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Adultery सपना या हकीकत [ INCEST + ADULT ]

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UPDATE 143

पिछले अपडेट मे आपने पढा एक ओर जहा शालिनी अपने पति के लिए परेशान है और उसमे भी निशा की शरारते और तंग कर रही है । वही दुसरी ओर राज के परिवार मे सोनल की शादियो की तैयारिया शुरु हो गयी है ।


लेखक की जुबानी


धीरे धीरे ऐसे दो हफते का समय बीत गया । इन बीते हफतो मे जहा जंगीलाल निशा से लागतार किसी ना किसी संयोग से आकर्षित होता रहा और इस दौरान इस मुद्दे पर शालिनी के उसकी चर्चा बनी रही । समय के साथ शालिनी की चिंता भी इस मामले को लेके बढने लगी थी । वही जंगीलाल की छुट और निशा की चंचलता ने निशा को बेफिकर बना दिया ।
रोज रात मे और शाम मे कभी कभी अनुज से चुदाई होने से निशा और भी निखरने लगी थी ।

इधर राज के परिवार मे कपड़ो की शॉपिंग को छोड कर सारी तैयारिया हो गई थी और आज रागिनी सोनल को लेके जंगीलाल के यहा चल दी थी ।


जंगीलाल अपनी दुकान पर व्यस्त था , जैसे ही उसने अपनी भाभी और सोनल को दुकान पर देखा तो काफी खुस हुआ ।

खड़ा होकर उनकी आवभगत की और उन्हे अन्दर भेज दिया ।

रागिनी और सोनल अन्दर हाल मे गये थे । निशा इस समय किचन के काम खतम कर रही थी ।

सोनल तो सिधा किचन मे चली गयी ।

रागिनी - निशा बेटी तेरी मम्मी कहा है
निशा - बडी मम्मी वो कमरे मे सो रही है ,,रुकिये मै बुलाती हू

रागिनी - अरे नही तु काम कर मै देख लेती हू
रागिनी सीधा शालिनी के कमरे मे जाती है जहा शालिनी ब्लाऊज पेतिकोट मे सो रही थी ।

रागिनी को शरारत सुझी और उसने कमरे का दरवाजा बंद करके शालिनी के पास गयी ।

उसकी सास लेती चुचिया ब्लाउज मे उपर निचे हो रही थी । रागिनी ने धीरे से उसके ब्लाउज के दो हुक खोले और अपने होठो से दो चुम्मिया उसकी छातियो पर की और भी जीभ को उसके चुचियो के गहरी दरारो मे चलाने लगी ।

कि शालिनी की आन्खे खुली और वो चौक कर उठते हुए हाथो को क्रॉस करके अपनी छातीयो को धक ली ।

रागिनी बडे जोर की ठहाका लगा के हसी ।
शालिनी की भी हसी छूट गयी और वो अपना ब्लाऊज बन्द करते हुए - क्या जीजी आपने तो डरा ही दिया मुझे ,,,,मै तो समझी कौन ऐसे मेरे जोबनो को चाट रहा था

रागिनी हाथ बढा कर शालिनी के चुचे हाथ मे मसलकर - अरे शालिनी तेरे जोबन है ही ऐसे कि देखते ही कोई भी ललचा जाये

शालिनी शर्मा गयी और उठ कर साडी पहनने लगी - वैसे आज अपनी देवरानी की याद कैसे आ गयी

रागिनी तुनक कर - हुह किसने कहा कि मै तेरे लिये आई हू ,मै तो मेरे देवर से मिलने आई थी हिहिहिही

शालिनी - अच्छा , फिर बैठो मै भेजती हू उनको ,,जल्दी जल्दी निपट लेना आप लोग हिहिहिही

रागिनी हस कर - धत्त पागल क्या कुछ भी बोलती है ,,,वो मुझे साड़िया लेनी है । सोनल की शादी के दिन अब नजदीक आ रहे है ना ।

शालिनी - अरे हा ,,और जेठ जी भी आये हैं कि बस अकेली

रागिनी - अरे इत्नी याद आती है अपने जेठ की तो एक आध रात उन्के साथ ही रुक जा ना

शालीनी शर्मा कर - धत्त जीजी आप भी ,,मेरा मतलब था कि आप अकेले ही आई है कोई और भी है ।

रागिनी हस कर - अरे नही वो सोनल भी आई है ।

शालिनी फिर तैयार होकर रागिनी के साथ बाहर आती है और फिर निशा सब्के लिये पानी लगाती है ।

थोडी देर हसी ठिठौली हो रही होती है कि रागिनी निशा के लिये शादी की बाते छेड़ देती है
रागिनी शालिनी से - अब तो तु निशा के लिए भी लड़के खोजने शुरु कर दे

शालिनी मुस्कुरा कर - हा जीजी , बस सोनल बिटिया की हो जाये फिर देखती हू

इतने मे निशा मस्ती करते हुए - क्या मम्मी आप तो मुझसे प्यार ही नही करती ,,जल्दी से मुझसे पीछा छुड़ाना चाहती है ।

शालिनी हस कर - अरे आज नही कल तेरी भी शादी होगी ही ना

निशा जिद दिखाते हुए - नही मैने कहा ना , मै शादी नही करूंगी बस ,,मै तो बूढ़ी होकर भी यही रहूंगी हिहिहिही आपके पास

निशा अपनी मा से चिपकते हुए बोली और उसे देख कर सब लोग हस पड़े ।
लेकिन शालिनी को निशा का यू शादी के लिये मना करना जमा नही , मगर उसने फिल्हाल के लिए कोई प्रतिक्रिया नही दी ।

थोडे देर बाद सारे लोग दुकान मे गये और साड़िया पसंद की ।
जंगीलाल - और कुछ भौजी ,
रागिनी - अरे नही देवर जी बस ,, ये समान और बिल राज के पास भिजवा देना

जंगीलाल - क्या भौजी आप भी , घर की शादी है और आप पैसे की बात कर रही है ।

रागिनी - हा लेकिन हिसाब तो....।
शालिनी - रहने दो जी , आप बिल जेठ जी को दे देना । जीजी तो हमे अपना समझती ही नही , जैसे सोनल हमारी कोई नही है

रागिनी - अररे आप लोग .... अच्छा ठिक है भई पैसे मत लिजिए लेकिन बिल दे दीजियेगा ,,वो इसके पापा को शादी के खर्चो का हिसाब किताब रखना होगा ना

जन्गीलाल - हा ये कहो तो कर दू ,,, ठिक है आप लोग जाईये । अभी राहुल सब समान लेके आ जायेगा ।

रागिनी भी वहा से निकलने से पहले - और हा शालिनी परसो ध्यान से तैयार रहना दूल्हा दुल्हन के लिए कपडे लेने जाना है । निशा को भी लिवा लेना


शालिनी - हा जीजी मै आ जाऊंगी ।

फिर रागिनी और सोनल निकल गये अपने घर के लिये।यहा शालिनी और जंगीलल भी खुश थे कि घर की शादी मे उन्होने भी योगदान दिया ।


राज की जुबानी
शाम को मै जब घर पहुचा तो हाल मे ढेर सारी साड़ियो के बैग थे ।

मा पापा के पास बैठ कर हिसाब लिखवा रही थी ।

मै खुश होकर एक दो झोले खोलकद देखने ल्गा - मम्मी आपने कौन सा लिया ??

मा हस कर - अरे रुक मै दिखाती हू ,,,ये 5 मैने मेरे लिये ली है और 3 ये सोनल के लिए

मै - और इतना सारा किसके लिये

मा - अरे बेटा वो सोनल की सास और उसके ससुराल के भी तो जायेगा ना ।

पापा की दिलच्स्पी सोनल की सास ममता के साडी पर गयी - अरे रागिनी समधन जी के लिये कोई अच्छा सा ली हो ना

मा - हा जी रुके दिखाती हू ,,उनके लिये ये दो साडी और दो सूट के कपडे ली हू


पापा - चलो ये तो हो गया और आज मदन भाई का फोन आया था । दामाद जी घर आ गये है ।

मा खुश होकर - हा समधन जी से बात हुई थी मेरी और जमाई बाबू से थोडा हाल चाल भी ली हू ।

अनुज - मम्मी मेरे लिये कुछ नही ली
मा - अरे बेटा परसो सारे लोग जायेंगे ना माल मे तो तुझे जो चाहिये ले लेना और ....।


अनुज - और क्या मम्मी ।

मै - और तेरे लिए कुछ सरप्राइज भी है ,,,वो भी ले लेना

अनुज - लेकिन वो क्या ??
मा मुस्कूरा कर - तेरा भैया इस बार तेरे जन्मदिन पर लैपटाप दिला रहा है

अनुज चहक कर - सच मे
मै - हा लेकिन तु पहले प्रोमिस कर की पढाई पर पुरा ध्यान देगा

अनुज खिलखिलाकर - हा भैया हिहिहिही
थोडी ऐसे ही चर्चा चलती रही और इधर मम्मी खाना बनाने किचन मे चली गयी ।


लेखक की जुबानी

रात के खाने का चूल्हा जल चुका था और शालिनी निशा के साथ खाना ब्ना रही थी ।

शालिनी - निशा तुने शादी के लिए मना क्यू किया ?

निशा को अपनी मा को ऐसे छोटे से मजाक पर परेशान होता देख उसे हसी आई तो उसने अपनी मा को और भी परेशान करने का सोचा ।

निशा - मम्मी आप जानती हो ना मैने मना क्यू किया ??

शालिनी को दो हफते पहले की वो बात चित याद आई और वो मुस्कुरा कर - धत्त पागल उस चीज़ के लिए डर रही है तु

निशा तुनकते हुए - हुउह आपका क्या है ,,आपको पापा मिल गये । लेकिन मेरे साथ पापा नही ना करने वाले वो सब जो प्यार से करेंगे

शालिनी उसके भोलेपन पे हसी - अरे पगलेट ,, वो तो तेरे हाथ मे है ना कि तु अपने पति को कैसे काबू मे करती है ।

निशा आंखे उठा कर - मतलब ???

शालिनी हस के - तुझे नही पता मतलब कुछ भी वो सब के बारे मे

निशा शर्मा कर - हा जानती हू लेकिन कभी किसी को करते थोडी ना देखा है । जो चीज़ कभी देखा-किया नही तो उससे डर ही लगेगा ना

शालिनी - अरे तो मैने कौन सा किसी का देख के सिखा था पागल ।

निशा - तो आपको कैसे आ गया ??

शालिनी शर्मा कर - वो मुझे मेरी चाची ने समझाया था शादी के कुछ समय पहले ,,सच कहू तो पहले दिन मै भी डरी थी लेकिन तेरे पापा ने मुझे थोडी भी तकलिफ नही होने दी ।


निशा मुस्कुरा कर अपनी मा को परेशान करने के मूड मे - मा मै क्या सोच रही हू , एक बार पापा के साथ कर लू फिर ना डर रहेगा और शादी भी कर लूंगी हिहिहिही

निशा ये बोल कर किचन से भाग गयी और शालिनी हस कर - अरे पागल भाग कहा रही है,,सब्जी जल जायेगा इधर आ ।

निशा हसते हुए - नही आप मारोगे !!! हिहिहिही

शालिनी - अब आ नही तो सच मे मारुन्गी ।

फिर निशा डरते हुए सब्जी चलाने लगी और वही शालिनी रोटिया सेकते हुए मुस्कूरा रही थी । कि निशा भी कितनी भोली है एक प्यार भरे दर्द से बचने के लिए अपने ही पापा से वो सब करने के तैयार हो रही है । पागल कही की

तभी शालिनी का दिमाग ठनका और एक पल को ये विचार आया कि क्यू ना निशा की चुदाई उसके पापा से करवा दू । इस्से निशा शादी के लिए डर खतम हो जायेगा और उसका पति जो दिन ब दिन चिंता मे घिर हुआ है उसे भी राहत मिल जायेगी ।
शायद एक बार निशा को चोद लेने के बाद उसके पति की हवस शांत हो जाये और वो सामन्य जीवन जीने लगे ।


लेकिन अगले ही पल शालिनी के दिमाग ने इस चीज़ को दूतकारा - छीई ये मै क्या सोच रही , सगी बेटी को कैसे उसके बाप से चुदवा सकती हू मै । नही ये गलत होगा ।


इधर निशा शालिनी को चुप देख कर हसती हुई बोली - अरे मम्मी बस एक बार की बात है हिहिहिही सौतन नही बनूंगी आपकी

शालिनी ने जैसे ही निशा की बाते सुनी वो हस दी और बोली - तो जा कर ले ,,तेरे पापा है मै कौन सा रोक रही हू

निशा हस कर - नही रहने दो , आपको जलन होने ल्गेगि कही पापा मुझसे ज्यादा प्यार ना करने लगे हिहिहिही

शालिनी मन मे - हा वो तो इस समय तेरे ही दीवाने हुए जा रहे है ,,


शालिनी हस कर - अब तु चुप करेगी । जा पापा को बोल कि दुकान बंद करके आये । खाना बन गया है


निशा तुनक कर - कितना जलती हो आप मुझसे मम्मी हुह
निशा ऐसे तुन्क कर बाहर गयी कि शालिनी की हसी छूट गयी - ये पुरी पागल है हिहिही

थोडी देर मे खाना का समय हुआ । हमेशा के जैसे पहले राहुल और उसके पापा खाने के लिये बैठे ।

शालिनी किचन से थाली लगा दी जिसे निशा ने बारी बारी करके लेके गयी ।

इस दौरान शालिनी ने जंगीलाल को देखा तो वो उसे ही मुस्कुरा कर देख रहा था क्योकि बीते इतने दिनो मे वो जान चुका था कि शालीनी ऐसे मौके पर उसे देखती ही है जब भी वो निशा के हिलते कूल्हो पर नजर मारता है ।

शालिनी अपने पति को मुस्कुराता देख खुद भी मुस्कुरा देती है और सोचती है क्यू ना एक बार अपने पति को परख कर देखू ।
शालिनी ने जैसे ये सोचा उसके मन मे ढ़ेरो सवाल ने जगह बना ली
" अगर इसके पापा सच मे निशा को चोदना चाहते होगे तो "
" क्यू ना दोनो का सेक्स करवा दिया जाये , लेकिन कैसे और किसी को भनक लग गयी तो "
"अरे मेरा और राज का किसी को पता नही है तो ये भी पता चलेगा "
"क्या निशा राजी होगी और ये ? "
" क्या ये सही होगा बाप बेटी को मिलाना जबकि मेरी बेटी बहुत भोली है "

शालिनी ने ढ़ेरो सवाल से घिरी हुई थी आखिर उसने तय किया कि वो पहले जंगीलाल को परखेगी फिर निशा से उसका मन टटोलेगी ।
फिर कुछ तय करेगी ।


थोडी देर बाद सारे लोग खाना खा कर अपने कमरो मे चले गये ।

जंगीलाल भी अपने कमरे मे बैठा हुआ था और शालिनी अपनी साडी गहने निकाल कर उसके पास ब्लाउज पेतिकोट मे जाती है ।

जंगीलाल खाने के समय हुई बात को लेके - तुम मुझे हर बार ऐसे क्यू देखती हो

शालिनी उसकी गोद मे जाकर दोनो ओर पैर रख कर उसके सामने बैठ गयी - कुछ नही मै तो बस अपने बेटी के दिवाने पर नजर रखे हुए थी ।

जन्गीलाल उसके कमर मे हाथ डालते हुए - हम्म्म तो क्या देखा तुमने

शालिनी मुस्कुरा के उसके होठ चुस्ते हुए - आजकल बड़ा शरीफ हो गये हो ,,नजर तक नही डालते उम्म्ं

जंगीलाल का लण्ड तनने लगा और वो शालिनी के कूल्हो को सहलाते हुए - नजर कैसे नही जायेगी ,,वो तुम्हारा ही अंश है तुम जितनी ही कातिल है वो भी
शालिनी इतराते हुए अपने चुतडो को जन्गीलाल के जांघो पर घिसते हुए ब्लाउज खोलना शुरु कर दिया और उसकी आंखो मे देखते हुए बोली - ओह्ह तो इतनी पसंद आने लगी है वो अब उम्म्ंम

जंगीलाल अपने लण्ड के मुहाने पर पेतिकोट के अन्दर से शालिनी की चर्बीदार गाड़ की घिसाई से सिहर उठा और उसके कूल्हो को मजबूती से पकड कर दबोचते हुए अपना लण्ड सख्त करते हुए उसके चुतडो मे घिसने लगा ।

जंगीलाल कसमसा कर - उसे देखता हू तो लगता है तु फिर से जवाँ होकर मेरे पास आ गयी है ,,जैसे शादी के पहले थी । फुल सी नाजुक और भरी हुई


शालिनी अपने चुतडो पर जन्गीलाल के पंजो की कसावात और जवानी के दिनो की यादे ताजा होते ही कसमसाइ ।
शालिनी अपना ब्लाउज खोल कर नंगी चुचियो के निप्प्ल सहलाते हुई - ओह्ह मेरी जान इतनी पसंद थी मै क्या तब

जन्गीलाल आहे भरता हुआ अपनी जीभ निकाल कर शालिनी के कड़े हुए मुंक्के जैसे निप्प्ल को चाटकर - हा मेरी जान,,जी तो चाहता है काश तु फिर से वैसे ही जाती और वो सुख मुझे फिर से मिल पाता


शालिनी अपने जवानी के दिनो की यादे ताजा करते हुए अपने चुची पर जंगीलाल के गीली जीभ को मह्सूस करती हू पागल सी होने लगी ।

जन्गीलाल ने देखा कि शालिनी को उसके जवानी के दिनो की यादो मे बहुत अच्छा मह्सूस हो रहा है तो वो बातो को आगे बढ़ाते हुए - एक बार फिर से मै तुम्हारे उन नाजुक मुलायम चुचो को मसल कर फुला देता और वो नरम चुतडो को हाथो मे भर लेता

शालिनी वो पल याद करके सिस्क रही थी और अपने चुचे भी मस्ल रही थी - उम्म्ंम तो लेलो ना मजे मेरी जान,

जंगीलाल शालिनी के चुचो को पकड कर उन्हे भर कर चुस्ते हुए -उम्म्ंम कैसे मेरी जान

शालिनी कससमा कर - उम्म्ं हमारि लाडो है ना सीईई आह्ह

शालिनी के मुह से निशा का जिक्र होते ही जंगीलाल का लण्ड फनफना गया और उसके शालिनी के चुचो और कस कर मसल दिया - उम्म्ंम ये क्या कह रही हो जान सीई वो हमारी लाडो है ना उम्म्ंम


शालिनी सिस्क कर - तुम ही कह रहे थे ना कि उसमे तुम्हे मेरी जवानी नजर आती है अह्ह्ह उन्मममं

जन्गीलाल का दिल जोरो से धडक रहा और उसके चुचो पर हरकत धीमी होने लगी थी - सीई हाआ मेरी जान, वो तुम जैसी ही है

शालिनी - तो लेलो ना मजे उससे ,मै नही रोकूँगी उम्म्ंम्ं

जंगीलाल तडप कर रह गया और फौरन वो शालिनी लेके लेट गया और खुद उसके उपर आ गया

जन्गीलाल शालीनी के पेतिकोट को जांघो तक चढा कर । उसके जांघो को खोलता हुआ उपर आ गया और शालिनी के दोनो हाथो को पकड कर उपर करते हुए उनकी नंगी चुचिया काटने लगा

शालिनी ने देखा कि जन्गीलाल तो जोश मे आ गया है - ओह्ह्ह मेरी जान उम्म्ं आराम से ,,,ऐसे तो लाडो की कोरी चुचियो पर निशान देदो तुम सीई ओह्ज्ज

जंगीलाल शालिनी की बातो से और भी जोशील हो गया मगर बहुत प्यार से शालिनी के चुचियो को सहलाकर उन्हे हल्के हल्के चुसने के बाद ,, बडी मदहोशि से शालीनी की आंखो मे देख कर - नही मेरी जान मै मेरी लाडो को थोडी भी तकलिफ नही दूँगा

जंगीलाल वापस से उसकी चुचिया बडे प्यार से पीने लगा
शालिनी मुस्कुराई और उसके सर को सहलाते हुए - बस उसकी चुचिया ही पीयोगे क्या मेरी जान

जंगीलाल सिहर गया और अपना लण्ड पेतिकोट के उपर से ही शालिनी चुत पर घिसता हुआ - नही मेरी जान,,मै तो उसकी कोरी कोरी चुत मे लण्ड भी डालूंगा ....ऐसे देखो ऐसे अह्ह्ह

जंगीलाल अपना लंड शालिनी के चुत के उपर घिस कर उसे बताता है ।

शालिनी - ओह्ह मेरी जान उसे भी ना बड़े प्यार से चोदना मेरी तरह ,, उसे डर लगता है

जंगीलाल समझ गया कि शालिनी की निशा के साथ कोई बात चित हुई थी । वो अपना लण्ड निकाल कर शालिनी का पेतिकोट उपर कर चुका था और एक करारा धक्का मारकर उसकी चुत मे जड़ तक घूसने के बाद ,वो उसके उपर आ गया ।

जंगीलाल- कैसा डर मेरी जान??

शालिनी - वो लाडो बता रही थी कि वो सेक्स के डर से शादी नही करेगी ,,,उसे आपके जैसा पति कहा मिलेगा जो आपके जैसे प्यार से उसकी चुदाई करे

जंगीलाल का लण्ड शालिनी की बुर मे अब और भी कसने लगा - ओह्ह्ह क्या लाडो ने ऐसा कहा ,,और कब बताओ ना जानू

शालिनी - वो आज जब सोनल की मा ने उसकी शादी की बात छेड़ी तो वो मना कर दी ,,उह्ह्ह उम्म्ंम बाद मे मैने पुछा तो बताया कि वो पहले सेक्स से डरती है

जन्गीलाल हल्का हल्का शालिनी के चुत मे लण्ड घिस्ता हुआ -फिर मेरी जान

शालिनी मुस्कुरा कर - फिर ऐसे ही बातो बातो मे उसने हमारे सुहागरात के बारे मे पुछा और मैने बताया कि पहली बार कैसे प्यार से आपने मुझे चोदा था । तो कहने लगी कि मम्मी मुझे भी पापा जैसे पति चाहिये जो प्यार से मेरी ले ।


जंगीलाल का लण्ड उफान पर था और वो शालिनी की रिस्ती हुई चुत मे मोटा हुआ जा रहा था

जंगीलाल - कोई बात नही मेरी जान मै उसे भी बडे दुलार से चोदूंगा उम्म्ंम्ं

शालिनी खुश होकर - सच मे मेरी जान
जंगीलाल अपने धक्को की गति बढा कर - हा मेरी जान,,वो हमारी लाडो है और मै चाहता उसे थोडा भी दर्द हो

शालिनी समझ गयी कि उसका पति अपनी बेटी को चोदना चाहता ही है और वो इस अनुभव से बहुत उत्तेजित मह्सूस कर रही थी कि कैसा होगा वो मिलन जब जन्गीलाल उसके सामने अपनी बेटी की चुत मे लण्ड डालेगा ।

शालिनी रोमांच से भर गयी उसने अपनी झड़ती चुत को फिर से अपने पति के लंद पर कसा और बोली - ओह्ह तो सच मे आप हमारी लाडो को चोदोगो ,,,बिल्कुल मेरी तरह जैसा मुझे चोदे थे

जन्गीलाल जोशीला होकर लण्ड को शालिनी की बुर मे पेलता हुआ - हा मेरी जान उसको पहली चुदाई का सुख मै ही दूँगा ,,,

शालिनी कसमसा कर - आह्ह जान हा दे देना ,,वो भी मजे करना चाहती है ,,उसे अपने लण्ड से चोद दो उम्म्ंम्ं और पेलो मुझे ,,अह्ह्ज अह्ह्ह उम्म्ंम ऐसे ही कस कस के पेलना अपनी बेटी को ,,उसकी चुत भी खोल देना आह्ह


जंगीलाल अब पुरे जोश मे तेजी से शालिनी की चुत मे लण्ड पेल रहा था - हा मेरी जान,,बहुत पेलूउँगा उसे उम्म्ं अह्ह्ह मै आ रहा हू ओह्ह्ह

शालिनी तेजी से लण्ड निचोडते हुए कमर झटकने लगी -हा मेरी जान पेलो रुक्ना मत अह्ह्ह अह्ह्ह ओह्ह्व और तेज्ज्ज्ज उम्म्ंम्ं माआह्ह अज्ज्ज मजा आ रहा है मेरा भी आयेगा ओह्ह्ह मेरे राअजज्आआ ओह्ह्ह हा ऐसे ही ओह्ह्ज उम्मममं


अगले कुछ झटको मे दोनो झड़ने लगे और ऊनके रस आपस मिलने लगे ।
जंगीलाल थककर शालिनी के उपर ढह गया और गहरी सासे लेने लगा ।


जारी रहेगी
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
 
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UPDATE 144

पिछले अपडेट के आपने पढा कि कैसे शालिनी ने बिस्तर पर जन्गीलाल से उसके दिल की बात निकलवा ली और उसे निशा को चोदने के लिए राजी भी कर लिया , देखते है आगे वो निशा को इस चीज़ के लिए कैसे बात करती है ।


लेखक की जुबानी


अगली सुबह निशा के घर मे रोज का रूटीन रहा , शालिनी नासता बना रही थी कि निशा नहा कर उसकी मदद के लिए किचन मे आती है ।

निशा इस समय एक टीशर्ट और प्लाजो के थी ।
शालिनी एक नजर उसे देखती है और मुस्कुराते हुए वाप्स काम मे लग जाती है ।

निशा को समझ नही आता है कि उसकी मा आखिर उसे देख कर मुस्कुराइ क्यू ?

निशा - मा आप मुस्कुरा क्यू रहे हो मुझे देख कर ,,मैने कपडे ठिक नही पहने क्या

शालिनी हाथ मे लिया बेलन से निशा के काले रंग के हल्के महीन सूत वाले पलाजो मे झलकती उसके गोरी गाड़ के उभार पर मारती हुई - ये क्या सुबह सुबह झलका रही है । तेरे पापा देख लिये तो ???

निशा समझ गयी कि उसके पलाजो का कपड़ा हल्का है और उसने पैंटी नही पहनी तो थोदा बहुत दिख रहा होगा । वो मुस्कुरा कर - अरे मा वो इस पलाजो का अस्तर खराब हो गया था तो कल काट कर निकाल दी हू हिहिहिही

शालिनी - तो जा बदल ले कुछ और पहन ,सब दिख रहा है

निशा हस कर - क्या मा आप भी , वैसे भी कौन निहारेगा । मै तो पुरा दिन घर मे हू हिहिहिही

शालिनी - अरे तो घर मे मर्द नही है क्या !!! तेरा भाई है और तेरे पापा ?

निशा मन मे - भाई ने तो सब देखा हुआ है ,,,हा पापा आजकल जरुर कुछ ज्यादा ही मेरे कूल्हो पर नजर रख रहे है हिहिही

निशा - ओहो तो क्या उससे ?

शालिनी - क्या हुआ की बच्ची ! तेरे पापा मुझे डांटते समझी

निशा को हसी आई और वो अपनी मा को छेड़ने के लिए- ऐसी बात है तो रुको मै खुद पापा से पुछ लेती हू कि उनको मेरे कपड़ो से क्या तकलिफ है ।

निशा किचन से बाहर निकाली और यहा शालिनी हड़बड़ा गयी कि एक तो पहले ही जन्गीलाल ने उसको निशा पर रोकटोक ना लगाने को कहा था और कल रात मे जो हुआ उसके हिसाब से उसे निशा को तो बिल्कुल भी नही रोकना चाहिए ।


मगर जबतक शालिनी उसे रोकती निशा पैर पटकते हुए अपने पापा के कमरे मे जा चुकी थी और वहा जन्गीलाल अपना कपड़ा पहन रहा था ।

तब तक शालिनी भी आ गयी और निशा के कुछ बोलने से पहले ही उसने उसे रोकना चाहा ।

निशा - पापा आपको मेरे कपडे खराब लगते है क्या ?

जंगीलाल को कुछ सम्झ नही आया और ऊसने निशा को उपर से निचे झाका तो पलाजो मे उसकी गोरी जान्घे झलकती दिखी और उसका लण्ड अकड गया - नही तो बेटा, मै कब कहा कुछ तुझे ।

निशा - तो देखो ना मा हमेशा आपका नाम लेके डराती है मुझे कि ये मत पहन वो मत पहन , तेरे पापा डाटेंगे

जंगीलाला शालिनी को आंख दिखाता हुआ इशारे मे पुछा कि ये सब क्या है ? क्यू कर रही है वो

शालिनी - अरे नही जी वो तो मै बस ऐसी ही बोली ,,,ये भी ना पागल है ।

जंगीलाल - ऐसे भी ना बोलो भई उसे । उसकी जो मर्जी पहने वो ।

जन्गीलाल निशा से - बेटा तेरी जो मरजी हो वो पहना कर ,,मै तो कहता हू कुछ ऐसा पहन कि तेरी मा को खुब जलन हो हिहिहिही

निशा भी खुश हुई कि उसके पापा ने उसका साथ दिया और वो अपनी मा को भौहे दिखा दिखा कर हसने लगी ।


निशा तुनक कर - हा और क्या ,,खुद तो साडी पहन कर रहती है तो इनको गर्मी मे प्रोब्लम नही होती है ,,लेकिन मुझे होती है ना

जन्गीलाल निशा के पास जाकर उसे अपने गले से लगा कर -तो तु भी पहन ले ना लाडो,, तेरे पापा की तो साड़ीयो की दुकान है तुझे कहा कुछ खोजने जाना है ।

निशा - हा लेकिन मुझे पहनाने कहा आता है और मम्मी मुझे सिखाती ही नही ।

जन्गीलाल - अरे तो क्या हुआ मै हू ना ,,मै तुझे पहनाना सिखा दूँगा

ये बोल कर जंगीलाल ने शालिनी को आंख मारा और इशारे ये कह दिया कि वो साडी वाले मामले से दुर ही रहेगी ।

शालिनी मुस्कुराने लगी और किचन मे चली गयी ।

जन्गीलाल - चल आज गर्मीयो पहनने वाली साड़ीया दिला दूंगा ,,तु अपने नाप के ब्लाउज बना लेना फिर मै तुझे पहनना सिखा दूँगा ??


