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12 number waitingआभार पट्टीका
एक खुबसूरत इवेंट का अन्त हो चुका है ।
आखिरी अपडेट 126 पोस्ट कर दिया गया है ।
1. रज्जो और कमलनाथ(पति) का समागम
मुझे नही पता आप पाठको ने इस CHODAMPUR SPECIAL UPDATES के इवेंट को किस तरीके से देखा । मगर मेरी नजर मे मेरी कहानी के ये उत्तम विशिष्ट परिकल्पनाओ का बहुत ही सुन्दर रचना थी । इस इवेंट ने मेरे लेखन मे अभूतपूर्व सुधार किये और बहुत ही चंचल और रसप्रद कलपनाओ ने मुझे व्यकितगत तौर पर बहुत ही मनोरंजित किया ।
इसके लिए हमारे TharkiPo भाई साहब का बहुत बहुत शुक्रिया और आभार कि उन्होने इतने कामुक और मजेदार किरदारो से हमे रुबरू करवाया ।
इवेंट की झलकियां
आईये इस इवेंट की उन खास झलकियों पर एक नजर डालें जो आप लोगो मे से कुछ ने अगर स्किप किया हो तो उनकी रिकवरी हो जाये आगे कि कहानी के लिए ।
2. रज्जो और राजन ( नंदोई ) के साथ समागम
3. रज्जो का कमलनाथ और राजन के साथ मिलन
4. कमलनाथ और ममता (बहन) के साथ मिलन
5. कमलनाथ का ममता (बहन) और रज्जो (बीवी) के साथ मिलन
6 अनुज का पारिवारिक सम्बन्ध के बारे मे जानना (IMP)
7. अनुज का पहला सेक्स पल्लवि के साथ (IMP)
8. राज का चमनपुरा मे काजल भाभी से नजदीकिया बढना (IMP)
9. चमनपुरा मे राज के पापा और शाकुंतला का मिलन (IMP)
10. कहानी मे रीना भाभी की एन्ट्री जो कि एक गाव की देसी लड़की है (IMP)
11. राज का रीना भाभी से मस्ती मजाक (IMP)
12. राज का बाप बेटी के सम्भोग को लेके विचार आना (IMP)
धन्यवाद
Awesome update tha dost... waiting more...UPDATE 127
पिछले अपडेट मे आप सभी जानते हैं कि चोदमपूर से आये मेहमान अपने वतन वापस लौट गये और अपना राज भी कुछ नये सपनो को हकीकत में बदलने की आस लिये निकल पड़ा है वापस अपने घर की ओर ।
अब आगे
शाम को करीब चार बजे तक हम लोग अपने घर चमनपुरा आ गये थे ।
रास्ते मे ही मैने पापा को फोन कर दिया था कि हम लोग आ रहे है तो उन्होंने दुकान के एक नौकर से चौराहे वाले घर की चाबी भिजवा दी थी ।
हमने सारा समान निकाला और हाल मे बैठ गये ।
इधर सोनल किचन मे पानी लेने के लिए गयी तो उसने चूल्हे पर रखे कुकर और एक दो बरतन को चेक किया और फिर बाहर आई ।
सोनल - मा , पापा को खाना बनाना आता है ?
मा - नही तो , वो कब से बनाने लगे
सोनल - अरे किचन मे सब बना हुआ रखा गया है । दाल रोटी सब्जी चावल सब
मा चौकी - सच मे
फिर मा ने किचन की तफ्तीश की और सोनल की बात सही निकली ।
मा ने फिर सब्जी टेस्ट की और मुस्कुरा कर बोली - धत्त ये तेरे पापा बना ही नही सकते , इतनी अच्छी सब्जी । शायद शकुन्तला दिदी बना के गयी हो ।
फिर मा कुछ सोचते हू हाल मे आई । हमने थोडा गला तर किया और फिर सोनल , अनुज उपर अपने कमरे मे चले गये ।
मै मेरे कमरे मे और मा अपने । मैने अपना कपड़ा बदल कर टीशर्ट लोवर मे हुआ और सीधा मा के कमरे मे घुस गया ।
मा इस समय ब्लाउज पेतिकोट मे थी और अभी अभी बाथरूम से फ्रेश होकर आई थी ।
मै मुस्कुरा कर - मा ,,आपने तो कहा था कि पापा को शकुन्तला ताई खाना देके जायेगी तो वो यहा क्यू खाना बनाने लगी । एक बार अपने घर फिर एक बार यहा
मा कुछ सोचते हुए - हा वही मै भी सोच रही हू , वो तो तेरे पापा ही बतायेंगे
मै हस कर पीछे से मा को पकडता हुआ - कही पापा ने ताई को हिहिहिहिह
मा मुस्कुरा कर - हट बदमाश , हलुवा है क्या कि सब तेरे पापा को मिल जायेगा ।
मै - क्यू ,पहले मौसी फिर बुआ हिहिही तो ये कौन सी बडी बात है
मा तुनकते हुए - हुउउह बड़ा मिल जाती इनको तेरी मौसी और बुआ । बिना मेरे कुछ किये
मै हस कर - अरे तो मेरे लिए भी कुछ करो न मा । आप तो मेरे लिए कुछ करती ही नही... हिहिहिही
मा - अच्छा मै तेरे लिए कुछ नही करती हम्म्म्म , तेरी मौसी और फिर मै खुद तेरे साथ हो गयी और तू बोल रहा है कि कुछ करती नही हम्म्म्म
मै - अरे मेरे कहने का मतलब है कि जैसे आपने पापा को बुआ से .... हिहिही तो....मेरा और सोनल दिदी का .... हिहिहिही
मा चौकी और गुस्सा होकर - तू पागल है क्या ? तू नही जानता तेरी सोनल दीदी कैसी है । तेरे पापा की बहनो की तरह रन्डी नही है कि पुरे खानदान से चुदवाते फिरे हुउउह्ह्ह
मै हसता हुआ मा को पीछे से पकड कर - अरे मा आप तो नाराज हो गयी । सॉरी ना उम्म्म्म्माआआह्ह्ह्ह अच्छा सोनल दीदी को छोडो ये बताओ क्या सच मे बुआ अपने घर मे सबसे मतलब हिहिहिही
मा मेरे चुंबन से थोडी बहल गयी और मुस्कुरा कर - धत्त नही रे , वो तो गुस्से मे निकल गया । हा लेकिन तेरे पापा को मत बताना कि तेरी दोनो बुआ ने दो दो शादिया की है । समझा
मै असमंजस मे आ गया कि ये बात मा को भी पता है और एक बार शिला बुआ ने भी कहा था कि वो अपने दोनो पतियो से चुदती है ,,आखिर ये दो शादियो का चक्कर क्या है ।
मै उलझा हुआ - मै समझा नही मा ,,,दो दो शादी मतलब ???
मा हस कर मेरे हाथो से खुद को आजाद करते हुए - तु क्या करेगा जान कर हम्म्म
मै - बस ऐसे ही आपने बोला तो
मा - नही रहने दे तुझे वो सब जानने की जरुरत नही है और खबरदार इसकी चर्चा पापा से किया तो ।
मै चुप रहा और मा दुसरी साडी पहनने लगी ।
इधर मै विचारो के खो गया
कि मा सोनल को लेके बहुत पोजेसिव है , वो मुझे क्या पापा को भी इस सन्दर्भ मे कोई बात नही करने देगी । शायद तभी पापा ने सोनल दीदी को लेके कोई कदम नही उठाया । अच्छा हुआ मैने मेरे और सोनल दीदी के रिश्ते का जिक्र मा से नही किया .... पता नही क्या काण्ड हो जाता क्योकि मा का सोनल दीदी के लिए अलग ही नजरिया है । वो तो उसे अब तक बहुत ही संस्कारित और साफ ही समझती देखती आई है तो वो उसपर कोई लान्छ्न नही देखना पसंद करेगी ।
थोडी देर बाद मै निकल गया मार्केट की ओर क्योकि मुझे चंदू से मिलना था और शाम का समय भी हो गया था ।
मै उससे मिला और थोडा बाजार के चक्कर लगाये फिर चौराहे वाले घर आ गया
रात मे पापा दुकान से आये तो घर मे काफी चहल पहल थी और हमने काफी देर तक बाते की ।
फिर रात मे सोनल और अनुज जब उपर चले गये तो मै पापा के कमरे मे गया ।
पुरे दो राउंड मैने और पापा ने मिलकर मा को चोदा और फिर हम लेटे हुए थे ।
मेरे जहन मे कुछ बाते घूम रही थी और वो मुझे काफी परेशान करने लगी थी ।
एक तो ये कि बुआ की दो शादी कैसे हुई होगी और पापा को इसकी जानकारी नही है ।
फिर पापा ने इतने दिनो तक अपना समय कैसे काटा जबकि उन्हे बिना चुदाई किये नीद नही आती है ।
आखिरि ये कि पापा से कैसे सोनल दीदी को लेके बात करू ??
मुझे चुप देख कर पापा बोले - अरे बेटा क्या सोच रहा है ?
