UPDATE 124
CHODAMPUR SPECIAL UPDATE
पिछले अपडेट मे आपने पढा कि कैसे एक ओर जहा रंगीलाल ने शकुंतला के साथ नजदीकिया बढ़ाने मे लगा हुआ है वही जानीपुर मे राज ने रात मे एक बढिया प्रोग्राम हुआ और सारे परिवार वालो मजा लिया । मगर दिन मे मेहमानो के लिए सोने की व्यवस्था नही हो पाई थी तो सब्के सोने के लिए सम्स्या होने लगी थी ।
अब आगे
राज की जुबानी
रात मे सोने पर चर्चा होने लगी तो मौसी और मौसा आपस मे बात कर रहे थे । मौके की नजाकत पर चाची थोडा बहुत मौसी पर गुस्सा जरुर हुई थी कि दिन मे मौसी ने ये सब वयवस्था क्यू नही की ।
फिर कुछ तय करने के बाद मौसी ने चाची जी और मा को एक साथ अपने कमरे मे सुला दिया और मामी और बुआ एक कमरे मे सुला दिया ।
फिर ने सारी लडकियो के लिये उपर हाल मे ही बिस्तर डाल दिया जहा वो लोग सो गयी ।
फिर मौसी और हम सारे जेन्स निचे आ गये ।
निचे के कमरो मे नाना पहले ही मौसा के चाचा जी के साथ सो चुके थे तो मैने अगुआई की और अनुज को रमन भैया के साथ उनके कमरे मे भेज दिया और एक कमरे मे मौसा और राजन फुफा को ।
मौसी - सारे लोग तो हो गये तो अब तू कहा सोयेगा
मै - अरे आप जाओ आराम करो मै यही सोफे पर सो जाऊंगा
मौसी - नही नही तू यहा कैसे सो पायेंगा , तू भी उपर चल हाल मे मेरे साथ सो जाना
मै - अरे लेकिन उपर दादी जी अगर गुस्सा हुइ तो
मौसी - हा तो होने दे ,,मै मेरे लाडले को ऐसे थोडी ना सोने दूंगी
मै मुस्करा कर धीमी आवाज मे उनके कान के पास जाकर - फिर तो मै आपको पीछे से पकड कर सोउँगा
मौसी हसके- बदमाश कही का ,,चल अब तू उपर मै आती हू पानी लेके
मै उपर चला गया जहा अभी भी चारो लड़कियो मे कोई सोया नही था सब खुसरफुसर कर रही थी ।
मेरे आने की आहट पर पल्लवि तुरंत उठ कर बैठ गयी और अपना चुन्नी फौरन सीने पर ले लिया ,,मगर उस्से पहले ही मैने उसे नारीयल कैसे मोटे चुचो का उभार देख लिया था और गले के कट से उसकी दरारो को भी ।
मै - अरे आराम मे सो जाओ ,,मै भी यहा सोने आया हू
मेरी बात सुन कर गीता चहकी - सच भैया ,,आओ ना इधर सोवो मेरे
मै - अरे नही मीठी , तुम सो जाओ ना मै इधर सो जाता हू ,ये बोलकर मै पल्लवि के बगल खाली जगह पर सोने लगा ।
चुकी हाल मे तीन चटाई बिछाई गयी थी , तो एक ओर से बबिता फिर सोनल, फिर गीता और फिर पल्लवि सोयी थी । पल्लवि के बाद एक चटाई पुरी खाली थी तो मै वही लेट गया ।
मेरे लेटेते ही गीता उठकर आई और मेरे और पल्लवि के बिच के गैप मे जबरदस्ती घुसने लगी ।
पल्लवि हस कर सोनल की ओर खसक गयी और गीता खिलखिलाकर पल्लवि के जगह पर सरक गयी और मेरा हाथ पकड कर अपनी ओर खिच लिया
मुझे उसके स्पर्श से गुदगुदी सी महसुस हो रही थी तो मै हसे ही जा रहा था ,,बहुत दिनो बाद गीता के मुलायम हाथो का स्पर्श मिला था ।
गीता मुझसे चिपक गयी और मोबाईल खोलने को बोलने लगी और मै भी उसकी जिद पर हार गया ।
इधर पल्लवि बार बार हम दोनो को देख रही थी तो सोनल ने उसे गीता और बबिता के बचपने के बारे मे बताया कि ये दोनो तो ऐसी ही है ,,,ह्मेशा भैया भैया हिहिहिही
बबिता सोनल की बात सुनकर उससे चिपक गयी - नही तो ,,मै तो दीदी दीदी ही कहती हू ,,,दीदी मोबाइल दिखाओ ना
सोनल हस के - देखा अब मोबाईल चाहिये तो दीदी ,,,नही तो तू भी भाग गयी होती उस्के पास ना
सोनल की बात पर बबिता हसने लग जाती है ।
इधर थोडी देर हम लोग मोबाईल चालू करके देख रहे ।
इधर करिब 15 मिंट हो गया और मौसी अभी तक पानी लेके नही आई थी ,,,तो मेरा दिमाग ठनका कही मौसी नाना जी के साथ लगी तो नही ।
मेरे लण्ड एक बार को टनं हो गया और अब मेरे दिल मे बेचैनी सी होने लगी ।
मै उठकर बैठ गया
गीता - क्या हुआ भैया
मैने एकनजर सबको देखा और मुस्कुरा कर बोला - कुछ नही तुम देखो मै पानी पीकर आता हू ।
फिर मै उठ कर सीढियो से निचे चला गया और देखा तो हाल मे पुरा सन्नाटा है ।
रमन भैया का कमरा बन्द था और नाना भी जिस कमरे मे थे वो भी बन्द था । मतलब ये था कि मौसी अब वहा अपने ससुर के सामने नाना से चुदेगी नही ।
