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बहुत ही गरमागरम कामुक और मदमस्त अपडेट है भाई मजा आ गयाUPDATE 153
पिछले अपडेटस मे आपने पढा एक ओर जहा जंगीलाल ने सुबह सुबह ही अपनी लाडो की चुदाई कर दी वही राज ने भी नासते के बाद अपनी मामी के मजे ले लिये । अब देखते है आगे क्या होने वाला है ।
राज की जुबानी
मामी की ठुकाई के थोडे समय बाद हम दोनो उठे और फ्रेश होकर मामी किचन मे चली गयी क्योकि गीता बबिता को सिलाई सिखने जाना था । मै नाना के पास आ गया और उन्ही के कमरे मे थोडा आराम करने लगा ।
मुझे अच्छे से पता था कि इधर मै सोया नही कि नाना तुरंत लपक कर मामी के पास निकल लेंगे इसिलिए मैने इसपर कोई जोर नही दिया और बिंदास आराम करके शाम के लिए ऊर्जा बचाने लगा कयोकि शाम को ट्यूबवेल पर ही गीता की शिल तोडने का मैने तय कर लिया था ।
दोपहर मे 2 बजे के करीब मेरी नीद खुली और मैने देखा कि नाना अभी भी कमरे मे नही थे ।
मुझे लगा कि शायद अभी भी वो मामी के साथ लगे हुए होगे लेकिन जल्द ही मेरा भरम दुर हो गया जब बाहर उन्के चौकी पर उनकी आवाज आई ।
वहा मुझे एक दो लोग और भी नजर आए
मै बाहर आया और फ्रेश होने के लिए आगन मे चला गया ।
इधर मै आगन से वापस आता कि सामने से गीता बबिता सिलाई सेंटर से वापिस आती नजर आई ।
एक बार को मेरा लण्ड गीता की कुवारि चुत के लिए ठुमका और मैने उसे लोवर मे एडजस्ट करते हुए उन्के कमरे के पास ही उनका इन्तजार करने लगा ।
मै - अरे आज इतना लेट ,,,ट्यूबवेल पर नही जाना क्या
बबिता उखड़े हुए मन से - आह्ह भैया मै बहुत थकी हुई हू ,,आप इसको लिवा लो ना
गिता गुस्से मे बबिता को घुर कर - तू चलेगी या नाटक करेगी
गीता की व्यवहार से बबिता थोडी सहम सी गयी जैसे मानो गीता ने उसकी कोई कमजोर नस पकड रखी हो और बबिता मजबुर हो ।
फिर मैने उन्हे कुछ खा पीकर तैयार होने को कहा और आधे घंटे बाद हम सब निकल गये ट्यूबवेल की ओर।
इस समय खेत पुरे धान की फसलो से हरे भरे लहलहा रहे थे ,, और धूप भी कड़क थी , थोडे बहुत बादल आसमान मे नजर आ रहे थे लेकिन बारिश के कोई आसार नही थे ।
हमने छाता ले रखा था क्योकि नाना ने कहा था इसिलिए और ट्यूबवेल भी दुर था । ऐसे मे धूप से राहत के लिए जरुरी भी था ।
ट्यूबवेल अभी दुर था लेकिन अभी से ही मेरे लिंग मे तनाव होने लगा था ।
सामने चुपचाप चल रही बबिता के कुल्हे बडे मादक हिल रहे थे ,, वही बगल मे साथ चल रही गीता मेरे हाथ को पकड काफी सारी बाते करते हुए चहकती हुई चल रही थी ।
मेरी नजरे लगातार बबिता के गुदाज और चर्बीदार उभरे हुए गाड़ पर जमी हुई थी ,,, लेकिन साथ ही उसकी चुप्पी भी मुझे खल रही थी ।
मैं - अरे गुड़िया क्या हुआ ,,
बबिता झुठी मुस्कान दिखाते हुए - अह ... कुछ नही भैया । बस आज थोडी थकान सी लग रही है ।
मै - अरे अभी चल करके नहा लेना ,,फिर अच्छा लगेगा
बबिता ने बडी सादगी से हामी भरी और सामने चलने लगी ।
मैने अपनी चाल धीमी करते हुए गीता की ओर देखा और इशारे से पुछा कि क्या बात है ?
गीता थोडी हिचक रही थी और थोडा खुनस भी रही थी ।
मै उसे रोकते हुए - क्या बात है मीठी बता मुझे ?
गीता धीमी आवाज मे - भैया वो बबिता का एक दोस्त है और वो दोनो ....।
मै चकित रह गया कि बबिता का बॉयफ्रेंड है - कौन है वो और कब से ये सब .... उसने परेशान किया है क्या गुड़िया को ।
गीता डरकर - न नही भैया ,,, वो जहा हम सिलाई सिखने जाते है , चाची का बेटा है मनु
मै भौहे चढा कर - हमम तो
गीता - वो भइया ... ये दोनो वो सब करते है रोज
मै समझ गया कि गीता क्या कहना चाह रही थी ।
मै एक नजर बबिता को देखा जो थोडी आगे निकल चुकी थी और हमने भी चलाना शुरु कर दिया ।
मै - लेकिन ये सब कबसे हुआ
गीता - वो मनु तो कबसे बबिता के पीछे पडा था ,,,पहले तो बबिता उसे डाट देती थी और मना कर देती थी । लेकिन जबसे वो आपके घर से आई है उसके बाद से वो पता नही कब मनु से वो सब करने लगी ।
मै गिता की बात समझ गया कि कैसे मेरी चुदाई करने के बाद से बबिता के जिस्म की गर्मी बढ़ी होगी और मनु ही एक मात्र रास्ता दिखा होगा जो उसे एक मर्द का स्पर्श दे पाता ।
मै - तो क्या दोनो रोज करते है
गीता - हा भैया वो लोग रोज ही करते है दोपहर मे
मै - तभी वो कह रही थी कि थकी हुई हू । वैसे मनु कितना बड़ा है
गीता - वो तो रमन भैया जितना ब्डा होगा ...
मुझे समझते देर नही लगी कि मनु कोई ठरकी किस्म का बन्दा है जिसने बबिता को अपने अनुभवों के जाल मे उसे फसा लिया है और नयी कोरी जवानी का भरपूर मजा ले रहा है । वही बबिता भी इस चुदाई के नशे का शिकार हो चुकी है ।
मैने तय किया कि कैसे भी करके बबिता को इस मनु से दुर करना पडेगा ,,,नही तो कल को उसका फायदा भी ले लेगा ।
इसिलिए मै रास्ते मे ही तय किया कि मुझे आगे क्या करना है ।
मैने आस पास माहौल देखा दुर दुर तक कोई नजर नही आ रहा था । क्योकि जितने भी खेत थे सब नाना के ही थे और इस सीजन मे खेतो मे कोई काम करने वाले भी नही थे ।
मैने गीता को मुस्कुराते हुए देखा और धीरे से उसके कान मे एक शरारती शब्दो की फुक मारी और वो खिलखिला कर हसी
और हम दोनो तेजी से चलते हुए बबिता के पास गये ।
वन टू थ्रीईईईई ,,,, चपाट से बबिता के दोनो मतकते कूल्हो पर मेरे और गीता के पंजे पडे । जिससे बबिता चौक कर उछल पडी और जब उसे हमारी मस्ती समझ आई तो वो हसते हुए दोनो हाथो से अपना पिछवाडा सहलाने लगी
बबिता - अह्ह्ह भैया उह्ह्ह कितना तेज मारते हो आप उम्म्ंम्ं
मै हस कर - वो तू ऐसे मटका मटका कर चल रही थी तो मेरा और मीठी दोनो का दिल बेईमान हो गया हिहिहिही
बबिता अपने चुतडो की तारिफ सुन कर थोडी शर्म से झेप गयी और हसने लगी ।
बबिता - गीता के तो मेरे से ज्यादा हिलते है ,,उसको कभी नही मारते हो आप
मै हस कर - ऐसी बात है ,,, मीठी जरा घूमना तो
गिता खिलखिला के अपनी गाड बाहर निकालते हुए एडिया उचका कर घूम गयी और मै उसके कमर को थाम कर उसके गाड़ के गालो को सहलाते हुए दोनो पाटो पर चट्ट चट्ट करके थप्पड़ लगाये ।
गीता - अह्ह्ह भैयाआअह्ह उम्म्ंम दर्द हो रहा है सच मे
बबिता हस - ऐसे ही मुझे भी हुआ था हिहिहिही ,, और मारो भैया इसे
मै - यहा नही ट्यूबवेल पर इसे आज नंगा करके मारुन्गा
बबिता खीलखिला कर - हिहिही हा भैया ठिक है
फिर हम तीनो हस्ते बाते करते हुए ट्यूबवेल पर चले गये ।
वहा जाकर हमने ट्यूबवेल चालू किया 10 मिंट मे ही हाता भर गया ।
मैने फटाक से सारे कप्डे निकाले और
अंडरवियर मे ही पानी मे कूद गया
दो बार डुबकी लेने के बाद शरिर मे ताजगी आई और मैने दोनो को पानी मे आने का इशारा किया। दोनो खिलखिलाइ और अपने कपडे निकाल कर टेप और ब्लूमर मे पानी मे कूद पडी ।
मेरी नजरे फिलहाल बबिता के जिस्मों की चर्बी मे हुए इजाफे पर टिकी थीं ।उसकी चुचीया अब लगभग मे गीता के जैसे भर चुकी थी । जिसका मतलब साफ था कि मनु के जमकर उसकी चुचियो को मसला होगा ।
मेरी भी इच्छा थी कि अभी फिर से पहले बबिता को ही चोद दू लेकिन मेरी योजना के लिए मुझे सन्यम रखना था और मैने मेरा ध्यान गीता पर लगाया ।
जिसकी चर्बीदार गोल म्टोल गाड़ पर उसकी कच्छी चिपकी हुई थी और मेरे लण्ड को उतेजीत किये जा रही थी ।
मैने हाथ बढा कर उसकी गाड़ को दबोचा और भिगी हुई ब्लूमर के उपर से उसकी चर्बीदार गाड़ के पाटो को मसल दिया ।
गिता खिलखिला कर - आह्ह हिहिहिही भैया सिर्फ मुझे क्यू परेशान कर रहे , इसको भी करो ना
मै हाते की दिवार पर बैठकर पाव पानी मे लटका दिया - परेशान नही कर रहा हू ,,,ये तुम्हारि सजा है और सिर्फ तुम्हे ही नही बबिता को भी बराबर मिलेगी
दोनो चौकी - क्या ... कैसी सजा हमने क्या किया
मै थोडा बहुत बबिता से नाराज था लेकिन फिर भी बिना कोई नाराजगी दिखाते हुए - अच्छा क्या किया ? ये मनु कौन है और क्यू मिलती है तु उस्से
बबिता की आंखे फैल गयी और वो गीता की ओर देखी कि क्यू उसने ब्ताया फिर मुझे देखते हुए सर निचे कर ली ।
मै - चलो इधर आओ तुम दोनो
दोनो का चेहरा उतर गया था और बबिता तो गीता से काफी नाराज भी दिख रही थी ।
दोनो मेरे पास आई और मैने उन्हे अपने पाव से लपेट कर सामने किया ।
मै बबिता से - क्यू किया ये सब गुड़िया ,,,मैने समझाया था ना कि जरुरत लगे तो तुम दोनो आपस मे प्यार कर लेना और किसी बाहर वाले से बच कर रहना ।
बबिता गीता पर भड़की हुई थी स्व्भाविक रूप से वो भड़ास उसके जवाब मे निकल गयी और पहली बार उसने मुझे तेज आवाज मे बात की - तो क्या करती भैया ,,, जबसे आपने प्यार किया था तबसे मै परेशान रहती थी और वो मनु मुझे हमेशा तन्ग किया करता था ,,, फिर पता नही कैसे मै बहक गयी और राजी हो गयी उसके साथ ।
बबिता ने उदास होकर कहा ।
मै - ऐसी बात थी तो तुम दोनो ने मुझ्से बात की होती ना ,,मै बताता ना ।
गीता और बबिता - सॉरी भैया ,,अब आगे ऐसा नही करेंगे
मै जान रहा था ये लोग अब ऐसा कुछ नही करने वाले थे लेकिन मुझे मस्ती करनी थी तो मेरे दिमाग वो वाली पोर्न वीडियो का ख्याल आया जो पहली बार मैने इन्हे दिखाया था ।
मै हस कर - if want some mercy , then blow my cock
दोनो मेरे मुह से ये सुनते ही हस पडी और गीता बोली - अरे ऐसे नही पहले हमे आपकी कच्छी तो उतारने दो हिहिहिही
ये बोलते ही उन्होने मेरी अंडरवियर को निकालने लगी और दुर जाकर एक दुसरे के साथ पानी मे खेलने लगी ।
मै अप्ना खड़ा हुआ लण्ड हाथ ने लेके मसलता रहा और सामने दोनो आपस मे डीप किस्स कर रही थी जिससे मेरे लण्ड की सख्ती और बढ रही थी ।
मै उठ कर नंगे ही बाहर आया और बोला - you sexy bitchs come here and suck my cock
दोनो को ही मेरे इंग्लिश डायलाग सुन कर बड़ी हसी आ रही थी और दोनो बडी अदा से एकदम पोर्नस्टार के जैसे पानी के हाते से बाहर निकली और एक एक करके सारे कपडे निकाल दी और दोनो इतराते हूए सेम वही सारे स्टेप फॉलो कर रही थी जैसा कि मैने उन्हे उस पोर्न वाली वीडियो मे दिखाया था ।
दोनो पास आकर मेरे से चिपक गयी और मैने दोनो की नंगी नंगी गोरी गाडो पर हाथ फिराया और उनके पाटे मसल्ते हुए कहा- on your knees baby, suck my cock
दोनो खिलखिलाई और मेरे लण्ड के दोनो तरफ बैठ कर मेरे जांघो को सहलाते हुए मेरे लण्ड को छुने लगी ।
दोनो बहने दोनो ओर से मेरे आड़ो को चुस रही थी और मै लण्ड को उपर करके उनकी मदद कर रहा था ।
हालाकी बाहर खुले मुझे थोडा बहुत डर सा लगा हुआ था लेकिन फिर भी एक गजब का रोमांच सा था और दोनो ने बारी बारी से लण्ड को मुह मे लेना शुरु कर दिया ।
3 4 मिंट की चुसाई के बाद गीता ने पहल की - भैया अन्दर चले ,,,यहा पैर मे चुब रहा है
गिता ने खुरदरी और कंकड मिट्टी वाली जमिन पर टिके हुए अपने नन्गे टखने दिखाते हुए बोली ,,जिस्पे बबिता ने भी सहमती दिखाई ।
फिर मैने भी हा बोला और अगले दो मिंट मे हम सब अपने कपडे समान लेके अन्दर जा चुके थे और वहा भी कुछ ही पलो मे वही माहौल बन चुका था ।
बबिता ने मुह मे सुपाड़े को भर रखा था और गीता लण्ड के सतह को गीला किये जा रही थी और मैने आनन्द मे उन्के बालो को सहलाए जा रहा था ।
मै - अह्ह्ह गुड़िया ओह्ह मीठी उम्म्ंम्ं ऐसे ही चुसो उम्म्ंम
गीता अपने मुह से लण्ड निकालते हुए- भैया वो इंग्लिश वाला बोलो ना अच्छा लग रहा है
मै मुस्कुराया और लण्ड को उसके गले मे उतारते हुए उस्के बालो को पकड के मुह मे पेलता हुआ - suck it you nasty bitch ,, take it deepp ohhh yaaahh yahhh take it baby ummmmm
गिता ने गले तक लण्ड ले जाकर उसे लार से पुरा गीला कर दिया और फिर से चूसने लगी ,,वही मैने बबिता का सर पकड कर आड़ो पर लगाते हुए - you motherfucker go suck my ballss ummmm yesss my sister take it uhhhh yaaahh ummm
बबिता भी बडे चाव से मेरे आड़ो को मुह मेलेके चुबला रही थी और मैने उनके सर को जकडे हुए था ।
थोडी देर बाद मैने उन्हे उठाया और दोनो को घोडी बनाते हुए बिस्तर पर किया और पहले गीता के चर्बीदार गाड़ मे मुह भरते हुए उसके गाड़ के रसिले मुलायम भूरे छेद पर जीभ घुमाया ।
गीता चिहुक कर - अह्ह्ह सीईई भैयाआअहह उह्ह्ह उम्म्ंम ओह्ह्ह भैया चुसो ना उम्म्ंम suck it ना भैयाआह्ह खा जाओ ओह्ह्ह्ह
बबिता ने जब गीता को मस्ती भरे शब्दो का प्रयोग करते हुए देखा तो उसकी भी चुत पनियाने लगी और वो अपनी गाड फैलाते हुए अपने हाथ से चुत को मलते हुए - उह्ह्ह भैयाआह्ह मेरा भी चाटो ना suck it please भैयाआअह्ह उह्ह्ह्ह सीईई
मैने नजर भर बबिता को तडपते हुए और अपनी चुत मसलते देखा और मैने अपनी दो उन्ग्ली निकाल कर उसके चुत मे घुसेड़ दी ।
बबिता - ओह्ह्ह भैया उम्म्ंम आह्ह
वो डालो ना अपना अह्ह्ह बहुत खुजली सी हो रही है उम्म्ंम्म्ं
मै गीता के चुत मे मुह हटा के कुछ बोलता उस्से पहले ही गीता बोल पडी - आह्ह नही भैया पहले मुझे चाहिये उह्ह्ह मै कभी नही ली हू ये तो रोज चुदती है और आज भी पेलवा के आई है
गिता के मुह से खुले शब्द सुन कर मै खिल उथा और उसे घुमाते हुए पीठ के बल सिधा लिटा दिया क्योकि मेरा भी मन गीता के चुत खोलने का था
गीता सीधा लेटते ही अपनी जान्घे खोल कर अपनी चुत को मलते हुए - अह्ह्ह भैयाआ fuck me ना ओह्ह्ह देखो ना कितना पानी निकल रहा है उह्ह्ह चोदो ना मुझे भी मुझे भी मजा करना है
मै उसकी तडप देख कर मुस्कुराया और झुक कर उसके चुत को चुस्ते हुए खड़ा हुआ और लण्ड को उसकी गीली हुई चुत पर सेट करने लगा
फिर बबिता को इशारे से समझाया कि वो अपनी बहन को सम्भालने के लिए ।
वो लपक कर गीता के पास लेट गयी और उसे किस्स करते हुए उसकी गोल गोल मुलायम चुचिया मसलने लगी । वही गीता लगातार अपने चुत को मले जा रही थी ।
मैने मेरा सुपाडा खोला और उसके चुत के चर्बीदार फाको को उंगलियो से फैलाते हुए लण्ड को ठेलते हुए अन्दर की ओर घुसेडा । जिससे गीता दर्द से अपनी जान्घे फेकने लगी तो बबिता ने अपने पैर को उसके जांघ पर रख कर दबोच लिया और मै भी मौका देख कर गचाक से एक करारा धक्का गीता की चुत मे पेला जो सरसरा कर आधा उसकी चुत मे घुस गया ।
गीता के होठ इस वक़्त उसकी बहन मे होठो से जुड़े हुए थे तो वो बस छ्टपटाते हुए उम्म्ं उम्म्ं कर रही थी।
मै जान रहा था अगर अभी रहम दिखाया तो बात कभी आगे नही बढ पायेगी इसिलिए देरी ना करते हुए एक और जोर के धक्के के साथ पुरा लण्ड जड़ मे घुसेड़ते हुए उसके उपर आ गया ।
सामने से जब मैने गीता का चेहरा देखा तो वो दर्द से लाल पड गया था और उसकी आंखे डबड्बा गयी थी ।
मैने उसे प्यार से दुलारा - आह्ह नही मेरा बच्चा बस बस हो गया ना ,,,अब नही होगा दर्द
गीता - आह्ह भैया सच मे बहुत जलन कर रहा है सीईई उह्ह्ह मम्मीईई अह्ह्ह्ह
मै हल्का सा लण्ड पीछे खिचकर वापस से लण्ड को धीरे धीरे से चुत मे घुसेड़ता हुआ - आह्ह देख कित्ना आराम से जा रहा है ,,,,तु झूठ मे ही रो रही है अभी गुड़िया से कह दू तो फटाक से ले लेगी क्यू गुड़िया
बबिता वही बगल मे लेती अपनी चुत सहला रही - आह्ह हा भैया देदो ना मुझे ही
गीता अपने आंख साफ करती हुई - नही भैया पहले मुझे पेलो आप क्या हुआ दर्द हो रहा है तो ,,,, चोदो मुझे अह्ह्ह हा और पेलो उम्म्ंम्ंंं मम्मीईई
मै भी अब थोडा राहत मह्सूस किया ,,कुछ पलो के लिए मेरा लण्ड जो ठंडा हुआ जा रहा था वो फिर से कसने लगा और मैने सीधा होकर हल्के हल्के धक्के उसकी चुत मे ल्गाने शुरु कर दिया ।
मै उसे खुश करने के लिए वापस से इंग्लिश वाले संवाद बोलने लगा - whaat a tight pussy you have ... such a nice hole ummmm fuck uhhh baby yaahhh
गीता भी खुश होकर लण्ड को अपनी चुत के गलियारो मे घूमता मह्सूस करती हुई अपनी चुत मलते हुए चुद रही थी - अह्ह्ह fuck me hard भैययाया उम्म्ंम्ं और तेज पेलो
मै - आह्ह लो ना मीठी देखो कैसे तुम्हारा भैया चोद रहा है तुम्को ,, अह्ह्ह मस्त चुत है तुम्हारी उम्म्ंम बहुत कसा हुआ है ओह्ह्ह
गीता अपनी चुत मलते हुए - हा भैया मैने थोडी ना किसी से चुदवाया था हो मेरी चुत ढीली हो जायेगी ,,,, मै तो आपसे ही प्यार करती हू अह्ह्ह भैया और पेलो
मै उसकी नयी नयी बाते और बातो के तरीके मे आये बदलाव से मन में ही हस रहा था कि अब ये भी बडी हो रही है ।
मैने उसे खड़ा किया और दिवाल से टेक लगाते हुए पीछे से लंड को उसकी चुत मे घुसेड़ दिया और वो भी अपनी गाड़ उठाए हुए चुदने लगी ।
मै गीता को चोदने के साथ साथ बबिता को भी बिच बिच मे ऊततेजित किये जा रहा था जो बिसतर पर लेटी हुई अपनी चुत मलते हुए हमे देखे जा रही थी ।
मैने गीता के बालो को पकड कस कर धक्का लगाने शुरु कर दिये - तो क्या अब तु भी किसी और चुदेगी ,
गीता - आह्ह नही भैया मै सिर्फ आपसे ही चुदुंगी ,
मै तेजी से उसकी चुत मे लण्ड गचाग्च पेलेते हुए - अह्ह्ह अगर कोई तुझे परेशान किया या तुझे पेलना चाहे तो
गीता - अह्ह्ह नही होगा भैया मै नही चुदवाउन्गी अह्ह्ह वो इतना अच्छा थोडी ना पेलेगा मुझे अह्ह्ह्ह माआह्ह्ह और पेलो ना भैया मेरा निकल रहा है अह्ह्ह अह्ह्ह
ये बोलते बोलते ही गीता खडे खडे ही अकड गयी और मेरे लण्ड पर झड़ने लगी ।
मैने उसे पकड कर बिस्तर पर किया और उसके साथ लेट गया । मेरा लण्ड अभी भी तना हुआ था और तभी मुझे आभास हुआ कि बबिता ने अब मेरे लण्ड पर कब्जा कर लिया ।
वो मेरे लण्ड को चुसने लगी
मै मुस्कुरा कर - आजा मेरी गुड़िया वो पहले ही तैयार है
मेरे इतना कहते ही वो चहक कर दोनो पैर मेरे जांघो के अगल बगल करते हुए लण्ड को अपनी चुत मे सेट करते हुए सटाक से बैठ गयी ।
बबिता कसमसाते हुए - अह्ह्ह्ह भैयाआह्ह्ह उह्ह्ह कितना मोटा है अह्ह्ह मम्मीई उम्म्ंम सीईई
मै - अह्ह्ह गुड़िया तेरी भी चुत तो अभी भी कसी हुई है उम्म्ंम लग रहा है मनु का लण्ड पुरा नही पाता था तुझे
बबिता लण्ड पर उछलते हुए अपनी चुचिया मसलते हुए - आह्ह नही भैया वो बस मुझे मसलकर ही खुश रहता था आह्ह ज्यादा चोद कहा पाता था उम्म्ंम्ं उसे बस मेरे दूध और गाड़ मसलना पसंद था और अपना लण्ड खुब चुसवाता था अह्ह्ह्ह आप भी पेलो ना मुझे उह्ह्ह
बबिता और मनु की चुदाई वाली बाते सुन कर ना जाने मुझे क्यो बहुत ही उत्तेज्ना मह्सूस हो रही थी कि कैसे मनु बबिता के चुचियो को मल मल के बड़ा कर दिया और उसकी गाड़ भी को खुब नोचा हुआ है उसने ।
मैने अपने घुटने फ़ोल्ड किये और बबिता को अपने उपर खिचते हुए कस कर पकड लिया और जोश मे निचे से कमर उछालते हुए कस कस पटपट करके चोदने लगा
मै - अह्ह्ह ले गुड़िया देख तेरा मनु क्या ऐसे चोद पायेगा तुझे बोला ना
बबिता की सासे अटकी हुई थी- आह्ह आह्ह आह्ह सीईई नहीईई भैयाआअह्ह्ह अह्ह्ह मम्मीईईई
इधर गीता ने जब बबिता की तेज सिसकी सुनी तो वो खुश होकर उठ कर बैठ गयी और तेजी से लण्ड पर उपर निचे होते बबिता की गाड़ को देखने लगी ।
गीता - हा भैया ऐसे ही सजा दो इसे ,,,बहुत गंदी हो गयी थी ,,आज फ़ाड दो इसकी बुर को इसकी गाड़ को भी फैला के पेलो हिहिही
मुझे भी गीता की बाते सुन कर मजा आया और मैने बबिता के चर्बीदार गाड़ को दोनो हाथो से पकड कर फैलाते हुए तेजी से निचे से पेलने लगा । जिससे बबिता की चिख और तेज हो गयी
बबिता - अह्ह्ह भैया बहुत मजा आ रहा अह्ह्ह उम्म्ंम्ं fuck me भैयाअह्ह्ह उह्ह्ह्ह उम्म्ं औए तेज अह्ह्ह
गीता भी बबिता के फैले हुए गाड़ पर दिखती उसकी सुराख को मलते हुए - हा भैया और तेज पेलो आज इसकी गाड़ मे भी घुसा देना ।
ये बोलते ही गीता ने थोडा सा थुक उसके गाड़ की सुराख पर गिराते हुए उसे मलने लगी और मै तेजी से फचाक फचाक करके चोदे जा रहा था
बबिता अपने दोनो सुराखो पर हमले से बहुत ही उत्तेजित हो गयी थी और उसे डर था कही गीता सच मे उसके गाड़ मे लण्ड ना घुसवा दे इसिलिए उसने फौरन पोजीशन बदलते हुए घूम कर मेरे ओर पीठ करके बैथ गयी और खुद ही तेजी से अपना चुत मेरे लण्ड पर पटकने लगी ।
मैने भी हाथ आगे बढा कर उसकी चुचिया मिज्ने लगा तो गिता भी उसके एक चुची को मुह मे लेके चुसे जा रही थी और बबिता तेजी से अपनी गाड़ पटक कर चुद रही थी और तभी वो मेरे लण्ड पर ही कापने लगी
बबिता - अह्ह्ह अह्ह्ह भैयाआ मेरा निकल रहा है अह्ह्ह अह्ह्ह भैया उह्ह्ह्ह
मैने उसके कमर को पकडे हुए लण्ड को उसकी चुत के जड़ मे घुसेड़ दिया और वो उसी पर झड़ने लगी।। जिस्से मै भी काफी ऊततेजित हो गया
मै - अह्ह्ह हा गुड़िया बस थोडा और अह्ह्ह मेरा भी निकलेगा अह्ह्ह
इतना कहते ही बबिता ने खुद को निचोडते हुए मेरे लण्ड को कसने लगी और खुब हुमच हुमच के अपनी कमर हिला के मेरे लण्ड को अपनी चुत मे मथने लगी
मै - आह्ह गुड़िया जल्दी उतर अह्ह्ह निकलने वाला है मेरा
इतना कहते ही दोनो फटाक से बिसतर से उतरे और मै भी फर्श पर खड़ा हो गया म
दोनो निचे घुटनो के बल बैठ कर जीभ बाहर कर ली और मै उन्के मुह के पास अपना लण्ड हिलाने लगा
थोडे ही देर मे मेरा फब्बारा फुटा और दोनो के मुह पर झड़ने ल्गा ,,दोनो ने पहले ही काफी कुछ सिख रखा था और काफी समय से 69 करती आ रही थी तो उन्होने आप्स मे किस्स करते हुए मेरे वीर्य को बाट लिया और बारी बारी से चुस कर मुझे बुरी तरह निचोड लिया ।
थोडी देर हम बिस्तर पर पड़े रहे और फिर नहाने के बाद घर के लिए निकल गये । गीता ने एक बार और करने की जिद की लेकिन मैने रात मे कहके टाल क्योकि पहले ही मै मामी को चोद कर थक चुका था ।
रात मे सारे प्रोग्राम फिक्स ही थे। नाना आज रात मामी को जमकर चोदने वाले थे और मै अपनी चुलबुली बहनो के साथ मस्ति करने वाला था ।
लेखक की जुबानीइधर राज जहा अपनी बहनों के साथ लगा हुआ था ,,वही चमनपुरा के जंगीलाल दुकान मे बैठा हुआ शाम से ही अपनी बेटी और बीवी को एक साथ चोदने की प्लानिंग कर रहा था ।
लेकिन उसका बेटा राहुल इनसब के लिए एक रुकावट बन सकता था और वो कबसे इसी सब मे लगा हुआ कि कैसे राहुल को सेट किया जाये क्योकि रात मे कमरे चहल पहल की भनक उसे लग सकती थी ।
एक ओर जहा जन्गीलाल जहा राहुल के लिए परेशान हो रहा था ,,वही राहुल खुद आज रात फिर से अनुज के पास जाना चाह रहा था क्योकि बीते रात उसने अनुज के साथ लैपटॉप पर काफी सारी ब्लू फ़िल्म देखी और आज उन्होंने एक पोर्न फिल्म डाउनलोड कर रखा था जो लगभग ढाई घन्टे का था । जिसके लिए राहुल बहुत ही उत्तेजित था ।
दोनो बाप बेटे इस वक़्त दुकान मे ही बैठे थे और मन ही मन दोनो हीचक रहे थे ।
इधर जंगीलाल ने तय किया अगर मजा करना है तो कैसे भी करके राहुल को आज रात के लिए भेजना जरुरी है क्योकि एक बार निशा उसके सामने खुल जाये और वो उसकी गाड़ मे अपना लण्ड घुसेड़ दे बस उसके बाद से कोई दिक्कत नही होने वाली है । फिर वो जब चाहे दिन मे निशा को पेल सकता है ।
जन्गीलाल कुछ कहने को होता है कि राहुल बोल पडता है - पापा !!!