मै मुस्कुरा कर - कुछ नही पापा ,,,बस यही कि ये चार दिन आपने कैसे काटे हिहिहिही
पापा हस कर - अरे जाने दे बेटा,, बस किसी तरह कटा है ये दिन
मा इतरा कर - अच्छा जी ,,मुझे तो नही लगता कि आप इतने भी शरीफ हो । सच सच बताओ विमला आती होगी दुकान पर ना हिहिहिही
मै मा को टोकता हुआ - अरे नही मा ,,मेरी काजल से बात हुई थी वो लोग भी शादी मे गये है ।
पापा मेरी बात पर सहमती दिखा कर - हा वही तो ,,,सच मे कुछ नही हुआ रागिनी
मा ने आंखे ऊँची करके पापा को देखा - सही सही बताईए ,,कही शकुन्तला दीदी को तो
मै हस कर - अरे मा अभी आप ही तो कह रही थी कि पापा के बस का नही है हिहिहिही
मा मुस्कुरा कर - हम्म्म्म बोलिए जी ,,
पापा हसने लगे ।
मा - हमम्म ठरकी इन्सान ,, देखा राज तेरे पापा ने शकुन्तला दीदी को भी
मै हस कर - मुझे तो पहले से ही यकीन था,,आप ही नही मान रही थी ।
पापा कबूलते हुए - अब क्या करता रागिनी ,,मुझे चैन नही मिल रहा था और शकुन्तला भाभी के साथ बातो ही बातो मे ऐसे माहौल बन गये तो ना उन्होने कोई ऐतराज किया और ना मैने मौका गवाया हाहहहहा
हम सब पापा के व्यंग पर हसने लगे ।
मै मुह बिचकाता हुआ - हा आपने तो मजा ले लिया लेकिन अपने बेटे का ख्याल ही नही है आपको
मा हस कर - तो तू भी जुगाड कर ले ,,कब तक हमारे भरोसे रहेगा हिहिहिही
मै हस्ता हुआ - पापा मुझे सिखाते ही नही है कि लड़कीयो पर लाईन कैसे मारे ।
मैने जानबुझ कर ये शब्द जोड़े ताकी लड़कीयो पर उन्के विचार जान सकू ।
पापा हस कर - अरे बेटा तु ट्राई ही गलत जगह कर रहा है
मै अचरज से - मतलब
पापा - अरे बेटा ये इस नये दौर की लड़कीया बहुत आगे है और ये जबसे सब्के हाथ मे मोबाइल हो गया है तो वो लोग भी काफी समझदार हो गयी है । आसानी से हाथ नही आती है और जो आती है वो इतना घुमा नचा कर पैसे खर्च करवाती है कि पुछ मत
पापा की बात पर मै और मा हस रहे थे ।
मा हस कर - अच्छा जी इसका मतलब आपने भी जवाँ लडकियो के लिए खुब अय्यासी की है हम्म्म
पापा - नही जान, मुझे तो शुरु से ही भरे जिस्मो वाली और अनुभवी औरते पसंद है जो लंड मुह मे लेने मे झिझके नही ,,,ये आज कल की लड़किया कहा ये सब मे रुचि लेती है ,,बस दिखावे के जीवन जीती है ।
पापा की बाते सुन कर मै समझ गया कि पहली बात पापा ने जवान मालो का रस चखा नही है और उन्हे जवाँ लड़कीयो के मॉडर्न सेक्स फैंटेसी के बारे मे जानकारी नही है । अगर होती तो पापा वहा कोसिस जरुर करते ।
हालकी उन्की बात भी सही थी ,,अब के समय मे लड़कीया इतनी मोर्डन और समझदार हो चुकी है कि उन्हे लपेट पापा आसान नही है । वही शादी शुदा और मेच्योर औरतो को मैनिपुलेट करना आसान है क्योकि वो बाते करने मे हिचक नही रखती ।
खैर हमारी बाते चलती रही और हमलोग सो गये ।
अगली सुबह मै उठा और नाश्ते के बाद अनुज को लेके अपने दुकान पर चला गया ।
पापा भी अपने दुकान गये ।
काफी दिनो से दुकान बन्द था तो बहूत सारा काम बिखरा पड़ा था ।
ग्राहको की डील के साथ दुकान की साफ सफाई भी चालू थी ।
मगर मेरी नजर बराबर अनुज पर थ क्योकि अब वो पहले वाला अनुज नही था । पल्लवि ने उसका झिझक और डर को काफी कम करदिया था ।
अपने हमउम्र की लडकियो के साथ अपने से बडी लडकियो से भी खुल कर रहता और उनके चुचे निहारकर अपना लोवर खुजा लेता ।
मै कयी बार उसे अपने लोवर मे हाथ डाल कर हाथो से क्रियाए करता देखा ।
थोडी देर बाद जब दुकान खाली हुआ तो मैने उस्से बाते शुरु की ।
मै मुस्कुरा कर - और छोटे , कुछ परेशान लग रहा है आज तु
अनुज हस कर - नही तो भैया ,,,
मैने उसके लोवर मे उभरे हुए लण्ड की ओर इशारा किया - अरे मै इसकी बात कर रहा हू ।
अनुज शर्मा गया और हस्ने लगा ।
मै - क्या हुआ बोल ना ?
अनुज मासूम बनता हुआ - पता नही भैया लेकिन वो जब से आपने बोला था ना तेल लगाने के लिए,,तबसे मेरा नुनी बड़ा होने लगा है और हमेशा तना रहता है ।
मै उसके जवाब सुन कर मुस्कराया और मन ही मन बड़बड़ाया - अच्छा बेटा इतनी होशियारी कि मुझ को ही चुना लगा रहा है । जैसे मुझे नही पता कि ये कड़ापन मालिश की है या हवस की ।
मैने कुछ सोचा और फिर बोला - हा इस समय गरमी है ना बहुत,,,अच्छा तेरी चमडी अब सही हो गयी ना
अनुज मुस्कुरा कर - हा भैया
मै - ठिक है तो अब तु रोज वाली मालिश बंद कर दे और हफते मे एक बार ही कर
अनुज - हा भैया वैसे भी मौसी के यहा इतने दिन तक कर नही पाया तो आदत नही रही अब
मै - हम्म्म ठिक है फिर
थोडी देर बाद अनुज खाना खाने के लिए चौराहे वाले घर चला गया। फिर मेरा और पापा का टिफ़िन लेके आया ।
शाम हुई और अनुज ने राहुल के पास जाने के लिए मुझसे कहा तो मैने भी उसे जाने दिया । क्योकि ले दे उसका एक ही दोस्त था चाचा का लड़का राहुल ।
उम्र मे बड़ा था लेकिन होशियारी मे अनुज उस्से बीस था ।
इधर वो गया और मै अपने काम मे लगा गया ।
लेखक की जुबानी
शाम को राज से पुछ कर अनुज अपने चाचा के यहा निकल गया ।
वहा जाकर वो घर मे सबसे मिला सबका हाल चाल लिया । फिर वो राहुल को लेके मंदिर की ओर सैर पर निकल गया क्योकि उसके पास ढ़ेरो बाते थी जो वो राहुल से ब्ताने वाला था ।
राहुल - अबे इतने दिनों में एक बार भी फोन नही किया , लग रहा है बारात मे कोई माल मिल ही गयी तुझे ।
अनुज की आंखे चमकी और वो थोडा शर्माया ।
राहुल - मतलब सही बात है ,,वैसे नम्बर लिया की नही
अनुज - नही यार वो मोबाईल नही चलाती है और मेरे भी पास कहा फोन है ।
राहुल - धत तेरी की । अरे कुछ चुम्मा चाटी किया या फिर वो भी नही हिहिहिही
अनुज अपनी कालर ठिक करता हुआ हस्ता है ।
राहुल की दिलचस्पी बढ जाती है और वो उतावला होकर अनुज से आग्रह करता है कि पूरी बात बताये ।
