी बुर में लेकर बैठ गई : अह्ह्ह्ह उम्मम अह्ह्ह्ह्ह उम्ममम
निशा कस कर अपने चूतड़ अमन के कड़क लंड पर पटक रहे थी और सोनल अमन के बाहों के लेती हुई उसके लिप्स चूसने लगी
सोनल : मजा आ रहा है मेरी जान उम्मम
अमन उसके नंगे चूतड़ नोचता हुआ : बहुत ज्यादा मेरी जान अह्ह्ह्ह
निशा : अह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म फक्क्क् मीईईईई अह्ह्ह्ह्हमम यशस्स जीजू पेलो मुझे अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म फक्क्क् मीईईईई अह्ह्ह्ह्हमम यशस्स जीजू आयेगा अह्ह्ह्ह
अमन निशा की बातें सुनकर उसके चूतड़ पकड़ कर नीचे से झटके देने लगा : अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह ले साली रंडी अह्ह्ह्ह मेरी जान अह्ह्ह्ह्ह झड़ जा अह्ह्ह्ह
अमन कस कस कर नीचे से कमर उछाल कर पेलने लगा और निशा अपनी आँखें उलटती हुई झड़ने लगी ,
अमन : ओह्ह्ह यस्स बेबी फक्क मीईईई अह्ह्ह्ह आ रहा है मेरा भी ओह्ह्ह्ह
निशा झट से उसके लंड से उठ गई और सोनल ने लपक कर अमन का लंड मुंह में ले लिया और अमन उसक सर पकड़ कर झटके खाते हुए झड़ने लगा : अह्ह्ह्ह मेरी जान पी ले अह्ह्ह्ह्ह ममीईइई ओह्ह्ह्ह गॉड फक्क्क् यूयू बेबी अह्ह्ह्ह्ह
सोनल अमन के फड़कते लंड को पकड़े हुए आखिर से सारा पानी पीती रही और फिर उसका सुपाड़ा निशा के बहती चूत पर लगा कर वापस से चूसने लगी जिसे देखकर अमन के लंड में फिर से हरकत होने लगी
मगर सुबह से ये चौथी बार था जब वो इतने जोरदार तरीके से झड़ा था और सुस्ती उसके जिस्म पर हावी हो रही थी
फिर वो दोनों के साथ ही सो गया ।
अगली सुबह
मुरारी अंगड़ाई लेता हुआ उठा, उसको आंखों में हल्की फुल्की जलन महसूस हो रही थी और पता चला घर में धुआं उठ रहा था कही ।
मुरारी मच्छरदानी से निकल कर खड़ा हुआ और पजामे में उसके लंड एकदम कड़क उठा था सुबह सुबह । नीचे देखा तो मंजू उठ चुकी थी और पीछे हाते के पास चूल्हे से गर्मागर्म खाने की खुशबू आ रही थी। मुरारी ने घड़ी देखी तो 8 बजने वाले थे ।
अचरज नहीं हुआ मुरारी को मंजू इतनी सुबह क्यों खाना बना रही होगी ।
मुरारी अपना लंड पजामे में सेट करता हुआ हाते में चूल्हे के पास आया जहा मंजू रोटियां बेल कर सेक रही थी
मंजू मुरारी को अपने ओर आते देख मुस्कुरा उठी और झट से अपना दुपट्टा सर पर ले लिया । वो अभी भी रात वाली नाइटी में थी , जाहिर था अभी तक वो नहाई नहीं थी ।
मगर मुरारी को इससे फर्क नहीं पड़ने वाला था उसकी नजर तो मंजू को नाइटी की आधी खुली चैन पर थी जिसमें से मंजू के दो बड़े बड़े रसीले मम्में आपस में चिपके हुए थे और रोटियां बेलते समय मंजू के दोनों मम्मे खूब उछल रहे थे ।
मुरारी : अरे मंजू सुबह सुबह खाना
मंजू मुस्कुरा कर : हा भाईसाहब वो मुझे ऑफिस जाना है न
मुरारी : ऑफिस जाना है मतलब
मुरारी का हलक सूखने लगा कि कही उसने साथ चलने का प्लान कैंसिल तो नहीं कर दिया ।
मंजू : अरे मुझे मेरे सर को बताना पड़ेगा न कि मै अब काम पर नहीं आऊंगी और फिर हिसाब भी कराना पड़ेगा न
मुरारी की जान में जान आई : ओह ऐसा , मै सोचा कि
मंजू उसकी बात समझ कर मुस्कुराने लगी ।
मुरारी : बाथरूम में पानी आ रहा है क्या
मंजू : जी नहीं वो मैं पानी रख दी हूं आप जा सकते है
मंजू थोड़ा शर्मा कर मुस्कुराने लगी ।
फिर वो उठ कर झाड़ू लगाई और इधर मुरारी पाखाने में चला गया ।
मंजू ने सोचा कि जबतक मुरारी पाखाने में है क्यों न तबतक वो नहा ले , नहीं तो कपड़े बदलने की दिक्कत हो जाएगी ।
मंजू फटाफट से नल चला कर पानी भरने लगी और मुरारी को आवाज आने लगी नल चलने की
उसके भी जहन भी यही चल रहा था कि मंजू कैसे नहाएगी । क्या उसे देखना चाहिए ।
मुरारी खुद से बड़बड़ाया: वैसे कसे हुए रसभरे मम्मे है उसके एकदम टाइट ओह्ह्ह्ह लंड खड़ा कर दिया साली ने
तभी बाहर से पानी गिराने की आवाज आने लगी तो मुरारी की झटका लगा उसकी उत्तेजना बढ़ने लगी ये सोचकर कि कही मंजू बहार नहाने तो नहीं बैठ गई । हड़बड़ी में वो बिना गाड़ धोए ही खड़ा होकर पाखाने के किवाड़ की जाली से बाहर नल की ओर झांका
तो देखा मंजू नाइटी में ही नल के पास बैठ कर अपने बदन पर पानी डाल रही थी ।
उसने नाइटी को जांघों तक उठा रखा था जिससे उसकी चिकनी नंगी सुडौल जांघें देख कर मुरारी का लंड ऐंठने लगा । उसकी नजर मंजू के भीगती नाइटी पर भी थी जिसमें से मंजू के चूचे शेप में आ रहे थे धीरे धीरे भीगकर
मुरारी : अह्ह्ह्ह बहनचोद बवाल चीज है यार मदन क्या किस्मत है साले तेरी , मस्त माल है आह्ह्ह्ह
मुरारी को फिर से प्रेशर आने लगा तो वो वापस हगने बैठ गया और उधर मंजू झटपट से नहा कर कमरे में चली गई और कड़ी लगा दिया ।
कुछ देर बाद वो कपड़े पहन कर बाहर आई और मुरारी तबतक बाहर आ चुका था । फिर वो भी नहाने बैठ गया और इधर तबतक मंजू ने पैकिंग के लिए ढेर सारे कपड़े बिस्तर पर फैला दिए थे ।
ब्लाउज पेटीकोट सारी नाइटी ब्रा पैंटी दुपट्टे जींस सूट सब कुछ ।
मुरारी नहा कर आया तो उसने बिस्तर पर बिखरे हुए कपड़े देखे , ज्यादातर पुराने थे । मुरारी को देख मंजू ने झट से दुपट्टे ब्रा पैंटी धक दिए ।
मुरारी ने भी थोड़ी नजरे फेरी मगर भीतर से तो वो पूरा जिज्ञासु हुआ जा रहा था कि मंजू की असल साइज क्या होगी ।
मुरारी : अरे इतने सारे समान लेकर कैसे जायेगे हम लोग , बस जरूरी समान और कपड़े रखो बाकी छोड़ दो
मंजू : तो ये सब सामान
मुरारी : देखो ये सब सामान आप पास जो भी तुम्हे खास लगे उसे देदो , वहां किसी चीज की कमी नहीं है ।
मंजू : जी ठीक है भाई साहब
मुरारी की बातों ने मंजू को सोच में डाल दिया था कि क्या करे वो , फिर उसे ये भी समझ नहीं आ रहा था कि उतने बड़े घराने में वो किन कपड़ो में जाएगी । ये सब पुराने कपड़े और अंडर गारमेंट किसी ने देख किया तो क्या सोचेंगे उसके बारे में । मंजू के जहन में झिझक हो रही थी । उसके जहन में कुछ योजना चल रही थी जिससे उसकी सारी झंझट ठीक हो सकती थी मगर वो मुरारी से साझा करने से कतरा रही थी
मुरारी : क्या हुआ , क्या सोच रही हो
मंजू : जी ? कुछ नहीं ! ऐसा नहीं हो सकता कि हम लोग कल चलें ?