जंगीलाल - हा बेटा कहो
राहुल - पापा वो मै आज भी अनुज के पास चला जाऊ ,,,
जंगीलाल की आंखे खिल गयी और मन ही मन में वो बहुत खुश हुआ कि उस्का टेन्सन तो अब दुर हो चुका है और आज वो अपनी बेटी की गाड़ भी खोल के ही रहेगा
जंगीलाल - अरे बेटा लेकिन अभी कल ही तो तु गया था ना भाईसाहब के यहा
राहुल अपने पापा नरम व्य्व्हार देख कर - बस पापा आज भर ,,,
जंगीलाल हस कर - अच्छा ठिक है भाई चले जाना और वहा कोई शरारत मत करना ।
राहुल खुश हो गया और करीब 7 बजे ही वो अनुज के पास चला गया । इधर रोज के मुकाबले आज जन्गीलाल ने जल्दी ही दुकान बढा कर अंदर आ गया जहा किचन मे उसकी बेटी लोवर टीशर्ट ने रोटिया सेक रही थी और वही उसकी बीवी साडी मे ही सब्जी चला रही थी ।
जन्गीलाल लपक कर किचन मे गया और अपने हाथ से निशा उभरे हूए नरम चर्बीदार गाड के पाटो को हाथ मे भर के मसलते हुए - क्या बना रही है मेरी लाडो अपने पापा के लिए
निशा अपने पापा के पंजे अपने चुतड पर कसता पाकर सिहर उथी - आह्ह पापा वो सब्जी रोटी बन रही है ।
जंगीलाल - ठिक है बेटी जल्दी बना लो आज फिर से तुम्हारा क्लास चलेगा
ये बोलकर वो अपने कमरे मे चला गया
निशा शर्मा कर अपनी मा को देखने लगी जो पहले से ही मुस्कुरा रही थी ।
शालिनी- सारी क्लास तो उन्होने सुबह ही लेली तेरी अब क्या बचा है सिखाने को
निशा मुस्करा कर - पता नही मम्मी ,,,आप बताओ ना इसके अलावा क्या होता ?? मैने तो सुबह मे अच्छे से पापा का वो चूसा था और फिर अलग अलग पोज मे हिहुहिही तो अब क्या बाकी है ???
शालिनी मुस्कुरा कर - है कुछ बाकी ,,,वो तो तेरे पापा ही बतायेंगे
निशा - क्या मा बताओ ना डरा रही हो आप
शालिनी - अब मै क्या बताऊ जब मुझे ही कुछ समझ नही आ रहा है ,,देखते है ??
निशा मन ही मन में समझ रही थी कि उसके बाप की हवसी नजरे उसके कोरे गाड़ पर ही जमी है और अभी अभी जैसे उन्होने उस्के गाड़ को मसला उससे तो ये साफ ही हो गया कि आज वो उसकी गाड़ मे अपना मुसल घुसाने की फिराक मे है ।
निशा के जहन मे एक उत्तेजना भी थी कि आज उसका बाप सच मे उसकी गाड खोलेगा और एक डर भी था कि उतना मोटा मुसल लेने मे उसकी फट जायेगी आज
निशा के साथ साथ शालिनी भी इस बात से बखूबी परिचित थी कि आज उसका पति अपनी बेटी को कौन सा सबक सिखाने वाला है । लेकिन निशा के दिल के कोई डर ना हो इसिलिए उसने तय किया था कि पहले वो खुद अपने पति से गाड़ मे चुदने का मजा लेके दिखायेगी ताकी निशा भी इस मजे के लिए आतुर हो सके ।
वही इनसब के अलग जन्गीलाल अपने कमरे में अपनी लाडो के बिसतर को और भी आरामदायक बना रहा था ।आल्मारि से दो तिन तखिये और निकाल कर उन्हे अच्छे से सेट कर रहा था ।
बाजार से दोपहर मे ही एक महगा वाला लूब्रिकेंसन उसने जो म्गवाया वो उसने सही जगह पर रख दिया ताकी ऐन मौके पर मिल सके और फिर नहाने के लिए उपर चला गया
जारी रहेगी
बहुत ही जबरदस्त और खतरनाक अपडेट है भाई मजा आ गयाUPDATE 154
लेखक की जुबानी
ROUND 01
चमनपुरा मे एक बंद कमरे मे कुलर तेजी से हनहना रहा था और सोफे पर अपनी जान्घे फैलाये बैठी निशा मादक सिसकिया ले रही थी क्योकि उसके बाप की मोटी खुरदरी जीभ इस वक़्त उसके चुत की रसिली फाको पर चला रहे थे । वही बगल मे बैठी शालिनी अपनी बारी के इन्तेजार मे जान्घे खोल कर बैठी हुई चुत मले जा रही है ।
निशा अपने पापा की लपलपाती जीभ के स्पर्श से रोमांचित हुई जा रही थी और अकडते हुए अपने चुतड उचकाते हुए - अह्ह्ह पापाअह्ह उम्म्ंम्ं सीईईई उह्ह्ह्ह पुरा अच्छे से चुसो ना उम्म्ंम्ं
ये कहते हुए उसने अपने पापा के सर को पकडे हुए उनकी थूथ को अपनी फुली हुई चुत के मूहानो पर गाड़ उठा कर दरने लगी - अह्ह्ह पापाआह्ह्ह उह्ह्ह उम्म्ंम्ं और चुसो अह्ह्ह निकल रहा है मेरा अह्ह्ह्ह
निशा झड़ रही थी और जंगीलाल अपनी बेटी खुले व्य्व्हार से उतेजीत हुआ जा रहा था ।
कुछ देर तक गाड़ उठा कर कमर झटकने के बाद निशा सिथिल पड गयी और उसने अपने पापा के सर को छोड दिया और थक कर सोफे पर टेक लेते हुए हाफने लगी ।
वही जन्गिलाल की नजरे अपनी बीवी से टकराई तो वो मुस्कुरा उठा और बडे ही प्यार से अपनी बीवी के जांघो को दुलारते हुए निचे झुकता चला गया ,,जबतक की उसके होठो ने शालिनी के चुत के होठो से अपना नाता नही जोड लिया ।
शालिनी - अह्ह्ह मेरे राजाअह्ह्ह उह्ह्ह उम्म्ंम सीई खा जाओ मेरी चुत उम्म्ंम्ं
जंगीलाल अपनी बीवी की तेज मादक सिसकिया सुन कर थोडा और भी जोशीला हुआ और जन्घए खोलते हुए लपालप जीभ चलाने लगा ।
वही निशा भी अपनी मा की तेज सिसकियाँ सुन कर लपक उसकी ओर देखने लगती है जहा उसके पापा बिल्कुल उसी के जैसे उसकी मा की भी चुत के फाको छेड़ रहे थे और उसकी मा का जिस्म अकड रहा था ।
शालिनी - आह्ह मेरे राजा अब देर ना करो ,, निकालो ये मुसल और चोदो मुझे उह्ह्ह्ह मुझे ऐसे नही झड़ना है प्लीज उन्म्म्ं
जन्गीलाल मुस्कराया और एक नजर निशा को देखा और फिर खुद भी सारे कपडे निकाल कर नन्गा हो गया ।
बिना किसी देरी उसने शालिनी की टांगो को खीचा और बडे से सोफे पर लिटाते हुए उसने अपना लण्ड उसके चुत पर रगड़ना शुरु कर दिया और थोडा सा थुक ल्गाते हुए अपना सुपाडा धीरे से अपनी बीवी की चुत मे घुसेड दिया
शालिनी - आह्ह मेरी जान य्ह्ह्ह आज तो तुम्हारा लण्ड सच मे बहुत फुला हुआ है अह्ह्ह माह्ह्ह उम्म्ंम्ं
जंगीलाल - अह्ह्ह मेरी जान मुझे भी ऐसा ही लग रहा है ,,, जब तेरी जैसी रन्डी बीवी को चौदने का मौका मिले तो कैसे लण्ड कसेगा नही
निशा अपने पापा के मुह से अपनी मा के लिए रन्डी शब्द सुन कर आंखे खोल कर देखने लगी तो जंगीलाल भी सफाई देते हुए बोला - अह्ह्ह बेटी तु शब्दो पर ध्यान ना दे । सेक्स मे गंदे शब्दो का प्रयोग करने से मजा दुगना हो जाता है ।
निशा जिज्ञासू भाव से अपनी चुत मसल्ते हुए - क्या सच मे मा ऐसा होता है ??
शालिनी - आह्ह हा बेटा मर्दो को चुदाई मे गंदे शब्द सुन कर बहुत जोश आता है और वो दुगनी
जोश से चोदते है इस्से हमे भी चुदने मेह्ह अह्ह्ह उह्ह्ह्ह ओह्ह्ह निशा के पापा और तेज पेलो ना उम्म्ंम्ं अह्ह्ह
जन्गीलाल मुस्कुरा कर अपनी बेटी को देखा और फिर उसी गति से अपनी बीवी को चोदते हुए बोला - और कितना तेज चुदवायेगी साली रन्डी उम्म्ंम बोल ना
अपने पापा के मुह से गण्दे और कामुक शब्दो को सुन कर निशा मुस्कुराने लगी और थोडी कल्पना करते हुए अपनी चुत मसलने लगी कि क्या उसके पापा भी उसे गालिया देके चोदन्गे ।
इधर निशा थोडे पलो के लिए अपनी कल्पना मे खो ही रही थी कि तभी उस्के कानो मे उसके मा के मुह से कुछ गंदी गालिया और कामुक शब्दो के तीखे स्वर सुनाई पड़े ।
शालिनी- आह्ह तेरे मे जितना जोर है पेल ना बहिनचोद अह्ह्ह जब रन्डी बोल रहा है अह्ह्ह तोह्ह्ह रन्डी केहह जैसेह्ह उम्म्ंम अह्ह्ह ऐसे ही हाआ उह्ह्ह और तेज पेलो अह्ह्ह ऐसे ही रन्डी के जैसे पेलो मुझे उम्म्ंम्ं अह्ह्ह
निशा की आंखे फैल गयी थी अपनी मा और पापा की वह्सीपने को देख कर कि क्या सच मे चुदाई का ये स्तर भी हो सकता है ,,जहा सारे रिश्ते नाते छोड कर हवसीयो के जैसे बस चुत और लण्ड का ही सम्बंध रह जाये । खुद की पहचान और अहम को दरकिनार कर एक दुसरे को अपने मन का गिरा से गिरा वह्सीपना दिखा दे ।
निशा को पल भर के लिए ही ये थोडा अजीब लगा लेकिन जैसे ही उसने ये सब चीजें खुद के साथ होने के बारे मे सोची तो वो खुद एक कामुक रोमान्च से भर गयी और अपनी चुचिय मिजते हुए अपनी चुत मसलने लगी
वही दोनो मिया बीवी ध्क्क्म पेल चुदाई चल रही थी ,,मा बहन बेटी की घटिया से घटिया गालीबाजी हो रही थी लेकिन हर संवाद के साथ चुदाई की गति लगातार चरम पर जा रहा थी
जंगीलाल तेज धक्को से शालिनी की सासे अटकी हुई थी और पुरा जिस्म झटके खा कर हिल्कोरे मार रहा था ,,, कुछ ही पलो मे जंगीलाल ने गति धीमी कर दी और हलके धक्के लगाते हुए मुस्कुराने लगा ,,क्योकि शालिनी झड़ कर सुस्त पड़ चुकी थी और नजरे उपर करके मुस्कुराते हुए पास मे बैठी बेटी को निहार रही थी ।
जंगीलाल ने चुत के रस से सराबोर अपनी की बुर से लण्ड बाहर निकाला और हाथ से उसे मसलते हुए निशा को इशारा किया , निशा मुस्करा कर अपने पापा के पास आई और जंगीलाल ने उसे अपनी बाहो मे कसते हुए उसके गुदाज चर्बीदार गाड़ को मसला और घोडी बनने का इशारा किया ।
निशा मुस्कुराते हुए बिना कोई जवाब सवाल किये सोफे पर घुटनो के बल झुक गयी और सामने ही महज कुछ इन्च उसकी मा की चुत रस से लिभ्दी हुई थी जिसकी मादक गन्ध उसे रिझा रही थी और उसके जीभ ने लार छोडना भी शुरु कर दिया ।
वो आंखे बन्द कर आगे की झुकने को हुई थी कि इस्से पहले ही जंगीलाल ने उसकी कमर को थामते हुए अपनी ओर खिचा और अपना लण्ड उसके चुत के मुहाने पर लगाते हुए हचाक से लण्ड को धकेलता हुआ आधी चुत मे घुसेड दिया ।
इस करारे हमले से निशा की सिसकी निकली और उस्का मुह सीधा उसकी मा के रस्भरी चुत पर जा लगा ।
उसे और शालिनी दोनो को थोडी जिझक सी लगी और उसने नजरे उथा कर अपनी मा को देखा जो अपनी बेटी के होठो का स्पर्श अपनी चुत पर पाकर गनगना गयी थी । वो अपनी चुत के दोनो ओर उन्गिलिया लगा कर उसे दबोचने लगी ताकी अगले धक्के मे जब निशा का मुह उसके चुत की फाको से टकराये तो इस बार उसकी चुत पूरी तरह से बजबजाई हुई हो और उसकी बेटी भी उसके कामरस को चख सके ।
हुआ भी वैसे ही जन्गीलाल ने एक और जोर का झटका दिया और पुरा लण्ड घुसेडता हुआ जड़ मे ले गया और इस बार भी निशा सिसकि फिर उस्का मुह उसके मा की बजबजाई चुत पर जा लगा।
इस बार मौके का फायदा लेके उसने भी वापस होते होते होठो से दो चार बूंद सुरुक लिये जिसका आभास शालिनी को भी हुआ और जब उसकी मा से नजरे मिली तो वो शर्म से लजा गयी ।
शालिनी मुस्कुरा कर थोडा और आगे की ओर खस्कते हुए - आह्ह बेटी तु शर्मा मत ,, तुझे जो मन है कर ले ,,,ले अह्ह्ह उम्म्म्ं हा ऐसे ही चुबला मेरी चुत को ओह्ह्ह माह्ह्ह सीईईई उम्म्ंम
इधर निशा ने अपनी मा की चुत कब्जा ली और होठो से चुत की फाको को सुरुकने लगी ,,,वही पीछे से उसका बाप ये सब देख और भी जोश मे करारे धक्के लगाने लगा
जन्गीलाल - आह्ह बेटी आज तेरी वजह से चुदाई का मजा कई गुना बढ गया है ओह्ह्ह एक तो तेरी ये कसी हुई चुत और उपर से तेरी मा से तेरे ये रिश्ते देख कर मुझे बहुत जोश आ रहाहै ,,,,मन कर रहा है आज तुम दोनो की पूरी रात पेलाई करु उन्म्म्ं
निशा अपनी पापा की बाते और पूरी रात चुदने की कलपना से सिहर उथी- ओह्ह पापा तो चोदो ना उम्म्ंम आह्ह मुझे भी मम्मी के सामने पेलवाने मे बहुत मजा आ रहा है ओह्ह्ह पाअपा और कस के पेलो ना मम्मी के जैसे मुझे भी उम्म्ंम अह्ह्ह्ह
जन्गीलाल अपनी बेटी का आग्रह सुन कर अपने ध्क्के गहराते हुए बोला - हा बेटी ,, क्यो नही ये लेह्ह्ह अह्ह्ह मेरी लाडो बेटी अह्ह्ह ले अपने पापा का लण्ड अपनी बुर मे उम्म्ंम आह्ह
निशा - आह्ह हा पापा पेलो अपनी लाडो की चुत अह्ह्ह और चोदो मुझे आह्ह अह्ह्ह मम्मीईई पापा को गाली दो ना तभी वो कसके पेलन्गे उम्म्ंम्ं
जन्गिलाल निशा के हर संवाद से उत्तेजित हो रहा था और उसके लण्ड की कसावट बढती ही जा रही थी ।
शालिनी अपनी लाडो का कहना कैसे टाल सकती थी वो भी अपने पति को हुक्म सुनाते हुए बोली - आह्ह सुना नही क्या बहिनचोद ,,मेरी बेटी को और कस के चोद ना जैसे मुझे चोदा अभी रन्डीयो के जैसे । उसे भी पेल ना साले बेटीचौद पेल कस्के अह्ह्ह उम्म्ंम्ं हा ऐसे ही और अन्दर घुसा अह्ह्ह फ़ाड दे आज अपनी बेटी के बुर को
निशा - अओह्ह हा पापा ऐसे ही उम्म्ं फाडो मेरी बुर को ओह्ह्ह आह्ह फ़क मी पापा अह्ह्ह मजा आ रहा है ,,,बहुत मस्त लण्ड है आपका अह्ह्ब
जंगीलाल निशा के कुल्हे थामे हुए सटासट तेजी से लण्ड उसकी चुत मे पेले जा रहा था । उसकी जान्घे निशा के चुतडो से टकरा कर उछल रही थी और कमरे थपथपथपथप की तेज अवाजे चल रही थी ।
निशा अपने पापा को चिल्ल्ला रही थी तो उसकी मा जन्गीलाल को भर भर के गालिया देके उकसा रही थी और जन्गीलाल के लण्ड की कसावट बढती ही जा रही थी और उसका सुपाडा अब तपने लगा था उसकी गति धीमी होने लगी थी
शालिनी समझ गयी कि वो अब झड़ने वाला है इसिलिए फटाक से उथी और उसके पास पहुची जंगीलाल आहहे भरता हुआ निशा को सामने की ओर झटका । उसके पैर थक चुके थे और लगातार तेज गति से चुदाई करने से कमर मे दिक्कत सी लग रही थी इसिलिए उसने सोफे पर बैठना ही मुनासिब समझा ।
वही मौका पाते ही मा बेटी उसके लण्ड पर झपट पडी और आतुरता दिखाते हुए शालिनी ने सुपाड़े को मुह मे भर लिया और निशा ने आड़ो को चुबलाना शुरु कर दिया
थोडे ही पलो ने जंगीलाल अपनी गाड़ उठा के कहरा और शालिनी का सर लण्ड पर दबाने लगा । उसके वीर्य से शालिनी का मुह भर गया था और जब वो उथी तो खासने लगी ,,,वही निशा मौका पाते ही लण्ड को मुह मे भर ली और उसके सुरुकाने लगी ।
थोडे ही देर बाद तिनों हाफते हुए वही सोफे पर सुस्ताने लगे और अगले राउंड की तैयारि करने लगे
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इधर इनके अगले राउंड की तैयारी चल रही थी वही राज के चौराहे वाले घर मे उसका बाप अपनी बीवी को चोदते हुए होने वाली समधन को चोदने के ख्वाब को अपनी बीवी के बाट भी रहा था ।
रंगीलाल - आह्ह जान ये ममता भाभी की गाड़ देख कर तो मै दीवाना हो चुका हू सीईईईई
रागिनी अपने पति का लण्ड अपनी चुत की गहराई मे कसते हुए - अच्छा जी ऐसा क्या उम्म्ंम और क्या अच्छा लगता आपको अपनी समधन मे उम्म्ंम बोलो अह्ह्ह्ह उह्ह्ह
रन्गीलाल तेज करारे धक्के लगाते हुए - वैसे ही संधन जी पूरी की पूरी मस्त है लेकिन उनके गदराये जिस्म पर चढ़ कर पेलते हुए उनकी मोटी मोटी थन जैसी चुचिया मुह मे लेके चुसना चाहता हू ,,,, पता नही कैसा साइज़ पहनती होगी उह्ह्ह्ह
रागिनी - आप कहो तो मै पता करु
रन्गीलाल की आंखे चमक उथी और वो धक्का रोकते हुए - सच मे जान,,लेकिन कैसे ?
रागिनी ने इशारे से चुदाई जारी रखने को कहा - अरे मेरे राजा दुल्हन की सास के लिए साड़ी कपडे और सृंगार का समान जाता है ,,भले ही कोई दुल्हन की सास को ब्रा पैंटी नही देता हो लेकिन फिर मै पुछ लूंगी कोई ना कोई जुगाड़ करके हिहिहिही
रन्गीलाल खुश होकर तेज गति से लण्ड को अपनी बीवी की चुत की गहराई मे ले जाता हुआ - आह्ह जान तुम सच मे कमाल हो ,,, तुम बस साइज़ पता करो समधन जी को मै स्पेशल ब्रा पैंटी का सेट लाउँगा वो भी न्यू पैटर्न मे ।
रागिनी - ओहो सच मे फिर फ़ोटो भी माग लेना ,,क्या पता पहन के दिखा भी दे
रन्गीलाल उत्तेजना से भर कर - अह्ह्ह जान ऐसा हो जाये तो मजा ही आ जाये उम्म्ंम ,,,तुम बस पता करो साइज़
इधर इनकी फ्यूचर प्लानिंग चुदाई के साथ जारी रही । वही उपर के कमरे मे राहुल और अनुज कानो मे ईयरफोन लगाये पैर पर लैपटाप रख कर वो incest porn movie देख रहे थे जो आज सुबह ही उन्होने डाउन्लोड किया हुआ था ।
फुल फैमिली सागा सेक्स से भरपुर उस फिल्म ने दोनो के अरमान जगाये ,,,जहा राहुल ने जहन मे उसकी मा के कसे बदन की छविया आने लगी थी वही कही ना कही नाकारते हुए अनुज ने भी अपनी मा के बारे मे सोच कर आज मूठ मार ही दी ।
जब अनुज का जिस्म थक गया तो वो खुद के लिए बहुत शर्मिंदा हुआ और उसने लैपटोप बन्द करके रख दिया । हालाकी राहुल का अभी भी मूड था आगे देखने का लेकिन अनुज का मूड अपसेट देख कर उसने भी कोई जिक्र नही किया ।
ROUND 02
करिब 15 मिंट बाद जन्गीलाल के कमरे का माहौल फिर से गरम हो चुका था ,,, एक ओर जहा शालिनी अपने चुचे उसके मुहे मे भरे हुए चुसवा रही थी वही निशा ने अपने पापा के लण्ड को मुह मे लेके उसे चुस कर तैयार कर रही थी ।
जंगीलाल अपनी बीवी के मोटे चुचे चुसने के साथ साथ उसके गाड़ के सुराख से छेड़खानी भी कर रहा था
शालिनि धिरे से उस्के कान मे - आह्ह जान आज ही उसकी गाड़ भी खोलोगे क्या ???
जंगीलाल मुस्कुरा कर - हा जान,,कल से राहुल रहेगा तो दिक्कत हो जायेगी ना
शालिनी - लेकिन आज तुम्हारा मुसल बहुत मोटा लग रहा है ,,ले पायेगी वो
जन्गीलाल मुस्कुरा उसे निशा को दिखाते हुए - देखो कैसे खुद ही चुस चुस कर तैयार कर रही है
ये बोलते हुए जन्गीलाल वापस से शालिनी की चुचिया पीने लगता है
शालिनी - आह्ह मेरे राजा पहले इसे मेरे गाड़ मे डाल दो ना उम्म्ंम कितना तगडा हो गया है सीईई अह्ह्ह
बोलते हुए शालिनी खुद से ही अपने उन्गिलीयो से अपनी गाड कुरेदने लगती है ।
जंगीलाल मुस्कुरा कर लेट जाता है और शालिनी उसके आगे लेटते हुए टाँगे उठा लेती है ।
फिर जंगीलाल वही गीला लण्ड शालिनी की गाड़ के सुराख पर ल्गाता है और देखते ही देखते आधे से ज्यादा लण्ड उसकी गाड मे समा जाता है ।
निशा पहली बार गाड की चुदाई देख रही थी और वो काफी उत्तेजित मह्सूस कर रही थी वही शालिनी दर्द मे भी जानबुझ कर ऐसे दिखा रही थी उसे भरपुर मजा मिल रहा है ,,, ताकी कही निशा के दिल मे कोई डर ना बैठ जाये ।
शालिनी - ओह्ह मेरी जान तुमने तो मेरि गाड़ ही भर दी उह्ह्ह थोडा पेलो ना जोर लगा के अह्ह्ह ऊहह ऐसे ही उम्म्ंम्ं हा ऐसे ही ,,,,अह्ह्ह
निशा अपनी मा के पैरो के पास बैथ कर अपने पापा के लण्ड और आड़ो को छुते हुए उसे और अन्दर घुसाने की कोसिस करते हुए - मम्मी आपको जरा भी दर्द नही हो रहा है क्या
शालिनी मुस्कुरा कर - अह्ह्ह बेटी इस वक़्त मुझे जो नशा हो रहा है ना वो मै बता नही सकती ओह्ह्ह्ह निशा के पापा और घुसाओ ना अन्दर बहुत खुजली हो रही है उम्म्ंम रगड़ दो अपना मुसल मेरी गाड़ मे उह्ह्ह माआह्ह्ह हा ऐसे ही उह्ह्ह्ह अह्ह्ह
निशा चुत एक बार फिर से रिसने लगी और अपनी मा से मस्ती भरे लफ्ज सुन कर वो भी गाड़ मे अपने पापा का मोटा लण्ड लेने के लिए लालायित हो उथी
इधर जंगीलाल खचाखच शालिनी की गाड़ मे लण्ड पेले जा रहा था और शालिनी सिसकिया लिये जा रही थी । जैसे जैसे जन्गीलाल का लण्ड शालिनी की गाड़ की गहराइयो मे जाता वैसे वैसे सामने से उसके चुत के फाके खुल जाते और सोमरस की पतली सी रिसती हुई धार दिख जाती ।जिसे देख निशा का जी ललचा गया
और वो बडी कामुकता से अपने पापा के आड़ो को सहलाये जा रही थी ।
शालिनी और जन्गीलाल बखूबी इस बात को समझ पा रहे थे कि कैसे उनकी बेटी की तडप बढ रही है
शालिनी - अह्ह्ह हा बेटी और ध्केल अपने पापा का लण्ड फिर मै भी तेरे गाड़ मे डालूंगी इसे ,,,लेगी ना तु भी इसे उम्म्ंम्ं सीईई अह्ह्ह बोल ना
निशा कसमसा कर - उम्म्ंम हा मम्मी मुझे भी चाहिये अह्ह्ह पापा मुझे भी दो ना ,,,मुझे भी गाड़ मे आपका मोटा लण्ड चाहिए उम्म्ंम्ं
ये बोलते हुए उसने अपने मुह मे ऊन्ग्ली डाली और फिर उसे गीला करके अपने गाड़ के सुराख को टटोलते हुए दो उन्गली घुसेड दी - अह्ह्ह माअह्ह्ह उम्म्ंम प्लीज पापा मुझ्र भी पेलो ना ऐसे ओह्ह्ह
जंगीलाल थम गया और उठकर अपने लाडो की बढती हवस को देख कर लण्ड मस्लने लगा
जिसे निशा ने लपक कर मुह मे भर लिया और अपना गला चोक करने लगी ।
जन्गीलाल - आह्ह जान लग रहा है आज मेरी लाडो बिना गाड़ ने लण्ड लिये नही मानेगी
निशा - आह्ह हा पापा मुझे चाहिये ,,मुझे भी मजा करना है उम्म्ंम्म्ं गुउउउऊ गुउऊ सुउउउरुररऊऊऊऊप्प्प्प अह्ह्ह
शालिनी मुस्कुरा कर - तो दे दीजिये ना उसे भी ,,,अपनी बेटी को ऐसे तरसाएंगे क्या ??