अनुज - वो दरअसल वहा मौसी के यहा एक लड़की आई थी ,,उसी के साथ
राहुल की अचरज से आंखे फैल गयी और वो उसी अवस्था मे - मतलब तुने पेल दिया उसको
अनुज ने हस कर कुछ शर्म से हा मे सर हिलाया
राहुल चहक उठा- भाई भाई भाई बता ना कैसे किया प्लीज ना
अनुज - अबे यार कर तो लिया लेकिन अब भुगत रहा हू
राहुल - मतलब
अनुज अपनी परेशानी बताता हुआ - यार ये पेलने के बाद से मेरा नुनी बहुत खड़ा रह रहा है । आज दुकान मे हर लड़की औरत के दूध देख कर ही खड़ा हो जा रहा था ।
राहुल - हा मैने सुना है कि पहली चुदाई के बाद चाहे लड़का हो या लड़की तडप बढ जाती है ।
अनुज परेशान होकर - यार इसका कोई उपाय तो होगा ही ना
राहुल - पता नही ,, लेकिन मेरा एक दोस्त है वो अकसर अपने मोबाइल से सेक्स वाली चीज़ो के बारे मे जानकारी ले लेता है ।
अनुज उदास होकर - यार लेकिन हमारे पास तो मोबाइल नही है ,,,
राहुल चहक कर - अरे मेरी दीदी का मोबाइल है ना ,
अनुज भी खुश हुआ - अच्छा ठिक है फिर हम कल मोबाइल लेके आयेन्गे फिर इसका कुछ जुगाड़ खोजेंगे ।
राहुल ने भी सहमती दिखाई और वो दोनो अपने अपने घर वापस लौट गये ।
जारी रहेगी
Lajwaab update बेचारे राज को इतनी मेहनत के बाद भी पल्लवी नही मिली अनुज बाजी मार गया है देखते हैं अब राज और अनुज क्या करते हैंUPDATE 126
CHODAMPUR SPECIAL UPDATE
( मिलन एवं विदाई )
पिछले अपडेट मे आपने पढा कि एक ओर जहा रंगीलाल ने शकुन्तला के साथ अपना बिस्तर लगा लिया वही राज भौरे की तरह पल्लवि के आगे पीछे मडरा है ,,देखते है उसकी मेहनत क्या रंग लाती है ।
अब आगे
राज की जुबानीतकरीबन आधी रात बीत चुकी थी और हम लोग रमन भैया के ससुराल से निकल गये थे ।
दिनभर की भाग दौड़ और लम्बे समय तक नाचने के कारण सभी के पैर थके हुए थे। बोलोरो मे बैठी सभी लड़कीया और मामी सब झपकी लेते लेते गहरी नीद मे सो गये ।
मै आगे ड्राईवर के साथ बैठा था , निद मुझे भी आ रही थी मगर उससे कही ज्यादा मेरे मन में एक बात घूम रही थी कि कैसे भी करके चमनपुरा वापस जाने से पहले पल्लवि के साथ मजे लेने ही है ।
उसी उधेड़बुन मे एक दो मै गरदन पीछे मोड कर पल्लवि को सोते हुए देखता भी हू और लहगे के साथ उसकी कसी हूइ चोली मे दो बडे मुलायम रसिले चुचे भरे मे हुए थे ।
लगभग डेढ़ घंटे के सफ़र के बाद रात के करीब 2 बजे हम लोग घर पहुचे ।
दरवाजा पिटने और फोन करने के बाद कही 15 मिंट बाद मौसी आई और फिर हम सब घर मे गये ।
सबकी हालत खराब थी ,, जिसको जहा जगह मिली वो वही सो गया ।
घर मे मर्द के नाम पर मै और मौसा जी के चाचा ही थे । क्योकि वो बारात नही गये थे ।
वो भी सो चुके थे ।
सोनल और पल्लवि ने अपना निचे वाला कमरा ले लिया और मै रमन भैया के कमरे मे गया तो मेरे पीछे गीता बबिता भी चली आई ।
मामी और मौसी उपर चली गयी ।
मै भी उन दोनो को अपने पास सूलाया ।दोनो ने मुझे एक एक तरफ से पकड लिया और सो गयी ।
मै भी बहुत थका था तो सो गया ।
सुबह 6 बजे निद खुली क्योकि कमरे मे सोनल दीदी मुझे जगाने आई थी । उसके साथ पल्लवि भी थी ।
वही गीता बबिता ने मुझे ऐसे कब्जा कर रखा था कि मानो कोई भी मुझसे अलग होना ही नही चाहती थी ।
सोनल हस कर पल्लवि से - ये देखो नवाब को ।
पल्लवि मुझे गीता बबिता के चिपक कर सोता देख हसती है ।
सोनल - अरे नवाब साहब ये बिस्तर खाली करो ,,,यहा अभी थोडी देर बाद भाभी आने वाली है ।
मै कुनमुना कर उठना चाहा तो देखा कि गीता बबिता ने अपने एक एक पैर मेरे उपर फेके हुए है और पेट को पकड कर सोयी हुई ।
मुझे परेशान देख कर सोनल कमरे मे आई और गीता बबिता के पिछवाड़े पर उन्के लहगे के उपर से ही मारते हुए उन्हे ज्गाने लगी ।
गीता थोडा बुदबुदा कर वापस से मुझे और कसके पकड कर सोने लगी ।
इधर बबिता के पिछवाड़े पर एक और चपाट लगी तो बबिता गुस्से से छ्टपटा कर उठती हुई - क्या दीदी आप इतना जलती क्यू हो ,,,हा नही तो सोने दो ना बहुत नीद आ रही है प्लिज्ज ।
सोनल हस कर - अरे मै क्यू तुझसे जलने लगी ,,तू कौन सा मेरी होने वाली सौतन है हिहिही ,,चल उठ अब भाभी आने वाली है ।
मुह बना कर बबिता उठी और गीता को सोता देख - उसे क्यू नही उठाया आपने ,,बस मेरे पीछे पडी रहती हो आप हा नही तो ।
सोनल हस कर वापस से गीता के पिछवाड़े को बजा देती है - उठ जा मोटी,,, खा खा के बस पिछवाडा बडी कर रही हौ ।
इनसब से अगल पल्लवि हम भाई बहनों की मस्तीया देख कर हस रही थी ।
गीता भी नीरस मन से उठते हुए अधूरी नीद के गुस्साती हूआई - हा तो आप भी कर लो ना दीदी बड़ा ,,,,वैसे भी जीजा जी कर ही देंगे शादी के बाद
सोनल चौकी की अभी ये इसे सब पता है कि कब क्या होना है ,और मुझे भी थोडा ताज्जुब हुआ कि शायद मेरी बहने अब शयानी होने लगी है ।
सोनल गीता के सर को टिपते हुए - बहुत बिगड़ गयी है तू ,,,बहुत जीभ चल रही है तेरी , रुक अभी मामी को बोलती हू क्या बोला तुने मुझे
इधर गीता के वक्तव्य के बाद मेरी नजरे पल्लवि से टकराई तो वो मुस्कुरा रही थी ।
सोनल गीता को धमका बाहर जाने लगी तो गीता ने जल्दी से उठी और उसको पीछे से पकडते हुए - अरे नही नही दिदि ना प्लीज ,,,,हिहिही आप मेरी प्यारी दीदी हो ना प्लीज
सोनल गीता के गुदाज हाथो और जिस्मो का अस्पर्श पाकर छ्टकने लगी क्योकि गीता इत्नी गोल म्टोल थी कि जिसको भी वो हग करती उसे गुदगुदी सी होने लगती ।
फिर सोनल उसे पकड हसते हुए बाहर चली गयी और बबिता भी उसके साथ निकाल गयी ।
इधर पल्लवि भी उन्के पीछे जाने को हुई तो मै फटाक से उठा - पल्लवि रुको ना !!
पल्लवि मुस्कुरा कर - ह्म्म्ं बोलिए क्या हुआ ???