मुरारी : क्या हुआ , बताओ न ?
मंजू : जी वो मुझे कुछ कपड़े लेने है और ऑफिस भी जाना है । पूरा दिन लग जाएगा फिर पैकिंग भी बाकी है और ये सब सामान किसी को सौंपना है ।
मुरारी कुछ सोच कर : अच्छा ठीक है हम कल ही जाएंगे । पहले तुम खाना खा कर ऑफिस जाओ और निकल कर फोन करना मै आ जाऊंगा तो साथ में शॉपिंग पर चलेंगे
मंजू खुश होकर : जी ठीक है
फिर मंजू सारे कपड़े बिस्तर पर एक किनारे बटोर दी और मुरारी के लिए खाना लेने चली गई ।
अरुण के घर
सुबह का नाश्ता कर अरुण कालेज के लिए निकल गया था और रज्जो जो शिला के साथ उसके कमरे में थी वो नहाने चली गई और नहाने के बाद वो तैयार हो गई ।
रज्जो : अरे दीदी कब आयेंगे वो लोग , 9 बज गए है
शिला : रुको यार फोन करती हुं
फिर शिला ने अपने पति को फोन घुमा दिया
फोन पर
शिला : हैलो
मानसिंह : हा शीलू कहो
शिला : कहूं क्या कहू ?आपको तो मेरी फिकर ही नहीं है , सुबह आने वाले थे 9 बज गए है
मानसिंह : बस मेरी जान आधे घंटे में आ रहा हूं
शिला मस्ती भरे लहजे में : जल्दी आओ न मेरे राजा , कबसे तड़प रही हूं अह्ह्ह्ह
मानसिंह : ओहो मेरी जान मूड में है क्या
शिला रज्जो को देख कर मुस्कुराई और अपनी हसी रोक : अह्ह्ह्ह्ह हा बहुत ज्यादा , कितने दिन से मै तड़प रही हूं उम्मम जल्दी से आओ न
मानसिंह : बस मेरी आ ही गया हू रखो मै गाड़ी चला रहा हूं
फोन कट जाता है
रज्जो और शिला खिलखिला कर हस दिए
रज्जो - ये बढ़िया तरीका है जल्दी बुलाने का हीही उम्मम
शिला - अरे जब तड़पकर आयेंगे तभी तो और मजा आएगा हीही
कुछ देर मानसिंह की गाड़ी उसके घर के दरवाजे पर खड़ी थी ।
मानसिंह झट से उतरा और उसके साथ रामसिंह और कम्मो भी ।
कम्मो हस कर : अरे भाई साहब दीदी कही भाई नहीं रही है हाहा
रामसिंह : भाभी ने हड्डी फेक दी है कम्मो , अब भैया कहा किसी की सुनने वाले है हीही
मानसिंह अपना पजामा सेट करता हुआ : तुम दोनों चुप रहो , तुम्हारे आउटडोर क्विकी के चक्कर में लेट हो गया हमें
कम्मो : कॉम डाउन मेरी जान , मजा नहीं आया क्या आपको उम्मम खुले ने मुझे पेल कर
कम्मो पार्किंग में पजामे के ऊपर से ही मानसिंह का खड़ा लंड पकड़ते हुए बोली ।
मानसिंह सिहर उठा : अह्ह्ह्ह्ह कम्मो जाने दे न मुझे अह्ह्ह्ह
और मानसिंह झटके से घर में चला गया । वही कम्मो खिलखिलाने लगी
रामसिंह : भैया को तंग करने में तुम दोनों बहने एक सी हो हीही
कम्मो : क्यों जलन हो रही है
रामसिंह हस कर अपने लंड की ओर इशारा कर : मुझे नहीं इसे जरूर हो रही है
कम्मो ने हाथ बढ़ा कर रामसिंह का लंड पकड़ लिया : चलो इसको थोड़ा दुलार देती हूं मान जायेगा
और रामसिंह ने वही पार्किंग में ही कार पास खड़े हुए कम्मो के लिप्स चूसने लगा ।
कम्मो की सांसे चढ़ने लगी : जान ऊपर चलते है न
रामसिंह साड़ी के ऊपर से उसकी गाड़ दबोचता हुआ : यही कर लेते है न मेरी जान एक और आउटडोर क्विकी
कम्मो लजाई: धत्त
और निकल गई घर में ।
वही मानसिंह बड़े तेजी से हाल में घुसा और किचन में मीरा को काम करता देख शांत हुआ
मानसिंह : मीरा , नीलू की मां कहा है ?
मीरा : जी नमस्ते साहिब वो अपने कमरे में ही होगी
मानसिंह बिना कुछ बोले तेजी से अपने कमरे के पास चला गया ।
कमरे में कोई नहीं दिखा उसे जोरो की पेशाब लगी थी तो वो पहले फ्रेश होने लगा और जैसे ही बाहर आया और सोफे पर बैठ कर अपने जूते निकालने लगा
शिला हाथ में नाश्ते का ट्रे लेकर कमरे में दाखिल हुई , उसने आज नए तरीके से साड़ी पहनी हुई थी
शिला के चुस्त ब्लाउज के उसकी छातियां मुश्किल से बिना ब्रा के समा पाई थी । ज्यादातर तो बाहर निकल आई थी । उसने सीधा पल्ला का साड़ी पहन करअपना चेहरा पल्लू से पूरा ढक रखा था और आगे से उसका ब्लाउज से मोटी चूचियां और नंगा बड़ा पेट साफ साफ नजर आ रहा था ।
मानसिंह ने जैसे ही शिला को साड़ी में ऐसे कामुक अवतार में देखा तो उसकी हलक सूखने लगी
मानसिंह : आहा मेरी जान क्या मस्त लग रही हो , अह्ह्ह्ह्ह ये पर्दा क्यों , आओ न बैठो
शिला ने ट्रे टेबल पर रखा और पीछे होकर खड़ी हो गई
मानसिंह : आओ न मेरी जान
शिला ने बिना कुछ बोले न में सर हिलाया
मानसिंह की नजर शिला के गदराई हुई मोटी मोटी चूचियो पर थी जो उसे ललचा रही थी और उसकी गुदाज गहरी नाभि देख मानसिंह का गला सुख रहा था ।
मानसिंह : अह्ह्ह्ह जान अभी भी नाराज हो क्या
शिला ने घूंघट में ही बिना कुछ बोले हा में सर हिलाया तो मानसिंह हाथ आगे बढ़ा कर उसकी कलाई पकड़ ली तो शिला एकदम से चौक गई और कुनमुना कर अपनी कलाई छुड़ाने लगी और उससे दूर होने के लगी कि मानसिंह ने एक बार फिर से उसकी कलाई पकड़ते हुए उसको अपनी ओर खींचा और अपनी गोदी में बिठा लिया
शिला सिसकी और मानसिंह उसके बड़े चौड़े कूल्हे को मसलता हुआ अपने हाथ उसके नंगे पेट कर सहलाने लगा: अह्ह्ह्ह्ह मेरी जान क्यों नाराज है, अब तो आ गया न तेरे पास , जरा एक अपने मीठे होठों का रस तो पिला
जैसे ही मानसिंह ने शिला ने सर से पल्लू हटाया उसको जोर का झटका लगा वो उछल कर फर्श पर खड़ा हो गया और कमरे में एक तेज खिलखिलाहट गूंजने लगी
मानसिंह ने दरवाजे की ओर देखा तो वहां शिला लेगी कुर्ती में हस रही थी और अब तक जिसे मानसिंह शिला समझ रहा था वो रज्जो थी ।
रज्जो थोड़ी लजा शर्मा रही थी क्योंकि उसे ये उम्मीद नहीं थी कि मानसिंह एकदम से उसके जिस्म को मिजने लगेगा ।
मानसिंह : आ दादा , माफ कीजिएगा भाभी जी , मुझे लगा शिला है और आप कब आई तुमने बताया नहीं
मानसिंह जितना हो सकता था माहौल को बदलने की कोशिश कर रहा था मगर शिला ने रज्जो के सामने उसका मजा लेने से बाज नहीं आई और जमकर अपने पति को छेड़ा ।
शिला मजे लेते हुए : वैसे अब पता चल गया कि आप मुझसे जरा भी प्यार नहीं करते हूंह
मानसिंह कभी शिला को तो कभी मुस्कुराती लजाती रज्जो को देख कर सफाई देता हुआ : अरे मुझे कैसे पता कि घूंघट के नीचे भाभीजी होंगी , प्लीज भाभी जी मुझे माफ कीजिएगा प्लीज