फिर मैने सोचा शायद वो पीछे बाथरूम के पास वाले कमरे मे गयी हो कुछ बात करने जहा मौसा और राजन फूफा हो
तो मै उधर ही चला गया
मगर वो कमरा भी अन्दर से पुरा बंद मिला
मैने बाथरूम देखा तो दरवाजा खुला ही था दोनो का
फिर मुझे एक सिसकी सी सुनाई दी और मेरे कान खडे हो गये ।
मैने फौरन कमरे के दरवाजे से कान लगाया तो अन्दर मौसा जी के कराहने की आवाज आ रही थी जो शायद मौसी का नाम लेके झड़ रहे थे ,,तभी मुझे राजन फूफा की भी आवाज आई ।
मेरा दिल धक्क करके रह गया । मतलब मौसी मौसा और अपने नंदोई से एक साथ चुद रही थी ।
कुछ ही पल मे कमरे मे आवाजे तेज हो गयी और मै समझ गया ये लोग दरवाजे की ओर आ रहे है ।
मै फौरन बाथरूम की ओर चला गया और वहा से झाका तो दरवाज खुल चुका था ।
मौसी कमरे के बाहर आ गयी थी और मौसा जी नंगे दरवाजे से बाहर गरदन निकाल कर मौसी से गुहार कर रहे थे
मौसा- रज्जो एक बार और हो जाने दो ना
तभी राजन फुफा ने भी सर निकाला बाहर - हा भाभी जी बस एक और बार बस एक
मौसी थोडा नुकुरते हुए - आप लोगो को तो वही लग रहा है ,,मेहमानो का मेला लगा है ,,अभी कोई खोजता हुआ आ जाये तो सब चौपट हो जायेगा
मौसी की टोंट से दोनो चुप हो गये तो मौसी प्यार से बोली - मै कही भागी नही जा रही हू ,,मेरा भी मन है लेकिन समझिये ना रमन के पापा
मौसा - अच्छा ठिक है जाओ तुम ,,लेकिन कल भी यही व्यव्स्था कर देना
मौसी शर्मायी और हा मे सर हिला कर किचन की ओर चली गयी ।
ये दोनो भी कमरे मे घुस गये और दरवाजा बन्द के लिया ।
मै फौरन वहा से निकला और किचन गया जहा मौसी पानी लेके निकल ही रही थी ।
मौसी - अरे बेटा तू यहा
मै - हा मुझे प्यास लगी थी तो ये बोल कर मैने तुरंत उन्के होठ मुह मे भर लिये
मौसी कसमसा कर मुझसे अलग हुई - धत्त पागल कही का ,,चल पानी पी ले और सोटे है
मै उनके कूल्हो को पकडते हुए - और ये कब दोगी ,,चलो ना यही कर लेते है एक बार
मौसी आन्खे ब्ड़ी करके - नही पागल है क्या ,,,अभी कोई भी आ जायेगा
मै थोडा उदास होकर - तो उपर भी तो नही कर पायेंगे ना
मौसी मुस्कुरा कर - तू चिंता क्यू करता है ,,मुझे भी ये चाहिये हिहिह्जी
मौसी लोवर के उपर से मेरा खड़ा लंड पकडते हुए बोली
फिर हम दोनो उपर चले गये
मौसी - तुम लोग सोये नही अभी ,, कल इतना सारा काम है चलो मोबाइल बंद करो ।
फिर मैने तुरंत गीता से मोबाइल लेके बन्द कर दिया और मौसी ने हाल की बत्ती बुझा दी फिर मेरे बगल मे आकर लेट गयी ।
थोडी देर बाद एक चुप शान्ति छा गयी ,,हालकी बिच मे गीता ने मुझे परेशान किया तो मैने उसे समझाया कि ये सही जगह नही है । लेकिन जब वो नही मानी और बार बार मेरा लण्ड छुने लगी तो मैने मौसी की ओर करवट लेली ।
क्योकि नाजाने क्यू मुझे लग रहा था कि पल्लवि मुझपर खास नजर रख रही है । फिर मेरा उसको मना करने का एक कारण ये भी था कि अगर वो जल्दी सोयेगी नही तो मै मौसी के साथ अपनी मस्ती कैसे कर पाऊन्गा
इसिलिए मैने मौसी की ओर करवट ली जो सीधा लेती हुई थी ।
मैने अपना हाथ उन्के पेट पर रखा वो समझ गयी मै ही हू तो उम्होने मेरा हाथ पकड कर अपने और करिब खिच लिया ।
मै एकदम धीमी आवाज मे मौसी के कान मे - मौसी , अभी नही थोडा रुक कर उपर चलते है ।
मौसी ने मुस्कुरा के हम्म्म्म किया ।
धीरे धीरे मेरे हाथ उन्के बदन पर घूमते रहे और मै ब्लाउज के उपर से ही उनकी चुचिया मिज रहा था और मौसी भी मेरे लण्ड को पकडने की कोसिस कर रही थी ।
धीरे धीरे हम दोनो की उत्तेजना बढ़ी और समय भी काफी हो चुका था ।
मै मौसी से धीरे से कान मे बोला - मौसी छत पर चले
मौसी भी धीरे खुसफुसायि - सब सो गये क्या
मै - हा लग तो रहा है
मौसी - ऐसा कर तू उपर चल मै आ रही हू
मै खुश हुआ और धीरे धीरे अन्धेरे मे जीने का अनुमान लगाता हुआ छत पर निकल गया । उपर बडी सावधानी से जीने के दरवाजे को खोल के उपर निकल गया ।
आह्ह मस्त मौसम था आज , हल्के बादल थे और चादनी रात ।
मै छत पर घूम ही रहा था कि मुझे कुछ आहट सी आई और तभी दरवाजा चुं किया और मौसी उपर आ गयी ।