मै बिस्तर से उतर कर उसकी ओर जाने लगा तो मेरे पाजामे मे तना मेरा लण्ड कुर्ते को उठाए हुआ था।।जिसपर पल्लवि की नजर गयी थी ।
मै एक नजर बाहर देखा और थोडा रुक कर बोला - वो तुमने जवाब नही दिया अब तक
पल्लवि समझ गयी मेरे कहने का मतल्ब तो वो शर्मा कर नजरे फेरते हुए मुस्कुराने लगी ।
मै आगे बढा और उसके कलाई को पकड कर उपर लाते हुए अपने दोनो हाथो से सहलाते हुए उसकी उंगलियो को चुमा और मुस्कुरा कर आगे बढ कर उसके गालो को चुम लिया ।
हालकी आज तक मैने किसी को भी ऐसे व्यवहारित नही किया था ,,जितना पल्लवि के लिए क्योकि वो इस लायाक थी । मैने उसके गालो को चूमा और उसके कानो मे बोला - मुझे हा तुम्हारे मुह से सुनना है ।
ये बोल कर मै वहा से निकल गया और पल्लवि वही सिहर कर रह गयी ,,,मेरे हरकतो ने उसे पिघलाना शुरु कर दिया और मुस्कुरा कर रह गयी ।
इधर मै फ्रेश होकर नहाने चला गया । 9 बजे तक भाभी आ गयी उनके स्वागत मे तैयारियाँ होने लगी और धीरे धीरे करके 2 वजे तक का समय बीत गया ।
नयी दुल्हन से मिलने के बाद सारे मेहमान छ्टने लगे ।
इधर मामा की पूरी फैमिली भी घर चली गयी । मौसा के चाचा चाची भी अपने परिवार के साथ गाव चले गये ।
पुरे घर मे अब सिर्फ़ तीन फैमिली थी । एक मेरी ,,एक मौसी की और एक उनकी ननद की ।
खाना पीना कुछ बनाना नही था । हा अलबतक मौसा और राजन फुफा ने मिल कर टेन्ट बर्तन के समानो उनके मालिक के हवाले करने मे व्यस्त रहे ।
इधर जब तक रमन भैया का कमरा रात के सजाया जा रहा था जब तक भाभी को उपर मौसी के कमरे मे रखा गया था । सारी महिला मंडली वही जमी थी यहा तक कि अपना अनुज भी ।
मगर रमन भैया के कमरे की सजावट की जिम्मेदारी तो भाभी के नन्दो की थी । हालकि सुहागरात के सेज के लिए मैने पहले ही फुलो और सजावटी सामान का इन्तेजाम किया था ,,मगर समय समय पर बिच बिच मे सोनल मुझे बुलाती रही ।
थोडे समय बाद मै निचे एक कमरे मे रमन भैया के पास गया जहा वो मोबाईल मे थोडे अपने दोस्तो से बाते कर के आराम फरमा रहे थे ।
मै उन्के पास गया और हस कर - वैसे भैया अगर कोई जानकारी चाहिए तो बेहिच्क पुछ लेना हिहिही मुझसे ।
रमन भैया हस कर - अच्छा अब तू मुझे बतायेगा
मै मजे ले कर - हा ,अब देखो ना । हमारे पास कोई और बडे भैया है और ना ही जीजा जी है तो मैने सोचा क्यू ना मै ही थोडा समझा दू हिहिहिह
रमन भैया हस कर मुझे पीछे गले से पकड के - अच्छा जैसे तुझे बड़ा अनुभव है इनसब का
मै हस कर - अरे अनुभव हिहिहिही..... अनुभव नही भैयाआआ हिहिही वो नेट पर पढा था ना हिहिही
मै उठकर उन्के चंगुल से अलग हुआ - अच्छा वो छाता लिये हो की नही हिहिही या मै लाऊ स्टोर से हीही
ये बोल कर मै भागा और रमन भैया मुझे पकडने के लिए मेरे पीछे भागे ।
मै जान बुझ कर उपर गया सीधा मौसी के कमरे की ओर और भैया भी मेरे पीछे पीछे घुस गये और कमरे का माहौल देख कर वो शांत हो गये ।
मै हस कर उन्हे छेड़ता हुआ - आओ भैया भाभी से मिल लो हिहिहहीही
इतने मे कमरे मे मुहल्ले की एक भाभी बैठी थी वो रमन भैया को छेड़ते हुए बोली - अरे देवर जी तनी पलंग सज जाने दो फिर ये देसी माल तुम्हारा ही है ।
उन मुहल्ले के भाभी के व्यंग पर सबने ठहाके लगाये तो मैने अपनी नयकी भौजी के चेहरे के मुस्कान पर फॉकस किया ,,उन्होने भी अपने मुहल्ले की जेठानी के तन्ज पर होठ दबा कर मुस्की मार ली ।
इधर मौसी - अरे लल्ल्ला तुम लोग यहा क्या करने आये हो
मै हस कर - मौसी वो भैया कह रहे थे कि चलो चोर सिपाही खेलते है और तुम भाग कर भाभी के पास जाना ,,उसी बहाने वो भाभी को देख लेंगे ।
मेरी बात पर सब हसे और रमन भैया शर्म से पानी हो कर मुझे आंखे दिखाने लगे तो मै फटाक से नयी वाली भाभी के बगल बैठता हुआ - देखो ना भाभी ,,भैया मुझे परेशान कर रहे है हिहिही
रमन भैया समझ गये कि यहा उनका चौपट होना ही है तो वो चुपचाप निकल गये ।
मा - चल अब तू भी जा ,,बदमाश कही का ।
मै तुनक कर - मै क्यू जाऊ ,मै तो भाभी से मिलने आया हू
इधर हसी ठिठौली चल रही थी और धीरे धीरे कमरे से एक दो जो मुहल्ले की औरते थे वो भी अपने घर चली गयी ।
मैने एक दो बार भाभी से बात करने की कोसिस की तो वो चुप ही रही तो मै मौसी से - मौसी आपने भाभी का रेमोट कहा रखा है ।
सब चौके और मौसी - मतलब
मै हस कर - अरे देख रहा हू कब से किसी ने इनको म्यूट पर रखा हुआ है हिहिहिही
मेरे जोक पर पहली बार भाभी खिस्स से हसी और चेहरे पर मुस्कान फैल गयी । फिर खासने का नाटक करते हुए चुप हो गयी ।
मौसी हस्ते हुए - धत्त बदमास कही का ,,,तू भी ना
मै - हा अब और क्या ,,देख रहा हू भाभी ने तो तय कर रखा है कि वो सिर्फ भैया से ही बात करेंगी ।
तभी भाभी की पहली महीन से आवाज आई - कहिये क्या बात करनी है आपको ??
सब खुश और अट्टाहस करने लगे कि देखो देखो बहू बोल पडी ।
मै हस कर - चलो चलो अब आप लोग बाहर जाओ ,,मुझे भाभी से कुछ बात करनी है ।
मैने मौसी, मा और ममता बुआ को कमरे से बाहर ख्देड़ा और वो लोग भी हस कर बाहर चली गयी । मगर कमरे का दरवाजा खुला था और वो लोग उपर हाल मे ही थे ।
मै - हम्म्म लो , आपकी तीनो सासो को बाहर खदेड़ दिया,,अब आपको डरने की जरुरत नही है ।।
भाभी धीमी आवाज मे - मै नही डरती किसी से
मुझे उन्के जवाब मे थोडा बचकानापन नजर आया और कुछ वो सिख नजर आई जो शायद मायके से विदा होते समय उनकी मा बुआ ने समझाया होगा ।
मै हस कर - ये हुई ना बात ,,वैसे भाभी आपका नाम क्या है
भाभी - रीना और आपका ??
मै - मै राज ,,आपका लाडला देवर हिहिहिही
भाभी मुस्कुराइ और बोली - अच्छा एक बात पछू
मै - हा हा क्यू नही
भाभी - आपके भैया क्यू आये थे यहा ???
मै हस कर - अरे पता नही क्या हुआ जब से आये हैं बस आपको याद कर रहे है । पता नही क्यू बार बार रात होने का इन्तेजार कर रहे है ।
भाभी हसी और शर्मायी मगर कुछ बोली नही ।
मै उनकी प्रतिक्रिया देख कर बोला - हा तभी ना हम दोनो चोर सिपाही खेलते हुए यहा घुस आये ।
भाभी हसी - आप बहुत नटखट है ।
इधर तब तक कमरे मे मौसी के साथ एक मुहल्ले की औरत आई थी भाभी से मिलने तो मै उनके पास से उठता हुआ धीरे से बोला - मुझसे ज्यादा तो भैया नटखट है ,,बच के रहियेगा हिहिही
फिर मै बाहर निकल कर जाने लगा तो मौसी ने मुझे शरारती भाव से मुस्कुराता देखा तो मेरे पिछवाड़े पर चपट लगायी और मै निचे भाग गया ।
रात हुई हमसब ने खाना पीना किया और फिर दुल्हन को उसके कमरे मे शिफ्ट कर दिया गया ।
इधर चाची जी के जाने के घर के बडे दम्पतियो ने भी अपने अपने कमरो मे सोने का विचार मन मे बना लिया था और मा की इस बात को लेके मौसी से शायद पहले ही बात चित हो गयी थी ।
इसीलिये मौसा मौसी और ममता - राजन और पल्लवि को उपर उनका व्यक्तिगत कमरा दिया गया ।
मा और सोनल एक साथ एक कमरे मे निचे सो गये । फिर मुझे और अनुज को एक साथ सोने के लिए कहा गया ।
लगभग सारे लोग अपने अपने कमरे मे चले गये थे ।
निचे हाल मे मै , मौसी - मौसा और रमन भैया हाल मे थे ।
इधर मौसा ने इशारे से मौसी को मुझे दुर ले जाने को कहा ताकी वो रमन भैया से कुछ बात कर सके ।
मै समझ गया तो मस्ती मे - अरे मुझे भी सुनने दो ना मौसी ,,,आखिर कुछ टाईम बाद मुझे भी काम ही आयेगा।
मौसी मुझे पकड के किचन की ओर ले गयी - चल बदमाश कही का । तेरा समय आयेगा तो रमन सिखा देगा
हम दोनो किचन मे आ गये और मै धिरे से मौसी से - मौसी ,, वैसे तो रमन भैया को सब आपने सिखाया ही है तो अब मौसा क्या बता रहे होगे उनको
मौसी रमन भैया के लिए दुध का ग्लास तैयार करती हुई - चुप पागल कही का ।
फिर हम दोनो बाहर आये
और सीधा भैया के कमरे मे गये जहा भाभी सोफे पर बैठी शायद अपने मायके बात कर रही थी । जैसे ही उन्होने हमे आते देखा तो हमारे मन मे कोई संदेह ना उठे इसिलिए उन्होने फौरन मौसी फोन देते हुए बोली - मा , वो मम्मी जी आई है मै देती हू आप बात कर लो ।
फिर भाभी ने फोन मौसी को दे दिया और मौसी ने फोन लेते हुए वो दूध का बड़ा वाला ग्लास बेड के पास एक स्टूल पर रख दिया ।