निशा खुश हुइ और चहक कर अपने पापा के गले लगी रही ,,,उसके मन भी कुछ रोमांचक सा चल रहा था । क्योकि हाल के दिनो मे उसने भी अपने पापा की हरकतो और उनकी हवस भरी नजरो को ध्यान दिया था । वो जानती थी कि उसके पापा मौका पाकर उस्के साथ कुछ जरुर करेंगे । वो अनुभ्व की कल्पना से ही निशा की चुत गीली होने लगी थी ।


नासते के बाद निशा अपने पापा के पास गयी तो जन्गीलाल ने दो बढिया सिफान की हल्की साड़िया दी उसे ।

निशा - पापा इस्का ब्लाउज मै सोनल दीदी से बनवाउन्गी वो अच्छा सीलती है

जंगीलाल को लगा कि शायद ये आज ही हो जायेगा ,,मगर दो चार दिन की बात थी तो वो रुक गया ।

जन्गीलाल - कोई बात नही बेटा जब भी तेरा बन जाये मुझे बता देना

निशा खुश हुई और चहकते हाल चावल साफ करती हुई अपनी मा के सामने हसी मानो उसे जीत मिल गयी हो

शालिनी उसकी नादान भरी हरकतो और अपने पति की चालाकी पर हसी आ रही थी ।

शालिनी चावल साफ करते हुए - पापा की चमची ,,,ज्यदा दाँत ना दिखा ,,दाल चढा जल्दी से।

निशा - हा अभी आयी मा
उसके बाद निशा किचन के कामो मे व्यस्त हो गयी ।

रात मे कल की तरह आज भी जंगीलाल ने शालिनी के साथ निशा को चोदाने वाली बात चर्चा की और उसे अपनी योजना ब्तायी ।

शालिनी उसकी योजना सुन कर थोडा बहुत अपने पति को छेडा कि जलद ही उसे एक नयी चुत मिलेगी ।
फिर वो दोनो सो गये ।



राज की जुबानी


अग्ली सुबह मै उठा कर रोज की तरह नासता करके तैयार हुआ और दुकान चला गया ।


वैसे तो आज शॉपिंग के लिए जाना था लेकिन मा ने कहा कि शादियो का सीजन है तो दोपहर तक दुकान देख ले । फिर वही आजाना ।


मै दोपहर तक दुकान पर रहा और फिर सिधा सरोजा कॉम्प्लेक्स पहुचा

वहा पहुचकर मैने सोनल को कॉन्टैक्ट किया तो पता चला कि वो लोग उपर के फ्लोर पर है और अभी दुल्हे का ड्रेस देखा जा रहा है ।

मै वहा पहुचा और पहले अमन से मिला और फिर उसके मम्मी के पाव छुए ।
अमन की मा को देख कर किसी का लण्ड ना खड़ा हो वो मर्द कैसा । क्या बवाल चीज़ थी यार ,,, कहने को तो सूट सलवार मे थी लेकिन इतने भारी चुतड तो मेरी शिला बुआ के नही थे । वो जब माल मे टहलती तो मेरी नजरे बस उसकी थिरकती हुई चुतडो पर जमी हुई थी ।

खैर थोडे समय बाद दूल्हा दुल्हन का ड्रेस ले लिया गया।
फिर मै राहुल अमन और अनुज जेन्स वाले सेकसन मे गये और वहा कपड़ो की शॉपिंग करने लगे ।

इधर सोनल, निशा को कुछ अच्छा सा ड्रेस दिलाने लगी । वही मा और चाची , ममता को लिवा कर साड़ियो वाले डिपार्टमेंट मे ले गये ।



लेखक की जुबानी

रागिनी - अरे समधन जी आईये तो ,, आप एक बार ट्राई करिये यहा बहुत अच्छी साड़िया मिलती है

ममता - नही नही समधन जी जिद ना करिये ,,मै सूट ही पहनूंगी

रागिनी - देखीये अगर आप बिना साडी पहने बारात लेके आयी तो , मै मेरी बेटी को विदा नही करूंगी

ममता हस कर - ओह्हो आप समझ क्यू नही रही है ,,मेरे लिए बड़ा मुश्किल हो जाता है साड़ी मे

शालिनी - क्या जीजी झूठ क्यू बोलती है ,, सगाई वाले दिन कितना खिल रही थी आप ।भाइसाहब(मुरारीलाल) तो नजर ही नही हटा पा रहे थे हिहिहिही

ममता शर्म से लाल होकर मन मे ( अरे सिर्फ वही देखे तो बात अलग थी ना ,,बाकी के मेहमानो ने भी तो मजे ले लिये उस्का क्या )

ममता - धत्त आप भी ना छोटी समधन जी हिहिही वो बात ऐसी है कि मै मेरे ब्लाउज पेतिकोट पड़ोस की एक बहू है उसे ही सिल्वाती हू । इस समय वो पेट से है और ब्लाउज तैयार नही हो पायेगा ना ।

रागिनी हस कर - धत्त बस इतनी सी बात , अरे आपकी बहू को सारे गुण आते है ।

शालिनी - हा तब क्या ? सोनल को सीलना आता है जीजी ,,आप उसी से सीलवा लो ना

ममता - अरे नही नही,,अभी से बहू को परेशान करू अच्छा नही लगता

रागिनी - मै कुछ नही जानती आप साडी पसंद करिये और आज शाम को सोनल के पापा दुकान से आते वक़्त आपके यहा चले जायेंगे । आप उन्हे अपना कोई ब्लाउज दे देना और नये वाले पीस भी


ममता हिचक कर - लेकिन समधि जी आयेंगे लेने ??

रागिनी हस कर - अरे आपके समधि जी ब्लाउज लेने आ रहे है उसके अंदर का खजाना नही ।

ममता हस कर शर्म से लाल हो गयी - धत्त आप भी ना । कैसी बाते कर रही है हिहिही

शालिनी - चलिये जीजी अब तो पसंद कर लिजिए साडी

ममता हस कर - अच्छा ठिक है चलिये


फिर दोनो ने ममता के लिए साड़िया पसन्द की और इस दौरान रागिनी ममता को किसी ना किसी बहाने छेड़ती रही और हसी मजाक करती रही । ताकी उसकी झिझक शादी तक कम हो जाये और उनकी रिश्ते मे थोडी मज्बुती भी आ जाये ।


थोडी देर बाद सारे लोग एकजुट हुए और अनुज को उसका नया लैपटॉप मिल गया था । वो भी काफी खुश था ।

बिलिन्ग के बाद सारे लोग अपने अपने घर चले गये ।

इधर चौराहे वाले घर पहुच कर रागिनी ने रन्गीलाल को कहा कि आते वक़्त समधन से उनका ब्लाऊज लेते आना ।

इस बात पर रन्गीलाल की आंखे चमक गयी और लण्ड फैल गया ।

इसी वजह से आज वो जल्दी ही दुकान से शाम को करीब 6 बजे ही निकल गया । फिर उसने एक किलो मिठाई ली और चल दिया अमन के घर की ओर


गेट खोलकर वो घर मे दाखिल हुआ तो अमन कही बाहर जा रहा है । उसने रंगीलाल को प्रणाम किया और थोडी देर मे आने का बोल कर निकल गया ।


रंगीलाल अन्दर हाल मे गया और आवाज दी - भाईसाहब कहा है ??

तभी ममता सूट सलवार पर दुपट्टा चढ़ाते हुए अपने कमरे से आई - अरे आप आ गये ,,,नमस्कार बैठीये , खड़े क्यू है ?

रन्गीलाल मुस्कुरा कर - अरे ठिक है भाभी , और बताईये क्या हाल चाल है ?

ममता - जी सब ठिक है

रंगीलाल - वो सोनल की मा कह रही थी कि आपसे आपका ब्लाउज लेना है मुझे

रंगीलाल ने सीधे शब्दो मे बडी बेशरमी से ब्लाउज माग लिया जिससे ममता थोडी सी झेप सी गयी - अ ब ब हा वो बात हुई थी आज हमारी

रंगीलाल - अच्छा फिर लाईये

ममता - अरे आप बैठीये मै कुछ नासता लाती हू ,फिर

रंगीलाल ममता के पेट पर पसीने से भीग कर चिपके हुए सूट को निहारता हुआ - अरे नही भाभी जी वो गर्मी इतनी है कि कुछ खाने की इच्छा नही है । आप परेशान ना होईये

ममता - अच्छा ठिक है रुकिये मै वो कपड़ा लाती हू

रंगीलाल मुस्कुरा कर - जी जरुर

फिर ममता वाप्स कमरे की ओर घूमी , उसके कमर पर भी सूट पसीने से चिपक गया था और कुल्हे ही मादक थिरकन ने रंगीलाल को लण्ड मसलने पर मज्बुर कर ही दिया ।

थोडे समय बाद ममता एक कपडे का झोला लेके आयी और हाथ मे उसके एक अस्तरदार ब्लाउज लटक रहा था ।

ममता रंगीलाल के सामने वाले सोफे पर बैठ गयी । ब्लाउज का पीस और अपना एक ब्लाउज सिला हुआ उसे पकड़ाकर - लिजिए भाईसाहब और बहू से कहियेगा कि बाजू थोडा लम्बा वाला ही बनाये ।


रंगीलाल ने एक बार ममता के सामने उसका ब्लाऊज फैलाया और उसके बड़े बड़े गहरे कप देख कर उसको थुक गटकने की नौबत आ गयी थी ।

ममता को थोडा अटपटा महसूस हो रहा था कि उसका समधि उसके ब्लाउज को हाथ मे लेके उसे जाच परख रहा है

रंगीलाल उस ब्लाऊज को भी झोले मे रखता हुआ - भाभी जी एक बात कहू ,, अगर बुरा लगे तो माफ करियेगा

ममता मुस्कुरा कर - अरे भाईसाहब आप भी ना ,,कहिये क्या बात है ।

रंगीलाल - आप इस गर्मी मे पूरी बाह का ब्लाऊज बनवाने को कह रही है ???

ममता - हा लेकिन मुझे सूट पहनने की आदत है ना तो ब्लाउज पूरी बाह की ही बनवाति हू ।

रंगीलाल - लेकिन आप एक बार वैसे भी ट्राई करिये वो भी अच्छा दिखेगा

ममता को रन्गीलाल से ऐसी बात करने मे झिझक और लाज आ रही थी इसिलिए वो बात को खतम करने के लिए- अच्छा ठिक है आप बहू से कह दीजियेगा कि जैसा उसे पसंद हो वो सील दे । मै ऐतराज नही करूंगी


रंगीलाल खुश हुआ और मन ही मन उसने तय किया कि वो सोनल को ऐसा कुछ डिजाइन बतायेगा कि ममता की जवानी खुल कर सामने आयेगी और वो उसके मजे ले सकेगा ।

थोडी देर बाद रंगीलाल वहा से भी निकल गया
और अपने घर जाकर उसने रागिनी को बताया कि ममता ने कहा है कि ब्लाऊज डीप गले मे और स्लिवलेस मे सीलना ।


रागिनी हस कर - ये समधन जी का भी कुछ समझ नही आता ,,,अभी आज माल मे साडी लेने से मना कर रही थी और अब एकदम से मॉडर्न लूक चाहिये हिहिहिही

रन्गीलाल हस कर - अरे कोई बात नही ,,,उनकी इच्छा है सीलवाने दो , तुम बताओ तुम कैसा डिजाइन बनवा रही हो

रंगीलाल ने रागिनी के कुल्हो को सहला कर कहा ।
रागिनी उसे झटक कर - धत्त क्या जी आप भी ,, सोनल किचन मे ही है ।


रंगीलाल ने एक नजर किचन मे सोनल को काम करते देखा तो शांत हो गया ।


इधर अनुज उपर अपने कमरे मे आज जब से माल से आया था लैपटॉप मे व्यस्त था ।
उसने दो बार फुल एचडी क्वालिटी मे पोर्न देख कर हिलाया और सो गया था ।
आज का दिन भी रोज की तरह दोनो परिवारो मे बीत गया ।



________********_______*********___________******

अगले दो तीन दिनो तक सब वैसे ही चलता रहा ।
जन्गीलाल बहाने बहाने से निशा के पास जाता और उसे थोडा दुलार देता , उसके कपड़ो के उपर से ही उसे अपनी नजरो मे नंगा कर लेता । निशा भी सब समझ रही थी लेकिन उसने कभी इस बात पर कोई खास ध्यान नही दिया ।

इधर सोनल के शादी के कार्ड छप कर आ चुके थे और उसे बाटने की तैयारिया शुरु होने वाली थी । वही सोनल ने निशा के ब्लाउज तैयार कर दिये थे ।


राज की जुबानी

शाम को रोज की तरह दुकां बंद करके मै घर आया था और शादियो की चर्चा ही जारी थी ।
कार्ड पर नाम लिखे जा रहे थे कि कैसे किसको कहा बाटना है । खैर कार्ड बाटने की जिम्मेदारि मेरी थी ।

मा - देख ये पहला कार्ड तो तेरे नाना के यहा जायेगा ,,फिर वहा दो एक दिन रुक कर तु रज्जो दीदी के यहा चला जाना ।

मै - और बुआ के यहा

मा - फिर वहा से शिला जीजी के यहा चला जाना और वहा भी एक दो दिन रुक लेना जैसी तेरी मर्जी

मै - हा मा बुआ के यहा गये काफी समय हो गया है , मै तो वहा रुकुंगा ही

मा - हा लेकिन रह मत जाना वही ,, यहा और भी काम रहेंगे ,,फिर गाव मे , फिर यहा टाउन मे भी सबको कार्ड देना है ।

मै - अरे मा आप टेन्सन ना लो ,, आप मेरा बैग पैक करवा दो कल सुबह ही मै निकल जाऊंगा मामा के यहा

मा - हा ठिक है


फिर ऐसे ही थोडी चर्चाये बढी और मै खा पीकर अपना बैग तैयार करने मा के साथ कमरे मे चला गया


जारी रहेगी
बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गया
 
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UPDATE 145

पिछले अपडेट मे आपने पढा कि एक ओर जहा जंगीलाल निशा को साड़ी पहनाने के इरादतन अपनी हवस भरी योजना शालिनी को समझा देता है वही सोनल के शादी के कार्ड छप चुके हैं और आज से राज उन्हे बाटने के लिए रिश्तेदारो के यहा जाने वाला है । देखते है उसका ये सफ़र कहानी मे क्या नया मोड़ लाता है ।


राज की जुबानी

रात मे मैने अपना बैग तैयार किया और फिर मा की दो बार चुदाई भी की । इस आश मे कि पता नही रिस्तेदारो के यहा क्या माहौल हो ,कुछ बात बने भी या नही ।

अगली सुबह मै उठ कर तैयार हुआ और अपना एक बैग लेके बस स्टैंड पर खड़ा बस की राह देख रहा था । मैने मा को कहा था कि किसी को ना बताये कि मै उनके यहा कार्ड देने आ रहा हू । इस बार सबको चौकाने का प्लान था मेरा ।

खैर 8 बजे बस मिली और मै सबसे पहले शगुन का कार्ड लेके निकल गया नाना के यहा ।

शादियो का सीजन था तो बस सफ़र भी काफी हसिन था ,, नयी नयी जवाँ गदराई भाभिया और आंटियों के जोबनो ने तो कहर ढा रखा था । मगर इस बार मामा के यहा की सड़क पूरी तरह से चकाचक थी तो मुश्किल से आधे घन्टे ही लगने वाले थे मुझे मामा के यहा पहुचने मे ।
इसिलिए रास्ते मे किसी महीला से कोई खास बात चित नही बनी ।

उपर से एक बुढिया के लिए नैतिकता के मारे अपनी सीट छोडनी पडी सो अलग ।
खैर खडे होने का भी फायदा मिला , सामने की सीट पर बैठी दो जबरदस्त छातियो वाली औरतो के उपरी हिस्से की दरारे दिखती थी और मै भी आड़ी तिरछी नज़र से उन्हे देख कर मुस्कुराता रहा । मन मे ही अपनी हसिन मा , मामी , मौसी और शिला बुआ से तुलना करते हुए कि अगर ये नंगी होकर बिस्तर पर जान्घे फैलाये लेती होगी तो किसके जैसे लगेगी ।


खैर मेरी काल्पनिक चुदाई तो नही पूरी हुई उससे पहले ही नाना का गाव आ गया ।

मै चौककर होश मे आया तो ध्यान आया कि ऐसे खड़ा लण्ड लेके निचे कैसे उतरु ।
तो मजबुर बैग को आगे करना पड़ा और किसी तरह से निचे आया ।

थोडे ही देर मे खुद ही वो भी नीरस हो गया ।
सुबह का ही अभी समय था तो काफी चहल पहल थी , लोगो का आना जाना बना हुआ था । मै टहलता हुआ नाना के घर की ओर बढ गया ।

घर पर जाकर मैने छोटे गेट से एन्ट्री ली और मेरी नजर छत की चारदिवारी पर कपडे फैलाते मामी पर गयी ।

उनका ध्यान मुझ पर गया ही नही ,मैने चुपचाप अपना बैग वही गेट के बगल वाले जीने पर रखा और धीरे से उपर चल दिया ,,,

मामी इस समय साडी पहने हुए थी और मेरी ओर पीठ किये झुक कर बालटी मे कपडे निचोड रही थी । मै धिरे से उनके करीब गया और आस पास नजर फेरी फिर धीरे से मामी के गाड़ सहलाया ।


मामी कसमसा कर उठते हुए - उम्म्ं ह्ह बाऊज.....
मामी इतना बोल के रुक गयी क्योकि उनकी नजरे मुझ पर आ गयी थी ।

वो थोडा चौकी और हकला कर -अररे बाबू आप ,, क्या बात है बड़े सवेरे
मै थोडा कन्फुज हुआ कि अभी मामी क्या बोलने जा रही थी और क्या बोल गयी ।

खैर मैने उन्हे नम्स्ते किया और फिर हम दोनो निचे गये

मै नाना के कमरे मे गया और उनसे मिला और वही बैठा हुआ था कि मामी एक ट्रे मे पानी लेके आयी ।

मेरी नजरे नाना पर गयी तो वो मामी को कुछ अलग ही ढंग से निहार रहे थे । आखिरी बार जब मै आया था तो मामी कभी बिना पल्लू किये नाना के सामने नही जाती थी , आज कुछ अलग ही मह्सूस हुआ ।

मामी ने भी एक बार कनअखियो से नाना को देख कर मुस्कुराई ।
ना जाने क्यू ये सब देख कर मेरा लण्ड अंडरवियर मे सर उठाने लगा और मन मे ये विचार आने लगे कि कही नाना ने मामी को ठोक तो नही दिया ।


नाना - अरे बहू जरा गीता बबिता को बोल दो ,,,राज आया

मामी - जी बाऊजी ,, वो अभी दोनो नहा रही है

मै - नही मामी उनको अभी बोलना नही ,,मै सरप्राईज दूँगा हिहिही

नाना - हा भाई ,,वैसे भी आज तुने चौका ही दिया मुझे भी

मै - क्यू खुश नही हो क्या आप मेरे आने से

मैने एक नजर मामी को देखा और फिर नाना को ।
नाना ने पहले मामी को देखा और फिर थोडा अटक कर - अरे बेटा ऐसी कोई बात नही है । तु तो मेरे लाडला है रे ,,, तुझे देख कर तो मेरी जीने की इच्छा और बढ जाती है ।


मै - बस बस फेकिये मत ,, एक भी फोन नही आता आपका ,,आपके नाती के पास

नाना हस कर रह गये और मामी से बोले - बहू जरा जल्दी से खाना तैयार कर लो ,,, ये भी भुखा ही होगा

मामी हा बोलकर किचन मे चली गयी ।

उनके जाते ही मै - ओहो नानू ,, तब आज मुझे अपनी गाव वाली गर्लफ्रेंड से मिलवाओगे की नही

नाना ठहाका मार के हसे - हाहहहा बदमाश कही का ,,, चल आज कमली से तुझे मिलवा दूँगा

मै आंखे नचा कर - क्या नानू बस मिलवाओगे ???

नाना हस कर - तो तेरी क्या इच्छा है बता

मै खिखी करके हसा - आप तो जान ही रहे हो ना हिहिहिही

नाना हस कर - हाहहहा अरे तो शर्मा क्या रहा है ,,सीधा बोल ना कि आज मूड में है

मै शर्माने की ऐक्टिंग करता हुआ हसने लगा
मै - अच्छा वो सब ठीक है लेकिन पहले जिस काम के लिए आया हू वो तो कर लूँ

नाना मुस्कुराने लगे ।
फिर मैने बैग से कार्ड निकाले और नाना को हाथ मे देते हुए - नाना ये लिजिए । सोनल दिदी की शादी का कार्ड । दीदी ने कहा है कि कोई आये या ना आये आपको आना ही है


नाना थोडा भावुक हुए और कार्ड को माथे से लगा कर थोडा भगवान को याद किया और बिस्तर से उतर कर - आ चल मेरे साथ

मै - अरे कहा

नाना - आ तो

फिर नाना मुझे घर मे मामी के कमरे के बगल मे बने मंदिर वाले हिस्से मे ले गये और वहा जाकर उन्होने वो कार्ड भगवान जी को अर्पित किया और दिदी के लिए प्रार्थना की ।

मैने भी श्रद्धा सुमन से आंखे बंद कर ली और मन ही मन प्रार्थना किया कि दिदी की शादी सफल हो ।

फिर हम लोग मंदिर से बाहर जैसे ही खुले मे आये कि उपर छत पर गीता नहा कर कपडे डालने गयी थी और उसने मुझे देख लिया ।

वो खुश होकर तेजी से चिल्लाते हुए मेन गेट वाले जीने से निचे आई और मुझसे लिपट गयी ।

उसके मुलायम जिस्म से साबुन की भीनी सी खुस्बु आ रही थी , उसने मुझे कस कर पकड़ा हुआ था और उसके चुचे की स्पंजिनेस साफ पता आभास हो रही थी ।

मगर मैने नाना का लिहाज किया और उसके माथे को चूम कर उसको खुद से अलग किया - अरे छोड़ मीठी हिहिहिही

गीता मुझसे बच्चो के जैसे लिपटे हुए आंखे उपर करके - आप ने बताया क्यू नही कि आप आ रहे हो

मै- मुझे सरप्राईज देना था ना
मेरी बात खतम हुई ही थी कि बबिता ने भी निचे से मुझे देख लिया और वो भी भाग कर आई और गीता के बगल से मुझसे लिपट गयी ।

मेरा बैलेंस बिगड़ने लगा - अरे हिहिही छोडो तुम लोग नही तो गिर जाऊंगा

नाना - बेटा छोड दे उसे ,,

बबिता ने तो छोडा लेकिन गीता मुझसे लिपटी रही

मै- अब क्या तुझे गोदी गोदी करु
गीता मासूम सा चेहरा बना कर - हम्म्म्म प्लीज ना भैया

नाना हसने लगे और मैनेउसे निचे झुक कर उठा लिया और बडी मुश्किल से आठ दस कदम ले जाकर उतार दिया ।

वो खिलखिला कर हसी और मुझे गालो पर चुम्मिया दी

नाना - अब बस कर उसे परेशान ना कर ,,,जा अपने भैया के लिए खाना बनवाने मे बहू की मदद कर

गीता चहकी - अरे हा ,, मै मेरे भैया को अपने हाथ का बना खाना खिलाउन्गी

मै - सच मे तुझे खाना बनाना आ गया
गीता - हा तो
मै बबिता से - और तुझे गुड़िया
गीता हस कर - नही नही उसे नही आता हिहिही

ये बोल कर गीता किचन मे भागी और उसके पीछे बबिता भागती हुई - नही भैया ये झूठ बोल रही है ,,मुझे भी आता है ।

वो दोनो चले गये और फिर नाना और मै उनके कमरे मे गये ।

वहा जाकर वही सोफे पर बैग रख कर अपना लोवर टीशर्ट निकालने लगा ।

मै - मै जरा कप्डे बदल लू , काफी गरमी है । वैसे मेरा कमरा कौन सा है ?

नाना - अरे तेरा जहा मन हो रह भई । तेरा घर है

मै - तो फिर मै यही रहूंगा आपके पास

नाना थोड़ा हिचक कर - अह मेरे पाआअस्स

मै मुस्कूरा कर - क्या हुआ कोई दिक्कत

नाना - नही नही वो मै सोच रहा था कि गीता वबिता कहा तुझे मेरे पास सोने देने वाली है हिहिहिही

मै - हा ये भी है हिहिही । कोई बात नहीं अगर वो लोग कहेंगी तो वही चला जाऊंगा , लेकिन उससे पहले मेरा वो काम तो करवाओ

नाना हस कर - अरे पहले खा पी ले भई हाहाहाहा


लेखक की जुबानी

आज सुबह रोज की तरह ही निशा के यहा माहौल रहा । शालिनी नहा कर नास्ते के लिए किचन मे जा चुकी थी वही निशा नहाने के लिए उपर चली गयी थी ।

नहाने के बाद वो अपना टीशर्ट और स्कर्ट मे बाहर निकली ,,,उसने अन्दर कुछ भी नही पहन रखा था ना उपर ना निचे ।

कारण था निशा अपने पापा को रिझाने मे मजा आ रहा था और हाल के दिनो मे जन्गिलाल को जब भी मौका मिलता वो निशा के करीब जाता । उसे दुलारने के बहाने उसके कमर पीठ हाथो को सहलाता ,,,गले लगाता ।

निशा इनसब बातो को नोटिस कर रही थी इसिलिए वो अपने जिस्म को और भी एक्सपोज कर रही थी ।

जैसे ही वो बाहर निकली उस्के पापा छत पर मुह मे ब्रश घुमाते दिखे । वो सिर्फ़ जान्घिया मे थे ।

निशा को हसी आई लेकिन उसने खुद को सम्भाला ,,वही जब जन्गीलाल को निशा के बाहर आने का अह्सास हुआ तो वो उसकी ओर घूम गया ताकी उसके जान्घिये मे बना टेन्ट निशा देख सके ।

निशा की नजरे भी अपने पापा के लण्ड के उभार पर गयी और वो मुस्कुरा कर कपडे डालने लगी ।

आजकल वो कोई अंडरगार्मेंट पहनती नही तो उसे कोई झिझक नही थी । वो बालटी से झुक कर कपडे निचोड रही थी ।

उसके पीछे थोडा बगल मे जंगीलाल खड़ा होकर उसे निहार रहा था । जैसे ही निशा उसके सामने झुकी उसकी 36 की गाड़ फैल गयी ।
जंगीलाल ने जैसे ही निशा के गाड देखी उसके लण्ड के मुहाने पर चुनचुनाहट सी हुई और उसने जान्घिये के उपर से ही लण्ड का सुपाडा मसलने लगा ।

करीब 9 बजने को थे और सुबह की धूप काफी उपर चढ़ गयी थी , जिससे निशा को अपने बगल मे खड़े उसके पापा की लण्ड खुजाने वाली परछायी दिख गयी ।

निशा वो देख कर मुस्कुराई और एक एक करके सारे कपडे डाले । फिर उसे जब अपने गीले हाथो को सुखाने के लिए कुछ मिला नही तो उसने वैसे ही जन्गीलाल के सामने अपने गीले हाथ अपने चुतडो पर रगड़ कर स्कर्ट मे पोछने लगी।


स्कर्ट इतना महीन कपडे का था कि उतने पानी मे भी वो निशा के गाड़ के चिपक गया ।
फिर वो बालटी लेके बाथरूम मे घुस गयी ।

जंगीलाल का एक हाथ अभी भी लण्ड पर था और दुसरा हाथ ब्रश पकड़े हुए ।

उसने जो नजारा देखा वो उसे बेसुध कर चुका था ।

गीले स्कर्ट मे निशा के गाड़ की उभार और थिरकन ने उसके लण्ड मे आग लगा दी थी । उसका सुपाडा जल रहा था ।
ना वो उसे मसल कर शांत कर सकता था ना कोई हरकत कर सकता था ।

लेकिन उसके जहन मे यही भावना आ रही थी कि अभी जाकर उसके गीले गाड़ के पाटो को दबोच ले और मसल के लाल कर दे ।

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निशा वापस से बाथरूम से निकली तो जंगीलाल ने फौरन अपना हाथ लण्ड से हटा लिया और निशा बिना कुछ बोले और बिना एक नजर अपने पापा को देखे वैसे ही गीले स्कर्ट मे चिपकी हुई गाड़ को मटकाते हुए निचे चली गयी ।

जन्गीलाल ने उसे वापस जाते हुए भी देखा और वो लपक कर बाथरूम मे गया और सीधा टोटी खोल कर लण्ड पर ठंडे पानी की फुहार गिराने लगा ।

जन्गीलाल - सीईई अह्ह्ह्ह ऑफफ़फ ये लाडो ने तो ....अह्ह्ह

फिर जंगीलाल को थोडी हसी भी आई कि उसकी बेटी कितनी कातिल है । अपनी मा से भी एक कदम आगे । मुझे ऐसा गर्म किया कि ये हालत हो गयी ।

उस्के बाद जंगीलाल नहा कर निचे कमरे मे गया और कपडे पहन कर किचन की ओर चल दिया ।

वहा शालिनी और निशा दोनो खडे होकर नासता बना रहे थे । जंगीलाल की नजरे वापस अपनी बेटी के स्कर्ट पर गयी लेकिन अब वो सुख चुकी थी ।
जंगीलाल निशा के बगल मे आकर उसके कमर पे हल्के से हाथ रखते हुए - क्या बना रही है मेरी लाडो

निशा अपने पापा का हाथ अपनी कमर पर पाकर थोडा सिहरी और मुस्कुरा कर बोली - आलू का पराठा

जन्गीलाल अपने हाथ उसके कूल्हो पर सरकाते हुए - अरे वाह फिर तो बनाओ भाई मुझे भी भूख लग रही है ।

निशा की सासे अटकने लगी थी जैसे जैसे उसके पापा के हाथ उसके चुतडो की ओर बढ रहे थे ।

निशा - अह हा पापा आप बैठो मै लाती हू ।

फिर जंगीलाल मुस्कुरा कर उससे अलग हुआ और हाल बैठ गया ।

थोडी देर बाद निशा एक ट्रे मे चाय पराठा लेके आई और अपने पापा के सामने झूक कर ट्रे से चाय और पराठा की प्लेट निकालने लगी ।

इस दौरान जन्गीलाल की नजरे निशा के बिना दुपट्टे के टीशर्ट के बड़े गले से झाकती चुचियो पर गयी ।

indiancleavageshow

जंगीलाल का लण्ड तनमना गया और जैसे ही निशा घूम कर वापस गयी ,,उसकी नजर निशा के स्कर्ट पर गयी जो उसके गाड़ के दरारो मे फ्सा हुआ था । जिससे वापस से उसके गाड का शेप जन्गीलाल के सामने हिल्कोरे खाने लगा ।

लेकिन निशा ने किचन मे जाते जाते इस्का आभास हुआ तो उसने अपना स्कर्ट हाथ से खिच कर सही कर लिया ।

जंगीलाल वापस नास्ते मे व्यस्त हो गया , थोडी देर बाद निशा वापस एक और पराठा लेके आई ।

जंगीलाल - बेटा वो तेरे ब्लाउज का क्या हुआ ?? बना कि नही ।

निशा - हा पापा बन गया है बस अभी लेने जाऊंगी सोनल दीदी के पास

जन्गीलाल - अच्छा बेटा आराम से जाना
फिर जंगीलाल नासता खतम करके दुकान मे चला गया और थोडे समय बाद निशा दुकान के रास्ते ही एक कुर्ती प्लाजो मे दुपट्टा ओढ़े बाहर निकली ।


जिसे देख कर जन्गीलाल ने मन मे सोचा - इसे देख कर कोई कह सकता है कि बंद घर के अन्दर कितनी कयामत ढाती है । हिहिहिही

फिर निशा एक ई-रिक्सा करके राज के चौराहे वाले घर निकल गयी

जारी रहेगी
बहुत ही गजब और शानदार अपडेट है भाई मजा आ गया
 
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UPDATE 146

पिछले अपडेट मे आपने पढा कि एक ओर जहा राज अपने नाना के य्हा पहुच गया है। वही निशा के लिये जंगीलाल की हवसी भावनाये अब हरकतो का रूप ले रही है ।