मै खुश हुआ और उन्हे हग कर लिया ।
मै चौका - अरे मौसी आपकी पायल और चूडिया कहा है
मौसी हस कर-वो तो मैने वही निचे पहले निकाल दिये तब मै आई
मै - तब अब रुकी क्यू हो जल्दी करो ना प्लीज ,,,तडप गया इसपे पर प्यार के लिए
मैने मौसी का हाथ पकड़ कर अपने लोवर से बाहर निकले हुए लण्ड पर रख दिया ।
मौसी गनगना गयी औरा अगले ही पल झुक कर मेरे कदमो मे बैठ गयी और मेरा लण्ड चूसना शुरु कर दी ।
मानो कितने समय बाद मै जन्नत मे आया हू ,, जैसे जैसे मौसी अपने लार से मेरा लंड गिला करती रही , मेरे लण्ड मे सख्ती बढती रही और फिर मैने उन्हे वही चारदिवारी के सहारे घुमा कर खड़ा किया ।
उनकी साडी पेतिकोट को एक साथ उठाते लण्ड को सीधा मौसी की चुत मे पेल दिया
थोडी देर मौसी को चोद लेने के बाद मैने उनको मुह मे माल भर दिया ।
फिर हम दोनो बाथरूम की ओर जाने लगे। मौसी आगे जा चुकी थी और मै जैसे ही मुड़ा ,,मुझे सीढियो पर से तेजी से किसी के नीचे जाने की आहट हुई । मानो कोई दबे पाव सरसराता हुआ अपने हाथ जीने के दिवाल पर रगडता उतरा हो ।
मेरा कलेजा धक कर गया
मैने ये बात मौसी को ब्ताना उचित नही समझा कि जीने पर अभी हमे कोई देख रहा था या फिर मेरा कोई वहम ही हो । क्योकि अब तक सारे लोग सोये हुए थे ।
थोडी देर बाद हम दोनो निचे आ गये और मैने बत्ती जलाई ये देखने के लिए कोई जगा तो नही ।
तो लगभग सभी के चेहरे शांत दिखे सिवाय पल्लवि के ,,उसकी सासे तेज मह्सूस हो रही थी और उसने अपना चेहरा चुन्नी से ढका हुआ था ।
मै समझ गया कि वो पल्लवि ही थी क्योकि सोने का नाटक कैसे करते ये मुझसे बेहतर कौन समझ सकता था ,,मैने खुद कयी बार इसी से अपना फायदा लिया था ।
मुझे एक डर सा लगने लगा था ,,,आजतक मेरे जिस छिपाये संबंधो को कोई दुसरा नही जान पाया था ,,उसके बारे मे अब पल्लवि को खबर थी । मै बुत बन कर वही बोर्ड पर खड़ा होकर कुछ सोचने लगा और जब मौसी ने मुझे बोला तो मैने बत्ती बुझा दी और अपनी जगह पर आकर सो गया ।
मुझे नीद नही आ रही थी
एक भय सा लगा हुआ था अन्दर,,,मन मे आ रहा था कि पल्लवि से बात कर लू और उसे थोडी सफाई दू ,,मगर अगले पल मे लगता कि नही ,,अगर मान लो वो नही उसकी जगह कोई और था तो ???
लेकिन हर बार मेरे शक की सुई पल्लवि पर ही जा रही थी क्योकी कल से जब मै आया तबसे उसकी नजरे मै खुद पर ज्यादा पाई है ।
मेरा दिमाग लगातार इसी उधेड़बुन मे लगा रहा और फिर मैने तय किया कि अब कल सुबह ही ये चार लोगो के चेहरे पढने पड़ेंगे और अंजान होकर इनकी प्रतिक्रियाये देखुगा । तब शायद कुछ कन्फर्म हो पाये ।
बस इसी तसल्ली के साथ रात के किस पहर मे मै सोया मुझे पता नही लेकिन सुबह 5 बजे ही मुझे मौसी ने जगाया ।
मौसी - उठ लल्ला , झाडू पोछा करना है
मै नीद मे कुनमुनाते हुए करवट बदल लिया - नही मौसी सोने दो ना
मौसी हसी और बोली - ठिक है जा मेरे कमरे मे सो जा ,,नही तो चाची जी भी गुस्सा करेंगी
मै उखड़ कर उठा , मेरी आंखे सही से खुली नही थी । थोडी दुर पर किसी से खिलखिलाने की आवाजे आ रही थी तो मौसी उसे डांट रही थी ।
मै उबासी लेते हुए मौसी के कमरे मे चला गया और पेट के बल सो गया ।
पता नही कब लेकिन जब मेरी आंखे खूली तो कमरे मे कोई गोरी औरत थी ,,जो पेतिकोट मे खड़ी होकर अपने ब्लाऊज के हुक बंद कर रही थी और उसकी पीठ मेरी ओर थी ।
कमरे मे साबुन की भीनी खुश्बू फैली हुई थी ।
मैने बस लेटे हुए पूरी आंखे खोली तो देखा ये तो ममता बुआ है और उनका मोटा कुल्हा पेतिकोट मे ये बाहर की ओर फैला हुआ है ।
देख कर मेरे होठ और लण्ड दोनो फैल गये
भाई मै मुस्करा उठा और मेरा लण्ड भी ममता बुआ ने सख्त कूल्हो को देखने के लिए पागल होने लगा ।
इधर मैने सोचा कि अभी अंगड़ाई लेके उठू तभी कमरे का दरवाजा खुला और मौसी भी पीले रंग के ब्लाउज पेतिकोट मे अन्दर आई और दरवाजा बंद कर दिया ।
मैने फौरन आंखे मूंद ली ,,तभी मौसी की आवाज आई - अरे आज अपने भईया को घायल करके के छोडोगि क्या मेरी ननद रानी