इधर मौसी फोन पर बाते कर रही थी और मै खड़ा होकर कमरे में नजरे घुमा रहा ।
कमरे की सजावट बहुत मस्त थी ,,जगह गुब्बारे लगाये हुए थे ।
तभी मुझे मेरे पैंट के पास कुछ हलचल मह्सुस हुई मै चिहुका तो देखा कि वो भाभी थी जो मेरा पैंट घुटने के पास से चुटकी से पकड़ी हुई मुझे इशारे बुला रही थी ।
मैने उनको मुस्कुराते देखा तो फौरन उनके बगल मे - क्या हुआ भाभी , ये कैसे कैसे इशारे कर रही हो?? हिहिही
भाभी ने एक बार मौसी को देखा और धीरे से मेरे टखने के पास चट्ट से हाथ मारते हुए - बदमाश कही के ,,, अभी उपर क्या बोल के गये थे हम्म्म्म
मुझे हसी आई और धीरे से बोला - वही बोला जो सच है, आप बच के रहना हिहिहिही
भाभी मुस्कुरा कर - ऐसी बात है तो आने दो ,,,आज बान्ध कर रखुन्गी आपके भैया को
मै मुस्कुरा कर - हा भाभी कस के पकड़ के रख्ना , बहुत भागते हैं हिहिही
भाभी मेरे दोहरे व्यंग को समझ कर मुस्कुराने लगी तभी मौसी अपनी समधन से बात खतम की और हमे खुसफुसाते देखा ।
मौसी - अरे क्या बाते हो रही है तुम दोनो मे हा ।
मै हस कर - अरे मौसी ये हम देवर भौजी वाली बाते है ,आपको नही जानना चाहिये ।
मै हस कर -अच्छा आप भी भाभी को कुछ समझाओगे ,जैसे बाहर मौसा भैया को समझा रहे है हिहिही
मौसी मेरे गाल खिचते हुए - तू बहुत शरारती हो गया है ।
इधर भाभी मुह अपने होठ दबाए हसी जा रही थी ।
मौसी - चल तू जा बाहर मुझे बहू से कुछ बात करनी है
मै हस कर - आप बताओ या ना बताओ । मै तो भाभी से पुछ लूंगा क्यू भाभी ? हिहिहिही
फिर मै बाहर आया तो देखा रमन भैया अकेले थे ।
मै - अरे मौसा कहा गये
रमन भैया - वो सोने गये उपर
मै - फिर आप भी जाओ , नही तो अगर मै लिवा के गया भाभी तक तो 21000 का सगुन लूंगा हिहीहिही
रमन भैया - चल चल भाग यहा से ,ब्डा आया सगुन लेने वाला ,,,अभी सोनल पल्लवी ने कम लुटा है क्या
मै उत्सुकता से - अच्चा बताओ ना कितना मिला उनको
रमन - पुरे 11 हजार ले गयी मेरे से
मै मुह बिचका के - बस 11 हजार भैया ,,,बस 11 ....। मै होता तो यू यू करके 21000 देता सबको हिहिहिही
ये बोल कर मै वापस मौसी के पास भागा ,लेकिन मौसी कमरे से बाहर आ रही थी ।
मौसी - ओहो तुम लोगो की शैतानी कब खतम होगी ,,रमन तू जा अंदर
मै - हा और दरवाजे की चटखनि लगा लेना हिहिहिही
मौसी मेरे कान पकड मुझे बाहर खिच कर लाई - चल अब तू भी सो जा
मै हस कर - ना मै तो आज जागूँगा और सुनूंगा हिहिहिही
मौसी मुझे लेके हाल मे आगयी थी और उधर रमन भैया कमरे मे चले गये थे ।
मौसी - बदमाश कही का , चल सो जा
मै मुह बनाते हुए - मौसी मुझे भी आज करना है ,,,कितना मन है
मौसी - लेकिन आज तेरे मौसा भी मेरा इन्तजार कर रहे है
मै चहक कर - तो मै भी चलू आपके साथ सोने ,, मौका मिला तो थोडा बहुत हिहिही
मौसी - धत्त नही रे ,,, तू यही सो जा
मै - अच्छा कम से कम दरवाजा खोल कर रखना ,,थोडा बहुत हिला कर काम चला लूंगा
मौसी मुस्कुरा कर - तू नही मानेगा ना
मै हस के - ना
मौसी - ठिक है लेकिन कोई शोर मत करना
मै - हम्म्म ओके मौसी
फिर मै थोडा अपने कमरे में गया और देखा कि सोया हुआ है ।
इधर मै भी थोडा लेता । करीब आधे घण्टे तक मोबाईल मे सर खपाने के बाद मै उठा और कमरे से बाहर आया ।
सबसे पहले मै दबे पाव रमन भैया के कमरे के पास गया और कान लगा कर सुना तो कुछ खास समझ नही आया ।
फिर मै सीधा उपर निकल गया और मौसी ने अपना काम कर रखा था ,,,हल्का सा दरवाजा भिड्का रखा था ।
इधर मै आंखे महीन कर अन्दर देखता हू तो मौसा , मौसी को बाहो मे भरे उनकी नंगी चुचिया मसल रहे थे ,,,मगर कुलर की अवाज मे मुझे कुछ आवाज नही आ रही थी ।
मैने अपना मोटा लण्ड निकाला और हिलाना शुरु किया ,,क्योकि आज शायद यही होने वाला था । मा और सोनल एक साथ सोये थे । वही पल्लवि ने मेरा मस्त काटा था । साली ने मुस्कुरा मुस्कुरा कर मुझे बस लपेटे रखा ।
अब मौसी भी मौसा के साथ थी ।
इधर बारी बारी से मौसा ने एक एक पोज बदल कर मौसी को चोद्ना शुरु किया । हाल मे अन्धेरा था, बस एक नाइट बलब जलने से कोई डर नही था
मगर तभी मुझे कुछ आहट सुनाई दी और मै सतर्क होकर निचे वाले जिने की सीढिओ पर चला गया
तभी राजन फुफा का कमरा खुला । पहले ममता बुआ ब्लाउज पेतिकोट मे , फिर राजन फूफा जान्घिये के साथ फुल बनियान मे बाहर निकले । वो दोनो ने बडी सावधानी से बिना कोई आहट के चुपचाप उपर चले गये ।
मै समझ गया कि शायद कमरे मे पल्लवि के सोने का इन्तेजार कर रहे थे ये दोनो और अभी उपर छत पर जाकर अपनी टपाटप वाली मस्ती शुरु करने वाले है ।
मैने सोचा क्यू ना एक बार इनको भी देख लू ,मगर कमरे का दरवाजा भिड़का हुआ था और पल्लवि का लालच मुझे परेशान कर रहा था ।
इसिलिए मै उपर ना जाकर सोचा क्यू ना पल्लवि के साथ थोडा ....।
फिर मै दबे पाव उनके कमरे की ओर बढा और एक बार जीने पर नजर मारी फिर चुपचाप से कमरे का दरवाजा खोल कर जैसे ही कमरे मे घुसा मेरी आंखे फैल गयी ।
पल्लवि इस समय पूरी नंगी होकर आईने के सामने खड़ी होकर अपने ब्रा के हुक लगा रही थी और ... ।
उफ्फ्फ क्या कयामत थी ,उसके उभरे हुए कुल्हे , नंगी कमर , सुडौल जान्घे और पपीते जैसी चुचिया ।
उसने मुझे देखा तक नही बस अपने काम मे लगी रही ।
मुझे समझ नही आया कि अभी एक मिंट पहले ही तो पल्लवि के मम्मी पापा बाहर गये है तो ये इत्नी जल्दी पूरी नंगी कैसे । कही पल्लवि अपने पापा से तो नही ....।
मेरे दिल की धडकनें तेज हो गयी और फिर मैने खुद को शांत किया और मुस्कुराते हुए गले को खरासा
पल्लवि की नजरे जैसे ही मुझ पर गयी वो मूरत जैसी अकड गयी । फिर उसने मुझे मुस्कुराते देखा तो जल्दीबाजी मे अपना दुपट्टा अपने सीने पर रख दिया ,,मगर शायद वो इस जल्दीबाजी मे भूल गयी कि उसकी चुत अभी भी दिख रही है ।
मैने आंखो से उसकी चुत पर इशारा करके मुस्कुराया तो उसकी आंखे फैल गयी और वो फटाक से बिसतर मे घुस गयी और एक चादर से खुद को ढक लिया ।
मै मुस्कुरा कर एक बार बाहर देखा और उसकी ओर बढा
पल्लवि हडबड़ा कर - तुम यहा क्या कर रहे हो ,,जाओ यहा से पापा आ जायेंगे
मै मुस्कुरा कर - वैसे मुझे नही पता था कि तुम अपने पापा से ही ....।
पल्लवि ने शर्मिंदी से नजरे फेर ली और उतरे हुए चेहरे से - त त त तुम जाओ यहा से प्लीज
मै मुस्कुरा कर - अरे डरो नही मै नही किसी से कहूँगा प्रोमिस
पल्लवि को कुछ उम्मीद जगी और वो नजरे उठा कर - हा फिर भी तुम जाओ यहा से ,,,नही कही पापा मम्मी ने देख लिया तो
मै - हा लेकिन मेरे सवाल का जवाब नहो दिया तुमने
पल्लवि परेशान होकर - अब यहा कैसे , तुम जाओ
फिर वो थोडा डर मे उठी और बाहर नजरे घुमाते हुए चादर से खुद को ढके हुए मुझे बाहर निकालमे लगी ।
मै भी हस कर बाहर चल गया ,,तभी उपर के जीने से आहट हुई और मै निचे अपने कमरे मे चला आया
मै बिस्तर पर लेटा हुआ जब से मै यहा आया और जितनी भी अजीब घटनाये हुई उनको सोचने लगा कि मौसी , मौसा और राजन फूफा के साथ अलग ,,वही ममता बुआ और मौसा के साथ अलग मस्ती कर रही है । उधर राजन फुफा अपनी बीवी और बेटी एक साथ चोद रहा है ।
बाप बेटी के सम्बंध से बार बार मेरा ख्याल मेरे पापा की ओर जा रहा था कि अब तक पापा ने क्यो सोनल दीदी पर ट्राई क्यू नही किया ।
सोनल ही क्या उन्होने तो कभी किसी जवाँ लडकी को अपने लपेटे मे नही लाया और ना ही कभी किसी जवाँ लडकी के साथ सेक्स करने की कोई बात छेड़ी ।
ना जाने क्यू मुझे पापा को लेके ये ख्याल बार बार आने लगे । क्या पता पापा को जवाँ लड़कीयो मे रुचि ना हो या नये जमाने की पढी लिखी लड़कियो ने ही उन्हे दरकिनार कर दिया हो । क्योकि पापा भले ही बातो और चुदाई के जादूगर थे मगर शकल सूरत मे वो एक आम परिवार के मर्द जैसे ही थे ।
ना कोई विशेष कपड़ो पर ध्यान ना अपने बदन पर । पेट थोडा निकला हुआ , दाढ़ी और बालो मे भी सफेदी आ ही गयी थी । मगर ना जाने कैसे अपने उम्र की औरतो को लपेट ले जाते ???