रज्जो हस्ती हुई : कोई बात नहीं ये हम दोनो की ही शरारत थी
मानसिंह शिला की ओर देखकर : लो देखो ,
शिला : क्या देखो , भले ही ये हमारी शरारत थी मगर आपको तो मुझे पहचानना चाहिए था न हूह
रज्जो हसने लगी : हा ये भी .. हीही
मानसिंह शर्म से झेप कर : क्या भाभी आप भी मतलब
शिला : चलो भाभी , हम चलते है अब रहिए आप अकेले हूह
मानसिंह : अरे सॉरी न नीलू की मां , प्लीज
शिला मुंह बना कर : हा हा ठीक है , आप नहा धो कर नाश्ता कर लो हम आते है
मानसिंह : अरे कहा जा रहे हो
शिला : अरे रज्जो भाभी के कुछ कपड़े कल देने गई थी गांव में , तो वही लेने जाना है
मानसिंह : ओह ठीक है , जल्दी आना प्लीज
शिला मुंह बनाते ही अंगूठा दिखा कर : ठेंगा आऊंगी जल्दी हा नहीं तो
और दोनों कमरे से बाहर हस्ती खिलखिलाती निकल गई ।
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वही इन सब के अलग चमनपुरा में
रंगीलाल का बैग पैक हो चुका था और नाश्ता करके वो तैयार था
रंगी : राज बेटा दुकान के साथ घर का भी ध्यान रखना और तुम छोटे सेठ पढ़ाई न रुके बोर्ड है न इस बार
अनुज : जी पापा
रंगी : राज दुकान पर कुछ न समझ आए तो फोन कर लेना
राज : ठीक है पापा
रंगी : राज की मां तुम भी ख्याल रखना अपना
रागिनी कुछ बोले अनुज बीच में टपका : पापा मै हु न , मम्मी के पास हमेशा आप बेफिक्र जाओ
अनुज की बात पर सब हसने लगे
रागिनी मुस्कुरा कर : तेरा बैग रेडी हुआ , कालेज जाना है न तुझे भी
अनुज : कल से न मम्मी प्लीज
राज : कोई ड्रामा नहीं , चुप चाप कालेज जा
अनुज मन मारकर चुप हो गया और
रंगी भी मुस्कुरा कर सबसे विदा लेकर निकल गया आपने ससुराल के लिए।
वही राज आज से अपने पापा वाले दुकान पर बैठने वाला था और रागिनी कास्मेटिक वाले दुकान पर । अनुज भी अपने बैग रेडी कर निकल चुका था कालेज के लिए ।
Overall good update but missing old vibes and also exited about new equations like ragini anuj Sonal murari Mamta aman, raj full family sex, shila's home , Rahul house etc
Waiting for next update
पिछले अपडेट मे आप सभी ने पढा कि एक ओर जहा सोनल की शादियो की तैयारियो पर आये दिन राज के यहा लम्बी चर्चाये हो रही है । वही जंगीलाल के सालो से अधूरे सपने को उसकी बीवी शालिनी ने कल हकिकत कर दिखाया । मगर बात कुछ आगे भी बढ गई है । देखते है क्या होता है ।
लेखक की जुबानी
जन्गीलाल और शालिनी दो एक दमदार चुदाई से संतुष्ट होकर एक दुसरे से चिपके सोये हुए थे । ऐसे मे शालिनी के दिमाग मे एक सवाल उठा ।
शालिनी - ये जी सुनिये ना , वो मै एक बात पूछू
जंगीलाल - हा कहो ना मेरी जान
शालिनी - वो आप शहर कब से जा रहे है ?
जन्गीलाल थोडा हल्का मन लेके बोला - वो पिछले साल जब तुम राखि पर 2 हफ्तो के लिए मायके गयी थी । तभी लेकिन बस 4 या 5 बार ही गया हू ।
शालिनी मुस्कुरायी - अरे मै वो नही पुछ रही
जंगीलाल - तो ??
शालिनी - मुझे समझ नही आ रहा है कि हर बार तो आप शहर चले जाते थे लेकिन इस बार कैन्सिल क्यू कर दिये ।
शालिनी के सवाल सुन कर जंगीलाल के धडकनें तेज हो गयी और उसे पसीना होने लगा । क्योकि वो कैसे इस बात कारण बता सकता था । कि उसने अपनी लाडो निशा के लिए ये फैसला किया था ।
शालिनी जो जन्गिलाल के सीने से लिपटी हुई थी उसे अपने पति के तेज धड़कन से आभास हो गया कि मामला गम्भीर है ।
शालिनी नजरे उठा कर - क्या हुआ जी बोलिए । देखिये आपको लाडो की कसम है ।
शालिनी जानती थी कि उसका पति निशा को बहुत मानता है क्योकि वो उन दोनो के प्यार की पहली निशानी थी और जंगीलाल चाह कर भी अब कतरा नही सकता था ।
जंगीलाल निशा की कसम से थोडा सा उदास हो गया और नजरे उठाए छत को निहार रहा था ।
शालिनी मुस्कुरा कर - क्या हुआ बोलिए ना
जंगीलाल - वो दरअसल इधर हाल के दिनो मे तुम मुझसे थोडा दुर रह रही थी ना
शालिनी चहक कर - अरे मै कहा गयी थी , मैने तो रोज आपके पास होती हू ना हिहिहिही
जन्गीलाल मुस्करा कर - वो नही । वो इस हफते ह्मारे बीच ज्यादा चुदाइ नही हुई थी तो मै बहुत परेशान रहने लगा । शहर गये भी महीने भर से उपर हो गये थे और तुम मेरे हिसाब से सेक्स के लिए तैयार नही होती थी ।
शालिनी बडे ध्यान से उसकी बाते सुन रही थी - हम्म्म फिर
जंगीलाल - मुझे सन्तुष्टि नही पा रही थी तो मै दुकान मे औरतो के जिस्मो को निहारा कर उत्तेजित हो जाता था और मेरी हवस मुझ पर हावी होने लगी थी ।
शालिनी - फिर
जंगीलाल - फिर उस रात जब तुमने लाडो के अन्दर के कपड़ो के बारे मे मुझसे बात की तो .... ।
शालिनी का कलेजा भी अब धकधक करने लगा - तो फिर ,,,, बोलिए ना
जंगीलाल - देखो मुझे गलत मत समझना मेरी जान । मैने भरसक खुद पर बहुत नियंत्रण किया था मगर ...।
शालिनी परेशान होकर - ये क्या बोल रहे है आप ,,खुल कर बताईये ना और इसमे लाडो कहा से आ गयी ।
जंगीलाल - वो जब उस रात हम दोनो लाडो के अन्दर के कपड़ो और उसके स्तनो की बाते कर रहे थे और तुमने बताया कि लाडो इस समय घर मे बिना ब्रा और अंडरगार्मेंट्स के रहती है तो ना जाने क्यू मेरे मन मे ये लालसा हुई और अगले दिन मैने भी उसके टीशर्ट मे उभरे हुए निप्प्ल देखे ।
शालिनी की दिल की धडकनें तेज हो गयी थी और उसका दिमाग खाली सा हो चुका था ।
जंगीलाल एक एक बारी बारी वो सारी घटनाए बतायी जिससे वो निशा की ओर आकर्षित हुआ ।
जन्गीलाल - लेकिन कल रात मे खाने के समय जो हुआ बस वही एक वजह थी कि मैने तय किया अब सब कुछ तुम्हे सच सच बता दू । नही तो कही गलती मे या बेहोशी मे मेरी लाडो के जीवन ना खराब हो जाये ।
शालिनी थुक गटकते हुए - कल रात खाने के समय क्या हुआ था
जन्गीलाल - वो कल रात मे जब लाडो मुझे खाना परोस कर किचन मे वापस जा रही थी तो उसका नया वाला जो घाघरा है उसमे उसके नितंब साफ दिखे मुझे और ये भी आभास हुआ कि उसने अन्दर कच्छी नही पहनी है और तभी मेरे जहन मे एक तस्वीर सी छप गयी