राज की जुबानी

मै फ्रेश होकर नाना के पास आया और थोडे देर बाद हम सबने खाना खाया । मैने मामा के बारे मे पुछा तो पता चला कि वो एक काम से पिछले हफते ही दिल्ली गये हुए है ।


खाने के बाद नाना - बहू ऐसा है मै और राज थोडा गोदाम पर जा रहे है । कोई जरुरत होगी तो फोन कर देना

मामी - जी बाऊजी

बबिता - अरे लेकिन भैया को क्यू लिवा जा रहे हो आप
नाना हस कर - वो थोडा हिसाब किताब करना है ना इसिलिए । वैसे भी तुम दोनो को अभी सिलाई सिखने जाना है ।


मै - अरे वाह तुम लोग सिलाई भी सिख रही हो

गीता मुस्कुरा कर - हिहिहिही हा भैया वो मम्मी का एक ब्लाउज भी मैने सिला है ।

गीता की बात पर मामी कुछ बुदबुदाइ लेकिन मै सुन नही पाया साफ , वही नाना भी थोडे असहज दिखे ।
माजरा कुछ समझ नही आया मुझे


नाना - हा तो तुम दोनो समय से चले जाना हम लोग शाम के समय आयेगे

फिर मै और नाना निकल गये गोदाम की ओर
गोदाम गाव के मेन रोड पर स्कूल से थोडी दुरी पर एक खाली जगह पर था । वही से मेरे नाना अनाजो का व्यापार करते थे ।

हम लोग वहा गये । वहा पहले से ही कुछ मजदूर काम पर लगे हुए थे । जो ट्रक पर अनाज की बोरिया लाद रहे थे ।

नाना मुझे गोदाम मे लेके गये , सूती बोरे की गरदी और अनाज की महक से मुझे छीके आने लगी ।

नाना हस कर - लग रहा है तु पहली बार आ रहा है यहा

मै नाना के साथ अनाज की ऊँची ऊँची छल्लियो के बीच की गलियो से होकर आगे बढता हुआ - हा नानू ,,वो मुझे आदत नही है इनसब की ना

नाना - कोई बात नही चल कमरे मे चलते है

फिर हम दोनो बोरियो की ऊँची ऊँची गलियारे से बीच से घूम घूम कर एक किनारे के कमरे मे गये ।
नाना ने चाभी से उसका दरवाजा खोला और हम दोनो कमरे मे गये ।

वहा नाना ने कुलर लगा रखा था । मै वही चौकी पर कुलर चालू करके पसर गया ।

नाना हस कर - अच्छा तु आराम कर मै किसी को बोल कर ताजा पानी मगवाता हू

मै थोडा मुस्कुरा कर- और नाना वो ....।

नाना हस कर - हा भई उसे भी लिवा के आ रहा हूँ सबर तो कर

नाना कमरे से बाहर चले गये और मै मन मे बड़बड़ाते हुए - अह्ह्ह पता नही कौन सा गदराया माल लेके आने वाले है नानू ।। सीईई अह्ह्ह कब से तडप रहा है ये ।

मैने मेरे लण्ड को लोवर के उपर से मसला ।
मै थोडी देर ऐसे ही आंखे बन्द किये हुए लेते रहा क्योकि गर्मी बहुत थी तो कुलर मे आराम मिल रहा था । नाना को आने मे समय लग रहा था तो एक झपकी सी मुझे आई और जब मेरी आंखे खुली तो सामने कुलर के पास एक गदराई हुई औरत खड़ी थी ।

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उसका गेहुआ रंग और साडी मे उसके गाड के उभार ने मेरा लण्ड टनं कर दिया
मैने एक नजर कमरे मे घुमाई तो नाना कही नजर नही आये ।
मैने उस औरत को फिर देखा तो वो कुछ रजिस्टर लेके बाहर चली गयी ।
मै उठ कर लोवर मे लण्ड को एडजस्ट करते हुए बाहर निकला और सामने बोरियो का पहाड़ देख कर - अबे यार कहा गये नानू

तभी मुझे बाई ओर से कुछ खुसफुसाहट की आवाज आई
मै लपक कर उस ओर गया और वहा नाना बोरियो के गलियारे मे उस औरत के साथ खडे थे और रजिस्टर उन्के हाथ मे था ।

नाना उसे समझाते हुए - देख शायद उसका पहली बार है ,, थोडा मदद कर देना , नाती है मेरा

वो औरत मुस्कुरा कर - जी मालिक ,,लेकिन बात कैसे करु

नाना - तु जा उसके पास और कहना कि मैने भेजा है , वो समझ जायेगा और जरा खिडकी दरवाजे देख लेना

नाना - अब जा

मै खुश हुआ और फौरन वहा से निकल पर रूम मे आगया ।

मै वापस से वैसे ही लेट गया और इस बार सोने के बजाय मोबाइल देखने लगा ,,,,मै नही चाहता था कि वो मुझे सोता देख कर निकल जाये ।

वो कमरे मे आई और मैने गरदन उठा कर उसे देखा और इशारे से पुछा क्या काम है?

औरत हिचकते हुए नजर चुरा कर - वो मालिक ने मुझे भेजा है

मै मुस्कुरा उठा - अच्छा तो आप ही कमला मौसी हो

वो औरत मुस्कुरा कर - जी छोटे मालिक , मेरा ही नाम कमला है


मै - अरे आओ बैठो फिर मुझे आपसे कुछ बात करनी थी ।

फिलहाल मुझे तो कुछ समझ आ नही रहा था कि क्या कर कहा से शुरु करु ।
ये पहली बार थी कि किसी अंजान महिला से मै ऐसे मिल रहा था और उस्से सीधा चुदाई की बात करु भी तो कैसे ।

मेरे आग्रह पर कमला दरवाजा बंद करने लगी तो मै- अरे खुला रहने दो ना अभी


कमला मुस्कुरा कर आई और मेरे सामने चौकी पर थोडी दुरी लेके बैठ गयी और जमीन को घूरने लगी ।

मुझे तो ऐसा मह्सूस हो रहा था कि मानो मेरी शादी किसी अनगैर लड़की से हो गयी हो और आज हमारी सुहागरात हो । सारी परिस्थतिया वैसी ही लग रही थी , कमला के चेहरे पर लाज के भाव स्पष्ट थे ।


तभी मेरे दिमाग एक विचार आया और मैने मुस्कुरा कर - दरअसल कमला मौसी मुझे कुछ व्यकितगत बात करनी है

कमला - हा कहिये ना छोटे मालिक
मै - अरे ये मालिक वालिक मत कहो, आप मेरे से बडे हो अच्छा नही लगता । मेरा नाम लेले बुलाओ ना । राज

कमला मुस्कुराइ- अच्छा ठिक है तो कहो क्या बात है ?

मै थोडा उसके पास गया और अटकते हुर स्वर मे - वो मुझे सुहागरात के बारे जानना है ।

कमला खिस्स से हस दी
मै मुस्कुरा कर - वो दरअसल मेरी शादी होने वाली है ना तो मुझे इनसब का ज्ञान नही है ।


कमला - लेकिन मालिक ने तो कुछ और ही कहा था

मै - क्या कहा नाना जी ने

कमला शर्मा कर - वो कह रहे थे कि आप मेरे साथ वो सब करना चाहते है तो मै मदद करू

मै हस कर - हा मतलब तो वही है ना , बिना आपकी मदद के और बिना इस पर चर्चा किये कैसे मै सिख पाऊन्गा

कमला - हा ये भी सही है

मै उसके करीब जाकर उसका हाथ पकड कर- मौसी मेरी मदद करो ना , वैसे मुझे थोडा बहुत पता है इस बारे मे

कमला मुस्कुरा कर - क्या क्या बताओ जरा

मै अपने हाथ आगे बढा कर उसके थन जैसे चुचे साडी के उपर से हल्के हाथो से पकड कर - इन सब के नाम जानता हु लेकिन कभी टेस्ट नही किया ।


कमल मेरे हाथ का स्पर्श पाकर थोडा सिहरि और धीरे से बोली - सीईईई राज बेटा पहले दरवाजा बंद कर लें


मै मुस्कुरा कर उससे अलग हो गया और वो उठ कर दरवाजा बन्द कर दी फिर खिडकी पर जाकर खिडकी बन्द कर रही थी कि मैने उसके पीछे से पकड लिया ।

वो सिहर गयी और मैने उसके पेट सहलाते हुए बोला - तुम बहुत मुलायम हो मौसी ,,,, और तुम्हारी चुची भी बहुत बडी है

ये बोलकर मैने पीछे से उसके दोनो थन जैसी चुची को पकड लिया । मेरा लण्ड लोवर मे नुकीला हुआ जा रहा था और सुपाडा कमला की गाड़ मे चुबने लगा था ।

कमला बस गहरी सासे ले रही थी और मैने उसके चुचो को सहलाते हुए - इसको कैसे करते है बताओ ना मौसी ,,,अब क्या करु


कमला - इनको खोल कर अच्छे से हाथो मे भर कर सहलाते है बेटा उम्म्ंम्म्ं

मै उसके चुचो को सहलाता हुआ - तो खोलो ना मौसी इसे ,मै भी इसे सहलाना चाहता हुआ


कमला मेरी ओर घूमी और मैने उसके साडी का पल्लू सरका दिया । थन जैसी भरी हुई चुची ब्लाउज मे साफ साफ दिख रही थी । चुचे इत्ने मोटे थे की ब्लाउज मे समा नही रहे थे ।

मै आंखे फाडे उन्हे निहार रहा था और वो मुस्कुराते हुए एक एक बटन खोल रही थी।
उसने अन्दर ब्रा भी पहनी हुई थी जो उसकी भारी चुचियो को थामे हुए थे ।

मैने उसकी गुलाबी ब्रा के उपर से उसकी चुचो को सहलाया और बोला- वॉव मौसी आपके दूध तो काफी बड़े है

मेरी हथेली उसके निप्प्ल पर ब्रा के उपर से घूम रही थी और वो मदहोश हो रही थी - सीईई अह्ह्ज हा बेटा तभी तो ये वाली बंडी पहननी पडती है मुझे ,,उम्म्ंम्म्ं

मैने कमला के दोनो भारी थनो को हाथो मे ब्रा के उपर से थामा और अपना फेस उसके आधे नंगे चुचो पर घिसने लगा - ओह्ह मौसी कितना मुलायम है ये उम्म्ंम्ं

कमला - ह्म्म्ं बेटा मर्दो को औरतो के बड़े और मुलायम दुध बहुत पसंद आते है ,,तभी तो वो इन्हे खुब जोर जोर से मिजते है

मै आंखे उथा कर - क्या जोर जोर से ,,,आपको दर्द नही होता मौसी

कमला मस्कुरा कर - हम्म्म होता है लेकिन मजा भी आता है हमे ,,, तु दबायेगा बेटा उम्म्ंम

मै मुस्कुरा कर हा मे सर हिलाया और हल्का सा जोर लगा कर उसके चुचो को दोनो हाथो से दबाने लगा ।

चुचे दबाने के साथ साथ मै उसके मुलायम पेट पर हाथ घुमाने लगा और उसके नाभि मे ऊगली करते हुए - इसमे भी वो करते है क्या मौसी


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वो खिलखिलाई - धत्त नही रे ,,उसके निचे है वो छेद

मै मुस्कुरा कर- मुझे दिखाओ ना मौसी

कमला मुस्कुरा अपनी साडी और पेतिकोट एक साथ उठाने लगी तो मै उस्के सामने निचे घुटने के बल आकर उसकी चुत की ओर झाकने लगा

वो मेरी मासूमियत पर मुस्कुरा कर अपना साडी कमर तक उठा ली और उसके हल्के बालो वाली फुली हुई चुत का चीरा मुझे दिखने लगा

मै नजरे उठा कर - आप यहा का बाल नही काटते हो क्या मौसी

कमला मुस्कुरा कर - काटा था बेटा वो पिछले महीने

मै थोडा उसके चुत के करीब गया और वहा से आती मादक सी खुस्बु ने मेरे लण्ड मे जान डाल दी ।

मै - वॉव मौसी कितनी बढिया खुस्बु आ रहि है जैसे कोई नशा सा हो रहा है मुझे

मैने अपनी एक उन्गी से उसके चुत का चीरा छुआ और दाने को हल्का सा दबाया । कमल सिस्क पडी

मै वापस से नजरे उठा कर - मौसी वो छेद नही दिख रहा है ,,कहा है वो

मेरे छेड़ छाड़ से कमला की उत्तेजना बढ रही और वही मेरे बेवकूफ़ी भरे सवालो से वो चिढ़ भी रही थी। उसे तलब लगी थी लण्ड की ।

कमला उखड़ कर - आओ ऐसे नही दिखेगा

वो चौकी पर लेट गयी और साड़ी पेतिकोट एक साथ कमर तक चढाते हुए अप्नी जान्घे खोल ली

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कमला अपनी चुत को फैलाकर उसका गुलाबी छेद दिखाती हुई - ये देखो यही है ,,इसे चुत कहते है । इसी मे लण्ड को डाल कर चोदते है

मै उसकी चुत को निहार रहा था और उससे बहते हुए रसीले सोमरस को भी ।

मै - ये क्या निकल रहा है मौसी
कमला - वो औरतो का पानी है ,,

मै - इसे पिते भी है क्या
कमला अपनी चुत सहलाते हुए - उम्म्ंम्ं हा पीते है बेटा ,पियोगे तुम

मै मुस्कुरा कर - हा मौसी मै भी टेस्ट करना चाहता हू

मै झुक कर सीधा उसकी चुत से बहते माल को चाटा और अपना मुह लगा कर उसके चुत को सुकरने लगा ।

कमला कसमसा कर अपनी गाड़ पटकने लगी -ओह्ह्ह बेटा आराआम्म्ंं से उम्म्ंम्ं माआ अह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह

मै गरदन उठा कर - क्या हुआ मौसी दर्द हो रहा है क्या ???

कमला - नही बेटा तु चुस ,,, चुदाई मे कभी भी औरत के दर्द और सिस्कियो पर ध्यान नही देते ,, वो हमेशा मजे करती है

मै मुस्कुरा कर वापस से उसका चुत चाटने लगा ।

इधर कमला के पागल होने लगी । वो अपने चुचो ब्रा के बाहर निकाल कर उन्हे नोचने लगी


कमला- अह्ह्ह बेटा तु तो बड़ा मस्त चुस रहा है रे अह्ह्ह्ह उम्म्ंम्ं कौन कहेगा कि तु पहली बार कर रहा है अह्ह्ह्ह ऐसे ही मेरी चुदाई कर दे तो मजा ही आ जाये उउम्ंंंं


मन तो मेरा भी बहुत था और वहा से उठ कर खड़ा हुआ और सामने देखा तो कमला ने ब्रा मे से अपनी दोनो चुचिया बाहर निकाल रखी है । क्या मस्त थन जैसी चुचिय थी ।

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मै देख कर ही पागल हो गया और उसके उपर जाकर - वाव मौसी क्या मस्त चुचि है उम्म्ंम्ं टेस्टि भी है उम्म्ंम्ं


मै उसके दोनो चुचो को हाथो मे भर कर बारी बारी से चूसने लगा और वो मेरे सर मे हाथ फिराने लगी ,,,वही लोवर मे तना मेरा लंड उसकी जांघो मे चुब रहा था


कमला - अह्ह्ब बस कर बेटा अब थोडा चुदाई भी कर ले ,,औरतो को चुदते हुए अपने चुचे मसलवाना बहुत पसंद है


मै मुस्कुरा कर - सच मे मौसी ,,,फिर रुको मै कपडे निकाल दू

मै फटाफट से अपना लोवर और अंडरवियर निकाल कर खड़ा हो गया और वही जब कमला ने मेरे तने हुए फौलादी लण्ड को देखा तो उस्से रहा ना गया और वो फटाक से मेरे निचे आ गयी


मै - क्या हुआ मौसी क्या देख रही हो
कमला - बेटा तेरा लण्ड बहुत मस्त है ,,तेरी बीवी बहुत खुश रहेगी

मै - आपको कैसे पता ,,मैने तो कुछ किया भी नही अभी

कमला अपनी चुत मसलते हुए मेरा लण्ड पकड के - ये तेरे लण्ड पर नसो की जो उभरी हुई गाथे है ना जब ये तेरी बीवी की चुत फ़ाड कर रख देगी

मै - सच मे मौसी इतना मोटा है कया
कमला - हा बेटा ,,रुक तुझे एक मजा और देती हू

मै - वो क्या
तभी कमला ने मुह खोल कर मेरा लण्ड मुह्ह मे भर लिया और उसके मुलायम होठो का स्पर्श मुझे पिघलाने लगा ।
मै तो मानो हवा मे उड़ने लगा और कमला गपागप मुह मे लण्ड लेने लगी ।

लण्ड चुस्ते वक़्त कमला की मोटी थन जैसी चुचिय हिल रही थी और मै पागल हुआ जा रहा था ।

मेरी तो इच्छा थी अभी साली को घोडी बना कर हचक के पेल दू ,,,लेकिन मन में हिचक भी था थोडा बहुत कही इसे भनक लगी तो नाना के सामने मेरा भेद ना खुल जाये और वो सवाल पर सवाल करने लगे कि किसके साथ किया था पहली बार


मगर जितना बेसबर मै था उतनी ही कमला भी थी वो लण्ड को गीला करके उसे मुठियाते हुए उठी और बोली - बेटा आजा अब असली मजा करते है

मै - वो क्या मौसी ,,,ऐसे भी मजा आ रहा था ।

कमला मुस्कुराई और वापस से वैसे ही जान्घे खोल कर लेट गयी - आ मेरे उपर

मै उसके जांघो के बिच गया और वो अपनी चुत फैलाकर मुझे दिखाते हुए - वो छेद दिख रहा है ना बेटा उसमे तेरा ये मुसल घुसा दे

मै अपना लण्ड पकड कर चुत पर रखते हुए - मौसी ये जगह काफी छोटा है ,,कैसे जायेगा

कमला खीझ कर - ओहो तु डाल भइ उम्मममं घुसा दे किसी तरह

मै जानबुझ कर अपना लण्ड उसकी चुत पर नचाता हुआ -आपको दर्द होगा तो

कमला - तु डाल रहा है कि मै जाऊ ,,अह्ह्ह्ह माआ
कमला की बात खतम होती उससे पहले ही मैने ह्चाक के एक झटके मे आधा लण्ड उसकी चुत मे घुसेड़ दिया

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मै - ओह्ह मौसी ये बहुत गरम है अह्ह्ह्ज जल रहा है मेरा

कमला - उम्म्ंम हा बेटा तेरा लण्ड भी बहुत तप रहा है ,,अब हल्का हल्का ध्क्का लगा के चोद मुझे आह्ह उम्म्ंम ऐसी ही हा और अन्दर डाल

मै -ये पुरा चला जायेगा क्या

कमला - हा बेटा उम्मममं तु डाल नाअह्ह् उम्म्ं माअह्ह उफ्फ़फ्फ थोडा तेज तेज डाल ओह्ह्झ सीईई उफ्फ़फ्फ

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मै थोडा गति बढा कर उसकी चुत मे पेलना शुरु कर दिया। मगर मेरे मुह मे उसकी हिलती चुचिया देख कर पानी आ रहा था ।

मै - मौसी मुझे वो भी पिना है ,,मै आ जाऊ

कमला मुस्कुरा कर - एक शर्त पर ,,,बोल करेगा

मै खुश होकर -हा बोलो ना
कमला - मुझे कस कस के चोदना पडेगा

"इससे भी तेज क्या ? " , मै धक्के लगाते हुए ।
मै - कही आपको दर्द हुआ तो

कमला - मैने अभी बताया ना कि औरतों को चोदते हुए रहम नही दिखाते ,,,और तुझमे जितना जोर है मुझे कस के पेल ,,,,तभी तुझे ये चूसने दुन्गी


मै तो जैसे जोश मे आगया ,,मैने सोचा चलो इसको थोडा झलक दिखला ही दू ।

मैने उसके जांघो को पकड कर अपनी ओर खिचते हुए गाड को और उपर किया ताकी मेरा लण्ड और गहराई मे जा सके ,,फिर जोर जोर से लम्बे धक्के लगाने शुरु किये


जैसे जैसे मेरा सुपाडा कमला की बच्चेदानी को छूता ,वो एक नये अनुभव से रोमांचित हुई जा रही थी ,,उसकी आंखे फैलने लगी और चेहरे पर मुस्काना छाने लगी । मानो यही तो वो पल था जिसकी उसे तालाश थी


कमला -अह्ह्ह बेटा और तेज्ज्ज ओह्ह्ह माआआ ऐसे हीईई उह्ह्ह्ह्ह हाआह्ह उम्म्ंमममं और पेल्ल्ल ओहहहह माआआ ,,,मस्त पेल रहा है रे तू ओह्ह आजा पी के मेरे दूध उम्मममंम्ं


मै खुश हुआ और उसके उपर चढ़ कर एक चुची को मुह भर लिया और अपनी कमर को उसी गति से पटकने लगा

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कमला -अह्ह्ह बेटा बहुततत्त ऊम्ंम्म्ंं। सीईह्ह्ह्ह बस ऐसे ही पेल उम्म्ंम मेरा निकल रहा है अओह्ह्ह्ह अह्ह्ह हा और चोद और हाअह अह्ह्ह अह्ह्ह पेल पेल रुक मत ओह्ह्ह्ह

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कमला तेजी से सिस्किया लेती हुई अपनी गाड़ उचकाने लगी और झड़ने लगी ,,उसने भी मेरा लण्ड निचोडना शुरु कर दिया ।

मै भी कोहनी के बल झुका हुआ कस कस के धक्के उस्की चुत मे पेले जा रहा था ।

आखिरी कुछ झटको मे मै उसकी चुत मे झड़ने लगा - अहहह मौसी मेरा निकल रहा है अह्ह्ह्ह

मै भलभला कर उसकी चुत मे झड़ रहा था और वैसे ही थक कर लेता रहा ।

थोडा सास बराबर होने पे - सॉरी मौसी वो मेरा अन्दर ही गिर गया ,,कुछ होगा तो नही

कमला प्यार से मुझे चिपका कर - नही रे ,, कुछ नही होगा । मेरा महीना नही आता है अब

मै - वो क्या होता है ??
फिर कमला मुझे पीरियड के बारे जानकारी देने लगी ।

थोडे समय हम ऐसे ही बाते करते रहे लेकिन तभी बिजली चली गयी और अचानक गर्मी बढ गयी ।

बन्द कमरे मे हमारी हालत खराब होने लगी और हम लोग अपने कपडे सही करके बाहर निकल गये ।

कमला अपने काम पर चली गयी और मै नाना के पास

मै - नाना मै घर जाऊ ,,यहा बिजली नही है । नीद आ रही है मुझे ।

मैने जान बुझ कर कहा कि मुझे नीद आ रही है ताकि उन्हे आभास हो जाये कि मै काम निपटा लिया है

नाना मुस्कुरा कर - बस रुक बेटा 2 मिंट मै भी चल ही रहा हू


फिर मै और नाना घर निकल गये ।

अभी दोपहर के 12 बज रहे थे । मै नाना के कमरे मे ही जाकर लेट गया ।

नाना - अच्छा रुक बहू से कह कर तेरे लिये कमरा सही करवा दे रहा हू

मै- नही रहने दो ना नाना ,,मुझे यही आराम करना है ।रात मे वैसे भी गुड़िया और मीठी के साथ ही रहूंगा

नाना - अच्छा ठिक है तु आराम कर ले । मै जरा फ्रेश होकर आता हू ।


फिर नाना फ्रेश होकर आये और अपनी बनियान निकाल कर सिर्फ धोती मे चौकी पर मेरे पैरो के पास बैठ गये । मै सोने की कोसिस कर रहा था और कनअखियो से उन्हे निहार भी रहा था ।

तभी कमरे मे मामी पानी लेके आई - हा बाऊजी ये लिजिए

तभी उनकी नजर नाना के खुले सीने पर गयी और वो शर्म से मुह फेर कर पानी वही चौकी पर रख कर बाहर जाने को हुई कि नाना के लपक कर उनकी कलाई पकड ली ।

मामी - बाऊजी छोडिए , वो राज बाबू यही पर है ।

नाना उन्हे अपने पास बिठा कर उनके हाथो को सहलाते हुए- बहू वो सो गया है और तुमने कहा था कि आज दोपहर मे .....।

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मामी नजरे झुकाये अपनी कलाई छुड़ाना चाह रही थी और उनकी चूडिया खनखना रही थी ।

मेरे दिमाग मे बहुत खुराफात चल रही थी कि आखिर ये क्या सीन है ?

नाना और मामी की चुदाई हो गयी है या आज पहली बार होने को थी ?
कही मेरे आने से रंग मे भंग तो नही ना हुआ ?

ढ़ेरो सवाल मन मे उठ रहे थे और वही नाना की पकड अब मामी को अपनी ओर खिच रही थी ।


जारी रहेगी

सूचना : दोस्तो अगले कुछ दिनो के लिए मुझे थोडा एक दो फैमिली और रिलेटिव प्रोग्राम मे जाना है और घर से मेरा लैपटॉप भी लाना है । तो इस आने वाले हफते मे कोई अपडेट नही दे पाऊन्गा । नये अपडेट शायद 12 जुन के बाद ही मिल पाएंगे ।

आज का अपडेट कैसा लगा
आप सभी की प्रतिक्रिया का इंतजार रहेगा
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर मदमस्त अपडेट है भाई मजा आ गया
 
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UPDATE 147

अब तक के अपडेट मे आपने पढा कि एक ओर जहा राज को उसके नाना ने कमला जैसी गरम और गदराई माल से मिलन करवाया और खुद अपनी ही बहू पर डोरे डाल रहा है । वही दुसरी ओर निशा सोनल से मिलने के लिए निकल चुकी है ।
अब आगे

चमनपुरा

निशा एक इ-रिक्सा करके सोनल से मिलने उसके चौराहे वाले घर निकल दी । कुछ ही समय वो और सोनल गप्पे हाफ रहे थे और वीडियो काल पर अमन से कुछ चटपटी बाते हो रही थी ।

थोडी देर बाद अमन ने फोन रखा ।

निशा हसते हुए - वैसे तुने अपने पति को कुछ दिखाती भी है या बस चेहरा देखने के लिए तुम लोग वीडियो काल करते हो ।


सोनल भी मजे लेते हुए - वो कयी बार डीमाण्ड करता है हिहिहिही

सोनल - कयी बार क्या हर बार ही । जब भी उसे मेरी ये ब्रा की स्ट्रिप दिख जाती है ।

निशा - तो तुने उतारा कि नही ....हम्म्म बोल

सोनल खिलखिला कर - ना ....। उसे तड़पाने मे जो मजा वो दिखाने मे कहा ।

निशा - अरे इतने भी नखरे ना दिखा ,,नही तो सुहागरात पर ऐसा चोदेगा कि उठ नही पायेगी

सोनल मुस्कुरा कर सिहरते हुए - सीईई अह्ह्ह मै भी तो यही चाहती हू मेरी लाडो हिहिहिही

निशा - ओहो मतलब हथियार मजबूत है उसका उम्म्ंम ,,, जितना तू उसे तड़पाती है उस हिसाब से तो उसने तुझे अपना हथियार दिखा ही दिया होगा .....क्यू?

सोनल शर्मा कर खिलखिलाई ।
निशा - अरे तो कुछ रहमो करम हम पर भी कर दे । उसका हथियार तो नही है नसीब मे मगर दिदार तो करवा दे ।

सोनल - धत्त पागल ,,,मै उसकी फ़ोटो थोडी ना रखुगी फोन मे

निशा -तो आज माग के भेज देना यार प्लीज हिहिही आखिर मेरा होने वाला जीजा है हक बनता है मेरा

सोनल हस कर - तो जा तू ही माग ले , नम्बर तो है ही तेरे पास

निशा - अरे मेरी जान एक बार शादी हो जाने दे ,,तुझे उसके लण्ड से धकेल कर खुद ना बैठ गयी तो कहना

सोनल उसकी बात पर हसने लग जाती है ।

उनकी ऐसे ही मस्ती भरी बाते थोडी बहुत चलती है और फिर निशा अपना ब्लाउज लेके घर लौट जाती है ।
इधर जंगीलाल हाल मे बैठा हुआ खाना खा रहा था और तभी निशा अपने घर आ पहुचती है ।

निशा और उसके हाथ मे झुलते झोले को देख कर जंगीलाल की आंखे चमक उठती है ।

जंगीलाल - बन गया क्या बेटा तेरा ब्लाउज

निशा को थोडी शर्म आई लेकिन वो मुस्कुरा कर - जी पापा ,,

जन्गीलाल आन्खे नचा कर मुस्कुराती हुई शालिनी को देखा और हिचक कर - अच्छा ठिक है आज अगर तेरी इच्छा हो रात मे आना मै तुझे साड़ी पहनाना सिखा दूँगा

निशा मुस्कुरा कर - ठिक है पापा ,मै जरा चेंज करके आती हू ।

इधर निशा मुस्कुरा कर अपने कमरे मे चली गयी और वही जंगीलाल भी थोडा शर्म से झेप गया क्योकि उसकी बीवी शालिनी किचन मे खड़ी खड़ी उसे इशारे से निशा के नाम पर छेड़े जा रही थी।

थोडे समय बाद जंगीलाल खाना खा कर अपने कमरे मे गया और वहा से अपना गम्छा लेके बाहर निकल रहा था कि बगल मे निशा के कमरे मे थोडी आहट सुनाई दी ।

कमरे मे निशा सिर्फ वही सुबह का प्लाजो पहने हुई थी जिसमे उसकी गाड झलक रही थी । वो फर्श पर निचे झुकी हुई थी और चौकी के निचे पडी हुई उसके ईयररिंग को वो झुक कर निकालने की कोसिस कर रही थी ।
उसने उपर कुछ नही पहन रखा था । उसकी नंगी पीठ और साइड से उसके नंगे चूचे हिलते हुए नजर आ रहे थे ।

जंगीलाल ने जैसे ही हल्के से दरवाजा खोला तो सामने अपनी लाडो का गदराया अधनंगा जिस्म देखा ।

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जंगीलाल के दिल की धड़कन तेज हो गयी और उसका हाथ खुद उसके लण्ड को चढ़ढे के उपर से भीचना शुरु कर दिया ।

लेकिन इस बात को लेके स्तर्क भी था कि कही उसकी बेटी उसे देख ना ले इसिलिए वो जब निशा उठने को हुई जंगीलाल फौरन वहा से हट गया और लण्ड को एडजस्ट करता हुआ दुकान मे चला गया ।

नाना मामी और मै

नाना ने मामी की कलाई पर पकड बना रखी थी और वही मामी थोडा कसमसा कर नाना से छुटने की कोशिस कर रही थी ।

मामी - बाऊजी समझिये ,,राज बाबू यहीईई...... उम्मममंं रुक्कियेहहह बाउजीईईईई

मामी की सिस्किया सुनते ही मैने फिर से एक बार कनअखियो से उनदोनो की ओर देखा तो नाना ने मामी का हाथ पकड़ कर अपने धोती पर रख दिया था ।

मामी मुठ्ठि भिचे उनका लण्ड पकडने से कतरा रही थी । मगर नाना जोर देके उनके हाथो को अपने लण्ड पर घिसवा रहे थे ।
नाना - अह्ह्ह बहू बस थोडा सा ही चुस दे ,आराम हो जायेगा

मामी हलकी सी नजरे उठा कर नाना को देखती है और मुस्कुरा कर उनका लण्ड मुठ्ठि मे कस कर धोती के उपर से ही सहलाने लगती है ।


नाना एक गहरी सास लेते हुए मामी के पीठ को सहलाते हुए उन्हे निचे फर्श पर जाने को कहते है और एक नजर मुझे देख कर अपनी धोती खोल देते है


मामी मुस्करा कर निचे बैठ जाती है और अपने हाथ मे नाना का लंड पकड कर सहलाते लगती है ।

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नाना एक हाथ आगे करके मामी का पल्लू सरका देते है और उनकी मोटी भारी चुचिय दिखने लगती है ।

मामी ने हौले से मुह खोल कर नाना का आधा खड़ा लण्ड मुह मे भर लिया और उसे चुसने लगी

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यहा मेरे लंड ने भी अन्गडाई लेनी शुरु कर दी थी ।

मामी का लण्ड चुसने नशीला अंदाज नाना को मदहोश किये जा रहा था इसिलिए वो मामी को उपर आने का बोल कर खुद मेरे पैरो के पास लेट गये ।
मामी उठी और नाना के बगल मे आकर उन्के लण्ड को चाटना शुरु कर दिया ।

नाना का बदन अकड़ने लगा था और मामी उनके लण्ड को गले तक भरने लगी।

तभी उन्होने नजरे उठा कर मेरी ओर देखा और हम दोनो की नजरे टकराई ।

मामी की आंखे मुह मे लण्ड लिए लिये ही फैल गयी और मै उनको देख कर मुस्कुरा कर चुप रहने का इशारा किया।

मगर मामी के जहन मे एक डर एक हिचक सा बैठ गया था और वो फौरन उठ गयी ।

नाना तडप कर - अरे क्या हुआ बहू ??