इन्ही विचारो में घिरा हुआ मै सोने की कोसिस मे था
मगर मेरे जहन मे कुछ नये सवाल आने लगे थे ।
कि अब घर जाने के बाद पापा पर थोडी निगरानी करु , क्या पापा का सोनल दीदी या किसी और जवाँ लड़की मे कोई रुचि है भी या नही । मेरा लंड तो ये सोच कर ही तन गया कि वो सीन कैसा होगा जब पापा सोनल दीदी के चुत मे लण्ड डालेन्गे ,,,क्या ये इतना आसान है ? क्या ये हो भी पायेगा ?
फिर मेरी नजर बगल मे सोये अनुज पर गयी तो पल्लवि का ख्याल वापस आ गया ।
मै मुस्कुराकर मन मे - ये भी साला मुझसे आगे निकला ,,पल्लवि जैसी माल को ठोक कर शुरुवात की है । लेकिन अब इसका क्या होगा ? इसे भी चुत की चस्क लग ही गयी होगी । इसपे भी बराबर नजर रखनी पड़ेगी ।
थोडी देर बाद मै भी सो गया ।
अगली सुबह उठा तो घर मे चहल पहल थी और नहा धो कर तैयार हुआ ।
इधर हम लोगो की विदाई का समय हो रहा था । मौसा ने हमारे लिए और पल्लवि के घर वालो के दो गाडी बुक करवा दी ताकी सब आसानी से अपने घर जा सके ।
दोपहर में खाना खाने के बाद हम सब अपना समान बान्ध कर तैयार थे ।
सारे लोग हाल मे एकजुट थे और सबके चेहरे खिले हुए थे तो मन मे थोडी उदासी भी थी ।
मै बारी बारी से सबसे मिला और फिर पल्लवि से भी मिला । उसकी वो कातिल मुस्कान ने मुझे अह्सास दिलाया मानो मुझे चिढा रही हो । हम सबने विदा लिया और अपने अपने गाडी मे बैठ कर निकल गये ।
कुछ दुर तक मेरी और पल्लवी की गाडी आगे पीछे होती रही फिर वो एक दुसरी सड़क से अपने गाव के लिए निकल गयी । सीसा खोल कर मै उसकी गाडी को जाता देखता रहा ।
फिर वापस अपनी सीट पर आकर एक गहरी सास ली और घर के लम्बे सफ़र के लिए इत्मीनान से बैठ गया ।
आंखे बंद करके मैने पल्लवि के साथ बिताये उन आखिरी पलो को याद करने लगा ,जब मै नास्ते के बाद करीब 11 बजे मम्मी का बैग लेने उपर मौसी के कमरे मे गया था ।
उस समय पल्लवि छत पर जा रही थी अपने कपडे उतारने जो सुबह उसने नहाते समय धुले थे ।
मै चुपचाप उसके पीछे चल पड़ा और छत पर जाकर बाहर से जीने का दरवाजा बन्द कर दिया ।
तेज धूप मे पल्लवि ने मुझे अपनी आंखे महीन करके देखा और मुस्कुराने लगी ।
मै भाग कर उसके पास गया और उसके हाथो से सारे कपडे वही अरगन पर डाल कर उसे लेके बाथरूम मे चला गया ।
पल्लवी हस कर - अरे राज छोडो मुझे कोई देख लेगा ।
मै उदास होकर बडी उम्मीद से पल्लवि के आंखो मे देखता हुआ - अभी तक तुमने मेरा जवाब नही दिया और फिर मै अभी चला जाऊंगा घर ।
पल्लवि मुझे देख कर हसी और बोली - तुम तो अनुज से भी भोले हो ,
फिर उसने मेरे गालो को चुम लिया
मै समझा गया और उसके कमर मे हाथ डाल कर उसके होठो को अपने मुह मे भर लिया ।
पल्लवि भी मेरा साथ देने लगी मेरे हाथ उसके कूल्हो को दबोचने लगे और वो भी कम जल्दीबाजी मे नही थी । पैंट के उपर से मेरे लण्ड को मसलने लगी ।
मै भी जल्दी करना चाहता था और अपना पैंट खोल कर फटाक से लण्ड निकाल दिया
पल्लवि ने मेरी आंखो मे देखते हुए मेरा लण्ड थाम लिया और उसे भीचना शुरु ही किया था कि जीने के दरवाजे पर खटख्ट हुई और हम दोनो की हवा टाइट हो गयी ।
पल्लवि मुझसे अलग हुई और बाहर जाने लगी ।
इधर मै भी अपना लण्ड अन्दर करके बाथरूम से निकल कर पाखाने मे घुस गया ।
पल्लवि ने जीने का दरवाजा खोला तो वहा सोनल दीदी आई थी ।
फिर वो उसी के साथ अपने कपडे लेके निचे चली गयी और मै हाथ मलता रह गया ।
मै निचे आया और मौसी के कमरे मे गया जहा पल्लवि तो थी साथ मे मा और मौसी भी ।
पल्लवि अब मेरे मजे ले रही थी और मै भी अपनी हाल पर मुस्कुरा रहा था कि किस्मत के बिना कुछ हासिल नही हो सकता ।
वैसे भी दाने दाने पर लिखा है खाने वाले का नाम और पल्लवि पर सिर्फ़ अनुज नाम वालो का ही हक है शायद हिहिहिही
बस उन पलो को याद कर आंखे बंद किये गाडी मे बैठा हुआ था कि अनायास मेरे मुह से खिस्स्स से हसी छूट गयी और तभी मा बोली - क्या हुआ राज हस क्यू रहा है ?
मै मेरे यादो से बाहर आया और मुस्कुरा कर - कुछ नही बस यहा की हुई मस्तिया याद करके हसी आ रही थी । कितना मजा आया ना यहा
सोनल - हा यार सच मे , पता ही नही चला कब 15 दिन बित गये और शादी भी हो गयी ।
मा - कोई बात नही ,,तेरी शादी को भी तो ज्यादा समय नही है अब । वो भी जल्द ही आ जायेगी हिहिही
सोनल शर्मा कर मा से लिपट गयी -मा आप भी ना
मा सोनल को अपने सीने से लगाते हुए - वैसे परसो लहगे मे बहुत प्यारी लग रही थी तू
मै तुनकते हुए - अच्छा और मै , मेरी तो कोई फ़िकर ही नही आपको
अनुज - हा मेरी भी नही हुउउह्ह
हम सब हस दिये ।
मा - चलो चलो हम लोगो की मस्ती तो हो गयी लेकिन तेरे पापा बेचारे 4 दिन से अकेले घर दुकान देख सम्भाल रहे है । मुझे तो उनकी फ़िकर है समझा
मै भी मा की बातो पर सहमती दिखाई और सही भी था जितना पापा सन्तोष करके रह जाते हैं और हम लोग घूम टहल कर मस्ती कर लेते है ।
इधर हम लोगो की गाड़ी लगातार आगे बढ़ी जा रही थी और मै भी कुछ यादो को दूहराते मुस्कुराते हुए । घर की ओर निकल गया ।
लेखक की जुबानीइधर राज की घर वापसी हो रही थी । वही रन्गीलाल ने बीते दो रातो मे शकुन्तला की ताबड़तोड़ चुदाई करी थी । ना अब शकुन्तला को लण्ड मुह मे लेने मे झिझक थी ना उसका रस चाटने मे ।
वही उधर चोदमपुर से आये मेहमान अपने वतन लौट चुके थे । उनसे जुडे किस्से तो आपको हमारे TharkiPo भाई साहब की KATHAA CHODAMPUR KI मे ही मिलेंगे ।
एक बार फिर से TharkiPo भाई का आभार जो उन्होने इतने प्यारे मेहमान की खिदमत का मौका हमे दिया ।
आभार आप पाठको का भी जिन्होने इस EVENT पर अपना विचार रखा और इसे सफल बनाने मे मेरा साथ दिया ।
तो आज से ये CHODAMPUR SPECIAL UPDATES समाप्त होते है ।
आगे से चमनपुरा लाइव से सारे प्रसारण देखने को मिलेंगे कुछ राज की तो कुछ लेखक की जुबानी ।
कहानी जारी रहेगी
धन्यवाद
अपने हिसाब से अपडेट देते रहोTharkiPo साहब जैसा गुण और ज्ञान नही है हमारे पास और हर लेखक की अपनी अलग चेतना होती है ।
दिखाने को तो हम gangbang दिखा दे लेकिन होगा क्या ? आपकर शांत हो लोगे । लेकिन हमारी कहानी के कैपीटल लेटर मे L लग जायेंगे ना
कुछ नये की तालाश मे इतना समय कहानी को दिया है तो कुछ रोचक और मजेदार ही मिलेगा यहा ।
हा आपकी भावनाओ का ख्याल रखने की कोसिस करी जायेगी लेकिन कुछ अहम मूल्यो को ध्यान मे रख कर ही ।
बस अपना जोश और उमंग आगे भी दिखाते रहे , धन्यवाद
for 500 pages.