ममता - वो तो पहले से ही घायल है भाभी ,,, कुछ बचा ही कहा है अब
मौसी हस कर - अरे मेरी लाडो रानी अभी तो ये पिछ्ला आँगन मे घूमाया ही नही अपने भैया को
मैने थोडी सी बारीक आंखे खोली और देखा तो मौसी का हाथ ममता बुआ के बडी सी गाड पर घूम रहा था ।
ममता बुआ - वो तो भैया की मर्जी है ,,जब चाहे घूम ले हिहिही
मै उनदोनो की बाते सुन कर मन ही मन बहुत मस्त हो गया । मुझे समझ आने लगा कि मा की तरह मौसी ने भी ममता बुआ को मौसा के लिये सेट किया होगा ,,, फिर मैने रात मे मौसा और राजन फुफा के कमरे वाली बात याद आई ।
मै मन मे - यार अगर ममता बुआ और मौसि एक साथ मौसा से चुदते है और वही राजन और मौसा मिलकर मौसी को चोदते है तो कल रात इन्होने ममता बुआ को क्यू नही बुलाया ,,कही मौसी ने ममता बुआ से राजन फूफा से चुदने वाली बात और राजन फूफा से ममता बुआ और मौसा की चुदाई की बात छिपा के तो नही रखी ।
मै थोडा सोचा विचार रहा था कि इतने मे मौसी ने मुझे आवाज दी उठने के लिए
ममता बुआ जो कि अभी ब्लाउज पेतिकोट मे थी - अरे भाभी रुको मुझे साडी तो पहन लेने दो
मौसी हस कर- तू भी ना ममता ,,अरे बच्चा है वो
मौसी - राज उठ जा लल्ला
मै कुनमुना कर उबासी लेते हुए उठा
मै आंखे मिजते हुए एक बडी सी उबासी लेते हुए - गुड मॉर्निंग मौसी
मौसी - 8 बजने वाले है और तेरा अभी गुड मॉर्निंग हो रहा है ,,जा जल्दी से नहा धोकर आ ।
मै कमरे से बाहर आया तो मौसी ने कमरे का दरवाजा बन्द कर लिया ,,,मुझे सामने सीढि दिखी तो निचे जाने के बजाय मै उपर छत पर चला गया ।
जीने से बाहर छत पर पहुचा तो मुझे वही रात वाली जगह पर मेरे वीर्य के कुछ बडी बुन्दे दिखी और मुझे रात का सब याद आने लगा ।
मैने उस गाढे चिपचिपे सुख चुके वीर्य को चप्पल से घिसा तो वो अभी भी निचे से गिला ही था तो वहा फैल गया ।
मैने अपना माथा पिट लिया कि अबे यार ये क्या गन्दगी फैला दी मैने ,,लग रहा है पानी डालना पडेगा ,,वैसे तो किसी की नजर नही जाती ,,लेकिन अब जरुर जायेगी ।
मै आस पास देखा तो छत पर कोई नजर नही आया तो मै बाथरूम की ओर गया कि पहले खाली करता हू फिर इसे साफ करता हू ।
मै जल्दी जल्दी चल कर पाखाने मे घुस गया और जैसे ही बैठा ,,मुझे बगल मे नहाने वाले हिस्से से किसी के गुनगुनाने की आवाज आई ,,,, ये कोई और नही पल्लवि ही थी जो रात का वही गाना गुनगुना रही थी जिसपे उसने डांस किया था - कजरा रे कजरा रे
मगर इधर जैसे ही मैने पाखाने की टोटी चलाई उसने गाना बंद कर दिया ।
फिर नहानघर का दरवाजा खुला और इधर मै भी पल्लवी के नहाने के बाद उसके खिले हुए जिस्म को देखने के लिए लालायित हो गया ।
तो मै फटाफट अपनी धुलाई करके जैसे ही दरवाजा खोल कर बाहर निकला
मेरी आंखे फैल गयी और मुह खुल गया
क्योकि छत की अरगन पर पल्लवि सिर्फ़ एक पीले सूट पहने कपडे डाल रही थी ,,हालाकी उसने ब्लूमर पहना हुआ था ।
उसने जैसे ही मूड मुझे बुत बने हुए देखा तो मेरी नजरे उसकी सूट के बगल से नंगी दिखती जांघो से उसके चेहरे पर गयी ।
उसके चेहरे के भावो से लगा कि अब चिल्लाने वाली है तो मैने लपक कर उसके मुह पर हाथ रख दिया ।
उसकी सासे भारी होने लगी वो उउउऊ उउउउऊ किये जा रही थी ।
बदले मे मै माफी मागते हुए बड़बड़ाते हुए समझा रहा था कि ये सब अनजाने मे हुआ तो प्लीज शोर ना करे वो
मै उसे बाथरूम की दिवाल के एक ओर ले गया और वहा उसके मुह से हाथ हटाया
मै आंखे भीच कर - सॉरी प्लीज ,,चिल्ल्लाना मत
पल्लवी मौका पाते ही फौरन दौड़ कर बाथरूम मे घुस गयी और भागते हुए उसके मोटे कूल्हो की थिरकन अह्ह्ह
वो तस्वीर मेरे जहन मे बैठ गयी ,मगर अगले ही पल मै चेता और वापस से बाथरूम के पास जाकर पल्लवि से माफी मागी
थोडी देर बाद पल्लवि ने दरवाजा खोला तो मै नजरे निचे किये खड़ा रहा ,,
पल्लवि वापस से अरगन की ओर गयी और बाकी बचे हुए कपड़े फैलाने लगी ।
मैने एक नजर उठा कर पल्लवि को देखा तो उसने सल्वार पहन ली थी । तो मै मुस्कुरा कर जैसे ही उसके पास गया और इतना ही बोल पाया - सॉरी ना पल्लवि ,,वो बस अन.....