मामी ने एक नजर मुझे देखा और फिर नाना को इशारे से मुझे देखने को कहा ।
मै उस समय आंखे बन्द किये सोया रहा ।

मामी - बाऊजी मुझे नहाना है । आपको कुछ चाहिये होगा तो कह दीजियेगा

नाना समझ गये कि मामी ने उन्हे बाथरूम मे आने का दावत दिया है और मै कोई गवार था नही कि इतनी बात समझ ना पाऊ ।

फिर मामी चली गयी और नाना ने खडे होकर अपना धोती लपेटा और काफी समय तक मुझे घुरते रहे ।


सही मायने मे तो मेरी ही फटी पडी थी कि कही नाना मेरी चोरी पकड़ ना ले ।
अगले ही पल हुआ वही जैसा मैने सोचा था नाना ने मुझे हिला डुला कर चेक किया और हल्की आवाज दी ।

मैने भी प्रतिक्रिया स्वरुप थोडा झूठमूठ का बुदबदाया और वैसे ही लेटा रहा

करीब 10 मिंट तक नाना जी कमरे मे रहे और फिर कमरे का दरवाजा भिड़का कर बाहर निकल गये ।

मैने सारी चीजे बस आहटों से ही महसूस की । जैसे ही दरवाजे की खटखटाहट हुई मैने फौरन आख खोला और देखा नाना जी जा चुके है ।

मै धीरे से खिडकी के पास गया और थोडा आड़ा टेढा होकर बाथरूम की ओर नाना को जाते देखा ।

वो एक दो बाथरूम वाले गेट पर पहुचने से पहले अपने कमरे की ओर झाके फिर पीछे बाथरूम की ओर निकल गये ।

जैसे ही नाना उधर गये मै फौरन कमरे से बाहर निकला और बड़ी सावधानी से कमरे का दरवाजा बंद करके मेन गेट के जीने से सीधा छत पर गया ।

भरी दुपहरी मे नंगे पाव होने से पाव जल रहे थे मेरे लिये दिल ने एक अलग ही जुनून सवार था और मै छत पर चलते हुए पीछे आँगन वाले जीने पर गया और धीरे धीरे आधी सीढिया उतर कर आंगन मे देखा तो बाथरूम की आने वाला दरवाजा अंदर से बंद है और बाथरूम के बंद दरवाजे से सिसकिया आ रही थी ।

शॉवर चालू था और पानी लागतार गिर रहा था । साथ मे थपथप करके चुदाई की कामुक तेज आवाजे आँगन मे गूंज रही थी ।

मेरा लन्ड तना हुआ था और मुझे बाथरूम मे झाकना था ।
तो मैने नोटिस किया कि अगर मै कुछ सीढि वापस उपर की ओर जाऊ तो मुझे बाथरूम की खिडकी से अन्दर का नजारा देखने को मिल सकता है ।


मै खुशि से चहका और उल्टे पांव एक एक सीढि चढ़ने लगा । नजरे मेरी बाथरूम की खिडकी पर जमी हुई थी ।

तभी वो पल आया और मै ठहर गया और अपनी एडिया उचकाते गरदन खिच कर बाथरूम मे झाकने लगा ।

बाथरूम का नजारा बहुत ही कामुक था । मुझे यकीन ही नही हो रहा था कि नाना इस तरह भी सेक्स कर सकते है ।

उन्होने मामी की एक टांग उठा रखी थी उन्हे बाथरूम की दिवाल से ल्गाये हुए ताबड़तोड़ धक्के खडे खडे ही उनकी चुत मे पेले जा रहे थे ।

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पानी का सोवर चालू था और दोनो भीग भी रहे थे । मगर मामी की तेज दर्द भरी सिसकिया और नाना के तगड़े धक्के बाहर आगन मे शोर मचा रहे थे ।

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जल्दी ही उनकी सिसकिया शान्त होने लगी और मै समझ गया कि मुझे वापस मेरे जगह पर चले जाना चाहिये ।

मै फौरन वहा से निकल कर वापस से तपती छत पर नंगे पाव भागता हुआ नाना के कमरे मे आया और दरवाजा वैसे ही भिड़का दिया ।

फिर वापस से लेट गया । मेरे मन में अभी काफी विचार चल रहे थे कि मामी और नाना के बीच ये सब कब शुरु हुआ होगा । किन हालातो मे हुआ होगा । क्या ये सब मेरे ठरकी नाना की कोई चाल थी या फिर बस कोई संयोग था ।

मै मेरे ख्यालो मे ऐसे ही खोया हुआ ना जाने कब सो गया ।

लेखक की जुबानी

शाम की बेला हो चली थी । आज राज के जाने के बाद से अनुज को ही दुकान सम्भालना पड रहा था । उनकी मा रागिनी भी दोपहर मे खाना लाने के बाद से 5 बजे के करीब दुकान पर थी और फिर चौराहे वाले घर के लिए निकल गयी ।


इधर राहुल ने देखा कि आज अनुज आया नही तो उसने सोचा क्यू ना उससे मिलने दुकान पर ही चला जाऊ ।
दरअसल जब से अनुज को नया लैपटॉप मिला था तब से राहुल की दिलच्स्पी भी उसमे खुब बढ गयी थी ।

वो भी अनुज की तरह लैपटॉप की बडी स्क्रीन पर पोर्न वीडियो के मजे लेना चाह रहा था । इसी सोच के साथ वो अनुज के पास गया ।


एक दो ग्राहक निपटाने के बाद से अनुज और राहुल की बातचीत शुरु हुई ।

राहुल - अबे आज तु घर क्यू नही आया ?? निशा दीदी पुछ रही थी ।

अनुज - अरे यार वो भैया कार्ड बाटने के लिए आज ही निकल गया है । अब 10 15 दिन ऐसे ही कटेंगे दोस्त

राहुल थोडा उदास होकर - यार तेरे बिना दीदी के साथ मजा नही आता

अनुज - हा लेकिन क्या कर भाई ,, ये दुकान की जिम्मेदारी भी तो है । कोई नही तु अकेले मजे कर मै तो मेरे लैपटॉप से ही काम च्लाउंगा अब

राहुल - अरे भाई मुझे भी कभी दिखा दे ना ,, यार उसमे तो चुचि भी बडी बड़ी दिखती होगी ।

अनुज खुश होकर - हा भाई ऐसा लगता है जैसे सब कुछ सामने ही हो रहा हो । हिहिहुही

अनुज - ऐसा कर आज तु आजा ना मेरे यहा

राहुल - अरे लेकिन पापा नही मानेंगे यार

अनुज- अरे उनको बोलना ना कि मै तुझे अपना लैपटॉप दिखाने वाला हू बस एक रात के लिए आने दे । तु कहेगा तो वो जरुर हा करेंगे
राहुल - ठिक है देखता हू भाई

फिर राहुल वहा से निकल गया और घर आ गया । वो इसी उधेड़बुन मे था कि आखिर पापा से कैसे बात करे ।

फिर उसने तय किया कि क्यू ना मम्मी से बात की जाये ।
वो किचन मे गया और शालिनी से बात रखी । शालिनी इस समय काम मे व्यस्त थी तो उसने साफ मना कर दिया ये कह कर कि वो जाये अपने पापा से पूछे


राहुल उखड़ा हुआ मुह लेके दुकान मे गया और थोडा समय बैठा । दुकान मे ग्राहक भी थे तो जन्गीलाल ने उसे एक दो काम फुरमाया जिसे राहुल ने बडे गिरे मन से किया ।
जंगीलाल ये सब देख समझ रहा था और ग्राहको के जाने बाद ।


जंगीलाल - क्या हुआ बेटा तू ऐसे उखड़ा हुआ क्यू है ?

राहुल मुह गिरा कर - कुछ नही पापा ,,वो मै आज रात अनुज के यहा जाना चाहता हू । उसने नया लैपटॉप लिया है वो देखने


जंगीलाल - ओह्ह फिर
राहुल - फिर क्या , मम्मी मना कर रही है

तभी जन्गीलाल के दिमाग की बत्ती जली और उसे निशा का भी ख्याल आया कि आज रात वो उसे साडी पहनाने वाला है । अगर राहुल घर पर नही रहेगा तो इसमे उसका ही फायदा है । क्या पता किस्मत साथ दे ही दे !!!


जंगीलाल मुस्कुरा कर - ओहो! तु अपनी मम्मी की फिकर छोड उसे मै समझा दूँगा । तु चला जा ,,,लेकिन कोई शिकायत नही आनी चाहिए तेरी । समझा ना


राहुल को उम्मीद ही नही थी उसके पापा ऐसे एक दम से बिना कोई खास मिन्न्ते किये मान जायेंगे ।

थोडे देर बाद राहुल अनुज के पास वापस चला गया

राज की जुबानी

शाम को 4 बजे मेरी नीद खुली और मैने देखा कि नाना मेरे बगल मे सोये हुए है ।
मै फ्रेश होने आंगन मे गया ।

फ्रेश होकर मै बाहर आया तो देखा कि पुरे घर मे एक चुप्प सन्नाटा पसरा हुआ था । धूप अभी भी तीखी थी मै चल कर किचन मे गया और पानी पीने के बाद मुझे वापस से मामी की याद आई और मै उनके कमरे की ओर चल पडा ..... कमरे का दरवाजा भिड़का हुआ ही था .... मामी अंदर सोफे पर बैठी हुई टीवी पर फिल्म देख रही थी ।

मै धिरे से उनके बगल मे जाकर बैठ गया ।

मामी चौक कर - अरे बाबू तुम ,, आओ बैठो

मै मुस्कुरा कर - क्या देख रही हो मामी हम्म्मं

मेरी नजरे उनसे टकराई ही थी कि उन्होने नजरे फेर की क्योकि हम दोनो वो पल याद आ गया था जब दोपहर मे मामी नाना का लण्ड चुस रही थी ।

मामी नजरे चुराते हुए - कुछ खास नही है बाबू ,,,बस ऐसी ही फिल्म है

मै धीरे से उनके पास जाकर साडी के उपर से उनकी जांघो पर हाथ रख कर - चलो हम लोग कोई अच्छी सी फिल्म बनाते है ना

मामी मेरे कहने का मतलब समझ गयी और मुसकुराते हुए - धत्त अभी नही । मुझे थोडी थकान है

मै उन्के जाघो को सहलाता हुआ - हा हा थकान तो होगी ही । दर्द भरी चिखो से पुरा आंगन जो गूज रहा था ।

मामी समझ गयी कि मैने वो सब भी देख लिया जो आज बाथरूम मे हुआ था ।

मै चहक कर - वैसे ये सब कब शुरु हुआ कुछ हमे भी बतायेंगी ,मेरी डार्लिंग मामी हिहिहिही

मामी शर्म से लाल हो रही थी और मैने उनके गुलाबी होते गालो को चुम कर - बताओ ना मामी प्लीज

मामी शर्मा कर - धत्त बदमाश ,,, वो सब तुम्हे क्यू जानना है ?


मै अपना लण्ड लोवर के उपर से मसलता हुआ - बस वो हकीकत जानने की लालसा है कि इस संगम के पीछे का सपना किसका था । आपका या नाना का हिहिहिही


मामी मुस्कुरा कर - ना मेरी ना बाऊजी ,,,जो भी था बस सन्योग था

मामी की बाते सुन कर मेरी दिलचसपी और बढ गयी ।

मै - अरे थोडा खुल कर बताओ ना
मामी - ऐसे नही पहले जाओ दरवाजा भिड़का कर आओ । गीता बबिता के आने का समय हो रहा है ।

मै लपक कर दरवाजे पर गया और मामी के पास आ गया ।

मै - हा अब बोलो

मामी मुस्कुरा कर -पक्का जानना ही है
मै थोडा शरारती होता हुआ अपना लण्ड खड़ा होता लण्ड लोवर से बाहर निकाल कर - मुझसे ज्यादा तो ये बेताब है सुनने के लिए हिहिहिही


मामी ने मेरा फड़फडा लण्ड देखा उनकी चुत ने भी कुनमूनाना शुरु कर दिया ।

मामी धिरे से सरक कर मेरे करीब आई और लण्ड को हाथ मे थाम लिया ।


जारी रहेगी
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
 
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UPDATE 148

पिछले अपडेट मे आपने पढा एक ओर जहा जंगीलाल की किस्मत लगातार उसे निशा के करीब लाये जा रही है । वही राज ने भी अपने नाना और मामी की चुदाई चोरी चुपके देख ली । लेकिन वो अभी भी उसकी तलाश अधूरी है तो हम लोग भी वापस वही चलते है उस कमरे मे जहा राज की मामी उसका लण्ड थामे बैठी हुई मदहोश हो रही है ।



राज की जुबानी

मामी मेरे लण्ड को थामे सहला रही थी ।
मैने उनकी कमर मे हाथ डाला और अपनी ओर खिच लिया ।
अब वो मुझसे लिपटी हुई मेरे लंड को सहलाने लगी ।

मै - मामी बताओ ना

मामी मुस्कुरा - अच्छा तुमको याद है वो पिछले साल राखी पर जब बाऊजी की तबीयत खराब हुई थी ।

मै - हा क्यू?
मामी मुस्कुरा कर - तुमको पता है बाऊजी को क्या सम्स्या होती है ??

मै जानता तो सब था। लेकिन मुझे अच्छे से ये भी याद था कि राखी वाले दिन मामी थी ही नही वो अगली सुबह आई थी और शायद उन्हे इस बात की जानकारी नही है कि मै सब जानता हू ।

मै - हा वो शायद उनको थोडी गर्मी की सम्स्या है ,,,बार बार पसीने से बेचैनी होने लगती है और तबीयत खराब हो जाती है ।

मामी मुस्कुरा कर - हा वो बात तो है , लेकिन असल बात कुछ और ही है जिससे उनको पसीना होता है ।

मै - वो क्या
मामी मुस्कुरा कर - उन्हे सेक्स की चसक और जब उन्हे मौके पर वो ना मिले तो उनके बदन मे ये सब चीजे होने लगती है ।


मै - ओह्ह फिर

मामी - और पता है बाऊजी हिहिहिही । वो अपने गोदाम पर एक दो काम करने वालियो को रखे हुए है, लगभग हर दुपहर मे ही .....।


मै - ओहो ये बात है ,लेकिन आप उनसे कैसे जुड़ गयी ।

मामी थोडा शर्मा कर - वो रमन बाबू की शादी के बाद से

मै - मतलब

मामी हस कर - रमन बाबू की शादी मे बाऊजी भी साथ गये थे और वहा पर उन्हे जो चाहिये था समय से मिला नही और शादी से वापस आने के बाद बाऊजी की तबियत बिगड़ गयी । फिर इसी बिच तुम्हारे मामा भी किसी काम को लेके बाहर चले गये थे ।


मामी की बाते सुन कर मेरे लण्ड मे कसावट बढ रही थी - तो फिर

मामी - अब मुझे चिंता होने लगी थी बाऊजी कि तो मैने रज्जो जीजी से बात की । तो उन्होने मुझे मालिश के लिए बताया कि बर्फ से सेकाई कर दो उन्हे आराम मिल जायेगा ।


मामी की बात सुन कर मुझे मेरे घर की याद आई जब मैने व्याग्रा खिला कर नाना के जिस्म की गर्मी बढा दी थी और मा उनके लण्ड की सेकाई कर रही थी । वो बीते पल याद करके मै और भी उत्तेजित हो उठा ।

मै - फिर क्या आपने उनकी ।

मामी शर्मा कर हस्ती हुई - हम्म्म करनी ही पडी ।

मै - फिर आगे कैसे हुआ

मामी - उधर दो दिन मैने दोपहर और रात मे उनकी सेकाइ की । जब उनकी तबीयत मे सुधार हुआ तो उन्होंने गोदाम पर हिहिहिही....।


मै - ओह्ह फिर

मामी - तब से सब कुछ सामान्य था । बाऊजी की तबियत ठीक होने के बाद मुझे उनका सामना करने मे झिझक होती थी और वो बस मुस्कुरा देते थे । लेकिन पिछले हफते जब तुम्हारे मामा वापस से शहर गये तो ....।


मै थोडा उत्सुक होकर - फिर क्या मामी । हिहिहिही बताओ ना

मामी मेरे आड़ो को हलोरती ही - और गीता बबिता भी अपनी मौसी के यहा गयी हुई थी । घर मे बस मै और बाऊजी ही थे ।


मामी की जुबानी


बाऊजी बडे सवेरे ही खा पीकर गोदाम चले जाते और फिर देर शाम तक ही आते थे । वो नही चाहते थे कि मुहल्ले बिरादरी मे कोई उनपे आक्षेप करे कि बहू के साथ दिन भर बुढा घर पर रहता है ।
मामी - उस दिन गर्मी बहुत थी । बाऊजी सवेरे 10 बजे तक खा पीकर ही गोदाम पर चले गये थे । मै भी किचन के सारे काम निपटा कर कपडे धुल कर नहा चुकी थी और तौलिया लपेट कर अपने कमरे आ गयी ।

उस दिन गर्मी ने हालत खराब कर दी थी और घर पर मौके से कोई था नही तो मैने बस एक लाल रंग पतली सी सिफान की साडी लपेट ली । उसमे मेरे जिस्मो को बहुत आराम मिल रहा था ।

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मैने कमरे का दरवाजा भी ठिक से बंद नही किया था और ना जाने कबके बाऊजी घर आ चुके थे । वो दरवाजे के गैप मे से अंदर झाक रहे थे ।

मुझे इस बात की जरा भी भनक नही थी कि मेरे ससुर मेरे कमरे मे झाक रहे होगे और उस पतली सी साडी मे झलकते मेरे अंगो को निहार कर अपना लण्ड मसल रहे होगे ।

मै पंखे के निचे खड़ी हो कर अपनी साडी जांघो तक उठा कर अपनी चुत तक हवा देने लगी । थोडा बहुत मुझे रूमानी सा अह्सास भी हो रहा था ।

मुझसे रहा ना गया और तुम्हारे मामा की कमी मुझे खलने लगी । इतने आराम मे अचानक से मेरे जिस्म की गर्मी बढ । मै मेरे ही स्पर्शो से उत्तेजित होने लगी ।

मुझे से रहा नही गया और मैने पुरा नंगा होकर अपने जिस्म को शांत करके एक गहरी नीद मे जाने का तय किया । शायद इसी से मुझे शांति मिल सकती थी ।

मैने अपनी साडी खोलनी शुरु कर दी ।

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इस बात से बेखबर कि दरवाजे पर खड़ा मेरा ससुर मेरे जिस्मो को बेपर्दा होता देख अपना मुसल हिला रहा है ।

मै दरवाजे की ओर अपना पिछवाडा किये अपनी साडी निकाल दी और जाने बाऊजी ने क्या क्या सोचा होगा मेरे बारे मे ।
मैने साडी को बिस्तर पर फ़क और खुद भी बिस्तर पर टेक लेके अपनी जान्घे खोल कर बैठ गयी ।

मेरे हाथ मेरे नंगे जिस्मो को मसल रहे थे । मै अपने छातियो को मसलकर अपनी कामाग्नी को और तेज कर रही थी । मगर मुझे क्या पता था कि दरवाजे पर खडे होकर बाऊजी मेरे सारे हरकतों को निहार रहे होगे और वो कुछ ऐसा कर देंगे कि मुझे इसकी उम्मीद भी ना रही होगी ।


मै अपने जांघो के बिच हाथ ले जाकर अपनी गीली चुत को दबाने लगी ,,जो मेरे हाथों से दबाव से बजबजाने लगी ।

मैने एक गहरी सास ली और आंखे बंद करके दो उन्गली चुत मे पेल दी ।

मै सिसकिया भर ही रही थी कि बाऊजी मुझे बुलाते हुए कमरे मे घुस आये ।

मैने फौरन अपनी साडी से अपने छाती और चुत को धक लिया ।

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हमारी नजरे मिली और मैने शर्म से नजरे निचे करते हुए - बाऊजी आप यहा ,,,कुछ चाहिये था आपको

बाऊजी बडी बेशरमी से मेरे अधनंगे जिस्मो को निहार रहे थे । उनकी नजरे मेरे नंगी जांघो को निहार रहे थे ।
धोती मे उनका मुसल पूरी तरह से तना हुआ था और मुझे समझते देर नही लगी कि वो काफी समय से ही कमरे मे ताका झाकी कर रहे होगे ।

मैने फटाफट से साडी से अपनी जांघो भी कवर किया और बाऊजी मुह दुसरी को फेर कर खडे हो गये ।

बाऊजी - माफ करना बेटी वो मुझे थोडी बर्फ चाहिये थी ।

मै समझ गयी कि आज शायद उन्हे गोदाम पर कोई मिली नही थी और घर पर कोई था नहीं तो मुझे खोजते आये होगे ।

मै शर्म से पानी पानी हुइ जा रही थी और मन मे डर भी था । मै कैसे भी करके अपनी स्थिति सुधारना चाह रही थी ।

मै - बाऊजी आप चलिये मै अभी लेके आती हू

बाऊजी - ठिक है बहू मै मेरे कमरे मे हू
और बाऊजी बिना मेरे ओर देखे वहा से निकल गये ।
मै मन ही मन खुद को कोसा और जल्दी जल्दी ब्लाउज पेतिकोट पहन कर साडी लपेट कर किचन मे गयी।

वहा से मैने सिकाई वाला पैकेट लिया और उसमे बर्फ भर कर बाऊजी के कमरे की ओर गयी ।

मेरे पाव मानो जमने लगे थे । मेरी दिल की धडकनें तेज थी कि अभी जो हुआ उस्के बाद मै बाऊजी से सामना कैसे करूंगी । झिझक इस बात की भी थी कि बाऊजी के मुसल की सिकाई भी मुझे ही करनी थी ।

मै उनके कमरे मे गयी और बाऊजी सिर्फ धोती मे बिस्तर का टेक लिये पैर खोलकर बैठे हुए थे । मेरी नजर धोती मे तने हुए उनके मुसल पर गयी और मुझे डर सा मह्सूस हुआ ।

बाऊजी मुझे देखते ही - आजा बहू ,,,वो दरवाजा बन्द कर देना

मै जान रही थी कि मुझे उनके लण्ड की मालिश करनी है और बिना दरवाजा बंद किये वो होगा नही ।मगर मुझे डर भी लग रहा था कि कही बाऊजी मेरे साथ कोई जबरदस्ती ना करे ।

मै दरवाजा बन्द करके बिस्तर के पास आई और उन्होने मानो मेरी झिझक और लाज को भाप लिया हो ।

बाऊजी - माफ करना बहू मुझे ऐसे अचानक से नही आना चाहिए था ।

मै थोडी चुप रही और मेरी कोशिस थी कि उस मुद्दे पर कोई बात ना हो । मै जल्द से जल्द सेकाई करके वहा से निकल जाना चाहती थी ।

मै झिझक कर - बाऊजी इसे खोलिये ,,बर्फ गल रहा है

बाऊजी समझ गये कि मै उस बात को टाल रही हू।

बाऊजी - अह हा बहू रुको
फिर उन्होने अपनी धोती खोल कर अलग कर दी । अब बाऊजी मेरे सामने पुरे नन्गे थे और उनका मोटा लण्ड पूरी तरह से तनमनाया हुआ था ।

मै बीना उनसे नजरे मिलाए उनके बगल मे खडे होकर सेकाई का पैकेट उनके आड़ो और लण्ड के निचलर हिस्से पर रखा ।

लण्ड इतना तप रहा था कि बर्फ की शीलन भी भाप बन रही थी ।
वही बाऊजी की नजरे मेरे जोबनो को अपनी आंखो से नंगा किये जा रही थी । मुझे साफ आभास हो रहा था कि बाऊजी मुझे घूर रहे हैं । मेरी दिल की धड़कन अब बढने लगी थी जिससे ब्लाउज कसी मेरी चुचिया उपर निचे होने लगी थी ।


थोडे ही समय में बर्फ आधा हो गया लेकिन बाऊजी का लण्ड ज्यो का त्यो ही तना रहा ।

बाऊजी मुझे परेशान देख कर - रहने दे बहू , आज जो हुआ उसे देख कर नही लगता इससे कुछ भी आराम होगा ।


बाऊजी की बात सुन कर मुझे ग्लानि सी हुई कि शायद मेरी ही नादानी से बाऊजी को इतनी दिक्कत हो रही है ।


मै सफाई देते हुए - माफ कीजिएगा बाऊजी ,,मुझे लगा घर पर कोई नही है और आज गर्मी बहुत है तो ।


बाऊजी - अरे अरे नही बहू तु खुद को क्यू दोष दे रही है । गलती मेरी है , मुझे तेरे कमरे मे झाकना ही नही चाहिये था


मेरी आन्खे बडी हो गयी और मैने नजरे उठा कर उन्हे देखा और समझ गयी कि मेरा शक सही था । वो शुरु से ही मुझे कमरे मे निहार रहे थे ।

मुझे अपनी ओर घुरता देख बाउजि भी झिझके और सफाई देने लगे ।
बाऊजी - बेटा मै तो बस एक नजर देख कर हटने ही वाला था लेकिन ऐन मौके पर तुने अपनी साडी खोल दी और मै वही जम सा गया ।


बाऊजी की बाते सुन कर मेरा दिल जोरो से धडकने लगा ।
मैने उनसे नजरे फेर ली मुझे शर्म भी आ रही और झिझक भी कि मै मेरे ससुर से ये बाते कर रही हू .
इसिलिए मैने उनकी ओर पीठ कर लिया । बाऊजी को लगा कि मै ऐसे नजरे फेर कर उनसे नाराज हो रही हू तो वो वैसे ही नंगे मेरे पीछे खडे हो गये ।

बाऊजी - देख बहू तु ऐसे मुझसे नाराज ना हो । मै सच मे उस बात के लिए शर्मिंदा हू लेकिन जब मैने तेरे इन गोरे गोरे नितम्बो को देखा तो मै वहा से हिल भी नही पाया ।

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बाऊजी ने अपनी बात पूरी करते हुए साडी के उपर से ही मेरे चुतडो पर हाथ फेरने लगे । मै अकड कर रह गयी और खुद को हर जगह से सिकोड़ने लगी ।

बाऊजी का स्पर्श मुझे उत्तेजित भी कर रहा था और शर्मीन्दा भी । मेरी जुबान को जैसे क्या हो गया था । डर से मेरी आवाज गायब हो गयी थी । डर ये कि आगे क्या होगा ? बाऊजी का स्पर्श मुझे एक रोमांचक डर से रुबरू करवा रहा था । जिसकी जिज्ञासा मुझे पल पल हो रही थी कि अब क्या अब क्या ?