बेहतरीन अपडेट है देखते हैं अनुज क्या क्या कांड करता हैUPDATE 127
पिछले अपडेट मे आप सभी जानते हैं कि चोदमपूर से आये मेहमान अपने वतन वापस लौट गये और अपना राज भी कुछ नये सपनो को हकीकत में बदलने की आस लिये निकल पड़ा है वापस अपने घर की ओर ।
अब आगे
शाम को करीब चार बजे तक हम लोग अपने घर चमनपुरा आ गये थे ।
रास्ते मे ही मैने पापा को फोन कर दिया था कि हम लोग आ रहे है तो उन्होंने दुकान के एक नौकर से चौराहे वाले घर की चाबी भिजवा दी थी ।
हमने सारा समान निकाला और हाल मे बैठ गये ।
इधर सोनल किचन मे पानी लेने के लिए गयी तो उसने चूल्हे पर रखे कुकर और एक दो बरतन को चेक किया और फिर बाहर आई ।
सोनल - मा , पापा को खाना बनाना आता है ?
मा - नही तो , वो कब से बनाने लगे
सोनल - अरे किचन मे सब बना हुआ रखा गया है । दाल रोटी सब्जी चावल सब
मा चौकी - सच मे
फिर मा ने किचन की तफ्तीश की और सोनल की बात सही निकली ।
मा ने फिर सब्जी टेस्ट की और मुस्कुरा कर बोली - धत्त ये तेरे पापा बना ही नही सकते , इतनी अच्छी सब्जी । शायद शकुन्तला दिदी बना के गयी हो ।
फिर मा कुछ सोचते हू हाल मे आई । हमने थोडा गला तर किया और फिर सोनल , अनुज उपर अपने कमरे मे चले गये ।
मै मेरे कमरे मे और मा अपने । मैने अपना कपड़ा बदल कर टीशर्ट लोवर मे हुआ और सीधा मा के कमरे मे घुस गया ।
मा इस समय ब्लाउज पेतिकोट मे थी और अभी अभी बाथरूम से फ्रेश होकर आई थी ।
मै मुस्कुरा कर - मा ,,आपने तो कहा था कि पापा को शकुन्तला ताई खाना देके जायेगी तो वो यहा क्यू खाना बनाने लगी । एक बार अपने घर फिर एक बार यहा
मा कुछ सोचते हुए - हा वही मै भी सोच रही हू , वो तो तेरे पापा ही बतायेंगे
मै हस कर पीछे से मा को पकडता हुआ - कही पापा ने ताई को हिहिहिहिह
मा मुस्कुरा कर - हट बदमाश , हलुवा है क्या कि सब तेरे पापा को मिल जायेगा ।
मै - क्यू ,पहले मौसी फिर बुआ हिहिही तो ये कौन सी बडी बात है
मा तुनकते हुए - हुउउह बड़ा मिल जाती इनको तेरी मौसी और बुआ । बिना मेरे कुछ किये
मै हस कर - अरे तो मेरे लिए भी कुछ करो न मा । आप तो मेरे लिए कुछ करती ही नही... हिहिहिही
मा - अच्छा मै तेरे लिए कुछ नही करती हम्म्म्म , तेरी मौसी और फिर मै खुद तेरे साथ हो गयी और तू बोल रहा है कि कुछ करती नही हम्म्म्म
मै - अरे मेरे कहने का मतलब है कि जैसे आपने पापा को बुआ से .... हिहिही तो....मेरा और सोनल दिदी का .... हिहिहिही
मा चौकी और गुस्सा होकर - तू पागल है क्या ? तू नही जानता तेरी सोनल दीदी कैसी है । तेरे पापा की बहनो की तरह रन्डी नही है कि पुरे खानदान से चुदवाते फिरे हुउउह्ह्ह
मै हसता हुआ मा को पीछे से पकड कर - अरे मा आप तो नाराज हो गयी । सॉरी ना उम्म्म्म्माआआह्ह्ह्ह अच्छा सोनल दीदी को छोडो ये बताओ क्या सच मे बुआ अपने घर मे सबसे मतलब हिहिहिही
मा मेरे चुंबन से थोडी बहल गयी और मुस्कुरा कर - धत्त नही रे , वो तो गुस्से मे निकल गया । हा लेकिन तेरे पापा को मत बताना कि तेरी दोनो बुआ ने दो दो शादिया की है । समझा
मै असमंजस मे आ गया कि ये बात मा को भी पता है और एक बार शिला बुआ ने भी कहा था कि वो अपने दोनो पतियो से चुदती है ,,आखिर ये दो शादियो का चक्कर क्या है ।
मै उलझा हुआ - मै समझा नही मा ,,,दो दो शादी मतलब ???
मा हस कर मेरे हाथो से खुद को आजाद करते हुए - तु क्या करेगा जान कर हम्म्म
मै - बस ऐसे ही आपने बोला तो
मा - नही रहने दे तुझे वो सब जानने की जरुरत नही है और खबरदार इसकी चर्चा पापा से किया तो ।
मै चुप रहा और मा दुसरी साडी पहनने लगी ।
इधर मै विचारो के खो गया
कि मा सोनल को लेके बहुत पोजेसिव है , वो मुझे क्या पापा को भी इस सन्दर्भ मे कोई बात नही करने देगी । शायद तभी पापा ने सोनल दीदी को लेके कोई कदम नही उठाया । अच्छा हुआ मैने मेरे और सोनल दीदी के रिश्ते का जिक्र मा से नही किया .... पता नही क्या काण्ड हो जाता क्योकि मा का सोनल दीदी के लिए अलग ही नजरिया है । वो तो उसे अब तक बहुत ही संस्कारित और साफ ही समझती देखती आई है तो वो उसपर कोई लान्छ्न नही देखना पसंद करेगी ।
थोडी देर बाद मै निकल गया मार्केट की ओर क्योकि मुझे चंदू से मिलना था और शाम का समय भी हो गया था ।
मै उससे मिला और थोडा बाजार के चक्कर लगाये फिर चौराहे वाले घर आ गया
रात मे पापा दुकान से आये तो घर मे काफी चहल पहल थी और हमने काफी देर तक बाते की ।
फिर रात मे सोनल और अनुज जब उपर चले गये तो मै पापा के कमरे मे गया ।
पुरे दो राउंड मैने और पापा ने मिलकर मा को चोदा और फिर हम लेटे हुए थे ।
मेरे जहन मे कुछ बाते घूम रही थी और वो मुझे काफी परेशान करने लगी थी ।
एक तो ये कि बुआ की दो शादी कैसे हुई होगी और पापा को इसकी जानकारी नही है ।
फिर पापा ने इतने दिनो तक अपना समय कैसे काटा जबकि उन्हे बिना चुदाई किये नीद नही आती है ।
आखिरि ये कि पापा से कैसे सोनल दीदी को लेके बात करू ??
मुझे चुप देख कर पापा बोले - अरे बेटा क्या सोच रहा है ?