मेरी नजर पल्लवि के हाथो मे पकडे हुए नीले ब्रा पर गयी जिसका 34B का लेबल साफ दिखा मुझे
पल्लवि ने जैसे ही मुझे अपने बगल मे पाया वो शर्मा गयी और अपना ब्रा वापस बालटी मे डाल दिया ।
मै तुरंत उसकी ओर पीठ कर लिया और धीमी आवाज मे बड़बड़ाया - हे भगवान ये क्या हो रहा है मेरे साथ ,,,फिर से सॉरी पल्लवी
इसबार पल्लवी की थोडी सी खिलखिलाने की आवाज आई और मुझे बडी राहत हुई ।
फिर पल्लवि ने पीछे से ही मेरे कन्धे पर तौलिया रखा और बोली - नहा कर धूप मे डाल दिजियेगा इसे ,,हिहिही
फिर वो मुस्कुरा कर भागती हुई निचे जाने लगी और मै उस गीले तौलिये को कन्धे से उतार जीने की ओर पल्लवि को उसके भारी कुल्हे हिलाते जाते देखकर मुस्कुराया ।
तभी पल्लवि अचानक से जीने के दरवाजे के पास उस जगह पर जाकर रुक गयी जहा मेरा वीर्य गिरा था ।
पल्लवि वो गन्दगी देखी और फिर मुस्कुराकर मुझे देखा तो मै फौरन मुह दुसरी ओर कर लिया । क्योकि मेरी फट चुकी थी । मेरा शक सही निकला ,,कल रात मे पल्लवि ही थी जो सीढिओ पर खड़े होकर मेरी और मौसी की चुदाई देख रही थी ।
मुझे अब समझ नही आ रहा था कि मै कैसे उसका सामना करूँगा , हालकि उसके हरकतो से नही लग रहा था कि वो किसी से कुछ कहने वाली है । मगर एक डर जरुर था मन मे ।
मुझे उपर नहाना था नही क्योकि मेरे ब्रश और कपडे सब निचे थे । तो मै वो तौलिया निचोड कर उसे छत पर डाल दिया और सबसे जरुरी एक गिले कपडे से वो दाग साफ करके निचे चला गया ।
फिर मैने भी नहा धोके पिला कुर्ता और सफेद पाजामा डाला । आज नाश्ता तो बना था लेकिन हम बच्चो को और मौसा मौसी नही मिलने वाला था । क्योकि आज हल्दी थी जब तक कथा और हल्दी का कार्यक्रम हो नही जाता तब तक हमे सिर्फ पानी पीने का आदेश मिला था ।
सारे लोग पीले कपड़ो मे थे ।
सुबह से ही घर मे चहल पहल थी , मौसा के गाव से उनके कुछ रिश्तेदार आ गये थे ,,यहा मुहल्ले की भी कुछ औरते और लडकिया आ गयी थी ।
सबसे उपर की मंजिल पर एक टेंट लगाया गया । फिर वही कथा शुरु हुई । करीब 11 बजे तक कथा समाप्त हुई ,,सबकी आवभगत से लेके प्रासाद बाटने मे हर जगह भागा दौडी लगी थी ।
राहत तब हुई जब पंडित जी ने हमे प्रसाद खाने के लिए बोला ,,,, प्रासाद खाने के बाद हमने पानी पिया ,,,सुबह से सर चकरा रहा था तो मौसी ने चाय भी बनवाया ।
थोडी देर बाद पंडित जी निकल गये ।
फिर उसके बाद वही कथा वाले जगह पर ही रमन भैया को एक छोटी चौकी देके बिठाया गया ।
फिर एक मीडियम साइज़ पतिले मे रखी हल्दी लाई गयी । पहले मौसा मौसी ने भैया को हल्दी लगायी ।
फिर मा , फिर ममत बुआ ने ।
लेकिन जब मामी की बारी आई तो वो भी हल्का हल्का ही भैया के गाल , बाजू पर हल्दी लगा रही थी
मै हस कर मामी को छेड़ते हुए - मामी अगर आप ऐसे कन्जुसी करोगी तो मै अपनी शादी मे आपसे हल्दी नही लगवाउँगा
मेरी बात पर सब हस पडे
मामी हस के - आओ हीरो तुम भी बैठो और जहा कहो वहा लगा दे
मै चल कर रमन भैया के पीछे गया और धीरे से उनका ढिला कुर्ता पकड कर एक ही बार खिच दिया ।
रमन भैया अब उपर से पुरे नंगे हो गये । पेट और सीने पे बाल ही बाल थे और वो शर्मा रहे थे ।
मा मुझे डाटती है - बदमाश ये क्या रहा है
मै हस कर पतिले मे से ठंडी ठंडी हल्दी लेके रमन भैया के गरम पीठ पर उंगलियो से बडे आराम से लगाते हुए - अरे मा रसम है तो अच्छे से करना चाहिए ना हिहिहिह