बाऊजी - बहू तु अपने मन मे कोई ग्लानि का भाव ना रख । मै जानता हू राजेश की कमी तुझे सता रही थी ।

बाऊजी की बाते सुन कर मेरे जहन मे वो तस्बिरे चलने लगी जब मै पूरी नंगी होकर कमरे मे अपनी चुत मे उन्गिलीया कर रही थी ।


बाऊजी आगे बढे और मेरे कूल्हो से हाथो को सहलाते हुए बडे प्यार से मेरी पीठ को छूआ । उनका स्पर्श पाकर मै गनगना गयी ।

बाऊजी - बहू अगर तु चाहे तो हम दोनो की सम्स्या दुर हो सकती है

बाऊजी की कहने का मतलब समझ गयी थी उन्होने साफ साफ मुझे चुदाई का आमंत्रण दे दिया था ।

मै उसी अवस्था मे खड़ी होकर - बाऊजी ये क्या कह ....।

बाऊजी मेरी बात काटते हुए मेरे कंधो को अपने दोनो हाथो से थामकर उन्हें सहलाते हुए - बहू मै वादा करता हु ये बात बस हमारे बीच ही रहेगी ।


मै उन्के स्पर्श से पिघलती जा रही थी और खुद को बेबस मह्सूस कर रही थी ।

मै बहुत हिम्मत करके उनकी ओर पलटी और उनसे नजरे मिला कर - बाऊजी ये सही नही है , किसी को पता चला तो बहुत बदनामी हो जायेगी ।

बाऊजी ने तो जैसे मेरी आखो की मदहोशि को पढ लिया था और उन्होने आगे बढ के मेरे चुतडो को पकड़कर उन्हे मसलते हुए मुझे अपनी ओर खिच लिया । मेरी चुत सिधा उन्के तने हूए मुसल से टकराई ।


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बाऊजी ने मेरे लाल होठो मुलायम को मुह मे भर कर चुसना शुरु कर दिया और मै समझ गयी कि अब ये खेल नही रुकने वाला । क्योकि बाऊजी को किसी की परवाह ही नही ।


लण्ड की तडप मे मै पहले से ही पागल थी उपर से बाऊजी का मुसल था ही इत्ना जबरदस्त,,हर बार उसकी सिकाई के बाद मेरी चुत ने पानी छोडा था ।

आज आया ये मौका कैसे जाने देती और मैने भी उनका साथ देना शुरु किया । हमारी किस्सिंग जारी थी । बाऊजी मेरे जिस्मो को मसलते रहे ।

बाऊजी अपनी लण्ड की मुझे दिखा कर - अह्ह्ह बहू अब जरा मेरे इस्को भी अपने मुलायम होठो का सुख देदे ।

मै मुसकुराई और थोडी इथ्लाई भी और उनके लण्ड को हाथो मे भरने लगी ।
बाऊजी के हाथ अभी भी मेरे जिस्मो पर घूम रहे थे और मै उन्हे देखते हुए निचे बैठ गयी ।

फिर मुह खोल कर आधा लण्ड मुह मे भर ली ।

बाऊजी - अह्ह्ह बहूउऊ उम्म्ंम्म्ं ओह्ह्ह मस्त ठन्डक है यहा ,औम्म्ंंऔर चुस मेरी बेटी ओह्ह्ह हाआ

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मै गप्प ग्प्प्प बाऊजी का लण्ड मुह मे भरने लगी । बाऊजी मेरे बालो को पकड कर मेरा सर लण्ड पर दबाने लगे ताकी मै उनका लण्ड और अन्दर ले सकू

मै भी वही किया ,,,उनका मोटा मुसल गले तक उतारने लगी और वही मेरी चुत मेरे जांघो पर रिसकर मेरी खुजली बढाने लगी ।

बाऊजी ने जब दो तिन बार मुझे साडी के उपर से अपनी चुत खुजाते देखा तो

बाऊजी - आह्ह बहू रुक मै तेरी मदद करता हू

फिर बाऊजी मे मुझे खड़ा किया और मुझे बिस्तर पर लिटाते हुए मेरी साड़ी पेतिकोट को जांघो तक उठा दिया और अपना मुह मेरे रस छोडती चुत पर लगा दिया ।


वो लपालप मेरी चुत को फैला फैला कर चाटे जा रहे थे और मै अपनी जिस्म की गर्मी से पगलाई अपनी छातिया मसल रही थी ।

तभी बाऊजी ने अपनी जीभ मेरे बुर मे घुसा दी और होठो से मेरे चुत की चमडी को जोरो से चुसने लगे ।

मै उत्तेजना से भर गयी और बाऊजी को अपनी जांघो मे बान्ध कर तेजी से अपनी गाड पटकने लगी ।

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मै - ओह्ह बाऊजी और चुसिये उम्म्ंम आह्ह मै झड़ रही हूउउई उम्मममं ओह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह माआअह्ह ओह्ह्ह बाउजीईई
मै झड़ कर सुस्त पड गयी और बाऊजी भी उठ कर बिस्तर पर पैर लटका कर बैठ गये और हल्का हल्का मेरे जांघो को सहलाते हुए दुसरे हाथ से अपना लण्ड मुठिया रहे थे ।

कुछ मिंट बाद मै उठ कर बैठी और मुस्कुरा कर उन्हे देखा ।

बाऊजी - बहू जरा एक बार फिर से खोल ना इन्हे

बाऊजी ने मेरे मोटे थन जैसे चुचो की ओर इशारा किया और मै इतराते हुए खड़ी हुई और फिर से अपनी साडी निकालनी शुरु कर दी ।

बाऊजी मुझे देख कर बस जोरो से अपना लण्ड हिला रहे थे और मै धिरे धीरे करके अपना ब्लाउज फिर पेतिकोट सब निकाल कर पूरी तरह से नंगी होकर बाऊजी के पास आ गयी ।

उन्होने तो जैसे एक जादू सा कर दिया था मुझ पर । मै बस उनकी ओर खीची जा रही थी और फिर उन्होने मुझे अपनी जान्घो मे फसा कर मेरे नंगे चुचो को हाथो मे भर कर मस्लना शुरु कर दिया ।

मै फिर से एक बार आहे भरने लगी । फिर से बाऊजी का स्पर्श मुझे रोमांचक करने लगा ।
बाऊजी बेसब्रे होकर मेरे चुचो पर टुट पडे और उम्हे मुह मे भरने लगे ।

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मै भी उनके सर को अपने चुचो मे दफनाने लगी ।
उन्की खुरदरी जीभ मेरे निप्प्ल को मानो खरोच रही हो और जिस जोर वो मेरे निप्प्ल को मुह मे भर कर चुस रहे थे ,,,वैसा अह्सास मुझे कभी नही हुआ ।

उनके गठिले पंजे मेरे चुचो को मसल कर लाल कर रहे थे और ये कम था कि वो मेरे नंगे चुतडो को नोचने लगे ।

मै बुरी तरह से उन्के बाहो मे पिस रही थी और बहुत ही उत्तेजित मह्स्स कर रही थी ।

फिर वो पल आया जब बाऊजी ने मुझे बिसतर पर धकेला । मै नंगी अपनी जांघो को फैलाये लेट गयी और बाऊजी मेरे उपर चढ़ कर अपने मुसल पर थोडा थुक लगाते हुए मेरे चुत के महानो पर रगड़ने ल्गे


मै सिस्क सिस्क कर पागल हुई जा रही थी और अचानक एक जोर के झटके के साथ बाऊजी ने आधा लण्ड मेरी चुत मे घुसेड़ दिया ।

मै दर्द से छ्टप्टा कर अपनी गाड उचका कर रह गयी और बाऊजी बडी बेरहमी से धिरे धीरे पुरा लण्ड मेरी चुत मे उतारते चले

कुछ ही धक्को मे मुझे नशा सा होने लगा । जैसे उनका मुसल मेरे चुत की सुराख को और मोटा किये जा रहा था ।
मै बहुत समय बाद इतना जबरदस्त चुदाइ का मजा ले रही थी और मै सिस्क्ते हुए अपनी चुचिया मसलने लगी


मै - सीईई अह्ह्ह बाऊजी उम्म्ंम्ं ओह्ह्ज्ज

बाऊजी - आह्ह बहुत तु तो सच मे बहुत गरम है उम्मममं मस्त चुत है तेरी । मुझे बहुत पहले ही तुझे पेल देना चाहिए था अह्ह्ज्ज

मै भी मदहोशि मे अपने चुचियो की घुंडीया मरोडते हुए - अह्ह्ह बाऊजी देर तो हुई है ,,,उम्म्ं और तेज्ज्ज ओह्ह्ह मजा आ रहा है ओह्ह्ह

बाऊजी - हा मेरी बेटी ,,अब हम दोनो खुब मजे करेंगे उम्म्ंम राजेश के लिए तुझे तडपना नही पडेगा ,,ले और ले अह्ह्ह ओह्ज बहू

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मै बस सिसकती रही और अपनी चुचिय मस्लती रही ,,बाऊजी कुछ धक्को के बाद मेरे गदराये जिस्म पर चढ़ कर पेलने लगे और मेरी चुचियो को चुसने लगे


मै पागल सी होने लगी बाऊजी ताबड़तोड़ ध्क्के पेले जा रहे थे और मै मस्ती भरी आहे भरे जा रही थी ।

बाऊजी -आह्ह्ह बहू तू सच बहुत ही मस्त है ओह्ह्ह्ह कितना गदराया जोबन है तेरा ओह्ह्ह ये चुचि उम्मममंं ओह्ह्ह बहू तेरी कसी हुई चुत ने तो मजा दुगना कर दिया

मै- अह्ह्ह हा बाऊजी आपका भी मुसल बहुत मजबूत है अह्ह्ह माआआ इस उम्र मे भी उम्म्ंम ओह्ह्ह बाऊजी और तेज्ज पेलिये मुझे उम्म्ंं उफ्फ़फ्फ मा मै झड़ रही हू उंम्ंम्म्ं सीईई

बाऊजी तेज करारे धक्के लगाते हुए -हा ले बेटी झड़ जा ,,,अभी तो और चोदना है तुझे
मै झड़ गयी थी मगर बाऊजी का जोश कम नही हो रहा था

फिर पोजिसन बदला और बाऊजी ने मुझे घोडी बनने का इशारा किया और थोडा मेरे नंगे चर्बीदार गाडो से खेलने के बाद एक जोर का करारा धक्का मेरी चुत मे मारा और फिर से पेलने ल्गे

मै तो कबकी झडी हुई थी और उनके लण्ड को निचोड रही थी ,,मगर बाऊजी का लण्ड जरा भी ढिला नही हुआ ,,वो एक सुर मे मेरे गाडो को मसल्ते हुए तेज ध्क्के से मुझे चोदे जा रहे थे ।

तभी उन्ही आह्ह निकली - अह्ह्ह बहुउउऊऊ जल्दी निचे आ हहह

ये बोल कर बाऊजी ने मेरी चुत से लण्ड निकाल कर खडे होकर मुठीयाने लगे और मै फौरान उनके पैरो मे आ कर बैठ गयी ।

बाऊजी ने तेजी से हिलाते हुए लण्ड का सुपाडा मेरे खुले हुए मुह पर किया -अह्ह्ह बहुउउऊ ओह्ह्ह्ह लेएएहह अह्ह्ह ओह्ह्ह

मै उन्के लण्ड के सुपाड़े को पुरा मुह मे भर ली और उन्के लण्ड के झटको मह्सूस करती हूइ सारा माल गटकने लगी ।

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झड़ने के बाद बाऊजी ने मेरे बालो को सह्लाया और सुस्त होकर बिस्तर पर लेट गये ।

मैने भी खुद को सही किया और जल्दी से ब्लाउज पेतिकोट पहन कर बाऊजी के पास लेट गयी ।

बाऊजी - शुक्रिया बहू ,,,आज तुने मुझे तृप्त कर दिया

मै शर्मा कर - आपने भी हिहिही

बाऊजी - बहू अगर हो सके तो आज रात मे भी
मै बस हा मे सर हिला दी ।


फिर उस रात बाऊजी ने दो बार मुझे उसी तरह पेला और अगले दो दिन हमारी चुदाई जारी रही । फिर तीसरे दिन गिता बबिता वापस आ गयी ।
फिर मैने खुद से बाऊजी से कहा कि अब थोडा सबर करे ।

आज उनका प्रोग्राम था दोपहर मे जब गीता बबिता सिलाई सिखने जाये तब ।लेकिन आज तु आ गया ।



राज की जुबानी

मै - हा लेकिन फिर भी तो नही माने ना आप लोग ,,शुरु हो गये मेरे सामने ही हिहिही

मामी हस कर- धत्त बदमाश

मै - वैसे मानना पडेगा नाना को ,,इस उम्र मे भी ऐसी चुदाई

मै - उनकी कहानी सुन के ही मै झड़ गया
मामी मुस्कुरा कर - हा वो तो है हिहिहिही


मामी - अब उठो और जाओ नहा लो ,,गीता बबिता भी आ गयी होगी ।

मै हस के - मै तो लेकिन आज ट्यूबवेल पर जाऊंगा नहाने उनलोगो के साथ

मामी - नही नही आज नही । कल चले जाना । अभी फ्रेश हो लो मै नासता बना रही हू


मै - अच्छा ठिक है मेरी डार्लिंग मामी उउउउम्म्माआह

मामी मेरे चुम्मी लेने से थोडा शर्माइ और उठ खड़ी हुई फिर मै भी कमरे से बाहर निकल कर बाथरूम मे चल गया ।



फ्रेश होकर मैने गीता बबिता के साथ नासता किया और फिर हम लोग ऐसे ही नाना के साथ बैठ कर थोडा मस्ती मजाक किये । रात हुई खाने के बाद मै गीता बबिता के साथ उनके कमरे मे चल गया ।

लेकिन जाने से पहले मामी को इशारे से रात के लिए आल द बेस्ट बोल दिया । वो भी मुस्कुरा कर आंखे दिखाने लगी। मै हसते हुए गीता बबिता के कमरे मे चला गया ।


जारी रहेगी

दोस्तो इस अपडेट के लिये स्पैशल gif और pics खोजे है जो कंटेंट से रिलेटेबल लग सके ।

अपडेट पसंद आये तो कृपया टिप्पणी जरुर करे मुझे भी लगेगा कि मेहनत सफल रही ।

धन्यवाद
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
 
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UPDATE 149

चमनपुरा

रात का पहर ढल चुका था । करीब 10 बज चुके थे ।
राहुल अनुज के यहा उसके कमरे मे लैपटाप खोलकर बैठा हुआ था और दोनो नयी नयी वीडियो ईयरफोन लगाये चला रहे । वही बगल के कमरे मे सोनल का अमन के संग कुछ रोमांटिक पल गुजर रहे थे तो निचे कमरे मे रन्गीलाल रागिनी की गाड़ मे घुसा हुआ उसे चोद रहा था । साथ ही कभी रज्जो को तो कभी सोनल की होने वाली सास ममता की चर्चा पर वो और जोश मे आकर अपनी बीवी की दमदार चुदाई कर रहा था ।

इनसब के अलग निशा के घर पर कुछ अलग ही माहौल था । खाने के बाद जन्गीलाल की बेताबी बहुत बढ गयी थी ।

उसने अपने कमरे का माहौल ठिक किया ताकि किसी भी बात को लेके उसकी लाडो का ध्यान भटके नही । वही शालिनी अपने पति की बेताबी देख कर मन ही मन खुश थी ।


जंगीलाल खाने के बाद अपने कमरे मे था और दोनो मा बेटी किचन मे बतरन खाली कर रहे थे ।

शालिनी - तो तु भी अब साड़ी पहनेगी हम्म्म

निशा हस कर - क्यू आपको जलन हो रही है क्या कि मै आपसे अच्छी दिखून्गी । हिहिहिही

शालिनी - धत्त , मै वो नही कह रही थी

निशा - फिर ??
शालिनी धीमी आवाज मे - अरे मतलब पापा के सामने ब्लाउज पेतिकोट मे जायेगी तो थोडा अन्दर के कपडे पहन लेना

निशा उखड़ कर - ओह्हो मम्मी आप भी ना , इतनी गर्मी मे मै ब्रा पैंटी नही पहनने वाली । गर्मी से आराम रहे इसिलिए तो साडी पहनना सिख रही हू


शालिनी मुस्कुराते हुए मन मे - ये देखो इस पगली को ।मै इसके भले के लिए कह रही हू तो नखरे कर रही है । अरे बेटी तेरा बाप तो तुझे पुरा नंगा करने के मूड मे है । हुउह मुझे क्या तू ही झेलेगी ।


निशा अपनी को देख कर - क्या हुआ मम्मी ? क्या सोच रही हो ??

शालिनी मुस्कुरा कर - कुछ नही बेटा । जा तु अपने कपडे पहन ले मै भी हाथ धुल कर आती हू । तेरे पापा भी इन्तजार कर रहे होगे ।

इधर निशा खुश होकर कमरे मे चली जाती है और अपने कपड़े निकाल कर एक पीले रंग का सूती ब्लाउज जो बिना अस्तर का था । उसको पहनाते हुए मन मे बड़बड़ाती है - क्या कह रही थी मा कि ढ़क कर आना । हुह । मेरे पापा ना जाने कितना तरसते है मेरे जोबनो को देखने के लिए

निशा ने ब्लाऊज पहन कर आईने मे खुद को निहारा तो उसके गहरे भूरे निप्प्ल उसके ब्लाउज से साफ साफ झाक रहे थे ।

निशा इतरा कर - हमम ये हुई ना बात ,,,आज तो पापा को ऐसा सताउन्गी की पागल ही हो जायेगे वो हिहिहिही । बहुत चोरी छिपे मेरे जोबनो को निहारते रहते है ना । आज मौका मिला तो खोल कर दिखाने से मै भी बाज नही आऊंगी हिहिहिही

निशा ने फिर मैचिन्ग पेतिकोट पहना । फिर अपना दुसरा ब्लाऊज पेतिकोट और दोनो साड़िया लेके पापा के कमरे की ओर चल दी ।

जहा जन्गीलाल और शालिनी पहले से ही खुस्फुसा कर बाते कर रहे थे ।

शालिनी - देखीये जी जरा आप खुद पर काबू रखियेगा । मै कोसिस करूंगी की उसकी शादी की बात छेड़ दू और अगर उसने आपके सामने मना किया तो आप समझ रहे है ना क्या करना है ??

जंगीलाला चहक कर अपना फन्फ्नाता मुसल जान्घिये के उपर से मसल कर - हा मेरी जान,,, मुझे पता है

शालिनी अपने पति को उसके लण्ड पर इशारा करते हुए - हा तो जरा उसे छेड्ना बन्द करिये । वो आ रही है ।

फिर दरवाजे पर दस्त्क हुई और शालिनी अपने सृंगार वाले आईने के पास चली गयी और वही बैठे हुए ही बोली - हा बेटा आजा ,,खुला ही है दरवाजा

निशा कमरे मे घुसती है तो जन्गीलाल टीवी चालू किये हुआ था और शालिनी अपने गहने उतार कर बाल सवार रही थी । दोनो यही दिखा रहे थे कि सब कुछ समान्य हो रहा है ।

तभी निशा की आहट से जंगीलाल ने एक नजर उसे देखा और उसकी सासे अटक गयी । सामने निशा पीले रंग के ब्लाउज पेतिकोट मे अपने हाथ मे झोला लेके खड़ी थी। और उसके खडे हुई निप्प्ल डीप गले वाले ब्लाउज से झाक रहे थे ।

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चुचियो का फुलाव इतना था कि लगभग एक तिहार उभरी हिस्सा बाहर ही झलक रहा था । उस नजारे को देखते ही जन्गीलाल का लण्ड ठुमक उठा ।
जंगीलाल मुसकुरा कर टीवी म्यूट पर डालते हुए - अरे बेटा तु आ गयी

अपने पति की बात सुन कर शालिनी भी घूम कर निशा की ओर देखा और उस्के ब्लाऊज से झाकते निप्प्ल देख कर उसे थोडी हसी आई । लेकिन उसने खुद पर कन्ट्रोल किया ।


निशा चहक के - हा पापा । देखो मै दोनो साड़ीया लाई हू

जंगीलाल - अच्छा ठिक है आजा इधर पहले एक ट्राई करते है फिर दुसरा देखेंगे

निशा मुस्कुरा कर इठलाती हुई अपने पापा के पास गयी जो सोफे पर बैठा हुआ था ।

निशा अपने पापा के सामने आकर खड़ी हो गयी । वही जंगीलाल सोफे पर बैठे हुए बडे गौर से निशा के नंगी चर्बीदार पेट और गहरी नाभि देख रहा था । पास ने निशा के चुचे और भी रसिले दिख रहे थे ।

निशा अपनी थैली से एक पीले रंग की साडी निकाल कर उसे देती है ।

जन्गीलाल होश मे आता हुआ - हा हा बेटी दे मुझे

फिर जंगीलाल साडी खोल कर फर्श पर गिरा कर उसका अन्दर वाला सिरा खोजने लगता है । इस सब हरकतो को शालिनी वही आईने सामने बैठी नोटिस कर रही थी और हस रही थी ।

मगर जंगीलाल के लिये साडी पहनाना कोई बडी बात नही थी । वो सालो से इस फील्ड मे धंधा कर रहा था तो उसे हर तरीके से साडी पहनाने आता था । यहा तक कि वो कभी कभी कुछ खास ग्राहको के लिए खुद ही साडी लपेट कर दिखाता । खैर वो बाते और माहौल अलग है और यहा अलग ।

यहा तो जन्गीलाल की हवस ने उसे आज अपनी बेटी के लिए मज्बुर कर दिया था । साड़ी पहनाना मजह के एक बहाना था अपने बेटी के कोमल और अनछुए जिस्मो का स्पर्श लेने का ।

जंगीलाल ने साडी का सिरा पकड़ा और निशा के पीछे से घुमाकर उसे पेतिकोट मे अच्छे से अपनी उन्गलिया घुसा घुसा कर खोसने लगा ।

अपनी बेटी के कमर के निचले हिस्से और सामने पेड़ू पर उंगलियाँ घुसा कर जन्गीलाल को बहुत अच्छा महसूस हुआ । वही निशा गुदगुदी से थोडी खिलखिला रही थी ।

फिर जंगीलाल ने पल्लू का पलेटींग बना कर उसे निशा के कन्धे पर डालते हुए - इसे जरा सम्भालना बेटी हा ,,,मै जरा निचे साडी खोस दू ।

फिर जंगीलाल ने बाकी की बची हुई साडी का हिस्सा जो सामने रहता ,,उसकी तह लगा कर तैयार किया ।

जन्गीलाल - बेटा जरा तू अपना पेट पचकायेगी ताकी मै ये साड़ी खोस सकू

निशा खिलखिला कर - हीहीहीही ओके पापा

फिर निशा ने पुरा जोर लगा कर सारी सास अपने सिने मे भर ली जिससे उसके चुचे फुल कर कुप्पे हो गये और वही जन्गीलाल ने जब उसका पेतिकोट मे सामने से गैप बनाकर साडी को खोसने गया तो उसे निशा के चुत की ढलान साफ साफ नजर आई ।

जन्गीलाल का लण्ड निशा के चिकने और हल्के बालो वाली चुत की ढलान देख कर फड़फडा कर तन गया ।

लेकिन जल्द ही निशा की सासो पर पकड ढीली होने लगी और उसका पेट वापस ए सामान्य होने लगा तो ना चाहते हुए भी जंगीलाल को साडी खोसनी पडी ।


फिर वो खड़ा हुआ और निशा के साड़ी का पल्लू उस्से चुचो पर चढ़ाने के बहाने उससे मुलायम चुचो का स्पर्श लेने लगा ।
फिर सब सेट करके वापस इत्मीनान से बैठता हुआ - हा अब हो गया ,,, देखो तो कितनी प्यारी लग रही है मेरी लाडो

निशा चहक कर अपना पल्लू उड़ा कर घूमते हुए - सच मे पापा हिहिही

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निशा - मम्मी कैसी लग रही हू मै
शालिनी अपनी लाडो को साड़ी मे देख कर थोडी भावुक तो हुई लेकिन उसने खुद को सम्भाल कर - बहुत प्यारी लग रही है मेरी गुड़िया

इधर निशा अपने पापा के सामने घूम चहक रही थी कि जंगीलाल को एक शरारत सुझी उसने अपने पाव की उन्गिलीयो से निशा के साडी पल्लू हल्का सा खीचा तो बिना पिन का पल्लू उसके कंधे से सरका और निचे गिर गया

जिसे सम्भालने के लिए निशा को अपने पापा के सामने झुकना पडा और उसके आधे से ज्यादा ब्लाऊज मे कसे हुए उस्के चुचे जन्गीलाल के सामने दिख गये ।

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शालिनी ने अपने पति की सारी हरकतो पर नजरे रखे हुई थी और जब निशा झुकी तो जन्गीलाल की आंखो की चम्क और जान्घिये मे लण्ड का उभार कैसा बढा ये भी उसने देख लिया ।

वही निशा को भी थोडी बहुत भनक लग गयी जब उसने अपने पापा का तना हुआ लण्ड टेन्ट बनाये जान्घिये मे खड़ा देखा । तो उसने भी अपने पापा को रिझाने के लिए बडी अदा से अपना पल्लू आधा ही उठाया और चुचिय खुली ही रखी ।

इधर शालिनी समझ गयी कि बात अब आगे बढानी चाहिये इसिलिए उसने योजना अनुसार निशा के पीछे गयी और उसके साडी का पल्लू उसके सर पर चढाते हुए ।

शालिनी - अरे तु और भी खुबसूरत लग रही है मेरी बच्ची

निशा चहक कर सर पर पल्लू काढ़े एक नजर आईने मे देखा खुद को तो उसे थोडी शर्म आई और वो अपना मोबाइल शालिनी को दे कर - मम्मी प्लीज मेरा फ़ोटो निकालो ना ,प्लीज

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फिर शालिनी खुश होकर कुछ तस्वीरे निकलती है और वापस उसे दिखाते हुए - देख लग रही है ना एकदम नयी नवेली दुल्हन हिहिहिही

जंगीलाल भी निशा के पास खड़ा होकर - अरे वाह , हमारी लाडो तो सच मे बडी हो गयी है । इसके लिए तो कोई अच्छा सा रिश्ता देखना ही चाहिये

निशा को शर्म आई और वो भी अपनी शादी के लिए काफी excited होती है । दुल्हन बनने का अह्सास , ढेर सारी शॉपिंग और फिर एक नये लण्ड से जी भर के चुदाई ।

मगर निशा अपने पापा के सामने अपनी शालीनता ही दिखाती हुई शर्मा कर - धत्त नही ,,,पापा मुझे शादी नही करनी अभी


निशा की प्रतिक्रिया सुन कर जंगीलाल और शालिनी की नजरे आपस मे टकराई और वो मुस्कुरा दिये कि उनका दुसरा स्टेप भी कम्प्लीट हो गया ।


शालिनी - इसका तो हर बार का हो गया है जी । हमेशा मना करती है । आखिर कब तक उस डर से भागेगी बेटा । हर लडकी को वो दिन का सामना करना पड़ता है ।


निशा की आंखे बडी हो गयी कि उसकी मा ये क्या बोल रही है ।

तभी जन्गीलाल - क्या हुआ शालिनी क्या बात है । कैसा डर??

निशा मन मे - हे भगवान अब क्या मा ये सब भी पापा को बतायेगी क्या ??? धत्त मुझे कितनी शर्म आ रही है हिहिहीही । और पापा क्या सोचेंगे मेरे बारे मे कि मै चुदाई से डरती हू

शालिनी हताश होने का दिखावा कर - अब क्या बताऊ जी आपको ,,, इसको शादी के बाद के कामो से डर लगाता है ।

जन्गीलाल हस कर - अरे इसमे क्या डरना बेटी , जैसे तु यहा हमे बनाती खिलाती है और हमारा ध्यान रखती है । वैसे ही शादी के बाद वो घर का ध्यान रखना

निशा को जब अह्सास हुआ कि उसके पापा उसकी मम्मी की बात समझ नही पाये तो वो खिखी करके हस दी और शालिनी की भी हसी छूट गयी ।

जंगीलाल अचरज का भाव दिखाता हुआ - क्या हुआ ? तुम लोग हस क्यू रहे भई!!

शालिनी हस कर - आप समझे नही क्या इधर आईये ।

फिर शालिनी जन्गीलाल को एक किनारे ले जाकर थोडा बहुत खुस्फुसाती है तो वापसी मे जंगीलाल के चेहरे के भाव मे थोडी गम्भीरता दिखने लगती है ।
वही निशा शर्म से लाल हुई जा रही थी कि उसकी मा ने पापा को सब बता दिया होगा ।पता नही वो क्या रियेक्शन देंगे ।

जन्गीलाल गला खराश कर निशा के पास जाता है सोफे पर बैठते हुए - इधर आ बेटी यहा बैठ मेरे पास

निशा थोडा मुस्कुराते , थोडा शरमाते हुए अपने पापा के पास बैठ जाती है । उसके दिल की धडकनें बहुत तेज हो गयी थी ।

फिर जन्गीलाल शालिनी को इशारा करता है कि वो निशा के पास जाकर बैठे ।

जंगीलाल एक हाथ से बडे प्यार से निशा के गालो को सहलाता है और उसके माथे को चूम लेता है । निशा मानो इस प्रेम स्पर्श से पूरी तरह पिघल ही गयी ।

जंगीलाल थोडा झिझक दिखा कर - अब देखा बेटा जैसा तेरी मा ने बताया मुझे , वो सब लड़कियो के साथ होता है । माना कि तुम उस लड़के से पहले बार मिलोगी और ऐसे अनजान लोगों से शरीरिक हो पाना शुरु मे बहुत मुश्किल होता है । लेकिन यही समाज और प्रकृति की रीति है बेटा , हमे ये रीति निभाने ही पडते है ।


निशा मन ही मन शर्म से पानी पानी हुई जा रही थी । उसकी आवाज तो मानो गायब सी थी ।
शालिनी उसके कन्धे पर हाथ रख कर - हा बेटा तेरे पापा सही कह रहे है । मै भी जब पहली बार ,,,,मतलब हम दोनो जब पहली बार मिले थे तो मुझे भी डर था लेकिन सब धिरे धीरे सही हो गया था ।

निशा अब धीरे से बोली - हा लेकिन पापा तो आपको प्यार करते थे ना और वो क्यू आपको तकलिफ देंगे । मेरा कौन सा कोई ....।


ये बोलकर निशा चुप हो गयी और नजरे झुकाये रखी । वही शालिनी और जन्गीलाल को मह्सूस हुआ कि उसकी लाडो तो सच मे डर रही है । शालिनी ने आंखो से ही इशारा करके जंगीलाल से पुछा कि अब क्या करे तो जन्गीलाल ने उसे आश्वत किया ।

जंगीलाल - हा बेटा बात तो तेरी सही है लेकिन ससुराल मे तेरी जिम्मेदारी घर सम्भालने , सास ससुर की देखभाल के साथ साथ तुझे अपने पति को भी प्यार देना ही पडेगा । वो उसका हक है ।


निशा वैसे ही नजरे निची किये हुए अपना साड़ी का पल्लू उंगलियो मे घुमा रही थी - और पता नही मेरी जिस्से शादी होगी वो मुझसे खुश रहेगा या नही , मुझे तो पता भी नही है इस बारे मे कुछ भी ।

शालिनी को अपनी बेटी पर बहुत तरस आ रहा था और वो उसके अपने सीने से लगा लेती है । वही जंगीलाल चहक उठता है कि मानो निशा ने उसे एक बड़ा मौका दे दिया हो ।

जंगीलाल खुश होकर - अरे बेटा उसकी चिंता तू क्यू करती है । हर लडकी को उसके घर वाले सारे गुण सिखाने के बाद ही ससुराल भेजते है

शालिनी समझ गयी कि उसका पति ने आगे बढना शुरु कर दिया है - हा बेटी , और मैने तुझे बताया था मुझे भी किसी ने बताया था इस बारे । आमतौर अब ये सब बाते घर की भाभी या पड़ोस की कोई सहेली बताती है और अभी ऐसा कोई खास रिश्तेदार तो है नही तो वो सब तुझे बताने सिखाने की जिम्मेदारी भी हम मा बाप की ही है ।


निशा शर्म से लाल हो गयी कि अब उसके मम्मी पापा उसे सेक्स के बारे बताएगे ।

निशा ह्सते हुए शर्मा कर अपनी मा के सीने मे छिप गयी - धत्त नही मम्मी मुझे शर्म आयेगी

और उसे ऐसा कहते देख कर बाकि दोनो भी हसने लगे क्योकि वो जानते थे कि उनका तिन अपने निशाने पर लग गया है


शालिनी अब उसे थोडी डांट लगाते हुए - क्या नही !! इसमे भी तेरे ड्रामे खतम नही हो रहे है

जन्गीलाल - ओहो शालिनी तुम भी ना ,,अरे ये सब उसके लिए नया है तो शर्म आयेगी ही ना और हम उसके मा बाप है कोई दोस्त थोडी है ।

जंगीलाल निशा के बाह पकड कर उसे उठाता और अप्नी ओर घुमाता है । निशा शर्म से लाल हूइ मुसकुराते हुए नजरे निचे किये रहती है ।

जंगीलाल - देख बेटा माना की लाज शरम अच्छी बात है लेकिन मै चाहता हू तु इस मसले पर हम दोनो से खुल कर बाते करे । क्योकि ये बहुत ही नाजुक मसला है थोडी बहुत गलत जानकारी या लापरवाही से तुझे बहुत सम्स्या हो सकती है ।

निशा इस समय बस एक रोमांच से भरी हुई थी एक चंचल खुशी उसके तन को सिहरा रही थी लेकिन वो अपने पापा से व्यक्त नही करना चाहती थी ।

वो बस मुस्कुरा कर नजरे निचे किये हुए हमम्म बोल दी।
निशा की सहमती पर जंगीलाल शालिनी को देख कर मुस्कुराने लगता है ।


राज की जुबानी

खाने के बाद मै गीता और बबिता को लेके उनके कमरे मे चला गया । वो दोनो पहले के जैसे ही मुझसे चिपकी हुई मेरे साथ मोबाइल देखने लगी। पहले तो उन्होने रमन भैया के शादी की तस्विरे देखने को बोली और फिर जब मुझे लगा कि अब रात ढलने लगी है तो मै मोबाइल बबिता को देकर - गुड़िया जरा ये पकड़ो मै जरा पेसाब करके आता हू ।


पेसाब तो महज एक बहाना था मुझे तो नाना का कमरा चेक करना था और वापस आकर आज गीता की सील खोलनी थी । उस्के किचन से तेल की सीसी भी लेनी थी ।

मै बाहर आकर धिरे से कमरे का दरवाजा बन्द किया और दबे पाव पहले नाना के कमरे की ओर गया ।

नाना तो वैसे भी कमरे की खिडकी खुली रखते थे क्योकि एक तो उनका कमरा सबसे अलग और किनारे पर था वही उन्हे किसी का डर था ही नही

मै जैसे ही खिड़की खुली देखी तो मन ही मन बहुत खुश हुआ और कमरे मे झाका तो नजारा ही अलग था । देख कर लण्ड खड़ा हो गया ।

अन्दर नाना और मामी पुरे नन्गे होकर चुदाई कर रहे थे । नाना मामी को घोडी बना कर पीछे से जो करारे धक्के लगा लगा रहे थे कि मामी की आंखे फैल जा रही थी ।

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मामी जैसा बताया उससे कही ज्यादा जोश मे नाना मामी की ध्क्क्मपेल चुदाई कर रहे थे ।

मै इनको बिजी देख कर बहुत खुश हुआ और वापस वहा से किचन की ओर चल दिया । वहा से मैने तेल की शीशी ली और दवाई वाले बॉक्स से दर्द वाली दवाइयों की पैकेट भी । सोचा क्या पता उसका क्या हाल हो क्योकि पिछले साल के मुकाबले अब मेरा लण्ड भी काफी आकार ले चुका था । उम्र और चुदाई के साथ उसकी नशे और भी मजबूत होने लगी थी ।

मै धीरे से बिना कोई खास आहट किये कमरे का दरवाजा खोला तो देखा कि गीता और बबिता मे किसी बात को लेके खुसफुसाहट भरी बहस हो रही थी और गीता के चेहरे पर गुस्से के भाव साफ झलक रहे थे ।

मुझे कुछ अजीब नही लगा क्योकि दोनो अकसर लड़ती झगड़ती रहती थी ।
मै कमरे मे वाप्स आया तो दोनो चुप हो गयी और गीता ने जैसे ही मेरे हाथ दवाई देखी वो परेशान हो गयी ।

गीता - क्या हुआ भैया आपकी तबीयत नही ठिक है क्या ??