जन्गीलाल - अरे नही मेरी जान,, मेरे सारे चीजो पर मेरी लाडो का ही हक है । आजा बेटी थोडा घोडी बन के दिखा तो अहह्ह हा ऐसे
निशा अपने घुटने फ़ोल्ड करके आगे की ओर झुकते हुए अपनी गाड़ उठा ली और इधर जंगीलाल ने शालिनी को वो स्पेशल तेल की शिसी लाने को कहके खुद अपनी बेटी के चर्बीदार गाड के पाटो को फैलाते हुए मसलने लगा ।
फिर उसके चर्बीदार गाड़ के पाटो को मुह मे भरने और उसके सुराख से लेके लकीर मे मुह चलाने लगा ।
अपनी गाड़ के सुराख और दरारो मे अपने पापा की जीभ की हरकत से निशा कसम्साते हुए सिसकने लगी और अपने चुतडो को कसने लगी ।
जिससे जन्गिलाल ने उसके गाड़ के पाटो को कस के फैला कर चाटना शुरु कर दिया और जीभ से उसकी गाड़ के सुराख को कुरेदने लगा
जिससे निशा और भी आगे की ओर छ्टकाने लगी ,,इसपे शालिनी ने आगे से आकर उसे पकड लिया और जन्गीलाल घुटनो के बल होकर अपनी बेटी के गाड़ मे अपना मुह दे दिया ।
उसकी लपलपाती जीभ निशा के चुत के फाको से गाड़ के सुराख पर नाच रही थी और जन्गीलाल भरसक कोसिस करके अपनी जीभ को नुकीला करके गाड़ मे घुसा दे लेकिन लण्ड की कसर कहा उससे पूरी हो पाती ।
इसिलिए उसने अपनी एक ऊँगली को मुह मे लेके लार से चभोडा और लार से निशा के गाड़ के भूरे सुराख पर मलते हुए एक ऊँगली को उसकी गाड़ मे घुसेड दिया
निशा अपने पापा की मोटी ऊँगली अपने गाड़ मे घुसता पाकर सिसकी - अह्ह् पापाअह्ह्ह उम्म्ंम आह्ह
दर्द हो रहा है उम्म्ंम्ं सीईईई
शालिनी
अरे जी ऐसे सुखा सुखा क्यू डाल रहे है ,,ये तेल लगाईये ना ,,,
जंगीलाल निशा के चुतडो को दोनो ओर फैलाये हुए - अरे जान तुम ही गिराओ ना ,,, लाडो अपनी गाड़ को कस रही है
शालिनी मुस्कुरा कर तेल की शिसी खोलते हुए तेल की बुन्दे सीधा निशा के गाड की सुराख पर गिराने लगी और जिससे उसकी गाड़ का छेद भरने लगा और जल्द ही तेल निचे चुत की ओर बढ़ने लगा तो शालिनी ने अपनी उन्गलियो को लगा कर तेल को निचे जाने से रोका और उसे अच्छे से निशा के गाड़ पर मलने लगी
शालिनी- बेटा जरा ढीली छोड ना अपना चुतड आह्ह हा ऐसे तुझे भी मजा आयेगा
ये बोलते हुए शालिनी अपने अंगूठे से उसके तेल मे रसे हुए गाड़ की सुराख को मलने लगी और उपर लकीरो मे ले जाने लगी जिससे निशा कसम्सा उठी तो जंगीलाल ने आगे लपक के एक हाथ से उसके चुचे थाम लिये साथ ही उसके गाड़ की लकीरो को खुद मलने लगा ।
निशा को अब डबल मजा आने लगा था और उसकी सिसकिया बढने लगी थी ।
जन्गीलाल निशा के गाड़ की दरारो से लेके उसकी चुत की सिराओ को भी मल रहा था ।
फिर उसने अपने एक हाथ की अंजुली बनाई और शालिनी को इशारा किया कि वो थोडा तेल डाले । शालिनी ने भी मुस्कूरा कर तेल अपने पति की अंजुलि मे डाला ।फिर जंगीलाल ने वही हाथ सिधा निशा के कसे हुए गाड़ के दरारो मे भरता हुआ उसके गाड़ के छेद को अच्छे से मलने लगा और धीरे से एक ऊँगली को उसकी गाड़ के घुसेड दिया ,,,इस बार निशा को कोई दर्द नही बल्कि उसे एक खुजली सी होने लगी
निशा - आह्ह पापा खुजली हो रही है अह्ह्ह उम्म्ंम
जंगीलाल अपनी बिच वाली बडी ऊँगली को निशा की गाड़ मे डाले हुए बाकी की हथेली से उसके गाड़ के दरारो मे मल रहा था । लेकिन निशा की गुहार सुन कर उसने अपनी ऊँगली को और भी अन्दर घुसाते हुए कसी हुई गाड़ का मुआयना करते अपनी ऊँगली बाहर खिच लिया । फिर उसने गाड़ के सुराख के पास का तेल वापस से उंगलियो मे चभोडा और इस बार दो उंगलियाँ एक साथ ही निशा की गाड मे डाल थी ,।
इस बार निशा थोडी छ्टकी थी लेकिन जंगीलाल और शालिनी दोनो ने उसकी कमर को थामा और पूरी ऊँगली उसके गाड़ मे चली गयी
निशा - हहह पापा उह्ह्ह माआह्ह्ह सीई आह्ह जल रहा है अह्ह्ह पाअपाअह्ह्ह
जन्गिलाल उस्के कूल्हो को सहलाते हुए - बस बस बेटा अब नही होगा
ये बोलते हुए जन्गीलाल अपनी बेटी के गाड़ के अपनी दोनो ऊँगलीया घुमाते हुए आगे पिछे करने लगा ।
निशा को भी अब मजा रहा था और वो अपनी गाड हिलाते हुए - आह्ह पापाऊहह उम्म्ं आह्ह फ़क मीई ओह्ह्ह हा ऐसे ही घुमाओ ओह्ह माह्ह सीई
शालिनी मुस्कुरा कर उसके पास गयी और उसके कमर को सहलाते हुए - अच्छा लग रहा है ना तुझे बेटा उम्म्ं
निशा कसम्सा हस्ती हुई - आह्ह हम्म्म्म माआह्ह बहुत उह्ह्ह्ह पापा लण्ड कब डालेंगे मुझे लण्ड से चुदनाआह्ह अह्ब ऊहह उम्म्ंम
शालिनी हस्ते हुए उथी और जन्गीलाल को इशारा किया और
जन्गिलाल खड़ा होकर तेल की शिसी खोल कर खुब सारा तेल अपने लण्ड पर च्भोड़ते हुए हाथ का बचा हुआ तेल निशा की गाड़ पर लगाने लगा
निशा इस समय थोडा डर और भरपुर उत्तेजना के साथ अपने पापा के अगले स्टेप का इन्तेजार कर रही थी ।
इधर जंगीलाल अपना लण्ड मलते हुए सुपाडा खोल कर उसके निशा के गाड़ के सुराख पर लगा चुका था ।
शालिनी भी निशा के करीब ही थी उसे स्म्भालने के लिए और जंगीलाल ने निशा के गाड पर हाथ रख्ते हुए दुसरे हाथ से लण्ड को पकड कर पुरा जोर देते हुए लण्ड को निशा के गाड़ की सुराख मे बहुत ही आहिस्ता से घुसा दी ।
दर्द से निशा की आंखे फैल गयी और वो छ्टकने को हुई लेकिन शालिनी ने उसे थाम लिया - अह्ह्ह मुम्मीईई नहीईई उम्मममं बहुत दर्दहह उह्ह्ह पापा मत करो अह्ह्ह फट जायेगा अह्ह्ह उह्ह्ह
शालिनी जल्दी से उसके पास गयी और उसे दुलारने लगी - बस बेटा अब नही होगा दर्द
इधर जन्गिलाल धीरे धीरे करके अपना लण्ड पकड कर उसे ढकेलते हुए आधे से ज्यादा निशा की गाड़ मे घुसा चुका था ।
ईस वक़्त जंगीलाल बहुत ही उत्तेजित हो चुका था इस अहसास से ही वो अपनी बेटी की गाड़ भेदने मे कामयाब रहा उसका लण्ड मारे जोश मे गाड़ के अंदर और भी फूलने लगा था ।
इधर शालिनी निशा को शांत कर रही थी कि जन्गीलाल ने दोनो हाथो से निशा के कुल्हे पकड कर अपना लण्ड खिचते हुए एकक जोर का धक्का लगा दिया और उस्का लण्ड सरकता गाड़ को चिरता फैलता निशा की जड़ मे चला गया
जिससे की आंखे छलक पडी और वो दर्द से रो पडी ,,उसका चेहरा लाल पड चुका था वही शालिनी एक हाथ उसके बालो को दुलारते हुए दुसरे हाथ से उसके गाड़ की दरारो से लेके कमर की नीचले हीस्से की मालिश कर रही थी ताकी गर्माह्त से उसे दरद से राहत मिले
जंगीलाल भी निशा के चर्बीदार गाड़ को मसलकर
थोडा राहत देते वापस से लण्ड बाहर को खिचत हुआ लण्ड को पेल्ना शुरु कर दिया ।
जंगीलाल को अपनी बेटी की कसी हुई गाड़ मे लण्ड घुसाने मे बहुत ही मजा आ रहा था वही धीरे धीरे जब वो तेल अपना असर दिखाने लगी तो निशा को अपनी गाड़ के सुराख मे ढीलापन मह्सूस हुआ और वो अब मजे लेने लगी थी लेकिन कसी हुई गाड़ के लिए उसके पापा का लण्ड बहुत ही मोटा था हर बार धक्का लगाने पर उसकी गाड़ के चर्बी मे भी खिचाव हो रहा था जिससे उसे दर्द मह्सूस हो रहा था
लेकिन
उसके पापा के सुपाड़े की खरोच उसके गाड़ की खुजली बढाये ही जा रही थी इसलिए उसने खुद से अपना गाड़ पीछे की ओर फेकने लगी और जंगीलाल सम्झ गया कि अब निशा को मजा आ रहा है
इसिलिए वो भी उसके कूल्हो को थामते हुए सटासट लण्ड को उस्के गाड़ मे पेलना शुरु कर दिया
निशा - आह्ह पापह्ह्ह ओह्ह अब मजा आ रहा है उह्ह्ह उम्म्ंम अह्ह्ह पेलो मुझे उह्ह्ह
जंगीलाल - हा बेटी मुझे भी बहुत मजा आ रहा है ,अह्ह्ह ये ले बेटी उह्ह्ह आह्ह ले और ले अपने पापा का लण्ड ऊहह आज तो तेरी गाड़ खोल कर रख दूँगा ईईआअहह आह्ह
निशा - हा पापा खोल दो उम्म्ंम कस कस के पेलो आह्ह खोल दो फाड़ दो अह्ह्ह माह्ह्ह उम्म्ंम
जन्गीलाल जोश मे आकर कस कस कर निशा की गाड़ मे पेले जा रहा था और शालिनी वही सामने अपनी चुत मले जा रही थी ।
निशा थोडे ही देर बाद - आह्ह पापा मेरे घुटने मे दर्द हो रहा है
जंगीलाल को भी समझ आया कि निशा काफी समय से घुटनो के बल अपनी गाड़ उठाए उसके धक्के झेल रही है इसिलिए उसने अपना लण्ड बाहर खिचके निशा के चुतड पे थाप देते हुए उसे उठने का इशारा किया और खुद सोफे पर बैठ गया ।
निशा खुश हुई और इस बार पैर फेक कर वो अपने पापा की गोद मे बैठते हुए लण्ड पकड कर खुद से ही अपने गाड के मुहाने पर सेट करने लगी
जब लण्ड सही जगह सेट हो गया तो निशा खुद को एडजस्ट करते हुए लण्ड पर अपने गाड़ को दबाने लगी और उसके पापा का मोटा मुसल एक बार फिर से उसकी कसी हुई गाड़ को चौड़ा करता हुआ पुरा घुस गया ।
निशा ने जब पुरा लण्ड महसूस कर लिया तो वो अपने पापा के कन्धे को पकडते हुए हल्का हल्का उछलने लगी । वही जन्गीलाल ने मौका पाकर सामने से अपने बेटी की दोनो नंगी चुचियॉ पकड कर मसलने लगा और झुक कर मुह मे भरने लगा
निशा अपने पापा की मोटी जीभ की खरोच और गाड़ मे सुपाडे की हरकत से बहुत ही उतेजित हुई जा रही थी और कस क्कस कर अपना गाड़ अपने पापा के लण्ड पर हुमचने लगी ।
निशा - ओह्ह्ह पापाह्ह्ह उम्म्ं आप बहुत अच्छे हो उम्म्ंम सीईई मुझे तो बस आपसे ही चुदना है अह्ह्ह माह्ह और चुसो उम्म्ंम अह्ह्ह
जंगीलाल हस कर - क्यू बेटी शादी नही करेगी क्या उम्म्ंम
निशा अपनी गाड़ मे लण्ड को मथते हुए - आह्ह पापा जब सारा मजा ऐसे ही मिल रहा है तो क्यू शादी करनी उम्म्ंम अह्ह्ह थोडा पकड के पेलो ना उम्म्ंम अह्ह्ह
जन्गीलाल - देख रही हो निशा की मा ,,,अपनी लाडो तो शादी करने से ही दुर भाग रही है हाहहहा
शालिनी अपनी चुत मलते हुए बहुत ही कामुक आवाज मे - अह्ह्ह मेरे राजाआह्ह आपके लण्ड का स्वाद लेके कौन आपसे दुर जायेगा सीईई आह्ह
निशा अपने पापा के लण्ड पर उछलते हुए - हा मम्मी सही कह रही हो उम्म मै तो नही जाऊंगी पापा को छोड कर ,,,रोज चुदवाउन्गी और आपके साथ ऐसे ही मजे करनगी उम्म्ंम अह्ह्ह पापा और कस के पेलो ना उम्म्ं हा ऐसे ही निचे से चोदो मुझे
जंगीलाल - हा बेटी ये लेह्ह उह्ह्ह क्या मस्म्त मम्मे है तेरे उह्ंम्ंं सीई इतने मुलायम है उम्म्ंम
निशा - तो चुस लो ना पापा और पेलो ना मुझे कस कस के थक गये क्या
जंगीलाल मुह से चुची निकालते हुए - आह्ह नही मेरी लाडो
निशा अपनी गाड़ को तेजी से अपने पापा के लण्ड पर हुमचते हुए - आह्ह तो कस कर पेलो ना अह्ह्ह उम्म्ंम आप तो बेटीचोद हो गये हो ना अब उम्म्ं पेलो अपनी बेटी की गाड़ अह्ह्ह उह्ह्ह्ह हा ऐसे ही अह्ह्ह मुझे भी रन्डी बेटी बना लो अपनी ना पापा अह्ह्ह
जंगीलाल ने जैसे ही निशा के मुह से ऐसे कामुक और गंदे शाब्द सुने वो पुरे जोश मे आ गया और निशा के गाड़ को पकड कर तेजी से निचे से धक्के लगाने लगा
जन्गीलाल - आह्ह तो मेरी बेटी भी रन्डी के जैसे चुदना चाहती है हा ...
निशा - आह्ह हा पापा मुझे आपकी रन्डी बेटी बनना है आपकी चुद्क्क्ड बेटी अह्ह्ह पेलो ना अपनी रन्डी बेटी को उह्ह्ह पापा और कस के मारो फाड़ दो आज्ज उह्ह्ह हाआ
जन्गीलाल तेजी से निशा की गाड़ मारे जा रहा था और इधर मारे ऊततेज्ना मे
निशा झड़ने लगी थी और अपने पापा के उपर ही सुस्त पड गयी थी
धीरे धीरे जन्गीलाल भी धीमा पड गया और उसने उसकी गाड से लण्ड बाहर निकाल दिया,,,वही मौका देख कर कबसे प्यासी शालिनी ने वही लण्ड सीधा मुह मे भर लिया
जन्गीआल
ने निशा को इशारे से उपर से हटने को कहा और शालिनी को घोडी बनाते हुए उसके पीछे से लण्ड उसकी गाड़ मे पेल दिया
जंगीलाल - लो जान तुम भी कबसे तरस रही थी ना आह्ह ये लो उम्म्ंम
शालिनी - उम्म्ंम हा मेरे राजा थोदा पेलो ना जोर का मुझे भी उम्म्ंम सीईई अह्ह्ह और हाह्ह उम्म्ंम
इधर जन्गीलाल गचाग्च अपनी बीवी की गाड़ मे लण्ड पेले जा रहा था वही निशा अपने पापा मम्मी की चुदाई देख कर फिर से जोश मे आ गयी और अपने मम्मी के उपर चध कर अपना गाड़ अपने पापा के सामने परोस दिया ।
अब जन्गीलाल के सामने उसके बीवी और बेटी की गाड़ उपर निचे रखी हुई थी और जन्गीलाल का लण्ड शालिनी की गाड़ मे फ्सा हुआ था ,,इसिलिए उसने निशा के गाड़ को उन्गलियो से चोदना शुरु कर दिया औफ थोडे देर मे उठ कर निशा के गाड़ के लण्ड घुसेड कर पेलने लगा
शलीनी को निशा की इस हरकत से हसी तो आई लेकिन उसे मजा भी आ रहा था कि उसकी जवाँ बेटी अपना नन्गा जिस्म लेके उसके उपर चढ़ी हुई जिसकी गाड़ उसका ही पति मार रहा है
थोडे देर बाद जंगीलाल ने छेदो की बदली की और निशा के गाड़ से लण्ड निकाल कर शालिनी की गाड़ मे पेलने लगा
ऐसे ही गाड़ की बदली करके जन्गीलाल दोनो को चोदता रहा और जल्द ही वो झड़ने के करीब आ गया और जाते जाते उसने सारा माल निशा की गाड़ भर दिया और आखिरी बूद तक उसके गाड़ झड़ने के बाद वो खड़ा हुआ तो निशा ने लपक कर अपने पापा का लण्ड मुह मे लेली और बचे खुचे माल को चाटने लगी
वही शालिनी उसके गाड़ में उन्गली करके अपने पति का माल निकाल कर उसे चाटने लगी ।
जारी रहेगी
बहुत ही गजब और शानदार अपडेट है भाई मजा आ गयाUPDATE 155
अब तक के अपडेट मे आपने पढा कि एक ओर जहा जंगीलाल अपने बेटी के सभी छेदो को भेद चुका था । वही उसका बड़ा भाई रन्गीलाल अपनी बीवी के साथ अपनी होने वाली समधन के कूल्हो की माप लेने की योजनाए ब्नाने मे मशगुल था ।
दो मनचले और भी थे जिन्होने सेक्स के नशे को हल्के ले लिया था और अब लगातार उसी के जाल मे फसते जा रहे थे । राहुल का स्वभाव थोडा जिगरि था तो उसने अपनी मा के लिए ट्राई करने की योजना बना ली लेकिन अनुज का क्या ? क्या वो इस राह पर आगे कभी बढ भी पायेगा या रात की ग्लानि मे वो सेक्स के रास्ते को ही छोड देगा ।
वही दुसरी ओर राज ने भी अपनी दुसरी बहन के माथे से कुवारेपन दाग हटा दिया था और गीता भी अब कली से फूल बनने के सफर पर निकल चुकी थी । वैसे सफ़र तो आज राज का भी शुरु हो चुका था , आज 10 बजे की बस से राज अपनी रज्जो मौसी के यहा जा रहा था ।
राज की जुबानी
नाना के यहा से बस पकडने के बाद से ही क्या क्या सपने सजोये थे , कितनी हसिन और कामुक कल्पनाये सोच रखी थी । कितने लण्ड खडे कर देने वाले सवाल मेरे जहन मे चल रहे थे
क्या रीना भाभी की जवानी अभी खिल चुकी होगी ? वो कसे हुए सीने अब और भी फूल गये होगे ,,
इतने दिनो से मौसा घर पर है क्या कभी रमन भैया और मौसी चुदाई कर पाते होगे । अगर करते भी होगे तो चोरी छिपे चुदाई कितनी मजेदार होती होगी ?
और रज्जो मौसी है ही ऐसे नटखट वो जरुर रीना भाभी को नये नये गुर सिखा चुकी होगी ।
और रमन भैया का तो मौज ही होगा दिन मे मा और रात मे बीवी अह्ह्ह
पता नही वहा का माहौल कितना कामुक होने वाला है येही सब सोच कर मेरा लण्ड अभी से उफान पर था ।
मन मे यही चल रहा था कि आज मौसी के घर मे चुपचाप घुस जाऊ ,,क्या पता कोई चुदाई भरा मस्त नजारा देखने को मिल जाये ।
मगर हर बार किस्मत इत्नी भी रंगीन नही होती ।
मै बस से उतर कर मौसी के घर के लिए उनके गली मे जा रहा था ।
थोडी दुर से ही मौसी मुझे दरवाजे पर खड़ी किसी औरत से बात करते हुए दिखी जो थोडा हस्ती शर्माती मौसी के हा मे हा मिलाती हुई बाते कर रही थी ।
वही मौसी की नजर मुझ पर पड गयी और हम दोनो एक दुसरे को देख कर मुस्कुरा चुके थे । उस औरत ने भी मेरी ओर देखा
जैसे जैसे मै घर के करिब आ रहा था दोनो के बीच की बातो या फिर उस समझौते की गति तेज हो गयी और मेरे दरवाजे तक आते आते वो औरत सामने के एक घर मे जा चुकी थी ।
जाते हुए उसके मांसल कुल्हे उसके सूट सलवार मे जो हिल्कोरे मार रहे थे ।
मै - नमस्ते मौसी , ये कौन थी ?
मौसी - अरे बेटा वो हमारी पडोसन है ।
मौसी खुश होकर - और बता अचानक से कैसे ? फोन भी नही किया
मै - मै तो सोचा था कि आपको सरप्राइज़ दूँगा ,,क्या पता बीच दोपहर मे घर मे कोई सिन देखने को मिल जाता लेकिन ....।
मौसी हस कर - धत्त बदमाश तू बिल्कुल नही सुधरा , चल अंदर आ ।
मै मौसी को छेड़ते हुए - वैसे ये जो बाहर आंटी थी ,,कही आप उनको मौसा के लिए तो मना नही ना रही थी ।
मौसी ने मुस्कुराते हुए मुझे आंखे दिखाई
मै हस कर - वैसे आपका और म्ममी का कोई भरोसा नही है हिहिहिही
मौसी हस्कर धीमी आवाज मे - वैसे तेरे मौसा को मैने देखा है इसको झांकते हुए हिहिहिही
मै हस कर - फिर तो आपको मौसा जी मदद करनी ही चाहिये हिहिहिही
मौसी - धत्त तु भी ना , चल बैठ मै जरा बहू को आवाज दे देती ,,वो रमन को खाना देने गयी है उपर
मै मस्ती मे - अरे मौसी रुको ना ,,चल के देखते है ना क्या हो रहा है उपर ....हिहिह्ही
मौसी - धत्त बदमाश ,, वो सच मे खाना ही गयी है और तेरे मौसा भी अपने कमरे मे है । समझा
मै - तो चलो ना यहा क्या करना है उपर ही चलते है ना , जब सब वही है
मौसी - अरे अब आया है तो कुछ पानी पी ले फ्रेश हो जा
मै - ओहो मौसी , ऐसा करो आप पानी वानी जो भी लाना है उपर लेके ओ ,,मै तो जा रहा हू अपनी भाभी के पास
मौसी हस कर किचन मे चली गयी और मै धीरे धीरे उपर जीने की ओर जाने लगा
मगर असल मे सरप्राइज़ तो अब मेरा इन्तेजार कर रहा था रमन भैया के कमरे पर पहुचते ही सामने का नाजारा बहुत ही कामुक और आह भरा भी था
सामने बिस्तर पर खाने की थाली रखी हुई थि और रमन भैया अपना लण्ड बाहर किये खडे थे और भाभी निचे बैठी हुई गपागप लण्ड मुह् ले रही थी ।
नजारे को देख कर मेरा भी लण्ड तन गया और मैने पैन्त के उपर से ही लण्ड मसल रहा था ।
तभी सीढियो की आहट हुई और मौसी के पायल की आवाज सुनाई दी और जैसे ही मौसी ने मुझे देखा तो सर पीट पर हस्ने लगी और मैने उनको चुप करने का इशारा किया और अपने पास बुलाया
वो हसती हुई मेरे पास आई और मैने उन्हे अन्दर का नाजारा दिखाते हुए कहा - देखा मै सही था ना
मौसी खुसफुसाई है - हा तो तू क्या अब बहू को नंगी देखेगा क्या ?
मै उन्के गाड़ को मसलता हुआ - आह्ह काश मिल पाता ,,,
मौसी खुसफुसा कर - तु पागल है क्या ? चल यहा से
मै - मौसी सुनो ना ,, वैसे मैने आपको भी कभी रमन भैया के साथ चुदते न्ही देखा ,,, कब दिखा रही हो
मौसी मुझे खिच कर वापस निचे ले जाते हुए - तु पागल है क्या ,,बहू के रहते मै कैसे ? उसे जरा भी भनक लगी तो वो ?
मै - अरे तो उनको बता कोन रहा है और कहा वो ये सब शक कर रही है । आप भी ना ,,मुझे तो देखना है बस
मौसी - ओह्ह बेटा जिद ना कर ,, मै सच मे फस जाउगी
मै - मौसी प्लीज ना ,,मुझे सच मे बस एक ही बार देखना है प्लीज ना प्लीज
मौसी मेरी जिद पर हारती हुई - अच्छा ठिक है लेकिन उसके लिये तेरे मौसा को बाहर भेजना होगा और बहू निचे किचन मे फसी हो तब
मै कुछ सोच कर - उम्म्ं ठिक है ,,,भाभी को तो मै रात के खाने के लिए कुछ स्पेशल बनाने के नाम पर फसा लूँगा और आप मौसा का कुछ करो
मौसी खुश होकर - हम्म्म्म ठिक है मै भी उन्हे मार्केट के लिए भेज दूँगी ,,,मेरा एक ब्लाउज पेतिकोट सिलने के लिए देना
मै चहक कर - वॉव मौसी उउउम्म्म्म्म्माआह्ह इस बात पर आपकी गाड़ ठुकाई तो बनती ही है
मौसी - तो चल ना ,,मै भी तो तरस रही हू कबसे और तु मुझे दूसरो से चुदाने मे लगा है
फिर मै और मौसी एक कमरे मे चले गये जहा मैने दो बार मौसी की गाड़ और चुत मारी और फिर कुछ खा पीकर सो गया ।
लेखक की जुबानी
इधर राज अपनी मौसी के यहा कुछ नये अरमान लिये सपने सजो रहा था तो वही चमनपुरा मे दो जवाँ दिलो की आग भडक चुकी थी ।
सुबह उठने के बाद से अनुज राहुल से नजरे चुराते फिर रहा था । राहुल को इस बात का अंदाजा था और वो भी थोडा बहुत हिचक रहा था कि बहन तक कि बात तो ठिक थी लेकिन मा के लिए कैसे वो अनुज को फ़ेस करे ।
दोनो सुबह उठ कर छत पर बारी बारी फ्रेश होने के लिए गये । अनुज पहले पाखाने से बाहर आ गया तो राहुल उसके बाद गया ।
अनुज वही हाथ धुल कर ब्रश करने लगा कि इतने मे अनुज की मा बालटी मे कपड़ा लेके छत पर आ गयी ।
ढीली हल्की भीगी मैकसी और बालो मे चढा तौलिये का ताज बता रहा था कि रागिनी अभी अभी नहा कर हल्का फुल्का अपने जिस्मो को पोछ कर उपर से मैकसी पहन ली थी ।
ढीली मैक्सि मे उसके हिलते चुचे अनुज के चढ़ढे मे हलचल मचा चुके थे और इधर रागिनी बिना उसकी ओर देखे आगे बढ कर अरगन पर अपने कपडे डालने लगी।
वही अनुज ब्रश घुमाते हुए अपनी मा के पीछे खड़ा हो गया और अपने मा के गाड़ से चिपकी हुइ मैकसी ने उसके लण्ड की नसे और फड़का दी ।
इधर रागिनी ने बारी बारी से सारे कपडे फैला दिये और जब ब्रा पैंटी की बारी आई तो अनुज के हाथ ब्रश पर थम गये और नजरे फोक्सड हो गयी ।
उसकी मा ने अरगन मे चिमटी लगा कर अपने दोनो अंगवस्त्रो को वही हवा मे लहराने को छोड दिया और चुपचाप निचे जाने लगी
इधर अनुज की नजरे उस्के मा के पीछे से भीगी हुई मैस्की मे थिरकते कुल्हो पर जम गयी और उसके हाथ ने पल भर को अपने सुपाडे मे उभरती खुजली को रगड़ा ही थी कि पाखाने का दरवाजा खुला और राहुल बाहर निकल आया ।
राहुल से अपने भाव छिपाने के लिए अनुज फौरन घूम गया लेकिन राहुल ने भी बाहर निकलते हुए रागिनी के हिलते चुतड देख लिये और ये भी भाप गया कि अनुज क्या छिपाने मे लगा है ।
राहुल को जैसे मौका मिल गया और वो बेसिन पर हाथ धुलते हुए - भाई ये लण्ड की खुजली ऐसी ही है ,,, साला रिश्तो का फर्क नहीं पड़ता इसे
अनुज हिचक कर सफाई देते हुए - नही भाई मेरा ऐसा कोई इरादा नही है और हो भी तो मेरे घर मे कोई राजी नही होगा समझा ।
राहुल हस कर - तेरा पता नही लेकिन मेरा तो इरादा तो है कि मै अपनी मा को चोदने वाला हू ।
अनुज चौक कर - तु पागल हो गया है क्या ,,,अरे भाई हिलाने तक और निशा दीदी तक ठिक था ,,,अब और कुछ नही होगा आगे
राहुल - तू डरपोक है और तुझसे कुछ नही होगा ,, मै तो अपनी मा पर ट्राई करने वाला हू ,,, साला जिसको देखो मेरी मा के जिस्म को देख कर लार टपकता है और ना जाने कितने मूठ मार कर सो जाते होगे ,,अगर मैने कर लिया तो क्या हो जाएगा ।
अनुज अपनी भावनाओं को दबाते हुए - हा हा भाई तु कर ले ,, लेकिन मुझे इनसब मे मत घसीटना ठिक है ।
इधर इनकी ये सब बाते चल रही होती है कि वही अनुज के चाचा सुबह सुबह ही अपनी लाडो के गाड़ मे घुसे हुए थे
निशा - उह्ह्ह पापाहह सुबह सुबह भी आपको चैन नही आयह्ह्ह , दुसरी बार उठ कर चोद रहे हो मुझे उह्ह्ह्ह माअह्ह्ह
जंगीलाल - अरेह्ह बेटी अभी राहुल आ जायेगाह्ह्ह उम्म्ंम्ं तो कैसे चोद पाऊन्गा उम्म्ंम अह्ह्ह तो अभी चोद लेने देह्ह आह्ह
निशा - आह्ह पापाहहह आपकी रंडी बेटीहह हुउउऊ नाह्ह्ह उम्म्ंम सीईई तो जब चाहे चोद लेनाआह्ह अभी बहुत दर्द हो रहा है अह्ह्ह उम्म्ं
शालिनी - ओहो बस करो जी आप ,,, देखो चोद चोद के गाड लाल कर दी है उसकी आओ थोडा मुझ्से गर्मी निकाल लो ,,,
जन्गीलाल मुस्कुरा कर अपनी घोडी बनी हुई बेटी को छोडकर अपने बीवी के खुली जांघो के बीच जकर उसकी चुत मे धक्के लगाने लगता है ।
धीरे धीरे सब लोग अपने अपने काम के लिए निकल जाते है और अनुज भी अपने दुकान के लिए निकल जाता है । मगर उसके जहन मे उसके मा की छवि घूम रही होती है ।
दोपहर मे रागिनी उसके लिए खाना लेके आती है ।
अनुज अब थोडा खुद से ही अपनी मा से नजरे चुरा रहा होता है और कनअखियो से अपने मा के नरम पेट और ब्लाऊज मे कसे हुए चुचे निहार रहा होता है ।
उसे बडी उत्तेजना हो रही थी लेकिन वो राहुल जितना दिलेर नही था ।
उसके जहन मे अपने मा के लिए उत्तेजना भी थी और थोडी डर भी ।
हालकी वो राहुल के सुबह मे कहे हुए शब्दो से बहुत प्रभावित था कि " अगर बाहर के लोग हमारी मा बहनो के बारे मे सोच कर हिला सकते है तो हम क्यो नही "
अनुज के दिमाग मे अब यही चल रहा था कि कैसे वो अपनी मा को छुए । पहले तो वो बेहिचक उसे गले लगा लेता था लेकिन अब ना जाने क्यू उसे एक डर सा मह्सूस हो रहा था ।
बार बार उसके जहन मे अपने भैया राज की कही हुई बात याद आ रही थी कि अगर सम्बंध दो लोगो के सहमती से हो तो उसमे कोई बुराई नही है भले ही वो रिश्ते घर मे ही क्यो ना हो ।
बस यही एक दो बाते उसकी भावनाओ को बल दे रही थी और वो दुकान मे बैठा चुपचाप बस अपनी मा से नजदीकिया बढ़ाने के जुगाड़ खोज रहा था । इधर रागिनी भी काम मे ही लगी थी लेकिन जब अनुज ने काफी समय से कोई रेस्पोंस नही दिया तो उसकी ओर उस्का ध्यान गया
रागिनी अपने बेटे को गुमसुम और शांत देखकर फ़िकर मे उसके पास खड़ी होकर उसके बालो मे हाथ फेरते हुए - क्या हुआ अनुज ? ऐसे गुमसुम सा क्यू बैठा है ?
अनुज ने जैसे अचानक से अपने मा को अपने पास मह्सूस किया और उन्के हाथ का स्पर्श अपने बालो मे पाया ,,साथ ही उसके मा के जिस्मो की महक उसके नथनो मे समा गयी ,,,उसका लण्ड कड़क हो गया और पल भर मे ही वो सिहर गया और अगले ही पल एक डर फिर से उसके मन में छा गया ।
रागिनी - क्या हुआ बेटा बोल ?