अपने पति की बाते सुन कर शालिनी चुत भी रिसने लगी थी । शालिनी अटक कर - क्क्या मतल्ब कैसी तस्वीर
जंगीलाल झिझक कर - वो मै उसे चोद रहा था ऐसी तस्वीर थी ।
शालिनी का कलेजा धक्क करके रह गया और वो जंगीलाल से अलग होकर सीधी लेट गयी । उसकी चुचिया तेजी से उपर निचे हो रही थी ।
जन्गीलाल सफाई देता हुआ - मुझे लगा कि शायद ये सब मुझे सेक्स ना मिलने की वजह से हुआ होगा । लेकिन आज सुबह जब मै नहाने गया तो बाथरूम मे लाडो की कच्छी देखी तो एक पल को फिर से जहन मे वही रात वाली तस्वीर छा गयी । तो मैने खुद को धिक्कारा और तय किया कि सब तुमको बता दूँगा ।
शालिनी का सर फटा जा रहा था । उसके दिल की धडकनें तेज हो रही थी ।
जंगीलाल लगातर शालिनी से माफी मांग रहा था और अपनी सफाइ दे रहा था ।
मगर शालिनी के जहन मे फिलहाल कोई और ही बात घूम रही थी , वो अभी खुद को अपने पति के हिसाब से तौल रही थी । क्योकि जाने अन्जाने मे वो भी अपने भतीजे राज के साथ चुद गयी थी और उसका कारण राज का मोटा लण्ड ही था । वो भी तो राज की ओर आकर्षित हुई थी तो अगर उसके पति निशा के लिए आकर्षित हो गये तो इसने उनकी कोई गलती नही । जो कुछ हुआ वो बस सन्योग और थोडी निशा की लापरवाही से हुआ ।
जंगीलाल - क्या हुआ जान कुछ बोलो ना ।
शालिनी चौकी - अह हा क्या । कहिये
जंगीलाल - मैने तो सब सच बता दिया और देखो मेरे मन लाडो के लिए कोई वैसी भावना नही वो मै बस अपने की कमजोरीयो के च्लते बहक रहा था ।
शालिनी - हा जी मै समझ रही हू । मैने ही उसे थोडी छुट दे रखी है अब कल इसको अच्छे से समझाती हु
जन्गिलाल - अरे नही जान इसमे लाडो की क्या गलती है , वो तो बस आरामदायक कपडे पहने हुए थी ।
शालिनी - अरे आप नही जान रहे है उसका मन बहुत बढ गया है । मैने उससे एक दिन ये क्या कह दिया कि तु बडी हो गयी है तो मुझे अपनी दोस्त समझा कर । तब से मुझे चिढाती रहती है कि जब उसकी सहेली हू तो आप उसके जीजू हो गये
जन्गीलाल शालिनी की बात कर ठहाका लेके हस पड़ता है - हाहहहा ये लाडो भी ना
शालिनी भी हस ही देती है आखिर - और तो और आज दोपहर मे उसने हमे साथ खाना खाते देख लिया था तो कहने लगी " मुझे नही पता था कि जीजू इतने रोमांटिक है "
शालिनी जिस अदा से इतरा कर निशा की कापी कर रही थी जंगीलाल अपनी हसी रोक नही पा रहा था ।
शालिनी भी हस्ते हुए गुस्सा कर - कल उसे अच्छे डाट ल्गाउन्गी थोडा तब सुधरेगि हुउह
जन्गीलाल - नही जान तुम भी ना । अरे साल दो साल ही तो है वो हमारे साथ उसे खुश रहने दो । जैसे चाहे रहे जो मन करे पहने और जितनी चाहे मस्ती करे । शादी के बाद वो भी बन्ध कर ही रह जायेगी
शालिनी अपने पति की बाते सुन कर थोडा उदास होने लगी - ये जी आप भी हमारी लाडो के लिए यही आस पास ने कोई रिश्ता देखीयेगा । मुझ्से मेरी बेटी की दुरी नही सही जायेगी
जन्गीलाल हस कर - अभी तो उसे मारने डाटने की बात कर रही थी और अब ब्डा दुलार आ रहा है ।
शालिनी मुस्कुरा कर - हा तो क्या हुआ मेरी बेटी , उसकी सब चीज़ो पर हक मेरा ।
जंगीलाल - सिर्फ तुम्हारा ही ....।
शालिनी जंगीलाल से चिपक कर - हा बाबा आपका भी हिहिहिही
जंगीलाल अब बहुत खुश था क्योकि आज उसका मन बहुत हल्का था । इसका एक कारण शालिनी खुद थी । वो कभी भी अपने पति को दुख या चिंता मे नही देख सकती थी और कोई भी बडी से बडी बात होती थी । उसमे अपने लाडो की चर्चा को जोडकर सारी टेंशन वाली बाते जंगीलाल को भूलवा देती ।
फिर वो दोनो अपनी लाडो के बारे मे और उसे दुनिया की बडी से बडी खुशी देने की चर्चाओ मे उलझ जाते । ये हर बार होता था ।
दोनो की प्यार भरी बाते देर रात तक चलती रही और वो दोनो भी सो गये ।
अगली सुबह वही रोज का रूटीन शुरु तो हुआ लेकिन रोज से हटकर काफी खुशनुमा ।
शालिनी ने किचन ने अपने पति के मन पसंद नास्ते बना रही थी कि तभी निशा नहा धो कर निचे किचन मे आई ।
निशा ने अपनी मा को गुनगुनाते हुए नासता बनाता देखा तो उसे शरारत सुझी ।
निशा मुस्कुरा कर अपनी मा को पीछे से पकड कर अपने हाथ उसके पेट पर ले गयी - मम्मी एक बात पूछू हिहिहिही
शालिनी ने चेहरा फेर कर निशा के गालो को चुमा और फिर नासता बनाते हुए - हा बोल ना बेटा
निशा - आजकल आप और पापा कुछ ज्यादा रोमांटिक नही हो रहे ।
शालिनी शर्मा गयी और हसते हुए - धत्त पागल ऐसे कोई बात करता है अपनी मम्मी से
निशा अपने चेहरे को अपनी मा के कन्धे पर टिका कर - लेकिन आप मेरी सहेली भी हो ना हिहिही , बताओ ना क्या बात है ?? उम्म
शालिनी मुस्कुरा कर - जब तेरी शादी हो जायेगी तो तु भी समझ जायेगी
निशा मुस्कुरा कर अपनी मा के नाभि के पास हाथ घुमा कर - उम्म्ंम लग रहा है जीजू ने फिर से मालगाडी लोड कर दी है हिहिहिही
ये बोलते है निशा अपनी मम्मी को छोड कर किचन से बाहर दरवाजे पर आ गयी
लेकिन शालिनी अभी भी उसके बातो का मतलब समझ रही थी - ये क्या बोल गयी मालगाड़ी लोड हो गयी ,,,,,,
तभी शालिनी का दिमाग ठनका और वो चिल्ला कर तुरंत किचन से निशा की ओर लपकी।
इसी समय जन्गीलाल नहा कर निचे उतर रहा था तो निशा भाग उसके पीछे हो गयी और उसके कंधो को पकड लिया ।
निशा हस्ते हुए अपने पापा के पीछे छिप कर - हिहिहिही पापा बचाओ ना , देखो मम्मी मार रही है मुझे
शालिनी - देख निशा तु इधर आ , नही तो सच मे मार खा जायेगी
शालिनी एक दो सब्जी चलाने वाले कल्छी से निशा को मारने के लिए भाजी लेकिन दोनो बार जंगीलाल के कूल्हो पर जा कर लगी।
जंगीलाल - आह्ह शालिनी ये कर रही हो । मुझे क्यू मार रही हो भाई
शालिनी गुस्से मे - आप हटीए पहले नही तो आपको भी ल्गेगि ,, इसकी बदमाशी बहुत बढ़ गयी है
इधर निशा को मौका मिला और वो अपने कमरे मे भाग गयी ।
जन्गीलाल - अरे अब क्य किया मेरी लाडो ने ?
शालिनी - आपने ही इसे सर पर चढा रखा है ,पता है क्या बोल कर गयी
जंगीलाल - क्या ???