मै मुस्कुराकर उनदोनो के बीच मे जाकर बैठ गया और उनहे अपनी ओर खिच कर - नही मेरी मीठी ये तो बस कुछ खास चीज़ के लिये है ।

गीता - मतलब
मै उसके नरम नरम कुल्हे मसलता हुआ - क्यू तु इसे लेगी क्या अपनी चुत मे । उम्म्ं बोल

गीता लोवर मे खडे हुए लण्ड को अपनी चुत मे लेके के अह्सास भर से गनगना गयी और नशीली भरी आंखो से मुझे निहारते हुए मेरा लण्ड थाम ली - हा लूंगी ना भैया ।


मै बबिता की ओर देख के - और तु नही लेगी क्या मेरी गुड़िया रानी उम्म्ं

तभी गीता भडक कर - उसे क्यू चाहिये उसे तो मिल जाता है ना

मै अचरज से - मिल जाता है मतलब
बबिता की आंखे ब्ड़ी हो गयी और वही गीता की जुबान हकलाने लगी - वो मेरा मतलब उसे तो आपने दिया है ना एक बार ,,,आज मुझे दो ना प्लीज भैया

मै मुस्कुराकर - उम्म इतना पसन्द है तुझे अपने भैया का लण्ड

गिता - बहुत ज्यादा भैया

मै - तो चलो सारे लोग कपडे निकाल लेते है जलदी जल्दी

मै गीता ही बाते किये जा रहे थे वही बबिता चुप सी थी ना वो कपडे निकालने के लिए उठी ना उसे मेरे लिए कोई उत्साह जगा ।

वही गीता ने फटाफट सारे कपडे निकाल दिये और घुटनो के बल आकर मेरा लण्ड चुसने लगी

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उसके मुलायम होठो और छोटे छोटे कोमल हाथो का मेरे लण्ड पर स्पर्श मुझे रोमांचित कर दिया और मेरा लण्ड उसके मुह मे और कस गया ।

तभी मेरे जहन मे बबिता का ख्याल आया और मैने उसे देखा तो वो वैसी ही बैठी हुई गीता को लण्ड चुसते हुए निहार रही थी ।

मै - अरे क्या हुआ गुड़िया ,,तुझे नही करना अपने भैया को प्यार

बबिता उखड़ कर - अम्म नही भैया आज गीता को कर लेने दो
मै - अरे क्या हुआ मेरी गुड़िया को उम्म्ं क्यू उदास है ,,आना तु भी तेरे बिना अच्चा नही लग रहा है ।

बबिता बेबस होकर उठी और गिता के बगल मे घुटनो के बल आ गयी और उसने मेरे आड़ो को छुना शुरु कर दिया ।

उसके स्पर्श मे मुझे कुछ नयापन सा लगा वही गीता के स्पर्श मे वही भोलापन और मासूमियत । वो उसी अन्दाज से मेरे लण्ड को दुलार रही थी जैसे पहली बार मे थी ।

लेकिन बबिता के उंगलियो मे एक गजब की थिरकन मह्सूस की मैने जैसा शालिनी चाची किया करती थी ।

तभी उसके अपनी जीभ नुकीली करके मेरे लण्ड निच्ले नशो को छेडा और मै गनगना गया ।मैने फौरं गीता के मुह से लण्ड निकाल कर बबिता के मुह मे भर दिया ।


उसने लण्ड बड़ी ही अदा से पुरा रस ले ले कर चुसना शुरु कर दिया । उसकी आन्खे बन्द थी मगर मुह के अन्दर मेरे सुपाड़े पर फ्लिक होती जीभ से मै पागल होने लगा था ।

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मेरे मन मे काफी सवाल थे कि ऐसा कुछ तो मैने कभी इसे नही सिखाया और तभी उसने लण्ड को गले मे उतार लिया ।

मै हवा मे उड़ने लगा । उसके हाथ मेरे आड़ो को मसल रहे थे वो गले मे लण्ड को भरे जा रही थी

मै अकड कर रह गया । उत्तेजना से सुपाड़ा जलने लगा मानो सारा वीर्य उसमे भर गया हो ।

आज पहली बार मेरी चिख निकली - अह्ह्ह गुड़िया ओह्ह्ह्ज ओह्ह्ह

मै भलभला कर उसके मुह मे झड़ रहा था और वो तेजी से मेरा लण्ड मुठिया रही थी ।

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मै झड़ कर शांत हो गया और थक कर बिस्तर पर लेट गया ।

बबिता चुपचाप उठी और अपना मुह साफ कर मेरे बाई ओर लेट गयी । वही गीता नंगी ही मेरे दाई हो लेट गयी ।

मै थकने लगा था ,,मानो उसने मुझे बुरी तरह निचोड लिया हो । ऐसा अनुभव मुझे शालिनी चाची के साथ ही हुआ था पहली बार जब ऊनके साथ मेरी दुकान मे ।


मै ढ़ेरो सवालो से घिर गया और हाल ही की बीती बाते कुछ घटनाओ को आपस जोडने लगा । एक शक सा मेरे जहन मे ऊबरने लगा था और मेरी आन्खे बस बंद हो रही थी। क्योकि आज तीसरी बार था कि मै बुरी तरह निचुड गया था । दोपहर मे कमला , फिर शाम को मामी और अब बबिता ने ।

मेरी आंखे बन्द हो ही रही थी कि गीता के गीले जीभ का स्पर्श मेरे निप्प्प्ल पे मैने दाई हो से म्हसुस किया ।

मैने उसके अपने ओर खिच कर हग करते हुए - सॉरी मीठी ,,मै बहुत थक गया हू कल करेंगें ना ।

गीता मुझ्से लिपट कर - कोई बात नही भैया

मैने एक नजर बबिता को देखा जो बस चुपचाप छत को घुरे जा रही थी । मैने उसे भी पकड कर अपने से सटा लिया - आजा तु भी हिहिही अब सो जाते है ।

बबिता भी फीकी मुस्कराहट के साथ मेरे ओर करवट लेके मुझसे लिपट कर सो गयी ।

फिर हम सब सो गये ।


जारी रहेगी
बहुत ही दमदार और जबरदस्त अपडेट हैं भाई मजा आ गया
 
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पिछले अपडेट मे आपने पढा कि एक ओर जहा राज को बबिता को लेके कुछ शक हो रहा है वही दुसरी ओर निशा के मम्मी पापा उसे सेक्स की बाते बता रहे है
अब आगे



निशा मन ही मन बहुत ही रोमांचित मह्सूस कर रही थी । उसकी दिल की तेज धडकने उसके चुचो को फुला रही थी ।
वही पल पल जंगीलाल के लण्ड मे कसावट बढ रही थी साथ ही उसके सुपाडे मे खुजली होने लगी थी ।
कमरे का महोल गरम होने लगा था ,,वही शालिनी भी अपने पति के आगे के स्टेप को लेके बहुत उत्सुक हुइ जा रही थी ।


जन्गीलाल मुसकुरा कर - अच्छा बेटा तुझे मर्दो के शरीर के बारे मे पता है कि नही

निशा अपने पापा का इशारा समझ गयी कि शरीर के किस हिस्से की बात कर रहे है इसिलिए वो शर्म से लाल होते हुए हल्का सा खिस्खी लेके मुस्कुराई

जन्गीलाल हस कर - धत्त मै भी क्या पुछ रहा हू ,,,मेरी लाडो तो पढी लिखी है उसे तो पता ही होगा ,,,क्यू बेटी ।

निशा ने शर्म से नजरे झुकाये हुए हा मे सर हिलाया ।
जंगीलाल मुस्कुरा कर - पता है बेटी सबसे पहले तुझे अपने पति से शरमाना और झिझकना कम करना पडेगा ।


"हा बेटी , मर्दो को बार बार किसी काम के लिए कहना बिलकुल भी पसन्द नही वो बहुत जल्दी नाराज हो जाते है । ऐसे मे तुझे थोडी बहुत शर्म झिझक के साथ साथ अपने पति के मूड का भी ध्यान रखना पडेगा । " , शालिनी अपने पति की बातो को आगे बढ़ाया ।


जंगीलाल अपनी बीवी की बात पर सहमती दिखाता हुआ - बिल्कुल सही कह रही है तेरी मा, बेटी !

शालिनी निशा के कन्धे दुलारती हुइ - और पति के पास जाने मे उसके अंगो को छूने मे झिझकना नही चाहिये । थोडी बहुत आतुरता तुम दिखाओगी तो वो और भी जोश से तुम्हे प्यार करेगा ।

अपनी मा बाप की बाते सुन कर निशा तो जैसे अपने सुहागरात के सपनो मे खो सी गयी । कि कैसा होगा वो पल जब एक अंजान शक्स के साथ वो हम बिस्तर होगी और उसका मोटा करारा लण्ड अपनी चुत मे लेगी ।

निशा अपनी कल्पना से गनगना गयी और उसकी चुत ने बजबजाना शुरु कर दिया ।

शालिनी - अगर वो कहे कि उसका वो पकडो,,उसे सहलाओ । वो तुम्हे करना पडेगा ।शुरु मे भले ही अजीब लगे कि वो काम मर्दो को बहुत पसंद आता है और अगर औरत खुद से ही वो सुख मर्दो को दे तो दोनो के बिच प्यार और भी गहरा जाता है ।

निशा सब समझ रही थी लेकिन उसे अपने मम्मी पापा से खुल कर मस्ती करनी थी तो वो नादान होते हुए - उसका वो मतलब ,,,और कैसा सुख ?? मै समझी नही मा ।

निशा से धीमी और जिज्ञासू अभिवक्ति दिखाई ।

तभी जंगीलाल - ओह्ह हो शालिनी तुम भी ना , अरे उसको इशारे मे समझाओगी तो कैसे जानेगी वो । उसे खुले और सटीक शब्दो मे बताओ ना

जंगीलाल - देख तेरी मा कहने का मतल्ब ये है कि .....। अच्छा ये बता तु मर्दो के लिंग के बारे मे क्या जानती है ।

निशा शर्म से लाल होकर मुह मे हाथ रख कर खिस्खी लेके हसने लगी ।
जंगीलाल - अरे शर्मा मत बेटी ,,बोल । तुझे इसका सामाजिक नाम पता है ना

निशा ने मुस्कुरा का हा मे सर हिलाया और धिरे से बोली - हा वो काफी लोगो से सुना है उस्का नाम । अक्सर लोग गाली देने मे ही यूज़ करते है ।


जंगीलाल ठहाका लेके हसा - हाहहहा बात तो सही है बेटा ! तो बता क्या कहते है उसे


निशा ने पहली बार अब नजरे उठा कर अपनी असमंजस की स्थिति दिखाई और पहले पापा को फिर मम्मी को निहारा ।

जन्गीलाल - बोल बेटा,, देख तू अगर झिझक करेगी तो सिखेगी कैसे ?? बोल ना

निशा मुस्करा कर नजरे नीची करती हुई बहुत ही धीमी आवाज मे - लल्लण्ड!!

जंगीलाल - क्या बोल रही है तु थोडा तेज बोला बेटा??
निशा थोडा हस कर समान्य आवाज मे - लण्ड!!

अपनी बेटी के मुह से लण्ड शब्द सुन कर जन्गीलाल जोश से भर गया वही शालिनी भी रोमांचित हो उठी । निशा की दिल की धड़कने भी तेज हो गयी थी अपने पापा के सामने वो ऐसे शब्द बोल पाई
जन्गिलाल निशा के पीठ को सहलाकर - शाबाश बेटा, अब ये बता तुने कभी किसी का लण्ड देखा है ।

जन्गिलाल के सवाल से निशा चौकी कि अब इस्का क्या जवाब दे , उसने तो अबतक तीन जबरदस्त लण्ड से चुदी हुई है । मगर जान्घिये मे उभरा उसके पापा का लण्ड कुछ ज्यादा ही मोटा लग रहा था उसे ।


जन्गीलाल हस कर - अरे मेरा मतलब है कि ऐसे किसी वीडियो या किसी को पेसाब करते हुए ,,,

निशा मुस्कुरा कर ना मे सर हिला दी ।
जन्गीलाल रोमांच से भर गया कि उस्की बेटी पहली बार किसी का लण्ड देखेगी तो उसका ही ।

जन्गीलाल - कोई बात नही बेटा , रुक मै तुझे दिखाता हू

निशा की आंखे बड़ी हो गयी और वो मुस्कुराते हुए अपने पापा को अपना जांघिया खोलते तिरछी नजरो से निहारने लगी । वही शालिनी उसके बालो मे हाथ फेर कर उसे दुलार रही थी ।
इसी बीच जंगीलाल ने अपना जांघिया खोल कर निकाल दिया और अपने टाँगे खोल कर एक हाथ अपना मोटा काला फड़कता हुआ लण्ड सहलाने लगा ।


निशा ने तिरछी नजरो से अपने पापा का तना हुआ मुसल देखा। लण्ड की नसे फुली हुई थी और सुपाडे की लाली गहरा रही थी । मानो सारा खुन वही जमा हो रहा हो ।

उसकी नजरे निचे झुलाते जंगीलाल के मोटे मोटे आड़ो के झोली पर गयी । निशा मन ही मन बहुत ही उत्तेजित हुई जा रही थी । उसकी चुत रस बहाये जा रही थी । वही शालिनी की हालत भी कम खराब नही थी । आज तक उसने अपने पति के लिंग मे इतनी कसावट नही देखी । उसके भी निप्प्ल कड़े होने लगे । चुत की सिराये पनीयाने लगी थी ।
जंगीलाल मुस्कुराता हुआ अपना लण्ड की चमडी उपर निचे करता हुआ निशा को देखता है कि कैसे वो कनअखियो से उसका मोटा काला लण्ड निहार रही है ।

जंगीलाल - बेटा शर्मा मत देख अच्छे । ले पकड ना

निशा अब थोडा शर्माती हुई अपने पापा का लण्ड घुरने लगती ।

इतने मे शालिनी उसका हाथ पकड कर सीधा लण्ड पर रखते हुए - तु भी ना ,,,ऐसे डर रही है जैसे खा जायेगा ये हिहिहिही

निशा ने जैसे अपने पापा के मोटे तपते काले लण्ड को स्पर्श किया वो गनगना गयी और झिझक मे अपना हाथ खिच ली । वही जन्गीलाल अपनी लाडो के कोमल हाथो का स्पर्श पाकर उत्तेजना से भर गया और उसका लण्ड शालिनी की हथेली मे और कसने लगा ।

शालिनी की लार तो ना जाने कबसे अपने पति को मुसल को देख कर तपक रही थी ,,जैसे ही उसने अपने हाथो मे लण्ड की कसावट बढती मह्सूस की वो उसके उपर से निचे बडी ही मदहोशि मे सहलाते हुए - देख इसको ऐसे पकड कर सहलाते है ,, आ तु भी कर ले ।


निशा ने नजरे उठा कर अपने पापा को देखा जो उसे बडी लाड और उम्मीद भरे नजरे से देख रहे थे ।
शालिनी ने अपनी हथेली का कबजा अपने पति के लण्ड से हटाया और वापस से निशा के हाथ को पकड कर उसके पापा के लण्ड पर रख दी ।

निशा अपने पापा के लण्ड की तपिश मह्सूस कर सिहर उठी ,,उसका रोम रोम खड़ा हो गया । वो बहुत ही संवेदनशील मह्सूस करने लगी । उसकी पीठ पर सरकते उसके पापा के हाथो का स्पर्श उसे और भी मादक सा लगने लगा और कापने लगी थी ।


वही अपनी बेटी की ठन्डी उंगलियाँ अपने लण्ड पर पाकर जंगीलाल भी एक नयी रोमांचित ऊर्जा से भर गया । कमरे का माहौल काफी गर्म था लेकिन एक ठंडी चुप्पी सी थी ।
आंखे बंद किये जंगीलाल अपने आड़ो की सिकुडी हुई थैली पर अपनी बेटी के पंजो के निशान तक मह्सूस कर पा रहा था ।
वही जब निशा ने नजर उठा कर अपने पापा के चेहरे के भाव पढे तो उसने मुस्कुरा कर हल्का सा जोर अपने पापा के आड़ो पर बढाया और उन्हे सहलाया ।

सीईई अह्ह्ह .....। जंगीलाल ने मादक आह्ह भरी जिसे देख कर शालिनी भी मुस्कुराते हुए अपने बेटी के हाथो के उपर से अपने पति के आड़ो को सहलाने लगी ।

निशा को भी ये काफी पसंद आ रहा था जिस तरह से उसकी मा उसका साथ दे रही थी । दोनो मा बेटी मे आंखो से मुस्कुराहट भरी इशारेबाजी चल रही थी और शालिनी इशारो से ही निशा को लण्ड पर उन्गीलियो का जादू चलाने का तरीका बता रही थी ।

जो तरीके काफी ज्यादा कामुक होते उसको करने मे निशा खुद से ही झिझक दिखाती लेकिन शालिनी बडे दुलार से प्रेरीत करती रहती । वही अपने लण्ड पर अपनी बेटी के कोमल हाथो का स्पर्श पाकर जन्गीलाल आंखे बंद किये बस हल्की हल्की सिसकिया लेते हुए गहरी सासे लिये जा रहा था ।

उसे तो इस बात की भनक तक नही हुई कि कब दोनो मा बेटी लण्ड सहलाते हुए सोफे से उठ कर निचे फर्श पर आ चुकी थी । जहा शालिनी निशा को दोनो हाथो से लण्ड को भीचने का तरीका बता रहा थी ।

निशा ने भी अपने पापा का लण्ड दोनो हाथो से थामा और हल्का हल्का उसकी चमडी उपर निचे करने लगी ।

शालिनी ने मुस्कुरा कर - क्यू जी ,,कैसी कर रही है हमारी बेटी
जन्गीलाल ने नशे से गुलाबी होती आंखे खोल कर अपने सामने का नजारा देखा तो वो जोश से भर गया । निशा की हथेली मे उसका लण्ड और फुल गया , क्योकि उसकी बेटी उसके सामने बैठी हुई दोनो हाथो से बडे ही प्यार उसके लण्ड को दुलार रही थी ।


जंगीलाल ने हाथ बढा कर निशा के गालो को छूते हुए - अरे वाह मेरी लाडो तो बहुत जल्दी जल्दी सिख रही है

निशा शर्म से लाल होकर नजरे निचे करते हुए वैसे ही अपने पापा का लण्ड सहलाती रही ।

जंगीलाल शालिनी को इशारा किया कि अब थोडा आगे बढे तो उसने भी मुस्कुरा कर सहमती दिखाई ।

शालिनी - बेटी बस कर । अब ये काफी गरम हो गया है । तु खुद भी इसे मह्सूस कर पा रही होगी ...है ना !!

निशा ने अपने पापा के लण्ड की तपिश को एक बार फिर से मह्सुस कर सिहरते हुए हा मे सर हिलाई ।

शालिनी मुसकुरा कर - इसे थोडा ठंडा करने की जरुरत है ।

निशा ने आतुरता दिखाते हुए - वो क्यू मा ??
शालिनी और जन्गीलाल उसके सवाल पर एक दुसरे को देख कर मुस्कुराये ।

शालिनी - देख बेटा मान ले तु ससुराल मे दिन के कामो के कारण थकी हुई है और तेरी कमर और बदन मे तेज दर्द है । ऐसे मे तेरा पति तुझसे फरमायिश कर दे कि उसे शांत करना है और तु खराब तबियत की वजह से सेक्स के लिए तैयार नही होगी । ऐसे मे वो नाराज ना हो उसके लिए उसे शांत करने का आसान तरीका होता है ।


निशा सम्झ तो सब रही थी मगर फिर भी उसने आतुरता दिखाई - क्या मा ??

शालिनी - इसे चुस कर !!

निशा चौक कर - क्या !!!
शालिनी - हा बेटी ,,यही वो सुख है जो हर मर्द अपनी बीवी से कामना करता है । तुझे विश्वास नही तो अपने पापा से पुछ ले ।

निशा अपनी की बाते सुन कर लाजभरी नजरो से पापा को देखा ।
" हा बेटी , तेरी मा सही कह रही है । लण्ड चुसवाना हम मर्दो को बहुत पसंद आता है । इससे पति का प्यार उसकी पत्नी के लिए और बढ जाता है । यहा तक कि प्रेग्नेंसी या महावारी के समय में जब उसकी बीवी सेक्स के लिए तैयार नही होती है तो ऐसे मे बिविया अपने मरदो को शांत कर देती है और फिर मर्द कही बाहर नही भटकते ।

निशा अपने पापा की बात समझ गयी और मुस्कुराने लगी।
निशा थोडा मुह बिचका कर - लेकिन फिर भी मुझे अजीब लग रहा है ।

" अरे इसमे अजीब कैसा ? रुक मै दिखाती हू " , ये बोलकर शालिनी ने तत्परता दिखाते हुए गरदन आगे करके पहले लण्ड के सुपाड़े पर निकले हुए प्री-कम को चाटा और फिर आधा लण्ड मुह मे भर लिया और उसे मुह मे अंदर बाहर करने लेने लगी
फिर उसने बडी अदा से लण्ड के निचले हिस्सो पे जीभ फिराते हुए आड़ो को मुह मे भरके चुबलाया

वही जन्गीलाल के गर्म होते सुपाडे को भी पल भर के लिए ठंडक भरी राहत मिली ।

शालिनी लन्ड़ का मुह निशा की ओर करते हुए - ले !! तु भी कर

निशा का मुह तो पानी से भर हुआ था वो तो कबसे ललचाई जा रही थी ।
वही शालिनी और जन्गीलाल की निगाहे निशा पर जमी हुई थी कि कैसे वो धिरे धिरे अपने होठ खोलते हुए लण्ड की ओर बढ रही है ।
निशा ने हौले अप्नी मा के हाथ से लण्ड को थामा और लण्ड के बेहद करीब गयी ।

सुपाडे से आती गर्म और मादक खुस्बु से निशा को उत्तेजित कर दिया और उसने हौले मुह खोलते हुए अपनी जीभ निकाल कर अपने पापा का सुपाडा चाट लिया ।

जंगीलाल अपने बेटी की गीली और ठंडी जीभ का स्पर्श पाते ही जोश मे आ गया और उसका लण्ड अकड गया ।

देखते ही देखते निशा ने दुबारा से मुह खोला और इस बार सुपाड़े को पुरा मुह मे भरते हुए उसे लॉलीपॉप के जैसे चुस्ते हुए उसका रस अपने ठन्डे मुलायम होठो से सुरकते हुए बाहर निकाला ।

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जन्गीलाल की सासे अटक सी गयी जिस तरह से निशा ने उसका सुपाडा चुबलाया । वही शालिनी भी मुस्कुरा उठी कि उसकी बेटी ने बडी जल्दी समझ गयी ।

फिर निशा ठिक अपनी मा के जैसे ब्डा मुह खोला और लण्ड को आधा मुह मे भर उसके जड़ को पकड के अपने मुह मे लेने लगी ।


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जब निशा के होठ उसके पापा के लण्ड के सतहो पर घिसने लगे थे जंगीलाल की ऊर्जा पूरे तन से रिस कर उसके लण्ड मे जमा हो रही थी ।

उसके कांपते हाथ आनायास निशा के बालो के घूमने लगे और वो अपनी कमर उचका लण्ड को और भी अंदर ले जाना चाहता था । मगर बगल मे बैठी शालिनी की नजर बराबर अपने पति की हरकतो पर थी जैसे वो अपनी गाड उचकाता शालिनी उसके जांघो को दबा कर उसे शांत रहने का इशारा करती ताकि निशा को लण्ड लेने मे परेशानी ना हो । उसके दिमाग मे ये था कि एक बार निशा की झिझक दुर हो जाये और वो लण्ड चूसने का मजा ले ले तो उसके बाद वो उसे और नये तरीके और शरारते जरुर सिखायेगी ।

जन्गीलाल - सीई ओह्ह्ह बेटी,,,सच मे तु बहुत अच्छा कर रही है उम्म्ंम्ं

तभी निशा ने अपने मुह से लण्ड निकाला और उसे सहलाते हुए अपने पापा के आड़ो को मुह मे भर के चुबलाया । जिससे जन्गीलाल उछल पडा ।
शालिनी ने जैसे जैसे बताया था निशा वो सारे स्टेप कर चुकी थी और उसके हाथ अभी भी लण्ड की चमडी को उपर निचे किये जा रहे थे । वही जंगीलाल का सुपाडा वीर्य से भर कर तन चुका था ।

जंगीलाल कसमसाया और तेजी से लण्ड हिलाते हुए खड़ा हो गया - अह्ह्ह मेरी बेटी मुह खोल,,,मेरा आ रहा है ।

निशा चौक कर अपनी मा को देखा ।
"हा बेटी मुह खोल उसे मुह मे ले ,,, उसका स्वाद बहुत ही अच्छा होता है । एक बार ट्राई तो कर " शालिनी ने उसे दुलारते कहा ।

निशा ने भी मुह खोला और आंखे बन्द कर ली ।

इधर जंगीलाला ने अपना लण्ड निशा के मुह के ठीक उपर रखकर तेजी से आह्ह भरते हुए उसके मुह मे झड़ने लगा - ओह्ह्ह बेटी अह्ह्ब लेह्ह पी जह्ह्ह ओह्ह्ह उह्ह्ह्ह अह्ह्ह

निशा आंख बंद कर मुह खोले रही और अपने पापा सुपाडे से अपना माल उसके मुह ने गिराते रहे फिर अच्छे से दो बार झाड कर अपना लण्ड उसके होठो पर पटका और हाफते हुए सोफे पर बैठ गया ।

वही निशा ने वीर्य को मुह मे भरे हुए ही अपनी मा को देखा तो उसने इशारे से गटकने को कहा तो वो बडी ही मासूमियत से अपनी मा की आंखो मे देखते हुए गटक गयी । जैसे कोई बच्चा अपनी मा के सामने दूध की घूंट गटकता हो।

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शालिनी ललचा कर रह गयी कि उसे उसके हिस्से का माल नही मिल पाया । लेकीन वो अपने बेटी के लिए खुश थी।

निशा ने जीभ नचा नचा कर मुह से बीर्य को साफ करके गटक गयी और वापस वही फर्श पर बैठते हुए अपने मा की ओर सवालिया नजरो से देखा कि अब इस्से आगे क्या ??

शालिनी मन ही मन समझ रही थी कि निशा की दिलचस्पी भी इसमे अब बढ रही है । लेकिन वो कोई जल्दीबाजी नही चाहती थी ।

इधर जन्गीलाल थोड़े ही पल मे आंख खोल के बैठा और निशा को उठा कर अपने बगल मे बिठा कर उसकी तारिफ करने लगा ।

निशा अब सच मे शर्म आ रही थी कि उसके पापा इनसब के लिए उसकी तारिफ कर रहे है ।
जंगीलाल - तो मेरी लाडो को और सिखना है ।

"मेरे ख्याल से आज इतना ही रहने दिजिये " , शालिनी ने अपने पति को टोका तो उसका चेहरा उतर गया ।

जंगीलाल - अरे शालिनी अभी तो उसने कुछ भी नही सिखा ।

शालिनी ने घड़ी की ओर इशारा करके कहा- समय देख रहे है । सवा 11 बजने वाले है । सिर्फ़ यही सिखाने मे एक घन्टे से ज्यादा समय लग गया । ऐसे तो काफी रात हो जायेगी जी ।


शालिनी की बात सुन कर जन्गिलाल थोडा उखड़ा लेकिन उसकी बात भी सही थी तभी वो चहका - आइडिया !!

अपने पापा को चहकता देख निशा की थोडी हसी छुट गयी ।
शालिनी भी अपने पति का उतावलापन देख कर मुस्कराई- क्या बोलिए !!