अनुज को अपने मा के स्वाल का कोई जवाब नही सूझ रहा था कि वो क्या बोले ,,तभी उसे सोनल की शादी का सुझा और एक मस्त आइडिया भी ।
अनुज ने फौरन वही स्टूल पर बैठे हुए ही अपने बगल मे खड़ी हुई मा को हग कर लिया और अपना चेहरा उसके नाजुक पेट पर रख कर अपने हाथो को उसके नरम नरम कूल्हो पर कसते हुए बोला ।
अनुज - मा वो मुझे सोनल दीदी को लेके अच्छा नही लग रहा है । शादी के बाद वो चली जायेगी ना
रागिनी हस कर अपने बेटे के सर को सहलाते हुए - धत वो यही पास मे ही जा रही है तु भी ना ,,,जब चाहे मिल लेना उससे
अनुज - हा लेकिन फिर भी मुझे अच्छा नही लग रहा है पता नही क्यू
रागिनी - अरे मेरा बच्चा ,, आज नही तो कल उसे अपने घर जाना ही है ना और दुख मुझे भी है लेकिन यही दुनिया की रीत रही है ।
अनुज कुछ पल ऐसे ही चिपके हुए अपनी मा को बातो मे उलझाये रखा और अपने हाथों को अपनी मा के कूल्हो पर फिरात रहा ,,जब तक कि एक ग्राहक की दस्तक ना हो गयी ।
फिर रागिनी थोडे टाईम बाद वहा से निकल कर अपने होने वाली समधन के घर की ओर चल दी ,,क्योकि बीती रात उसके पति ने कुछ डिमाण्ड की थी और रागिनी ने ममता से एक खास समय पुछ कर ही उसके यहा जाने का तय किया था ताकी उस समय घर पर कोई मर्द ना हो
थोडे ही समय में रागिनी ममता के कमरे मे थी और ममता उसकी आवभगत मे लगी थी
ममता - हा तो ब्तातिये भाभीजी , क्या जरुरी चीज़ जानना था आपको
रागिनी हस कर - बस आपके समधि जी की शिफारिस लेके आई हू एक
ममता - ओहो भाईसाहब की बात कैसे मना कर सकती हू ,,कहिये कहिये
रागिनी - दरअसल उन्हे आपके ब्रा पैंटी का साइज़ जानना है
ममता चौक कर हस्ती हुई - क्याआआ हिहिही धत्त भाभी आप भी ना ,,,कैसे ये सब बोल जाती है ।
रागिनी हस कर बात घुमाते हुए - हिहिहिही अरे भाभी मजाक कर रही हू ,,,वो क्या है सगुन मे आपके कपडे आ रहे है तो सोनल ने कहा कि आपसे आपके अन्दर के कपड़ो की नाप पुछ लू ,, ताकी आपके नाप के वो लिये जा सके
ममता हस कर - हिहिहिही क्या आप लोग भी ना ,,, ये सब कोई देता है भला और मेरे नाप का तो यहा मिलेगा भी नही ,,मै तो बडे शहर से ही लाती हू
रागिनी अपनी समधन को छेड़ते हुए - अरे तो उसमे क्या है आपके समधि जी को भेज दूंगी लेते आयेंगे हिहिहिही
ममता शर्म से लाल होती हुई - धत्त भाभी आप भी ना
रागिनी - अरे आप नाप बताईये हिहिहिही मै बाकी मैनेज कर लूंगी
ममता हस कर थोडा झिझकते हुए - वो 44DD और निचे का ?
रागिनी - निचे का कितना ? बोलिए
ममता हस कर - वो साइज़ की झंझट की वजह से मैने काफी सालो से निचे पहनना छोड दिया है ।
रागिनी - अरे फिर भी आपके हिसाब से कितना होगा
ममता उल्झ्ती हूई- अह रहने दीजिये ना भाभी ,,काफी समय हो गया अब याद भी नही है आप वही एक कर देना
रागिनी हस्ती हुई - अरे ऐसे कैसे ,,, लोग क्या कहेंगे कि मैने अपने संधन को अपनी बेटी की शादी मे पेतिकोट ब्लाउज साड़ी पहनाई , सोहल सृंगार करवाया यहा तक कि बडे शहर से नाप की ब्रा भी मग्वाई लेकिन एक कच्छी नही पहना सकी
ममता रागिनी की बाते सुन कर खिलखिला कर हसने लगी और बोली - हिहिहिही अच्छा बाबा रुको मै मेरी एक पुरानी पैंटी निकाल कर देती हू उसके हिसाब से साइज़ देख लेना
रागिनी हसते हुए सहमती देती है और ममता के कमरे मे लगे उसके तस्वीरो को देखने लग जाती है ।
कुछ तस्वीरे शादी के समय की थी कुछ अमन के जन्म की तो कुछ बाद की ।
सबमे समय के साथ ममता के जिस्म मे हुई बढत साफ दिख रही थी और ऐसे मे रागिनी को ममता को छेड़ने का मौका मिल गया
रागिनी - वैसे भाभी आप शादी के समय तो बहुत पतली थी लग रहा है भाईसाहब ने बड़ी मेहनत की है क्यो
ममता आलमारी से हट कर रागिनी के साथ उन तस्वीरो के पास खड़ी हो कर हसती हुई - क्या भाभी आप भी ना ,,अरे बच्चे होने के बाद तो सबका शरिर भागता है
रागिनी ने मस्ती को आगे बढाते हुए ममता के सूट के उपर से उसके मोटे रसिले चुचे पकडते हुए - तो मतलब ये सब हमारे दामाद बाबू ने अकेले चुस चुस कर बड़ा कर दिये उम्म्ंम
ममता अपने स्तनो पर रागिनी का स्पर्श पाकर सिसकी और खिल्खिलाते हुए उससे छुट कर - धत भाभी हिहिहिही आप भी ना
बस मुझे परेशान करने के ताख मे लगी रहती है ।
रागिनी हस के ममता के उभरे हुए कूल्हो को सहलाते हुए - अरे तो बता दो ना इनको इतना बड़ा करने मे किसका हाथ है , अकेले भाई साहब के बस का लगता नही
ममता शर्म से लाल हूइ जा रही थी और हस रही थी ।
रागिनी उसे और भी छेड़ते हुए - कही देवर जी ने भी इसिलिए शादी नही की उम्म्ंम
ममता लाज से हस्ती हुई आल्मारि मे वापस से अपनी पैंटी खोजने लगी - क्या भाभी आप भी ना ,,,,कैसी बाते कर रही है
रागिनी उसके पीछे थोडी दुरी लेके खड़ी होकर उसके भारी भारी चुतडो को निहारते हुए - मुझे तो लग रहा है ये खेत दोनों बैलो ने मिल कर ही जोता है
ममता समझ गयी कि आज उसकी संधन को मौका मिल गया है उसे छेड़ने का तो इससे बाज नही आने वाली लेकिन वो समधन ही क्या जो पलटवार के छोड दे
ममता हस कर - तो आओ कभी आप भी जोतवा ही लो ,,क्यू
रागिनी चहकी और बोली - नाह जी इस उम्र मे अब तो मेरे घर साड़ ही अकेले सम्भाला नही जा ,,,मै तो सोच रही थी कि अपनी नयी समधन के साथ मिल कर उसे काबू मे ले आऊ
ममता लाज से पानी पानी हो गयी और हस्ते हुए - अच्छा बाबा गलती हो गई जो आपसे भिड़ने चली मै हिहिहिही आपसे कोई नही जीत सकता ,,,,ये लिजिए
ममता ने रागिनी को अपनी एक पुरानी पैंटी दी
रागिनी हस कर उसे फैला कर देखते हुए - अरे भाभी ये तो काफी पुरानी है जरा इधर आओ घूमो तो मै नाप लू
ममता हस कर - अरे नाप आगे से लेते है ना हिहिही
रागिनी हस कर - अरे आगे से तो ठिक है होगा लेकिन कम्बखत ये कपडे चुतडो पर सही से चढ़ते कहा है
ममता हस कर घूमते हुए - अच्छा ठिक है
फिर रागिनी मे उस पैंटी को फैला कर ममता के कूल्हो को अंदाज और 46 नम्बर का साइज़ तय किया
फिर उनकी थोडी तैयारियो को लेके बाते हुई और फिर रागिनी अपने घर के लिए निकल गयी ।
राज की जुबानी
शाम को मौसी ने मुझे जगाया और फ्रेश होकर बाहर आने को कहा क्योकि रमन भैया और मौसा दुकान से घर आ गये थे ।
मैने अंगड़ाई ली और कुल्हे मटकाकर कमरे से बाहर जाती हुई मौसी को देखा , मेरा लंड तुरंत लोवर मे तन गया ।
साथ मौसी के साथ की मेरी प्लानिंग भी याद आ गयी जिससे लण्ड की नसे और भी फड़क हुई और मै पूरी तरह से गनगना गया ।
उठ कर फ्रेश होने गया और मुह हाथ धुल कर बाहर आया लेकिन रमन भैया और मौसी की चुदाई देखने की चसक ने मेरे लण्ड को बैठने ही नही दिया ।
मै वैसे ही लोवर मे अपने लण्ड को एडजस्ट करता हुआ हाथ से दबाता हुआ बाहर हाल मे आया ।
सामने सोफे पर मौसा और रमन भैया बैठे हुए थे और किचन से मौसी और भाभी की आवाज आ रही थी ।
मैने मौसा और रमन भैया को नमस्ते किया और दोनो की नजरे मेरे बाये हाथ पर गयी जिससे मै अपना लण्ड सेट कर रहा था ।
मुझे जैसे ही इस बात का आभास हुआ मै शर्म से पानी पानी हो गया । और वही मौसा के बगल मे बैठ गया ।
जैसे ही उनके मे बैठ कर मै उन्से बात करने के लिए कुछ कहता कि मेरी नजर सामने किचन मे खड़ी रीना भाभी पर गयी जो कुर्ती और लेगी मे खड़ी होकर नासता बना रही थी और उन्के कुल्हे का उभार उनकी
कुरती को उठा रखा था और गाड़ पर उनकी कच्छी का वी शेप साफ दिख रहा था ।
मै समझ गया कि घर के इस नये माल के खिलते जोबनो पर मौसा की नजर पड चुकी है और वो बस मौका तालाश रहे है ।
इधर हमारी बाते चल रही थी कि मौसी एक ढीली मैकसी पहने हुए किचन से बाहर आई
उमके हिलते चुचो को देख कर लग रहा था कि शाम को नहाने के बाद उन्होने उपर से सिर्फ एक सिल्क की मैक्सि डाल ली थी । जिससे सामने से उनके थन जैसे चुचो के मोटे अंगूर से निप्प्ल साफ दिख रहे थे ।
हम तीनो की नजर भी मौसी के हिलते हुए तरबूज जैसे चुचो पर गयी और तीनो के लण्ड ठुमक उठे ।
मैने हौले से अपना पहले से खड़ा लण्ड हाथ से दबाया और मुस्कुराते हुए मौसा की ओर देखा तो वो भी अपने लण
लण्ड को सेट करते हुए मुस्करा दिये ।
फिर मौसी ने हम सब को चाय पीने के लिए दी और फिर मौसा को अपने साथ उपर चलाने को कहा
मै समझ गया कि मौसी ने अपना प्लान शुरु कर दिया है , इधर मै और रमन भैया सोनल की शादी को लेके बाते करने लगे । लेकिन बीच बीच मे मेरा ध्यान किचन मे काम कर रही रीना भाभी के चर्बीदार गाड़ पर जा रही थी , जिसे रमन भैया भी नोटिस कर रहे थे ।
थोडे ही देर मे मौसा एक झोला लेके निचे उतरते है।
मौसा - अरे रमन बेटा,,जरा उपर जा तेरी मा को कुछ मदद चाहिये
रमन - आप इस समय कहा जा रहे है पापा
मौसा थोडा झिझक कर - वो तेरी मा के कुछ कपडे है उन्हे एक जगह सिलने के लिए देना है इसिलिए
रमन - अच्छा ठिक है
फिर रमन भैया मुझे वही बैठने का बोल कर उपर चले गये और मौसा जी एक नजर किचन मे काम करती अपनी बहू के कूल्हो पर मारकर बाहर निकल गये ।
इधर मैने सोचा कि अभी रमन भैया और मौसी को थोडा समय तो लगेगा ही शुरु करने मे , तो क्यो ना थोडा भाभी से मेल मिलाप हो जाये
मै उठ कर खड़ा हुआ और अपना लण्ड सेट करता हुआ किचन मे भाभी के पास खड़ा हो गया और जैसे ही मेरी नजर उन्की ओर गयी , मेरा लण्ड और भी ख्दा हो गया ।
क्योकि शादी के बाद से अब तक भाभी की चुचिया काफी ज्यादा फूल गयी थी जिससे कुर्ती के गले उन्के चुचो की घाटी बहुत ही गुदाज और लम्बी दिख रही थी ।
मै उनकी उभरी हुई चुचियो के लकीरो को देख कर थुक गटकता हुआ - क्या बना रही हो भाभी ,,,अपने प्यारे देवर के लिए
रीना हस कर मेरी ओर घूमी और बोली - हम्म्म ये तो मेरे प्यारे देवर जी बतायेंगे तब ना कि उनको क्या खाना है
मेरी नजरे अभी भी भाभी के चुचो के उभारो पर थी और उन्हे घुरता हुआ - आप कुछ भी देदो भाभी सब कुछ अच्छा ही तो है
भाभी जब मेरा मतलब नही समझ पाई तो उन्होने मेरि नजरो का पीछा किया और शर्म से लाल हो गयी ।
वो फटाक से अपना दुपट्टा सही करते हुए बोली - अभी इस टाईम का प्रोगाम फिक्स हो गया है,,, कल सुबह मे जो कहोगे वो बना दूँगी । अभी बाहर बैठो यहा गर्मी बहुत है ।
मै भाभी के गले से रिस्ते पसीने को उन्के कुर्ती के गले मे जाता हुआ देखकर - हा भाभी गर्मी सच मे बहुत ज्यादा है ।
तभी मुझे मौसी की याद आई
मै - मै मेरे कमरे मे हू भाभी , खाना हो जाये तो बोल देना
भाभी शर्म से मुस्करा कर - ठिक है
फिर मै मेरे किचन से बाहर आया और चुपचाप सीढियो से उपर जाने लगा
ये कल्पना करते हुए कि उपर कमरे का मस्त नजारा होगा ,,,जब मा बेटे दरवाजा खोल के चुदाई कर रहे होगे ।
मगर जैसे ही मै आखिर की सीढियो पर पहुचा , मेरी हालत खराब हो गयी । मेरा लण्ड पल भर मे ही सिकुड़ कर आधा हो गया ।
क्योकि सामने मौसी के कमरे के बाहर दरवाजे पर मौसा जी खडे थे जो फटी हुई आंखो से कमरे का नजारा देख रहे थे ।
मेरी फटी पडी थी कि आगे क्या होगा , समझ ही नही आ रहा था कि क्या करु ।
आज मेरी नादानी की वजह से मौसी बेचारी बुरी तरह से फस गयी थी, ना जाने आगे क्या होने वाला था ।
लेकिन मुझे समझ नही आ रहा था कि मौसा जी कब वापस आ गए और उपर चले आये ।
तभी मौसा ने मेरी ओर देखा और हम दोनो की नजरे मिली । अन्दर कमरे मे भले मौसी और रमन भैया की चुदाई चल रही थी लेकिन फटी हुई मेरी थी ।
लेकिन जैसे ही मौसा ने मुझे सीढियो से उपर आते देखा उनकी आंखे फैल गयी और वो अपना लण्ड सेट करते हुए माथे से पसीना पोछने लगे ।
बस यही वो पल था कि मेरा दिमाग ठनका कि मौसा जी को इतना सब होने के बाद भी अपने परिवार की फिकर है ।
मै कुछ सोचा और एक गहरी सास लेके मुस्कुराता हुआ उपर छत पर मौसा की ओर बढ़ने लगा ।
मौसा कभी मुझे अपनी ओर आता देखते तो कभी नजरे तिरछी करके कमरे की रासलीला ।
इससे पहले मौसा जी कुछ बोलते मै उनके पास पहुच गया
और कमरे झान्कते हुए - यहा क्यू खडे हो आप मौसा ?
मौसा ने फौरन मेरे मुह पर हाथ रख दिया और चुप रहने का इशारा किया
वही मैने अन्दर का नजारा देखा तो मौसी अपनी मैक्सि उठाए हुए जान्घे खोल कर लेटी है
और रमन भैया पैंट खोल कर सटासट अपना लण्ड मौसी की चुत में डाले जा रहे थे ।
मै आवाक होने का नाटक किया और मौसा की ओर देखा ।
हम दोनो की नजरे मिली ।
फिर मै जानबुझ कर मुह फेर कर किनारे सीढि की ओर जाने लगा ।
मौसा जी को थोडा डर लगा और वो मेरी ओर लपके
मौसा - बेटा राज सुनो , देखो ये सब हमारे बीच ही रहे तो अच्छा है ।
मै चुप रहा
मौसा मेरे पास आकर धीरे से - बेटा तु मुझसे वादा कर ,,,ये सब किसी से नही कहेगा।
मैने हा मे सर हिलाया - हा लेकिन मौसी रमन भैया के साथ , ये कैसे ?
मौसा - बेटा समझ तो मुझे भी नही आ रहा है , इसके लिए मुझे तेरी मौसी से बात करनी पड़ेगी ।
मै - हा मौसा ,,, अच्छा हुआ कि हम दोनो ने ही देखा ,,कही भाभी ने देख लिया होता तो बहुत दिक्कत हो जाती ।
मौसा - हा बेटा तु सही कह रहा है , चल निचे चलते है ।
मै उनके साथ वापस निचे जाने लगा - लेकिन आप तो बाहर गये थे तो इतनी जल्दी वाप्स कैसे आ गये ।
मौसा - अरे बेटा जिनके यहा तेरी मौसी ने मुझे ये कपडे देने के लिए भेजा उनके हसबैंड यही चौराहे पर मिल गये तो मै उन्हे ही देकर वापस आ गया और यहा देखा तो ।
मै - आप उदास ना होईये मौसा जी , हम दोनो मौसी से इस मुड्दे पर बात करेंगे ।
मौसा चौक कर मुझे देखते हुए - बेटा तु कैसे ?
मै - हा मेरा रहना जरुरी है नही तो आपकी हालात जैसी थी उपर मुझे नही लगता कि आप कुछ पुछ भी पाओगे ।
मौसा थोडा सा सोचते हुए - हम्म्म बात तो सही कह रहा है तु बेटा , ये बता करना क्या है अब ?
मै और मौसा हाल मे आ चुके थे तो मै उन्हे अपने कमरे की ओर चलने को कहता हू ।
मै - देखीये इसके लिए जरुरी है कि मौसी और रमन भैया दोनो ही एक साथ हो और उनसे बात की जाये बैठ कर
मौसा - हा लेकिन बहू भी तो है घर मे
मै - हा इसिलिए तो ये बातचित आज रात मे ही होगी जब भाभी सो जाये तब ।
मै - पहले मै और आप मौसी से सारी बाते निकलवा लेंगे और फिर रमन भैया को भी समझाया देंगे ।
मौसा - हम्म्म सही कह रहा है तु बेटा,,, लेकिन अगर रज्जो ने इन्कार कर दिया तो
मेरे दिमाग की बत्ती जली
मै - ऐसा करता हू आप यही रहिये ,,मै उपर जाकर धीरे से उनकी रिकार्डिंग कर लेता हू
मौसा ने बडे ही उखड़े मन से बेबस होकर सहमती दिखाई और मै लपक कर उपर चला गया ।
कमरे के दरवाजे पर पहुच कर मैने मोबाईल खोला और रिकार्डिंग शुरु कर दी ।
करीब 5 मिंट की रिकार्डिंग के बाद मै अपना लण्ड मस्लता हुआ निचे कमरे में वापस आ गया ,,जहा मौसा कमरे मे चक्कर लगाते हुए परेशान थे ।
जैसे ही मै कमरे मे घुसा ।
मौसा मुझे देखकर - हो गया बेटा
मै मुस्करा कर - हा हो गया मौसा
मौसा ने फिर मेरे लोवर मे तने हुए लण्ड को देखा तो मै थोडा शर्म से लाल होने लगा ।
मै - सॉरी मौसा जी वो वहा का सिन ही ऐसा था कि ....।
मौसा मेरी बात काटते हुए - कोई बात नही बेटा,,,ला दे मुझे दिखा
मै खुश होकर मोबाईल खोला और वो वीडियो प्ले कर दिया
जहा रमन भैया मौसी को को पुरा नंगा किये घोडी बनाये हुए खचाखच पेल रहे थे और मौसी मादक सिसकिया ले रही थी ।
मौसी - ओह्ह लल्ला और हुमच के पेल उह्ह्ह्ह अह्ह्ह ऐसे ही उम्म्ंम
रमन भैया - आह्ह मम्मीईई ऊहह आपको चोदने मे बहुत ही मजा है ओह्ह्ह
मौसी - हा लल्ला चोद उह्ह्ह और चोद उम्म्ं मुझे भी तेरे लण्ड से बहुत मजा आता है अह्ह्ह कितने दिनो बाद आज तुझसे चुद रही हू उम्म्ंम्ं शादी के बाद से तु तो मुझे भूल ही गया अहहहह ओह्ह्ह्ह और तेज मार बेटा उह्ह्ह
रमन भैया - आह्ह मा क्या करू ,,,तुने इतनी गरम बहू लाकर दी है उह्ह्ह साली बहुत चुदवाति है उह्ह्ह्ह निचोड लेती है उह्ह्ह्ह
रमन भैया की बाते सुन कर मेरे और मौसा दोनो के जहन मे रीना भाभी की छवि उभरी और उनके गुदाज कुल्हे पर चढ़ी हुई पैंटी का उभार भी ।
फिर मौसा ने मुझे देखते हुए - रहने दे बेटा मुझसे नही देखा जायेगा , बंद कर दे इसे ।
मैने मोबाइल बन्द कर दिया और फिर एक नजर मौसा के पाजामे मे खडे हुए लण्ड पर मारा ।
मौसा ने भी मेरी नजरो का पीछा किया और उनको खुद पर थोडा शर्मिंदी होने लगी ।
मै मुस्करा कर - अरे कोई बात नही मौसा जी ,,ये सब नोर्मल है ।
मौसा - हा बेटा तेरी बात सही है और तू सच मे बहुत ही होनहार लड़का है ।
मै - वो सब छोडिए और ये सोचिये कि आगे क्या करना है ।
मौसा जी थोडा रुआब मे आकर एक गहरी सास ली और बोले - बेटा करना क्या है , अब तो सीधा तेरी मौसी से सवाल जवाब होगा ।
मै - हा लेकिन ऐसे तैस मे आकर हमे कोई बहस नही करनी है ,, ध्यान रहे कि बगल के कमरे मे भाभी भी सो रही होगी ।
मौसा जी - हा बेटा ,,, अच्छा रहेगा कि तू भी साथ रहेगा । नही तो अगर मुझे कोई सही जवाब नही मिला तो मै तो अपना गुस्सा खो दूँगा ।
मै मन ही मन में- देखो कैसे मेरे सामने नाटक कर रहा
और अभी कुछ दिन पहले अपने ही बहनोई के साथ मिल कर अपनी बीवी चोद रहा था ।
मै - हा मौसा जी मै ध्यान रखुन्गा
फिर हम लोग हाल मे वापस आ गये और थोडी देर बाद खाना पीना होने लगा ।
मै किसी भी तरह से मौसी को आगाह कर देना चाहता था ।
इसिलिए मै मौसी को इशारे कर रहा था और वो ना जाने क्यू मुस्कुरा रही थी ,,,वही मौसा मेरे सामने बिना कोई प्रतिक्रिया के देख रहे थे ।
एक दो बार मै किचन मे गया और फिर भी काम नही बना
आखिर मे जब सबने ने खाना खा लिया तो सारे लोग उपर चले गये और भाभी मौसी ही किचन मे रह गयी । मेरा कमरा निचे था तो मैने इशारे से मौसी को बुलाया और वो इतराते हुए मेरे पास आई
मौसी - क्या हुआ अब ,,कर तो दिया तेरे मन का अब खुश है ना ?
मै - अरे मौसी एक गड़बड़ हो गयी है ,,,मेरे साथ साथ मौसा ने भी आपको और रमन भैया को देख लिया है
मौसी थोडा सकपकाई - लेकिन मैने तो उन्हे बाजार भेजा था ना
फिर मैने मौसी को सारी बात बताई कि कैसे मैने मौसा को मैनेज किया और अभी वो थोडी देर बाद आपसे बात करने वाले है ।
मौसी को राहत हुई और वो मुस्कुरा कर बोली - कोई बात नही मै देख लूंगी ,,तू उसकी फिकर ना कर
मै हस कर - तो क्या अब मौसा और रमन भैया दोनो के साथ चुदने का प्लान है क्या ?
मौसी हस्ते हुए एक नजर किचन मे भाभी को काम करते हुए देखा और फिर बोली - धत्त नही रे , मै तो तेरे साथ सोच रही थी ।
मौसी की बात सुन कर मेरा लण्ड फड़फडा उठा कि कैसा नजारा होगा जब मै और मौसा मिल कर मौसी को चोदेंन्गे ।
मै चहककर - सच मे मौसी ,,,ऐसा हो जाये तो मजा ही आ जाये ।
मौसी - देखते है क्या बात बनती है हिहिहिही
मै - ओके आप उपर कमरे मे जाओ ,,मै मौसा के बुलाने पर ही उपर आऊंगा
फिर मौसी उपर अपने कमरे मे चली जाती है और भाभी किचन का काम करके अपने कमरे मे चली जाती है ।मै भी अपने लण्ड को लोवर मे दबाता हुआ अपने कमरे मे चला जाता हू।
वहा भी मेरी बेचैनी खतम नही होती है,,,जबतक कि मौसा जी का फोन नही आ जाता ।
मै खुशी से चहका और दबे पाव मगर तेज गति से सीढियो से उपर मौसा के कमरे के पास पहुच गया ।
कमरे का माहौल चुप्पी भरा था और मै भी गम्भीरता दिखाते हुए शांत हो कर कमरे मे गया ।
मै
- जी मौसा आपने बुलाया
मौसा अपने चेहरे के भाव गम्भीर करते हुए - हा बेटा आओ बैठो
मौसी भी इस समय थोडी शांत थी तो मेरे मन में थोडा भय सा होने लगा था ।
मैने एक नजर मौसी को देखा और फिर एक सिंगल सोफे पर बैठ गया , बगल मे बडे सोफे पर मौसी और मौसा बैठे थे ।
मौसा थोडा गुस्सा दिखाते हुए - बेटा तेरा मोबाइल निकाल और वो अपनी मौसी को दिखा जो तुने मुझे दिखाया था।
मै अब भी थोडा डर रहा था लेकिन मौसी के उपर मुझे पुरा भरोसा था कि वो बात बिगड़ने नही देन्गी ।
मैने जेब से मोबाइल निकाला और अपनी जगह से उठ कर मौसी के बगल मे खाली जगह पर बैठ गया । अब मौसी मेरे और मौसा के बीच मे थी ।
मै जेब से मोबाइल निकाला और आवाज कम करते हुए वही वीडियो प्ले कर दिया वही से जहा तक मैने और मौसा ने देखा था
वीडियो की कामुक और लण्ड खड़ा कर देने वाली सिसकिया सुनने के बाद भी मेरा और मौसा का ध्यान मौसी के चेहरे पर था कि वो क्या प्रतिक्रिया देने वाली है ।
मेरा दिल जोरो से धडक रहा है ।
तभी मौसा ने सवाल किया - क्यो अब भी तुम कहोगी कि तुमने ऐसा कुछ नही किया ।
इस पर मौसी हस दी - लेकिन ये वीडियो कब बन गयी
मौसी के हसने पे मौसा थोडा रोब दिखाने लगे - तुम्हे ये सब मजाक लग रहा है,,, ये सब पाप है रमन की मा । तुमने अपने ही बेटे के साथ ये सब छीई
मौसी मानो इस वक़्त का इंतज़ार कर रही थी और वो तपाक से बोली - अच्छा मै अगर अपने हालातो से मजबुर होकर एक फैसला ले लिया तो पाप हो गया और आपने जो किया था वो
मौसा चौके और मेरी ओर देखकर हकलाने लगे - क क क्या ? मैने क्या किया ।
मौसी तुनक कर - भूल गये ,,,रमन की शादी के समय कैसे अपनी बहन को चोदने के लिए मुझे अपने नंदोई के साथ सोने के लिए कहा था ।
मौसी की बाते सुन कर मैने मौसा की ओर बडी बडी और अचरज भरी आंखो से देखा कि क्या मौसी जो कह रही हौ वो सच है ।
मौसी की दिल की धड़कन तेज हो गयी थी और उनका चेहरा पिला पडने लगा था ।
मौसी फिर से तन्ज कसते हुए - क्यू तब आपको नही समझ आया कि वहा भी पाप और पुण्य का लेखा जोखा किया जायेगा ,,, तब तो आप अपनी बहन के चुतडो के दीवाने बने फिर रहे थे ।
मौसा जी थुक गटक कर शर्म से नजरे झुका कर - रज्जो तुम ये सब बात क्यू ?
मौसी - क्यो ना कहू ? आखिर मेरे इस फैसले को लेके भी तो आप ही जिम्मेदार है ?
मौसा - मै , लेकिन कैसे ?