शालिनी - बोल रही है आजकल हम दोनो इतने रोमांटिक क्यू हो गये है , कही जीजू ने मालगाडी लोड तो नही कर दी ।
जन्गीलाल शालिनी के पास जाकर - अरे तो कर देते है ना लोड , लाडो की इच्छा है तो
जंगीलाल भले ही धीरे से बोला लेकिन अपने कमरे के दरवाजे पर कान लगाये खड़ी निशा सब सुन लेती है और खिस्स्स से हस देती है ।
शालिनी निशा की हसी सुन कर शर्म से लाल हो जाती है और तुनकते हुए - क्या जी आप बौरा गये है का इस उम्र मे , धत्त
जन्गिलाल शालिनी को रोकता है लेकिन वो किचन मे चली जाती है बड़बड़ाते हुए और निशा वही दरवाजे पर खड़ी हस रही होती है ।
जन्गीलाल भी थोडा अटपटा मह्सूस करता है कि कुछ ज्यादा हो गया तो वो भी चुपचाप सरक लेता है दुकान मे ।
दुकान मे बैठे हुए जंगीलाल का ध्यान निशा की चंचल हरकतों पर था कि कैसे वो शालिनी की मार से बचने के लिए उसके पीछे हो गयी थी और पहली बार निशा के स्तन उसकी पीठ को छुए थे ।
उस पल को याद करते ही जन्गीलाल का लण्ड फिर से तन गया और वो उठ कर वापस अंदर चला गया ।
किचन मे अभी शालिनी ही थी । जन्गीलाल शालिनी के कूल्हो को सहलाते हुए - जान आज दोपहर मे थोडा समय निकाल लोगि क्या ????
शालिनी समझ गयी कि उसका पति आज दिन मे भी मूड मे है तो वो मुस्कुरा कर हा मे सर हिलाते हुए - अच्छा आप बैठीये मै नास्ता लगाती हू ।
जन्गीलाल हाल मे बैठता है और शालिनी निशा को आवाज देती है । निशा मुस्कुराते हुए अपने कमरे से आती है और किचन मे चली जाती है ।
जंगीलाल की नजरे जैसे ही निशा के महीन स्कर्ट मे हिलती उसकी नंगी चुतडो पर जाती है ,,उस्का लण्ड तन कर खड़ा हो जाता है और फिर से जन्गीलाल के जहन मे वही तस्वीर छा जाती है । जिसमे वो अपनी लाडो को खुब करारे धक्के देके चोद रहा था ।
जन्गीलाल जल्द ही उससे बाहर आया और एक गहरी सास लेते हुए लण्ड को दबाया । इधर शालीनी ने गरमा गरम आलू के पराठे निशा को दिये कि अपने पापा को ले जाकर दे ।
निशा पराठे ले जाकर अपने पापा को देती है और घूम कर वापस किचन मे आती है ।
जंगीलाल की नजरे एक बार फिर निशा के थिरकते चुतडो पर जाती है , लेकिन जैसे ही वो वहा से नजरे हटाता है तो उसकी नजरे शालिनी से टकरा जाती है ।
शालिनी मुस्कुरा कर उसे देख रही होती है , जिस्से जंगीलाल थोड़ा लाज के मारे झेप सा जाता है ।
वही शालिनी मन ही मन मुस्कुरा कर सोचती है - ये मर्द जात एक नम्बर के छिछोरे होते है ,, मौका मिले तो घर की बहू बेटीयो को ना छोड़े हिहिही ,,,देखो तो कैसे अपनी ही लाडो के मटकते चुतड निहार रहे है और अभी रात मे ही कह रहे थे कि नही नही मेरे मन में कोई ऐसी भावना नही है ।
शालिनी तुनक कर मन मे - अभी दोपहर मे इनकी खबर लेती हू ।
राज की जुबानी
सुबह रोज की तरह नास्ते के बाद मै दुकान चला गया ।
दोपहर के समय जब अनुज खाना लेके आया तो मै खाना खा के पापा के पास चला गया । वहा पापा ने पंडित जी से मिल्कर पूजा पाठ की तारीख निकल्वा ली थी और मैने फिर कार्ड के लिए मार्केट मे चला गया ।
जहा प्रिंटिंग प्रेस था वही से 10 कदम पर ही सरोजा कॉम्प्लेक्स भी था तो मैने सोचा क्यू ना एक बार थोदा सरोजा से मिल लू ।
मै फौरन कम्प्लेक्स मे च्ला और सरोजा जी के ऑफिस के दरवाजे पर पहुच कर सरोजा जी को फोन किया ।
मै - हाय मेरी जान
सरोजा - ओहो हीरो कैसे याद किया
मै - बस आपकी चुत की खुस्बु ने याद करने पर मजबुर कर दिया
सरोजा थोड़ा हस कर - धत्त अब परेशान ना करो , एक तो आते नही मिलने उपर से तंग कर रहे
मै - आप बुलाते नही ,,नही तो मै आ ही जाता
सरोजा कसम्सा कर - अभी आ सकते हो
मै - हा क्यू नही
सरोजा - तो आ जाओ
मै दरवाजा खोल कर ऑफ़िस मे घुस्ता हुआ - लो आ गया
सरोजा ने जैसे ही मुझे ऑफ़िस मे अन्दर आते देखा खुशी से उछल पडी और मैने दरवाजा बन्द करके उसकी ओर बढा ।
हम दोनो के होठ जुड़ गये और हमने कस कर एक दुसरे को अपनी बाहो मे भर लिया ।
मैने साडी के उपर से उसके कुलहो को मस्लते हुए - क्यू मेरी जान मिस्स किया मुझे
सरोजा - बहुत ज्यादा ,,आओ बैठो ना
मै मुस्कुरा कर उसकी आंखो के देखते हुए - नही मै बैठने नही आया
सरोजा उदास मन से - तो चले जाओगे क्या ???
मै - ऐसे कैसे बिना अपनी जान को खुश किये जा सकता हु,, पाप लगेगा भाई हिहिहिस
सरोजा - ओह्ह तो मतलब बस उसी के लिए आये हो उम्म्ं
मै उसके कुल्हे मस्लता हुआ - नही आज कुछ और चाहिये
सरोजा - क्या लेलो ना , सब तुम्हारा ही है
मै उसके गाड़ को दबोचकर - ये दोगी आज उम्म्ंम
सरोजा सिस्क कर - सीई उम्म्ंम्ं दर्द होगा थोडा
मै उसके होठ चुस कर - मै बहुत प्यार से लूंगा
सरोजा मुस्कुरा कर - हम्म्म्म ओके
सरोजा ने एक ऑफ़िस स्टाफ को बुलाया और उसे बोल दिया कि जब तक वो ना कहे कोई उसे डिस्टर्ब ना करे ।
फिर हम ऑफ़िस से लगे रेस्ट रूम मे गये और बिस्तर पर जाते ही मै सरोजा को लेके लेट गया ।
सरोजा - ओहो लग रहा है बहूत मूड मे हो उम्म्ं
मै उसका हाथा अपने लण्ड पर पैंट के उपर से रख कर- खुद ही देख लो ना मेरी जान
सरोजा मेरे तने हुए लण्ड का स्पर्श पाते ही सिस्क उठी और पैन्त के उपर से ही उसे सहलाने लगी ।
मैने भी उसके साडी का पिन निकाला और पल्लू को सीने से हटा कर उन्के चुचो के उपरी नंगी उभारो को चूमने लगा साथ ही हाथो मे उसके बडे बड़े चुचो को मसल रहा था ।
सरोजा - ओह्ह राज कहा थे इत्ने दिन उम्म्ंम माअह्ह्ह सीईई ओह्ह और मसलो इन्हे उम्म्ं अह्ह्ह्ज
मैने उसके गरदन और गालो को चुम रहा था । सरोजा का बदन इतना गुदाज था । हर हिस्से मे चर्बी थी और उन्हे छुने मे चूमने मे मसलने मे बहुत मजा आ रहा था ।
मैने उसके ब्लाउज के हुक खोलने लगा और ब्रा से हलोर कर उसके चुचे निकाल कर मुनक्के जैसे निप्प्ल को मुह मे भर लिया
सरोजा - सीईई ओझ्ह माआआ उम्म्ंम चुसो राज्ज्ज अह्ह्ह और उह्ह्ह्ह माआआआ ओझ्ह्ज पुरा खोल लो ना हा उम्म्ंम
मैने उसका बलाऊज निकाल कर ब्रा उतार दिया और उपर चढ़ कर उसके चुचो को मिज मिज कर मुह मे भरने लगा
वो बस सिस्कती हुई मेरे चेहरे को अपने चुचो मे दर रही थी
मेरे पास ज्यादा समय नही था इसिलिए मैने उपर से उठा और बिस्तर से उतर कर खड़ा हो गया । फिर अपना पैंट खोल्ने लगा ।
सरोजा समझ गयी और उठ कर अपना साडी निकाल कर सिर्फ पेतिकोट मे आगयी । फिर मेरे पैरो के पास मे बैठ मेरे लण्ड को मुह भरने लगी ।