मै मुस्कुरा कर - कुछ नही पापा ,,,बस यही कि ये चार दिन आपने कैसे काटे हिहिहिही
पापा हस कर - अरे जाने दे बेटा,, बस किसी तरह कटा है ये दिन
मा इतरा कर - अच्छा जी ,,मुझे तो नही लगता कि आप इतने भी शरीफ हो । सच सच बताओ विमला आती होगी दुकान पर ना हिहिहिही
मै मा को टोकता हुआ - अरे नही मा ,,मेरी काजल से बात हुई थी वो लोग भी शादी मे गये है ।
पापा मेरी बात पर सहमती दिखा कर - हा वही तो ,,,सच मे कुछ नही हुआ रागिनी
मा ने आंखे ऊँची करके पापा को देखा - सही सही बताईए ,,कही शकुन्तला दीदी को तो
मै हस कर - अरे मा अभी आप ही तो कह रही थी कि पापा के बस का नही है हिहिहिही
मा मुस्कुरा कर - हम्म्म्म बोलिए जी ,,
पापा हसने लगे ।
मा - हमम्म ठरकी इन्सान ,, देखा राज तेरे पापा ने शकुन्तला दीदी को भी
मै हस कर - मुझे तो पहले से ही यकीन था,,आप ही नही मान रही थी ।
पापा कबूलते हुए - अब क्या करता रागिनी ,,मुझे चैन नही मिल रहा था और शकुन्तला भाभी के साथ बातो ही बातो मे ऐसे माहौल बन गये तो ना उन्होने कोई ऐतराज किया और ना मैने मौका गवाया हाहहहहा
हम सब पापा के व्यंग पर हसने लगे ।
मै मुह बिचकाता हुआ - हा आपने तो मजा ले लिया लेकिन अपने बेटे का ख्याल ही नही है आपको
मा हस कर - तो तू भी जुगाड कर ले ,,कब तक हमारे भरोसे रहेगा हिहिहिही
मै हस्ता हुआ - पापा मुझे सिखाते ही नही है कि लड़कीयो पर लाईन कैसे मारे ।
मैने जानबुझ कर ये शब्द जोड़े ताकी लड़कीयो पर उन्के विचार जान सकू ।
पापा हस कर - अरे बेटा तु ट्राई ही गलत जगह कर रहा है
मै अचरज से - मतलब
पापा - अरे बेटा ये इस नये दौर की लड़कीया बहुत आगे है और ये जबसे सब्के हाथ मे मोबाइल हो गया है तो वो लोग भी काफी समझदार हो गयी है । आसानी से हाथ नही आती है और जो आती है वो इतना घुमा नचा कर पैसे खर्च करवाती है कि पुछ मत
पापा की बात पर मै और मा हस रहे थे ।
मा हस कर - अच्छा जी इसका मतलब आपने भी जवाँ लडकियो के लिए खुब अय्यासी की है हम्म्म
पापा - नही जान, मुझे तो शुरु से ही भरे जिस्मो वाली और अनुभवी औरते पसंद है जो लंड मुह मे लेने मे झिझके नही ,,,ये आज कल की लड़किया कहा ये सब मे रुचि लेती है ,,बस दिखावे के जीवन जीती है ।
पापा की बाते सुन कर मै समझ गया कि पहली बात पापा ने जवान मालो का रस चखा नही है और उन्हे जवाँ लड़कीयो के मॉडर्न सेक्स फैंटेसी के बारे मे जानकारी नही है । अगर होती तो पापा वहा कोसिस जरुर करते ।
हालकी उन्की बात भी सही थी ,,अब के समय मे लड़कीया इतनी मोर्डन और समझदार हो चुकी है कि उन्हे लपेट पापा आसान नही है । वही शादी शुदा और मेच्योर औरतो को मैनिपुलेट करना आसान है क्योकि वो बाते करने मे हिचक नही रखती ।
खैर हमारी बाते चलती रही और हमलोग सो गये ।
अगली सुबह मै उठा और नाश्ते के बाद अनुज को लेके अपने दुकान पर चला गया ।
पापा भी अपने दुकान गये ।
काफी दिनो से दुकान बन्द था तो बहूत सारा काम बिखरा पड़ा था ।
ग्राहको की डील के साथ दुकान की साफ सफाई भी चालू थी ।
मगर मेरी नजर बराबर अनुज पर थ क्योकि अब वो पहले वाला अनुज नही था । पल्लवि ने उसका झिझक और डर को काफी कम करदिया था ।
अपने हमउम्र की लडकियो के साथ अपने से बडी लडकियो से भी खुल कर रहता और उनके चुचे निहारकर अपना लोवर खुजा लेता ।
मै कयी बार उसे अपने लोवर मे हाथ डाल कर हाथो से क्रियाए करता देखा ।
थोडी देर बाद जब दुकान खाली हुआ तो मैने उस्से बाते शुरु की ।
मै मुस्कुरा कर - और छोटे , कुछ परेशान लग रहा है आज तु
अनुज हस कर - नही तो भैया ,,,
मैने उसके लोवर मे उभरे हुए लण्ड की ओर इशारा किया - अरे मै इसकी बात कर रहा हू ।
अनुज शर्मा गया और हस्ने लगा ।
मै - क्या हुआ बोल ना ?
अनुज मासूम बनता हुआ - पता नही भैया लेकिन वो जब से आपने बोला था ना तेल लगाने के लिए,,तबसे मेरा नुनी बड़ा होने लगा है और हमेशा तना रहता है ।
मै उसके जवाब सुन कर मुस्कराया और मन ही मन बड़बड़ाया - अच्छा बेटा इतनी होशियारी कि मुझ को ही चुना लगा रहा है । जैसे मुझे नही पता कि ये कड़ापन मालिश की है या हवस की ।
मैने कुछ सोचा और फिर बोला - हा इस समय गरमी है ना बहुत,,,अच्छा तेरी चमडी अब सही हो गयी ना
अनुज मुस्कुरा कर - हा भैया
मै - ठिक है तो अब तु रोज वाली मालिश बंद कर दे और हफते मे एक बार ही कर
अनुज - हा भैया वैसे भी मौसी के यहा इतने दिन तक कर नही पाया तो आदत नही रही अब
मै - हम्म्म ठिक है फिर
थोडी देर बाद अनुज खाना खाने के लिए चौराहे वाले घर चला गया। फिर मेरा और पापा का टिफ़िन लेके आया ।
शाम हुई और अनुज ने राहुल के पास जाने के लिए मुझसे कहा तो मैने भी उसे जाने दिया । क्योकि ले दे उसका एक ही दोस्त था चाचा का लड़का राहुल ।
उम्र मे बड़ा था लेकिन होशियारी मे अनुज उस्से बीस था ।
इधर वो गया और मै अपने काम मे लगा गया ।
लेखक की जुबानी
शाम को राज से पुछ कर अनुज अपने चाचा के यहा निकल गया ।
वहा जाकर वो घर मे सबसे मिला सबका हाल चाल लिया । फिर वो राहुल को लेके मंदिर की ओर सैर पर निकल गया क्योकि उसके पास ढ़ेरो बाते थी जो वो राहुल से ब्ताने वाला था ।
राहुल - अबे इतने दिनों में एक बार भी फोन नही किया , लग रहा है बारात मे कोई माल मिल ही गयी तुझे ।
अनुज की आंखे चमकी और वो थोडा शर्माया ।
राहुल - मतलब सही बात है ,,वैसे नम्बर लिया की नही
अनुज - नही यार वो मोबाईल नही चलाती है और मेरे भी पास कहा फोन है ।
राहुल - धत तेरी की । अरे कुछ चुम्मा चाटी किया या फिर वो भी नही हिहिहिही
अनुज अपनी कालर ठिक करता हुआ हस्ता है ।
राहुल की दिलचस्पी बढ जाती है और वो उतावला होकर अनुज से आग्रह करता है कि पूरी बात बताये ।
अनुज - वो दरअसल वहा मौसी के यहा एक लड़की आई थी ,,उसी के साथ
राहुल की अचरज से आंखे फैल गयी और वो उसी अवस्था मे - मतलब तुने पेल दिया उसको
अनुज ने हस कर कुछ शर्म से हा मे सर हिलाया
राहुल चहक उठा- भाई भाई भाई बता ना कैसे किया प्लीज ना
अनुज - अबे यार कर तो लिया लेकिन अब भुगत रहा हू
राहुल - मतलब
अनुज अपनी परेशानी बताता हुआ - यार ये पेलने के बाद से मेरा नुनी बहुत खड़ा रह रहा है । आज दुकान मे हर लड़की औरत के दूध देख कर ही खड़ा हो जा रहा था ।
राहुल - हा मैने सुना है कि पहली चुदाई के बाद चाहे लड़का हो या लड़की तडप बढ जाती है ।
अनुज परेशान होकर - यार इसका कोई उपाय तो होगा ही ना
राहुल - पता नही ,, लेकिन मेरा एक दोस्त है वो अकसर अपने मोबाइल से सेक्स वाली चीज़ो के बारे मे जानकारी ले लेता है ।
अनुज उदास होकर - यार लेकिन हमारे पास तो मोबाइल नही है ,,,
राहुल चहक कर - अरे मेरी दीदी का मोबाइल है ना ,
अनुज भी खुश हुआ - अच्छा ठिक है फिर हम कल मोबाइल लेके आयेन्गे फिर इसका कुछ जुगाड़ खोजेंगे ।
राहुल ने भी सहमती दिखाई और वो दोनो अपने अपने घर वापस लौट गये ।
जारी रहेगी