मौसी उदास होकर - शादी के इतने साल से आप और मै एक साथ है । मेरे जरुरतो के बारे मे जानते हुए भी आपने मुझे और रमन को शहर से यहा भेज दिया । मै क्या करती ? रमन तब जवाँ हो चुका था और इस छोटे से घर मे बस मै और वो भी रह रहे थे । ना जाने कब वो जिस्मो की ओर आकर्षित हो गया और उसने हस्तमैथुन शुरु कर दिया । जैसा भी था हमारा इकलौता बेटा था और आखिर कब तक उसे मै अपनी जिन्दगी बरबाद करने देती ,,, फिर मैने उसे सिखाना शुरु किया और एक दिन मेरी जरूरते ही मुझ पर हावी होने लगी और मै उसके साथ बहक गयी ।
मौसा आवाक होकर सुन रहे थे और अभी कुछ बोलने ही जा रहे थे कि मौसी आगे बोल पडी - इसिलिए बस इसिलिए कि मै कही न कही आपसे छिप कर एक गैर से हम बिस्तर हुई हू तो मै आपके खुशी के लिए नंदोई जी के साथ वो सब करने को तैयार हुई थी । ताकि मेरे दिल पर कोई बोझ ना बने ।
मौसा सारी बाते सुन कर चुप थे और मै मन ही मन ये सोच कर हस रहा था कि मेरी मौसी एक नम्बर की चुद्क्क्ड के साथ साथ कितनी बडी ड्रामे बाज है
इस सब बातो को सुन कर जहा मौसा थोडा उलझे हुए लग रहे थे वही मेरा लण्ड अब फिर से कसने लगा था कि मौसी कैसे मौसा को लपेट रही है ।
मौसा उखड़कर - हा लेकिन फिर मेरा दिल मानने को तैयार नही हो रहा है कि हमारा बेटा रमन जो कि इतना सीधा है वो अपनी ही मा के लिए कैसे आकर्षित हो सकता है ।
मौसी हस कर - अब क्या इतनी भी बुढ़ी हो गयी हू मै कि लोग मुझे देख कर आकर्षित नही होगे
मौसा मौसी की बात पर हस दिये - अरे नही मेरी जान वो बात नही है ,,, तुम्हे देख कर तो ....।
मौसा बात को आधा रखते हुए ही मेरी ओर देखे और बस हस कर रह गये ।
मेरी ही हल्की हसी छुट गयी ।
मौसी मुस्कुरा कर - मुझे देख कर क्या ? आगे बोलिए ।
मौसा - अरे यार क्या कह रही हो ,,,राज हमारे बेटे जैसा है । मै उसके सामने कैसे बोल सकता हू
मौसी तुनक कर - अच्छा उसके सामने मुझे शर्मिंदा करने के लिए मेरी ही वीडियो चला सकते है आप और मुझे जो सुन कर अच्छा मह्सूस होगा वो नही बोल सकते है ।
मौसी नाराज होने के भाव - यही कहना चाहते है ना आप
देखते ही देखते मौसी ने सारि बाजी अपने पक्ष मे ले ली थी और मौसा को इमोसनली अपने लपेटे मे ले लिया ।
मौसा जी मेरे सामने हिचक रहे थे और मै भी उन्के सामने थोडा शर्मिंदगी मह्सूस कर रहा था कि ना जाने वो मौसी के बारे मे क्या सेक्सी सा बोलने वाले है ।
मौसा मौसी के कन्धे पर हाथ रख कर - ओहो जान तुम तो नाराज हो गयी ,,,
मौसी उखड़े हुए स्वर मे उनका हाथ हटाते हुए - नही छोडिए आप , रहने दीजिये , कुछ मत कहिये
मौसा ने एक नजर बडी बेबस भरी हसी से मुझे देखा और हस्ते हुए बोले - अरे मेरी जाँ मै तो ये कह रहा था कि तुम्हे देख कर तो बूढ़ो के धोती मे भी टेन्ट बन जाये वो तो मेरा बेटा जवाँ था ,,,,हाहाहहहा
मौसा ने ऐसे खुले शब्दो मे बोला की मुझे बहुत शर्मिंदा होना पड गया और लण्ड लोवर मे पूरी तरह से तन चुका था । जिस पर मौसा की नजर पड चुकी थी ।
मौसा ने देखा कि मौसी अभी इतने पर भी मान नही रही है तो वो मेरे लोवर मे तने हुए लण्ड की ओर मौसी को दिखाते हुए - यकीन ना हो तो राज का ही हाल देख लो
मेरी आंखे फैल गयी और मै मौसा को देखा ।
मौसा हस कर - जब से उसने कमरे मे तुम्हारि और रमन की .....। हिहिहीही तब से बेचारा कितना परेशान है ,
मौसा इतने पर भी नही रुके और मुझे देख कर - राज बेटा,,,जरा खड़ा होना तो
मुझे बहुत ही अजीब सा मह्सूस हो रहा था और मै शर्म से सर झुकाये खड़ा हो गया ।
मेरा लण्ड लोवर मे तना हुआ था ।
मौसी ने तिरछी नजरो से मेरे लण्ड को देखा और इतराते हुए मुस्कुरा दी ।
मुझे समझ नही आ रहा था कि अगला स्टेप क्या होने वाला है । कमरे मे एक चुप्पी सी थी और मै कोई प्रदर्शनी के जैसे वहा खड़ा था । मुझे इतनी शर्मीनगी कभी नही हुई थी
इसिलिए मैने मौसा से कहा - मौसा अब मै जाऊ
मौसा जो कि अब कोई बहस या झगड़ा करने के मूड मे नही थे वो खुश होकर बोले - हा बेटा जा रात बहुत हो गयी है तु आराम कर ले । हमारी वजह से तु काफी परेशान हो गया है ।
मै हा मे सर हिला कर और दरवाजे की ओर घुमा कि मौसी ने रोका
मौसी - रुक बेटा अभी ,,,
मौसी मौसा से - क्या जी आप उसे ऐसे भेज रहे है ,,,इतना सब होने के बाद आपको लगता है कि वो सो पायेगा और वो करीब 3 घन्टे से परेशान भी है ।
मौसी ने मेरे लोवर मे तने हुए लण्ड की ओर देखा कर बोला ।
मौसा थोडे उल्झे और बोले - तो अब क्या करे जानू ,,, परेशान तो तबसे मै भी हू । ये देखो
ये कहके मौसा जी भी खडे हो गये और उनके पाजमे के तना हुआ मुसल साफ दिखने लगा ।
मौसी इतरा कर - देखीये आपका नही पता मुझे ,,,लेकिन मै मेरे लल्ला को ऐसे नही परेशान रहने दूँगी ।
मौसा थोडा चौके कि मौसी क्या करने को कह रही है इसिलिए वो मौसी के पास जाकर हल्की आवाज मे बाते करने लगे लेकिन मुझे सब साफ साफ सुनाई दे रहा था ।
मौसा - जानू ये क्या कह रही हो ,,, तो क्या तुम राज से भी वो सब
मौसी धीमी आवाज मे - अरे आप समझ नही रहे है ,, वो अभी लड़का है अगर अभी उसे हमने शामिल नही किया तो बाद क्या पता लड़कपन मे कही बात उगल दे
मौसा थोडा चुप हुए और एक नजर मुझे देख कर फिर से मौसी से धीमी आवाज मे - तब क्या करोगी
मौसी थोडा गम्भीरता से - मै सोच रही हू कि इसका नुनु शांत करवा कर ,,मतलब हिला चुस कर इसे सुला दू ।
मौसा - ओह्ह
मौसी फिर मुस्कुराते हुए - उसके बाद आप चाहे तो मुझे मेरी गलती की जो चाहे सजा दे सकते है हिहिहिही
मौसा का दिल गदगद हो गया और वो पूरी तरह से मौसी के जाल मे फस चुके थे ।
मौसा - हम्म्म ठिक है जैसा तुम सही समझो ,,लेकिन तबतक मै क्या करु
मौसी हस के - तबतक आप एक दो पैग बना लो ,,,आपका भी मूड बन जायेगा
मौसा ये आफर सुन कर फुले नही समाए और मौसी के गाल चुमते हुए बोले - वाह मेरी जाँ आज तो मजा ही आ जायेगा ।
मौसी हस कर - तो मेरे राजा आज अपनी इस प्यारी बीवी के जलवे देखो और मजे लो
मौसा मुस्कुरा कर - साली तु सच मे बडी रन्डी है
मौसी - तो देख्ना है ना मेरा जलवा कि बाहर रहना है हिहिहिहो
मौसा उत्साहित होकर - नही नही मुझे देखना है और जरा बच्चे को अच्छे से खुश कर देना
फिर मौसा उठे और मुझे देखने लगे ।
मै सारी बाते सुन चुका था कि मौसी ने कैसे अपने पति के सामने मुझसे चुदने की योजना बना ली थी । जिस्से मेरा लण्ड बहुत
हुआ था ,,मगर मै अपने चेहरे के भावो पर भरपूर नियंत्रण किये हुआ था ।
मौसा - अह राज बेटा, वो मै कह रहा था कि मतलब तेरी मौसी के कहने का मतलब है कि उसकी वजह से तुझे तो परेशानी हुई है । उसके बदले वो तुझे कुछ देना चाहती है ।
लेकिन तु वादा कर कि आज की बात तू किसी से भी नही कहेगा ।
मै थोडा हसने के भाव मे - अरे नही नही मौसा जी ,, ये भी मेरा परिवार है और मै अपने परिवार की बदनामी नही चाहिये और ना ही इसके बदले मे कुछ चाहिये ।
मै - मौसी के जवाब से अगर आप संतुष्ट हो तो मुझे कुछ नही चाहिए । मै तो बस यही चाह रहा था कि कोई झगड़ा ना हो आप दोनो मे इसको लेके और बात भाभी या उनके घर वालो तक जाये
मौसा - हा बेटा मै तेरी मौसी के जवाब से पूरी संतुश्त हू और कही ना कही ये मेरी ही गलती है ,,, इसिलिए नही किसी के लिए तो मेरे लिए ही सही तु इसके लिए मना ना कर और तुझे भी अच्छा मह्सूस होगा और तुझे निद भी आ जायेगी ।
मै थोडा हस कर - अब ऐसी बात है तो ठिक है ,,,बताओ मौसी क्या दे रही हो
मौसी मुस्कुरा कर - अरे मेरा लल्ला इधर तो आ मेरे पास
फिर मै मौसी के पास चला गया और मौसा कमरे मे एक मेज के अलमारी से अपना पैग वाला समान निकालने लगे ।
मै तो समझ रहा था कि वो सिर्फ़ मौसा के लिए ही है फिर भी मै नकारते हुए - अरे नही नही मौसा जी ,,,मै ये सब नही लेता ,,प्लीज
मौसा हस कर - अरे नही बेटा ये तो सिर्फ मेरे लिये है ,,, तुझे जो देना है वो तेरी मौसी देगी
ये बोल कर मौसा अपना बोतल खोल कर पैग बनाने लगे ।
मै - क्या है वो मौसी बताओ ना ,,मुझे समझ नही आ रहा है
मौसी ने मुस्कुरा कर एक नजर मौसा को देखा वो हाथ मे गलास लिये एक सिप लेके मौसी को आगे बढने का इशारा करते है ।
जारी रहेगी ।
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गयाUPDATE 156
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लेखक की जुबानी
चमनपुरा मे शाम ढलने लगी थी और सूरज की लाली अब फीकी होती मालूम पड़ रही थी ।
कभी ढलती शाम तो कभी घड़ी की टिकटिक बस किसी तरह अनुज 7 बजने के इन्तजार मे था । क्योकि दोपहर मे आज जो कुछ भी अपने मा जिस्मो से मह्सूस किया था वो बुरी तरह से बेचैन हुआ जा रहा था और मन ही मन में उसे एक ही धुन लगी हुई थी कि कब उसे अपनी मा की झलक मिल जाये ।
वो मन ही मन में कयी काल्पनिक संयोग गढ़े जा रहा था ।
क्या आज भी उसकी मा हर रोज की तरह मैक्सि मे होगी ? उसेक कसे हुए चुतड कैसे लगते होगे छूने मे ,,,,आह्ह्ह ये सोच कर अनुज का लण्ड ठुमका ।
अनुज अपने लोवर के उपर से लण्ड के तनाव को दबाता हुआ एक गहरी सास लेता हुआ मन मे - आह्ह मन तो कर रहा है कि अभी जाके मम्मी को पीछे से हग कर लु और ये लण्ड उनके गुदाज गाड़ मे फसा लू ओह्ह मम्मी उम्म्ंम
एक ओर जहा अनुज अपनी मा के लिए तडप रहा था वही उसका चचेरा और छिछोरा भाई राहुल तो अपनी मा शालिनी के कमरे मे उसकी मदद करने मे लगा था ।
दरअसल मदद तो एक बहाना था वो बस शालिनी के झुलते चुचो पर निगाहे जमाए हुए था ।
अपनी मा की कसी जवानी निहारता हुआ राहुल का लण्ड लोवर मे तम्बू बना चुका था और राहुल ने उसे बिल्कुल भी छिपाने की कोसिस नही की ।
तभी कपड़ो की आलमारी से राहुल को उसकी मा की एक छिनी सी पिंक नाइटी मिली ,,जो मुस्किल से उसके मा के चुतडो को ढक पाती ।
राहुल उसे खोल्कर अपनी मा को दिखाता हुआ - मम्मी ये आपके बचपन वाली फ्राक है क्या
राहुल की बात सुन कर शालिनी जोर से खिलखिला पडती है लेकिन अगले ही पल शर्म से लाल हो कर मुस्क्राने लगती है कि अब वो इस्का क्या ज्वाब दे ।
क्योकि कुछ साल पहले उसके पति जन्गीलाल ने उसके लिए बडे शहर से लेके आये थे लेकिन उसने बस अपने पति का दिल रखने के लिए एक बार पहना था और जब उस्का पति उसे एक रन्डी के जैसे ट्रीट किया तो उस रात गुस्से मे उसमे सेक्स भी नही किया ।
लेकिन अब तो शालिनी अपने पति की रखैल बनने मे बहुत खुश रहने लगी है ।
शालिनी अपने ख्यालो मे गुम थी कि राहुल ने एक बार पुछा और अनजाने मे ही शालिनी के मुह से निकल गया - नही बेटा वो तो तेरे पापा लाये थे मेरे लिए
राहुल चहक कर - क्या सच मे ,,लेकिन आप इसे कभी पहनते क्यू नही ?
राहुल के चहकपने पर शालिनी अपने ख्यालो से बाहर आई और उसे अपने गलती का अह्सास हुआ और वो फिर से शर्म से लाल होकर मुस्कुराने लगी ।
शालिनी - धत्त पागल वो छोटी है इसिलिए तो नही पहनती
राहुल उस नाइटी को अपने उपर साधता हुआ - देखो ना मम्मी इतना बड़ा तो है
शालिनी मे हस्ते हुए राहुल की ओर देखा और उसकी नजर तभी राहुल के लोवर मे उठे हुए तम्बू पर गयी जो उसकी नाइटी के निचले हिस्से पर भी उभरा हुआ था और हल्की हल्की सासे लेते हुए हिल रहा था
शालिनी एक पल को सकपका गयी कि राहुल का वो क्यू खड़ा है और फौरन एक नजर अपने जिस्म पर मारते हुए अपने साडी के पल्लू से पुरा जिस्म ढकने लगी ।
उसके दिल की धडकनें तेज हो गयी थी और वो जल्दी जल्दी सारे कपडे आलमारि मे रखने लगी ।
राहुल अपनी मा को गुमगुम और जल्दबाजी मे देख कर - क्या हुआ मा बताओ ना ?
शालिनी चौक कर - अह अच्छा ठिक है बाद मे कभी ,,, अभी मुझे खाना बनाना है बेटा तु इसे रख दे ।
ये बोल कर शालिनी बडी हडबडी में अपने कमरे से निकलते हुए किचन मे चली गयी और राहुल वही उस नाइटी को पकड कर खड़ा खड़ा सोचता रहा कि उसकी मा को अचानक से क्या हुआ ?
किचन मे निशा पहले से ही रात के खाने की तैयारी मे लगी हुई थी ।
वही बाहर दुकान मे बैठे हुए जंगीलाल का लण्ड फिर से तनाव मे आने लगा था क्योकि उन्होंने घन्टे भर से अपनी लाडो के मखमली चुतडो पर हाथ नही फेरा था ।
काफी समय तक राह तकने पर जब राहुल बाहर नही आया तो जन्गीलाल खुद उठकर अंदर आकर राहुल को आवाज दिया और उसे बाहर जाने का बोल कर खुद किचन मे घुस गया ।
फिर मौका देख कर निशा के चुतडो को स्कर्ट के उपर से मसल्ते हुए - आह लाडो कब से तेरे इन मुलायम चुतडो को मसलना चाह रहा था ।
शालिनी जो अभी राहुल को लेके परेशान थी कि उसे अपने पति की हरकत से चिढ़ हुई
शालिनी - ओहो आपको तो बस वही लगा रहता है,,अभी कही राहुल आ गया तो
जंगीलाल हस कर अपनी बीवी के गुस्से से लाल गालो को दुलारता हुआ - ओहो मेरी जान वो दुकान मे है ,,अगर मै मेरी लाडो को यही खडे खडे चोद दू तो भी कोई दिक्कत नही होगी क्यू बेटा
निशा चहक कर - हा पापा क्यू नही हिहिहिही
शालिनी चिढ़ते हुए - धत्त आप जाओ यहा से मुझे डर लग रहा है और अगर ज्यादा मन है तो इसे भी ले जाओ
जंगीलाल खुशी से चहका और वो इशारे से कमरे मे चलने को बोला और निशा भी खिलखिला कर उसके साथ कमरे मे चली गयी ।
वही शालिनी उन दोनो को देख कर राहुल के बारे मे सोचने लगी कि जब एक बाप अपनी बेटी के लिए ऐसे दिवाना हो सकता है तो इसमे बिल्कुल भी अजीब नही होना चाहिए कि राहुल भी मेरे प्रति आकर्षित हुआ हो । आखिर इतने सालो से मैने खुद को जिस शलिखे से रखा हुआ कि बाहर के लोग मेरी जवानी के लिए हाथ मले ,,, शायद मेरी यही आदत मे मेरे बेटे को भी इस जाल मे फास लिया हो ।
शालिनी के मन मे अभी भी उधेड़बुन चल रही थी वो कोई नतिजे तक नही आ पा रही थी - लेकिन क्या सच मे राहुल ऐसा सोच रहा होगा या बस ये मेरा भ्रम है ,,आखिर ये पहली बार ही तो हुआ है कि उसका उभरा हुआ लण्ड मैने देखा है । हो सकता हो ये बस एक सन्योग रहा हो ।
काफी जद्दो-जहद के बाद आखिर शालिनी ने तय किया कि वो राहुल पर अब निगरानी करेगी और उसे परखेगी ?
कुछ ही समय बाद ......
रात के 8 बज चुके थे और अनुज तेज कदमो से घर की ओर जा रहा था क्योकि वो तो 7 बजे की ही तैयारी मे था लेकिन ऐन मौके पर एक ग्राहक ने आकर उसके इन्तजार को और बढा दिया था ।
कुछ ही छड़ो मे अनुज अपने घर के हाल मे था ,, हाल मे पापा को बैठे देख उसके सारे जज्बात कुछ पल के लिए ठहर से गये और उसने चोर नजरो से मा को हर ओर निहारा और फिर किचन मे देखा तो वहा उसे बस सोनल दिखी ।
अनुज - पापा मा कहा है ?
रंगीलाल - वो नहा रही है बेटा,,,आज तुझे लेट क्यू हुआ ?
अनुज - वो एक ग्राहक आ गया था इसी वजह से ।
ये बोल्कर अनुज अपनी मा के कमरे के हल्के खुले दरवाजे मे अन्दर देखने की कोसिस करता है मगर कोई लाभ नही हुआ
रन्गीलाल - अच्छा जाओ फ्रेश हो लो और फिर खाना खाते है सब लोग
अनुज हा मे सर हिला कर अपनी मा के दरवाजे पर नजरे जमाये हुए सीढी से उपर अपने कमरे के लिए जाने लगता है और जल्दी से फ्रेश होकर फटाफट निचे आता है तो रागिनी किचन मे खाना लगा रही थी
अपनी मा को नहाया हुआ देख कर अनुज के आंखो की चमक बढ गयी और लण्ड ये देख कर तन गया कि उसकी मा सिर्फ पेतिकोट ब्लाऊज मे थी
उपर से एक चुन्नी भी नही
हालाकी रागिनी पहले भी कयी बार घर मे ऐसे रह चुकी है और बचपन से कई बार अनुज अपनी मा के इस रूप को देख चुका था लेकिन आज बात कुछ और थी
अनुज की निगाहे अपनी मा को एक भरे जिस्मो की औरत के रूप मे देख रही थी ,, जिसकी मोटी मोटी चुचिया बडी बेरहमी से बिना ब्रा के उस ब्लाऊज मे ठूसी हुई थी और वो नरम नरम पेट जहा आज दोपहर मे अनुज ने अपने चेहरे को मह्सुस किया था
फिर पेतिकोट का कूल्हो पर कसावट आह्ह अनुज पूरी तरह से उत्तेजना से भर गया था और लण्ड की नसे जैसे फ़ट ही जाये ।
अनुज बडी मुस्किल से अपने लण्ड के तम्बू को छिपाते हुए जल्दी से बैठ गया और अपनी मा के छातियो को निहारते हुए खाना खाने लगा ।
फिर उसने कुछ पल हाल मे बैठ कर बिताये जब तक रागिनी किचन मे उसकी ओर अपने कुल्हे किये हुए बर्तन धुल रही थी तब तक
फिर जब उसके पापा ने सोने के लिए टोका तो मन मारकर अनुज को उपर अपने कमरे मे जाना पडा ।
वही राहुल के यहा माहौल कुछ अलग था ,,, बाप अपनी बेटी और बीवी के साथ फिर से थ्रीसम की तैयारी कर रहा था तो बेटा अपनी मा को लपेटने के नुस्खे निकाल रहा था । वही मा भी अपने बेटे की हरकतों पर नजरे जमाए हुए थी और इन्सब से अलग निशा के लिए धर्म संकट खड़ी हो गयी थी कि ना वो राहुल को मना कर सकती थी ना ही अपने पापा को
तो करे तो क्या करे ?
इसी उधेड़बुन मे उसने तय किया कि आज वो पापा से थकान का बहाना बना लेगी और राहुल से चुद लेगी ।
फिर सब लोग खाने के लिए इकठ्ठा हुए एक ओर जहा बाप बेटी मे इशारेबाजी हो रही थी वही शालीनी राहुल के प्रति पूरी सजग थी ।
राहुल ने भी नोटिस किया कि उसकी मा उसे बार बार निहार रही है और आखिर उसने जब बेशरमी दिखाते हुए आखो से इशारा किया कि क्या हुआ तो शालिनी थोडी सकपका सी गयी ।
फिर खाना खतम हुआ और निशा अपने कमरे मे चली गयी । जन्गीलाल अपने कमरे मे चला गया ,,, शालिनी किचन के कुछ काम निपटा रही थी और राहुल वही उसके साथ खड़ा था ।
राहुल -क्या हुआ मा कोई बात है क्या ?
शालिनी थोडा रुक कर - नही तो !
राहुल अपनी मा के मन को छूता हुआ - कही आपको बुरा तो नही लगा ना कि मैने आपको वो नाइटी पहनने को बोला ,,, माना कि वो दिखने मे छोटी थी लेकिन मुझे लगा की आपको उसको घर मे पहनना चाहिये ,,,
शालिनी हस कर - धत नही ,,, वो बहुत छोटी है
राहुल - अरे तो रात मे पहन लिया करो आखिर रखा हुआ है तो पैसे बेकार ही हो रहे है ना
शालिनी अभी भी अपने बेटे के मनसुबे भाप नही पा रही थी क्योकि जिस सादगी से वो ज्वाब दे रहा था उससे शालिनी को जरा भी अपने बेटे पर शक नही हो रहा था क्योकि उसकी बात जायज थी कि इतना महगा नाइटी पडा हुआ है और वो पहन नही रही है ।
शालिनी ने तय किया कि क्यू ना एक बार वो ये नाइटी पहन कर अपने बेटे को दिखाये और शायद तब वो कही खुल कर अपनी बात रखे ।
राहुल - क्या हुआ मा बोलो ना
शालिनी - ओहो तु ज़िद मत कर , उसे पहनूँगी तो छोटी बच्ची लगुन्गी और फिर तू हसेगा
राहुल को अपनी मा से ऐसे जवाब की उम्मीद नही थी और अपनी मा के इस जवाब से राहुल की उत्सुकता और बढने लगी
राहुल हस कर अपनी मा के करीब होता हुआ - तो क्या हुआ इसी बहाने मै देख तो लूंगा की मेरी मम्मी बचपन मे कैसे दिखती थी ?
शालिनी का ध्यान राहुल की बातो से ज्यादा उसकी हरकतो पर था और उसने कनअखियो से फिर से राहुल के उभरे हुए तम्बू को देखा और उसके दिल की धड़कन तेज होने लगी ।
शालिनी मन मे - कही राहुल सच मे तो ,,,, नही नही मुझे यकीन नही लेकिन राज वो भी तो जवाँ और कम उम्र का है ,,और मै तो उसके साथ वो भी कर चुकी हू । हम्म्म इस सब एक ही उपाय है मुझे अब राहुल को अच्छे से परखना होगा ।
शालिनी हस कर - पागल कही का ,,,बचपन मे तो मै बिना कपड़ो के ....
ये बोल के शालिनी रुक गयी और हसने लगी । वो इस बात पर अब राहुल का रियेक्शन देखना चाह रही थी और उसके शरिर का भी
राहुल थोडा ठहरा और चुपके से अपना लण्ड मसल कर - क्या सच मे मम्मी हिहिहिही मुझे लगा बस लडके ही बिना कुछ पहने घूमते होगे
शालिनी एक कदम आगे बढते हुए - मुझे तो कभी भी ज्यादा कपडे पसंद ही नही थे ,,वो तो घर वालो की वजह से
राहुल को जैसे मौका मिल गया और वो चहकके - अरे तो अब पहनो ना मम्मी अपने मर्जी का ,,, अब तो आप अपने घर मे हो ना
शालिनी अपनी चाल पे जीत पाने पर मुस्कुराते हुए - हा फिर भी शादीशुदा औरत के लिए ये सब आसान नही है बेटा ,,, घर मे कब कौन मेहमान आ जाये ?
राहुल - अरे कोन सा रोज रोज कोई आ रहा है ,,, आप बताओ आपको क्या पहन्ना पसंद है
शालिनी हस कर - क्यू तु लाके देगा क्या हिहिहिही
राहुल - क्यू आपका बेटा आपके लिए कपडे नही ले सकता
शालिनी - अच्छा ,,लेकिन मुझे जो पहनना है वो मै तुझे नही बता सकती ना
राहुल - अरे जब आप मेरे सामने पहन सकती हो तो बताने मे क्या दिक्कत है
शालिनी हस कर - किसने बोला कि मै वो तेरे सामने पहनने वाली हू ,,,,हिहिही
राहुल का चेहरा एक ही पल मे उतर गया
शालिनी हस कर - अच्छा वो छोड तु बता तेरे हिसाब से मुझे कैसे कपडे पहनने चाहिये
राहुल के जहन मे तो अपनी मा को नंगा करने के ख्वाब ही चल रहे थे लेकिन फिर भी नैतिकता दिखाते हुए - आपको भी दीदी के जैसे मॉडर्न कपडे पहनने चाहिये ,, जैसे टॉप स्कर्ट जीन्स प्लाजो
शालिनी - हम्म्म और
राहुल हिचक कर अपनी मा के कुल्हे निहार के - और कुर्ती
लेगी
शालिनी मुस्कुरा के - हम्म्म और
राहुल थोडा हिम्मत करता हुआ - और नाइटी!!
शालिनी - हम्म्म ठिक है लेकिन इतना सब कहा से लाउन्गी
राहुल - अरे निशा दिदी का ट्राई करो ना और नाइटी तो है ही
शालिनी - तुझे लगता है निशा के कपडे मुझे होगे हिहिहिही
राहुल अपना लण्ड मसल कर निशा के टीशर्ट मे एक बार अपनी मा के कसे चुचो के उभरे हुए निप्प्ल का सोचते हुए - अरे एक बार ट्राई तो करो ना ,,, नही हुआ तो बाज़ार से ले लेंगे
शालिनी - अच्छा ठिक है बाबा बहुत हुआ क्प्डो पर बहस अब तु जा सो जा मै भी जा रही हू
ये बोल कर शालिनी मुस्कुराते हुए अपने कमरे मे चली गयी और राहुल अपनी मा के आज के व्यवहार को लेके थोडा उलझा हुआ थोडा उत्तेजित होता हुआ अपने कमरे मे चला गया ।
रात मे निशा उसके कमरे मे आई और दोनो भाई बहनो मे 2 दिनो की कसर पूरी की और सो गये ।
राज की जुबानी
कमरे का माहौल काफी रंगीन और उत्तेजक हो चुका था ।
मौसा ने टीवी चालू कर रखा था और अपने पैग का सिप लेते हुए अपने पजामे के उपर से लण्ड मसलते हुए सामने का नजारा ले रहे थे ।
सामने मौसी ने मेरे लोवर के उपर से मेरा खड़ा लण्ड सहला रही थी और मै उनके कन्धे पकड़ कर बहुत ही उत्तेजित हुआ जा रहा था । मन कर रहा था कि कब मौसी मेरा लण्ड खोल कर अपने मुह मे लेले और मेरे तपते सुपाडे को राहत मिले ।
मौसी ने मेरा टीशर्ट उपर किया और लोवर अंडरवियर को एक साथ निचे की ओर खीचा जिससे मेरा लण्ड उछल कर मौसी के मुह के पास उपर निचे होने लगा
मेरा लण्ड मोटा और तगडा हो चुका था ,,नसे फुली हुई थी और सुपाडे पर शुरुआती रसो से लिपटी हुई थी ।
मैने बडे गर्व से अपना तना हुआ लण्ड हाथ मे पकड कर मौसा की ओर देखा तो वो मुस्कुराने लगे ।
अभी मै मौसा के सामने शेखी बघार ही रहा था कि मेरे चेहरे के भाव अजीब होने लगे और शरिर मे एक झनझनाहट सी होने लगी क्योकि मौसी ने अभी अभी मेरे सुपाडे की टिप को अपनी ठंडी जीभ से छुआ था और मै पूरी तरह से गनगना गया
मौसी ने लण्ड को थाम कर सुपाडे पर अप्नी गीली जीभ फिराई और अगले ही पल मेरी आंखे बन्द हुइ और मै एड़ियो के बल उठने लगा । मेरे हाथ मौसी के सर को पकड चुके थे और उन्के मुह मे मेरा लण्ड होठो से घिसता हुआ गले मे उतर रहा था ।
ऐसे मे मुझे एक पल को फिर से मौसा का ख्याल आया और मैने कनअखियो से देखा तो वो अपना मुसल पजामे के उपर से मस्लते हुए अपने चेहरे को भीच रहे थे जैसे उनहे ये सब देख कर बहुत ही उत्तेजना उठ रही हो
मै मुस्कुराया और मौसी के सर को पकड के उनको और उत्तेजित करने के लिए उन्के मुह मे पेलने लगा ।
तभी मौसा के मुह से हल्की सी भड़ास मुझे मेरे कानो तक मिली
मौसा अपने लण्ड को मसलते हुए मुह भीच कर - हा और पेल ऐसे ही ,,,साली कुतिया है
मै मुस्कुरा और मौसी के मुह से अपना लण्ड निकाल कर उन्के बालो को पकडते मुह पर लण्ड पटकते हुए अपना सुपाडा उनके होठो पर घिसने लगा । उन्के लार से लसराया हुआ मेरा लण्ड मुह पर पुरा घूम रहा था ,,,ये सब देख कर मौसा और भी उत्तेजित हो रहे थे और अब तो उन्होने अपना गिलास वही रख दिया और खडे होकर हमारी ओर आने लगे
मै यही तो चाहता था कि मौसा भी हमारे साथ आये और हुआ भी वही
मौसा हमारे पास आते आते अपना पाजामा निकाल चुके थे और अपना मोटा काला तना हुआ मुसल हाथ मे मसलते हुए मेरे करीब आकर मौसी के बाल खीचते हूए उनका मुह अपने ओर किया
मौसी को थोडा दर्द हुआ - सीई आह्ह क्या कर र...गुउउउऊह्ह उम्म्ंम
मौसी पुरा बोल पाती उस्से पहले ही मौसा ने अपना लण्ड उनके मुह मे ठूस दिया और लण्ड को पेलते हुए बोले - चुप साली रंडी चुस इसे भी अह्ह्ह ऐसे ही उम्म्ंम्ं अह्ह्ह
मौसा आहे भरते हुए मेरी ओर देखकर हसते हुए- आह्ह साली ने मूड बना दिया ,उह्ह्ह
मै मुस्कुरा कर - हा मौसा जी ,,मौसी है ही मजेदार ओह्ह मौसी थोडा मेरा भी ख्याल करो ना
मौसा ने अपना लण्ड खिच कर - हा जानू थोडा थोडा दोनो को प्यार दो ना हिहिहिही
मौसी नजरे उपर करके मुसकराते हुए इतराई और दोनो हाथो ने हम दोनो का लण्ड थाम कर हिलाने लगी और कभी मेरा तो कभो मौसा का लण्ड मुह मे लेने लगी
इतने पर भी मौसा जी का जोश जैसे कम होने का नाम ही नही ले रहा था और उन्होने मौसी को खड़ा करके वही सोफे पर घोडी बना दिया ।
मौसी बडी मुश्किल से सोफे को पकडे हुए खुद को टिका पा रही थी और वही मौसा अपना मुसल मसलते हुए मुह से अपने उंगलियो पर लार लेके उसी हाथ से मौसी को चुत टटोलने लगे ।
फिर अपना मोटा खुन्टा लहराते हुए उनकी जांघो को खोलकर अपना लण्ड सेट करके एक जोर का धक्का मारा
मौसी - अह्ह्ह्ह्ह माअह्ह्ह्ह सीईईई आरामम्म से मेरे राआज्ज्जाआ उह्ह्ह्ह
मौसा मौसी के बाल पकड कर पीछे खिचते हुए अपना कमर च्लाने लगे और तेज तेज थपेडों से मौसी की थुलथुली गाड को लाल करने लगे
मै वही बगल मे खड़ा खड़ा अपना लण्ड मसल रहा था और मौसी रहम की भिख मागे जा रही थी
मौसी- ओह्ह्ह थोडाहहह आआअराआम्आह्ह माअह्ह्ह मारो मत उह्ह्ह्ह दर्द होहह उम्म्ंम्ं
मौसा मौसी के बालो को और तेज खिच कर सटासट पुरे जोश मे पेलते हुए - अह्ह्ह साली कुतिया क्यो मजा नही आ रहा है क्या उम्म्ंम बोल ना
मौसी दर्द से तडप कर - अह्ह्ह मजा आ रहा है लेकिन बाल छोड दे ना बहिन चोद अह्ह्ह माअह्ह
मौसा - साली रंडी बहुत बोल रही है ,,, बेटा इसके मुह मे अपना लण्ड घुसेड़ चोद साली को
मौसा की बात सुन कर मेरा चेहरा ही खिल गया और मै लपक कर सोफे पर टेक वाली जगह आ गया और अपना सुपाडा खोल कर मौसी के मुह पर लगा दिया
दो तीन झटको मे ही मौसी ने अपना मुह खोल कर मेरा लण्ड मुह मे ले लिया और वही मौसा जी ने अब उनके बाल छोड दिये थे लेकिन धक्को मे कोई कमी नही थी
वो मौसी को गले से पकड कर तेज और जोर से पेल रहे थे और हर धक्के से मौसी के मुह मे मेरा लण्ड चोक हो रहा था ।
जिसे देख कर मै और मौसा और भी उत्तेजित हो गये और मै ललचाई नजरो से मौसी की हिल्कोरे मारती भारी गाड़ को मौसा के जांघो से टकराते हुए देख रहा था
वही मौसा मौसी को गालिया बकते हुए ताबड़तोड़ चोदे जा रहे थे कि उन्की नजर मुझ पर गयी और वो मुझे देख कर मुस्करा दिये ।
फिर उन्होने अपने धक्को की गति हल्की की और इशारे मे पुछा आना है क्या ?