जिस भूख से वो गपागप मेरा लण्ड चुस रही थी ,,साफ लग रहा था कितनी गरम थी वो
उसकी लपलपाती जीभ ने मेरे आड़ो को छूना कर दिया था,,मेरी एडिया उठने लगी और लण्ड का कसाव बढने लगा ।
मै झटके से उस्से अलग हुआ और खड़ा करके घोडी बनाते हुए बिस्तर पर झुका दिया ।
सरोजा - राज थोडा आयल लेलो ना ,,वहा ड्रायर मे है
मै मुस्कुरा कर अपना लण्ड मस्लते हुए एक टेबल की ड्रायर से तेल की शिसी निकालि और वापस सरोजा के पास आया ।
मैने उसके पेतिकोट को उपर उठाया तो ब्रा से मैचींग पैंटी भी पहने हुए थी वो ।
मैने झुक कर पहले उसके गोरे चर्वीदार चुतड को चुमा और फिर उसकी पैंटी को जान्गो तक खिच दिया ।
फिर खुद घुटनो के बल आकर उसके गाड़ के मोटे चर्बीदार पाटो को फैलाते हुए अपनी नाक से उसकी रिसती चुत की खुस्बू ली और जीभ से उसके गाड़ के सुराख पर फिराया
सरोजा - ओह्ह्ह उम्म्ंम्ं हीहीही आराम से गुदगुदी हो रही है सीईई उम्म्ंम्ं ओह्ह्ह उम्म्ंम
मैने उसके कमर को थामे जीभ से गाड़ की सुराख और चुत के निचले हिस्से से टपकति रसमलाई का टेस्ट लिया और खड़ा हो गया ।
मैने अपना लण्ड की चमडी आगे पीछे कर सुपाड़े को सरोजा के गाड़ के सुराख पर रखते हुए तेल को टिप टिप करके सुपाड़े पर गिराने लगा
लगातर तेल मेरे सुपाडे से रिस कर सरोजा के गाड के सुराख पर एकत्र होने लगी , जिससे सरोजा अपने चुतडो के पाटे सख्त करने लगी ।
थोडा तेल गिराने के बाद मैने लण्ड को सरोजा के गाड़ की लकीरो मे घिसा कर फिर सुराख पर दबाब बनाते हुए गपुच से लण्ड अंदर
सरोजा थोडा तेज सिसकी
- ओह्ह्ह माअह्ह अराम्म से राज्ज्ज अह्ह्ह उह्ह्ह दर्द हो रहा है उम्म्ंम
मैने मुस्कुरा कर धीरे धीरे लण्ड को ठेलता हुआ आधा घुसेड़ दिया और वापस खिचकर एक जोर का धक्का पेला ,, इस बार सरोज के गाड का धागा खुल ही गया और मेरा लण्ड उसके गाड की जड़ मे
सरोजा - अह्ह्ह मममीईईई उह्ह्ह्ह उम्म्ं बहुत दर्द हो रहा है सीईई ऊहह
मैने तेजी से उसके कमर और कूल्हो मसलने लगा ताकी गर्मी से उसका दर्द हो सके और हलका हल्का लण्ड गाड मे घीसता रहा
सरोजा सिसिक रही और मैने थोडा तेल और लण्ड पर गिराकर धक्के की स्पीड बढा दी
अब मुझे भी मजा मिलने लगा
सरोजा की चर्बीदार गाड मे धक्का लगाने पर वो लण्ड वापस उछाल देती ,,,जिस्से चोदने का मजा दुगना हो गया था
मै - ओह्ह जान,,क्या मस्त माल है तू ,,और तेरी गाड उम्म्ंम आह्ह ये लेह्ह उम्म्ं
सरोजा - सीईई उम्म्ंम्ं अह्ह्ह ओह्ह्ह हाआ क्यू मजा आ रहा है ना उम्म्ंम और पेलो ना उम्म्ं
मै - बहुत मजा आ रहा है ,,,तेरी गाड़ बहुत कसी हुई है
सरोजा - अभी तो चुत भी लेनी पड़ेगी तुम्हे उम्म्ंम्ं ओह्ह हा और चोदो ओह्ह्ह मस्त लण्ड है राज उन्म्म्ं
सरोजा बार बार मुझे पुचकारती रही और उस्जे कसे गाड मे मै तेज धक्के लगता हुआ झड़ने लगा और उसके उपर ढह गया ।
थोडी देर बाद हम अलग हुआ और फ्रेश होकर वादे के हिसाब से एक बार उसकी चुत भी मारी और फिर वापस अपने दुकान पर चला गया ।
पिछले अपडेट मे आपने पढा जहा एक ओर राज ने काम के बहाने सरोजा की लचिली गाड मे अपना मुसल घुसा दिया और वही निशा के यहा जंगीलाल का लण्ड अभी भी उसकी बेटी के लिए फड़फडा रहा है ।
लेखक की जुबानी
नास्ते के बाद जंगीलाल दुकान मे व्यस्त हो गया लेकिन नास्ते के दौरान जो कुछ भी हुआ उसको लेके वो काफी परेशान रहा ।
कारण था कि वो मन के एक कोने मे अपने लाडो के लिए ऐसी कोई भावना नही रखना चाहता था और इसिलिए तो उसने कल रात मे शालिनी को सब कुछ बता दिया । उसे लगा कि शायद जब उसे उसके मर्जी के हिसाब से सेक्स मिलेगा तो वो इनसब से दुर हो जायेगा ।
मगर वो गलत था , निशा के प्रति उसका आकर्षण हर पल हवस का रूप ले रहा था ।
निशा को देखते ही जंगीलाल की आंखे चमक जाती और दिल मे अजीब से बौख्लाहट सी होने लगता । लण्ड अपने आप ही सर उठाने लगता था और पल भर के लिए ही सही वो तस्वीर बार बार उसके जहन मे आती जब वो अपनी कल्पना मे अपनी बेटी को बडी बेदर्दी से रौद रहा होता है ।
जन्गीलाल इस्से परेशान हो चुका था । इस मसले पर वो खोया खोया सा रहने लगा और तो और दुकान के कामो और हिसाबो मे भुल्चुक हुई दो तीन बार ।
एक दो बार शालिनी के सामने भी जंगीलाल ने गल्तिया की और ग्राहको को समझाते सुना कि आज आप बहुत खोये खोये से क्यू है ।
जंगीलाल ने हस कर वो बात टाल दी लेकिन शालिनी समझ रही थी कि ये सब निशा की ओर उसपे पति का आकर्षण ही करवा है और उसका पति बहुत परेशान है ।
शालिनी को भी अब चिंता हो रही थी खैर वो दोपहर के खाने मे व्यस्त हो गयी ये तय करके कि आज दोपहर मे वो अपने पति को थोडा समझायेगी । उसे ही उनकी मदद करनी होगी नही तो वो किसी मानसिक तनाव से ना घिर जाये ।
शालिनी ने मन ही मन भगवान से उसे राह दिखाने की प्रार्थना की और दोपहर का खाना तैयार होने के बाद वो जन्गिलाल को अपने कमरे मे ही खाने के लिए बुलाया ।
शालिनी थाली और पानी लेके कमरे मे गयी और अपने हाथो से अपने पति को खाना खिलाया और उन्हे थोडा आराम करने को बोला ।
शालिनी ने घर के बाकी के काम निपटाये और सबको खिला पिला कर एक घन्टे बाद कमरे मे गयी तो जंगीलाल सो रहा था । वो मुस्कुरा कर उसे बडे प्यार से देखी और उसने सोचा अभी आराम करने दो । बाद मे बात कर लूंगी ।
शाम होने को आ गयी और गर्मी का मौसम था तो शालिनी ने ठंडा शर्बत तैयार किया और निशा को आवाज दी कि वो पापा को जगाये ।
निशा जैसे ही अपने पापा के पास जाने को हुई तो शालिनी ने उसे टोका - नही तु रहने दे मै जाती हू ।
शालिनी ये सोच कर रोका कि निशा को जंगीलाल से थोडा दुर ही रखू ताकि उसके पति को फिर से परेशानी ना हो ।
मगर निशा को अपनी चंचलता मे ये सुझा कि कही उसके पापा और मम्मी ने दोपहर मे कुछ काण्ड किये होगे और पापा ने कुछ पहने नही होगे । इसिलिए उसकी मा ने उसे रोक लिया ।
निशा मुस्कुराते हुए - नही पापा को मै ही जगाऊगी हिहिही
शालिनी - नही तु रुक मै जा रही हू ना
निशा तेजी से भागती हुई कमरे मे घुस गयी और भाग कर आने की वजह से उसके सास के साथ साथ उसकी चुचिया भी उपर निचे हो रही थी