जंगीलाल- क्यू ना हम दोनो लाडो को सेक्स करके दिखाये जिससे वो जल्दी सिख जायेगी और उसे सारी बाते अच्छे से समझ आ जायेगी ।

निशा की आंखे बड़ी हो गयी वही उसके दिल की धडकनें तेज हो गयी कि उसके मम्मी पापा उसके सामने ही चुदाई करने की योजना बना रहे है ।

शालिनी अपने पति की मंशा समझ गयी थी कि वो निशा को कामोत्तेजीत करना चाह रहा था जिससे मुझे मजा करता देख उसकी भी रुचि चुदने मे बढ जाये ।
लेकिन इनसब के पहले शालिनी ने अपनी बेटी की रजामंदी लेनी बेहतर समझी ।

शालिनी निशा के सर को दुलार कर - तुझे कोई दिक्कत तो नही है ना बेटी ।

निशा बस अपने पापा के वजह से झिझक रही थी नही तो वो ऐसे मौके पर अपनी को छेड़ने से बाज नही आती । इसिलिए वो बस शर्म से नजरे निचे करके मुस्कुराने लगी ।

जंगीलाल - ओह्हो जान,,लाडो को कोई दिक्कत नही है । आखिर ये सब हम उसी के लिए कर रहे है ना

शालिनी मुस्कुराकर - ठिक है फिर । बेटा तु भी ध्यान से देखना ना मै कैसे और क्या कर रही हू ।


निशा ने मुस्कुराकर अपनी मा को देखते हुए हा मे सर हिलाया ।फिर शालिनी उठी और खड़ी हुई ।

शालिनी - अरे अब वही बैठे रहेन्गे क्या ?? उठिए

शालिनी की बात पर निशा अपने पापा का आलस देख कर खिस्स से हस दी और वही जंगीलाल अंगड़ाई लेके उठने लगा , उस्का लण्ड भी अब थोडा थोडा सर उठाने लगा था ।


फिर दोनो निशा के सामने बिस्तर की ओर बढ गये ।

जारी रहेगी
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
 
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लेखक की जुबानी

कमरे का माहौल काफी रूमानी हो चुका था , हल्की मादक सिसकिया और कसमसाहट भरे संवाद हो रहे थे ।

सोफे पर पालथी मारकर बैठी निशा के हाथ उसकी गोद मे थे और नजरे अपनी मा शालिनी की कामुक अदाओ पर जमी हुई थी । जो अपने पति के सामने एक एक करके साडी के अंदर से बडी ही अदा से अपने ब्लाऊज के हुक खोले जा रही थी ।

बिस्तर पर टेक लगा कर बैठा जंगीलाल अपना लण्ड मसल कर शालिनी की मादक हरकतो को निहार रहा था । बीच बीच में वो ये भी देख रहा था कि निशा की निगाहे कहा है । जब वो ऐसा करता तो निशा खिस्खी लेके मुस्कुरा देती ।

इधर शालिनी ने बडी अदा से अपना ब्लाउज निकाला और ब्रा खोलकर साडी के अंदर ही अपने चुचे नंगी कर चुकी थी ।

फिरोजी रंग की उस हल्की पारदर्शी साडी मे शालिनी की कामुकता और निखर रही थी । वही जन्गीलाल बेताब होकर अपनी बीवी के चुचे पूरे नंगे होने का इन्तेजार कर रहा था । मगर वही शालिनी ने शरारत करते हुए अपनी साडी का पल्लू को फैलाकर अपनी चुचो को पुरा धक कर उसे कमर मे खोस लिया ।

नतिजन साडी का पल्लू शालिनी के बडे बडे चुचो पर कस गया और भूरे निप्प्लो की बारीक सी झलक साडी के उपर दिखने लगी ।
जंगीलाल लण्ड भीच कर रह गया।

अपने पति को छेड़कर शालिनी एक विजयी मुस्कराहट के साथ निशा को देखा ,मानो उसे कह रही हो कि देख ऐसे करते है मर्दो के जजबातो से खिलवाड़

निशा थोडा खिलखिलाई लेकिन अपनी मा की कामुक अदा से उस्के भी निप्प्ल्स कड़े होने लगे थे ।

शालिनी एक कदम आगे बढ़ कर घोडी बन कर बिसतर पर चढ गयी और कैटवाक करते हुए अपने पति के फैले हुए जांघो के बीच गयी और उसकी आंखो मे देखते हुए अपने कड़े जोबनो को बडी बेरहमी से साडी के उपर से मसलने लगी ।
जंगीलाल कामुकता से और विचलित हुआ । उसने हाथ आगे बढा कर शालिनी के लटके हुए चुचे साडी के उपर से थाम लिये ।

जन्गिलाल - ओह्ह जान क्या मस्त चुचिया है तेरी ,,इधर आओ ना

फिर वो शालिनी को अपने पास बुलाता ,,शालिनी भी आगे होकर अपने पति की गोद मे दोनो टाँगे फेक कर बैठ जाती है और दोनो एक गहरी लिपकिस्स मे खो जाते है । जिसे देख कर निशा अपने थुक गटकने लगती है । वो इस वक़्त बेहिसाब तडप रही थी । अपने गोद मे रखे हुए हाथो से उसने तो अपनी जांघो को हल्का हल्का घिसना भी शुरु कर दिया था ।

वही जंगीलाल अपनी पत्नी की चुचिया नंगीकर उसे बडे जोश मे मुह मे भर कर चुस रहा था और शालिनी भी सिसिकिया लेते हुए मजे से अपने पति के सर को अपने सीने मे दफन किये हुई निशा को नशीली नजरो से निहार रही थी ।
मानो उसे दिखा रही हो देख कैसे मैने तेरे पापा को पागल कर दिया । निशा बस बेबस होकर मुस्कुरा देती ।

थोडे समय बाद ही पोजीशन बदला और शालिनी इस वक़्त पूरी नंगी थी । अपनी मा के जिस्मो की सेक्सी फिगर देख कर निशा खुद को नापने लगी कि इस जवानी मे भी वो अपनी मा के आगे कुछ भी नही है ।

वही उसके पापा उसकी मा के जांघो को फैला कर उसकी चुत मे मुह लगा चुके थे ।
शालिनी तडप उठी और जोर की सिसकिया लेने लगी ।

शालिनी एक नजर निशा को देखा और उसे अपने पास आने का इशारा किया ... निशा थोडा हैरान हुई और उसने उठने से पहले एक बार अपने हाथ से अपनी बजबजाती चुत को दबाया और खड़ी हो गयी ।
वही जंगीलाल शालिनी की जांघो को अपने कन्धे पर रखे हुए बडे ही चाव से लपालप जीभ चला रहा था ।

शालिनी कभी सिस्क्ती तो कभी निशा को अपने पास आते देख मुस्कुराती और फिर उसने उसे अपने पास बैठने का इशारा किया ।

निशा वही बिस्तर के मुहाने पर पैर लटका कर बैठ गयी और उसकी नजर अपने पापा पर गयी जो अपनी जीभ को उसकी मा की चुत मे घुसासे होठो से उपर की चमडी चुबला रहे थे ।

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निसा पूरी तरह गनगना गयी ,,उसकी चुत रिसना शुरु कर चुकी थी और जांघो पर चखटने लगी थी ।
निशा को खुजली सी मह्सूस हो रही थी लेकिन अगर वो वैसा कुछ करने जाती तो कही उसकी मा को शक ना हो जाये की वो भी चुदवासी हो गयी । क्योकि शालिनी की निगाहे बराबर उसपे जमी हुई थी ।

शालिनी - देखा बेटा मर्द को एक बार गर्म कर दो वो तुम्हे जी भर के प्यार करता है सीईई अह्ह्ह उम्म्ंम्ं अराआम्म्ं से मेरे राआज्ज्जाअह्ह सीई

निशा अपनी मा की बात सुन कर मुस्कुराई और बस अपने पापा को निहारे जा रही थी जो अभी अभी उसकी मा के चुत की मलाई साफ करके खडे हुए मुह पोछ रहे थे ।


जबकि शालिनी झड़ने के बाद थोडा सुसता रही थी वही जन्गीलाल का लण्ड फौलादी हुआ जा रहा था

जंगीलाल - आओ ना जान थोडा इसे चुस कर तैयार कर दो
शालिनी उठने को हुई ही थी कि उसकी नजर निशा पर गयी और वो वापस लेट गयी ।


शालिनी- आह्ह बेटा जरा तेरे पापा का लण्ड थोडा चुस दे ,,,इन्होने मेरी चुत ऐसी चाटी है कि पुरा जिस्म अकड गया है उम्म्ंम्ं

निशा को थोडी हसी आई मगर वो उठ कर अपने पापा के पास चली गयी
एक बार फिर से उसने झुक कर अपने पापा लण्ड मुह मे भर लिया ,,,इस बार उसने लण्ड को थोडा और अन्दर लेते हुए आड़ो को सहलाती रही ।

वही जन्गीलाल घुटनो के बल खड़ा होकर अह्हे भर रहा था - अह्ह्ह बेटी ओह्ह्ह उम्म्ंम क्या मस्त चुस्ती है रे तू उम्म्ंम

निशा ने गुउउग्गुऊऊ करके लण्ड को सुरुपे जा रही थी ,,वही शालिनी को डर था कही फिर निशा सारा माल गटक जाये

शालिनी अपनी जान्घे खोल कर चुत रगड़ते हुए - आह्ह जीईई आओ ना उम्म्ंम प्लीज

जंगीलाला की चेतना जगी ,,वो ना चाहते हुए भी अपनी बेटी को लण्ड मुह से निकालने को कहने लगा ।

निशा भी बडे बेमन से अपने पापा का सुपाडा सुरुकते हुए लण्ड छोड दिया और लाचार नजरो से अपने पापा को देखा ।

जन्गीलाल भी उदास होकर ही अपना लण्ड मुठियाता हुआ अपनी बीवी के चुत के पास ले गया और गच्च के लण्ड को एक बार मे आधा उसकी चुत मे उतार दिया ।

शालिनी दर्द से मचल उठी और निशा वापस अपने जगह पर मा के सिरहाने आ गयी ।

उसके पापा ने दो और करारे धक्के लगाते हुए उसकी मा चुत को चिरते हुए जड तक घुस गये ,,,वही शालिनी दर्द से छ्टप्टा उठी । वो जान रही थी आज सारा जोश और जुनून निशा के वजह से ही है । वो खुद भी इस चीज़ को इंजॉय कर रही थी ।

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जंगीलाल ने ग्च्च ग्च्च धक्के लगाने शुरु किये
शालिनी मुस्कुरा कर - अह्ह्ह क्या जी आप तो लाडो को डरा रहे है ,,थोडा आराम से करिये ना

तभी जंगीलाल को भी ध्यान आया कि ये सब वो इसिलिए तो कर रहे हैं कि निशा की दिलचस्पी बढे ।
इसीलिये जन्गीलाल धीरे धीरे मादक धक्के लगाने और लण्ड को शालिनी की चुत मे न्चाने लगा
निशा अपने मम्मी पापा की कामुक बातचीत और चुदाई देख कर बहुत ही गर्म हुई जा रही थी ,,उसका तो जी चाह रहा था कि अभी सब कुछ खोल कर वो अपने पापा के निचे आ जाये और वो उसे हचक हचक के चोदे ।

शालिनी मादक सिसिकिया लेती हुई - उम्म्ंम्ं देख रही बेटी मर्दो को गर्म करने का नतिजा अह्ह्ज शादी के बाद तु भी ऐसे ही लेटी होगी और तेरा पति तुझे भी ऐसे मजे करायेगा उम्म्ंम अह्ह्ह मेरे राज्ज्जाअझ और चोदो ना उम्म्ंम्म्ं


निशा अपनी मा की बाते सुन कर काफी कामोत्तेजक हुई जा रही थी लेकिन बेबसी मे सिवाय मुस्कुराने के कुछ कर नही सकती थी ।


इधर उसके पापा ने धीरे धीरे गति बढा दी और शालिनी और ही तेज स्सिकिया लेते हुए मजे ले रही थी । वो थोडा बहुत तो जान बुझ कर ही ऐसे शब्दो का चुनाव कर रही थी कि निशा को लगे उसकी मा को चुदने मे कितना मजा आ रहा है ।

इधर जन्गीलाल भी अपनी ही बेटी के सामने चुदाई करके काफी कामोत्तेजक हुआ जा रहा था और जल्द ही वो फिर से चरम पर था

उस ने आखिरी कुछ जोरदार धक्को के साथ झड़ने के करीब आ गया था ।
उस्ने फटाक से लण्ड बाहर निकाला और शालिनी के पास जाकर उसके मुह पर लण्ड हिलाने लगा ।

शालिनी अपनी दोनो चुचिया पकड कर मुह खोले हुर जीभ बाहर निकाल ली और

"अह्ह्ह मेरी जाआअननन ओह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह्ब लेहह ओह्ह " , जन्गिलाल शालिनी के मुह ने झड़ते हुए आह्ह भरने लगा ।

उसने सारा माल निचोड लेने के बाद शालीनी के मुह पर अपना ढिला और लचीला लण्ड झाडा और वैसे ही घुटने बल खडे खडे ही सासे बराबर करने लगा ।


शालिनी ने सारा माल गटकने के बाद थोडा कोहनियों के बल होकर अपने पति के लण्ड को सुरक कर चाटा और वापस से लेट गयी । वही जन्गीलाल भी पास मे लेट गया ।


निसा उन दोनो को तृप्त देख कर मुस्करा रही थी और मौका पाकर उसने अपने बाई जांघो हल्के से खुजाया क्योकि उसकी चुत का रस बह कर सुखने लगा था । जिससे उसे खुजली हो रही थी ।

शालिनी ने फिर निशा की ओर करवट ली और बोली - कैसा लगा तुझे बेटी ,,, समझ आया ।

तभी जंगीलाल भी करवट लेके शालिनी को पीछे के पकडते हुए - हा बोल बेटी ।

निशा थोडा शर्म से नजरे झुका कर - हमम थोडा थोडा

जंगीलाल - कोई बात नही बेटा हम तुझे धीरे धीरे सब सिखा देंगे ,, अभी तु आराम कर ठिक है ।

निशा मुस्कुराई - जी पापा

फिर वो एक नजर अपनी मा को देखा जिसके चुचो पर उस्जे पापा का हाथ रेंग रहा था और वो अपने कपडे लेके वापस अपने कमरे मे चली गयी ।


निशा के जाते ही जंगीलाल खुशी से - ओह्हो मेरी जान आज तो कमाल ही हो गया । क्या मस्त चूसा है उसने लण्ड उह्ह्ह

शालिनी - हा हा ठिक है, लेकिन आप खुद पर काबू रखिये फुल सी बेटी है अपनी । थोडा संयम से और आराम आराम से ही उसे सिखाना है ये नही कि आप अपनी हवस मे मेरी लाडो को कुछ नुक्सान कर दे ।


जंगीलाल - हा मेरी जान मै जानता हू ,

इधर इन दोनो की बाते जारी रही निशा जल्दी से कमरे मे जाते ही अपने सारे कपडे निकाल फेके और घन्टे भर से भरी तडप को अपनी चुत रगड़ कर शांत करने लगी ।
झड़ने के बाद भी निशा को नीद नही आई और उस रात वो देर तक अपने पापा के संग चुदाई के सपने बुनते हुए दो बार और खुद को निचोड़ा और सुबह के 3 बजे के करीब वो सो गयी ।


अगली सुबह शालिनी समय के उठ कर नहा धो कर अपने कामो मे लग गयी , करीब 8 बजे जंगीलाल भी उठ कर फ्रेश होने और नहाने उपर चला गया ।

छत पर जाने के बाद उसे निशा का ध्यान आया कि शायद अभी तक वो सो रही है क्योकि आज उसके कोई भी कपडे सुख नही रहे थे ।

निशा का ख्याल आते ही जंगीलाल का लण्ड टनं होआ गया और जहन मे रात की घटनाये उभरने लगी ।

फिर वो फ्रेश होकर नहाने के लिए बाथरूम मे गया और इसी दौरान उसे मह्सूस हुआ कि पाखाने मे कोई आया है ।


जंगीलाल खुशी से झूम उठा कि शायद निशा आई हो और वो हाथ धुलने बाथरूम मे जरुर आयेगी ।

जन्गीलाल मन ही मन सुबह सुबह निशा के मुह मे अपने लण्ड घुसाने के सपने बुन रहा था लेकिन जल्द ही उसका भ्रम टुट गया क्योकि वो राहुल था ।


जंगीलाला नहाकर बाहर निकला - अरे बेटा तु आ गया

राहुल - मै तो 7बजे ही आ गया हू पापा और दुकान भी साफ कर दिया , अभी नहाने जा रहा हू

जन्गीलाल भले ही पहले निशा की जगह राहुल को देखकर चिढ़ गया था लेकिन जब राहुल ने उचित कारण बताया तो उसे अपने बेटे पर गर्व हुआ कि वो अपने कामो को महत्व देता है ।
उसके बाद जंगीलाल निचे आया और अपने कमरे मे जाके एक शर्ट डाल कर वैसे ही जान्घिये के उपर से गम्छा लपेट लिया । ये उसका रोज का था ।
तैयार होकर बाहर आया तो उसने किचन मे एक नजर मारी और वहा सिर्फ शालिनी दिखी तो वो समझ गया कि निशा अभी तक उठी नही शायद
इसिलिए वो उसको जगाने उसके कमरे मे चला गया
कमरे का दरवाजा तो बस हल्का ही भिड़का हुआ था और कमरे मे निशा सिर्फ एक टीशर्ट पहने हुए निचे से पूरी नंगी सोयी हुई थी । उसकी जान्गे खुली हुई थी और चुत की चिकनी फल्के साफ साफ दिख रही थी ।

जन्गीलाल एक बार दरवाजे से बाहर के हाल और किचन को जाचा और फिर एक नजर उपर जीने पर नजर दौडाई । फिर बड़ी सावधानी से वो कमरे मे घुस कर दरवाजा बन्द कर दिया ।

धिरे धीरे वो बेड के पास गया जहा उसकी बेटी आधी नंगी होकर अपनी चुत खोले बेसुध सो रही थी और बेड सीट पर उसके सोमरस के धब्बे साफ दिख रहे थे ।
जिस्से जंगीलाल के जहन मे कुछ सवालो का मेला लगने लगा और उसके लण्ड का तनाव बढने लगा । चेहरे पर एक शरारती मुस्कान सी छाने लगी और वो अपना लण्ड गमछे के उपर से ही भीचने लगा ।

राज की जुबानी

अगली सुबह मेरी खुली तो मुझे अपने लिंग पर एक ठंडक सी अह्सास हो रही थी
गरदन उठा कर देखा तो गीता निचे सरक कर मेरा तना हुआ लण्ड मुह मे भरी हुई थी ।

मै सिस्क कर - अह्ह्ह मीठी येह्ह्ह क्याअह्ह कर रही है

गीता - भैया ये बड़ा हो गया था तो .....हिहिहिही

मै उसकी मासूमियत पर मुस्कराया और बगल मे लेटी बबिता के माथे को चुम कर उसे उठाया तो वो वापस से कसमसा कर मुझसे लिपट गयी

मै दुबारा से उसे जगाता उस्से पहले ही दरवाजे पर दस्तक हुई और मैने गीता को देखा जो मुह मे मेरा लण्ड भरे टकटकी लगाये मुझे देख रही थी
डर हम दोनो के चेहरे पर था और मैने तो कोई कप्डे नही डाले थे ,,तभी दरवाजे पर दस्तक तेज हुई और गीता फटाक से लण्ड छोड कर खड़ी हुई ।

मैने इधर उधर नजर दौडाई और फर्श पर फेके हुए कपडे मुझे दिखे मै ध्म्म से कूद कर फर्श पर गया और अंडरवियर छोड कर डायरेक्ट लोवर और टीशर्ट डाल दी ।

वही गीता को डाट ना पडे इसिलिए मैने उसे सोने को कहा और खुद अपना अंडरवियर पैर से बिस्तर के निचे खिस्का कर दरवाजा खोलने चला गया ।

मामी - ओहो क्या खा के सोते हो तुम लोग ,,,सुबह के 8 बजने वाले है

मै हस कर - अब आप ही पता नही क्या खिलाती हो कि खा कर बडी थकान हो जाती है ....
मैने हस्ते हुए दोहरे अर्थ मे मामी से ये बात कही और मैक्सि मे कसे उनके जोबनो पर इशारा किया ।

मामी भी इतराकर मुस्कुराने लगी - धत्त बदमाश ,,,और इनको देखो अभी तक सो रही है । उठो महारानियो , नहाना धोना नही है क्या

मै मामी से धीमी आवाज मे - आपने रात वाला धुल लिया क्या ?

मामी मेरा इशारा समझ गयी और मुझे धकेल कर हस्ते हुए गीता बबिता को जगाने चली गयी ।

थोडी देर बाद हम लोग नहा धो कर फ्रेश हुए और नासता करने एकजुट हुए ।

नास्ते पर बातो ही बातो मे मामी ने बताया कि कल मामा आ रहे है ,,,ये इशारा उनका मुझे और नाना दोनो के लिए था ।
इसिलिए मैने भी बताया कि कल दोपहर बाद से मै भी रज्जो के यहा निकलूँगा।

मेरा इशारा गीता बबिता के साथ साथ मामी के लिए भी था कि सिर्फ नाना को ही समय ना दे ,मुझे भी दे दे ।

वो मुस्कुरा रही थी । नास्ते के बाद मै नाना के साथ उनके कमरे मे चला गया ।
गीता बबिता अपनी मा का हाथ बटाने लगी ।

कमरे मे

मैने एक बार नाना का मन टटोला कि क्या वो दोपहर मे गोदाम पर जाने के विचार मे है या गीता बबिता के सिलाई सेन्टर जाने के बाद मामी के साथ मस्ती करने का मूड है ।


मै हिचक कर - नाना वो हम लोग गोदाम कब चल रहे है ।

नाना मुझे देख कर मुस्कराये और बोले - लग रहा है कमला भा गयी है तुझे उम्म्ंम

मै शर्म से लाल होने लगा

नाना - लेकिन बेटा आज तो वो छुट्टी पर है
मै समझ गया कि नाना का बहाना है और वो मामी के साथ मस्ती जरुर करेंगे। मगर मेरे रहते कैसे ??

इधर हम बाते कर रहे थे कि मामी हमारे पास आई - राज बाबू थोडा मेरे साथ आईये । एक मदद करिये


नाना चहक कर - क्या बात है बहू , मुझ्से कहो

मामी मुस्कुरा कर - अरे नही बाऊजी ,,वो कल बाबू रज्जो दीदी के यहा जा रहे हैं तो सोच रही थी थोडा सा कुछ समान भेज दू इनके हाथ से । वही निकलवाना है ।


नाना समझ गये कि मेहनत वाला काम है तो ठिक है बोल कर लेट गये
फिर मै और मामी वहा से निकल कर सीधा उनके कमरे की ओर चल दिये ,,,हम दोनो ने एक नजर किचन मे मारी तो देखा दोनो बहने दोपहर के खाने की तैयारी कर रही थी ।


फिर हम कमरे मे गये और दरवाजा बंद होते ही मैने उन्हे अपनी बाहो मे कस लिया ।

बाहो मे भरते ही मुझे आभास हुआ कि मामी ने मैक्सि के निचे कुछ भी नही पहन रखा है
मामी कसमसा कर मुझसे अलग होती हुई - ओहो बाबू छोडो मुझे । मै यहा सच मे काम से आपको बुलाई हू

मै उनको पीछे से पकड कर उनके कान के पास किस्स करता हुआ - तो बताओ ना क्या करना है मुझे

मामी हस्ती हुई मुझसे छूट कर - जाओ वो स्टूल लेके आओ ,,,मुझे वहा उपर से कुछ उतारना है

मामी कमरे के एक रैक पर इशारा किया ।
फिर मै वो बड़ा स्टूल लेके उनके पास गया और खुद चढ़ने लगा ताकि जल्दी से काम निबटा कर मामी के साथ थोडी मस्ती की जा सके ।

मामी - नही नही तुम नही ,,मै चढून्गी उपर

मै हस्कर दोहरे अर्थ मे बोला - मैने कब आपको उपर चढ़ने से रोका है ,,,हिहिहिही

मामी मेरा मतलब समझ गयी और मुझे हटाकर खुद स्टूल पकड कर चढ़ने लगी - हटो बदमाश कही के !! और जरा ध्यान से पकड़ो मै गिर ना जाऊ

फिर मैने थोडा खुद को सीरियस दिखाया और सामने जाकर स्टूल को अच्छे से पकड लिया ।

स्टूल मेरी कमर के बराबर ऊचा था और मेरे नथुने मामी के चुत के महज कुछ ही इन्च उपर थी । जिसकी मादक खुस्बु मुझे बेचैन करने लगी । मानो कोई नशिलि गन्ध मेरे दिमाग मे चढ़ गयी थी । मै आंखे बन्द किये उनकी ओर झुकने लगा

तभी मामी उपर से डाट कर मुझे चेताया कि सही से पकडे रहू ।
फिर मै मुस्कुरा उठा कर स्टूल को पकडे पकडे ही निचे सरक कर बैठ गया ।

फिर धिरे से उनकी मैक्सि का निचला सिरा आगे से पकड़ा और थोडा फैलाया

अह्ह्ह क्या नजारा था
चिकनी जान्घे और फुली हुई चुत ,,फिर सपाट चर्बीदार पेट और उपर दो मोटे मोटे पपीते जैसे चुचे । जिनके निप्प्ल तने हूए थे ।

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मैने मस्ती मे एक जोर की ठंडी फ़ूक मामी के मैक्सि मे मारी और वो स्टूल पर हिलने लगी ।
मै फौरन खड़ा होकर उन्हे पकड कर हसने लगा

मामी मुझे हस्ता देख कर - तुम नही मानोगे उम्म्ं

मैने अपनी गरदन उचका कर मैक्सि के उपर से उनकी चुत पर नथुने रगड़कर उन्हे देखता हुआ ना मे सर हिलाया ।

फिर वो मुस्कुरा कर जल्दी जल्दी सामान निकाली और निचे आ गयी ।
फिर उन्होने लोवर के उपर से ही मेरा लण्ड भिच्ना शुरु कर दिया और मै मस्ती मे आ गया ।

मामी मेरे चेहरे के भावो को पढती हुई - क्यू बहुत अकड रहा है ये ना ,,,रुको इसका इलाज करती हू मै

फिर मामी ने अगले ही पल अपनी मैकसी निकाल दी और पूरी नंगी होकर खड़ी हो गयी ।
मामी - अब रुके क्यू हो ,,खोलो तुम भी । करना नही है क्या

मै मामी के कसे हुए जोबनो और चर्बीदार जिस्म मे खोया हुआ अपना लण्ड मसल रहा था । मामी की आवाज सुनते हि फटाफट नंगा होकर उनके सामाने लण्ड हिलाने लगा ।

वो मुस्कुरा कर मेरे कदमो मे बैठ गयी और अगले ही पल मेरा लण्ड उनके मुह मे था ।

वो भर भर के लण्ड को गले तक ले जाने लगी और मै मस्ती मे अपनी एडिया उचकाने लगा ।

वो तो मै समय पर रोक लिया नही तो मामी मुझे निचोड ही लेती ,,,हालाकी इसके लिए उन्होने मेरे इशारे मे मजे भी लिये । मै बस मुस्कुरा कर उनके गाड़ को मस्ल्ते हुए लण्ड सहला रहा था ।

फिर मैने उन्हे बिसतर पर लिटाया और निचे झुक कर उनकी जांघो के आस पास हाथ घुमाने लगा । उनकी फुली हुई चुत से आती नशीली गन्ध मुझे पागल कर रही थी ।
मैने उनकी जांघों फैलाते हुए अपना जीभ निकालकर चुत के आस पास फिराना शुरु कर दिया ।

मामी सिसकिया लेने लगी और मैने अपने होठ उनकी चुत के होठो से जोड लिये । फिर उनकी चुसाई शुरु कर दी ।मामी सिसकिया लेते हुए अपनी जान्घे मेरे सर पर कसने लगी और मै अपनी जीभ को चुत मे घुसेड़ के चाटे जा रहा था ।

फिर मैने अपना सर हटाया और जांघो को उपर उठाते हुए गाड के भूरे सुराख पर नजर डाली,, मेरे मुह मे पानी आ गया ।

वही लार मैने अपनी जीभ पर बटोरा और एक बार मामी के गाड़ के सुराख पर फिराया वो उछल पडी ।

मैने अब उनकी जांघो को और भी मजबूती से थाम लिया और गाड़ के सुराख से चुत के निचले हिस्से पर जीभ चलाने लगा ।
मामी हर मुमकिन कोशिस कर रही थी और अपने चुतड के पाटे सख्त कर रही थी । लेकिन मैने नही छोडा

मेरे जहन मे उनकी गाड़ चोदने की चसक चढ़ चुकी थी और मै खड़ा होकर इधर उधर कमरे मे नजर मारा और टेबल पर रखी तेल की शिसी देख कर खुश हुआ ।

मै लपक कर उसे लेने गया ,,वापस मुड़ा तो मामी अपनी चुचियॉ मिजते हुए अपनी चुत सहला रही थी ।

मै - मामी घोड़ी बनो ना ,,मुझे पीछे से लेना है
मामी कसमसा कर अपनी चुत मे ऊँगली डाल कर गाड़ पटकते हुए - अह्ह्ह नही बाबू ,,पहले मेरी चुत मे डालो सीईई अह्ह्ज

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मामी - बाऊजी ने पूरी रात सिर्फ़ गाड़ मे ही तो डाला,,,तरस गयी हू चुत मे लेने के लिए

मै समझ गया और मुस्कुरा कर उनके पैरो के बिच गया और एक टांग उठा कर लण्ड को सेट करते हुए सरसरा कर पुरा लण्ड एक ही बार मे उनकी चुत मे उतार दिया

मामी की आंखे फैल गयी ,,सासे अटक सी गयी
मैने देर ना करते हुए 4 5 करारे धक्के मारे और फिर कस कस चोदना शुरु कर दिया

मामी अब सामान्य हो गयी थी और चुदाई का मजा लेने लगी थी ।

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मामी - सीई अह्ह्ह और तेज बेटा अह्ह्ह्ह उम्म्ंम्ं माआह हा ऐसे ही खुब अन्दर तक घुसाओ बाबू उम्म्ंम

मै मुस्कुरा कर कस कस के उन्हे पेलने लगा और उनकी ओर झूकते हुए लण्ड को और भी गहराई मे ले जाने लगा ।

मामी झड़े जा रही थी और मेरे लण्ड को निचोड रही थी ,,लेकिन मैने तय कर रखा था कि आज बिना गाड चोदे नही छोड़ूंगा इसिलिए मैने लन्ड बाहर निकाल दिया ।

मामी कुछ पल अपनी कमर झटकती रही और मै उनके बगल के आ के बैठ गया ।

करीब 3 4 मिंट बाद मामी ने आंखे खोली और बगल मुझे लेटकर लण्ड सहलाते हुए देख कर समझ गयी कि मै नही मानूंगा


फिर उन्होने मेरे लण्ड को थामा और सहलाते हुए - बिना गाड़ चोदे नही मानोगे उम्म्ंम

मै - उम्म्ं आपकी गाड़ है ही ऐसी कि ....सीईई ओह्ह्ह उम्म्ंम

फिर मामी निचे सरक कर बैठ गयी और झुक कर पहले मेरे लण्ड को सहलाया फिर मेरे लण्ड की चमडी को सरकाते हुए लण्ड को मुह ने भर लिया ।