रमन भैया अपनी पीठ पर ठंडी हल्दी का लेप पाते ही खिलखिलाए और मुझे पकड कर आगे कर दिया ।
हालकी रमन भैया भले ही उतने भारी शरीर के नही थे लेकिन उनकी पकड बहुत मजबूत थी ।
उन्होने मेरा हाथ ऐठ के मुझे सामने किया और फिर हल्दी लेके मेरे कुर्ते के अन्दर नाभि के आस पास लगाने लगे ।
मै गुदगुदी से छ्टकने लगा और मुझे फसा हुआ पाकर मामी को मानो मौका मिल गया ।
वो भी उठ कर आई और पीछे से मेरे कालर मे हाथ डाल कर पीठ मे ठंडी हल्दी पोतने लगी ।
इधर मुझे फसा देख के सब हस रहे थे सिवाय गीता बबिता के ,,,मेरी मासूम बहनो को मुझे परेशान होता देखा नही गया और वो रमन भैया को पकड कर गुदगुदाने लगी ।
इधर रमन भैया ने मेरे हाथ छोड़े तो मैने लपक कर हल्दी के पतिले मे डाला और मामी की मुलायम कमर पर हल्दी मल दिया ।
वो खिल्खिला कर उठ कर भागी तो मैने उन्हे ताड़ा और दौड़ा कर बाथरूम के दिवाल के कोने मे ले गया जहा सबसे छिपते ही मामी चुप हो गयी ।
फिर मै हसते अपने हाथो मे हल्दी मलने लगा।
मामी ने इतराकर खुद से ही अपने पेट से पल्लू हटा कर बोली - आओ लगा लो ना
मै उनकी इस अदा से उत्तेजित हो गया और उन्हे पकड के घुमाया । फिर उनकी नाभि के पास मुलायम पेट पे हल्दी मलते हुए पीछे से अपना लण्ड उनकी गाड़ पे घिसने लगा ।
इधर मुझे फसा हुए देख के मामी ने धीरे से मेरे दुसरे हाथ को पकड़ा और मेरे ही चेहरे पर मल दिया । फिर हस्ते हुए टेन्ट की ओर भाग गयी ।
मै हस्ते हुए वापस आया तो लोगो को लगा इस झड़प मे मेरी ही हाल हुई क्योकि मामी ने अपना पेट वापस पल्लू से ढक लिया था ।
इधर गीता बबिता और सोनल पलल्लवी ने रमन भैया को हल्दी ल्गायी । मैने भी गीता के गुलगुले गालो मे हल्दी लगाई
तस्वीरे निकाली गयी और फिर हम सबने वो स्पेशल बिना नमक हल्दी वाली उड़द की दाल , चावल सब्जी पूरी खाई
स्वाद तो जमा नही लेकिन रस्मो की खाना पूर्ति के लिए थोडा थोडा खाना ही पड़ा ।
लेखक की जुबानी
अब इधर एक ओर जहा राज ने खाना खा लिया ,,,वही राज के पापा यानी रंगीलाल काफी समय से शकुन्तला की राह देख रहे थे कि कब वो खाना लेके आये
क्योकि दोपहर के 1 बजने को थे ,,, सुबह के नास्ते की दही जलेबी ने रंगीलाल की भूख को और बढा दिया था ।
राह जोहते करीब डेढ़ बजे शकुन्तला एक रिक्शा से दुकान पर थैला लेके उतरि ।
रंगीलाल के जान मे जान आई
इधर शकुन्तला ने आते ही माफी मांगी ।
रंगीलाल - अरे भाभी जी क्यू शर्मिंदा कर रही है आईये अन्दर चलिये
शकुन्तला- अरे नही नही ,वो रोहन आ गया है ना तो मै बस ये खाना देने आयी थी
रंगीलाल - अच्छा ठिक है फिर मै ये टिफ़िन रात मे वापस दे दूँगा ।
शकुन्तला हस कर - अरे आप क्यू आयेगे ,,मै वैसे भी रात मे आऊंगी ही , ,ठिक है मै जाती हू
रंगीलाल अवाक होकर रह गया और शकुन्तला उसके सामने मुस्करा कर वापस उसी रिक्से से निकल गयी ।
इधर रंगीलाल का लण्ड अंगड़ाई लेने लगा और वो अन्दर खाना खाने के लिए चला गया
राज की जुबानी
हल्दी का रस्म अदायगी के बाद घर मे सभी मेहमानो के खाने पीने की व्यव्स्था मे जुट गये हम लोग ।
सब्जी तैयार हो रही थी और मै वही रसोई मे मौजूद था ,, इधर भंडारी के साथ राजन फूफा ने कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होकर काम मे लगे थे ।
वही बगल के एक लोग आंटा लगा रहे थे ।
तभी भंडारी ने बोला कि सब्जी बस तैयार है, जल्दी जल्दी पुरिया बेलवा ,,लेकिन दिक्कत की बात थी कि बेलेगा कौन ???