कमरे मे आवाज होने से जन्गिलाल चौक कर उठा तो बगल मे निशा को खड़ा देखा और उसकी नजरे निशा के टीशर्ट मे सास लेते चुचो पर गयी , तभी दरवाजे पर शालिनी शरबत लेके आ गयी और उसने अपने पति को निशा के उपर निचे होते चुचो को घुरता देखकर । निशा पर उसे थोडा गुस्सा आया लेकिन पति के सामने वो क्या ही कर सकती थी ।
उसने निशा को गुस्से मे बाहर जाने को कहा और राहुल को शर्बत देने को कहा । फिर दरवाजा बंद करके जंगीलाल के पास गयी ।
जन्गीलाल जो इनसब से अंजान था वो जिज्ञासू होकर - क्या हुआ शालिनी तुमने लाडो को डाटा क्यू और वो यहा क्यू आई थी ।
शालिनी फिर उसे थोडे मिंट के पहले ही घटना बताती है ।
जंगीलाल शालिनी की भावना समझ जाता है और उसे अपने पास बिठा कर - जानू हम एक ही घर मे रहते है और कब तक मै अपनी ही बेटी से भागता रहूंगा ।
शालिनी उखड़े हुए मन से - लेकिन आप भी तो परेशान हो ना , आज देखा मैने दुकान मे कैसे आप हिसाब किताब मे गड़बड़ी कर रहे थे । यहा तक कि ग्राहको ने भी टोका आपको । इसिलिए मुझे लगा कि मै निशा को आपके साम्ने आने ही ना दू तो आपको दिक्कत नही होगी ।
जन्गीलाल मुस्कुरा कर शालिनी को अपने बाहो मे भर लेता है - ओह्ह मेरी जान, तुम अपने हिसाब से ठिक कर रही हो लेकिन ये भी तो सोचो कि जब लाडो को लगेगा कि मै उस्से दुरी बना रहा हू तो उसे कितना बुरा लगेगा और कही उसने हमसे पुछा तो क्या जवाब देंगे हम
शालिनी को अपने पति की बात सही लगी ।
जंगीलाल- तुम चिंता ना करो मेरी जान हम इस्का कुछ ना कुछ रास्ता निकाल ही लेंगे
शालिनी -हम्म्म्म
जंगीलाल - अब उदास ना हो तुम भी कुछ सोचो , मै भी कुछ बिचार कर रहा हू ।
शालिनी मुस्कुरा कर उठती हुई - ठिक है चलिये फ्रेश हो लिजिये और फिर ये शरबत पी लिजिए
जंगीलाल उसक हाथ पकड कर - आज दोपहर मे कुछ और भी पिलाने वाली थी तुम जान
शालिनी शर्मा कर - धत्त वो सब अब रात मे ,,,जो सोवत है वो खोवत है हिहिहिही
जंगीलाल - और सुनो
शालिनी - हा कहिये
जंगीलाल - और तुम मेरी वजह से लाडो पर गुस्सा ना हो प्लीज , ना उसे कोई भनक लगे इसका
शालिनी मुस्कुरा कर - हा जी ठिक है , आप जल्दी से फ्रेश होकर आईये
फिर शालिनी मुस्कुराते हुए अपने रूम से बाहर निकाली और उसकी नजरे निशा से टकराई जो किचन के दरवाजे पर खड़ी शर्बत की सिप ले रही थी और उसने अपनी मम्मी को आंखो से इशारे से पूछा क्या हुआ ।
शालिनी शर्म से लाल हो गयी और बेजवाब हो कर उसकी हसी छुट गयी । वो क्या ही जवाब देती निशा को ,,, अब तो जंगीलाल ने भी मना कर दिया था डांटने बोलने को ।
शालिनी बिना कुछ बोले किचन मे घुस गयी और निशा घूम कर अपनी मा को घूर रही थी और मुस्कुरा रही थी ।
शालिनी की नजर जब वाप्स से निशा पर गयी तो वो हस्ते हुए - तु मुझे ऐसे क्यू देख रही है ,,,मत कर भई , हा नही तो
निशा शर्बत का घूंट लेके - ओहो देखो तो कैसे शर्म से लाल हो रही है मेरी मम्मी ,,,उम्म्म्म्माआह्ह
निशा के अपनी मा के गालो को चुम लिया ।
शालिनी - तु ना एकदम अपनी शिला बुआ पर गयी है ,,,शादी के बाद जब भी मै उन्के कमरे से बाहर आती वो भी ऐसे ही छेड़ती थी ।
निशा मुस्कुरा कर - लेकिन आप बार बार पापा के कमरे मे क्यू जाती थी ।
शालिनी हस कर - तु बडी भोली बन रही है ,,
निशा हस्ते हुए - मुझे सच मे नही पता मा , कि रात तो रात दिन मे भी पापा और आप कमरे मे रहते थे ???? करते क्या थे आप लोग ....हिहिहिही।
शालिनी - धत्त बदमाश , जब तेरी शादी हो जायेगी तो तेरा पति भी दिन मे तुझे कमरे मे बन्द रखेगा हिहिहिही
निशा अपनी मा के कूल्हो पर हाथ घुमा कर - तो मेरा भी ऐसे निकल जायेगा क्या हिहिहिही
शालिनी हस कर - छोड पागल कही की ,,,तुझे कहा से ये सब सूझ रहा है
निशा - मै तो बस पुछ रही थी कि क्या वो सब करने से ही ये बाहर आता है
शालिनी - हा थोडा बहुत , लेकिन सब कोई तेरे पापा जैसा ....।
शालिनी बोलते हूए रुक गयी और शर्मा गयी कि वो क्या बोलने जा रही थी ।
निशा अपनी मा से कबूलवाते हुए - क्या मा ,,पापा के जैसे क्या ??
शालिनी- ओह्हो भई छोड़ मुझे तन्ग ना कर ,,और तु मेरी बेटी है मै तुझसे ये सब थोडी ना बोल सकति हू ।
निशा - अभी तो उस दिन कहा रही थी कि आप मेरी दोस्त हो , जो कुछ पुछना जानना हो मुझसे कह देना
निशा थोडा सा उदास होने का नाटक करते हुए - अब आप नही ब्ताओगे ,,समझाओगे तो कौन मुझे इनसब के बारे मे बतायेगा हुउह
निशा तुनक कर जानबुझ कर किचन से निकल गयी और अपने कमरे मे चली गयी ।
क्योकि वो जानती थी कि उसकी मा उसे मनाने जरुर आयेगी ।
इधर शालिनी को लगा शायद निशा उतनी होशियार नही हुई है और उसे सही जानकारी नही है । बस थोडी बहुत चंच्ल है ।
शालिनी अपनी लाडो को मनाने उसके पास चल दी ।
कमरे मे निशा मोबाइल लेके बैठी हुई थी और अपनी मा के आने का इंतजार ही कर रही थी ।
दरवाजा खुला और शालिनी मुस्कुरा कर कमरे मे आई और दरवाजा ब्नद करके अपने लाडो के पास बैठ गयी ।
निशा ने जानबुझ कर अपनी मा की ओर ध्यान नही दिया ।
शालिनी उसके पास आकर - क्या हुआ मेरी लाडो नाराज
निशा मोबाइल पर कोई गेम खेल रही थी - हुह , मुझे आपसे बात नही करनी है
शालिनी मुस्कुरा कर - अच्छा बोला तुझे क्या जानना
निशा ने तिरछी नजरो से मुस्कुरा कर अपनी मा को देखा और उस्से लिपट गयी ।
शालिनी निशा ऐसे अचानक से लिपट जाने से उसका भार सह ना सकी और दोनो बिसतर पर लोट गये ।
शालिनी हस्ते हुए - अच्छा अब बता तो क्या जानना है तुझे
निशा को तो सब पता था लेकिन हाल ही दिनो से उसे उसकी मा को छेड़ने मे और उस्से ऐडल्ट बाते करने मे बहुत मजा आ रहा था । तो उसकी चंचल मन में ना जाने क्यू हाल ही उसके पापा मम्मी के रोमांस को देखने के बाद से उनकी सेक्स लाइफ के बारे जानने की चुल होने लगी थी ।
निशा अपनी मा के सीने पर लिपटी हुई अपने हाथ उसकी चुचो पर घुमा कर - मम्मी , क्या मेरे भी ये शादी के बाद बडे हो जायेंगे
शालिनी मुस्कुरा कर उसके गालो पर हल्के से चपट लगाते हुए - बदमाश कही की ,,मुझे पता था तेरे दिमाग मे यही सब चल रहा है ।
निशा खिलखिला कर हसी - बताओ ना मा प्लीज
शालिनी - हा शायद
निशा - शायद क्यू
शालिनी मुस्कुरा कर - शायद इसिलिए कि तेरे मुझसे भी बडे हो जाये ,,,वो तो तेरे पति के प्यार पर निर्भर करेगा
निशा भी थोडा शर्मा रही थी - तो क्या पापा आपको प्यार नही करते जो आपको अभी छोटे लगते है
शालिनी हस कर - धत्त पागल , वो इन्हे .... छोड और बता क्या जानना है ?