मै भी थोडा शर्माते हुए हा मे सर हिलाया और उन्होने फौरन जगहो की अदला बदली कर ली ।
मौसा मेरी जगह आ चुके थे और उन्होने पहले झुक कर मौसी के रसिली होठो को चुसा और मौसी खुश हो गयी और फिर अपना मुसल उन्के आगे परोस दिया
जिसे मौसी ने बडे प्यार से उनकी आंखो मे देखते हुए चुबलाने लगी वही मै मौसी के गाड़ के पाटो को फैलाते हुए अपना छेद खोजने लगा
और फिर लण्ड को सेट करते हुए सीधा मौसी की चुत मे घुस गया
मौसी - ओह्ह्ब लल्ला तेरा कितना गरम है आह्ह माह्ह
मै - आह्ह हा मौसी आपका भी अन्दर से बहुउउह्त्त अह्ह्ह गरम है
मौसा मुस्कुरा कर - अब रुका क्यू है बेटा,,, फाड़ अपनी इस चुदक्क्ड मौसी की चुत हा ऐसे ही और तेज लगा
मौसी - अह्ह्ह अह्ह्ह ओह्ह्ह उम्म्ंम बेटा ऐसे ही उह्ह्ह
मौसा - तु साली फिर से बोलने लगी ,,चल चुस इसे उम्म्म्ं आह्ह ऐसे ही हाआ
इधर मौसा मौसी का कामुक भरा कनवरजन जारी थ वही मै सटासट मौसी की चुत मे चढ़ कर पले जा रहा था
मौसी ने मौसा का लंड ग्पुच करते हुए गले मे उतारने लगी और मौसा के चेहरे के भाव पहले से ज्यादा बिगड़ने लगे कि अब झडे तब झडे
लेकिन उन्होने खुद को काबू किया और लंड मुह से बाहर खीचकर उसे मसलते हुए शराब के पैग की ओर बढ गये
मै वही हुमच हुम्च के मौसी की गाड़ थामे पेले जा रहा था
कि मौसी बोली - आह्ह बेटा थोडा रुक जा ,,,मेरे घुटने दुख रहे है
मेरी जगह अगर मौसा होते और आज वो जिस मूड मे दिख रहे थे वो तो उलटा मौसी को गाली देते हुए झड़ने तक चोदते रहते
मगर मुझे मौसी की स्थिति का अंदाजा था जिस तरह से मौसा और मैने पिछले आधे घंटे से घोडी बनाये हुए उनहे चोदे जा रहे थे ।
मैने ही धक्के धीमे करते हुए लण्ड को बाहर निकाला और वही सोफे पर बैठ गया और मौसी अपने कमर सीधी करती हुई सोफे पर लेट गयी
मै मेरे हाथ को मौसी के मोटे मोटे चुचो को मस्लते हुए मुस्कराया और धीमे से बोला - तो आपने अपने मन का करवा ही लिया
मौसी ने एक नजर मौसा की ओर देखा जो शराब का पैग बनाने मे व्यस्त थे और फिर मुस्कुरा कर बोली - अभी कहा ,,अभी तो मुझे दोनो लण्ड एक साथ चाहिये ,,,, मुझे लगा तु पीछे डालेगा
मै मुस्कुरा कर उनकी चुचिया मसल्ते हुए - हाय मेरी चुद्क्क्ड मौसी ,,, रुक अभी तेरी गाड़ भी फाडता हू अह्ह्ह
मौसी अपने निप्प्ल की मरोड से चिहुकी जिसको मौसा ने सुन लिया और अपना पैग खतम करते हुए बोले - ओहो बेटा तुने इसे आराम करने क्यू दिया ,,,
मौसा हस कर - रंडीया कभी आराम करती है क्या उम्म्ं
ये बोलते हुए मौसा फिर से मौसी की टांग को खिंच कर अपना लण्ड सेट करते हुए सीधा उनकी चुत मे उतर गये और पेलना शुरु कर दिया
इस बार मौसा का लण्ड और भी गहराई मे जा रहा था जिस्से मौसी की आंखे फटी जा रही थी
मै भी एक बार फिर से जोश मे आने लगा और सोफे पर घुटने के बल आकर अपना लण्ड मौसी ने मुह पर रगड़ने लगा
लेकिन मौसी सिसकिया लेते हुए चुदे जा रही थी और उन्होने मेरा लण्ड पकड लिया
बाकी का काम मौसा के तेज करारे ध्क्के कर रहे थे और मेरा लण्ड मौसी की हथेली मे खुद रगड़ खा रहा था
कुछ ही देर बाद मौसा ने जगह की अदला बदली की बात कही तो मौसी ने एक बार इशारा किया और मै समझ गया
फिर मैने मौसी को सोफे पर ही करवट करते हुए थुक लगा कर लण्ड को उनकी गाड़ के सुराख पर लगाया और स्टाक से एक करारा ध्क्का लगाते हुए पुरा लण्ड एक ही झटके मे मौसी के गाड़ मे पेल दिया
मौसी के आन्खे और मुह दोनो खुल गये
मौसी - अह्ह्ह माआह्ह्ह ओह्ह्ह आअराआम्ं ना लल्लाआ ओह्ह्ह
मौसा हस्ते हुए - हाह्हा लग रहा है बेटा तुने अपनी मौसी के पिछले दरवाजे पर दस्तक कर दी हाह्हा
मै थोडा शर्म से मुस्कुराया और बिना देर किये एक और करारा ध्क्का लगाया
मौसी - ओह्ह बेटा बहुत मोटा है उम्म्ं धीरे धीरे कर आह्ह माह्ह उम्म्ं सीई
मौसी अपने गाड़ के सुराख को दर्द से कसे जा रही थी और मै हल्के हल्के धक्के तेज किये जा रहा था
मौसी लगातार मुह खोले हुए आहे भर रही थी कि तभी मौसा ने उनके उपर आकर
अपना लण्ड सीधा मौसी के खुले मुह डालते हुए बैठ गए और लण्ड उन्के गले तक भर गया
मौसी ने हाथ बढा कर मौसा के लण्ड को थामा और उसे सुरकना शुरु कर दिया
इधर मै तेज और करारे धक्के लगाये जा रहा था
मौसा - हा बेटा और घुसा आह्ह ऐसे ही हम्म्म और पेल अपनी मौसी को ,,,,सच मे तेरे साथ आज तो मजा ही आ गया
मै मौसी के जान्घे दबाए हुए तेजी से सट सट उनकी गाड़ चोदे जा रहा था और मौसी अपने मुह मे मौसा का लण्ड लिये जा रही थी ।
इसी दौरान मुझे मौसी की बात का ध्यान आया और फिर मैने मौसा को देख कर बोला - मौसा जी आप भी आओ ना
मौसा - हा बेटा रुक ,,, बहुत बहुत समय से इसकी गाड़ मे अपना लण्ड नही डाला हू
मौसा अपना लण्ड मौसी के मुह से खीचते हुए बोले औ उतर कर निचे आ गये
फिर मै सोफे पर बैठ गया और मौसी मौका पाते ही - अह्ह्ह मेरी चुत मे भी खुजली हो रही है जी ,,,इसका भी कुछ करो ना
मौसा जी का दिमाग ठनका और वो मुस्करा कर - बेटा कुछ समय के लिए अपनी मौसी का वजन सम्भाल लेगा
मै समझ गया कि मौसा का क्या इरादा है
मै हा मे सहमती दिखाई तो मौसी भी मुस्कराती हुई मेरे पास आई और मेरा लण्ड पकडते हुए उसे अपने चुत पर सेट करते हुए मेरी जाघो पर बैठ गयी
मै समझ गया कि मौसी ने अपना जुगाड कर लिया है इधर मौसा ने पीछे खडे होकर अपना लण्ड सेट करते हुए मौसी की गाड़ मे धकेलने लगे
मौसी - ओह्ह्ह्जी आराम से दोनो का लण्ड बहुत मोटा है अह्ह्ह माअह्ह्ह धीरेहह उह्ह्ह मम्मम्ंं
मौसा को भी लण्ड घुसाने मे सम्स्या हो रही थी तो मैने हल्का हल्का अपनी जगह पर उछलना शुरु किया ताकी चुत और गाड़ के बीच सुराखो मे थोडी जगह बन पाये और मौसा का लण्ड घुस जाये
ये तरीका काम कर गया क्योकि ये मैने और पापा ने कयी बार आजमाया था मम्मी पर
और अगले ही पल जैसे ही मौसा को मौका मिला वो हचाक से एक ही बार मे पुरा लण्ड मौसी के गाड़ मे घुसेड़ दिये
मौसी दर्द से सिसकी और मुझे भी थोडा वजन मह्सूस हुआ ।
मौसी - आह्ह मेरे राजह्ह आज कितने दिनो बाद दो लण्ड नसीब हुए है उम्म्ं अब रुके क्यू हो चोदो ना मुझे दोनो अहहह
मै मौसी के नरम चुचे अपने होठो से चुबलाते हुए - आह्ह मौसी आपकी बुर तो कस रही है
मौसा - हा बेटा ऐसा ही होता है अब तु भी हल्का हल्का चोद कोसिस कर आह्ह जैसे मै चोद रहा हू
मौसी - क्या हल्का हल्का लगा रखा है ,,अब तक कोई रहम नही दिखाया जब मुझे मजा आ रहा है तो साले अपने बारे मे सोच रहा है चोद कस के अह्ह्ह बहिनचोद पेल ना जैसे अपनी बहिन की गाड़ मारी थी अह्ह्ज माह्ह ऐसे ही उह्ह्ह हा और कस के उह्ह्ह ऊहह
मै मौसी की बाते सुन कर जोश मे आ गया और निचे से कमर उछालता हुआ चोदने लगा
मौसा - आह्ह साली रंडी तो तुझे दो लण्ड की चसक चढ़ी है हा माधरचोद कुतिया ,,,अब जब तक राज रहेगा हमेशा तुझे ऐसे ही चोदून्वा ले साली और लेह्ह्ह अह्ह्ह
मै - हा लेकिन मौसा जी मै तो एक दो दिन मे चला जाऊंगा ना अह्ह्ह फिर
मौसी - कोई बात नही ,,अब तो मै खुद मेरे बेटे से खुलेआम चुदवाने वाली हू ,,,अगर इस बहिनचोद का मन होगा तो साथ आयेगा
मौसा मौसी की गाड़ मे लण्ड घुसेड़ते हुए - आऊंगा क्यू नही अब तो मै भी मेरे बेटे के साथ मिल कर तेरी ऐसी गाड़ माउन्गा कि चल नही पायेगी साली लेहहह अह्ह्ह तू सच मे बहुत चुदक्क्ड है बहिनचोद
मै हस कर - क्या मौसा आप तो मेरी मम्मी को गाली दे रहे हो
मौसा हस कर - माफ करना बेटा आह्ह ये तेरी मौसी ही मुझे उकसा देती है आह चोद इसे और कस के पेल अह्ह्ह
मै - ओह्ह मौसा मेरा अब आने वाला है रहा नही जायेगा
मौसा कस कस के धक्के लगाते हुए - हा बेटा मै भी आऊंगा
मौसी - आह्ह कोई अण्डर नही झ्देगा ,,,मुझे सारा पानी चाहिये उठो जल्दी
मौसा फटाक से उठे और मौसी भी मेरे उपर से उतरी और घुटने के बल आ गयी और मै भी झटके से खड़ा होकर अपना लण्ड मौसी के मुह पर हिलाने लगा
मेरी एडिया उठने लगी और तेजी से सुपाड़े से पिचकारि निकाली - आह्ह मौसी लोह्ह्ह उह्ह्ह्ह
वही मौसा जी ने भी पिचकारी छोड़ी - लेह्ह रज्जो अह्ह्ह मेरी जान्न उह्ह्ह तुने तो मजा ही ला दिया अह्ह्ह ले हह
मौसी ने एक एक करके दोनो का लण्ड चुबला कर उसे साफ किया और दोनो हाथो से हमारे लण्ड सहलाने लगी
हमारे रस अभी भी उनके चेहरे पर चमक रहे थे ।
फिर हम दोनो भी हसते हुए सोफे पर बैठ गये और मौसी खुद को साफ करने लगी ।
जारी रहेगी
बहुत ही मस्त और शानदार अपडेट है भाई मजा आ गयाUPDATE 157
लेखक की जुबानी
एक ओर जहा अनुज और राहुल अपनी अपनी मा के करीब जाने के लिए परेशान थे तो वही राज के पापा रंगीलाल की बेचैनी उनकी बीवी रागिनी ने बढा दी थी ।
बन्द कमरे मे अपने पति के लण्ड पर सवार होकर बडी कामुकता से रागिनी अपने नरम मोटे चुतडो को हिला रही थी और रंगीलाल अपनी बीवी के इस रूप से बहुत ही उत्तेजित मह्सूस कर रहा था कि तभी रागिनी अपने पति के उपर झुकते हुए उसके सर के पास रखे तकिये के निचे से एक पैंटी निकाली और बडी ही अदा से उसे अपने पति के नथनो पर रखकर उसे उसकी गन्ध लेने का इशारा किया ।
रंगीलाल को अह्सास हुआ कि ये गन्ध कुछ नयी थी और उसने अपने बीवी के हाथो से वो पैंटी लेके वापस से उसे फैलाकर फिर से सुँघा
रन्गीलाल का लण्ड उस नयी कामुक गन्ध और अकडने लगा जिससे रागिनी सिस्क पड़ी
रंगीलाल मुस्कुरा कर - जान ये तुम्हारा तो नही है ,
रागिनी बडी ही मादकता से अपने गाड़ को घिसते हुए रन्गीलाल के मोटे लण्ड को अपनी चुत मे कसते हूये मुस्कुरा कर ना मे सर हिलायि ।
रन्गीलाल - आह्ह तो किस्काह्ह है येह्ह्ह बहुत मस्त खुस्बु है उम्म्ंम
रागिनी मुस्करा कर - आपकी होने वाली समधन का
रागिनी की बाते सुन कर रंगीलाल चहका और उसके लण्ड मे और भी जान आ गयी । वो वापस से उस पैंटी को अपने चेहरे पर मलता हुआ तेज धक्के लगाने लगा
रागिनी समझ गयी कि अब ज्यादा देर नही रुकने वाला वो तो उसने अपने पति को और भी जोश दिलाना शुरु कर दिया
रागिनी - आह्ह मेरे राजा सूंघो अपनी समधन की पैंटी ,इसी मे वो अपने नरम गुलाबी भोस्ड़े को छुपाये रखती है
रन्गीलाल की ऊततेजना रागिनी के कामुक शब्दो से बढती ही जा रही थी और वो तेजी से निचे से अपनी कमर उठाए अपनी बीवी को चोदे जा रहा था ।
रागिनी सिसकिया लेते हुए - आह्ह मेरे राजा और तेज उम्म्ंम ऐसे ही अहाह्ह्ह उम्म्ं आज इस पैंटी से काम चला लो ,,देखना एक दिन उसकी चुत भी लाउन्गी उसे भी अच्छे से सूंघ लेना
रागिनी की बाते रन्गीलाल को चरम पर ले जा रही थी ,,,उसका सारा बदन उत्तेजना से काफ रहा था ,,चेहरे लाल पडने लगे थे
और लण्ड की कसावट के साथ साथ उसकी तपन रागिनी अपने चुत मे मह्सुस कर रही थी ।
रागिनी - अह्ह्ह माह्ह बोलो ना मेरे राजाह्ह सून्घोगे ना अपनी समधन की रसिली चुत उम्म्ंम अह्ह्ह बोलो ना
रन्गीलाल अपना पुरा जोर लगाये चोद रहा था और उसका चेहरा लाल हुआ जा रहा था - आह्ह मेरी जान उस रन्डी की चुत सुन्घूगा भी और चुसकर पेलून्गा भी अह्ह्ह तुने तो आह्ह जानू ओह्ह्ह मै आ रहा हू अह्ह्ह
ये बोलते हुए रंगीलाल आखिरी कुछ धक्के के साथ रागिनी की चुत मे झटके खाते हुए झड़ने लगा और उस्का गरम माल चुत से रिसने ल्गा
दोनो इस कदर थक गये कि कोई भी अपनी हालत से कुछ पलो के लिए हिल नही पाया ।
कुछ ही पलो मे दोनो के बदन स्थिर हुए और मुस्कुराते हुए रन्गीलाल ने अपनी बीवी के होठ चुम लिये
रागिनी उसे छेड़ते हुए - क्यू मजा आया ना हिहिहिही
रन्गीलाल उसके नरम नरम गाड को मसलकर - हा मेरी जान ,,लेकिन ये तो बताओ ये पैंटी मिली कैसे
रागिनी मुस्कुरा कर - अरे आप एक बार अपनी समधन से माग के तो देखो ,,, भोसडा खोल के बैठ ना जाये तो कहना हिहिहिही
रागिनी की बात सुन कर रन्गीलाल लण्ड फिर से सर उठाने लगा ।
रन्गीलाल - तो फिर आगे क्या सोचा है उम्म्ं
रागिनी - ओहो मेरे राजा थोडा सबर करो ,,, और फिलहाल इस गिफ्ट (पैंटी ) के बदले अपनी समधन को कुछ तो दो स्पेशल
रन्गीलाल कुछ सोचता हुआ - क्या गिफ्ट दू समझ नही आ रहा है
रागिनी खिलखिला कर - अरे बुद्धू बड़े शहर जाकर अपनी समधन के नाप का अच्छा सा ब्रा पैंटी लेलो और हा पैंटी का साइज़ इससे बड़ा रहे
रंगीलाल चहक कर - क्या !! इससे भी बड़ा ,, मतलब साइज़ क्या है उनका
रागिनी - 44D की ब्रा और 48 की पैंटी
रन्गीलाल अपनी सम्धन का नाप सुन कर जोश से भर गया और उसका लण्ड पूरी तरह से फिर से तन कर रागिनी की चुत पर ठोकर मारने लगा - आह सच मे इतनी बड़ी गाड़ है मेरी समधन की
रागिनी हस कर - गाड़ ही नही भोस्डा भी बड़ा होगा ,,, खुब डुबकी लेना
रागिनी की बात पर रंगीलाल भी हस पडा और दोनो एक बार फिर से अपने सपने संजोते हुए चुदाई के नये तराने लिखने लगे ।
राज की जुबानी
देर रात तक मै और मौसा मिल कर मौसी के मस्त गुदाज जिस्म पर अपनी भड़ास निकालते रहे और मौसी ने भी भरपुर मजे किये
अगली सुबह मेरी निद खुली तो मैने उसी अवस्था मे खुद को पाया जैसा रात मे नंगे सोया हुआ था ।
अगल बगल देखा तो कोई नजर नही आया ,,हा कमरे का दरवाजा बन्द था
मै उठा और मोबाइल चेक किया तो सुबह के 9 बज रहे थे ।
मैने जल्दी से कपडे पहने और सीधा कमरे से निकल कर उपर के बाथरूम मे फ्रेश होने के लिए चला गया और फिर निचे आकर चाय नास्ते के हाल मे आया
तो पता चला कि रमन भैया दुकान के लिए जा चुके है और मौसा जी किसी काम से बाजर गये है
किचन मे मौसी और रिना भाभी काम कर रही थी ।
मै धीरे से मौसी के पीछे खड़ा होकर रीना भाभी से छिप कर उनके नरम नरम गाड के पाटो को हल्का सा छुआ कि मौसी सिसकी
मै समझ गया कि मौसा ने रात मे जितना बेरहमी से मौसी को चोदा था उनकी हालत कुछ दिनो तक ऐसी ही रहने वाली है ।
मौसी की सिसकी से मै तुरंत वहा से हट गया और अंजान बनते हुए रीना भाभी को देख कर - क्या हुआ मौसी ,, कुछ दिक्कत है क्या ?
मौसी ने एक नजर मुझे देखा और फिर भाभी को देखकर मुस्कुराने लगी
रिना भाभी जो आज साड़ी मे थी वो भी मौसी की फिकर करते हुए बोली - क्या हुआ मम्मी जी ,, कही चोट लगी है क्या ?
मौसी अब क्या ही बताती वो बस शर्म से मुस्कुरा दी और मुझे देख कर - तु चल बैठ मै नासता लाती हू
मै भाभी के सामने बिना कोई रिएक्ट किये हाल मे आ गया और वही भाभी मौसी आपस मे बात करने लगी
इतने मे पता नही क्या हुआ कि भाभी ने रमन भैया को फोन किया और वही मौसी शर्मा कर मुस्कुरा रही थी ।
मैने एक दो बार इशारे से पुछा तो मौसी ने ना मे सर हिलाया । फिर मैने चुपचाप नास्ता किया और रमन भैया के दुकान पर चला गया ।
लेखक की जुबानी
CHAMANPURA
सुबह सुबह राहुल का परिंदा का अपने घोसले से आजाद होने के लोवर के अंदर फड़फडा रहा था ।
दो चार करवट लेके राहुल उठा और उबासी लेते हुए साथ ही अपने लण्ड को लोवर मे व्यवस्थित करते हुए उपर जीने की ओर जाने लगा कि उसे अपनी मा का ख्याल आया और वो लपक कर एक नजर अपनी मा के कमरे मे झाका तो उसे निशा दिखी जो कुछ काम कर रही थी
फिर राहुल उसे नजरअन्दाज कर 5 6 सीढि उपर चढा ही था कि उसका दिमाग ठनका और साथ ही दिल की धडकने भी तेज होने लगी ।
वो वापस तेजी से निचे उतरा और अपने जोरो से धडकते हुए दिल के साथ वापस से अपनी मा के कमरे मे झाका तो देखा वहा कमरे मे निशा नही बल्कि निशा के कपडो मे उसकी मा झुक कर काम कर रही थी ।
लोवर और टीशर्ट मे कसा हुआ अपनी मा का बदन देख कर राहुल का लंड फौलादी हुआ जा रहा था और उसे अपने स्थिति का थोडा भी ज्ञान नही था वो बस अपनी मा के लोवर मे फैले हुए चुतडो और गुदाज जांघो की ओर खीचा जा रहा था
तभी शालिनी को कमरे मे आहट आई तो वो उसने नजरे उठा कर देखा कि ये तो राहुल है और वो बस उसकी ओर चलता आ रहा है और लोवर मे उसका मुसल अपना आकार ले रहा था तो उसने राहुल की नजरो का पीछा किया तो वो थोडी लजा गयी और फौरन वो सीधी खड़ी हो गयी बिना ये सोचे कि उसने उपर से कोई दुपट्टा नही ले रखा और उसका निप्प्ल पूरी तरह से उभरा हुआ है ।
राहुल ने जैसे ही मा को हरकत करते हुए देखा वो थोडा ध्यान भंग हुआ लेकीन अगले ही पल वो अपनी मा के स्तनो के उन मोटे अंगूर के दाने जैसे नुकीले निप्प्ल्स पर फोकसड हो गया ।
उस्के दिल की गति फिर से बढ गयी और साथ ही उसका लण्ड लोवर मे और भी उछलने लगा ।
शालिनी अब पूरी तरह से समझ चुकी थी कि उसका बेटा उसकी ओर मोहित हो चुका था और उसके मन मे भोगने की भरपुर लालसा है ।
वो राहुल के लोवर मे सास लेते हुए उस मोटे कीडे की लम्बाई का जायजा ले रही थी कि राहुल बोल पडा - अरे वाह मा आप कितनी प्यारी लग रही हो।
शालिनी अपने बेटे के बात सुन कर शर्म से हस दी
राहुल - देखा मै नही कहता था कि निशा दीदी के कपडे आपको एकदम फिट होगे
शालिनी ने शर्म से मुस्कुराते हुए सहमती दी और उसने राहुल की ओर देखा कि वो अब भी उसके नुकीले चुचो पर नजरे गड़ाये हुए है तो ऐसे मे उसने राहुल को परेशान करने के इरादे - अब क्या देख रहा है उम्म्ं
राहुल पहले थोडा चौक लेकिन फिर मुस्करा कर - अरे वो तो मै इस टीशर्ट पर जो लिखा है वही पढ रहा था । बिल्कुल सही लिखा है और आप पर शूट भी करता है । "I DO WHAT I WANT "
शालिनी भी अचरज से अपने जिस्मो पर देखने लगती है और फिर राहुल से उसका मतलब पुछती है ।
राहुल हस कर - इस्का मतलब मा की आप जो चाहो वो कर सकते हो और देखो आपने वही किया जो आपको पसंद है ।
शालिनी राहुल की बात पर थोडा खिलखिलाई और बोली - हमम ये बात तो है हिहिहिही ,,चल अब जा तु भी नहा धो कर आ मै नास्ता बना लू
ये बोलकर शालिनी कमरे से बाहर निकल गयी
राहुल वही खडे खड़े अपनी मा के भारी चर्बीदार चुतडो को थिरकता हुआ देखता रहा ।
सुबह की शुरुवात तो अनुज के यहा भी हो चुकी थी ।
सुहाने सपनो में खोया हुआ अनुज अंगड़ाई लेके उठता है और लोवर मे बने तम्बू को देखकर वापस से अपनी मा को याद करने लग जाता है
फिर वो उठ कर रोज की तरह फ्रेश होकर ब्रश करते हुए अपनी मा के छत पर आने का इन्तजार करने लग्ता है और आज फिर उसकी मा मैक्सि मे अपने मदमस्त चुतडो को मटका कर अनुज की हालात खराब कर देती है ।
अनुज अपने लण्ड के साथ साथ अपनी भावनाये दबाता हुआ नहाने चला जाता है और फिर नासता करके दुकान के लिए निकल जाता है ।
एक ओर जहा वो अपनी माँ के लिए बेचैन हुआ जा रहा था वही वो राहुल से मिलकर उसकी योजना भी जानना चाह रहा था कि राहुल कैसे अपनी मा को पटा रहा होगा ।
JANIPUR
राज तो अपने रमन भैया के दुकान पर जा चुका था ।
घर मे अब दोनो सास बहू थी ।
रीना ने अपनी सास रज्जो को उनके कमरे मे आराम करने का बोल दिया था ।
थोडी ही देर मे रीना ने जो रमन से कहके सामान मग्वाया था वो दुकान का ही एक नौकर देने आया ।
उसके बाद रीना ने वो समान निकाला जो कि एक कूलिंग पैड था जिसमे बर्फ भर कर सेकाई की जाती थी ।
रीना ने सारी तैयारिया की और अपने कमरे से एक तेल की शीशी भी ली
फिर अपनी सास के कमरे मे चली गयी जो अपनी चुतडो को उठाए पेट के बल सोयी हुई थी ।
अपनी बहू को कमरे मे आता देख रज्जो मुस्करा कर - अरे बहू तु परेशान ना हो मैने दवाइयां ली है सही हो जायेगा
रीना जिद दिखाते हुए - नही मा जी ,, आपको जितनी तकलिफ हो रही है मै सब जान रही हू
रीना अपनी सास के पास आकर - चलिये ये मैकसी उपर करिये
रज्जो अपनी स्थिति पर हस्ती हुई - आह्ह बहू वो दरवाजा तो बन्द कर दे ना
रीना हस कर अपने माथे पर हाथ मारते हुए दरवाजे की ओर घूम कर उसे भिड्काते हुए वापस घूमी तो सामने का नजारा देख कर उसकी आंखे फैल गयी
रीना अपनी फटी हुई आंखो से अपने सास के उभरे हुए मोटे मोटे बडे भड़कीले चुतडो को निहार रही थी और उनके पाटो पर लाल पड़े हुए पंजो के थपेडों से उसका पुरा बदन गनगना गया ।
वो थुक गटक कर धीरे धीरे अपनी सास के करीब आई और रज्जो के चुतडो के बिच उसकी गाड़ के मोटे सुराख को निहारते हुए मन मे बड़बड़ाई- हाय दईया ससुर जी ने क्या हालत कर दी है मा जी ,,, ना जाने क्या सोच कर उन्हे इतना जोश आया होगा ।
रीना मन मे - कही मा जी की जगह मै होती तो मर ही जाती ....