राजन - अरे बेटा घर मे जाकर पल्लवि और अगर उसकी अम्मा कुछ काम नही कर रही हो तो बुला लाओ , फटाफ़ट हो जायेगा और हा बेलना ले लेना 2 3
इधर मै भाग कर सबसे उपर की छ्त पर गया और वहा औरते आपस ने मेहदी रख रही थी ।
मै हाफते हुए - पल्लवि चलो फूफा बुला रहे है
मुझे हाफ्ते देख कर मौसी परेशान होकर- क्या हुआ लल्ला तू हाफ क्यू रहा हौ
मै हस्कर - अरे मौसी कुछ नही बस सीढिया चढने मे ये अह्ह्ह ,,,, वो मुझे एक्स्ट्रा बेलन चाहिये पुरिया निकलवानी
मौसी ने इधर उधर नजर घुमायि लेकिन उन्के मतलब का कोई नजर नही आ रहा था ,,क्योकि ममता बुआ को सोनल दिदी मेहदी लगा रही थी और मौसी को मामी ,,,मा शायद निचे ही थी ।
मौसी मुझ से - अच्छा बेटा पल्लवि निचे जा रही है तो
मौसी -पल्लवि ,,बेटी जरा स्टोर रूम से बेलन निकाल लेना नये वाले वहा दो होंगे और एक निचे किचन से ले लेना
पल्लवि मे हा मे सर हिलाया ।
इधर मै - और कोई फ्री है पूरी बेलने के लिए
मौसी- अरे तेरी मा निचे ही है , उसे लिवा लेना
मै हा मे सर हिलाया और फिर पल्लवि को देख कर मुस्कुराते हुए निचे चलने का इशारा किया ।
पल्लवी ने भी मुस्कुरा कर हा मे सर हिला दी और हम दोनो स्टोर रूम मे चले गये ।
वहा जाने के बाद पल्लवि थोडा बहुत खोज बिन करने लगी ।
मैने मौका देख के थोडा बात करने की कोशिस की - वैसे मै कल शर्त जीत गया था
पल्लवि एक ट्रंक मे खड़बड़ाती हुई बेलन खोज रही थी और मेरे बात को सुन कर थोडा चुप रहने के बाद बोली - हा तो मैने भी डांस किया था ना
मै - तो शर्त जीतने के पहले ही,,वो थोडी ना गिना जायेगा
पल्लवि - तो फिर अब क्या शर्त बदल दोगे ,,कुछ और करना पडेगा मुझे
मै - नही वो बात नही है ,,मै तो ये सोच रहा था अगर मै हार जाता शर्त तो तुम मुझसे क्या करवाति
पल्लवि हाथ मे बेलन लेके उसे मुझे थमाते हुए इतरायी - मै तो बस एक सलाह देती आपको
मै थोड़ा असमंजस भरा हसी के भाव लाता हुआ - सलाह ? मतलब किस चीज़ के लिए
पल्ल्ल्वी मुस्कुरा कर - यही कि कुछ चीजे सही जगह पर ही करनी चाहिये एकदम से खुले मे नही
पल्लवी की बाते सुन कर मेरी फ़ट गयी क्योकि मै समझ गया वो रात मे मौसी के साथ मेरी चुदाई की बाते कर रही थी ।
मै अटकते हुए -क क क क्या आ मतलब है तुम्हारा ,,,साफ साफ बोलो
पल्लवि मुस्कुरा कर दरवाजे की ओर जाते हुए - वही जो तुम समझ रहे हो ,,,वैसे मै ये किसी से नही कहूँगी । अब चलो ।
मेरी फट रही थी और पल्लवि का डेयरीन्ग अंदाज मुझे और भी डरा रहा था तो पता नही मेरे दिमाग मे क्या सुझा कि मै बस अपने बचाव के लिए एक तुक्का फेका ,,,जोकि शायद मुझे उसकी जरुरत भी थी और वो बात बस वही खतम हो जाती ।
मगर नियती का खेल वो ही जाने और बात आगे बढ गयी ।
मै हकला कर - त त तुम अगर बता दोगी किसी को तो मै भी तुम्हारे और अनुज के बीच की बात सबको बता दूँगा
पल्लवि के पाव रुक गये तो मुझे लगा मेरा दाव चल गया तो मैने बात को और लपेट कर बोला - अनुज ने मुझे सब बता दिया है ,,वो मुझसे कुछ नही छिपाता
पल्लवि के पाव हिल रहे थे और गुस्से से तमतमाती हुई घूमी और मुझे ऊँगली दिखाते हुए - सुनो मिस्टर मुझे धमकी देने की सोचना भी मत , और वैसे भी मै अपने मामी जी की इज्जत किसी के सामने नही उछालने वाली ।
पल्लवि की ऐसी प्रतिक्रिया देख कर मै समझ गया कि मेरा तुक्का सही जगह पर लगा था और पल्लवि ने अभी अभी उसका प्रमाण दे दिया था । अपनी जीत पर मुझे बहुत खुशी हुई और मेरे मन से डर अब पूरी तरह गायब हो गया था ।
मैने लपक कर पल्लवी के कमर मे हाथ डाला और उसे अपनी ओर खीचा ,,,वो मेरे बाहो मे छ्टपटाने लगी ।
पल्लवि - गन्दे इन्सान छोड दो मुझे ,,नही तो मै उम्म्ंम्म्ंमम्मम्ंं
पल्लवि और कुछ कहती उस्से पहले ही मैने उसके होठ अपने मुह मे भर लिये और चुस कर छोड दिया ।
पल्लवि हाफते हुए - ये क्या किया तूमने ,,मुझे लगा तुम जैसे भी होगे लेकिन अच्छे इन्सान होगे । कम से कम एक लड़की की भावनाओ की इज्जत तो करोगे ।