निशा - नही पहले ये बताओ ,, पापा इन्हे क्या ???
शालिनी - तु मेरी बेटी है ,,और कैसे मै तुझे वो बस बताऊ
निशा - तो अपनी सहेली मान के बताओ ना ,,,कि जीजू इन्हे क्या
शालिनी हस कर - धत्त बदमाश कही की
निशा हस कर - यार प्लीज ना बता दे हिहिहिही
शालीनी को लगा शायद ये तरीका ही सही रहेगा जो निशा कह रही है और वो मुस्कुरा कर - वो तेरे जीजू इन्हे बहुत प्यार करते है
निशा चहक उठी और मुस्कुरा कर - प्यार मतलब कैसे ??
शालिनी मुस्कुरा कर - मतलब इनको छूते है थोडा सहलाते है और कभी कभी जोर से ....।
निशा - क्या ??? जोर से
शालिनी - मतलब जोर से मसल भी देते है ,,,हा नही सब कबूलवा रही है मुझसे
निशा हसने लगी है और पुछती है - तो आपको दर्द नही होता , जब पापा मेरा मतल्ब जीजू ऐसे कस के मसल देते है ।
शालिनी शर्मा कर - नही होता है थोडा थोडा लेकिन तेरे पापा का स्पर्श,,मतलब तेरे जीजू का स्पर्श
निशा - ओह्हो ये छोडो जीजू विजु ,, अब पापा है तो है हिहिही
शालिनी हस देती है - तु ही कह रही थी ,हा नही तो
निशा मुस्कुरा कर - अच्छा तो बताओ ना मम्मी , पापा का स्पर्श???
शालिनी - वो तेरे पापा जब मुझे छुते है तो भले ही वो कितना जोर से मसले दर्द का पता नही चलता ,,बस मजा आता है ।
अपनी मा से पापा के बारे तारिफ सुन कर निशा के चुचे कडे होने लगे थे और मस्ती मे उसने अपनी मा की चुची को दबाया जिस्से शालिनी सिसकी
शालिनी - सीईई धत्त क्या कर रही है तू
निशा हस कर - देख रही थी कि मेरे दबाने पर भी मजा आता है कि नही आपको,, हिहिहिही
शालिनी शर्म से लाल होने लगी - धत्त पागल कही कि,,एक मर्द का स्पर्श अलग ही होता है ।
निशा अपनी मा की बाते सुन कर अपने पापा की ओर खीची ही जा रही थी ।
निशा - मम्मी यार मेरी भी शादी करवा दो ना
शालिनी हस कर - अभी हिहिहिही
निशा हस कर - हा मुझे भी अब मन कर रहा है कि मेरा पति मुझे ऐसे छुए कितना अच्छा लगता होगा ना जब पापा आपको सहलाते होगे ।
शालिनी निशा के भोलेपन पर हस कर - तुझे बस सहलाना अच्छा लग रहा है ,,असली दर्द भी पति ही देता है हिहिही
निशा - मतल्ब
शलिनी- तुझे क्या लगता है तेरा होने वाला पति बस तुझे सहलायेगा , दुलारेगा उम्म्ंम
निशा - हा पता है सेक्स भी करेगा तो दर्द कैसा ,,उसमे भी मजा आता होगा ना
शालिनी हस कर - हा आता तो है लेकिन जब पहली बार हो तो बेहिसाब दर्द ही दर्द मिलता है
निशा डरने का नाटक करती हुई - क्या??? नही तो मै शादी नही करंगी कभी । मुझे तो मेरे पापा ने भी कभी नही मारा
शालिनी हस कर - लेकिन आज नही तो कल कभी ना कभी तु उस दर्द से गूजरेगि ही
निशा को सब पता था ही और उस दर्द का मजा वो राज के संग ले ही चुकी थी । लेकिन इतना ड्रामा करने का प्लान उस्का कुछ और ही था ।
निशा जिज्ञासू भाव से - तो क्या आप जब पापा के साथ पहली बार की थी तो आपको भी बहुत दर्द हुआ था
शालिनी हस कर - नही ,,बहुत हल्का सा ही ,,,वो तेरे पापा बहुत रोमांटिक है ना तो बहुत प्यार से वो किये थे ।
निशा मुस्कुरा कर अपने मा से लिपट गयी और बोली - फिर मेरे लिए भी पापा जैसे ही पति खोजना हिहिहिही
शालिनी - अरे वो तो मेरी किस्मत थी कि तेरे पापा मुझे मिल गये और मेरी तो लव मैरिज थी ना
निशा आंखे उठा कर - तो क्या आप लोगो ने शादी से पहले ही ??
शालिनी शर्म से लाल हो गयी और मुस्कुराने लगी ।
निशा - क्या शादी के पहले ये सब कर सकते है मम्मी ??
शालिनी उसे समझाते हुए - हा कर सकते है अगर कोई भरोसे का आदमी हो और जीवन के हर मोड पर तुम्हारा साथ निभाये । तो कर सकते है ।
निशा हसते हुए - आप कितनी लकी हो मम्मी आपको पापा मिले हिहिहिही
शालिनी - क्यू वो तेरे पापा है तो तु भी लकी हुई ना
निशा शर्मा कर - नही वो आपके पति है और उन्होंने आपको थोडा भी दर्द नही दिया और ....।
शालिनी - और क्या ??
निशा उदास होकर - मुझे पता नही पापा जैसा कोई मिलेगा भी या नही ।
शालिनी उसे देखकर मुस्कुरा रहती है
निशा अपनी मा को कसते हुए - मा मुझे अब डर लग रहा है ,,मै शादी नही करूंगी ।
शालिनी जान रही थी कि अभी ये सब दुर की बाते है तो उसने भी हा कह दिया कि चलो ठिक है मत करना ।
फिर वो दोनो रात के खाना बनाने लग गये ।
राज की जुबानी
सरोजा की चुदाइ के बाद दिन भर की थकान लेके मै घर आया
घर पर वही शादी को लेके चर्चाये बनी हुई थी ।
मा - सुनिये जी ये लिस्ट रज्जो दीदी ने बनवाई है ये सारे बर्तन आप निकलवा लो और कुछ ना हो तो उन्हे मगवा लेना
पापा वो पर्ची थाम कर - अच्छा ठिक है और वो पंडित जी से बात हो गयी है । कल वो एक पर्ची बनवा कर भिजवा देंगे । फिर परसो नरसो भी वो सामान भी लेके रख्वा लिया जाये ।
मा - हा ये सब इसी हफते लेके रख लिया जाये और अगले हफ्ते तक हमे अपने कपडे लेने जाने है
पापा - साड़ीया तो जन्गी के यहा मिल जायेगी ,,बाकी ये दूल्हा दुल्हन और बाकी जिसको जो चाहिये चल कर संजीव भाई के माल से ले लेना
मा - हा ये भी ठिक है ।
राज - मा आप चिंता ना करो , इस हफते मे मै सारे काम कर लूंगा फिर शॉपिंग तक ये महिना बीत ही जायेगा । अगले महिने से कार्ड भी देने चला जाऊंगा
फिर ऐसे ही थोडी बाते चलती रही ,,खैर अगले कुछ दिनो तक राज का परिवार तो शादी की तैयारियो मे व्यस्त रहने वाला था ।
थोडी देर बाद सब खाना खा कर अपने अपने कमरो मे सोने चले गये ।