रीना अपने ख्यालो से ही नकारते हुए - नही नही छीई ये मै क्या सोच रही हू ,,,मै मेरे ससुर के नीचे
रीना अभी अपने ख्यालो ने गुम थी कि उसके सास ने आवाज दी - क्या हुआ बहू ,, जल्दी से जो करना है कर ले ,,मुझे शर्म आ रही है हिहिहिही
अपनी सास को हस्ता देख कर रीना भी मुस्कुरा दी - क्या मा जी ,,आप भी ना मुझ्से क्या शरमाना ।
रज्जो - हा लेकिन तु जिस तरह से मेरे नितम्बो को निहार रही है ,,, उस्से मुझे थोडा अटपटा लग रहा है
रीना हस कर अपनी सास का मजा लेते हुए - वो तो मै पापा जी की मेहनत देख रही थी ,,पता नही क्या खाकर उन्होने इतनी बेरहमी से ....हिहिहिहिही
रज्जो हस कर - धत्त बदमाश कही की , अब जल्दी से कर जो करना है
रीना हस कर वो कूलिंग पैड को अपनी सास के नरम नरम चुतडो पर रखा और सेकाई करने लगी
रज्जो सिसकी - सीईई अह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह
रीना अपनी सास की सिस्किया सुन कर धीरे धीरे हस रही थी
रज्जो उसकी हसी सुन कर - तु बड़ा हस रही है
रिना अपनी हसी को अपने होठो मे दबाते हुए - उह्ंम्ं हिहिही नही मा जी
रज्जो - अह्ह्ह जब तेरा भी किसी दिन ऐसा हाल होगा ना तब पता चलेगा
रीना अपनी सास की बात पर शर्म से लाल हो गयी और धीरे से फुसफुसाकर मन मे - आपके बेटे का मुसल इतना बड़ा नही कि मेरे गाड़ की सुराख को इतना फैला सके हिहिहिही
रज्जो - क्या हुआ उम्म्ं
रीना हस कर - धत्त मा जी आप कैसी बाते कर रही है । मुझे शर्म आ रही है
रज्जो - जब किसी दिन रमन तेरे पिछवाड़े में 3 4 बार ऐसे दसत्क दे देगा ना तो सारि शर्म हवा हो जायेगी
रीना की आंखे फैल गयी उसकी सास ने बीती रात मे 4 बार अपनी गाड़ मरवाई
रीना हस कर - तो क्या सच मे रात मे पापा जी ने 4 बार ....हिहिहिहिह
रज्जो शर्म से लाल होकर हसने लगी
रीना ने बर्फ की सेकाई के बाद तौलिये से अच्छे से अपनी सास के चुतडो को साफ किया और फिर तेल से उसके चुतडो की भरकर मालिश करने लगी
रज्जो अभी भी हल्की हल्की मादक सिसकिया ले रही थी और उसके गाड़ की सुराख पर घूमती उसके बहू की ऊँगलीया उसे और भी उत्तेजित किये जा रही थी।
रज्जो कसमसा कर - अह्ह्ह बहू रुक जा नही तो अह्ह्ह
रीना समझ गयी कि उसकी सास थोडी गरम होने लगी इसिलिए वो हस कर मजे लेते हुए - ह्म्म्ं ठिक है हो गया अब आप आराम कर लो ,,,और पापा जी से कहियेगा की थोडा हिहिहिही
रज्जो अपने कपडे ठीक करते हुए- उन्हे कहा चैन मिलने वाला है ,,, एक रात ना मिले तो निद ना आये उन्हे
रीना हस कर - हा लेकिन फिर भी कम से कम इधर 3 4 दिन तक कुछ मत करने दिजियेगा
रज्जो हस कर हा मे सर हिला दी और फिर रीना भी निचे चली गयी ।
जारी रहेगी
बहुत ही जबरदस्त और लाजवाब अपडेट है भाई मजा आ गयाUPDATE 158
अब तक के अपडेट मे आप समझ ही गये होगे कि किस जगह कौन से किरदार किस तरह से अपनी अपनी कहानी आगे बढ रहे है । चमनपुरा की बात करे तो अनुज और राहुल दोनो अपनी मम्मी के लिए व्याकुल है तो रन्गीलाल अपनी समधन के लिए । वही जानीपुर मे बीती रात हुए थ्रीसम चुदाई समारोह ने एक नया अध्याय शुरु कर दिया है । तो देखते है कहानी का ये भाग लेखक के हिसाब से कैसा मोड लेता है ।
चुकि कहानी इस समय कई शाखाओ को एक साथ लिये आगे बढ रही है तो शायाद यहा से कुछ अपडेट आपके प्यारे कहानी पात्र राज से जुडी अपडेट कम ही मिले ( राज की जुबानी वाले ) ,, लेकिन कहानी मे जो कुछ भी आगे होगा वो सब बिना राज के सहयोग के आगे नही बढ सकेगा ।
हालकि राज इस कहानी का नायक तो नही है हा लेकिन एक बहुत ही अहम किरदार है जिसके अनुभव मे ही ये कहानी आगे बढ रही है ।
अब आगे
लेखक की जुबानी
JAANIPUR
रीना अपनी सास की मालिश करने के बाद हस्ती खिल्खिलाती हुई कमरे से बाहर निकाली और निचे किचन मे चली गयी ।
उसके जहन मे अपनी सास की कुछ बाते घूम ही रही थी और उन्ही पर वो हसे जा रही थी ।
रीना शुरु से अपनी सास के मजाकिया व्यव्हार से परिचित थी ,, शादी के पहले भी जब उसकी मा और सास पर बाते होती तो वो भी उन हसी ठिठोली भरि बातो कर भरपुर आननद लेती थी ।
फिर शादी के बाद रज्जो ने अपनी बहू को कभी अह्सास ही नही होने दिया कि वो पराये घर आई है । हमेशा वो उसे एक सहेली के जैसे ही व्यव्हार करती थी और समय के साथ दोनो सास बहु बहुत खुल चुकी थी ।
अक्सर उनकी ऐसे अश्लील मुद्दो को लेके बाते होती रहती थी ।
रीना अपने ख्यालो मे मगन होकर किचन मे दोपहर के खाने की तैयारी कर रही थी कि तभी मेन गेट खुलने की आवाज आई और रीना के ससुर कमलनाथ बाजार से वापस आ गये
कमलनाथ ने एक नजर घर के सब हिस्सो पर मारा और फिर किचन मे काम कर रही अपनी बहू के कसे हुए पिछवाड़े को देखते ही कमलनाथ सिहर उठा ।
उसकी नजरे अपनी बहू के नंगी गोरि मुलायम मखमली कमर पर जमी हुई थी । कमलनाथ का मन तो उसे अभी दबोच लेने का था लेकिन उसने खुद के जज्बात को काबू मे रखा और पजामे मे सर उठाते अपने लिंग को सही करते हुए अपनी बहू को आवाज दी फिर हाल मे बैठ गये ।
कमलनाथ - अरे बहू जरा पानी देना
रीना अपने ससुर की आवाज सुन कर प्रतिक्रिया दी और फिर एक ग्लास और जग मे पानी लेके हाल मे चली गयी ।
वहा जाकर उसने अपने ससुर के सामने ही झुक कर जग से ग्लास मे पानी भरने लगी कि उसकी नजर अपने ससुर की ओर गयी ।
जो आंखे फाडे उसे डीप कट वाले ब्लाउज के गले से झाकते उसके गोरे चुचो को निहार रहे थे ।
रीना एक पल को सकपका गयी और फौरन पानी देके किचन मे चली ।
वही जन्गीलाल अपनी बहू के नरम गोरे चुचो को निहारने के बाद उसकी मदमस्त थिरकति गाड़ को देखते हुए पानी पीने लगता है ।
रीना तेज कदमो से चलते हुए किचन मे पहुचती है और गहरी सास लेते हुए मन मे बड़बड़ाइ- ये रमन की वजह से मुझे ऐसे तंग कपडे पहनने पडते है ,,खुद तो देखते नही है पुरा घर ( कमलनाथ और राज ) भले मेरे जोब्नो मे आंखे गड़ाये रहता है ।
रीना तुनक कर मन मे - आने दो आज ,, मै भी साफ मना कर दूँगी ऐसे कपडे पहनने से अब , हा नही तो ।
रीना अगले ही पल उदास होकर - लेकिन अगर ये सब नही पहनूँगी तो क्या है ही मेरे पास । सारे कपडे तो रमन ने ही अपने हिसाब से सिलवाये है मेरे ।
रीना अभी अपने ख्यालो मे गुम थी कि उसके ससुर ने एक बार फिर आवाज दी
कमलनाथ - अरे बहू ये रमन की अम्मा कहा है ?
रीना किचन से बाहर आकर - जी पापा जी वो मम्मी की तबीयत नही ठिक है तो वो आराम कर रही है ।
कमलनाथ थोडा परेशान होकर - क्यू क्या हुआ उसको ,,सुबह तो ठिक थी
रीना को थोडी हसी आ रही थी अब वो अपने ससुर से क्या ही कारण बताये - जी पापा वो उन्के कमर मे दर्द है इसिलिए
कमलनाथ - अच्छा ठिक है मै देखता हू
ये बोल कर कमलनाथ उपर अपने कमरे मे चला गया ,,जहा रज्जो वैसे ही पेट के बल लेटी हुई सो रही थी ।
कमलनाथ उसके पास बैठ कर बडे प्यार से उसका हाल लेते हुए - क्या हुआ मेरी जान उम्म्ं
रज्जो ने आंखे खोली और अपने पति को देख कर मुस्कुराते हुए - खुद ही दर्द देते हो और खुद ही पुछते हो
कमलनाथ समझ गया कि बीती रात उसका और राज का एक साथ इतनी देर तक रज्जो को चोदना भारी पड गया ।
कमलनाथ - ओह्ह सॉरी जानू वो तो जोश मे कल रात ,,, अच्छा बताओ कहा दर्द है लाओ मै मालिश कर दू
रज्जो तुनक कर - हुउह रहने दो ,,,आपसे पहले ही बहू के मालिश कर दी है और अब 3 4 दिन दुर रहियेगा मुझसे कुछ नही मिलने वाला
कमलनाथ - क्या !! क्यू ? लेकिन वो तो रात तक सही हो जायेगा ना !
रज्जो - नही बहू ने मना किया है कि कुछ दिन तक वो नही करवाना है
कमलनाथ थुक गटक कर - तो क्या बहू ने खुद से तुम्हरे पीछे वहा पर देख कर मालिश की है
रज्जो तुनक कर - हा तो और उसी ने कहा भी है मना करने को "और ये भी बोला है कि अगर पापा जी ज्यादा जिद करे तो मुझे बताना ", रज्जो ने अपनी ओर जोडा ।
कमलनाथ चौक कर - क्या सच मे
कमलनाथ का चेहरा उतर गया और वही रज्जो अपने पति का उतरा हुआ चेहरा देख कर मुस्कुराने लगी ।
राज की जुबानी
देर शाम तक मै और रमन भैया घर आये और फिर रमन भैया अपने कमरे मे चले गये ।
मै फ्रेश होकर हाल मे आया तो मौसा जी का चेहरा उतरा हुआ था और मौसी कही दिख नही रही थी ।
मै मौसा के पास बैठ कर उन्के ऐसे गुमशुम होने के बारे पुछा और फिर मौसी के बारे मे
फिर मौसा जी ने जब मुझे सारि बाते बताई तो मै भी परेशान हो गया कि अब आज क्या होगा ।
मै - तो अब मौसा क्या होगा
मौसा जो कि किचन मे रीना भाभी के साड़ी मे कसे हुए चुतडो को निहार रहे थे
मौसा - अब क्या बताऊ बेटा , शायद कल रात जोश जोश मे मैने ही कुछ ज्यादा कर दिया
मै - हम्म्म शायद ,,, कोई बात नही मौसा जी मौसी को आराम करने दीजिये । फिर कभी हम लोग
ये बोल कर मै मुस्कुरा दिया और मौसा भी मेरी जांघ पर हाथ रखकर हस दिये ।
फिर हम लोग ऐसी आगे की बात चित करने लगे क्योकि अगले दिन मुझे अपने नये सफर के लिए आगे बढना था और अपनी बुआ के यहा जाना था ।
लेखक की जुबानी
CHAMANPURA
हालांकि एक ओर जहा अनुज के जीवन चीजे बहुत धीमी गति से हो रही थी । वही राहुल अपने मंसूबो मे बहुत तेज बढत हासिल किये जा रहा था ।
जब भी राहुल को मौका मिलता वो अपनी के करीब आने की कोसिस करता और हमेशा अपना खड़ा लण्ड लिये घूमता रहता ।
शाम हो चुकी थी और अभी अभी थोडे देर पहले आये एक फोन ने राहुल के घर के सभी सदस्यों को उल्झा कर रख दिया था ।
फोन राज की मा रागिनी का था और उन्होने निशा को कल से शादी वाले दिन तक अपने घर रहने के लिए बुला लिया था क्योकि शादी को बस दो ही हफते रह गये थे । तो ऐसे मे निशा के रहते रागिनी की काफी मदद हो जाती और सोनल को भी कम्पनी मिल जाती ।
इस खबर की सूचना घर के सभी सदस्यों के कानो मे पहुच चुकी थी और आज रात मे निशा के लिए दिक्कत बढने वाली थी कि वो कैसे अपने भाई और बाप दोनो से चुद पायेगी । क्योकि दोनो ही आज रात अपनी भड़ास निकालने के लिए पागल हुए रहेंगे । राहुल को वो एक पल के लिए वो मैनेज कर भी लेती लेकिन उसका ठरकी बाप ये खबर सुनने के बाद से अपना लण्ड मसले जा रहा था और बार बार घर मे चक्कर काट रहा था ।
डर तो शालिनी को भी था कि जिस तरह से राहुल उसकी ओर ताक झाक कर रहा था उस हिसाब वो भी यही चाह रही थी कि निशा की भनक राहुल को ना लग पाये ।
वही राहुल पूरी तैयारी मे लगा था कि किसी तरह से वो अपनी मा को नंगी देख पाये ।
क्योकि आज दिन मे उसने कयी दफा अपने पापा को घर मे आते जाते देखा और उसकी मा के नरम चुतडो को लोवर के उपर से मसलते देखा था तो उसे अपने बाप की बेचैनी से पुरा संज्ञान था कि आज उसकी मा और पापा चुदाई करने वाले है।
कसमकस हर तरफ थी और शालिनी निशा के जहन मे एक ही बात चल रही थी कि कैसे भी करके जन्गीलाल निशा की चुदाई कर ले और निशा को उसके कमरे मे ना आना पडे ।
इसिलिए शाम का नास्ता बनाने के दौरान ही शालिनी निशा से - मै क्या कह रही हू निशा ,,,मुझे ना ये राहुल का डर हो रहा है । रोज रोज कैसे हो पायेगा
निशा बहाना करते - हा मम्मी मुझे ,,, वो रात मे कभी भी मेरे कमरे मे मेरा मोबाइल लेने आ जाता है
शालिनी - हम्म्म और जबसे वो सोनल ने तुझे अपने घर रहने के लिए बोला है वो सुन कर तो तेरे पापा और भी परेशान होने लगे कि कल से तु यहा नही होगी
निशा - हा मा ,,,मै भी नही जाना चाहती और आप लोगो के साथ मस्ती करना चाहती हू । लेकिन सोनल दीदी की शादी को अब ज्यादा दिन है कहा ।
शालिनी - अरे बेटा आगे का आगे देख लेंगे लेकिन आज का कैसे मैनेज करे
निशा अपने दिमाग के घोड़े दौड़ाने लगी और कुछ ऐसा उपास सोचने लगी ताकी राहुल से बच भी जाये और पापा के साथ मस्ती भी जाये ।
निशा चहक कर - आईडीया मम्मी
शालिनी उसको चुप कराती हुई - सीईई चुप पागल ,,,धीरे बोल
निशा हस कर - मै ये कह रही थी कि क्यू ना आज रात वाला प्रोग्राम आपके रूम के बजाय मेरे कमरे मे हो
शालिनी - हा लेकिन तेरे कमरे , कही राहुल आया तो मोबाइल लेने और हमे (शालिनी और जंगीलाल ) देख लिया तो
निशा - इसिलिए तो कह रही हू मा ,,,अगर वो आयेगा भी तो हम लोग उसे बोल देंगे की कल मै सोनल दीदी के यहा जा रही हू तो उसी की पैकिंग चल रही है ।
शालिनी निशा के गाल खिच कर -बहुत चालाक हो गयी है तु
निशा हस कर - आपकी ही लाडली हू ना हिहिहिही
शालिनी मुसकराने लगी और मन मे सोचने लगी - थैंक गॉड ये प्रोब्लम खतम हुई इस्से राहुल को शक भी नही होगा हम पर और इसके पापा भी चैन से मजे कर पायेंगे ।
दोनो मा बेटी ने अपनी गुप्त गुप्त बातो को प्रमुखता देते हुए अपने काम मे लग गये और निशा ने एक-दो बार राहुल के सामने अपनी मा से पैकिंग मे हैल्प करवाने के लिए बोला ।
जिसपर शालिनी ने बोला की वो रात मे खाने के बाद आयेगी उसके पास
जिस पर राहुल का चेहरा उतर गया और वो समझ गया कि शायद वो जो सोच रहा था आज नही हो पायेगा ।
ना ही उसे निशा की चुत मिल पायेगी और ना ही अपनी मा के जिस्मो को देखने का सुख मिल पायेगा ।
रात हुई और दोनो मा बेटी अपने मुद्दे पर कायम रहते हुए निशा के ही कमरे मे सारी प्लानिंग की देर रात तक जहा जन्गीलाल ने अपनी बेटी की दोनो सुराखे लाल की वही दुसरे कमरे मे लेटा राहुल अपनी मा को पटाने के तरीके से उत्तेजित होकर कयी बार मुट्ठि मार कर थक कर सो गया ।
JAANIPUR
चेहरे उदास सिर्फ चमनपुरा मे ही नही जानीपुर मे भी थे
कमलनाथ और राज भी मजबुर और मायूस होकर अपने अपने कमरे सो गये ।
लेकिन वही घर के एक कमरे मे मिया बीवी वाली मीठी नोकझोक चल रही थी ।
रमन - ओहो मेरी जान तु मुझे अच्छी लगती हो इन कपड़ो मे इसिलिए तो मै कहता हू पहनने को
रीना तुनक कर - आपकी वजह से पता है मुझे लोगो की नजरो से खुद के जोबनो को छिपाना पडता है । हुउह
रमन हस कर रीना को पीछे से पकडता हुआ - ओहो अब किसने ताड लिया मेरी गुलाबो को उम्म्ंम ,,,
" किसने देख लिया इन नरम नरम नाजुक दूध को " , रमन ने अपनी बीवी के चुचो पर ब्लाउज के उपर से हाथ फेरते हुए कहा ।
रमन की इस हरकत से रीना सिहर गयी और कसमसा कर - कल वो राज बाबू ,, ऐसे देख रहे थे जैसे खा ही जायेंगे
रमन हस कर - हाह्हा अरे छोटा देवर है और भाभी पर आधा हक उसका भी तो है ।
रमन की बात कर रीना तुन्की -और पापा जी क्या ! उनका कितना हिस्सा ये भी बता दो । हा नही तो
रमन चौक कर - क्या पापा भी !
रीना उखड़कर - हा और क्या ,,,
फिर रीना ने आज सुबह की बात बताई जब कमलनाथ एक टक उसके चुचे निहारने लगा था ।
रमन को भी एक पल को उसके बाप का व्य्व्हार ठिक नही लगा ,,लेकिन अगर इस मुद्दे पर वो अगर रीना का साथ देता तो शायाद उसकी पारिवारिक जीवन मे कोई ना कोई बखेडा हो ही जाता ।
इसिलिए उसने ये बात भी मजाक में बनाये रखना उचित समझा
रमन मुस्कुरा कर वाप्स से उसे अपनी बाहो मे भरते हुए - अच्छा और क्या किया पापा ने उम्म्ंम
रीना मासूमियत से - धत्त मैने देखा थोडी मै तो डर गयी थी और जल्दी से किचन मे आ गयी
रमन हस कर - अरे पगलू इसमे इतना डरने वाली कौ बात नही है ,,,घर के लोगो मे ऐसे छोटे-मोटे अजीबोगरीब स्थितिया आती रहती है ।
रीना ने आंखे उठा कर रमन को घूरा तो वो मुस्कुराकर सफाई देता हुआ - अब देखो ना मै घर मे मेरी मा भी है और कयी दफा वो जब मेरे सामने से आती जाती है तो उनके bums हिलते रहते है और मेरी नजर अटक जाती है इसका ये मतलब थोडी की मेरी मा के प्रति खराब मानसिकता है
रीना अपनी सास की ने पिछवाड़े की बात पे हस दी और उसे सुबह वाली मालिश की बात याद आ गयी ।
रमन उसके गाल खीच कर - क्या हुआ हस क्यो रही हो उम्म्ंम
रीना हस कर - अरे मम्मी जी bums की हालत ना पुछो हिहिही
रमन - क्यू! क्या हुआ ?
रीना हस कर - आप गुस्सा नही होगे तो बताऊ हिहिहिही
रमन अचरज से मुस्कुराता हुआ - हा बोलो ना जान
रीना हस कर - वो कल रात पापा जी ने मम्मी जी को पीछे से 4 बार हिहिहिही और आज सुबह उनकी सूज गयी थी हाअहहह्जा
रमन हसा तो सही लेकिन कुछ देर के लिए असमंजस मे था
रमन हस कर- लेकिन तुमको कैसे पता
रीना हस कर फिर सुबह की सारी बाते बताने लगी ।
सारी बाते सुनने के बाद उसे आश्चर्य हुआ कि इतने कम समय मे उसकी मा और बीवी के सम्बंध कैसे अच्छे हो गये
रमन को अपनी मा बाप की चुदाई भरी बाते सुन कर बहुत झिझक भी हो रही थी लेकिन वही रीना ठहाके लेके हसे जा रही थी ।
रीना हस कर - मुझे तो लगता है मम्मी जी का इतना बड़ा इसिलिए हुआ है कि पापा जी रोज ....हिहिहिही
रमन को अपनी बीवी के सामने अपनी मा के चुतडो के बारे मे सुन कर शर्म आ रही थी और वो बस मुस्कुरा रहा था ।
रमन - क्या तुम भी कुछ भी बोलती हो ,,,वो तो मम्मी का शरिर ही भारी है शुरु से ही
रीना हस के - हा तभी तो पापा जी ने चार बार ली उनकी हिहिहिहिही
रमन उसको अपनी ओर करके उसके चुतडो को मसलता हुआ - क्यू तुम्हे भी अपने चुतड वैसे ही करवाना है क्या ... लोगि चार बार उम्म्ंम
रीना अपने पति के बातो पर उसके खड़े लण्ड को उपर से मसलकर - कर पाओगे रोज चार बार उम्म्ंम
रीना के स्पर्श से रमन काफी ऊततेजित हो गया था और उसी नशे मे वो क्या बोल गया उसे खुद समझ नही आया - मै नही कर पाया तो क्या ,,,,पापा है ना वो कर देंगे
रीना अपने पति के मुह से ऐसी बाते सुन कर एक पल को सिहर गयी और अगले ही पल उसे होश आया तो हस कर उससे अलग हो कर - धत्त क्या जी आप भी ना ।
रीना के अलग होने से रमन भी होश मे आया कि अभी अभी वो क्या बोल गया लेकिन जैसा भी हुआ उससे रीना को बुरा नही लगा उसने इस बात को इन्जाय किया और बस यही रमन के जहन मे एक नये ख्वाब ने अपनी जगह बना ली
जिससे उसके तन बदन मे एक अलग ही जोश आ गया उसका सुपाडा कड़ा होने लगा । लण्ड की नसे उभरने क्गी और दिल की धडकनें तेज सी हो गयी ।
क्या है वो ख्वाब
क्या वो हकिकत मे हो भी पायेगा
जानेंगे अगले अपडेट मे ।
बहुत ही सुंदर लाजवाब और मदमस्त अपडेट है भाई मजा आ गयाUPDATE 159
बीती रात लण्ड की कसावट ने अच्छे से सोने नही दिया और मुझे पता था कि मौसी के यहा कुछ दिन तक कुछ भी नही हो सकता था, हा मै चाहता तो थोडा रुक कर रीना भाभी के रसिले जोबनो और उनकी थिरकते कूल्हो को देख कर अपना लण्ड मसल सकता था लेकिन मुझे कुछ जरुरी काम भी सौपे गये थे और उन्हे पुरा करना भी जरुरी था ।
इसिलिए सुबह के नास्ते के बाद मैने सबसे विदा लिया और अपने अगले सफ़र के लिए निकल पड़ा ।
हालाकी मंजिल मेरे घर चमनपुरा से काफी नजदीक ही थी लेकिन यहा जानीपुर से बुआ के घर जाने का अलग लम्बा रास्ता था ।
तो मौसा जी ने मुझे डिरेक्ट मीरगंज के लिए बस पकडवा दिया , चूकि सफ़र लम्बा था तो मैने कुछ स्नैक्स वगैरह भी रख लिये ।
बस का सफ़र शुरु हो गया था और मै मुस्कुराता हुआ अपने बुआ के घर के बारे मे सोचने लगा
काफी सालो बाद मै वहा जा रहा था ,
पात्र परिचय
मानसिंह - बड़े फूफा , इनका अपना इंटर कालेज है
शिला - बड़ी बुआ (पूर्व परिचित)
उम्मीद करता हू इनकी बलखाती भारी भरकम चुतडो की थिरकन को भूले नही होगे आप सब
नीलू - शिला बुआ की बेटी , दिल्ली मे रह कर पढाई करती है ।
रामसिंह - छोटे फूफा , वैसे ये और मानसिंह जुड़वा है लेकिन समाज और परिवार की नजर मे मानसिंह का जन्म इनसे कुछ मिंट पहले हुआ था । ये भी अपने भाई के साथ कालेज का मैनेजमेंट देखते हैं ।
कामिनी देवी उर्फ कम्मो - छोटी बुआ , लाजवाब जबरदस्त जिन्दाबाद ।
जिस तरह ये अपने गदराये जिस्म को साड़ी मे कस कर रखती है कालेज के हर वर्ग के लड़को की ड्रीम गर्ल बनी हुई है । जी हा ! ये कालेज मे अध्यापिका है ।
चारु - छोटी बुआ की बेटी , ये भी अपनी बड़ी बहन नीलू के साथ पढाई करती है
अरुण - छोटी बुआ का लड़का , अभी 11वी मे है ।
लेखक की जुबानी
CHAMANPURA
सुबह की शुरुवात आज कुछ खास थी क्योकि निशा कुछ ही देर बाद सोनल के यहा जाने वाली थी और वही दोनो मा बेटे ( शालिनी और राहुल ) के जज्बात उमड उमड कर बाहर आ रहे थे ।
राहुल का लण्ड तो सुबह से बैठने का नाम नही ले रहा था क्योकि आज उसकी मा ने फिर से निशा के कपडे पहन रखे थे ।
टीशर्ट और लोवर मे उसका गदराया कल जैसा ही गदर किये हुआ था और वो उसने आज भी कोई अंडरगार्मेंट्स नही लिये थे ।
हालाकी निशा को अपने कपडे छोड कर जाना पसंद नही आ रहा था लेकिन रात मे पैकिंग के टाईम शालिनी ने उससे ये कह कर उसके एक दो सेट कपडे रखवा लिये कि वो निशा के ना होने पर उसके पापा को उसकी कमी नही महसूस होने देगी और जन्गीलाल भी इनसब से बहुत उत्तेजित हुआ जा रहा था ।
खैर नासता खतम हुआ और राहुल निशा को सोनल के घर छोडने चला गया ।
इधर अनुज रोज की तरह आज भी अपनी तडप और लण्ड को अपने कच्छे मे दबाता हुआ गुमसुम अपने दुकान पर व्यस्त था ।
लेकिन निशा को छोडने के बाद राहुल बहुत खुश था और अपनी खुशी जाहिर करने के लिए अनुज के पास उसकी दुकान पर चला जाता है ।
राहुल - क्या हुआ भाई तु ऐसे उखड़ा हुआ क्यू है ?
अनुज अपने जजबात छिपा कर - भाई काफी दिन से चुदाई नही की है तो अच्छा नही लग रहा है ।
राहुल हस कर - अरे तो टेन्सन क्यू ले रहा है ,,अभी जस्ट दीदी को तेरे घर छोड कर आ रहा हू ,,अब तो शादी तक रोज मजे लेते रहना
अनुज की आंखे एक पल को चमकी लेकिन अगले ही पल वो शांत हो गया क्योकि वो जानता था उसकी सोनल दीदी के रहते कहा ये सब हो पायेगा और उपर से उसकी अपनी मा को लेके एक अलग ही कामना पनप रही थी ।
राहुल अपने खुशी जाहिर करता हुआ - भाई भाई भाई ! हिहिहिही अब मजा आयेगा ,,,अब पुरा दिन मै और मम्मी घर मे अकेले होगे और मै उनको अच्छे से समय दे पाऊन्गा
अनुज उखड़ कर - हा जैसे आंटी तुझसे सच मे ...
राहुल इधर उधर देख कर - भाई मै सच कह रहा हू ,,इधर मा कुछ बदली बदली लग रही है और उसने तो ब्रा पैंटी तक पहनना छोड़ दिया
फिर राहुल अपने मा के साथ हुए कुछ हसिन यादो को अनुज से बाटता है और जिस्से अनुज का नुनी लण्ड का आकार लेने लगता है । लेकिन उसे अभी भी यकीन नही हो रहा था कि राहुल के सब कुछ इतनी आसानी से हो जा रहा है ।
अनुज - चल चल मै नही मानता ,,,
राहुल - तो चल अभी घर मै दिखा दू कि मम्मी कैसे कपडो मे है
अनुज हिचक कर - अरे मै दुकान छोड कर कैसे जाऊ
राहुल - अच्छा ठिक है अब इधर दो चार दिन मे तुझे जब भी समय मिले मेरे घर आ जाना ,, और खुद देख लेना
अनुज अटक कर - दो चार दिन ही क्यू ?