पल्लवि की बाते सुन कर मुझे समझ आया कि मै ये क्या करने लगा था और मुझे खुद पर घिन सी हुई । फिर एक पल को मै ग्लानि मे तब भर गया जब मुझे अनुज का ख्याल आया कि ये तो उसकी गर्लफ्रैंड है और मैने मेरे भाई के साथ धोखा किया ।
मै उदास सा हो गया लेकिन खुद के लिए एक गुस्सा भर गया और मैने पल्लवि के हाथ को पकड कर जोर से अपने गालो पर मारा और सॉरी बोल कर कमरे से बाहर आ गया ।
पल्लवि बुत बनकर वही खड़ी रही ।
मैने खुद के आंसू पोछे और बेलन लेके निचे चला गया ।
किचन मे मा मिली तो उन्हे भी साथ लेके बगल के घर मे चला गया ।
इधर मा मुझे पुरिया बेलना बताने लगी ,,मा के साथ हसी मजाक मे कुछ पलो के लिए मै भूल गया था । मगर जैसे ही पल्लवि वहा आई मै शांत हो गया ।
वो मा के बगल मे बैठ कर पुरिया बेलने लगी ।
मुझे अचान्क से चुप देख कर मा को कुछ शक हुआ ।
मा - क्या हुआ राज तु चुप क्यू हो गया ,
मै जबरन की हसी चेहरे पर लाता हुआ जिसमे मेरी आन्खे डबडबा सी गयी - कुछ तो नही मा ,,,वो बस खाने का देखकर पापा की याद आ गयी कि पता नही उन्होने खाया कि नही ।
मा- अरे हा आज कामो मे फस कर उनसे बात भी नही हुई , जरा लगा ना उनको फोन
मै - रुको मा मै मोबाईल लेके आता हू ,फिर मै उठा और मेरी लाल हुई आन्खो से पल्लवी को देखा और घर मे रमन भैया के कमरे मे चला गया ।
मैने अपना बैग खोलकर उसमे से मोबाइल निकाला और जैसे ही कमरे के बाहर जाने को हुआ तो कमरे मे पल्लवि खड़ी थी ।
मै चौक के - अरे तुम यहा ,,कुछ चाहिये क्या मम्मी को
पल्लवि धीमी आवाज मे नही बोल कर सर हिलाई
मै - तो फिर
पल्लवि मुह गिरा कर - वो सॉरी , मुझे आपको ऐसे नही कहना चाहिये था
मै जबरन की हसी लाता हुआ भरे गले से - अरे तुम क्यू सॉरी कह रही ,,,गलती तो मेरी थी मैने अपने छोटे भाई की जीएफ के साथ वो सब किया
पल्लवी चौकी और जिज्ञासू होकर - जीएफ मतलब
मै मुस्कुरा कर - गर्लफ्रेंड
पल्लवि हसी - हा लेकिन मै तुम्हारे भाई की गर्लफ्रेंड नही हू ,,लेकिन मेरा बॉयफ्रेंड अनुज ही है
मै फसा हुआ मह्सूस किया - क्या मतलब कि तुम उसकी GF नही हो लेकिन वो तुम्हारा BF है
पल्लवि मुझे समझाते हुए - अरे नही वो मेरा अनुज मेरे गाव मे रहता है ,,, मेरे ताऊ जी का लड़का है ।
मै पहले उसकी बात पर हसा लेकिन फिर कुछ सवालो ने मुझे उलझा दिया - अच्छा,,,मगर ,,,लेकिन
मै - अगर वो गाव वाला अनुज तुम्हारा BF है तो तुमने मेरे अनुज से वो सब क्यू ???
पल्लवि मुस्कुरा कर शर्माते हुए मुह फेर ली - वो बस ऐसे ही जरूरतें थी कि हो गया ,,, लेकिन आपका अनुज बहुत ही अच्छा है ।
मुझे बहुत शौकीन्ग सा ल्गा और मन ही ग्लानि शांत हुई कि चलो दिल का बोझ हल्का हो गया । लेकिन इंसानी फितरत है कि मौके और दस्तूर की ताक मे हमेशा रहता है और वही फिलहाल मुझे जो चाहिये वो बस एक इजाजत थी ।
मै आगे बढा - वैसे कुछ जरूरते मेरी भी है , अगर तुम कुछ मदद कर सको तो
पल्लवि की आंखे बडी हो गयी और उसके चेहरे पर मुस्कान थी ।
मै हस कर उसकी आँखो मे देखता हुआ - मै पुछा मदद करोगी मेरी
वो शर्म से नजरे झुका ली और बाहर की ओर जाने लगी ।
मै उसके पीछे जाता हुआ - मुझे तुम्हारे जवाब का इन्तजार रहेगा और फिर मै फोन लेके मा के पास चला गया ।
फिर मैने पापा से बात की उनका हाल चाल लिया ,,तो बातो ही बातो मे पता चला कि रोहन भैया आ गये है । मै भी मन ही मन काजल भाभी को सोच कर मुस्कुराया कि आज रात काजल भाभी अपने औजारो का प्रयोग करेंगी रोहन भैया पर हिहिहिह
खैर थोडी देर मे पल्लवि भी आई और उसने मुझे देख कर स्माइल पास की ।
फिर मै खुश होकर सारे कामो मे भिड़ गया
इधर खाना तैयार हुआ तो बारी बारी करके खाना सबको खिलाया गया ।
खाना एक ही टाईम मे एक्स्ट्रा बनाया गया था ताकी जिसे रात मे भूख हो वो खा सके ।
इधर काफी सारी मस्तिया हुई और रात मे कुछ खास होना तो था नही इसिलिए मै निचे के हाल मे कुछ नये आये मेहमानो के साथ सोया ।
बाकी की सारी औरते उपर छत पर ही सोयी ।
****______******______****______
जानीपुर मे तो सब सो गये लेकिन चमन्पुरा मे रंगीलाल की रात आज बहुत लम्बी होने वाली थी ।
जारी रहेगी