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मै सिस्क कर रह गया ,,वो उसे सुरकने लगी , वो मेरे लण्ड के आड़ो को मसल मसल कर मेरे लण्ड को फौलादी बना रही थी और सुपाड़े को मुह मे भरे लगातार चुसे जा रही थी ।

फिर उन्होने मुह से लण्ड निकाला और मुझे देख कर मुस्कुराने लगी ।
मै समझ गया कि वो कह रही है लण्ड गाड़ मे जाने के लिए तैयार हो गया है ।

फिर मैने उठ कर एक किस्स किया और उन्हे घोडी बनने का इशारा किया ।

फिर मामी बिसतर पर घोडी बन गयी ,, क्या मस्त फैली हुई चर्बीदार गाड़ थी ,,,और चुतड के पाटो पर नाना के नोच खसोट के काफी सारे निशान थे ।

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पीछे से उनकी चुत और गाड़ के छेद दिख रहे थे । मैने तेल की शीशी उठाई और टिप टिप करके अपने अंदाज मे मामी के गाड़ के दरारो मे तेल रिसाना शुरु कर दिया ।

फिर एक हाथ की उंगलियो से उन्हे अच्छे से मामी के गाड़ के सुराख पर अच्छे से लगाने लगा ।

लगातार तेल गिराने से मेरे उंगलियाँ तेल से चिप्डी हुई थी इसिलिए मैने एक उन्गली को मामी के गाड़ की सुराख मे घुसेड़ दिया और अन्दर भी तेल लगाने लगा।

वही मामी के चेहरे के भाव बदल रहे थे वो मेरे उंगलियो को अपनी गाड़ मे घूमता महसूस कर रही थी और उत्तेजित हुई जा रही थी ।

फिर मैने थोडा सा तेल अपने सुपाड़े पर लगाया और लण्ड को गाड़ के मुहाने पर रख कर थोडा सा ही दबाव बनाया ,,मेरा लण्ड स्टाक से मामी की गाड़ ने खिच लिया ।

मै समझ गया नाना ने बुरी तरह से भड़ास निकाल कर मामी की गाड़ मारी है । फिर मैने उन्के कूल्हो को थामा और बिना पीछे हुए आगे की ओर लण्ड ठेलता हुआ मामी की गाड चिरता हुआ आधा अन्दर घुस गया तब जाकर मेरा लण्ड अटका

मामी सिसकी - ओह्ह बाबू आराम से इह्ह्ह उम्म्ंम्ं
मैने वापस से मामी की फैली हुई गाड़ के सुराख के उपर अंगूठे से रब किया और लण्ड बाहर की ओर खीचते हुए एक करारा धक्का मामी की गाड़ मे दिया । मेरा लण्ड मामी की गाड़ की दिवारो मे जगह बनाता हुआ जड़ मे जा घुसा ।

मामी की आंखे बाहर आ गयी
मै उनका कुल्हा थामे हुए जोरदार धक्का उनकी गाड़ मे लगाने लगा

मामी - सीई अह्ह्ह्ह उम्म्ंम ओह्ह्ह बाबूउऊ उम्म्ंम्ं क्या मस्त लण्ड है ओह्ह्ह्ह

मै मस्ती मे और तेज धक्के लगा रहा था और मामी के गाड़ पर नाना के नोच खसोट के निशान देख कर और भी उत्तेजित हो रहा था। नाना ने कितनी बेरहमी से मामी की गाड़ चोदी होगी ।

अपनी कल्पना और मामी की उतेजना भरी सिस्कियो से मेरा लण्ड मामी की गाड़ के और फुलने लगा और मैने लपक के मामी के बालो को पकड लिया

अब मामी के बाल मेरे हाथो मे थे और मैं उन्हे खीचते हुए तेज धक्के से उनकी गाड़ चोदने ल्गा

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मामी दर्द और मजे सिसकिया लेने लगी ।
मै लगातार अपना लण्ड उनकी गाड़ मे चोदे जा रहा था और वो खुद झड़ रही थी और अपने चुत के साथ गाड़ का छल्ला भी सिकोड़े जा रही थी ।
जिस्से मेरे सुपाडे और लण्ड की नीचली नशो पर घर्षण तेज हो गया
मै भी झड़ने के कगार पर था और आखिर कुछ धक्को मे मामी की गाड़ मे अपना लण्ड आखिर तक घुसेड़ दिया और अन्दर ही मेरा लण्ड झटके खाने लगा ।

मामी ने अपनी गाड़ का छल्ला कस कर मेरा सारा माल निचोड लिया और हम दोनो थक कर वही लेट गये ।


जारी रहेगी
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
 
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UPDATE 152

लेखक की जुबानी

बंद कमरे में निशा गहरी नीद मे थी और बेसुध सो रही थी इस बात से अंजान कि कमरे मे उसका बाप उसकी चिनकी खुली चुत को देख कर अपना लण्ड मसल रहा है ।

जंगीलाल एक नजर दरवाजे पर मारी और अपना लण्ड बाहर निकाल दिया ।
वो अपने हाथो मे लण्ड मसलते हुए उसकी चमडी खीच कर निशा के चेहरे के पास ले गया ।

उसके नथुनो के पास अपना सुपाडा करके जन्गीलाल वही खड़ा रहा था ,,,थोडे ही पल मे उसके लण्ड की मादक गन्ध निशा के नथुनो मे जाने लगी और उसे थोडी खुजली हुई ।

वो नीद मे ही कसमसाइ और अपनी नाक खुजाने के लिए अपनी हथेली को वहा ले गयी ,,लेकिन उसके हाथ मे उसके बाप का लण्ड आ गया । चुकी अब दिन चढ़ चुका था और लगभग निशा की नीद भी पूरी हो चुकी थी ।

इसलिए जैसे ही उसने अपने नाक के पास टटोला वो चौक गयी और आंखे खोल कर देखा तो बगल मे उसका बाप अपना मोटा काला लण्ड थामे हुए खड़ा था जिसके लाल सुपाडे का मुहाना उसके नथुनो से महज इन्च भर दुर था ।

जिस कोण से निशा लण्ड को देख पा रही थी वो उसे काफी ज्यादा तना हुआ मोटा लग रहा था

तभी उसकी नजरे उसके पापा के मुस्कुराते चेहरे पर गयी और वो समझ गयी कि उसका ठरकी बाप अब हर मौके का फायदा लेगा ही ।

निशा कसमसाकर - क्या हुआ पापा आप ऐसे क्यू ??

जन्गीलाल हस कर - अरे बेटा बड़े बुजुर्ग कहते है कि हर ट्रेनिंग को शुरुवात सुबह मे करनी चाहिए,,इससे हम जल्दी सिख पाते है ।

निशा एक मादक मुस्कान ली और मन ही मन ये सोच कर उसे हसी आ रही थी कि उस्का बाप उसे छोटी सी बच्ची जैसे ट्रीट कर रहा है ।

निशा अभी उठने को हुई ही थी उसे अपने आधे
नन्गे जिस्म की हालत समझ आई । वो फौरन पालथी मार कर बैठ गयी और अपने टीशर्ट से अपनी चुत को ढकने की कोशिस करने लगी ।

जंगीलाल मुस्कुराकर उसके सामने बैठ गया और बेडशीट पर लगे धब्बे को देखते हुए - लग रहा है रात मे तु भी परेशान हो गयी थी ।

निशा शर्म से लाल हो गयी । उसके पापा ये पता चल गया कि रात मे उसने अपनी चुत को सहलाया था ।

जन्गीलाल उसके हाथ पकड कर अपने हाथ मे लेते हुए - अरे इसमे शर्मा क्यू रही है ,,ये तो आम बात है । मुझे तो हैरत इस बात की है कि जब मै और तेरी मा रात मे वो कर रहे थे तो उस समय तुने कोई प्रतिक्रिया नही दिखाई ।
निशा नजरे निचे किये हुए अपने बाप का लण्ड निहारे जा रही थी जो उसकी चुत की ओर तना हुआ सास ले रहा था ।

जंगीलाल उसका हाथ पकड़ कर अपने मुसल पर रखते हुए - तुझे वो सब मह्सूस नही होता है क्या
निशा सुबह सुबह अपने पापा का लण्ड हाथ मे आते ही गनगना गयी और उसकी सासे तेज हो गयी ।
निशा समझ रही थी कि उसका बाप उसे चोद कर ही रहेगा वो लाख शर्म झिझक दिखाये और इस समय दोनो अकेले थे तो उसने तय कर लिया कि आज सुबह सुबह से वो अपने पापा का लण्ड लेगी ।
उसने अपनी मुठ्ठि को लण्ड पर कसा और खड़ा करके हिलाने लगी और मुस्कुरा कर बोलने लगी - बहुत ज्यादा मह्सूस हो रहा था पापा लेकिन .....हिहिहिही

जंगीलाल निशा के बदले भाव को देख कर थोडा सा विचारात्मक हुआ मगर लण्ड पर उसका स्पर्श उसे किसी अविवेक ही बने रहने दिया और उसकी हवस की आग को हवा देता रहा था ।
जन्गिलाल - लेकिन क्या बेटी
निशा - वो मै पहले एक बार अच्छे से देख लेना चाह रही थी ताकि ...।
जंगीलाल - क्या ताकि ...पूरी बात बोल बेटा

निशा शरमा कर लण्ड को हिलाते हुए - धत्त पापा मै नही बोलूंगी । मुझे शर्म आती है ...आप जानते तो हो

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जंगीलाल - हा जानता हूँ बेटा लेकिन तेरी यही शर्म और झिझ्क ही तो दुर करनी है

निशा नजरे निचे कर बस मुस्कुराते हुए अपने पापा का मोटा सुपाडा खोल रही थी ।
निशा - लेकिन पापा ऐसे कैसे शर्म नही आयेगी । क्या शुरु शुरु में मम्मी को शर्म नही आती थी ,जबकि आप दोनो लवर थे और मैने तो कभी किया ही नही तो .....।


निशा ने बातो ही बातो मे जन्गिलाल के सामने चुदाई का प्रस्ताव रख दिया और जन्गिलाल भी अपनी बेटी की दिल की बात समझ रहा था इसिलिए प्रतिक्रिया स्वरूप उसका लण्ड निशा के हथेली मे और भी कसने लगा ।

जंगीलाल मुस्करा कर - अगर ऐसी बात है तो पहले तुझे वो अनुभव ले लेना चाहिए बेटा
निशा के हाथ लण्ड पर जम गये और वो फैली हुई आंखो से अपने पापा को देखने लगी ।

फिर जंगीलाल उठ गया और निशा नजरे उठा कर अपने पापा के आगे बढ़ने का इन्तजार करने लगी और तभी उन्होने निशा का हथ पकड़ कर उसे भी खड़ा किया और एक हाथ से उसके नंगे चर्बीदार गाड़ पर फिराया ।
निशा पूरी तरह से हिल गयी और अपने पापा से चिपक गयी ।
जन्गीलाल ने अब दोनो हाथ पीछे ले जाकर निशा के चुतडो को भर भर के हाथो के मसलना शुरु कर दिया

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वही निशा से भी नही रहा गया तो उसने हाथ निचे करके पापा का लण्ड को सहलाने लगी और सरक कर निचे जाने को हुई

जन्गीलाल उसे रोकते हुए - अभी नही बेटा , जब पति अपनी पत्नी के जिस्मो से खेल रहा हो तो उसे पुरा मजा लेने देते है ,,जब वो खुद से कहे या इशारा करे तभी निचे जाते है ।
ये बोलते हुए जंगीलाल ने वापस से निशा के गाड फैलाना शुरु कर दिया और अपनी मोटी मोटी उंगलियाँ उसके दरारो मे घिसने लगा ।
निशा ने अब और कस के अपने पापा के लण्ड को कस लिया और साथ ही अपने चुतडो को कसने लगी ।

जंगीलाल ने उसे अपने ओर खिचे हुए ही अपने एक पन्जे की उंगलियो से उसके गाड़ के दोनो पाटो को फैला रखा था और दुसरे हाथ की उंगलियाँ अपने मुह मे गीली करके ढेर सारा लार उसके गाड के सुराख पर मलने लगा ।

निशा छटपटाने लगी और अपने जोबनो को पापा के सीने पर दरते हुए सिस्क उथी - उम्म्ंम्ममम्ं पाअपाआआह्ह्ह

जंगीलाल ने विजयी मुस्कान ली और उसे घुमाते हुए बिस्तर पर घोड़ी बना दिया ।

निशा समझ गयी शायद अब ज्यादा देर नहीं लगेगी और उसके बाप का मुसल मे चुत की दिवारो को चीर फाड़ डालेगा ,,, वो उत्तेजना से भरी जा रही थी और उसके चुत रस बहाये जा रही थी ।
जन्गीलाल ने अपनी बेटी के चुतडो के पाटो को मसला और थुक से लसल्साती जीभ को अपनी बेटी के गाड़ भूरे सुराख पर चलाया । जिस्से निशा चिहुक कर आगे छ्टकी ,,जन्गिलाल ने उसे कमर के पास से दबोचा और उसके गाड को फैलाते हुए अपना जीभ उसके सुराख पर चलाने लगा ।

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हवस और उत्तेजना की कोई कमी नही थी । वो जीभ को नुकीला किये हुए अपनी बेटी के गाड़ के छेद मे भेदे जा रहा था और वही निशा कसमसाते हुए कामुक सिसकिया ले रही थी ।

निशा - उम्म्ंम्म्ं सीईईई अह्ह्ह्ह पाअपाआआ ओह्ह्ह क्याआआ कर रहेहहह उह्ह्ह्ह सीई
जन्गीलाल अपनी बेटी की सिसिकिया सुन कर और भी जोश मे आने लगा और गरदन निचे करके उसका जांघो को चौड़ा करते हुए अपना मुह उसकी बजबजाती चुत पे लगा दिया और सुरकने लगा।

अपने बाप की मोटी और खुरदरी जीभ का गीला गीला स्पर्श जैसे ही निशा को अपनी चुत के निचली हिस्से पर हुआ वो गनगना गयी और जान्घे कसने लगी ।
मगर उसका बाप उसे कस कर जकडे हुए अपनी जीभ जबरदस्ती उसकी चुत मे घुसेड चुका था और अपनी ही बेटी के नमकीन गर्म पानी का स्वाद ले रहा था ।

जिस बेरहमी से जन्गीलाल अपनी बेटी की चुत चुबलाते हूए उसे निचोड रहा था ,,,निशा की चुत और बहे जा रही थी , उसने अपनी जांघो को अब ढिला करना शुरु कर दिया था और हल्की हल्की थकान सी हो रही थी । जंगीलाल समझ गया कि यही सही समय कि इसी नशे मे उसकी बेटी के चुत को भेदा जाये और उसका शिल भंग किया जाये ।

जन्गीलाल खड़ा हुआ और प्यार से अपनी बेटी के नितम्बो को सहलाने लगा , बार बार अपनी हथेली को निचे चुत पर घुमाने लगा जिस्से निशा की सिसकिया रह रह कर निकल रहीथी । फिर उसने निशा के टेबल से एक हेयर आयल की शीशी उठाई और अंजुली मे भर कर तेल लेके अच्छे से अपने हथियार को तैयार करने लगा ।

काफी समय अपने पापा की ओर कोई हरकत ना पाकर निशा ने गरदन घुमा कर पीछे देखा तो उसका बाप दोनो हाथो से अपना मोटा काला लण्ड तेल मे चभोड़ कर मसल रहा है ।

निशा मन ही मन में- अह्ह्ह पापा आज तो फाड़ ही डालोगे क्या उम्म्ंम्ं माना कि राज का इससे ब्डा था लेकिन फिर आज ना जाने क्यू डर लगा रहा है । उम्म्ंम पापा का सुपाडा कितना फुला हुआ है ,,,, मै तो कोई झूठ का नाटक करने वाली थी लेकिन अब लगता है सच मे मेरी आज चुत फट जायेगी ,,,,,

इधर जंगीलाल ने जब निशा को उसका मोटा लण्ड निहारते हुए देखा और उसे अपनी बेटी के चेहरे पर डर के भाव दिखे तो वो मुस्कुरा कर लण्ड को मसलता हुआ - अरे बेटा तू इधर ना देख ,, बस जान ले जैसे डॉक्टर कोई बच्चे को सुई लगाते है ना वैसा ही है ।बस उतना ही दर्द रहेगा ।

निशा ने सहमे हुए भाव मे हा मे सर हिलाया और मन ही मन हसी भी आयी कि पापा तो उसे बच्ची ही समझते है ,,अभी जब ये बच्ची अपनी कला दिखायेगी ना तब समझ आयेगा ।

निशा मन मे बेताबी से - ओह्ह्हो पापा डालो ना अब उम्म्ं कितना टाईम लगा रहे ,,, ओह्ह हा लग रहा है अब मिलेगा ओह्ह्ह्ह्ह

इधर निशा अपने पापा के लण्ड के लिए बेताब हुई जा रही थी वही जंगीलाल अपना लण्ड चिकनाता हुआ अपनी बेटी के चुत के मुहाने पर रख चुका था ।डर दोनो के मन मे था , उत्तेजना दोनो के जिस्म मे थी । दोनो की एक दुसरे के गुप्तांगो की गर्मी महसुस कर रहे थे ।
तभी जन्गीलाल ने अपनी बेटी के कूल्हो को दुलारा और लण्ड को चुत के मुहाने पर दबाते हुए पचक की आवाज से घुसेड़ दिया । एक ही बार मे आधा लण्ड सट्ट से अन्दर घुस गया ।
हैरानी की बात जंगीलाल के जहन मेआती उससे पहले निशा एक आह्ह लेके अपनी कमर पर हाथ रख उसे दबाना शुरु कर दिया , जंगीलाल जहा था वही रुक कर अपनी बेटी के कमर की मालिश करने लगा ।
निशा इस समय पूरी तरह से रोमांचित थी ,,उसके चुत मे पानी भर रहा था और मन ही मन में यही चाह रही थी उस्का बाप उसे खुब बेरहमी से पेले

वही जन्गीलाल अपनी बेटी की फिकर मे आधा लण्ड डाले रुका हुआ था - बेटी तू ठिक है ना ,,,
निशा दबी हुई सिसकी मे - उम्म्ंम्ं हाआ पापाआ थोडा जलन हो रहा है ।
जंगीलाल समझ गया कि उसकी बेटी ये सह सकती है और उसने एक जोर का करारा धक्का मारा जो निशा के चुत की दीवारे चिरता हुआ उसकी जड़ मे चला गया ।
निशा जोर की सिसकी और मुह पर हाथ रख लिया ।

जन्गिलाल उसके कुल्हे दुलारता हुआ - बस बेटी बस ,,,अब तुझे जरा भी दर्द नही होगा ,,हो गया सब

ये बोल कर उसने वापस से लण्ड को पीछे खिच कर एक और जोर का ध्क्का उसकी चुत मे मारा ,,जिससे निशा की दर्द भी सिस्की उसे सुनाई ,,उन सिस्कियो मे पापा पापा की पुकार थी । जो जन्गीलाल को उत्तेजित किये जा रही थी ।

उसने निशा के कुल्हे पर रखे हुए हाथ को पकड़ा और धक्के लगाने शुरु कर दिये ,,उसका हवस बेहिसाब बढ रहा था ,,महिनो से जिस बेटी की जिस्मो का दीवाना था वो आज उसके लण्ड की सवारी कर रही थी । निशा जानबुझ कर अपनी सिस्कियो मे पापा का जिक्र करती जिससे जंगीलाल और भी उत्तेजित होकर कस कस के चोद रहा था ।

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निशा - ओह्ह्ह पाअपाआअह्ह अह्ह्ह्ह बहुत टाइट
है उम्म्म्ं ओह्ह्ह सीई उम्म्ं मुम्मीईई अह्ह्ह्ह

जन्गिलाल हाफते हुए - आह्ह बेटी तेरी चुत भी तो टाइट है ,,, अभी ढीला हो जायेगा अह्ह्ह बेटी ।
जन्गिलाल बिना निशा के दर्द की परवाह किये उसे गचागच पेले जा रहा था वही हाथ खिचने की वजह से निशा को दर्द हो रहा था
निशा - अह्ह्ह पाप्पाआ हाथ दर्द कर रहा है

जंगीलाल निशा का हाथ छोड कर उसके गाड़ को मसलते हुए घोड़ी बनाये गचाग्च पेलेते जा रहा था - अब ठिक है ना मेरी लाडो उम्म्ंम्ं बोल ना


निशा अपनी गाड़ उठाए हुए पापा से चुद रही थी - अह्ह्ह हाआ पाअपाआ अब अच्छा लग रहाआअह अह्ह्ह मम्मी उम्म्ंम सीईई

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जंगीलाल - ओह्ह्ह बेटी अभी और मजा आयेगा ,,, रात मे जब तेरी मा के साम्ने तुझे ऐसे ही चोदूंगा उम्म्ंम बोल चुदेगी ना अपनी मम्मी के सामने
निशा अपने पापा की बाते सुन कर पूरी तरह से हिल गयी कि क्या होगा जब रात मे उसके पापा मम्मी के सामने उसे नंगा करके चोदेंगे ? क्या वो मम्मी को भी मेरे साथ ही चोदेन्गे ? काश ये हो जाये तो मजा ही आ जाये अह्ह्ह्ह उम्म्ं

निशा अपने पापा को और भी जोश दिलाते हुए - आह्ह हा पापा उम्म्ंम आपकी बेटी हू ना ,,,आपका मन करे चोद लेना उम्म्ंम्ं कितना मोटा आपका ये उम्म्ंम्ं उह्ह्ह अह्ह्ह मम्मीईई ओह्ह्ह

जंगीलाल अपनी बेटी से तारिफ सुन कर गदगद हो गया और उसकी चुत मे दो तिन बार गहरे घक्के लगाने के बाद लण्ड बाहर निकाल दिया - आजजा बेटी अब तू मेरे उपर आजा

निशा चहककर - वो मम्मी के जैसे क्या ??
जंगीलाल बिसतर पर लेटकर - हा बेटा तेरी मम्मी के जैसे ,,,आजा इसपे बैठ कर मुझे दिखा तो तुने क्या सिखा

निशा मुस्कुरा कर अपने पापा के लण्ड पर दोनो ओर टाँगे फेक दी और लण्ड को पकड कर चुत मे भरते हुए घुटनो के बल बैठ गयी । लण्ड सीधा उसकी चुत मे सरक गया ।
निशा अपने पापा के लण्ड पर बैठी खिलखिला रही थी और बडी मादक सी हलचल कमर मे करते हुए टीशर्त के अन्दर अपने चुचे पकडे हुए थी ।

जंगीलाल के हाथ निशा की कमर पर थे लेकिन निशा की हरकते देख कर उसे अपनी बेटी के नायाब मुलायम चुचो को ख्याल आया और उसने निशा के हाथ खिचते हुए उसका टीशर्ट उपर कर दिया जिस्से उसके मोटे मोटे नारियल जैसे चुचे सामने लटक कर झुलने लगे ।
जंगीलाल खुद को रोक नही पाया और उसने अपनी बेटी के रसिले आमो को दबोच लिया ।
ये निशा के चुचो पर उसके पापा का पहला नग्न स्पर्श था ,,जिस्से निशा पूरी तरह से सिहर गयी और अपने पापा के हाथो को उपर से पकड कर उन्हे कोई भी हरकत करने से रोकने लगी । बाप बेटी के हाथो की कसमसाहाट मे बेचारी निशा के चुची की निप्ल्ल बुरी तरह से मिज रही थी । जन्गीलाल की हथेली मे कभी निप्ल्ल का सिरा उपर की ओर चिपका होता तो कभी निचे की ओर खिच रहा होता हौ

अपने पापा की खुरदरी हथेली की रगड़ से आखिरकार निशा ने अपनी पकड ढीली कर दी और अपनी दोनो छातिया खुला छोडते हुए आगे अपने पापा की ओर झुक गयी ।
अपने चेहरे के आस पास अपनी बेटी की झुल्ती चुचिय देख कर जंगीलाल पागल हो गया और उसने एक एक करके उसकी चुचिय बारी बारी से मुह मे भरने लगा ।
निशा - ओह्ह्ह उम्मममं पापाआह्ह्ह श्ह्ह अराआम्म्ंं से हिहिहिही सीईईई अह्ह्ह उम्मममंं
जन्गिलाल तो निशा के सवाल के जवाब देने मे भी अपनी शक्ति नही गवाना चाह रहा था वो बस एक एक करके दोनो चुचिय मुह मे बदल बदल के चुसे जा र्हा था । उसके जीभ जिस तरह से चुचियो के निप्प्ल घुमा रहे थे ,,निशा तो मदहोश हो चुकी थी
अखीर उसने तय किया कि अब एक ही रास्ता है और उसने धीरे धीरे अपनी गाड़ हुमचानी शुरु कर दी

जंगीलाल ने जैसे ही म्हसुस किया कि उसकी बेटी ने अपनी गति मे तेजी ला दी है वो और उत्त्जीत होने लगा लेकिन वो इस बात से अन्जान था कि उसकी बेटी इस पोजीशन की माहिर खिलाडी है ,,,आखिर निशा की चुदाई इसी पोजिसन मे पहली बार राज ने की थी ।
निशा के कमर की तेज गती और उसके मादक तेज सिसकियो से जंगीलाल का ध्यान उसकी चुच्जीयो से पल के लिए हट गया और मौका पाते ही निशा सीधी हो गयी ।
लेकिन उसने अपनी कलाबाजी जारी रखि।वो अपने हाथ पापा के सीने पर टीकाए तेजी से अपनी गाड़ हिलाते हुए अपने पापा के लण्ड की सवारी कर रही थी ।

जन्गीलाल आवाक और उतेजीत होकर बेकाबू हुआ जा रहा था ,,उसके लण्ड का कड़कपन अपनी बेटी का ये रूप देख और भी ज्यादा हो गया था । उसके जहन मे कुछ सवाल रुपी शन्काये उठी जरुर लेकिन निशा के मादक चुदाई की कला से और भी उत्तेजीत हुआ जा रहा था


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जंगीलाल ने हाथ आगे बढा कर अपनी बेटी के झुलते चुचे पकडकर - ओह्ह हा बेटी अह्ह्ह आह्ह ऐसे ही और हिला अपनी गाड़ उम्म्ं तू तो सच मे एक ही दिन मे बहुत जल्दी सिख गयी और अह्ह्ह्ह अह्ह्ह शाबाश मेरी लाडो उम्म्ंम

निशा मुस्कुराते हुए - अह्ह्ह पापा ऐसे सच मे बहुत अच्छा लग रहा है ओह्ह्ह्ह , मम्मी को रोज ऐसे ही मजा आता होगा ना उम्म्ंम्ं सीईईई
जंगीलाल अपनी बेटी के चुची मसलकर - अह्ह्ह हा बेटी वो रोज मजे लेके ही सोती है ,,,तू चिंता ना कर अह्ह्ह्ह्ह सीईई आज से तुझे भी मजा मिलेगा रोज उम्मममं

निशा - हा पापाआअह्ह मुझेहहह रोज चाहियेअह्ह्ह उम्मममंं कित्ना मोटा है ये उम्म्ंम ओह्ह्ह पापा मेरा निकल रहा है अह्ह्ह्ह मममीईईई

निशा तेजी से कमर हिलाते हुए झड़ रही थी और वही जन्गिलाल ने भी निचे से धक्के लगाने शुरु कर दिये थे - अह्ह्ह हाआ बेटी निकल जाने दे अह्ह्ह्ह मै भी आ रहा हू उम्म्ंम अह्ह्ह्ह्ह

जंगीलाल तेजी से निचे से धक्के लगाने लगा - आह्ह बेटी जल्दी आ अह्ह्ह्ह आह्ह
निशा मे फटाक से उछल कर लण्ड से उतरी और ग्पुच करके लण्ड को मुह मे भर लिये और गटागट सारा माल सुरकने लगी ।

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जंगीलाल झटके खाते हुए अपनी बेटी के मुह मे फुहारे मारने लगा और अच्छे से निचोडने के बाद निशा वही बैठ कर अपने पापा के लण्ड को दुलारते हुए उन्हे देखने लगी तो जंगीलाल ने मुस्कुरा कर उसे अपने पास आने को कहा । निशा चहक कर अपने पापा के सीने से चिपक गयी ।

जंगीलाल - देखा तुझे दर्द बिल्कुल भी नही हुआ
निशा मन ही मन में हसी और मुस्कुराकर - हा आपने इतने प्यार से जो किया हिहिहिही थैंक्स पापा ।
उसने अपने पापा के गालो को चुमते हुए कहा ।
जंगीलाल - हा लेकिन ये बात अभी अपनी मा को नही बताना
निशा - हिहिही ठिक है नही बताउंगी लेकिन दोपहर मे मुझे ये चूसना है
निशा ने पापा का लण्ड पकडते हुए बोला

जंगीलाल - ठिक है ,,तेरा जब भी मन करे मुझसे कह दिया कर । अब जा नहा ले कही तेरी मा शक ना कर ले

निशा खिखीकरते हुए उठ गयी और अपने कपडे पहन कर नहाने चली गयी ।
इधर जंगीलाल बहुत खुश हो रहा था कि आज उसने जो किया है शायद ही कोई बाप ऐसा कर पाया होगा ।
वो अपनी शान मे उठा और कमरे मे बाहर निकला ही था कि शालिनी उसने सामने खड़ी मिली जिसमे हाथ मे नास्ते का प्लेट था ।

जंगीलाल - अरे जानू ,,,,, वो मै लाडो को जगाने आया था ।
शालिनी ताना मारते हुए - हा हा क्यू नही उसे जगाते हुए बहुत थक गये होगे ना ,,लिजिए नास्ता कर लिजिए

जंगीलाल सम्झ गया कि उसकी बीवी को भनक लग गयी और वो हसने लगा ।
शालिनी अपने गुस्से को चबाते हुए दबी आवाज मे - कितने बेसबरे है आप ? रात तक नही रुक सकते थे । पता नही कितना तड़पी होगी बेचारी ।

जंगीलाल हस कर - ओहो मेरी जान ,,हमारी लाडो बहुत हिम्म्ती है ,,उसने तो ये दो झटको मे ही सह लिया
शालिनी - क्क्क्क्या .... दो झटको मे सिरर्फ़ वो रोयी नही
जंगीलाल -अरे नही मेरी जान,,,मेरे ख्याल उसने कल रात मे हमारे कमरे मे आने के बाद से ऊँगली की थी । शायद इसिलिए उसे उत्ना दर्द मह्सूस नही हुआ लेकिन वो चीखी थी और कमर पर हाथ रखकर कर मुझे रुकने को बोली थी

शालिनी - आह्ह मेरी बच्ची ,,कहा है अभी वो
जंगीलाल - अरे वो फिट है और नहाने गयी है । अरे तुमको पता है उसने ऑन टॉप आके ऐसे कस कर गाड़ हिलाई की मै झड़ गया ।

शालिनी मुस्कुरा कर - अच्छा सच मे
जंगीलाल - हा मेरी जान और उसे भी तुम्हारी तरह वो पोजीशन पसन्द है
शालिनी शर्म से लाल होने लगी और नास्ते का प्लेट अपने पति को देके किचन मे काम निपटाने चली गयी ।
जन्गिलाल भी अपनी लाडो के बारे मे सोचता हुआ नासता करने लगा


जारी रहेगी
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
 
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