राहुल हस कर - क्योकि उसके बाद हो सकता है वो और मै पुरा दिन बन्द कमरे मे रहे हिहिही
राहुल की इस मस्ती से अनुज चिढ़ जाता है और राहुल भी इस बात को बखूबी समझ रहा था ।
थोडी देर बाद राहुल अपने घर के लिए निकल जाता है ।
और अनुज उखड़ा हुआ दुकान पर लग जाता है । राहुल की बाते सुनने के बाते सुनकर ना ही उसका लण्ड बैठने का नाम ले रहा था और ना ही उसकी हिम्मत बन पा रही थी वो अपनी मा के लिए कुछ कदम बढा सके ।
JAANIPUR
राज के जाने के बाद सब अपने अपने कामो मे व्यस्त हो गये ।
रमन अपनी दुकान पर निकल गया था और रीना अपनी सास के कूल्हो की मालिश करने के लिए उसके कमरे मे जाती है
अपनी बहू के हाथ मे तेल की शीशी और कूलिंग पैड देख कर रज्जो मुस्कुराकर - अरे बहू मै ठिक हू अब तु क्यू परेशान हो रही है
रीना बिस्तर पर करवट लेके सोयी हुई अपनी सास को देखते हूए - हा दिख रहा है कितना आराम है सही से लेट भी नही पा रही है आप ।
रीना - चलिये अब पेट के बल लेट जाईये
रज्जो हस्ते हुए पेट के बल लेट गयी और अपनी मैक्सी को उपर खीचते हुए - आ हह बहू थोह्ह येह्ह
रीना - रुकिये मै करती हू
ये बोलकर रीना अपनी सास की मैकसी को उसके कमर तक ले जाती है ।
रीना अपनी सास के उभरे हुए भारी भरकम चुतडो की सूजन मे आई कमी को देखकर - हम्म्म देखिये आज सूजन काफी कम हो गयी है
दो चार दिन मे ऐसे ही मालिश करवालेगी तो अच्छी हो जायेगी आप
रज्जो मुस्कुरा कर - अब जो तुझे सही लगे कर ले ,,,लेकिन इन बाकी के दिनो मे रमन के पापा की हालत तो हिहिहिही
रीना तुनक कर - नही नही बिल्कुल भी नही , अपनी हालत देखीये और आपको अभी भी पापाजी की पडी है
इधर सास बहू की बाते जारी थी वही कमलनाथ राज को छोड कर अपने घर वापस आ चुका था और अपने कमरे की ओर बढ रहा था
इस बात से बेखबर की उसी बहू उसके कमरे मे मौजूद होगी
अब अपने कमरे मे जाने मे कैसी झिझक होती उसको , बिना कोई कुंडी खड़काये सीधा अन्दर घुस गये राजा जी
सामने देखा तो लण्ड आंख और मुह सब एक साथ फैल गया ,, वही रीना शर्म से पानी पानी हो गयी और लाज से अपना मुह फेर कर मुस्कुरा दी ।
होती भी क्यू ना उसके दोनो पंजे उसकी सास के चुतडो पर घूम जो रहे थे और दोनो अंगूठे उन गहरी दरारो मे अटकी हुई सुराख को मल रही थी ।
वही रज्जो अपनी बहू के हाथो से चरम पर पहुची ही थी कि उसके पति की उपस्थिति ने सारा नशा उतार दिया और वो अपने माथे पर हाथ रख कर दी
स्थिति काफी विकट हो चुकी थी
कमलनाथ को जोरो की पेसाब लगी हुई थी और वह अब चाह कर भी नही रोक पाया और बिना अपनी बहू की ओर देखे सीधा बाथरूम मे चला गया
रीना बहुत ही असहज महसुस कर रही थी और अपने ससुर को बाथरूम मे जाते देख रीना ने फौरन अपने हाथ अपनी सास के चुतडो से हटा लिये और बोली - मम्मी जी मै जाती हू
रज्जो भलीभांति समझ पा रही थी रीना की मनोस्थिति को और वो नही चाह रही थी अब घर के ही लोग आपस ने नजरे चुराते फिरे ।
इसिलिए रज्जो उसे रोकती हुई - अरे नही बहू रुक तु,,,
फिर रज्जो वैसी हुई अपनी खुली हुई गाड़ को फैलाये हुए अपने पति को आवाज दी - क्या जी आप भी ,,,आपको देख कर आना चाहिए ना
कमलनाथ बाथरूम मे अपने लण्ड को खाली कर चुका था लेकिन वो अभी भी इसिलिए रुका था कि शायद रीना कमरे से निकल जाये तो वो बाहर आए। लेकिन रज्जो की बात सुनकर वो भी मजबुर होकर बाहर आया और एक नजर रज्जो की उभरी हुई गाड़ को देखा तो उसके लण्ड की नसे फिर तेज हो गयी ।
रज्जो - अब बोलोगे भी
रज्जो - बहू जरा वो ढक दोगी
कमलनाथ सकपका जाता है जिससे रीना खिस्स से हस देती है और लपक कर एक तौलिये से अपनी सास के नंगी चुतडो को ढक देती है ।
कमलनाथ हिचक कर एक नजर रीना को देखता है और वो फौरन नजरे फेर लेती है ।
कमलनाथ - सॉरी रमन की मा वो मुझे बहुत जोर की लगी थी और मुझे नही पता था कि बहू भी यही है
कमलनाथ रीना की ओर देख कर - माफ करना बहू प्लीज
रीना समझ रही थी ये सब बस एक अटप्टा सा संयोग है और कुछ नही इसिलिए वो मुस्कुरा कर - अरे नही पापाजी कोई बात नही ,,, गलती मेरी है मुझे ही दरवाजा अच्छे से बन्द कर देना चाहिये था ,,, सॉरी
रीना - मा जी मालिश हो गयी है तो मै किचन मे जा रही हू और आपके लिए गरम पानी लाती हू
कमलनाथ - अह बहू तुम परेशान ना हो गर्म करके रखो मै लेते आऊंगा
रीना ने हा से सर हिलाते हुए कमरे से बाहर निकल कर दरवाजा भिड़काती है और अपने तेजी से धडकते दिल को शांत करते हुए हस्ती हुई किचन मे चली जाती है ।
वही कमरे मे रज्जो कमलनाथ को डांट लगा कर - क्या जी आप भी ,,,थोडा तो देख कर आते
कमलनाथ अपने लण्ड को सेट करता हुआ - अब मुझे क्या पता था कि तुम बहू से अपने इन मखमली चुतडो को मसलवा रही थी
रज्जो थोडा झेप जाती है और मुस्कुरा कर - धत्त क्या जी आप भी ,,,,वो मालिश कर रही थी और उस्से मुझे बहुत आराम मिला है
कमलनाथ अपनी बीवी के पास जाकर तौलिया उठाकर उसके चुतडो को नंगा करता हुआ - हा तभी ये चमक रही है ,,,,आह्ह्ह जानू एक बार चूम लू
रज्जो - नही!! मुझे पता है आप वही तक नही रुकेन्गे
कमलनाथ याचिका के भाव मे - प्लीज ना जानू बस एक बार
रज्जो ना चाह कर भी हस कर इजाजत दे देती है और कमलनाथ थोडा पीछे जाकर रज्जो के चुतडो को फैलाकर एक बार उसके सुराख के पास मे चुंबन करता है और रज्जो सिहर जाती है
वही कमलनाथ को मह्सूस होता है कि रज्जो की चुत तो पहले से ही बह रही है तो वो चेक करने के लिए एक ऊँगली को उसकी जांघो के बिच से चुत के किनारो पर ले जाता हुआ - अरे जानू ये कैसे ?
रज्जो शर्मा कर - वो बहू जिस तरह से मेरे पीछे के सुराख को छेड़ती है कि मेरा ....
कमलनाथ लालची होता हुआ - ओह्ह जान अब निकल गया है तो अच्छे से चाट लेने दो ना
रज्जो भी यही चाह रही थी और वो अपने घुटने आगे घसीटे हुए घोडी बन गयी और कमलनाथ की आंखे चमक उठी ।
कमलनाथ ने फौरन अपनी बीवी के रसभरे भोसड़े मे मुह दे दिया और लपालप जीभ से चाटता हुआ सारा माल साफ कर दिया और रज्जो एक गहरी सास लेते हुए मुस्कुराने लगी ।
वही कमलनाथ का लण्ड अब फैलादी हुआ जा रहा था और उसे चुदाई की चसक बढ रही थी
कमलनाथ - जानू अगर तुम कहो तो मै
रज्जो सचत होकर फौरन करवत हो लेती है - नही !! बिल्कुल भी नही
कमलनाथ अपने लण्ड को बाहर निकालकर - तो इसका क्या करू देखो ना शांत ही नही हो रहा है ।
रज्जो मुस्कुरा कर लपकते हुर अपने पति के लण्ड को थाम लेती है - अच्छा लाओ देखू तो
ये बोल कर वो लण्ड सीधा अपने मुह मे भर लेती है और कमलनाथ की नसे फड़कने लगति है ।
वो हवाओ मे उड़ने लगता है और उसके हाथ रज्जो के सर को पकड लेते है ।
अब वो खुद भी हल्का हलका उसके मुहमे ही पेले जा रहा था
अपना लण्ड निकाल कर रज्जो के होठो पर रगड़ कर
उसके गालो पर पटक रह था
दरवाजा खुलने की फिर से आवाज हुई दोनो चौके क्योकि सामने रीना गर्म पानी लेके आई थी ।
जारि रहेगी
बहुत ही गरमागरम कामुक और मदमस्त अपडेट है भाई मजा आ गयाUPDATE 160
बस का सफ़र शुरु हुए एक घन्टा बीत चुका था और मैने पापा को फोन करके सूचना दे दी कि मै जानीपुर से ही बुआ के घर के लिए निकल गया हू ।
स्टाप दर स्टाप पर सवारियो की आवा जाहि लगी रही ,, सफर के कुछ गिने चुने लोग थे जो शायद मेरे साथ बुआ के टाउन तक जाने की पूरी टिकट कराये हुए थे ।
कितने हसिन चेहरे और उनके मादक कुल्हो को मैने बस के गलियारे मे आना जाना करते देखा ,,,लेकिन मेरी नजरे सामने दो सीट आगे बैठी एक महिला पर बार बार रुक रही थी ।
उसकी कदकाठी काफी ठिक थी और उसने सल्वार कमीज पहन रखा था । शायद वो अपने एक बुजुर्ग के साथ मेरे ही तय मंजिल तक जाने का इरादा लिये बस पर चढ़ी थी ।
चेहरे पर कोई पर्दा नही होने से मुझे लगने लगा था कि ये जरुर बाप बेटी ही होगे और कुछ समय मे मेरा अंदाजा सही हुआ क्योकि उस खातुन की एक छोटी बेटी ने उस बुजुर्ग को नानू बोला ।
मेरी नजरे उसपे तबसे थी जबसे मै बस मे चढा था और उसके कूल्हो ने दो सीट की जगह ले रखी थी । चुचे तो दुपट्टे को भी बेपर्दा किये हुए साफ साफ झलक रहे थे ।
उसकी बेटी उन बुढऊ के गोदी मे बैठी थी ।
इस घन्टे भर के सफ़र के दौरान मेरी चाह थी कि काश मेरी सीट की अदला-बदली हो जाती और मै उसके साथ हो पाता ।
लण्ड के भी अपने अरमान उभर रहे थे ।
करीब आधे घंटे बाद एक बड़ा बस स्टाप आया । चुकि दोपहर का वक़्त हो चला था तो बस conductor और ड्राईवर ने बस खड़ी कर दी और सबको खाने पीने के लिए बोल दिया ।
शायद ये उनका रोज का खाने का जगह था जैसा कि आम सरकारी बस मे होता है वो दोपहर मे कही ना कही किसी बस स्टाप पर आधे घंटे के लिए रुकते ही है ।
बस रुकते ही सारे यात्री तेजी से उतरने लगे और कुछ नये यात्री भी चढ़ रहे थे ।
इसी कस्सीकस्सा ने गलियारे मे एक दो महिलाए भी दबी हुई थी ।
मै साफ साफ देखा दो आदमियो को उन औरतो के कुल्हे के बीच के उंगलियाँ करते और वो औरते भी गुस्से में पलट कर देखी लेकिन वो दोनो आदमी बड़ी बेशरमी से दान्त दिखा कर हस दिये और बोले - अरे भाई धक्का ना दो ,,, कही किसी के कुछ चुभ गया तो
वो दोनो औरते बेबस अपने गुस्से को पी गयी और करती भी क्या ही बेचारी ,,जो स्थिति थी बस मे ।
इस भीड़ मे भी मेरी नजरे उस खातुन पर जमी हुई थी कि वो निचे उतरी क्या ?
लेकिन वो बैठी हुई थी और उसके चेहरे पर बेचैनी के भाव थे । शायद वो भी निचे उतरना चाह रही थी ,,,लेकिन इन मर्दो की भीड़ मे वो भी पीस ही जाती और जो कोई भी उसके करीब होता उससे दुरी तो बिल्कुल भी नही बनाता ।
तभी उसकी नन्ही बेटी ने फिर से कुछ कहा तो वो खातुन बोली - हा बेटा चल रही हू ,,,सबको उतर तो जाने दे
तबतक वो दोनो आदमी भी उस खातुन के पास पहुच गये थे और उन्होने नजरें गड़ा कर उस खातुन के भड़कीले जिस्मो को तबतक निहारा जब तक पीछे के लोग के आगे बढने को नही बोला ।
हालाँकि ये मजह कुछ पलो की बात थी लेकिन वो खातुन थोडी शर्मिंदा थी क्योकि उन आदमियो की वजह से अब जितने भी लोग आगे बढ रहे थे वो सब उस खातुन को एक नजर निहार कर ही जा रहे थे और सबकी निगाहे चमक उठती थी यहा तक कि महिलाओ की भी ।
पुरा बस खाली हुआ और मै अभी भी बैठा रहा ।
फिर वो खातुन खड़ी हुई और जिसके भारी बदन को देख कर मेरी आंखे फैल गयी , गले मे थुक भरने लगा और लण्ड उसका हाल ही ना पुछो ।
उस खातुन ने पूरी बस का मुआयना किया और एक पल को हमारी नजरे टकराई तो मैने खुद से ही नजरे निची कर ली ।
फिर वो खातुन अपने बाप से कुछ बोल्कर सीट से बाहर निकाली और मुझे उसके सूट मे फैले हुए चुतड दिखे ।
अब तक के अनुभव मे मैने इतना बड़ा कुल्हा मेरे मुहल्ले की वो रुबीना काकी का देखा था । लेकिन उसके मुकाबले ये खातुन काफी जवाँ थी ,,महज 35 साल ही उम्र होगी और 50 इन्च मे फैली हुई गाड़ ने जब पहली थिरकन ली तो मेरे लण्ड की नसे फड़क उठी ।
वो उतर कर निचे गयी तो मैने खिड़की से बाहर झाका तो पाया कि साला ये जगह तो काफी खस्ता हालत मे है ।
ना कोई शौचालय ना कुछ खास खाने पीने की जगह ।
बस स्टैंड के परिसर मे ही एक ओर जहा की फर्श टूट चुकी थी ,,सारे मर्द जन खडे होकर मुते जा रहे थे और एक ही नल था जिससे पानी लेने वाले खडे थे । एक बार जिसने हैंडल पकड लिया समझो 50 हैंडल बाद ही कही अपना बॉटल भर पायेगा ।
वही एक तरफ झुग्गी टाइप क एक ढाबा था । वहा भी लोग टुट पड़े थे ।
परिसर मे एक दो बसे और रुकी हुई थी इसिलिए भीड़ कुछ ज्यादा थी ।
वही जहा से वो खातुन गुजर रही थी सारे लोग उसके भड़कीले जिस्म को निहार रहे थे ।
यहा कोई था ही कि किसी को रोके कि क्यू उसे देख रहे हो ,,,सब चोर नजरो से उसके मादक कूल्हो की थिरकन को देख कर आहे भर रहे थे ।
कुछ औरते तो उसके जिस्म पर चर्चाये भी छेड़ चुकी थी ।
मैने देखा कि वो खातुन काफी समय से इधर उधर भटक रही है और उसकी बेटी पैर पटक कर जिद कर रही थी
मै समझ गया कि शायद उसको अपनी बेटी के लिये शौचालय की तालाश थी
मैने देखा सब कोई अपने मे मस्त था और किसी ने उसकी सुध नही ली ,,,और ना ही वो किसी से मदद के लिए पुछ पा रही थी । जिस तरफ वो जाती सब पलके झपकाये बिना उसके गदराये जोबनो की निहारते थे ।
वही वो दोनो आदमी जिन्होने बस मे बदतमिजी की थी ,,,वो एक पान की दुकान पर खडे होकर उस खातुन को ही ताडे जा रहे थे ।
मुझसे रहा नही गया और मै उतर कर निचे आया और फिर मै बस स्टाप के बाहर आया तो देखा एक बडी सी बिल्डिंग यहा से 20 मिटर की दुरी पर है और उधर ही कुछ औरते पेसाब के लिये गयी थी ।
मैने हिम्मत किया और उस खातुन की ओर गया ।
उसने भी मुझे अपनी आता देखकर थोडा सहमी और दुसरी ओर मुड़ी थी
मै - भाभी जी सुनिये
जैसे ही मैने उस खातुन को भाभी जी बोला वो हस दी
खातुन मुस्कुरा कर - हा बोलो ,,मै तुम्हे भाभी दिखती हू क्या
मै मुस्कुरा कर - सॉरी मुझे नही पता कि मै आपको क्या कह कर बुलाऊ
मै - वो मै बस मे था और देखा कि आप काफी समय से परेशान है और इधर उधर भटक रही है
वो खातुन थोडा असहज हुई और इधर उधर देखने लगी तो मै समझ गया कि वो सामने से नही बोलेगी
मै धीमी आवाज मे - अगर आप वाशरूम खोज रही है तो ये बससटाप के बाहर एक बिल्डिंग है कुछ लेडिज लोग उधर गयी थी ।
वो खातुन समझ गयी और मुस्कुरा कर बोली - किस तरफ
मैने उसे बससटाप के एक तरफ इशारा किया और फिर खुद चाय पीने के लिए बस सटाप के बाहर निकल गया उसी झुग्गी मे ।
वो खातुन भी बाहर निकली और एक नजर मुझे देखा और फिर उस बिल्डिंग की ओर चल दी ।
मै उसे सड़क पर से देखे जा रहा था उसके गदराये चुतड़ बहुत ही जबरजस्त तरीके के हिचकोले खा रहे थे ।
करीब 20 मीटर जाने के बाद वो खातुन उस बिल्डिंग के पास खड़ी हो गयी , शायद उसे पता नही था कि औरते किधर गयी थी ।
वो फिर से मेरी देखने लगी और मै समझ गया कि मुझे वहा जाना ही पडेगा ।
मै चल कर उधर आगे गया और पान के स्टाल पर खड़े उन दोनो आदमियो ने मुझे देखा भी लेकिन मैने उन्हे नजरअन्दाज किया।
मै - क्या हुआ
खातुन - यहा तो कोई नही है
मै थोडा मुस्कुरा कर - वो आपको इस बिल्डिंग के पीछे की ओर जाना पडेगा ।
खातुन - अच्छा तो क्या आप जरा मेरी बेटी को थोड़ी देर के लिए देखेंगे ,,मै जरा
मै चौका - क्या ? म म मेरा मतलब आपको जाना है , मुझे लगा इस गुड़िया को जाना है इसिलिए जिद कर रही है
वो खातुन थोडा शर्म से लाल होकर मुस्कुरा कर - अरे इसको चॉकलेट चाहिये , अच्छा तो क्या वहा मै नही जा सकती क्या मतलब
मै थोडा असहज होकर मुस्कुरा कर - अरे नही नही जाईए ना ,,मै हू इसके साथ
खातुन - बेटा अंकल के साथ रहो मै अभी आ रही हू ना
वो छोटी लड़की जिद करने लगी कि वो भी उसके साथ जायेगी ,,,
आखिरकार वो खातुन अपने बेटी की जिद पर हार गयी और उसे लेके बिल्डिंग के बगल के पहुच गयी ।
खातुन - बस बेटा यही रहो मै सुसु करके आती हू ,, बस यही बगल मे हू ,,अंकल के साथ रहो ना
इससे पहले वो बच्ची अपना जिद स्टार्ट करती कि वो खातुन तेज कदमो से चल कर करीब 5 6 मिटर आगे से बिल्डिंग के पीछे चली गयी ।
मै उस छोटी बच्ची का हाथ पकड कर उसका नाम घर पुछने लगा ,,, वो लगातार हाथ छुड़ाने की कोसिस कर रही थी लेकिन मै उसको पकडे हुए खड़ा था
इतने मे मेरे फोन की घंटी बजी और मै उसे उठाने के लिए उसका हाथ छोड कर जेब से मोबाइल निकालने को हुआ कि वो सरपट बिल्डिंग के पीछे की ओर भागी और मै उसको पकडने के लिए उसको आवाज देता हुआ लपका
मै - अरे बेटा रुको !!!
लेकिन तबतक देर हो चुकी थी
मै भी बिल्डिंग के पीछे आ चुका था और सामने वो खातुन अपना लेग्गिंग्स को खोले अपनी बडी सी चुतड को फैलाये मुत रही थी
और जैसे ही उसे हमारे आने की भनक हुई वो गरदन घुमा कर हमारी ओर देख - हाय अल्लाह !!
मेरी नजरे एक बार उसपे गयी और फिर एक बार मैने उसके गुदाज नरम गोरी चिकनी गाड़ को देखा ,,,उसके हल्के भूरे सुराख को देखकर साफ लग रहा था कि कोई बहुत तबियत से उन छेदो मे अपना मुसल भरता होगा ।
अगले ही पल मैने नजरे फेर ली और उस बच्ची को गोद मे पकड कर अपनी जगह पर वापस आ गया ,,,वो बच्ची मुझे दौडा कर खुश थी और थोडी देर मै उसकी खुशी मे शामिल हुआ
तभी वो खातुन मेरी ओर आती दिखी ,,,मैने उसकी बेटी को निचे उतारा और नजरे नीची करके - सॉरी वो आपकी बेटी भागने लगी थी तो
वो खातुन भी शर्म से लाल थी और मेरी नियत देख कर मुस्कुरा कर - कोई बात नही हो जता है ,,,तुम अच्छे लडके लगते हो । कहा घर है तुम्हारा
फिर बस सटाप तक आते आते मैने अपना घर और बस के सफ़र की वजह बतायी ।
उसने मेरी बहन की शादी के लिए बधाई दी और बताया कि वो यहा अपने अब्बू के इलाज के लिए आई थी अब वापस घर जाना है ।
फिर मैने उस बच्ची को चॉकलेट दिलाने के लिए उसी पान वाले स्टाल पर गया । जहा वो दोनो हरामी अभी भी खडे थे ,
मैने उस बच्ची को चॉकलेट दिलाया और खुद के लिए एक दो स्नैक्स के पैकेट ले लिये ।
फिर हम बस की ओर जाने को हुए ही थे कि पीछे से उन दोनो मे से एक ने कमेंट किया
आदमी 1 - यार कोई हमसे मदद माग लेता ,, मेरी नजर मे भी एक मस्त पेसाबघर था
आदमी 2 - हा यार वहा तो कोई चाह कर भी कुछ देख नही पाता
मै समझ गया कि वो साले मेरा ही मजा ले रहे है । मैने एक नजर उस खातुन को देखा तो वो चुप थी ।
खातुन - जाने दो बाबू इनकी बाते ध्यान ना दो ,, बहुत दुष्ट है ये सब ,,अभी बस मे थोडी देर पहले ही
मै उसकी बात काटकर - हा देखा था मैने भी , चलिये अन्दर चलते है ।
फिर मै मेरी सीट पर आ गया और कुछ ही देर मे बस का सफ़र फिर शुरु हो गया ।
लेखक की जुबानी
CHAMANPURA
राहुल अपने घर आ चुका था और शालिनी दोपहर के खाने की तैयारी मे जुटी हुई थी ।
राहुल आते ही अपने कमरे मे गया और वहा से एक रेजर और सिर्फ एक तौलिया लेके उपर छत पर नहाने के लिए निकल गया ।
बाथरूम मे जाकर राहुल ने अच्छे से अपने लण्ड के बालो को साफ किया और बाथरूम को वैसा ही छोड दिया ताकी जब भी उसकी मा आये तो उसको भनक लगे कि राहुल ने अपने झाट के बाल बनाये है ।
फिर वो अपना लण्ड ख्दा करके तौलिया लपेटे हुए सीढ़ी से निचे आता है और एक नजर किचन मे देखता है कि उसकी मा खाना बनाने मे व्यस्त है
अपनी मा के गाड को लोवर मे कसा हुआ देख कर वो अपने तौलिये के उपर से ही अपना मुसल मसल देता है और फिर अपने कमरे मे चला जाता है ।
फिर वो तैयार होकर किचन मे आता है और अपनी मा के पास सट कर खड़ा होता है ।
राहुल - तो बताओ मम्मी मुझे क्या करना है
शालिनी मुस्कुरा कर - तुझे क्या हुआ ,,,जो काम करने का मन कर रहा है
राहुल - अरे अब कुछ दिनो के लिए दीदी नही है तो मैने सोचा क्यू ना मै आपकी मदद करू
शालिनी हस कर - अच्छा ऐसी बात है तो चल ये सारे नास्ते वाले बर्तन धुल दे
राहुल का मन थोडा उखड़ा जरुर लेकिन मा के करीब जाने के लिए उसे जो करना पडे सब करना ही था ।
इधर वो बरतन धुल रहा था और शालिनी बखूबी उसकी चालाकिया समझ रही थी ।
और वो राहुल के बोलने का इन्तजार कर रही थी ।
राहुल - अरे मम्मी दीदी अपने कपडे नही लेके गयी क्या ,,,आपने उसके कपडे पहने है और छत पर नही सुखने के लिए कपडे डाले है
शालिनी समझ गयी कि अब खेल शुरु हो चुका है - हा वो मैने उसके एक दो सेट कपड़े ले लिये ,,, इसमे मुझे बहुत आराम मिलता है
राहुल हस कर - मै तो कहता ही हू की आप ऐसे ही कपडे पहनो , अच्छा दीदी का स्कर्ट ट्राई किया आपने
शालिनी सोच कर - नही !! शायद वो लेके भी नही गयी है
राहुल की आंखे चमक उठी और वो गीले हाथो से ही अपना लण्ड सेट करके फिर से बरतन धुलने लगा - तो ट्राई करो ना मम्मी अच्छा लगेगा वो भी आप और वो नाइटी तो जरुर पहनना आप प्लीज
शालिनी हस कर खुले लहजे मे - धत्त पागल देखी भी है वो नाइटी,,, छिनी सी है औ उसमे मेरा पुरा पिछवाडा दिखेगा
राहुल को उम्मीद भी नही थी कि उसकी मा ऐसे शब्द भी यूज़ करेगी । जिसने उसके लण्ड मे और कसावट भर दी
राहुल थोडा शरमाता हुआ - क्या मम्मी आप भी ,,, इतना भी छोटा नही है ।
शालिनी - नही नही बाबा रहने दे मुझे नही ट्राई करना उसे ,,,कही तेरे पापा की नजर पड़ गयी तो ...
राहुल जिज्ञासु होकर - तो क्या हुआ पापा देख लेंगे तो
शालिनी अब मुस्कुराने लगी और इतराते हुए - अरे तु नही समझेगा , तेरे पापा बहुत वो है
राहुल - वो है ! मतलब
शालिनी हस कर - अब बंद कमरे मे वो क्या क्या करते हैं मै सब नही ना बता सकती तुझे ,,,,
राहुल सब समझ रहा था कि इन कपडो मे उसकी मा को देख कर किसी के अरमान जाग जायेंगे और वो हैवानो के जैसे चोदेगा तो उसका बाप कहा पीछे रहने वाला था ।
राहुल हस कर - हिहिहिही अच्छा समझ गया
शालिनी उसकी ओर घूम कर अपनी कमर पर हाथ रखते हुए - क्या समझ गया तु,,, तुझे पता है क्या होता है उम्म्ं
राहुल हस कर - क्या मा मै इतना भी छोटा नही हू अब ,,,
शालिनी हस कर - तु भी तेरे पापा से कम नही है ,,,बदमाश कही का ।
राहुल - हिहिही तो क्या पापा अभी भी शरारत करते है
शालिनी - हा तो ,,, ये बस बाहर ही बडे शरीफ है नही तो रात मे कमरे मे तो पुछो ही मत
राहुल चहक कर -हिहिही बताओ ना मम्मी क्या करते है पापा
शालिनी शर्मा कर - धत्त बदमाश ,,, तु जा मुझे काम करने दे
राहुल जिद करते हुए अपनी मा के पीछे आ गया और उसके बाजू पकड कर अपना लण्ड का नुकीला भाग सीधा अपनी मा के गुदाज गाड की दरारो मे चुभोता हुआ - मम्मी प्लीज बताओ ना
शालिनी अपने बेटे के लण्ड के स्पर्श से गनगना गयी उसे लगा कि
जैसे राहुल ने अपना लण्ड बाहर निकाल कर उसके गाड़ मे घुसा दिया हो वो सिस्क कर हस्ते हुए - उम्मममं आआह हट पागल कही का ,,जा अपने पापा से पुछ हा नही तो
राहुल - तो पक्का आप नही बताओ
शालिनी उसे छेड़ते हुए - ऊन्हु ,,,
राहुल - तो मै रात मे छिप कर देख लूंगा हिहिहिही
ये बोल कर राहुल दुकान मे भाग गया और शालिनी उसको आवाज तो दी फिर खुद हसने लगी
शालिनी मन मे - ये तो बड़ा चालू निकला ,,,मेरे कमरे मे ताका झाकी करेगा उम्म्ंम
फिर शालिनी ने राहुल को परेशान करने का कुछ प्लान बनाया और अपने काम मे लग गयी ।
JAANIPUR
कमरे की स्थिति बहुत ही असहज हो गयी थी
रीना की निगाहे
अपने ससुर से मोटे काले लण्ड पर जमी थी जिसकी फूली हुई नसे उसको और भी फौलादी किये जा रही थी । सुपाड़े का कालापन साफ बता रहा था कि वो बहुत बार चुदाई कर चुका था और उसपे लसराई हुई रज्जो की थुक से वो चमक रहा था ।
कमलनाथ के हाथ मे अब भी रज्जो के बाल थे और रज्जो के मुह पर जहा जहा उसने अपना गीला लण्ड रगड़ा था वो सब थुक से लसराय हुआ था ।
रज्जो के चेहरे की हालत और अपने ससुर के विकराल लण्ड को देख कर रीना का कलेजा धकधक होने लगा ,,, वो आंखे फाडे निहार रही थी
कुछ पलो के संयोग मे सब कुछ थम सा गया था कि तभी रीना के साथ से वो ट्रे कब सरक कर फरस पर गिरा और पानी की गिलास तेज छनछनाहट ने सबको जड़ से होश मे लाया
कमलनाथ ने लपक कर तकिया लेके अपना लिंग ढक किया , रज्जो भी फटाफट से अपने मुह को पोछने लगी और मैक्सि ठिक करते हुए तौलिया अपने पति को दिया ।
इस दौरान रीना ने बडी ही शर्मीन्दगी से मुह फेर लिया था और नजरे झुकाये निचे बैठ कर फर्श से गिलास और ट्रे उठाया ।
फिर निचे ही नजरे दौडा कर पानी साफ करने के लिए कुछ कपडा ढ़ूंढ़ने लगी
रज्जो - अह बहू रहने दो अभी मै वो साफ कर लूंगी ,, तुम जाओ
रीना बिना कुछ बोले नजरे झुकाये कमरे के बाहर चली गयी और बाहर आते ही उसने अपनी तेज धडकती सासो को बराबर किया - हे भगवान आज क्या हो रहा है मेरे साथ ,,, ना जाने क्या होगा अब ।
रीना - पापा जी के सामने मै फिर कैसे जाऊंगी ,,, मुझे एक बार दरवाजा नॉक कर लेना चाहिये था
रीना अपने ही ख्यालो मे बड़ब्डाती किचन मे चली गयी और वही कमरे मे दोनो मिया बीवी की बाते शुरु हो गयी ।
कमलनाथ अपना पाजामा पहनते हुए- रज्जो मेरे ख्याल से हमे बहू से बात करनी चाहिए
रज्जो - हा जी ,,, पहले वाला तो चलो ठिक था लेकिन अब ये । अभी नयी नयी आई है और उसके विचार हम लोगो के लिए बदल जायेन्गे तो ठिक नही होगा ।
मै बात करती हू उससे आप यही आराम करिये ।
फिर रज्जो कमरे से निकल कर निचे किचन मे चली जाती है ,,, जहा रीना सब्जी काटते हुए बार बार अपने ससुर के मोटे काले लण्ड के बारे मे सोच रही थी ।
रीना मन मे - उफ्फ़ पापा जी का कितना डरावना था ,,, ऐसे हथियार से चार लेने पर मा जी क्या किसी हाथी का भी सूज जायेगा , और कही ये मेरे मे घुसा तो अह्ह्ह नही नही ,,मै नही ले पाऊंगी इतना मोटा ,,, रमन का ही बहुत मुशकिल से झेल पाती हू
रीना अपने ख्यालो मे खोई हुई थी कि रज्जो किचन मे आती है ।
रज्जो - क्या बना रही हो बहू आज दोपहर के लिये
रीना नजरे चराते हुए - मा जी दाल चढा दिया है मैने और ये सब्जिया काट रही हू
रज्जो उसके बगल मे खड़े होकर - अह देखो बहू उपर कमरे मे जो हुआ उसके लिए हमे माफ करना ,,, तुम तो जानती ही हो कि रमन के पापा कितने उतावले रहते है
रीना शर्म से लाल होती हुई - अरे मा जी गलती तो मेरी है ,,,मै वो हाथ मे ट्रे पकडे हुए थी तो खटखटाने के बजाय कोहनी से धक्का दे दिया
रज्जो चिढ़ कर - हा जो भी हुआ हो ,,,लेकिन अगर रमन के पापा उतावले नही होते तो ये सब नही होता ना
रीना अपनी सास की बात सुन कर मन मे - खुद गपागप उनका मुसल घोट रही थी और उनको बोल रही थी हिहिही
रीना की खिस्स्खिसाह्त भरी हसी रज्जो ने सुन ली और वो मुस्कुरा कर - हा मतलब मै भी थी , अब इतना मोटा मुसल देख कर किसका जी नही ललचाएगा
रीना हस कर - धत्त मा जी आप भी ना ,,मै ऐसा कुछ नही सोच रही थी ।
रज्जो - लेकिन मै अपनी गलती तो मान सकती हू ना
रीना बस मुस्कुरा कर एक नजर अपनी सास को देखा और खाना बनाने मे लग गयी ।
जारी रहेगी